• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मां और मैं

Johnboy11

Nadaan Parinda.
1,183
2,558
159
Superb story.
.
Nice plot and good conent.
.
Keep writing.
.
Keep posting.
.
..
...
....
 
  • Like
Reactions: Sangya

Kaushalsony

Active Member
658
825
108
घर में मैं और मां अकेले ही थे भाई होस्टल में रहता था और पिताजी हफ्ते या 15 दिन में 1 दिन के लिए आते थे।
पढ़ाई के बाद चाची का कमरा देखा तो पाया कि आज उनके पति घर में हैं।
रात 8 बजे मां उठी तो काफी ठीक लग रही थी। मैं सोच रहा था कि जो शाम को हुआ उसके बाद पता नहीं मैं मां को कैसे बात करेगी किंतु मां बिल्कुल सामान्य थी, उठकर मां बोली बेटा कौन सी सब्जी बनाऊं मैंने कहा जो आपकी इच्छा हमने खाना खाया मां ने कुछ देर टीवी देखा और 9:30 बजे ही मां बोली कि अब नींद आ रही है चल सोते हैं। मैंने कहा कि कुछ पढ़ाई बाकी है मां बोली वह कल कर लेना आज लाइटें बंद करके जल्दी सो जाओ मैंने मां की आज्ञा मानने में भलाई समझी।
कूलर चल रहा था और मां पेटिकोट और ब्लाउज में बिस्तर पर लेटी हुई थी मैंने आकर चुपचाप अपने आप को चम्मच की तरह मां से चिपका लिया मेरा एक हाथ मां के पेट पर और दूसरा हाथ मैंने मां से गले के नीचे से निकाल कर उसके वक्ष पर रख दिया मां कुछ बोली नहीं मैंने भी सोने से पहले सिर्फ कच्छा ही पहना हुआ था इस तरह से मेरा लिंग सख्त होकर मां के नितंबों में धंसने लगा मां ने कुछ नहीं कहा और मैं धीरे-धीरे मां के पेट को सहलाने लगा।
मां बोली बेटा आप सो जाओ मैंने कहा मां मुझे आपके गुलगुले पेट पर हाथ रखने से अच्छे से नींद आती है मां बोली पहले तो तू बचपन में दूध पीते पीते सो जाता था पर अब तू बड़ा हो गया है मैं बोला नहीं मां दूध तो मुझे अभी भी बहुत अच्छा लगता है किंतु इस उम्र में क्या आपको अच्छा लगेगा मां बोली तू तो मेरा एकदम प्यारा राजा बेटा जो कि मेरा बहुत ध्यान रखता है तो तुझे दूध पिलाने में क्या मुश्किल।
यह बातें सुनकर मेरा लिंग मां के पेटीकोट में बहुत ज्यादा दबाव बनाकर नितंबों की दरार में धस चुका था उसको हटाने का मन तो नहीं था पर दूध मिलने का लालच इससे ज्यादा था मैंने कहा ऐसी बात है तो मैं मुझे दूध पिलाओ जिससे मेरी बुद्धि तेज होगी और मैं अच्छी पढ़ाई कर सकूंगा मेरा मन भी इधर-उधर नहीं भटकेगा।
मां ने मुस्कुराकर मेरी तरफ करवट ली मैंने थोड़ा नीचे होकर मां के चूचियों पर अपना मुंह दबा दिया जैसे रूई के नर्म गोलों पर अपना मुंह रख दिया हो और ब्लाउज के ऊपर से ही जीभ से टटोलने लगा। बिना कुछ कहे मां ने अपने हाथों से ब्लाउज खोला और मैंने अपना मुंह मां के बांए निप्पल पर लगा दिया। निप्पल को चूसते हुए एक हाथ से दायां निप्पल मरोड़ने लगा और दूसरे हाथ से मां के नितंबों को सहलाने लगा
मां ने अपने दोनों पैर खोल कर मेरे पैरों में फंसा दिए,अब मेरा लिंग मां की जांघों के बीच टक्कर देने लगा।
मैंने दूध पीना छोड़ कर मां को कसकर अपनी छाती पर जकड़ लिया और नीचे से अपने लंड का दवाब चूत पर बनाना शुरू किया।
मां ने चुपचाप साइड से अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और जब मैंने यह महसूस किया तो मैंने भी अपने कच्छे को नीचे सरकाने का प्रयास किया, मौका पाते ही एक साथ एक ही लक्ष्य में मां का पेटीकोट और मेरा कच्छा उतर गया। अब हम दोनों मां बेटा निपट नंगे थे मैं मां के शरीर में समाने का प्रयास कर रहा था और मां मुझको अपने मन और तन में अंगीकार कर रही थी।
मैंने कुछ नीचे होकर मां की चूचियां चाटनी शुरू की । दोनों हाथों से दुग्ध कलश पकड़े और बारी बारी से दोनों थनों को भुखे बच्चे की तरह पीने लगा फिर मैंने एक हाथ नीचे करके अपने लिंग को पकड़ कर मां की नंगी योनि के द्वार तक लाया पर अपनी एक अंगुली मां की चूत में डालकर छेड़ने लगा मां ने अपने हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ा और अपनी हथेली से मेरे खम्बे का मुआयना करने लगी मैंने भी मम्मे चूसना छोड़ कर मां की मुख चुम्मी लेने लगा हम दोनों के मुखरस एक दूसरे के मुंह में चल रहे थे मां का हाथ मेरे लंड को मसल रहा था और मेरी 3 अंगुलिया मां की चूत का मर्दन कर रही थीं। मेरा लंड और मां की चूत फड़फड़ा रहे थे मैंने शाम को मां द्वारा प्रदत जानकारी के अनुसार अपने लिंग को मां की चूत में ठूंस दिया।
अंदर जाकर लंड ठप-ठपा-ठप करने लगा, मां ने अपने दोनों पैरों से मेरे पैरों पर कैंची बना ली और अपने नाखूनों से मेरी पीठ खरोंचने लगी
मां मेरे हर धक्के का जवाब अपने धक्के से दे रही थी रेलगाड़ी पटरी पर धक धका धक चली जा रही थी, पिस्टन अपने सिलेंडर में अंदर-बाहर हो रहा था, दोनों की सांसें लय बद्ध तरीके से थाप दे रही थी
मां का शरीर मेरे शरीर को अपने से पुनः एकाकार करने का प्रयास कर रहा था और मैं अपनी मां की योनि में प्रवेश कर रहा था
मां की सांसें तेज तेज चल रही थीं और मैं 100 मीटर रेस की स्पीड से लंड को चूत में भगा रहा था
अब मुझे झनझनाहट होने लगी थी और मेरा वीर्य मां की चूत में भरने लगा मैंने कसकर मां को जकड़ लिया अब मां भी झड़झड़ाने लगी थी हम दोनो एकाकार हो गये और ऐसे ही लिपटकर नंगे ही सो गये
Aap ki likhawat to umda hai mahashay, ab thodi mata putr ki ashleel waarta bhi karao, tab vatavatan aur adikh kamuk aur uteejak mahsus hoga. Dhanwayad
 

Sangya

Member
369
1,470
124
सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने माँ को देखा, माँ और मैं बिल्कुल नंग धड़ंग लेते हुए थे, माँ की खुली हुई आंखे मेरे औजार को देख रही थी और चेहरे पर एक संतुष्ट मुस्कान थी |
कल से अब तक हम दो बार कर चुके थे और मेरे लिए तो चूत लेने का पहला ही अनुभव था, माँ बहुत अनुभवी स्त्री है उसने बड़े सहज भाव से हमारा संभोग करा दिया, ना कुछ बोला, ना कुछ बुलवाया इतने सहज भाव से किया, जैसे लंड चूत का लेना देना माँ बेटे की रिश्ते की बड़ी ही नैसर्गिक क्रिया हो,
अभी भी माँ बिल्कुल आराम से नंगी लेटी हुई थी और मैं उसके सलोने साँवले नमकीन गठीले शरीर, 40 साइज़ के पुष्ट उरोजों, गहरी नाभि वाला भरा पूरा पेट जिसके साइड मै दो टीयर बने थे, मांसल जांघे जिन पर मांसपेशिया छलक रही थी को बड़े प्यार से देख रहा था,
मैंने झुककर माँ की नाभी की चुम्मी ली और अपनी जीभ से माँ की नाभि को चूसने लगा माँ मेरी पीठ सहला रही थी मैंने अपने हाथ माँ के मम्मो पर रगड़ने शुरू किए और धीरे से अपना लंड माँ की टांगों पर घिसने लगा,
माँ को भी फिर से मस्ती चढ़ रही थी , उसने मुझे कस कर पकड़ लिया, अब मेरी जीभ माँ के पेट को चाट रही थी और माँ के हाथ मेरे कंधों ओर पीठ को सहला रहे थे,
एक बार फिर मैं माँ के ऊपर चढ़ गया ओर माँ के लिप्स को किस करने लगा, माँ ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी जिससे मुझे माँ का मुख रस पीने को मिला,
मेरा लंड बहुत झटके खाने लगा ओर माँ के खजाने पर दस्तक देने लगा मेरा प्रीकम माँ की जांघों पर लग रहा था ओर मैंने पाया की माँ की बुर का रस भी निकालना शुरू हो गया था,
मैं अपना एक हाथ माँ के भग प्रदेश में लाया ओर भगनसे को छेड़ने लगा माँ भी अपने हाथ से मेरे शिश्न को मरोड़ने लगी जो अब फूलता जा रहा था ओर एक गर्मा गर्म सलाख के तरह हो गया था।
माँ बोली तू कितना भूखा है रे, कल से दो बार ले चुका है ओर अभी फिर से तैयार है,
मैं बोला जिसकी सलोनी सुन्दर माँ ने उसे 18 साल मे पहली बार अपनी थाली परोसी हो वो कैसे सब्र रख सकता है ओर माँ तू तो मेरा केला कई बार देख चुकी है ओर मैं भी तेरे सब अंगों को कई बार छु चुका हूं फिर भी तूने इतनी देर लगाई अपने बेटे को अपना भोग देने में?
माँ बोली, मेरे राजू बेटा मैं भी तेरे डंडे को लगभग रोज ही कच्छे के अंदर हिलते जुलते देखती रहती थी, सोया-जागा, सख्त-लंबा हर एक अवस्था में इसको मैंने बहुत देखा है
तू क्या सोचता है कि मां को जब तु आलिंगन करता है या गले लगाने के बहाने अपना मक्खन सना चाकू जैसा औजार मां की पावरोटी में लगाता है तब क्या मुझे पता नहीं चलता था
या तुम मेरा पेट मसलते-मसलते अपना पानी मेरी गान्ड के उपर पेटीकोट पर निकाल देता था तब मुझे पता नहीं चलता था।
अभी कल शाम को ही तेरा मक्खन कच्छे पर लगा था और मेरे सिर पर लग गया था तू सोचता है कि मां बुद्धू है मां को पता ही नहीं।
बेटा! तू मेरी चूत से निकला है और मैंने ही तुझे अपने मोटे मोटे मम्मों का दूध पिला कर बड़ा किया है
तेरी हर एक हरकत जो तू करता है या सोचता है मुझे पता है
मुझे यह भी पता है कि पहले छोटा भी मेरी चूत लेने के चक्कर में था पर उसका पड़ोस वाली पिंकी से टांका फिट हो गया है
अब वह पिंकी के कच्चे कच्चे आमों को दबाकर तथा उसकी चूत में अपना लौड़ा कर अपने को बहुत मज़े लेता है उसकी इस हरकत को भी मेरा आशीर्वाद है।
जब बेटे की शादी होती है तो मां अपने मन में कितना खुश होती है कि बेटे के लंड एक प्यारी सी चूत मिल गई है पर बेटा नई चूत के चक्कर में बचपन से मां की जिस चूत को पाने का ख्वाब देखता है उसको धिक्कार देता है
बहुत ही कम भाग्यवान बच्चे होते हैं जिनको मां और बीवी दोनों की चूत का मर्दन करने का मौका मिलता है मुझे पता है बेटा तू बहुत कर्तव्यनिष्ठ है इसलिए तुझे दोनों कम से कम दो चूतों का रस मिलेगा आज तेरा उद्घाटन हुआ है अब तू जी भरकर मन लगाकर मां की सेवा कर तथा मां को खुश कर इसके बदले में मां तेरी दिली तमन्ना को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी
मैं बोला मां मुझे बहुत सालों से तुम्हारी असंतुष्टि का पता था पापा कभी-कभी तो आते हैं और उसमें भी हर बार पता नहीं उनको आपकी चूत लेने का मौका मिलता है या नहीं और वह भी पता नहीं मुट्ठ मार कर गुजारा करते हैं या वहां पर उन्होंने किसी चूत का इंतजाम किया हुआ है पर तुम दोनों ने जीवन में हमारे लिए बहुत कष्ट झेला है।
मां हंसी और बोली बेटा तेरे पापा से मुझे कोई शिकायत नहीं है वह जब भी आते हैं, जब भी मौका मिलता है मेरी कसकर बजाते हैं और बार-बार लेते हैं अपने लिए भी अपनी पूरी कसर कर लेते हैं कोटा पूरा करके ही जाते हैं । कोकशास्त्र का कोई भी आसन उन्होंने छोड़ा होगा क्या?

क्या मुझे पता नहीं है जब तेरे पापा मुझे चोद रहे होते हैं तब तुम दोनों भाईयों में जो भी हमारी आवाज सुन रहा होता है या चुदाई में मस्त हमारी छाया को देख रहा होता है उसका हाथ कैसे तेजी से अपने लंड पर चल रहा होता था।
मां हूं तेरी सब पता है मुझे मुझे पटाने की कोशिश मत कर।
मैं बोला अगर तुम संतुष्ट हो तो इस पतले से पेटिकोट और झीने ब्लाउज मैं सारा दिन अपने भारी भारी चूतड़ दिखा कर और अपने दूध भरे मोटे मोटे मम्मे कलश दिखा कर मुझे क्यों बेचैन करती रहती थी।
मां ने मेरी पप्पी ली, बेटा, मेरे राजू बेटा मेला प्याला बेटा, कहकर मां ने मेरे लन की पप्पी भी ली और मेरे को अपने मम्मों पर झुकाकर बोली तुझे कहां बेचैन करती थी तुझे तो प्यार करती थी, मैं सोचती थी कि पिंकी को तू पटा लेगा और उसकी ले लेगा पर तू बुद्धू पढ़ाई में ही लगा रहा और तेरा भाई पिंकी के मर्तबान में रखा शहद चाट गया और तू मेरे हिलते मम्मौं तथा थिरकते नितंबों के पीछे ही अपना लंड हिलाता घुमता रह गया।
मां ने मेरा लंड हाथ से मुठियाने लगी जिससे मेरे ऊपरी त्वचा सुपाड़े से ऊपर नीचे आने लगी अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मां की चूत भट्टी की तरह तपने लगी थी
मैंने मां की टांगें उसकी छातियों पर मोड़कर उसकी आंखों में देखा और निशाना लगाकर अपना लन्ड पूरा-पूरा अपनी प्यारी मांसल मां की चूत में घुसा दिया
मां कसमसाई सिसकारियां ली और नीचे से अपनी गांड को हिलाने लगी मैंने भी अपनी रेलगाड़ी ऊपर से शुरू कर दी,
कल से अब तक तीसरी बार कर रहा था और उससे पहले चाची के साथ एक बार वीर्यपात करवा चुका था इस नाते मेरा लौड़ा बहुत संतुष्ट अवस्था में मां की हरी- भरी चूत का बाजा बजा रहा था
मैंने धक्के मारते मारते अपने दोनों हाथ मां के कंधे से हटाकर उसके मम्मों पर रख दिए और कुछ देर बड़े-बड़े शॉट मारे फिर अपना हाथ मां की पीठ के नीचे से पकड़ कर उसके मम्मों को अपनी छाती में जकड़ लिया
मां ने पैर सीधे किए और मैं मां की टांगों के बीच में सीधा लेट कर अपना मस्त डंडा मां की गहरी सुरंग में डालने लगा
फच फच फच आवाज आ रही थी जब मेरा लन्ड मां की चूत से मिलता तब धप धप की आवाज आती थी मां अपने दोनों हाथों से मेरे नितंब सहलाने लगी और मैं भी अपने दोनों हाथों को नीचे लाकर मां के नितंबों को जकड़ कर जोर जोर से धक्के लगाने लगा
इतने में मां का शरीर एंठने लगा और मेरे शरीर में भी रक्त का प्रवाह इकट्ठा होकर मेरे लंड की तरफ दौड़ने लगा हम दोनों एक दूसरे में समाने का प्रयास कर रहे थे ।
मां ने तो अपनी गांड इस तरह से ऊपर की कि लंड के साथ-साथ अंडकोष भी मां की चूत में समा जाएं और मैंने मां के नितंबों को इतनी जोर से दबाया कि हमारे बीच में हवा लायक भी जगह नहीं बची थी
कुछ सेकंड इस तरह रहने के बाद हम दोनों झर झड़ाने लगे और गहरी सांसे लेते हुए मां ने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और मैं भी मां के ऊपर निष्चेष्ट लेट गया
बाहर से हल्की सी धूप कूलर की खिड़की के ऊपर से बिस्तर पर आने लगी थी बाहर मकान मालकिन चाची और उसके पति की कुछ आवाज भी हमारे कानों में आ रही थी लगता था बहुत देर हो गई है पर हमारे में उठने की हिम्मत नहीं थी मैं चार बार वीर्यपात करके बहुत ही शांत महसूस कर रहा था
मां को शायद पापा का भारी भरकम लन्ड 5-6 बार लेने की शायद आदत होगी तभी उसे कोई थकावट नहीं लग रही थी उसने मेरा कंधा थपथपाया और बोली चल उठ कुछ खा लेते हैं
मैंने कहा मां क्या खाना है अपने शहद ही पिला दे
मां कहती हट पगले मेरे शहद और तेरे मक्खन से क्या हमारा पेट भरेगा
खाना खा और थोड़ी पढ़ाई कर ले, सारा ध्यान मां को चोदने में लगा देगा तो पढ़ेगा कब
ध्यान से पढ़ाई कर अच्छे नंबर ला ताकी तेरी अच्छी नौकरी लगे और एक बड़ा सा मकान मिले जिसमें एक कमरे में मैं तेरे पापा के साथ और दूसरे में तेरी चूत वाली बीवी और एक अलग कमरा जिसमें रात को पापा की नजर बचाकर मैं आऊंगी और अपनी बीवी की नजर बचाकर तुम आना और मां बेटे अच्छे से अपना प्यार मिलन करेंगे
मैं बोला अगर मेरी बीवी समझदार हुई तो हम तीनों इकट्ठे भी एक दूसरे को सुख दे पाएंगे
वह तो बाद की बात है, अरे तेरी बीवी को तो आने दे, उसको लाने से पहले पढ़ ले और अभी सबसे पहले खाना खा ले
यह कहकर मां उठी अपना पेटिकोट और ब्लाउज पहना, मेरे नंगे बदन पर चद्दर डाली तथा दरवाजा खोलकर किचन की तरफ चल दी

अगली आपबीती कहानी जल्दी ही ......
चाची के बारे में......
 
Last edited:
1,445
3,069
159
बढ़िया अपडेट है ।आने वाली कहानी में क्या हो सकता है इस का इशारा किया है
 
Top