घर में मैं और मां अकेले ही थे भाई होस्टल में रहता था और पिताजी हफ्ते या 15 दिन में 1 दिन के लिए आते थे।
पढ़ाई के बाद चाची का कमरा देखा तो पाया कि आज उनके पति घर में हैं।
रात 8 बजे मां उठी तो काफी ठीक लग रही थी। मैं सोच रहा था कि जो शाम को हुआ उसके बाद पता नहीं मैं मां को कैसे बात करेगी किंतु मां बिल्कुल सामान्य थी, उठकर मां बोली बेटा कौन सी सब्जी बनाऊं मैंने कहा जो आपकी इच्छा हमने खाना खाया मां ने कुछ देर टीवी देखा और 9:30 बजे ही मां बोली कि अब नींद आ रही है चल सोते हैं। मैंने कहा कि कुछ पढ़ाई बाकी है मां बोली वह कल कर लेना आज लाइटें बंद करके जल्दी सो जाओ मैंने मां की आज्ञा मानने में भलाई समझी।
कूलर चल रहा था और मां पेटिकोट और ब्लाउज में बिस्तर पर लेटी हुई थी मैंने आकर चुपचाप अपने आप को चम्मच की तरह मां से चिपका लिया मेरा एक हाथ मां के पेट पर और दूसरा हाथ मैंने मां से गले के नीचे से निकाल कर उसके वक्ष पर रख दिया मां कुछ बोली नहीं मैंने भी सोने से पहले सिर्फ कच्छा ही पहना हुआ था इस तरह से मेरा लिंग सख्त होकर मां के नितंबों में धंसने लगा मां ने कुछ नहीं कहा और मैं धीरे-धीरे मां के पेट को सहलाने लगा।
मां बोली बेटा आप सो जाओ मैंने कहा मां मुझे आपके गुलगुले पेट पर हाथ रखने से अच्छे से नींद आती है मां बोली पहले तो तू बचपन में दूध पीते पीते सो जाता था पर अब तू बड़ा हो गया है मैं बोला नहीं मां दूध तो मुझे अभी भी बहुत अच्छा लगता है किंतु इस उम्र में क्या आपको अच्छा लगेगा मां बोली तू तो मेरा एकदम प्यारा राजा बेटा जो कि मेरा बहुत ध्यान रखता है तो तुझे दूध पिलाने में क्या मुश्किल।
यह बातें सुनकर मेरा लिंग मां के पेटीकोट में बहुत ज्यादा दबाव बनाकर नितंबों की दरार में धस चुका था उसको हटाने का मन तो नहीं था पर दूध मिलने का लालच इससे ज्यादा था मैंने कहा ऐसी बात है तो मैं मुझे दूध पिलाओ जिससे मेरी बुद्धि तेज होगी और मैं अच्छी पढ़ाई कर सकूंगा मेरा मन भी इधर-उधर नहीं भटकेगा।
मां ने मुस्कुराकर मेरी तरफ करवट ली मैंने थोड़ा नीचे होकर मां के चूचियों पर अपना मुंह दबा दिया जैसे रूई के नर्म गोलों पर अपना मुंह रख दिया हो और ब्लाउज के ऊपर से ही जीभ से टटोलने लगा। बिना कुछ कहे मां ने अपने हाथों से ब्लाउज खोला और मैंने अपना मुंह मां के बांए निप्पल पर लगा दिया। निप्पल को चूसते हुए एक हाथ से दायां निप्पल मरोड़ने लगा और दूसरे हाथ से मां के नितंबों को सहलाने लगा
मां ने अपने दोनों पैर खोल कर मेरे पैरों में फंसा दिए,अब मेरा लिंग मां की जांघों के बीच टक्कर देने लगा।
मैंने दूध पीना छोड़ कर मां को कसकर अपनी छाती पर जकड़ लिया और नीचे से अपने लंड का दवाब चूत पर बनाना शुरू किया।
मां ने चुपचाप साइड से अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और जब मैंने यह महसूस किया तो मैंने भी अपने कच्छे को नीचे सरकाने का प्रयास किया, मौका पाते ही एक साथ एक ही लक्ष्य में मां का पेटीकोट और मेरा कच्छा उतर गया। अब हम दोनों मां बेटा निपट नंगे थे मैं मां के शरीर में समाने का प्रयास कर रहा था और मां मुझको अपने मन और तन में अंगीकार कर रही थी।
मैंने कुछ नीचे होकर मां की चूचियां चाटनी शुरू की । दोनों हाथों से दुग्ध कलश पकड़े और बारी बारी से दोनों थनों को भुखे बच्चे की तरह पीने लगा फिर मैंने एक हाथ नीचे करके अपने लिंग को पकड़ कर मां की नंगी योनि के द्वार तक लाया पर अपनी एक अंगुली मां की चूत में डालकर छेड़ने लगा मां ने अपने हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ा और अपनी हथेली से मेरे खम्बे का मुआयना करने लगी मैंने भी मम्मे चूसना छोड़ कर मां की मुख चुम्मी लेने लगा हम दोनों के मुखरस एक दूसरे के मुंह में चल रहे थे मां का हाथ मेरे लंड को मसल रहा था और मेरी 3 अंगुलिया मां की चूत का मर्दन कर रही थीं। मेरा लंड और मां की चूत फड़फड़ा रहे थे मैंने शाम को मां द्वारा प्रदत जानकारी के अनुसार अपने लिंग को मां की चूत में ठूंस दिया।
अंदर जाकर लंड ठप-ठपा-ठप करने लगा, मां ने अपने दोनों पैरों से मेरे पैरों पर कैंची बना ली और अपने नाखूनों से मेरी पीठ खरोंचने लगी
मां मेरे हर धक्के का जवाब अपने धक्के से दे रही थी रेलगाड़ी पटरी पर धक धका धक चली जा रही थी, पिस्टन अपने सिलेंडर में अंदर-बाहर हो रहा था, दोनों की सांसें लय बद्ध तरीके से थाप दे रही थी
मां का शरीर मेरे शरीर को अपने से पुनः एकाकार करने का प्रयास कर रहा था और मैं अपनी मां की योनि में प्रवेश कर रहा था
मां की सांसें तेज तेज चल रही थीं और मैं 100 मीटर रेस की स्पीड से लंड को चूत में भगा रहा था
अब मुझे झनझनाहट होने लगी थी और मेरा वीर्य मां की चूत में भरने लगा मैंने कसकर मां को जकड़ लिया अब मां भी झड़झड़ाने लगी थी हम दोनो एकाकार हो गये और ऐसे ही लिपटकर नंगे ही सो गये