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नानाजी अभी आराम फरमा रहे थे।अभी कम्पनी हेड बड़े मामा थे।जहाँ बड़े चाचा बैठते थे वहां छोटे मामा बैठ गए।हमारा हिस्सा एक जैसा होगा फिर भी वो अनुभवी थे।तो एक इज्जत के तौर पर उनको वो केबिन दे दी थी,और मैं उनकी जगह।संजू और रवि इनका तो कोई सवाल नही बनता भारतीय कानून के हिसाब से उनको वारिस के तौर पर उनका हिस्सा सौंपा गया था।एक तरह से आप उनको स्लिपिंग पार्टनर बोल सकते हो।और छोटी मामी के मा बाप और एक और था या थी मालूम नही अभी तक मैं उन्हें मिला नही था क्योकि वो पहलेसे स्लीपिंग पार्टनर था।
अधिकतम जानकारी के लिए:
स्लीपिंग पार्टनर एक ऐसा व्यक्ति है जो किसी व्यवसाय के लिए कुछ पूंजी प्रदान करता है लेकिन जो व्यवसाय के प्रबंधन में सक्रिय भाग नहीं लेता है।
पहला दिन था तो मैं अपनी टीम देख रहा था जो पहले छोटे मामा की थी। मैंने सबको कॉन्फ्रेंस में बुलाया।दो लड़के छोड़ के बाकी पाँच लडकिया थी।हो जाता है कभी कभी ऑफिस काम के लिए लड़कियों को ज्यादा करके महत्व देते है लोग,मान लिया।फेक्ट्री का काम मेरे पास था,वहां की मजदूरों की नियुक्ति,मजदूरी,सुरक्षा और चीजो का परीक्षण मेरा काम।
दो लड़को में एक तो वो सुपरवाइजर था।मतलब ये दोनो लडके सुपरवाइजिंग स्टाफ़ था।
मैं:तो तुम दोनो अभी फेक्ट्री में जाओ वहा आपकी ज्यादा जरूरत है।आपको मैं बाद में सूचना दूंगा।मीटिंग के चक्कर में कुछ हादसा न होजाये।और हा इतना बता दु,उधर किसीकी आपके खिलाफ जायज कम्प्लेंट आई तो कल से काम पर नही आना।जाओ!!!!
ओ लोग जी सर करके वहाँ से चले गये।
मैं: चलो अपना परिचय दो
सबने अपना अपना परिचय दे दिया
१:रीना
२:स्वीटी
३ मीना
४ प्रेमा
५:सुमन
।पर हर एक के स्वर में मादकता थी।मुझे उनपे शक हुआ।मैंने हर एक का बायो डेटा देखा।सारे 12 वी पढ़े हुए उसमे से भी 2 फेल।मैं भी 12 वी करके आगे पढ़ाई करने वाला था।पर इनके बायो डेटा से लग रहा था की इनकी पढ़ाई काफी साल पहले ही बंद हुई है।
मैंने हर एक को उनका अनुभव और कौशल्य(skill) पूछा।आधे लोगो को तो कुछ आता ही नही था।दो लोग मजदूरी करते थे हमारे ही फेक्ट्री में वहां से यहाँ आये।मैंने उनको जाने बोला।सब लोग गए तभी मीना पीछे आयी।
मीना 30 उम्र की एक औरत,शादीशुदा,फेक्ट्री से मजदूरी करते हुए ऑपरेटर स्टाफ में नियुक्ति।
मैं:हा तो मैं अबसे आपका बॉस हु,मुझे बताओ पहले जो बॉस थे मेरे मामा उनके साथ क्या घटियापन्ति करती थी तुम दोनो।(मेरे आवाज में गुस्सा था।)यहाँ ये सब करने आते हो।अभी बॉस मैं हु,हुकुम मेरा चलेगा।
दोनो के चेहरे पे डर था।दोनो गिड़गिड़ाने लगी:"सॉरी सर सॉरी"
मैं:सामने के दो टेबल पर आजसे आप काम करोगे।
दोनो अपनी अपनी जगह पकड़ के बैठ गयी।मैं भी सारी फाइल चेक कर रहा था।स्वीटी का पल्लु थोड़ा नीचे था।उसके आधे नंगे चुचे दिख रहे थे।
मैंने स्वीटी को कहा:मुझे यहाँ के कम्प्यूटर्स की सिस्टम और फाइल्स बताओ।
वो मेरे पास आई,दाएं तरफ।और कम्प्यूटर पे झुक कर मुझे सब समझाने लगी।स्वीटी अय्याश भरी औरत नही लग रही थी जैसी मीना थी।पर स्वीटी का यौवन बहोत रसभरा था।ओ जो भी समझा रही थी उससे ज्यादा तो मैं उसके बदन को घूर रहा था।उसका बदन की खुशबू मुझे हैरान सी कर रही थी।
मैने उसके गांड पे हाथ फेरना चालू किया।मैं 21 साल का ओ 32 की उसे दोनो तरफ से अजीब लगा,एक तो मैं उम्र में छोटा और बॉस भी,पर वो कुछ रियेक्ट नही की,क्योकि मामा का बिस्तर जो गर्म कर चुकी है।
मैं उसका पल्लु नीचे से उपर कमर तक किया।वो घोड़े जे माफिक एंगल पकड़े थी तो पल्लू अटक गया कमर में।मैं उसकी गांड को सहला रहा था।उसकी गांड सिहरन से मचल रही थी।मैंने पेंट निचे करके बीच वाली उंगली चुत के ऊपर घिसाने लगा।ओ धीमे धीमे सिसक रही थी।मैं पेंट में से लण्ड निकाल के सहलाने लगा।ओ आंखों के कोण्ही से मेरे लण्ड को ताड रही थी।
अचानक मैंने जान भुजके एक फ़ाइल मेरे बाए तरफ नीचे गिरा दी।और थोड़ा पीछे खिसक कर उठाने की कोशिश का नाटक किया।आवाज से मीना देखने लगी वो उठी और मेरे पास आई,जैसे हो फ़ाइल लेने झुकी तो उसे मेरा लन्ड दिखाई दिया।वो मेरी तरफ देख मुस्करके शर्मा गयी।उसका चेहरा लाल हो गया।उसने स्वीटी की खुली गांड भी देखी।उसके चेहरे पर उसके बदन की चलबिचल साफ महसूस हो रही थी।ओ भी गरमा रही थी।
मैंने मेरे लण्ड को सहलाया और उसके गर्दन को पकड़ कर लण्ड उसके मुह में ठूसा।वो वैसे भी ना नकुर नही कर सकती थी।वो चुप चाप लण्ड को चुस्ती रही।दूसरी तरफ उंगली स्वीटी के चुत में डाल के उसको गर्म कर दिया।
दोनो को नंगा होने बोला।टेबल से थोड़ा दूर होकर मीना को टेबल पर पैर फैलाये बैठा दिया।क्या चुत थी यार।एकदम लाल छोटे झांटो वाली।स्वीटी को मैंने अपने लन्ड पे बिठाया।मेरे तरफ पीठ करके वो लण्ड पे बैठ गयी।
"आआह उम्म हाये दैया आआह आआह"
मैं उसके गोल मटोल चुचे अपने हाथो में कस के पकड़ के मसलने लगा।वो झुक कर मीना की चुत चाट रही थी।मैं उसकी गांड को कमर से पकड़े ऊपर नीचे करने लगा।थोड़ी देर बाद वो खुद उपर नीचे होने लगी।उसका उछलने का स्पीड बढ़ गया।मीना अपने चुत को उंगलियो से मसल रही थी।मैं स्वीटी को रुकने बोला।टेढ़ा होक खुर्ची खिसक कर टेबल के नजदीक गया।अभी मैं खुर्ची ओर स्वीटी मेरे लन्ड ले और मेरे बाए तरफ टेबल पर पैर फैलाये चुत वाली मीना।स्वीटी फिरसे मेरे लन्ड पे उछल रही थी।मैंने अपनी दो उंगली मीना के चुत में डाल के चोदना चालू किया।एक हाथ स्वीटी के चुचे मसल रहा था।
"आआह आआह उम्म आआह अम्मा हाये दैया आआह मर गयी आआह उम्मम आआह आआह आआह उफ आआह"की आवाजे पूरे रूम में गूंज रही थी।
स्वीटी अब झड गयी थी।ओ चुत का पानी छोड़के उठ गयी।मैंने लण्ड को हिलाया और मीना को लण्ड पर बिठाया।स्वीटी अब मेरे दाएं तरफ आयी।स्वीटी मेरे ओंठो को चुम रही थी,चूस रही थी।मीना मेरे लन्ड को चुत में उछाल उछाल के चोद रही थी।मैं मीना को नीचे से गांड उठा उठा के साथ दे रहा था।पर मीना जितनी मादक दिखती थी और बोलती थी उतना उसमे दम नही था।वो भी जल्दी झड गयी।
मैं:क्या रंडियप्पा लगाया है।इतने जल्दी झड गयी।
दोनो चुप चाप थी।
मैं:अरे रंडियों मुझे कोन झड़ायेगा।आओ चूस लो।
दोनो बारी बारी लन्ड मुह में लेके चुसने लगी।जैसे ही झडा दोनो के चेहरे पर फवारे उड़ा दिए।दोनो ने एक दूसरे के चेहरों को चाटके साफ किया।
दोनो को एक एक साइड गोदी में बिठा के उनके चुचे मसल रहा था।दोपहर हो चुकी थी।तभी मुझे कान्ता का कॉल आया ।मैं झट से उठा ,तैयार हुआ और निकल गया।मेरे पास गाड़ी नही थी।मैंने वॉचमैन से पूछा तो उसने बोला की आफिस की एक बाइक है।मैन देर न गवाए बाइक से निकल गया।
समय दोपहर 2 से 3 बजे के दरमियान।
ये सही समय था की मैं उस बात की पृष्टि करके सजा देदु।
मेरी गाड़ी सीधा गेस्ट हाउस के पास आयी।शिवकरण गेट के पास ही गाड़ी खड़े किये था।मुझे देख थोड़ा डर गया।
मैं:शिवकरण चुपचाप घर चले जाओ।
शिवकरण:पर बाबूजी बड़ी दीदी....?!
मैं:लगता है मैंने कहि हुई बात समझ न आयी तेरे।
शिवकरण ज्यादा न बात किये वह से चला गया।मुझे मालूम था की मुझे आगे क्या करना है।मैं सीधा बगीचे से सियाराम के घर गया।जैसे सोचा था ओ वही थी,वही मुह काला करवाती फिरती हुई मा।
सियाराम खुर्ची पे बैठा था।शारदा अंदर के रूम की दरवाजे पे थी।और टांग टूटा हुआ शिवा पलँग पे बैठा था और उसके बाजू में मा।कल क्या हुआ कैसे हुआ और बहोत सी बातचीत चल रही थी।मैं जैसे ही अंदर गया।चारो चौक गए।
सियाराम और शारदा के पैर ही ढीले पड़ गए।
मैं:वाह सियाराम बिवि को मैंने चोदे 24 घंटे नही हुए तू फिरसे अपनी औकात पे आया।
शारदा मेरे पास आयी:इसमे हमारा कोई कसूर नही,यह तो बड़ी मालकिन यहाँ आयी(मैंने उसको झटकार के धकेल दिया।)
मैं:तुम लोगो को तो बाद में देखता हु।पहले इस रंडिया को तो देख लू।(मा की तरफ)तो श्रीमती सुशील्ला जी।
मा का पूरा शरीर ठंडा पड़ चुका था।उसे क्या बोलू क्या नही अइसे हो रहा था।
मैं:यह क्या कर रही है अपने याररर से मिलने आयी थी।
मा:क्या मतलब है तुम्हारा।मैं तो इसे देखने आई थी वॉचमैन बोला की शिवा को लगा है तो एक मालकिन की हैसियत से इसे देखने आयी थी।
मैं हस्ते हुए:वो मिस सुशील्ला आप भूल रही है,आपका जायदाद में कोई हिस्सा नही है,बस एक घर की सदस्या हो।
मा:तो क्या तुम जबर्दस्ती करोगे,हमारी इतनी भी हैसियत नही गिरी।और तुम यहां क्या कर रहे हो।
मा की ऊंची आवाज मुझे बर्दाश्त नही हो रही थी।
मैं:यही देखने आया था की परसो तक जो लण्ड की प्यासी थी वो कल बेटे के खून की भी प्यासी हो गयी।आज क्या गुल खिला रही है यही देखने आया था।
मा:क्या बक रहे हो,तुम्हे होश है की तुम क्या कह रहे हो और किससे कर रहे हो।
मैं:मैं उस अय्याश खून की प्यासी मा से बात कर रहा हु जिसने जायदाद और चुत की हवस के लिए अपने बेटे को बौर बाप को भी मारने की कोशिश की।
मा:मैंने कब किया अइसे कुछ भी मत बको तुम्हारे पास कोई सबूत नही।
मैं:अरे रंडिया वीरू बोलते है मुझको।(शिवा का मोबाइल निकालते हुए।)ये रहा सबूत।
शिवा और मा दोनो चौक गए।
मैं:हो गयी बत्ती गुल।इसमे तुम लोगो की सारी प्लानिंग आवाजो में कैद है।आज पहली बार SAMSUNG कंपनी पे गर्व हो रहा है जिसने ऑटो रेकॉर्डिंग के फीचर इस मोबाइल में डाले।
मा के चेहरे का रंग सा उड़ गया।वो हकलाते शब्दो में अपना बचाव करने लगी:क्या क्या क्या क्या मालूम है तुझे।मेरा इससे कोई तालुख नही।
मैं:मुझे कैसे मालूम पड़ा सुनो सब बताता हु।बहोत मजेदार कहानी है आप लोगो की योजना की।
"घर में मुझे छोड़ के सबको मालूम था की पार्टी खत्म हो जाने के बाद जायदाद की बटवारे की सूचना दी जाएगी।इसलिए सब उत्सुक थे पर छोटे मामा मामी चिंतित थे क्योकि उनका पत्ता साफ हो सकता था।जब भी कोई टेंशन आता है।छोटे मामा रंडियाबाजी करने लगता है क्योकि उससे उसका मन भर जाता है।पर उसकी बदनसीबी से उसकी ये करतुते मुझे मालूम हो गयी।और मैंने उसकी वीडियो क्लिप ली ये उसको भी मालूम हो गयी।पर वही छोटी मामी पार्टी में होने वाले बटवारे को रोकने के लिए छीटे मामा से कह कर शिवा को बुला लेती है।शिवा एक चोर किस्म का आदमी है ये मामा को मालूम था।मामी ने उसे जायदाद के पेपर चुराने को कहा।मामा ने मामी से कहा" की पेपर क्यो चुराए,मार ही देते है"पर मामी समझदार और व्यवहारिक किस्म की थी तो उसे मालूम था अगर नाना किसी अपघात या खून में मर जाते है जायदाद पर हस्ताक्षर करने से पहले तो जायदाद किसी के नसीब में नही थी।और जायदाद चुराके बदल दी जाए तो नाना का वकील पे भरोसा इतना था की वो बिना देखे हस्ताक्षर कर देते थे।
पर मामा को इस बात पे सहमति नही थी क्योकि उसे नाना और मुझे दोनो को मरवाना था क्योकि मेरे पास उनके खिलाफ सबूत थे अगर वो नाना के पास जाते तो उनकी और भी जांच होती और बड़े मामा को भी छो मामा से बहोत परेशानिया थी तो वो भी उस बात का फायदा उठा लेते जिससे छो मामा फस जाता।पर वो छोटी मामी से भी कुछ कहने की औकात नही रखते थे।
उसी दरमियान छोटे मामा ने तुम्हारी(मा की)और बड़े मामी की बात सुनली की जायदाद में तेरा(मा का)हिस्सा न होने के चांसेस है।तो मामा ने तुमसे इस विषय पे अकेले में बात की।
मामा ने कहा"देख ना तुम्हारा बाप तुम्हारे लिए सोचता है न बेटा।तुम्हे क्या जरूरत है इन लोगो की।अगर मेरी मानो तो इनको हटा देते है फिर हैम तीनो भाई बहन बटवारा कर लेंगे।"तुमको(मा को)पैसे और हवस के बाहर कुछ मालूम ही नही।तूने अपने भाई पे विश्वास किया क्योकि अगर हम दोनो रास्ते से निकल जाते तो तुम्हे जायदाद भी थी और अय्याशी करने के लिए छूट।फिर मामा ने योजना बनाई,उसे मालूम था की छोटी मामी ने शिवा से बात की थी की वो जायदाद के कागज चुराए और उसने दिए हुए कागज वहाँ रख दे।
उसने रात में छोटी मामी का फोन चुराके शिवा को फोन लगाया और आपने छोटी मामी बनके उससे बात की उसे बताया की योजना में बदलाव है तुम्हे उन दोनो को मार डालना है।पर शिवा सिर्फ चोर था उसे उस बात से डर लगने लगा।तो मामा को बिना पता लगने दिए उसे घर पे आने को बोला उसे मनाने के लिए।मामा ने फोन जगह पर रखा और ये सोच के रात भर बेफिक्र था की कल मैं और नाना मर जाएंगे और उसकी पोल नही खुलेगी। शिवा रात को किचन के दरवाजे से अंदर आ जाता है।काफी अंधेरा था।धीमी रोशनी में चेहरा साफ नही दिखता था।और शिवा सिर्फ मामा से मिला था ओ मामी को इतना जानता नही था।
वो आते ही आप उसको हमे मरवाने की बात के लिए मनाने लगी।पर उसी वक्त आपके अंदर की हवस जाग गयी होगी।आपने सोचा की ये नौजवान है।रसीले बदन से पिघल के मान भी जाएगा और मेरी भी प्यास बुझ जाएगी।
योजना सही जा रही थी पर आपकी हवस ने पानी फेर दिया।उस वक्त मैं वहाँ आया।हवस की वजह से दोनो होश में नही थे।पकड़े गए।मैंने उसका पीछा किया फिर जो हुआ वो आपको इन्होंने बताया होगा।
अब बोलो कुछ और सुनना है।
मा को अभी उसका पूरा खेल पलटता हुआ दिखाई दिया।ओ मेरे पैर पड़ने लगी।क्योकि मैं जायदाद का वारिस था,मैं चाहूंगा तो ये लावारिस की तरह घर के बाहर हो जाती।
मैं:रंडी तेरा ये रोज का रंडी रोना हो गया है अभी तुझे थर्ड डिग्री देनी पड़ेगी।(उनको बालो से पकड़ कर बंगले में खींचते हुए लेके आया।)
*आप लोग सोच रहे होंगे की मुझे इतना डिटेल में कैसे मालूम तो भाई बात ये है की कान्ता ने छोटे मामा और मामी की बात और मामा और मा को किसीको फोन से कुछ समझाने की बात करते सुना वो मुझे आके बताई।क्योकि शिवा के घर से आते हुए मैंने शिवा का मोबाईल हथिया लिया था उसने कुसी औरत की कॉल रेकॉर्डिंग मैंने सुनी थी।उसमे शिला(छोटी मामी) के नाम से बात की गयी थी तो पहले मेरा शक मामी पे था पर जब कान्ता की बात सुनी!!
तभी मुझे शॉक लगा की एक बेटा बेटी उतनाही नही एक मा भी जायदाद और हवस के लिए अपने बेटे को और बाप को मरवाने निकली।
मा को नीचे के बडे बैडरूम में आके पटक दिया।दरवाजा बाहर से बंद किया और घर पर बड़ी मामी को कॉल किया।
मैं:बड़ी मामी आपकी ननद मिस सुशीला घर पे है?
बड़ी मामी:नही वो सहेली के शादी में गयी है (मा झूट बोल के यहाँ आई थी।कान्ता को शक हुआ उसने मुझे कॉल किया और मैं स्तिथि समझ गया)कल तक आ जाएगी, पर तुम्हे क्या हुआ?उसे क्यो पूछ रहे हो?
मैं:कुछ नही थोड़ा काम था पिताजि के मामले में(मैं भी झूट बोला)और मुझे आज घर आने को नही होगा।गाँव जेक रिसल्ट लेके आऊंगा।और भी काम है तो कल शाम को मिलते है।