Blackserpant
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Who is this modelबजुर्गों ने सच ही कहा है की ग़ुरबत यानि गरीबी इंसान की सबसे बड़ी दुश्मन है.
इसी तरह करते करते समय निकल रहा था और धीरे धीरे पिता जी की मौत को १० साल हो गए थे.
अब मेरी उम्र ३२ साल पार कर गयी थी
और मेरी माँ की उम्र भी ५३ साल की हो चुकी थी.
माँ को सबसे ज्यादा चिंता मेरी शादी की थी.
माँ ने अपनी रिश्तेदारी में सब लोगों से मिन्नतें कर ली थी कि किसी तरह मेरी शादी हो जाये क्योंकि मेरी शादी की उम्र निकलती जा रही थी. या यूँ कहें की लगभग निकल गयी थी पर किसी रिश्तेदार ने मेरी शादी में कोई मदद न की और न ही कोई दिलचस्पी दिखाई.
अब उम्र के साथ हर इंसान में उस उम्र की जरूरते पैदा होती ही हैं. मुझे भी सेक्स की बहुत इच्छा होती थी. पर मैं करता भी तो क्या करता. न तो मेरी शादी ही हो रही थी और गरीब होने के कारण मेरी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी. आजकल की लड़कियां तो अमीर लड़के चाहती है पर मैं उनकी ऐसी कोई इच्छा पूरी नहीं कर सकता था. और न ही मेरे पास इतने पैसे थे कि मैं किसी रंडी को बुला कर चोद सकता.
मेरे पास तो ले दे कर भगवन के दिए हुए बस दो हाथ ही थे. और मैं जितना हो सकता उनका इस्तेमाल करता था.
मैं अब हर रोज रात में मुठ मर कर अपनी गर्मी निकालता था.
बस ऐसे ही जिंदगी बीत रही थी.
फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिस से मेरी जिंदगी में एक नया मोड़ आने वाला था.
यह बात है मेरे बुआ के बेटे की शादी की है। मेरे बुआ के बेटे की शादी थी. वैसे तो बुआ हम लोगों को शायद बुलाना नहीं चाहती थी पर रिश्तेदारी का ख्याल रखते हुए उसने फॉर्मेलिटी के तौर पर हम लोगों को भी शादी में बुला लिया.
मैं जानता था की वहां हम लोगों की कोई इज्जत तो हैं नहीं, पर माँ शादी में जाना चाहती थी. वो सोचती थी की चलो इसी बहाने से उनका अपने रिश्तेदारों से कुछ सम्बन्ध बना रहेगा और शायद वहां मेरी शादी का भी कोई चांस शुरू हो जाये. तो माँ की इच्छा देखते हुए हमने शादी में जाने का फैसला कर लिया. .
माँ ने अपने सब से सुन्दर कपडे और साड़ीयां ले ली. और हम वहां शादी में चले गए.
मेरी माँ अपनी तरफ से खूब सज संवर कर तैयार हो रही थी.
आखिर थी तो वो भी एक औरत ही. तो सजने सँवारने का मौका तो बेचारी को सालों बाद मिला था.
तो दोस्तों वहां मैंने अपने घर की कई औरतों को देखा। उनमें से कोई मेरी बहन थी, चाची थी, बुआ थी, मौसी थी, या मामी थी।
माँ को मैंने बहुत देर बाद सजी संवरी देखा तो देखता ही रह गया. सच में मेरी माँ तो बहुत ही सुन्दर थी. शायद उतनी सुन्दर कोई और औरत शादी में नहीं थी. मैंने कभी अपनी माँ की सुंदरता पर ध्यान ही नहीं दिया था. शायद उस ने भी कभी इतना सुन्दर सज कर मेकअप आदि नहीं किया था. मेरी माँ काफी मोटी थी। उसके मम्मे बहुत बड़े बड़े थे शायद 42D से कम नहीं होंगे. उस से भी सुन्दर उनकी चूतड़ और गांड थी. शादी में आये हुए हर आदमी की आँखें मेरी माँ के मुम्मों और गांड से हट ही नहीं रही थी.
दूसरों की क्या कहूं खुद मेरी आँखें माँ की गांड पर ही बार बार जा रही थी.
दोस्तों उससे पहले मैंने कभी उनको चुदाई की नजर से नहीं देखा था। लेकिन शादी में सारी की सारी औरतें इतना सज-संवर के आई थी, कि उनको देखने वाले हर आदमी का लंड खड़ा हो जाता और उन सब में सब से सेक्सी लग रही थी मेरी माँ ।
जब बारात में मैं शादी में आयी हुई लड़कियों और औरतों के साथ नाच रहा था, तब उनके चूचियों और गांड को दबाने का कई बार मौका मिला, और रात होते-होते मेरी हालत ऐसी हो गई थी, कि मुझे जाकर मुठ मारनी पड़ी।
उस दिन पहली बार मैंने सोचा कि अगर मुझे अपने घर की औरतों (मेरी माँ ) की चुदाई करने का मौका मिल जाये, तो बहुत अच्छा हो।
घर की औरतों को चोदने के बहुत फायदे हैं। सबसे पहला, जब चाहो जहां चाहो तुम उनको चोद सकते हो।
दूसरा फायदा यह है कि किसी को शक नहीं होता। मुझे चुदाई का बहुत शौक है। लेकिन मैं किसी औरत को अभी ज्यादा चोद नहीं सका था , बस किसी तरह पैसे जोड़ कर एक दो बार किसी सस्ती सी रंडी को चोद था। वैसे भी मैं डरता था कि चुदाई के चक्कर में कभी किसी लफड़े में ना फंस जाऊं। इसलिए मैंने यह ठान लिया था कि अब माँ को चोद कर ही रहूंगा।
अब पहली समस्या यह थी कि शुरुआत कैसे की जाये। क्यूंकी सब कुछ इसी बात पर निर्भर करता था कि अगर सबसे पहले गलत कदम उठा लिए और माँ को चोदने की कोशिश की, और उसने सबको बता दिया, तो मेरी जिंदगी के लोड़े लग जायेंगे।
सबसे पहले मां को चुनने के कुछ कारण थे। पहला यह है कि एक तो मां के नज़दीक आना सबसे आसान होता है। अगर कुछ गलत भी हो तो बचने का तरीका है। कई सारे बहाने होते हैं। और दूसरी सबसे जरूरी बात, कि अगर कुछ उल्टा-सीधा हो भी जाये तो मां तुम्हारी कभी किसी को बताएगी नहीं।
और वैसे भी मेरी पास माँ पर कोशिश करने के इलावा और कोई औरत है भी तो नहीं.
और फिर सब से बड़ी बात की माँ चाहे उम्र में 53 साल की हो गयी हो पर आज भी वो सेक्स की देवी लगती थी.