सुबह विशाल भैया के कमरे में जाते ही मैं बेफिक्र हो गया, हाथ से हिलाकर मां को जगाया मां थोड़ा हिली तो मैंने मां को चुप रहने का इशारा करते हुए मां की मैक्सी गर्दन तक उठा दी जिससे मां का पूरा शरीर नंगा हो गया
मां के मोटे मोटे मांसल बूब्स नितंब जांघ सुबह की रोशनी में थिरकते हुए दिख रहे थे मैं अपने कपड़े पहले ही उतारकर तैयार था मेरा लौड़ा टन टन करके खड़ा हुआ था मैंने नीचे झुक कर मां की योनि को चाटना शुरू किया ताकि मां गरम हो जाए और अपने हाथ से मां के मम्मे मसलने लगा
मां का भी रात को उंगलीयां मरवाने से मन नहीं भरा था जल्दी से मां ने हाथ नीचे करके मेरे लोड़े पर कब्जा किया और उसे धीरे-धीरे से हिलाने लगी मैंने अपने होंठ मां की चूत के होठों पर कस दिए और जीभ से मां की चूत को गिला करने लगा
मां जल्दी ही गरम हो गई और मेरे मुंह को अपनी चूत पर दबाने लगी मैं मां के की गर्मी को समझ कर सीधा हुआ और अपना तड़पता हुआ लोड़ा मां की योनि में पेल कर जल्दी से धक्के लगाने लगा
विशाल और ताई की चुदाई के बारे में सोच कर मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी उसी के कारण मेरे धक्कों की ताकत बहुत बड़ी हुई थी
मां भी मुझसे मुझसे खुश हो कर आजा मेरे विशाल बेटा पेल दे अपनी मां को
मैं समझ गया मां ताई और विशाल की चुदाई के सपने देख रहे हैं
मां की उत्तेजना का किला भी ढहने लगा और मेरे लोड़े ने भी पिघलना शुरू कर दिया और हम दोनों एक साथ छोड़ कर शांत हो गए
मां जल्दी से उठ कर कमरे के साथ लगे बाथरूम में साफ होने चली गई और मैं बिस्तर को रुमाल से पोंछ दिया कि चादर पर दाग ना पड़े
फिर मां के पीछे बाथरूम में गया और मां ने मग में पानी लेकर मेरे लिंग को भी धो दिया
सफाई करके हम अपने कमरे में आकर सो गए ताई 7:00 बजे उठकर अपना काम शुरू किया होगा और जब हम 9:00 बजे तक नहीं उठे तो ताई हमें जगाने आई कमरे में आकर ताई ने महसूस किया कि मां ने मैक्सी के नीचे ब्लाउज और पेटिकोट नहीं पहना हुआ, तब ताई ने मेरी तरफ देखा मैं कुर्ता पजामा पहन कर बिस्तर के दूसरे कोने पर सो रहा था सोता देख ताई ने कुछ संतुष्टि महसूस की पर ताई के मन में थोड़ा शक आने लगा
ताई ने मां को उठाया और बोला तबीयत तो ठीक है ना? कैसे अभी तक सो रही हो?
मम्मी ने अलसाई आवाज में जवाब दिया कि थोड़ा बुखार लग रहा है।
ताई बोली , कोई बात नहीं तू आराम कर और आज आकाश भी नहीं उठा मां बोली: पता नहीं रात को देर तक नावल पढ़ रहा था!
ताई ने बिस्तर के साइड में गिरा हुआ नावल देखा और उसे उठाकर बिस्तर के सिरहाने रख दिया और मेरे बालों को सहलाने लगी और बोली बहुत प्यारा बच्चा है मेधावी है और मां की भी बहुत सेवा करता है
माँ : तुम्हारे देवर तो नौकरी के चक्कर में परदेस में ही रहते हैं यही मेरी देखरेख करता है
ताई डबल मीनिंग की बात को समझने का प्रयास किया पर चुप रही
थोड़ी देर बाद मां और ताई बैठे गप्पे मार रहे थे विशाल भैया अपने ऑफिस वाले कमरे में काम कर रहे थे और मैं लेटा हुआ सोने की एक्टिंग कर रहा था
ताई ने बात छेड़ी : सारे काम करके थक जाती हूं,
मां ने पूछा भाभी आप की तबीयत कैसी रहती है
ताई बहुत उदास होकर बोली अब तू ही बता कैसी होगी? पहले मैं सोचती थी कि विशाल की शादी के बाद घर की सारी जिम्मेवारी और विशाल की देखरेख बहू के जिम्मे हो जाएगी तो मैं निश्चिंत हो जाऊंगी किंतु मेरी किस्मत कहां?
बहू सब छोड़कर चली गई अब मुझे ही गृहस्थी की चक्की चलानी पड़ती है
मां बोली सच भाभी बहुत मुश्किल होता है सारी जिंदगी पति और छोटे बच्चों की देखरेख करो और जब समय होता है कि बच्चे मां की सेवा करें तो बहुएं सब बात बिगाड़ देती हैं।
विशाल इतना अच्छा लड़का है, लगता है कि घर के बाहर उसने कभी झांका ही नहीं, सुंदर पत्नी के आने से शादी के बाद खुश रहता था परंतु पता नहीं क्यों बहु नाराज होकर चली गई
विशाल पत्नी के जाने से उदास रहता है, मेरे सामने तो कुछ नहीं बोलता किंतु जब भी मैं सोचती हूं कि बेटे को इस उम्र में शरीर की भी जरूरत होगी अब कहीं यह बाहर तो जाता नहीं, इसलिए मुझे बहुत चिंता होती है कि कहीं विशाल बीमार ना हो जाए
मां थोड़ा गंभीर होकर बोली, भाभी हो जाता है बेटे को सहारा दे दो, सही रहेगा।
ताई बोली, तू तो मां का मन जानती है बेटे का ध्यान घर में रहे और अपने व्यापार पर मेहनत करता रहे इसके लिए और कहीं उसका मन नहीं भटके इसलिए मां की पूरी जिम्मेदारी बन जाती है
मां बोली : अभी बाकी घर में कैसे भी हो, हमारे खानदान की तारीफ है मां ही बेटे को संभालती है और बेटे भी मां का अकेलापन और दुख दर्द दूर करते हैं
ताइ मां ने गहरी सांस छोड़ी और बोली, सही कहती है जब हमारे ससुर तेरे पति और तेरे जेठ को छोड़कर छोटी उम्र में गुजर गए थे तो हमारी सास नै इतनी मेहनत से तेरे और मेरे पति को पढ़ाया था और ये दोनों, शंभू और तेरे जेठ जब भी समय मिलता था और मां को जरूरत होती थी, पूरा मन लगाकर अलग-अलग से अपनी मां को हमारी शादी के बाद भी खुश रखते थे, है ना
मां बोली सच है भाभी जी ऐसी मां भाग्यशाली होती है जिसके बच्चे मां की कुर्बानियां और मेहनत देखकर मां की जरूरत है पूरी करते हैं।
मां फिर बोली पर मुझे समझ नहीं आया की बहू चुपचाप क्यों चली गई देखने में तो बहुत पारिवारिक लगती थी
ताई बोली कुछ ज्यादा ही परिवारिक थी , पर उसका परिवार उसके मायके तक ही सीमित का हर दिन विशाल को मेरे साथ बैठते उसे देखकर जल भुन जाती थी जबकि तुझे पता है कि तेरे जेठ के जाने के बाद मैंने विशाल में ही सहारा पाया था
# आगे जारी है.....
मां के मोटे मोटे मांसल बूब्स नितंब जांघ सुबह की रोशनी में थिरकते हुए दिख रहे थे मैं अपने कपड़े पहले ही उतारकर तैयार था मेरा लौड़ा टन टन करके खड़ा हुआ था मैंने नीचे झुक कर मां की योनि को चाटना शुरू किया ताकि मां गरम हो जाए और अपने हाथ से मां के मम्मे मसलने लगा
मां का भी रात को उंगलीयां मरवाने से मन नहीं भरा था जल्दी से मां ने हाथ नीचे करके मेरे लोड़े पर कब्जा किया और उसे धीरे-धीरे से हिलाने लगी मैंने अपने होंठ मां की चूत के होठों पर कस दिए और जीभ से मां की चूत को गिला करने लगा
मां जल्दी ही गरम हो गई और मेरे मुंह को अपनी चूत पर दबाने लगी मैं मां के की गर्मी को समझ कर सीधा हुआ और अपना तड़पता हुआ लोड़ा मां की योनि में पेल कर जल्दी से धक्के लगाने लगा
विशाल और ताई की चुदाई के बारे में सोच कर मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी उसी के कारण मेरे धक्कों की ताकत बहुत बड़ी हुई थी
मां भी मुझसे मुझसे खुश हो कर आजा मेरे विशाल बेटा पेल दे अपनी मां को
मैं समझ गया मां ताई और विशाल की चुदाई के सपने देख रहे हैं
मां की उत्तेजना का किला भी ढहने लगा और मेरे लोड़े ने भी पिघलना शुरू कर दिया और हम दोनों एक साथ छोड़ कर शांत हो गए
मां जल्दी से उठ कर कमरे के साथ लगे बाथरूम में साफ होने चली गई और मैं बिस्तर को रुमाल से पोंछ दिया कि चादर पर दाग ना पड़े
फिर मां के पीछे बाथरूम में गया और मां ने मग में पानी लेकर मेरे लिंग को भी धो दिया
सफाई करके हम अपने कमरे में आकर सो गए ताई 7:00 बजे उठकर अपना काम शुरू किया होगा और जब हम 9:00 बजे तक नहीं उठे तो ताई हमें जगाने आई कमरे में आकर ताई ने महसूस किया कि मां ने मैक्सी के नीचे ब्लाउज और पेटिकोट नहीं पहना हुआ, तब ताई ने मेरी तरफ देखा मैं कुर्ता पजामा पहन कर बिस्तर के दूसरे कोने पर सो रहा था सोता देख ताई ने कुछ संतुष्टि महसूस की पर ताई के मन में थोड़ा शक आने लगा
ताई ने मां को उठाया और बोला तबीयत तो ठीक है ना? कैसे अभी तक सो रही हो?
मम्मी ने अलसाई आवाज में जवाब दिया कि थोड़ा बुखार लग रहा है।
ताई बोली , कोई बात नहीं तू आराम कर और आज आकाश भी नहीं उठा मां बोली: पता नहीं रात को देर तक नावल पढ़ रहा था!
ताई ने बिस्तर के साइड में गिरा हुआ नावल देखा और उसे उठाकर बिस्तर के सिरहाने रख दिया और मेरे बालों को सहलाने लगी और बोली बहुत प्यारा बच्चा है मेधावी है और मां की भी बहुत सेवा करता है
माँ : तुम्हारे देवर तो नौकरी के चक्कर में परदेस में ही रहते हैं यही मेरी देखरेख करता है
ताई डबल मीनिंग की बात को समझने का प्रयास किया पर चुप रही
थोड़ी देर बाद मां और ताई बैठे गप्पे मार रहे थे विशाल भैया अपने ऑफिस वाले कमरे में काम कर रहे थे और मैं लेटा हुआ सोने की एक्टिंग कर रहा था
ताई ने बात छेड़ी : सारे काम करके थक जाती हूं,
मां ने पूछा भाभी आप की तबीयत कैसी रहती है
ताई बहुत उदास होकर बोली अब तू ही बता कैसी होगी? पहले मैं सोचती थी कि विशाल की शादी के बाद घर की सारी जिम्मेवारी और विशाल की देखरेख बहू के जिम्मे हो जाएगी तो मैं निश्चिंत हो जाऊंगी किंतु मेरी किस्मत कहां?
बहू सब छोड़कर चली गई अब मुझे ही गृहस्थी की चक्की चलानी पड़ती है
मां बोली सच भाभी बहुत मुश्किल होता है सारी जिंदगी पति और छोटे बच्चों की देखरेख करो और जब समय होता है कि बच्चे मां की सेवा करें तो बहुएं सब बात बिगाड़ देती हैं।
विशाल इतना अच्छा लड़का है, लगता है कि घर के बाहर उसने कभी झांका ही नहीं, सुंदर पत्नी के आने से शादी के बाद खुश रहता था परंतु पता नहीं क्यों बहु नाराज होकर चली गई
विशाल पत्नी के जाने से उदास रहता है, मेरे सामने तो कुछ नहीं बोलता किंतु जब भी मैं सोचती हूं कि बेटे को इस उम्र में शरीर की भी जरूरत होगी अब कहीं यह बाहर तो जाता नहीं, इसलिए मुझे बहुत चिंता होती है कि कहीं विशाल बीमार ना हो जाए
मां थोड़ा गंभीर होकर बोली, भाभी हो जाता है बेटे को सहारा दे दो, सही रहेगा।
ताई बोली, तू तो मां का मन जानती है बेटे का ध्यान घर में रहे और अपने व्यापार पर मेहनत करता रहे इसके लिए और कहीं उसका मन नहीं भटके इसलिए मां की पूरी जिम्मेदारी बन जाती है
मां बोली : अभी बाकी घर में कैसे भी हो, हमारे खानदान की तारीफ है मां ही बेटे को संभालती है और बेटे भी मां का अकेलापन और दुख दर्द दूर करते हैं
ताइ मां ने गहरी सांस छोड़ी और बोली, सही कहती है जब हमारे ससुर तेरे पति और तेरे जेठ को छोड़कर छोटी उम्र में गुजर गए थे तो हमारी सास नै इतनी मेहनत से तेरे और मेरे पति को पढ़ाया था और ये दोनों, शंभू और तेरे जेठ जब भी समय मिलता था और मां को जरूरत होती थी, पूरा मन लगाकर अलग-अलग से अपनी मां को हमारी शादी के बाद भी खुश रखते थे, है ना
मां बोली सच है भाभी जी ऐसी मां भाग्यशाली होती है जिसके बच्चे मां की कुर्बानियां और मेहनत देखकर मां की जरूरत है पूरी करते हैं।
मां फिर बोली पर मुझे समझ नहीं आया की बहू चुपचाप क्यों चली गई देखने में तो बहुत पारिवारिक लगती थी
ताई बोली कुछ ज्यादा ही परिवारिक थी , पर उसका परिवार उसके मायके तक ही सीमित का हर दिन विशाल को मेरे साथ बैठते उसे देखकर जल भुन जाती थी जबकि तुझे पता है कि तेरे जेठ के जाने के बाद मैंने विशाल में ही सहारा पाया था
# आगे जारी है.....
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