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Incest "मांगलिक बहन " (Completed)

Tiger 786

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शहनाज़ एक बड़े से पत्थर पर बैठ गई और सोच में डूब गई। देखते ही देखते उसकी आंख लग गई।

अजय शहनाज़ के ऊपर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत में जोरदार धक्के लगा था। हर धक्के पर शहनाज़ का पूरा जिस्म हिल रहा था और शहनाज़ अपनी आंखे मजे से बंद किए हुए नीचे से अपनी गांड़ उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थी। तभी अजय ने एक तगड़ा धक्का लगाया तो दर्द के मारे उसके मुंह से आह निकल पड़ी जिससे शहनाज़ की आंखे खुल गई और और उसे सामने अपना बेटा शादाब खड़ा हुआ नजर आया जिसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे और उसने गुस्से से नाराज को देखा और बिना कुछ बोले अपने पैर पटकते हुए चला गया।

शहनाज़ की डर के मारे आंख खुल गई और उसने देखा कि वो सपना देख रही थी तो उसने सुकून की सांस ली। शहनाज़ का पूरा जिस्म पसीने से भीग गया था और उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी। शहनाज़ को अजय के साथ कुछ किस याद अा गया और उसकी आंखो से आंसू बह पड़े। नहीं नहीं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं किसी भी कीमत पर अपने बेटे को धोखा नहीं दे सकती। मुझे अपने उपर काबू रखना ही होगा। ये ही सब शहनाज़ एक बड़े से पत्थर पर बैठ गई और सोच में डूब गई। देखते ही देखते उसकी आंख लग गई।

अजय शहनाज़ के ऊपर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत में जोरदार धक्के लगा था। हर धक्के पर शहनाज़ का पूरा जिस्म हिल रहा था और शहनाज़ अपनी आंखे मजे से बंद किए हुए नीचे से अपनी गांड़ उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थी। तभी अजय ने एक तगड़ा धक्का लगाया तो दर्द के मारे उसके मुंह से आह निकल पड़ी जिससे शहनाज़ की आंखे खुल गई और और उसे सामने अपना बेटा शादाब खड़ा हुआ नजर आया जिसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे और उसने गुस्से से नाराज को देखा और बिना कुछ बोले अपने पैर पटकते हुए चला गया।

शहनाज़ की डर के मारे आंख खुल गई और उसने देखा कि वो सपना देख रही थी तो उसने सुकून की सांस ली। शहनाज़ का पूरा जिस्म पसीने से भीग गया था और उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी। शहनाज़ को अजय के साथ कुछ किस याद अा गया और उसकी आंखो से आंसू बह पड़े। नहीं नहीं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं किसी भी कीमत पर अपने बेटे को धोखा नहीं दे सकती। मुझे अपने उपर काबू रखना ही होगा। ये ही सब सोचते हुए शहनाज़ वहीं बैठी रही और अपने बेटे को याद करती रही।


वहीं दूसरी तरफ अजय और सौंदर्या दोनों ने मूर्ति के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। सौंदर्या पहले ही अंदर सेक्स करती हुई मूर्तियां देखकर काफी गर्म हो गई थी और काफी देर से लगातार पूरी तरह से साफ दिखने वाली मूर्ति को चुदाई की मुद्रा में देखकर सौंदर्या का बदन और गर्म होता जा रहा था। दोनो भाई बहन एक साथ चल रहे थे और दोनो में से ही कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। शहनाज़ के साथ हुए रोमांस की वजह से अजय का लन्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जिससे उसका पायजामा आगे से उठा हुआ था और सौंदर्या बीच बीच में उसे ही देख रही थी। देखते ही देखते उनका चक्कर पूरा हो गया और शहनाज़ उन्हें दूर दूर तक नहीं दिखाई दी और वो दोनो फिर से दूसरे चक्कर के लिए आगे बढ़ गए। हर चक्कर पर सौंदर्या को अपने बदन में पहले के मुकाबले और ज्यादा गर्मी महसूस हो रही थी क्योंकि उसे अब पूजा का फल मिल रहा था और उसका जिस्म पूरी तरह से तपता जा रहा था। सौंदर्या पर काम देव की कृपा हो रही थी और उसका सौंदर्य हर पल पहले से ज्यादा आकर्षक लग रहा था। उसकी चाल अपने आप ही बदल गई और उसकी गांड़ तराजू के पल्डे की तरह ऊपर नीचे होने लगी। उफ्फ अजय ये देखकर बेचैन सा हो गया और उसका लन्ड अब लग रहा था कि पायजामा फाड़ कर बाहर आ जाएगा। सौंदर्या और अजय अब छठे चक्कर की और बढ़ गए थे और ठीक मूर्ति के पीछे थे और तभी उसके आगे चलती हुई सौंदर्या लड़खड़ा गई और अजय ने तेजी से उसे अपनी बांहों में थाम लिया तो सौंदर्या उससे लिपट गई और बोली:"

" ओह भाई, अच्छा हुआ तुमने पकड़ ही लिया नहीं तो मैं तो गिर ही जाती।

अजय के हाथ उसके चिकने सपाट पेट पर बंधे हुए थे और उसका लन्ड उसकी टांगो के बीच घुस गया था जिससे सौंदर्या बेचैन हो गई थी। अजय ने अपने सिर को अपनी बहन के कंधे पर टिका दिया और बोला:"

" ओह मेरी प्यारी दीदी, मेरे होते हुए तुम्हे कुछ नहीं हो सकता।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर कसमसा उठी और बोली:" मुझे तुम पर पूरा यकीन है भाई। तुम ही मेरी ज़िन्दगी से सारे कष्ट निकाल दोगो। चलो अब जल्दी से आखिरी चक्कर भी पूरा कर लेते है।

अजय:" हान हान क्यों नहीं मेरी प्यारी बहन। आप थक गई होंगी इसलिए ये चक्कर आप मेरी गोद में लगा लिजिए।

इतना कहकर उसने सौंदर्या को अपनी बांहों में उठा लिया और आगे चल पड़ा। सौंदर्या ने भी अपनी बांहे उसके गले में डाल दी और अपने सिर को उसके सीने पर टिका दिया। आखिरी चक्कर भी पूरा हो गया और सौंदर्या ने खुशी में अपने भाई के गाल को चूमना चाहा और अजय उसे उतारने के लिए नीचे की तरफ झुका तो सौंदर्या के होंठ उसके होंठो से जा टकराए और सौंदर्या ने उसके होंठो को चूम लिया। अजय ने उसकी तरफ देखा और सौंदर्या शर्मा गई। अजय ने उसे प्यार से देखा और शहनाज़ को उधर इधर देखने लगा लेकिन शहनाज़ कहीं नजर नहीं आई। दोनो भाई बहन के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई कि इतनी रात गए शहनाज़ कहां चली गई।

काफी बार पूरे मैदान में देखा लेकिन शहनाज़ कहीं नजर नहीं आई। रात के 12 बजने वाले थे और अजय किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा। उसका थोड़ी देर पहले पत्थर की तरह सख्त लंड सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था।

अजय:" दीदी आप एक काम करो, बाहर जाकर गाड़ी में देखो और इधर ही कहीं देखता हूं। अगर शहनाज वहां नहीं मिली तो आप आराम से गाड़ी में ही बैठ जाना और बाहर मत निकलना। फोन पर मुझे बताना सब कुछ ।

इतना कहकर उसने सौंदर्या का हाथ पकड़ा और मंदिर में अंदर की तरफ घुस गया और सौंदर्या तेजी से गाड़ी की तरफ बढ़ गई। अजय मैदान में हर तरफ देख रहा था, पागलों की तरह धुंध रहा था लेकिन शहनाज़ उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी। तभी उसका फोन बज उठा और देखा कि सौंदर्या थी तो उसने उठाया और बोला:"

" क्या हुआ दीदी? शहनाज़ दीदी मिल गई क्या ?

सौंदर्या घबराई हुई सी बोली:" नहीं भाई, तुम जल्दी से कुछ करो और उन्हें धुंध लो। नहीं तो हम किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे।

अजय ने फोन काट दिया और तभी उसकी नज़र मैदान के कोने में खड़े हुए एक पेड़ पर पड़ी जिस पर एक रस्सी लटकी हुई थी। अजय जल्दी से पेड़ पर चढ़ा और रस्सी के सहारे बाहर उतर गया। अजय हैरान हो गया क्योंकि बाहर काफी घना जंगल था।

अजय समझ गया कि शहनाज़ फिर से किसी मुसीबत में फंस गई है और उसे हर हाल में बचाना ही होगा। अजय जंगल में तेजी से आगे बढ़ रहा था और चारो और खड़े हुए बड़े बड़े पेड़ जिनके हवा के चलने से हिलते हुए पत्ते खौफ पैदा कर रहे थे लेकिन अजय खुद खौफ का दूसरा नाम था।

जल्दी ही उसे कुछ पुरानी सी बस्तियां नजर आने लगी और अजय अब सावधानी पूर्वक आगे बढ़ रहा था। दूर दूर तक आदमी तो क्या जानवर का भी नामो निशान नहीं, सिर्फ मिट्टी और लकड़ी के बने हुए घर। बस्ती में पूरी तरह से सन्नाटा।

अजय थोड़ा और आगे बढ़ा तो उसे सामने की तरफ कुछ रोशनी दिखाई दी और वो तेजी से उसी दिशा में बढ़ने लगा। दूर से ही उसे एक बहुत बड़ी सी मूर्ति नजर आने लगी जो मशाल की रोशनी में लाल नजर अा रही थी। अजय थोड़ा और पास गया और एक पेड़ पर चढ़ गया। अजय को अब सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। एक बड़ा सा चबूतरा था जिसके चारों और काफी सारी भीड़ जमा हुई थी। औरतें, मर्द बूढ़े बच्चे सभी। बीच में एक कुर्सी लगी हुई थी और उस पर शायद उनका सरदार बैठा हुआ था। लंबा चौड़ा, बिल्कुल राक्षस जैसा और पूरे शरीर पर भालू की तरह लंबे लंबे बाल।

कुर्सी के ठीक सामने शहनाज पड़ी हुई थी जिसके दोनो हाथ बंधे हुए थे। शहनाज़ को अच्छे से सजाया गया था और उसके गले में एक फूलो की माला पड़ी हुई थी। शहनाज़ की आंखे लगभग पथरा सी गई थी और उसके चहरे पर खौफ के बादल साफ नजर आ रहे थे।

12 बजने में अभी कुछ ही मिनट बाकी थे और सरदार अपनी सीट से खड़ा हुआ तो सभी लोग उसे सलाम करने लगे और उसकी जय जय कार करने लगे।

सरदार:" बस साथियों बस, आज हम सबका इंतजार खत्म हो जाएगा और आज इस मांगलिक लड़की की बलि देती ही मेरी तपस्या पूरी हो जाएगी और मैं दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान बन जाऊंगा और फिर सारी दुनिया पर मेरा राज होगा।

इतना कहकर जमुरा ने चबूतरे में अपना पैर जोर से मारा तो चबूतरा एक तरफ से टूट गया और उसकी ताकत देखकर भीड़ उसकी जय जय कार करने लगी।

भीड़:" सरदार जमुरा की जय हो। सरदार जमुरा जिंदाबाद।

जमुरत:" 12 बजने में सिर्फ कुछ ही मिनट बाकी हैं और अभी तक मेरे गुरुजी क्यों नहीं आए हैं ?

एक मंत्री जंगली:" महाराज आते हो होंगे। वो तो खुद आपको बड़े बनते देखना चाहते हैं। लेकिन सरदार आप अपने गुस्से को काबू में रखना। कहीं बना हुआ खेल खराब ना हो जाए।

सरदार बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था और अजय समझ गया था कि ये गलती से शहनाज़ को मांगलिक समझ कर उसकी बली देना चाहते है। उसे अब सब कुछ समझ में आ गया था आखिर कार क्यों आचार्य तुलसी दास जी ने सौंदर्या की राशि वाली औरत को पहले विधि करने के लिए कहा था। मतलब शहनाज़ तो मांगलिक है नहीं इसलिए उसकी बलि नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन ये तो मूर्ख जंगली हैं इनसे शहनाज़ को कैसे बचाया जाए। अजय ने एक योजना बनाई और पेड़ से नीचे उतर कर उन पर हमला करने के लिए तैयार हो गया।

तभी भीड़ चिल्ला उठी:" गुरु जी अा गए, गुरु जी अा गए।

अजय ने देखा कि एक बूढ़ा जंगली आदमी उनके बीच अा गया था और सभी ने उसे झुक कर सलाम किया और जमुरा ने आगे बढ़कर उनके पैर छुए और बोला:"

" गुरुजी आखिर कार आज वो दिन अा ही गया जिसका हमे बेताबी से इंतजार था। अब बस इसकी बली देकर मैं बेपनाह ताकत का मालिक बन जाऊंगा और पूरी दुनिया पर मेरा राज होगा बस मेरा राज।

गुरु जी आगे बढ़े और उन्होंने शहनाज़ का हाथ पकड़ लिया और अपनी आंखे बंद करके कुछ मंत्र पढ़ने लगे और उनके चहरे पर निराशा और अविश्वास के भाव उभर आए जिन्हे देख कर जमुरा परेशान हो गया aur बोला :"

" क्या हुआ? आप इतने परेशान क्यों हो गए ?

गुरु जी:" तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी जमुरा, ये लड़की तो मांगलिक हैं ही नहीं, उसकी बली नहीं दी जा सकती।

जमुरा को मानो यकीन नहीं हुआ और वो चिल्ला उठा:"

" नहीं ऐसा कुछ नहीं हो सकता, आप फिर से देखिए गुरु जी? मेरी तपस्या ऐसी मिट्टी में नहीं मिल सकती।

गुरुजी:" तुमसे भूल हुई जमुरा, अब तुम्हे कोई ताकत नहीं मिल सकती।

जमुरा:" बुड्ढे ये सब तुम्हारी चाल है। तुझे ज़िंदा नहीं छोडूंगा

जमुरा गुस्से से पागल हो गया और उसने एक जोरदार घुसा गुरुजी को मार दिया तो जमीन पर गिर पड़े और मर गए। भीड़ अपने गुरु का ऐसा अपमान देखकर भड़क उठी और चारो तरफ से जमुरा को घेर लिया। अजय तेजी से अंदर घुसा और शहनाज़ को उठाया और बाहर को तरफ दौड़ पड़ा। जंगली एक रको मार रहे थे और चारो तरफ चींखं पुकार मची हुई थी और शहनाज़ अजय के गले से चिपकी हुई थी। कुछ जंगली अजय के पीछे भाग पड़े और अजय मौका देखकर एक पेड़ के पीछे छुप गया और एक एक करके उसने चारो जंगलियों को मौत के घाट उतार दिया और फिर से जंगल से बाहर की तरफ दौड़ पड़ा।

चबूतरे पर खूंखार लड़ाई चल रही थी और जमुरा सब पर भारी पड़ रहा था। देखते ही देखते चारो और लाशे ही लाशे बिछ गई और जमुरा अब अजय के पीछे भागा। दूर दूर तक कोई नजर नहीं अा रहा था और लम्बा चौड़ा राक्षस सा जमुरा तूफान की गति से दौड़ रहा था। अजय मंदिर के पास अा गया और दीवार पर चढ़ ही रहा था कि भूत की तरह से जमुरा प्रकट हो गया और देखते ही देखते उसने अपनी लम्बी तलवार निकाल ली और वार करने के लिए हवा में उठाई तभी पीछे से कुछ तीर आए और जमुरा की पीठ में घुसते चले गए। जमुरा दर्द से तड़प उठा और तलवार उसके हाथ से छूट गई। नीचे खड़े दो जंगलियों के हाथ में फिर से धनुष बाण नजर आए जिनका निशाना अजय और शहनाज़ की तरफ था। इससे पहले कि वो तीर छोड़ पाते जमीन पर दर्द से तड़प रहे जमुरा ने दो चाकू निकाल कर उनकी छाती में फेंक मारे और दोनो जंगली दर्द से तड़पते हुए ढेर हो गए और इसी बीच शहनाज़ अजय की पीठ पर बैठ गई थी और अजय दीवार पर चढ़ गया और जैसे ही जमुरा ने उनकी तरफ चाकू फेंके तो अजय फुर्ती से मंदिर के अंदर कूद गया। जमुरा ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। उसकी दर्द भरी चींखें शांत होती चली गई।

शहनाज़ और अजय मंदिर के अंदर दीवार के पास कूद गए थे और अजय जानता था कि अब वो दोनो पूरी तरह से सुरक्षित है। भागने के कारण दोनो की सांसे बुरी तरह से उखड़ी हुई थी। शहनाज़ बुरी तरह से डरी हुई थी और अजय से चिपकी हुई थी। शहनाज़ डर के मारे अभी तक कांप रही थी और अजय उसकी पीठ थपथपाते हुए उसे तसल्ली देते हुए बोला:"

" बस शहनाज़, अब डरने की कोई बात नहीं, मंदिर के अंदर हम पूरी तरह से सुरक्षित हैं। जब तक मैं हूं तुम्हे कुछ नहीं हो सकता।

अजय की बात सुनकर शहनाज़ ने राहत की सांस ली और अपने आपको संभालते हुए बोली:"

" मुझे लगा था कि आज मेरी बली जरूर चढ़ जाएगी। लेकिन तुमने मुझे एक बार फिर से बचा लिया अजय।

अजय ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और बोला:"

" ऐसे कैसे बली चढ़ जाती तुम्हारी, जब तक मैं जिंदा हूं कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता।

शहनाज़ अजय की बात सुनकर उससे कसकर लिपट गई और बोली:"

" लगता है तुमसे मेरा जरूर कोई ना कोई गहरा रिश्ता हैं, मैं जब भी मुसीबत में होती हूं तुम हमेशा पहुंच जाते हो बचाने के लिए।

अजय ने उसकी पीठ फिर से थपथपा दी और बोला:"

" आपको मैं अपने भाई शादाब से लेकर आया हूं और आप भी बिना जाति धर्म की परवाह किए बिना हमारी इतनी मदद कर रही है। आपको बचाना मेरा शर्म हैं शहनाज़। जरूर कुछ तो जरूर हैं हमारे बीच।

दोनो ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे रहे और फिर अजय को सौंदर्या की याद अाई तो वो बाहर की तरफ चल पड़े। अजय ने शहनाज़ के गले में पड़ी हुई फूलो की माला निकाल दी और शहनाज़ अब बिल्कुल पहले कि तरह खुबसुरत लग रही थी।

जल्दी ही दोनो सौंदर्या के सामने गए तो शहनाज़ को देखते ही उसने सुकून की सांस ली।

सौंदर्या:" ओह शहनाज़ दीदी, अच्छा हुआ आप मिल गई, मैं सच में बहुत परेशान थी। वैसे आप कहां चली गई थी ?

शहनाज़ ने सौंदर्या को सारी बात बताई तो सौंदर्या की आंखो से आंसू निकल पड़े और शहनाज़ को अपनी बांहों में कस लिया। शहनाज़ ने उसके आंसू साफ किए और बोली:"

" रोती क्यों है पगली ? देख तेरे सामने बिल्कुल ठीक तो खड़ी हुई हू मैं सौंदर्या।

सौंदर्या हिचकी लेते हुए बोली:" आप मेरे ऊपर आने वाली हर मुसीबत को झेल रही है। अगर आपकी जगह मैं पहले चक्कर लगाती तो मेरी बली जरूर चढ़ जाती क्योंकि मैं तो मांगलिक भी हूं तो बच नहीं सकती।

अजय और शहनाज़ ने उसकी बात पे गौर किया। सौंदर्या बिल्कुल ठीक बोल रही थी और अगर वो होती तो शायद उसका बचना मुश्किल होता।

अजय:" लेकिन एक बात समझ नहीं आई कि वो जंगली मंदिर के अंदर कैसे घुस गए और तुम उनके हाथ लग गई।

शहनाज़:" मैं पत्थर पर बैठी हुई कुछ सोच रही थी कि मेरे कानों में बच्चे के रोने की आवाज पड़ी। मैं उस दिशा में बढ़ गई लेकिन कोई नजर नहीं आया और बच्चा जोर जोर से बचाने के लिए बोल रहा था। आवाज दीवार की तरफ से अा रही थी और मैं देखने के लिए जैसे ही दीवार पर चढ़ी तो एक फंदा मेरे गले में गिरा और मैं उनके हाथ लग गई।

अजय:" ओह, अब मुझे समझ में सब अा गया। चलो अब चलते हैं और हरिद्वार आने का समय अा गया है।

इतना कहकर अजय ने गाड़ी निकाल ली और दोनो उसमे बैठ गई और गाड़ी सड़क पर दौड़ पड़ी। सौंदर्या सीट पर थोड़ी देर बाद ही सो गई और शहनाज़ ने भी अपनी आंखे बंद कर ली। बस अजय ही जाग रहा था और बीच बीच में वो मुड़कर मुड़कर शहनाज़ को देख रहा था।

पूरी रात गाड़ी चलती रही और अगले दिन सुबह 10 वो हरिद्वार पहुंच गए। अजय ने होटल लिया और उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सो गए। अजय एक पंडित जी से मिलने चला गया और पंडित जी ने अजय को गंगा के किनारे एक बहुत ही बड़ा क्षेत्र किराए पर दिलवा दिया।

अजय अाया तो शहनाज़ और सौंदर्या दोनो उठ गई थी और अजय बोला:" जल्दी से तैयार हो जाओ, आज रात से पूजा की बाकी विधियां आरंभ हो जाएगी। इसके लिए मैंने गंगा नदी के किनारे एक सुंदर सा घर और उसके आस पास का काफी क्षेत्र बुक कर किया हैं ताकि बिना किसी दिक्कत के हम लोग आगे की पूजा विधि कर सके।

सौंदर्या और शहनाज़ दोनो तैयार होने लगी और जल्दी ही एक बार फिर से गाड़ी गंगा नदी की तरफ चल पड़ी। थोड़ी ही बाद की वोह उतर गए और सामने ही एक बड़ा खूबसूरत घर बना हुआ था। सौंदर्या और शहनाज़ दोनो उसे देखते ही खुश हो गई। चारो और हरे हरे पेड़ पौधे, चारो तरफ से आती हुई खुली हवा, सामने ही थोड़ी दूरी पर कल कल करती हुई गंगा नदी के जल की आवाज। सामने बने हुए गंगा नदी के खूबसूरत घाट। कुल मिलाकर अदभुत।


शहनाज़:" जगह तो बहुत अच्छी हैं सौंदर्या, मुझे पसंद अाई।

सौंदर्या:" हान जी, बिल्कुल सब कुछ कितना अच्छा लग रहा है। मैं तो शादी के बाद हनीमून मनाने यहीं आऊंगी।

शहनाज़ उसकी बात पर हंस पड़ी और उसे अपने बेटे की याद अा गई। उसने मन ही मन फैसला किया कि वो भी थोड़े दिन अपने बेटे के साथ यहीं घूमने आएगी। शहनाज़ काफी अच्छा महसूस कर रही थी क्योंकि ठंडी हवा अपना जादू बिखेर रही थी। जल्दी ही नहा कर अा गई और उसने एक काले रंग की आधी बाजू की ढीली सी गोल टी शर्ट पहनी हुई थी जिसमें वो बेहद खूबसूरत लग रही थी। शहनाज़ ने अपना मेक अप किट निकाला और अपने होंठो पर लाल सुर्ख लिपिस्टिक लगा ली। कुल मिलाकर वो बेहद आकर्षक या कह कीजिए कि कामुक लग रही थी। शहनाज़ अपनी घड़ी पहन ही रही थी कि तभी बाहर से अजय की आवाज आई:"

" खाना लग गया है, शहनाज़ और सौंदर्या दोनो अा जाओ। नहीं तो पूजा के लिए देर हो जाएगी।

शहनाज़ ने जल्दी से अपनी घड़ी पहन ली बाहर की तरफ अा गई। अजय उसे देखते ही रह गया। सचमुच बेहद शहनाज़ बेहद खूबसूरत लग रही थी। अजय उसे लगातार देख रहा था।

शहनाज़:" ऐसे क्या देख रहे हो ? क्या सब ठीक हो तुम ?

अजय:" देख रहा हूं कि आप कितनी सुंदर हो। सच में मेरी बात मानो तो आपको फिर से शादी कर लेनी चाहिए।

शहनाज़ उसे देखते ही मुस्करा उठी और बोली:"

" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे, कुछ भी बोल देते हो।

अजय:" नहीं शहनाज़ सच कह रहा हूं, ऐसा लग रहा है मानो कल रात कामदेव की कृपया सौंदर्या से ज्यादा तुम पर हो गई है।

इससे पहले की बात आगे बढ़ती सौंदर्या अा गई और टेबल पर बैठ गई और शहनाज़ को देखते ही बोली:"

" सच में आप बेहद खूबसूरत लग रही है, आप हमेशा ऐसे ही हंसती रहे।

शहनाज़ कुर्सी पर बैठ गई और उसे सौंदर्या को स्माइल दी। सभी लोग खाना खाने लगे। सौंदर्या ने थोड़ा ही खाना खाया और बोली;"

" भाई मुझे कॉलेज का कुछ काम होगा। आप लोग खाओ। मैंने खा लिया।

शहनाज़:" अरे सौंदर्या ऐसे नहीं जाते, पहले खाना तो खा लो अच्छे से तुम ।

सौंदर्या:" पेटभर खा लिया मैंने, अभी जरूरी काम हैं कॉलेज का आप लोग खाओ।

इतना कहकर वो चली गई और दोनो खाना खाने लगे। शहनाज़ चावल खा रही थी और अजय मौका देख कर उसकी खूबसूरती का जलवा देख रहा था। शहनाज़ पानी लेने के लिए आगे को झुकी और उसकी चूचियों का उभार सामने बैठे अजय को नजर आया तो उसकी आंखे चमक उठी। शहनाज़ पानी लेकर फिर से पीछे हो गई और पीने लगी। आगे होने की वजह से उसकी टी शर्ट खीच गई थी और उसकी चुचियों का उभार साफ़ नजर आ रहा था और अजय उसे ही बीच बीच में देख रहा था। शहनाज़ ने उसे देखा और बोली:"

" कहां इधर उधर झांक रहे हो तुम? खाना खाओ आराम से।

इतना कहकर उसने मुंह नीचा किया और मंद मंद मुस्काने हुए खाना खाने लगी।

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अजय शहनाज़ की इस अदा पर मर मिटा। शहनाज़ अपना मुंह नीचे किए हुए थी और अजय बिल्कुल तसल्ली से उसकी चूचियां देख रहा था। कितना खूबसूरत लग रहा था शहनाज़ की चूचियों का उभार। शहनाज़ ने मुंह उपर किया तो अजय की नजरो का एहसास हुआ और स्माइल करते हुए बोली'"

" सुधर जाओ तुम, उधर इधर क्या देख रहे हो। आराम से खाना खाओ।

अजय ने प्लेट में ध्यान दिया और खाने लगा। शहनाज़ की खूबसूरती एक बार फ़िर से अजय से दिमाग और दिल पर हावी होती जा रही थी। दोनो ने खाना खाया और उसके बाद अजय ने दोनो को आगे की पूजा विधि के बारे में बताया:"

" अब यहां तीन दिन की पूजा विधि होगी और हो सकता है कि अभी पहले से ज्यादा मुश्किल आए लेकिन हमें सभी बाधाओं को पार करना ही होगा। ध्यान से मेरी सुनना क्योंकि कोई भी विधि ठीक से नहीं हुई तो सारी मेहनत खराब हो जाएगी।

अजय रुका और दोनो उसकी तरफ देखने लगी। अजय ने फिर से बोलना शुरू किया:"

" आज के बाद आप दोनो पूजा के लिए सिर्फ शुद्ध कपड़े धारण करोगी। मेरे द्वारा दिए गए कपड़ों के अलावा आपके जिस्म पर कोई और कपड़ा नहीं होगा। आज से आप दोनो के लिए हर समय मंगल यंत्र पहनना जरूरी हो जाएगा क्योंकि जाते जाते मंगल ग्रह अपना पूरा असर दिखा सकता है और मंगल यंत्र के चलते उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। दूसरी बात मंगल यंत्र आप खुद अपने हाथ से नहीं पहन सकते। शहनाज़ के मंगल यंत्र पहनने के बाद सौंदर्या तुम्हारे शरीर को हाथ भी नहीं लगा पाएगी। इसलिए जरूरी होगा कि पहले शहनाज़ सौंदर्या को मंगल यंत्र पहना दे। मंगल यंत्र को गोलाई में लपेट कर कमर से लेकर नाभि तक बांधना होगा। आप समझ गई ना शहनाज़ ?

शहनाज़ ने हान में सिर हिलाया और अजय उसे मंगल यंत्र दिया और कमरे से बाहर निकल गया।सौंदर्या ने साडी ली और अंदर बाथरूम में घुस गई और उसने अपने कांपते हाथो से अपनी ब्रा पेंटी उतार दी और साडी को अपने जिस्म पर लपेट लिया। सौंदर्या शर्मा गई क्योंकि उसका आधे से ज्यादा जिस्म नंगा चमक रहा था। शहनाज़ ने डिब्बे से मंगल यंत्र बाहर निकाल लिया था। ये एक सोने की बनी हुई चेन के जैसा था जिसने पीछे कमर से लेकर नाभि पर बांधने के लिए काला धागा लगा हुआ था और नीचे दो सोने की पाइप जैसी लाइन निकली हुई थी। बांधने पर नाभि के ठीक नीचे जांघो के बीच घुंघरू उपर से नीचे तक एक सोने की तार पर छोटे अंगूर के आकार के घुंघरू लगे हुए थे। शहनाज़ ये सब देखकर हैरान थी क्योंकि वो नहीं जानती थी बांधने पर क्या होगा।

सौंदर्या सिर्फ साडी में देखते ही शहनाज़ मुस्कुरा उठी और बोली'"

" काफी हॉट लग रही हो ऐसे सौंदर्या। आओ मैं तुम्हे मंगल यंत्र बांध देती हूं।

सौंदर्या कांपती हुई धीरे धीरे आगे बढ़ी और शहनाज़ ने उसकी साडी के अंदर हाथ डालकर उसके पेट को छुआ तो सौंदर्या मचल सी गई। शहनाज़ खुद काफी गर्म हो गई थी और हिम्मत करके शहनाज़ ने मंगल यंत्र को उसकी कमर पर टिकाया और घुमाते हुए उसकी नाभि पर ले अाई। सौंदर्या शहनाज़ के हाथो की छुवण से मचल रही थी। शहनाज़ ने मंगल यंत्र को उसकी दोनो जांघो के बीच से निकाला और उपर पेट पर बांध दिया तो सौंदर्या और शहनाज़ दोनो के मुंह से आह निकल पड़ी। दो सोने के धागों में बीच उसकी चूत फंस सी गई थी। यंत्र पर लगे घुंघरू उसकी चूत के होंठो को छू रहे थे।

सौंदर्या ने एक बार शहनाज़ की तरफ देखा तो शहनाज़ बोली:"

" ज्यादा टाईट तो नहीं बंधा हैं ना सौंदर्या ये मंगल यंत्र।

सौंदर्या ने इंकार में गर्दन हिला दी तो शहनाज़ बोली:"

" जल्दी से अपने सभी काम निपटा लो। फिर पूजा के लिए बाहर गंगा किनारे जाना होगा।

इतना कहकर वो बाहर निकल गई और दूसरे कमरे में अा गई जहां अजय उसका ही इंतजार कर रहा था। शहनाज़ उसे देखते ही कांप उठी क्योंकि आगे जो होने वाला था उस सोचकर ही उसके रोंगटे खड़े हो गए।

अजय:" मंगल यंत्र ठीक से बांध दिया ना आपने ? कोई दिक्कत तो नहीं अाई ?

शहनाज़:" हान कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब एक समस्या हो गई। मुझे तो साडी ही बांधनी नहीं आती तो अब क्या होगा ?

अजय:" तुम चिंता मत करो, मैं बांध दूंगा और तुम सीख भी लेना ताकि आगे दिक्कत ना आए।

अजय की बात सुनकर शहनाज़ बेचैन हो गई क्योंकि उसे पहले अपने ब्रा और पैंटी निकालने थे। मतलब अजय उसके बिल्कुल नंगे जिस्म को छूते हुए साडी बांधने वाला है। ये सोचकर ही शहनाज़ के जिस्म में सनसनी सी दौड़ गई। उसने साडी उठाई और अंदर की तरफ जाने लगी। शहनाज़ ने कांपते हुए हाथो से अपनी ब्रा को उतार दिया तो उसकी मस्त मस्त गोल चूचियां बाहर को छलक पड़ी। शहनाज़ ने दोनो पर प्यार से अपना हाथ फिराया मानो उन्हें समझा रही हो कि ज्यादा उछलना अच्छी बात नहीं होती।

शहनाज़ ने फिर अपने हाथो को नीचे सरका दिया और अपनी पेंटी भी उतार दी। पेंटी चूत वाले हिस्से पर से हल्की सी भीग गई थी। शहनाज़ ने अपनी चूत को अपनी जांघो के बीच में कस लिया और सिसक उठी। उसने पास पड़ी हुई साडी को उठाया और लपेटने लगी लेकिन काफी कोशिश के बाद भी पहन नहीं पाई। अब क्या होगा, उफ्फ अजय मेरी साडी बांधने वाला है, ये सोचकर वो बेचैन हो गई। थक हार कर उसने अजय को आवाज लगाई

"' अजय मुझसे साडी नहीं बंध पा रही, क्या करू ?

अजय उसकी बात सुनकर मन ही मन खुश हो गया क्योंकि वो तो कबसे से उसके बदन को छूने के लिए मरा जा रहा था। अजय प्यार से बोला:"

" लपेटकर बाहर अा जाओ जैसे ही लपेट सकती हो।

शहनाज़ ने साडी के दोनो पल्लू लिए और दुपट्टे की तरह अपने अपनी छाती और गांड़ पर लपेट लिया और कांपते हुए बाहर की तरफ चल पड़ी। शहनाज़ की आंखे लाल सुर्ख हो गई और और जिस्म पूरी तरह से तप रहा था मानो बुखार हो गया हो।

शहनाज़ ने कांपते हाथो से गेट खोला और उत्तेंजना से लगभग लड़खड़ाती हुई बाहर अा गई जिससे उसके एक कंधे पर से साडी सरक गई और शहनाज़ की आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही थी। शहनाज़ के होंठ कांप रहे थे और शर्म के मारे उसकी निगाह झुक गई।


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अजय शहनाज़ की गोल गोल चूचियां, उसकी गहरी नाभि, उसके कांपते रसीले होंठों को देखकर मदहोश हो गया और उसकी तरफ बढ़ गया। अजय शहनाज़ के पास जाकर खड़ा हो गया और उसका एक चक्कर लगाया। शहनाज़ की चिकनी नंगी कमर देखते ही अजय तड़प उठा। शहनाज़ को आज अजय पूरी तरह से मदहोश करना चाहता था कि ताकि वो खुद ही उसकी तरफ खींची चली आए। उसने शहनाज़ के पीछे खड़े होकर ही अपनी टी शर्ट और बनियान उतार दिया और उपर से पूरी तरह से नंगा हो गया। अजय जान बूझकर शहनाज़ के सामने अा गया और बोला:"

:" बहुत सुंदर लग रही हो शहनाज़, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सुंदर। अगर इतनी शर्माओगी तो आगे पूजा किस तरह करोगी। एक बार मेरी तरफ देखो पहले तुम।

शहनाज़ ने हिम्मत करके अपना चेहरा उठाया और उसकी नजर अजय की मजबूत चौड़ी छाती पर पड़ी तो शहनाज़ मचल उठी।

" पहले साड़ी पहना दू या मंगल यंत्र? बाद में मंगल यंत्र पहनाया तो साडी खराब हो सकती हैं।


मंगल यंत्र का नाम सुनते ही शहनाज़ की चूत में चिंगारी सी दौड़ गई। हाय मेरी खुदा, उफ्फ क्या होगा अब।

शहनाज़ ने कुछ जवाब नहीं दिया और अजय ने बिना देरी किए मंगल यंत्र को उठा लिया और उसे बाहर निकालने लगा। शहनाज़ को ऐसा लग रहा था कि अजय मंगल यंत्र नहीं बल्कि अपना लंड निकाल रहा हो। जैसे ही उसने डिब्बे से यंत्र बाहर निकाला तो शहनाज़ ने पूरी जोर से अपनी जांघों को कस लिया।

अजय थोड़ा आगे बढ़ा और शहनाज़ के पीछे जाकर खड़ा हो गया और धीरे से उसके कान में बोला:"

" मंगल यंत्र बंधवाने के लिए तैयार हो ना शहनाज़ ?

शहनाज़ ने हान में अपनी गर्दन हिला दी और अजय ने अपने हाथ आगे करते हुए उसकी कमर को थाम लिया तो शहनाज़ सिसक उठी। अजय ने प्यार से उसकी कमर पर हाथ फिराया और बोला:"

" ओह माय गॉड, तुम्हारी कमर कितनी चिकनी और मुलायम हैं, ना ज्यादा मोटी ना पतली, एक दम मस्त।

शहनाज़ अपनी तारीफ सुनकर पूरी तरह से बहक गई और उसकी चूत पूरी गीले हो गई। अजय ने मंगल यंत्र को उसकी कमर पर टिका दिया तो शहनाज़ का रोम रोम मस्ती में भर गया। अजय की उंगलियां उसकी कमर पर घूमती हुई उसकी नाभि पर अा गई तो शहनाज़ ने उत्तेजना से अपने होंठो को दांतो तले भींच लिया। अजय ने मंगल यंत्र के सोने के धागोर्को पकड़ा और शहनाज़ की दोनो नंगी जांघो को जैसे ही छुआ तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी चूत से बहकर रस ने उसकी जांघो को भिगो दिया। अजय समझ गया कि शहनाज़ पूरी तरह से बहक गई है तो उसने शहनाज़ की जांघो को उंगलियों से हल्का सा छुआ और बोला:"

" शहनाज़ अपनी दोनो नंगी टांगो को थोड़ा सा और खोल लो।

अजय ने जान बूझकर नंगी शब्द का इस्तेमाल किया और शहनाज़ ने अपनी टांगो को खोल दिया और अजय ने उसकी दोनो जांघो के बीच से मंगल यंत्र के धागे निकाले और उपर उसकी कमर पर अच्छे से जोर से खींच कर बांध दिया।


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धागो के बंधते ही शहनाज़ की चूत उनके बीच में पूरी तरह से कसकर फंस गई और अंगूर के जैसे घुंघरू उसकी चूत के मुंह से जा टकराए तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसके बदन ने तेज झटका खाया और शहनाज़ जोर से सिसक उठी। झटके के कारण साडी उसके जिस्म से हटकर नीचे गिरने लगी तो शहनाज़ ने तेजी से अपनी साडी को पकड़ लिया लेकिन जब तक साडी उसके घुटनो में पहुंच गई थी।

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शहनाज़ की मोटी मोटी गोल गोल गांड़ पूरी तरह से नंगी होकर उसकी आंखो के सामने अा गई। अजय के लंड ने जोरदार झटका खाया और पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया। शहनाज़ ने जल्दी से साडी को उपर किया और फिर से उल्टी सीधी तरह लपेटने लगी तो अजय ने बीच में उसके हाथ को पकड़ लिया और बोला:"

" लाओ मैं पहना देता हूं, कहीं फिर से ना खुल जाए और तुम्हारी गांड़ फिर से नंगी हो जाए शहनाज़।

अजय के मुंह से गांड़ सुनकर शहनाज़ पागल सी हो गईं। अजय ने साडी के पल्लू को लिया और उसकी कमर में लपेट दिया और उसे गोल गोल घुमाने लगा। शहनाज़ के दोनो कंधे और चूचियां पूरी तरह से नंगी थी। शहनाज़ के खुले हुए बाल उसकी छाती को अा गए और उसकी चूचियों को पूरी तरह से ढक लिया था।


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शहनाज़ की गांड़ पर साडी लिपट गई थी और वो दोनो आंखे बंद किए हुए खड़ी थी। अजय थोड़ा सा निराश हुआ लेकिन वो जानता था कि उसे क्या करना है जिससे शहनाज़ के दोनो खूबसूरत गोल गोल कबूतर उसकी आंखो में सामने होंगे।

अजय उसके बिल्कुल करीब अा गया और उसका खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ से अा लगा तो शहनाज़ ने उसकी साड़ी का दूसरा पल्लू पकड़ लिया और जोर से उपर की तरफ उठाने लगा जिससे एक बार फिर से साडी उसकी गांड़ पर से हटने लगी तो शहनाज़ बावली सी हो गई। अजय ने साडी को उसकी जांघो पर से पकड़ा और मंगल यंत्र के घुंघरू जोर से हिला दिए और जैसे ही घुंघरू शहनाज़ की चूत के टकराए तो शहनाज़ सब कुछ भूलकर पलटी और अजय के होंठ चूसने लगी। अजय ने शहनाज़ के होंठो को अपने होंठो में भर लिया जोर जोर से चूसने लगा।

:" अजय कितनी देर बाद निकलना हैं पूजा के लिए ?

जैसे ही सौंदर्या की आवाज उनके कानो में पड़ी तो दोनो ना चाहते हुए भी अलग हो गए और अजय ने जल्दी से शहनाज़ को साडी पहना दी और फिर दोनो बाहर आ गए।
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शहनाज़ एक बड़े से पत्थर पर बैठ गई और सोच में डूब गई। देखते ही देखते उसकी आंख लग गई।

अजय शहनाज़ के ऊपर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत में जोरदार धक्के लगा था। हर धक्के पर शहनाज़ का पूरा जिस्म हिल रहा था और शहनाज़ अपनी आंखे मजे से बंद किए हुए नीचे से अपनी गांड़ उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थी। तभी अजय ने एक तगड़ा धक्का लगाया तो दर्द के मारे उसके मुंह से आह निकल पड़ी जिससे शहनाज़ की आंखे खुल गई और और उसे सामने अपना बेटा शादाब खड़ा हुआ नजर आया जिसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे और उसने गुस्से से नाराज को देखा और बिना कुछ बोले अपने पैर पटकते हुए चला गया।

शहनाज़ की डर के मारे आंख खुल गई और उसने देखा कि वो सपना देख रही थी तो उसने सुकून की सांस ली। शहनाज़ का पूरा जिस्म पसीने से भीग गया था और उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी। शहनाज़ को अजय के साथ कुछ किस याद अा गया और उसकी आंखो से आंसू बह पड़े। नहीं नहीं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं किसी भी कीमत पर अपने बेटे को धोखा नहीं दे सकती। मुझे अपने उपर काबू रखना ही होगा। ये ही सब शहनाज़ एक बड़े से पत्थर पर बैठ गई और सोच में डूब गई। देखते ही देखते उसकी आंख लग गई।

अजय शहनाज़ के ऊपर चढ़ा हुआ था और उसकी चूत में जोरदार धक्के लगा था। हर धक्के पर शहनाज़ का पूरा जिस्म हिल रहा था और शहनाज़ अपनी आंखे मजे से बंद किए हुए नीचे से अपनी गांड़ उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थी। तभी अजय ने एक तगड़ा धक्का लगाया तो दर्द के मारे उसके मुंह से आह निकल पड़ी जिससे शहनाज़ की आंखे खुल गई और और उसे सामने अपना बेटा शादाब खड़ा हुआ नजर आया जिसकी आंखो से आंसू टपक रहे थे और उसने गुस्से से नाराज को देखा और बिना कुछ बोले अपने पैर पटकते हुए चला गया।

शहनाज़ की डर के मारे आंख खुल गई और उसने देखा कि वो सपना देख रही थी तो उसने सुकून की सांस ली। शहनाज़ का पूरा जिस्म पसीने से भीग गया था और उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी। शहनाज़ को अजय के साथ कुछ किस याद अा गया और उसकी आंखो से आंसू बह पड़े। नहीं नहीं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं किसी भी कीमत पर अपने बेटे को धोखा नहीं दे सकती। मुझे अपने उपर काबू रखना ही होगा। ये ही सब सोचते हुए शहनाज़ वहीं बैठी रही और अपने बेटे को याद करती रही।


वहीं दूसरी तरफ अजय और सौंदर्या दोनों ने मूर्ति के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। सौंदर्या पहले ही अंदर सेक्स करती हुई मूर्तियां देखकर काफी गर्म हो गई थी और काफी देर से लगातार पूरी तरह से साफ दिखने वाली मूर्ति को चुदाई की मुद्रा में देखकर सौंदर्या का बदन और गर्म होता जा रहा था। दोनो भाई बहन एक साथ चल रहे थे और दोनो में से ही कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। शहनाज़ के साथ हुए रोमांस की वजह से अजय का लन्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जिससे उसका पायजामा आगे से उठा हुआ था और सौंदर्या बीच बीच में उसे ही देख रही थी। देखते ही देखते उनका चक्कर पूरा हो गया और शहनाज़ उन्हें दूर दूर तक नहीं दिखाई दी और वो दोनो फिर से दूसरे चक्कर के लिए आगे बढ़ गए। हर चक्कर पर सौंदर्या को अपने बदन में पहले के मुकाबले और ज्यादा गर्मी महसूस हो रही थी क्योंकि उसे अब पूजा का फल मिल रहा था और उसका जिस्म पूरी तरह से तपता जा रहा था। सौंदर्या पर काम देव की कृपा हो रही थी और उसका सौंदर्य हर पल पहले से ज्यादा आकर्षक लग रहा था। उसकी चाल अपने आप ही बदल गई और उसकी गांड़ तराजू के पल्डे की तरह ऊपर नीचे होने लगी। उफ्फ अजय ये देखकर बेचैन सा हो गया और उसका लन्ड अब लग रहा था कि पायजामा फाड़ कर बाहर आ जाएगा। सौंदर्या और अजय अब छठे चक्कर की और बढ़ गए थे और ठीक मूर्ति के पीछे थे और तभी उसके आगे चलती हुई सौंदर्या लड़खड़ा गई और अजय ने तेजी से उसे अपनी बांहों में थाम लिया तो सौंदर्या उससे लिपट गई और बोली:"

" ओह भाई, अच्छा हुआ तुमने पकड़ ही लिया नहीं तो मैं तो गिर ही जाती।

अजय के हाथ उसके चिकने सपाट पेट पर बंधे हुए थे और उसका लन्ड उसकी टांगो के बीच घुस गया था जिससे सौंदर्या बेचैन हो गई थी। अजय ने अपने सिर को अपनी बहन के कंधे पर टिका दिया और बोला:"

" ओह मेरी प्यारी दीदी, मेरे होते हुए तुम्हे कुछ नहीं हो सकता।

सौंदर्या अपने भाई की बात सुनकर कसमसा उठी और बोली:" मुझे तुम पर पूरा यकीन है भाई। तुम ही मेरी ज़िन्दगी से सारे कष्ट निकाल दोगो। चलो अब जल्दी से आखिरी चक्कर भी पूरा कर लेते है।

अजय:" हान हान क्यों नहीं मेरी प्यारी बहन। आप थक गई होंगी इसलिए ये चक्कर आप मेरी गोद में लगा लिजिए।

इतना कहकर उसने सौंदर्या को अपनी बांहों में उठा लिया और आगे चल पड़ा। सौंदर्या ने भी अपनी बांहे उसके गले में डाल दी और अपने सिर को उसके सीने पर टिका दिया। आखिरी चक्कर भी पूरा हो गया और सौंदर्या ने खुशी में अपने भाई के गाल को चूमना चाहा और अजय उसे उतारने के लिए नीचे की तरफ झुका तो सौंदर्या के होंठ उसके होंठो से जा टकराए और सौंदर्या ने उसके होंठो को चूम लिया। अजय ने उसकी तरफ देखा और सौंदर्या शर्मा गई। अजय ने उसे प्यार से देखा और शहनाज़ को उधर इधर देखने लगा लेकिन शहनाज़ कहीं नजर नहीं आई। दोनो भाई बहन के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई कि इतनी रात गए शहनाज़ कहां चली गई।

काफी बार पूरे मैदान में देखा लेकिन शहनाज़ कहीं नजर नहीं आई। रात के 12 बजने वाले थे और अजय किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा। उसका थोड़ी देर पहले पत्थर की तरह सख्त लंड सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था।

अजय:" दीदी आप एक काम करो, बाहर जाकर गाड़ी में देखो और इधर ही कहीं देखता हूं। अगर शहनाज वहां नहीं मिली तो आप आराम से गाड़ी में ही बैठ जाना और बाहर मत निकलना। फोन पर मुझे बताना सब कुछ ।

इतना कहकर उसने सौंदर्या का हाथ पकड़ा और मंदिर में अंदर की तरफ घुस गया और सौंदर्या तेजी से गाड़ी की तरफ बढ़ गई। अजय मैदान में हर तरफ देख रहा था, पागलों की तरह धुंध रहा था लेकिन शहनाज़ उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी। तभी उसका फोन बज उठा और देखा कि सौंदर्या थी तो उसने उठाया और बोला:"

" क्या हुआ दीदी? शहनाज़ दीदी मिल गई क्या ?

सौंदर्या घबराई हुई सी बोली:" नहीं भाई, तुम जल्दी से कुछ करो और उन्हें धुंध लो। नहीं तो हम किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे।

अजय ने फोन काट दिया और तभी उसकी नज़र मैदान के कोने में खड़े हुए एक पेड़ पर पड़ी जिस पर एक रस्सी लटकी हुई थी। अजय जल्दी से पेड़ पर चढ़ा और रस्सी के सहारे बाहर उतर गया। अजय हैरान हो गया क्योंकि बाहर काफी घना जंगल था।

अजय समझ गया कि शहनाज़ फिर से किसी मुसीबत में फंस गई है और उसे हर हाल में बचाना ही होगा। अजय जंगल में तेजी से आगे बढ़ रहा था और चारो और खड़े हुए बड़े बड़े पेड़ जिनके हवा के चलने से हिलते हुए पत्ते खौफ पैदा कर रहे थे लेकिन अजय खुद खौफ का दूसरा नाम था।

जल्दी ही उसे कुछ पुरानी सी बस्तियां नजर आने लगी और अजय अब सावधानी पूर्वक आगे बढ़ रहा था। दूर दूर तक आदमी तो क्या जानवर का भी नामो निशान नहीं, सिर्फ मिट्टी और लकड़ी के बने हुए घर। बस्ती में पूरी तरह से सन्नाटा।

अजय थोड़ा और आगे बढ़ा तो उसे सामने की तरफ कुछ रोशनी दिखाई दी और वो तेजी से उसी दिशा में बढ़ने लगा। दूर से ही उसे एक बहुत बड़ी सी मूर्ति नजर आने लगी जो मशाल की रोशनी में लाल नजर अा रही थी। अजय थोड़ा और पास गया और एक पेड़ पर चढ़ गया। अजय को अब सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। एक बड़ा सा चबूतरा था जिसके चारों और काफी सारी भीड़ जमा हुई थी। औरतें, मर्द बूढ़े बच्चे सभी। बीच में एक कुर्सी लगी हुई थी और उस पर शायद उनका सरदार बैठा हुआ था। लंबा चौड़ा, बिल्कुल राक्षस जैसा और पूरे शरीर पर भालू की तरह लंबे लंबे बाल।

कुर्सी के ठीक सामने शहनाज पड़ी हुई थी जिसके दोनो हाथ बंधे हुए थे। शहनाज़ को अच्छे से सजाया गया था और उसके गले में एक फूलो की माला पड़ी हुई थी। शहनाज़ की आंखे लगभग पथरा सी गई थी और उसके चहरे पर खौफ के बादल साफ नजर आ रहे थे।

12 बजने में अभी कुछ ही मिनट बाकी थे और सरदार अपनी सीट से खड़ा हुआ तो सभी लोग उसे सलाम करने लगे और उसकी जय जय कार करने लगे।

सरदार:" बस साथियों बस, आज हम सबका इंतजार खत्म हो जाएगा और आज इस मांगलिक लड़की की बलि देती ही मेरी तपस्या पूरी हो जाएगी और मैं दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान बन जाऊंगा और फिर सारी दुनिया पर मेरा राज होगा।

इतना कहकर जमुरा ने चबूतरे में अपना पैर जोर से मारा तो चबूतरा एक तरफ से टूट गया और उसकी ताकत देखकर भीड़ उसकी जय जय कार करने लगी।

भीड़:" सरदार जमुरा की जय हो। सरदार जमुरा जिंदाबाद।

जमुरत:" 12 बजने में सिर्फ कुछ ही मिनट बाकी हैं और अभी तक मेरे गुरुजी क्यों नहीं आए हैं ?

एक मंत्री जंगली:" महाराज आते हो होंगे। वो तो खुद आपको बड़े बनते देखना चाहते हैं। लेकिन सरदार आप अपने गुस्से को काबू में रखना। कहीं बना हुआ खेल खराब ना हो जाए।

सरदार बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था और अजय समझ गया था कि ये गलती से शहनाज़ को मांगलिक समझ कर उसकी बली देना चाहते है। उसे अब सब कुछ समझ में आ गया था आखिर कार क्यों आचार्य तुलसी दास जी ने सौंदर्या की राशि वाली औरत को पहले विधि करने के लिए कहा था। मतलब शहनाज़ तो मांगलिक है नहीं इसलिए उसकी बलि नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन ये तो मूर्ख जंगली हैं इनसे शहनाज़ को कैसे बचाया जाए। अजय ने एक योजना बनाई और पेड़ से नीचे उतर कर उन पर हमला करने के लिए तैयार हो गया।

तभी भीड़ चिल्ला उठी:" गुरु जी अा गए, गुरु जी अा गए।

अजय ने देखा कि एक बूढ़ा जंगली आदमी उनके बीच अा गया था और सभी ने उसे झुक कर सलाम किया और जमुरा ने आगे बढ़कर उनके पैर छुए और बोला:"

" गुरुजी आखिर कार आज वो दिन अा ही गया जिसका हमे बेताबी से इंतजार था। अब बस इसकी बली देकर मैं बेपनाह ताकत का मालिक बन जाऊंगा और पूरी दुनिया पर मेरा राज होगा बस मेरा राज।

गुरु जी आगे बढ़े और उन्होंने शहनाज़ का हाथ पकड़ लिया और अपनी आंखे बंद करके कुछ मंत्र पढ़ने लगे और उनके चहरे पर निराशा और अविश्वास के भाव उभर आए जिन्हे देख कर जमुरा परेशान हो गया aur बोला :"

" क्या हुआ? आप इतने परेशान क्यों हो गए ?

गुरु जी:" तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी जमुरा, ये लड़की तो मांगलिक हैं ही नहीं, उसकी बली नहीं दी जा सकती।

जमुरा को मानो यकीन नहीं हुआ और वो चिल्ला उठा:"

" नहीं ऐसा कुछ नहीं हो सकता, आप फिर से देखिए गुरु जी? मेरी तपस्या ऐसी मिट्टी में नहीं मिल सकती।

गुरुजी:" तुमसे भूल हुई जमुरा, अब तुम्हे कोई ताकत नहीं मिल सकती।

जमुरा:" बुड्ढे ये सब तुम्हारी चाल है। तुझे ज़िंदा नहीं छोडूंगा

जमुरा गुस्से से पागल हो गया और उसने एक जोरदार घुसा गुरुजी को मार दिया तो जमीन पर गिर पड़े और मर गए। भीड़ अपने गुरु का ऐसा अपमान देखकर भड़क उठी और चारो तरफ से जमुरा को घेर लिया। अजय तेजी से अंदर घुसा और शहनाज़ को उठाया और बाहर को तरफ दौड़ पड़ा। जंगली एक रको मार रहे थे और चारो तरफ चींखं पुकार मची हुई थी और शहनाज़ अजय के गले से चिपकी हुई थी। कुछ जंगली अजय के पीछे भाग पड़े और अजय मौका देखकर एक पेड़ के पीछे छुप गया और एक एक करके उसने चारो जंगलियों को मौत के घाट उतार दिया और फिर से जंगल से बाहर की तरफ दौड़ पड़ा।

चबूतरे पर खूंखार लड़ाई चल रही थी और जमुरा सब पर भारी पड़ रहा था। देखते ही देखते चारो और लाशे ही लाशे बिछ गई और जमुरा अब अजय के पीछे भागा। दूर दूर तक कोई नजर नहीं अा रहा था और लम्बा चौड़ा राक्षस सा जमुरा तूफान की गति से दौड़ रहा था। अजय मंदिर के पास अा गया और दीवार पर चढ़ ही रहा था कि भूत की तरह से जमुरा प्रकट हो गया और देखते ही देखते उसने अपनी लम्बी तलवार निकाल ली और वार करने के लिए हवा में उठाई तभी पीछे से कुछ तीर आए और जमुरा की पीठ में घुसते चले गए। जमुरा दर्द से तड़प उठा और तलवार उसके हाथ से छूट गई। नीचे खड़े दो जंगलियों के हाथ में फिर से धनुष बाण नजर आए जिनका निशाना अजय और शहनाज़ की तरफ था। इससे पहले कि वो तीर छोड़ पाते जमीन पर दर्द से तड़प रहे जमुरा ने दो चाकू निकाल कर उनकी छाती में फेंक मारे और दोनो जंगली दर्द से तड़पते हुए ढेर हो गए और इसी बीच शहनाज़ अजय की पीठ पर बैठ गई थी और अजय दीवार पर चढ़ गया और जैसे ही जमुरा ने उनकी तरफ चाकू फेंके तो अजय फुर्ती से मंदिर के अंदर कूद गया। जमुरा ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। उसकी दर्द भरी चींखें शांत होती चली गई।

शहनाज़ और अजय मंदिर के अंदर दीवार के पास कूद गए थे और अजय जानता था कि अब वो दोनो पूरी तरह से सुरक्षित है। भागने के कारण दोनो की सांसे बुरी तरह से उखड़ी हुई थी। शहनाज़ बुरी तरह से डरी हुई थी और अजय से चिपकी हुई थी। शहनाज़ डर के मारे अभी तक कांप रही थी और अजय उसकी पीठ थपथपाते हुए उसे तसल्ली देते हुए बोला:"

" बस शहनाज़, अब डरने की कोई बात नहीं, मंदिर के अंदर हम पूरी तरह से सुरक्षित हैं। जब तक मैं हूं तुम्हे कुछ नहीं हो सकता।

अजय की बात सुनकर शहनाज़ ने राहत की सांस ली और अपने आपको संभालते हुए बोली:"

" मुझे लगा था कि आज मेरी बली जरूर चढ़ जाएगी। लेकिन तुमने मुझे एक बार फिर से बचा लिया अजय।

अजय ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और बोला:"

" ऐसे कैसे बली चढ़ जाती तुम्हारी, जब तक मैं जिंदा हूं कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता।

शहनाज़ अजय की बात सुनकर उससे कसकर लिपट गई और बोली:"

" लगता है तुमसे मेरा जरूर कोई ना कोई गहरा रिश्ता हैं, मैं जब भी मुसीबत में होती हूं तुम हमेशा पहुंच जाते हो बचाने के लिए।

अजय ने उसकी पीठ फिर से थपथपा दी और बोला:"

" आपको मैं अपने भाई शादाब से लेकर आया हूं और आप भी बिना जाति धर्म की परवाह किए बिना हमारी इतनी मदद कर रही है। आपको बचाना मेरा शर्म हैं शहनाज़। जरूर कुछ तो जरूर हैं हमारे बीच।

दोनो ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे रहे और फिर अजय को सौंदर्या की याद अाई तो वो बाहर की तरफ चल पड़े। अजय ने शहनाज़ के गले में पड़ी हुई फूलो की माला निकाल दी और शहनाज़ अब बिल्कुल पहले कि तरह खुबसुरत लग रही थी।

जल्दी ही दोनो सौंदर्या के सामने गए तो शहनाज़ को देखते ही उसने सुकून की सांस ली।

सौंदर्या:" ओह शहनाज़ दीदी, अच्छा हुआ आप मिल गई, मैं सच में बहुत परेशान थी। वैसे आप कहां चली गई थी ?

शहनाज़ ने सौंदर्या को सारी बात बताई तो सौंदर्या की आंखो से आंसू निकल पड़े और शहनाज़ को अपनी बांहों में कस लिया। शहनाज़ ने उसके आंसू साफ किए और बोली:"

" रोती क्यों है पगली ? देख तेरे सामने बिल्कुल ठीक तो खड़ी हुई हू मैं सौंदर्या।

सौंदर्या हिचकी लेते हुए बोली:" आप मेरे ऊपर आने वाली हर मुसीबत को झेल रही है। अगर आपकी जगह मैं पहले चक्कर लगाती तो मेरी बली जरूर चढ़ जाती क्योंकि मैं तो मांगलिक भी हूं तो बच नहीं सकती।

अजय और शहनाज़ ने उसकी बात पे गौर किया। सौंदर्या बिल्कुल ठीक बोल रही थी और अगर वो होती तो शायद उसका बचना मुश्किल होता।

अजय:" लेकिन एक बात समझ नहीं आई कि वो जंगली मंदिर के अंदर कैसे घुस गए और तुम उनके हाथ लग गई।

शहनाज़:" मैं पत्थर पर बैठी हुई कुछ सोच रही थी कि मेरे कानों में बच्चे के रोने की आवाज पड़ी। मैं उस दिशा में बढ़ गई लेकिन कोई नजर नहीं आया और बच्चा जोर जोर से बचाने के लिए बोल रहा था। आवाज दीवार की तरफ से अा रही थी और मैं देखने के लिए जैसे ही दीवार पर चढ़ी तो एक फंदा मेरे गले में गिरा और मैं उनके हाथ लग गई।

अजय:" ओह, अब मुझे समझ में सब अा गया। चलो अब चलते हैं और हरिद्वार आने का समय अा गया है।

इतना कहकर अजय ने गाड़ी निकाल ली और दोनो उसमे बैठ गई और गाड़ी सड़क पर दौड़ पड़ी। सौंदर्या सीट पर थोड़ी देर बाद ही सो गई और शहनाज़ ने भी अपनी आंखे बंद कर ली। बस अजय ही जाग रहा था और बीच बीच में वो मुड़कर मुड़कर शहनाज़ को देख रहा था।

पूरी रात गाड़ी चलती रही और अगले दिन सुबह 10 वो हरिद्वार पहुंच गए। अजय ने होटल लिया और उसके बाद सभी लोगो ने खाना खाया और सो गए। अजय एक पंडित जी से मिलने चला गया और पंडित जी ने अजय को गंगा के किनारे एक बहुत ही बड़ा क्षेत्र किराए पर दिलवा दिया।

अजय अाया तो शहनाज़ और सौंदर्या दोनो उठ गई थी और अजय बोला:" जल्दी से तैयार हो जाओ, आज रात से पूजा की बाकी विधियां आरंभ हो जाएगी। इसके लिए मैंने गंगा नदी के किनारे एक सुंदर सा घर और उसके आस पास का काफी क्षेत्र बुक कर किया हैं ताकि बिना किसी दिक्कत के हम लोग आगे की पूजा विधि कर सके।

सौंदर्या और शहनाज़ दोनो तैयार होने लगी और जल्दी ही एक बार फिर से गाड़ी गंगा नदी की तरफ चल पड़ी। थोड़ी ही बाद की वोह उतर गए और सामने ही एक बड़ा खूबसूरत घर बना हुआ था। सौंदर्या और शहनाज़ दोनो उसे देखते ही खुश हो गई। चारो और हरे हरे पेड़ पौधे, चारो तरफ से आती हुई खुली हवा, सामने ही थोड़ी दूरी पर कल कल करती हुई गंगा नदी के जल की आवाज। सामने बने हुए गंगा नदी के खूबसूरत घाट। कुल मिलाकर अदभुत।


शहनाज़:" जगह तो बहुत अच्छी हैं सौंदर्या, मुझे पसंद अाई।

सौंदर्या:" हान जी, बिल्कुल सब कुछ कितना अच्छा लग रहा है। मैं तो शादी के बाद हनीमून मनाने यहीं आऊंगी।

शहनाज़ उसकी बात पर हंस पड़ी और उसे अपने बेटे की याद अा गई। उसने मन ही मन फैसला किया कि वो भी थोड़े दिन अपने बेटे के साथ यहीं घूमने आएगी। शहनाज़ काफी अच्छा महसूस कर रही थी क्योंकि ठंडी हवा अपना जादू बिखेर रही थी। जल्दी ही नहा कर अा गई और उसने एक काले रंग की आधी बाजू की ढीली सी गोल टी शर्ट पहनी हुई थी जिसमें वो बेहद खूबसूरत लग रही थी। शहनाज़ ने अपना मेक अप किट निकाला और अपने होंठो पर लाल सुर्ख लिपिस्टिक लगा ली। कुल मिलाकर वो बेहद आकर्षक या कह कीजिए कि कामुक लग रही थी। शहनाज़ अपनी घड़ी पहन ही रही थी कि तभी बाहर से अजय की आवाज आई:"

" खाना लग गया है, शहनाज़ और सौंदर्या दोनो अा जाओ। नहीं तो पूजा के लिए देर हो जाएगी।

शहनाज़ ने जल्दी से अपनी घड़ी पहन ली बाहर की तरफ अा गई। अजय उसे देखते ही रह गया। सचमुच बेहद शहनाज़ बेहद खूबसूरत लग रही थी। अजय उसे लगातार देख रहा था।

शहनाज़:" ऐसे क्या देख रहे हो ? क्या सब ठीक हो तुम ?

अजय:" देख रहा हूं कि आप कितनी सुंदर हो। सच में मेरी बात मानो तो आपको फिर से शादी कर लेनी चाहिए।

शहनाज़ उसे देखते ही मुस्करा उठी और बोली:"

" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे, कुछ भी बोल देते हो।

अजय:" नहीं शहनाज़ सच कह रहा हूं, ऐसा लग रहा है मानो कल रात कामदेव की कृपया सौंदर्या से ज्यादा तुम पर हो गई है।

इससे पहले की बात आगे बढ़ती सौंदर्या अा गई और टेबल पर बैठ गई और शहनाज़ को देखते ही बोली:"

" सच में आप बेहद खूबसूरत लग रही है, आप हमेशा ऐसे ही हंसती रहे।

शहनाज़ कुर्सी पर बैठ गई और उसे सौंदर्या को स्माइल दी। सभी लोग खाना खाने लगे। सौंदर्या ने थोड़ा ही खाना खाया और बोली;"

" भाई मुझे कॉलेज का कुछ काम होगा। आप लोग खाओ। मैंने खा लिया।

शहनाज़:" अरे सौंदर्या ऐसे नहीं जाते, पहले खाना तो खा लो अच्छे से तुम ।

सौंदर्या:" पेटभर खा लिया मैंने, अभी जरूरी काम हैं कॉलेज का आप लोग खाओ।

इतना कहकर वो चली गई और दोनो खाना खाने लगे। शहनाज़ चावल खा रही थी और अजय मौका देख कर उसकी खूबसूरती का जलवा देख रहा था। शहनाज़ पानी लेने के लिए आगे को झुकी और उसकी चूचियों का उभार सामने बैठे अजय को नजर आया तो उसकी आंखे चमक उठी। शहनाज़ पानी लेकर फिर से पीछे हो गई और पीने लगी। आगे होने की वजह से उसकी टी शर्ट खीच गई थी और उसकी चुचियों का उभार साफ़ नजर आ रहा था और अजय उसे ही बीच बीच में देख रहा था। शहनाज़ ने उसे देखा और बोली:"

" कहां इधर उधर झांक रहे हो तुम? खाना खाओ आराम से।

इतना कहकर उसने मुंह नीचा किया और मंद मंद मुस्काने हुए खाना खाने लगी।

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अजय शहनाज़ की इस अदा पर मर मिटा। शहनाज़ अपना मुंह नीचे किए हुए थी और अजय बिल्कुल तसल्ली से उसकी चूचियां देख रहा था। कितना खूबसूरत लग रहा था शहनाज़ की चूचियों का उभार। शहनाज़ ने मुंह उपर किया तो अजय की नजरो का एहसास हुआ और स्माइल करते हुए बोली'"

" सुधर जाओ तुम, उधर इधर क्या देख रहे हो। आराम से खाना खाओ।

अजय ने प्लेट में ध्यान दिया और खाने लगा। शहनाज़ की खूबसूरती एक बार फ़िर से अजय से दिमाग और दिल पर हावी होती जा रही थी। दोनो ने खाना खाया और उसके बाद अजय ने दोनो को आगे की पूजा विधि के बारे में बताया:"

" अब यहां तीन दिन की पूजा विधि होगी और हो सकता है कि अभी पहले से ज्यादा मुश्किल आए लेकिन हमें सभी बाधाओं को पार करना ही होगा। ध्यान से मेरी सुनना क्योंकि कोई भी विधि ठीक से नहीं हुई तो सारी मेहनत खराब हो जाएगी।

अजय रुका और दोनो उसकी तरफ देखने लगी। अजय ने फिर से बोलना शुरू किया:"

" आज के बाद आप दोनो पूजा के लिए सिर्फ शुद्ध कपड़े धारण करोगी। मेरे द्वारा दिए गए कपड़ों के अलावा आपके जिस्म पर कोई और कपड़ा नहीं होगा। आज से आप दोनो के लिए हर समय मंगल यंत्र पहनना जरूरी हो जाएगा क्योंकि जाते जाते मंगल ग्रह अपना पूरा असर दिखा सकता है और मंगल यंत्र के चलते उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। दूसरी बात मंगल यंत्र आप खुद अपने हाथ से नहीं पहन सकते। शहनाज़ के मंगल यंत्र पहनने के बाद सौंदर्या तुम्हारे शरीर को हाथ भी नहीं लगा पाएगी। इसलिए जरूरी होगा कि पहले शहनाज़ सौंदर्या को मंगल यंत्र पहना दे। मंगल यंत्र को गोलाई में लपेट कर कमर से लेकर नाभि तक बांधना होगा। आप समझ गई ना शहनाज़ ?

शहनाज़ ने हान में सिर हिलाया और अजय उसे मंगल यंत्र दिया और कमरे से बाहर निकल गया।सौंदर्या ने साडी ली और अंदर बाथरूम में घुस गई और उसने अपने कांपते हाथो से अपनी ब्रा पेंटी उतार दी और साडी को अपने जिस्म पर लपेट लिया। सौंदर्या शर्मा गई क्योंकि उसका आधे से ज्यादा जिस्म नंगा चमक रहा था। शहनाज़ ने डिब्बे से मंगल यंत्र बाहर निकाल लिया था। ये एक सोने की बनी हुई चेन के जैसा था जिसने पीछे कमर से लेकर नाभि पर बांधने के लिए काला धागा लगा हुआ था और नीचे दो सोने की पाइप जैसी लाइन निकली हुई थी। बांधने पर नाभि के ठीक नीचे जांघो के बीच घुंघरू उपर से नीचे तक एक सोने की तार पर छोटे अंगूर के आकार के घुंघरू लगे हुए थे। शहनाज़ ये सब देखकर हैरान थी क्योंकि वो नहीं जानती थी बांधने पर क्या होगा।

सौंदर्या सिर्फ साडी में देखते ही शहनाज़ मुस्कुरा उठी और बोली'"

" काफी हॉट लग रही हो ऐसे सौंदर्या। आओ मैं तुम्हे मंगल यंत्र बांध देती हूं।

सौंदर्या कांपती हुई धीरे धीरे आगे बढ़ी और शहनाज़ ने उसकी साडी के अंदर हाथ डालकर उसके पेट को छुआ तो सौंदर्या मचल सी गई। शहनाज़ खुद काफी गर्म हो गई थी और हिम्मत करके शहनाज़ ने मंगल यंत्र को उसकी कमर पर टिकाया और घुमाते हुए उसकी नाभि पर ले अाई। सौंदर्या शहनाज़ के हाथो की छुवण से मचल रही थी। शहनाज़ ने मंगल यंत्र को उसकी दोनो जांघो के बीच से निकाला और उपर पेट पर बांध दिया तो सौंदर्या और शहनाज़ दोनो के मुंह से आह निकल पड़ी। दो सोने के धागों में बीच उसकी चूत फंस सी गई थी। यंत्र पर लगे घुंघरू उसकी चूत के होंठो को छू रहे थे।

सौंदर्या ने एक बार शहनाज़ की तरफ देखा तो शहनाज़ बोली:"

" ज्यादा टाईट तो नहीं बंधा हैं ना सौंदर्या ये मंगल यंत्र।

सौंदर्या ने इंकार में गर्दन हिला दी तो शहनाज़ बोली:"

" जल्दी से अपने सभी काम निपटा लो। फिर पूजा के लिए बाहर गंगा किनारे जाना होगा।

इतना कहकर वो बाहर निकल गई और दूसरे कमरे में अा गई जहां अजय उसका ही इंतजार कर रहा था। शहनाज़ उसे देखते ही कांप उठी क्योंकि आगे जो होने वाला था उस सोचकर ही उसके रोंगटे खड़े हो गए।

अजय:" मंगल यंत्र ठीक से बांध दिया ना आपने ? कोई दिक्कत तो नहीं अाई ?

शहनाज़:" हान कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब एक समस्या हो गई। मुझे तो साडी ही बांधनी नहीं आती तो अब क्या होगा ?

अजय:" तुम चिंता मत करो, मैं बांध दूंगा और तुम सीख भी लेना ताकि आगे दिक्कत ना आए।

अजय की बात सुनकर शहनाज़ बेचैन हो गई क्योंकि उसे पहले अपने ब्रा और पैंटी निकालने थे। मतलब अजय उसके बिल्कुल नंगे जिस्म को छूते हुए साडी बांधने वाला है। ये सोचकर ही शहनाज़ के जिस्म में सनसनी सी दौड़ गई। उसने साडी उठाई और अंदर की तरफ जाने लगी। शहनाज़ ने कांपते हुए हाथो से अपनी ब्रा को उतार दिया तो उसकी मस्त मस्त गोल चूचियां बाहर को छलक पड़ी। शहनाज़ ने दोनो पर प्यार से अपना हाथ फिराया मानो उन्हें समझा रही हो कि ज्यादा उछलना अच्छी बात नहीं होती।

शहनाज़ ने फिर अपने हाथो को नीचे सरका दिया और अपनी पेंटी भी उतार दी। पेंटी चूत वाले हिस्से पर से हल्की सी भीग गई थी। शहनाज़ ने अपनी चूत को अपनी जांघो के बीच में कस लिया और सिसक उठी। उसने पास पड़ी हुई साडी को उठाया और लपेटने लगी लेकिन काफी कोशिश के बाद भी पहन नहीं पाई। अब क्या होगा, उफ्फ अजय मेरी साडी बांधने वाला है, ये सोचकर वो बेचैन हो गई। थक हार कर उसने अजय को आवाज लगाई

"' अजय मुझसे साडी नहीं बंध पा रही, क्या करू ?

अजय उसकी बात सुनकर मन ही मन खुश हो गया क्योंकि वो तो कबसे से उसके बदन को छूने के लिए मरा जा रहा था। अजय प्यार से बोला:"

" लपेटकर बाहर अा जाओ जैसे ही लपेट सकती हो।

शहनाज़ ने साडी के दोनो पल्लू लिए और दुपट्टे की तरह अपने अपनी छाती और गांड़ पर लपेट लिया और कांपते हुए बाहर की तरफ चल पड़ी। शहनाज़ की आंखे लाल सुर्ख हो गई और और जिस्म पूरी तरह से तप रहा था मानो बुखार हो गया हो।

शहनाज़ ने कांपते हाथो से गेट खोला और उत्तेंजना से लगभग लड़खड़ाती हुई बाहर अा गई जिससे उसके एक कंधे पर से साडी सरक गई और शहनाज़ की आधे से ज्यादा चूचियां नजर आ रही थी। शहनाज़ के होंठ कांप रहे थे और शर्म के मारे उसकी निगाह झुक गई।


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अजय शहनाज़ की गोल गोल चूचियां, उसकी गहरी नाभि, उसके कांपते रसीले होंठों को देखकर मदहोश हो गया और उसकी तरफ बढ़ गया। अजय शहनाज़ के पास जाकर खड़ा हो गया और उसका एक चक्कर लगाया। शहनाज़ की चिकनी नंगी कमर देखते ही अजय तड़प उठा। शहनाज़ को आज अजय पूरी तरह से मदहोश करना चाहता था कि ताकि वो खुद ही उसकी तरफ खींची चली आए। उसने शहनाज़ के पीछे खड़े होकर ही अपनी टी शर्ट और बनियान उतार दिया और उपर से पूरी तरह से नंगा हो गया। अजय जान बूझकर शहनाज़ के सामने अा गया और बोला:"

:" बहुत सुंदर लग रही हो शहनाज़, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सुंदर। अगर इतनी शर्माओगी तो आगे पूजा किस तरह करोगी। एक बार मेरी तरफ देखो पहले तुम।

शहनाज़ ने हिम्मत करके अपना चेहरा उठाया और उसकी नजर अजय की मजबूत चौड़ी छाती पर पड़ी तो शहनाज़ मचल उठी।

" पहले साड़ी पहना दू या मंगल यंत्र? बाद में मंगल यंत्र पहनाया तो साडी खराब हो सकती हैं।


मंगल यंत्र का नाम सुनते ही शहनाज़ की चूत में चिंगारी सी दौड़ गई। हाय मेरी खुदा, उफ्फ क्या होगा अब।

शहनाज़ ने कुछ जवाब नहीं दिया और अजय ने बिना देरी किए मंगल यंत्र को उठा लिया और उसे बाहर निकालने लगा। शहनाज़ को ऐसा लग रहा था कि अजय मंगल यंत्र नहीं बल्कि अपना लंड निकाल रहा हो। जैसे ही उसने डिब्बे से यंत्र बाहर निकाला तो शहनाज़ ने पूरी जोर से अपनी जांघों को कस लिया।

अजय थोड़ा आगे बढ़ा और शहनाज़ के पीछे जाकर खड़ा हो गया और धीरे से उसके कान में बोला:"

" मंगल यंत्र बंधवाने के लिए तैयार हो ना शहनाज़ ?

शहनाज़ ने हान में अपनी गर्दन हिला दी और अजय ने अपने हाथ आगे करते हुए उसकी कमर को थाम लिया तो शहनाज़ सिसक उठी। अजय ने प्यार से उसकी कमर पर हाथ फिराया और बोला:"

" ओह माय गॉड, तुम्हारी कमर कितनी चिकनी और मुलायम हैं, ना ज्यादा मोटी ना पतली, एक दम मस्त।

शहनाज़ अपनी तारीफ सुनकर पूरी तरह से बहक गई और उसकी चूत पूरी गीले हो गई। अजय ने मंगल यंत्र को उसकी कमर पर टिका दिया तो शहनाज़ का रोम रोम मस्ती में भर गया। अजय की उंगलियां उसकी कमर पर घूमती हुई उसकी नाभि पर अा गई तो शहनाज़ ने उत्तेजना से अपने होंठो को दांतो तले भींच लिया। अजय ने मंगल यंत्र के सोने के धागोर्को पकड़ा और शहनाज़ की दोनो नंगी जांघो को जैसे ही छुआ तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी चूत से बहकर रस ने उसकी जांघो को भिगो दिया। अजय समझ गया कि शहनाज़ पूरी तरह से बहक गई है तो उसने शहनाज़ की जांघो को उंगलियों से हल्का सा छुआ और बोला:"

" शहनाज़ अपनी दोनो नंगी टांगो को थोड़ा सा और खोल लो।

अजय ने जान बूझकर नंगी शब्द का इस्तेमाल किया और शहनाज़ ने अपनी टांगो को खोल दिया और अजय ने उसकी दोनो जांघो के बीच से मंगल यंत्र के धागे निकाले और उपर उसकी कमर पर अच्छे से जोर से खींच कर बांध दिया।


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धागो के बंधते ही शहनाज़ की चूत उनके बीच में पूरी तरह से कसकर फंस गई और अंगूर के जैसे घुंघरू उसकी चूत के मुंह से जा टकराए तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसके बदन ने तेज झटका खाया और शहनाज़ जोर से सिसक उठी। झटके के कारण साडी उसके जिस्म से हटकर नीचे गिरने लगी तो शहनाज़ ने तेजी से अपनी साडी को पकड़ लिया लेकिन जब तक साडी उसके घुटनो में पहुंच गई थी।

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शहनाज़ की मोटी मोटी गोल गोल गांड़ पूरी तरह से नंगी होकर उसकी आंखो के सामने अा गई। अजय के लंड ने जोरदार झटका खाया और पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया। शहनाज़ ने जल्दी से साडी को उपर किया और फिर से उल्टी सीधी तरह लपेटने लगी तो अजय ने बीच में उसके हाथ को पकड़ लिया और बोला:"

" लाओ मैं पहना देता हूं, कहीं फिर से ना खुल जाए और तुम्हारी गांड़ फिर से नंगी हो जाए शहनाज़।

अजय के मुंह से गांड़ सुनकर शहनाज़ पागल सी हो गईं। अजय ने साडी के पल्लू को लिया और उसकी कमर में लपेट दिया और उसे गोल गोल घुमाने लगा। शहनाज़ के दोनो कंधे और चूचियां पूरी तरह से नंगी थी। शहनाज़ के खुले हुए बाल उसकी छाती को अा गए और उसकी चूचियों को पूरी तरह से ढक लिया था।


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शहनाज़ की गांड़ पर साडी लिपट गई थी और वो दोनो आंखे बंद किए हुए खड़ी थी। अजय थोड़ा सा निराश हुआ लेकिन वो जानता था कि उसे क्या करना है जिससे शहनाज़ के दोनो खूबसूरत गोल गोल कबूतर उसकी आंखो में सामने होंगे।

अजय उसके बिल्कुल करीब अा गया और उसका खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ से अा लगा तो शहनाज़ ने उसकी साड़ी का दूसरा पल्लू पकड़ लिया और जोर से उपर की तरफ उठाने लगा जिससे एक बार फिर से साडी उसकी गांड़ पर से हटने लगी तो शहनाज़ बावली सी हो गई। अजय ने साडी को उसकी जांघो पर से पकड़ा और मंगल यंत्र के घुंघरू जोर से हिला दिए और जैसे ही घुंघरू शहनाज़ की चूत के टकराए तो शहनाज़ सब कुछ भूलकर पलटी और अजय के होंठ चूसने लगी। अजय ने शहनाज़ के होंठो को अपने होंठो में भर लिया जोर जोर से चूसने लगा।

:" अजय कितनी देर बाद निकलना हैं पूजा के लिए ?

जैसे ही सौंदर्या की आवाज उनके कानो में पड़ी तो दोनो ना चाहते हुए भी अलग हो गए और अजय ने जल्दी से शहनाज़ को साडी पहना दी और फिर दोनो बाहर आ गए।
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अजय उसके बिल्कुल करीब अा गया और उसका खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ से अा लगा तो शहनाज़ ने उसकी साड़ी का दूसरा पल्लू पकड़ लिया और जोर से उपर की तरफ उठाने लगा जिससे एक बार फिर से साडी उसकी गांड़ पर से हटने लगी तो शहनाज़ बावली सी हो गई। अजय ने साडी को उसकी जांघो पर से पकड़ा और मंगल यंत्र के घुंघरू जोर से हिला दिए और जैसे ही घुंघरू शहनाज़ की चूत के टकराए तो शहनाज़ सब कुछ भूलकर पलटी और अजय के होंठ चूसने लगी। अजय ने शहनाज़ के होंठो को अपने होंठो में भर लिया जोर जोर से चूसने लगा।

:" अजय कितनी देर बाद निकलना हैं पूजा के लिए ?


जैसे ही सौंदर्या की आवाज उनके कानो में पड़ी तो दोनो ना चाहते हुए भी अलग हो गए और अजय ने जल्दी से शहनाज़ को साडी पहना दी और फिर दोनो बाहर आ गए।

शहनाज़ जैसे ही आगे बढ़ी तो उसके हिलने से मंगल यंत्र हिला और घुंघरू उसकी चूत से टकराए तो उसकी सांसे रुक सी गई। उसने सौंदर्या की तरफ देखा तो सौंदर्या की आंखे भी उसे कुछ बड़ी होती नजर आ रही थी। मतलब उसके जैसा ही हाल सौंदर्या का भी हो रहा था।

दोनो धीरे धीरे चलती हुई बाहर अा गई और अजय आगे निकल गया तो शहनाज़ धीरे से बोली:"

" ज्यादा दिक्कत तो नहीं हो रही है सौंदर्या नीचे कुछ ?

सौंदर्या उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:"

" चलने से बड़ी दिक्कत हो रही है, नीचे घुंघरू उधर इधर छू रहे हैं तो अजीब सा लग रहा है। आप बताओ कैसा लग रहा हैं ?

शहनाज़ ने आह भरी और बोली:"

" क्या बताऊं सौंदर्या, मेरी तो हालत बड़ी खराब हो रही है, जैसे ही घुंघरू नीचे छूते हैं तो ऐसा लगता है मानो जान ही निकल जाएगी मेरी।

सभी लोग पूजा के लिए बाहर अा गए थे और गंगा के किनारे पड़े हुए बड़े बड़े पत्थर बहुत खुबसुरत लग रहे थे। चन्द्रमा पूरी तरह से चमक रहा था और चारो ओर उसकी रोशनी फैली हुई थी। शहनाज़ और सौंदर्या दोनो सिर्फ साडी में लिपटी हुई बेहद खूबसूरत लग रही थी और उनके गोरे चिकने कंधे बेहद कामुक लग रहे थे।

अजय गंगा के ठीक किनारे एक बड़े से पत्थर पर बैठ गया और बोला:"

" आप दोनो सबसे पहले गंगा के पानी में डुबकी लगाकर पूरी तरह से पवित्र हो जाए।

शहनाज़ और सौंदर्या दोनो आगे बढ़ी और धीरे धीरे पानी में उतरती चली गई। ठंडे ठंडे पानी के एहसास से उन्हें बेहद सुकून मिला। अजय उनकी तरफ देखते हुए बोला:"

" अब आप इतने गहराई में चली जाए कि आपकी सिर्फ कंधे और गर्दन ही बाहर नजर आए।

सौंदर्या और शहनाज़ दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और धीरे धीरे नदी में आगे उतरती चली गई। अब दोनो छाती तक पानी में डूब गई थी और अजय ने उन्हें डुबकी लगाने का इशारा किया तो दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और नीचे डुबकी लगा दी। जैसे ही दोनो उपर अाई तो पानी के बहाव के कारण साडी उनके कंधे से हट गई और उनकी गोरी गोरी चूचियों का कटाव साफ नजर आया

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दोनो ने अपनी चूचियों की तरफ देखा तो सौंदर्या ने शर्म के मारे अपनी आंखे बंद कर ली और शहनाज़ ने अजय की तरफ देखते हुए उससे पूछा:"

" अब आगे क्या करना होगा अजय ?

अजय:" आप दोनो दो डुबकी और लगाए।

सौंदर्या और शहनाज़ ने दो दो डुबकी और लगाई और फिर सौंदर्या ने अपनी गीली हो गई साडी को पानी के अंदर ही अपने जिस्म पर ठीक से बांध लिया। शहनाज़ ने साडी बांधने का प्रयास किया लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाई तो सौंदर्या उसकी मदद करने के लिए आगे बढ़ी तो अजय एकदम से चिल्ला उठा:"

" पीछे हट जाओ, ऐसी गलती मत करना तुम, मंगल यंत्र पहनने के बाद तुम शहनाज़ को नहीं छू सकती। रुको मैं शहनाज़ की मदद करता हूं।

सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो एकदम से पीछे हट गई। अजय के जिस्म पर भी अब सिर्फ एक पतली सी चादर लिपटी हुई थी क्योंकि उसने भी पूजा के लिए शुद्ध वस्त्र धारण कर लिए थे। अजय पानी में उतर गया और शहनाज़ के करीब पहुंच गया तो शहनाज़ फिर से मचल उठी कि अजय उसे फिर से छुएगा और इस बार तो अपनी सगी बहन के बिल्कुल सामने। अजय शहनाज़ के ठीक पीछे खड़ा हो गया और और उसने पानी में हाथ घुसा कर साडी को पकड़ने लगा। साडी पानी के बहाव के चलते अंदर ही इधर उधर तैर रही थी और उसके हाथ सीधे शहनाज़ की नंगी गांड़ से जा टकराये तो शहनाज़ मचल उठी और उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ उभर आए। अजय साडी ढूंढने के बहाने उसकी गांड़ को हल्के हल्के सहलाने लगा और शहनाज़ के चेहरे के भाव बनने बिगड़ने लगे तो सौंदर्या ये सब देखकर हैरान हो गई। उफ्फ ये अजय नीचे कुछ गडबड तो नहीं कर रहा है शहनाज़ के साथ ये सोचकर सौंदर्या उत्तेजित होने लगी।

अजय आगे को झुक और हाथ आगे बढ़ा कर पानी में बहते हुए साडी के पल्लू को पकड़ लिया। अजय के आगे झुकने के कारण भीग चुकी चादर उसके जिस्म से सरक गई और जैसे ने वो शहनाज़ को साडी बांधने के लिए आगे को हुआ तो उसका बिल्कुल नंगा पूरी तरह से खड़ा हुआ सख्त लंड शहनाज़ की गांड़ से जा टकराया और शहनाज़ के मुंह से ना चाहते हुए भी एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

सौंदर्या को कुछ समझ नहीं आया कि नीचे हो क्या रहा हैं लेकिन शहनाज़ की इस आह से वो हैरान हो गई और बोली:"

" क्या हुआ शहनाज़ सब ठीक हो हैं ना ?

शहनाज़ को अपनी गलती का एहसास हुआ और थोड़ी सी आगे को हुई और खुद को संभाल कर बोली:"

" आह, सौंदर्या सब ठीक है, पता नहीं कुछ बहता हुआ नीचे पैरो से टकरा गया था जिससे मैं डर गई थी। अजय क्या हुआ तुमसे एक साडी नहीं बंध पा रही है !!

अजय ने साडी का पल्लू उसकी गांड़ पर टिका दिया और बांधने लगा। जैसे ही उसकी गांड़ से घूमते हुए उसके हाथ शहनाज़ की चूत के पास आए तो अजय ने मंगल यंत्र को जोर से झटका दिया तो घुंघरू उसकी चूत की क्लिट से टकराए तो शहनाज़ ने का पूरा जिस्म कांप उठा और उसने अपने नीचे वाले होंठ को दांतों से दबा दिया। सौंदर्या उसके चेहरे के भाव देखकर समझ रही थी कि अजय के हाथो के छूने से शायद शहनाज़ मचल रही है या मंगल यंत्र के कारण ये सब हो रहा है। अजय ने ज्यादा देर करना सही नहीं समझा क्योंकि उन्हें पूजा की बाकी विधि भी करनी थी तो उसने साडी पहना दी और फिर सभी बाहर निकल गए।

अजय का लंड खड़ा हुआ था इसलिए वो पीछे आराम से चल रहा था। भीग जाने के कारण शहनाज़ और सौंदर्या दोनो के जिस्म के कटाव साफ साफ़ नजर आ रहे थे। सौंदर्या बिल्कुल कुंवारी लड़की की तरह लग रही थी और उसकी गांड़ और चूचियां सब कुछ अभी बिल्कुल अनछुआ था और काफी कामुक लग रहा था। वहीं शहनाज़ का जिस्म उसके मुकाबले थोड़ा भारी था, उसकी गांड़ सौंदर्या से थोड़ी ज्यादा मोटी और गोल गोल होकर बाहर को निकल रही थीं। चूचियां बिल्कुल छोटे पपीते के आकार की थी। भीगने के बाद भी उसकी चूचियां तनी कर अपनी कठोरता दिखा रही थी। अजय को शहनाज़ सौंदर्या से कहीं अधिक कामुक लग रही थी और उसकी नजर उसकी मटकती हुई गांड़ पर टिकी हुई थी। मंगल यंत्र के घुंघरू उसकी चूत को ना छुए इसलिए वो अपनी टांगो को ज्यादा खोल कर चल रही थी जिससे उसकी गांड़ आधे से ज्यादा साडी से बाहर थी और अजय का लन्ड नीचे बैठने के बजाय उछल उछल पड़ रहा था।

तीनो चलते हुए घाट पर वापिस अा गए और अजय ने दोनो को बैठने का इशारा किया। सौंदर्या और शहनाज़ दोनो पूजा की मुद्रा में बैठ गई। अजय ने कुछ मंत्र पढ़े और दोनो के हाथ में गंगा जल दिया तो दोनो ने उसे पी लिया

अजय:" शहनाज़ पर पूजा के दौरान मुसीबत अा सकती है और उससे बचने के लिए मुझे शहनाज़ के जिस्म पर कुछ मंत्र सिद्ध करके निशान बनाने होंगे ताकि वो आने वाली मुश्किलों से बच सके।
सौंदर्या ध्यान रखें कि तुम्हारी नज़र इन निशान पर नहीं पड़नी चाहिए नहीं तो कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए तुम अपनी आंखे बंद कर लो।


उसकी बात सुनकर सौंदर्या ने तुरंत अपनी आंखें बंद कर ली और अजय अपनी जगह से खड़ा हुआ तो लंड के दबाव के कारण उसकी चादर खुलकर नीचे गिर गई और उसके खड़े हुए लंड ने एक जोरदार झटका खाया और पूरी तरह से नंगा होकर शहनाज़ की आंखो के सामने अा गया

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अजय के लंबे मोटे तगड़े लंड को देखकर शहनाज़ की आंखे खुली की खुली रह गई। उफ्फ ये क्या मुसीबत हैं। अजय के लन्ड के आगे उसके मोटे तगड़े गुलाबी सुपाड़े को देखकर शहनाज़ मदहोश हो गई। हाय अजय का भी गुलाबी सुपाड़ा, उफ़ कितना सुंदर और चिकना लग रहा है। लंड देखकर शहनाज़ की चूत पूरी तरह से भीग गई थी। शहनाज़ को ऐसे अपने लंड को घूरते हुए देखकर अजय ने अपनी चादर उठाई और फिर से अपने जिस्म पर लपेट लिया और शहनाज़ के सामने बैठ गया। उसने साडी को शहनाज़ की जांघ पर से हटा दिया और निशान बनाने लगा। शहनाज़ की मोटी चिकनी जांघो को वो निशान के बहाने हल्का हल्का सहला रहा था और देखते ही देखते उसने एक निशान बना दिया। अजय ने शहनाज़ को इशारे से कुछ समझाया और उसके दोनो कंधे पकड़ लिए और उसे पीछे की तरफ झुका दिया और शहनाज़ की टांगे ऊपर उठ गई तो अजय ने हाथ बढ़ा कर उसकी टांगो को खोल कर पूरा फैला दिया तो मंगल यंत्र का एक घुंघरू उसकी चूत के मुंह पर आ गया और अजय ने एक झटके के साथ उसकी टांगो को बंद किया तो घुंघरू शहनाज़ की गीली चूत में घुस गया। शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने अपनी जांघो को पूरी ताकत से कस लिया।

अजय ने शहनाज़ की आंखो में देखा तो उसे उसकी वासना से भरी हुई लाल सुर्ख आंखे नजर आईं और अजय ने शहनाज़ के हाथ पर कुछ लिख दिया और शहनाज़ ने पढ़कर सहमति में अपनी गर्दन हिला दी।

अजय वापिस अपनी जगह पर जाकर बैठ गया और सौंदर्या को आंखे खोलने के लिए कहा तो उसने अपनी आंखे खोल दी और अजय फिर काफी देर तक मंत्र पढ़ता रहा। शहनाज़ की चूत में आग सी लग गई और उसके हिलने से मंगल यंत्र हिलता और घुंघरू उसकी चूत को अंदर से सहला देता।

रात के बारह बज गए थे और अजय ने बोला:"

" बस आज की पूजा विधि संपन्न हुई और रात काफी हो गई है तो अब हमें सोना चाहिए।

उसके बाद सभी लोग वापिस लौट पड़े। शहनाज़ पूरी तरह से तड़प रही थी और कुछ भी करके अपनी प्यास बुझाना चाहती थी। अजय के लंड उसकी आग को और ज्यादा भड़का दिया था। सौंदर्या का कमरा सबसे पहले था इसलिए वो अपने कमरे में घुस गई। उसके बाद शहनाज़ का कमरा था और शहनाज़ जैसे ही अपने कमरे के गेट पर पहुंची तो उसने जान बूझकर अपनी साडी को ठीक करने लगी। साडी अपने आप नीचे सरक गई और जैसे ही उसकी चूचियों पर से सरक रही थी शहनाज़ ने उसे पकड़ लिया और एक सेक्सी स्माइल के साथ प्यासी नजरो से अजय की तरफ देखा।

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शहनाज़ की चूचियों के सिर्फ निप्पल ही बस ढके हुए थे और अजय ये सब देखकर तड़प उठा और उसके लंड ने एक जोरदार झटका खाया जिसे देखकर शहनाज़ का पूरा जिस्म वासना की भट्टी में जल उठा और वो पलट कर गेट खोलने लगी। शहनाज़ के तिरछा खड़े होने से उसकी चूचियां फिर से नजर अाई और शहनाज़ ने अंदर घुसने से पहले अजय को प्यासी तिरछी से देखा और सेक्सी स्माइल दी।

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अजय ने भी शहनाज़ को कामुक अंदाज में स्माइल दी और आगे बढ़ गया। शहनाज़ कमरे के अंदर घुस गई और उसकी सांसे बहुत तेजी से चल रही थी। उसके पूरे जिस्म पर पसीना आया था। शहनाज़ के चलने से उसकी चूत में घुसा हुआ घुंघरू शहनाज़ पर कयामत ढा रहा था। उत्तेजना से भरी और शहनाज़ जैसे तैसे अपने कमरे में पहुंच गई। वो बेड पर लेट गई तो उसकी आंखो के आगे अजय का लंड घूम गया। उफ्फ कैसा तगड़ा लंड था, बिल्कुल उसके बेटे के जैसा, लेकिन इसका सुपाड़ा कितना ज्यादा चिकना और गुलाबी हैं ये सोचकर अपने आप शहनाज़ की जीभ उसके होंठो को चाटने लगीं। शहनाज़ बेड पर पड़ी हुई मचल रही थी और अपनी जांघो को एक दूसरे से मसल रही थी कि शायद उसकी चूत में घुसे हुए घुंघरू का असर कम हो जाए। लेकिन उसके हिलने से घुंघरू और ज्यादा हिल रहा था और शहनाज़ की चूत किसी छोटी से नदी में बदल गई थी जिसमे से रह रह कर पानी टपक रहा था। शहनाज़ की जांघें भी उसके चूत से निकलते रस से भीग गई थी।

करीब रात का एक बज गया तभी उसके दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो शहनाज़ ने के सफेद सी बेहद हल्की पारदर्शी चादर अपने जिस्म पर लपेट ली और बाहर निकल गई। बाहर अजय खड़ा हुआ था और उसने सीधे शहनाज़ का हाथ पकड़ लिया और दोनो फिर से घाट की तरफ चल पड़े।


शहनाज़:" सौंदर्या सो गई क्या ?

अजय:" उसके सोने के बाद ही मैं बाहर आया हूं क्योंकि इस पूजा विधि में वो नहीं हो सकती क्योंकि वो मांगलिक है।

शहनाज़ ने अपनी गर्दन हिला दी और वो ये सोच सोच कर मचल रही थी कि दोनो के जिस्म पर नाम मात्र कपडे और दूर दूर तक कोई नहीं, पता नहीं आगे विधि में क्या क्या होगा। अजय तेज तेज चल रहा था जिससे घुंघरू शहनाज़ की चूत में तेजी से जादू दिखा रहा था और शहनाज़ चलते हुए कभी अपने होंठो पर जीभ फेर रही थी तो कभी दांतो से अपने होंठ चबा रही थी।

वो दोनो घाट पर पहुंच गए और अजय शहनाज़ को आगे की पूजा और विधि के बारे में सब समझाने लगा। शहनाज़ सब समझ गई कि आज पूजा पूरी होते होते वो पागल सी हो जाएगी।
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कमरे में पूरा अंधेरा था और दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़े बाहर की तरफ चल पड़े। जैसे ही दोनो घर से बाहर निकले तो शहनाज़ का जिस्म चांद की रोशनी से नहा उठा। शहनाज़ के जिस्म पर लिपटी हुई चादर में उसकी चूचियां साफ़ साफ़ नजर आ रही थी और कत्थई रंग के निप्पल भी तन कर खड़े हुए थे। शहनाज़ के खूबसूरत चेहरे पर बाल बिखरे हुए थे और वो बेहद कामुक लग रही थी।

शहनाज़ को ऐसे अवतार में देख कर अजय ने उसका हाथ जोर से दबा दिया तो शहनाज़ ने शिकायती नजरो से उसकी तरफ देखा और बोली:"

:" हाथ पर लिखने की क्या जरूरत थी ? बोल कर भी तो बता सकते थे कि रात में पूजा की कुछ विधि करनी होगी।

अजय:'" बोलने से सब सौंदर्या को पता चल जाता। वो मांगलिक हैं इसलिए शामिल नहीं हो सकती। अगर वो शामिल हुई तो अब तक की सब मेहनत खराब हो जाएगी।


शहनाज़:" अच्छा ये बात हैं तो फिर तो ठीक किया तुमने।

अजय तेजी से चल रहा था जिससे शहनाज़ की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और देखते ही देखते वो दोनो घाट पर पहुंच गए और अजय शहनाज़ को आगे की पूजा और विधि के बारे में सब समझाने लगा। शहनाज़ सब समझ गई कि आज पूजा पूरी होते होते वो पागल सी हो जाएगी। वहां एक बड़े से पत्थर पर एक काफी बड़ा मुलायम गद्दा लगा हुआ था जिसके बीचों बीच में एक केले का बहुत ही बड़ा पत्ता बिछा हुआ था।

केले के पत्ते को देखकर शहनाज़ को कुछ समझ नहीं आया तो उसने अजय की तरफ देखा और
अजय बोला:" शहनाज़ तो फिर आगे पूजा शुरू करे क्या ?

शहनाज़:' हान लेकिन एक बात का डर लग रहा है कि अगर बीच में सौंदर्या अा गई तो क्या सोचेगी ?

अजय ने आगे बढ़कर शहनाज़ का गोरा गोरा हाथ पकड़ लिया और बोला:" सौंदर्या बिल्कुल भी नहीं अा पाएगी क्योंकि मैंने उसके दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया है शहनाज़।

अजय की बात सुनकर शहनाज़ की चूत में मधुर संगीत सा बज उठा और कुछ बूंदे छलक पड़ी। शहनाज़ अजय की आंखो में देखते हुए बोली:" तुम तो बहुत तेज निकले, पहले ही पक्का इंतजाम करके आए हो ।

अजय ने शहनाज़ को खींच कर अपने कर किया और बोला:"

" अब आप देर मत करो, कहीं मुहूर्त निकल गया तो सब पता बेकार हो जाएगा।

शहनाज़ खुद ही उससे लिपट गई और बोली:' बताओ पहले कौन सी विधि करे ?

अजय: आप एक काम कीजिए, ये चादर औढ़ कर केले के पत्ते पर लेट जाए।

शहनाज़ गद्दे पर जैसी ही चढ़ी तो उसे गद्दे की कोमलता का एहसास हुआ और उसका रोम रोम खुशी से खिल उठा। गद्दा इतना ज्यादा मुलायम था कि उस पर बैठते ही शहनाज़ नीचे की तरफ धंसी और फिर उपर की तरफ उछल पड़ी। शहनाज़ के चेहरे पर खुशी देखते ही बन रही थी और वो धीरे धीरे आराम से केले के पत्ते पर लेट गई। सफेद रंग की पारदर्शी चादर से उसने अपने पूरे जिस्म को ढक लिया।


02


शहनाज़ के जिस्म पर चादर फैली हुई थी लेकिन चादर इतनी पतली थी कि उसके जिस्म के उभार साफ़ उभर कर नजर अा रहे थे। शहनाज़ को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है वो तो बस चादर के अंदर से अजय को ही देख रही थी। अजय थोड़ा सा आगे बढ़ा और उसके पास गद्दे पर ही बैठ गया।

अजय ने एक लोटा निकाला जिसमे कुछ गंगा जल भरा हुआ था और अपनी आंखे बंद कर ली और कुछ मंत्र पढ़े और बोला:"

" शहनाज़ मुझे तुम्हारे जिस्म को इस गंगा जल से पवित्र करना होगा ताकि सौंदर्या के जिस्म से भी मंगल का प्रभाव कम हो सके।

शहनाज़ के तन बदन में हलचल सी मच गई। उफ्फ इसका मतलब अजय अब गंगा जल लगाने के बहाने मेरे जिस्म को छुएगा। ये सोचकर ही उत्तेजना के मारे उसकी सांसे तेज हो गई तो शहनाज़ की छाती पर से चादर बार बार ऊपर नीचे होने लगी। अजय ने थोड़ा सा जल लिया और शहनाज़ के पैरो पर छिड़क दिया तो चादर भीग जाने के कारण उसके पैर पूरी तरह से साफ नजर आने लगे। चादर बस नाम मात्र के लिए ही थी । अजय ने शहनाज़ के तलवो को अपनी उंगली से सहलाया तो शहनाज़ के तन बदन में मीठी मीठी लहर दौड़ गई और वो कांप उठी।

शहनाज की हालत देखकर अजय की आंखे चमक उठी और उसके लंड ने एक जोरदार अंगड़ाई ली। अजय ने जोश में आकर पानी से भरा हुआ लोटा उसके पूरे जिस्म पर पलट दिया और शहनाज़ कांप उठी। चादर उसके जिस्म पर अब सिर्फ नाम के लिए रह गई थी और उसकी गोल गोल ठोस चूचियां पूरी तरह से खिल उठी थी। अजय उसके पैरो के बीच बैठ गया और उसने अपने हाथो को चादर के अंदर घुसा दिया और उसके पैरो को घुटनो से लेकर पंजो तक जल से भिगो रहा था और बहुत ही कामुक तरीके से सहला रहा था जिससे शहनाज़ मस्ती में आती जा रही थी। अजय ने फिर से हाथो में जल लिया और उसकी जांघो को छूआ तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने अपनी जांघो को पूरी ताकत से कस लिया। अजय ने अपने दोनो हाथों से उसके घुटनो को पकड़ा और खोलने लगा लेकिन शहनाज़ ने और जोर से कस लिया तो अजय ने अपने दोनो हाथों की ताकत लगाई और एक झटके के साथ उसकी जांघों को खोल दिया तो शहनाज़ की सांसे पूरी तरह से तेज हो गई और उसकी चूचियों पर पड़ी हुई चादर हिलने लगी मानो उसकी चूचियां चादर को हटा देना चाहती हो। अजय ने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और शहनाज़ की जांघो को छुआ तो शहनाज़ के मुंह से फिर से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। अजय ने दोनो हाथ से उसकी जांघो को हथेली में भर लिया और जल से भिगोने के बहाने सहलाने लगा। शहनाज़ का जिस्म उसके काबू से बाहर होता जा रहा था और उसकी चूचियां जोर जोर से उछल रही थी।

अजय ने हाथ थोड़ा उपर की तरफ किया और शहनाज़ के जांघो में फंसे हुए मंगल यंत्र को जोर से एक झटका दिया तो उसकी चूत में घुसा हुआ घुंघरू जोर से हिला और शहनाज़ ने एक बार फिर से अजय के हाथो को अपनी जांघो के बीच में कस लिया। शहनाज़ की सांसे पूरी तेज गति से चल रही थी और उसकी आंखे लाल सुर्ख होकर दहक रही थी। उसकी चूचियों पर पड़ी हुई चादर चूचियां हिलने से इधर उधर खिसक गई थी और उसकी चूचियां आधे से ज्यादा बाहर छलक उठी। अजय ने एक बार उसकी चूचियों की तरफ देखा और मंगल यंत्र को पकड़ कर जोर से हिलाते हुए कामुक अंदाज में बोला'"

" मंगल यंत्र ज्यादा परेशान तो नहीं कर रहा है ना शहनाज़?

इतना कहकर उसने जोर जोर से मंगल यंत्र को हिलाया तो घुंघरू शहनाज़ की चूत की फांकों से रगड़ने लगा और उसकी चूचियां के निप्पल उछलते हुए चादर से बाहर निकल गए।
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शहनाज़ की गोल गोल बड़ी बड़ी मद मस्त चूचियां जोर जोर से उछल रही थी और निप्पल मानो अजय का मुंह चिढ़ा रहे थे। अजय के हाथ अपनी चादर पर ले जाकर उसे खोल दिया और उसका नंगा लंड फिर से उछल कर शहनाज़ की नजरो के सामने अा गया तो शहनाज़ की चूत कांप उठी।


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अजय के लन्ड को देखते ही शहनाज़ की चूत ने रस की कुछ बूंदे बाहर की तरफ छोड़ी जो अजय की उंगलियों पर पड़ी और अजय ने शहनाज़ की आंखो में देखते हुए उंगली को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा। शहनाज़ उसकी इस अदा पर पूरी तरह से बहक गई और उसने अजय को एक सेक्सी स्माइल दी और एक करवट ली और फिर से सीधी हो गई। शहनाज़ के सीधे होने से उसकी चादर उसकी एक चूची पर से हट गई और उसकी गांड़ पूरी तरह से नंगी हो गई।

05

अजय ने शहनाज़ की चौड़ी और मोटी गांड़ को देखा और उसने दोनो हाथो से उसके कूल्हों को उपर की तरफ उठाया तो शहनाज़ के खुद ही अपने कूल्हे ऊपर उठा दिए और अजय ने चादर को पकड़ कर बाहर निकाल लिया और शहनाज़ के मुंह सामने बैठ गया। अजय को अपने सामने बैठते हुए देखकर शहनाज़ पागल सी हो गई और अपने जिस्म को केले के पत्ते पर रगड़ते हुए सिसकियां लेने लगी। अजय ने हाथ आगे किया और शहनाज़ की कमर को सहलाने लगा तो शहनाज़ की नजर उसकी टांगो के बीच में चली गई जहां अजय का लंड पूरी ताकत से अकड़ा हुआ था और उसका गुलाबी सुपाड़ा बाहर की तरफ निकला हुआ था जिसे देखकर शहनाज़ की आंखे चमक उठी। अजय ने थोड़ा आगे होते हुए उसकी कमर पर बढ़े हुए मंगल यंत्र को पकड़ लिया और इधर उधर हिलाते हुए शहनाज़ की कमर पर झुक गया और अपनी गर्म गर्म सांसे उसकी गांड़ पर छोड़ते हुए बोला:"

:" शहनाज़ मंगल यंत्र का एक घुंघरू कहां घुस गया?

शहनाज़ उसकी बात सुनकर पूरी तरह से चुदासी हो उठी और एक हाथ पीछे करके हुए अजय के हाथ को पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर रख दिया और जोर से सिसक उठी:"

" आह अजय, उफ्फ इसमें घुस गया है घुंघरू अजय।

अजय उसकी इस अदा पर बेकाबू हो गया और थोड़ा सा और आगे को होते हुए शहनाज़ के ऊपर झुका तो उसका लन्ड शहनाज़ के होंठो के सामने अा गया और शहनाज़ उसे लालची नजरो से देखने लगी। अजय ने जैसे ही शहनाज़ की चूत को अपनी हथेली में भरा तो शहनाज़ का धैर्य जवाब दे गया और उसने अपनी आंखो के सामने अकड़ रहे लंड को अपने मुंह में भर कर चूस लिया।


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अजय से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने शहनाज़ को पलटा और शहनाज़ के ऊपर चढ़ गया और शहनाज़ ने उसे अपनी बांहों में कस लिया और दोनो के होंठ एक दूसरे से जुड़ गए। दोनो पूरे जोश में एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। अजय ने अपने हाथ नीचे ले जाकर शहनाज़ की चूचियों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा तो शहनाज़ दर्द और मस्ती से सिसक उठी

:" आऊच अजय, मार ही डालेगा क्या मुझे? थोड़ा प्यार से कर ज़ालिम ?

अजय ने मुंह नीचे से उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से पागलों की तरह चूसने लगा। शहनाज़ मस्ती से उछल रही थी और जोर जोर से सिसक रही थी। अजय का मोटा तगड़ा लंड उसकी चूत से बार बार टकरा रहा था और शहनाज़ की चूत तड़प रही थी।

अजय ने जोर से शहनाज़ की चूचियों को मसल दिया तो ने अपने नाखून उसकी कमर में घुसा दिए और बोली,:'


:" जंगली कहीं के, प्यार से कर ना मना थोड़े ही कर रही हूं तुझे।

अजय:' हाय शहनाज़ मेरी जान हैं तू , हाय तेरी चूचियों को खा जाऊंगा आज।

इतना कहते हुए अजय ने उसकी चूचियों में दांत गडा दिए तो शहनाज़ के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और उसने अपने नाखून उसकी कमर में गडा दिए तो अजय ने उसके निप्पल को जोर से काट लिया। शहनाज़ को दर्द तो हो रहा था लेकिन अजय का जंगली पन उसे पसंद अा रहा था। शहनाज़ ने अपनी टांगो को पूरा खोल दिया और अजय ने नीचे झुकते हुए उसकी चूत को मुंह में भर लिया और चूसने लगा। शहनाज़ मस्ती से तड़प उठी और उसका जिस्म जोर जोर से उछलने लगा। अजय ने अपनी जीभ में शहनाज़ की चूत में घुसे हुए घुंघरू को भर दिया और उसकी चूत मे घुमाने लगा तो शहनाज़ खुद ही अपनी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगी और अजय की आंखो में देखते हुए अपनी हाथ की उंगलियों को मोड़कर चूत के आकार की बनाया और उसमे दो उंगली एक साथ घुसाते हुए सिसक उठी।


अजय ने अपने लंड को उसकी चूत पर टिका दिया और शहनाज़ की आंखो में देखते हुए जोरदार धक्का लगाया तो लंड उसकी चूत में घुसता चला गया, घुसता चला गया और जड़ में जाकर रुका। शहनाज़ दर्द से कराह उठी और और उसने अजय को अपनी बांहों में कस लिया।

अजय ने बिना देर किए धक्के लगाने शुरू कर दिए और शहनाज़ के मुंह से दर्द और मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी। अजय ने शहनाज़ के दोनो हाथो को पकड़ लिया और जोर जोर उसकी चूत की चुदाई करने लगा।


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अजय के धक्के इतने तेज थे कि पूरा गद्दा ही हिल रहा था और शहनाज़ नीचे से अपनी गांड़ हिला हिला कर धक्के पर धक्के अपनी चूत में लगवा रही थी। अजय के जोरदार धक्के के आगे उसकी चूत टिक ना सकी शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने जोर से अजय को कस लिया और शहनाज़ के मुंह से जोरदार सिसकी निकली और उसकी चूत झड़ती चली गई।

:" आह अजय मेरी चूत चुद गई, आह चोद लिया तूने शहनाज़ अजय।

अजय पूरी ताकत से उसकी चूत में धक्के लगाने लगा और झड़ने से उसकी चूत चिकनी हो गई थी जिससे चुदाई की गति बढ़ गई थी। अजय के मजबूत लंड के जोरदार धक्कों की वजह से शहनाज़ की चूत में दर्द होने लगा और वो लेट गई तो अजय ने पीछे से उसकी चूत को ठोकना शुरू कर दिया। शहनाज़ के मुंह से अब दर्द भरी सिसकारियां निकलने लगी और अजय को अपनी मर्दानगी पर घमंड हो रहा था इसलिए और जोर जोर से चोदने लगा। शहनाज़ की चूत में जलन होने लगी और उसने दर्द से तड़पते हुए कहा;"

" आह छोड़ दे मुझे जंगली, मर जाऊंगी मैं।

इतना कहकर शहनाज़ उसकी पकड़ से छूट गई तो अजय ने उसे फिर से पकड़ कर उसकी चूत में लंड घुसा दिया और लंड घुसे घुसे ही उसकी पीठ पर सवार हो गया और शहनाज़ को पूरी तरह से अपने नीचे दबा कर जोर से चोदने लगा।

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शहनाज़ पसीने पसीने हो गए थी और उसका जिस्म जोर जोर से हिल रहा था और अजय उसकी चूचियों को दबाते हुए उसे जोर जोर से चोद रहा था और शहनाज़ दर्द के मारे सिसक रही थी। अजय के धक्कों में तेजी अा गई और शहनाज़ भी जोर जोर से सिसकियां लेने लगी। तभी अजय ने एक जोरदार धक्का लगाया और शहनाज़ की चूत में जड़ तक अपना लंड घुसा दिया और उसके लंड ने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में मार दी। अजय ने मुंह आगे करके शहनाज के गाल को चूम लिया और दोनो ऐसे ही पड़े हुए अपनी सांसे दुरुस्त करने लगे।
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शहनाज़ और अजय दोनो अपनी अपनी सांसे दुरुस्त कर रहे थे। लंड कभी का सिकुड़ कर उसकी चूत से बाहर निकल गया था और अजय अभी तक शहनाज़ की पीठ पर ही पड़ा हुआ था जिससे शहनाज़ को ज्यादा वजन लग रहा था। शहनाज़ ने उसे ऊपर से हटने के लिए बोलने के लिए अपना मुंह उसकी तरफ घुमाया तो अजय ने शहनाज़ के होंठो को फिर से अपने मुंह में भर लिया। शहनाज़ अजय के होंठो की लज्जत को महसूस करते ही फिर से पिघल गई और उसने अपनी एक बांह उसके गले में डालकर अजय के निचले होंठ को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी।


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अजय शहनाज़ की प्रतिक्रिया मिलते ही जोश में अा गया और उसने शहनाज़ के होंठो को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया तो शहनाज़ एक बार फिर से बेकाबू होती चली गई और शहनाज़ ने मस्ती में आते हुए अपने होंठ खोल दिए और अजय की जीभ बिना देर किए उसके मुंह में घुसती चली गई।


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शहनाज़ की जीभ जैसे ही अजय की जीभ से टकराई तो शहनाज़ ने उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और अपने दोनो हाथ उपर करते हुए उसने अजय की गांड़ पर बांध दिए। अजय की जीभ शहनाज़ किसी जंगली बिल्ली की तरह चूस रही थी और शहनाज़ की गर्म गर्म जीभ से निकलते उसके कामुक रस का असर सीधे अजय के लन्ड पर हो रहा था जिसमें एक बार फिर से हलचल शुरू हो गई थी। कभी शहनाज़ अजय की जीभ चूसती तो कभी अजय शहनाज़ की। एक लंबे किस के बाद दोनो के होंठ अलग हुए और दोनो ने एक दूसरे की आंखो में देखा तो दोनो के होंठो पर स्माइल अा गई और शहनाज़ बोली:"

" उफ्फ कितना वजन हैं तुम्हारे अंदर, क्या खाते हो तुम पता नहीं सांड कहीं के। चलो उतरो मेरे उपर से तुम।

अजय ने उतरने के बजाय शहनाज़ की गांड़ पर अपने शरीर का दबाव बढ़ाया और बोला:"

" क्यों अच्छा नहीं लगा क्या तुम्हे मेरे वजन शहनाज़ ?


अजय ने बोलते हुए थोड़ा और दबाव दिया तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी और उसकी तरफ आंखे निकालते हुए बोली;"

" सुधर जाओ तुम, ज्यादा वजन किसी को अच्छा नहीं लगता, आह मार ही दोगे क्या ?

अजय ने आगे बढ़कर उसके गाल को चूम लिया और बोला:"

" तुम तो मेरी जान बन गई हो शहनाज़, तुम्हे कैसे मार सकता हूं मैं मेरी जान।

इतना कहकर अजय उसके उपर से हट गया तो शहनाज़ ने राहत की सांस ली और वो सीधे होकर लेट गई तो उसकी नजर केले के पत्ते पर पड़ी जो बुरी तरह से फट गया था। शहनाज़ ने अपने नीचे से केले के पत्ते को हटाया और अजय को देते हुए बोली:"

" हद हैं तुम्हारी भी, अब इस केले के पत्ते की क्या गलती थी जो इसे भी फाड़ दिया तुमने ?

अजय वहीं शहनाज के पास लेट गया और बोला:"

" इसे भी मतलब और भी कुछ फट गया क्या केले के पत्ते से अलग शहनाज़?

अजय ने इतना कहकर उसकी चूत की तरफ देखा तो शहनाज़ ने शर्मा कर अपनी टांगों को बंद कर दिया और बोली:"

" ऐसे भोले बन रहे हो जैसे कुछ जानते ही नहीं, बात करते हो क्या फट गया।। ऐसे क्यों करता है क्या भला एक दम पागल जानवर की तरह, जंगली कहीं के तुम।

अजय ने एक उंगली शहनाज़ के होंठो पर फिराई और बोला:"

" तुम्हे अच्छा नहीं लगा क्या मेरा जंगलीपन?अब वो हैं ही इतनी खूबसूरत मेरी क्या गलती, लाओ दिखाओ तो कितनी फट गई ?

शहनाज़ उसके सवाल पर शर्मा गई और कस मर अपनी टांगो को बंद करते हुए एक हाथ को चूत के उपर दबा दिया और बोली:"

" जाओ नहीं दिखाती, फिर से तुम जानवर बन गए तो मेरा क्या होगा फिर ?

अजय ने अपना हाथ उसकी जांघों में घुसा दिया और उसके हाथ के उपर रखते हुए बोला:"

" अब अगर मैं तुम्हे देखकर बहक ना जाऊ तो ये तो तुम्हारी खूबसूरती का अपमान होगा ना शहनाज़।

इतना कहकर उसने शहनाज़ के हाथ को हटाना चाहा तो शहनाज़ ने पूरी जोर से अपने हाथ को अपनी चूत पर कस लिया तो अजय ने एक हाथ उसकी चूची पर रख दिया और बोला:"

:" हाथ से तो इसे ऐसे छुपा रही हो जैसे बहुत बड़े खजाने पर ताला लगा रही हो तुम ?

शहनाज़ ने जैसे ही अजय के हाथ को अपनी चूची पर महसूस किया तो उसके जिस्म में फिर से एक उत्तेजना की लहर दौड़ गई और उसने दूसरे हाथ को अपनी चूची पर रखे हुए अजय के हाथ पर रख दिया और हल्का सा दबाव देते हुए बोली:"

" हान पागल अजय, इसमें हम लड़कियो का सबसे बड़ा खजाना ही तो होता है जिसे लूटने के लिए तुम मरे जाते हो। समझे।

अजय ने शहनाज़ की चूची को अपनी पूरी हथेली में भर लिया और जोर से मसलते हुए बोला:"

" आह शहनाज़ तुम्हारे इस खजाने को खोलने के लिए एक ताली मेरे पास हैं।

इतना कहकर अजय ने अपनी एक टांग को दूसरी के ऊपर करते हुए अपने आधे खड़े हुए लंड को बाहर की तरफ उछाल दिया तो शहनाज़ की नजरो के सामने फिर से अजय का मोटा तगड़ा लंड अा गया जिसने थोड़ी देर पहले उसकी चींखें निकलवा रखी थी। शहनाज़ लंड को देखते ही कांप उठी और बोली:"

" उफ्फ अजय, ये तो बहुत बड़ी और मोटी चाभी हैं, आह मेरे ताले में फंस सी जाती हैं।

शहनाज़ की बात सुनकर अजय ने उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया और चूसकर बोला:"

:" आह शहनाज़, मेरी चाभी बिल्कुल तेरे ताले के लिए ही बनी हुई है, लूटने दे मुझे तेरा सारा खजाना आह मेरी जान।

इतना कहकर अजय ने शहनाज़ के हाथ को जोर से पकड़कर अलग कर दिया और उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती से आह निकल पड़ी और उसने सब शर्म लिहाज छोड़कर उसके लंड को पकड़ लिया और सिसकते हुए बोली:"

:" ,आह लूट ले मेरा सब कुछ अजय तुमने पूजा के बहाने एक तीर से दो शिकार कर दिए समझे तुम। उफ्फ कितना अच्छा है ये अजय।

अजय ने शहनाज़ की गीली चूत मे एक उंगली पूरी जोर से घुसा दी और बोला:"

" शिकार खुद ही मेरे तीर के नीचे अा गया इसमें तीर की क्या गलती भला?

शहनाज़:" आह अजय ज़ालिम, मैं तो तेरे तीर पर मर मिटी, तुम इतने ज़ालिम और निर्दयी क्यों हो ?

अजय ने दूसरे हाथ से शहनाज़ की चूची को जोर जोर से मसलना शुरू किया और दूसरी उंगली भी शहनाज़ की चूत में घुसा दी तो शहनाज़ दर्द से तड़प उठी और अजय बिना देर किए दोनो उंगली एक साथ अंदर बाहर करने लगा और बोला:"

" आह शहनाज़, मुझसे धीरे धीरे या प्यार से कुछ होता ही नहीं, क्या तुम्हे पंसद नहीं आया ये ?

इतना कहते हुए अजय ने शहनाज़ के निप्पल को उंगली के बीच में भर कर जोर से उमेथ दिया तो शहनाज़ के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी और वो अजय से लिपट गई और सिसकते हुए बोली:"

" आह अजय, बहुत ज्यादा पसंद आया, लेकिन थोड़ा प्यार से करो ना मुझे प्यार।

अजय फिर से शहनाज़ के उपर अा गया और दोनो हाथो में उसकी चूचियां पकड़ ली और जोर जोर से दबाने लगा तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती और दर्द भरी आह निकल पड़ी। अजय ने चूची के निप्पल को अपने मुंह में भर लिया जोर से अपने दांतो में दबा कर चूस लिया।

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निप्पल पर दांत गड़ते ही शहनाज़ दर्द से कराह उठी और उसने अजय के गले में हाथ डाल लिए और सिसकते हुए बोली:"

" आह अजय, उफ्फ ऐसे मत कर शैतान, दर्द होता हैं बहुत।

अजय का लन्ड पूरी तरह से फिर से खड़ा हो गया और शहनाज़ की चूत के आस पास छूने लगा शहनाज़ ने अपनी जांघो को पूरा खोल दिया और लंड उसकी चूत के छेद पर रगड़ खाने लगा तो अजय और शहनाज़ दोनो की एक साथ मस्ती से सिसक पड़े। अजय कभी जोर से शहनाज़ की चुचियों को मसलता, कभी उंगलियों के बीच निप्पल जोर से रगड़ता तो कभी निप्पल को मुंह में भर कर चूस लेता। शहनाज़ जोर जोर से दर्द और मस्ती से सिसकियां भर रही थी।

शहनाज़ की चूत पूरी तरह से भीग गई थी और लंड जैसे ही उसके छेद पर दस्तक देता तो शहनाज़ मस्ती से आंखे बंद कर लेती।अजय ने लंड का सुपाड़ा चूत के छेद पर टिका दिया और शहनाज़ ने अजय की तरफ देखते हुए उसे सेक्सी स्माइल दी तो अजय ने उसके कूल्हों को थामते हुए तगड़ा धक्का लगाया और आधे से ज्यादा लंड शहनाज़ की चूत में घुसा दिया।

शहनाज़ एक फिर से दर्द से कराह उठी और उसके होंठ चूम लिए तो अजय ने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और पुरा लंड उसकी चूत में गहराइयों तक घुसता चला गया।


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अजय ने शहनाज़ के होंठो को चूसते हुए धक्के लगाने शुरू कर दिए और शहनाज़ दर्द से कराह रही थी। अजय ने कुछ ही धक्कों में पूरी स्पीड पकड़ ली और शहनाज़ का मुंह एक बार फिर से मस्ती से खुल गया

:" आह अजय, फिर से घुस गया तेरा लौड़ा शहनाज़ की चूत में, आह दर्द होता हैं।

अजय ने उसकी चूचियों को हाथो में भर लिया और जोर जोर से मसलते हुए तेज तेज धक्के लगाने लगा तो शहनाज़ भी नीचे से अपनी गांड़ उठा उठा कर चूत में लंड लेते हुए उससे ताल मिलाने लगीं।

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शहनाज़ ने अपने दोनो पैर अजय की कमर पर लपेट दिए और अजय जोर जोर से उसकी चूचियां रगड़ते हुए लंड को अंदर बाहर कर रहा था और शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थी

:" आह अजय मेरी चूत चोद, उफ्फ हाय, पूरी जोर से चोद मुझे, फाड़ मेरी चूत।

शहनाज़ अपनी चूत लंड पर उछालती ही जोर जोर से सिसकियां ले रही थी और अजय अब एक पागल सांड की तरह चूत में धक्के लगाने लगा। शहनाज़ पागल सी हो गई और उसका पूरा जिस्म उछल उछल पड़ रहा था। हर धक्के लगाने शहनाज़ की गांड़ उछलती और अजय के लन्ड के नीचे दब जाती। शहनाज़ की चूत में तूफान सा उठने लगा और शहनाज़ जोर जोर से मस्ती भरी सिसकारियां लेते हुए बोली:"

:" आह अजय, आह मेरी चूत आह अम्मी, हाय मैं गई घुस जा मेरी चूत में अजय।

शहनाज़ ने कसकर अजय को पकड़ लिया और अजय ने अपने लंड को बाहर निकाल कर पूरी ताकत से एक तगड़ा धक्का लगाया और लंड सीधे उसकी चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ उसकी बच्चेदानी से जा टकराया और इसके साथ ही शहनाज़ की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और वो निढाल सी होकर अजय से चिपक गई। अजय ने थोड़ी देर तक ऐसे ही लंड को घुसाए रखा और जैसे ही शहनाज़ की सिसकियां कम हुई और उसने अजय की तरफ देखा तो अजय ने तेजी से लंड को बाहर निकाला और फिर से पूरी ताकत से वापिस उसकी चूत में ठोक दिया। जैसे ही लंड फिर से शहनाज़ की बच्चेदानी से टकराया तो वो दर्द से तड़प उठी और जोर से सिसकी:"

" आह बस कर अजय, उफ्फ फट जायेगी मेरी चूत, आह निकाल ले बाहर अपना लंड। उफ्फ अम्मी मेरी हाय मर जाऊंगी

अजय शहनाज की दर्द भरी सिसकारियां सुनकर पूरी तरह से जोश में अा गया और उसने तेज तेज धक्के लगाते हुए आगे को झुककर शहनाज़ के दोनो कंधे पकड़ लिए और पूरी ताकत से अपने लंड को तेजी से उसकी चूत में पेलने लगा। हर धक्के पर शहनाज़ की चूत कि दीवारें फैल रही थी और उसकी चूत में जलन हो रही थी। दर्द से तड़पती हुई शहनाज़ कभी उसकी कमर में नाखून घुसा रही थी तो कभी गद्दे पर अपने हाथ पैर इधर उधर पटक पटक कर जोर जोर से चिल्ला रही थी।


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:" आह सांड मुझे छोड़ दे, उफ्फ मार ही डालेगा क्या मुझे!! कुछ तो रहम कर आह्हह

शहनाज़ बचने के चक्कर में खिसकती हुई बेड के किनारे पर अा गई थी लेकिन अजय उसे पूरी तरह से अपनी टांगो में फंसाए हुए चोद रहा था, शहनाज़ का सिर गद्दे से नीचे लटक गया था लेकिन अजय किसी जंगली जानवर की तरह उसे चोद रहा था। हर धक्के पहले से तेज पड़ रहा था और शहनाज़ की दर्द भरी सिसकारियां अब दूर दूर तक गूंज रही थी। अजयअजय चूत में लंड घुसे घुसे ही शहनाज को पकड़ कर फिर से बेड के बीच में खीचं लिया और फिर से उसकी चूत चोदने लगा तो शहनाज़ बदहवाश सी हो गईं और जोर जोर से अजय के कंधे में नाखून गड़ाने लगी। अजय को उसके लंड में तूफान सा उठता हुआ महसूस हुआ और उसने अब अपने पूरे लंड को बाहर निकाल निकाल कर ठोकना शुरू कर दिया।शहनाज़ की चूत एक बार फिर से गर्म हो गई और शहनाज़ के मुंह से अब आवाज नहीं निकल रही थीं बल्कि उसकी हल्की आंखे बंद हो गई थी और उसकी सफ़ेद सफ़ेद पुतलियां मस्ती से इधर उधर घूमती रही थी। शहनाज़ ने अब अपने दोनो हाथ उसकी गर्दन में लपेट दिए थे और अजय का लंड किसी मशीन की तरह अंदर बाहर हो रहा था और एक बार फिर से शहनाज़ की चूत जवाब दे गई और शहनाज़ ने कांपते हुए अपना रस छोड़ दिया। अजय भी झड़ने के करीब ही पहुंच गया था लेकिन शहनाज़ को अब अपनी चूत में असहनीय दर्द हो रहा था तो फिर से दर्द से कराह उठी और उसने निकलने के लिए खुद को पीछे की तरफ सरका दिया तो लंड भी उसकी चूत से बाहर निकल गया तो अजय तड़प उठा और उसने तेजी से शहनाज़ को आगे होते हुए पकड़ा और एक ही धक्के में फिर से अपना मोटा लंड जड़ तक घुसा दिया। शहनाज़ एक बार फिर से दर्द से बिलबिला उठी और फिर से बचने के लिए पीछे हुई तो अजय ने फिर से आगे होते हुए लंड के तेज तेज धक्के लगाए।

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शहनाज़ से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपनी टांगो को पूरी तरह से कस लिया तो अजय ने अपनी गांड़ का दम लगाया और लंड को एक आखिरी शक्तिशाली धक्के के साथ शहनाज़ की चूत में घुसा दिया और दोनो एक साथ जोर से सिसक पड़े। अजय के लंड से वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी निकल कर शहनाज़ की जलती हुई चूत को ठंडा करने लगी और शहनाज़ ने बार फिर से मस्ती में आते ही अपने गुलाबी रसीले होंठों को अजय के होंठो से जोड़ दिया।
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इस दमदार चुदाई के बाद दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे और शहनाज़ की आंखे पूरी तरह से बंद थी। उसके चेहरे पर असीम शांति फैली हुई थी और फैले भी क्यों नहीं क्योंकि उसकी एक हफ्ते से टपक रही चूत की जो दमदार चुदाई हुई थी उससे ना सिर्फ शहनाज़ की चूत बल्कि उसकी आत्मा तक को तृप्ति मिल गई थी। शहनाज़ अपनी आंखे बंद किए हुए ही अजय के बालो में अपनी नाजुक उंगलियां घुमा रही थी और अजय ने उसे अपनी बाहों में पूरी तरह से समेत रखा था। दोनो के दिलो की धड़कन अभी तक शांत नहीं हुई थी क्योंकि अजय का साथ देने में शहनाज़ ने भी अपने जिस्म की पूरी ताकत झोंक दी थी।

बाहर चल रही ठंडी ठंडी हवा का असर दोनो पर हो रहा था ठंडी हवाओं से उनके गर्म शरीर ठंडे होने शुरू हो गए और आखिरकार करीब 15 मिनट के बाद दोनो की सांसे दुरुस्त हो गई। अब दोनो के जिस्म बिल्कुल शांत थे लेकिन पसीने से भीगे हुए थे।

अजय धीरे से शहनाज़ के चेहरे को उपर उठाया और उसकी आंखो में देखते हुए उसकी चूत के ऊपर हाथ फेरते हुए बोला:"

" शहनाज़, कैसा महसूस हो रहा है अब तुम्हे। सुकून मिला या नहीं


शहनाज़ उसकी बात सुनकर शर्मा ने और उसके होंठो पर स्माइल अा गई तो अजय सब कुछ समझ गया और उसने फिर से शहनाज़ की ठोड़ी पकड़कर उसका चेहरा उपर उठाया और उसे स्माइल दी तो शहनाज़ भी इस बार हल्की सी मुस्कुरा उठी।

अजय:" बताओ ना शहनाज़ कैसा लगा तुम्हे ?

इतना कहकर अजय ने उसकी चूत के होंठो को अपनी उंगलियों से हल्का सा मसल दिया तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी और शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल पड़ा

" आह, उफ्फ मत छुओ उसे, आह अम्मी, शैतान दर्द कर रही है वो बहुत ज्यादा। उसकी हालत खराब कर दी तुमने पूरे जानवर हो तुम। एक दम जंगली जानवर।

अपनी तारीफ सुनकर अजय अजय खुश हो गया और उसने एक झटके के साथ शहनाज़ को किसी गुड़िया की तरह अपनी गोद में उठा लिया तो शहनाज़ उसकी ताकत पर मर मिटी और उसे हैरानी से देखा और बोली:"

" अब क्या हुआ, तुमने तो मुझे किसी नाजुक गुड़िया की तरह उठा लिया जैसे मेरे अंदर वजन ही ना हो।

अजय ने अपनी तारीफ सुनकर शहनाज़ का मुंह चूम लिया और उसे गोद में लिए हुए गंगा की तरफ चल पड़ा और बोला:"

:" अपना जिस्म देखो कितना पसीने से भीग गया है। चलो तुम्हे आज अपने हाथो से नहला देता हूं शहनाज़। तुम किसी गुड़िया को तरह की हो शहनाज़।

इतना कहकर अजय ने एक हाथ में भर कर उसकी गांड़ को जोर से मसल दिया तो शहनाज़ के मुंह से दर्द भरी सिसकी निकल पड़ी और बोली:"

" आऊच पूरे पागल हो तुम। तुम्हे कुछ प्यार से करना नहीं आता क्या, सब कुछ इतनी जोर से करते हो तुम बस जान ही निकाल देते हो।

अजय:" मुझे प्यार से कुछ भी करना आता, बचपन से ही बस लड़ाई झगड़ा पसंद था। अब शरीर में ताकत ही इतनी ज्यादा है कि अपने हाथ बाहर निकल जाती है तुम्हे देखकर।

शहनाज़:" बस बस, हर एक काम के लिए ताकत की जरूरत नहीं होती। समझे मिस्टर पहलवान।

अजय ने फिर से उसकी आंखो में देखते हुए उसकी मोटी गांड़ के एक हिस्से को अपनी मुट्ठी में भर लिया और पूरी ताकत से मसल दिया और बोला

:" हर काम का तो पता नहीं लेकिन चुदाई के लिए तो ताकत ही ताकत चाहिए मेरी जान शहनाज़।


शहनाज़ दर्द से कराह उठी और उसकी छाती में घुस्से मारते हुए बोली:"

" आह मर गई, उफ्फ कितने ज़ालिम हो तुम। थोड़ा सा भी रहम नहीं करते।

अजय:" हाय मेरी जान शहनाज़, वो मर्द ही क्या जिसके हाथो में रहम हो, जब तक औरत चींखें ना मारे तो लंड का क्या फायदा। ऐसा मैंने पढ़ा है।

शहनाज़ उसकी बात सुनकर शर्मा ने और बोली:"

:" उफ्फ बस बस ये ही सब कुछ पढ़ते हो तुम। अच्छा एक बात बताओ तुम्हारा अपनी पढ़ाई में कुछ ध्यान लगता भी है या नहीं ?

अजय शहनाज़ की बात सुनकर खामोश हो गया लेकिन उसके कदम अभी भी गंगा की तरफ बढ़ रहे थे। उसकी खामोशी देखकर शहनाज़ बोली;


:" अरे चुप क्यों हो गए तुम? बताओ ना ?

अजय ने एक बार शहनाज़ की तरफ देखा और फिर अपनी नजरे झुका कर बोला:"

:" सच कहूं तो पढ़ाई में मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लगता है। बस मम्मी का दिल रखने के लिए शहर में रहता हूं। पढ़ाई में मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लगता है।

शहनाज़ उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:"

:" हान हान पढ़ाई में समझ नहीं आता तो क्या हुआ चुदाई में तो बड़ा मन लगता है।

इतना कहकर शहनाज़ ने उसके होंठो को चूम लिया। गंगा नदी की लहरे अब अजय के पांव से टकरा रही थी और वो शहनाज़ को गोद में लिए हुए आगे बढ़ गया और जल्दी ही उसके पेट तक पानी अा गया तो उसने शहनाज़ को अपनी गोद से नीचे उतार दिया।

ठंडे ठंडे पानी अपनी चूत को छूने के एहसास से शहनाज़ कांप उठी और बोली:"


" सी ईईई कितना ठंडा पानी हैं अजय। मुझे तो कंपकपी सी अा रही है इसमें।

अजय;" हान शहनाज़, सचमुच बहुत ही ठंडा पानी हैं। चलो जल्दी से मैं तुम्हारे शरीर को साफ कर देता हूं। कहीं ऐसा न हो तुम्हारी तबियत बिगड़ जाए। तुम जल्दी से एक डुबकी लगा लो।

शहनाज़ उसकी बात सुनकर पानी में डुबकी लगाने लगी और उसने डुबकी लगाकर अपना सिर्फ सिर बाहर निकाल लिया जबकि गर्दन के नीचे का बाकी हिस्सा अभी भी पानी के अंदर ही था। अजय ने पानी से झांक रही उसकी चूचियों पर नजर डाली तो शहनाज़ एक कातिल मुस्कान फेंकती हुई सीधी खड़ी हो गई और उसकी ठोस गोल गोल चूचियां बाहर की तरफ उछल पड़ी।


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शहनाज़ की चूचियों से गिरती हुई पानी की बूंदे उसकी जांघो के बीच उसकी चूत पर गिर रही थी और अजय ये सब देखकर पागल सा हो गया और अजय ने हाथो में पानी लेकर उसके जिस्म को साफ करना शुरू कर दिया। शहनाज़ के नंगे जिस्म पर पानी की बूंदे क़यामत ही ढा रही थी। अजय ने दोनो हाथो में पानी लिया और शहनाज़ की चूचियों को पूरी तरह से भिगो दिया तो शहनाज़ ठंड से कांप उठी। अजय ने उसकी तरफ स्माइल करते हुए उसकी दोनो चूचियों को हाथो में भर लिया और धोने के बहाने धीरे धीरे मसलने लगा। कभी पूरी चूचियों को मसलता तो कभी निप्पल को उंगली और अंगूठे के बीच में लेकर प्यार से सहला देता। शहनाज़ अपनी चूचियां मसली जाने से फिर से गर्म हो गई थी और उसकी चूत में गंगा नदी का ठंडा ठंडा पानी एक अलग ही आग पैदा कर रहा था। अजय ने अपने हाथ नीचे पानी में घुसाते हुए शहनाज़ की मोटी मोटी गोल मटोल गांड़ को अपने हाथो में भर लिया और हल्का सा सहलाते हुए बोला:"

" आह शहनाज़, तेरी गांड़ कितनी मोटी और गद्देदार हैं। उफ्फ तू मुझे पहले क्यों नहीं मिली।

इतना कहकर अजय ने उसकी गांड़ को जोर से मसल दिया तो शहनाज़ दर्द से तड़प उठी और बोली:"

:" आह आह , आह इतनी जोर से मत मसलों निशान पड़ जाएंगे। तुम सुधर नहीं सकते क्या।

अजय ने अपनी अंगुलियों को उसकी गांड़ को चौड़ा करते हुए उसके छेद पर फिराया और बोला:"

:" आह शहनाज़, गांड़ ही क्या मैं तो तेरे सारे जिस्म पर निशान पड़ा दूंगा। तेरे गोरे गोरे जिस्म पर लाल निशान उफ्फ क़यामत लगोगी तुम।

शहनाज़ उसकी बात सुनकर शर्मा गई और थोड़ा सा आगे को हुई तो अजय ने उसकी जांघो के बीच में ने हाथ घुसा दिया और उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया तो शहनाज़ पलट कर उससे लिपट गई और सिसकी

:" आह अजय, दर्द करती हैं मेरी, उफ्फ क्या हाल कर दिया तुमने इसका, थोड़ा प्यार से साफ करो।

अजय शहनाज़ की बात सुनकर मस्ती में अा गया और उसने शहनाज़ की चूत के दोनों मखमली नाजुक मुलायम लिप्स को उंगली से सहला दिया और बोला:'

:" उफ्फ शहनाज़, कितनी मुलायम हैं ये, हाय बता ना क्या हैं ये जो दर्द करती हैं।

इतना कहकर उसने शहनाज़ की चूत की कलिट को मसल दिया तो शहनाज़ पूरी तरह से बहक गई और सिसकी लेते हुए बोली:"

:" आह चूत हैं ये अजय। उफ्फ अम्मी चूत।

अजय शहनाज़ के मुंह से चूत सुनकर पागल हो गया और उसने शहनाज़ का हाथ पकड़ कर अपने सख्त मोटे तगड़े लंड पर टिका दिया और बोला:"

:" आह चूत, उफ्फ किसकी चूत हैं ये मेरी जान ?

शहनाज़ लंड पर हाथ में लेते ही उसकी गोलाई और मोटाई महसूस करके पागल सी हो गईं और उसे सहलाते हुए सिसक उठी:"

;" आह, मेरी चूत में ये अजय, उफ्फ शहनाज़ की चूत।

अजय ने अपनी एक उंगली को आधा उसकी चूत में घुसा दिया और बोला:"

" हाय शहनाज़ तेरी चूत लाल क्यों हो गई है? क्यों दर्द कर रही है ये

शहनाज़ ने जोर से उसके लंड को मुट्ठी में भींच दिया और बोली:"

" अहहग चुद गई है मेरी चूत, उफ्फ इस मोटे तगड़े लंड से एसआइआई ऊऊऊ इसलिए दर्द कर रही है छूने से ही।

अजय ने जोश में आकर अपनी पूरी उंगली को उसकी चूत में घुसा दिया और बोला:"

" आह शहनाज़ तेरी चूत कितनी गर्म है अब भी, किसके लंड से चुद गई है शहनाज़ की चूत ?

शहनाज़ अपनी सुखी चूत में उंगली घुसते ही दर्द से कराह रही और सिसकते हुई बोली:"

" आह तेरे लंड से, अजय के लन्ड से चुद गई मेरी चूत, उफ्फ ज़ालिम सूखी चूत में ही घुसा डाली उंगली।

अजय ने उंगली को चूत से बाहर निकाला और शहनाज़ को एक झटके के साथ अपनी गोद में उठा लिया और देखते ही देखते शहनाज़ को इतने ऊपर उठा दिया कि उसकी दोनो टांगे अजय के गले में लिपट गई जिससे उसकी चूत अजय के मुंह के सामने अा गई और अजय ने बिना देरी किए उसकी चूत पर अपने होंठ टिका दिए तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने अपनी चूत को पूरी तरह से खोल दिया और जिससे अजय के होंठ उसकी चूत के होंठो को रगड़ गए और शहनाज़ सिसक उठी।


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अजय ने अपनी लपलपाती हुई जीभ को बाहर निकाला और शहनाज़ की आंखो में देखते हुए उसकी चूत पर चिपका दिया तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी

" आह अजय, आऊच मेरी चूत, चूस लो शहनाज़ की चूत, उफ्फ

अजय ने उसकी चूत के जीभ अंदर घुसा दी तो शहनाज़ की आंखे बंद हो गई और उसने अजय के सिर को थाम लिया और अपनी चूत में घुसा दिया। अजय अपनी खुरदरी जीभ से उसकी चूत की दीवारों को रगड़ रगड़ कर चाट रहा था और शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थी। शहनाज़ की सिसकियां तेज होती चली गई और अजय ने अपनी जीभ बाहर निकाली और देखते ही देखते शहनाज़ की गांड़ को नीचे किया तो उसकी चूत अजय के लन्ड पर अा टिकी और दोनो एक साथ सिसक उठे। शहनाज़ की दोनो टांगे उसकी कमर में और उसके हाथ अजय की गर्दन में लिपटे हुए थे। अजय शहनाज़ की गांड़ को मसलते हुए चूत को अपने लंड पर रगड़ रहा था जिससे शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो गई क्योंकि आज पहली बार वो इस पोजिशन में चुदने जा रही थी। जैसे ही लंड उसकी चूत के छेद से टकराया तो शहनाज़ ने अजय के होंठो को अपने मुंह में भर लिया और अजय ने नीचे से एक ज़ोरदार धक्का लगाया तो आधे से ज्यादा लंड शहनाज़ की टाइट चूत में घुसता चला गया और शहनाज़ दर्द और मस्ती से सिसक उठी। अजय ने पूरी ताकत से दूसरा धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत को रगड़ते हुए जड़ तक अन्दर घुस गया और शहनाज़ दर्द से बिलबिला उठी और अजय से कसकर लिपट गई। अजय ने उसकी गांड़ को उपर उठा दिया और लंड को बाहर निकाला और फिर से उसकी गांड़ को ढीला छोड़ दिया तो तीर की तरह सर्ररर करता हुआ लंड जड़ तक उसकी चूत में घुस गया और शहनाज़ एक बार फिर दर्द से कराह उठी।


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" आह अजय, उफ्फ दुखती है मेरी चूत, थोड़ा प्यार से चोद ना इसे तू।

अजय ने उसकी गांड़ को थाम लिया और पूरी ताकत से उसे चोदने लगा तो शहनाज़ की सूज चुकी चूत में दर्द होने लगा और शहनाज़ दर्द से कराह उठी और उसने अपने दांत उसके कंधे में गडा दिए तो अजय दर्द से तड़प उठा और उसका धैर्य जवाब दे गया और उसने दोनो हाथो में शहनाज़ की जांघो को कसकर पकड़ लिया और जोर जोर से उसकी गांड़ को अपने लंड पर उछालते हुए पूरी ताकत से नीचे से तगड़े धक्के लगाने लगा।

शहनाज़ की चूत में आग सी लग रही थी और शहनाज़ दर्द के मारे मचल रही थी, सिसक रही थी और अजय बिना उसके दर्द की परवाह किए हुए पूरी ताकत से उसे चोद रहा था। धीरे धीरे शहनाज़ की चूत में मजा आने लगा और वो फिर से मस्ती में आकर अजय के होंठ चूसने लगी तो अजय ने उसकी दोनो टांगो को हाथो में थाम कर पूरा फैला दिया और गपागप चोदने लगा। शहनाज़ की चूत में अजय का कसा हुआ लंड उसे स्वर्ग दिखा रहा था और शहनाज़ खुद ही अपनी गांड़ उछाल रही थी और जोर जोर से सिसकियां ले रही थी

" आह अजय कितनी ताकत है तेरे अंदर, उफ्फ गोद में उठा कर चोद दिया मुझे, और चोद मुझे उफ्फ हाय।

अजय ने अब शहनाज़ की जांघो को थाम लिया और जोर जोर से चोदता हुआ बोला"

" आह शहनाज़, सब तेरे लिए ही है मेरी जान, तेरी चूत में कैसे फंस रहा है मेरा लन्ड।

अजय उसकी गांड़ उठाता और शहनाज़ खुद ही लंड अंदर ले लेती। शहनाज़ की चूत में हलचल शुरू हो गई और उसकी सिसकियां तेज होती चली गई।

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शहनाज़ की जैसे ही गांड़ उपर होती तो उसकी चूचियां अजय के खुले मुंह में घुस जाती और इस बार अजय ने उसके निप्पल को जोर से काट लिया तो शहनाज़ पागल सी हो गईं और उसकी चूत से सैलाब सा टूट पड़ा और सिसक उठी

" आह अजय मेरी चूत झड़ रही है, घुसा दे पूरा लंड हायय्य जड़ तक।

अजय ने एक जोरदार धक्का लगाया और उसका लंड शहनाज़ की चूत में जड़ तक घुस गया और शहनाज़ की चूत से बांध सा टूट पड़ा और शहनाज़ जोर जोर से सिसकते हुए झड़ गई। शहनाज़ के झड़ते ही अजय ने तेजी से उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया तो शहनाज़ की गीली चूत में लंड तेजी से घुसने लगा और शहनाज़ दर्द से कराह रही थी और अपने नाखून उसकी कमर में घुसा रही थी।

अजय ने शहनाज़ की कमर को अपने हाथो लपेट दिए और जोर जोर से उसकी गांड़ अपने लंड पर पटकने लगा तो शहनाज़ के चूत में आग सी लग गई और वो दर्द से कराहते हुए सिसक उठी

" आह छोड़ दे मुझे, उफ्फ मर जाऊंगी सांड।

अजय पूरी ताकत से उसकी चूत पेलने लगा और बोला:"

" आह शहनाज़ चुदाई से कोई नहीं मरता, आह तेरी मस्त टाइट चूत देख कैसे पूरा लंड ले रही है।

इतना कहकर अजय ने पूरे लंड को बाहर निकाल लिया तो शहनाज़ ने सुकून की सांस ली लेकिन अगले ही पल एक झटके में पुरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया तो शहनाज़ दर्द से बिलबिला उठी और बोली;'

" आह क्या दुश्मनी है तेरी मेरी चूत से, आह उफ्फ।

अजय ने बिना कुछ बोले उसकी चूत में तगड़े धक्के लगाने शुरू कर दिए और शहनाज़ की दर्द से भरी हुई घुटी घुटी चींखें निकलने लगी।

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अजय के लंड में भी उफान आने लगा और उसने शहनाज़ की चूत में एक आखिरी धक्का मारा और उसके साथ ही उसने भी अपने लंड की पिचकारी उसकी चूत में छोड़नी शुरू कर दी। शहनाज़ ने राहत की सांस ली और उसने अजय के गले में अपनी बांहे डाल दी और उससे लिपट गई।

इस दमदार चुदाई के बाद दोनो पूरी तरह से थक गए थे और अजय शहनाज़ को गोद में लिए हुए ही उसके कमरे में आ गया और उसे बेड पर लिटा दिया तो शहनाज़ ने एक बार अजय के होंठ चूम लिए और उसके बाद अजय अपने कमरे में घुस गया। बिस्तर पर पड़ते ही दोनो गहरी नींद में चले गए।


अगले दिन सुबह कमला की आंखे खुली और घर के काम में लग गई। उसे उम्मीद थी कि सपना आएगी और घर के काम में उसका हाथ बंटाएगी लेकिन आठ बजे तक भी सपना वापिस नहीं अाई तो कमला समझ गई कि शायद रात शादाब के साथ हुए सेक्स की वजह से वो डर गई है। शादाब का ख्याल आते ही वो उसे उठाने के लिए चली गई जो कि अभी तक सो रहा था।

शादाब के उपर से चादर हटी हुई थी और उसके पायजामे में एक बड़ा सा तम्बू बना हुआ था। कमला की आंखो फिर से हैरानी से फैल गई कि ये आज कल का छोटी सी उम्र का लड़का इतना बड़ा लंड लिए घूम रहा हैं। उसने शादाब को आवाज लगाई और शादाब जल्दी से हड़बड़ा कर उठ गया तो उसकी नजर अपने तम्बू पर पड़ी तो वो शर्मा गया और उठकर बाथरूम की तरफ भाग गया जबकि कमला उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दी और खाना बनाने के लिए काम में जुट गई।

शादाब नहा धोकर अा गया और कमला से बोला:"

" आंटी आज सपना नहीं अाई क्या काम करने के लिए ?

शादाब की बात सुनकर कमला मन ही मन मुस्कुरा दी और फिर बोली:" नहीं बेटा, शायद कोई काम होगा उसे आज अपने ही घर में इसलिए नहीं अाई होगी।

शादाब समझ गया कि रात उसने जो सपना के साथ किया वो उससे डर गई है और अब वापिस नहीं आने वाली। खाना बन गया था और दोनो नाश्ता करने लगे। नाश्ता करने के बाद कमला बोली:"

" शादाब जंगल में घास लेने जाना होगा, सपना है नहीं तो मैं ही तुम्हारे साथ चलती हूं।

शादाब:" ठीक हैं आंटी जैसे आपको सही लगे। वैसे मैं तो यहां बिल्कुल नया हूं तो ज्यादा कुछ जानता भी नहीं हु।

कमला:" तुम मुझे बाहर मिलो, मैं बुग्गी झोत्ता लेकर आती हूं( एक गाड़ी जिसमे भैंसा जोड़ते हैं)।

शादाब बाहर निकल गया और थोड़ी देर बाद ही कमला बुग्गी झोत्ता लेकर अा गई और दोनो जंगल की तरफ चल पड़े। रास्ते में जैसे ही वो मुडे तो कमला की नजर सपना पर पड़ी जो सामने से अा रही थी। सपना ने जैस ही शादाब को देखा तो वो अंदर तक कांप उठी और अपना मुंह नीचे करके चुपचाप निकलने लगी तो कमला बोली:"

" क्या हुआ सपना, तेरी तबियत तो ठीक है ना बेटी ? ऐसे क्यों नजरे चुरा रही हैं तू ? आज घर भी नहीं अाई सुबह से।

सपना:" नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं है। मैं भूल ही गई थी बस इसलिए नहीं अाई।

कमला:" अच्छा तो अब तो मिल ही गई है एक काम कर अब हमारे साथ खेत पर चल।

सपना बहाना करते हुए बोली:"

" वो मैंने घर नहीं बोला हैं तो कहीं बाद में मम्मी पापा परेशान ना हो जाए।

कमला:" अरे तो बुग्गी में बैठ तो सही, तेरा घर तक रास्ते में ही पड़ता है तो मैं तेरे मम्मी पापा को भी बोल दूंगी।

सपना ना चाहते हुए भी बुग्गी में बैठ गई और जैसे ही वो सपना के घर से सामने से गुजरे तो कमला ने जोर से आवाज लगाई और बोली:"

" अरे मोहन भाई सपना मेरे साथ जंगल में जा रही है। परेशान मत होना थोड़ी देर बाद ही वापिस लौट आएंगे।

मोहन" अच्छा कमला बहन, कोई बात नहीं हैं, लेकिन थोड़ा जल्दी वापिस अा जाना।

कमला ने बुग्गी आगे बढ़ा दी और सपना बिल्कुल चुपचाप बुग्गी में बैठी रही। थोड़ी देर बाद बुग्गी खेत में पहुंच गई और सभी लोग मिलकर घास काटने लगीं। कमला ने कुछ सोचा और बोली:"

" मेरा बड़ी तेज बाथरूम अा गई है मैं अभी आती हूं। तब तक आप दोनो घास काट लीजिए।

इतना कहकर कमला चली गई और पेड़ के पीछे छुप कर देखनी लगी। शादाब और सपना दोनो चुपचाप घास काट रहे थे लेकिन शादाब से घास काटना नहीं आता था तो सपना हंसने लगी तो शादाब बात को बदलते हुए बोला:"

" आज सुबह भी नहीं अाई तुम ? नाराज हो क्या मुझसे ?

सपना ने उसकी तरफ गुस्से से देखा और बोली:"

" मेरे घर में भी काम होते हैं। बस घर के काम में लगी थी। तुम होते कौन हो जो मैं तुमसे नाराज हो जाऊ ?

शादाब समझ गया कि सपना उससे बहुत ज्यादा नाराज हैं और इतनी आसानी से उसकी अब दाल गलने वाली नहीं है तो बोला:"

" नहीं मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था। वैसे नाराज होना अच्छी बात नहीं होती।

सपना ने उसकी तरफ आंखे निकाली और बोली:"

" और हो तुमने किया क्या वो अच्छी बात थी ? ऐसे कौन करता है शादाब।

कमला पीछे खड़ी हुई इनकी सारी बाते सुन रही थी और उसे उम्मीद थी कि शायद दोनो थोड़ा सा मस्ती करे लेकिन सपना ज्यादा ही भाव खा रही थी जिससे शादाब को आगे बढ़ने का मौका ही नहीं मिल रहा था।

शादाब:" अरे वो कभी कभी हो जाता है इसमें मेरी कोई गलती नहीं तुम हो ही इतनी खूबसूरत।

सपना अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई और बोली:"

" बस बस इतनी ज्यादा मक्खन लगाने की जरूरत नहीं। मैं अब हाथ आने वाली नहीं।

कमला अा गई तो दोनो उसे देखते ही चुप हो गए। कमला घास काटने बैठ गई और थोड़ी देर में ही उन्होंने काफी सारा घास काट लिया और अब सपना गठरी बांधने लगी। सपना ने जान बूझकर एक मोटी बड़ी भारी गठरी बांध दी ताकि शादाब को उठाने में दिक्कत आए और सपना उसके मजे ले सके।

जैसे जैसे ही शादाब भारी गठरी उठाने लगा तो कमला बोली:"

" अरे शादाब बेटा तुम रहने दो, तुमने कहां वजन उठाया होगा ऐसे सिर पर ? खेत की छोटी छोटी मेढ़ है जिन पर चलना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है।

शादाब" अरे नहीं आंटी मै कर लूंगा आप फिक्र मत कीजिए।

कमला:" नहीं एक बार बोल दिया तो बस बोल दिया। कुछ ऊंच नीच हो गई तो मैं शहनाज़ को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी। लाओ चलो इस गठरी को मेरे सिर पर रख दो तुम।

शादाब चुप हो गया और उसने सपना के साथ मिलकर घास की गठरी को उठाकर कमला के सिर पर रख दिया। सपना का बना बनाया प्लान खराब हो गया और शादाब की तरफ देख कर बुरा सा मुंह बनाया। कमला सावधानीपर्वक मेढ़ पर बढ़ रही थी कि तभी उसका पैर फिसला और वो खेत में अपने पिछवाड़े के बल गिर पड़ी और घास की भारी गठरी उसके पिछवाड़े पर गिरी। कमला के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी जिसे सुनकर शादाब और सपना तेजी से उसकी तरफ दौड़े और शादाब ने घास की भारी गठरी को इसके ऊपर से हटाया और बोला:"

" ओह आंटी आप ठीक तो हो ? ज्यादा चोट तो नहीं लग गई आपको ?

कमला दर्द से कराह उठी और बोली:" आह पिछ्वाड़ा लग गया नीचे, दर्द हो रहा है बहुत।

सपना का चेहरा उतर गया क्योंकि ये सब उसका ही किया धरा था। बस शादाब की जगह कमला गिर गई थी। सपना तेजी से उसके पास अाई और बोली:"

" आंटी आपको दिक्कत होगी अब चलने में , है भगवान ये क्या हो गया ?

कमला:" कुछ नहीं मेरी बेटी, बस तू फ़िक्र मत कर। हड्डी टूटने से बच गई मेरी इतना बहुत है।।


कमला शादाब का हाथ पकड़ कर खड़ी हुई और धीरे धीरे लंगड़ा कर चलने लगी। शादाब ने घास की गठरी को उठाकर बुग्गी में डाला और फिर सभी लोग घर की तरफ चल पड़े।
Lazwaab
 

Babasarkar

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