Update.5
तो स्वागत है दोस्तों।
शाम के 7बज रहे थे मैं उठा और कमरे से बाहर निकला तो माँ कही नज़र नहीं आयी तो मैंने माँ को आवाज लगाई तो माँ बोली में रसोई घर मैं हु मेरे लाल यो रसोई में गया तो मेरा लन्ड एक बार फिर अकड़ गया क्योंकि माँ अभी भी ब्रा और पेटिकोट में थी एयर उनकी चुचिया चमक रही थी मेरे बीज के कारण में माँ के पास गया और उन्हें अपनी बाहों में भर कर बोला।
मे- माँ तुमने अपनी छाती धोई नही देखो न तुम्हारी चुचिया कितनी चमक रही है।
माँ- तूने ही बोला था कि मत धोना।
मै- वैसे माँ मेरा बीज तुम्हारी छातियों पर अच्छा लग रहा है।
और इतना कहते ही मे फिर से उनकी चुचिया दबाने लगा और ब्रा उनकी निपल से हटा कर उन्हें मिसने लगा जिससे माँ सिसकारियां लेने लगी।
माँ- छोड़ ना लाल क्या कर रहा है।
मै- करने दो ना माँ।
माँ- अभी नही बाद में कर लेना।
मैं- कब माँ।
माँ- रात में मेरे लाल।
और फिर मैंने माँ को छोड़ दिया और बाहर जाने लगा तो माँ बोली।
माँ- सुन बेटा।
मै- हा माँ बोलो।
माँ- एक काम कर दे।
मै- कैसा काम माँ।
और माँ ने मुझे एक छोटी सी सीसी दी और कहा ब मेरे लाल इसमे अपना बीज दाल दे।
फिर मैंने माँ से पूछा।
मै- क्यों माँ।
माँ- वो मैं तेरे बीज को दाल में डाल कर खाऊँगी बहुत अच्छा लगता हैं तेरे बीज का स्वाद मुझे।
फिर मैंने माँ से कहा।
मै- पर माँ मेरा बीज ऐसे नही निकलेगा तुम कुछ मदद कॅरोना।
माँ- अच्छा ठीक है ये ले।
इतना कहते हुए माँ ने अपनी ब्रा उतारी और अपनी बुर पर रगड़ कर मेरे करीब आयी और अपनी ब्रा मेरी चड्डी में डाल दी फिर मैंने उन्हें बाहो में जकड़ लिया और बोला माँ ब्रा तो ठीक है पर लन्द कैसे चिकना होगा तो ने मुँह खोला और उसमें ढेर सारा थूक दिया और बोली अब जा मेरे लाल मुझे खाना बनाने दे।
फिर मे रसोई से बाहर आया और कमरे मे जाकर माँ का थूक अपने लन्द पर लगा दिया और माँ की ब्रा को चाटने लगा जिसमें उनकी बुर का पानी लगा था और मुठ मारने लगा औऱ 5मिनट बाद ही मेरे लन्द पानी फेक दिया और मैंने अपना पानी उस सीसी में दाल दिया जिसे सीसी पूरी भर गई और और थोड़ा पानी मैंने माँ की ब्रा में डाल दिया जिसे उनकी ब्रा भी पूरी गीली हो गई।
फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं रसोई घर में गया तो माँ बोली।
माँ- आ गया मेरे लाल।
मे- हा माँ ये लो सिशी।
माँ- अरे वाह येतो पूरी भर दी तूने।
मे- और ये लो अपनी ब्रा।
माँ में अपनी ब्रा ले जो कि पूरी गीली थी तो माँ से रहा न गया और उसे सूंघ लिया और चाटने लगी और फिर माँ ने वो ब्रा पहन भी ली जो मेरे बीज से गीली थी फिर माँ ने मुझे एक चूमि दी और फिर हम खाना खाने लगे।
खाना खाने के कुछ ही देर बाद बिजली चली गयी रात के 9बज रहे थे फिर मे और माँ गप्पे मारने लगे माँ बोली मेरे लाल तेरे बीज ने खाना और स्वादिष्ट बना दिया।
मै- माँ आज कोनसा खेल खेले।
माँ- तू बता कोनसा खेल खेलना ह तुझे।
मै- माँ क्यों न आज लुका छुपी( चुपम छपाई) खेले।
माँ- अरे हा इस खेल में बहुत मज़ा आता है।
मै- तो चलो माँ चुपम छुपाई खेलते हैं।
फिर माँ ने सारी लालटेन बुझा दी फिर हमने टॉस किया तो पहली बारी मेरी थी खोजने की फिर छिप गए और गिनती शुरू की फिर की आवाज आई आ जाओ गिर मे माँ को खोजने लगा पहले मैंने माँ के कमरे में गया पर माँ वहाँ नही थी फिर अपने कमरे में गया लेकिन माँ वहाँ नही मिली उसके बाद में रसोई में गया माँ वहाँ भी नही मिली पर तभी अचानक मुझे कुछ दिख और मे समझ गया कि ये माँ ये क्योंकि उनकी चुचिया चमक रही थी मेरे बीज के कारण।
माँ मुझे बाथरूम में घुसते नज़र आई ओर मैं भी दबे पांव बाथरूम की ओर चल दिया और मैं बाथरूम के बगल में छुप गया तब बाथरूम का दरवाजा खोला और बाहर आई तो मै पीछे से गया और उनकी दोनों मोटी चुचिया दबाकर कहा कि माँ मैंने तुम्हें खोज लिया।
अब बारी थी माँ की खोजने की और मे छुप गया फिर माँ मुझे खोजने लगी फिर मैंने सोचा क्यों न घुसलखाने में छुप जाऊ पर फिर में बाथरूम में छिप गया और माँ मुझे खोजने लगी पहले माँ ने कमरो में देखा पर वहाँ नही था फिर माँ रसोई घर मे गयी मैं वहाँ भी नहीं था फिर माँ मुझे घुसलखाने में जाती नज़र आई और मे दबे पांव उनके पीछे गया और घुसलखाने में उन्हें धप्पा कर दिया और फिर माँ बोली।
माँ- अरे मैं तो फिर हार गई।
फिर माँ के इतना कहते ही मैंने गुसलखाने की कुंडी लगा दी और हम दोनों में थे और मैंने माँ जकड़ लिया और उनके होंठ चूमने लगा ओर फिर माँ भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने माँ की ब्रा उतार दी और गुसलखाने में खड़े खड़े उन्हें छेड़ने लगा और फिर उसके बाद उनका पेटिकोट उठाने लगा तो माँ बोली।
माँ- रुक जा मेरे लाल।
मै- क्या हुआ माँ।
माँ- मेरी गण्ड मरेगा।
मै- क्या।
माँ- मेरी गण्ड मरेगा।
मै- सच माँ।
माँ- हा बिलकुल सच।
माँ के इतना कहते ही मेने अपनी चड्डी उतार दी माँ का पेटिकोट उतारने लगा तो माँ बोली पेटिकोट उठा कर करले फिर लन्द सहलाने लगा और फिर माँ ने मेरे लन्द पर थूक कर उसे चिकना कर दिया फिर माँ ने अपना पेटिकोट उठा कर उसे पकड़ लिया और मैंने उनकी एक टांग उठायी और अपना लन्द उनकी गण्ड के छेद पर लगाया और पहला धक्का मारा पर मेरा लन्द फिसल गया मैंने फिर दूसरा धक्का मारा इस बार लन्द का टोपी उनकी गण्ड में घुस गया और धक्के में मेरा पूरा लन्द उनकी गांड में समा गया और माँ की चीख निकल गयी और मैम धीरे धीरे धक्के मारने लगा अब माँ को भी मज़ा आने लगा और वो भी सिसकने लगी और हम एक दूसरे का थूक पीने लगे।
माँ को गण्ड मराने मैं इस इसलिए ज्याद तकलीफ नहीं हुई क्योंकि पापा भी माँ गण्ड चोदते थे।
उसके बाद मैं माँ की चोदता गया क्योंकि भले ही बुर न तो गण्ड ही तो मिली और चोदते हुए मैंने माँ से कहा कि माँ अपनी बुर कब दोगी तो उन्होंने कहा कि बस वक़्त और मेरे लाल उसके बाद जितना चाहे चोद लियो मेरी बुर और माँ की गण्ड घचा घच चोदता रहा 30मिनट बाद मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने इस बार माँ को नही बताया और उनकी गण्ड में ही झड़ने लगा और मेरे बीज की गर्मी से वो भी झड़ने लगी।
खड़े खड़े चुदाई के बाद हम घुसलखाने से निकले और माँ के कमरे में आ गए फिर हमने सारे कपड़े उतारकर पलंग पर लेट गये फिर 5 ही मिनट बाद मेरा लन्द फिर खड़ा हो गया और मैंने फिर माँ की 20 मिनट गण्ड मारी उसके बाद फिर थोड़ी देर बाद एक बार ओर 15 मिनट गण्ड मारी।
उसके बाद माँ उठ कर बाथरूम जाने लगी फिर मेरे उनका हाथ पकड़ लिया ओर पूछा कहा जा हो माँ।
माँ- मूतने।
मै- मुझे भी मूतना है।
माँ- चल फिर।
फिर माँ मेरा लंड पकड़कर बाथरूम में ले गयी और माँ को मूतता देख मुझे फिर चोदने का मन करने लगा और एक बार फिर मैंने माँ को पटक दिया और बाथरूम में ही उनकी गांड मारने लगा उस रात मैंने माँ की 4बार गांड मारी उसके बाद हम इतना थक गए कि हम बाथरूम में ही सो गए।
To be continued..............