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चाची मेरे करीब आ गयी।उसने मेरे लण्ड को छुआ और सुपडे का चमड़ी नीचे कर उंगली घुमाया।और मुह में डाल उसकी टेस्ट ली।मेरे लन्ड के सुपडे से लेके पूरे शरीर में करंट सा फैल गया।उन्होंने मुझे बाहर बैठाया।पूरे घर का खिड़की दरवाजा बंद करके फिरसे मेरे पास आ गयी।मुझे पूरे कपड़े निकलने बोली ।अभी मैं पुरा नंगा पलँग पर पैर फैलाये बैठा था।वो पास आयी।लण्ड को हाथ में लेके चमड़ी को ऊपर नीचे करके हिलाने लगी।मेरी नजर सिर्फ चाची की आंखों में थी।उनके आंखों में भयानक हवस की प्यास थी।
उनके हिलाने की वजह से लण्ड अभी लोहा बन गया था।चाची ने मेरे लण्ड को मुह में लेके चूसने लगी।
ओ लण्ड के सुपडे से लेके अंडों तक चाट चूस रही थी।मैं उन्हे निहार राहा था।उनका एक हाथ उनके पेंटी में घुसा था।ओ लण्ड को कुल्फी की तरह चूस चाट रही थी।काफी समय वो चूसती रही।उनकी पेंटी भी अभी गीली थी।लगता है वो उस समय झड गयी थी।मेरा भी समय हो गया।मैंने चाची को बोला:चाची मेरे लुल्ली से पानी निकलने वाला है।
चाची सिर्फ मुस्कराई और लन्ड को जोरसे हिलाने लगी।मैं झड़ गया तो अंदर से निकला सफेद पानी भी चाची ने अपने मुह में ले लिया और गटक गयी।मेरा लन्ड पूरा गिला था तो चाची ने उसे चाट के साफ कर दिया।
चाची:जाओ पानी से साफ कर दो।मैं खाना बना लेती हु।
मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आया।हम लोगो ने मिलकर खाना खाया।शाम को चाचा आने वाले थे तबतक चाची ने 2 बार मेरा लन्ड चुसाई कर ली थी।चाचा शहर शहर घूम कर कपड़ा बेचते थे तो कईबार बाहर ही रहते थे।अभी जब भी चाचा बाहर रहते चाची घर में ब्रा पेंटी में ही रहती और लण्ड को मजा देती।
बहोत दिनों से हमारा यही कार्यक्रम चलता रहा।एकदिन मैं रात को चाची के साथ ही सोया था।चाची लण्ड चूस के शांत करवा कर सो गयी थी।रात को मेरी नींद खुली।तो सामने चाची के चुचे थे,बहोत बड़े।जैसे ही चाची की सांसे ऊपर नीचे जाती वैसे वो भी नीचे ऊपर हो रहे थे।मेरा लण्ड अभी हरकत में आ गया,पूरा तन के खड़ा था।सेक्सुअल में हम दोनो बहोत घुल मिल गए थे पर उनके बाकी अंगों को हाथ लगाने के लिए अभी भी डर सा लग रहा था।पर यहा लण्ड का तनाव भी सहन नही हो रहा था।मैंने चाची के चुचो को ब्रा के ऊपर से मसलना चालू किया।और उनकी कमर पर लण्ड घिसा रहा था।चुचे मसलने की वजह से चाची की भी नींद खुल गयी थी।उन्होंने ब्रा खोल के चुचे आज़ाद कर दिए।
मैं चुचे बड़े मजे से मसल रहा था।मुझे उनके ऊपर जो निप्पल्स थे उनको खींचने में मजा आ रहा था।चाची सिसक रही थी।चुचो को देख मेरे में जो बच्चा था ओ जग गया।मुझे चुचे चूसने की बड़ी इच्छा होने लगी।
मैं:चाची मुझे चुचे चूसने की बहुत इच्छा हो रही है।
चाची मुस्कारते बोली:तो चूस ले ना मेरे बेटे तेरे ही तो है ।
उनकी अनुमति मिली और मैं थोड़ा ऊपर होकर उनके चुचे चूसने लगा।निप्पल को ओंठो से खींचने लगा।वो मेरे सर पर हाथ से सहला रही थी।मेरा पानी अभी छुंटने को था।मैं पलंग से उठा और बाथरूम गया।और सारा माल छोड़ दिया।
दूसरे दिन जब सुबह उठा तो चाची घर में नही थी।लगता है बाजार समान लेने गयी होगी क्योकि रूम में पर्स भी नही था।पर उनकी अलमारी खुली थी।मैं बाथरूम जाने से पहले अलमारी बंद करने गया तो मुझे एक साइड में एक किताब मिली।उसके ऊपर नंगी औरतो की फोटो थी।मैं उसको लिया और बाथरूम में चला गया।पूरी पुस्तक कहानी और फ़ोटो से भरी पड़ी थी।
मैंने पूरी किताब पढ़ ली।बाद में जहा थी वह पर आके रख दी।जब वह पे रख रहा था तो मुझे एक पैकेट मिला,कॉन्डोम का।किताब में मैंने उसके उपयोग और जरूरत के बारे में पढ़ा था।मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था।मैंने सोचा की मैं भी देख लू की मेरे लन्ड पर ये कैसे आता ह।
मै पूरा नंगा होकर बेड पे लेट गया।मेरा लण्ड आसमान को सलामी दे रहा था।मैंने पैकेट खोला और कॉन्डोम को लंड में घिसड रहा था।मुझसे वो हो नही रहा था।तभी झट से दरवाजा खुला।सामने चाची खड़ी थी।
चाची:अरे वीरू क्या कर रहा है?
मैं:वो चाची ये घुसाने की कोशिश कर रहा था पर जा नही रहा।
चाची ने अलमारी के पास देखा।हैरान सी शक्ल करते हुए मेरे पास आयी।उनको अहसास हो गया की वो जल्दबाजी में अलमारी खुली छोड़ गयी है।
मेरे पास आकर बोली:रुक मैं हेल्प कर देती हु।पर तू लगाके करेगा क्या?
मुझे क्या जवाब दु समझ नही आ रहा था ।मैने हवा में जवाब दे दिया:"मालूम नही?!?!?!?"
चाची हस्ते हुए:पागल है मेरा बच्चा।रुक तुझे मैं इसका पूरा इस्तेमाल बताती हु।
और उन्होंने खुद को नंगा कर दिया।और मेरे सामने खड़ी हो गयी।छोटे छोटे झांट वाली चुत मेरे सामने थी।प्रत्यक्ष में पहली बार मैं चुत देख रहा था।
मैंने उत्साह में आगे हाथ करके चुत को सहलाया।चाची की मुह से आआह निकल गयी।फिर उन्होंने मुझे लिटाया और लन्ड को थोड़ा हिलाकर कॉन्डम चढ़ा दिया।फिर मुह से थोड़ी थूंक मेरे लन्ड पे डाल सहलाया और थोड़ी चुत पे डाल के चुत को भी मसला।फिर धिरे से दोनो पैर मेरे दोनो तरफ फैला कर मेरे लन्ड पर चुत का छेद लगाया और आहिस्ता नीचे बैठ गयी।
दोनो की मुह से प्यारी दर्द भारी आआह निकल गयी।
चाची थोड़ी देर अयसेही बैठी रही फिर आहिस्ते आहिस्ते ऊपर नीचे होने लगी।उनके दाँत ओंठ को चबा रहे थे।उनके मुह से " आआह आआह सीईई आआह आउच्च" जैसी कामनिय आवाजे निकल रही थी।
कुछ देर धीरे धीरे करने के बाद उन्होंने मेरे हाथ अपने चुचो पे रख दिए और अपने ही हाथो से मेरे हाथो पर दबाव देके चुचे दबाने मसलने लगी।अभी उनके ऊपर नीचे होने की गति और आवाज भी बढ़ गयी थी।हम दोनो एक साथ ही अकड़ के झड़ गए।
दोपहर को चाची किसी सहेली के साथ बाहर चली गयी।मैंने दिनभर पढ़ाई की।रात को खाना खाने के बाद मैं जाकर बेडरूम में सो गया।आज दिनभर चुदाई और पढ़ाई से आज मुझे जल्दी नींद आ गयी।करीब रात 12 बजे मुझे आवाजे सुनाई दी जिससे मेरी नींद खुल गयी।
वो आवाजे चाची की थी वो चुत में उंगली कर रही थी और चुचे मसल रही थी।मैंने उनको पूछा:क्या हुआ?क्यो चिल्ला रहे हो?आपके चुत को क्या हुआ?
चाची:वो जो तुझे होता है हर दिन?
मैं:फिर उसके लिए क्या करना पड़ेगा?
चाची:वही जो मैं करती हु तेरे साथ?
मैं उनके चुत के पास गया और उनके चुत में जीभ लगाया और चाटने लगा।चाची उससे और उत्तेजित हो गयी।ओ मेरा मुह और अंदर डाल के दबाने लगी।करीब आधा घंटे तक उसकी चुत को चूसने के बाद भी उनका चुत रस नही निकल रहा था।तो उन्होंने मुझे उसमे लण्ड घुसाने बोला।
मैं:पर कॉन्डोम नही है अभी!?!?
चाची:अरे भाड़ में जाने दो कॉन्डम को अभी चुत की आग मिटानी जरूरी है।
इतना बोल के उन्होंने मेरा लण्ड हाथ में लेके हिलाया उसे थूक से नहलाया और चुत पे टिका दिया।और मुझे धक्का देने बोली।मैंने आहिस्ता आगे पीछे होना चालू किया।कुछ देर बात "आआह आआह सीईई"पर टिकी रही बाद में चाची के कहने पर गति को बढ़ा दिया।
अभी रूम में
"आआह चोद चोद और जोर से चोद भड़वे,पूरी ताकत से चुत मार,बड़ी आग है इस रंडी में,और आआह उहह जोर से"
की आवाज गूंज रही थी।चाची कुछ 15 20 मिनिट में झड़ गयी।और उसके कुछ पल बाद मैं भी झड़ने वाला था।जैसे ही मैं अकड़ गया चाची ने मुझे ऊपर बुलाया और लण्ड को अपने मुह में रख हिलाने लगी।
मेरा सारा लण्ड का रस उसकी मुह में।उसने शरबत की तरह उसे गटक लिया।फिर जब मैं सोया तब मुझे चिपक कर गले लगा के सो गयी।
उनके हिलाने की वजह से लण्ड अभी लोहा बन गया था।चाची ने मेरे लण्ड को मुह में लेके चूसने लगी।
ओ लण्ड के सुपडे से लेके अंडों तक चाट चूस रही थी।मैं उन्हे निहार राहा था।उनका एक हाथ उनके पेंटी में घुसा था।ओ लण्ड को कुल्फी की तरह चूस चाट रही थी।काफी समय वो चूसती रही।उनकी पेंटी भी अभी गीली थी।लगता है वो उस समय झड गयी थी।मेरा भी समय हो गया।मैंने चाची को बोला:चाची मेरे लुल्ली से पानी निकलने वाला है।
चाची सिर्फ मुस्कराई और लन्ड को जोरसे हिलाने लगी।मैं झड़ गया तो अंदर से निकला सफेद पानी भी चाची ने अपने मुह में ले लिया और गटक गयी।मेरा लन्ड पूरा गिला था तो चाची ने उसे चाट के साफ कर दिया।
चाची:जाओ पानी से साफ कर दो।मैं खाना बना लेती हु।
मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आया।हम लोगो ने मिलकर खाना खाया।शाम को चाचा आने वाले थे तबतक चाची ने 2 बार मेरा लन्ड चुसाई कर ली थी।चाचा शहर शहर घूम कर कपड़ा बेचते थे तो कईबार बाहर ही रहते थे।अभी जब भी चाचा बाहर रहते चाची घर में ब्रा पेंटी में ही रहती और लण्ड को मजा देती।
बहोत दिनों से हमारा यही कार्यक्रम चलता रहा।एकदिन मैं रात को चाची के साथ ही सोया था।चाची लण्ड चूस के शांत करवा कर सो गयी थी।रात को मेरी नींद खुली।तो सामने चाची के चुचे थे,बहोत बड़े।जैसे ही चाची की सांसे ऊपर नीचे जाती वैसे वो भी नीचे ऊपर हो रहे थे।मेरा लण्ड अभी हरकत में आ गया,पूरा तन के खड़ा था।सेक्सुअल में हम दोनो बहोत घुल मिल गए थे पर उनके बाकी अंगों को हाथ लगाने के लिए अभी भी डर सा लग रहा था।पर यहा लण्ड का तनाव भी सहन नही हो रहा था।मैंने चाची के चुचो को ब्रा के ऊपर से मसलना चालू किया।और उनकी कमर पर लण्ड घिसा रहा था।चुचे मसलने की वजह से चाची की भी नींद खुल गयी थी।उन्होंने ब्रा खोल के चुचे आज़ाद कर दिए।
मैं चुचे बड़े मजे से मसल रहा था।मुझे उनके ऊपर जो निप्पल्स थे उनको खींचने में मजा आ रहा था।चाची सिसक रही थी।चुचो को देख मेरे में जो बच्चा था ओ जग गया।मुझे चुचे चूसने की बड़ी इच्छा होने लगी।
मैं:चाची मुझे चुचे चूसने की बहुत इच्छा हो रही है।
चाची मुस्कारते बोली:तो चूस ले ना मेरे बेटे तेरे ही तो है ।
उनकी अनुमति मिली और मैं थोड़ा ऊपर होकर उनके चुचे चूसने लगा।निप्पल को ओंठो से खींचने लगा।वो मेरे सर पर हाथ से सहला रही थी।मेरा पानी अभी छुंटने को था।मैं पलंग से उठा और बाथरूम गया।और सारा माल छोड़ दिया।
दूसरे दिन जब सुबह उठा तो चाची घर में नही थी।लगता है बाजार समान लेने गयी होगी क्योकि रूम में पर्स भी नही था।पर उनकी अलमारी खुली थी।मैं बाथरूम जाने से पहले अलमारी बंद करने गया तो मुझे एक साइड में एक किताब मिली।उसके ऊपर नंगी औरतो की फोटो थी।मैं उसको लिया और बाथरूम में चला गया।पूरी पुस्तक कहानी और फ़ोटो से भरी पड़ी थी।
मैंने पूरी किताब पढ़ ली।बाद में जहा थी वह पर आके रख दी।जब वह पे रख रहा था तो मुझे एक पैकेट मिला,कॉन्डोम का।किताब में मैंने उसके उपयोग और जरूरत के बारे में पढ़ा था।मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था।मैंने सोचा की मैं भी देख लू की मेरे लन्ड पर ये कैसे आता ह।
मै पूरा नंगा होकर बेड पे लेट गया।मेरा लण्ड आसमान को सलामी दे रहा था।मैंने पैकेट खोला और कॉन्डोम को लंड में घिसड रहा था।मुझसे वो हो नही रहा था।तभी झट से दरवाजा खुला।सामने चाची खड़ी थी।
चाची:अरे वीरू क्या कर रहा है?
मैं:वो चाची ये घुसाने की कोशिश कर रहा था पर जा नही रहा।
चाची ने अलमारी के पास देखा।हैरान सी शक्ल करते हुए मेरे पास आयी।उनको अहसास हो गया की वो जल्दबाजी में अलमारी खुली छोड़ गयी है।
मेरे पास आकर बोली:रुक मैं हेल्प कर देती हु।पर तू लगाके करेगा क्या?
मुझे क्या जवाब दु समझ नही आ रहा था ।मैने हवा में जवाब दे दिया:"मालूम नही?!?!?!?"
चाची हस्ते हुए:पागल है मेरा बच्चा।रुक तुझे मैं इसका पूरा इस्तेमाल बताती हु।
और उन्होंने खुद को नंगा कर दिया।और मेरे सामने खड़ी हो गयी।छोटे छोटे झांट वाली चुत मेरे सामने थी।प्रत्यक्ष में पहली बार मैं चुत देख रहा था।
मैंने उत्साह में आगे हाथ करके चुत को सहलाया।चाची की मुह से आआह निकल गयी।फिर उन्होंने मुझे लिटाया और लन्ड को थोड़ा हिलाकर कॉन्डम चढ़ा दिया।फिर मुह से थोड़ी थूंक मेरे लन्ड पे डाल सहलाया और थोड़ी चुत पे डाल के चुत को भी मसला।फिर धिरे से दोनो पैर मेरे दोनो तरफ फैला कर मेरे लन्ड पर चुत का छेद लगाया और आहिस्ता नीचे बैठ गयी।
दोनो की मुह से प्यारी दर्द भारी आआह निकल गयी।
चाची थोड़ी देर अयसेही बैठी रही फिर आहिस्ते आहिस्ते ऊपर नीचे होने लगी।उनके दाँत ओंठ को चबा रहे थे।उनके मुह से " आआह आआह सीईई आआह आउच्च" जैसी कामनिय आवाजे निकल रही थी।
कुछ देर धीरे धीरे करने के बाद उन्होंने मेरे हाथ अपने चुचो पे रख दिए और अपने ही हाथो से मेरे हाथो पर दबाव देके चुचे दबाने मसलने लगी।अभी उनके ऊपर नीचे होने की गति और आवाज भी बढ़ गयी थी।हम दोनो एक साथ ही अकड़ के झड़ गए।
दोपहर को चाची किसी सहेली के साथ बाहर चली गयी।मैंने दिनभर पढ़ाई की।रात को खाना खाने के बाद मैं जाकर बेडरूम में सो गया।आज दिनभर चुदाई और पढ़ाई से आज मुझे जल्दी नींद आ गयी।करीब रात 12 बजे मुझे आवाजे सुनाई दी जिससे मेरी नींद खुल गयी।
वो आवाजे चाची की थी वो चुत में उंगली कर रही थी और चुचे मसल रही थी।मैंने उनको पूछा:क्या हुआ?क्यो चिल्ला रहे हो?आपके चुत को क्या हुआ?
चाची:वो जो तुझे होता है हर दिन?
मैं:फिर उसके लिए क्या करना पड़ेगा?
चाची:वही जो मैं करती हु तेरे साथ?
मैं उनके चुत के पास गया और उनके चुत में जीभ लगाया और चाटने लगा।चाची उससे और उत्तेजित हो गयी।ओ मेरा मुह और अंदर डाल के दबाने लगी।करीब आधा घंटे तक उसकी चुत को चूसने के बाद भी उनका चुत रस नही निकल रहा था।तो उन्होंने मुझे उसमे लण्ड घुसाने बोला।
मैं:पर कॉन्डोम नही है अभी!?!?
चाची:अरे भाड़ में जाने दो कॉन्डम को अभी चुत की आग मिटानी जरूरी है।
इतना बोल के उन्होंने मेरा लण्ड हाथ में लेके हिलाया उसे थूक से नहलाया और चुत पे टिका दिया।और मुझे धक्का देने बोली।मैंने आहिस्ता आगे पीछे होना चालू किया।कुछ देर बात "आआह आआह सीईई"पर टिकी रही बाद में चाची के कहने पर गति को बढ़ा दिया।
अभी रूम में
"आआह चोद चोद और जोर से चोद भड़वे,पूरी ताकत से चुत मार,बड़ी आग है इस रंडी में,और आआह उहह जोर से"
की आवाज गूंज रही थी।चाची कुछ 15 20 मिनिट में झड़ गयी।और उसके कुछ पल बाद मैं भी झड़ने वाला था।जैसे ही मैं अकड़ गया चाची ने मुझे ऊपर बुलाया और लण्ड को अपने मुह में रख हिलाने लगी।
मेरा सारा लण्ड का रस उसकी मुह में।उसने शरबत की तरह उसे गटक लिया।फिर जब मैं सोया तब मुझे चिपक कर गले लगा के सो गयी।
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