मां जब नानी के घर से वापस आई तो
मैंने देखा कि मां का मन ठीक नहीं लग रहा इस पर मैंने झटपट चाय बनाई और आकर मां के बगल में पलंग पर बैठ कर गलबहिया डाली और पूछा कि मां क्या लग रहा है वह बोली कि नानी की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे घबराहट हो रही है
मैंने मां को अपने पर खींच लिया और कहा कि कुछ समय लेट जाओ, मां मेरी गोदी में सिर रखकर पैर फैला कर लेट गई मैंने सिर्फ कच्छा पहना हुआ था फिर मां के सिर के दवाब से आपसे मैंने महसूस किया कि चाची की हरकतों से वीर्य से गिला हुआ मेरा कच्छा मेरी जांघ पर लग रहा है किंतु भाग्यवश वीर्य के ऊपर मां का सिर था बालों के होने की वजह से शायद मां को गीलापन नहीं लगा, मैंने एक हाथ से मां के बालों में उंगलियां फिरानी शुरू की तथा दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा कुछ पल ऐसे ही बीते फिर मुझे अपनी जांघों पर कुछ ज्यादा नील आपन लगा मैंने गौर से देखा तो पता चला मां के आंसू बह रहे हैं मैंने अपना हाथ मां के गानों पर रखा तो मां सुबक सुबक कर रोने लगी मां का मन नानी जी बीमारी के कारण बहुत ही परेशान था इसलिए मैं ने अपने दोनों पैर फैलाए और मां को सांत्वना देने के लिए मां से लिपट गया अब मां ने मेरी छाती पर अपना सिर रखा हुआ था और मुझे कसकर जकड़ा हुआ था जैसे मां मुझ में सहारा ढूंढ रही हो, मैंने भी मां को आश्वस्त करने के लिए खूब जोर से आलिंगन बद्ध कर लिया अब मां की की चूचियां मेरे पेट पर तथा मेरा सुस्त पड़ा लंड मां के पेट पर लग रहा था मां का रोना बंद नहीं हो रहा था और मां ने मुझे कसकर अपने आलिंगन में ले लिया था मैंने भी दोनों हाथ मां की पीठ पर रखे और कसकर अपने से लिपटाए रखा हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे किंतु लिंग को कहां ऐसी स्थिति का भान होता है उसे तो स्त्री शरीर की गर्मी मिल जाए तो अपना करतब दिखाने लगता है धीरे-धीरे मेरा लंड जोर पकड़ रहा था जब तक मुझे इसका एहसास हुआ तब तक मेरा लंड मां के पेट में चुभने लगा था
मैंने मां को सुविधा देने के लिए कंधों से पकड़ा और उसे ऊपर की और खींच लिया इससे मेरी स्थिति और विकट हो गई क्योंकि अब मेरा लोड़ा मां के जांघों के बीच में आ गया था वह उसकी चूचियां मेरी छाती में गढ़ने लगी थी और हमारे गाल एक दूसरे को छू रहे थे हम दोनों पूरी तरह से आलिंगनबद्ध थे
मैंने एक हाथ मां के पल्लू को साइड करके उसकी पीठ पर रखा तथा दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर, आलिंगनबद्ध होने के कारण मेरे दोनों हाथों का दबाव उसकी पीठ तथा गांड पर पड़ रहा था जिससे मेरा लोड़ा और भी ज्यादा उसके शरीर पर फड़कने लगा था उसकी चूचियां मेरी छाती में ज्यादा घुसने लगी थी, मेरे लोड़े में खून का दौरा बढ़ रहा थि अभी कुछ देर पहले ही चाची के पंजों ने मेरा वीर्यपत किया था किंतु मां से इस लिपटा लिपटी ने मेरे लोड़े में बहुत ज्यादा ताकत भर दी थी उसी मुद्रा में मैंने मां के गाल पर चुंबन ले लिया मां का रोना कुछ कम हो गया था पर उसका मन भरा हुआ था मेरे चुंबन के जवाब उसने भी मेरे गाल का चुंबन ले लिया
मां मुझमें अपना सहारा ढूंढ रही थी अब मेरे हाथों ने अगली हरकत की और मां को मैंने पीठ के बल लिटा दिया मां अपनी घरेलू ड्रेस यानी बिना पेंटी के पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज में थी फिर मैंने साइड के बल लेटकर अपना एक हाथ मां के सिर में फिराने लगा दूसरा हाथ उसके पेट पर फिराने लगा तथा अपना एक पैर मोड़कर मां की दोनों जांघों के ऊपर रख दिया इसे मेरा लंड मां की जांघ पर रगड़ खाने लगा मैंने धीरे से अपना हाथ ऊपर करते हुए मां के ब्लाउज के ऊपर रख दिया और जोर से दबाने लगा इस तरह से करते करते मैं मम्मी को मुंह को लगातार चूमने लगा, मां भी बहुत निढाल होकर अपने आप को हवाले कर रही थी।
मां का ब्लाउज बहुत ढीला था मां के मम्मी बहुत बड़े हैं और ढीले ब्लाउज में से मां की चूचियां और निप्पल बहुत साफ दिख रहे थे फिर भी मैंने हाथ चलाते चलाते ब्लाउज के दो हुक खोल दिए और मां की छाती पर मुंह रख कर रगड़ने लगा मां ने मुझे ऊपर खींचा और मेरी पपिया लेनी शुरू कर दी शायद पिताजी के बहुत दिन से ना आने के कारण तथा तनावग्रस्त होने के कारण मां को कुछ सूझ नहीं रहा था और वह बहुत गर्म हो रही थी
इस हिलने डुलने के बीच में मां का पेटीकोट उसकी जांघों के ऊपर चढ़ आया था मैंने एक हाथ उसकी नंगी जांघों पर घुमाने लगा और घूमाते घूमाते मेरे हाथ से मां के पेटीकोट को उसकी जांघों बहुत ऊपर करके उसके पेट के गिर्द इकट्ठा कर दिया अब स्थिति समझिए मेरा एक हाथ मां की नंगी जांघों को मसल रहा है और दूसरा हाथ मां के ब्लाउज के अंदर मम्मी के निप्पल को मसल रहा है दे रहा है हमारे हौंठ मिले हुए थे और मेरा कच्चे में लिपटा लंड मां की नंगी चूत को में घुसने का प्रयास कर रहा था मैंने मैंने अपने दोनों हाथ मां के कंधों पर रखे और उसके होठो को चूसने लगा मां ने सहयोग देना शुरू कर दिया और अपने हाथ मेरी पीठ तथा नितंब पर फिराने लगी मैंने अपनी जीभ मां के मुंह में डाली तो मां उसे चूसने लगी मां को चूसते हुए मेरी निगाह मां के आंसुओं पर पड़ी और मैं अपनी जीभ से मां के आंसू चाटने लगा और धीरे धीरे नीचे आने लगा गाल चाटे और मां की कान की लौ को चुभलाया और फिर घुटनों के बल होकर मां की चूचियां पीने लगा मां के निप्पल सख्त हो गए थे और उसकी घुंडिया पर मेरी जीभ अलग से सेंसेशन बना रही थी अब मां भी सिसकियां लेने लगी थी मुझे बहुत सनसनी महसूस हुई और मैं सीधा होकर मां के ऊपर पूरी तरह से लेट गया मेरा कच्छे में ढका लंड मां की नंगी चूत के ऊपर झटके खा रहा था पता नहीं कैसे मां ने हाथ कच्छे के अंदर डाल कर मेरा लंड अपनी चूत से स्पर्श करवा दिया
मैंने अभी तक चूत नहीं मारी थी केवल हस्तमैथुन ही किया था फिर भी लंड बुद्धि से मेरा लौड़ा मां की योनि में घुसने लगा मैं मां की चूय को आधार बनाकर भुजंग आसन करने लगा तो मेरा लौड़ा मां की चूत के अंदर घुस गया मां ने अपने हाथ मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए और अपने पैरों की कैंची बनाकर मेरे पैरों को कस लिया मैं स्थिर अवस्था में रहा क्योंकि मुझे बहुत अनुभव नहीं था पर लोड़े के अंदर जाते ही मां ने नीचे से अपने नितंबों को हिलाना शुरू किया जिससे चूत और लंड के बीच में घर्षण पैदा होने लगा अब मुझे समझ आया और मैंने फच फचा फच करते हुए अपना लौड़ा अपने जन्म कुंड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया मेरे दोनों हाथ मां के कंधों पर तो आप डाल रहे थे और मेरा लौड़ा मां की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह चल रहा था कुछ ही मिनटों में मुझे बहुत तनाव आया और मैं वीर्यपात करने लगा मां नहीं झड़ी थी उसने मुझे कसकर जकड़ लिया और गहरी उत्तेजक सांसें भरने लगी मां की जकड़न और बढ़ी और अचानक से ठंडी पड़ गई हम उसी तरह कुछ देर लेटे रहे।
अचानक मां तथा मेरे को होश आया कि यह क्या हो गया है किंतु इसकी भूमिका तो कहीं वर्षों से बन रही थी और हम दोनों एक दूसरे का सहारा बन रहे थे अतः यह सब स्वाभाविक ही लगा, मां ने अपने कपड़े ठीक किए और करवट लेकर लेट गई मैं स्पून बन कर मां से लिपट गया एक हाथ मां के पेड़ पर रखा और लिपटकर उसके गालों से अपने गाल सटा दिए देखा तो मां की आंखों में आंसू थे मैंने धीरे से मां के आंसू पोंछे और कहा मां मैं तेरा प्यारा बेटा हूं और तुझे किसी चीज की कमी महसूस होने नहीं दूंगा, मां करवट लेकर मेरे से आलिंगन बंद हो गई और मेरी छाती पर सिर रखकर बोली हां मेरे राजा बेटे मुझे पता है
फिर मां तनाव मुक्त होकर नींद के आगोश में चली गई और मैंने मां को चद्दर औढ़ा कर अपनी पढ़ाई में लग गया।