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Adultery माँ का मायका-(incest, Group, Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


  • Total voters
    93
  • Poll closed .

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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हेलो दोस्तो और प्यारे वाचको,

Season 3 खत्म होगा अगले Episode 8 में.मैं बहोत खुश हूं कि अइसा ऑडिएंस मुझे नसीब हुआ।आपके सुझाव से मुझे बहोत प्रेरणा मिली और मदत हुई।
थोड़ा बड़ा अपडेट है तो 6:30 PM का अपडेट जो रोज होता है वो नही होगा,अभी 2:00 AM का अपडेट मिलेगा।

आज बिजी था और डायलॉग बड़े और ज्यादा होंने से अपडेट भी बड़ा होने वाला था इसलये 1ST अपडेट दे नही पाऊँगा, माफ करना!!!

आपका
MRSEXYWEBEE
Ok bhai waiting
 
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(Episode 8)

घर आया तो पहले फ्रेश होने गया क्योकि फेक्ट्री से बहोत पासिना पासिना हुआ था।मैं मेरे रूम की तरफ गया तो मेरा रूम खुला था।अंदर गया तो देखा की चाची अम्मा बड़ी मामी और माँ बैठी थी।

चाची और अम्मा को देख मैं चौक भी गया और खुश भी हुआ था।मैं चाची और अम्मा के गले मिल गया।बहोत दिनों बाद कोई अपना सा लगने वाला मिला था।दिल को एक सुकून सा मिल गया।

आखिर ज्यादा बात न मोड़ते हुए मैंने चाची से पूछ लिया।

मैं : चाची यहाँ पर कैसे?

चाची:तुम्हारी मा ने बुलाया।

मैं:क्यो?इतनी क्या आफत आन पड़ी जो आपका आने को हुआ?

चाची:ये तुम मुझसे पूछ रहे हो,आफत तुम ही कर रहे हो,इतना गुस्सा क्यो?हो गयी गलती अभी।

मैं:चाची ये आप कह रही हो।(अम्मा को डांटते है)अम्मा तुमको कुछ परवाह है की नही अपनी बेटी नातिन की।इस हालत में इनको यहां क्यो लाये।

चाची:अरे नही मैं ही जिद करके आयी।तुम जैसे जिद करके बैठे हो वैसे।

मैं:चाची देखो मैं आपसे झगड़ा नही करना चाहता।और इस औरत की बात के लिए तो हरगिज नही।आप आयी हो तो आराम कर लो।

अम्मा:आराम तो होता रहेगा,पर जो मसला खड़ा हुआ है वो सुलझे तो ।

मैं:चाची आप अगर इसी बात पे अड़ी रहोगी तो आपको आपकी देवरानी मुबारक और अम्मा आपको आपकी बेटी मुबारक।

चाची ने मा और बड़ी मामी को बाहर जाने बोला।पर मा वही पर अड़ी रही ।

मा:वीरू तेरा ये ज्यादा हो रहा है।अगर तुझे मेरी जरूरत नही तो तेरी भी मुझे जरूरत नही।

मैं:वो तो नही होगी,यार जो बना बैठी है।जा मुझे नही जरूरत तेरी।आयी बडी।

चाची:वीरू अइसे नही बोला करते अपनी मा से।माफी मानगो।

मैं:चाची मैं माफी मांग लूंगा इस औरत से बस आप ये मत कहो की ये मेरी मा है।

मा चाची से:देखा दीदी अइसा बत्तमीजी हो गया है।

मैं:बदनसीबी है मेरी।आखिर तेरा ही खुन हु इतनी जहालत तो होगी ही ना।पर अभी तेरा खून कहने की इच्छा मर गयी मेरी।

माँ रोने लगी।चाची ने बडी मामी को इशारों से कहा की मा को बाहर लेके जाए।मैं कुछ कोशिश करती हु।

बड़ी मामी मा को बाहर ले जाती है और दरवाजा बन्द कर देती है।

चाची:ये क्या बात है वीरू,इतना गुस्सा और कितना बत्तमीजी हो गया है तू,यही सिखाया है मैने तुझे।

मैं:चाची आपकी सिखाई बातों को मान रहा हु नही तो बहोत बड़ा अनर्थ कर देता।

चाची:अइसी क्या बात हुई जो तुम गुस्सा हो।

मैं:क्यो तुम्हारी छोटी देवरानी कुछ नही बोली।

चाची:हा बोली पर हो जाती है गलती,फिर वैसे तो तुमने भी मेरे साथ किया न।फिर मुझसे क्यो बात कर रहे हो।मैं भी घटिया ही हु ना।

(चाची ने एक भावनाओ वाला दाव डाला पर वो ये अभी तक जान नही पाई थी की नरम दिल का वो वीरू अभी सख्त दिल का विराज हो चुका है।पर मेरे दिल को ये बात चुभ सी गयी।पर मैं पिघलने वाला नही था।क्योकि आज मैं पिघल गया तो मेरा भविष्य खतरे में था और नाना का भी।)

मैं:अच्छा अभी आप इस बात को इस हद तक ले गए हो।ठीक है।

अम्मा:अरे वीरू तुम गलत मत समझो उसका मतलब वो नही था.....

मैं:रहने दो अम्मा।अभी ये इनकी सोच है उससे मैं नाराज नही होऊंगा,इन्हें यह पर क्या हो रहा है इसका कुछ अंदाजा नही है,बिना कुछ जाने इनका मुझपर ये इल्जाम लगाना मुझे सच में बहोत पसंद आया।एकदम दिल छू गयी इनकी बात।

(मुझे रोने आ रहा था,पर मैने खुदको संभाला।)

मैं:चलिए मिस नीलिमा(चाची)आपसे मिलके खुशी हुई,सम्भालके जाना,सफर के लिए शुभकामनाएं,कुछ गलती हुई हो तो माफ कर देना।

मैं वहां से बाहर जाने लगा तो अम्मा ने मुझे रोकने की कोशिश की पर मैं उन्हें ना माना और ऊपर टैरेस के रूम में चला गया।शाम के टाइम वैसे भी छोटी मामी भाभी और दीदी कही न कही घूमने जाती है तो मुझे अपना मन हल्का करने के लिए कोई और जगह नही थी।

इधर चाची भी रोने लगी।अम्मा उनको संभालने लगी।

चाची:अम्मा क्या मैंने कुछ गलत बोल दिया क्या?उसने तो एकपल में पराया कर दिया मुझे।ये क्या कर दिया मैने।

अम्मा:तुम्हे अपने घर में जो हुआ उसे यहां लाने की क्या जरूरत,अपना वीरू अइसा है क्या(चाची ने ना में सर हिलाया)तो फिर !!समझदार है वो ,उसको किसी बात का गुस्सा है इसका मतलब कुछ तो बात होगी ही।

चाची:हा माँ ये तो मैने सोचा ही नही।

तभी बड़ी मामी अंदर आती है।चाची को रोते देख वो समझ गयी की जो बात मैने उनसे की वही इनसे भी की है।

बड़ी मामी:वीरू ने रिश्ता तोड़ दिया न।

चाची अम्मा एक दूसरे को चौक के देखने लगे की इन्हें कैसे मालूम पड़ा।

बड़ी मामी:चौको मत उससे मैंने भी बात की थी पर उसने भी मुझसे वही बात की थी।

अम्मा:आप ने बात की फिर आपसे अइसी बात की?पर आपसे अइसी बात कैसे कर सकता है वो?!!और आप उस बात पे चुप भी हो?

चाची:अरे क्या चल रही है यहाँ मुझे कोई बताएगा(चाची दिमाग गर्म होकर बोल पड़ी।)

बड़ी मामी भी अभी समझ गयी की कोई दूसरा रास्ता नही आधा अधूरा बोलके कुछ सुलझाने वाला है नही।उन्होंने सारा माँजला बता दिया।

चाची और अम्मा तिलमिला उठी।

चाची:अभी आप ही बताओ कोई बेटा इस बात के लिए गुस्सा नही होगा।जायज है उसका गुस्सा।आपने उससे जो रिश्ता रखा उसके छुपे रहने के लिए आप उसपे भरोसा रकग सकते हो न?

बड़ी मामी:हा मुझे उसपे पूरा भरोसा है।

चाची:पर आपके नौकरानी के भाई पर रख सकते हो?

बड़ी मामी का सर नीचे झुक गया।उनको भी मालूम था की मैं कितने बात तक सही हु पर वो खुद ही उस कीचड़ में फास गयी जहा ओ दूसरे पर उड़ाएगी तो भी वो खुद पर उसका छींटा उड़ेगा।

चाची:अम्मा जाओ सुशीला को बुलाके लेके आओ।

मा अंदर आते आशा की नजर से चाची को देखने लगि पर हुआ अलग।

चाची:तुम मुझसे बोली उससे ज्यादा कर बैठी हो।तेरे वजह से मेरा बेटा मुझसे रुठ गया।इतनी क्या जरूरत आन पड़ी जो इतना नीचे गिर गयी।मुझे शर्म आ रही है जो मेरे समझदार बेटे के सामने तेरी वकालत की।मैं मुर्ख हु जो समझ बैठी की वीरू हु कुछ ज्यादा रियेक्ट हो रहा है।पर अभी मालूम पड़ा की उसका रिएक्ट होना जायज है।

(चाची के भी खिलाप जाने से मा का बचाकुचा अहंकार घमंड आत्मसन्मान सब पिघल गया।अभी वो एकदम अकेली हो गयी अइसा महसूस करने लगी।)

मा रोते चेहरे में:दीदी अब आप भी अइसा बोलोगी तो मैं वीरु को खो दूंगी।अब हो गयी गलती।वो बोले तो सही क्या करू प्रायश्चित के लिए मैं तैयार हु।आप भी साथ छोड़ दोगी तो मेरा क्या होगा।

चाची:तू खोने की बात मत के तूने पहले ही खो दिया है।और तेरे चक्कर में मैने भी।और प्रायस्चित तो करना पड़ेगा पर वो वीरु कहेगा तब और अभी मेरे से कुछ उम्मीद मत कर अभी मैं भी उसी मसले में फ़स गयी तेरे वजह से।अभी तेरा और मेरा जो होगा वो मंजूर ये खुदा होगा।

चाची भी वहाँ से निकल जाती है।मा चाची को चिपक कर रोने लगती है।

बड़ी मामी:शांत हो जाओ सब कुछ ठीक हो जाएगा।तुम अपना धीरज मत खोना।

मा:भाभी अभी मुझमे सहनशीलता नही बची।मुझे लगता है अभी आर या पार।।

चाची और अम्मा घर जाने निकलने वाले थे गाँव पर वो आखरी बार वीरू से मिलने गए।

अम्मा ने चाची को बाहर रुकने को बोला जिससे मैं और ज्यादा गुस्सा न हो जाऊ और माहौल न बिगड़े।चाची बाहर बैठ गयी।

अम्मा:वीरू !!!!वीरू!!!चलो बेटा हम निकल रहे है गांव।हमे अलविदा नही करेगा

(मैं थोड़ा शांत होके मुस्कराते हुए मुड़ गया।और अम्मा को गले लगा दिया।)

अम्मा:समझदार है मेरा लल्ला,इतना गुस्सा ठीक नही सेहत के लिए,तुम्हे जो सही लगे तुम करो पर इतना गुस्सा मत करो,तुम्हे कुछ हो जाएगा तो हमारा कौन है।

मैं:अम्मा अइसा क्यो बोल रही हो,पर मेरी बाजू कोई नही देखता,पहले जान लो तो,सीधा इल्जाम लगा देते है लोग।

अम्मा(नटखट स्वर में):हा न,कैसे कैसे लोग होते है दुनिया में।(अम्मा मेरे गाल पे चुम्मी दे देती है)मेरे लाल को परेशान करते है।

मैं:क्या अम्मा सिर्फ गाल पर,मुह मीठा नही कराओगी।

अम्मा:ले ले ना किसने रोका है।(अम्मा मेरे ओंठो पर चुम्मा दे देती है।मैं भी उनके ओंठ चुसने लगता हु।)

अम्मा:कितने दिनों बाद कुछ मजेदार सुकून सा महसूल हुआ।

मै अम्मा की चूतड़ दबाते हुए:हा ना मुझे भी।

अम्मा:चल अभी ठंडे हो ही गए हो तो चाची से भी मिल लो।

मैं:मिलूंगा मैं चाची से,उनसे कोई नाराजी नही मेरी,बस थोड़ा ठंडा होने दो।

अम्मा:और क्या ठंडा होना है।

मैंने अम्मा को एक ऊंचे मेज पर बैठाया और उनके ओंठो का रसपान करने लगा।वो भी मेरे गले में हाथ लपेट के मजे ले रही थी।

मैंने उनके साड़ी को कमर तक ऊपर किया।आदतन उन्होंने पेंटी नही पहनी थी।

मैं:अम्मा आज भी पेंटी नही पहनी।अब क्या अलविदा कह दिया पेंटी को।

अम्मा:मुझे मालूम था मेरा लल्ला मेरे चुत में लन्ड जरूर रगडेगा।जबसे तेरे पास आने के लिए निकली तबसे चुत भी गीली हो रही थी।अभी रहा नही जाता ।जल्दी निकालो और डाल दो।समय कम है।निकलना है घर।रात होने को है।

मैने मुस्करा के चुत में उंगली से अंदर बाहर कर चुत थोड़ी फहलाई।हाथ में लगा हुआ चुत काम रस बड़े मजे से चाट चूस के खाया।अम्मा मुझे नटखट नजरो से देख हस रही थी।उन्होंने ओंठो पर फिरसे एक चुम्मी जड़ दी।

मैंने लण्ड शोर्ट की और अंडरवेयर नीचे कर के हाथ में लेके हिलाया।उसपे थोड़ा थूका और अंदर ठूसा दिया

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अम्मा:"आआह है दैया धीमे से लल्ला,तेरी अम्मा बूढ़ी हो गयी अभी।

मैंने उनके ओंठो को चुम्मी दी:अम्मा अभी तो जवान हो आप,अभी भी जवान लौंडियों से ज्यादा चुत में लण्ड पेलवाती हो।

अम्मा मुस्करा के शर्मा गयी:द्यत कुछ भी आआह

मैं पूरा जोश में उनको चोद रहा था।मेज थोड़ी ऊंची थी और अम्मा को भी धक्के से पीछे से मेज चुभ रही थी।

मैंने उनको उठा के हवा में ही चोदना चालू किया।

अम्मा:आआह वीरू सम्भालके गिर जाऊंगी आआह उम्म"

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ओ मुझे कस के गले लग के चिपक गयी थी।

मैं चुत में कस के धक्के दे रहा था

अम्मा:आआह उम्म आआह और अंदर डाल वीरू बहोत दिन आआह से तगड़ा लण्ड की प्यासी है आआह मेरी चुत तेरी रंडी की चुत की आज बुझा दे आआह।

वो झड़ गयी थी।मैने भी उनको नीचे उतारा।उन्हें मालूम था की मैं अभी तक झडा नही हु।उन्होंने एक चुम्मी ओठ पर देदी और नीचे बैठ कर लन्ड मुह में लेके चुसने लगी।

"आआह मेरी रंडी क्या चुस्ती है आआह "

मेरे लन्ड में एक तरह का रोमांच था।मुझे सिर्फ चुसना कम लग रहा था।मैंने उनके मुह को चोदना चालू किया।

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और आखिरकार झड़ गया।अम्मा ने पूरा रस चाटके निगल लिया।और उठ के खड़ी हो गयी।

मैंने उनके चुचो को ब्लाउज के ऊपर से मसला

अम्मा:आआह आउच्च धीरे से करो।

मैं:अम्मा चुचे बहोत कड़क हो गए है।

अम्मा:कोई मसलने वाला है नही।तू पहले इनको निचोड़ लेता है।अभी तू नही तो कौन करेगा।

मैं:ओरे मेरी रंडी ले मैं मसल देता हु।

मैन चुचो को ब्लाउज के ऊपर से मसलना चालू किया।ब्लाउज खोल के निप्पल्स चुसने लगा।

अम्मा:ओओओ उम्म आआह आआह वीरू और चूस रगड़के और दबा आआह उम्म आआह सीईई आआह"

पर समय कम था,हम कपड़े पहनके एक साथ बाहर आया।

बाहर चाची मुह लटका के बैठी थी। मैं बाहर आया और उनके सामने खड़ा हुआ।उन्होंने धीरे से नजर ऊपर की।जैसे ही ऊपर देख उनकी आंखों का मिलन मेरे आंखों से हुआ उनके आंसू आंखों से बहने लगे।वो मुझे लिपटे लिपटे फुट फुट के रोने लगी।

चाची:मुझे माफ कर देना।मैंने बिना कुछ जाने तुमसे अइसी बात की।

मैं उनके बाजू बैठ गया।

मैं:ठीक है अभी मालूम पड़ा न ठीक है फिर मैं नाराज नही हु।

चाची:नही नही गलती हुई है मुझसे सजा मिलनी चाहिए नही तो मेरे दिल को वही बात बार बार चुभती रहेगी।

मैंने झट से उनके ओंठो से अपने ओंठ मिलाए और करीब 2 मिनट तक ओंठ चूसता रहा।और जब मन भर गया तब उनके ओंठो को रिहा कर दिया।पर उनका मन नही भरा था ओ मेरे पूरे चेहरे को चूमे जा रही थी।

मैं:बस बस हो गया।मैंने आपको सजा दी थी।अभी तो आप मुझे सजा दे रही हो ।

और इस बात पर तीनो हसने लगे।चाची और अम्मा को अलविदा किया।

रात को खाने के बाद मैं घूमने के लिए गार्डन में गया।आज कल दिमाग इतना ज्यादा दर्द कर रहा था की गर्दन निकाल के बाजू में रख दु।गांव में कोई दिमाग को तकलीफ नही थी,यहां पर हर दिन एक बवाल।20 मिनिट के चक्कर में मुझे एक्जाम स्टार्ट होने के पहले के छुट्टी से आज दोपहर तक की सारी घटनाएं दिमाग में घूम रही थी।जिनकी शुरुवात चाची से और अंत भी चाची से हुआ था।थकान और नींद से मैं अभी कमरे में जाने की सोची।

मैं अपने कमरे में जैसे ही घुसा,दरवाजा झट से बन्द हुआ।
देखा तो बड़ी मामी और मा दरवाजे के पीछे से बाहर आई।

मा:इतना क्या घमंड तेरे में।मेरी बात ही नही सुन रहा।

मैं:बड़ी मामी इस औरत को बोलो यहाँ से चली जाए मुझे इस वक्त कोई झगड़ा नही करना है।

बड़ी मामि कुछ बोले उससे पहले मा बीचक पड़ी:क्या बड़ी मामी और क्या औरत (और उन्होंने एक झापड़ जड़ दिया मेरे गाल पे।बड़ी मामी देखती रह गयी।वो उस सदमे से बाहर आने ही वाली थी उस वक्त और एक झापड़ मेरे ऊपर लगा)

मैं:मिस सुशीला अगर आपकी नौटंकी पूरी हो गयी हो तो आप यहाँ से जा सकती हो।बड़ी मामी इनको बोलो यह से दफा हो।मुझे इनका मुह नही देखना।मैन बत्तमीजी की उसकी सजा इन्होंने दी।अभी इस औरत को जाने के लिए बोलो।

मा:क्या हर बार बडी मामी को बीच लेके बोलते हो।नही जाती यहाँ से जो करना है कर लो।

मैं:ठीक है आपकी जिद है तो मैं भी कम नही हु।

मैंने बाथरूम का दरवाजा और कमरे का दरवाजा चाबी से लॉक किया।मैं बहोत ऊंची वाला था तो चाबी अइसी जगह रखी जहाँ पर उन दोनो का हाथ न पहुँच सके।

मैंने टी शर्ट और शॉर्ट उतारी और बनियान और अंडरविअर में बेड पे बैठा था।मैन AC का रिमोट लिया और 14 कर दिया।

बड़ी मामी:नही वीरू उसकी गलती की सजा तुम मुझे नही दे सकते।

मैं:बड़ी मामी जी आपको पहले बताया गया था की इनकी वकालत छोड़ दो अभी बहोत देर हो गयी है।मोगैंबो अभी खुश नही नाराज है।

बड़ी मामि:और मोगैम्बो खुश कैसे होगा???

मैं:थोड़ा थम जाओ सास लो।सब बताएंगे।तो सुनो-मोगैम्बो चाहता है की उसके मनोरंजन के लिए खेल खेला जाए।

मा:ये क्या मजाक है।AC कम करो और हमे जाने दो नही तो मैं चिल्ला दूंगी।

मैं:बड़ी मामी जी अपने उस मोहतरमा हो नही बताया की उन्होंने जो गुल खिलाये है उसके कुछ नमूने हमारे पास है।तो इन्हें चुप बैठने बोलो।

बड़ी मामी:अरे सुशीला अगर तुम चिल्लाओगी तो पिताजी आ जाएंगे और वो इसको चिल्लाए तो इसके पास कुछ फोटो है हमारी उस अवस्था की कांता के भाई के साथ।तो अभी यह पर कोई घमंड चलाखी नही।"we are trapped"

मैं:बड़ी मामी शुक्रिया,आशा करते है इस महोतरमा को बात समझ आ गई होगी।अभी खेल आसान है।एक बोतल आपके सामने रखी जाएगी।लोग उस खेल को ट्रुथ डेयर कहते है पर हमारे खेल में कुछ बदलाव है।ये ट्रुथ डेयर नही डेयर डेयर है।जिसमे बोतल का मुह जिसकी तरफ़ आएगा उसको मेरी तरफ से डेयर।

ये लो बोतल घूमी।

"पहला टर्न बड़ी मामी पे।तो बड़ी मामी चलो दो झापड़ इस औरत के गाल पे खींचो।"

बड़ी मामी:क्या!?????

मैं:मोहतरमा अपने सही सुना।अगर उसको नही माना तो आपको मेरे हाथ से पड़ेंगे और इस कड़ी ठंड में आप वो दर्द चाहोगे नही।सही कहा न मैन।

(बड़ी मामी ने मा को देख धीमे से सॉरी बोला और दो थप्पड़ जड़ा दिए,उसमे जोर कम था ओर 14℃ में वो बहोत तगड़ा था।)

मैं:ये लगे शानदार दो छक्के।कप्तान खुश हुआ।गुड स्ट्रोक।आई एम इम्प्रेस।

चलो ये बोतल घूमी।

"ओ ओओ इस बार पारी इस महोतरमा के पास।महोतरमा जी बोलो-मैं रंडी हु ,मेरे गांड में बहोत कीड़े है,कीड़े मारने के लिए मैं भर रास्ते में नंगी रह कर चुदवा सकती हु।गांड भी मरवा सकती हु। -ये सारी बात एक नंबर देता हु उसपर बोलो"

मा ने बड़ी मामी के मुह के पास देखा।बड़ी मामी उनको नजर ही नही मिला रही थी।

मा:ओ मोहतरमा जी वहां मत देखो यह का वकील,जज,फील्डर,कीपर,कप्तान,बॉलर,अंपायर और थर्ड अंपायर सब मैं ही हु तो चालू हो जाओ।मैं न कहु तब तक कान में लगा के फोन चालू रखने का।ये लो फोन।

(मा के पास कोई रास्ता नही था।उन्होने जैसे मैंने बोला वैसे उन्होने मेरे बताये नंबर पे कॉल करके बोला,ओ भी मेरे मोबाइल से,सामने एक आदमी था उसने पूरे गंदे शब्द,भद्दे गालियाँ बोलते हुए,रेट फिक्स करने लगा।कुछ 1 से डेड मिनिट बाद मैंने फोन खींचा और मोबाइल का सिम निकाल के तोड़ के फेक दिया। मा रोते रोते नीचे बैठ गयी।उन्हें वो सहन नही हो रहा था।)

बड़ी मामी:ये कैसा घटिया खेल खेल रहे हो वीरू?

मैं:वही जो घटिया काम करने वालो के साथ खेला जाता है।उन लोगो को मालूम होना चाहिए की उनके अंदर की हवस को कहा तक सीमित रखना है।अगर वो हद से बाहर हो जाए तो कैसे कैसे परिणाम को भुगतना पड़ता है।अपने लोग जब बाहर वालो के साथ अपनी हवस मिटाते है तब उनको ये खयाल नही आता की जब वही बाहर वाले वो बात दुनियाभर बताएंगे तब उनके साथ रहने वालो को क्या भुगतना पड़ेगा।और जब एक वेश्या का जीवन बनेगा तब क्या भुगतना पड़ेगा।

मा:मुझे माफ कर दो मैं फिरसे नही गलती करूंगी।मुझे माफ करदो।

मैं:उठो!!!उठो!!!

दोनो तड़ के उठ जाती है........

मैं:कहा गया वो घमंड?!!? अभी तो मेरा माफ करने का कोई मुड़ नही है।अभी सिर्फ सजा।चलो खेल आगे बढ़ाते है

ये घूमी बोतल!!!.......

"बड़ी मामी जी चलो अपने कपड़े उतारो सिर्फ ब्रा और पेंटी रखो।"

दोनो की आंखे चकरा गयी।पर अभी उल्टा जवाब देने का हक दोनो खो चुकी थी।

बड़ी मामी आंखे बन्द कर कपड़े उतारी,शर्म उनको मुझसे नही,मा के सामने नंगे होते हुए हो रही थी ओ भी मेरे मौजूदगी में।

मैं:एकदम कड़क रसीला पटाखा लग रही हो!!!!

(मेरा बर्ताव मा को चौकाने वाला था।उसने इस बारे में कभी जिंदगी में नही सोचा था।)

चलो बोतल घूमी!!!!...

"मोहतरमा चलो आप भी उसी स्टेप को दोहराओ मुझे आपकी ब्रा पेंटी देखनी है।"

बड़ी मामी:वो तुम्हारी मा.....!!!

मैं:बड़ी मामी खेल में बोलने का हक मेरा है।आपको बोलना है तो अनुमति लेनि पड़ेगी।

(मा की आंखे एकदम सदमे वाली हो गई थी।बड़ी मामी चुप हो गयीं।अभी दोनी पूरी तरह समझ गए की अभी कोई रास्ता नही।गले में फंदा है और वीरू का हुकुन पैर के नीचे वाला टेबल।छोड़ दिया तो खत्म।दोनो के बदन ठंड से कांप रहे थे।)

मैं:चलो भाई थोड़ा हाथ दुख रहा है तो खेल में एक बदलाव।अभी मैं मेरे मन से टर्न दूंगा।.........आओ दोनो इधर मेरे पास बेड के साइड में आओ।

(दोनो मेरे सामने आके खड़ी हो गयी बाजू बाजू में जिससे उनको थोड़ी गर्मी मिले।मैंने दोनो के कमर से हाथ घुमाना चालू किया।उनकी नाभि छेड़ना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।क्योकि उस वक्त उनकी सिसकी और मादक हो जाती थी।)

(मैंने दोनो को मेरे उल्टे तरफ घुमाया जिससे उनकी पीठ मेरे तरफ थी।और उनके ब्रा के हुक निकाल दिये।उन्होंने आगे से ब्रा खोल बाजू रख दिए।)

मैं:अभी पेंटी उतारने का न्योता दु?!!!

दोनो ने पेंटी उतार दी दोनो की गांड मेरे तरफ थी।बहोत बड़ी नही पर छोटी भी नही।मैंने ऊसर चपेट जड़ना चालू किये।उनके स्वर में मादकता थी पर उससे ज्यादा दर्द था ठंडी का।पर मुझे मजा आ रहा था।

मैं:चलो एक दूसरे के ओर मुह कर के खड़े हो जाओ(वो खड़े हो गए।)चलो अपने ओंठो का मिलन चालू कर दो।चुसो।

(वो जबतक एक दूसरे के ओंठो से रसपान करने में व्यस्त थे तबतक मैं खुद नंगा हो गया।)
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मैं बड़ी मामी के पीछे जाके लन्ड घिसाने लगा।लण्ड के स्पर्श से और मेरे शरीर के गर्मी से वो और उत्तेजित हुई।वो गांड पीछे कर साथ देने लगी।बड़ी मामी को उत्तेजित करने के बाद वही नुस्खा मा पे आजमाया।उन्होंने भी वही किया जो एक हवस की भूखी करती है।मुझे तो उसकी उम्मीद भी नही थी।

मैं बेड पे सो गया और दोनो को लन्ड चुसने को बोला।दोनो बिना किसी नखरे के लन्ड को बारी बारी मुह में लेके चुसने लगे।कभी लन्ड को मूसल की तरह रगड़ के चुसना कभी केंडी की तरह चुसना कभी आइसक्रीम की तरह चाटना।आज अलग ही मजा आ रहा था।

मैंने मा को लन्ड पे बैठने को बोला।वो अयसे कूद पड़ी जैसे राह देख रही हो मेरे आवाज की।सजा का खेल चुदाई में तापदिल हो चुका था।मैंने नीचे से धक्का दिया फिर आगे मा ही ऊपर नीचे होने लगी।बड़ी मामी मेरे पास ऊपर आ गयी।मैंने उनके ओंठो को चुसना चालू किया।मैं उनके बारी बारी कोमल रसभरे ओंठो की पंखुड़ियों को चूस के उसका रसपान कर रहा था।थोड़ा मन भर गया तो उनके चुचो को मुह में लेके चुसने लगा।हाथो से रगड़ने लगा।

मा पूरे मजे से उछल उछल के चुत मरवा रही थी।मैंने उनको अपनी तरफ खींचा,उनके ओंठ और मेरे ओंठो के बीच बस कुछ इंच का फर्क था।उनकी सांसे मुझे छू रही थी।मैंने झट से उनके ओंठो को अपने ओंठो के कब्जे में कर लिया।क्या स्वाद था उन रसिंले लब्जो का,मिठाई के पकवान फीके पड़ जाए।उनको मैंने घुमाया।और पीठ के बल सुला दिया।अभी भी लण्ड चुत में था और ओंठ ओंठो से रसपान कर रहे थे
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मैंने उनके चुचो को बारी बारी चुसना चालू किया।दोनो चुचे रगड़ रहा था।मैंने उनके दोनो चुचे कस के दबा के पकड़े।दोनो पैर थोड़े और फैलाये और चुत में लण्ड ठोकने का स्पीड बढ़ाया।करीब 10 मिनट बाद उनके चुत से"पच्छ पच"की आवाजे गूंजने लगी।उनका हवस का कीड़ा निकल चुका था।वो झड़ गयी।

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मेरी नजर बड़ी मामी को ढूंढ रही थी।वो हमारा खेल देखते हुए चुत रगड़ रही थी।मैंने उनको बेड पे लिटाया और उनके चुत पर लन्ड लगके चुत को चोदना चालू किया

"आआह आआह उम्म आआह यह वीरू थीदा धीमे आआह और अंदर आआह उम्म आआह"

चाची के चुचे एकदम गुब्बारे जैसे उड़ रहे थे।मैं बहोत जोरो से धक्के दे रहा था।उनके पूरे पैर फैला दिए।ओ भी बेड को पकड़ सहारा लिए चुत चुदवा रही थी।

आखिर कर दोनो भी झाड़ गए मैंने मेरा पूरा गधा रस उनके उपर ही झडा दिया।

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आज बहोत ज्यादा मजा आया था।दोनो औरते मेरे बाजू में मुझे लिपट के सो गयी।

मा:सॉरी वीरू,अगर मुझे पहले मालूम होता की मेरे लड़के के पास ही इतना तगड़ा लण्ड है तो बाहर मुह नही मारती।

बड़ी मामी:अभी मालूम हुआ न,जब भी चुत गांड में कीड़ा परेशान करने आ जाए इसका लण्ड उसमे डाल देना।

इस बात पे तीनो हस दिए।परसो के दिन इतवार को फैमिली रियूनियन की पार्टी थी तो कल बहोत काम था।दोनो औरते तैयार होकर अपने कमरे में चली गयी क्योकि कल उठना था जल्दी।

यहां अपना Season 3 खत्म होता है आशा करता हु की आपको पसंद आया होगा।अगला सीजन जल्दी शुरू होगा।अबतक के एपिसोड,सीजन के लिए अपने विचार और सुझाव कमेंट करके बताए।नए सीजन में उनपर विचार कर कहानी को और बेहतर बनाने की कोशिश होगी।धन्यवाद

● Season 3 over●



 
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:bakwas: चुदासी लम्हे:dubmar:

Mr sexy Webee अर्ज किया है

चुचो को यू न दिखाया कर रंडिया माल
लण्ड का हाल हो रहा है तन कर बेहाल
ओंठो की लाली चमक रही अइसे
चुत की खुशबू चोदु तेरे को पूरी रात छिनाल


Season 4 Comming Soon........
 
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Bahut badia har jagah intzam apne aap ho rha hai

Nasib accha ho aur hath me kuch mohre ho to satranj ka har khiladi apne ishare pr chalne lagta hai..isi liye khte hai technology jitni acchi utni risky...abhi photo video aur reputation mere lund ko sukh dengi
 
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Ankitshrivastava

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Ho sakta hai kuch logo ko ye fully satisfied laga ho...

But main abhi bhi kahuga ki maa ko itni jaldi maaf nhi karna tha....

Bete ki najar me maa ki keemat baki sab se jyada hoti h aur pyaar bhi...aur jitna jyada pyaar...usse utna jyada gussa bhi hota hai,.... To saza bhi jyada banti thi....

Well...aapki story h....jo chahe kare...

Keep rocking....
 

Ankitshrivastava

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(Episode 7 ब)

मैं फेक्ट्री की ओर जा ही रहा था ।मैनेजमेंट के ऑफिस चेम्बर से गुजरना पड़ता था।सब स्टाफ मुझे गुड मॉर्निंग कर रहे थे। तभी अचानक मक्खन बीच पे आन पड़ा।और आया सो आया हाथ में ज्यूस था वो पूरा मेरे कपड़ो पर गिरा दिया।मेरा तो दिमाग खराब हुआ।पहले ही दिन सही नही जा रहे थे।मुझे गुस्सा बहोत आया पर मुझे कोई मसला खड़ा नही करना था।

मक्खन अपनी इस गलती के लिए अभीतक सौ बार माफी मांग चुका था।अभी तो मेरे पास भी कोई शब्द नही थे उसे डाँटने के लिए।

मैं:ठीक है ठीक है बोल अभी इसे साफ कहाँ करू।

उसने ऊपर की तरफ इशारा किया।मैं ऊपर गया।ऊपर दोनो तरफ दो दो कमरे थे।वही गेस्ट रूम।मैं एक रूम में घुस गया।बड़ा आलीशान रूम था।पर मुझे क्या करना था वहां आंखे फाड़ के वैसे भी वो थे मेरे नाना के ही।मुझे बस कपड़े साफ करके अपने काम से काम रखना था।नानाजी ने बड़े विश्वास से मुझे कुछ काम सौंपे थे।मुझे कोई गलती नही करनी थी।आखिरकार छोटी मामी की गांड लाल करने में जो मजा है वो कही नही।

मैं अपना टी शर्ट उतार के साइड में रखा और शीशे में देख अपने शरीर को निहारने लगा।गांव में काम करके जो मजबूती मिलती है वो शहर का जिम नही दे सकता।मेरा शरीर सिक्सपैक जैसा फिट नही था पर जड़ फैट भी नही था।अपने शरीर की मन ही मन तारीफ होते ही।मैं घुमा और बाथरूम के लिए जाने लगा।तभी आगे से एक औरत सिर्फ टॉवल में बाहर आयी।

उम्र 40 पार होगी।दिखने में सफेद दूध की जैसी बदन वाली एक रसीले यौवन से भरी परी मेरे सामने खड़ी थी।मैं उनसे कुछ बोलता उससे पहले उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक ताडा।

वो:hi How are you,Sorry i was little late lets start your work.

मैं तो चक्कर आने लगा।अरे क्या हो रहा है इधर।

वो:अरे क्या हुआ, अइसे क्या देख रहे हो?

(अभी वो मेरे पास शक से देखने लगी।मैं सोचा भाई अगर चिल्लाई तो कयामत आ जाएगी।वो आधी नंगी मैं भी अधनंगा।अगर लोग जमा हो गए तो अधनंगे बदन का की बलात्कार हो जाएगा।)

मैं:कुछ नही मैडम वो आया।

वो पेट के बल बेड पे सोई थी।मैं उनके बाजू में जाके पीठ पर तेल डाला।

वो:नए हो क्या?

मैं डरते हुए:क्यो मेडम?

वो:अरे वो टॉवल तो हटा दो।खराब हो जाएगा।ऑफिस की प्रोपर्टी है।

मैं:क्या?!!!!!जी हटाता हु।

मैंने उनका टॉवल हटा दिया।उनकी आंखे बंद थी।तभी किसी की आहट लगी।दरवाजे पर किसीने क्नॉक किया।

वो:जाओ देखो कौन है।अगर मुझे बुलाने आया होगा तो उसे वही से जाने बोलो मैं बिसी हु बोल देना।

मैं: जी मेडम।

मैं वहां से दरवाजे पे गया।वहाँ एक मेरे उम्र का लड़का था।और फेक्ट्री के मजदूर के कपड़े में था।

लड़का:नमस्ते सर ।

मैं:तुम काम छोड़ के यहाँ क्या करने आये हो।

लड़का:वो बड़ी मेडम ने बुलाया था।

(मैं सोचा -तो ये वो खुशकिस्मत है।)

मैं:मेडम बिजी है तुम काम करने जाओ।


लड़का जाने के बाद मैं बेड पे फिरसे आके बैठ गया।मैंने वीडियो में मसाज तो देखा था तो उतना तो मालूम था।मैने तेल उनके पीठ पे डाला और दोनो साइड से रगड़ने लगा।उनकी स्किन बहोत ही कोमल थी।तेल लगने की वजह से रोशनी में चमक रही थी।

पर इससे भी बड़ी रोमांचक बात मेरे लिए उनकी उभरी गांड थी क्या आकार था उसका।बीच में जाने वाली लाइन और ही आनंद दे रही थी मन को।मैं पहले तो उनके कमर तक ही कर रहा था।बाद में हिम्मत कर के नीचे गांड पे भी तेल मसलने लगा।उनके मुह से सिसकारी निकली।मेरी यहां गांड फट गयी।अभी वीरू तेरी खैर नही।अभी पकड़ा जाएगा।

पर वैसा कुछ हुआ नही वो वैसे ही पड़ी रही।मैं उनकी गांड को भी मसलने लगा।मेरा अंगूठा बार बार गांड की दरी से अंदर घुस जाता और गांड के छेद को छेङ देता।और उसी रोमांच में वो सिसकी छोड़ देती।मेरा लण्ड भी तन गया था।

मैं :मैडम मैं जीन्स उतार दु।खराब होने की बात नही है उसके रैशेस आपको लगेंगे।

वो:व्हाय नॉट,गो ऑन डिअर।

मैं अभी अंडरविअर में था।पर टॉवल भी लपेट लिया।और उनके ऊपर चढ़ के पीठ पर दबाने लग गया उनके कंधे मसलने लगा।मेरा लण्ड अभी गांड के बीच घिस रहा था।
पर मैं बस मसाज पे ध्यान दिए था।अगर वो मजे ले रही है तो मुझे क्या डर।

काफी देर बाद उन्होंने हाथ ऊपर किये।वो बताना चाहती थी की चुचो तक मसलों।मैं उनके चुचो के नीचे तक ले जाके मसलने लगा।पर उससे अच्छा मसाज नही हो रहा था तो
उन्होंने बोला" पलट जाती हु,बाद में ऊपर से कर लेना।"और हस दी।मुझे उनका डबल मिनिग मालूम पड़ गया पर अभी मुझे सही समय नही लगा।क्योकि डबल मिनिग हर वक्त चोदने का न्योता नही होता।पर मैं जब उठा तो टॉवल गिर गया और मैं सिर्फ अंडरविअर में आ गया।

अभी वो पेट के बल लेटी थी 36 के चुचे उसके ऊपर ब्राउन निप्पल्स,एकदम तने हुए,38 की कमर और तो रसभरे टांगो के बीच चमकती हुई चुत पूरी साफ जैसे हीरा चमकता हो।चुत के बीच की फट लण्ड को और भड़का रही थी।

मैं उनके पूरे बदन पर तेल डाला और रगड़ने लगा कंधे रगड़े फिर हाथ चुचो पर आ गया।उनके चुचे मेरे हाथो में समा नही रहे थे।फिर भी मैं पकड़ रहा था और जोर से रगड़ रहा था।उनकी सिसकिया बाहर आ रही थी,मुह लाल गुलाबी हो गया था।मैं अभी पूरा गर्म हो गया था।मैं रगड़ते हुए कमर के नीचे आया।उनकी आंखे बन्द थी,ओंठ दांतो के बीच थे,धीमी सिसकिया सांस छोड़ रही थी।

मैंने चुत को मसलना चालू किया।उनके चुत के पंखुड़ियों को अलग कर के मसलने लगा।उनकी चुत एकदम लाल थी।उनके चुत ने गाढ़ा रस छोड़ना चालू किया,ये बात बया कर रही थी की ओ अभी गर्म हो गयी थी और उनकी चुत पानी छोड़ना चालू कर दिया था।

मैंने उनके चुत में उंगली डाली औऱ आगे पीछे करनी चालू की अभी वो भी मजे ले रही थी।

अचानक से उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा।ओ खड़ी हो गयी और मुझे लेके बाथरूम में घुस गयी।अंदर का शॉवर चालू किया और मुझे अपने पास खींच लिया।

वो:इतना तगड़ा और खूबसूरत नौजवान मजदूर देखा नही कभी यहां।सच में नए लगते हो,और नही तो अभीतक मेरे चुत में लन्ड घुस गया होता तेरा।

(मेरा शक सही निकला यह पर मजदूरों से मसाज के नाम पर बुलाके चुत को ठंडा किया जाता है।यहाँ पर इसलिए बिगड़ा मौहोल है,पर मैं अभी गरमा गया था और मैं भी अपने लण्ड को भूखा नही रखने वाला था।इनका जो करना है वो बाद में देख लेंगे।)

मैं:हा मेडम नया हु,पर आप आज्ञा दे तो शुरू कर दु?!!

मैडम ने मुस्करा के हरा सिग्नल दे दिया।मैंने उनके दोनो चुचे मसलना चालू किया।

मेडम:आआह आउच्च यहाँ नए हो पर इस खेल के पुराने खिलाड़ी हो,आआह उम्म और जोर से रगड़ आआह।

मैं उनके निप्पल्स खींचने लगा।बहोत ही कड़क हो गए थे।मैं उनको नोचने लगा।

मेडम:बस अभी मुह में लेके चुसो भी आआह कितना देर मसलते रहोगे।

मैं उनके चुचो को बारी बारी चुसना चालू किया।

मेडम"आआह और जोर से चूस पुरआआह पूरा निचो ओओओ निचोड़ दे"अइसी चिल्ला रही थी।

मेडम ने अचानक से मेरे अंडरवेअर को पकड़ा।और झट से निकाल दिया।जैसे ही अंडरवेयर नीचे हुआ मेरा तना 6 इंच का लण्ड खुली सांसे लेने लगा।

मेडम लन्ड को सहलाते हुए:क्यो भाई कहा थे इतने दिनों तक,कहा छुपा के रखा था इस तगड़े लण्ड को।

इतना कहके वो नीचे बैठ के लन्ड को चुसने लगी।वो पूरे अंदर तक लेके लण्ड का आस्वाद उठा रही थी।उनका चुसने का ढंग बहोत ही बढ़िया था।जैसे चॉकलेट केंडी वाली आइसक्रीम चाट ठीक मरोड़ चूस के खाते है वैसे वो उसपे टूट पड़ी थी।

जैसे ही मेरा लन्ड लोहा बना वो दीवार को चिपक गयी और पैर फैला दिए।

मेडम:आ मेरे लण्ड के राजकुमार मेरे चुत में लण्ड को घुसा और जोर से चोद आआह उम्मम"

मैंने उनके चुत को पीछे से सहलाया फिर उंगली दबा के चुत के दोनो पंखुड़ियों को खुला किया।और लन्ड चुत पे लगा के थोड़ा जोर लगा के घुसाया।पैर फैले थे लण्ड अंदर घुस भी था पर पूरा नही घुसा था और धक्के देने इतना एंगल भी नही था तो मैन दाया पैर हाथ से पकड़ थोड़ा उपर किया तो लण्ड पूरा अंदर गया और मुझे अच्छे से एंगल भी मिला।

मैंने उनके चुत में लन्ड से धक्के देना चालू किया।मैडम बड़े मजे से चुदाई के मजे ले रही थी।उनकी चिल्लाहट और मादक आवाजे मुझे और मेरे लण्ड को और बेचैन कर रही थी।
वो पूरा होश खो बैठी थी-
"आआह और जोर से चोद मेरी चुत को आआह पूरा डाल बाहर कुछ मत रख आआह साली रंडी चुत मेरी बहोत परेशान आहहह करती है आआह उम्म अरे सुशील भड़वे देख उसको बोलते है चोदना आआह फक बेबी फक हार्ड उम्म फ़ास्ट फ़ास्ट आआह साले सुशील भड़वे अपनी गांड मरवा मेरी मरवाने की औकात नही तेरी,मेरी गांड मेरा ये यार अपने आआह इस तगड़े लण्ड से मारेगा आआह उम्म और जोर से आआह'

ओ अभी झड़ गयी थी।उन्होंने नीचे बैठ के मुह पर मेरा लण्ड रखा और लन्ड जोर जोर से हिलाना चालू किया।कुछ ही देर में गाढ़ा दूध जैसा लण्ड का रस उनके मुह पर गिर गया,जो मुह में गया उसे वो निगल गयी।जो मुँहपर था वो शावर से साफ हो गया।

हम दोनो बाथरूम से निकले।

मैं:मेडम ये सुशील?

मेडम:अरे वो भड़वा मेरा पति है।इधर ही किधर मीटिंग में बैठ के गांड घिसा रहा होगा।

(मैं मन में-मतलब ये आफिस स्टाफ या मैनेजमेंट में से किसी पार्टनर की बीवी है।)

मेडम:तुम बहोत तगड़े लगते हो।2 ,4 दिन बिजी हु बाद में आके फिरसे मिलना।चलो जाओ अब।

मैं उनको स्माइल देकर बाहर निकला।जैसे ही बाहर निकला मैंने देखा की आखरी वाले कमरे में रेखा जा रही थी।साथ में मक्खन भी था।मक्खन बाहर खड़े रहकर किसीसे बात कर रहा था।मैं उसे ना दिखूं इसलिए वहां से निकल गया।

फेक्ट्री में आके आफिस में बैठ गया।कुछ देर जाने के वाद मक्खन मुझे फेक्ट्री में आता दिखा।मैंने उसे अपने कमरे में बुलाया।

मक्खन:जी साब,कोई हुकुम?

मैं:क्या कर रहे हो,व्यस्त हो?

मक्खन:नही साब आप बोलो,आपको कौन ना बोलेगा,आप सिर्फ हुकुम फ़रमाईये।

मैं:मक्खन मुझे दूध की बहुत कम चीजे पसन्द है तो तेरे ये मक्खन किसी और को लगा ,जो पुछु उतना ही जवाब दे दिया कर।

मक्खन:जी हुजूर माफी!!!!!

मैं:मैं ये बोल रहा था की उसदिन स्टोर रूम में तुम्हे सुपरवाइजर लेके गया था,सही न,तुम्हारी कोई इच्छा नही थी।

मक्खन: जी हुजूर बिल्कुल सही फरमाया।

मैं:फिर गेस्ट रूम में किसने तुम्हे जबर्दस्ती की और पैसे भी दिए।

मक्खन सपकपा गया।उसे पसीने छूटने लगे।वो कुछ बोलता उससे पहले,

मैं:मक्खन झूट मुझे पसंद नही और झूठे लोगो को जिंदा देखना मेरे उसूलों के खिलाफ है।मुझे ज्यादा बोलने की तकलीफ मत दे।बकना चालू कर।

मक्खन:हुजूर वो विवेक सर थे।आफिस में मैनेजमेंट की मीटिंग चालू होते ही वो गेस्ट रूम में जाके मजदूरों मेंसे किसको भी बुलाते है और अय्याशी करते है।

(विवेक-छोटे मामा,अभी खड़ूस रंडी का एक मोहरा मेरे हाथ आया।ये घर पे और मामा यहाँ पर रंडीखाना खोल बैठे है।)

मैने मक्खन को जाने बोला और खुद मेनेजमेंट चेम्बर की बिल्डिंग में जाके सिक्योरिटी रूम को ढूंढ लिया।क्योकि मुझे मालूम था की यहाँ पर ही मुझे सबूत मिलेंगे।

मैंने सिक्योरिटी गार्ड को मैनेजमेंट चेम्बर के गेस्ट रूम की वीडियो फुटेज मुझे देने बोला।पहले तो वो डर गया।

वो बोलने लगा :-छोटे मालिक(छोटे मामा)को मालूम पड़ा तो मेरी नौकरी खत्म।

मैं:ये बात सबसे बड़े मालिक को बता दी तो पूरे शहर में तेरी नोकरी के लाले पड़ जाएंगे।समझे चल निकाल के दे फुटेज।

अभी मेरे पास मेरे और उस मेडम के और रेखा और छोटे मामा के अय्याशी के फुटेज थे।मेडम वाला वीडियो सिर्फ एक याद की तौर पर लिया और वैसे भी चुदाई बाथरूम में हुई तो खास कुछ नंही था।पर मामा जी तो रेखा पे फुल ऑन थे।

उन्होंने न ओंठ चूमे,न चुचे दबाए,न चुत चुसाई की बस पहले 15 मिनिट लन्ड चुसवा लिया और अगले 15 मिनिट लन्ड घुसेड़ के झड़ भी गए।अइसे आदमी से तंग आकर कौन नही बाहर रंगरेलिया मनाएगा।मैं तो खुश था अभी मेरे पास बहोत बढ़ा फंदा था मामी को अटकाने को,पर फिर भी थोड़े मजे लिए जाए।

अभी मैं ऊब गया था काम से तो शिवकरण से कहकर घर आ गया।


Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।

(Episode 7 Over)

Bathroom me mili aourat ka koi khas kirdaar hoga kya ?

Well...choti mami ko fasane ke liye mama ki jarurat nhi thi...fir bhi jyada sboot acche hote hai...
Keep rocking
 
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