Bhai sch me yr maza gya khus kr diy bahut hi kamuk update h & sorry yr meir updates me comment ni kr paya usk liy(Episode 3)
कांता का अचानक से मायके जाना और उसी दिन इन तीनो रंडियों का बाहर काम के लिए जाना किधर न किफ़हर मेरे दिल को खटक रहा था।कांता ने अइसे कुछ मुझे बताया भी नही था।कुछ तो खिचड़ी पक रही है।अभी इसका पता कांता के पास ही होगा।
सुबह कांता अपने समय पर मेरे कमरे में दाखिल हुई।मैं बाथरूम से नहा कर बाहर आ रहा था।
मैं:अरे कांता आ गयी,कल कहा थी?दिखी नही।
कांता:बाबूजी मायके चली गयी थी कुछ काम था।
मैं:क्या काम आया जो मुझे बिना कुछ बताए जाना पड़ा वो भी एक ही रात में।
कांता:यहाँ से जाने के बाद ही कॉल आया तो चली गयी सुबह।
मुझे अभी साफ साफ मालूम हो रहा था की दाल में काला नही पूरी दाल काली है।नही नही पूरी दाल जल चुकी है।अब डर ये था की इस रंडी ने मेरे बारे में मुह न खोल दिया हो।पर मैंने अपना डर चेहरे पे नही दिखाया।कांता का मायका जिस गांव में था वहां पे नेटवर्क नही है और STD से कॉल करते है लोग।और इतनी रात कोई STD थोड़ी खुला रखेगा।मैंने कांता को बड़ी गौर से निहारा तो उसकी आंखे भिनभिना रही थी।उसकी आंखे ये बया कर रही थी की " मैं झूठ बोल रही हु"।
मेरे अंदर थोड़ा डर से था उसका परिवर्तन गुस्से में हो गया।
मैं उसके पास गया और उसका मुह दबोचा और गुस्से में उसके मुह में थूक दिया।
मैं:ये रंडिया तू मेरे थूक के बराबर है।मेरे से शान पन्ति नही करने का।बोल किधर गांड मरवाने गयी थी।
कांता:बाबू दर्द हो रहा है छोड़ो आआह
मैं:ये सिर्फ ट्रेलर है।अगर तू बिना समय गवाए बकना चालू नही की तो ये दर्द गांड में भी हो सकता है।
कांता:ठीक है बताती हु बताती आआह हु आए।
(मैंने उसको सीधा किया।और वो मुह को सहलाते हुए।दर्द में बोलने लगी)
कांता:मैं दीदी और दोनो मेहसाब मेरे भाई से मिलने गए थे।
मैं:क्यो??!!?!!
कांता:उनको शक हो गया की अचानक से मेरा भाई गायब हुआ तो उनको शक हो गया की जो फ़ोटो है वो उसने खिंचवाए जिससे वो उनको ब्लैकमेल कर सके।
मैं:तो भाई मिला??!!
कांता:नही!!वो कब का शहर छोड़ चुका है।मैंने उनको बताया पर वो मानने को तैयार नही।
मैं:ठीक है,पर फिरसे अइसी बाते छुपाने की कोशिश की तो तुम्हे ही महँगा पड़ेगा।
कांता:माफ करना मैं डर गयी थीकी आप चिल्लाओगे।
मैं:फिर अभी क्या आरती उतारी क्या?उस दिन तुहि बोली की मुझपे भरोसा क्यो नही?इसका जवाब तूने खुद ही दे दिया।तू भूल मत मेरी नजर सब पर है।
कांता का मुह अभी सहम सा गया।उसको अपनी गलती समझ आ गयी।
दोपहर को मैं खाना खाने के बाद सोया हुआ था।तभी कुछ आवाजे आने लगी,बाहर देखा तो नाना और मामा आ गए थे।मुझे नाना ने ऊपर देखा और नीचे बुलाया।
नाना:क्यो वीरू कैसा है?कैसा लग रहा है यहाँ?
मैं:बहोत ही मजा आ रहा है नाना।एकदम बढ़िया।
(नाना ने बड़ी मामी को पुकारा।)
नाना:बड़ी बहु आज रात को काम के सिलसिले में पार्टी रखी है।ज्यादा नही कुछ 5 6 मेहमान आएंगे।पर सारे बहोत महत्वपूर्ण है तो कोई चूक नही होनी चाहिए उनके खातिरदारी में।
बड़ी मामी:जी पिताजी जैसा आप कहे।
(इतना बोल के नाना वह से अपने कमरे में चले गए।छोटी मामा भी मामी के साथ रूम में निकल लिए।बड़े मामा ने फिरसे बड़ी मामी को टोकते हुए बोला)
बड़े मामा:सुना न पिता जी ने क्या कहाँ।कोई गलती नही।पहले ही बता दे रहा हु।करोड़ो का व्यवहार है।
बड़ी मामी सर नीचे कर सिर्फ मुंडी हिलाई।और किचन में चली गयी।
बड़े मामा:क्यो विराज आगे क्या करने वाले हो।कुछ सोचा की नही।
(मैं तो चौक सा गया।जबसे हम मिले है मामा ने पहली बार बात की वो भी हस्ते हुए।मैं तो अंदर से खुश हुआ।)
मै:कुछ ठीक से सोचा नही है बड़े मामा पर पहले ग्रेजुएशन पूरा करने का सोच रहा हु।
बड़े मामा:अच्छी बात है।पढ़ो और आगे बढ़ो आराम में कुछ नही रखा है।
मैन हस्ते हुए हामी भर दी।वो अपने कमरे में निकल लिए।
(मैं मनमें-बात सही है आपकी मामा पर कभी कभी आराम के नाम पर घरवालों को भी समय देना चाहिए।अगर आप अयसेही व्यस्त रहोगे तो मामी रंडियाबाजी ही करेगी।उनकी जितनी गलती है उतनी आपकी भी है।)
मैं वह से ऊपर चढ़ रहा था सीडीओ से तो सामने छोटी मामी खड़ी थी।
छोटी मामी:सबको अपने वश में कर रहे हो।जायदाद हड़पने का इरादा लगता है तेरा।पर ये जान लो ये शिला अभी जिंदा है।
मैं:आपकी जायदाद आपको मुबारक।अइसे चीजो से वीरू कोई मतलब नही रखता।और रही बात आपकी खड़े लोगो को झुकाना और तबियत से ठुकाणा अपनी पुरानी आदत है।बच्चा समझ कर हल्के में न लो।अपना भी तगड़ा है।
(मेरी डबल मिनिग बाते सुनके वो भिचक गयी।वो आगे कुछ बोले बिना चली गयी।)
शाम को पार्टी चालू हो गयी।हॉल के बीचो बीच दारू ,चिकन और अइसे ही चीजो की मेज लगीं थी।औरते एक साइड और मर्द एक बाजू में अपनी बातों में मशगूल थे।
मा भी बड़े मजे से पार्टी एन्जॉय कर रही थी।मुझे देख के मुझे भी नीचे बुलाया।और सबसे पहचान करवाई।मा सबको पहचानती थी।पर मैं उन लोगो में खुदको "Uncomfortable" सा महसूस कर रहा था।तो वहां से बाहर गार्डन में आ गया।वहाँ पे संजू और भाभी बैठी हुई थी।
संजू:अरे वीरू आजा आजा तुभी खेल हमारे साथ।
मैं उनके पास चला गया।देखा तो सामने एक दारु की खाली बोतल थी।
मैं:दीदी आप भी !!?!!
(दोनो मेरे सवाल से एकदूसरे को चौक के देखने लगी फिर मेरी नजर को ताड कर देखा तो उनकी नजर बोतल पर गयी।उनको परिस्थिति का अहसास हुआ और दोनो एकसाथ हस्ते हुए"नही बाबा" बोली।)
भाभी:अरे देवर जी ये खाली बोतल खेलने के लिए लाये है।आप बैठो नीचे।
(हम बंगले से काफी दूर और निचले हिस्से में थे जहा से हम बंगले को देख सकते थे पर बंगले से कोई हमे नही देख सकता था।)
मैं:ये कौनसा खेल है?
संजू:मैं तुम्हे समजाती हु-इसे ट्रुथ और डेयर कहते है।बोतल का मुह वाला साइड आया तो उसे बाकी के लोग ट्रुथ या डेयर पूछते है।अगर उसने ट्रुथ बोला तो उसे सच बोलना होता है और डेयर बोला तो जो हम बोलेंगे वो करना होता है।पर हमारा अलग है यहां तुम्हे दोनो करना पड़ेगा।
मैं:बड़ा मजेदार खेल है।चलो खेलते है।
बोतल घूमी।भाभी के पास आया।
मैंने सवाल किया: सच बताओ मेरे साथ चुदने के लिए तुम्हे इच्छा हुई थी या कोई और कारण है?
भाभी ने संजू के पास देखा।संजू बताने से मना कर रही थी।
मैं:भाभी रूल रूल है झूट नही बोलना।
सिद्धि भाभी:सॉरी संजू!!!वो क्या है देवर जी।उस दिन मैं संजू के साथ यही गेम खेल रही थी।तो संजू ने आपसे चुदने का डेयर दिया था।इसलिए
मैं:अच्छा अइसी बात है।मतलब ये रोज का खेल है तो।
(दोनो एकदूसरे को देख हसने लगे)
संजू:अभी मेरी बारी।भाभी तैयार हो डेयर के लिए।
सिद्धि भाभी:जी मैडम जी।बोलो।
संजू:मेरी गांड चाटनी है आपको।
सिद्धि भाभी:ठीक है
संजू अपना पैजामा पेंटी के साथ नीचे खिसक कर घोड़ी की तरह तैयार होकर गांड भाभी की तरह मोड़ देती है। भाभी उसकी चूतड़ को फैला कर अपनी जीभ घुसा दी।उनके गांड चाटने के बाद संजू ने अपना पूरा पैजामा उतार दिया।
अगला टर्न मेरे पास आया।
संजू:वीरू पहिली चुदाई किसके साथ की तूने?
मैं थोडक़ झिझक से गया ।पर पूरी हिम्मत जुटा के बोला:चाची के साथ।
सिद्धि भाभी:कौन??
मैं:मेरे बड़े चाचा की बीवी,जिसके साथ मैं रहता था।
संजू:क्या सच में?
सिद्धि भाभी:ये तो बहोत कमाल की बात सुनी आज हमने।
मैं:उसमे कमाल क्या,तुम औरत हो वैसे वो भी है ।उनकी भी जरूरत हो सकती है चुदाई।
दोनो ने"हम्म"किया।
सिद्धि भाभी:अभी तुम मेरी गांड को चाटो।
सिद्धि भाभी मेरे सामने नीचे से साड़ी उठा के घोड़ी बन गयी।उनका काले गहरे रंग का गांड का छेद बडा सुहाना लग रहा था।मैंने उनके गांड के छेद पर जीभ लगाई तो ओ सिहर गयी।मैं जीभ से गांड को चाटने लगा।वो भी आगे पीछे होकर मजे ले रही थी।
नेक्स्ट टाइम फिरसे मेरे पास आया।
संजू:इस घरमे तेरा लण्ड लेने वाली पहिली मैं हु न?
मैं:नही।
दोनो चौक गए।
दोनो एक ही स्वर में "फिर कौन?"
मैं:कांता चाची!!!
सिद्धि भाभी:ये कांता तो बहोत शातिर निकली।पहले ही हाथ साफ कर गयी।चल संजू अभी तेरा नेकलेस मेरा।
संजू:हा हा ठीक है दे दूंगी।
मैं:रुको रुको ये मसला क्या है मुझे बताओ तो सही।
सिद्धि भाभी:मैं बता देती हु।संजू ने मुझसे शर्त लगाई थी की तू पहली बार जिसको चोदा वो खुशकिस्मत संजू है।और मैं बोली जिस तरह देवर जी चोदते है वैसे तो वो पक्के खिलाड़ी लगते है।उन्होंने किसी न किसी को तो हमसे पहले मजे दिए ही होंगे।
मैं हसने लगा:अच्छा अइसी बात है।ठीक है ठीक है।
संजू:अगर कांता इस खेल में शामिल है तो मेरी भी एक इच्छा है।
मैं और भाभी संजू को आश्चर्य से देखने लगे।
मैं:अभी क्या बाकी रह गया।
संजू:हमने सिंगल और थ्रीसम कर लिया।मुझे अभी फोरसम करना है।
सिद्धि भाभी:संजू अभी पोर्न देखना कम कर,सेहत के लिए ठीक नही।
"और इसकी दिमाग के लिए भी"मैंने भी बीच में टोंट दे डाला।
भाभी इस बात पे हसने लगी।संजू तिलमिला गयी।
संजू:तुम लोग चुप रहो कुछ नही होता।तू सिर्फ बता तू करेगा या नही।
मैं:मैं तुम्हे बता दूंगा ।
तभी भाभी को मेरी मा बुला लेती है।हम भी उनके साथ ही चले जाते है।
महमान आज हमारे ही घर रहने वाले थे।मर्दो की रातभर मीटिंग होने वाली थी।उनकी पत्निया रूम में सोने गयी थी।उनके छोटे बच्चो को रवि भैया और सिद्धि भाभी के रूम में सुलाया।सिद्धि भाभी और संजू संजू के कमरे में।छोटी मामी और मा के कमरे में दो लोग।अभी बचे थे मैं बड़ी मामी और दो और औरते उनको बड़े मामी के कमरे में सुलाया।
मैं अभी भी बाहर ही टहल रहा था।मीटिंग टेरेस पे थी।सभी मामा नाना वगेरा उधर ही थे।मुझे नाना ने नीचे टहलते देखा तो सोने को कहा।
मैं अंदर गया तो रास्ते में कान्ता मिल गयी।
कांता:क्यो बाबू जी आज तो मजे है।
मैं:किस बात के?
कांता:आज आपके कमरे में कोई और भी सोएगा।
मैं:कौन?तुम?क्यो पति ने घर से निकाल दिया क्या।
कांता:अरे नही,बड़ी मेमसाब
मुझे 40 वोल्टेज का झटका लगा:क्या?क्यो पर?
कांता:अरे वो महमान आये है उनको औऱ उनके बच्चो के लिए सब कमरे भर गए।लास्ट में जो औरते बची थी दोनो को बड़ी मेमसाब का कमरा पसंद आया।तो वो उधर सो गयी।अभी सिर्फ तुम्हारा और नाना जी का कमरा है।अभी किसी की हिम्मत नही की नाना जी के कमरे में जाए।तो वो तुम्हारे कमरे में सोएगी।मजे करना
मैं:कैसे मजे!!मुझसे न हों पायेगा उनके साथ चुदाई करना।तू बोली सही है पर अगर वो गुस्सा हो गयी और चिल्ला दी तो।
कांता:अरे कुछ नही होगा।बस AC को 16 पर रख देना।बड़े साब और मेमसाब को 20 के नीचे की ठंड नही जमती।
मैं:मैं कोशिश करता हु।पर डर तो लग रहा है बहुत।
मुझे बड़ी मामी पुकारती है।
कांता:जाओ जाओ कुछ नही होगा,जाओ
और वो वहा से निकल गयी अपने घर।
मैं अपने कमरे में चला गया।उधर बड़ी मामी अपना बिस्तर सेट कर रही थी।
ब ममी:देख विराज आज घर में ज्यादा महमान है तो मैं तुम्हारे साथ सोऊंगी।
"मैं तेरे साथ सोऊंगी "ये मेरे मन को छू गया।मैं उनको देखते ही रह गया।
वो समझ गयी की ओ क्या बोल गयी है।पर उन्होंने बिना किसी रिएक्शन के फिरसे पूछा:तुम्हे कोई एतराज?!?!
मैं:नही मामी कोई बात नही एक ही रात की बात है।
मैं बाथ रूम गया।बाहर आया।तो मामी चद्दर बेड पर सो गयी थी।मैं बाहर के उलझन में पड़ गया।क्योकि मुझे ज्यादा कपड़ो में सोने की आदत नही थी।
मुझे उलझन में देख बड़ी मामी बोली:क्या हुआ कुछ परेशानी है क्या।
मैं:वो मामी मुझे इतने कपड़ो में सोने की आदत नही है।
मामी मुस्कराते हुए:अरे फिर निकाल दे,मुझे कोई आपत्ति नही है,जैसे तू रोज सोता है सो सकता है।
मैन शोर्ट और त शर्ट निकाला।और मामी के साइड में सो गया।रात गए आदत से मेरा लण्ड तन गया।और मामी मेरे से पीठ करके सोई थी।मेरा बेड इतना बड़ा नही था।पीठ के बल सोया था पर लन्ड तन जाने की वजह से मुझे बहुत अजीब से लगने लगा।मैं मामी के पीठ को पीठ लगाए सोया पर नींद में मेरा बैलेंस गिरने लगा।अभी तो मेरी नींद ही उड़ गयी।
"लण्ड खड़ा था,मसला बहोत बड़ा था,
अभी क्या करू,वीरू उसी उलझन पे पड़ा था।"
मैं हिम्मत जुटा के उनके साइड मुह करके सोया।और मेरे विचार अनुरूप मेरा लण्ड उनके गांड को छूने लगा।मैं अपने लण्ड को बहोत जोर लगा के साइड में सेट करने लगा।पर वो फिरसे खड़ा हो रहा था।तभी मामी हिली।16 के टेम्परेचर में मामी तो सो गयी पर अभी मुझे पसीने छूटने लगे।आखिरकार कैसे वैसे मेरा लण्ड थोड़ा साइड हुआ।
मैं डर की वजह से थोड़ा थक गया था।
जैसे ही मेरी नींद लगने वाली थी ,मुझे मामी के हाथ का स्पर्श हुआ।ओ मेरे सेट किये हुए खड़े लंड को फिरसे अपनी गांड की छेद में डाल रही थी।और गांड हिला रही थी।मेरा लण्ड उससे और गर्म हो रहा था।वो जोर जोर से घिस रही थी।मैं सोचा अभी खुद ही चाहती है तो मुझे डर कैसा।
मैंने पैर से उनका पल्लू ऊपर खींचा।अंदर पेंटी नही थी।मैं तो चौक ही गया।मतलब 16 का टेम्प्रेचर वगेरा ,मामी का यहां सोने आना सब प्लान था,और जहाँतक मुझे लगा इसमे कान्ता का हाथ है।क्योकि 16 की ठंड से चुत हो या लण्ड गर्म हो जाते है रोमांच से और दूसरी शक करने की बात ये की कान्ता के हिसाब से मामी अभी तक ठंड से कंप नही रही थी।
पर मुझे उससे क्या।बोला जाए तो ये प्लान मेरा और मामी को मिलन कराने हेतु था।तो मैंने भी बिना देर गवाए ।मामी का पल्लू कमर तक ऊपर खींचा हलाकी मामी ने भी उसके लिए साथ दिया।
मैंने उनके चुत में उंगली डाली और अंदर बाहर किया जिससे मुझे छेद का अंदाजा हुआ।मामी की मुह से "आआह आआह"निकल रहा था।मैंने थोड़ा टेढ़ा होकर लण्ड चुत में घिसाने की कोशिश की पर मुझे कम जगह की वजह से बेलेंस नही हो रहा था।तो मामी थोड़ा टेढ़ी हो गयी।
अभी लंड तो चुत पर सेट हो गया।मैंने आहिस्ता आहिस्ता धक्के देना चालू किया।
"आआह उम्म आआह आआह उमामा"
मैंने उनके ब्लाउज को निकाला और चुचो को मसलने लगा।उनके निप्पल्स खींचने लगा।
"आआह वीरू धीमे से आआह दर्द हो रहा हैआआह"
मैने चुत में लंड के धक्कों का स्पीड बढा दिया।
"आआह वीरू धीरे आआह आआह उम्म आआह सीईई आठ उम्म वीरू आराम से आआह"
उनकी चिल्लाहट से लग रहा है की ये खानदानी रंडी नही है।बस आग बुझती है।
मैं उनको बड़े मजे से चोद रहा था।मुझे लगा की मेरा झड़ने वाला है मैंने लण्ड बाहर निकाला और बेड पे ही झड़ गया।मेरा लण्ड बाहर निकलते ही मामी मेरी तरफ घूमी औऱ मुझे अपनी बाहों में कस ली।मेरा लण्ड उनकी चुत को घिस रहा था।मैं उनके ऊपर चढ़ गया।और उनके ओंठो को के पास ओंठ लेके गया।उन्होंने मुह हटा दिया।
बड़ी मामी:वीरू नही मुझे अजीब सा लग रहा है।मत करो।
पर मैं सुनने वाला कहा था।मुझे तो औरतो के ओंठो को चूसना उतना ही पसंद था जितना उनकी चुत।
मैने उनका मुह अपनी तरफ किया।उनके लब्ज कांप रहे थे।उनकी गर्म सांसे मुझे और गर्म कर रही थी।मैंने उनके लब्जो को चूमा।फिर उसपे जीभ घूमाने लगा।क्या स्वाद था।उनके चुचे भी मेरे हाथ में थे।ज्यादा बड़े नही थे पर बहोत मस्त थे।मैंने अभी उनके ओंठो को अपने ओंठो के कब्जे में किया और चुसने लगा।उन्होंने भी मुझे साथ देते हुए।कस के पकड़ा।मैने उनकी जीभ अपने मुह में लेके चुसनी चालू की।
फिर नीचे सरका उनके चुचो को चाटने लगा।उनके निप्पल्स पे जीभ घूम रही थी।निप्पल्स को बीच में ओंठो से खींच के चुसने में बहोत मजा आ रहा था।जब एक चूचा मुह में चूस रहा था।तो दूसरा चुचे को मसल रहा था।मामी आंनद से सिसक रही थी।
मैं और नीचे सरका तो गर्मी और बढ़ गयी ।उनकी गीली चुत आग झोंक रही थी।मैंने उनके चुत के लब्जो को सरकाया और उंगली से चुत को चोदने लगा।
वो"उम्म अहह आआह सीईई वीरू जरा संभल के आआह आआह"
मैंने चुत के बाहर से जीभ घूमाना चालू किया।जैसे ही चुत फैल गयी मैंने जीभ चुत के छेद में डाल दिया और घूमने लगा।मामी पूरी गर्मा गयी थी।वो गांड हिला रही थी।उनके शरीर में पूरी खुजली सी उठी हो वैसे तिलमिलरहि थी।मैंने उनके चुत के लब्जो को चुसने लगा।उनका वो खट्टा मीठा स्वाद मुझे बहोत पसन्द आ रहा था।
अभी मेरा लण्ड पूरा तन गया था।मैंने लण्ड को सेट किया चुत के छेद पर और अंदर धक्का लगा दिया।
"आआह हाय दैया मर गयी भगवान उफ आआह उम्म अम्मा ओ फक आआह उम्म"
मैं थोड़ी देर रुका।उनकी चिल्लाहट थोड़ी ज्यादा हो रही थी तो मैंने उनके ओंठो को अपने ओंठो दे लॉक किया।उन्होंने कशमकश में मुझे बहोत कस के जखड लिया।
अभी मैंने पूरे जोरो शोरो से धक्के जड़ना चालू किया।ओ बस मेरे ओंठ चूसे जा रही थी।बीच बीच में उनकी सिकरिया छोड़ रही थी।
"आआह और अंदर आ फक मि उम्म आआह वीरू और चोद जो ओओओ ररररर आया सीआह आआह"
मामी अभी झड़ गयी थी।पर मैं उनको चोदता रहा।ओ वैसे ही मुझे कस के पकड़े धक्के खाती रही।जब मैं झड़ने आया तो मैंने उनको छोड़ने बोला।
ब मामी:नही मेरे अंदर ही छोड़ दे मुझे बहुत अच्छा लगता है कोई लण्ड का रस छोड़ दे मेरे चुत में तो।
मैंने पूरा रस अंदर झड दिया।और साइड हो गया।मामी मेरे से लपक के सो गयी।
ब मामी: वीरू कहा था इतने दिन,तेरे लण्ड ने बहोत सुख दिया मुझे,मन करता है दिन रात चुत में तेरे लण्ड से कुटाई करती रही।
मैं उनके चुचे सहलाते हुए:अभी आ गया हु न अभी जब चाहो आके चुदवा लेना।
मामी ने मेरे ओंठ पे चुम्मी देदी।
मैं:बहोत स्वादिष्ट है।और एक मिलेगा।
ब मामी मुस्करा के फिरसे एक ओंठ पे चुम्मा देदी।पर इस बार ओ वैसे हो ओंठ चिपकाए रखी।
बड़ी मामी:और चाहिए।
मैं:हा ,पर मेरे लण्ड पे।
बड़ी मामी:अच्छा जी ठीक है।
बड़ी मामी ने पूरा कपड़ा निकाला।और मेरे लण्ड के पास गयी।मेरे लण्ड को चद्दर से पोंछा और मुह में लेके चुसने लगी।
लण्ड भी उनके मुह के चुसाई से खुश होकर सलामी देते हुए तन गया।मामी खड़े लण्ड को चूमने लगी।
ब मामी:और कहा चूमना है।
मैं:अभी चूमना बस हो गया उसे शांत कराओ।मैं चुम्मे से खुश हो जाऊंगा पर उसे चुत चाहिए।
मामी हस दी और ऊपर चढ़ के लण्ड पे फट से बैठ गयी।पर झट से बैठने से लण्ड सनक से अंदर घिस गया
"आहुच आआह अम्मा आआह सीईई"उसकी सिस्की निकली।
लंड को अपने अंदर घुमा रही थी। ओ ऊपर नीचे हो रही थी।
मैं:क्यो मामी मजा आ रहा है।
ब मामी: बहोत आआह मजा आ रहा है।उम्म आआह"
आआह और अंदर आ फक मि उम्म आआह वीरू और चोद जो ओओओ ररररर आया सीआह आआह"
मैन उनके सर को नीचे कर के एक ओंठ पर चुम्मी लेली।और नीचे से जोर जोर से गांड उठा के उनको चोदने लगा।
अभी ओ रोमांचित हुई।धक्के की वजह से बैलेंस न बिगड़े इसलिए मुझे कस के बाहों में जखड लिया।हम दोनो का काम रस एकसाथ बह गया।
मामी बाजू होकर सो गयी।मैं उनको चिपक कर आंखे बन्द कर लिया।अभी दोनो थक चुके थे तो नींद भी फट से आ गयी।
Disclosure: कहानी में उपयोगित सभी चित्र (photo) एवम चलचित्र(gif or vids)इंटरनेट से संशोधित है।एडमिन और उसकी टीम चाहे तो हटा सकती है।पर बाकी कहानी के अंग रूपरेशा ©MRsexywebee के है।
maza aagya bhai sch me(Episode 5)
सुबह हम जल्दी उठ गए थे।छोटी मामी छोड़ बाकीऔरते सुबह ही गेस्ट हाउस पोहोंच गयी थी नाना के साथ।छोटे मामा मामी तो वैसे भी मेरे किसी खुशी में रुचि नही रखते थे।पर मुझे भी उनको तंग करना अच्छा नही लग रहा था।सुबह मैं मामी के कमरे में गया।
मामी:क्या है अभी,क्या चाहिए तुझे।
मै:ये आपके कागजाद!!!!
मामी को कागजाद सौंप दिए और वहा से निकलने लगा।
मामी ने रोका:रुक वीरू!ये क्या कैसे।अचानक!मुझे कुछ विश्वास ही नही हो रहा।
मैं:मामी मुझे आपसे कोई दुश्मनी नही,बस थोड़ा सावधान था तो बर्ताव में बदलाव किया था।कुछ गलत बोला हो तो माफ कर देना।
मामी:अरे नही गलती तो हमसे हुई,हमे तुम्हे जाने बिना बदसलूकी की।
मैं:चलो अभी तो साफ हो गये गिलाशिकवे तो आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते।
मामी:अरे वीरू रुक तो सही।अभी गिलेशिकवे दूर हो गए तो दोस्ती कर ले।
मैं:मैं अयसेही किसीसे दोस्ती नही करता।आपके लिए सोचूंगा फिर कभी।
मामी:अरे तुम बहोत ही बुरा मान गये।चलो आओ बैठो।मैं कुछ तोफा लाती हु।
मै:नही मामी,देर हो जाएगी।सभी लोग गेस्ट हाउस गए है।
मामी:शादी दोपहर 2 बजे है अभी 9 बजे है।बहोत ज्यादा टाइम है।तुम बैठो तो सही ।
मैं बेड पे बैठ गया।और मामी की राह देखने लगा।कुछ देर बाद मामी बाहर आयी।पूरी नंगी।
मैं:मामी ये क्या है।नही ये सब अभी मत करो,इसके लिए ये सही वक्त नही है।
मामी:वीरू इसका कोई वक्त नही होता।(उन्होने चुत को मसला।)जब आग लगे चुदवा लेना चाहिए।तू चोदता बड़ा मस्त है।अबतक थोड़ा ईगो था इसलिए नही तो तेरे से मजे लेके चुदवाने का मन था।
मैं:पर अभी कैसे,ये वक्त नही है ये।बाद में कभी सोचेंगे।
मैं उठ कर जाने लगा।मामी मेरे पास आयी और मुझे बेड पर धककल कर मेरे ऊपर चढ़ गयी।मेरे चेहरे को चूमने लगी।
मामी:अभी तू समय की बात मत कर,अभी सहन नही होगा मुझसे।
मामी ने मेरे कपड़े झट से निकाल फेंके औऱ बेड पर मेरे ऊपर चढ़ के मेरे पूरे शरीर को चाटने लगी।चाटते हुए नीचे लन्ड तक जाके लण्ड को चाटने लगी ऊपर से नीचे अंडों तक।लण्ड के टोपे पर जीभ घुमाने लगी।पूरा लण्ड मुह में लेके चुसने लगी।
फिरसे मेरे ऊपर आयी अपनी चुत को मेरे मुह पर लगा के गांड को आगे पीछे करने लगी।मैन अपनी जीभ उनके चुत में डाल दी थी।वो अभी जीभ से अपनी चुत को चुदवा रही थी।अपने चुचे मसल रही थी।चुत एकदम गर्म हो गयी थी।कुछ पल में ही उन्होंने अपने चुत को झड़ा दिया।
फिर नीचे लण्ड पे बैठ के पूरा लण्ड चुत में लिया"आहाह आहाह" ।गांड उठा के आहिस्ता आहिस्ता चोदने लगी।
मामी:साला कुछ भी हो तू है बड़ा दमदार लौंडा।तेरा लण्ड चुत में घुसते ही चुत तिलमिल जाती है आआह आआह आआह।
मामी ने चुदने का स्पीड बढ़ाया और फिरसे झड गई।वो आगे बढ़ती उससे पहले मै उनको हटाया और बाजू होकर कपड़े पहन लिया।
मैं:मामी बस हो गया।आपकी हवस कभी मिटेगी नही ,पर आज कुछ खास दिन है,आपकी हवस बाद में मिटा दूंगा।
मामी का ये बर्ताव सच में मेरे लिये बड़ा ही पहेली वाला था।क्या छोटी मामी सच में मेरे जान के पीछे नही थी।छोटे मामा तो मुझसे कबसे दूर भागे जा रहे है।मतलब पहलेसे ही इनको मेरे रास्ते में रखा गया था जिससे मेरा ध्यान सही शख्स से भटका रहे।बड़ा गेम खेल लियो रे ये तो।
दोपहर को 1 बजे
हम गेस्ट हाउस पहोंच गए।मेरा द्वार पे स्वागत हुआ।नाचते हुए गेस्ट हाउस के पिछे की तरफ जाना था।मेरे साथ छोटी मामी मा और रवि भैया और भाभी थी।बेंजो वाले आगे थे।पीछे कान्ता और शिवकरण।
मेरी नजर इंस्पेक्टर को ढूंढ रही थी।बेंजो वाले बड़े मजे ले रहे थे मेरे शादी की।
एक बेंजो वाला:साब जी काहे मय्यत वाली शक्ल बनाये हो,खुशियां मनाओ,आज तो शादी है।
इसको क्या मालूम आज मैं दो धार वाली तलवार में चल रहा हु ।आज या तो आर या पार।
आज शादी थी मैरी पर मुझे शोकसभा का अहसास हो रहा था।कल रात जो बाते मुझे मालूम पड़ी वो बहोत भयानक थी।
हम मंडप में गए।थोड़ी रस्मे पार हुई और संजू आ गयी।
आज कमाल लग रही थी।आज उनके प्यार में जान देने का भी मन नही था क्योकि वैसे भी जान के पीछे कोई और था।
संजू मंडप में आयी।सब लोग मंगलाष्टक के लिए खड़े हुए।
हर एक के आंखों में खुशी की लहर थी।ये जानना बहोत कठिन था की वो शादी की है या किसी और बात की।मै सिर्फ इंस्पेक्टर को ढूंढ रहा था।अभी उसके सिवा भरोसेमंद कोई था नही औऱ वही था जो आज मुझे बचा सकता था।
शादी खत्म हुई हम खाना खाने गए।फिर बिदाई तो होनी सी नही रही।पर अभी तक इंस्पेक्टर का कुछ मालूम पता नही था।अरे यार आज तो जान जानी थी।
घर जाने के लिए सब गाड़ी में बैठ गए।मेरे गाड़ी में मैं संजू मा बड़ी मामी और रवि भैया और दूसरे गाड़ी में छोटे मामा मामी भाभी और कान्ता।बाकी लोग तीसरे गाड़ी में।
हमारी गाड़ी बीच में थी और कान्ता वाली हमारे पीछे हमारे आगे बेंजो वाले थे।कुछ आधा कोस दूर रास्ते पर आने के बाद पूरा घना अंधेरा हो गया।और अचानक कहि से एक गाड़ी आयी 5 से 6 लोग उतरे और गोलीबारी चालू हुई।हमलावरों ने शुरवाती निशाना ड्रायविंग सीट मतलब ड्राइवर पर साधा क्योकि उससे गाड़ी या तो रुक जाय यातो पलट जाए।मारना तो सबको ही होगा उनको।इस मनसूबे की वजह से शिवकरण और छोटे मामा पहले शिकार हो गए।
गाड़िया रास्ते के बाजू वाले डगर पर चढ़ के रुक गयी।सारे लोग डर के मारे रो रहे थे चिल्ला रहे थे।इनका निशाना इसबार सिर्फ मैं नही था सारे थे।दो आदमी झट से कहि से आके मेरे गाड़ी का दरवाजा खोला बड़ी मामी को नीचे खींच कर संजू को लेके गया।दो आदमी उन 5 6 लोगो से अलग थे।वो दूसरी गाड़ी से आये थे।
सारा खेल सिर्फ 5 मिनट में घटा।उन लोगो ने फट फट से सारे लोगो को बाहर किया।सारे लोगो के एक किनारे खड़ा किया।हमलावर मास्क पहने थे।
मैं:देखो मुझे मालूम है की आप किसके लिए आये हो।जान मेरी लेनी थी तो उनको क्यो मारा।अभी बस हो गया ।आपको मैं चाहिए तो मै हाजिर हु।इनको छोड़ दो।
बंदे ने अपना मास्क हटाया:अरे चल बे लवड़े,आज सब के गाड़ में गोली मारूंगा।राम नाम सत्य है।
सब लोगो की उसको देख के आंखे घूम गयी।वो बलबीर था।बाकी लोगो ने भी मास्क हटाए।उन लोगो में फैक्टी के ही लोग थे।और वो दोनो सुपरवाइजिंग स्टाफ भी।मतलब मै जहा सेफ महसूस कर रहा था वही मेरे हमलावर थे।पिछला हमला कैसे हुआ इसका पता चल रहा था मुझे।
बलबीर ने मेरे ऊपर गन तानी:बहोत खून में गर्मी है न तेरे।साले आज सब मिट जाएगी।
उसका उंगली ट्रिगर पे दबने वाला था।यहाँ घरवाले पूरा सदमे में और हमलावर सब हस कर मजे ले रहे थे।मैंने आंखे बन्द की।मन ही मन इंस्पेक्टर को गाली देने लगा।फिर एक गोली चली।आंखे खोलने तक 4 5 6 गोलियां बरस गयी।पर फिर भी मैं जिंदा था।किसीने मुझे पीछे धकेला।मैं होश में आया।वो बेंजो वाले थे।
वो शख्स ने मुझे अपना वेश उतारा:क्यो साब जी मजे आये,खुशियां मनाओ,शादी हो गयी है।
मैं:यार पवन जान निकाल दी आपने।मुझे लगा आप फूल चढ़ाने आओगे मय्यत पे।
पवन वही है जो पुलिस में काम करता है और अभी दोस्त भी बना था।जिसकी सुबह से आँखे लगाए राहदेख रहा था।
पवन:अरे देरी करने की बहोत बड़ी वजह है चलो मेरे साथ।बताता हु।
शिवकरण और छोटे मामा तो स्वर्ग सिधार गए।मामी और कान्ता को एकदम से गहरे सदमे में थी।लाशें पोस्टमार्टम को ले जाई गयी।और सारे लोगो को इंस्पेक्टर पवन ने सारी बाते समझा दी।
सब लोग बंगले पर पहुंच गए।औरते बाहर थी।रवि भैया को गोली छू कर गयी थी तो उसे लेकर अस्पताल गए मै और पवन और कुछ हवलदार हमलावर का भेस बनाकर बंगले में गए।बलबीर को गाड़ी में बांध पुलिस ने बंगले को घेर लिया था।
हम घर में घुसे।सामने कुछ लोग खड़े थे।नानाजी,बड़े मामाजी,सुशील(छोटे मामी का बाप)सविता,संपत सिंह और अम्मा।
पवन संपत से:हो गया काम तमाम,अभी क्या हुकुम है।
संपत:और लाशें।
पवन(हमलावरों की भेस में):वो वहां है जहा आप सोच नही सकते।
"वो जिंदा हो गए तो तुम्हारे साथ क्या होगा ये तुम नही सोच सकते।ओ मरने ही चाहिए।"आवाज जानी पहचानी थी पर भरोसा नही हो रहा था की है शख्स इस सब के पीछे हो सकता है।जी जनाब वही मिस्टर शामलदास सिंह ,यानी नानाजी।
बड़े मामा:अभी उनकी जरूरत नही हमे,पुलिस को ओ महज एक एक्सीटेंट लगना चाहिए।
पवन ने अपना भेस हटाया:पर अभी बहोत देर हो गयी है।
अचानक से बलबीर समझ रहे थे वही पवन निकलने से सारे लोग एक दम हड़बड़ा गए।
सुशील:कौन हो तुम,बलबीर कहा है?
पवन:मैं तेरा बाप और तेरा बलबीर को ससुराल भेज दियो हमने।अभी आपकी बारी।
सविता:पु पु पुलिस.........!!!!!
सविता भाभी के पुलिस शब्द से सब चौकना हो गए।संपत ने झट से बंदूक तानी ।सविता उसका पति और नाना जी निकल गए। वह से निकल गए।संपत ने अपने कुछ आदमियो को भी इशारा किया।अभी वह जंग छिड़ गयी थी।गोलीबारी हो रही थी।
पवन ने मुझे कवर करके बोला तुम तुम्हारी बीवी को बचाओ।मैं संभाल लूंगा इनको।मैं ऊपर के कमरे में गुया।संजू के कमरे में।वह सविता नाना जी और सुशील थे।सविता ने चाकू संजू के गर्दन पे रखा था बाकी दोनो गमला लेके खड़े थे।
मैं:सुनो पूरा बंगला पुलिस से घिरा है।तुम लोगो का बचने का चांस नही।अगर संजू को कुछ हो जाएगा तो इंस्पेक्टर दोस्त है मेरा।यही शट आउट साइट करवा दूंगा।
सविता घबराहट से हाथ हटा दी।
नानाजी:अरे पगला गयी है।ये तुम्हे फुसला रहा है।और तुम पुलिस बाहर नही गयी तो संजू को मार देंगे।
मैं चौक कर:नानाजी नातिन है आपकी,ये क्या वाहियात हरकते लगा रखे हो।आप छोड़ो उसे।अपने ही परिवार को मारने को तुले हो।
हम झगड़ रहे थे।तभी रवि भैया के बाल्कनी से कूद के पवन अंदर आया उसने सुशील पर गोली चला दी।गोली पैर के नीचे लगी पर आवाज भारी होने से सविता के हाथ से चाकू गिर गया।नानाजी गमला लेके भाग ही रहे थे ।मैं पवन को मना करने से पहले ही पवन ने गोली चला दी पर बदनसीबी से जो गोली पैर पर लगने वाली तबी वो छाती पे लग गयी क्योकि जब भागते वक्त गोली बचाने नानाजी नीचे झुके उनको मालूम नही था की वो गोली पैर पे चलाएगा उन्होंने छाती का अनुमान लगाया था।एक गोली का झटका और नानाजी स्वर्ग पधार गए।
तभी पीछे से सारे घरवाले। अंदर घुस गए।मा और बड़ी मामी नानजी के पास जाके रोने धोने लग गयी।
मैं पवन से:भाई इंस्पेक्टर जनाब ये माजला क्या है,हम तो पूरे हिल गए है।जो कभी जिंदगी में नही सोचा वो देख रहै है।
पवन:चलो नीचे चलते है।फोरेंसिक को बुलाया है वो अपना काम करेगी यहां बाकी माजला मै समझा दूंगा।
नीचे संपत और उसके साथी मरे पड़े थे और चाचा के पैर पे गोली लगी थी।फोरेंसिक मलम पट्टी कर चुकी थी।उन्हें हतकड़िया से जखड के पुलिस कॉन्स्टेबल खड़ा था।
पवन ने अपनी बात शुरू की।
ब मामि मामा से रोते चिल्लाते:अरे हरामी हमे छोड़ो खुद की सगी बेटी को भी मारने का कैसे मन किया।
वो मामा को मारने दौड़ी पे लेडी कॉन्स्टेबल ने रोका।मा ने मामी को सम्भलके बाजू किया।मैंने पवन को थैंक्स बोला।बाद में आता हु बाकी की करवाई के लिए बोलके अलविदा किया।
अभी पूरे राज खुल गए थे।नाना छोटे मामा शिवकरण अभी इस दुनिया में नही है।बड़े मामा छोटी मामी के माता पिता को अरेस्ट किया गया।अभी उनके ऊपर मुकदमा चलेगा।चाचा भी माफी का साक्षीदार बन गया तो चाची और मेरे बीच भी कोई गीले शिकवे नही रहे।
अभी बचे मैं संजू मा छोटी और बड़ी मामी रवि भैया सिद्धि भाभी और कान्ता।अभी जिंदगी इन्ही लोगो के साथ जिनी थी।उनकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर थी।सारे कम्पनी का बोझ मेरे ऊपर आया।बाद में संजू और रवि भैया और सिद्धि भाभी ने भी उसमे भागीदारी लेके साथ दिया।अभी फिलहाल जिंदगी बिना रुकावट चल रही है।
ये "मा का मायका" का पार्ट 1 ।अगला पार्ट दमदार सीजन और जोरदार अपडेट के साथ आ जाएगा जितना जल्दी होगा उतना जल्दी।आपको ये पार्ट कैसे लगा,कोई सुझाव हो तो जरूर बताना
आपका आभारी और शुभचिंतक
Completed
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