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Adultery माँ का मायका-(incest, Group, Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


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kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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Bahut zabardast update magar yaha to maa ko itna galat dikha shayad ye sagi maa nhi koi to raaz hai
सगी माँ भी हो सकती है....
Everything is possible
 

neer

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Good start
Season १
◆ माँ का मायका◆
(incest,group, suspens)
(Episode-1)
मेरी मा पिताजी का लव मैरेज हुआ था।मा बड़े घर की और पिताजी छोटे गरीब घराने से।नतीजन उन्हें भागकर शादी करनी पड़ी थी।अभी मेरी 12 वि की शिक्षा चालू हो गयी थी।बहुत आगे की पढ़ाई करू ये पिताजी की बहुत इच्छा थी।पिताजी दूसरे शहर में ड्राइवर का काम करते थे।जब बारहवीं का नतीजा आया।वो गांव आने के लिए अपनी काम की गाड़ी लेके निकले पर कभी पहुंचे ही नही।अभी मैं अनाथ मा विधवा।पिताजी की क्रियाकर्म विधि पूरी हुई।दूसरे दिन दरवाजे पर दादा(मा के पिताजी)खड़े दिखे।

मा दादा को देख उनसे रोते हुए बिलक गयी।सबसे छोटी लड़की थी तो मा दादा की बहुत लाडली थी।दादा ने मुझे भी वहां बुलाया और गले से लगाया।आखिरकार वही हुआ जो होना था,मेरे पापा के परिवार से सिर्फ एक ही भाई था और उनकी पत्नी.उनको संतान नही थी।चाची मुझे ही अपना बच्चा मानती थी।उम्र 40 पर गयी थी दोनो की तो अभी संतान होने का कोई निशान न था।दादा ने मा को अपने साथ आने का प्रस्ताव रखा।मा ने उसको बहुत ना नकुर किया।पर बाद में चाचा और चाची के कहे अनुसार ओ मान गयी।शादी के बाद चाचा ने मा को बड़े भाई और चाची ने बड़ी बहन की तरह सहारा दिया था तो वो उनको मना नही कर पाई।
पर अभी सवाल मेरा था।मा का मायका शहर में था।हमारे गांव से कोसो दूर।मुझे वहां से कॉलेज आना जाना नही जमने वाला था।
तो चाची बोली "एग्जाम खत्म होने तक विराज यही रुक लेगा।छुटियो में आ जाएगा।वैसे भी आगे की पढ़ाई तो वो वही करने जाने वाला था।"
सबको ये बात सही लगी।दो दिन बाद मा दादा के साथ अपने मायके निकल गयी।मेरा भी ओ आखरी दिन था कॉलेज का,उसके बाद अगले 1 महीने घर से ही पढ़ाई करनी थी।मै हॉल टिकट ले कर घर आया।

मैं घर में जैसे ही घुसा तो सामने का नजारा बडा कामनिय था।चाची v आकर के पेंटी में मेरे तरफ पिछवाड़ा किये खड़ी थी।

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लग रहा था की अभी स्नान करके आई है।बहुत सुगंध आ रही थी।उस अवस्था में मेरे हाथ में जो किताबे थी वो फट से गिर गयी।

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अभी मेरे सामने 36 साइज के खुले चुचे छुपाते सावले रंग की रेड पेंटी में अधनंगी 43 साल की मजबूत हॉट माल चाची खड़ी थी।कुछ देर जो हुआ उसका हम दोनो को कुछ समझ न आया।हम सिर्फ अपनी कमान (प्रायवेट पार्ट)संभाल रहे थे।तभी चुचो,पेंटी से मेरी नजर घूमते चाची की आँखों में थम सी गयी,क्योकि उनकी नजर एक ही जगह पर रुकी थी और वो जगह मेरी पेंट में बना हुआ टेंट था।क्या कहे उस पल का आनंद नीचेवाले ने झटका देके अपनी खुशी जाहिर की,मन में लड्डू फूटा पर मुझे अजीब फील हुआ और मैं वहां से सीडी चढ़ के ऊपरी मंजिल गया।

(हमारे घर में नीचे हॉल किचन छोटा रूम उसके बाजू में कॉमन बाथरूम और ऊपर एक रूम था जिसमे एक बेड और बाजू में सब समान भरा हुआ(बैडरूम कम स्टोर रूम)था।)

मैं खाना खाने भी नीचे नही आया।पूरा दिन हमने एक दूसरे से आंखे नही मिलाई।आज 18 होने चुका था पर इन अठारह सालो में कभी चाची को देख अइसे विचार नही आये।स्कूल में भी मा के दर से गंदे बच्चो की संगत में नही गया।उसी वजह से मेरे दोस्त भी बहुत कम थे।

रात 9 बजे हम लोगोने खाना खाया।पर खाना खाने पर सिर्फ हम दोनो ही थे,चाचा मुझे दिखाई न दिए।सुबह के हादसे के बाद हम बात नही किये थे,और आगे से बात करू इतनी हिम्मत मुझमे थी नही।मैं खाना खाके उपर जाके सोने गया।करीब 11 बजे चाची ऊपर आके दरवाजा खटखटाने लगी,और पुकार भी रही थी।मैं थोड़ा डर सा गया।मन में बिजली सी चल गयी की "क्या हुआ होगा?"।

मैं दरवाजा खोला चाची नाइटी (मैक्सी जैसा एक लॉन्ग ड्रेस)में मेरे सामने खड़ी थी।मैंने ऊपर से नीचे देखा।सुबह से मेरा नजरिया ही बदल रहा था।पर चाची के चेहरे पर पसीना था।

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चाची:वीरू मुझे नीचे अकेले में डर लगता है।तुम आज चलो न मेरे साथ,चाचा भी कल आएंगे,शहर का काम पूरा करके।

मैं थोड़ा सोच के:ठीक है बड़ी मा मैं आता हु आप आगे चलो मैं आता हु।

मैं चाची को बचपन से ही बड़ी मा बुलाता था।पर अभी की हालाते बदलती नजर आ रही रही।उस टाइम मैं अंडरवेअर में था तो उन्होंने इतना नोटिस नही किया अंधेरे में।मैं शॉर्ट ढूंढा।पर मुझे मिल नही रही थी।चाची ने सीढ़ियों के नीचे आके फिरसे पुकारा तो मैं टॉवल लपेट के उनके साथ सो गया उनके रूम में।
 

neer

Member
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kya baat hai mouke par mouke mil rahe hain
मैं गया तबतक चाची पलंग पे सो चुकी थी।मैं पलंग बोल रहा हु पर वैसे कुछ आलीशान नही था।एक खटिया था जिसे उसने ही दहेज में लाया था।पर बहोत छोटा था।दो लोग सोने के बाद खत्म हो जाता है।

मैं उनके बाजू में जाकर सो गया।बचपन में जब भी चाचा और पिताजी बाहर रहते थे तब मैं चाची के पास सो जाता था।आज भी मैं उसी लिहाजे में उनके करीब सो गया।उनकी तरफ पीठ करके सोया तो मैं नींद में नीचे गिरने लगा ।तो मैंने उनकी तरफ मुह करके सोना सही समझा।जैसे ही मैं घुमा चाची की बालो की खुशबू दिलो दिमाग में घुस गयी।मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था।
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मेरा मन बहोत चंचल था।उसी सुगंध के हवाओ में मुझे सुबह का नजारा याद आने लगा।नींद गहरी नही थी पर सपना तो कैसे भी आ सकता है,चाहे उसमे हकीकत शामिल हो।क्योकि जिंदगी का पहला नजारा था की मैंने किसी औरत को अधनंगा देखा था और मेरे अवजार ने हरकत की थी।

मैं उस हकीकत वाले हसीन कामनिय सपने में इस तरह खो गया उसमे मेरे लन्ड का आकर एकदम से बढ़ गया।टॉवल ढीला था तो आकर बढ़ने के बाद बिखर गया।तो अंडर वेअर के साथ मेरा लन्ड किसी बड़े कोमल से चट्टानों पे घिसने लगा।कुछ देर मैंने मजा लिया।बहुत अच्छा महसूस करने लगा था।अंडरवेअर में मुझे कंफर्टेबल महसूस नही हुआ तो मैंने लन्ड को बाहर निकाल के उस गदरिले चट्टानों पे उसके बीच के दरी में घुमाने,घिसाने लगा।कुछ समय बाद मैं अकड़ सा गया और मेरे लन्डसे पानी निकल गया।पर मैं सपने में था तो मुझे ओ चट्टानों सी बहती नदी की तरह लगा।मैं अभी तक सपने में था।पर जब मुझे गिला महसूस हुआ मैं उठ गया।

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मैं बाथरूम जाके फ्रेश होकर आया तो मुझे सामने दिखा की चाची की पिछवाड़े सब गिला था।नाइटी गांड के छेद में घुसी थी।मुझे अब पूरा मामला समझ आया की सपने में मैंने क्या कर दिया है।

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चाची सोई थी तो मैं भी चुप चाप जाके सो गया।कुछ पल बाद चाची की नींद खुली।मैं फ्रेश हुआ था तो मुझे नींद नही आयी थी।चाची की गीलेपन की वजह से नींद टूटी थी।वो उठ के बैठी और थोड़ा घूम कर जो गीली जगह थी उसको हाथ में लेके सूंघा।और कुछ पल मेरी तरफ देखा।मैं सोने का नाटक कर रहा था।जब उन्होंने मेरी ओर से नजर हटाई तो मैंने आंखे खोली।ओ मेरे लण्ड के पानी को मसल रही थी उंगलियों में,पर उनके चेहरे पर न गुस्सा था न खुशी।ओ कुछ पल एसेही बैठी सोचती रही कुछ और सो गयी।मैं भी निशचिंत होकर सो गया,की मेरी गलती पकड़ी नही गयी।

सुबह के टाइम नाश्ता करने के बाद मैं पढाई कर रहा था।चाची घर की रोजाना की तरह सफाई कर रहा था।फरवरी था तो ऊपरी कमरे में गर्मी रहती है तो मैं चाचा चाची के रूम में पढ़ाई कर रहा था।चाची हमेशा देर से नहाती थी,क्योकि घर की साफ सफाई करनी रहती थी।बाहर का साफसफाई पूरा होने के बाद मुख्य द्वार बन्द कर के वो कमरे में आ गयी।उनका बदन पसीना पसीना था।अभी सिर्फ उनके कमरे की ही सफाई बाकी थी जहाँपर मैं पढ़ाई कर रहा था।मैं पलंग पे था।चाची रूम के अंदर आते ही।हवाई खाने लगी।उनको बहुत गर्मी सी लग रही थी।उन्होंने साड़ी जो पहनी थी उसको निकाल दिया।

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अभी वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी।उन्होंने सारा समान जो रूम में बिखरा पड़ा था वो समेट लिया।और जो अलमारी में रखना था उसे लेकर अलमारी खोलने गयी।पर पेटीकोट की नाड़ी अलमारी के दरवाजे में फसी और पेटीकोट नीचे गिर गया।उनको संभालने का मौका ही नही मिला।उन्होंने झट से पीछे देखा तो मैं उनको नीचे गर्दन झुकाए दिखाई दिया।ओ वैसे ही पेंटी में अपना काम चालू रखी।

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झुक कर पढ़ाई करनेसे मेरी कमर दुखने लगी तो मैंने अंगड़ाई ली तभी सामने का नजारा देख कर मैं अइसे ही देखता रह गया।अलमारी का एक दरवाजा जिसपर शीशा होता है ओ बंद था तो मैं चाची को घूर रहा हु ये चाची ने नोटिस किया।पर वो वैसे ही काम में लगी रही।

पर कल जैसे उन्होंने खुदको ढकने की कोशिश नही की।ऊपर से गांड को मजबूर तरीकेसे हिला मचल रही थी।मैं अभी एकदम से ठंडा पड़ गया।
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लन्ड उत्तेजना से खड़ा हो गया।मेरी ये हालत देख चाची मुस्करा रही थी।उन्हें इसका मजा आ रहा था।वो वैसे ही कमर को झटके देते हुई गांड मटकाते हुए अलमारी बन्द करके वहां से बाहर निकल गयी।

मैं झट से उठा और बाथरूम चला गया और पेंट अंडरवेअर के साथ निकाल दिया।देखा तो लन्ड लोहा हो गया था।मैंने लण्ड को बहोत दबाया।की ओ जैसे थे हो जाए।मैं इस खेल पे कच्चा खिलाड़ी था।मुझे मालूम नही था की कैसे भड़के हुए लन्ड को शांत किया जाता है।तभी मेरे सामने के शीशे में मुझे चाची दिखाई दी।मुझे तब अहसास हो गया की जल्दबाजी में मैंने दरवाजा बन्द ही नही किया।मैं अचानक से चाची की तरफ घूम गया।

पर चाची का रिएक्शन मेरी हवाइयां उड़ाने वाला था।

चाची:अरे वीरू ये क्या हुआ?तेरे लुल्ली को क्या हुआ?

चाची को इतनी खुल के बाते करके सुन मुझे भी सुकून आ गया।कलसे जो अपराधी से महसूस हो रहा था उससे मैं थोड़ा बाहर आ गया।और जो था सब बकने लगा।

मैं:क्या मालूम चाची जब भी आपके पिछवाड़े को देखता हु मेरी लुल्ली अइसे हो जाती है।

चाची ये सुन के चौक सी गयी और अपनी गांड घूमाते हुई बोली:ये वाला हिस्सा?

जैसे ही वो घूम जाती है वैसे ही मेरा लन्ड भी झटका खाता है।उस झटके को देख चाची आपमे ओंठ दांतो तले चबाती है।

चाची:उसका कुछ कर नही तो तबियत बिगड़ जाएगी तेरी।

बीमारी होने की आशंका से ही मैं कंप सा गया।पर क्या करू मुझे मालूम न था।
मैं:क्या करू पर।कल से ट्राय कर रहा हु।कुछ नही हो रहा।बहुत दर्द भी होता है।इससे तो मेरी पढ़ाई भी नही होगी।

चाची:मैं तेरी हेल्प कर दूंगी पर किसीको बताना नही।नही तो लोगो को मुह दिखाने लायक नही रहेगा तू।

मैं:नही चाची किसीको नही बताऊंगा।
 

Ankitshrivastava

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To nidhi bhi chud gai....bahut khoob....sab randi hi hai....

जैसे ही मैं बाहर निकला मुझे सामने मा दिखी।मैं उन्हें कुछ बोलू उससे पहले वो झट से नीचे चली गयी।मुझे देखते ही उनके माथे पर हुए शिकंजी साफ बयान दे रही थी की उनसे जानभुज कर गलती हुई है।


Maa ka reaction kafi kuch kah gaya....ho na ho ye line cross kar gai..wo bhi bahut jyada....

May b ab bete ki jaan ke piche ho...par kaise mumkin hai...??

Ek maa ka bete ko hi marwana....doubt jyada gahra gaya ki kya ye asli maa hai ?????

पर इस बात से मा छोटी मामी जरूर नाराज थी।


Maa chud gai dono ki...choti mami ko kam se kam uske pati aur bete ka sahara hai....par maa ka kya.,.maa ki maa to tareeke se chud gai.....hahaha....

Ab dekhna ye hai ki kya ek aourat..apni wasna aur paison ki chahat me itna gir sakti hai ki apne hi bete
ki jaan ki dushman ho gai...???

ya fir rishta hi nhi kuch....maa-bete ka...???

Dekhte h next update me kya milta hai...reading now...

Keep rocking.....
 

Ankitshrivastava

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Sabse pahle to ye kahuga ki veeru ki maa ne aisa kiya kyo....wo asli h ya nakli...???

Kaisi bhi ho...but maa to hai hi...aur usse pahle ek aourat...

Agar aourat chahe to kuch bhi kar sakti hai...ya karwa sakti hai....

Wo chahti to galti hone ke baad bhi veeru ko apne jhaanse me le sakti thi...bhale hi baar-baar maafi maag kar...aur use pyaar dikha kar....

Mana ki veeru hoshiyaar hai...but baar-baar maafi magne par wo pighal hi jata...ek mard hai na...aourat ke saamne, der se sahi but pighal jata hai...

Aur ye to uske liye uski maa hai...to baar-baar maafi aur pyaar se wo maan bhi jata...

Aur chudaai to usne veeru se kar hi li thi...to aage bhi karti rahti....hawas ka ilaaj bhi mil jata....

To fir kyo achanak se itna gir gai....use chudaai aur beta dono hi mil sakte the..to kyo ????

Iska jawaab jaroor janna chahuga....

सारे 12 वी पढ़े हुए उसमे से भी 2 फेल।मैं भी 12 वी करके आगे पढ़ाई करने वाला था।पर इनके बायो डेटा से लग रहा था की इनकी पढ़ाई काफी साल पहले ही बंद हुई है।

Ab randi palna hai to padhai ka kya roll...hahaha....

सियाराम खुर्ची पे बैठा था।शारदा अंदर के रूम की दरवाजे पे थी।और टांग टूटा हुआ शिवा पलँग पे बैठा था और उसके बाजू में मा।

Wah....lagta hai chudaai ki taiyaari me juti thi..ki siva thoda garam ho aur lund khaya jaaye.....

मैं:मैं उस अय्याश खून की प्यासी मा से बात कर रहा हु जिसने जायदाद और चुत की हवस के लिए अपने बेटे को बौर बाप को भी मारने की कोशिश की।

Ek baap...jiski wajah se ye duniya me aai...aur ek beta...jisko ye khud duniya me laai (agar asli maa hai to)...

Aur agar inhi ko marne ka socha to ye insaan jeene layak nhi...ise mout milni hi chahiye...par aasaan mout nhi....dard se bhi jyada dardnaak mout....ye khyaal rakhna mr.sexy webee....

मा को नीचे के बडे बैडरूम में आके पटक दिया।दरवाजा बाहर से बंद किया और घर पर बड़ी मामी को कॉल किया।

मैं:बड़ी मामी आपकी ननद मिस सुशीला घर पे है?

बड़ी मामी:नही वो सहेली के शादी में गयी है (मा झूट बोल के यहाँ आई थी।कान्ता को शक हुआ उसने मुझे कॉल किया और मैं स्तिथि समझ गया)कल तक आ जाएगी,

Saali puri raat chudne ki planning kar ke aai thi....

Ab chodo randi ko.....aur aisa chudo ki choot bhi lund ka naam sun kar muh band kar le....

Waiting for 3rd degree....nirash mat karna....

Keep rocking.....
 
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