ताई ने बात जारी रखी
मां: मेरे बेटा क्या पिएगा
विशाल: दूध पीना है
मां: और क्या करेगा
बेटा : बुबु के साथ खेलूंगा
मां: और मेरा बेटा क्या करेगा
बेटा: बूबू को दबा लूंगा
मां: और मेरा बेटा
विशाल: दुद्दू को काटी काटी करूंगा, मम्मी के बुबु काटी काटी करूंगा मम्मी के बुबु दबा दबा कर दूध पी लूंगा
मां: शाबाश बेटा कहते हुए मां ने बेटे का लंड पकड़कर उमेठ दिया
ताई: बेटा, तूने मां का तंदूर देखा है
विशाल: नहीं मां, आप का तंदूर नहीं देखा आपके सिर्फ बुबु और पाव देखे हैं बड़े-बड़े से
मां तो: अरे बेटा, मेरे प्यारे बेटे ने मां का तंदूर नहीं देखा, हमेशा गर्मी रहती है, जिसमें से मम्मी का लाड प्यार निकलता है ।
विशाल ने प्रश्नवाचक निगाहों से मां को देखा तो ताई ने विशाल का हाथ पकड़कर पेटिकोट के ऊपर से अपनी योनि पर रख दिया और अपने हाथों में विशाल के हाथों को दबाकर अपनी योनि पर रगड़ने लगी विशाल : मम्मी यह तो तुम्हारी पार्किंग है इसमें तो पापा अपना ट्रक खड़ा करते थे ताई : तो मेरे बेटे ने पापा का ट्रक मम्मी की गैराज में आते जाते देखा है
विशाल: हां मम्मी कई बार
ताई: फिर मेरा बेटा क्या करता था, अपनी उस समय की छोटी सी साइकिल को मम्मी के गेराज में रखना चाहता था
विशाल : हां मम्मी, मेरा बहुत मन था कि मैं अपनी साइकिल भी तुम्हारे गेराज में रख दूं ताई: बेटा यह गैराज ट्रक के लिए है साइकिल रखने से तो गैराज को भी पता नहीं चलता और साइकिल का भी कुछ पता नहीं चलता
विशाल : तो मैं क्या करता मम्मी
ताई :वही बेटा अपने हाथों से मेहनत करके साइकिल को पहले कार बनाया, तूने अपनी साइकिल को रगड़ रगड़ कर तूने पहले कार बना दिया और जब यह ट्रक बन गई तो मैंने तेरे लिए रश्मि नाम की गैराज ला कर दी थी
विशाल: पर मम्मी वहां पर तो रश्मि के भाई का ट्रक खड़ा था
मां : रश्मि के भाई के ट्रक को वहां निकलवा देता जैसे तूने सोचा था कि है पापा के ट्रक से मां की गेराज खाली होगी तो मां के गेराज अपना ट्रक घुसा देगा
विशाल: मम्मी , रश्मि के गैराज को उसके भाई के ट्रक की आदत हो गई थी उसका भाई सारा दिन ट्रक अंदर बाहर ही घूमाता रहता है। अभी भी रश्मि अपने घर में है और दोनों भाई बहन खूब से ट्रक और गैराज का इस्तेमाल कर रहे होंगे मां
ताई बोली हां बेटा पर मुझे लगता था जैसे तू छुप छुप कर मेरे को अपने पापा को देखा था और कभी आते जाते मेरे दोनों पाव के बीच की दरार में अपनी छुरी जैसी लुल्ली से मक्खन लगाने का प्रयास करता था
विशाल: मां
ताई ने विशाल का पजामा नीचे किया और बोली मेरे बेटे का ट्रक तो तेरा बहुत जोरदार लगता है पर इस मुसल को ओखली कूदने की टूटने की इतनी आदत क्यों नहीं पड़ी
विशाल मां आपने मौका ही नहीं दिया मां भेजिए जब तेरा बापू कभी-कभी ओखली को साइड में रख देता था अपना मुंह से लेकर दाएं बाएं होता था तो तू ट्राई कर लेता मां बाप की चुदाई को तो बहुत ध्यान से देखता था
विशाल जी आपको पता था मैं आपको देखता हूं आप और पापा की चुदाई देखता हूं
ताई: मां को सब पता होता है, मुझे पता है बेटा! मेरी पावरोटी के बीच में अपना लौड़ा रखकर इतनी बार तू मेरे पीछे सोया है। बाथरूम में मेरी कच्छी और ब्रा के बीच में कितनी बार तुने मुठ मारी है? कभी सारा दिन कैसे ललचाई निगाहों से मेरे दूध की थैलियां देखकर गर्म होता है
यह सब मां को पता है और मैं इंतजार करती है कि कब मेरा बेटा आकर मुझे सिड्यूस करेगा पटाएगा इसीलिए मां बेटे से फ्लर्ट करती रहती है
कभी पल्लू नीचे गिराती है, कभी मालिश करवाती है, अक्सर जवान बेटे के सामने कपड़े बदलती है और कभी आते जाते, कभी टी वी देखने के समय अपने नितंब बेटे के लिंग पर रगड़ देती है
विशाल बेटा समझ भी जाता है पर मां के डर से आगे बढ़ने में संकोच करता है
ताई यह भी एक कला होती है मां की इच्छा को जानकर आधा-आधा कदम बढ़ा कर मां की चूत में अपना लौड़ा डालने की कला कुछ ही बच्चों को आती है और मां जब देखती है कि बेटा मां को चोदने की दहलीज पर आ गया है तब बिना किसी हिल हवाले के बहुत खुशी से अपनी चूत बेटे के हवाले करती है ।
विशाल भैया बोले: मां, मैं तो हमेशा से तुम्हारे दूध मोटे मोटे दूध गहरी नाभि और थिरकते चूतड़ को देखकर अपने खड़े हुए लंड को हाथों से शांत करता था
कभी तुम्हारी पेंटी या ब्रा मिल जाती थी तो उसमें तुम्हारी खुशबू को महसूस करते हुए लंड को पैंटी में तुम्हारी योनी की गर्मी को लेकर को शांत करता था
ताई बेटा तूने सोचते सोचते ही कितने साल निकाल दिए जबकि मां अपनी चूत तेरे को देने को तैयार थी पर तू मां को पटाकर अपने लंड से मां की चूत नहीं चोद पाया। आज भी अब सफाई देने में लगा हुआ है, मां इतनी गरम है और इतना अच्छा भी मत बना कर।
मेरे बेटे औरत चाहती है कि मर्द उसे पटाए उसकी तारीफ करें और अपने हौसले प्यार और अधिकार से उसे हासिल करे
औरत चाहे मां हो, पत्नी हो या बहन हो, समझ ले बेटा
विशाल ने बात समझी और मां को चूमने लगा मेरी मां प्यारी मां मैं समझ ही नहीं पाया रश्मि से भी मैं उम्मीद रखता था कि वह मेरे मोटे लोड़े की ताकत को समझ कर भाई को भूल कर अपनी गुफा में मेरे शेर का अधिकार मान लेगी