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मैं सबसे पहले उठ कर स्विमिंग पूल में आराम कर रहा था।दिमाग और शरीर पूरा गुस्से से गर्म था।पर कुछ मजबूरियां उसे काबू करके रखी थी।
सुबह 9 बजे
मैं रात भर जगा था तो तैरते तैरते स्विमिंग में झपकी लग गयी।तभी वहां पे संजू सिद्धि भाभी निधि भाभी ,रवि, विकी ,और छोटी मामी की मा आ गयी।छोटी मामी मुझे नीचे जाते दिखी।मैं सिर्फ अंडरविअर में था।उन लोगो ने भी अपने कपड़े उतारे लड़के मेरे ही जैसे अंडरविअर में थे और लेडीज़ लोग ब्रा और पेंटी में।
स्विमिंग पूल काफी छोटा था।सब लोग अंदर आने के बाद भर गया था।मैं एक कोने में हाथ फैलाये बैठा था।छोटी मामी की मा मुझे देख मुस्कराई और आंख मारी पर मैंने उनको नजरअंदाज किया।मुझे छोटी मामी से जुड़े किसी व्यक्ति पर भरोसा नही रहा।ओ लोग इतना गिर गए थे की उनको किसी की जान लेना भी बड़ी बात नही थी।
स्विमिंग में रवि भैया आपने टूर की छोटी मामी की मा जिनका नाम श्वेता था वो और विकी अपने बिज़नेस की बाते करने लगे,सिद्धि भाभी भी उसमे शामिल हो गयी।
संजू को उन दोनो विषयो में न जानकारी थी न कोई रस,और निधि ठहरी हाउसवाइफ घर के सिवा बाहर गयी ही नही।
संजू और निधि ठीक मेरे सामने पीठ करके खड़ी थी और उनके बातों को सुन रही थी।मैं अपना अपने में ही सोच में डूबा था की मेरे अंडरविअर पर मेरे लण्ड का जायजा लेते हुए एक हाथ घूम रहा था,वो संजू थी।स्विमिंग पल का पानी गाढ़ा हरे रंग जैसा था तो पानी के अंदर जो हो रहा है वो सिर्फ अंदर खड़े रहके और अपने पास का ही देख सकते है।बाजू वाला भी आप पानी के अंदर क्या कर रहे हो देख नही सकता ,पर महसूस होगा उसको।
संजू का हाथ मैंने पकड़ के झटक दिया और कमर पर चुटकी काटी।वो आगे फुदक पड़ी।
निधि:क्या हुआ संजू,ठीक तो हो?
संजू: हा हा,कुछ नही।
संजू थोड़ी देर चुप रही,अचानक निधि भाभी के करीब गयी और कान में बोली:मैं आपको एक जादू दिखाती हो आपको पसंद आये ना आये बस कोई रिएक्शन मत देना।प्लीज!!!
निधि ने घबराए हुए चेहरे से ही हामी भर दी।उसको मालूम था की संजू जितनी नादान है उतनी साइको जैसी भी है।कभी कुछ भी कर सकती है।
संजू ने निधि का हाथ पकड़ा और मेरे लण्ड पे अंडरविअर के ऊपर से ही रख के दबा दिया।
संजू तो मजे ले रही थी।पर निधि और मैं चौक से गए थे।दोनो एक दूसरे को देखते ही रह गए।जगह भी इतनी कम थी की अगर मैं फिरसे उसका हाथ झटका दु तो निधि के हाथ को भी जख्म हो सकती थी।क्योकि हम कोने में थे तो दोनो ओर स्विमिंग की दीवार थी।
संजू अपने हाथ से ही निधि के हाथ को मेरे लण्ड पे मसल रही थी।मजा निधि को भी आ रहा था और मुझे भी पर जितना मजा था उतना डर भी था क्योकि वहाँ पे बाकी के भी लोग थे।
संजू ने मेरी अंडरवेयर से लण्ड को रिहा कर दिया था।मेरा लण्ड पूरा लन गया था।ठंडे पानी में भी उसकी गरमाहट महसूस होने लगी थी।मेरा तन बदन मचल रहा था।संजू ने निधि के हाथ में पूरा लण्ड थमा दिया।हाथ में पूरा लण्ड आते ही निधि मेरे पास एकदम आश्चर्य से देखने लगी।और नॉटी स्माइल देदी।मतलब तो साफ था की निधि राजी थी और पूरी तैयार भी।
मेरा तन बदन मचल रहा था।निधि मेरे लन्ड को धीरे धीरे हिला रही थी।हमारा चेहरा नॉर्मल था पर अंदर से अंग अंग मचल रहा था।संजू ने निधि को पीछे किये जैसे सबको वो नॉर्मल सा लगे।पर बाकी लोगो का ध्यान नही था उसपे।बड़े लोगो की बड़ी गोसिप।संजू की हरकते देख सिद्धि भाभी को थोड़ा शक हुआ,क्योकि उनको हमारी हरकते पता थी।उन्होंने मुझे आंखों से ही पूछा"क्या हुआ?"मैने भी आंखों से नीचे की तरफ एकबार इशारा किया,फिर निधि की तरफ आंखे घुमाके इशारा किया। भाभी समझ गयी वो मुस्कराते हुए आंखों से ही फरमाई'"लोहा गर्म है तो हतोड़ा मार दे,किसकी राह देख रहा है।"
मैं भी सोच रहा था अगर वो तैयार है तो मैं क्यों पीछे जा रहा हु।निधि भभी मेरे से चिपक गयी थी।पानी में जो हाथ उनका मेरे लण्ड पे था वो हट गया और उनकी गांड मेरे लण्ड को घिस रही थी।उनके मुह से सिसक निकल गयी।
विकी:क्या हुआ निधि,Are You Ok!!
निधि:एस बेबी,पानी ठंडा है ना तो थोड़ा....!!
विकी को मेरा निधि के पास होने पर भी कोई रिएक्शन नही दिखा।मैं सोचा यातो ये पागल है या तो Cockhold है।पर मैं अभी सोच लिया,मजे करूँगा,चाहें जो हो।
मैंने उनके पेट पर हाथ घुमा में कस लिया अपने से।उनके दांत अपने ओंठ चबा रहे थे।संजू हमारे ठीक सामने खड़ी हो गयी,जिससे कोई हमारे यहाँ क्या हो रहा है ये देखे ना और सब समझे की संजू और निधि ही कुछ कर रहे है।
मैने निधि की पेंटी नीचे करदी,क्योकि ब्रा खोलता तो वो पानी पर तैरती और शक हो जाता।पेंटी नीचे कर के गाँड के नीचे से चुत को मसलने लगा।निधि खुद को कंट्रोल कर रही थी ,जिससे उनके मुह से आवाज न आये।उसकी चुत पर कोई बाल नही था जैसे उसने वैक्सिंग किया हो।मैं ब्रा के ऊपर से उसके छोटे आमो जैसे चुचे मसल रहा था।उसके चुत में उंगली अंदर बाहर हो रही थी।निधि अभी पूरी लाल टमाटर हो चुकी थी।वहां पर उसको चोदना मुनासिफ नही था।मैने संजू को पास में बुलाया और उसे ऊपर के कमरे में आने को बोला। मैं वहाँ से पहले चला गया।
जैसे ही मैं बाहर निकला मुझे सामने मा दिखी।मैं उन्हें कुछ बोलू उससे पहले वो झट से नीचे चली गयी।मुझे देखते ही उनके माथे पर हुए शिकंजी साफ बयान दे रही थी की उनसे जानभुज कर गलती हुई है।मैं मेरा मुड़ खराब नही करना चाहता था और वो जगह भी नही थी की वहां झगड़ा करू।
मैं रूम में गया।पूरा नंगा ही बेड पे था।थोड़ी देर बाद वो दोनो आयी।मुझे नंगा देख संजू को कुछ फर्क नही पड़ने वाला था पर निधि थोड़ा अलग अजीबसा फील कर रही थी।वो वही खड़े रहके मुझे ताकने लगी।संजू ने दरवाजा खिड़की लॉक कर दी।और मेरे पास आने लगी।
संजू निधि से:अरे अइसे क्या ताक रही है?
निधि:हम सच में ये करने वाले है,ये भाई है तेरा।
संजू:विकी भी तो सिद्धि का भाई है।
निधि:मतलब....!!!!!!
संजू:तुम सही सोच रहे हो और इसलिए मैंने तुम्हारे लिए तगड़े लण्ड का इंतजाम किया।मिलो ये है हमारा लण्ड राज और हम। इसकी रंडिया।
निधि:हम मतलब...सिद्धि?????
संजू:जी सिद्धि भाभी भी चुदवाती है।
संजू सीधा बेड पे आके नंगी हो गयी और मुझे चिपके गयी।उसने मेरे ओंठो को चूम और लन्ड को सहलाने लगी
संजू निधि से:अरे आओ तो सही वहां क्या कर रहे हो।मेरी चुत तो इसका लण्ड देखते ही चुत में खूजली आ जाती है।
संजू नीचे जाके मेरा लन्ड मुह में लेके चुसने लग जाती है।निधि सोच सोच में ही कपड़े उतार कर संजू के पास आती है।संजू उसे नीचे खिंचती है।और अपने मुह में रखा लण्ड उसके सामने कर देती है।
निधि:नही मुझे अच्छा नही लगता लण्ड चुसना।
संजू:तू एकबार देख ले,विकी की तरह नही है तगड़ा और स्वादिष्ट है,बार बार चुसने का मन करेगा।
निधि को संजू जबरदस्ती मुह में लण्ड घिसड देती है।निधि पहले ऊपर का सुपडे का ही टोप चुसने लगती है।
संजू:ये क्या बच्चे की तरह लोल्लिपोप चूस रही है।
संजू ने मेरा लण्ड मुह पूरा अंदर तक लेके मसल मसल के चुसा।
संजू:इसे कहते है चुसना।ये ले चूस।
निधि ने भी पूरा मुह में लेके चुसना चालू किया।
संजू:ये हुई न बात।।
संजू अभी मेरे पास आके मेरे ओंठो को चुसने लगी।अपने चुचो को मेरे मुह में घुसाने लगि।मैं भी उसके चुचे चूसने लगा।करीब ये खेल 5 मिनीट चलता रहा।
संजू उठी मुझे भी साइड किया और निधि को बेड पर सुलाया। संजू:वीरू दिखा तेरे जीभ का जादू।इसे जादू दिखाने तो लाई थी।
मैं निधि के चुत के पास गया।निधि मेरा सर चुत से हटा रही थी।पर मैं थोड़ी मानने वाला था।मैंने उसकी चुत की चुम्मी ली।
निधि के मुह से आआह निकल गयी।
मैंने उंगलियो से चुत के पंखुड़ियां बाजू की।एकदम लालम लाल चुत थी,पूरी पानिया गयी थी।मैने उसके चुत में जीभ डाली।उसने मचलते हुए मेरा सर अपने चुत में दबाया।
निधि:आआह वीरु मत करो मुझे सहन नही होगा आआह
मैं उसकी चुत में जीभ रगड़ रहा था।उसका चुत का टेस्ट मुझे बहोत पसंद गया था।उसकी चुत की पंखुड़ियां कांपती हुई बड़ी मस्त लग रही थी।
संजू उसके चुचो को चूस रही थी।उसके चुचे मसल रही थी।ओ लेस्बियन की तरह ओंठो की चुसमचुसाई करने लगे।जैसे ही उनका मन भरा,संजू ने 69 पोसिशन पकड़ ली।उसकी चुत अभी निधि के मुह पे थी और मेरा लण्ड संजू के मुह में।निधि ने अपनी जीभ संजू के मुह में जैसे ही घिसाई संजू ऊपर नीचे होकर हिलते हुए निधि के जीभ से चुत चोदने लगी।मैं भी संजू के मुह में लण्ड के धक्के पेल रहा था।
बड़ा मजा आ रहा था इस खेल में।मैं पहली बार जल्दी झड गया।आधा रस संजू ने गटका और थोड़ा निधि के चुत पर डाला।
फिरसे मेरे लण्ड हो हिलाक़े चुसने लगी।जैसे ही मेरा लण्ड खड़ा हुआ।उसने निधि की चुतमनी को मसला उसकी चुत उंगलियो से रगड़ी और लण्ड को उसपर लगाके मुझे धक्का लगाने का इशारा किया।ओ निधि के मुह से उठी।मेरे आपस खड़ी होकर मेरे होंठो को चुसने लगी।मैंने निधि को पहला धक्का मारा
मैं थोड़ी देर रुककर लण्ड को अंदर घुमाया।जैसे उसका दर्द कम हुआ मैंने उसको चोदना चालू किया।वो मजे लेने लगी
"आआह आआह उम्म आआह फक आआह फक आआह उम्म आआह उम्म फक आआह चोदो मुझे और जोर से बहोत मजा आ रहा है ओ माय गॉड आआह उम्म"
निधि झड गयी थी।मैं पहले ही झड गया तो मैं इतनी जल्दी तो झड़ने वाला था नही।निधि थक गयी थी उसे वैसे ही रहने दिया।संजू उसकी चुत घोड़ी बन के चुसने लगी।मैंने भी संजू की गांड के नीचे से चुत में उंगली डाली और उंगली से चोदने लगा,जैसे ही चुत फैली उसकी चुत में लण्ड डालके चोदने लगा।पूरी जोर जोर से चुत को धक्के दे रहा था।
संजू निधि की चुत से निकल रहा चुत रस चाटके साफ कर रही थी।मैं जोर से चुत में धक्के मारे जा रहा था।
आखिर कार हम दोनो झड़ने को थे।संजू ने तो पानी छोड़ा पर मुझे कहा निधि के मुह में छोड़ने को।मैने निधि के मुह पे लण्ड हिलाक़े मुह में पूरा गाढ़ा रस फैल गया।संजू ने निधि के मुह में मुह मिलाया और ओंठ चूसते हुए पूरा रस का भी लुफ्त उठाया।हम तीनो अभी बेड पे एकदुसरे को चिपके पड़े रहे।
संजू:क्यो भाभी मजा आया।
निधि:थैंक यू यार संजू।
तभी संजू को कॉल आया।सबको गेस्ट हाउस के कॉन्फ्रेंस रूम में बुलाया था।
नाना-
"आज हम सब यहाँ पर इकट्ठा हुए है,जैसे हम रिश्तेदार है वैसे ही दोस्त भी है और बिजनेस पार्टनर भी।यहां आप सबको इकट्ठा करने की वजह ये है की मेरी अभी उम्र हो गयी है।(मुझे अपने पास बुलाया हाथ के इशारे से।)
ये मेरा पोता है कंपनी के जो 40 % शेयर है उसमे से मैं इसे(मुझे) 20 % और रवि को 10 % देता हु और संजू को 10 %।आज से मेरे बाद कंपनी का हेड मेरा बड़ा बेटा सुजीत देखेगा।और उसे ये बाकी चारो हाथ बटाएंगे इसकी उम्मीद करता हु।बाकी के जायदाद में भी उसी परसेंटेज से बटवारा किया गया है।हर एक का हर जगह सबका अधिकार है बस घर के युवा और जिम्मेदार व्यक्ति को उसकी डोर थामी है।आप यहाँ आये शुक्रिया आशा है जैसे मुझे साथ दी वैसे मेरे इस लोगो को साथ देना।मैंने सारे पेपर बना दिए है।अगली मैनेजमेंट मीटिंग में पेश कर देंगे और आपको एक एक कॉपी मिल जाएगी।
नाना जी के कहे अनुसार सबसे ज्यादा हक बड़े मामा के पास क्योकि 30 परसेंट है।बाद में मैं और छोटे मामा एक ही लेवेल पे थे क्योकि छोटे मामा के पास 20% शेअर पहले ही था।आप कहेंगे छोटी मामी मामा बेटा तो उसमे रस नही लेता तो उसका शेअर लेके बढ़ा देंगे तब भी मेरे पास संजू है जिसको व्यापार से ज्यादा चुदाई में रस है।
पर इस बात से मा छोटी मामी जरूर नाराज थी।मैं तो अभी थोड़ा वजनदार हो गया था।अभी अपना खेल चालू करने में कोई हर्ज नही था।बहोत देख देख लिया।कुछ मजबूरियां हाथ बांधी थी।पर अभी नाना भी नही टोकेंगे।नाना ने जायदाद का बटवारा जरूर किया है पर उसमे भी बड़े मामा बाद में मैं और छोटे मामा।नाना जरूर जानते थे की छोटे मामा अय्याश है और छोटी मामी पैसों की प्यासी।माँ के ऊपर तो उनका विश्वास और भरोसा तभी चला गया जब ओ उनके मन के खिलाफ शादी की।
अभी आने वाले दिन जितने सुखदाई थे उतने ही रिस्क भरे थे।कदमो कदमो पे ध्यान रखना था।कल का प्रहार जो शिवा से करवाना था ओ शिवा की हवस ने पलटा दिया जिससे मुझे जीवनदान मिला।पर हर बार खुदा मेहरबान नही होता।
दोपहर खाने के बाद पारिवारिक खेल हुए बाद में देर रात तक घर पहुंचे।उस दिन सारे थक गए थे।सब सोने चले गए।मुझे नाना ने रूम में बुलाया।
नाना:देख वीरू बहोत बड़ा रिस्क लिया है तुम्हारे हाथ इतनी बड़ी जिम्मेदारी देके मुझे है तुमपे पूरा विश्वास पर बेटा सम्भालके जायदाद के लिए पैसों के लिए लोग सगे लोगो को भी नही छोड़ते।
इस बात पर मेरे आंख से आंसू निकलने लगे नाना जी न देख ले इसलिए उन्हें गले से लगा लिया।नानाजी तो चौक गए।
नाना:अरे क्या हुआ?
अभी इनको क्या बताऊ कैसे बताऊ,इस उम्र में इस कगार पर कोई टेंशन उनको मैं देना मुनासिब नही समझा बात को घुमाया:कुछ नही ,बस आपको गले लगाने का दिल किया,आप चिंता मत करो आपने कमाई इज्जत और शोहरत को आंच नही लगने दूंगा।
मैं वहाँ से अपने कमरे में आया।आज बहोत थका था मैं भी तो जल्दी सो गया।