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Incest मां और मैं

Sangya

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I had read one English incest story posting here after lot of changes as part of Goa saga, perhaps can be seen as first sex between the bro sis we have met

"दिनेश!" टीवी पर हैरान दृष्टि व गुस्से भरी आँखों से अपने भाई को देखते हुए रचना चिल्लाई। "मादरचोद कमीने!" फिर वह सोफे पर आगे की ओर झुककर अपने भाई को मुक्के मारने लगी।

"मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि तूने मुझे दिखाने के लिए ब्लू फिल्म किराए पर ली है!" तुझे शर्म नहीं आईअपनी जवान बहन को ब्लू फिल्म दिखा कर उसको उत्तेजित करके तुम उसे चोदने का मंसूबा बना कर बैठा है

"आउ! रुक जा मेरी प्यारी बहन !" दिनेश ने अपनी बहन के उस पर हो रहे प्रहारों को रोकने की पूरी कोशिश की। "ओउ! मुझे मारना बंद कर

”रचना थोड़ी देर के लिए शांत हो गई, अपनी मुट्ठी नीचे कर ली और अपने भाई को गुस्से से देखा।

"तू ने एक ब्लू फिल्म किराए पर ली है, बहनचोद" मां से तेरी शिकायत करके तुझे मजा दिखाऊंगी

सच में मेरी बहन"मुझे नहीं पता था इस कवर के अंदर ब्लू फिल्म है," दिनेश ने विरोध किया,

"मैं कसम खाता हूँ - मुझे नहीं पता था कि यह ब्लू फिल्म है । कवर को देखो।" उसने टेलीविजन के बगल में फर्श पर पड़े डीवीडी कवर की ओर इशारा किया, उसका दूसरा हाथ अभी भी उसके चेहरे के चारों ओर से ढक रहा था, दिनेश अपनी बहन के किसी भी वार से बचाव के लिए तैयार था।

रचना ने संकुचित आँखों से उसे देखा और उसने फेंके गए कवर की ओर देखा। वह उठ खड़ी हुई और उसे लेकर पढ़ने लगी आखिरकार उसका संदेह दूर हो गया
"स्लीपलेस इन सिएटल," उसने पढ़ा, फिर मुड़कर उत्सुकता से अविश्वास के साथ, दिनेश की ओर देखा "तू ने इसे किराए पर क्यों लिया?"

दिनेश ने सिर हिलाया। मैंने इसे पहले देखा था।" "मुझे पता है।" "मैंने सोचा था कि तू इसे पसंद करेगी।" "

रचना ने अपनी आँखें और भी सिकोड़ लीं। "तू ऐसी फिल्म क्यों लाया जो मुझे पसंद है?"तू तो मेरे लिए पानी का गिलास भी नहीं देता है और आज मम्मी पापा घर पर नहीं है तो तू मुझे एक इंग्लिश पिक्चर दिखाने के बहाने से ब्लू फिल्म दिखाने लगा है क्या चाहता है तू?
दिनेश बोला मुझे यह फिल्म बहुत अच्छी लगी थी इसमें भाई बहन बहुत मस्ती करते हैं तो मैं तेरे साथ यह पिक्चर देखकर खुश होना चाहता था पर इस साले दुकानदार ने अपनी मां चुदवाने के लिए मुझे ब्लू फिल्म पकड़ा दी
रचना हंस कर बोली उसकी मां क्यों चोद रहा है, तू हमेशा ब्लू फिल्म लेता होगा इसलिए उसने तुझे यह पिक्चर पकड़ा दी।
दिनेश ने कहा सच में मेरी बहन, पर आज तो दुकान पर वह नहीं था उसकी मां दुकान पर बैठी थी उसी ने मुझे एक कोने में से दबी हुई यह डीवीडी दी थी
रचना नहीं गहरी सांस ली और बोली तो यह बात है उसकी मां को पता नहीं होगा कि दुकान में ब्लू फिल्म भी होती है उसने भी सादे ढंग से तुझे यह दे दी, शुक्र है चुदाई वाली फिल्म दी अपनी लंबी कुचली चूत नहीं दी,
चल ठीक है भाई तेरी गलती नहीं है मां से तेरी शिकायत नहीं करूंगी
दिनेश ने शर्माते हुए कहा तो क्या करूं यह वापस करके दूसरी सीडी ले आऊं
रचना ने एकदम दिनेश के पीठ पर ढोल मारी और बोली रहने दे आज किस्मत में यही पिक्चर है तो यही देख लेते हैं
दिनेश कि थोड़ा मस्त हुआ और बोला तो तेरा भी मन ब्लू फिल्म देखने का था
रचना बोली स्कूल में सहेलियों के साथ तो कई बार देखी है पर आज घर अकेले में तेरे साथ बैठकर देखने का मजा कुछ और ही होगा चल रिमोट मुझे दे और तू भी ढीले ढाले कपड़े पहन कर आजा
दिनेश ने जींस और टीशर्ट पहनी हुई थी और रचना ने एक पतली सी स्कर्ट और बनियान जैसी टी-शर्ट पहनी हुई थी
दिनेश ने रचना को घर भरपूर नजर से देखते हुए कहा कि तुझे तो पता है मैं अंडरवियर में ही ज्यादा कंफर्टेबल फील करता हूं सिर्फ जींस उतार देता हूं तो आराम से बैठ जाऊंगा
ठीक है भाई जैसे तेरा मन करें जैसे बैठ अंडरवियर पहनना है तो ठीक है, अगर मन करे तो चाहे अंडरवियर भी उतार दे मुझे कोई एतराज नहीं है
दिनेश ने थोड़ा शर्माने की एक्टिंग करते हुए कहा यह तो गलत बात होगी कि मैं अपनी बहन के सामने बिल्कुल नंगा हो जाऊं और बहन ढकी छुपी बैठी रहे
रचना ने स्कर्ट का घेरा पकड़कर थोड़ा ऊपर किया और बोली इस में क्या छुपता है उठते बैठते तो तू मेरी स्कर्ट के अंदर झांकता ही रहता है और अपना भी तना हुआ लोड़ा मेरे को दिखाता रहता है
मैं तो मैं, मां भी तेरे तने हुए लंड को देखकर मस्त हो जाती है दिनेश एकदम चौंका और बोला तुझे कैसे पता?
रचना बोली: भाई मैं भी जवान हूं!! मुझे भी पता है कि तू, मेरे और मम्मी को ताड़ता है और मौका मिलते ही हमारे मम्मे फूटने की कोशिश में लगा रहता है और तेरा भी क्या कसूर पापा भी तो मौका मिलते ही मेरी उभरी हुई गांड और टॉप के अंदर से छलकते हुए मम्मों को देख कर अपना लंड लोड़ा मसलते रहते हैं
बहन की यह बातें सुनकर दिनेश अपने आपको अपनी बहन के सामने नंगा महसूस कर रहा था पर अब उसे शर्म की जगह उत्तेजना चढ़ने लगी थी

दिनेश सोफे पर वापस जाकर बैठ गया। "उस रात के बारे में क्या तुझे याद है जब मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रही था और तूने मुझे बताया कि तेरी स्कर्ट मैं से तेरे चूतड़ बहुत बड़े दिख रहेहै?
दिनेश ने उसे एक दिलकश निगाह के साथ देखा
तब मैंने यह भी कहा था कि तेरी गांड़ तो वैसे ही गदर ढा देती है ?" दिनेश ने बताया
"हाँ!" "ठीक ह, मैं बहुत सी बातें कहता हूँ। तेरे को उन सभी को इतनी सीरियसली लेने की ज़रूरत नहीं है।"

"तो तुम्हारा मतलब यह नहीं था?" रचना ने पूछा, उसे लगा की उसकी आवाज अपनी धार खो रही है।
दिनेश ने अपनी भौहें उठाईं और अपनी बहन को परेशान करने के लिए शर्म करने का नाटक किया।

रचना ने कहा कि मुझे पूरा यकीन है तू आज मुझे यह ब्लू फिल्म दिखा कर ठोकना चाहता है ना तू?

"ठीक है, मैं.ही तेरी इच्छा पूरी कर देती हूँ .." रचना ने आगे छलांग लगाई, उसका शरीर दिनेश के पेट पर रगड़ खा रहा था।

दिनेश पीछे झुक गया, उसका सिर आर्मरेस्ट पर था, और दिनेश अपनी बहन के मम्मों की ओर देखने लगा।
रचना ने उसकी कलाइयाँ पकड़ लीं। "छुप कर क्यों देख रहा है ले साफ साफ देख!" वह बोली और दिनेश का हाथ अपने मम्मों पर रगड़ने लगी
"तु मेरे लिए बहुत ठरकी हो रहा है " " रचना ने कहा, और उसे लुढ़का दिया।
दिनेश ने एक गहरी सांस ली और सीधे बैठ गया, उसकी पसलियों में दर्द हो रहा था। उसने उन्हें अपने हाथ से रगड़ा।
"तु चाहती हैं कि मैं दूसरी फिल्म बदल कर ले आऊं ?" उसने रचना से पूछा।
"नहीं, इसे रहने दो," उसने जवाब दिया।
दिनेश ने अपनी बहन को देखा। "क्या तु पागल हे?" "नहीं," रचना ने कहा, " अब मैं इसे देखना चाहती हूं।"

दिनेश ने अविश्वास से उसकी ओर देखा। "ठीक है, पर मैं अपनी बहन के साथ ब्लू फिल्म देखने से शर्मा रहा हूँ।" वह जाने के लिए खड़ा हुआ,
लेकिन रचना ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे फिर से सोफे पर लेटा दिया। "हाँ, तू तो अब जरूर देखेगा" उसने कहा।
"तूने इसे किराए पर लिया, अब तूझे इसे मेरे साथ देखना होगा।"
दिनेश: "क्यों?"
रचना: "क्योंकि मैंने ऐसा कहा था।"
दिनेश ने रचना को देखा, पूरी तरह से हैरान था, लेकिन कोशिश करे बगैर इस मोके को छोड़ना व्यर्थ था।
ब्लू फिल्म रोमांचक था, और इसे अपनी बहन के साथ देखने के बारे में कुछ ऐसा था जिसने इसे और भी ज्यादा उत्तेजक बना दिया था
रचना ने सोफे पर अपनी स्थिति को ए डजस्ट किया और अपनी बाहों से खुद को भाई के गले लगा लिया। "मुझे ठंड लग रही हे ," उसने कहा।
"तुम्हें एक कंबल चाहिए?" दिनेश ने पूछा।
रचना : "हाँ, भाई ले आ ।"
दिनेश कमरे से निकल गया और एक कंबल लेकर लौटा, जिसे उसने अपनी बहन के ऊपर डाल दिया "मेरे प्यारे भाई कहकर उसने कंबल अपने चारों ओर लपेट लिया और लेट गई, उसके पैर सोफे के कोने तक पहुँच गए।

"मैं कहाँ बैठू ?" दिनेश ने पूछा, वह सोच रहा था कि क्या उसे बहन के साथ लेटने का चांस लेना चाहिए।
"तू मेरे साथ लेट सकता हैं," रचना ने उत्तर दिया।
"मैं तुम्हारे साथ नहीं लेटूँगा ," दिनेश ने कहा।
"ऐसे बच्चे मत बनो"रचना ने कहाऔर उम्मीद से अपने भाई की ओर देखने लगी।
टेलीविजन की रोशनी में उसकी आंखें ठरकी हो रहीं थीं।
दिनेश लगभग उन आँखों में संभोग की प्यास देख सकता था। उसने आह भरी और सोफे के ऊपर चढ़कर रचना के पीछे लेट गया।
"तू क्या कर रहा हे ?" रचना ने पूछा।
"हुह?"
"तू पीछे की ओर मुझे क्यों देख रही है ? घूमो और फिल्म को देखो।'' दिनेश ने उत्तर दिया ''उह...मैं तेरा चूतड़ बहुत नर्म है।''

रचना : ''क्यों नहीं होगा मेरा प्यार स्वीट भाई मेरी गाँड़ को जो ताड़ता रहता है'
'क्यों?'' ''सिर्फ इसलिए'' दिनेश ने कहा,
और फिर रचना कसमसाई । तेरा लोडा बहुत गरम हो रहा है डंडे जैसा सख्त ?" रचना ने आश्चर्य और जिज्ञासा से देखते हुए पूछा।
"क्या?" दिनेश ने चौंकाते हुए पूछा। "क्या तूझे मेरा लोडा हमेशा ही तेरी गांड के लिए खड़ा नहीं दिखता ? घर मैं जब मम्मी होती है तब तो छिपाना मुश्किल लगता है

रचना: उहूं छिपाना बल्कि मम्मी को देखकर तो तेरा लन और कठोर हो जाता है और मम्मी भी तेरे डंडे को देखकर मस्त हो जाती है ?" रचना ने बताया ।
"तू सच कह रही है?
मुझसे यह नहीं पूछ!!! रचना ने जवाब दिया,
"क्यों नहीं?" दिनेश ने कहा।
"क्योंकि मैं तेरी बहन हुं ।"

बहन!!! जो भाई का लंड खाने को तैयार बैठी है
बहन ही नहीं, माँ भी!!!! रचना बोली
माँ की चुत की कल्पना करके दिनेश का लोडा फुफकारने लगा था

रचना ने भी भाई के लोडे के झटके महसूस करके अपनी गाँड़ सेट की और बोली "बिल्कुल सही।
तो तुझे शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। चलो, घूमो।" दिनेश ने जोर से आह भरी और पलटा, जिससे वह टेलीविजन के सामने मुँह करके लेटा था।
"वाह," रचना ने कहा। "कोई मेरी चूतड़ देखकर खुश है।"
"चुप रह," दिनेश ने उत्तर दिया। उसका लंड रचना के पिछवाड़े को छू रहा था.
रचना हँस पड़ी। उसने कहा, "इतना शर्मीला मत बन,"
दिनेश ने विरोध किया। "मैं एक साधु नहीं हूं।"
"फिर आगे बढ़ो," रचना ने कहा।
दिनेश के शरीर को अपने बदन और सोफे के बीच कुचलते हुए रचना पीछे लेटे भाई को और दबाती रही लंड पर झूलती रही।

भाई अपने खड़े लोडे को अपनी बहन के चूतड़ों के गालों के बीच मजबूती से दबा हुआ महसूस कर रहा था "रचना!" दिनेश रोया। आज मुझे दे देगी ना
"देखो," रचना ने कहा, "तू एक समझदार भाई है।" "क्या तू आगे बढना चाहता है,
दिनेश: तू बता!
" "नहीं," रचना ने दृढ़ता से उत्तर दिया। "बस फिल्म देखें।
" दिनेश चुप हो गया, वह इस तथ्य से अवाक था कि उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं था।
रचना ने अपना गाल अपने हाथों पर टिका लिया और बिना हिले-डुले टीवी देखती रही। स्क्रीन पर चीजों को गर्म होने में और दिनेश के लौड़े को और ज्यादा सख्त होने में देर नहीं लगी,
उसका मूसल अपने आसपास अपनी बहन के नितम्बों के गालों पर दबाव डालता रहा।
"क्या तुझे मेरे स्तन पसंद हैं?" रचना ने उससे पूछा।
दिनेश ने स्क्रीन पर देखा, जहां एक गोरी औरत एक लड़के के लंड पर उछल रही थी। वह अपनी बहन के सवाल से चौंक गया था। "मुझे नहीं पता," उसने जवाब दिया।

"मेरे इतना बड़े नहीं है," रचना ने कहा।
फिर भी बहुत मजेदार हैं दिनेश ने सोचा और बोला : छोटे नींबू मेरे से मसलवा लेगी तो संतरे बन जाएंगे
वह अपनी बहन के स्तनों के उल्लेख व ऐसा कहने के लिए बहुत उत्तेजित था।
"वाह," रचना ने कहा, : स्क्रीन पर महिला ने पुरुष के लंड को अपनी चूत से बाहर निकाला और फिर झुककर उसके लौड़े को अपने स्तनों के बीच में रगड़ने लगी, "क्या गोरे हमेशा ही लंड चूसते और चूत चाटने में विश्वास रखते हैं ?"
"मैं- मुझे नहीं पता।" मैंने तुम मम्मी पापा को कभी भी ऐसा करते नहीं देखा कहकर रचना दिनेश के लंड पर लुढ़क गई।
"क्या तू लौड़ा चूसना पसंद करेगी ?" उसने पूछा।
"तू मुझसे मजाक कर रहा है।"
"तू फिर से समझदार हो रहा हैं, दिनेश।"
"हम कोशिश क्यों नहीं करते जो वह भाई बहन फिल्म में कर रहे हैं ?" दिनेश ने रचना से पूछा।
दिनेश को उसने गुस्से से देखा। उसका चेहरा उससे केवल इंच दूर था। "तू किस बारे में बात कर रहे हैं?" "सेक्स," रचना ने कहा।
"हम इसे क्यों नहीं आजमाते?" दिनेश ने उत्तर दिया। ".यह मजेदार होगा। क्या तू ने इसे पहले कभी किया है?"
"नहीं ... लेकिन वह बात नहीं है।" "फिर क्या बात है?"
"तू मेरी बहन हो।"
"तो?"
"तो यह गलत है।" मुझे पता है कि तू मुझे चोदना चाहता है, "रचना ने कहा। "तू चट्टान की तरह कठोर हो और तू पहले मेरे चूतड़ों में अपना लौड़ा पीस रहा है ।"
"तू भी कभी मुझे भाव नहीं देती," दिनेश ने आह भरी।
"और तू एक ठरकी भाई है" रचना ने कहा।
"अब, चलो - कोशिश करते हैं।" अचानक उसके हाथ दिनेश की ज़िप पर थे। "रचना!" दिनेश ने नकली विरोध किया, हालांकि उसके शरीर ने कोई आपत्ति नहीं उठाई थी।
वाह, ”रचना ने कहा, और दिनेश के अंडरवियर पर अपनी हथेली रगड़ दी। "देखा कि तू कितना ठरकी है" "पापा से भी ज्यादा " रचना ने कहा।
"क्या तू अपने लौड़े को राहत नहीं देना चाहता?"
"मैं करूँगा - बाथरूम में।"
"यह हम साथ-साथ करेंगे तो बेहतर होगा," रचना ने कहा। "अगर तू चाहो तो मैं तुम्हें अपने मम्मे दिखाऊंगी।"

बहन के हाथ के नीचे दिनेश का लंड फड़क गया। "ओह," रचना ने चहकते हुए कहा, "मुझे लगता है कि वह जाग रहा है।" वह हँसी।
दिनेश अब विरोध नहीं कर सकता था क्योंकि उसकी बहन ने उसके बॉक्सर शॉर्ट्स से उसका लौड़ा निकाला और अपनी उंगलियों को उसके चारों ओर लपेट दिया। "मजा आ गया, यह बहुत गर्म है," रचना ने कहा। "क्या यह हमेशा इतना गर्म होता है?"
दिनेश ने बोलने से पहले कई बार बोलने की कोशिश की। "मुझे नहीं पता।"
"तू ज्यादा नहीं जानता, है ना?" रचना ने पूछा। वह अपने हाथ की हथेली से दिनेश के शाफ्ट को धीरे से सहला रही थी, उसके शरीर के माध्यम से खुशी की लहरें भेज रही थी।
"क्या तू मेरी स्कर्ट उतारेगा या मुझे यह करना होगा?" रचना ने पूछा।
दिनेश ने उसकी बात पर ध्यान ना दे कर अपने शरीर में तोड़ रही मस्ती पर झूमता रहा
रचना ने आह भरी और खुद करने लगी। वह सीधी हुई और उसकी ओर फिर से देखने लगी। "मैं इसे अंदर डलवाऊंगी, ठीक है?"

दिनेश ने सिर हिलाया। दिनेश के लंड को अपने हाथ में मजबूती से पकड़कर, रचना ने अपने कूल्हों को तब तक आगे बढ़ाया जब तक कि दिनेश का सिर उसके भट्ठे सी भभकती चूत के सामने नहीं हो गया। फिर उसने एक जोरदार धक्का मार दिया
"ओह, आह अह्हा," उसने कहा, दोनों भाई बहन हैरान थे कि सब काम अपने आप ही हो रहा था। उसने अपनी चूत के होठों को अपने लम्बी अंगुलियों से फैलाया और दिनेश के लंबे डंडे को अंदर कर लिया। "ओउ," उसने कहा, रुकते हुए, "ओउ, ओउ, ओउ।" उसने दिनेश की छाती पर हाथ रखा और गहरी सांस ली।
"क्या है?" दिनेश ने पूछा।
"यहां दर्द होता है," रचना ने कहा।
"मैं इसे निकाल लूं।"
"नहीं!" रचना ने तीखा जवाब दिया। "इसे अंदर जाने दो। बस एक मिनट रुको।"


जब तक दर्द कम नहीं हो गया, तब तक उसने गहरी सांस ली, और फिर दर्द की जगह उसकी योनि में एक स्पंदनात्मक आनंद की अनुभूति हुई। उसे लगा जैसे वह अंदर से भरी हुई है। "ठीक है," उसने कहा। "अब तू मुझे चोद सकते हो।
एक फुसफुसाहट के साथ, दिनेश ने अपने कूल्हों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया और फिर उन्हें वापस ले लिया।
"इससे भी तेज," रचना ने कहा।
दिनेश ने रफ्तार तेज की।
"ओह, गॉड," रचना ने खुशी के झटके महसूस करते हुए कहा। उसने दिनेश की गर्दन के पिछले हिस्से को पकड़ लिया और अपने पैरों को उसकी कमर के चारों ओर घुमा दिया। । यह तो बहुत अच्छा है।" दिनेश कराह उठा। रचना ने अपने भाई के माथे पर अपना माथा टिका लिया और नीचे उसकी कमर के ऊपर नाचते हुए उछलने लगी।
"मैंने तूझ से कहा था कि तू मुझे चोदना चाहते हो," उसने कहा।
"तू अविश्वसनीय हो," दिनेश ने उत्तर दिया।
रचना ने कहा, "तू मेरे लिए भी अच्छे हो।"
"हमें जब भी मौका मिले चुदाई कर लेनी चाहिए ।
दिनेश के चिल्लाने पर वह हंस पड़ी। जल्द ही रचना भी कराह रही थी।
"मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि यह कितना अच्छा लगता है," उसने कहा। "तुझे बहुत पहले एक ब्लू फिल्म किराए पर लेना चाहिए था।"
वह उसके कूल्हों की स्थिर गति में आराम कर रही थी, दिनेश का लंड उसके अंदर और बाहर फिसल रहा था जैसे कि आनंद का भौतिक रूप। वह इसे धीमी गति से ले रहा था, जिसके लिए वह आभारी थी, क्योंकि इसने उसे उन भावनाओं का स्वाद लेने का समय दिया जो वह अनुभव कर रही थीं।
रचना ने कहा, "यह खुद उंगली करने से या बैंगन अंदर करने से कहीं ज्यादा बेहतर है।"


"तू रोज उंगली करती है?" दिनेश ने पूछा।
"कभी-कभी," रचना ने कहा।
"क्या तू मेरे को याद करते करते उंगली करती है?" "कभी-कभी।" दिनेश ने पूछा
नहीं कभी पापा और कभी तेरा लौड़ा सोचकर गाजर-मूली अंदर लेती हूं: रचना ने कहा
चल झूठी!!! पापा का बुढ़ापे वाला लंड तो मम्मी भी नहीं याद करती

रचना ने उसकी ओर संदेह से देखा और पूछा, तुझे कैसे पता

दिनेश : मैंने मां को पापा से चुदने समय विनोद खन्ना की कल्पना करते सुना है अब तुम सच बता

"ठीक है, हर समय तेरा मूसल ही याद करती हूं।" क्या तू ने कभी मेरे बारे में सोचा?
"नहीं," दिनेश ने जवाब दिया।
"तू झूठ बोल रहे हो," रचना ने मुस्कुराते हुए कहा। “जब भी मैं बिकिनी पहनती हूँ तो तुम्हारी आँखें मेरी गांड पर चिपक जाती हैं। और मैंने तुम्हें भी मेरे स्तनों को देखते हुए देखा है। मुझे यकीन है कि जब जब तूझे ठरक आती है तो तू मेरी छातियों को चूसने के बारे में सोचता है, है ना?
दिनेश ने अपनी बहन की पीठ के निचले हिस्से को पकड़ने के लिए उसके चारों ओर एक हाथ सरका दिया क्योंकि उसने अपना लौड़ा उसके अंदर आगे बढ़ाना था "और तू क्या सोचती है मैं मम्मी का ख्याल नहीं रखता हूं, हां यह सच है कि मैंने मम्मी के बारे में कभी तेरे से ज्यादा नहीं सोचा?"
रचना ने दिनेश की बात को सुनकर अपनी जवानी और सेक्स अपील पर गर्व किया और ज्यादा उत्तेजित हो गई

"एक बार," रचना ने कहा। "या शायद बहुत बार। लेकिन मुझे याद है जब हम समुद्र तट पर थे, और मैंने तेरे शॉर्ट्स और एब्स में उभार देखा तो कई दिनों तक तेरे बारे में सोच कर हस्तमैथुन किया है'' '
'मेरी सैक्सी बहन कहकर दिनेश' अपनी बहन के नंगे मम्मे मसलने लगा।
''ओह, फिर से करो,'' रचना ने कहा।
दिनेश ने उसके अनुरोध पर अमल किया। "जब मैं अपने कमरे में वापस आई," रचना ने अपनी कहानी जारी रखी, "मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए खुद को उँगलियों में डाल दिया।"
"और मैं क्या कर रहा था?" तुझे याद करके अपनी उंगलियों पर तेरा नाम लिखकर, बहुत ज्यादा ठरक से मुठ मारी रहा था।" दिनेश ने चिल्लाया और आगे बोला कहा, "मैं झड़ने के करीब हूँ "मैं बाहर निकाल लूंगा।"
"नहीं," रचना ने कहा। "मैं नहीं चाहती कि तू बाहर निकाले।" "मुझे वीर्यपात अंदर महसूस करना है!" "नहीं, तू निकाल नहीं। बस मेरे अंदर डाल"

"तेरी चूत के अंदर?"

"हाँ। मैं इसे महसूस करना चाहती हूं।

”दिनेश झड़ने वाला था उसने रोकने की बहुत कोशिश की, पर उसके शरीर ने परवाह नहीं की। "रचना, मैं नहीं रुक सकता।"
"हाँ, तू मेरे अंदर झड़ सकता हैं," रचना ने उत्तर दिया। "मेरी चूत के अंदर डाल।"
"मैं- मैं झड़ रहा हूँ ..."
जोर से कर," रचना ने अपने भाई से आग्रह किया। "मेरे अंदर झड़। मैं भी झड़ने वाली हूँ।" उसने उसे कसकर पकड़ लिया।अचानक, वे दोनों एक साथ गहरी सांसें भरने लगे क्योंकि उनके कामोत्तेजना ने उन्हें जकड़ लिया था।
रचना ने महसूस किया कि उसके भाई का गर्म वीर्य उसकी योनि में छिटक रहा है, उसकी योनी को गर्म कर रहा है और दिनेश के लंड के चारों ओर बह रहा है।
दिनेश का जहां तक जा सकता था वहां तक गया और अपनी बहन की चूत में वीर्य के धार के बाद धार मार कर खाली कर दिया।



"ओह, भगवान, हाँ," रचना सिसकारियां ले रही थी। "मुझे चोदो, मुझे चोदो।" दिनेश ने अपना वीर्य रचना की चूत के अंदर तब तक फैलाना जारी रखा जब तक कि ज्वार धीमा और रुक नहीं गया। आनंद की भावना को लम्बा करने के लिए उसने अपने लंड को कई बार अंदर और बाहर खिसकाया। रचना का संभोग लंबे समय तक चला; "ओह, माय गॉड, दिनेश," बहन चिल्लाई। "मेरे अंदर । मुझे यह सब चाहिए। ”दिनेश ने अपने लंड को उत्तेजित रखने की कोशिश की, लेकिन वह तेजी से नरम हो रहा था। रचना की चीख निकल गई और उसने उसे देखने के लिए अपनी आँखें खोलीं। "झक्कास !" वह बोली। "यह अविश्वसनीय था।" "मुझे पता है," दिनेश ने कहा। "क्या तू जानते हैं कि मेरे अंदर अपने भाई का लंड होना कितना अच्छा लगता है?
" दिनेश बिना रुके हंस पड़ा। "यह वास्तव में अच्छा लगता है। मुझे लगता है कि तू फिल्म के लड़के से भी ज्यादा वीर्य फैलाए।" रचना ने अपना सिर स्क्रीन पर घुमाया, दिनेश का लंड अभी भी उसके होठों के बीच में था। "ओह," उसने कहा, "चलो इसे आगे की कोशिश करते हैं।" दिनेश ने देखा कि एक काले बाल वाली महिला अपने घुटनों पर बैठी है, एक लम्बे लड़के का लंड अपने मुँह में चूस रही है। उसका दिल ठिठकने लगा। रचना व्यापक रूप से मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ी। "कब तक तू फिर से अपना डंडा खड़ा कर सकता है?" मुझे फिर से चुदवाना है...
 

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Bahut hi mast update bhai.Bahut hi pyara chudai bhara update.
 
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I had read one English incest story posting here after lot of changes as part of Goa saga, perhaps can be seen as first sex between the bro sis we have met

"दिनेश!" टीवी पर हैरान दृष्टि व गुस्से भरी आँखों से अपने भाई को देखते हुए रचना चिल्लाई। "मादरचोद कमीने!" फिर वह सोफे पर आगे की ओर झुककर अपने भाई को मुक्के मारने लगी।

"मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि तूने मुझे दिखाने के लिए ब्लू फिल्म किराए पर ली है!" तुझे शर्म नहीं आईअपनी जवान बहन को ब्लू फिल्म दिखा कर उसको उत्तेजित करके तुम उसे चोदने का मंसूबा बना कर बैठा है

"आउ! रुक जा मेरी प्यारी बहन !" दिनेश ने अपनी बहन के उस पर हो रहे प्रहारों को रोकने की पूरी कोशिश की। "ओउ! मुझे मारना बंद कर

”रचना थोड़ी देर के लिए शांत हो गई, अपनी मुट्ठी नीचे कर ली और अपने भाई को गुस्से से देखा।

"तू ने एक ब्लू फिल्म किराए पर ली है, बहनचोद" मां से तेरी शिकायत करके तुझे मजा दिखाऊंगी

सच में मेरी बहन"मुझे नहीं पता था इस कवर के अंदर ब्लू फिल्म है," दिनेश ने विरोध किया,

"मैं कसम खाता हूँ - मुझे नहीं पता था कि यह ब्लू फिल्म है । कवर को देखो।" उसने टेलीविजन के बगल में फर्श पर पड़े डीवीडी कवर की ओर इशारा किया, उसका दूसरा हाथ अभी भी उसके चेहरे के चारों ओर से ढक रहा था, दिनेश अपनी बहन के किसी भी वार से बचाव के लिए तैयार था।

रचना ने संकुचित आँखों से उसे देखा और उसने फेंके गए कवर की ओर देखा। वह उठ खड़ी हुई और उसे लेकर पढ़ने लगी आखिरकार उसका संदेह दूर हो गया
"स्लीपलेस इन सिएटल," उसने पढ़ा, फिर मुड़कर उत्सुकता से अविश्वास के साथ, दिनेश की ओर देखा "तू ने इसे किराए पर क्यों लिया?"

दिनेश ने सिर हिलाया। मैंने इसे पहले देखा था।" "मुझे पता है।" "मैंने सोचा था कि तू इसे पसंद करेगी।" "

रचना ने अपनी आँखें और भी सिकोड़ लीं। "तू ऐसी फिल्म क्यों लाया जो मुझे पसंद है?"तू तो मेरे लिए पानी का गिलास भी नहीं देता है और आज मम्मी पापा घर पर नहीं है तो तू मुझे एक इंग्लिश पिक्चर दिखाने के बहाने से ब्लू फिल्म दिखाने लगा है क्या चाहता है तू?
दिनेश बोला मुझे यह फिल्म बहुत अच्छी लगी थी इसमें भाई बहन बहुत मस्ती करते हैं तो मैं तेरे साथ यह पिक्चर देखकर खुश होना चाहता था पर इस साले दुकानदार ने अपनी मां चुदवाने के लिए मुझे ब्लू फिल्म पकड़ा दी
रचना हंस कर बोली उसकी मां क्यों चोद रहा है, तू हमेशा ब्लू फिल्म लेता होगा इसलिए उसने तुझे यह पिक्चर पकड़ा दी।
दिनेश ने कहा सच में मेरी बहन, पर आज तो दुकान पर वह नहीं था उसकी मां दुकान पर बैठी थी उसी ने मुझे एक कोने में से दबी हुई यह डीवीडी दी थी
रचना नहीं गहरी सांस ली और बोली तो यह बात है उसकी मां को पता नहीं होगा कि दुकान में ब्लू फिल्म भी होती है उसने भी सादे ढंग से तुझे यह दे दी, शुक्र है चुदाई वाली फिल्म दी अपनी लंबी कुचली चूत नहीं दी,
चल ठीक है भाई तेरी गलती नहीं है मां से तेरी शिकायत नहीं करूंगी
दिनेश ने शर्माते हुए कहा तो क्या करूं यह वापस करके दूसरी सीडी ले आऊं
रचना ने एकदम दिनेश के पीठ पर ढोल मारी और बोली रहने दे आज किस्मत में यही पिक्चर है तो यही देख लेते हैं
दिनेश कि थोड़ा मस्त हुआ और बोला तो तेरा भी मन ब्लू फिल्म देखने का था
रचना बोली स्कूल में सहेलियों के साथ तो कई बार देखी है पर आज घर अकेले में तेरे साथ बैठकर देखने का मजा कुछ और ही होगा चल रिमोट मुझे दे और तू भी ढीले ढाले कपड़े पहन कर आजा
दिनेश ने जींस और टीशर्ट पहनी हुई थी और रचना ने एक पतली सी स्कर्ट और बनियान जैसी टी-शर्ट पहनी हुई थी
दिनेश ने रचना को घर भरपूर नजर से देखते हुए कहा कि तुझे तो पता है मैं अंडरवियर में ही ज्यादा कंफर्टेबल फील करता हूं सिर्फ जींस उतार देता हूं तो आराम से बैठ जाऊंगा
ठीक है भाई जैसे तेरा मन करें जैसे बैठ अंडरवियर पहनना है तो ठीक है, अगर मन करे तो चाहे अंडरवियर भी उतार दे मुझे कोई एतराज नहीं है
दिनेश ने थोड़ा शर्माने की एक्टिंग करते हुए कहा यह तो गलत बात होगी कि मैं अपनी बहन के सामने बिल्कुल नंगा हो जाऊं और बहन ढकी छुपी बैठी रहे
रचना ने स्कर्ट का घेरा पकड़कर थोड़ा ऊपर किया और बोली इस में क्या छुपता है उठते बैठते तो तू मेरी स्कर्ट के अंदर झांकता ही रहता है और अपना भी तना हुआ लोड़ा मेरे को दिखाता रहता है
मैं तो मैं, मां भी तेरे तने हुए लंड को देखकर मस्त हो जाती है दिनेश एकदम चौंका और बोला तुझे कैसे पता?
रचना बोली: भाई मैं भी जवान हूं!! मुझे भी पता है कि तू, मेरे और मम्मी को ताड़ता है और मौका मिलते ही हमारे मम्मे फूटने की कोशिश में लगा रहता है और तेरा भी क्या कसूर पापा भी तो मौका मिलते ही मेरी उभरी हुई गांड और टॉप के अंदर से छलकते हुए मम्मों को देख कर अपना लंड लोड़ा मसलते रहते हैं
बहन की यह बातें सुनकर दिनेश अपने आपको अपनी बहन के सामने नंगा महसूस कर रहा था पर अब उसे शर्म की जगह उत्तेजना चढ़ने लगी थी

दिनेश सोफे पर वापस जाकर बैठ गया। "उस रात के बारे में क्या तुझे याद है जब मैं अपने दोस्तों के साथ बाहर जा रही था और तूने मुझे बताया कि तेरी स्कर्ट मैं से तेरे चूतड़ बहुत बड़े दिख रहेहै?
दिनेश ने उसे एक दिलकश निगाह के साथ देखा
तब मैंने यह भी कहा था कि तेरी गांड़ तो वैसे ही गदर ढा देती है ?" दिनेश ने बताया
"हाँ!" "ठीक ह, मैं बहुत सी बातें कहता हूँ। तेरे को उन सभी को इतनी सीरियसली लेने की ज़रूरत नहीं है।"

"तो तुम्हारा मतलब यह नहीं था?" रचना ने पूछा, उसे लगा की उसकी आवाज अपनी धार खो रही है।
दिनेश ने अपनी भौहें उठाईं और अपनी बहन को परेशान करने के लिए शर्म करने का नाटक किया।

रचना ने कहा कि मुझे पूरा यकीन है तू आज मुझे यह ब्लू फिल्म दिखा कर ठोकना चाहता है ना तू?

"ठीक है, मैं.ही तेरी इच्छा पूरी कर देती हूँ .." रचना ने आगे छलांग लगाई, उसका शरीर दिनेश के पेट पर रगड़ खा रहा था।

दिनेश पीछे झुक गया, उसका सिर आर्मरेस्ट पर था, और दिनेश अपनी बहन के मम्मों की ओर देखने लगा।
रचना ने उसकी कलाइयाँ पकड़ लीं। "छुप कर क्यों देख रहा है ले साफ साफ देख!" वह बोली और दिनेश का हाथ अपने मम्मों पर रगड़ने लगी
"तु मेरे लिए बहुत ठरकी हो रहा है " " रचना ने कहा, और उसे लुढ़का दिया।
दिनेश ने एक गहरी सांस ली और सीधे बैठ गया, उसकी पसलियों में दर्द हो रहा था। उसने उन्हें अपने हाथ से रगड़ा।
"तु चाहती हैं कि मैं दूसरी फिल्म बदल कर ले आऊं ?" उसने रचना से पूछा।
"नहीं, इसे रहने दो," उसने जवाब दिया।
दिनेश ने अपनी बहन को देखा। "क्या तु पागल हे?" "नहीं," रचना ने कहा, " अब मैं इसे देखना चाहती हूं।"

दिनेश ने अविश्वास से उसकी ओर देखा। "ठीक है, पर मैं अपनी बहन के साथ ब्लू फिल्म देखने से शर्मा रहा हूँ।" वह जाने के लिए खड़ा हुआ,
लेकिन रचना ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे फिर से सोफे पर लेटा दिया। "हाँ, तू तो अब जरूर देखेगा" उसने कहा।
"तूने इसे किराए पर लिया, अब तूझे इसे मेरे साथ देखना होगा।"
दिनेश: "क्यों?"
रचना: "क्योंकि मैंने ऐसा कहा था।"
दिनेश ने रचना को देखा, पूरी तरह से हैरान था, लेकिन कोशिश करे बगैर इस मोके को छोड़ना व्यर्थ था।
ब्लू फिल्म रोमांचक था, और इसे अपनी बहन के साथ देखने के बारे में कुछ ऐसा था जिसने इसे और भी ज्यादा उत्तेजक बना दिया था
रचना ने सोफे पर अपनी स्थिति को ए डजस्ट किया और अपनी बाहों से खुद को भाई के गले लगा लिया। "मुझे ठंड लग रही हे ," उसने कहा।
"तुम्हें एक कंबल चाहिए?" दिनेश ने पूछा।
रचना : "हाँ, भाई ले आ ।"
दिनेश कमरे से निकल गया और एक कंबल लेकर लौटा, जिसे उसने अपनी बहन के ऊपर डाल दिया "मेरे प्यारे भाई कहकर उसने कंबल अपने चारों ओर लपेट लिया और लेट गई, उसके पैर सोफे के कोने तक पहुँच गए।

"मैं कहाँ बैठू ?" दिनेश ने पूछा, वह सोच रहा था कि क्या उसे बहन के साथ लेटने का चांस लेना चाहिए।
"तू मेरे साथ लेट सकता हैं," रचना ने उत्तर दिया।
"मैं तुम्हारे साथ नहीं लेटूँगा ," दिनेश ने कहा।
"ऐसे बच्चे मत बनो"रचना ने कहाऔर उम्मीद से अपने भाई की ओर देखने लगी।
टेलीविजन की रोशनी में उसकी आंखें ठरकी हो रहीं थीं।
दिनेश लगभग उन आँखों में संभोग की प्यास देख सकता था। उसने आह भरी और सोफे के ऊपर चढ़कर रचना के पीछे लेट गया।
"तू क्या कर रहा हे ?" रचना ने पूछा।
"हुह?"
"तू पीछे की ओर मुझे क्यों देख रही है ? घूमो और फिल्म को देखो।'' दिनेश ने उत्तर दिया ''उह...मैं तेरा चूतड़ बहुत नर्म है।''

रचना : ''क्यों नहीं होगा मेरा प्यार स्वीट भाई मेरी गाँड़ को जो ताड़ता रहता है'
'क्यों?'' ''सिर्फ इसलिए'' दिनेश ने कहा,
और फिर रचना कसमसाई । तेरा लोडा बहुत गरम हो रहा है डंडे जैसा सख्त ?" रचना ने आश्चर्य और जिज्ञासा से देखते हुए पूछा।
"क्या?" दिनेश ने चौंकाते हुए पूछा। "क्या तूझे मेरा लोडा हमेशा ही तेरी गांड के लिए खड़ा नहीं दिखता ? घर मैं जब मम्मी होती है तब तो छिपाना मुश्किल लगता है

रचना: उहूं छिपाना बल्कि मम्मी को देखकर तो तेरा लन और कठोर हो जाता है और मम्मी भी तेरे डंडे को देखकर मस्त हो जाती है ?" रचना ने बताया ।
"तू सच कह रही है?
मुझसे यह नहीं पूछ!!! रचना ने जवाब दिया,
"क्यों नहीं?" दिनेश ने कहा।
"क्योंकि मैं तेरी बहन हुं ।"

बहन!!! जो भाई का लंड खाने को तैयार बैठी है
बहन ही नहीं, माँ भी!!!! रचना बोली
माँ की चुत की कल्पना करके दिनेश का लोडा फुफकारने लगा था

रचना ने भी भाई के लोडे के झटके महसूस करके अपनी गाँड़ सेट की और बोली "बिल्कुल सही।
तो तुझे शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। चलो, घूमो।" दिनेश ने जोर से आह भरी और पलटा, जिससे वह टेलीविजन के सामने मुँह करके लेटा था।
"वाह," रचना ने कहा। "कोई मेरी चूतड़ देखकर खुश है।"
"चुप रह," दिनेश ने उत्तर दिया। उसका लंड रचना के पिछवाड़े को छू रहा था.
रचना हँस पड़ी। उसने कहा, "इतना शर्मीला मत बन,"
दिनेश ने विरोध किया। "मैं एक साधु नहीं हूं।"
"फिर आगे बढ़ो," रचना ने कहा।
दिनेश के शरीर को अपने बदन और सोफे के बीच कुचलते हुए रचना पीछे लेटे भाई को और दबाती रही लंड पर झूलती रही।

भाई अपने खड़े लोडे को अपनी बहन के चूतड़ों के गालों के बीच मजबूती से दबा हुआ महसूस कर रहा था "रचना!" दिनेश रोया। आज मुझे दे देगी ना
"देखो," रचना ने कहा, "तू एक समझदार भाई है।" "क्या तू आगे बढना चाहता है,
दिनेश: तू बता!
" "नहीं," रचना ने दृढ़ता से उत्तर दिया। "बस फिल्म देखें।
" दिनेश चुप हो गया, वह इस तथ्य से अवाक था कि उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं था।
रचना ने अपना गाल अपने हाथों पर टिका लिया और बिना हिले-डुले टीवी देखती रही। स्क्रीन पर चीजों को गर्म होने में और दिनेश के लौड़े को और ज्यादा सख्त होने में देर नहीं लगी,
उसका मूसल अपने आसपास अपनी बहन के नितम्बों के गालों पर दबाव डालता रहा।
"क्या तुझे मेरे स्तन पसंद हैं?" रचना ने उससे पूछा।
दिनेश ने स्क्रीन पर देखा, जहां एक गोरी औरत एक लड़के के लंड पर उछल रही थी। वह अपनी बहन के सवाल से चौंक गया था। "मुझे नहीं पता," उसने जवाब दिया।

"मेरे इतना बड़े नहीं है," रचना ने कहा।
फिर भी बहुत मजेदार हैं दिनेश ने सोचा और बोला : छोटे नींबू मेरे से मसलवा लेगी तो संतरे बन जाएंगे
वह अपनी बहन के स्तनों के उल्लेख व ऐसा कहने के लिए बहुत उत्तेजित था।
"वाह," रचना ने कहा, : स्क्रीन पर महिला ने पुरुष के लंड को अपनी चूत से बाहर निकाला और फिर झुककर उसके लौड़े को अपने स्तनों के बीच में रगड़ने लगी, "क्या गोरे हमेशा ही लंड चूसते और चूत चाटने में विश्वास रखते हैं ?"
"मैं- मुझे नहीं पता।" मैंने तुम मम्मी पापा को कभी भी ऐसा करते नहीं देखा कहकर रचना दिनेश के लंड पर लुढ़क गई।
"क्या तू लौड़ा चूसना पसंद करेगी ?" उसने पूछा।
"तू मुझसे मजाक कर रहा है।"
"तू फिर से समझदार हो रहा हैं, दिनेश।"
"हम कोशिश क्यों नहीं करते जो वह भाई बहन फिल्म में कर रहे हैं ?" दिनेश ने रचना से पूछा।
दिनेश को उसने गुस्से से देखा। उसका चेहरा उससे केवल इंच दूर था। "तू किस बारे में बात कर रहे हैं?" "सेक्स," रचना ने कहा।
"हम इसे क्यों नहीं आजमाते?" दिनेश ने उत्तर दिया। ".यह मजेदार होगा। क्या तू ने इसे पहले कभी किया है?"
"नहीं ... लेकिन वह बात नहीं है।" "फिर क्या बात है?"
"तू मेरी बहन हो।"
"तो?"
"तो यह गलत है।" मुझे पता है कि तू मुझे चोदना चाहता है, "रचना ने कहा। "तू चट्टान की तरह कठोर हो और तू पहले मेरे चूतड़ों में अपना लौड़ा पीस रहा है ।"
"तू भी कभी मुझे भाव नहीं देती," दिनेश ने आह भरी।
"और तू एक ठरकी भाई है" रचना ने कहा।
"अब, चलो - कोशिश करते हैं।" अचानक उसके हाथ दिनेश की ज़िप पर थे। "रचना!" दिनेश ने नकली विरोध किया, हालांकि उसके शरीर ने कोई आपत्ति नहीं उठाई थी।
वाह, ”रचना ने कहा, और दिनेश के अंडरवियर पर अपनी हथेली रगड़ दी। "देखा कि तू कितना ठरकी है" "पापा से भी ज्यादा " रचना ने कहा।
"क्या तू अपने लौड़े को राहत नहीं देना चाहता?"
"मैं करूँगा - बाथरूम में।"
"यह हम साथ-साथ करेंगे तो बेहतर होगा," रचना ने कहा। "अगर तू चाहो तो मैं तुम्हें अपने मम्मे दिखाऊंगी।"

बहन के हाथ के नीचे दिनेश का लंड फड़क गया। "ओह," रचना ने चहकते हुए कहा, "मुझे लगता है कि वह जाग रहा है।" वह हँसी।
दिनेश अब विरोध नहीं कर सकता था क्योंकि उसकी बहन ने उसके बॉक्सर शॉर्ट्स से उसका लौड़ा निकाला और अपनी उंगलियों को उसके चारों ओर लपेट दिया। "मजा आ गया, यह बहुत गर्म है," रचना ने कहा। "क्या यह हमेशा इतना गर्म होता है?"
दिनेश ने बोलने से पहले कई बार बोलने की कोशिश की। "मुझे नहीं पता।"
"तू ज्यादा नहीं जानता, है ना?" रचना ने पूछा। वह अपने हाथ की हथेली से दिनेश के शाफ्ट को धीरे से सहला रही थी, उसके शरीर के माध्यम से खुशी की लहरें भेज रही थी।
"क्या तू मेरी स्कर्ट उतारेगा या मुझे यह करना होगा?" रचना ने पूछा।
दिनेश ने उसकी बात पर ध्यान ना दे कर अपने शरीर में तोड़ रही मस्ती पर झूमता रहा
रचना ने आह भरी और खुद करने लगी। वह सीधी हुई और उसकी ओर फिर से देखने लगी। "मैं इसे अंदर डलवाऊंगी, ठीक है?"

दिनेश ने सिर हिलाया। दिनेश के लंड को अपने हाथ में मजबूती से पकड़कर, रचना ने अपने कूल्हों को तब तक आगे बढ़ाया जब तक कि दिनेश का सिर उसके भट्ठे सी भभकती चूत के सामने नहीं हो गया। फिर उसने एक जोरदार धक्का मार दिया
"ओह, आह अह्हा," उसने कहा, दोनों भाई बहन हैरान थे कि सब काम अपने आप ही हो रहा था। उसने अपनी चूत के होठों को अपने लम्बी अंगुलियों से फैलाया और दिनेश के लंबे डंडे को अंदर कर लिया। "ओउ," उसने कहा, रुकते हुए, "ओउ, ओउ, ओउ।" उसने दिनेश की छाती पर हाथ रखा और गहरी सांस ली।
"क्या है?" दिनेश ने पूछा।
"यहां दर्द होता है," रचना ने कहा।
"मैं इसे निकाल लूं।"
"नहीं!" रचना ने तीखा जवाब दिया। "इसे अंदर जाने दो। बस एक मिनट रुको।"


जब तक दर्द कम नहीं हो गया, तब तक उसने गहरी सांस ली, और फिर दर्द की जगह उसकी योनि में एक स्पंदनात्मक आनंद की अनुभूति हुई। उसे लगा जैसे वह अंदर से भरी हुई है। "ठीक है," उसने कहा। "अब तू मुझे चोद सकते हो।
एक फुसफुसाहट के साथ, दिनेश ने अपने कूल्हों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया और फिर उन्हें वापस ले लिया।
"इससे भी तेज," रचना ने कहा।
दिनेश ने रफ्तार तेज की।
"ओह, गॉड," रचना ने खुशी के झटके महसूस करते हुए कहा। उसने दिनेश की गर्दन के पिछले हिस्से को पकड़ लिया और अपने पैरों को उसकी कमर के चारों ओर घुमा दिया। । यह तो बहुत अच्छा है।" दिनेश कराह उठा। रचना ने अपने भाई के माथे पर अपना माथा टिका लिया और नीचे उसकी कमर के ऊपर नाचते हुए उछलने लगी।
"मैंने तूझ से कहा था कि तू मुझे चोदना चाहते हो," उसने कहा।
"तू अविश्वसनीय हो," दिनेश ने उत्तर दिया।
रचना ने कहा, "तू मेरे लिए भी अच्छे हो।"
"हमें जब भी मौका मिले चुदाई कर लेनी चाहिए ।
दिनेश के चिल्लाने पर वह हंस पड़ी। जल्द ही रचना भी कराह रही थी।
"मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि यह कितना अच्छा लगता है," उसने कहा। "तुझे बहुत पहले एक ब्लू फिल्म किराए पर लेना चाहिए था।"
वह उसके कूल्हों की स्थिर गति में आराम कर रही थी, दिनेश का लंड उसके अंदर और बाहर फिसल रहा था जैसे कि आनंद का भौतिक रूप। वह इसे धीमी गति से ले रहा था, जिसके लिए वह आभारी थी, क्योंकि इसने उसे उन भावनाओं का स्वाद लेने का समय दिया जो वह अनुभव कर रही थीं।
रचना ने कहा, "यह खुद उंगली करने से या बैंगन अंदर करने से कहीं ज्यादा बेहतर है।"


"तू रोज उंगली करती है?" दिनेश ने पूछा।
"कभी-कभी," रचना ने कहा।
"क्या तू मेरे को याद करते करते उंगली करती है?" "कभी-कभी।" दिनेश ने पूछा
नहीं कभी पापा और कभी तेरा लौड़ा सोचकर गाजर-मूली अंदर लेती हूं: रचना ने कहा
चल झूठी!!! पापा का बुढ़ापे वाला लंड तो मम्मी भी नहीं याद करती

रचना ने उसकी ओर संदेह से देखा और पूछा, तुझे कैसे पता

दिनेश : मैंने मां को पापा से चुदने समय विनोद खन्ना की कल्पना करते सुना है अब तुम सच बता

"ठीक है, हर समय तेरा मूसल ही याद करती हूं।" क्या तू ने कभी मेरे बारे में सोचा?
"नहीं," दिनेश ने जवाब दिया।
"तू झूठ बोल रहे हो," रचना ने मुस्कुराते हुए कहा। “जब भी मैं बिकिनी पहनती हूँ तो तुम्हारी आँखें मेरी गांड पर चिपक जाती हैं। और मैंने तुम्हें भी मेरे स्तनों को देखते हुए देखा है। मुझे यकीन है कि जब जब तूझे ठरक आती है तो तू मेरी छातियों को चूसने के बारे में सोचता है, है ना?
दिनेश ने अपनी बहन की पीठ के निचले हिस्से को पकड़ने के लिए उसके चारों ओर एक हाथ सरका दिया क्योंकि उसने अपना लौड़ा उसके अंदर आगे बढ़ाना था "और तू क्या सोचती है मैं मम्मी का ख्याल नहीं रखता हूं, हां यह सच है कि मैंने मम्मी के बारे में कभी तेरे से ज्यादा नहीं सोचा?"
रचना ने दिनेश की बात को सुनकर अपनी जवानी और सेक्स अपील पर गर्व किया और ज्यादा उत्तेजित हो गई

"एक बार," रचना ने कहा। "या शायद बहुत बार। लेकिन मुझे याद है जब हम समुद्र तट पर थे, और मैंने तेरे शॉर्ट्स और एब्स में उभार देखा तो कई दिनों तक तेरे बारे में सोच कर हस्तमैथुन किया है'' '
'मेरी सैक्सी बहन कहकर दिनेश' अपनी बहन के नंगे मम्मे मसलने लगा।
''ओह, फिर से करो,'' रचना ने कहा।
दिनेश ने उसके अनुरोध पर अमल किया। "जब मैं अपने कमरे में वापस आई," रचना ने अपनी कहानी जारी रखी, "मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए खुद को उँगलियों में डाल दिया।"
"और मैं क्या कर रहा था?" तुझे याद करके अपनी उंगलियों पर तेरा नाम लिखकर, बहुत ज्यादा ठरक से मुठ मारी रहा था।" दिनेश ने चिल्लाया और आगे बोला कहा, "मैं झड़ने के करीब हूँ "मैं बाहर निकाल लूंगा।"
"नहीं," रचना ने कहा। "मैं नहीं चाहती कि तू बाहर निकाले।" "मुझे वीर्यपात अंदर महसूस करना है!" "नहीं, तू निकाल नहीं। बस मेरे अंदर डाल"

"तेरी चूत के अंदर?"

"हाँ। मैं इसे महसूस करना चाहती हूं।

”दिनेश झड़ने वाला था उसने रोकने की बहुत कोशिश की, पर उसके शरीर ने परवाह नहीं की। "रचना, मैं नहीं रुक सकता।"
"हाँ, तू मेरे अंदर झड़ सकता हैं," रचना ने उत्तर दिया। "मेरी चूत के अंदर डाल।"
"मैं- मैं झड़ रहा हूँ ..."
जोर से कर," रचना ने अपने भाई से आग्रह किया। "मेरे अंदर झड़। मैं भी झड़ने वाली हूँ।" उसने उसे कसकर पकड़ लिया।अचानक, वे दोनों एक साथ गहरी सांसें भरने लगे क्योंकि उनके कामोत्तेजना ने उन्हें जकड़ लिया था।
रचना ने महसूस किया कि उसके भाई का गर्म वीर्य उसकी योनि में छिटक रहा है, उसकी योनी को गर्म कर रहा है और दिनेश के लंड के चारों ओर बह रहा है।
दिनेश का जहां तक जा सकता था वहां तक गया और अपनी बहन की चूत में वीर्य के धार के बाद धार मार कर खाली कर दिया।



"ओह, भगवान, हाँ," रचना सिसकारियां ले रही थी। "मुझे चोदो, मुझे चोदो।" दिनेश ने अपना वीर्य रचना की चूत के अंदर तब तक फैलाना जारी रखा जब तक कि ज्वार धीमा और रुक नहीं गया। आनंद की भावना को लम्बा करने के लिए उसने अपने लंड को कई बार अंदर और बाहर खिसकाया। रचना का संभोग लंबे समय तक चला; "ओह, माय गॉड, दिनेश," बहन चिल्लाई। "मेरे अंदर । मुझे यह सब चाहिए। ”दिनेश ने अपने लंड को उत्तेजित रखने की कोशिश की, लेकिन वह तेजी से नरम हो रहा था। रचना की चीख निकल गई और उसने उसे देखने के लिए अपनी आँखें खोलीं। "झक्कास !" वह बोली। "यह अविश्वसनीय था।" "मुझे पता है," दिनेश ने कहा। "क्या तू जानते हैं कि मेरे अंदर अपने भाई का लंड होना कितना अच्छा लगता है?
" दिनेश बिना रुके हंस पड़ा। "यह वास्तव में अच्छा लगता है। मुझे लगता है कि तू फिल्म के लड़के से भी ज्यादा वीर्य फैलाए।" रचना ने अपना सिर स्क्रीन पर घुमाया, दिनेश का लंड अभी भी उसके होठों के बीच में था। "ओह," उसने कहा, "चलो इसे आगे की कोशिश करते हैं।" दिनेश ने देखा कि एक काले बाल वाली महिला अपने घुटनों पर बैठी है, एक लम्बे लड़के का लंड अपने मुँह में चूस रही है। उसका दिल ठिठकने लगा। रचना व्यापक रूप से मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ी। "कब तक तू फिर से अपना डंडा खड़ा कर सकता है?" मुझे फिर से चुदवाना है...
बहुत ही शानदार कामुक और जबरदस्त अपडेट है
 
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Sangya

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गीली रेत पर मैं और मां बहुत देर तक मस्ती करते रहे पर मां नहीं स्कर्ट के नीचे कच्छी नहीं पहनी हुई थी तो मुझे लगा कि कहीं समंदर के पानी के साथ रेत मां की योनि में ना घुस जाए तो मैंने ऊठकर मां को अपनी बाहों में उठा लिया
मां और ज्यादा मस्ती के मूड में आई और बोली चल ऐसे ही पानी में चलते हैं मां ने मेरी और मुंह किया और मेरी गोदी में लटक गई मां की बाहें मेरे गले में थी और मां के पैर मेरे नितंबों के आसपास कैंची बनाकर रगड़ रहे थे इस तरह से मां की नंगी चूत मेरे लिंग पर रगड़ खा रही थी और टॉप के अंदर मां के नर्म गुदाज मम्मे मेरे छाती पर रगड़ खा रहे थे
मां को ऐसे ही गोदी में उठाकर मैं पानी की ओर बढ़ चला जब हम कमर तक पानी में पहुंच गए तो मैं रुक गया और लहरों की प्रतीक्षा करने लगा अगली लहर आने से मां के शरीर पर झटका लगा और मां ने मेरे को जकड़ लिया मैंने अपना बरमूडा नीचे किया और आपने लिंग को मां की योनि के पास सटा दिया और हल्के हल्के से अपने लोड़े को मां की रसीली योनि पर रगड़ने लगा अगली लहर आने पर मां ने एंगल बदलकर अपनी योनि मेरे लिंग के ऊपर चढ़ा दी तो मैंने कमर से धक्के मार कर मां को चोदना शुरू कर दिया।
हम कमर तक पानी में थे और मस्ती से चुदाई कर रहे थे यह एक अलग ही अनुभव था लहर आती नीचे से थोड़ी सी रेत पैरों से ले उड़ती तो हम रेत में थोड़ा नीचे धंस जाते हैं पर यहां लहरें इतनी तेज नहीं नहीं थी कि हमें गिरा देती हम मां बेटा चुदाई भरे खेल का आनंद लेते रहे
जल्दी ही मैं थकने लगा था तो मैंने तो मैंने धकाधक धक्के लगाकर अपना वीर्य मां की योनि में छोड़ दिया जो कि झटपट बहता हुआ समंदर के पानी में घुल गया
मां ने भी मेरे को कसकर जकड़ा हुआ था और अपने पैरों की कैंची से मेरे नितंबों का दबाव अपनी योनि पर बनाए रखा और कंपकंपाकर मां ने भी अपना कामरस छोड़ दिया फिर अपने कपड़े ठीक करके हम मां बेटा धीरे-धीरे पानी से बाहर निकल आए और अपने स्कूटर की ओर बढ़ चले

हमें तेज भूख भी लगी थी स्कूटर स्टार्ट करके हम लोग थोड़ी दूर बने एक ढाबे पर रुक गए वहां एक युवक व्यक्ति पहले ही बैठे थे युवती की सलवार कमीज से मैंने पहचाना की यह तो वही भाई बहन हैं जो टीले की ओट में हमारे से प्रेरणा लेकर जुदाई कर रहे थे पर उन्होंने हमें ने देखा नहीं था इसलिए हम मैं सुरक्षित महसूस कर रहा था मैंने मां को प्यार से देते हुए कहा जानेमन बहुत तेज भूख लगी है क्या खाने की इच्छा है मां बोलने वाली थी कि जो मेरा बेटा खिलाए वही खा लूंगी किंतु आसपास देखकर मां ने जवाब दिया मेरा लविंग आशिक जो भी खिलाएगा वही खा लूंगी मैंने आवाज लगाकर वेटर को फिश करी और चावल का आर्डर दिया और साथ में कोकम की करी लाने को बोला कोकम का रसम जैसा सूप बहुत अच्छा लगता है।
ऑर्डर देने के बाद हम दोनों मां बेटा आपस में धीरे-धीरे एक दूसरे को छेड़ते हुए बातें करते रहे और मैं धीरे से अनजान बनते हुए भाई बहन की बात सुनने की कोशिश कर रहा था
मुझे लड़की की फुसफुसाहट सुनाई दी भैया यह तो वही मां बेटा है
लड़के ने बोला तुझे कैसे पता?
लड़की बोली मैं इनकी आवाज पहचान रही हूं
मेरा सुरक्षित होने का कॉन्फिडेंस चकनाचूर हो गया पोल खुल गई थी इसलिए उनसे बात करना सहज हो रहा था
मैंने खाने का आर्डर देने के बाद बाथरूम जाने के लिए खड़ा होकर टहलते उनकी टेबल की ओर गया और बोला कि आप हमारे शहर के ही लगते हैं फिर मैंने अपना और शहर का नाम बताया और कमेंट किया कि आप दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी है क्या हम चारों एक ही टेबल पर बैठकर खाना खा सकते हैं कुछ बातें होंगी और कुछ परिचय बढ़ेगा युवती भी शायद हमारे से बात करने की इच्छुक थी, मां बेटे को चोदते सुनकर कौन स्त्री उनके बारे में ज्ञान नहीं बटोरना चाहेगी
भाई के कुछ बोलने से पहले ही लड़की बोली मेरा नाम रचना है और यह मेरे भाई कहते कहते रुक गई और बोली मंगेतर दिनेश हैं मैं लड़की की हिचकिचाहट और भोलेपन को देखकर खुश हुआ और बोला कि ठीक ठीक लगाओ, यहां सब चलता है मैं भी तो अपनी मां के साथ यहां घूमने आया हूं
लड़के ने बोला बहुत अच्छी बात है मां की सेवा करना हर लड़के का फर्ज होता है।
मैंने जवाब दिया कि मां की सेवा का अवसर मिला इसलिए मैं भाग्यशाली हूं और आगे बोला कि लड़कों का शादी से पहले अपनी मां और बहन की सेवा का दायित्व होता है और शादी के बाद मां और पत्नी को खुश रखने का
यह सुनकर लड़की रचना की हंसी छूट गई और वह धीरे से बोली आप ठीक कहते हैं भैया! आपको भैया बोल सकती हूं ना मैं?
मैंने कहा तुम जैसी सुंदर लड़की का भाई बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी और मेरी मां भी तुम्हारे जैसी बेटी पाकर अपने हिस्से का आधा प्यार तुम्हें देने को तैयार हो जाएगी!!
रचना खिलाकर हंसी और बोली तुम अपना प्यार मुझसे बांटने को तैयार हो गए बहुत अच्छे भैया लगते हो!!!
मैं लड़के की आंखों में पढ़ रहा था वह भी मेरी मां की सेवा करना चाहता है पर मुझे पता था मेरी मां उसके लिए तैयार नहीं होगी मेरी मां सिर्फ पिताजी और मेरे से ही सेवा करवाना चाहती है पर मां को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि मैं अपने डंडे से किसी दूसरी दुखियारी का को सुख दे दूं।
मैंने अंखियों से मां को इस टेबल पर आने का इशारा किया लड़के ने मेरा इशारा देखकर कहा कि हमारी टेबल थोड़ा बीच में है तुम्हारी कोने वाली टेबल ज्यादा अच्छी है हम ही चलते हैं! माता जी को क्यों कष्ट दें? और वहां जाकर मां के साथ वाली कुर्सी पर बैठ गया और हम दोनों उनके सामने बैठ गए
इतना मैं वेटर खाना ले आया वह हम चारों खाना खाते बात करते रहे बातचीत में पता चला कि यह दोनों भाई बहन हमारे रिसोर्ट के पास में ही एक छोटे से होटल पर रुके हुए हैं
हमारे रिसोर्ट का नाम सुनकर रचना बहुत खुश हुई और बोली तुम्हारे रिसोर्ट का तो अपना प्राईवेट बीच है वहां ज्यादा मजा आएगा हम तुमसे मिलने आएंगे!!
मैंने रचना का हाथ दबाकर आश्वस्त किया कि रचना और उसके भाई के हमारे रिसॉर्ट पर आकर हमारे साथ बीच पर घूमने में मुझे बहुत खुशी होगी!!!!
दिनेश श साथ वाली कुर्सी पर बैठकर मेरी मां की सुंदरता निहार रहा था स्कर्ट में से झांकती मांसल जांघों से उसकी निगाह हट ही नहीं रही थी मुझे लगा बात करते-करते शायद उसने मेरी मां की जाघं पर हाथ भी रख दिया है यहां तक इस तो मेरी मां ने बुरा नहीं माना फिर बाद में राकेश अपनी कोहनी से मेरी मां के मम्मे दबाने लगा तब मां ने थोड़ा साइड में हो कर अपने को राकेश से दूर कर लिया, राकेश भी समझ गया कि मां इतनी जल्दी नहीं खुल रही
खाना खाकर हम दोनों जोड़े उठे तो राकेश बोला कि हम अभी तुम्हारे साथ ही चलते हैं और हम दोनों जोड़े अपने अपने स्कूटर पर मेरे रिसोर्ट की तरफ चल दिए
हमारे साथ रिसोर्ट पर पहुंचकर रचना मेरा हाथ पकड़ कर बीच की ओर जा चलने लगी राकेश पीछे धीरे-धीरे मां से बातें करता हुआ चल रहा था उसे भी हैरानी हो रही थी कि उसकी बहन कितनी बड़ी चुदक्कड़ लग रही है कि थोड़ी देर पहले मिले लड़के से चुदवाने को आतुर हो रही है
राकेश को यह नहीं पता था कि ओट में से एक दूसरे की बातें सुनकर रचना मेरे बारे में बहुत उत्तेजित हो रही है और फिर दिनेश भूल रहा था कि वह भी मेरी मां को चुदने का बहुत अच्छा टारगेट मान रहा है चाहे उसकी वह इच्छा पूरी ना हो
मैंने पीछे मुड़ कर देखा कि राकेश मां से कुछ दूरी पर चल रहा है शायद मां ने उसे अपने ठंडे बर्ताव से जता दिया होगा कि वह राकेश से चूत मरवाने में जरा सी भी इंटरेस्टेड नहीं है
मां इतनी स्मार्ट थी कि उसने दिनेश को उसकी सीमा समझा दी होगी कि वह मां से बस बातें कर सकता है और मां की खूबसूरती को निहार सकता है
इतनी देर में हम बीच पर पहुंच गए और बीच के किनारे बने हुए बीयर बार में ऑर्डर दे दिया
बियर का आर्डर सुनकर रचना बोली मेरे लिए मत देना मैं बीयर नहीं पीती हूं तो मैंने बोला नहीं पिएगी क्या ?
रचना बोली नहीं भाई, बीयर शियर कुछ नहीं तो मां बोली फिक्र मत कर मैंने भी इन्हीं से बियर पीनी शुरू की है और उससे नशा नहीं होता सिर्फ हल्का सा सरूर आता है
इस दौरान दिनेश बहुत असहज महसूस कर रहा था उसकी बहन अपनी चूत* में एक अजनबी का लंड डलवाने को तैयार थी और उसके लंड* को कुछ भी नहीं मिल रहा था
मां भी उसकी परेशानी समझ रही थी तो बोली और रचना तुम दोनों भाई बहन और हम दोनों मां बाप बेटा आपस में एक दूसरे के सामने मस्ती करेंगे, साथ भी बना रहेगा और आपसी शर्म भी बनी रहेगी
रचना भी एकदम समझ गई कि वह मेरे डंडे पर अपने भाई और मेरी मां के सामने नहीं झूल पाएगी तो वह अपने भाई की तरफ सरक गई और मां मेरी तरफ आ गई।
मां ने फिर कहा यहां पर कोई भी मां बेटा भाई बहन नहीं है सब भूल जाओ, तुम नवविवाहित जोड़े हो और हम कुछ सालों से शादीशुदा जोड़े!!! खूब खुलकर मस्ती करो
बियर पीने के बाद हम दोनों जोड़े हमारे रूम में आ गए मां ने रचना को बोला कि वह सलवार कमीज उतार कर स्कर्ट की पहन ले पर रचना के पास स्कर्ट नहीं थी और मां के पास भी सिर्फ एक ही स्कर्ट थी जो मां ने पहनी हुई थी तो माने रचना को उसकी चुन्नी अपनी कमर पर बांधकर स्कर्ट जैसे बांधने की कला सिखाई तो रचना ने अपनी सलवार उतार दी और बाथरूम में जाकर कमीज उतार कर मां की टॉप पहन ली
रचना बाहर आई तो रचना के ड्रेस में परिवर्तन देख कर दिनेश बहुत खुश हुआ और बाहर आते ही रचना को चूमने चाटने लगा दोनों भाई बहन गहरे आलिंगन में बंध गए और दिनेश ने अपनी जीभ मां के रचना के मुंह में सरका दी दोनों भाई बहनों को प्यार करते देख कर मां मेरे करीब आई और मुझसे आलिंगन बंद हो गई मेरा लौड़ा फिर खड़ा होने लगा था क्यों मैंने अपने हाथ से मां की स्कर्ट का घेरा पकड़ कर ऊपर किया और अपने बरमूडा में बंद लोड़े को मां की जांघों के बीच में दबाने लगा और पीछे से अपने हाथ मां के नितंबों पर दबाकर मां को अपने पास रख लिया मां भी पूरे जोश से अपने को मेरे शरीर पर दबाने लगी तो मैंने मां के नितंबों के नीचे अपने हाथ का झूला बना कर मां को उठा लिया इस प्रक्रिया में मेरा बरमूडा थोड़ा नीचे हुआ और मां का वजन उठाने से पहले मैं दो कदम चल कर बिल्कुल नंगा हो गया और अपना लिंग मां की योनि पर रगड़ने लगा मां ने तुरंत उचक कर अपने पैरों के नीचे मेरे नितंबों पर कैंची बना दी और अपनी बाहें मेरे गले में डाल कर मेरे लंड पर झूलने लगी
मेरी निगाह सामने पड़ी तो देखा कि रचना ने चुन्नी से जो स्कर्ट बनाई थी वह नीचे गिरी पड़ी है और रचना का नीचे का नंगा शरीर उसके भाई की कमर से चिपका हुआ था पर दिनेश मैं अभी तक अपनी जींस नहीं उतारी थी
मैं धीरे से दिनेश को बोला कि यहां कुछ शर्म मत करो और मन भर के अपनी बहन को पूरा आनंद दे सुनकर राकेश दिनेश पीछे हटा और तुरंत ही अपनी कमी शुद्धता टीशर्ट उतार कर नंगा हो गया उसको नंगा होता देखकर रचना ने अपने भाइयों पर की तो राकेश ने झट से उसके शरीर से मेरी मां की टॉप उतार दी कम से कम इसमें राकेश मेरी मां की टॉप उतारने का मानसिक आनंद तो ले ही रहा था मां अपनी स्कर्ट ऊपर होकर नीचे से आधी नंगी मेरे ल** पर झूला झूल रही थी दिनेश और रचना खड़े-खड़े कलाई में पहली बार कर रहे थे तो उनको कुछ मुश्किल लग रही थी इसलिए दिनेश धीरे से कदम बढ़ाता हुआ रचना को उठाए उठाए कदम बढ़ाता हुआ बेड के पास गया और वहां रचना को पीठ के बल लिटा कर आपकी बहन की चूत पर सवार हो गया और धमाधम धक्के मारने लगा पीछे से हम मां बेटा उन भाई बहन की चुदाई देख रहे थे
दिनेश का बहुत लंबा मोटा लौड़ा पिस्टन की तरह तेजी से उसकी बहन की चूत में अंदर बाहर हो रहा था और आदतन रचना ज्यादा शोर नहीं मचा रही थी पर उसके शरीर की स्थिति और घप्प से लोड़ा अपनी चूत में समाने की तीव्रता रचना के चूत की अनबुझी प्यासस को साफ साफ दिखा रही थी
मैं भी मां को अपने लोड़े पर टांगे टांगे बिस्तर पर ले आया और चुदाई करते हुए भाई बहन से कुछ ही दूर मां को लिटा कर अपनी मां की योनि पर सवार हो गया और दिनेश जी तरहा ही खड़ा होकर घपा घप मां की चूत पर धक्के मारने लगा
मां जोर-जोर से चिल्ला रही थी पेल दे बेटा, ठोक दे मेरे प्यारे बेटे, शाबाश मेरे बेटा पेल दे अपनी मां को चोद, अपनी मां को निचोड़, मां की प्यास बुझा दे बेटा मेरी सेवा कर, अच्छे से कर यह बोलकर मां अपनी चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी
मां से क्लू पाकर रचना भी जोश में अपने मन में दबी हुई बातें बोलने लगी मेरे राजा भाई, मेरे प्यारे भाई, अपना मोटा मुसल मेरी चूत में ठोक दे, ठोक दे भाई जल्दी से, ओह मेरे आकाश भाई, मेरे नए भाई से चुदने का कितना मजा है, शाबाश मेरे भाई जल्दी से ठोक
हम दोनों लड़के अपनी मां और बहन की सेवा करते करते बोल रहे थे ले ले मेरी मां, शाबाश मेरी मां, शाबाश मेरी बहन, ले ले मेरा लंड ले ले करके बोलते बोलते हम बहनचोद और मादरचोद बनकर तेजी से अपनी अपनी मां और बहन को मिलने वाले आनंद की कल्पना करते हुए अपनी पूरी ताकत लगा रहे थे
मैंने मौका देख कर अपना एक हाथ बढ़ा कर रचना के नंगे नितंबों को मसलने लगा फिर अपना ध्यान अपनी मां की को संतुष्ट करने में लगाने के लिए वापस अपने मां के मम्मे मसल लगा
यह पहली बार थी जब मैं साथ में ही एक जोड़े की चुदाई देखकर अपनी मां को चोद रहा था और मैंने तो फिर भी अपने मां बाप की चुदाई देखते हुए मुठ मारी थी और हम दोनों भाई भी मां बाप की चुदाई देखते हुए एक दूसरे की मुठ मारते थे पर मां के लिए शायद यह पहला ही अनुभव था जब मां किसी को चुदते हुए देखने के साथ-साथ अपनी चुदाई करवा रही थी
मैंने रचना से पूछा रचना बहन पहली बार अपने दूसरे भाई को मां चोदते हुए देखकर अपनी चूत में लगने वाले धक्के तुझे कैसे लग रहे हैं?
रचना भी हांफते-हांफते बोली बहुत बढ़िया मेरे भाई अभी तक मां बाप की चुदाई देखते हुए मैंने अपनी चूत में उंगली तो कई बार की थी पर यह पहली बार है कि बिल्कुल साथ में ही लेट कर चुदाई देख रही हूं और अपने गबरु भाई.......
पेल पेल अपनी बहन को पेल दे कितना मजा आ रहा है दिनेश भी अपने आप बोला की मैंने भी मां-बाप की चुदाई करते देखकर मुठ मारी है हम दोनों भाई बहन कभी मां बाप के चुदाई के समय इकट्ठे नहीं हो पाए तो मां बोली हम सब एक जैसे ही हैं हम सब ने अपने अपने मां बाप को संभोग करते देख कर मुठ मारी हुई है पर यह सामूहिक चुदाई का अलग ही अनुभव हो रहा है
हम दोनों लड़के फिर से अपनी मां और बहन की सेवा करने में पूरे जी-जान से जुट गए और नीचे लेटी हुई दोनों औरतें अपना हाथ बढ़ा कर एक दूसरे के हाथ में अपना हाथ दबा कर आपने अपने आनंद को बैलेंस कर रही थी कुछ ही देर में रचना झड़ने लगी तो उसकी कंपकंपी महसूस करके मां का शरीर भी कांपने लगा पर मैं और दिनेश बदस्तूर धक्के मारने में लगे हुए थे और जोर-जोर से हुंकार भरते हुए अपने अपने लंड को नीचे पड़ी हुई चूत में फंसा कर आनंद के झूला झूल रहे थे
मैंने देखा कि रचना ने अपने पैरों की कैंची बनाकर अपने भाई को अपने चूत पर कस दिया था और मेरी मां थोड़ा उचक कर बैठ गई जिससे मां की योनि का तेज दवाब मेरे लंड पर बहुत ज्यादा बढ़ गया था जिस कारण मेरा लौड़ा भी झनझनाते हुए मेरी मां की योनि के अंदर काम रस की वर्षा करने लगा और मां ने अपने दोनों हाथ अपने मम्मों पर मसलते मसलते झरझर झराने लगी
कुछ इसी तरह की स्थिति रचना और दिनेश की भी हो गई थी दोनों भाई बहन एक दूसरे से चिपके हुए तेजी से झड़ रहे थे कुछ देर में ही मैं मां के शरीर पर औंधा लेट गया और देखा कि दिनेश अपनी बहन को बाहों में उठा कर खुद पीठ के बल फर्श पर लेट गया है और रचना सीधी होकर अपने भाई की लौड़ा सवारी करने लगी उन दोनों भाई बहन का चुदाई का दूसरा दौर शुरू हो गया था मैंने मां को थोड़ा सा उठा कर बिस्तर पर लिटाया और हम दोनों आलिंगन में एक दूसरे को चूमते चाटते रहे और भाई बहन की चुदाई को देखकर आनंद लेते रहे रचना अपने भाई के लंड पर उठक बैठक कर रही थी जिससे उसके मम्मे छोटे होते हुए भी बहुत ज्यादा स्पंदन कर रहे थे
रचना के चूची को हिलते हुए देखकर मेरा लौड़ा फिर से खड़ा होने लगा तो मां ने हाथ नीचे डालकर मेरे लोड़े को अपनी मुट्ठी में भर लिया और मुठिआने लगी
मैं भी अपना हाथ मा की योनि के ऊपर रखकर मां की योनि को उंगलियों से सहलाने लगा हमारे होंठ आपस में जुड़े हुए थे और मैंने अपनी जीभ मां के मुंह में भर दी पर इस सारी प्रक्रिया के दौरान भी मेरी निगाह रचना के छलकती हुई चुचियों से नहीं हट रही थी और मेरे लंड में कसाव बढ़ता ही जा रहा था
मां ने मुझे धक्का देकर पीठ के बल किया और रचना की तरह ही मेरे लंड पर बैठकर उछलने लगी
मैं अपने हाथ बढ़ाकर मां के बड़े बड़े माम्मों को नीचोड़ने लगा और मां मेरे लौड़े को अपनी योनि की फांकों से दबाकर निचोड़ने लगी और इस तरह काफी देर घुड़सवारी करके मां ने मेरा पानी निकाला और रचना ने अपने भाई के लंड से वीर्य की आखिरी बूंद तक अपनी योनि में खींच ली फिर दोनों भाई-बहन फर्श पर ही पस्त होकर लेट गए और बिस्तर पर हम मां बेटा एक दूसरे को आलिंगन में लिए ही सो गए
 

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गीली रेत पर मैं और मां बहुत देर तक मस्ती करते रहे पर मां नहीं स्कर्ट के नीचे कच्छी नहीं पहनी हुई थी तो मुझे लगा कि कहीं समंदर के पानी के साथ रेत मां की योनि में ना घुस जाए तो मैंने ऊठकर मां को अपनी बाहों में उठा लिया
मां और ज्यादा मस्ती के मूड में आई और बोली चल ऐसे ही पानी में चलते हैं मां ने मेरी और मुंह किया और मेरी गोदी में लटक गई मां की बाहें मेरे गले में थी और मां के पैर मेरे नितंबों के आसपास कैंची बनाकर रगड़ रहे थे इस तरह से मां की नंगी चूत मेरे लिंग पर रगड़ खा रही थी और टॉप के अंदर मां के नर्म गुदाज मम्मे मेरे छाती पर रगड़ खा रहे थे
मां को ऐसे ही गोदी में उठाकर मैं पानी की ओर बढ़ चला जब हम कमर तक पानी में पहुंच गए तो मैं रुक गया और लहरों की प्रतीक्षा करने लगा अगली लहर आने से मां के शरीर पर झटका लगा और मां ने मेरे को जकड़ लिया मैंने अपना बरमूडा नीचे किया और आपने लिंग को मां की योनि के पास सटा दिया और हल्के हल्के से अपने लोड़े को मां की रसीली योनि पर रगड़ने लगा अगली लहर आने पर मां ने एंगल बदलकर अपनी योनि मेरे लिंग के ऊपर चढ़ा दी तो मैंने कमर से धक्के मार कर मां को चोदना शुरू कर दिया।
हम कमर तक पानी में थे और मस्ती से चुदाई कर रहे थे यह एक अलग ही अनुभव था लहर आती नीचे से थोड़ी सी रेत पैरों से ले उड़ती तो हम रेत में थोड़ा नीचे धंस जाते हैं पर यहां लहरें इतनी तेज नहीं नहीं थी कि हमें गिरा देती हम मां बेटा चुदाई भरे खेल का आनंद लेते रहे
जल्दी ही मैं थकने लगा था तो मैंने तो मैंने धकाधक धक्के लगाकर अपना वीर्य मां की योनि में छोड़ दिया जो कि झटपट बहता हुआ समंदर के पानी में घुल गया
मां ने भी मेरे को कसकर जकड़ा हुआ था और अपने पैरों की कैंची से मेरे नितंबों का दबाव अपनी योनि पर बनाए रखा और कंपकंपाकर मां ने भी अपना कामरस छोड़ दिया फिर अपने कपड़े ठीक करके हम मां बेटा धीरे-धीरे पानी से बाहर निकल आए और अपने स्कूटर की ओर बढ़ चले

हमें तेज भूख भी लगी थी स्कूटर स्टार्ट करके हम लोग थोड़ी दूर बने एक ढाबे पर रुक गए वहां एक युवक व्यक्ति पहले ही बैठे थे युवती की सलवार कमीज से मैंने पहचाना की यह तो वही भाई बहन हैं जो टीले की ओट में हमारे से प्रेरणा लेकर जुदाई कर रहे थे पर उन्होंने हमें ने देखा नहीं था इसलिए हम मैं सुरक्षित महसूस कर रहा था मैंने मां को प्यार से देते हुए कहा जानेमन बहुत तेज भूख लगी है क्या खाने की इच्छा है मां बोलने वाली थी कि जो मेरा बेटा खिलाए वही खा लूंगी किंतु आसपास देखकर मां ने जवाब दिया मेरा लविंग आशिक जो भी खिलाएगा वही खा लूंगी मैंने आवाज लगाकर वेटर को फिश करी और चावल का आर्डर दिया और साथ में कोकम की करी लाने को बोला कोकम का रसम जैसा सूप बहुत अच्छा लगता है।
ऑर्डर देने के बाद हम दोनों मां बेटा आपस में धीरे-धीरे एक दूसरे को छेड़ते हुए बातें करते रहे और मैं धीरे से अनजान बनते हुए भाई बहन की बात सुनने की कोशिश कर रहा था
मुझे लड़की की फुसफुसाहट सुनाई दी भैया यह तो वही मां बेटा है
लड़के ने बोला तुझे कैसे पता?
लड़की बोली मैं इनकी आवाज पहचान रही हूं
मेरा सुरक्षित होने का कॉन्फिडेंस चकनाचूर हो गया पोल खुल गई थी इसलिए उनसे बात करना सहज हो रहा था
मैंने खाने का आर्डर देने के बाद बाथरूम जाने के लिए खड़ा होकर टहलते उनकी टेबल की ओर गया और बोला कि आप हमारे शहर के ही लगते हैं फिर मैंने अपना और शहर का नाम बताया और कमेंट किया कि आप दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी है क्या हम चारों एक ही टेबल पर बैठकर खाना खा सकते हैं कुछ बातें होंगी और कुछ परिचय बढ़ेगा युवती भी शायद हमारे से बात करने की इच्छुक थी, मां बेटे को चोदते सुनकर कौन स्त्री उनके बारे में ज्ञान नहीं बटोरना चाहेगी
भाई के कुछ बोलने से पहले ही लड़की बोली मेरा नाम रचना है और यह मेरे भाई कहते कहते रुक गई और बोली मंगेतर दिनेश हैं मैं लड़की की हिचकिचाहट और भोलेपन को देखकर खुश हुआ और बोला कि ठीक ठीक लगाओ, यहां सब चलता है मैं भी तो अपनी मां के साथ यहां घूमने आया हूं
लड़के ने बोला बहुत अच्छी बात है मां की सेवा करना हर लड़के का फर्ज होता है।
मैंने जवाब दिया कि मां की सेवा का अवसर मिला इसलिए मैं भाग्यशाली हूं और आगे बोला कि लड़कों का शादी से पहले अपनी मां और बहन की सेवा का दायित्व होता है और शादी के बाद मां और पत्नी को खुश रखने का
यह सुनकर लड़की रचना की हंसी छूट गई और वह धीरे से बोली आप ठीक कहते हैं भैया! आपको भैया बोल सकती हूं ना मैं?
मैंने कहा तुम जैसी सुंदर लड़की का भाई बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी और मेरी मां भी तुम्हारे जैसी बेटी पाकर अपने हिस्से का आधा प्यार तुम्हें देने को तैयार हो जाएगी!!
रचना खिलाकर हंसी और बोली तुम अपना प्यार मुझसे बांटने को तैयार हो गए बहुत अच्छे भैया लगते हो!!!
मैं लड़के की आंखों में पढ़ रहा था वह भी मेरी मां की सेवा करना चाहता है पर मुझे पता था मेरी मां उसके लिए तैयार नहीं होगी मेरी मां सिर्फ पिताजी और मेरे से ही सेवा करवाना चाहती है पर मां को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि मैं अपने डंडे से किसी दूसरी दुखियारी का को सुख दे दूं।
मैंने अंखियों से मां को इस टेबल पर आने का इशारा किया लड़के ने मेरा इशारा देखकर कहा कि हमारी टेबल थोड़ा बीच में है तुम्हारी कोने वाली टेबल ज्यादा अच्छी है हम ही चलते हैं! माता जी को क्यों कष्ट दें? और वहां जाकर मां के साथ वाली कुर्सी पर बैठ गया और हम दोनों उनके सामने बैठ गए
इतना मैं वेटर खाना ले आया वह हम चारों खाना खाते बात करते रहे बातचीत में पता चला कि यह दोनों भाई बहन हमारे रिसोर्ट के पास में ही एक छोटे से होटल पर रुके हुए हैं
हमारे रिसोर्ट का नाम सुनकर रचना बहुत खुश हुई और बोली तुम्हारे रिसोर्ट का तो अपना प्राईवेट बीच है वहां ज्यादा मजा आएगा हम तुमसे मिलने आएंगे!!
मैंने रचना का हाथ दबाकर आश्वस्त किया कि रचना और उसके भाई के हमारे रिसॉर्ट पर आकर हमारे साथ बीच पर घूमने में मुझे बहुत खुशी होगी!!!!
दिनेश श साथ वाली कुर्सी पर बैठकर मेरी मां की सुंदरता निहार रहा था स्कर्ट में से झांकती मांसल जांघों से उसकी निगाह हट ही नहीं रही थी मुझे लगा बात करते-करते शायद उसने मेरी मां की जाघं पर हाथ भी रख दिया है यहां तक इस तो मेरी मां ने बुरा नहीं माना फिर बाद में राकेश अपनी कोहनी से मेरी मां के मम्मे दबाने लगा तब मां ने थोड़ा साइड में हो कर अपने को राकेश से दूर कर लिया, राकेश भी समझ गया कि मां इतनी जल्दी नहीं खुल रही
खाना खाकर हम दोनों जोड़े उठे तो राकेश बोला कि हम अभी तुम्हारे साथ ही चलते हैं और हम दोनों जोड़े अपने अपने स्कूटर पर मेरे रिसोर्ट की तरफ चल दिए
हमारे साथ रिसोर्ट पर पहुंचकर रचना मेरा हाथ पकड़ कर बीच की ओर जा चलने लगी राकेश पीछे धीरे-धीरे मां से बातें करता हुआ चल रहा था उसे भी हैरानी हो रही थी कि उसकी बहन कितनी बड़ी चुदक्कड़ लग रही है कि थोड़ी देर पहले मिले लड़के से चुदवाने को आतुर हो रही है
राकेश को यह नहीं पता था कि ओट में से एक दूसरे की बातें सुनकर रचना मेरे बारे में बहुत उत्तेजित हो रही है और फिर दिनेश भूल रहा था कि वह भी मेरी मां को चुदने का बहुत अच्छा टारगेट मान रहा है चाहे उसकी वह इच्छा पूरी ना हो
मैंने पीछे मुड़ कर देखा कि राकेश मां से कुछ दूरी पर चल रहा है शायद मां ने उसे अपने ठंडे बर्ताव से जता दिया होगा कि वह राकेश से चूत मरवाने में जरा सी भी इंटरेस्टेड नहीं है
मां इतनी स्मार्ट थी कि उसने दिनेश को उसकी सीमा समझा दी होगी कि वह मां से बस बातें कर सकता है और मां की खूबसूरती को निहार सकता है
इतनी देर में हम बीच पर पहुंच गए और बीच के किनारे बने हुए बीयर बार में ऑर्डर दे दिया
बियर का आर्डर सुनकर रचना बोली मेरे लिए मत देना मैं बीयर नहीं पीती हूं तो मैंने बोला नहीं पिएगी क्या ?
रचना बोली नहीं भाई, बीयर शियर कुछ नहीं तो मां बोली फिक्र मत कर मैंने भी इन्हीं से बियर पीनी शुरू की है और उससे नशा नहीं होता सिर्फ हल्का सा सरूर आता है
इस दौरान दिनेश बहुत असहज महसूस कर रहा था उसकी बहन अपनी चूत* में एक अजनबी का लंड डलवाने को तैयार थी और उसके लंड* को कुछ भी नहीं मिल रहा था
मां भी उसकी परेशानी समझ रही थी तो बोली और रचना तुम दोनों भाई बहन और हम दोनों मां बाप बेटा आपस में एक दूसरे के सामने मस्ती करेंगे, साथ भी बना रहेगा और आपसी शर्म भी बनी रहेगी
रचना भी एकदम समझ गई कि वह मेरे डंडे पर अपने भाई और मेरी मां के सामने नहीं झूल पाएगी तो वह अपने भाई की तरफ सरक गई और मां मेरी तरफ आ गई।
मां ने फिर कहा यहां पर कोई भी मां बेटा भाई बहन नहीं है सब भूल जाओ, तुम नवविवाहित जोड़े हो और हम कुछ सालों से शादीशुदा जोड़े!!! खूब खुलकर मस्ती करो
बियर पीने के बाद हम दोनों जोड़े हमारे रूम में आ गए मां ने रचना को बोला कि वह सलवार कमीज उतार कर स्कर्ट की पहन ले पर रचना के पास स्कर्ट नहीं थी और मां के पास भी सिर्फ एक ही स्कर्ट थी जो मां ने पहनी हुई थी तो माने रचना को उसकी चुन्नी अपनी कमर पर बांधकर स्कर्ट जैसे बांधने की कला सिखाई तो रचना ने अपनी सलवार उतार दी और बाथरूम में जाकर कमीज उतार कर मां की टॉप पहन ली
रचना बाहर आई तो रचना के ड्रेस में परिवर्तन देख कर दिनेश बहुत खुश हुआ और बाहर आते ही रचना को चूमने चाटने लगा दोनों भाई बहन गहरे आलिंगन में बंध गए और दिनेश ने अपनी जीभ मां के रचना के मुंह में सरका दी दोनों भाई बहनों को प्यार करते देख कर मां मेरे करीब आई और मुझसे आलिंगन बंद हो गई मेरा लौड़ा फिर खड़ा होने लगा था क्यों मैंने अपने हाथ से मां की स्कर्ट का घेरा पकड़ कर ऊपर किया और अपने बरमूडा में बंद लोड़े को मां की जांघों के बीच में दबाने लगा और पीछे से अपने हाथ मां के नितंबों पर दबाकर मां को अपने पास रख लिया मां भी पूरे जोश से अपने को मेरे शरीर पर दबाने लगी तो मैंने मां के नितंबों के नीचे अपने हाथ का झूला बना कर मां को उठा लिया इस प्रक्रिया में मेरा बरमूडा थोड़ा नीचे हुआ और मां का वजन उठाने से पहले मैं दो कदम चल कर बिल्कुल नंगा हो गया और अपना लिंग मां की योनि पर रगड़ने लगा मां ने तुरंत उचक कर अपने पैरों के नीचे मेरे नितंबों पर कैंची बना दी और अपनी बाहें मेरे गले में डाल कर मेरे लंड पर झूलने लगी
मेरी निगाह सामने पड़ी तो देखा कि रचना ने चुन्नी से जो स्कर्ट बनाई थी वह नीचे गिरी पड़ी है और रचना का नीचे का नंगा शरीर उसके भाई की कमर से चिपका हुआ था पर दिनेश मैं अभी तक अपनी जींस नहीं उतारी थी
मैं धीरे से दिनेश को बोला कि यहां कुछ शर्म मत करो और मन भर के अपनी बहन को पूरा आनंद दे सुनकर राकेश दिनेश पीछे हटा और तुरंत ही अपनी कमी शुद्धता टीशर्ट उतार कर नंगा हो गया उसको नंगा होता देखकर रचना ने अपने भाइयों पर की तो राकेश ने झट से उसके शरीर से मेरी मां की टॉप उतार दी कम से कम इसमें राकेश मेरी मां की टॉप उतारने का मानसिक आनंद तो ले ही रहा था मां अपनी स्कर्ट ऊपर होकर नीचे से आधी नंगी मेरे ल** पर झूला झूल रही थी दिनेश और रचना खड़े-खड़े कलाई में पहली बार कर रहे थे तो उनको कुछ मुश्किल लग रही थी इसलिए दिनेश धीरे से कदम बढ़ाता हुआ रचना को उठाए उठाए कदम बढ़ाता हुआ बेड के पास गया और वहां रचना को पीठ के बल लिटा कर आपकी बहन की चूत पर सवार हो गया और धमाधम धक्के मारने लगा पीछे से हम मां बेटा उन भाई बहन की चुदाई देख रहे थे
दिनेश का बहुत लंबा मोटा लौड़ा पिस्टन की तरह तेजी से उसकी बहन की चूत में अंदर बाहर हो रहा था और आदतन रचना ज्यादा शोर नहीं मचा रही थी पर उसके शरीर की स्थिति और घप्प से लोड़ा अपनी चूत में समाने की तीव्रता रचना के चूत की अनबुझी प्यासस को साफ साफ दिखा रही थी
मैं भी मां को अपने लोड़े पर टांगे टांगे बिस्तर पर ले आया और चुदाई करते हुए भाई बहन से कुछ ही दूर मां को लिटा कर अपनी मां की योनि पर सवार हो गया और दिनेश जी तरहा ही खड़ा होकर घपा घप मां की चूत पर धक्के मारने लगा
मां जोर-जोर से चिल्ला रही थी पेल दे बेटा, ठोक दे मेरे प्यारे बेटे, शाबाश मेरे बेटा पेल दे अपनी मां को चोद, अपनी मां को निचोड़, मां की प्यास बुझा दे बेटा मेरी सेवा कर, अच्छे से कर यह बोलकर मां अपनी चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी
मां से क्लू पाकर रचना भी जोश में अपने मन में दबी हुई बातें बोलने लगी मेरे राजा भाई, मेरे प्यारे भाई, अपना मोटा मुसल मेरी चूत में ठोक दे, ठोक दे भाई जल्दी से, ओह मेरे आकाश भाई, मेरे नए भाई से चुदने का कितना मजा है, शाबाश मेरे भाई जल्दी से ठोक
हम दोनों लड़के अपनी मां और बहन की सेवा करते करते बोल रहे थे ले ले मेरी मां, शाबाश मेरी मां, शाबाश मेरी बहन, ले ले मेरा लंड ले ले करके बोलते बोलते हम बहनचोद और मादरचोद बनकर तेजी से अपनी अपनी मां और बहन को मिलने वाले आनंद की कल्पना करते हुए अपनी पूरी ताकत लगा रहे थे
मैंने मौका देख कर अपना एक हाथ बढ़ा कर रचना के नंगे नितंबों को मसलने लगा फिर अपना ध्यान अपनी मां की को संतुष्ट करने में लगाने के लिए वापस अपने मां के मम्मे मसल लगा
यह पहली बार थी जब मैं साथ में ही एक जोड़े की चुदाई देखकर अपनी मां को चोद रहा था और मैंने तो फिर भी अपने मां बाप की चुदाई देखते हुए मुठ मारी थी और हम दोनों भाई भी मां बाप की चुदाई देखते हुए एक दूसरे की मुठ मारते थे पर मां के लिए शायद यह पहला ही अनुभव था जब मां किसी को चुदते हुए देखने के साथ-साथ अपनी चुदाई करवा रही थी
मैंने रचना से पूछा रचना बहन पहली बार अपने दूसरे भाई को मां चोदते हुए देखकर अपनी चूत में लगने वाले धक्के तुझे कैसे लग रहे हैं?
रचना भी हांफते-हांफते बोली बहुत बढ़िया मेरे भाई अभी तक मां बाप की चुदाई देखते हुए मैंने अपनी चूत में उंगली तो कई बार की थी पर यह पहली बार है कि बिल्कुल साथ में ही लेट कर चुदाई देख रही हूं और अपने गबरु भाई.......
पेल पेल अपनी बहन को पेल दे कितना मजा आ रहा है दिनेश भी अपने आप बोला की मैंने भी मां-बाप की चुदाई करते देखकर मुठ मारी है हम दोनों भाई बहन कभी मां बाप के चुदाई के समय इकट्ठे नहीं हो पाए तो मां बोली हम सब एक जैसे ही हैं हम सब ने अपने अपने मां बाप को संभोग करते देख कर मुठ मारी हुई है पर यह सामूहिक चुदाई का अलग ही अनुभव हो रहा है
हम दोनों लड़के फिर से अपनी मां और बहन की सेवा करने में पूरे जी-जान से जुट गए और नीचे लेटी हुई दोनों औरतें अपना हाथ बढ़ा कर एक दूसरे के हाथ में अपना हाथ दबा कर आपने अपने आनंद को बैलेंस कर रही थी कुछ ही देर में रचना झड़ने लगी तो उसकी कंपकंपी महसूस करके मां का शरीर भी कांपने लगा पर मैं और दिनेश बदस्तूर धक्के मारने में लगे हुए थे और जोर-जोर से हुंकार भरते हुए अपने अपने लंड को नीचे पड़ी हुई चूत में फंसा कर आनंद के झूला झूल रहे थे
मैंने देखा कि रचना ने अपने पैरों की कैंची बनाकर अपने भाई को अपने चूत पर कस दिया था और मेरी मां थोड़ा उचक कर बैठ गई जिससे मां की योनि का तेज दवाब मेरे लंड पर बहुत ज्यादा बढ़ गया था जिस कारण मेरा लौड़ा भी झनझनाते हुए मेरी मां की योनि के अंदर काम रस की वर्षा करने लगा और मां ने अपने दोनों हाथ अपने मम्मों पर मसलते मसलते झरझर झराने लगी
कुछ इसी तरह की स्थिति रचना और दिनेश की भी हो गई थी दोनों भाई बहन एक दूसरे से चिपके हुए तेजी से झड़ रहे थे कुछ देर में ही मैं मां के शरीर पर औंधा लेट गया और देखा कि दिनेश अपनी बहन को बाहों में उठा कर खुद पीठ के बल फर्श पर लेट गया है और रचना सीधी होकर अपने भाई की लौड़ा सवारी करने लगी उन दोनों भाई बहन का चुदाई का दूसरा दौर शुरू हो गया था मैंने मां को थोड़ा सा उठा कर बिस्तर पर लिटाया और हम दोनों आलिंगन में एक दूसरे को चूमते चाटते रहे और भाई बहन की चुदाई को देखकर आनंद लेते रहे रचना अपने भाई के लंड पर उठक बैठक कर रही थी जिससे उसके मम्मे छोटे होते हुए भी बहुत ज्यादा स्पंदन कर रहे थे
रचना के चूची को हिलते हुए देखकर मेरा लौड़ा फिर से खड़ा होने लगा तो मां ने हाथ नीचे डालकर मेरे लोड़े को अपनी मुट्ठी में भर लिया और मुठिआने लगी
मैं भी अपना हाथ मा की योनि के ऊपर रखकर मां की योनि को उंगलियों से सहलाने लगा हमारे होंठ आपस में जुड़े हुए थे और मैंने अपनी जीभ मां के मुंह में भर दी पर इस सारी प्रक्रिया के दौरान भी मेरी निगाह रचना के छलकती हुई चुचियों से नहीं हट रही थी और मेरे लंड में कसाव बढ़ता ही जा रहा था
मां ने मुझे धक्का देकर पीठ के बल किया और रचना की तरह ही मेरे लंड पर बैठकर उछलने लगी
मैं अपने हाथ बढ़ाकर मां के बड़े बड़े माम्मों को नीचोड़ने लगा और मां मेरे लौड़े को अपनी योनि की फांकों से दबाकर निचोड़ने लगी और इस तरह काफी देर घुड़सवारी करके मां ने मेरा पानी निकाला और रचना ने अपने भाई के लंड से वीर्य की आखिरी बूंद तक अपनी योनि में खींच ली फिर दोनों भाई-बहन फर्श पर ही पस्त होकर लेट गए और बिस्तर पर हम मां बेटा एक दूसरे को आलिंगन में लिए ही सो गए
बहुत ही शानदार अपडेट है:party::sex::sex::sex::sex::sex:
 
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Sangya

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बहुत ही शानदार अपडेट है:party::sex::sex::sex::sex::sex:
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बहुत ही शानदार अपडेट है:party::sex::sex::sex::sex::sex:
धन्यवाद
सैक्स वाली ई मोजी मुझे बहुत अच्छी लगी
 
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