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Incest मां और मैं

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
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प्यार और वाइल्ड सेक्स तक ठीक है पर शादी करना कई तरह की सामाजिक परेशानियों का का कारण बनेगा अतः दोनों चुपचाप से एक दूसरे से प्यार का मज़ा लेते रहें
परिवार को पता भी चल जाए तब भी बाहर समाज से इस संबंध को छिपाकर प्यार बनाए रखेंया फिर सब कुछ छोड़कर विदेश या किसी ऐसे प्रदेश में घर बसाने का प्रयास करें जहां आपको कोई भी नहीं जानता हो पर इस तरह आपको सेक्स तो खुलकर मिल जाएगा पर बाकी जिंदगी चोरी से बितानी पड़ सकती है

भाई मेरे, मां चाची ताई मौसी बुआ बहन मामी भाभी से इंसेस्ट सेक्स का प्रतिबंधित मजा ही थ्रिल है शादी करके तो पत्नी को ही चोदने का सादा स्वाद मिलेगा
हां ! इंसेस्ट सेक्स को गहरा करने के लिए तुम अपनी बड़ी मां को सब तरह से मानसिक और शारीरिक सपोर्ट देने की अपनी और से पूरी कोशिश करते रहो कि वह मन ही मन आप पर पत्नी की तरह से निर्भर रहे

प्यार और वाइल्ड सेक्स तक ठीक है पर शादी करना कई तरह की सामाजिक परेशानियों का का कारण बनेगा अतः दोनों चुपचाप से एक दूसरे से प्यार का मज़ा लेते रहें
परिवार को पता भी चल जाए तब भी बाहर समाज से इस संबंध को छिपाकर प्यार बनाए रखेंया फिर सब कुछ छोड़कर विदेश या किसी ऐसे प्रदेश में घर बसाने का प्रयास करें जहां आपको कोई भी नहीं जानता हो पर इस तरह आपको सेक्स तो खुलकर मिल जाएगा पर बाकी जिंदगी चोरी से बितानी पड़ सकती है

भाई मेरे, मां चाची ताई मौसी बुआ बहन मामी भाभी से इंसेस्ट सेक्स का प्रतिबंधित मजा ही थ्रिल है शादी करके तो पत्नी को ही चोदने का सादा स्वाद मिलेगा
हां ! इंसेस्ट सेक्स को गहरा करने के लिए तुम अपनी बड़ी मां को सब तरह से मानसिक और शारीरिक सपोर्ट देने की अपनी और से पूरी कोशिश करते रहो कि वह मन ही मन आप पर पत्नी की तरह से निर्भर रहे
बहुत ही सावधानी से संतुष्टि पूर्वक उत्तर दिया गया है / इस उत्तर पर मननं करने की आवशयकता है /

घर पर मम्मी से अथवा किसी लड़की या औरत से सेक्स सम्बन्ध बनाना बुरा नहीं है (अगर दोनों की मर्ज़ी है तो ) किन्तु हम जिस समाज में रहते हैं वहां की मर्यादा का निर्वाह भी करना होता है / इसका भी ध्यान रखना होता है नहीं तो समाज और परिवार मैं जीना बहुत ही मुश्किल हो जाता है //
 
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Rajug8804

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मैं अपने बड़े ममी से बहुत प्यार करता हूं और उसके साथ रहना चाहता हुआ एक पति पत्नी की तरह। इसके मांग में मेरा सिंदूर हो, वाइल्ड सेक्स हो, वो मेरे बच्चो की अम्मी बने मे उसके बच्चो का बाप बनू क्या करू ।
Same feeling
 

Sangya

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संजय के अचानक घर पर आ जाने से मेरे और मौसी के चुदाई कार्यक्रम में बहुत विघ्न पड़ गया था किंतु मेरे और मौसी के कल से चल रही अंदरूनी गपशप जिसमें मैंने मौसी को संजय की मेरी मौसी यानि अपनी मां को चोदने की इच्छा के बारे में बताया था तब से मौसी का मन व्याकुल हो रहा था कि एकदम से मौका मिलते ही अपने बेटे संजय के सामने लिपट कर अपनी चूत खोल दे और संजय को भरपूर चुदाई का मौका देकर अपने और संजय के मन की प्यास को बुझा दे।

मेरी भी इच्छा थी कि संजय और मौसी आपस में खुल जाए ताकि मौसी को इस अधेड़ उम्र में अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए घर से बाहर ना जाना पड़े
चाहे मुझे मौसी के साथ अकेले समय बिताने का बहुत अच्छा मौका मिला था जिसका मैं पिछले 2 दिनों से पूरा मजा ले रहा था और मैंने और मौसी ने लगातार चुदाई करके एक नया कीर्तिमान बनाने की कोशिश की थी पर सभी पाठकों को पता तो है की चुदाई का कभी भी कीर्तिमान नहीं बन सकता है। एक जुड़ा कीर्तिमान बनाता है और दूसरी जोड़ी तुरंत ही उससे ज्यादा चुदाई करके एक नया कीर्तिमान बना लेती है
यह मां-बेटे, मौसी- भतीजे और भाई -बहन की चुदाई होती ही ऐसी है कि जितनी भी कर लो मन नहीं भरता।
फिर भी एक अच्छे जिम्मेदार बेटे की तरह मेरा भी कर्तव्य था कि मैं अपनी मौसी को उसके बेटे के हवाले करके और मां बेटे को चुदाई के लिए प्रोत्साहित करके पूरे उनको पूरे मजे ले लेने के लिए उनके रास्ते खोल दूं।
एक दयालु इंसान की तरह मैंने सोचा कि मुझे तो दसियों साल से मां की चुदाई और संसर्ग का मजा मिला है और इस बीच में मैंने मौसी, किराएदार चाची और रचना व संजना बहन को भी कितनी बार पेल दिया हूं और संजय बेचारा मां को चोदने के सपने देख-देखकर मुट्ठीयाता रहता है अतः उसको भी मौका मिलना चाहिए
साथ ही मौसा जी भी इस उम्र में मौसी का की कामाग्नि का बोझा उठाने में असमर्थ होते जा रहे हैं इसलिए मौसा को भी थोड़ा सा आराम मिलना चाहिए
यह सोच कर संजय के आने के बाद मैंने मौसी और संजय को अलग-अलग से समझा कर उन्हें अकेले रहने और मां बेटे की चुदाई का पूरा मौका देने मिलने का फायदा उठाने के लिए तैयार कर दिया था।

अब आगे की कहानी संजय के मुंह से सुनिए .... बल्कि कहानी तो मेरे मुंह से ही सुन रहे हैं यानी मेरी कलम से ही पढ़ रहे हैं पर यह पूरी घटना संजय ने मुझे जिस तरह से बताई ज्यों की त्यों मैं आपके सामने रख रहा हूं.....

संजय ने बिल्कुल शुरू से अपनी और अपनी मां के पहले संभोग का किस्सा मुझे बताना शुरू किया.....

भैया आपके जाते ही मैं मां सांकल लगाकर अंदर आई और मेरे साथ सोफे पर बैठ गई और बोली बता संजय तेरा यहां आने का कार्यक्रम एकदम अचानक कार्यक्रम कैसे बन गया? मां की बहुत याद आ रही थी क्या?
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए कहा कि हां मां तुम्हारे बिना मैं बहुत उदास सा हो रहा था तो मौका मिलते ही मैं यहां चला आया, पर, देखो ना मैं तो सोच रहा था कि हम दोनों भाई मिलकर आपसे गपशप करेंगे और आपका मन बहलाएंगे पर संजय अचानक जाना पड़ गया
मां बोली मुझे बहलाने के लिए तुझे आकाश की क्या जरूरत पड़ती है क्या हम मां बेटा आपस में गपशप मार कर मन नहीं बहला सकते
मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि नहीं मां, आकाश की वैसे हमारे बीच में तो कोई जरूरत नहीं है परंतु आकाश जिस तरह से गोवा घूम कर आया है और मौसी को अकेले ही अपने साथ घूमा लाया था वह सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा भी मन है कि मैं आपको ऐसे अकेले में किसी अच्छी जगह पर घुमा लाऊं !!!
मां बोली नालायक तू घुमाने की बात करता है तू तो कभी मुझे पिक्चर दिखाने भी नहीं ले गया
मैं बोला मां पिक्चर!! मुझे नहीं पता था कि आपको पिक्चर देखने का शौक है, नहीं तो मैं जरूर ही आपको लेकर जाता
यह बात सुनकर मां ने हंसते हुए मेरे गाल पर चपत मारकर कहा कि तुझे मां के बारे में तो कुछ भी नहीं पता और बातें करता है कि आकाश की तरह मुझे घुमाने ले जाएगा!!!
मां की यह बात सुनकर मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई की मैं मां के मोटे मोटे मम्मे भारी भारी चूतड़ ब्लाउज के अंदर से झांकते हुए निपल्स और मौका मिलते ही मां के जांघों तक उठे हुए पेटीकोट के बीच में से छलकती हुई मोटी-मोटी जांघों और मौका मिलते ही चूत या झांटों को ना जाने कितनी बार देखा है पर एक बार भी उसके मन को नहीं पढ़ पाया कि मां अपने रोजमर्रा के जीवन में किन चीजों को पसंद करती है। मुझे तो यह भी नहीं पता था कि मां को किस रंग के कपड़े ज्यादा पसंद है और इस सब के बावजूद भी मैं कल्पना करता रहता था कि मां मुझे अपने ऊपर चढ़ने का मौका देगी मेरे सामने अपनी जांघें खोल कर चूत को मेरे सामने परोस देगी और कहेगी कि बेटा मार ले अपनी मां की जितनी चूत मारनी है ।
अरे यह चूत का घिस्सा तो बहुत ज्यादा अनुनय विनय के बाद ही मिलता है गर्लफ्रेंड भी अपने आशिक से 50 तरह के काम करवा कर और दुनिया भर के नखरे चोदने के बाद भी सिर्फ किस करने का मौका देती है और मैं सिर्फ इसलिए मां की चूत पर उम्मीदवारी लगा कर बैठ गया था कि मैं उसका बेटा हूं!

ऐसे थोड़ा होता है पर औरत औरत ही होती है! जहां वह अपने प्रेमी और पति को हर तरह से जांच कर 24 कैरेट खरा ही लेना चाहती है वहीं वह अपने भाई और बेटों से एक तरफा बेइंतहिया प्यार भी करती है
जहां पत्नी बहुत नखरैली होती है वहीं मां- बहन दया का सागर होती है इसलिए मां -बहन कभी भी अचानक ही ऐसे किसी मौके पर भाई -बेटे से चूत मरवा लेती है पर किसी बाहरी आदमी को अपनी चूत की तरफ देखने का भी मौका नहीं देती चूत मरवाना तो बहुत दूर की बात है
यह फिलासफी मुझे पता थी पर संजय इस व्यवस्था से अंजान था वह बोल रहा था कि ....

उसे आज यह बात बहुत परेशान कर रही थी कि मैंने खयाल तो बहुत ऊंचे ऊंचे रखे थे पर सच्चाई में मैंने मां को पटाने की कुछ भी कोशिश नहीं की थी
इतनी देर खामोश रहने के बाद मां मेरे मन मैं छाई निराशा पढ़ने में पढ़ चुकी थी और मेरे मुंह पर आए निराशा के भावों को समझते हुए और माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर धीरे से मेरी छाती ऊपर झुकते हुए बोली अरे बेटा उदास क्यों होता है अभी तक समय नहीं मिला तो कोई बात नहीं! अभी देर आए दुरुस्त आए !!, अब तेरी पढ़ाई भी पूरी होने वाली है अब तो मुझे पता है कि तू मां को पूरा समय देगा
यह सुनकर मैंने मां को आलिंगन में ले लिया और कि बोला कि ठीक बोल रही हो मां!!!!
ऐसे ही धीरे-धीरे हमें समय मिलेगा फिर मैं तुम्हें सब जगह घुमा लाऊंगा

मां बोली धीरे-धीरे के चक्कर में समय खराब मत कर पहली बार ऐसा मौका मिला है कि हम अकेले में एक दूसरे से बात करके आपस में एक दूसरे की इच्छा को जान सकेंगे । तू मेरी मेरे मन को पढ़ और समझ मुझे तेरे से उम्मीद है कि तू अपनी मां का ध्यान रखेगा
मां की सुनकर यह बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा तो मैंने भी मां को अपने आलिंगन में ले लिया और मैंने मन में निश्चय कर लिया की मां की सब इच्छाओं को समझकर पूरा करुंगा और बेटा होने का फर्ज अदा करूंगा

मैं जब से आया था पेंट कमीज पहनकर ही बैठा था सोफे पर हम मां बेटा चिपक कर बैठे हुए थे मां अलसाई सी मेरे ऊपर लेटी हुई थी और मैं मां को आलिंगन में लेकर मां के पेट के आसपास के हिस्से को सहला रहा था
काफी देर तक हम ऐसे ही मां बेटा एक दूसरे के शरीर से जुड़े हुए एक दूसरे की गर्मी का आनंद लेते रहे मेरा लौड़ा कुछ खड़ा होने लगा जा और मेरी अकड़ मां की कमर के आसपास सख्त हो रही थी कि अचानक मां बोली बेटा इतने तंग कपड़ों में बैठा हुआ है आराम से कपड़े बदल कर सहज हो जा
मैंने कहा मैं तो एक्स्ट्रा कपड़े लाया ही नहीं हूं
मां बोली क्या फर्क पड़ता है यह पेंट कमीज उतार दे, मैं धो देती हूं कल यही पहन लेना अभी तो घर में कोई नहीं है चाहे तो कच्छा बनियान भी धुलवा ले इस बीच तू तौलिया लपेटकर घर में रह लेना बाहर तो कहीं जाना नहीं है

मैंने मां की बात मान कर मैं मां के साथ सोफे पर ही मां को आलिंगन में लेकर लेटे रहना चाहता था पर मां की बात मानकर में उठकर बेडरूम मैंने संजय के बेडरूम में जाकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और एक चादर अपनी कमर पर लपेट कर आ गया। संजय के कमरे में मुझे चुदाई की खुशबू फैली हुई लगी और मेरा लिंग खुशबू के कारण थोड़ा तन गया था
बाहर आकर मैंने देखा तो मुझे हैरानी हुई की मां ने भी मैक्सी उतार कर पेटीकोट ब्लाउज पहने हुए थी मुझे पूरा यकीन है कि पहले मां ने सिर्फ मैक्सी ही पहनी हुई थी नीचे पेटिकोट और ब्लाउज नहीं था क्योंकि मां का नंगा वक्ष और जांघों की गर्मी मेरे से आलिंगन के दौरान मुझे साफ महसूस हो रही थी
पर मैंने इस बदलाव पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और सोचा कि मां ने कपड़े धोने के लिए मैक्सी को गीला होने से बचाने के लिए मैक्सी उतार कर पेटीकोट ब्लाउज पहन लिया है
इस घर की सभी औरतों की ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनने और पेटीकोट के नीचे कच्छी ना पहनने की आदत मुझे बहुत अच्छी लगती थी जिस कारण से मां, मौसी और बुआ सभी औरतों का नंगा शरीर काफी हद तक मुझे दिख जाता था और मुठ मारने के दौरान मैं उनकी मोटी मोटी जांघों को और छलकते हुए मम्मों की कल्पना करके बहुत जोश से मुठ मारता था
मां ने अपनी मैक्सी समेटी और मेरे कपड़े उठाए और बाथरूम जाकर बाल्टी में कपड़े डाल कर मां ने नल खोला और सर्फ ढूंढने लगी
सर्फ का डिब्बा ऊपर ऊंचाई पर रखा था मां चाहती तो पटरे पर खड़े होकर आराम से उतार सकती थी पर मां ने मुझे आवाज देकर बुलाया की बेटा सर्फ ऊपर पड़ा है उठा दे
मेरे को बुलाने से पहले मां ने पेटिकोट को दुहरा करके अपनी जांघों तक उठाया हुआ था और मेरी तरफ पीठ करके सर्फ वाली अलमारी की तरफ ही मुंह करके खड़ी थी

मैंने जाकर पूछा सर्फ कहां है

तब मां ने हाथ उठाकर उपर को इशारा किया परन्तु वहां से हिली नहीं
मैंने मां के पीछे खड़े होकर अपने हाथ ऊंचे किए और सर्फ की अलमारी की ऊंचाई वाले हिस्से तक पहुंच गया पर डिब्बे को पकड़ने के लिए मुझे आगे कदम बढ़ा कर अपना पेट मां की कमर से चिपकाना पड़ा हाथ में डिब्बा पकड़ने के बाद भी मैं वैसे ही खड़ा रहा क्योंकि मां के नितंबों की गर्मी के कारण चादर के अंदर से मेरा लिंग मां के पेटीकोट के ऊपर से मां के नितंबों के बीच में गढ़ रहा था वहां मां के नरम चुतड़ो की गर्मी महसूस करके मेरा लिंग खुराफात करने लगा और मैं वैसे ही खड़ा रहा
मां भी बिना बोले वैसे ही खड़ी रही बल्कि मां ने अपनी कमर को थोड़ा आगे झुकाते हुए अपने नितंबों को मेरे लिंग के आसपास और ज्यादा कस दिया
मैंने बहाना बनाते हुए कहा कि मां मेरे हाथ अभी भी डब्बे से दूर है थोड़ा आगे होना पड़ेगा मां बोली फिक्र मत कर ध्यान से धीरे-धीरे उतारना कहीं सर्फ का डिब्बा मेरे ऊपर ना गिर जाए आराम से उतार, कोई जल्दी नहीं है !!
शायद मां को भी अपने नितंबों पर मेरे लिंग का दबाव अच्छा लग रहा होगा मैं बहुत देर तक वैसे ही मां के नितंबों में अपना लिंग गड़ाकर खड़ा रहा मां ने अपने दोनों हाथ बढ़ाकर दिवार थाम ली और अपनी गांड मेरी कमर पर चिपका दी मैं भी थोड़ा आगे बढ़कर मां से और ज्यादा चिपक लिया और डिब्बा को उपर पकड़कर खड़ा रहा
मां बोली हां बेटा ऐसे ही आराम से, जल्दबाजी मत कर कहीं सर्फ मेरे ऊपर ना गिर जाए
मैं द्विअर्थी शब्दों में बोला नहीं मां मैं बहुत ध्यान से कर रहा हूं आपके ऊपर गिरने नहीं दूंगा कन्ट्रोल में रखुंगा पर डिब्बा ऊंचा है और भारी है कुछ समय लग रहा है
मां भी हंसते-हंसते हुए द्विअर्थों में बोली सब सामान ऊंचा है और भारी है तभी तो तुझे बुलाया है मेरे लंबे जवान गबरु बेटे के मेरे साथ होने से मेरा सब मुश्किल काम आसान हो जाता है अब तू आराम से उतार ले, ध्यान से कोई जल्दी मत कर..
इस तरह से काफी देर तक मां की गांड पर अपना लंड रगड़ने के बाद मैंने डिब्बा उतार दिया और मां सीधी हुई तो मैंने पीछे से ही मां के गिर्द अपने हाथ का घेरा बनाकर मां की कमर से आगे करके मां के हाथ में सर्फ का डिब्बा पकड़ा दिया इस दौरान मैंने मां के मम्मों को अच्छे से मसल दिया मां फिर भी कुछ नहीं बोली बहुत प्यार से अपनी मम्मों को मसलवाती रही
मैं मां के पीछे पड़ा अपना लंड मां की गांड में रगड़ता रहा और अपने हाथों से मां के ब्लाउज के ऊपर से मम्मों पर हाथ चलाता रहा और मां भी बहुत प्यार से इंतजार करती रही इसके बाद जब मेरे लिंग की अकड़न बहुत ज्यादा बढ़ गई तो मैं मां के हाथ में डिब्बा थमाकर मैं हट गया और दरवाजे पर खड़ा होकर मां को देखने लगा

मां अभी भी मेरी तरह मुड़कर बाल्टी के ऊपर झुकते हुए पानी में सर्फ घोलने लगी
मां के झुकते ही मां के बड़े-बड़े मम्मे ब्लाउज के खुले गले में से बाहर से छलकते हुए मुझे आकर्षित करने लगे और मैं सामने खड़ा हुआ अपनी मां की मम्मों को ध्यान से देखता रहा
मां ने सिर उठाकर मेरी निगाह का पीछा किया और मुझे अपने मम्मो को ताड़ता हुआ पाकर कुटिल भाव से मुस्कुराई और उसी तरह से झुके झुके बाल्टी में साबुन घोलती रही
मुझे अपना रस दिखाने के लिए मां ने जरूरत से ज्यादा हिलना शुरू किया था इसलिए मां के छलकते हुए थनों को देखकर मेरा मन वासना के घोड़े पर सवार हो गया पानी को घोलने में जरूरत से ज्यादा देर लगा कर मां ने मुझे अपने मम्मो की नुमाइश की और फिर पेटीकोट को घुटनों से ऊपर जांघों तक उठाकर पटरे पर बैठ गई बैठने के समय भी मम्मी ने ध्यान रखा कि मम्मी की जांघें मेरी तरफ खुली रही जिससे मैं बिना रोक-टोक जांघों के अंदरूनी हिस्से की झलक ले पा रहा था
काफी देर तक मैं वही टकटकी लगाकर मम्मी की नंगी जांघों को देखकर उनपर अपने हाथ फिराने की कल्पना करता रहा और मन में सोचा कि कब मेरी नंगी जांघें मम्मी की नंगी जांघों से रगड़ खाएंगी
मां भी बहुत अच्छे मूड में थी और मुझे अपने शरीर को दिखा कर ललचा रही थी।

हम दोनों के बीच में काफी देर से चुप्पी थी तो मां ने बोला बेटा तू भी कुर्सी लेकर यही सामने बैठ जा बातें करते हुए आराम से कपड़े धो लूंगी मैंने कहा मां कुर्सी की जरूरत नहीं है मैं यही खड़े होकर आपसे बात करता रहूंगा और बाद में कपड़े खंगालने में मदद कर दूंगा
मां बोली शाबाश मेरे बेटे कहते कहते मां ने मेरी जान जांघों के बीच में लंड के खड़े होने के चादर में तने हुए तम्बू पर निगाह दौड़ाई और मेरे से बोली है मुझे कोई जल्दी नहीं है तू भी आराम से बैठ बातें करते हुए कपड़े धो लेंगे

यह कहकर मां ने मेरे कच्छे बनियान उठाए और सर्फ की बाल्टी में अच्छे से भिगोकर बाथम के फर्श पर रख दिए और ब्रश से रगड़ने लगी मेरे कपड़े इतने मैले तो नहीं थे की ब्रश से रगड़ने पढ़ें परंतु मां ज्यादा से ज्यादा देर झुकी रह कर मुझे अपनी क्लीवेज और अपने मोटे मोटे रसदार मम्मों को दिखाना चाहती हैं इस बीच में मम्मी ने बहाने से काफी सर्फ और पानी भी अपने ब्लाउस पर छिड़क लिया इसके कारण पतले कपड़े वाला ब्लाउज शरीर पर इस तरह से चिपक गया कि कपड़े का होना या ना होना बराबर था और भीगे कपड़ों में से नंगी मां के खड़े निप्पल और भी ज्यादा साफ साफ दिख रहे थे
अब मां और ज्यादा झुक गई थी जिससे कारण मुझे मां के मम्मे देखने में असुविधा लग रही थी तो मैंने थोड़ा जो थोड़ा सा झुक कर मम्मी के सेक्सी मम्मे निहारने लगा मां मेरी इस हरकत से दुबारा मुस्कुराई और अपनी योजना को सफल होते देखा और ज्यादा झुक गई इस बीच मेरी निगाह मां की जांघों के बीच में पड़ी तो मैंने पाया कि मां का पेटीकोट सिमट कर मां की कमर के इर्द-गिर्द अटक गया था और कपड़े का एक कोना ही मां की योनि को ढ़क रहा था अपनी मातृभूमि को देखकर मेरे लिंग में दुबारा से छलांग लगाई जिससे मेरी कमर के ऊपर चादर में हलचल को भी मां ने भी नोट किया


अब सिर्फ देखने से ही मेरा काम नहीं चल रहा था मेरा मन कर रहा था कि मैं वहां से लिपट कर मां के दूध चूसते हुए मां की योनि में अपना लंड रगड़ कर वीर्यपात करूं यह सोच कर मैं मां के सामने बैठ गया

आगे मां बेटे की चुदाई का बेटे के मुंह से सुना विवरण जल्दी ही...
 

Sangya

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Welcom bro
Never stay in doubt about your mom's love to you n never try to compare it in any other relation like wife.
Mutually desired Sex between mom n son is ultimate love n bliss. Mom's desire is to give n give only till her last drop of energy.
Whereas sex between husband n wife is mutual give n take of pleasure n security n is controlled by various factors.
 

Roy monik

I love sex
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Never stay in doubt about your mom's love to you n never try to compare it in any other relation like wife.
Mutually desired Sex between mom n son is ultimate love n bliss. Mom's desire is to give n give only till her last drop of energy.
Whereas sex between husband n wife is mutual give n take of pleasure n security n is controlled by various factors.
I wil try
 
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Meenabhabhi

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संजय के अचानक घर पर आ जाने से मेरे और मौसी के चुदाई कार्यक्रम में बहुत विघ्न पड़ गया था किंतु मेरे और मौसी के कल से चल रही अंदरूनी गपशप जिसमें मैंने मौसी को संजय की मेरी मौसी यानि अपनी मां को चोदने की इच्छा के बारे में बताया था तब से मौसी का मन व्याकुल हो रहा था कि एकदम से मौका मिलते ही अपने बेटे संजय के सामने लिपट कर अपनी चूत खोल दे और संजय को भरपूर चुदाई का मौका देकर अपने और संजय के मन की प्यास को बुझा दे।

मेरी भी इच्छा थी कि संजय और मौसी आपस में खुल जाए ताकि मौसी को इस अधेड़ उम्र में अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए घर से बाहर ना जाना पड़े
चाहे मुझे मौसी के साथ अकेले समय बिताने का बहुत अच्छा मौका मिला था जिसका मैं पिछले 2 दिनों से पूरा मजा ले रहा था और मैंने और मौसी ने लगातार चुदाई करके एक नया कीर्तिमान बनाने की कोशिश की थी पर सभी पाठकों को पता तो है की चुदाई का कभी भी कीर्तिमान नहीं बन सकता है। एक जुड़ा कीर्तिमान बनाता है और दूसरी जोड़ी तुरंत ही उससे ज्यादा चुदाई करके एक नया कीर्तिमान बना लेती है
यह मां-बेटे, मौसी- भतीजे और भाई -बहन की चुदाई होती ही ऐसी है कि जितनी भी कर लो मन नहीं भरता।
फिर भी एक अच्छे जिम्मेदार बेटे की तरह मेरा भी कर्तव्य था कि मैं अपनी मौसी को उसके बेटे के हवाले करके और मां बेटे को चुदाई के लिए प्रोत्साहित करके पूरे उनको पूरे मजे ले लेने के लिए उनके रास्ते खोल दूं।
एक दयालु इंसान की तरह मैंने सोचा कि मुझे तो दसियों साल से मां की चुदाई और संसर्ग का मजा मिला है और इस बीच में मैंने मौसी, किराएदार चाची और रचना व संजना बहन को भी कितनी बार पेल दिया हूं और संजय बेचारा मां को चोदने के सपने देख-देखकर मुट्ठीयाता रहता है अतः उसको भी मौका मिलना चाहिए
साथ ही मौसा जी भी इस उम्र में मौसी का की कामाग्नि का बोझा उठाने में असमर्थ होते जा रहे हैं इसलिए मौसा को भी थोड़ा सा आराम मिलना चाहिए
यह सोच कर संजय के आने के बाद मैंने मौसी और संजय को अलग-अलग से समझा कर उन्हें अकेले रहने और मां बेटे की चुदाई का पूरा मौका देने मिलने का फायदा उठाने के लिए तैयार कर दिया था।

अब आगे की कहानी संजय के मुंह से सुनिए .... बल्कि कहानी तो मेरे मुंह से ही सुन रहे हैं यानी मेरी कलम से ही पढ़ रहे हैं पर यह पूरी घटना संजय ने मुझे जिस तरह से बताई ज्यों की त्यों मैं आपके सामने रख रहा हूं.....

संजय ने बिल्कुल शुरू से अपनी और अपनी मां के पहले संभोग का किस्सा मुझे बताना शुरू किया.....

भैया आपके जाते ही मैं मां सांकल लगाकर अंदर आई और मेरे साथ सोफे पर बैठ गई और बोली बता संजय तेरा यहां आने का कार्यक्रम एकदम अचानक कार्यक्रम कैसे बन गया? मां की बहुत याद आ रही थी क्या?
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए कहा कि हां मां तुम्हारे बिना मैं बहुत उदास सा हो रहा था तो मौका मिलते ही मैं यहां चला आया, पर, देखो ना मैं तो सोच रहा था कि हम दोनों भाई मिलकर आपसे गपशप करेंगे और आपका मन बहलाएंगे पर संजय अचानक जाना पड़ गया
मां बोली मुझे बहलाने के लिए तुझे आकाश की क्या जरूरत पड़ती है क्या हम मां बेटा आपस में गपशप मार कर मन नहीं बहला सकते
मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि नहीं मां, आकाश की वैसे हमारे बीच में तो कोई जरूरत नहीं है परंतु आकाश जिस तरह से गोवा घूम कर आया है और मौसी को अकेले ही अपने साथ घूमा लाया था वह सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा भी मन है कि मैं आपको ऐसे अकेले में किसी अच्छी जगह पर घुमा लाऊं !!!
मां बोली नालायक तू घुमाने की बात करता है तू तो कभी मुझे पिक्चर दिखाने भी नहीं ले गया
मैं बोला मां पिक्चर!! मुझे नहीं पता था कि आपको पिक्चर देखने का शौक है, नहीं तो मैं जरूर ही आपको लेकर जाता
यह बात सुनकर मां ने हंसते हुए मेरे गाल पर चपत मारकर कहा कि तुझे मां के बारे में तो कुछ भी नहीं पता और बातें करता है कि आकाश की तरह मुझे घुमाने ले जाएगा!!!
मां की यह बात सुनकर मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई की मैं मां के मोटे मोटे मम्मे भारी भारी चूतड़ ब्लाउज के अंदर से झांकते हुए निपल्स और मौका मिलते ही मां के जांघों तक उठे हुए पेटीकोट के बीच में से छलकती हुई मोटी-मोटी जांघों और मौका मिलते ही चूत या झांटों को ना जाने कितनी बार देखा है पर एक बार भी उसके मन को नहीं पढ़ पाया कि मां अपने रोजमर्रा के जीवन में किन चीजों को पसंद करती है। मुझे तो यह भी नहीं पता था कि मां को किस रंग के कपड़े ज्यादा पसंद है और इस सब के बावजूद भी मैं कल्पना करता रहता था कि मां मुझे अपने ऊपर चढ़ने का मौका देगी मेरे सामने अपनी जांघें खोल कर चूत को मेरे सामने परोस देगी और कहेगी कि बेटा मार ले अपनी मां की जितनी चूत मारनी है ।
अरे यह चूत का घिस्सा तो बहुत ज्यादा अनुनय विनय के बाद ही मिलता है गर्लफ्रेंड भी अपने आशिक से 50 तरह के काम करवा कर और दुनिया भर के नखरे चोदने के बाद भी सिर्फ किस करने का मौका देती है और मैं सिर्फ इसलिए मां की चूत पर उम्मीदवारी लगा कर बैठ गया था कि मैं उसका बेटा हूं!

ऐसे थोड़ा होता है पर औरत औरत ही होती है! जहां वह अपने प्रेमी और पति को हर तरह से जांच कर 24 कैरेट खरा ही लेना चाहती है वहीं वह अपने भाई और बेटों से एक तरफा बेइंतहिया प्यार भी करती है
जहां पत्नी बहुत नखरैली होती है वहीं मां- बहन दया का सागर होती है इसलिए मां -बहन कभी भी अचानक ही ऐसे किसी मौके पर भाई -बेटे से चूत मरवा लेती है पर किसी बाहरी आदमी को अपनी चूत की तरफ देखने का भी मौका नहीं देती चूत मरवाना तो बहुत दूर की बात है
यह फिलासफी मुझे पता थी पर संजय इस व्यवस्था से अंजान था वह बोल रहा था कि ....

उसे आज यह बात बहुत परेशान कर रही थी कि मैंने खयाल तो बहुत ऊंचे ऊंचे रखे थे पर सच्चाई में मैंने मां को पटाने की कुछ भी कोशिश नहीं की थी
इतनी देर खामोश रहने के बाद मां मेरे मन मैं छाई निराशा पढ़ने में पढ़ चुकी थी और मेरे मुंह पर आए निराशा के भावों को समझते हुए और माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर धीरे से मेरी छाती ऊपर झुकते हुए बोली अरे बेटा उदास क्यों होता है अभी तक समय नहीं मिला तो कोई बात नहीं! अभी देर आए दुरुस्त आए !!, अब तेरी पढ़ाई भी पूरी होने वाली है अब तो मुझे पता है कि तू मां को पूरा समय देगा
यह सुनकर मैंने मां को आलिंगन में ले लिया और कि बोला कि ठीक बोल रही हो मां!!!!
ऐसे ही धीरे-धीरे हमें समय मिलेगा फिर मैं तुम्हें सब जगह घुमा लाऊंगा

मां बोली धीरे-धीरे के चक्कर में समय खराब मत कर पहली बार ऐसा मौका मिला है कि हम अकेले में एक दूसरे से बात करके आपस में एक दूसरे की इच्छा को जान सकेंगे । तू मेरी मेरे मन को पढ़ और समझ मुझे तेरे से उम्मीद है कि तू अपनी मां का ध्यान रखेगा
मां की सुनकर यह बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा तो मैंने भी मां को अपने आलिंगन में ले लिया और मैंने मन में निश्चय कर लिया की मां की सब इच्छाओं को समझकर पूरा करुंगा और बेटा होने का फर्ज अदा करूंगा

मैं जब से आया था पेंट कमीज पहनकर ही बैठा था सोफे पर हम मां बेटा चिपक कर बैठे हुए थे मां अलसाई सी मेरे ऊपर लेटी हुई थी और मैं मां को आलिंगन में लेकर मां के पेट के आसपास के हिस्से को सहला रहा था
काफी देर तक हम ऐसे ही मां बेटा एक दूसरे के शरीर से जुड़े हुए एक दूसरे की गर्मी का आनंद लेते रहे मेरा लौड़ा कुछ खड़ा होने लगा जा और मेरी अकड़ मां की कमर के आसपास सख्त हो रही थी कि अचानक मां बोली बेटा इतने तंग कपड़ों में बैठा हुआ है आराम से कपड़े बदल कर सहज हो जा
मैंने कहा मैं तो एक्स्ट्रा कपड़े लाया ही नहीं हूं
मां बोली क्या फर्क पड़ता है यह पेंट कमीज उतार दे, मैं धो देती हूं कल यही पहन लेना अभी तो घर में कोई नहीं है चाहे तो कच्छा बनियान भी धुलवा ले इस बीच तू तौलिया लपेटकर घर में रह लेना बाहर तो कहीं जाना नहीं है

मैंने मां की बात मान कर मैं मां के साथ सोफे पर ही मां को आलिंगन में लेकर लेटे रहना चाहता था पर मां की बात मानकर में उठकर बेडरूम मैंने संजय के बेडरूम में जाकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और एक चादर अपनी कमर पर लपेट कर आ गया। संजय के कमरे में मुझे चुदाई की खुशबू फैली हुई लगी और मेरा लिंग खुशबू के कारण थोड़ा तन गया था
बाहर आकर मैंने देखा तो मुझे हैरानी हुई की मां ने भी मैक्सी उतार कर पेटीकोट ब्लाउज पहने हुए थी मुझे पूरा यकीन है कि पहले मां ने सिर्फ मैक्सी ही पहनी हुई थी नीचे पेटिकोट और ब्लाउज नहीं था क्योंकि मां का नंगा वक्ष और जांघों की गर्मी मेरे से आलिंगन के दौरान मुझे साफ महसूस हो रही थी
पर मैंने इस बदलाव पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और सोचा कि मां ने कपड़े धोने के लिए मैक्सी को गीला होने से बचाने के लिए मैक्सी उतार कर पेटीकोट ब्लाउज पहन लिया है
इस घर की सभी औरतों की ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनने और पेटीकोट के नीचे कच्छी ना पहनने की आदत मुझे बहुत अच्छी लगती थी जिस कारण से मां, मौसी और बुआ सभी औरतों का नंगा शरीर काफी हद तक मुझे दिख जाता था और मुठ मारने के दौरान मैं उनकी मोटी मोटी जांघों को और छलकते हुए मम्मों की कल्पना करके बहुत जोश से मुठ मारता था
मां ने अपनी मैक्सी समेटी और मेरे कपड़े उठाए और बाथरूम जाकर बाल्टी में कपड़े डाल कर मां ने नल खोला और सर्फ ढूंढने लगी
सर्फ का डिब्बा ऊपर ऊंचाई पर रखा था मां चाहती तो पटरे पर खड़े होकर आराम से उतार सकती थी पर मां ने मुझे आवाज देकर बुलाया की बेटा सर्फ ऊपर पड़ा है उठा दे
मेरे को बुलाने से पहले मां ने पेटिकोट को दुहरा करके अपनी जांघों तक उठाया हुआ था और मेरी तरफ पीठ करके सर्फ वाली अलमारी की तरफ ही मुंह करके खड़ी थी

मैंने जाकर पूछा सर्फ कहां है

तब मां ने हाथ उठाकर उपर को इशारा किया परन्तु वहां से हिली नहीं
मैंने मां के पीछे खड़े होकर अपने हाथ ऊंचे किए और सर्फ की अलमारी की ऊंचाई वाले हिस्से तक पहुंच गया पर डिब्बे को पकड़ने के लिए मुझे आगे कदम बढ़ा कर अपना पेट मां की कमर से चिपकाना पड़ा हाथ में डिब्बा पकड़ने के बाद भी मैं वैसे ही खड़ा रहा क्योंकि मां के नितंबों की गर्मी के कारण चादर के अंदर से मेरा लिंग मां के पेटीकोट के ऊपर से मां के नितंबों के बीच में गढ़ रहा था वहां मां के नरम चुतड़ो की गर्मी महसूस करके मेरा लिंग खुराफात करने लगा और मैं वैसे ही खड़ा रहा
मां भी बिना बोले वैसे ही खड़ी रही बल्कि मां ने अपनी कमर को थोड़ा आगे झुकाते हुए अपने नितंबों को मेरे लिंग के आसपास और ज्यादा कस दिया
मैंने बहाना बनाते हुए कहा कि मां मेरे हाथ अभी भी डब्बे से दूर है थोड़ा आगे होना पड़ेगा मां बोली फिक्र मत कर ध्यान से धीरे-धीरे उतारना कहीं सर्फ का डिब्बा मेरे ऊपर ना गिर जाए आराम से उतार, कोई जल्दी नहीं है !!
शायद मां को भी अपने नितंबों पर मेरे लिंग का दबाव अच्छा लग रहा होगा मैं बहुत देर तक वैसे ही मां के नितंबों में अपना लिंग गड़ाकर खड़ा रहा मां ने अपने दोनों हाथ बढ़ाकर दिवार थाम ली और अपनी गांड मेरी कमर पर चिपका दी मैं भी थोड़ा आगे बढ़कर मां से और ज्यादा चिपक लिया और डिब्बा को उपर पकड़कर खड़ा रहा
मां बोली हां बेटा ऐसे ही आराम से, जल्दबाजी मत कर कहीं सर्फ मेरे ऊपर ना गिर जाए
मैं द्विअर्थी शब्दों में बोला नहीं मां मैं बहुत ध्यान से कर रहा हूं आपके ऊपर गिरने नहीं दूंगा कन्ट्रोल में रखुंगा पर डिब्बा ऊंचा है और भारी है कुछ समय लग रहा है
मां भी हंसते-हंसते हुए द्विअर्थों में बोली सब सामान ऊंचा है और भारी है तभी तो तुझे बुलाया है मेरे लंबे जवान गबरु बेटे के मेरे साथ होने से मेरा सब मुश्किल काम आसान हो जाता है अब तू आराम से उतार ले, ध्यान से कोई जल्दी मत कर..
इस तरह से काफी देर तक मां की गांड पर अपना लंड रगड़ने के बाद मैंने डिब्बा उतार दिया और मां सीधी हुई तो मैंने पीछे से ही मां के गिर्द अपने हाथ का घेरा बनाकर मां की कमर से आगे करके मां के हाथ में सर्फ का डिब्बा पकड़ा दिया इस दौरान मैंने मां के मम्मों को अच्छे से मसल दिया मां फिर भी कुछ नहीं बोली बहुत प्यार से अपनी मम्मों को मसलवाती रही
मैं मां के पीछे पड़ा अपना लंड मां की गांड में रगड़ता रहा और अपने हाथों से मां के ब्लाउज के ऊपर से मम्मों पर हाथ चलाता रहा और मां भी बहुत प्यार से इंतजार करती रही इसके बाद जब मेरे लिंग की अकड़न बहुत ज्यादा बढ़ गई तो मैं मां के हाथ में डिब्बा थमाकर मैं हट गया और दरवाजे पर खड़ा होकर मां को देखने लगा

मां अभी भी मेरी तरह मुड़कर बाल्टी के ऊपर झुकते हुए पानी में सर्फ घोलने लगी
मां के झुकते ही मां के बड़े-बड़े मम्मे ब्लाउज के खुले गले में से बाहर से छलकते हुए मुझे आकर्षित करने लगे और मैं सामने खड़ा हुआ अपनी मां की मम्मों को ध्यान से देखता रहा
मां ने सिर उठाकर मेरी निगाह का पीछा किया और मुझे अपने मम्मो को ताड़ता हुआ पाकर कुटिल भाव से मुस्कुराई और उसी तरह से झुके झुके बाल्टी में साबुन घोलती रही
मुझे अपना रस दिखाने के लिए मां ने जरूरत से ज्यादा हिलना शुरू किया था इसलिए मां के छलकते हुए थनों को देखकर मेरा मन वासना के घोड़े पर सवार हो गया पानी को घोलने में जरूरत से ज्यादा देर लगा कर मां ने मुझे अपने मम्मो की नुमाइश की और फिर पेटीकोट को घुटनों से ऊपर जांघों तक उठाकर पटरे पर बैठ गई बैठने के समय भी मम्मी ने ध्यान रखा कि मम्मी की जांघें मेरी तरफ खुली रही जिससे मैं बिना रोक-टोक जांघों के अंदरूनी हिस्से की झलक ले पा रहा था
काफी देर तक मैं वही टकटकी लगाकर मम्मी की नंगी जांघों को देखकर उनपर अपने हाथ फिराने की कल्पना करता रहा और मन में सोचा कि कब मेरी नंगी जांघें मम्मी की नंगी जांघों से रगड़ खाएंगी
मां भी बहुत अच्छे मूड में थी और मुझे अपने शरीर को दिखा कर ललचा रही थी।

हम दोनों के बीच में काफी देर से चुप्पी थी तो मां ने बोला बेटा तू भी कुर्सी लेकर यही सामने बैठ जा बातें करते हुए आराम से कपड़े धो लूंगी मैंने कहा मां कुर्सी की जरूरत नहीं है मैं यही खड़े होकर आपसे बात करता रहूंगा और बाद में कपड़े खंगालने में मदद कर दूंगा
मां बोली शाबाश मेरे बेटे कहते कहते मां ने मेरी जान जांघों के बीच में लंड के खड़े होने के चादर में तने हुए तम्बू पर निगाह दौड़ाई और मेरे से बोली है मुझे कोई जल्दी नहीं है तू भी आराम से बैठ बातें करते हुए कपड़े धो लेंगे

यह कहकर मां ने मेरे कच्छे बनियान उठाए और सर्फ की बाल्टी में अच्छे से भिगोकर बाथम के फर्श पर रख दिए और ब्रश से रगड़ने लगी मेरे कपड़े इतने मैले तो नहीं थे की ब्रश से रगड़ने पढ़ें परंतु मां ज्यादा से ज्यादा देर झुकी रह कर मुझे अपनी क्लीवेज और अपने मोटे मोटे रसदार मम्मों को दिखाना चाहती हैं इस बीच में मम्मी ने बहाने से काफी सर्फ और पानी भी अपने ब्लाउस पर छिड़क लिया इसके कारण पतले कपड़े वाला ब्लाउज शरीर पर इस तरह से चिपक गया कि कपड़े का होना या ना होना बराबर था और भीगे कपड़ों में से नंगी मां के खड़े निप्पल और भी ज्यादा साफ साफ दिख रहे थे
अब मां और ज्यादा झुक गई थी जिससे कारण मुझे मां के मम्मे देखने में असुविधा लग रही थी तो मैंने थोड़ा जो थोड़ा सा झुक कर मम्मी के सेक्सी मम्मे निहारने लगा मां मेरी इस हरकत से दुबारा मुस्कुराई और अपनी योजना को सफल होते देखा और ज्यादा झुक गई इस बीच मेरी निगाह मां की जांघों के बीच में पड़ी तो मैंने पाया कि मां का पेटीकोट सिमट कर मां की कमर के इर्द-गिर्द अटक गया था और कपड़े का एक कोना ही मां की योनि को ढ़क रहा था अपनी मातृभूमि को देखकर मेरे लिंग में दुबारा से छलांग लगाई जिससे मेरी कमर के ऊपर चादर में हलचल को भी मां ने भी नोट किया


अब सिर्फ देखने से ही मेरा काम नहीं चल रहा था मेरा मन कर रहा था कि मैं वहां से लिपट कर मां के दूध चूसते हुए मां की योनि में अपना लंड रगड़ कर वीर्यपात करूं यह सोच कर मैं मां के सामने बैठ गया

आगे मां बेटे की चुदाई का बेटे के मुंह से सुना विवरण जल्दी ही...
Very exciting update, i am so horny after reading it that I have visualised my son doing same with me
Yes! Use seduction both by mom n son to provide wings to our imagination
 
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