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Incest मां और मैं

Sangya

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मैंने उसकी साड़ी खोली और ब्लाउज पेटीकोट में उसको नीचे चटाई पर लिटा दिया
सरसों का तेल हल्का सा गर्म करके लाया उस के तलवों की मालिश की हथेलियों की बारिश की फिर पिंडलियों की मालिश की इतना करने से देखा तो उस की रंगत थोड़ी वापस आ रही थी और वह मुस्कुराने लगी थी मैंने कहा कुछ फायदा मिला मेरी प्यारी चाची को तो वो बोली मेरा मीठा सा भतीजा चाची को खुश कर रहा है और ठीक करने की कोशिश कर रहा है तो चाची क्यों ठीक नहीं होगी मैंने कहा अच्छा ऐसी बात है तो आज पूरा ही ठीक कर दूंगा और कोशिश करूंगा कि तुम्हारा मिर्गी का रोग की जड़ भी खत्म हो जाए।
क्योंकि पहले मैं कई बार उससे कह चुका था कि पति का लिंग ना मिलने की वजह से उसकी योनि सूखी-सूखी होगी और मन में कुंठा आ रही होगी और जब ठरक पूरी तरह से मन और दिमाग में भर जाए तो मिर्गी का दौरा पड़ता है। मेंने उसे एक दो बार बैंगन या मोमबत्ती प्रयोग करने के बारे में कहा था पर वह मानी नहीं या मेरे सामने उसने स्वीकार नहीं किया था किंतु जैसे वह नहाते हुए मुझे अपना नंगा बदन दिखाती थी और सारा दिन पल्लू नीचे गिरा कर अपनी चूचियां दिखाती थी इससे मुझे आमंत्रण तो लगता ही था और आज उसका मन चुदाने का लग भी रहा था घर में मेरे और उसके अलावा कोई नहीं था अतः आज मैंने चाची को स्वस्थ करने का जिम्मा उठाने का निश्चय किया।
मैंने चाची को बोला कि पूरा ठीक करने के लिए तुम्हारे पैरों में ऊपर तक पेट तथा पीठ पर भी मालिश करनी पड़ेगी तब उसमें जान आ जाएगी उसने मुस्कुराकर पलके झुकाई और कहां मेरा राजा बेटा जो करेगा वह ठीक ही करेगा मैं बहुत खुश हुआ और मैंने चाची को ठीक करना शुरू कर दिया:::::::::
 

Sangya

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चाची और मेरे बीच प्यार-लगाव,सहानुभूति- विश्वास का एक अनूठा रिश्ता बन चुका था
मैं उसके दुखों को सुनकर सांत्वना सहारा देता और आलंबन भी बनता था और वह मुझे अपने नहाते, कपड़े धोते समय नंगे शरीर को देखते हुए पाकर भी शर्माती नहीं थी ना ही उसने कभी मुझे आलिंगन करने से या चूमने से रोका था
कई बार आलिंगन करते समय में मेरा खड़ा लंड उसकी जांघों या नितंबों पर ठोकर लगाता था पर उसने कभी भी आपत्ति नहीं की ना ही कोई बुरा माना और ना ही उन परिस्थितियों में अपने को छुड़ाना चाहा
यह सब देखते हुए मैं उसके विश्वास को नहीं तोड़ना चाहता था परंतु उसके पति द्वारा चाची के शरीर की भूख शांत होनी चाहिए थी, चुदाई ना होने के कारण उसको जो मिर्गी आती थी वह दूर करना मुझे मेरा कर्तव्य ही लगता था।
अतः मैं उसको शारीरिक रूप से संतुष्ट करना चाहता था अब मैं 18 साल का हो गया था मेरे लिंग में भारी तुफान आने लगे थे और मैं अपनी मां तथा मुंहबोली चाची से लंड की शांति की उम्मीद लगाए बैठा था।
आसपास की हमउम्र लड़कियों में मेरा अच्छा प्रभाव था और मैं एक सुशील पढ़ाई लिखाई में होशियार और चरित्रवान लड़का माना जाता था उनमें से कुछ पर लाइन भी मारी 1-2 से बातें-शातें भी होती थी किंतु कोई भी बात सिरे नहीं चढ़ पाई और मैं "जुलाहे की मस्तियां मां बहनों के साथ" की कहावत चरितार्थ करते हुए चाची और मां पर ही अपना ध्यान लगाए हुए थे बाकी समय 12वीं की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित था आखिरकार इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने लायक नंबर प्राप्त करने थे
अब वापिस चुदाई कक्ष में प्रवेश करते हैं
हाथों पैरों की मालिश करने के बाद चाची को चैतन्य लग रही थी फिर मैंने उसको रसोई से गर्म दूध ला कर पिलाने का प्रयास किया
चाची को बैठने की हिम्मत तो नहीं थी अतः एक हाथ से सहारा देखकर उसका बिठाया फिर उसके पीछे एक घुटना लगाकर और दूसरा पैर चाची की जाघों पर रखकर अपने हाथ से गिलास उसके मुंह में लगाकर दूध पिलाया।
इससे चाची चैतन्य होने लगी थी मैंने कहा की चाची अब अब पूरे शरीर की मालिश कर देता हूं जिससे तुम्हारी मांसपेशियों में जान आ जाएगी चाची ने सहमति में सिर हिलाया तो मेरा मन खुशी से नाच उठा
यह करते-करते 3:00 बज गए थे लगभग 4:00 बजे मां वापिस आ जाती थी अत: मेरे पास 1 घंटे का ही समय था
मैं उसको सहारा देकर अंदर वाले कमरे में ले गया और सोफे पर बिठा दिया उसका पेटिकोट ऊपर करके उसकी पिंडलियां व घुटने मलने लगा धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी जांघों पर चहल कदमी करने लगे
इस हाथों की चहल कदमी में चाची का पेटिकोट उसकी कमर के उपर इकठ्ठा कर दिया मुझे उसकी योनि और नितंब बहुत अच्छे से दिख रहे थे अपने हाथों की गति बढ़ाते हुए तेल लगाया और मालिश करते-करते जांघों के अंदर की तरफ हाथ आगे बढ़ने लगे और उंगलियों के पोर मेरी प्यारी चाची की चूत के मुख्य द्वार तक पहुंच गए।
चाची ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी मैंने निडर होकर हाथ और आगे बढ़ाए और दवाब भी बढ़ाने लगा मेरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी थी
मैंने पहली बार चाची की चूत को इस तरह से छुआ था किंतु चाची का कोई रिएक्शन नहीं था फिर मैंने उंगली का पहला पोर चूत के अंदर डाला और मालिश करने लगा अब चाची के चेहरे पर उत्कंठा के भाव दिखने लगे थे
 
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Sangya

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चाची की कसमसाहट बढ़ती जा रही थी और मेरी उंगलियां चाची की चूत पर अपना जादू दिखाने को बेकरार हो रही थी पर मैं धीरे-धीरे चलना चाहता था क्योंकि चाची अशक्त अवस्था में थी निर्बल स्त्री की चूत में लंड डालने को मैं बलात्कार मान रहा था अतः जब मेरी चाची कहेगी तभी चाची की रसीली टाइट चूत में मेरा लंड उस का रस निकालने के लिए घुसेगा
मैंने धीरे से अपने हाथ उसकी चूत से हटाकर चूतड़ों की ओर खिसकाया और धीरे-धीरे उसके छोटे-छोटे नरम नितंबों को अपने तेल सने हाथों से मसलने लगा
चाची सोफे पर इस प्रकार लेटी हुई थी कि अब उसकी पीठ और सिर सोफे पर था और पैर मेरी गोदी में लंड के आसपास तथा नितंब हवा में थे इस अवस्था में चाची को कुछ असहजता लग रही थी
इसलिए मैंने आगे झुक कर एक हाथ से उसकी पिंडलियां पकड़ी और दूसरे हाथ से उसके नितंबों को मसलने लगा ऐसा करने में मेरा मुंह चाची की चूत के पास आ गया और मैंने चाची की चूत को सूंघा एक अजीब सी महक आ रही थी जो बहुत अच्छी तो नहीं लगी पर मेरे खड़े हुए लंड ने मेरे दिमाग को विवश कर दिया कि मैं उसे अच्छा समझूं अब चाची की सिसकियां निकलने लगी थी और उसके पैर के अंगूठे मेरे कच्छे के ऊपर से लंड को टटोल रहे थे लंड पहले से ही खड़ा हो गया था और चाची के अंगूठे के स्पर्श से फुफकारने लगा मैंने अपना एक हाथ चाची की पिंडलियों से हटाकर अपने कच्छे के अंदर डाला और लंड को कच्चे से बाहर निकाल दिया अब चाची के तलवे मेरे लंड पर चलाने लगे
चाची मुंह से कुछ नहीं बोली और चुपचाप अपने पंजों मेरे लंड पर चलाने लगी और मैं अपनी नाक से चाची की चूत को छूने लगा अब चाची से उस अवस्था में लेटना बहुत मुश्किल लग रहा था इसलिए मैंने उठकर चाची के पैर भी सोफे पर किए और खुद उसके पैरों में इस प्रकार से बैठा की उसकी पिंडलियों मेरे लंड के ऊपर थी और मेरा हाथ उसकी चूत पर खेलने लगा था

कनक चाची थोड़ा नीचे को सरकी और मेरे अंगुठे का एक हिस्सा चाची की चूत के अंदर घुस गया और मेरी एक उंगली चाची की गांड में चली गई अब मेरी अंगूठे से चाची की चूत मैं खूब रगड़ लग रही थी और उंगली का एक पोर चाची की गांड में गुलगुली कर रहा था मैंने भी जोश में आकर अंगूठे को पूरा चाची की चूत में डाल दिया और अच्छे से उसके भगनसे को रगड़ने लगा और चाची के पैर पैरों ने मेरे लंड को जकड़ लिया मेरे लंड में सनसनाहट बढ़ती गई कुछ ही देर में मुझे कंपकंपी आई और इधर चाची भी बहुत जोर जोर से सांस लेने लगी और अपना पूरा वजन मेरे अंगूठे पर डालते हुए बैठ गई अब मेरा अंगूठा पूरी तरह से चाची की चूत में था और उंगलियां गांड और चूतड़ों को दबा मसल रही थी मैंने भी अंगूठे को जोर-जोर से हिलाना शुरू किया और चाची भी अंगूठे को खूंटा मानकर उस पर जोरों से मचलने लगी थी इस तरह कूदते कूदते अचानक चाची थरथराई और चाची ने अपने हाथ मेरे कंधे पर रखें और उसके ढीले ब्लाउज कसी चूचियां मेरे मुंह में धंस गई मेरे सांस चाची के छोटे-छोटे मम्मोंके बीच में ऐसे लग रही थी मानो रूई में हो और साथ में ही चाची ने कसकर मेरे अंगूठे पर जो डाला और अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ को दबाया कि मेरा मुंह चाची की सूचियों में दब गया एक-दो मिनट इस तरह बैठने के बाद चाची ने गहरी सांसे ली और अपने आप को ढीला छोड़ दिया मेरा भी झड़ गया था और चाची की कामवासना भी शांत हो गई थी हमने मरे से 5 मिनट तक इसी प्रकार से एक दूसरे के आलिंगन में बैठे रहे
कहने के लिए हम दोनों के बीच में कुछ भी नहीं था और दोनों बहुत ही संतुष्ट लग रहे थे धीरे से चाची की चेतना लौटी और चाची ने अपने आप को संभालते हुए अपने कमरे की ओर जाना शुरू कर दिया मैंने भी नजर डाली तो मेरा कच्चा मेरे वीर्य से सना पड़ा था तो मैं भी बाथरूम की तरफ जाने लगा इतने में घर की घंटी बजी तो देखा कि 4:00 बज गए हैं मां के आने का समय हो गया है मैंने जल्दी से आपने कच्चे को ठीक किया और कमीज पहन ली ताकि मेरे कच्छे पर लगा वीर्य मां को ना दिखे और दरवाजा खोलने चल दिया जाते-जाते मैंने चाची के कमरे में निगाह डाली तो देखा की चाची अपने बिस्तर पर लेटी हुई है जब मां घर में घुसी तो सब कुछ सामान्य लग रहा था

कल के अपडेट में मां तथा चाची में से किसी एक की सच्ची घटना का अगला विवरण दूंगा
 

Sangya

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मां जब नानी के घर से वापस आई तो
मैंने देखा कि मां का मन ठीक नहीं लग रहा इस पर मैंने झटपट चाय बनाई और आकर मां के बगल में पलंग पर बैठ कर गलबहियां डाली और पूछा
मां क्या लग रहा है?
वह बोली कि नानी की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे घबराहट हो रही है

मैंने मां को अपने पर खींच लिया और कहा कि कुछ समय लेट जाओ,
मां मेरी गोदी में सिर रखकर पैर फैला कर लेट गई मैंने सिर्फ कच्छा पहना हुआ था फिर मां के सिर के दवाब से आपसे मैंने महसूस किया कि चाची की हरकतों से वीर्य से गिला हुआ मेरा कच्छा मेरी जांघ पर लग रहा है किंतु भाग्यवश वीर्य के ऊपर मां का सिर था बालों के होने की वजह से शायद मां को गीलापन नहीं लगा, मैंने एक हाथ से मां के बालों में उंगलियां फिरानी शुरू की तथा दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा
कुछ पल ऐसे ही बीते फिर मुझे अपनी जांघों पर कुछ ज्यादा गीलापन लगा मैंने गौर से देखा तो पता चला मां के आंसू बह रहे हैं मैंने अपना हाथ मां के गालों पर रखा तो मां सुबक सुबक कर रोने लगी

मां का मन नानी बीमारी के कारण बहुत ही परेशान था इसलिए मैंने अपने दोनों पैर फैलाए और मां को सांत्वना देने के लिए मां से लिपट गया
मां ने मेरी छाती पर अपना सिर रखा हुआ था और मुझे कसकर जकड़ा हुआ था जैसे कि मां मुझ में सहारा ढूंढ रही हो,
मैंने भी मां को आश्वस्त करने के लिए खूब जोर से आलिंगन बद्ध कर लिया अब मां की की चूचियां मेरे पेट पर तथा मेरा सुस्त पड़ा लंड मां के पेट पर लग रहा था मां का रोना बंद नहीं हो रहा था

मां ने मुझे कसकर अपने आलिंगन में ले लिया था मैंने भी दोनों हाथ मां की पीठ पर रखे और कसकर अपने से लिपटाए रखा
हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे किंतु लिंग को कहां चैन होता है उसे तो स्त्री शरीर की गर्मी मिल जाए तो अपना करतब दिखाने लगता है
धीरे-धीरे मेरा लंड जोर पकड़ रहा था जब तक मुझे इसका एहसास हुआ तब तक मेरा लंड मां के पेट में चुभने लगा था

मैंने मां को सुविधा देने के लिए कंधों से पकड़ा और उसे ऊपर की और खींच लिया इससे मेरी स्थिति और विकट हो गई क्योंकि अब मेरा लोड़ा मां के जांघों के बीच में आ गया था वह उसकी चूचियां मेरी छाती में गढ़ने लगी थी और हमारे गाल एक दूसरे को छू रहे थे
हम दोनों पूरी तरह से आलिंगनबद्ध थे
मैंने एक हाथ मां के पल्लू को साइड करके उसकी पीठ पर रखा तथा दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर,
आलिंगनबद्ध होने के कारण मेरे दोनों हाथों का दबाव उसकी पीठ तथा गांड पर पड़ रहा था जिससे मेरा लोड़ा और भी ज्यादा उसके शरीर पर फड़कने लगा था उसकी चूचियां मेरी छाती में ज्यादा घुसने लगी थी।
मेरे लौड़े में खून का दौरा बढ़ रहा था अभी कुछ देर पहले ही चाची के पंजों ने मेरा वीर्यपात किया था किंतु मां से इस लिपटा लिपटी ने मेरे लोड़े में फिर से बहुत ज्यादा ताकत भर दी थी

उसी अवस्था में मैंने मां के गाल पर चुंबन ले लिया
मां का रोना कुछ कम हो गया था पर उसका मन भरा हुआ था मेरे चुंबन के जवाब उसने भी मेरे गाल का चुंबन ले लिया
मां मुझमें अपना सहारा ढूंढ रही थी अब मैंने अगली हरकत की और मां को उसकी पीठ के बल लिटा दिया
मां अपनी घरेलू ड्रेस यानी बिना पेंटी के पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज में थी
फिर मैंने साइड के बल लेटकर अपना एक हाथ मां के सिर में फिराने लगा दूसरा हाथ उसके पेट पर फिराने लगा तथा अपना एक पैर मोड़कर मां की दोनों जांघों के ऊपर रख दिया इससे मेरा लंड मां की जांघ पर रगड़ खाने लगा
मैंने धीरे से अपना हाथ ऊपर करते हुए मां के ब्लाउज के ऊपर रख दिया और जोर से दबाने लगा इस तरह से करते करते मैं मम्मी को मुंह को लगातार चूमने लगा, मां भी बहुत निढाल होकर अपने आप को हवाले कर रही थी।
मां का ब्लाउज बहुत ढीला था मां के मम्मे बहुत बड़े हैं और ढीले ब्लाउज में से मां की चूचियां और निप्पल बहुत साफ दिख रहे थे फिर भी मैंने हाथ चलाते चलाते ब्लाउज के दो हुक खोल दिए और मां की छाती पर मुंह रख कर रगड़ने लगा
मां ने मुझे ऊपर खींचा और मेरी पप्पियां लेनी शुरू कर दी शायद पिताजी के बहुत दिन से ना आने के कारण तथा तनावग्रस्त होने के कारण मां को कुछ सूझ नहीं रहा था और वह बहुत गर्म हो रही थी

इस हिलने डुलने के बीच में मां का पेटीकोट उसकी जांघों के ऊपर चढ़ आया था मैंने एक हाथ उसकी नंगी जांघों पर घुमाने लगा और घूमाते-घूमाते मेरे हाथ से मां के पेटीकोट उसकी जांघों बहुत ऊपर होकर उसके पेट के गिर्द इकट्ठा हो गया।
अब स्थिति समझिए मेरा एक हाथ मां की नंगी जांघों को मसल रहा है और दूसरा हाथ मां के ब्लाउज के अंदर मम्मी के निप्पल को मसल रहा है हमारे होंठ मिले हुए थे और मेरा कच्छे में लिपटा लंड मां की नंगी चूत में घुसने का प्रयास कर रहा था
मैंने अपने दोनों हाथ मां के कंधों पर रखे और उसके होंठों को चूसने लगा मां ने सहयोग देना शुरू कर दिया और अपने हाथ मेरी पीठ तथा नितंब पर फिराने लगी
मैंने अपनी जीभ मां के मुंह में डाली तो मां उसे चूसने लगी मां को चूसते हुए मेरी निगाह मां के आंसुओं पर पड़ी और मैं अपनी जीभ से मां के आंसू चाटने लगा और धीरे-धीरे नीचे आने लगा,
मां के गाल चाटे और मां की कान की लौ को चुभलाया
और फिर घुटनों के बल होकर मां की चूचियां पीने लगा मां के निप्पल सख्त हो गए थे और उसकी घुंडियों पर मेरी जीभ अलग से सेंसेशन बना रही थी
अब मां भी सिसकियां लेने लगी थी
मुझे बहुत सनसनी महसूस हुई और मैं सीधा होकर मां के ऊपर पूरी तरह से लेट गया मेरा कच्छे में ढका लंड मां की नंगी चूत के ऊपर झटके खा रहा था पता नहीं कैसे मां ने हाथ कच्छे के अंदर डाल कर मेरा लंड अपनी चूत से स्पर्श करवा दिया
मैंने अभी तक चूत नहीं मारी थी केवल हस्तमैथुन ही किया था फिर भी लंड बुद्धि से मेरा लौड़ा मां की योनि में घुसने लगा
मैं मां की चूत को आधार बनाकर भुजंग आसन करने लगा तो मेरा लौड़ा मां की चूत के अंदर घुस गया मां ने अपने हाथ मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए और अपने पैरों की कैंची बनाकर मेरे पैरों को कस लिया
मैं स्थिर अवस्था में रहा क्योंकि मुझे बहुत अनुभव नहीं था

लोड़े के अंदर जाते ही मां ने नीचे से अपने नितंबों को हिलाना शुरू किया जिससे चूत और लंड के बीच में घर्षण पैदा होने लगा
अब मुझे समझ आया और मैंने फच फचा फच करते हुए अपना लौड़ा अपने जन्म कुंड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया
मेरे दोनों हाथ मां के कंधों पर तो आप डाल रहे थे और मेरा लौड़ा मां की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह चल रहा था कुछ ही मिनटों में मुझे बहुत तनाव आया और मैं वीर्यपात करने लगा

अभी तक मां नहीं झड़ी थी उसने मुझे कसकर जकड़ लिया और गहरी उत्तेजक सांसें भरने लगी मां की जकड़न और बढ़ी और अचानक से बुरी तरह से कांपकर ठंडी पड़ गई
हम उसी तरह कुछ देर लेटे रहे।
अचानक मां तथा मेरे को होश आया कि यह क्या हो गया है
किंतु इसकी भूमिका तो कहीं वर्षों से बन रही थी और हम दोनों एक दूसरे का सहारा बन रहे थे अतः यह सब स्वाभाविक ही लगा,
मां ने अपने कपड़े ठीक किए और करवट लेकर लेट गई
मैं स्पून बन कर मां से लिपट गया एक हाथ मां के पेट पर रखा और लिपटकर उसके गालों से अपने गाल सटा दिए

मां की आंखों में आंसू थे मैंने धीरे से मां के आंसू पोंछे और कहा मां मैं तेरा प्यारा बेटा हूं और तुझे किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं दूंगा

मां करवट लेकर मेरे से आलिंगन बंद हो गई और मेरी छाती पर सिर रखकर बोली हां मेरे राजा बेटे मुझे पता है
फिर मां तनाव मुक्त होकर नींद के आगोश में चली गई और मैंने मां को चद्दर औढ़ा कर अपनी पढ़ाई में लग गया।
 
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मां जब नानी के घर से वापस आई तो
मैंने देखा कि मां का मन ठीक नहीं लग रहा इस पर मैंने झटपट चाय बनाई और आकर मां के बगल में पलंग पर बैठ कर गलबहिया डाली और पूछा कि मां क्या लग रहा है वह बोली कि नानी की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे घबराहट हो रही है
मैंने मां को अपने पर खींच लिया और कहा कि कुछ समय लेट जाओ, मां मेरी गोदी में सिर रखकर पैर फैला कर लेट गई मैंने सिर्फ कच्छा पहना हुआ था फिर मां के सिर के दवाब से आपसे मैंने महसूस किया कि चाची की हरकतों से वीर्य से गिला हुआ मेरा कच्छा मेरी जांघ पर लग रहा है किंतु भाग्यवश वीर्य के ऊपर मां का सिर था बालों के होने की वजह से शायद मां को गीलापन नहीं लगा, मैंने एक हाथ से मां के बालों में उंगलियां फिरानी शुरू की तथा दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा कुछ पल ऐसे ही बीते फिर मुझे अपनी जांघों पर कुछ ज्यादा नील आपन लगा मैंने गौर से देखा तो पता चला मां के आंसू बह रहे हैं मैंने अपना हाथ मां के गानों पर रखा तो मां सुबक सुबक कर रोने लगी मां का मन नानी जी बीमारी के कारण बहुत ही परेशान था इसलिए मैं ने अपने दोनों पैर फैलाए और मां को सांत्वना देने के लिए मां से लिपट गया अब मां ने मेरी छाती पर अपना सिर रखा हुआ था और मुझे कसकर जकड़ा हुआ था जैसे मां मुझ में सहारा ढूंढ रही हो, मैंने भी मां को आश्वस्त करने के लिए खूब जोर से आलिंगन बद्ध कर लिया अब मां की की चूचियां मेरे पेट पर तथा मेरा सुस्त पड़ा लंड मां के पेट पर लग रहा था मां का रोना बंद नहीं हो रहा था और मां ने मुझे कसकर अपने आलिंगन में ले लिया था मैंने भी दोनों हाथ मां की पीठ पर रखे और कसकर अपने से लिपटाए रखा हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे किंतु लिंग को कहां ऐसी स्थिति का भान होता है उसे तो स्त्री शरीर की गर्मी मिल जाए तो अपना करतब दिखाने लगता है धीरे-धीरे मेरा लंड जोर पकड़ रहा था जब तक मुझे इसका एहसास हुआ तब तक मेरा लंड मां के पेट में चुभने लगा था
मैंने मां को सुविधा देने के लिए कंधों से पकड़ा और उसे ऊपर की और खींच लिया इससे मेरी स्थिति और विकट हो गई क्योंकि अब मेरा लोड़ा मां के जांघों के बीच में आ गया था वह उसकी चूचियां मेरी छाती में गढ़ने लगी थी और हमारे गाल एक दूसरे को छू रहे थे हम दोनों पूरी तरह से आलिंगनबद्ध थे
मैंने एक हाथ मां के पल्लू को साइड करके उसकी पीठ पर रखा तथा दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर, आलिंगनबद्ध होने के कारण मेरे दोनों हाथों का दबाव उसकी पीठ तथा गांड पर पड़ रहा था जिससे मेरा लोड़ा और भी ज्यादा उसके शरीर पर फड़कने लगा था उसकी चूचियां मेरी छाती में ज्यादा घुसने लगी थी, मेरे लोड़े में खून का दौरा बढ़ रहा थि अभी कुछ देर पहले ही चाची के पंजों ने मेरा वीर्यपत किया था किंतु मां से इस लिपटा लिपटी ने मेरे लोड़े में बहुत ज्यादा ताकत भर दी थी उसी मुद्रा में मैंने मां के गाल पर चुंबन ले लिया मां का रोना कुछ कम हो गया था पर उसका मन भरा हुआ था मेरे चुंबन के जवाब उसने भी मेरे गाल का चुंबन ले लिया
मां मुझमें अपना सहारा ढूंढ रही थी अब मेरे हाथों ने अगली हरकत की और मां को मैंने पीठ के बल लिटा दिया मां अपनी घरेलू ड्रेस यानी बिना पेंटी के पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज में थी फिर मैंने साइड के बल लेटकर अपना एक हाथ मां के सिर में फिराने लगा दूसरा हाथ उसके पेट पर फिराने लगा तथा अपना एक पैर मोड़कर मां की दोनों जांघों के ऊपर रख दिया इसे मेरा लंड मां की जांघ पर रगड़ खाने लगा मैंने धीरे से अपना हाथ ऊपर करते हुए मां के ब्लाउज के ऊपर रख दिया और जोर से दबाने लगा इस तरह से करते करते मैं मम्मी को मुंह को लगातार चूमने लगा, मां भी बहुत निढाल होकर अपने आप को हवाले कर रही थी।
मां का ब्लाउज बहुत ढीला था मां के मम्मी बहुत बड़े हैं और ढीले ब्लाउज में से मां की चूचियां और निप्पल बहुत साफ दिख रहे थे फिर भी मैंने हाथ चलाते चलाते ब्लाउज के दो हुक खोल दिए और मां की छाती पर मुंह रख कर रगड़ने लगा मां ने मुझे ऊपर खींचा और मेरी पपिया लेनी शुरू कर दी शायद पिताजी के बहुत दिन से ना आने के कारण तथा तनावग्रस्त होने के कारण मां को कुछ सूझ नहीं रहा था और वह बहुत गर्म हो रही थी
इस हिलने डुलने के बीच में मां का पेटीकोट उसकी जांघों के ऊपर चढ़ आया था मैंने एक हाथ उसकी नंगी जांघों पर घुमाने लगा और घूमाते घूमाते मेरे हाथ से मां के पेटीकोट को उसकी जांघों बहुत ऊपर करके उसके पेट के गिर्द इकट्ठा कर दिया अब स्थिति समझिए मेरा एक हाथ मां की नंगी जांघों को मसल रहा है और दूसरा हाथ मां के ब्लाउज के अंदर मम्मी के निप्पल को मसल रहा है दे रहा है हमारे हौंठ मिले हुए थे और मेरा कच्चे में लिपटा लंड मां की नंगी चूत को में घुसने का प्रयास कर रहा था मैंने मैंने अपने दोनों हाथ मां के कंधों पर रखे और उसके होठो को चूसने लगा मां ने सहयोग देना शुरू कर दिया और अपने हाथ मेरी पीठ तथा नितंब पर फिराने लगी मैंने अपनी जीभ मां के मुंह में डाली तो मां उसे चूसने लगी मां को चूसते हुए मेरी निगाह मां के आंसुओं पर पड़ी और मैं अपनी जीभ से मां के आंसू चाटने लगा और धीरे धीरे नीचे आने लगा गाल चाटे और मां की कान की लौ को चुभलाया और फिर घुटनों के बल होकर मां की चूचियां पीने लगा मां के निप्पल सख्त हो गए थे और उसकी घुंडिया पर मेरी जीभ अलग से सेंसेशन बना रही थी अब मां भी सिसकियां लेने लगी थी मुझे बहुत सनसनी महसूस हुई और मैं सीधा होकर मां के ऊपर पूरी तरह से लेट गया मेरा कच्छे में ढका लंड मां की नंगी चूत के ऊपर झटके खा रहा था पता नहीं कैसे मां ने हाथ कच्छे के अंदर डाल कर मेरा लंड अपनी चूत से स्पर्श करवा दिया
मैंने अभी तक चूत नहीं मारी थी केवल हस्तमैथुन ही किया था फिर भी लंड बुद्धि से मेरा लौड़ा मां की योनि में घुसने लगा मैं मां की चूय को आधार बनाकर भुजंग आसन करने लगा तो मेरा लौड़ा मां की चूत के अंदर घुस गया मां ने अपने हाथ मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए और अपने पैरों की कैंची बनाकर मेरे पैरों को कस लिया मैं स्थिर अवस्था में रहा क्योंकि मुझे बहुत अनुभव नहीं था पर लोड़े के अंदर जाते ही मां ने नीचे से अपने नितंबों को हिलाना शुरू किया जिससे चूत और लंड के बीच में घर्षण पैदा होने लगा अब मुझे समझ आया और मैंने फच फचा फच करते हुए अपना लौड़ा अपने जन्म कुंड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया मेरे दोनों हाथ मां के कंधों पर तो आप डाल रहे थे और मेरा लौड़ा मां की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह चल रहा था कुछ ही मिनटों में मुझे बहुत तनाव आया और मैं वीर्यपात करने लगा मां नहीं झड़ी थी उसने मुझे कसकर जकड़ लिया और गहरी उत्तेजक सांसें भरने लगी मां की जकड़न और बढ़ी और अचानक से ठंडी पड़ गई हम उसी तरह कुछ देर लेटे रहे।
अचानक मां तथा मेरे को होश आया कि यह क्या हो गया है किंतु इसकी भूमिका तो कहीं वर्षों से बन रही थी और हम दोनों एक दूसरे का सहारा बन रहे थे अतः यह सब स्वाभाविक ही लगा, मां ने अपने कपड़े ठीक किए और करवट लेकर लेट गई मैं स्पून बन कर मां से लिपट गया एक हाथ मां के पेड़ पर रखा और लिपटकर उसके गालों से अपने गाल सटा दिए देखा तो मां की आंखों में आंसू थे मैंने धीरे से मां के आंसू पोंछे और कहा मां मैं तेरा प्यारा बेटा हूं और तुझे किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं दूंगा, मां करवट लेकर मेरे से आलिंगन बंद हो गई और मेरी छाती पर सिर रखकर बोली हां मेरे राजा बेटे मुझे पता है
फिर मां तनाव मुक्त होकर नींद के आगोश में चली गई और मैंने मां को चद्दर औढ़ा कर अपनी पढ़ाई में लग गया।
Nice update 👍
 
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक स्टोरी है भाई
मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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