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मेरा मन ख़ुशी से झूम उठा.
मैंने माँ को अपने से चिपकाया और अपनी ऊँगली को माँ की चूत में आगे को धकेल कर पूरी तरह से उन की चूत में घुसा दिया और बोला
"माँ अपनी चूत को आगे को धकेल रही हो. क्या अपनी चूत में मेरी ऊँगली अच्छी लगी. क्या दूसरी ऊँगली भी आपकी चूत में घुसेड़ दूँ?"
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माँ ने अपना सर न में हिलाया और कहा
"अरे नहीं."
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मैंने बोला "माँ क्या आपको अंदर घुसी हुई ऊँगली पसंद नहीं आयी ?"
माँ शर्माती हुई सी मेरे सीने में अपना मुँह छुपा कर बोली.
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"अब तुमसे यह नया रिश्ता बन रहा है तो मैं अब ऊँगली को क्यों घुसवाना चाहूंगी। ऊँगली से तो मैं खुद ही पिछले १० साल से कर रही हूँ. क्या अब भी ऊँगली से ही काम चलाऊंगी ? अब तो मुझे तेरी ऊँगली नहीं बल्कि तेरा उन्गला चाहिए."
मैं थोड़ा हैरान हो कर बोला.
"माँ ऊँगली तो मैं समझता हूँ. पुर तुम अपनी चूत में यह उन्गला क्या चाहती हो? उन्गला क्या होता है?"
माँ ने अपने हाथ में पकडे हुए मेरे लौड़े को मुठिआते हुए और प्यार से उस पर अपने हाथ फेरते हुए कहा
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"एह् है तेरा उन्गला। अब मुझे अपने अंदर इसे लेना है. ऊँगली नहीं "
मैं समझ गया की माँ की वासना अब बहुत बढ़ गयी है और वो चुदवाने के लिए पूरी तैयार है.
मैंने मस्ती से झूमते हुए माँ से कहा
"माँ बस आज के बाद तझे कभी अपनी ऊँगली प्रयोग नहीं करनी पड़ेगी. मेरा यह ७ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा उन्गला आपकी चूत की सेवा करने के लिए तैयार रहेगा.
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माँ के मुँह पर ख़ुशी की लहर दौड़ गयी और वो भी प्यार से मेरे से चिपक गयी पर इस सब में उसने मेरा लौड़ा अपने हाथ से न छोड़ा और उसे प्यार से सहलाती रही. माँ को १० साल के बाद एक हाड़ मांस का लौड़ा हाथ में आया था. लगता था की माँ उसे मन भर के प्यार किये बिना नहीं छोड़ेगी.
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मैंने माँ को अपने से चिपकाया और अपनी ऊँगली को माँ की चूत में आगे को धकेल कर पूरी तरह से उन की चूत में घुसा दिया और बोला
"माँ अपनी चूत को आगे को धकेल रही हो. क्या अपनी चूत में मेरी ऊँगली अच्छी लगी. क्या दूसरी ऊँगली भी आपकी चूत में घुसेड़ दूँ?"
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माँ ने अपना सर न में हिलाया और कहा
"अरे नहीं."
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मैंने बोला "माँ क्या आपको अंदर घुसी हुई ऊँगली पसंद नहीं आयी ?"
माँ शर्माती हुई सी मेरे सीने में अपना मुँह छुपा कर बोली.
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"अब तुमसे यह नया रिश्ता बन रहा है तो मैं अब ऊँगली को क्यों घुसवाना चाहूंगी। ऊँगली से तो मैं खुद ही पिछले १० साल से कर रही हूँ. क्या अब भी ऊँगली से ही काम चलाऊंगी ? अब तो मुझे तेरी ऊँगली नहीं बल्कि तेरा उन्गला चाहिए."
मैं थोड़ा हैरान हो कर बोला.
"माँ ऊँगली तो मैं समझता हूँ. पुर तुम अपनी चूत में यह उन्गला क्या चाहती हो? उन्गला क्या होता है?"
माँ ने अपने हाथ में पकडे हुए मेरे लौड़े को मुठिआते हुए और प्यार से उस पर अपने हाथ फेरते हुए कहा
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"एह् है तेरा उन्गला। अब मुझे अपने अंदर इसे लेना है. ऊँगली नहीं "
मैं समझ गया की माँ की वासना अब बहुत बढ़ गयी है और वो चुदवाने के लिए पूरी तैयार है.
मैंने मस्ती से झूमते हुए माँ से कहा
"माँ बस आज के बाद तझे कभी अपनी ऊँगली प्रयोग नहीं करनी पड़ेगी. मेरा यह ७ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा उन्गला आपकी चूत की सेवा करने के लिए तैयार रहेगा.
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माँ के मुँह पर ख़ुशी की लहर दौड़ गयी और वो भी प्यार से मेरे से चिपक गयी पर इस सब में उसने मेरा लौड़ा अपने हाथ से न छोड़ा और उसे प्यार से सहलाती रही. माँ को १० साल के बाद एक हाड़ मांस का लौड़ा हाथ में आया था. लगता था की माँ उसे मन भर के प्यार किये बिना नहीं छोड़ेगी.
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