Rekha rani
Well-Known Member
- 2,403
- 10,191
- 159
मा का इलाज अभी ठीक तरह से नही हुआ है उसे और खुराक चाहिए है, और छोटी मामी का क्या बनेगा जब अपनी माँ की चुदाई का मालूम चलेगा, अपने हीरो तो पूरा घी की कढ़ाई में है
ab kanta ne aisa kya bata diya jo viraj ki ankhon mein ansoo aa gaye................(Episode 2)
मैं नीचे आया तो किचन में कोई था।मुझे आहट सी लगी।इतनी रात गए कौन है?सब तो सोए हुए है।मैं किचन में गया तो मा किसी के साथ थी चेहरा साफ नही दिख रहा था।मैं थोड़ा और पास गया। मेरी आहट से वो लड़का दूसरे तरफ के दरवाजे से भागने लगा।करीब 25 से 30 साल का लड़का ।मैं भी उसके पीछे भागा।जाते जाते मेरी नजर मा पर गयी।माँ के चुचे खुले थे,बाल फैले हुए थे।मेरा सर में गुस्सा लाव्हा की तरह उबलने लगा।
मैं लड़के के पीछे भागने लगा।लड़का बगीचे से रास्ता निकालते हुए भागने लगा।मैं काफी दूर था।अंधेरे में ज्यादा तर दिख नही रहा था।मैने लड़के को रोकने के लिए कोशिश की,एक लकड़ी मिली उसको पूरी ताकत से उसपर फेका,उसकी चिल्लाने की आवाज आई।पर वो वहां से भाग निकला।मैं थक गया था।पर ओ थकान और मा की दशा मेरा गुस्सा और बढ़ा रही थी।मैंने तो ठान ही ली जो भी बाहर का आदमी मा के करीब दिखा उसका बंदोबस्त कर के रहूंगा।
मैं थोड़ा चलके आगे गया तो मुझे एक छोटा घर दिखा।मैं उस घर में घुस गया।वहाँ के लोग सोए थे।मेरी आहट से वो जग गए।उन्होंने घर के दिए जलाए।
वो तो माली चाचा थे,सियाराम नाम था उनका।सुबह आया तभी देखा था जब मैं घूमने आया था बगीचे में तब उनको देखा था।उनके साथ अभी उनकी बीवी भी थी,शारदा चाची
सियाराम:क्या हुआ बाबूजी इतनी रात को यहाँ पे?कुछ काम था?
मेरी आंखे चारो तरफ घूम रही थी।मेरे आंखों में उस शख्स की परछाई चमक रही थी।
मैं:माली चाचा अभी कोई शख्स भागता हुआ यहाँ आया क्या?
सियाराम अपने बीवी की तरफ देखने लगा।दोनो के गले सूखने लगे।सुनसान रात में उनकी दिल धड़कने की आवाजे आने लगी।
सियाराम:नही बाबूजी कोई नही.....!!!
वो अपनी बात पूरी करते उससे पहले ही अंदर से बर्तन गिरने की आवाज आई।
मैं:कौन है अंदर?
सियाराम की बीवी शारदा थोड़ी डरी आवाज में:कुछ नही साब वो बिल्ली होगी।
उनका चेहरा आवाज इससे मुझे उनपे शक होने लगा।मैं जबरदस्ती अंदर घुसा।कोई लड़का था।मैं उसे खींच के बाहर आया।
सियाराम:ये मेरा बेटा शिवा है साब,दूसरे शहर में रहता है,आज ही आया है।
मैं:अभी 5 मिनट पहले कहा थे शिवा?
शिवा हटाकट्टा नही था नॉर्मल शरीर था।खुद के माथे के पासिना पोंछते हुए बोला:वो वो अन्दर ही था।
मैंने उसको पूरा निहारा।आगे से पीछे से ऊपर से निचे।और जो शक था वही हुआ।पैर के नीचे उसे वही लकड़ी लगने का निशान मुझे दिखा।
मैं:घर में बैठे बैठे सोए सोए पैर के नीचे इतना बड़ा निशान।
शिवा का गला सूखने लगा।उसके मा बाप को कुछ समझ नही आ रहा था।
सियाराम:शिवा क्या बात है?ये जख्म कैसा?
शिवा:वो पिताजी अइसे ही किधर नींद में गिरा रहूंगा,मुझे पता नही चला होगा।
मुझे अभी रहा नही गयी मैंने उसके कान के नीचे 2 झांझनाटेदार लगा दिए,वो चकरा गया।
उसकी मा शारदा मेरे पैर में गिर गयी।उसे छोड़ने की भिक मांगने लगी।
सिया राम ने उसे सहारा दिया और मुझे पूछा:क्या बात है साब कुछ गलती हुई है तो वैसे बता दो ।
शारदा:इसकी तरफ से हम माफी मांग लेते है।
मैं : इसकी सजा माफी लायक नही।तुम्हारा ये चिराग मेरे मा के साथ....(मैन एक झापड़ और लगाया।उसके मा बाप बात समझ गए।उसकी मा झट से खड़ी हुई और दो थप्पड़ और लगा दिए उसे)
शारदा:साब उसकी तरफ से मैं माफी मांगती हु।
मैं शिवा से:क्यों भड़वे तेरे घर में मा नही है क्या उसके साथ कोई कुछ अइसा करे तो तू देखेगा।तेरी औकात क्या और कर क्या रहा है।
मेरा गुस्सा अभी मर्यादा पार कर चुका था।मुझे वहा पर एक कोने में डंडा मिला।मैन उसके मा बाप को बाजू धकेला और उसे गधे के माफिक पीटने लगा।उसके पैर पे इतनी बार मारा की उसे उठने को नही हो रहा था।और आखरी का उसके उस जगह मारा जो मेरे मा के लिए उठा था।उसके मा बाप मेरे सामने घुटनो पर बैठ के माफी मांगने लगे । पर मैं आपा खो चुका था।पिछली बार बड़ी मामी थी ,इसलिए बलबीर बच गया।
सियाराम:साब माफ करदो उसे मैं आपके पैर पड़ता हु।
शारदा:साब आप हमको जो सजा देना चाहते हो देदो।पर उसे छोड़ दो।
मैं:ये भी सही है,तुम लोगो को उसे सही से उसकी औकात नही बताई।
शारदा शिवा को मारते हुए:बोल तूने क्यो किया अइसे?क्या इज्जत रख दी हम लोगी की।
शिवा दर्द भारी आवाज में:मुझे शिला (छोटी मामी)मेडम ने किसी वीरू को मारने को बोला था।वहा उसे ढूंढने गया था तो इनकी मा मिली किचन में तो...!
मैं गुस्से वाले दिमाग से पागल जैसा हसने लगा:तो तू वीरू को मारने आया था।तूने कभी देखा है वीरू को।
शिवा:नही!!!
मैन वही सवाल सियाराम और शारदा को पूछा,वो भी"नही "बोले।
मैं हस्ते हुए:वो वीरू मैं हु।
ये बात सुन तीनो को सांप सूंघ गया।
मैं:क्यो फटी न,तेरी मा की चुत साले मुझे मारेगा।सालो मुझे हैवान करके छोड़ोगे।शैतान हु मैं।मेरी मौत मेरे ही मर्जी से अति है बे।तू क्या मारेगा।
मैंने फिरसे एक साथ उसके कमर पर मारी।सियाराम उसको बचाने आया तो उसके भी कमर पे लात मार दी।वो दर्द से करह उठा।
शारदा:साब साब नही साब मर जाएगा वो माफ करदो साफ,आप जो चाहे सजा दो,पर इतनी बड़ी सजा मत दो की हम जी नही पाए।
मैं:क्यो बे भड़वे मेरी मा के साथ रंगरेलिया मनायेगे।रुक तुझे बताता हु
मैंने शारदा को बाल पकड़ के उठाया।उसको दर्द हुआ।
सियाराम:बाबूजी नही बाबूजी इसको कल दूसरे शहर भेज दूंगा,आप छोड़ दो इन दोनो को,मार डालना है तो मुझे मार डालो।
शारदा:नही बाबूजी आप मुझे मार दो।
मैं दोनो पर खिसकते हुए:अरे चुप दिमाग की मा मत चुदा।
मैं सियाराम से:तेरे बीवी की उम्र क्या है?
सियाराम:जी साब!???
मै:मैंने पूछा इसकी उम्र क्या है?
सियाराम :42 45 होगी।
मैं:मतलब मेरे उम्र कि है।
शिवा:नही साब नही मेरे गुनाह की सजा मेरे मा को मत दो।
सियाराम रो चुप सा हो गया।क्या बोलता ओ?उसने शिवा को चुप किया।
शिवा:पिताजी उनको बोलो उनको बोलो,मा तुम कुछ क्यो नही बोलती।
मैं:क्यो चाची देख मुझे जबर्दस्ती नही करनी।अभी तेरी मर्जी।
शारदा ने अपनी आंखे पोंछी और अपना पल्लु अपने छाती से हटाया।मुझे हरा सिग्नल मिला।
शिवा और सियाराम एक दूसरे को गले लगाए फूटफूट के रो रहे थे।
मैं हस्ते हुए।शारदा के चुचे मसलने लगा और बोला:देख शिवा यही चुचे पसंद आये थे ना मेरे मा के,देख देख।
शिवा उठने की बहुत कोशिश की पर उसका पैर काम नही कर रहा था।ओ पूरा असह्य था,उसे मुझसे पंगा लेना महंगा पड़ गया था।खाया पिया कुछ नही,पैर तोड़ा जिंदगीभर के लिए।
उन दो नो के सामने मैंने शारदा को खड़े खड़े नंगा किया।
मैं:अरे अभी देख ना दुसरो की मा को चोदने का बहुत मन करता है ना तेरा।ले तेरी मा की चुत चाट ले।
(मैंने उसकी मा के चुत को उंगली से मसला।शारदा सिसक से कहर गयी।)
मैं:अरे चाची दर्द हुआ क्या,इससे बड़ा दर्द तो तब हुआ जब मेरे मा के चुचे हाथ में लेके तेरा बेटा रंगरेलिया मना रहा था।
शारदा:साब आपको जो करना है,मैं तैयार हु,मेरे बेटे को छोड़ दो।मैं पैर पड़ती हु।
शारदा चाची मेरे पैर में गिर गयी।मैंने भी शॉर्ट और अंडरवेयर नीचे डाला और टी शर्ट बनियान निकाल बाजू की लकड़ी की पलँग पर डाल दिया।
मेरा तना हुआ लन्ड शारदा चाची के मुह के सामने लटक रहा था।उन्होंने एकबार मेरे लन्ड को देखा और एक बार अपने पति और बेटे को देख रो रही थी।अचानक उसने आंखे पोंछी और मेरे लन्ड को हाथ से सहलाया और मुह में लेके चुसने लगी।मैं उसके सर पर हाथ सहलाने लगा।
मेरा लण्ड अभी पूरा तन गया था।बाजू के पलँग पर मैंने चाची को सुलाया उनके चुचे मुह में लेके चुसने लगा।मसलने लगा।
"आआह आआह उम्म आहिस्ते आआह उम्म"
मैंने उनके ओंठो को मुह में पकड़ के चुसना चालू किया,हाथ में चुचो मसलना चालू था।लण्ड अभी फंनफनाने लगा था मैन मेरे लण्ड को हिलाया और चाची की झांट भरी चुत में डाल दिया।
शारदा:आआह आउच्च आआह उम्म धीरे से आआह
मैं कुछ सुनने मानने की अवस्था में नही था।मैं जोर जोर से कस के धक्के मार रहा था।
"आआह उम्म आआह आउच्च उम्म आआह"
मैं':अबे रंडी साली तेरे बेटे के लण्ड को काबू में रखती तो तेरी चुत का भोसड़ा नही बनता अभी ले अभी तेरी चुत का भोसड़ा बना देता हु।
शारदा:अभी हो गयी बाबू गलती!अब मेरे पास भी कोई जरिया नही है।आपको जितनी चुत मारनी है मारो आआह,पूरा अंदर डाल के चोदो,अपने घर का ही भेदी है तो अभी भुऊऊऊ गतना पड़ेगा।
वो कब की झड गयी थी।मैं अभी झडा नही था।पर जब झड़ने का टाइम आया।उसके मुह में रख दिया।
शारदा ने गिरने वाला हर एक बून्द चाट के चूस के निगल गयी।
मैं उठा।शारदा भी उठी बोली:साब किसको ये बात मत बोलना बड़े साब जी मार देंगे,इस उम्र में कहा जाएंगे।
मैं:मैं नही बताऊंगा किसको,पर सजा पूरी नही हुई।ये सियाराम हट वहाँ से।
सियाराम बाजू होकर खड़ा हो गया।
मैं:चल तेरे बेटे के मुह में जाके चुत चटवा,लन्ड तो अभी खड़ा नही होगा।
शारदा:नही साब बेटे के सामने शर्मिन्दा मत करो।
मैं:तुम जा रही हो या।मैं......!!!
शारदा बिना बहस किये जेक उसके मुह पे चुत टिका दी।
मैं:शिवा चल डाल जीभ तेरी मा की चुत में,नही तो एक झापड़ तेरी मा भी खाएगी।
शिवा अपनी मा के चुत में जीभ घुमाने लगा।मैं जाके उसके सामने लन्ड हिलाने लगा।मेरा लंड जैसे ही खड़ा हुआ,
मैं:ओए रंडी ले चाट इसे।
अपनी चुत बेटे के जीभ से चटवाते हुए,मेरे लण्ड को चाट रही थी।काफी देर लण्ड चटवाके मैने लन्ड को मुह में ठूस दिया।और उसका मुह चोदने लगा।वो कब की झड गयी थी।पूरा मुत अपने बेटे के मुह पे ही छिड़ दिया।मैंने भी अपना चोदने का स्पीड बढ़ाया और झड गया।
सियाराम:साब अभी छोड़ दो,गरीब लोग है,आगे से कोई शिकायत नही आएगी।
मैं:आणि भी नही चाहिए,नही तो इस बार लण्ड और डंडे से काम चलाया अगली बार कुछ और होगा।समझो और समझाओ अपने बेटे को।
मैं वहाँ से गुस्से गुस्से में निकल कर गेस्ट हाउस आया।मा रूम में जाके सो गयी थी।मैंने अभी ठान लिया था की मा को ढील देना गलती थी मेरी अभी आगे से नही होगी।
तभी कान्ता मुझे देख दौड़ती हुई आयी।
मैं:हा हा हा रात के 2 बजे कहा भागे जा रही है।
ओ मुझे एक कोने में लेके गयी और कुछ अइसा बताया जिससे मुझे बहोत बड़ा झटका लगा।ये मैंने पूरी जिंदगी में नही सोचा था।मैं वही बैठ गया।
कान्ता:बाबू जी बाबू जी,संभालो खुदको।
मैं जो पिघल गया था।खुदको सवार लिया।आंखे पोंछी।
मैं:और कुछ खबर!!???
कान्ता:खबर ये है की नाना जी कल वसीहत पढ़ने वाले है।किसको क्या मिलेगा वो कल मालूम होगा।
मैं:मेरे लिए कुछ है?
कान्ता:जहा तक मालूम पड़ा है,सारे मर्द लोगो के ही नाम है,आपका भी नाम है,पर आपके हाथ में क्या मिलेगा नही मालूम।
मैं सोचा अभी जो करना है वसीहत के बाद,अभी कुछ गलती कर बैठा तो अभीतक का सारा खेल बिगड़ जाएगा।
मैं:कान्ता सच में मैं तेरा जिंदगीभर अहसानमंद रहूंगा,बोल मैं क्या दु तुझे?
कान्ता:बस आपका विश्वास,हम गरीबो को सिर्फ प्यार और विश्वास चाहिए,पॉलिटिक्स पैसा नही चाहिए।
मैं:ठीक है।जाओ अभी सो जाओ।दीन भर सारा काम तुझे ही करना पड़ता है।
कान्ता मुस्करा के सोने चली गयी।
अभी इम्तेहान की घड़ी नजदीक थी।सीधे रास्ते पे चल रहा था।क्यो हैवान बना रहे है ये लोग।क्या चाहते है पैसा।दे भी देता पर कुछ समय पहले बताया होता तो।अभी तो ये मेरा घटिया कमीनापन देखेंगे।क्योकि
" कमीनापन सबको आता नही और अपने से जाता नही"
Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।