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Incest माँ बेटा इक दूजे के सहारे (completed)

Ting ting

Ting Ting
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मेरा मन ख़ुशी से झूम उठा.

मैंने माँ को अपने से चिपकाया और अपनी ऊँगली को माँ की चूत में आगे को धकेल कर पूरी तरह से उन की चूत में घुसा दिया और बोला

"माँ अपनी चूत को आगे को धकेल रही हो. क्या अपनी चूत में मेरी ऊँगली अच्छी लगी. क्या दूसरी ऊँगली भी आपकी चूत में घुसेड़ दूँ?"
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माँ ने अपना सर न में हिलाया और कहा

"अरे नहीं."
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मैंने बोला "माँ क्या आपको अंदर घुसी हुई ऊँगली पसंद नहीं आयी ?"

माँ शर्माती हुई सी मेरे सीने में अपना मुँह छुपा कर बोली.
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"अब तुमसे यह नया रिश्ता बन रहा है तो मैं अब ऊँगली को क्यों घुसवाना चाहूंगी। ऊँगली से तो मैं खुद ही पिछले १० साल से कर रही हूँ. क्या अब भी ऊँगली से ही काम चलाऊंगी ? अब तो मुझे तेरी ऊँगली नहीं बल्कि तेरा उन्गला चाहिए."

मैं थोड़ा हैरान हो कर बोला.

"माँ ऊँगली तो मैं समझता हूँ. पुर तुम अपनी चूत में यह उन्गला क्या चाहती हो? उन्गला क्या होता है?"

माँ ने अपने हाथ में पकडे हुए मेरे लौड़े को मुठिआते हुए और प्यार से उस पर अपने हाथ फेरते हुए कहा
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"एह् है तेरा उन्गला। अब मुझे अपने अंदर इसे लेना है. ऊँगली नहीं "

मैं समझ गया की माँ की वासना अब बहुत बढ़ गयी है और वो चुदवाने के लिए पूरी तैयार है.

मैंने मस्ती से झूमते हुए माँ से कहा

"माँ बस आज के बाद तझे कभी अपनी ऊँगली प्रयोग नहीं करनी पड़ेगी. मेरा यह ७ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा उन्गला आपकी चूत की सेवा करने के लिए तैयार रहेगा.
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माँ के मुँह पर ख़ुशी की लहर दौड़ गयी और वो भी प्यार से मेरे से चिपक गयी पर इस सब में उसने मेरा लौड़ा अपने हाथ से न छोड़ा और उसे प्यार से सहलाती रही. माँ को १० साल के बाद एक हाड़ मांस का लौड़ा हाथ में आया था. लगता था की माँ उसे मन भर के प्यार किये बिना नहीं छोड़ेगी.

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Napster

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मेरा मन ख़ुशी से झूम उठा.

मैंने माँ को अपने से चिपकाया और अपनी ऊँगली को माँ की चूत में आगे को धकेल कर पूरी तरह से उन की चूत में घुसा दिया और बोला

"माँ अपनी चूत को आगे को धकेल रही हो. क्या अपनी चूत में मेरी ऊँगली अच्छी लगी. क्या दूसरी ऊँगली भी आपकी चूत में घुसेड़ दूँ?"
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माँ ने अपना सर न में हिलाया और कहा

"अरे नहीं."
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मैंने बोला "माँ क्या आपको अंदर घुसी हुई ऊँगली पसंद नहीं आयी ?"

माँ शर्माती हुई सी मेरे सीने में अपना मुँह छुपा कर बोली.
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"अब तुमसे यह नया रिश्ता बन रहा है तो मैं अब ऊँगली को क्यों घुसवाना चाहूंगी। ऊँगली से तो मैं खुद ही पिछले १० साल से कर रही हूँ. क्या अब भी ऊँगली से ही काम चलाऊंगी ? अब तो मुझे तेरी ऊँगली नहीं बल्कि तेरा उन्गला चाहिए."

मैं थोड़ा हैरान हो कर बोला.

"माँ ऊँगली तो मैं समझता हूँ. पुर तुम अपनी चूत में यह उन्गला क्या चाहती हो? उन्गला क्या होता है?"

माँ ने अपने हाथ में पकडे हुए मेरे लौड़े को मुठिआते हुए और प्यार से उस पर अपने हाथ फेरते हुए कहा
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"एह् है तेरा उन्गला। अब मुझे अपने अंदर इसे लेना है. ऊँगली नहीं "

मैं समझ गया की माँ की वासना अब बहुत बढ़ गयी है और वो चुदवाने के लिए पूरी तैयार है.

मैंने मस्ती से झूमते हुए माँ से कहा

"माँ बस आज के बाद तझे कभी अपनी ऊँगली प्रयोग नहीं करनी पड़ेगी. मेरा यह ७ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा उन्गला आपकी चूत की सेवा करने के लिए तैयार रहेगा.
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माँ के मुँह पर ख़ुशी की लहर दौड़ गयी और वो भी प्यार से मेरे से चिपक गयी पर इस सब में उसने मेरा लौड़ा अपने हाथ से न छोड़ा और उसे प्यार से सहलाती रही. माँ को १० साल के बाद एक हाड़ मांस का लौड़ा हाथ में आया था. लगता था की माँ उसे मन भर के प्यार किये बिना नहीं छोड़ेगी.

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बहुत ही गरमागरम और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Gokb

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Very Very erotic update
 
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Ting ting

Ting Ting
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फिर माँ मेरे से बोली
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"अच्छा एक बात बता। उस दिन तू मेरी कच्छी को क्यों सूंघ रहा था और क्यों चाट रहा था? तुझे शर्म नहीं आयी जो तू इतनी गन्दी जगह लगी हुई पैंटी को चाट रहा था.? "

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मैं माँ को अपने से चिपकता बोला।
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"माँ कौन कहता है कि वो गन्दी जगह है या उस को सूंघना ठीक नहीं है. आपकी चूत से तो बहुत ही अच्छी खुशबु आती है.
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आपकी पैंटी के अगले भाग पर मुझे उसके चूत का रस महसूस हुआ और मैं बिना कुछ सोचे-समझे ही उसके रस को सूंघने और चाटने लगा था. पर आपकी चूत का रस तो शहदसे भी प्यारा था."
1000_F_438650712_Of7kTQCK9EZDI2dY99mxOvc2srzeyL3C.jpg

मैंने उसके चेहरे के भावों को पढ़ते हुए महसूस किया कि वो कुछ ज्यादा ही गर्म होने लगी थी। उसके आँखों में लाल डोरे साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसके होंठ कुछ कंपने से लगे थे.
1000_F_438650707_Fa62DBq5OUc99W62dyMtmpdr8ePgQ6HV.jpg

मैंने बोला- "वाह माँ .. क्या महक थी आपकी चूत की .. इसे मैं हमेशा अपने जीवन में याद रखूँगा.. आई लव यू माँ "..

तो वो भी मन ही मन में मचल उठी और वो बोली- मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो न..

मैं बोला- ऐसा नहीं है.. फिर मैंने उसकी चूत को अपनी गदेली में भरते हुए कामुकता भरे अंदाज में बोला- माँ.. इसे हिंदी में बुर और चूत भी बोलते हैं।
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मेरी इस हरकत से वो कुछ मदहोश सी हो गई और उसके मुख से ‘आआ.. आआआह..’ रूपी एक मादक सिसकारी निकल पड़ी।
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मैंने उसकी चूत पर से हाथ हटा लिया इससे वो और बेहाल हो गई.. लेकिन वो ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती थी कि मैं उसकी चूत को छोड़ दूँ..

लेकिन स्त्री-धर्म.. लाज-धर्म पर चलता है.. इसलिए उस समय वो मुझसे कुछ कह न सकी और मुझसे धीरे से बोली- बेटा.. क्या इतनी अच्छी खुश्बू आती है मेरी चू… से..

ये कहती हुई वो ‘सॉरी’ बोली.. तो मैं तपाक से बोला- "माँ शर्माओ नहीं और खुल कर बोलो. चूत को चूत ही केहते है तो इसमें शर्माना क्या. सेंटेंस पूरा करो.. और वैसे भी अब.. जब तुम भी मुझे चाहती हो.. तो अपनी बात खुल कर कहो।

तो बोली- नहीं.. फिर कभी..

शायद वो वासना के नशे में कुछ ज्यादा ही अंधी हो चली थी.. क्योंकि उसके चूचे अब मेरी छाती पर रगड़ खा रहे थे और वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए थी। उसके सीने की धड़कन बता रही थी कि उसे अब क्या चाहिए था।

तो मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- तो क्या कहा था.. अब बोल भी दो?

तो वो बोली- क्या मेरी चूत की सुगंध वाकयी में इतनी अच्छी है…

तो मैंने बोला- हाँ .. सच में ये बहुत ही अच्छी है।

वो बोली- फिर सूंघते हुए चाट क्यों रहे थे?

तो मैंने बोला- तुम्हारे रस की गंध इतनी मादक थी कि मैं ऐसा करने पर मज़बूर हो गया था.. उसका स्वाद लेने के लिए..

ये कहते हुए एक बार फिर से अपने होंठों पर जीभ फिराई.. जिसे माँ ने बड़े ही ध्यान से देखते हुए बोला- मैं तुमसे कुछ बोलूँ.. करोगे?

तो मैंने सोचा लगता है.. आज ही माँ की बुर चाटने की मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी क्या?
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ये सोचते हुए मन ही मन मचल उठा.

मुझे लग रहा था की माँ भी अपनी चूत चटवाना चाहती है. पर शायद शर्मा रही है. या तो ये खुद ही मेरे साथ खेल कर रही है.. ताकि मैं ही अपनी तरफ से पहल करूँ। ( वो तो मेरे को बाद में माँ ने बताया की वो भी रोज मेरे पापा का लौड़ा चूसती थी और वीर्य चाटती थी.)

तो मैंने भी कुछ सोचते हुए बोला- क्यों क्यों लगता है की वो सूंघने की जगह नहीं है ?
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माँ बोली- नहीं.. ऐसा नहीं है.. मैं तो इसलिए बोली थी.. क्योंकि वहाँ से गंदी बदबू भी आती है ना.. इसलिए।

मैंने बोला- अरे आप नहीं समझ सकती कि एक जवान लड़की की और एक जवान लड़के के लिंग में कितनी शक्ति होती है। दोनों में ही अपनी-अपनी अलग खुशबू होती है.. जो एक-दूसरे को दीवाना बना देती है।

तो वो बोली- मैं कैसे मानूं?

मैं बोला- अब ये तुम्हारे ऊपर है.. मानो या ना मानो.. सच तो बदलेगा नहीं..

तो वो बोली- क्या तुम मुझे महसूस करा सकते हो?

मैं तपाक से बोला- क्यों नहीं..

तो बो बोली "तो ठीक है मुझे महसूस करवाओ".
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शायद उस पर वासना का भूत सवार हो चुका था।
 

sunoanuj

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फिर माँ मेरे से बोली
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"अच्छा एक बात बता। उस दिन तू मेरी कच्छी को क्यों सूंघ रहा था और क्यों चाट रहा था? तुझे शर्म नहीं आयी जो तू इतनी गन्दी जगह लगी हुई पैंटी को चाट रहा था.? "

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मैं माँ को अपने से चिपकता बोला।
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"माँ कौन कहता है कि वो गन्दी जगह है या उस को सूंघना ठीक नहीं है. आपकी चूत से तो बहुत ही अच्छी खुशबु आती है.
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आपकी पैंटी के अगले भाग पर मुझे उसके चूत का रस महसूस हुआ और मैं बिना कुछ सोचे-समझे ही उसके रस को सूंघने और चाटने लगा था. पर आपकी चूत का रस तो शहदसे भी प्यारा था."
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मैंने उसके चेहरे के भावों को पढ़ते हुए महसूस किया कि वो कुछ ज्यादा ही गर्म होने लगी थी। उसके आँखों में लाल डोरे साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसके होंठ कुछ कंपने से लगे थे.
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मैंने बोला- "वाह माँ .. क्या महक थी आपकी चूत की .. इसे मैं हमेशा अपने जीवन में याद रखूँगा.. आई लव यू माँ "..

तो वो भी मन ही मन में मचल उठी और वो बोली- मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो न..

मैं बोला- ऐसा नहीं है.. फिर मैंने उसकी चूत को अपनी गदेली में भरते हुए कामुकता भरे अंदाज में बोला- माँ.. इसे हिंदी में बुर और चूत भी बोलते हैं।
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मेरी इस हरकत से वो कुछ मदहोश सी हो गई और उसके मुख से ‘आआ.. आआआह..’ रूपी एक मादक सिसकारी निकल पड़ी।
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मैंने उसकी चूत पर से हाथ हटा लिया इससे वो और बेहाल हो गई.. लेकिन वो ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती थी कि मैं उसकी चूत को छोड़ दूँ..

लेकिन स्त्री-धर्म.. लाज-धर्म पर चलता है.. इसलिए उस समय वो मुझसे कुछ कह न सकी और मुझसे धीरे से बोली- बेटा.. क्या इतनी अच्छी खुश्बू आती है मेरी चू… से..

ये कहती हुई वो ‘सॉरी’ बोली.. तो मैं तपाक से बोला- "माँ शर्माओ नहीं और खुल कर बोलो. चूत को चूत ही केहते है तो इसमें शर्माना क्या. सेंटेंस पूरा करो.. और वैसे भी अब.. जब तुम भी मुझे चाहती हो.. तो अपनी बात खुल कर कहो।

तो बोली- नहीं.. फिर कभी..

शायद वो वासना के नशे में कुछ ज्यादा ही अंधी हो चली थी.. क्योंकि उसके चूचे अब मेरी छाती पर रगड़ खा रहे थे और वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए थी। उसके सीने की धड़कन बता रही थी कि उसे अब क्या चाहिए था।

तो मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- तो क्या कहा था.. अब बोल भी दो?

तो वो बोली- क्या मेरी चूत की सुगंध वाकयी में इतनी अच्छी है…

तो मैंने बोला- हाँ .. सच में ये बहुत ही अच्छी है।

वो बोली- फिर सूंघते हुए चाट क्यों रहे थे?

तो मैंने बोला- तुम्हारे रस की गंध इतनी मादक थी कि मैं ऐसा करने पर मज़बूर हो गया था.. उसका स्वाद लेने के लिए..

ये कहते हुए एक बार फिर से अपने होंठों पर जीभ फिराई.. जिसे माँ ने बड़े ही ध्यान से देखते हुए बोला- मैं तुमसे कुछ बोलूँ.. करोगे?

तो मैंने सोचा लगता है.. आज ही माँ की बुर चाटने की मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी क्या?
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ये सोचते हुए मन ही मन मचल उठा.

मुझे लग रहा था की माँ भी अपनी चूत चटवाना चाहती है. पर शायद शर्मा रही है. या तो ये खुद ही मेरे साथ खेल कर रही है.. ताकि मैं ही अपनी तरफ से पहल करूँ। ( वो तो मेरे को बाद में माँ ने बताया की वो भी रोज मेरे पापा का लौड़ा चूसती थी और वीर्य चाटती थी.)

तो मैंने भी कुछ सोचते हुए बोला- क्यों क्यों लगता है की वो सूंघने की जगह नहीं है ?
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माँ बोली- नहीं.. ऐसा नहीं है.. मैं तो इसलिए बोली थी.. क्योंकि वहाँ से गंदी बदबू भी आती है ना.. इसलिए।

मैंने बोला- अरे आप नहीं समझ सकती कि एक जवान लड़की की और एक जवान लड़के के लिंग में कितनी शक्ति होती है। दोनों में ही अपनी-अपनी अलग खुशबू होती है.. जो एक-दूसरे को दीवाना बना देती है।

तो वो बोली- मैं कैसे मानूं?

मैं बोला- अब ये तुम्हारे ऊपर है.. मानो या ना मानो.. सच तो बदलेगा नहीं..

तो वो बोली- क्या तुम मुझे महसूस करा सकते हो?

मैं तपाक से बोला- क्यों नहीं..

तो बो बोली "तो ठीक है मुझे महसूस करवाओ".
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शायद उस पर वासना का भूत सवार हो चुका था।
Bahut badhiya update hai karmukta se bharpur…
 
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Napster

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फिर माँ मेरे से बोली
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"अच्छा एक बात बता। उस दिन तू मेरी कच्छी को क्यों सूंघ रहा था और क्यों चाट रहा था? तुझे शर्म नहीं आयी जो तू इतनी गन्दी जगह लगी हुई पैंटी को चाट रहा था.? "

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मैं माँ को अपने से चिपकता बोला।
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"माँ कौन कहता है कि वो गन्दी जगह है या उस को सूंघना ठीक नहीं है. आपकी चूत से तो बहुत ही अच्छी खुशबु आती है.
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आपकी पैंटी के अगले भाग पर मुझे उसके चूत का रस महसूस हुआ और मैं बिना कुछ सोचे-समझे ही उसके रस को सूंघने और चाटने लगा था. पर आपकी चूत का रस तो शहदसे भी प्यारा था."
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मैंने उसके चेहरे के भावों को पढ़ते हुए महसूस किया कि वो कुछ ज्यादा ही गर्म होने लगी थी। उसके आँखों में लाल डोरे साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसके होंठ कुछ कंपने से लगे थे.
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मैंने बोला- "वाह माँ .. क्या महक थी आपकी चूत की .. इसे मैं हमेशा अपने जीवन में याद रखूँगा.. आई लव यू माँ "..

तो वो भी मन ही मन में मचल उठी और वो बोली- मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो न..

मैं बोला- ऐसा नहीं है.. फिर मैंने उसकी चूत को अपनी गदेली में भरते हुए कामुकता भरे अंदाज में बोला- माँ.. इसे हिंदी में बुर और चूत भी बोलते हैं।
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मेरी इस हरकत से वो कुछ मदहोश सी हो गई और उसके मुख से ‘आआ.. आआआह..’ रूपी एक मादक सिसकारी निकल पड़ी।
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मैंने उसकी चूत पर से हाथ हटा लिया इससे वो और बेहाल हो गई.. लेकिन वो ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती थी कि मैं उसकी चूत को छोड़ दूँ..

लेकिन स्त्री-धर्म.. लाज-धर्म पर चलता है.. इसलिए उस समय वो मुझसे कुछ कह न सकी और मुझसे धीरे से बोली- बेटा.. क्या इतनी अच्छी खुश्बू आती है मेरी चू… से..

ये कहती हुई वो ‘सॉरी’ बोली.. तो मैं तपाक से बोला- "माँ शर्माओ नहीं और खुल कर बोलो. चूत को चूत ही केहते है तो इसमें शर्माना क्या. सेंटेंस पूरा करो.. और वैसे भी अब.. जब तुम भी मुझे चाहती हो.. तो अपनी बात खुल कर कहो।

तो बोली- नहीं.. फिर कभी..

शायद वो वासना के नशे में कुछ ज्यादा ही अंधी हो चली थी.. क्योंकि उसके चूचे अब मेरी छाती पर रगड़ खा रहे थे और वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए थी। उसके सीने की धड़कन बता रही थी कि उसे अब क्या चाहिए था।

तो मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- तो क्या कहा था.. अब बोल भी दो?

तो वो बोली- क्या मेरी चूत की सुगंध वाकयी में इतनी अच्छी है…

तो मैंने बोला- हाँ .. सच में ये बहुत ही अच्छी है।

वो बोली- फिर सूंघते हुए चाट क्यों रहे थे?

तो मैंने बोला- तुम्हारे रस की गंध इतनी मादक थी कि मैं ऐसा करने पर मज़बूर हो गया था.. उसका स्वाद लेने के लिए..

ये कहते हुए एक बार फिर से अपने होंठों पर जीभ फिराई.. जिसे माँ ने बड़े ही ध्यान से देखते हुए बोला- मैं तुमसे कुछ बोलूँ.. करोगे?

तो मैंने सोचा लगता है.. आज ही माँ की बुर चाटने की मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी क्या?
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ये सोचते हुए मन ही मन मचल उठा.

मुझे लग रहा था की माँ भी अपनी चूत चटवाना चाहती है. पर शायद शर्मा रही है. या तो ये खुद ही मेरे साथ खेल कर रही है.. ताकि मैं ही अपनी तरफ से पहल करूँ। ( वो तो मेरे को बाद में माँ ने बताया की वो भी रोज मेरे पापा का लौड़ा चूसती थी और वीर्य चाटती थी.)

तो मैंने भी कुछ सोचते हुए बोला- क्यों क्यों लगता है की वो सूंघने की जगह नहीं है ?
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माँ बोली- नहीं.. ऐसा नहीं है.. मैं तो इसलिए बोली थी.. क्योंकि वहाँ से गंदी बदबू भी आती है ना.. इसलिए।

मैंने बोला- अरे आप नहीं समझ सकती कि एक जवान लड़की की और एक जवान लड़के के लिंग में कितनी शक्ति होती है। दोनों में ही अपनी-अपनी अलग खुशबू होती है.. जो एक-दूसरे को दीवाना बना देती है।

तो वो बोली- मैं कैसे मानूं?

मैं बोला- अब ये तुम्हारे ऊपर है.. मानो या ना मानो.. सच तो बदलेगा नहीं..

तो वो बोली- क्या तुम मुझे महसूस करा सकते हो?

मैं तपाक से बोला- क्यों नहीं..

तो बो बोली "तो ठीक है मुझे महसूस करवाओ".
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शायद उस पर वासना का भूत सवार हो चुका था।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Vivek choudhary

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Absolutely promising starting
 
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yobuddy.1

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Amazing
 
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Ting ting

Ting Ting
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Update coming shortly.
Writing in Hindi takes a bit longer.
 
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