सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने माँ को देखा, माँ और मैं बिल्कुल नंग धड़ंग लेते हुए थे, माँ की खुली हुई आंखे मेरे औजार को देख रही थी और चेहरे पर एक संतुष्ट मुस्कान थी | कल से अब तक हम दो बार कर चुके थे और मेरे लिए तो चूत लेने का पहला ही अनुभव था, माँ बहुत अनुभवी स्त्री है उसने बड़े सहज भाव से हमारा संभोग करा दिया, ना कुछ बोला, ना कुछ बुलवाया इतने सहज भाव से किया, जैसे लंड चूत का लेना देना माँ बेटे की रिश्ते की बड़ी ही नैसर्गिक क्रिया हो , अभी भी माँ बिल्कुल आराम से नंगी लेटी हुई थी और मैं उसके सलोने साँवले नमकीन गठीले शरीर, 40 साइज़ के पुष्ट उरोजों, गहरी नाभि वाला भरा पूरा पेट जिसके साइड मै दो टीयर बने थे, मांसल जांघे जिन पर मांसपेशिया छलक रही थी को बड़े प्यार से देख रहा था, मैंने झुककर माँ की नाभी की चुम्मी ली और अपनी जीभ से माँ की नाभि को चूसने लगा माँ मेरी पीठ सहला रही थी मैंने अपने हाथ माँ के मम्मो पर रगड़ने शुरू किए और धीरे से अपना लंड माँ की टांगों पर घिसने लगा, माँ को भी फिर से मस्ती चढ़ रही थी , उसने मुझे कस कर पकड़ लिया, अब मेरी जीभ माँ के पेट को चाट रही थी और माँ के हाथ मेरे कंधों ओर पीठ को मसल रहे थे, एक बार फिर मैं माँ के ऊपर चढ़ गया ओर माँ के लिप्स को किस करने लगा, माँ ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी जिससे मुझे माँ का मुख रस पीने को मिला, मेरा लंड बहुत झटके खाने लगा ओर माँ के खजाने पर दस्तक देने लगा मेरा प्रीकम माँ की जांघों पर लग रहा था ओर मैंने पाया की माँ की बुर का रस भी निकालना शुरू हो गया था, मैं अपना एक हाथ माँ के भग प्रदेश में लाया ओर भगनसे को छेड़ने लगा माँ भी अपने हाथ से मेरे शिश्न को मरोड़ने लगी जो अब फूलता जा रहा था ओर एक गर्मा गर्म सलाख के तरह हो गया था।
माँ बोली तू कितना भूखा है रे, कल से दो बार ले चुका है ओर अभी फिर से तैयार है, मैं बोला जिसकी सलोनी सुन्दर माँ ने उसे 18 साल मे पहली बार अपनी थाली परोसी हो वो कैसे सब्र रख सकता है ओर माँ तू तो मेरा केला कई बार देख चुकी है ओर मैं भी तेरे सब अंगों को कई बार छु चुका हूं फिर भी तूने इतनी देर लगाई अपने बेटे को अपना भोग देने में?
माँ बोली, मेरे राजू बेटा मैं भी तेरे डंडे को लगभग रोज ही कच्छे के अंदर हिलते जुलते देखती रहती थी, सोया जागा सख्त लंबा हरएक अवस्था में इसको मैंने बहुत देखा है तू क्या सोचता है कि मां को जब तु आलिंगन करता है तब गले लगाने के बहाने अपना मक्खन सना चाकू मां की पावरोटी में लगाता है तब क्या मुझे पता नहीं चलता था या तुम मेरा पेट मसलते-मसलते अपना पानी निकाल देता था तब मुझे पता नहीं चलता था।
अभी कल शाम को ही तेरा मक्खन कच्छे पर लगा था और मेरे सिर पर लग गया था तू सोचता है कि मां बुद्धू है मां को पता ही नहीं।
बेटा तू मेरी चूत से निकला है और मैंने ही तुझे अपने मोटे मोटे मम्मू का दूध पिला कर बड़ा किया है तेरी हर एक हरकत जो तू करता है या सोचता है मुझे पता है मुझे यह भी पता है कि पहले छोटा भी मेरी चूत लेने के चक्कर में था पर उसका पड़ोस वाली पिंकी से टांका फिट हो गया तो वह मैं कच्चे कच्चे आमीऔं को दबाकर तथा उसकी नाज़ुक चूत में अपना लौड़ा डाल कर अपने को बहुत खुश समझता है उसकी इस हरकत को भी मेरा आशीर्वाद है।
जब बेटे की शादी होती है तो मां अपने मन में कितना खुश होती है थी बेटों के लोगों एक प्यारी सी चूत मिल गई है पर बेटा नई चूत के चक्कर में बचपन से मां की जिस चूत को पाने का ख्वाब देखता है उसको धिक्कार देता है बहुत ही कम भाग्यवान बच्चे होते हैं जिनको मां और बीवी दोनों की चूत का मर्दन करने का मौका मिलता है मुझे पता है बेटा तू बहुत कर्तव्यनिष्ठ है इसलिए तुझे दोनों कम से कम दो चूतों का रस मिलेगा आज तेरा उद्घाटन हुआ है अब तू जी भरकर मन लगाकर मां की सेवा कर तथा मां को खुश कर इसके बदले में मां तेरी दिली तमन्ना को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी
मैं बोला मां मुझे बहुत सालों से तुम्हारी असंतुष्टि का पता था पापा कभी-कभी तो आते हैं और उसमें भी हर बार पता नहीं उनको आपकी चूत लेने का मौका मिलता है या नहीं और वह भी पता नहीं मुट्ठ मार कर गुजारा करते हैं या वहां पर उन्होंने किसी चूत का इंतजाम किया हुआ है पर तुम दोनों का जीवन हमारे लिए बहुत कष्टप्रद रहा है। मां हंसी और बोली बेटा तेरे पापा से मुझे कोई शिकायत नहीं है वह जब भी आते हैं, जब भी मौका मिलता है मेरी कसकर बजाते हैं और बार-बार लेते हैं अपने लिए भी अपनी पूरी कसर कर लेते हैं कोटा पूरा करके ही जाते हैं । कोकशास्त्र का कोई भी आसन उन्होंने छोड़ा होगा क्या?
क्या मुझे पता नहीं है जब तेरे पापा मुझे चोद रहे होते हैं तब तुम दोनों भाईयों में जो जो भी हमारी आवाज सुन रहा होता है या ह्अंधेरे में हमारी छाया को देख रहा होता है उसका हाथ कैसे तेजी से अपने लंड पर चल रहा होता था। मां हूं तेरी सब पता है मुझे मुझे पटाने की कोशिश मत कर।
मैं बोला अगर तुम संतुष्ट हो तो इस पतले से पेटिकोट और झीने ब्लाउज मैं सारा दिन अपने भारी भारी चूतड़ दिखा कर और अपने दूध भरे मोटे मोटे मम्मे कलश दिखा कर मुझे क्यों बेचैन करती रहती थी।
मां ने मेरी पप्पी ली, बेटा, मेरे राजू बेटा मेला प्याला बेटा, कहकर मां ने मेरे लन की पप्पी भी ली और मेरे को अपने मम्मों पर झुकाकर बोली तुझे कहां बेचैन करती थी तुझे तो प्यार करती थी, मैं सोचती थी कि पिंकी को तू पटा लेगा और उसकी ले लेगा पर तू बुद्धू पढ़ाई में ही लगा रहा और तेरा भाई पिंकी के मर्तबान में रखा शहद चाट गया और तू मेरे हिलते माम्मौं तथा थिरकते नितंबों के पीछे ही अपना लंड हिलाता घुमता रह गया। मां ने मेरा लंड हाथ से मुठिआने लगी जिससे मेरे ऊपरी त्वचा सुपाड़े से ऊपर नीचे आने लगी अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मां की चूत भट्टी की तरह तपने लगी थी मैंने मैंने मां के पैर उसकी छातियों पर रखकर उसकी आंखों में देखा और निशाना लगाकर अपना लनड पूरा-पूरा अपनी प्यारी मांसल मां की चूत में घुसा दिया मां कसमसाई सिसकारियां ली और नीचे से अपनी गांड को हिलाने लगी मैंने भी अपनी रेलगाड़ी ऊपर से शुरू कर दी, कल से अब तक तीसरी बार कर रहा था और उससे पहले चाची के साथ एक बार वीर्यपात करवा चुका था इस नाते मेरा लौड़ा बहुत संतुष्ट अवस्था में मां की हरी- भरी चूत का बाजा बजा रहा था मैंने धक्के मारते मारते अपने दोनों हाथ मां के कंधे से हटाकर उसके मम्मों पर रख दिए और कुछ देर बड़े-बड़े शॉट मारे फिर अपना हाथ मां की पीठ के नीचे से निकाल कर उसके मम्मों को अपनी छाती में जकड़ लिया मां ने पैर सिधे किए और मैं मां की टांगों के बीच में सीधा लेट कर अपना मस्त डंडा मां की गहरी सुरंग में डालने लगा फच फच फच आवाज आ रही थी जब मेरा लन्ड मां की चूत से मिलता तब धप धप की आवाज आती थी मां ने अपने दोनों हाथ से मेरे नितंब आने लगी और मैं भी अपने दोनों हाथों को नीचे लाकर मां के नितंबों को जकड़ कर जोर जोर से धक्के लगाने लगा इतने में मां का शरीर एंठने लगा और मेरे शरीर में भी रक्त का प्रवाह इकट्ठा होकर मेरे लंड की तरफ दौड़ने लगा हम दोनों एक दूसरे में समाने का प्रयास कर रहे थे ।
मां ने तो अपनी गांड इस तरह से ऊपर की कि लंड के नीचे अंडकोष की मां की चूत में समा जाएं और मैंने मां के नितंबों को इतनी जोर से दबाया कि हमारे बीच में हवा लायक भी जगह नहीं बची थी कुछ सेकंड इस तरह रहने के बाद हम दोनों झर झड़ाने लगे और गहरी सांसे लेते हुए मां ने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और मैं भी मां के ऊपर निष्चेष्ट लेट गया बाहर से हल्की सी धूप कूलर की खिड़की के ऊपर से बिस्तर पर आने लगी थी बाहर मकान मालकिन चाची और उसके पति की कुछ आवाज भी हमारे कानों में आ रही थी लगता था बहुत देर हो गई है पर हमारे में उठने की हिम्मत नहीं थी मैं चार बार वीर्य बात करके बहुत ही शांत महसूस कर रहा था पर मां को शायद पापा का भारी भरकम लन 5-6 बार लेने की शायद आदत होगी तभी उसे कोई थकावट नहीं लग रही थी उसने मेरा कंधा थपथपाना और बोली चल उठ कुछ खा लेते हैं
मैंने कहा मां क्या खाना है अपने शहद ही पिला दे
मां कहती हट पगले मेरे शहद और तेरे मक्खन से क्या हमारा पेट भरेगा
खाना खा और थोड़ी पढ़ाई कर ले, सारा ध्यान मां को चोदने में लगा देगा तो पढ़ेगा कब ध्यान से पढ़ाई कर अच्छे नंबर ला ताकी तेरी अच्छी नौकरी लगे और एक बड़ा सा मकान मिले जिसमें एक कमरे में मैं तेरे पापा हैं दूसरे में तेरी चूत वाली बीवी और एक अलग कमरा जिसमें रात को पापा की नजर बचाकर मैं आऊंगी और अपनी बीवी की नजर बचाकर तुम आना और मां बेटे अच्छे से अपना मिलन करेंगे
मैं बोला अगर मेरी बीवी समझदार हुई तो हम तीनों इकट्ठे भी एक दूसरे को सुख दे पाएंगे
वह तो बाद की बात है, अरे तेरी बीवी को तो आने दे और उसे पढ़ ले और उससे पहले खाना खा ले यह कहकर मां उठी अपना पेटिकोट और ब्लाउज पहना, मेरे नंगे बदन पर चद्दर डाली तथा दरवाजा खोलकर किचन की तरफ चल दी
अगली आपबीती कहानी जल्दी ही ......
चाची के बारे में......