मैं गया तबतक चाची पलंग पे सो चुकी थी।मैं पलंग बोल रहा हु पर वैसे कुछ आलीशान नही था।एक खटिया था जिसे उसने ही दहेज में लाया था।पर बहोत छोटा था।दो लोग सोने के बाद खत्म हो जाता है।
मैं उनके बाजू में जाकर सो गया।बचपन में जब भी चाचा और पिताजी बाहर रहते थे तब मैं चाची के पास सो जाता था।आज भी मैं उसी लिहाजे में उनके करीब सो गया।उनकी तरफ पीठ करके सोया तो मैं नींद में नीचे गिरने लगा ।तो मैंने उनकी तरफ मुह करके सोना सही समझा।जैसे ही मैं घुमा चाची की बालो की खुशबू दिलो दिमाग में घुस गयी।मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था।
मेरा मन बहोत चंचल था।उसी सुगंध के हवाओ में मुझे सुबह का नजारा याद आने लगा।नींद गहरी नही थी पर सपना तो कैसे भी आ सकता है,चाहे उसमे हकीकत शामिल हो।क्योकि जिंदगी का पहला नजारा था की मैंने किसी औरत को अधनंगा देखा था और मेरे अवजार ने हरकत की थी।
मैं उस हकीकत वाले हसीन कामनिय सपने में इस तरह खो गया उसमे मेरे लन्ड का आकर एकदम से बढ़ गया।टॉवल ढीला था तो आकर बढ़ने के बाद बिखर गया।तो अंडर वेअर के साथ मेरा लन्ड किसी बड़े कोमल से चट्टानों पे घिसने लगा।कुछ देर मैंने मजा लिया।बहुत अच्छा महसूस करने लगा था।अंडरवेअर में मुझे कंफर्टेबल महसूस नही हुआ तो मैंने लन्ड को बाहर निकाल के उस गदरिले चट्टानों पे उसके बीच के दरी में घुमाने,घिसाने लगा।कुछ समय बाद मैं अकड़ सा गया और मेरे लन्डसे पानी निकल गया।पर मैं सपने में था तो मुझे ओ चट्टानों सी बहती नदी की तरह लगा।मैं अभी तक सपने में था।पर जब मुझे गिला महसूस हुआ मैं उठ गया।
मैं बाथरूम जाके फ्रेश होकर आया तो मुझे सामने दिखा की चाची की पिछवाड़े सब गिला था।नाइटी गांड के छेद में घुसी थी।मुझे अब पूरा मामला समझ आया की सपने में मैंने क्या कर दिया है।
चाची सोई थी तो मैं भी चुप चाप जाके सो गया।कुछ पल बाद चाची की नींद खुली।मैं फ्रेश हुआ था तो मुझे नींद नही आयी थी।चाची की गीलेपन की वजह से नींद टूटी थी।वो उठ के बैठी और थोड़ा घूम कर जो गीली जगह थी उसको हाथ में लेके सूंघा।और कुछ पल मेरी तरफ देखा।मैं सोने का नाटक कर रहा था।जब उन्होंने मेरी ओर से नजर हटाई तो मैंने आंखे खोली।ओ मेरे लण्ड के पानी को मसल रही थी उंगलियों में,पर उनके चेहरे पर न गुस्सा था न खुशी।ओ कुछ पल एसेही बैठी सोचती रही कुछ और सो गयी।मैं भी निशचिंत होकर सो गया,की मेरी गलती पकड़ी नही गयी।
सुबह के टाइम नाश्ता करने के बाद मैं पढाई कर रहा था।चाची घर की रोजाना की तरह सफाई कर रहा था।फरवरी था तो ऊपरी कमरे में गर्मी रहती है तो मैं चाचा चाची के रूम में पढ़ाई कर रहा था।चाची हमेशा देर से नहाती थी,क्योकि घर की साफ सफाई करनी रहती थी।बाहर का साफसफाई पूरा होने के बाद मुख्य द्वार बन्द कर के वो कमरे में आ गयी।उनका बदन पसीना पसीना था।अभी सिर्फ उनके कमरे की ही सफाई बाकी थी जहाँपर मैं पढ़ाई कर रहा था।मैं पलंग पे था।चाची रूम के अंदर आते ही।हवाई खाने लगी।उनको बहुत गर्मी सी लग रही थी।उन्होंने साड़ी जो पहनी थी उसको निकाल दिया।
अभी वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी।उन्होंने सारा समान जो रूम में बिखरा पड़ा था वो समेट लिया।और जो अलमारी में रखना था उसे लेकर अलमारी खोलने गयी।पर पेटीकोट की नाड़ी अलमारी के दरवाजे में फसी और पेटीकोट नीचे गिर गया।उनको संभालने का मौका ही नही मिला।उन्होंने झट से पीछे देखा तो मैं उनको नीचे गर्दन झुकाए दिखाई दिया।ओ वैसे ही पेंटी में अपना काम चालू रखी।
झुक कर पढ़ाई करनेसे मेरी कमर दुखने लगी तो मैंने अंगड़ाई ली तभी सामने का नजारा देख कर मैं अइसे ही देखता रह गया।अलमारी का एक दरवाजा जिसपर शीशा होता है ओ बंद था तो मैं चाची को घूर रहा हु ये चाची ने नोटिस किया।पर वो वैसे ही काम में लगी रही।
पर कल जैसे उन्होंने खुदको ढकने की कोशिश नही की।ऊपर से गांड को मजबूर तरीकेसे हिला मचल रही थी।मैं अभी एकदम से ठंडा पड़ गया।
लन्ड उत्तेजना से खड़ा हो गया।मेरी ये हालत देख चाची मुस्करा रही थी।उन्हें इसका मजा आ रहा था।वो वैसे ही कमर को झटके देते हुई गांड मटकाते हुए अलमारी बन्द करके वहां से बाहर निकल गयी।
मैं झट से उठा और बाथरूम चला गया और पेंट अंडरवेअर के साथ निकाल दिया।देखा तो लन्ड लोहा हो गया था।मैंने लण्ड को बहोत दबाया।की ओ जैसे थे हो जाए।मैं इस खेल पे कच्चा खिलाड़ी था।मुझे मालूम नही था की कैसे भड़के हुए लन्ड को शांत किया जाता है।तभी मेरे सामने के शीशे में मुझे चाची दिखाई दी।मुझे तब अहसास हो गया की जल्दबाजी में मैंने दरवाजा बन्द ही नही किया।मैं अचानक से चाची की तरफ घूम गया।
पर चाची का रिएक्शन मेरी हवाइयां उड़ाने वाला था।
चाची:अरे वीरू ये क्या हुआ?तेरे लुल्ली को क्या हुआ?
चाची को इतनी खुल के बाते करके सुन मुझे भी सुकून आ गया।कलसे जो अपराधी से महसूस हो रहा था उससे मैं थोड़ा बाहर आ गया।और जो था सब बकने लगा।
मैं:क्या मालूम चाची जब भी आपके पिछवाड़े को देखता हु मेरी लुल्ली अइसे हो जाती है।
चाची ये सुन के चौक सी गयी और अपनी गांड घूमाते हुई बोली:ये वाला हिस्सा?
जैसे ही वो घूम जाती है वैसे ही मेरा लन्ड भी झटका खाता है।उस झटके को देख चाची आपमे ओंठ दांतो तले चबाती है।
चाची:उसका कुछ कर नही तो तबियत बिगड़ जाएगी तेरी।
बीमारी होने की आशंका से ही मैं कंप सा गया।पर क्या करू मुझे मालूम न था।
मैं:क्या करू पर।कल से ट्राय कर रहा हु।कुछ नही हो रहा।बहुत दर्द भी होता है।इससे तो मेरी पढ़ाई भी नही होगी।
चाची:मैं तेरी हेल्प कर दूंगी पर किसीको बताना नही।नही तो लोगो को मुह दिखाने लायक नही रहेगा तू।
मैं:नही चाची किसीको नही बताऊंगा।