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Adultery माँ का मायका-(incest, Group, Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


  • Total voters
    93
  • Poll closed .

Chintu92

New Member
45
43
33
Jaisa end hua samajh me nahi aya ki nana ne hi sara khel kyu racha. To fir chacha ko kyu faswaya?

A lot of confusion
 

Kakaji147

Member
116
73
29
Season १
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)

मेरी मा पिताजी का लव मैरेज हुआ था।मा बड़े घर की और पिताजी छोटे गरीब घराने से।नतीजन उन्हें भागकर शादी करनी पड़ी थी।अभी मेरी 12 वि की शिक्षा चालू हो गयी थी।बहुत आगे की पढ़ाई करू ये पिताजी की बहुत इच्छा थी।पिताजी दूसरे शहर में ड्राइवर का काम करते थे।जब बारहवीं का नतीजा आया।वो गांव आने के लिए अपनी काम की गाड़ी लेके निकले पर कभी पहुंचे ही नही।अभी मैं अनाथ मा विधवा।पिताजी की क्रियाकर्म विधि पूरी हुई।दूसरे दिन दरवाजे पर दादा(मा के पिताजी)खड़े दिखे।

मा दादा को देख उनसे रोते हुए बिलक गयी।सबसे छोटी लड़की थी तो मा दादा की बहुत लाडली थी।दादा ने मुझे भी वहां बुलाया और गले से लगाया।आखिरकार वही हुआ जो होना था,मेरे पापा के परिवार से सिर्फ एक ही भाई था और उनकी पत्नी.उनको संतान नही थी।चाची मुझे ही अपना बच्चा मानती थी।उम्र 40 पर गयी थी दोनो की तो अभी संतान होने का कोई निशान न था।दादा ने मा को अपने साथ आने का प्रस्ताव रखा।मा ने उसको बहुत ना नकुर किया।पर बाद में चाचा और चाची के कहे अनुसार ओ मान गयी।शादी के बाद चाचा ने मा को बड़े भाई और चाची ने बड़ी बहन की तरह सहारा दिया था तो वो उनको मना नही कर पाई।
पर अभी सवाल मेरा था।मा का मायका शहर में था।हमारे गांव से कोसो दूर।मुझे वहां से कॉलेज आना जाना नही जमने वाला था।
तो चाची बोली "एग्जाम खत्म होने तक विराज यही रुक लेगा।छुटियो में आ जाएगा।वैसे भी आगे की पढ़ाई तो वो वही करने जाने वाला था।"
सबको ये बात सही लगी।दो दिन बाद मा दादा के साथ अपने मायके निकल गयी।मेरा भी ओ आखरी दिन था कॉलेज का,उसके बाद अगले 1 महीने घर से ही पढ़ाई करनी थी।मै हॉल टिकट ले कर घर आया।

मैं घर में जैसे ही घुसा तो सामने का नजारा बडा कामनिय था।चाची v आकर के पेंटी में मेरे तरफ पिछवाड़ा किये खड़ी थी।

images-40.jpg


लग रहा था की अभी स्नान करके आई है।बहुत सुगंध आ रही थी।उस अवस्था में मेरे हाथ में जो किताबे थी वो फट से गिर गयी।

download-9.jpg


अभी मेरे सामने 36 साइज के खुले चुचे छुपाते सावले रंग की रेड पेंटी में अधनंगी 43 साल की मजबूत हॉट माल चाची खड़ी थी।कुछ देर जो हुआ उसका हम दोनो को कुछ समझ न आया।हम सिर्फ अपनी कमान (प्रायवेट पार्ट)संभाल रहे थे।तभी चुचो,पेंटी से मेरी नजर घूमते चाची की आँखों में थम सी गयी,क्योकि उनकी नजर एक ही जगह पर रुकी थी और वो जगह मेरी पेंट में बना हुआ टेंट था।क्या कहे उस पल का आनंद नीचेवाले ने झटका देके अपनी खुशी जाहिर की,मन में लड्डू फूटा पर मुझे अजीब फील हुआ और मैं वहां से सीडी चढ़ के ऊपरी मंजिल गया।

(हमारे घर में नीचे हॉल किचन छोटा रूम उसके बाजू में कॉमन बाथरूम और ऊपर एक रूम था जिसमे एक बेड और बाजू में सब समान भरा हुआ(बैडरूम कम स्टोर रूम)था।)

मैं खाना खाने भी नीचे नही आया।पूरा दिन हमने एक दूसरे से आंखे नही मिलाई।आज 18 होने चुका था पर इन अठारह सालो में कभी चाची को देख अइसे विचार नही आये।स्कूल में भी मा के दर से गंदे बच्चो की संगत में नही गया।उसी वजह से मेरे दोस्त भी बहुत कम थे।

रात 9 बजे हम लोगोने खाना खाया।पर खाना खाने पर सिर्फ हम दोनो ही थे,चाचा मुझे दिखाई न दिए।सुबह के हादसे के बाद हम बात नही किये थे,और आगे से बात करू इतनी हिम्मत मुझमे थी नही।मैं खाना खाके उपर जाके सोने गया।करीब 11 बजे चाची ऊपर आके दरवाजा खटखटाने लगी,और पुकार भी रही थी।मैं थोड़ा डर सा गया।मन में बिजली सी चल गयी की "क्या हुआ होगा?"।

मैं दरवाजा खोला चाची नाइटी (मैक्सी जैसा एक लॉन्ग ड्रेस)में मेरे सामने खड़ी थी।मैंने ऊपर से नीचे देखा।सुबह से मेरा नजरिया ही बदल रहा था।पर चाची के चेहरे पर पसीना था।

images-42.jpg


चाची:वीरू मुझे नीचे अकेले में डर लगता है।तुम आज चलो न मेरे साथ,चाचा भी कल आएंगे,शहर का काम पूरा करके।

मैं थोड़ा सोच के:ठीक है बड़ी मा मैं आता हु आप आगे चलो मैं आता हु।

मैं चाची को बचपन से ही बड़ी मा बुलाता था।पर अभी की हालाते बदलती नजर आ रही रही।उस टाइम मैं अंडरवेअर में था तो उन्होंने इतना नोटिस नही किया अंधेरे में।मैं शॉर्ट ढूंढा।पर मुझे मिल नही रही थी।चाची ने सीढ़ियों के नीचे आके फिरसे पुकारा तो मैं टॉवल लपेट के उनके साथ सो गया उनके रूम म

Season १
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)

मेरी मा पिताजी का लव मैरेज हुआ था।मा बड़े घर की और पिताजी छोटे गरीब घराने से।नतीजन उन्हें भागकर शादी करनी पड़ी थी।अभी मेरी 12 वि की शिक्षा चालू हो गयी थी।बहुत आगे की पढ़ाई करू ये पिताजी की बहुत इच्छा थी।पिताजी दूसरे शहर में ड्राइवर का काम करते थे।जब बारहवीं का नतीजा आया।वो गांव आने के लिए अपनी काम की गाड़ी लेके निकले पर कभी पहुंचे ही नही।अभी मैं अनाथ मा विधवा।पिताजी की क्रियाकर्म विधि पूरी हुई।दूसरे दिन दरवाजे पर दादा(मा के पिताजी)खड़े दिखे।

मा दादा को देख उनसे रोते हुए बिलक गयी।सबसे छोटी लड़की थी तो मा दादा की बहुत लाडली थी।दादा ने मुझे भी वहां बुलाया और गले से लगाया।आखिरकार वही हुआ जो होना था,मेरे पापा के परिवार से सिर्फ एक ही भाई था और उनकी पत्नी.उनको संतान नही थी।चाची मुझे ही अपना बच्चा मानती थी।उम्र 40 पर गयी थी दोनो की तो अभी संतान होने का कोई निशान न था।दादा ने मा को अपने साथ आने का प्रस्ताव रखा।मा ने उसको बहुत ना नकुर किया।पर बाद में चाचा और चाची के कहे अनुसार ओ मान गयी।शादी के बाद चाचा ने मा को बड़े भाई और चाची ने बड़ी बहन की तरह सहारा दिया था तो वो उनको मना नही कर पाई।
पर अभी सवाल मेरा था।मा का मायका शहर में था।हमारे गांव से कोसो दूर।मुझे वहां से कॉलेज आना जाना नही जमने वाला था।
तो चाची बोली "एग्जाम खत्म होने तक विराज यही रुक लेगा।छुटियो में आ जाएगा।वैसे भी आगे की पढ़ाई तो वो वही करने जाने वाला था।"
सबको ये बात सही लगी।दो दिन बाद मा दादा के साथ अपने मायके निकल गयी।मेरा भी ओ आखरी दिन था कॉलेज का,उसके बाद अगले 1 महीने घर से ही पढ़ाई करनी थी।मै हॉल टिकट ले कर घर आया।

मैं घर में जैसे ही घुसा तो सामने का नजारा बडा कामनिय था।चाची v आकर के पेंटी में मेरे तरफ पिछवाड़ा किये खड़ी थी।

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लग रहा था की अभी स्नान करके आई है।बहुत सुगंध आ रही थी।उस अवस्था में मेरे हाथ में जो किताबे थी वो फट से गिर गयी।

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अभी मेरे सामने 36 साइज के खुले चुचे छुपाते सावले रंग की रेड पेंटी में अधनंगी 43 साल की मजबूत हॉट माल चाची खड़ी थी।कुछ देर जो हुआ उसका हम दोनो को कुछ समझ न आया।हम सिर्फ अपनी कमान (प्रायवेट पार्ट)संभाल रहे थे।तभी चुचो,पेंटी से मेरी नजर घूमते चाची की आँखों में थम सी गयी,क्योकि उनकी नजर एक ही जगह पर रुकी थी और वो जगह मेरी पेंट में बना हुआ टेंट था।क्या कहे उस पल का आनंद नीचेवाले ने झटका देके अपनी खुशी जाहिर की,मन में लड्डू फूटा पर मुझे अजीब फील हुआ और मैं वहां से सीडी चढ़ के ऊपरी मंजिल गया।

(हमारे घर में नीचे हॉल किचन छोटा रूम उसके बाजू में कॉमन बाथरूम और ऊपर एक रूम था जिसमे एक बेड और बाजू में सब समान भरा हुआ(बैडरूम कम स्टोर रूम)था।)

मैं खाना खाने भी नीचे नही आया।पूरा दिन हमने एक दूसरे से आंखे नही मिलाई।आज 18 होने चुका था पर इन अठारह सालो में कभी चाची को देख अइसे विचार नही आये।स्कूल में भी मा के दर से गंदे बच्चो की संगत में नही गया।उसी वजह से मेरे दोस्त भी बहुत कम थे।

रात 9 बजे हम लोगोने खाना खाया।पर खाना खाने पर सिर्फ हम दोनो ही थे,चाचा मुझे दिखाई न दिए।सुबह के हादसे के बाद हम बात नही किये थे,और आगे से बात करू इतनी हिम्मत मुझमे थी नही।मैं खाना खाके उपर जाके सोने गया।करीब 11 बजे चाची ऊपर आके दरवाजा खटखटाने लगी,और पुकार भी रही थी।मैं थोड़ा डर सा गया।मन में बिजली सी चल गयी की "क्या हुआ होगा?"।

मैं दरवाजा खोला चाची नाइटी (मैक्सी जैसा एक लॉन्ग ड्रेस)में मेरे सामने खड़ी थी।मैंने ऊपर से नीचे देखा।सुबह से मेरा नजरिया ही बदल रहा था।पर चाची के चेहरे पर पसीना था।

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चाची:वीरू मुझे नीचे अकेले में डर लगता है।तुम आज चलो न मेरे साथ,चाचा भी कल आएंगे,शहर का काम पूरा करके।

मैं थोड़ा सोच के:ठीक है बड़ी मा मैं आता हु आप आगे चलो मैं आता हु।

मैं चाची को बचपन से ही बड़ी मा बुलाता था।पर अभी की हालाते बदलती नजर आ रही रही।उस टाइम मैं अंडरवेअर में था तो उन्होंने इतना नोटिस नही किया अंधेरे में।मैं शॉर्ट ढूंढा।पर मुझे मिल नही रही थी।चाची ने सीढ़ियों के नीचे आके फिरसे पुकारा तो मैं टॉवल लपेट के उनके साथ सो गया उनके रूम में।
Nice
Nd meri mummy ko bhi lund chahiye koi hai tagda sa lund
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
17,520
35,777
259
(Episode 5)

सुबह हम जल्दी उठ गए थे।छोटी मामी छोड़ बाकीऔरते सुबह ही गेस्ट हाउस पोहोंच गयी थी नाना के साथ।छोटे मामा मामी तो वैसे भी मेरे किसी खुशी में रुचि नही रखते थे।पर मुझे भी उनको तंग करना अच्छा नही लग रहा था।सुबह मैं मामी के कमरे में गया।

मामी:क्या है अभी,क्या चाहिए तुझे।

मै:ये आपके कागजाद!!!!

मामी को कागजाद सौंप दिए और वहा से निकलने लगा।

मामी ने रोका:रुक वीरू!ये क्या कैसे।अचानक!मुझे कुछ विश्वास ही नही हो रहा।

मैं:मामी मुझे आपसे कोई दुश्मनी नही,बस थोड़ा सावधान था तो बर्ताव में बदलाव किया था।कुछ गलत बोला हो तो माफ कर देना।

मामी:अरे नही गलती तो हमसे हुई,हमे तुम्हे जाने बिना बदसलूकी की।

मैं:चलो अभी तो साफ हो गये गिलाशिकवे तो आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते।

मामी:अरे वीरू रुक तो सही।अभी गिलेशिकवे दूर हो गए तो दोस्ती कर ले।

मैं:मैं अयसेही किसीसे दोस्ती नही करता।आपके लिए सोचूंगा फिर कभी।

मामी:अरे तुम बहोत ही बुरा मान गये।चलो आओ बैठो।मैं कुछ तोफा लाती हु।

मै:नही मामी,देर हो जाएगी।सभी लोग गेस्ट हाउस गए है।

मामी:शादी दोपहर 2 बजे है अभी 9 बजे है।बहोत ज्यादा टाइम है।तुम बैठो तो सही ।

मैं बेड पे बैठ गया।और मामी की राह देखने लगा।कुछ देर बाद मामी बाहर आयी।पूरी नंगी।

मैं:मामी ये क्या है।नही ये सब अभी मत करो,इसके लिए ये सही वक्त नही है।

मामी:वीरू इसका कोई वक्त नही होता।(उन्होने चुत को मसला।)जब आग लगे चुदवा लेना चाहिए।तू चोदता बड़ा मस्त है।अबतक थोड़ा ईगो था इसलिए नही तो तेरे से मजे लेके चुदवाने का मन था।

मैं:पर अभी कैसे,ये वक्त नही है ये।बाद में कभी सोचेंगे।

मैं उठ कर जाने लगा।मामी मेरे पास आयी और मुझे बेड पर धककल कर मेरे ऊपर चढ़ गयी।मेरे चेहरे को चूमने लगी।

मामी:अभी तू समय की बात मत कर,अभी सहन नही होगा मुझसे।

मामी ने मेरे कपड़े झट से निकाल फेंके औऱ बेड पर मेरे ऊपर चढ़ के मेरे पूरे शरीर को चाटने लगी।चाटते हुए नीचे लन्ड तक जाके लण्ड को चाटने लगी ऊपर से नीचे अंडों तक।लण्ड के टोपे पर जीभ घुमाने लगी।पूरा लण्ड मुह में लेके चुसने लगी।

फिरसे मेरे ऊपर आयी अपनी चुत को मेरे मुह पर लगा के गांड को आगे पीछे करने लगी।मैन अपनी जीभ उनके चुत में डाल दी थी।वो अभी जीभ से अपनी चुत को चुदवा रही थी।अपने चुचे मसल रही थी।चुत एकदम गर्म हो गयी थी।कुछ पल में ही उन्होंने अपने चुत को झड़ा दिया।

फिर नीचे लण्ड पे बैठ के पूरा लण्ड चुत में लिया"आहाह आहाह" ।गांड उठा के आहिस्ता आहिस्ता चोदने लगी।

मामी:साला कुछ भी हो तू है बड़ा दमदार लौंडा।तेरा लण्ड चुत में घुसते ही चुत तिलमिल जाती है आआह आआह आआह।

मामी ने चुदने का स्पीड बढ़ाया और फिरसे झड गई।वो आगे बढ़ती उससे पहले मै उनको हटाया और बाजू होकर कपड़े पहन लिया।

मैं:मामी बस हो गया।आपकी हवस कभी मिटेगी नही ,पर आज कुछ खास दिन है,आपकी हवस बाद में मिटा दूंगा।


मामी का ये बर्ताव सच में मेरे लिये बड़ा ही पहेली वाला था।क्या छोटी मामी सच में मेरे जान के पीछे नही थी।छोटे मामा तो मुझसे कबसे दूर भागे जा रहे है।मतलब पहलेसे ही इनको मेरे रास्ते में रखा गया था जिससे मेरा ध्यान सही शख्स से भटका रहे।बड़ा गेम खेल लियो रे ये तो।

दोपहर को 1 बजे

हम गेस्ट हाउस पहोंच गए।मेरा द्वार पे स्वागत हुआ।नाचते हुए गेस्ट हाउस के पिछे की तरफ जाना था।मेरे साथ छोटी मामी मा और रवि भैया और भाभी थी।बेंजो वाले आगे थे।पीछे कान्ता और शिवकरण।



मेरी नजर इंस्पेक्टर को ढूंढ रही थी।बेंजो वाले बड़े मजे ले रहे थे मेरे शादी की।
एक बेंजो वाला:साब जी काहे मय्यत वाली शक्ल बनाये हो,खुशियां मनाओ,आज तो शादी है।

इसको क्या मालूम आज मैं दो धार वाली तलवार में चल रहा हु ।आज या तो आर या पार।


आज शादी थी मैरी पर मुझे शोकसभा का अहसास हो रहा था।कल रात जो बाते मुझे मालूम पड़ी वो बहोत भयानक थी।

हम मंडप में गए।थोड़ी रस्मे पार हुई और संजू आ गयी।
आज कमाल लग रही थी।आज उनके प्यार में जान देने का भी मन नही था क्योकि वैसे भी जान के पीछे कोई और था।

संजू मंडप में आयी।सब लोग मंगलाष्टक के लिए खड़े हुए।
हर एक के आंखों में खुशी की लहर थी।ये जानना बहोत कठिन था की वो शादी की है या किसी और बात की।मै सिर्फ इंस्पेक्टर को ढूंढ रहा था।अभी उसके सिवा भरोसेमंद कोई था नही औऱ वही था जो आज मुझे बचा सकता था।

शादी खत्म हुई हम खाना खाने गए।फिर बिदाई तो होनी सी नही रही।पर अभी तक इंस्पेक्टर का कुछ मालूम पता नही था।अरे यार आज तो जान जानी थी।

घर जाने के लिए सब गाड़ी में बैठ गए।मेरे गाड़ी में मैं संजू मा बड़ी मामी और रवि भैया और दूसरे गाड़ी में छोटे मामा मामी भाभी और कान्ता।बाकी लोग तीसरे गाड़ी में।

हमारी गाड़ी बीच में थी और कान्ता वाली हमारे पीछे हमारे आगे बेंजो वाले थे।कुछ आधा कोस दूर रास्ते पर आने के बाद पूरा घना अंधेरा हो गया।और अचानक कहि से एक गाड़ी आयी 5 से 6 लोग उतरे और गोलीबारी चालू हुई।हमलावरों ने शुरवाती निशाना ड्रायविंग सीट मतलब ड्राइवर पर साधा क्योकि उससे गाड़ी या तो रुक जाय यातो पलट जाए।मारना तो सबको ही होगा उनको।इस मनसूबे की वजह से शिवकरण और छोटे मामा पहले शिकार हो गए।

गाड़िया रास्ते के बाजू वाले डगर पर चढ़ के रुक गयी।सारे लोग डर के मारे रो रहे थे चिल्ला रहे थे।इनका निशाना इसबार सिर्फ मैं नही था सारे थे।दो आदमी झट से कहि से आके मेरे गाड़ी का दरवाजा खोला बड़ी मामी को नीचे खींच कर संजू को लेके गया।दो आदमी उन 5 6 लोगो से अलग थे।वो दूसरी गाड़ी से आये थे।

सारा खेल सिर्फ 5 मिनट में घटा।उन लोगो ने फट फट से सारे लोगो को बाहर किया।सारे लोगो के एक किनारे खड़ा किया।हमलावर मास्क पहने थे।

मैं:देखो मुझे मालूम है की आप किसके लिए आये हो।जान मेरी लेनी थी तो उनको क्यो मारा।अभी बस हो गया ।आपको मैं चाहिए तो मै हाजिर हु।इनको छोड़ दो।

बंदे ने अपना मास्क हटाया:अरे चल बे लवड़े,आज सब के गाड़ में गोली मारूंगा।राम नाम सत्य है।

सब लोगो की उसको देख के आंखे घूम गयी।वो बलबीर था।बाकी लोगो ने भी मास्क हटाए।उन लोगो में फैक्टी के ही लोग थे।और वो दोनो सुपरवाइजिंग स्टाफ भी।मतलब मै जहा सेफ महसूस कर रहा था वही मेरे हमलावर थे।पिछला हमला कैसे हुआ इसका पता चल रहा था मुझे।

बलबीर ने मेरे ऊपर गन तानी:बहोत खून में गर्मी है न तेरे।साले आज सब मिट जाएगी।

उसका उंगली ट्रिगर पे दबने वाला था।यहाँ घरवाले पूरा सदमे में और हमलावर सब हस कर मजे ले रहे थे।मैंने आंखे बन्द की।मन ही मन इंस्पेक्टर को गाली देने लगा।फिर एक गोली चली।आंखे खोलने तक 4 5 6 गोलियां बरस गयी।पर फिर भी मैं जिंदा था।किसीने मुझे पीछे धकेला।मैं होश में आया।वो बेंजो वाले थे।

वो शख्स ने मुझे अपना वेश उतारा:क्यो साब जी मजे आये,खुशियां मनाओ,शादी हो गयी है।

मैं:यार पवन जान निकाल दी आपने।मुझे लगा आप फूल चढ़ाने आओगे मय्यत पे।

पवन वही है जो पुलिस में काम करता है और अभी दोस्त भी बना था।जिसकी सुबह से आँखे लगाए राहदेख रहा था।

पवन:अरे देरी करने की बहोत बड़ी वजह है चलो मेरे साथ।बताता हु।

शिवकरण और छोटे मामा तो स्वर्ग सिधार गए।मामी और कान्ता को एकदम से गहरे सदमे में थी।लाशें पोस्टमार्टम को ले जाई गयी।और सारे लोगो को इंस्पेक्टर पवन ने सारी बाते समझा दी।

सब लोग बंगले पर पहुंच गए।औरते बाहर थी।रवि भैया को गोली छू कर गयी थी तो उसे लेकर अस्पताल गए मै और पवन और कुछ हवलदार हमलावर का भेस बनाकर बंगले में गए।बलबीर को गाड़ी में बांध पुलिस ने बंगले को घेर लिया था।

हम घर में घुसे।सामने कुछ लोग खड़े थे।नानाजी,बड़े मामाजी,सुशील(छोटे मामी का बाप)सविता,संपत सिंह और अम्मा।

पवन संपत से:हो गया काम तमाम,अभी क्या हुकुम है।

संपत:और लाशें।

पवन(हमलावरों की भेस में):वो वहां है जहा आप सोच नही सकते।

"वो जिंदा हो गए तो तुम्हारे साथ क्या होगा ये तुम नही सोच सकते।ओ मरने ही चाहिए।"आवाज जानी पहचानी थी पर भरोसा नही हो रहा था की है शख्स इस सब के पीछे हो सकता है।जी जनाब वही मिस्टर शामलदास सिंह ,यानी नानाजी।

बड़े मामा:अभी उनकी जरूरत नही हमे,पुलिस को ओ महज एक एक्सीटेंट लगना चाहिए।

पवन ने अपना भेस हटाया:पर अभी बहोत देर हो गयी है।

अचानक से बलबीर समझ रहे थे वही पवन निकलने से सारे लोग एक दम हड़बड़ा गए।

सुशील:कौन हो तुम,बलबीर कहा है?

पवन:मैं तेरा बाप और तेरा बलबीर को ससुराल भेज दियो हमने।अभी आपकी बारी।

सविता:पु पु पुलिस.........!!!!!

सविता भाभी के पुलिस शब्द से सब चौकना हो गए।संपत ने झट से बंदूक तानी ।सविता उसका पति और नाना जी निकल गए। वह से निकल गए।संपत ने अपने कुछ आदमियो को भी इशारा किया।अभी वह जंग छिड़ गयी थी।गोलीबारी हो रही थी।

पवन ने मुझे कवर करके बोला तुम तुम्हारी बीवी को बचाओ।मैं संभाल लूंगा इनको।मैं ऊपर के कमरे में गुया।संजू के कमरे में।वह सविता नाना जी और सुशील थे।सविता ने चाकू संजू के गर्दन पे रखा था बाकी दोनो गमला लेके खड़े थे।

मैं:सुनो पूरा बंगला पुलिस से घिरा है।तुम लोगो का बचने का चांस नही।अगर संजू को कुछ हो जाएगा तो इंस्पेक्टर दोस्त है मेरा।यही शट आउट साइट करवा दूंगा।

सविता घबराहट से हाथ हटा दी।
नानाजी:अरे पगला गयी है।ये तुम्हे फुसला रहा है।और तुम पुलिस बाहर नही गयी तो संजू को मार देंगे।

मैं चौक कर:नानाजी नातिन है आपकी,ये क्या वाहियात हरकते लगा रखे हो।आप छोड़ो उसे।अपने ही परिवार को मारने को तुले हो।

हम झगड़ रहे थे।तभी रवि भैया के बाल्कनी से कूद के पवन अंदर आया उसने सुशील पर गोली चला दी।गोली पैर के नीचे लगी पर आवाज भारी होने से सविता के हाथ से चाकू गिर गया।नानाजी गमला लेके भाग ही रहे थे ।मैं पवन को मना करने से पहले ही पवन ने गोली चला दी पर बदनसीबी से जो गोली पैर पर लगने वाली तबी वो छाती पे लग गयी क्योकि जब भागते वक्त गोली बचाने नानाजी नीचे झुके उनको मालूम नही था की वो गोली पैर पे चलाएगा उन्होंने छाती का अनुमान लगाया था।एक गोली का झटका और नानाजी स्वर्ग पधार गए।

तभी पीछे से सारे घरवाले। अंदर घुस गए।मा और बड़ी मामी नानजी के पास जाके रोने धोने लग गयी।

मैं पवन से:भाई इंस्पेक्टर जनाब ये माजला क्या है,हम तो पूरे हिल गए है।जो कभी जिंदगी में नही सोचा वो देख रहै है।

पवन:चलो नीचे चलते है।फोरेंसिक को बुलाया है वो अपना काम करेगी यहां बाकी माजला मै समझा दूंगा।
नीचे संपत और उसके साथी मरे पड़े थे और चाचा के पैर पे गोली लगी थी।फोरेंसिक मलम पट्टी कर चुकी थी।उन्हें हतकड़िया से जखड के पुलिस कॉन्स्टेबल खड़ा था।

पवन ने अपनी बात शुरू की।




ब मामि मामा से रोते चिल्लाते:अरे हरामी हमे छोड़ो खुद की सगी बेटी को भी मारने का कैसे मन किया।

वो मामा को मारने दौड़ी पे लेडी कॉन्स्टेबल ने रोका।मा ने मामी को सम्भलके बाजू किया।मैंने पवन को थैंक्स बोला।बाद में आता हु बाकी की करवाई के लिए बोलके अलविदा किया।

अभी पूरे राज खुल गए थे।नाना छोटे मामा शिवकरण अभी इस दुनिया में नही है।बड़े मामा छोटी मामी के माता पिता को अरेस्ट किया गया।अभी उनके ऊपर मुकदमा चलेगा।चाचा भी माफी का साक्षीदार बन गया तो चाची और मेरे बीच भी कोई गीले शिकवे नही रहे।

अभी बचे मैं संजू मा छोटी और बड़ी मामी रवि भैया सिद्धि भाभी और कान्ता।अभी जिंदगी इन्ही लोगो के साथ जिनी थी।उनकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर थी।सारे कम्पनी का बोझ मेरे ऊपर आया।बाद में संजू और रवि भैया और सिद्धि भाभी ने भी उसमे भागीदारी लेके साथ दिया।अभी फिलहाल जिंदगी बिना रुकावट चल रही है।


ये "मा का मायका" का पार्ट 1 ।अगला पार्ट दमदार सीजन और जोरदार अपडेट के साथ आ जाएगा जितना जल्दी होगा उतना जल्दी।आपको ये पार्ट कैसे लगा,कोई सुझाव हो तो जरूर बताना

आपका आभारी और शुभचिंतक





:thanks: Completed:topicsuck:
Bhai poor kahani Padhi. Bohot Maja aaya. Aapki lekhan Kala bhi bohot achi hai achi trike se or better dhang se likhne ke liye aabhar.
Congratulations 🎊
 

The Immortal

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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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