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Incest मां और मैं

Sangya

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मैं मौसी के घर बहुत दिन लगा कर वापस आ गया तो मां के द्वारा मेरा बहुत चुदाईभरा स्वागत हुआ जैसे बहुत दिनों बाद दूसरे प्रेमी मिल रहे हों
घर में घुसते ही मां ने मुझे आलिंगन में लिया और इतनी देर तक कसकर मेरी छाती में अपने नरम मम्मे दबाती रही कि मुझे लगा सांस रुक जाएगी और साथ ही साथ मेरे गालों की चुम्मियां ले रही थी । जब मां के चुंबन के कारण मेरे गाल पूरी तरह से गीले हो गए तो मां ने अपने होंठ मेरे होंठों से जोड़कर अपनी जीभ मेरे मुंह में सरका दी मैं भी मां के आलिंगन का जवाब देते देते मां की जीभ को अपनी जीभ से खेलने दे रहा था और मेरे हाथ पेटीकोट के ऊपर से मां के नितंबों को दबा रहे थे इतनी देर आलिंगन के कारण मेरा लौड़ा खड़ा होकर आगे से मां की पेटीकोट के पतले कपड़े को दबाते हुए मां की योनि में घुस रहा था
हम दोनों सांस लिए बिना चुंबन ले रहे थे और कपड़ों सहित ही एक दूसरे के शरीर में समाना चाहते थे मां की व्यग्रता देते हुए मैंने साइड में से मां के पेटीकोट का नाड़ा खींच कर खोल दिया और मां ने हमारी कमर के बीच में थोड़ी सी जगह बनाकर पेटिकोट को नीचे गिरने दिया साथ ही मेरी पेंट का बटन खोल कर तुरंत ही कच्छे समेत उसे नीचे सरका दिया और वापिस मुझसे चिपक गई।
मेरे हाथ मां के नंगे नितंबों पर मालिश कर रहे थे और मेरा नंगा तना हुआ लिंग मां की नंगी चूत पर दस्तक दे रहा था
मां के हाथ मेरे नितंबों को जोर से अपनी योनि की ओर धकेल रहे थे और हमारी लार एक दूसरे के मुंह में लगातार प्रवाहित हो रही थी
मां का इतना उतावलापन मैंने पहले कभी नहीं देखा था हमेशा ही जब मुझे चुदाई की चाह होती थी तो मां पता नहीं कैसे मेरी भूख को महसूस करके मुझे कमरे में आने का इशारा करती और मुझे आराम करने की नसीहत देते हुए अपने साथ लिटा लेती थी और हम मां बेटा बिस्तर पर बहुत सहजता से चुदाई करके एक दूसरे की आग को शांत कर देते थे
इसी तरह जब कभी मां को मेरे मोटे मुसल द्वारा अपनी ओखली में कुटाई करनी होती थी तो अपने हाव-भाव से मुझे जता देती थी फिर मैं मालिश के बहाने से मां को लिटा कर कमरे में मां की चूत अच्छे से ठुकाई कर देता था
अक्सर बिना बोले ही रात या दिन किसी भी समय हम अचानक एक दूसरे की बिनबोली आग को समझ कर आलिंगन करते थे और पता नहीं कब शरीर से कपड़े हटाकर चुदाई में लग जाते थे और बाद में एहसास होता था कि हम दोनों के लंड चूत में आग लगी होती थी
इस तरह की लगातार ठुकाई हमारे बीच में बहुत ही स्वाभाविक थी घर में अक्सर हम दोनों ही होते थे इसलिए कोई बंधन नहीं होता था जब मन करता था मां मेरे लंड को छू लेती थी या मैं मां के पेटीकोट को ऊपर करके अपने लंड को मां की गांड पर टिका देता था इतने इशारे से ही हमारे बीच घनघोर चुदाई का दौर बन जाता था और कहीं पर वासना नहीं आती थी सिर्फ मां बेटे के बीच का शारीरिक प्रेम एक दूसरे की जरूरत शांत करने का आनंद होता था
मैं मां के लिए और मां मेरे लिए अतिरिक्त रूप से समर्पित हैं, आज का मां का उतावलापन सामान्य से अलग था इसलिए मैंने मां की इच्छा को तुरंत ही जवाब दिया और अपनी तरफ से भी मां को चोदने की व्यग्रता दिखाने लगा
आलिंगनबद्ध रहते हुए ही मैंने मां का ब्लाउज उतार दिया और मां की उंगलियों के जादू से मेरी टी-शर्ट भी पता नहीं कब उतर गई, हम दोनों मां बेटा घर के आंगन में बिल्कुल नंगे होकर एक दूसरे से लिपटे हुए थे और होठों का चुंबन ले रहे थे
मेरे हाथ मां के नितंबों को बारी-बारी मसल रहे थे और मां के हाथ हम दोनों के शरीर के बीच में आकर मेरे लोड़े तथा टट्टे को सहला रहे थे
मैंने भी अपना एक साथ नीचे करते हुए मां की योनि को सहलाना शुरु कर दिया मां चिन्हुकी और मेरे गालों तथा गर्दन को चूमने लगी मैंने थोड़ा झुकते हुए अपने दोनों हाथ मां के घुटनों के बीच में से निकाले और मां को अपनी ताकतवर बाहों में उठाकर मां की योनि को अपने लोड़े के सामने किया और थोड़ा घूम कर मां की पीठ को दीवार से सहारे टिकाने लगा
इस बीच मां ने दोबारा मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया और अपने पैरों की कैंची मेरे नितंबों के आसपास बनाकर तथा अपनी बाहें मेरी गर्दन के पीछे लपेटकर संतुलन बना लिया था मैंने अपने बाजू थोड़े से मोड़े तो मां की योनि मेरे लोड़े से थोड़ा दूर होकर बिल्कुल लोड़े के मुहाने को छूने लगी मां की चूत के होंठ मेरे लंड के सुपाड़े को छूने लगे मां उतावलेपन में थोड़ा आगे झुकी और धप्प से मेरा लौड़ा मां की योनि में समा गया
मुझे घर में पहुंचे हुए 3 मिनट ही हुए थे हमारे कपड़े भी उतर गए थे फोरप्ले भी हो गया और मेरा ताकतवर मुसल मां की ओखली में घुस गया था
मैंने मां की दीवार का सहारा दिया और धकाधक मां की चूत को पेलने लगा ले मां ले मां, दे मां अपनी चीज, चूत में अपने बेटे का बिछड़ा हुआ लौड़ा ले मां, मुझे तेरी चूत की बहुत याद आती थी, मां बोली, बेटा तेरी मां की चूत भी तेरे लंड के वियोग में रोज आंसू बहाती थी,
हम दोनों मां बेटों को एक दूसरे की चुदाई की इतनी आदत पड़ गई थी कि कोई भी दूसरा लिंग मां की आत्मा को ठंडक नहीं पहुंचाता था और कोई भी चूत मेरे मन को, मेरी वासना को, शांत नहीं कर पाते थे
अहहा अहहा मेरी मां, प्यारी मां, बेटे का मुसल अपनी ओखली में ले ले मां,
रस भर दे बेटा, भर दे, मां की डिबिया को अपने रस से भर दे, मां बहुत प्यासी है, बेटा मां को ठोक, तेरे ठोकने से ही मां की अग्नि शांत होती है, ठोक दे बेटा, मां को पेल दे, निकाल दे, मां के कस बल निकाल दे,
कहते हुए मां अपने शरीर का पूरा जोर मेरे लंड पर लगाने लगी और मैं भी अपने पैरों पर पूरा जोर डालकर अपना लोड़ा मां की चूत* में डुबोकर रखने का पूरा जोर लगा रहा था।
ले मां, दे मां, दे बेटा, थपक थपक और फिर से हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे हमारे धक्कों की गति कुछ कम हो गई थी ऐसे ही मां को गोदी में उठाए रखा, मेरा तना हुआ लौड़ा मां की योनि के अंदर था और मैं धीरे कदमों से मां को बेडरूम की तरफ ले चला हमारे कपड़े बाहर आंगन में ही गिरे हुए थे
अंदर जाकर मैंने मां को पीठ के बल बिस्तर पर टिकाया मां ने अपने पैर खोल कर अपने तलवे छत की तरफ कर दिए और अपनी काम रस से भरी हुई योनि को मेरे लिंग के सामने कर दिया
मैंने बिना देर किए मां की टांगों के बीच में लेट कर अपना लंड मां की योनि में अंदर-बाहर करने लगा मां ने दोबारा से अपने पैरों की कैंची मेरे जांघों पर बना दी ताकि मेरी पूरी ताकत मां की चूत पेलने के लिए लगी रहे
मैं भी पूरी ताकत से मांग की चूत पेलता रहा कुछ देर में मैंने अपनी पीठ को घुमाव देते हुए अपने होंठ मां के मम्मों के ऊपर रखे चैरी के फलों पर लगा दिए और दांतों से मां की चुचियां चुभलाने लगा मेरे चुभलाने से मां के शरीर में और ज्यादा करंट दौड़ने लगा ऊपर से मेरे होंठ मां के निप्पल को चूस रहे थे और नीचे से मां की चूत के होंठ मेरे सख्त लोडे को निचोड़ने में लगे हुए थे
मेरे हाथ मां के कंधों को दबाकर मेरे लंड को मां की योनि में और ज्यादा अंदर ठोक रहे थे तथा मां के नाखून मेरी पीठ पर चुभने लगे थे धक्के लगाने से हम दोनों पसीना पसीना हो गए थे और हमारी सैक्स की भूख और ज्यादा बढ़ती जा रही थी
कुछ ही देर में मैंने करवट ली और मैं बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया तथा मां को अपने ऊपर कर लिया मां ने घुटने मोड़कर अपने पैर मेरी कमर के दाएं बाएं रखे और मेरे लौड़े के ऊपर बैठकर घुड़सवारी करने लगी
मैंने अपने हाथों का सहारा मां के चूतड़ों पर देकर कमर उछालकर मां की उछलने की गति को बढ़ाया और मां ने अपने हाथ मेरी छाती पर दबाकर अपनी पूरी ताकत अपनी चूत को मेरे लंड के इर्द गिर्द लपेट कर कस दिया
मम्मीजी अच्छे से मेरे लंड पर चढ़ कर सवारी कर रही थी
मेरी मम्मी लंड की सवारी में पूरी एक्सपर्ट लग रही थी और मेरे लिंग को पूरी तरह से अपनी योनि में समेट कर आगे -पीछे, दाएं- बाएं हिल कर हमारे घर से लंड और चूत के घर्षण को आखरी सीमा तक ले जा रही थी
मेरे मुंह से आह उहह आहह निकलने लगी मां की कसमसाहट भी तेज हो रही थी
मां ने अपनी उंगलियों से मेरे छोटे से निप्पलों को रगड़ने लगी, अरे!! यह क्या ? मेरे शरीर में 440 वोल्ट दौड़ने लगा.
मैंने भी मां के स्तनों पर दवाब बढ़ाकर अपने अंगूठे तथा उंगली से मां के निप्पल जोर से उमेठने ने लगा
मां की सिसकारियां बढ़ती रहे और प्रतिक्रिया में मां की योनि मेरे लोड़े को और ज्यादा दबाने लगी
आज का हमारा चोदम चोदी का कार्यक्रम इतना भरपूर लग रहा था क्योंकि मां और मैं बहुत दिनों बाद चुदाई का मौका पा रहे थे और मां पिछले सारे दिनों की कसर आज पूरना चाहती थी
बहुत तड़पाया है तूने बेटा मुझे, तुझे मां की याद नहीं आई, देखना मां कितनी प्यासी है, कहकर मां ने अपने अपनी चूत की लौड़े पर रगड़ने की स्पीड बढ़ा दी
मैं ; मां तू मुझे बहुत याद आती है, हमेशा तुम्हारी इस मुनिया की याद में मेरा पप्पू तना रहता है, ले घुसा, इस खड़े लोड़े को सजा दे, अपनी योनि की गर्मी, बिरहा की आग से इसको पिघला दे, तेरा बेटा भी बहुत तरसा हुआ है !!!
ले ले मां, बेटे का मुसल अपनी ओखली में, बेटे का डंडा अपनी गुफा में डाल, मां आज हम फिर लंड चूत दोनों की आग बुझा देते हैं, मां ऊपर से बोली, दे बेटा, दे दे बेटा, अपना पप्पू मेरी पिंकी के अंदर दे, दे दोनों को एक कर दे, ना पप्पू पिंकी के बिना रहे और ना पिंकी पप्पू के बिना रह सकती है, दे दे बेटा,
मैं भी बोला : ले लेना ले ले
मां मेरे होंठ चूसने लगी हम दोनों की जीभ आपस में टकरा कर अठखेलियां करने लगी और नीचे से हमारे हाथ और कमर बराबर चलते रहे
फिर मैं बोला : लंड चूत बहुत दिनों बाद मिल रहे हैं, आज दोनों कुछ ज्यादा लाड पाना चाहते हैं
मैं मेरी पिंकी को चाटता हूं और तू अपने पप्पू को लॉलीपॉप की तरह चूस ले।
मां ने आज तक कभी मेरे साथ मुखमैथुन नहीं किया था किंतु आज बिरहा की अग्नि में जलते होने के कारण मां ने बिना सोचे समझे ही करवट लेकर मेरे मुंह के ऊपर अपनी योनि टिका दी और झुक कर मेरे पप्पू के गिर्द अपने होंठ ले गई
मैं नीचे लेटा हुआ था और मां मेरे ऊपर से कंट्रोल कर रही थे मेरे होठों ने मां की योनि की चुम्मी ली और मेरी जीभ मां की चूत के होठों को सहलाने लगी
नीचे मां की जीभ मेरे तने हुए लोड़े के छिद्र पर घर्षण कर रही थी फिर मां ने अपने होंठ मेरे लोड़े के सुपारी पर कस दिए और धीरे से लोड़े के अगले नरम हिस्से को सहलाने लगी मैंने भी अपनी जीभ मां की योनि के होठों के अंदर सरका दी
मां का शरीर कांपने लगा, मेरे शरीर में भी करंट दौड़ रहा था, मां ने मुंह ज्यादा खोलते हुए मेरे लोड़े को आधे से ज्यादा अपने मुंह में भर लिया और अपने शरीर का भार अपनी चूत* पर डालते हुए मेरी जीभ को अपनी चूत के अंदर ले लिया मैं जितनी ज्यादा जीभ बाहर निकाल सकता था उतनी जीभ से मां के योनि के अंदर की गरम दीवारों को रगड़ने लगा और मां की योनि के अनुपम रस को चखने लगा मैंने हाथों से मां के चूतड़ों को दबाया जिससे मां की योनि का दवाब मेरे होठों पर बढ़ गया और योनि कुछ फैल गई जिससे मेरी जीभ आराम से मां के योनि को घिसने लगी मां ने एक हाथ से मेरे टट्टे मसलने शुरू किए और दूसरे हाथ से मेरी जांघों के बीच में मालिश करने लगी
पूरा का पूरा करंट मेरे शरीर में बह रहा था, मां फिर से कसमसाने लगी, लगा मां छूटने वाली है, मैंने जीभ से मां की योनि पर को चोदना जारी रखा तो मां ने अपनी जांघों से मेरे मुंह को अपनी दबा दिया और मैंने अपने हाथों को मां के चूतड़ पर दबाते हुए योनि को और ज्यादा अपने मुंह पर ले आया और पूरी ताकत से जीभ के द्वारा योनि का रस चूसने लगा
नमकीन रस मां की चूत से निकलकर मेरे मुंह में बहने लगा और मैंने होठों से मां की चूत के रस को पौंछकर निगलने लगा।
एक अलग तरह का नमकीन स्वाद मेरी जीभ से होता हुआ गले में चला गया और मां निढाल होकर मेरी मेरे मुंह पर मचलने लगी मैंने इशारा किया तो मां पीठ के बल बिस्तर पर लेट गई और मैं अपना लंड मां के मुंह में चोदता रहा
मैंने पूछा बेटे का रस पियोगी
मां बोली जरूर मेरे बेटे का रस आज मैं जरूर चखूंगी किंतु मेरा लंड वीर्यरस छोड़ने में आ ही नहीं रहा था तो मैंने करवट लेकर आपना तना हुआ लिंग मां की योनि में ठोक दिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा जब मेरी मांसपेशियां सिकुड़ने फूलने लगी और मां ने भी अपनी योनि के अंदर मेरे लौड़े की गतिविधि महसूस की तो चूत को कसने लगी मैंने कहा मां मुंह खोल और यह कह कर अपना वीर्य टपकाता लौड़ा मां की खुले हुए मुंह में पेल दिया मां ने अपनी जीभ और तालू के प्रहार से मेरे लंड को निचोड़ना शुरू किया लंड महाराज तो तैयार ही बैठे थे तुरंत से लंबी लंबी पिचकारिया मां के मुंह में छोड़ने शुरू कर दी
मां भी वीर्य की हर एक बूंद को अमृत की तरह गटकती रही जब मेरा लंड सिकुड़ कर छुआरा बन गया तब ही मां ने मुंह खोलकर लिंग को बाहर आने की अनुमति दी
हम दोनों मां बेटा संतुष्ट होकर एक दूसरे के आलिंगन में बिल्कुल नग्न ही बिस्तर पर पसर गए और पता नहीं कब नींद आगोश में समा गए
 
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Sangya

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Friends
Please comment on last post, basically it is improvised style of narrating my experience.
Your reviews will help me to write better
 

Mohini biswas

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मैं मौसी के घर बहुत दिन लगा कर वापस आ गया तो मां के द्वारा मेरा बहुत चुदाईभरा स्वागत हुआ जैसे बहुत दिनों बाद दूसरे प्रेमी मिल रहे हों
घर में घुसते ही मां ने मुझे आलिंगन में लिया और इतनी देर तक कसकर मेरी छाती में अपने नरम मम्मे दबाती रही कि मुझे लगा सांस रुक जाएगी और साथ ही साथ मेरे गालों की चुम्मियां ले रही थी । जब मां के चुंबन के कारण मेरे गाल पूरी तरह से गीले हो गए तो मां ने अपने होंठ मेरे होंठों से जोड़कर अपनी जीभ मेरे मुंह में सरका दी मैं भी मां के आलिंगन का जवाब देते देते मां की जीभ को अपनी जीभ से खेलने दे रहा था और मेरे हाथ पेटीकोट के ऊपर से मां के नितंबों को दबा रहे थे इतनी देर आलिंगन के कारण मेरा लौड़ा खड़ा होकर आगे से मां की पेटीकोट के पतले कपड़े को दबाते हुए मां की योनि में घुस रहा था
हम दोनों सांस लिए बिना चुंबन ले रहे थे और कपड़ों सहित ही एक दूसरे के शरीर में समाना चाहते थे मां की व्यग्रता देते हुए मैंने साइड में से मां के पेटीकोट का नाड़ा खींच कर खोल दिया और मां ने हमारी कमर के बीच में थोड़ी सी जगह बनाकर पेटिकोट को नीचे गिरने दिया साथ ही मेरी पेंट का बटन खोल कर तुरंत ही कच्छे समेत उसे नीचे सरका दिया और वापिस मुझसे चिपक गई।
मेरे हाथ मां के नंगे नितंबों पर मालिश कर रहे थे और मेरा नंगा तना हुआ लिंग मां की नंगी चूत पर दस्तक दे रहा था
मां के हाथ मेरे नितंबों को जोर से अपनी योनि की ओर धकेल रहे थे और हमारी लार एक दूसरे के मुंह में लगातार प्रवाहित हो रही थी
मां का इतना उतावलापन मैंने पहले कभी नहीं देखा था हमेशा ही जब मुझे चुदाई की चाह होती थी तो मां पता नहीं कैसे मेरी भूख को महसूस करके मुझे कमरे में आने का इशारा करती और मुझे आराम करने की नसीहत देते हुए अपने साथ लिटा लेती थी और हम मां बेटा बिस्तर पर बहुत सहजता से चुदाई करके एक दूसरे की आग को शांत कर देते थे
इसी तरह जब कभी मां को मेरे मोटे मुसल द्वारा अपनी ओखली में कुटाई करनी होती थी तो अपने हाव-भाव से मुझे जता देती थी फिर मैं मालिश के बहाने से मां को लिटा कर कमरे में मां की चूत अच्छे से ठुकाई कर देता था
अक्सर बिना बोले ही रात या दिन किसी भी समय हम अचानक एक दूसरे की बिनबोली आग को समझ कर आलिंगन करते थे और पता नहीं कब शरीर से कपड़े हटाकर चुदाई में लग जाते थे और बाद में एहसास होता था कि हम दोनों के लंड चूत में आग लगी होती थी
इस तरह की लगातार ठुकाई हमारे बीच में बहुत ही स्वाभाविक थी घर में अक्सर हम दोनों ही होते थे इसलिए कोई बंधन नहीं होता था जब मन करता था मां मेरे लंड को छू लेती थी या मैं मां के पेटीकोट को ऊपर करके अपने लंड को मां की गांड पर टिका देता था इतने इशारे से ही हमारे बीच घनघोर चुदाई का दौर बन जाता था और कहीं पर वासना नहीं आती थी सिर्फ मां बेटे के बीच का शारीरिक प्रेम एक दूसरे की जरूरत शांत करने का आनंद होता था
मैं मां के लिए और मां मेरे लिए अतिरिक्त रूप से समर्पित हैं, आज का मां का उतावलापन सामान्य से अलग था इसलिए मैंने मां की इच्छा को तुरंत ही जवाब दिया और अपनी तरफ से भी मां को चोदने की व्यग्रता दिखाने लगा
आलिंगनबद्ध रहते हुए ही मैंने मां का ब्लाउज उतार दिया और मां की उंगलियों के जादू से मेरी टी-शर्ट भी पता नहीं कब उतर गई, हम दोनों मां बेटा घर के आंगन में बिल्कुल नंगे होकर एक दूसरे से लिपटे हुए थे और होठों का चुंबन ले रहे थे
मेरे हाथ मां के नितंबों को बारी-बारी मसल रहे थे और मां के हाथ हम दोनों के शरीर के बीच में आकर मेरे लोड़े तथा टट्टे को सहला रहे थे
मैंने भी अपना एक साथ नीचे करते हुए मां की योनि को सहलाना शुरु कर दिया मां चिन्हुकी और मेरे गालों तथा गर्दन को चूमने लगी मैंने थोड़ा झुकते हुए अपने दोनों हाथ मां के घुटनों के बीच में से निकाले और मां को अपनी ताकतवर बाहों में उठाकर मां की योनि को अपने लोड़े के सामने किया और थोड़ा घूम कर मां की पीठ को दीवार से सहारे टिकाने लगा
इस बीच मां ने दोबारा मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया और अपने पैरों की कैंची मेरे नितंबों के आसपास बनाकर तथा अपनी बाहें मेरी गर्दन के पीछे लपेटकर संतुलन बना लिया था मैंने अपने बाजू थोड़े से मोड़े तो मां की योनि मेरे लोड़े से थोड़ा दूर होकर बिल्कुल लोड़े के मुहाने को छूने लगी मां की चूत के होंठ मेरे लंड के सुपाड़े को छूने लगे मां उतावलेपन में थोड़ा आगे झुकी और धप्प से मेरा लौड़ा मां की योनि में समा गया
मुझे घर में पहुंचे हुए 3 मिनट ही हुए थे हमारे कपड़े भी उतर गए थे फोरप्ले भी हो गया और मेरा ताकतवर मुसल मां की ओखली में घुस गया था
मैंने मां की दीवार का सहारा दिया और धकाधक मां की चूत को पेलने लगा ले मां ले मां, दे मां अपनी चीज, चूत में अपने बेटे का बिछड़ा हुआ लौड़ा ले मां, मुझे तेरी चूत की बहुत याद आती थी, मां बोली, बेटा तेरी मां की चूत भी तेरे लंड के वियोग में रोज आंसू बहाती थी,
हम दोनों मां बेटों को एक दूसरे की चुदाई की इतनी आदत पड़ गई थी कि कोई भी दूसरा लिंग मां की आत्मा को ठंडक नहीं पहुंचाता था और कोई भी चूत मेरे मन को, मेरी वासना को, शांत नहीं कर पाते थे
अहहा अहहा मेरी मां, प्यारी मां, बेटे का मुसल अपनी ओखली में ले ले मां,
रस भर दे बेटा, भर दे, मां की डिबिया को अपने रस से भर दे, मां बहुत प्यासी है, बेटा मां को ठोक, तेरे ठोकने से ही मां की अग्नि शांत होती है, ठोक दे बेटा, मां को पेल दे, निकाल दे, मां के कस बल निकाल दे,
कहते हुए मां अपने शरीर का पूरा जोर मेरे लंड पर लगाने लगी और मैं भी अपने पैरों पर पूरा जोर डालकर अपना लोड़ा मां की चूत* में डुबोकर रखने का पूरा जोर लगा रहा था।
ले मां, दे मां, दे बेटा, थपक थपक और फिर से हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे हमारे धक्कों की गति कुछ कम हो गई थी ऐसे ही मां को गोदी में उठाए रखा, मेरा तना हुआ लौड़ा मां की योनि के अंदर था और मैं धीरे कदमों से मां को बेडरूम की तरफ ले चला हमारे कपड़े बाहर आंगन में ही गिरे हुए थे
अंदर जाकर मैंने मां को पीठ के बल बिस्तर पर टिकाया मां ने अपने पैर खोल कर अपने तलवे छत की तरफ कर दिए और अपनी काम रस से भरी हुई योनि को मेरे लिंग के सामने कर दिया
मैंने बिना देर किए मां की टांगों के बीच में लेट कर अपना लंड मां की योनि में अंदर-बाहर करने लगा मां ने दोबारा से अपने पैरों की कैंची मेरे जांघों पर बना दी ताकि मेरी पूरी ताकत मां की चूत पेलने के लिए लगी रहे
मैं भी पूरी ताकत से मांग की चूत पेलता रहा कुछ देर में मैंने अपनी पीठ को घुमाव देते हुए अपने होंठ मां के मम्मों के ऊपर रखे चैरी के फलों पर लगा दिए और दांतों से मां की चुचियां चुभलाने लगा मेरे चुभलाने से मां के शरीर में और ज्यादा करंट दौड़ने लगा ऊपर से मेरे होंठ मां के निप्पल को चूस रहे थे और नीचे से मां की चूत के होंठ मेरे सख्त लोडे को निचोड़ने में लगे हुए थे
मेरे हाथ मां के कंधों को दबाकर मेरे लंड को मां की योनि में और ज्यादा अंदर ठोक रहे थे तथा मां के नाखून मेरी पीठ पर चुभने लगे थे धक्के लगाने से हम दोनों पसीना पसीना हो गए थे और हमारी सैक्स की भूख और ज्यादा बढ़ती जा रही थी
कुछ ही देर में मैंने करवट ली और मैं बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया तथा मां को अपने ऊपर कर लिया मां ने घुटने मोड़कर अपने पैर मेरी कमर के दाएं बाएं रखे और मेरे लौड़े के ऊपर बैठकर घुड़सवारी करने लगी
मैंने अपने हाथों का सहारा मां के चूतड़ों पर देकर कमर उछालकर मां की उछलने की गति को बढ़ाया और मां ने अपने हाथ मेरी छाती पर दबाकर अपनी पूरी ताकत अपनी चूत को मेरे लंड के इर्द गिर्द लपेट कर कस दिया
मम्मीजी अच्छे से मेरे लंड पर चढ़ कर सवारी कर रही थी
मेरी मम्मी लंड की सवारी में पूरी एक्सपर्ट लग रही थी और मेरे लिंग को पूरी तरह से अपनी योनि में समेट कर आगे -पीछे, दाएं- बाएं हिल कर हमारे घर से लंड और चूत के घर्षण को आखरी सीमा तक ले जा रही थी
मेरे मुंह से आह उहह आहह निकलने लगी मां की कसमसाहट भी तेज हो रही थी
मां ने अपनी उंगलियों से मेरे छोटे से निप्पलों को रगड़ने लगी, अरे!! यह क्या ? मेरे शरीर में 440 वोल्ट दौड़ने लगा.
मैंने भी मां के स्तनों पर दवाब बढ़ाकर अपने अंगूठे तथा उंगली से मां के निप्पल जोर से उमेठने ने लगा
मां की सिसकारियां बढ़ती रहे और प्रतिक्रिया में मां की योनि मेरे लोड़े को और ज्यादा दबाने लगी
आज का हमारा चोदम चोदी का कार्यक्रम इतना भरपूर लग रहा था क्योंकि मां और मैं बहुत दिनों बाद चुदाई का मौका पा रहे थे और मां पिछले सारे दिनों की कसर आज पूरना चाहती थी
बहुत तड़पाया है तूने बेटा मुझे, तुझे मां की याद नहीं आई, देखना मां कितनी प्यासी है, कहकर मां ने अपने अपनी चूत की लौड़े पर रगड़ने की स्पीड बढ़ा दी
मैं ; मां तू मुझे बहुत याद आती है, हमेशा तुम्हारी इस मुनिया की याद में मेरा पप्पू तना रहता है, ले घुसा, इस खड़े लोड़े को सजा दे, अपनी योनि की गर्मी, बिरहा की आग से इसको पिघला दे, तेरा बेटा भी बहुत तरसा हुआ है !!!
ले ले मां, बेटे का मुसल अपनी ओखली में, बेटे का डंडा अपनी गुफा में डाल, मां आज हम फिर लंड चूत दोनों की आग बुझा देते हैं, मां ऊपर से बोली, दे बेटा, दे दे बेटा, अपना पप्पू मेरी पिंकी के अंदर दे, दे दोनों को एक कर दे, ना पप्पू पिंकी के बिना रहे और ना पिंकी पप्पू के बिना रह सकती है, दे दे बेटा,
मैं भी बोला : ले लेना ले ले
मां मेरे होंठ चूसने लगी हम दोनों की जीभ आपस में टकरा कर अठखेलियां करने लगी और नीचे से हमारे हाथ और कमर बराबर चलते रहे
फिर मैं बोला : लंड चूत बहुत दिनों बाद मिल रहे हैं, आज दोनों कुछ ज्यादा लाड पाना चाहते हैं
मैं मेरी पिंकी को चाटता हूं और तू अपने पप्पू को लॉलीपॉप की तरह चूस ले।
मां ने आज तक कभी मेरे साथ मुखमैथुन नहीं किया था किंतु आज बिरहा की अग्नि में जलते होने के कारण मां ने बिना सोचे समझे ही करवट लेकर मेरे मुंह के ऊपर अपनी योनि टिका दी और झुक कर मेरे पप्पू के गिर्द अपने होंठ ले गई
मैं नीचे लेटा हुआ था और मां मेरे ऊपर से कंट्रोल कर रही थे मेरे होठों ने मां की योनि की चुम्मी ली और मेरी जीभ मां की चूत के होठों को सहलाने लगी
नीचे मां की जीभ मेरे तने हुए लोड़े के छिद्र पर घर्षण कर रही थी फिर मां ने अपने होंठ मेरे लोड़े के सुपारी पर कस दिए और धीरे से लोड़े के अगले नरम हिस्से को सहलाने लगी मैंने भी अपनी जीभ मां की योनि के होठों के अंदर सरका दी
मां का शरीर कांपने लगा, मेरे शरीर में भी करंट दौड़ रहा था, मां ने मुंह ज्यादा खोलते हुए मेरे लोड़े को आधे से ज्यादा अपने मुंह में भर लिया और अपने शरीर का भार अपनी चूत* पर डालते हुए मेरी जीभ को अपनी चूत के अंदर ले लिया मैं जितनी ज्यादा जीभ बाहर निकाल सकता था उतनी जीभ से मां के योनि के अंदर की गरम दीवारों को रगड़ने लगा और मां की योनि के अनुपम रस को चखने लगा मैंने हाथों से मां के चूतड़ों को दबाया जिससे मां की योनि का दवाब मेरे होठों पर बढ़ गया और योनि कुछ फैल गई जिससे मेरी जीभ आराम से मां के योनि को घिसने लगी मां ने एक हाथ से मेरे टट्टे मसलने शुरू किए और दूसरे हाथ से मेरी जांघों के बीच में मालिश करने लगी
पूरा का पूरा करंट मेरे शरीर में बह रहा था, मां फिर से कसमसाने लगी, लगा मां छूटने वाली है, मैंने जीभ से मां की योनि पर को चोदना जारी रखा तो मां ने अपनी जांघों से मेरे मुंह को अपनी दबा दिया और मैंने अपने हाथों को मां के चूतड़ पर दबाते हुए योनि को और ज्यादा अपने मुंह पर ले आया और पूरी ताकत से जीभ के द्वारा योनि का रस चूसने लगा
नमकीन रस मां की चूत से निकलकर मेरे मुंह में बहने लगा और मैंने होठों से मां की चूत के रस को पौंछकर निगलने लगा।
एक अलग तरह का नमकीन स्वाद मेरी जीभ से होता हुआ गले में चला गया और मां निढाल होकर मेरी मेरे मुंह पर मचलने लगी मैंने इशारा किया तो मां पीठ के बल बिस्तर पर लेट गई और मैं अपना लंड मां के मुंह में चोदता रहा
मैंने पूछा बेटे का रस पियोगी
मां बोली जरूर मेरे बेटे का रस आज मैं जरूर चखूंगी किंतु मेरा लंड वीर्यरस छोड़ने में आ ही नहीं रहा था तो मैंने करवट लेकर आपना तना हुआ लिंग मां की योनि में ठोक दिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा जब मेरी मांसपेशियां सिकुड़ने फूलने लगी और मां ने भी अपनी योनि के अंदर मेरे लौड़े की गतिविधि महसूस की तो चूत को कसने लगी मैंने कहा मां मुंह खोल और यह कह कर अपना वीर्य टपकाता लौड़ा मां की खुले हुए मुंह में पेल दिया मां ने अपनी जीभ और तालू के प्रहार से मेरे लंड को निचोड़ना शुरू किया लंड महाराज तो तैयार ही बैठे थे तुरंत से लंबी लंबी पिचकारिया मां के मुंह में छोड़ने शुरू कर दी
मां भी वीर्य की हर एक बूंद को अमृत की तरह गटकती रही जब मेरा लंड सिकुड़ कर छुआरा बन गया तब ही मां ने मुंह खोलकर लिंग को बाहर आने की अनुमति दी
हम दोनों मां बेटा संतुष्ट होकर एक दूसरे के आलिंगन में बिल्कुल नग्न ही बिस्तर पर पसर गए और पता नहीं कब नींद आगोश में समा गए
Oh my god kitni must update h sach me esi hi halt hoti h beta deta h tab
 
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Sangya

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पुरानी बात है मेरे को मां के कुछ टेस्ट करवाने के लिए लखनऊ जाना पड़ा लखनऊ में मेरी सगी ताई रहती है स्वाभाविक रूप से हमें उनके साथ ही रहना था
हम बस से सुबह-सुबह उनके यहां पहुंच गए और ताई के बेटे विशाल भैया के साथ किंग जॉर्ज अस्पताल में टेस्ट करवाने के लिए पर्चा बनवा लाए
टेस्ट की तारीख 7 दिन बाद की मिली थी इसलिए हमें 7 दिन वहीं रहना ताईजी बोली यहीं रुक जाओ क्या आने जाने में परेशान होगे, यह बात ऊपरी मन से ही दिखावे के लिए की थी पर हमारी सुविधा थी तो हम तुरंत मान गए हमारे रुकने की बात सुनकर ताई तथा विशाल के बीच आंखों ही आंखों में कुछ बात हुई और ताई ने इशारे से विशाल भैया को कुछ समझा दिया

ताऊ जी की बेटी अपने पति के साथ लंदन चली गई थी, घर में विधवा ताई और उनका बेटा ही थे, मेरी ताई बहुत ज्यादा सुंदर और रोबदार महिला हैं उनका गोरा चिट्टा रंग, भरा हुआ भारी शरीर, नुकीली नाक, शहतूत जैसे होंठ बड़ी-बड़ी काजल भरी आंखें, 42 साइज के उरोज और 50 साइज के नितंब साड़ी में से उनका झलकता हुआ मांसल पेट और उसके बीच में गहरी नाभि मेरे जैसे ठरकी लड़के का लंड खड़ा करने के लिए बहुत थी। ताई हमेशा साड़ी, लो कट ब्लाउज जिससे आगे आधे से ज्यादा उरोज दिखते रहते थे, उठते बैठते, खाना परोसने के, काम करते समय मेरे और विशाल भैया को आधे से ज्यादा उरोज दिखते ही रहते हैं। ब्लाउज के नीचे ताई कैसी हुई ब्रा पहनती थी जिससे निप्पल तो नहीं दिखते थे पर दवाब के कारण इतना अच्छा क्लीवेज बन जाता था जी उसमें लंड डालने का मन करता था
विशाल भैया भी लंबे हट्टे-कट्टे कसरती शरीर के मालिक मालिश के बाद रोज व्यायाम करना और अच्छा खाना पीना उनकी सेहत का राज था मैं विशाल से काफी 10 साल छोटा हूं विशाल भैया की शादी बहुत सुंदर तथा मालदार लड़की से हुई थी। आते ही भाभी ने अपनी सुंदरता से घर के सब लोगों को मोह लिया था तथा अपना रंग जमाने वाली अदाओं के कारण छोटे बड़े सब पुरुषों की दिल की धड़कन बन गई थी | पता नहीं इतने रौबिले और गठिले व्यक्तित्व के मालिक की पत्नी क्यों उन्हें छोड़ गई थी

ताई जी का पुराने शहर में दो मंजिल का मकान था निचले माले पर रसोई , 2 बैडरूम और एक बैठक थी जिसे विशाल भैया ऑफिस की तरह प्रयोग करते थे ऊपर भी दो कमरे बने हुए थे |
हमारे सोने की व्यवस्था ऊपर वाले कमरे में थी इससे मां को भी बहुत संतुष्टि हुई थी हमें सोने के समय एकांत मिल जाएगा दिन में हम नीचे ही रहते मां ताई के साथ घर के काम में मदद करती और गप्पे मारती रहती थी, मैं टीवी देखकर और नवल बढ़कर समय बिताता था

भैया घर पर बाहर वाले कमरे में ऑफिस बनाकर अपना शेयर और फाइनेंस का काम करते थे और ताई जी कुछ भैया की मदद कर देती थी एक-दो दिन में हमें उनके दिनचर्या देखी थी सुबह काम वाली आकर झाड़ू पोछा बर्तन कर जाती है
भैया काम के सिलसिले में बाहर जाते हैैं भैया ने बताया कि उनका लोकल काम बहुत कम है ज्यादातर दूसरे शहरों में जाना पड़ता है
मम्मी ने बोला जब तू चला जाता है तो भाभी तो अकेली बोर हो जाती होगी विशाल ने जवाब दिया चाची 1 दिन के लिए होता है तो अकेला ही चला जाता हूं जब ज्यादा लंबा रुकना होता है तो मम्मी को भी साथ ले जाता हूं, साथ जाने की बात सुनकर ताई जी के चेहरे पर मुस्कान और लाली दौड़ गई थी उस समय मुझे उसका कारण नहीं पता था और बाद में राज खुला।

विशाल भैया को इतना समय नहीं था कि यह मुझे घुमा सके, विशाल भैया की मोटरसाइकिल पर एक दिन मैं मां को लेकर निकला, मां शुरू में तो मोटरसाइकिल पर मेरे साथ बैठने में थोड़ा ही हिचकिचाई पर बाद में थोड़ी दूर जाते हैं मां ने मेरी पीठ पर अपने नुकीले उरोज गड़ा दिए और आपने एक हाथ से मेरी कमर को घेरकर अंगुलिओ से मेरे डंडे को कुरेदने लगी
उत्तर प्रदेश के शहरों की सड़कें तो लाजवाब है गड्ढे और स्पीड ब्रेकर हर 10 मीटर पर दिखते, हर गड्ढे पर मां की छातियां मेरी पीठ में धंस जाती और मां की उंगलियां मेरी जांघों पर कसकर मेरे लिंग को कुरेद देती हम थोड़ा बहुत घूमे, 1 परिचित से भी मिलकर आए रास्ते में हुई छेड़छाड़ के कारण हम दोनों बहुत मस्ती में थे
एक कमरे में ताई जी सोती और विशाल भैया दूसरे कमरे पर मुझे लगा कि उस कमरे में भैया की जरूरत का कुछ भी सामान नहीं था जिससे लगता था कि भैया उस कमरे में नहीं रहते
भैया का सामान ताई जी वाले कमरे में ही था यहां तक कि भैया की शेविंग किट भी ताई जी वाले बाथरूम में ही थी तो उससे मैंने निष्कर्ष निकाला कि ताई जी और भैया उसी कमरे में रहते हैं पर
अगर ऐसा है तो हमारे आने के बाद भैया ताई से अलग सोने ऐक्टिंग क्यों कर रहे हैं ना बेटा एक ही कमरे में सो जाएं तो कोई हर्ज नहीं होता पर ....शायद चोर की दाढ़ी में कुछ तिनका था
मैंने अपनी है शंका मां से जाहिर की तो मां मुस्कुराकर चुप हो गई शायद मां भी वही सोच रही थी जो मैं सोच रहा था

कहानी आगे जारी है....
 
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जबरदस्त अपडेट है
 

Sangya

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तीसरे दिन रात को मैं अपने कमरे में मां के साथ लेटा हुआ समय बिताने के लिए एक उपन्यास पढ़ रहा था
हम ताई के घर में रह रहे थे इसलिए हमने आपसी मस्ती बंद की हुई थी दिन में घूमने के समय अपनी पीठ पर मां के उरोजों का एहसास और अपनी जांघों पर मां की उंगलियों की अठखेलियां महसूस करके मेरा लिंग तनाव में आया था, मैं भी मौका देख कर मां के उरोज और नितंब मसल देता था हमने अपनी मस्ती यहीं तक सीमित की हुई थी पर तीसरे दिन मुझे कुछ ज्यादा ठरक चढ़ी हुई थी इसलिए मैं मां के साथ लेट कर एक उपन्यास पढ़ते हुए ताई व भाई के सोने का इंतजार करने लगा
कमरे का दरवाजा मैंने हमने हमेशा की तरह ही बंद कर दिया था उपन्यास पढ़ते पढ़ते रात के 1:00 बज चुका था और मुझे नींद आने लगी मैंने सोचा कि बहुत देर हो गई है ताई जी और भैया सो रहे होंगे आत: इस समय मां को एक बार चोद लेता हूं जिससे कुछ दिनों से भड़की हुई कामाग्नि शांत हो जाए
यहां आकर मां ने मैक्सी पहननी शुरू कर दी थी पर रात को सोते समय मैक्सी के नीचे से पेटिकोट और ब्लाउज उतार देती थी जिससे मुझे मां के शरीर को महसूस करने में कपड़ों की रुकावट नहीं आती है पर ताई का घर होने के कारण डाइरेक्ट चोदम चोदी से बच रहे थे

आज मैंने खतरा उठाने का निर्णय लिया और मां के मेक्सि को नितंबों तक उठाकर जांघों और नितंबों पर हाथ फेरने लगा
मां भी शायद मेरे इसी पहल का इंतजार कर रही थी तो मां ने अपने पैर थोड़े ज्यादा खोल दिए मैंने अगला कदम बढ़ाने से पहले बाहर की स्थिति महसूस करने का प्रयास किया
मैं पानी के बहाने से बिना कोई आवाज किए ताई व भाई की नींद को चैक के इरादे से मैं धीरे-धीरे नीचे आया और फ्रिज के पास खड़ा हुआ तो मैंने ताई के कमरे में कुछ फुसफुसाहट सुनी मेरे अनुभवी कान एकदम सतर्क हो गए और मैं सांस रोककर आवाज को पहचानने का प्रयास करने लगा
सच में यह तो चुदाई की आवाज थी मैं मां बाप की चुदाई को अंधेरे कमरे में देखने का इतना अभ्यास हो गया था कि मैं एक क्षण में ही समझ गया ताई और विशाल भैया आपस में मां बेटे वाला अनोखा प्यार खेल रहे हैं
मैं थोड़ा झुककर दरवाजे की तरफ हुआ तो मेरे कानों में जांघों के टकराने की आवाज आने लगी और घुटी हुई आवाज में ताई और विशाल भैया की सिसकारियां भी आ रही थी
कुछ ही देर में आवाजों का तूफान शांत हो गया और मैं दबे पांव सीढ़ी पर चढ़कर ओट में हो गया
कुछ ही देर में ताई के कमरे का दरवाजा खुला और ताई पेटीकोट में ही बाथरूम में गई पीछे पीछे विशाल भैया भी बाथरूम में घुस गए बाथरूम के खुले दरवाजे से ताई के मूतने की सीटी बजने वाली आवाज आ रही थी विशाल ने शायद ताई को मसला होगा तो ताई के चिंहुकने की आवाज आई।

फिर दोनों बाथरूम से बाहर आकर कमरे में चले गए

अरे वाह!!!!!
मां चुदाई हमारी खानदानी रीत लगती है विशाल भैया ने पता नहीं कब मां को चोदना शुरू किया होगा, मुझे लगता है कि मैंने अनजाने में ही विशाल भैया की नकल करके मां को चोदना शुरू किया है, मेरा छोटा भाई भी मां पर नजर रखता है किंतु उसे अपनी महबूबा की चूत सहजता से मिली हुई है इसलिए उसने हमारी मां मेरे लिए छोड़ दी है
अब मुझे, पहले दिन हमारे रुकने के समय, मां बेटे के बीच में जो इशारे हो रहे थे उसका रहस्य समझ में आया ।
हमारे रुकने से ताई विशाल के प्रेम से वंचित रहती है और विशाल को भी ताई की चूत में अपना डंडा हिलाने और ताई की ओखली में अपना मुसल कूटने में बड़ी सावधानी ध्यान रखनी पड़ती है। पर इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते,। मैंने मां बेटे की चुदाई पकड़ ली थी
मैं दबे पाव वापिस अपने कमरे में आ गया मां ने मुझसे इशारे से पूछा क्या हुआ ?
मैंने मुस्कुराते हुए विशाल द्वारा मां बेटे को चोदने की बात बताकर दरवाजे को बंद किया और बत्ती बुझा कर मां के साथ में लेट गया
मां के नंगे बदन को सहलाने लगा मां ने मैक्सी अभी भी कमर तक चढ़ाई हुई थी मैं मां से पास लेट कर मां की जांघों के बीच में हाथ चलाने लगा
मैं बोला विशाल भी ताई जी का बहुत आज्ञाकारी बेटा है वह भी वह अपनी मां का पूरा ख्याल रखता है
मां ने मेरे गाल को चूम लिया और बोली मेरा राजा बेटा भी तो मां का ख्याल लगता है
मैंने मां से चुप रहने का इशारा किया और फोरप्ले करते रहे
हमारे मुंह से या शरीर चूमने से कोई आवाज ना हो इसका विशेष ध्यान रख रहे थे
करीब 1 घंटा गुजर गया था पर हमें विशाल भैया के वापस लौटने की कोई आहट नहीं मिली तो हमने अंदाजा लगाया कि रात भर विशाल भाई अपनी मां को चोदकर सुबह सुबह अपने कमरे में जाता होगा पर खतरा उठाना ठीक नहीं लगा।
अतः हम एक दूसरे को चुपचाप से शांत करने लगे मैंने मां का मां की चूत में अपनी उंगलियां की मां अपने हाथ में मेरा तना हुआ लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी तो चूड़ियों की खन- खन हुई तो मैंने लंड पर मां का हाथ रोक दिया और तिरछा लेट कर मां के मुंह पर अपना लोड़ा मां के होठों के पास ले आया मां समझ गई और मां ने अपने होठों को मेरे तने हुए लिंग पर कस कर अपनी जीभ से मेरे लोड़े के छिद्र को सहलाना शुरू किया मैं मां के कान में फुसफुसाया, मां जल्दी से कर दो खेल बाद में खेल लेंगे अभी मेरे को आग लगी हुई है

मां ने बोले बिना अपनी जीभ और तालू के कमाल से मेरे लिंग को लपलपाते हुए बिना आवाज किए चूस कर शांत कर दिया
और मैं लेट कर बाहर आवाज सुनने का प्रयास करता रहा जैसा मैंने सोचा था वैसे ही सुबह 5:00 बजे के करीब ताई के कमरे खुलने की आवाज आई और विशाल भैया धीमे से चलते हुए अपने कमरे में चले गए।

विशाल भैया अपने कमरे में 10:00 बजे तक सोते रहते थे और बाद में उठकर नाश्ता वगैरह करके अपने काम में लगते थे ताई जी सुबह 7:00 बजे तक उठ कर नहा धोकर नाश्ता और दोपहर को खाने के बाद 3 घंटे नींद लेती थी यह उनका निश्चित प्रोग्राम था शायद मां बेटा रोज रात को ठुकाई करते थे और विशाल भैया सुबह तथा ताई दोपहर को नींद पूरी कर लेती थी जब घर में अकेले थे तो हमारे घर ही तरह कभी भी चुदाई संभोग करके मस्त रहते होंगे पर हमारे आने से उनकी दिनचर्या में इतना बदलाव तो आया था कि उन्हें रात को चुपचाप ही चुदाई करनी पड़ती थी
जवान पत्नी से बिछुडे़ विशाल भैया में संभोग की चाहत तो बहुत ज्यादा होनी स्वाभाविक ही थी

बाद में मां ने मुझे बताया कि मेरी ताई भी बहुत अपनी जवानी में बहुत ठरकी रही थी और मौका मिलते ही ताऊ जी से चुदाई करवा लेती थी चाहे कहीं भी जाए और ताई का एक पुरुष मित्र भी था अब वह भी दुनिया में नहीं है अतः ताई को अपनी भूख शांत करने के लिए, अपने योनि की आग को ठंडा करने के लिए योनि की आग पर पानी का छिड़काव करने के लिए विशाल के अलावा कोई सहारा नहीं था

मैंने सोचा कि मेरी मां तो महीने में दो-तीन बार मेरे पिताजी का लोड़ा खा लेती है और लगभग रोज मेरे से अपना बाजा बजा लेती है तो यह हमारे खानदान की रीत ही है कि सारी औरतें घर में बेटों की प्रेमिका बनकर रहती थी
 
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