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Incest माँ के साथ छुपम छुपाई या चुदाई।

Dr. Zeus

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Update. 3

स्वागत है दोस्तों।

तो जैसा की आप ने पिछले update में पढ़ा कि कैसे दोनों माँ बेटे ताश खेल कर मज़ा मारा तो अब आगे की कहानी।

सुबह हो चुकी थी 7बज रहे थे में उठा तो अकेला पलंग पर था माँ उठ चुकी थी मैंने अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आया मुझे बहुत जोर से मूत आ रहा था तो मैं घुसलखाने की ओर गया तो मैंने देखा कि दरवाजा बंद है मैंने दरवाजे को खटखटाया तो अंदर माँ थी मुझे उनकी मूत की सीटी सुनाई दी और मेरा लन्ड खड़ा हो गया।
माँ- क्या है बेटा।
मै- माँ मुझे मूतना है जल्दी करना।
माँ- अच्छा बस 1 मिनट रुक जा।

फिर माँ बाहर निकली और उन्होने अभी तक साड़ी नही पहनी थी और जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर घुसलखाने में गुस गया जिसे माँ चौक गयी और कहा।
माँ- अरे क्या कर रहा है।
मै- माँ मूतना है।
माँ- तो मूत ले ना।
मै- नही मूझे आपके साथ मूतना है।
माँ- अच्छा ठीक है जल्दी मूत।
मैंने उन्हें दीवार से लगाया और उनके होठ काटने लगा और माँ भी मुझे चूमने लगी।
माँ- छोड न बेटा।
मै- माँ करने दो ना।
माँ- रात में किया तो था।
मै- मूझे और चाहिए।
और मैंने उनका पेटिकोट उठाया और अपना लन्ड निकल लिया जिसे माँ डर गई और कहा।
माँ- यहाँ मत मेरे लाल कोई सुन लेगा।
मै- कुछ नही होगा माँ डरो मत।
माँ- देख तूझे मेरी कसम।
मै- एच ठीक है पर मूत तो लेने दो।
माँ- अच्छा बाबा जल्दी कर।

और मैंने अपना लन्ड उनकी बुर से सटा कर मूतने लगा जिसके कारण माँ कि बुर पेटिकोट और उनकी जांघे मेरे पेसाब से गीली हो गयी और मेरे गरम मूत से माँ की आह निकल गयी और माँ से रहा नही गया और वो भी मूतने लगी फिर मूत लेने के बाद मैंने एक धक्का मारा और माँ की सिसकी निकल गयी और ने गुस्से में कहा तूझे कहा था यहाँ मत कर और मैंने उन्हें छोड़ दिया पर उससे पहले मैंने अपना हाथ उनकी बुर पे से उनका मूत लेके चाट लिया जिसके कारण माँ मुस्कुरा पड़ी और कहा।
माँ- हो गया ना अब चल।
मै- है माँ हो गया।
और फिर माँ चली गयी और मैने अपने मन में कहा कि कब चोदे ने दो माँ मगर मुझे कोई जल्दी नहीं थी माँ मुझे भले ही चोदने न दे पर मज़ा खूब देती है।

फिर में मैने नाहा कर नास्ता किया और फिर तोड़ा घूमने चला गया पर तभी रास्ते मे कुछ पुराने दोस्त मिल गये और मैं उनसे बात करने लगा बात करते-2 समय का पता ही नही चला 7बज गए थे मै जल्दी से घर पहुंचा यो माँ मेरा इतंज़ार कर रही थी।
माँ- कहा था इतनी देर से।
मै- माफ़ कर दो माँ वो दोस्त से बात करते समय का पता ही नही चला।
माँ- ठीक ह कोई बात नही चलो खाना खाते है।
मै- हा चलो माँ।
फिर हमने मिलकर खाना खाया और बाते करने लगे।

माँ- तो का इरादा है।
मैं- क्या मतलब माँ।
माँ- यही की आज कोनसा खेल खेले।
मै- आप बताओ माँ।
माँ- आज कोई ताकत वाला खेल खेलते है जिसमें मा आये।
मै- कुस्ती कैसा रहेगा माँ।
माँ- है कुस्ती में मज़ा आएगा।
मै- पर माँ।
माँ- पर क्या।
मै- पर आप एक औरत है में तो आपको तुरंत हरा दूंगा।
माँ- बेटा जी मैं भी देसी औरत हु तुम जैसो को तो...।
मै- तुम जैसो को क्या माँ।
माँ- तुम जैसो को तो मूत के बहा दु।
मै- तो हो जाये फिर।
माँ- है क्यों नहीं।
फिर मैं और माँ उनके कमरे में चले गए और माँ ने दरवाजे की कुंडी लगा दी फिर माँ ने कहा चल शुरू करते है इसपे मैंने कहा कि माँ कुस्ती लड़ेंगे कहा यहां तो जगह ही नहीं है।

माँ- अब क्या करे।
मै- माँ एक काम करते हैं।
माँ- क्या मेरे लाल।
मै- मेरे कमरे में चलते है वहाँ काफी जगह हैं।
माँ- हा वही चलते है।
फिर हम मेरे कमरे में आ गए और कुस्ती की तैयारी करने लगे हमने जमीन पर बहुत सारे गद्दे बिछा दिए फिर मैंने माँ से कहा कि माँ हो जाये।
माँ- ऐसे ही कुस्ती करेगा क्या।
मै- तो फिर कैसे माँ।
माँ- सारे कपड़े उतार दे और सिर्फ चड्डी रह।
मै- ठीक ह माँ और मैंने सारे कपड़े उतार दिए सिर्फ चड्ढी छोड़कर।
फिर माँ ने लालटेन जला दिया क्योंकि रात में बिजली काली जाती है।
माँ- बेटा जा तेल लेकर आ।
मै- माँ तेल क्यों।
माँ- अरे बेटा कुस्ती लड़ने से पहले सरीर पर तेल लगाना जरूरी होता हैं।
फिर मे तेल लेने चला गया और जब तेल लेके वापस आया तो मेरे होश उड़ गए क्योंकि माँ भी अपनी साड़ी और ब्लॉस उतार चुकी थी वो सिर्फ पेटिकोट और ब्रा में थी।

माँ- ले आया तेल चल जल्दी से तेल लगा ले अपने पूरे सरीर पे।
मै- ठीक है माँ।
और हम अपने सरीर पर तेल लगाने लगे मै माँ तेल लगते हुए देखकर मन कर रहा था कि उन्हें पटक कर चोद दु। फिर हम तेल लगाने के बाद गद्दों पर आ गए फिर माँ ने कहा चल शुरू कर और हमारी कुस्ती शुरू हो गई माँ मुझे पकड़ने की कोशिश कर रही थी पर मैंने उन्हें पीछे से पकड़ा और गड्ढे पे पटक दिया और उनपर चढ़ गया तेल के कारण हमारा सरीर बहुत चिपचिपा हो गया था जिसे हमे काफी मज़ा आ रहा था मैंने माँ पटक कर कहा कि अब बोलो को जीता पर तभी माँ ने मुझे पटक के चित्त कर दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई और बोली अब बोल मेरे लाल कोन है ताकतवर माँ मेरे मेरे लन्ड पर बैठी थी जिसका अंदाजा उन्हें हो गया था मे भी कहा हार मानने वाला था मैंने नीचे से धक्के मारने लगा जिसे माँ की पकड़ ढीली हो गई और माँ से मैंने खुद को छुड़ा लिया

और फिर हम दोनों खड़े हो गए माँ फिर से मेरी ओर झपटी पर भी पीछे ना हटा और माँ की दोनों जांघो को पकड़कर अपनी गोद में उठा लिया और दीवार से लगाकर उन्हें चूमने लगा माँ भी मेरे होंठ काटने लगी फिर ने ब्रा उतार दी और मैं उनकी चुचियो को पीने लगा 10मिनट चूमा चाती के बाद हम अलग हुए क्योंकि कमरे में गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी पर मौसम को हमारा अलग होना अच्छा ना लगा और तेज़ ठंडी हवा चलने लगी और बारिश होने लगी माँ ने आँखों में देख रही थी तभी मैंने माँ से कहा माँ चलो न बारिश में नहाते है माँ ने कहा चल फिर माँ ने जल्दी से अपनी ब्रा पहनी और हम छत पर आ गये।

बारिश पूरे उफान पर थी और बिजली भी कड़क रही थी फिर हम दोनों बारिश का मज़ा लेने लगे बारिश के कारण हमारे कपड़े बिलकुल गीले हो चुके थे माँ पेटिकोट और ब्रा में बहुत मस्त माल लग रही थी ऊपर से गीली भी थी और फिर मुझसे रहा नही गया और मैंने उन्हें अपनी बाहों में खीच लिया फिर माँ ने कहा।
माँ- बेटा क्या कर रहा कोई देख लेगा।
मै- कोई नही है माँ इतनी बारिश में कौन देखेगा।

इतना कहते हुए मैंने उन्हें जमीन पर लेटा दिया और उनपर चढ़ गया और फिर उनकी ब्रा उत्तर दी और गिर हम चूमने लगी एक दूसरे को उसके बाद मैंने उनका पेटिकोट उतारने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे रोक दिया और कहा।
माँ- अभी ये सब नही मेरे लाल।
मै- कब करने दोगी माँ।
माँ- सही वक़्त आने पर मेरे लाल।
मै- पर कब माँ।
माँ- बहुत ही जल्द।
और फिर में कपड़ों के उपर से ही उन्हें चोदने लगा और फिर 10मिनट बाद मैंने माँ से कहा।
मै- माँ मेरा होने वाला है।
माँ- बेटा मेरे मुँह में दाल दे।
मै- ये लो मेरी प्यारी माँ।
झड़ने के बाद में और माँ मेरे कमरे में आ गए और मैने अपनी चड्डी उत्तर कर पलंग पर लेट गया और भी अपनी पेटिकोट और ब्रा उत्तर कर मेरे बगल में लेट गयी माँ और में बिलकुल नंगे थे मुझसे बर्दाश्त न हुआ ओर मैं एक बार फिर माँ पर चढ़ गया अपर माँ ने मुझे रोका नहीं बस इतना कहा।
माँ- फिर मन कर रहा है।
मै- हा माँ।
माँ- चल कर ले मगर अंदर मत डालना ऊपर से धक्के मार ले।
ये सुनकर मैं खुश हो गया क्योंकि पहली बार मे नंगी माँ की बुर से लन्ड छुआ था फिर मै धक्के मारने लगा और माँ भी गांड उठा कर मेरा साथ दे रही थी और मुझसे रहा ना गया और मैं उनकी बुर पर झड़ने लगा और फिर माँ से भी ना रहा गया और वो भी भलभला कर झड़ने लगी और हम दोनों का प्रेम रस मिल गया और मैं माँ के ऊपर से उतार गया और फिर माँ ने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी माँ ने अपना हाथ बुर पे लेजा कर मेरे रास को बुर पर मलने लगी और अपनी चुचियो पर भी ये देखकर मैं खुश हो गया।

To be continued...............


gazab.......
 

Sameer Kr

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Update. 4

फिर से स्वागत है दोस्तों।

अब आगे।
सुबह के 7बज रहे थे मै उठा और फ्रेस होने चला गया उसके बाद मे माँ को ढूंढने लगा पर कही नज़र न आई पर तभी बाथरूम से गाने की आवाज सुनाई दी मै समझ गया कि माँ नहा रही है।

मैं भी बाथरूम की ओर चल पड़ा और दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर आवाज आई।
माँ- उठ गया मेरे लाल।
मै- हा माँ तुम नाहा रही हो क्या।
माँ- नही बेटे अभी कपड़े धो रही हूं बाद में नाहउँगी।
मै- माँ।
माँ- हा मेरे लाल।
मै- कुछ मदद चाहिए क्या।
माँ- है मेरे बेटे काफी कपड़े है तो खाली है तो आजा तोड़ी मदद हो जायेगी।
मै- माँ दरवाजा तो खोलो।
माँ- अच्छा रुक।
फिर माँ ने बाथरूम का दरवाजा खोला और अंदर गया तो मेरा लन्ड फिर अकड़ गया क्योंकि माँ उस वक़्त सिर्फ एक पेटिकोट में थी जो उन्होंने अपनी छाती पे बाँध रखा था।

में अंदर गया तो बिल्कुल नंगा था माँ ने मुझे एक तोलिया दिया और मे और माँ कपड़े धोने लगे माँ टट्टी करने की अवस्था मे बैठी थी जिसके कारण उनकी बुर के बाल मुझे नज़र आ रहे थे फिर हम काम करते करते बातें करने लगे।
मै- माँ आपको पापा की याद नहीं आती क्या।
माँ- थोड़ी उदास होकर) आती तो मेरे लाल पर नौकरी भी तो जरूरी है ना।
मै- हा माँ ये बात तो है।
माँ- पर इन आने वाली छुटियों में तेरे पापा और दीदी आने के बाद हम खूब मज़े करेंगे।
मै- हा माँ क्यों नहीं।
माँ- एक बात पूछू।
मै- हा माँ पूछो ना।
माँ- तुझे कंचन कैसी लगती है।
मै- अछि लगती है।
माँ- मेरा मतलब किसी नज़र से है।
मै- माँ अब तुमसे क्या छुपाना में कंचन दीदी को पसंद करता हु।
माँ- मतलब कंचन के साथ भी।
मै- हा माँ अगर दीदी मेरी बहन होती में उनसे शादी कर लेता।
माँ- सच में मेरे लाल इतना प्यार करता है कंचन से।
मै- हा माँ मै औऱ दीदी एक दूसरे के बहुत करीब है।
माँ- तुम दोनों के बीच को है तो नही।
मैं- नही माँ अभी तक तो कुछ नही है।

कपड़े धूल चुके थे और अब बारी थी नहाने की फिर माँ ने कहा कि बेटा बाहर जा मुझे नहाना है पर उनके पास गया और उनसे कहा माँ चलो ना आज मिलके नहाते है जैसे पहले नहाते थे फिर मुस्कुरा पड़ी और कहा तू नही मानेगा फिर मैंने कहा आखिर बेटा किसका हु इतना कहते हुए मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उनका पेटिकोट जमीन पर गिर गया और फिर मैंने भी अपना तोलिया उतार दिया अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे।

और फिर माँ ने मेरा लन्ड थाम लिया और कहा कि बोल आज कैसे नहाए मैं भी उनकी बुर कुरेदने लगा और बाथरूम में सिसकारियां गूंजने लगी मैंने माँ से कहा माँ मुँह में लेलो ना फिर माँ बोली ठीक है मेरे लाल ओर फिर माँ मेरा लन्ड को को खूब चुसने ओर चाटने लगी फिर 10 मिनट के बाद माँ ने मुझसे कहा कि मेरे मेरी मुनिया चाट ले पी ले मेरी बुर का अमृत मेरे लाल और मे जमीन पर लेट गया और माँ मेरे मुँह पर अपनी बुर लेकर बैठ गई और उनकी मुनिया का अनमोल अमृत पिता गया फिर माँ से रहा नही गया और माँ भी जमीन पर लेट गयी और अपनी टाँगे फैलाकर मुझे चढ़ने के बुला रही थी।

आजा मेरे लाल और क्या था मैं उनपर चढ़ गया और अपना लन्ड उनकी बुर में डालने की कोशिश की तो माँ ने मना कर दिया और फिरसे मै उपर से धक्के मारने लगा जिसके कारण हमारी सिसकी फुट पड़ी माँ मेरी अपने नाखूनों के नोच रही थी पर इस तड़प का भी एक अलग ही मज़ा था मैंने माँ आँखों मे देखकर धक्के मारने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी आँखें पूछ रही हो कि कब माँ आखिर कब तुम मुझे चोदने दोगी कब मुझे अपनी बुर में बीज डालने दोगी कब माँ।

माँ मेरे दिल की बात जानती थी कि उनका बेटा क्या चाहता है पर सविता भी यही चाहती थी उसका बेटा उसे चोद कर गड गड कर दे मगर सविता उसे अपनी बुर के साथ एक और तोफा देना चाहती थी।

मै- माँ मेरा होने वाला है।
माँ- पिला दें मुझे अपना बीज मेरे लाल।
मैं- ये ले मेरी रानी।
मैं माँ के मुँह में झड़ गया और हम साथ में नाहा कर बाहर आ गए उसके बाद हमने साथ मे खाना खाया और अपने कमरो में चले गए क्योंकि बाहर बारिश हो रही इसलिए घूमने भी नहीं जा सकता था।

और फिर मेरे दरवाजे पर दस्तक़ हुई तो मैंने दरवाजा खोला और सामने माँ खड़ी थी फिर माँ बोली।
माँ- क्या कर रहा मेरे लाल।
मै- कुछ नही माँ बस खाली बैठा हूँ।
माँ- चलो न कोई खेल खेलते है।
मै- पर माँ अभी तो दोपहर है।
पर तभी अचानक बिजली चली गयी और पूरी घर मे अंधेरा हो गया क्योंकि बाहर बारिश बहुत तेज़ हो रही थी फिर माँ बोली।
माँ- अब तो खेल सकते ह ना अब तो बिजली भी नहीं है।
मै- ठीक है माँ पर क्या खेले।
माँ- क्यों ना हम सच और साहस(Truth and Dare) खेले।
मै- है माँ ये ठीक है।
माँ- चलो फिर।
मै- कहाँ माँ।
माँ- मेरे कमरे में।

हम माँ के कमरे में आ गए फिर माँ ने लालटेन जलाई ओर खेल शुरू हुआ माँ ने बोतल घुमाई और बोतल और मेरी ओर रुकी फिर माँ ने पूछा सच या साहस मैंने सच चुना तो माँ ने पूछा कि क्या तूने कभी किसी को चोदा है तो मैंने ना में जवाब दिया फिर माँ ने बोतल घुमाई और इस बार बोतल माँ पर रुकी फर मैंने पूछा सच या साहस माँ ने साहस चुना तो मैंने कहा कि आप अपनी साड़ी और ब्लॉस उतार दो फिर माँ खड़ी हुई और अपना साड़ी का पल्लु उतार दिया और अपनी साड़ी खोलने लगी साड़ी उतारने के बाद वो अपनी ब्लॉस के हुक खोलने लगी ऐसा करते हुए वो मेरी आँखों में देख रही थी जैसे वो मुझे ओर तड़पना चाहती हो।

एक बार फिर माँ ने बोतल घुमाई इस बोतल मुझ पर रुकी इस बार मैंने साहस चुना तो माँ ने की तुम अपने सारे कपङे उतार दो चड्डी भी फिर मैंने सारे कपड़े उतार दिए और मेरा लन्ड देखकर माँ मुस्कुरा कर अपनी मुनिया खुजलाने लगी।

फिर बोतल घुमाई फिर से बोतल मुझ पर रुकी तो इस बार मैंने सच चुना तो माँ ने पूछा कि तुम सबसे पहले किसे चोदना चाहते हो तो बोल पड़ा कि मैं सबसे पहले तुम्हे चोदना चाहता हूँ ये सुनकर माँ हस पड़ी और उठ कर माँ पास गया और माँ की बाड़ी(bra) फाड़ दी और उनकी चूची मिसने लगा औऱ माँ भी मेरे बालो को सहला रही थी फिर माँ बोली।
माँ- दूध पीना है।
मै- हा माँ
माँ- तो पिले ना।
मै- पर इनमे दूध कहाँ हैं माँ।
माँ- बहुत जल्द होगा।

फिर मैं खड़ा हुआ और मुठ मारने लगा और मैंने माँ से कहा कि माँ अपना थोड़ा थूक दो ना फिर उन्होंने मेरे लन्ड पर ढेर सारा थूक दिया जिससे मेरा लन्ड चिकना हो गया और 10मिनट मुठ मारने के बाद मैंने सारा बीज उनकी चुचियो पर छोड़ दिया और माँ ने सारा बीज अपनी मोटी चुचियो पर मल लिया और मैंने माँ से कहा कि माँ अपनी चुचियो को धोना मत तो माँ बोल पड़ी ठीक है मेरे लाल फिर माँ ने दूसरी ब्रा पहन ली और में अपने कमरे मे थोड़ी देर सोने चला गया।

To be continued...........
 
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