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Incest मां का आशिक

Baklolbazz

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शादाब को अपनी अम्मी की फिक्र हुई और वो खड़ा होकर ठीक उसके सामने पहुंच गया और अपनी अम्मी का हाथ पकड़ लिया तो शहनाज़ का रोम रोम कांप उठा। उसके शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई और उसके रोंगटे खड़े हो गए। शादाब ने देखा कि उसकी अम्मी का हाथ तो ठंडा नहीं है फिर तो अम्मी को कांपना नहीं चाहिए।


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शादाब ने कहा:" अम्मी आपका हाथ तो एक दम ठीक है, फिर आपको ठंड क्यों लग रही है ?
देखो ना बिल्कुल भी ठंडा नहीं है !!

ऐसा ऐसा कहकर वो अपनी मा के हाथ पर अपनी उंगलियां फिराकर देखने लगा। उफ्फ शहनाज़ को काटो तो खून नहीं, बेशक उसने ऐसे ही अपने सपनों के राजकुमार की कल्पना की थी और शादाब की उंगलियां उसके जिस्म को रोमांचित कर रही थी।

शादाब:" अम्मी मेरी तरफ देखो ना एक बार ? क्या हुआ आप ठीक तो हैं ?

शहनाज ने बड़ी मुश्किल से अपना चेहरा उपर की तरफ उठाया और जैसे ही उसकी नजर अपने बेटे के खुबसुरत चेहरे से होती हुई उसकी आंखो से टकराई तो हया के मारे उसकी पलके अपने आप नीचे गिर गई।

शादाब अपनी अम्मी का चेहरा पहली बार इतने पास से देख रहा था। एक दम खुबसुरत, बिल्कुल किसी परी की तरह, शर्म के मारे उसकी आंखे हल्की सी लाल हो गई थी और उसके सुर्ख लाल होंठ कांप रहे थे और अपने आप ही हल्का हल्का सा खुल रहे थे।

शादाब ऐसे ही अपनी अम्मी को देखता रहा।शहनाज़ ने बीच में हल्की सी अपनी पलके उठाई और देखा कि उसका बेटा फिर से उसके चेहरे को बड़े प्यार से देख रहा था तो उस बड़ी शर्म महसूस हुई और उसके गाल एक दम गुलाबी हो उठे और वो सीधी खड़ी हो गई जिससे उसके और शादाब के बीच की दूरी और कम हो गई और उसे शादाब की गर्म सांसे अपने चेहरे पर महसूस हुई तो शहनाज़ का दिल जोर जोर से धड़कने लगा और पूरा शरीर एक एहसास से और ज्यादा कांपने लगा।




शादाब ने अपनी अम्मी के खूबसूरत चेहरे को अपने इतने पास पाकर खुद पर से काबू खो दिया और एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी अम्मी के गाल पर रख दिया तो शहनाज़ की आंखे इस मस्ताने एहसास से अपने आप बंद हो गई। उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई और होंठ अपने आप उपर की तरफ आते हुए हल्के से खुल गए।






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शादाब उसके गाल पर अपने हाथ फिराते हुए बोला:" अम्मी आपके गाल तो एक दम गर्म हैं लेकिन हाथ कांप रहे थे।

शहनाज़ की तो जैसे आवाज ही गुम हो गई थी। उसके जिस्म ने उसका साथ पूरी तरह से छोड़ दिया था। शादाब ने अपनी अम्मी के गालों को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा:"

" अम्मी आपके गाल सचमुच बहुत खूबसूरत हैं, आप दुनिया की सबसे खुबसुरत मा हो।

नारी सुलभ स्वभाव के कारण अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर शहनाज़ अंदर ही अंदर खुश हुई और शादाब के हाथो की छुवन उससे बर्दाश्त नहीं हुई और उसके पैर कांपने लगे तो अपने अपने सिर को शादाब के कंधे पर टिका दिया, अपने बेटे के कंधे पर सिर टिकाते ही उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा।



शादाब के हाथ अपने आप अपनी अम्मी के गाल पर से हट गए और उसकी कमर पर जा लगे और उसकी कमर को सहलाना शुरू कर दिया। शहनाज़ भी एक पल के लिए अपने होश खो बैठी और कसकर अपने बेटे से चिपक गई।



K3

शादाब को इससे बहुत हौसला मिला और उसने अपनी अम्मी के कान में कहा:"

" अम्मी में बहुत तड़पा हूं आपकी मोहब्बत के लिए, अब कभी मुझे अपने आप से जुदा मत करना।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ को उस पर बहुत प्यार आया और वो उसकी कमर को थपथपाते बोली:"

" मैं भी तेरे लिए बहुत तड़पी हूं मेरे लाल, बस अब सब ठीक हो जाएगा। अच्छा छोड़ मुझे अब, रात बहुत हो गई हैं, सोना चाहिए अब।

शादाब अपनी अम्मी को छोड़ना नहीं चाहता था लेकिन पकड़े रखने का कोई बहाना भी नहीं था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपने हाथ हटा लिए और दोनो अलग अलग हो गए।

शहनाज़:" बेटा तुम कमरे में चलो, तब तक मै काम निपटा कर आती हूं।

शादाब:" नहीं अम्मी, मैं भी आपकी मदद करूंगा काम खत्म करने में, आप अकेली नहीं करेगी।


शहनाज़ अपने बेटे की बात सुनकर खुश हुई और मुस्कराते हुए बोली:"

" बेटा आज तुम थके हुए हो इसलिए आराम करो, वैसे ही एक डॉक्टर का बर्तन साफ करना अच्छा नहीं लगेगा।

शादाब:" अम्मी मैं अभी डाक्टर बना नहीं हूं, और एक बेटे का सबसे बड़ा फर्ज़ होता हैं अपने अम्मी का ध्यान रखना और मदद करना, आज मै आपकी बात मान जाता हूं लेकिन कल से सारा काम हम दोनों साथ में करेंगे।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ बर्तन उठा कर किचेन में धोने के लिए के गई और शादाब कमरे में चला गया। शादाब पूरे दिन का थका हुआ था लेकिन नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी, उसे रह रह कर अपनी अम्मी का खुबसुरत चेहरा याद आ रहा था।


अम्मी कैसे कांप रही थी आज खाने के टेबल पर, सच में उसकी अम्मी जितनी खूबसूरत हैं उससे कहीं ज्यादा नाजुक हैं बिल्कुल एक दम छुईमुई की तरफ।
अम्मी अभी भी एक दम फिट हैं पूरी तरह से, इतना पैसा और जमीन जायदाद होने के बाद भी वो घर का सारा काम खुद ही करती है शायद इसलिए।
 
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Aryan Raj

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शादाब को अपनी अम्मी की फिक्र हुई और वो खड़ा होकर ठीक उसके सामने पहुंच गया और अपनी अम्मी का हाथ पकड़ लिया तो शहनाज़ का रोम रोम कांप उठा। उसके शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गई और उसके रोंगटे खड़े हो गए। शादाब ने देखा कि उसकी अम्मी का हाथ तो ठंडा नहीं है फिर तो अम्मी को कांपना नहीं चाहिए।

शादाब ने कहा:" अम्मी आपका हाथ तो एक दम ठीक है, फिर आपको ठंड क्यों लग रही है ?
देखो ना बिल्कुल भी ठंडा नहीं है !!

ऐसा ऐसा कहकर वो अपनी मा के हाथ पर अपनी उंगलियां फिराकर देखने लगा। उफ्फ शहनाज़ को काटो तो खून नहीं, बेशक उसने ऐसे ही अपने सपनों के राजकुमार की कल्पना की थी और शादाब की उंगलियां उसके जिस्म को रोमांचित कर रही थी।

शादाब:" अम्मी मेरी तरफ देखो ना एक बार ? क्या हुआ आप ठीक तो हैं ?

शहनाज ने बड़ी मुश्किल से अपना चेहरा उपर की तरफ उठाया और जैसे ही उसकी नजर अपने बेटे के खुबसुरत चेहरे से होती हुई उसकी आंखो से टकराई तो हया के मारे उसकी पलके अपने आप नीचे गिर गई।

शादाब अपनी अम्मी का चेहरा पहली बार इतने पास से देख रहा था। एक दम खुबसुरत, बिल्कुल किसी परी की तरह, शर्म के मारे उसकी आंखे हल्की सी लाल हो गई थी और उसके सुर्ख लाल होंठ कांप रहे थे और अपने आप ही हल्का हल्का सा खुल रहे थे।

शादाब ऐसे ही अपनी अम्मी को देखता रहा।शहनाज़ ने बीच में हल्की सी अपनी पलके उठाई और देखा कि उसका बेटा फिर से उसके चेहरे को बड़े प्यार से देख रहा था तो उस बड़ी शर्म महसूस हुई और उसके गाल एक दम गुलाबी हो उठे और वो सीधी खड़ी हो गई जिससे उसके और शादाब के बीच की दूरी और कम हो गई और उसे शादाब की गर्म सांसे अपने चेहरे पर महसूस हुई तो शहनाज़ का दिल जोर जोर से धड़कने लगा और पूरा शरीर एक एहसास से और ज्यादा कांपने लगा। शादाब ने अपनी अम्मी के खूबसूरत चेहरे को अपने इतने पास पाकर खुद पर से काबू खो दिया और एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी अम्मी के गाल पर रख दिया तो शहनाज़ की आंखे इस मस्ताने एहसास से अपने आप बंद हो गई। उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल अा गई और होंठ अपने आप उपर की तरफ आते हुए हल्के से खुल गए।







शादाब उसके गाल पर अपने हाथ फिराते हुए बोला:" अम्मी आपके गाल तो एक दम गर्म हैं लेकिन हाथ कांप रहे थे।

शहनाज़ की तो जैसे आवाज ही गुम हो गई थी। उसके जिस्म ने उसका साथ पूरी तरह से छोड़ दिया था। शादाब ने अपनी अम्मी के गालों को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा:"

" अम्मी आपके गाल सचमुच बहुत खूबसूरत हैं, आप दुनिया की सबसे खुबसुरत मा हो।

नारी सुलभ स्वभाव के कारण अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर शहनाज़ अंदर ही अंदर खुश हुई और शादाब के हाथो की छुवन उससे बर्दाश्त नहीं हुई और उसके पैर कांपने लगे तो अपने अपने सिर को शादाब के कंधे पर टिका दिया। अपने बेटे के कंधे पर सिर टिकाते ही उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा। शादाब के हाथ अपने आप अपनी अम्मी के गाल पर से हट गए और उसकी कमर पर जा लगे और उसकी कमर को सहलाना शुरू कर दिया। शहनाज़ भी एक पल के लिए अपने होश खो बैठी और कसकर अपने बेटे से चिपक गई।

शादाब को इससे बहुत हौसला मिला और उसने अपनी अम्मी के कान में कहा:"

" अम्मी में बहुत तड़पा हूं आपकी मोहब्बत के लिए, अब कभी मुझे अपने आप से जुदा मत करना।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ को उस पर बहुत प्यार आया और वो उसकी कमर को थपथपाते बोली:"

" मैं भी तेरे लिए बहुत तड़पी हूं मेरे लाल, बस अब सब ठीक हो जाएगा। अच्छा छोड़ मुझे अब, रात बहुत हो गई हैं, सोना चाहिए अब।

शादाब अपनी अम्मी को छोड़ना नहीं चाहता था लेकिन पकड़े रखने का कोई बहाना भी नहीं था इसलिए ना चाहते हुए भी उसने अपने हाथ हटा लिए और दोनो अलग अलग हो गए।

शहनाज़:" बेटा तुम कमरे में चलो, तब तक मै काम निपटा कर आती हूं।

शादाब:" नहीं अम्मी, मैं भी आपकी मदद करूंगा काम खत्म करने में, आप अकेली नहीं करेगी।


शहनाज़ अपने बेटे की बात सुनकर खुश हुई और मुस्कराते हुए बोली:"

" बेटा आज तुम थके हुए हो इसलिए आराम करो, वैसे ही एक डॉक्टर का बर्तन साफ करना अच्छा नहीं लगेगा।

शादाब:" अम्मी मैं अभी डाक्टर बना नहीं हूं, और एक बेटे का सबसे बड़ा फर्ज़ होता हैं अपने अम्मी का ध्यान रखना और मदद करना, आज मै आपकी बात मान जाता हूं लेकिन कल से सारा काम हम दोनों साथ में करेंगे।

अपने बेटे की बात सुनकर शहनाज़ बर्तन उठा कर किचेन में धोने के लिए के गई और शादाब कमरे में चला गया। शादाब पूरे दिन का थका हुआ था लेकिन नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी, उसे रह रह कर अपनी अम्मी का खुबसुरत चेहरा याद आ रहा था। अम्मी कैसे कांप रही थी आज खाने के टेबल पर, सच में उसकी अम्मी जितनी खूबसूरत हैं उससे कहीं ज्यादा नाजुक हैं बिल्कुल एक दम छुईमुई की तरफ।
अम्मी अभी भी एक दम फिट हैं पूरी तरह से, इतना पैसा और जमीन जायदाद होने के बाद भी वो घर का सारा काम खुद ही करती है शायद इसलिए।
Bahut khubsurat starting
 

urc4me

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Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 

Baklolbazz

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उधर बर्तन धोती हुई शहनाज़ भी अपने बेटे के बारे में ही सोच रही थी,उसे बार बार अपने बेटे का खूबसूरत चेहरा याद आ रहा था, बिल्कुल मुझ पर ही गया हैं मेरा बेटा।


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शहनाज समझ नही पा रही थी कि वो ज्यादा खुबसुरत है या उसका बेटा, ये तो बिल्कुल उस शहजाद की तरह से दिखता है जिसके मैं सपने देखा करती थी।


उफ्फ हाय अल्लाह माफ करना मुझे, मैं ये क्या सोचने लगी थी लेकिन वो भी तो कितने प्यार से मेरी तरफ देख रहा था, और मेरी कैसे तारीफ कर रहा था, ऐसे तो आज तो किसी ने भी नहीं करी।

शहनाज़ को तभी एयरपोर्ट पर उन मनचले की बात याद आ गई तो उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, क्या मेरी गांड़ सच में इतनी खूबसूरत और उभरी हुई हैं जो किसी को भी आशिक बना सकती हैं, उफ्फ क्या कहा था उस पागल लड़के ने कि मेरी गांड़ को सिर्फ मेरा बेटा ही अच्छे से संभाल कर मसल सकता हैं।


हाय ये ख्याल मन में आते ही शहनाज़ की धड़कने तेज हो गई और उसकी चूचियां उपर नीचे होने लगी, सारे जिस्म ने मीठा मीठा खुमार छा गया। जैसे तैसे करके उसने अपने बरतन धोए और उन्हें किचेन में ही रख कर जल्दी से अंदर कमरे की तरफ चल पड़ी।



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उसने देखा की शादाब आराम से बेड पर लेता हुआ छत की तरफ देख रहा था।

शहनाज़:" बेटे नींद नहीं आ रही है क्या ? क्या सोच रहे हो ?

शादाब:" अम्मी इतने सालो के बाद घर आया हूं, आपने सब का कितना ख्याल रखा, दादा दादी आपको बहुत मानते हैं। बस ये ही सोच रहा था कि आप दिल की कितनी अच्छी हो!!

शहनाज़:" बेटा वो तो मेरे फ़र्ज़ हैं, खैर छोड़ तू ये बता तेरा मन लग जाता था क्या हम सबके बिना?

शादाब:" बिल्कुल भी नहीं अम्मी, आपकी सबसे ज्यादा याद आती थी, खैर अब सब ठीक हो जाएगा।

शहनाज़:" बेटा कल हमने एक छोटी सी पार्टी रखी हैं जिसमें गांव के लोग और सब रिश्तेदार भी आएंगे, तेरी बुआ रेशमा तो तुझे बहुत याद करती थी

शादाब:" अच्छा अम्मी, कल मैं सबसे मिलूंगा, और सबसे ढेर सारी बातें करूंगा।

शहनाज़:" अच्छा बेटा तुम अब सो जाओ, ये कमरा अब तुम्हारा होगा, मैं चलती हूं बेटा सुबह जल्दी उठना होगा!! सब्बा खैर मेरे बच्चे !!

शादाब:" ठीक हैं अम्मी, शब्बा खैर!!

शहनाज एक बार हसरत भारी निगाहों से अपने बेटे के खूबसूरत चेहरे के देखती है और फिर उसे अच्छी सी स्माइल देकर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।



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अम्मी के जाते ही शादाब ने नाईट बल्ब जला दिया और पूरा कमरा उसकी हल्की रोशनी से गुलाबी हो गया। शादाब सोचते सोचते ही थोड़ी देर बाद सो गया क्योंकि वो पूरे दिन का थका हुआ था।

दूसरी तरफ शहनाज़ अपने कमरे में घुस गई और अपने भारी भरकम कपड़ों को उतार कर एक ढीली सी काले रंग की मैक्सी पहन ली और बेड पर लेट गई।



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उसकी आंखो के सामने फिर से दिन भर हुई घटनाएं घूमने लगी। शादाब किस तरह से उसके चूचियों को घूर रहा था, ये ख्याल मन में आते ही उसकी नजर मैक्सी के उपर से ही अपनी चूचियों पर पड़ गई जो कि एक दम उठी हुई साफ नजर आ रही थी और बीच में से उसकी चूचियों के बीच की गहरी रेखा भी नजर आ रही थी। बेड पर बिखरे हुए उसके काले लम्बे बाल उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे।



शहनाज को एक बार से उन मनचलों की बात याद आ गई कि कितनी मस्त और उभरी हुई गांड़ हैं इसकी, इसकी गांड़ को थामने और ठीक से मसलने के लिए तो कोई जवान तगड़ा सांड जैसा लड़का चाहिए, उफ्फ शादाब को देखते ही कह रहे थे कि यहीं उसकी गांड़ को अच्छे से रगड़ कर संभाल सकता है।



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शहनाज को अपने बेटे के बड़े बड़े हाथ याद आ गए तो उसका जिस्म आग की भट्टी की तरह सुलगने लगा। शहनाज की आंखे अपनी उपर नीचे होती चुचियों पर पड़ी तो ये सब देख कर शहनाज का गला सूखने लगा और आंखे लाल हो गई। उसकी धड़कन बहुत तेजी से चलने लगी जिससे चुचिया पूरी तरह से उभरने लगी।



शहनाज़ की आंखे मस्ती से अपने आप बंद हो गई थी और उसका हाथ अपनी चूचियों पर पहुंच गया। जैसे ही चूचियों पर उसकी हाथ की उंगलियों का स्पर्श हुआ तो शहनाज़ के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल गई।



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उसका जिस्म पूरी तरह से कांपने लगा और वो अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ने लगी। कमरे में फैली गुलाबी रंग की रोशनी में उसका किसी शोले की तरह भड़कता हुआ जिस्म कमरे में आग लगा रहा था। शहनाज़ ने हल्के से अपनी चूचियों को मैक्सी के उपर से ही दबाया तो इसके पूरे जिस्म में मस्ती भरी लहर दौड़ गई और उसके मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।
 
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आज शहनाज के जिस्म की दबी हुई आग अपने सगे बेटे को देख कर पूरी तरह से भड़क उठी और और उसे कोई होश नहीं था कि वो कहां हैं और क्या कर रही है। उसने अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ते हुए एक हाथ को अपनी मैक्सी के अंदर घुसा कर अपनी चूची को दबा दिया तो मस्ती से उसका जिस्म लहरा उठा। शहनाज ने अपनी चूची के निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच में पकड़ कर जोर से भींच दिया तो उसके मुंह से एक तेज मस्ती भरी आह निकल पड़ी।




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शादाब अभी पूरी तरह से गहरी नींद में नहीं था इसलिए अपनी अम्मी की सिसकी सुनकर उसकी आंख खुल गई और उसे अपनी अम्मी की बड़ी फिक्र हुई तो उसके कदम अपने आप शहनाज़ के कमरे की तरफ बढ़ गए।

जैसे ही वो गेट के बाहर पहुंच गया तो उसने दरवाजे को हल्का सा खोला तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गईं। उसे सामने बेड पर अपनी सगी अम्मी मदहोश पड़ी नजर आईं जिसकी मस्ती से आंखे बंद थी और उसका जिस्म बेड पर उधर इधर लहरा रहा था। उसने सिर्फ एक काले रंग की मैक्सी पहनी हुई थी जिसमें से उसकी चूचियों का आकार पूरी तरह से साफ नजर आ रहा था।




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शहनाज ने अपनी चूची को दबाते हुए अपनी टांगो को थोड़ा सा खोल दिया जिससे उसकी गोरी चिकनी जांघें साफ नजर आने लगी। उसने अपनी मैक्सी को उतार दिया और एक हाथ को अपनी चूची पर से लाते हुए अपनी चूत की तरफ बढ़ान लगीं

लिया। जैसे ही उसके हाथ चूत पर पड़े तो जिस्म हवा में लहराने लगा और चूची मैक्सी को फाड़ कर बाहर निकलने पर आमादा हो गई। शहनाज ने अपनी गांड़ और कंधो को बेड पर रगड़ना शुरू कर दिया और अपनी रसीली मीठी जीभ निकाल कर अपनी हाथ को कोहनी के उपर से चाटने लगी। मस्ती से उसकी आंखे पूरी तरह से बंद थी और वो जीभ निकाल निकाल कर अपनी बांह को चाट रही थी

शादाब अपने अम्मी के इस सेक्सी कामुक अवतार को देख कर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया और उसके लंड ने भी अपना सिर उठाना शुरू कर दिया और शादाब के हाथ उसके लंड को थामने लगे।



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शहनाज ने पेंटी के उपर से ही अपनी चूत को सहला दिया और जोर जोर से अपनी टांगें इधर उधर फेंकने लगी, मजे से उसका मुंह खुल गया और उसने और मजे लेने के लालच में अपनी एक ऊंगली को पेंटी के अंदर घुसा दिया और अपनी चूत की फांकों को सहलाने लगी।




उसका पूरा जिस्म कांप रहा था, मचल रहा था, उछल रहा था। शहनाज की चूत में चिंगारी सी उठ रही थी इसलिए उसने अपनी एक अंगुली को अच्छे से चूत रस से भिगोकर अपनी चूत के मुंह पर दबा दिया तो जैसे ही चूत का मुंह खुला तो शहनाज़ के जिस्म में एक दर्द भारी लहर दौड़ गई और उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।



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आज 18 साल के बाद उसकी चूत पर किसी चीज का स्पर्श हुआ था। चूत का पुरी तरह से टाइट होकर बंद हो गया था जिस कारण उंगली हल्की सी घुसते ही उसे दर्द का एहसास हुआ था और उंगली अपने आप बाहर निकल गई।

" उफ्फ मा, हाय मेरे खुदा, कितना दर्द होता है, पूरी कसी हुई हो गई है। आज नहीं !!

शादाब ने जैसे ही अपनी अम्मी की सिसकियां सुनी तो उसके लंड ने एक जोरदार अंगड़ाई ली और पूरी तरह से खड़ा हो गया। शादाब ने कब अपने पायजामा का नाड़ा खोल दिया उसे पता ही नही चला और उसका लंड उछल कर बाहर आ गया। शादाब ने आज तक मूठ नहीं मारी थी क्योंकि उसे पता नहीं था कि कैसे मारी जाती हैं। शादाब की नजर एक पल के लिए अपनी अम्मी से हटकर अपने लंड पर टिक गई। उसने लंड को ध्यान से देखा, हाथ में पकड़े होने के बाद भी आधे से ज्यादा बाहर था और आगे का मोटा सुपाड़ा लाल होकर दहक रहा था।



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शहनाज अपनी चूत को उपर से ही उंगली से मसलने लगी और उसकी सिसकियां ऊंची होती चली गई। शादाब भी अपनी अम्मी की चूची और चूत को मैक्सी के उपर से ही देख कर अपना लंड मसल रहा था।



तभी शहनाज का जिस्म पूरी तेजी से उछलने लगा और उसकी उंगली की स्पीड बढ़ गई। उसके जिस्म में हलचल मच गई और उसकी जीभ खुद ही अपने होंठो को चाटने लगी। तभी शहनाज़ के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकली और उसने पूरी ताकत से अपनी टांगो को भींच लिया जिससे उसकी उंगलियां उसकी चूत पर कसती चली गई और उसका जिस्म ठंडा पड़ता चला गया।



शहनाज बेड पर पड़ी हुई इस महान आनंद को महसूस करती हुई गहरी गहरी सांस ले रही थी। जैसे ही उसकी सांसे दुरुस्त हुई तो उसने बाथरूम जाने की सोची और अपनी मैक्सी को ठीक किया और उठ गई।
 
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शादाब अपनी अम्मी को उठते हुए देख कर डर गया और तेजी से भागता हुआ अपने कमरे में घुस गया। उसका लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा हुआ था।

शादाब ने जल्दी से एक चादर उठाई और अपने जिस्म पर डालकर लेट गया जबकि डर और जल्दबाजी की वजह से उसका पायजामा अभी तक खुला ही पड़ा हुआ था। शहनाज़ कमरे से बाहर निकली जिसकी आंखो में अभी भी खुमारी छाई हुई थी। लड़खड़ाते कदमों के साथ वो बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी तभी उसकी नज़र अपने बेटे के खुले हुए दरवाजे से आती हुई रोशनी पर पड़ी तो हल्के गुलाबी रंग की रोशनी में उसे अपने बेटे का चांद सा चमकता हुआ चेहरा नजर आया। उसे अपने बेटे पर बहुत प्यार आया और उसके कदम अपने आप शादाब के कमरे की तरफ बढ़ गए। उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था और गला सूख गया था। जैसी ही वो कमरे के अंदर घुसी तो वो अपने बेटे के चेहरे के पास पहुंच गई और उसके चेहरे को हाथो से सहलाने लगी। उसका जिस्म पूरी तरह से कांप उठा और उसे लगा कि अगर उसका बेटा जाग गया तो उसे इस हालत में देख कर क्या सोचेगा , ये ख्याल मन में आते ही उसका जिस्म पसीने से नहा उठा और उसने आगे होकर अपने बेटे के माथे को चूमने लगी।

शादाब जाग रहा था और अपनी अम्मी को आते देखकर अपनी आंखे बंद करके लेट गया था। जैसे ही शहनाज़ के नाजुक रसीले होंठों का एहसास उसे अपने माथे पर हुआ तो उसकी हालात खराब होने लगी। शादाब की गर्म गर्म सांसे अब शहनाज़ की गर्दन पर पड़ रही थी जिससे फिर से उसका जिस्म सुलगने लगा। उसने अपने बेटे के एक हाथ को पकड़ लिया और उस पर हाथ फेरने लगी। उफ्फ कितना बड़ी और चौड़ी हथेली थी सचमुच उसके बेटी की। शहनाज़ की गांड़ अपने आप थिरक उठी मानो अपने बेट के हाथ में जाने के लिए तड़प रही हो। शहनाज़ को तभी लगा कि वो गलत कर रही है उसे अपने सगे बेटे के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर उसका बेटा जाग गया तो वो उसे मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी, तभी उसके जिस्म में दूसरा ख्याल आया कि बेटा हैं तो क्या हुआ, बिल्कुल मेरे सपनो के शहजादे जैसा हैं। मैंने तो अपने महबूब के रूप में ऐसे ही मर्द की कल्पना करी थी।

उसके अंदर विचारो की जंग चलती रही और अंत में उसके दिमाग की जीत हुई और उसने अपने बेटे के कमरे से बाहर जाने का फैसला किया। जैसे ही वो पलटी उसकी नजर शादाब की चादर में बने हुए उभार पर पड़ी तो उसकी सांसे जैसे रुक सी गई और आंखो हैरानी से फैलती चली गई। चादर उसके जिस्म से कम से कम आठ इंच से ज्यादा उपर उठी हुई थी जिसे देखकर शहनाज़ अपनी पलके तक झपकाना भूल गई। उसने हालाकि आज तक लंड नहीं देखा था क्योंकि अपने पति का लंड भी उसने बस बार ही उसके जिद करने पर हाथ में लिया था लेकिन वो तो उसके बेटे के सामने आधा भी नहीं लगा था। लंड को महसूस करते ही उसके बढ़े हुए कदम जैसे जाम से हो गए और उसकी चूचियां फिर से तनकर खड़ी होते हुए उपर नीचे गिरने लगीं।

उसने एक बार अपने बेटे की तरफ देखा तो शादाब अपनी आंखे बंद किए हुए लेटा हुआ था जिससे शहनाज़ के नाजुक होंठो पर एक कातिल मुस्कान अा गई और उसके कदम शादाब के पैरों की तरफ बढ़ चले।

चार कदम का फासला तय करने में शहनाज को बहुत समय लगा क्योंकि उसकी सारी शर्म लिहाज उसे रोक रही थी। आखिरकार वो अपने बेटे की टांगो के बीच पहुंच गई। शादाब का जिस्म पूरी तरह से मचल रहा था। शहनाज़ ने मन बना लिया था कि आज वो कम से कम एक बार जरूर अपने बेटे के लंड को हाथ से छुवेगी। उस बेचारी को क्या मालूम था कि अंदर उसके बेटे का लंड पुरी तरह से नंगा थे। उसने धड़कते दिल के साथ उसकी चादर को पकड़ लिया और जैसे ही चादर हटाई तो उसकी आंखो के सामने शादाब का लंड उछल कर बाहर आ गया जिसे देखते ही उसकी आंखे शर्म से बंद हो गई और उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी

" हाय अल्लाह, ये क्या आफत हैं इतना लंबा मोटा !!

शहनाज़ ने आज पहली बार लंड देखा और वो भी अपने बेटे का ये सोच कर उसकी चूत गीली होने लगी और चूचियों के निप्पल अकड़ से गए। शादाब ने धीरे से अपनी अम्मी के चेहरे को देखा जो कि डर के मारे पसीने से भीग कर कांप रहा था और उसकी जीभ बार बार उसके सूखे होंठो पर घूम रही थी। शहनाज़ को लंड की पहली झलक दीवाना बना गई और उसके मन में फिर से लंड देखने की तमन्ना जाग उठी लेकिन शर्म के मारे आंखे नहीं खुल पा रही थी। आखिर कार उसने अपनी पूरी हिम्मत जुटा कर अपनी आंखे खोल दी और उसकी आंखे फिर से लंड पर टिक गई। शहनाज़ सब कुछ भूल कर एकटक लंड को देखने लगी तो उसे एहसास हुआ कि लंड लंबा होने के साथ साथ बहुत ज्यादा मोटा भी हैं। उसने एक बार अपने हाथ की कलाई की तरफ देखा और फिर से लंड को निहारा तो लंड सच में उसकी कलाई से भी बहुत ज्यादा मोटा था। लंड का टेनिस बॉल के आकार का सुपाड़ा लाल सुर्ख होकर दहक रहा था मानो किसी ने उसे पूरा गुस्सा दिलाया हुआ था। शहनाज़ उस लंड को कम से कम एक बार छूने का लालच अपने मन से नहीं निकाल पाई उसके हाथ अपने हाथ उसके बेटे के लंड की तरफ बढ़ गए। जैसे ही उसके हाथ लंड के सुपाड़े से टच हुए तो उसकी चूत ने अपना रस छोड़ दिया और वो चीखते हुए एक बार फिर से झड़ गई और उसने जोर से अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को कसकर दबा दिया लेकिन उसे हैरानी हुई कि लंड का सुपाड़ा बिल्कुल भी नहीं दबा और उसने लंड का घमंड तोडने के लिए पूरी ताकत झोंक कर सुपाड़ा दबा दिया तो शादाब के होंठो से दर्द भरी आह निकल पड़ी तो शहनाज़ की सारी वासना उतर गई और वो डर के मारे तेजी से अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ी।

शादाब की आंखे खुल गई और उसने अपनी अम्मी की उछलती हुई गांड़ देखी तो अपना दर्द भूल कर गांड़ को देखने लगा। शहनाज़ अपने कमरे में घुस गई और अपनी सांसे दुरुस्त करने लगी। उसका दिल किसी बुलेट ट्रेन की गति से दौड़ रहा था और वो अपने आप पर यकीन नहीं कर पा रही थी कि उसने अपने बेटे का लंड ना सिर्फ देखा बल्कि हाथ में भर कर दबा भी दिया था। डर के मारे उसकी हालत खराब थी और वो आंखे बंद करके अपने किए पर पछतावा कर रही थी और उसने फैसला किया कि वो अब अपने बेटे से दूरी बनाकर रखेगी।इन्हीं ख्यालों के साथ कब उसे नींद आ गई पता नहीं चला और शादाब भी अपने खड़े हुए लंड को हाथ में लिए हुए ही सो गया।

अगले दिन सुबह मस्जिद में अजान की आवाज सुनकर शहनाज़ की नींद टूट गई और तेजी से उठ कर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। जल्दी ही ठीक से गुस्ल किया और नमाज पढ़ने लगी। नमाज़ पढ़ने के बाद उसने ढेर सारी दुवाएं मांगी और अपने बेटे की खुशी मांग कर चाय बनाने के लिए किचेन में घुस गई क्योंकि उसके सास ससुर को सुबह नमाज़ के बाद चाय पीने की आदत थी। चाय बनाते हुए उसकी आंखो के आगे रात हुई घटनाए एक के बाद घटनाए किसी फिल्म की तरह चलने लगी । रात उसने अपने जिस्म से पूरी तरह से काबू खो दिया था ये सोचकर वो शर्म के मारे दोहरी हो गई। किस तरह उसने खुद ही अपनी मैक्सी उतार फैंकी थी और ऐसा पहली बार हुआ था कि उसने खुद अपनी चूत सहलाई थी। ये सब सोच सोच कर उसके गाल गुलाबी हो उठे और जैसे ही उसे अपने बेटे का लंड याद आया तो उसकी सांसे तेजी से चलने लगी और डर के मारे उसका गला सूख गया। कितना गर्म था उसका लंड और मोटा तो किसी घोड़े के जैसे था, सुपाड़ा आगे से कितना ज्यादा मोटा था मानो सूज कर इतना मोटा हुआ हो। लंड की याद आते ही उसे याद आया कि उसने कितनी बेदर्दी से उसके लंड को मसल दिया, उफ्फ उसका बेटा कैसे दर्द से कराह उठा था। मेरी किस्मत भी अजीब हैं कि लंड भी सबसे पहले देखा तो अपने सगे बेटा का। उसे अपने बेटे की बड़ी फिक्र हुई और उसके कदम एक बार फिर से शादाब के कमरे की तरफ बढ़ गए। खुले गेट से उसने देखा कि उसका बेटा आराम से सोया हुआ था लेकिन लंड अभी तक खड़ा हुआ था शायद पेशाब के दबाव के कारण अकड़ गया था। तभी उसने देखा कि नींद में ही उसका बेटा मुस्कुरा उठा तो उसे खुशी हुई कि उसका बेटा ठीक है। उसके दिल को बहुत सुकून मिला और वो वापिस किचन की तरफ अाई तो देखा कि सारी चाय उबल कर निकल गई थी। उसे दुख हुआ क्योंकि आज पहली बार उसकी ज़िंदगी में ऐसा हुआ था कि चाय बाहर निकली हुई। खैर उसने दुखी मन से दोबारा चाई बनाई और ट्रे में लेकर नीचे पहुंच गई।
 

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उसने अपने सास ससुर को सलाम किया और चाय का कप दिया। दोनो खुश हो गए और उसे ढेर सारी दुआ दी और ससुर बोले:"
" बेटी आज काफी सारी मेहमान आएंगे, मैंने हलवाई को बोलकर सब इंतजाम करा दिया है , बस शादाब को अच्छे से तैयार करना ताकि मेरे पोता सबसे अलग दिखे !!

शहनाज़ :" जी अब्बू, अभी तो सो रहे हैं आपके नवाबजादे !!

सास;" अरे बेटा वो थका हुआ होगा और बहुत सालों कर बाद घर लौटा हैं तो सुकून की नींद सो रहा होगा।

ससुर:" हां बेटी, अपने घर में अलग ही सुकून मिलता हैं, उठ जाएगा थोड़ी देर बाद अपने आप ही। तुम एक काम करो कि नीचे कमरे में मेरी एक खानदानी पुरानी जैकेट रखी है जिसे मैं आज पहनना चाहता हूं। तुम उसे निकाल देना बेटी!!

शहनाज़:" ठीक हैं, मैं निकाल देती हूं अभी। वो आप पर बहुत ज्यादा सुंदर लगती हैं।

शहनाज़ अंदर कमरे में घुस गई और लाइट का स्विच ऑन किया तो देखा कि कमरे में काफी धूल जमा हो गई थी क्योंकि काफी दिन से उसकी सफाई नहीं हुई थी। कपड़ों का बॉक्स उपर रखा हुआ था और जैसे ही उसने बॉक्स की नीचे उतारना चाहा तो बॉक्स के साथ साथ उसके उपर ढेर सारी धूल अा गिरी। उसने अपने चेहरे को दुपट्टे से साफ किया और बॉक्स का ताला खोलने लगी। ताला खोलकर उसने देखा कि जैकेट पूरी तरह से साफ थी, कहीं कोई दाग धब्बा नहीं बस कुछ सलवटे पड़ गई थी जो कि प्रेस करने का बाद आराम से निकल सकती थी।

वो अपने सास के कमरे में घुस गई और उन्हें जैकेट दिखाई तो ससुर बड़ा खुश हुआ और जैसे ही उसके उपर पड़ी हुई धूल देखी तो पूछा:"

" अरे बेटी तेरे उपर तो पुरी तरह से धूल जम गई है, कितना परेशान किया मैंने तुझे इस जैकेट के चक्कर में ?

शहनाज़:" कोई बात हैं अब्बू, मैं फिर से नहा लूंगी लेकिन आपकी खुशी मेरे लिए अहम हैं।

सास:" अल्लाह तेरे जैसी बहू सबको दे, तू तो हमारे लिए बेटी से भी बढ़कर हैं। आप जल्दी से जाकर नहा ले कहीं कोई दिक्कत ना हो जाए धूल की वजह से।

अपनी सास की बात सुनकर शहनाज़ उपर की तरफ चल पड़ी और अपने कपड़े लेकर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। शहनाज़ ने अपना सूट सलवार उतार दिया और अब सिर्फ ब्रा पेंटी में अा गई और उसका दूध सा गोरा जिस्म पुरी तरह से चमक उठा। उसके काले घने लहराते हुए बाल, उसका परियो जैसा गोल सुंदर मुखड़ा, गोल मटोल गाल हल्की लाला रंग की कुदरती रंगत लिए और उसके लाल सुर्ख होंठ जो एक दम पतले और रसीले लग रहे थे। उसकी खूबसूरत लम्बी सुराहीदार गर्दन, उसके गोरे चिट्टे कंधे। शहनाज़ की नजर एक बार फिर से अपनी काले रंग की ब्रा के कैद चूचियों पर पड़ गई तो उसकी आंख लाल होने लगी। उसकी आधे से ज्यादा चूची बाहर झांक रही थी और पूरी तरह से तन कर खड़ी हुई थी, निप्पल इतने सख्त हो चुके थे कि ब्रा के ऊपर से ही उनका आकार साफ नजर आ रहा था। हिम्मत करके उसने अपनी आंखे बंद कर ली और अपने हाथ कमर पर ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया तो उसकी चूचियां ऐसे उछल कर बाहर आई मानो अंदर उनका दम घुट रहा था। उसकी बड़ी बड़ी गोल गोल चूचियां, एक दम कठोर, उठी हुई तनी हुए, निप्पल हल्के गहरे रंग की रंगत लिए हुए किसी किशमिश के दाने की तरफ अपना मुंह उठाए हुए। अभी वो मात्र 36 साल की थी और खुद का बहुत ख्याल रखती थी जिस कारण उसकी चूचियां हल्की सी भी झुकी हुई नहीं थी बल्कि उसकी चूचियों की कठोरता देखकर तो आज कल की लड़कियां भी जल जाए। उसका दूध सा गोरा पेट एक दम अंदर की तरफ घुसा हुआ, चर्बी का कोई नामो निशान तक नहीं और उसकी गहरी नाभि उसके पेट की सुंदरता में चार चांद लगा रही थी। उसने बंद आंखो के साथ ही अपनी पेंटी को भी अपनी टांगो को फैला कर बाहर निकल दिया और उसके मुंह से अपने आप ही एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।
उसकी एक दम गोरी, केले के तने के जैसी चिकनी जांघें, पतली नाजुक कमर और उसके ठीक नीचे उसकी उभरी हुई भारी भरकम गांड़ अपना आकार दिखाते हुए बिल्कुल नंगी थीं। उसकी गांड़ बाहर की तरफ निकली हुई और तरबूज के आकार की मोटी मोटी पटे। जांघो के बीच उगे हुए बाल उसकी चूत को ढके हुए थे। उसने अपने टांगो को थोड़ा सा खोलते हुए बालो को हल्का का हाथ से हटाया तो उसकी चूत चमक उठी। एक दम पतली सी, नाजुक सी गुलाबी रंग की झिर्री हल्की सी बाहर की तरफ निकली हुई, चूत एक दम अंदर की तरफ सिकुड़ी हुई जिसका दरवाजा पिछले 18 साल में पूरी तरह से बंद हो गया था जिस कारण रात उसे उंगली हल्की सी अंदर घुसाते हुए दर्द हुआ था। चूत के गुलाबी रंग के होंठ एक दूसरे से पूरी तरह से चिपके हुए उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे।

शहनाज़ ने एक बार हाथ से अपनी चूत को सहलाया तो उसका जिस्म मस्ती से भर उठा और वो फिर से कांपने लगी। तभी उसे मनचलों की बात याद आ गई कि कितनी बड़ी उभरी हुई गांड़ हैं तो उसके हाथ अपने आप उसकी गांड़ की तरफ बढ़ गए। उसने मस्ती से बंद हुई अपनी आंखो के साथ एक हाथ से अपनी गांड़ को छुआ तो उसके जिस्म ने एक झटका सा खाया और उसकी सिसकियां निकलने लगीं। आवेश में आकर वो अपनी गांड़ को हाथो में भरने लगी लेकिन उसके छोटे हाथो में उसकी उभरी हुई तगड़ी गांड़ कहां समाने वाली थी, उसे आज एहसास हो गया कि उसकी गांड़ सचमुच बहुत बड़ी और उभरी हुई है जिसे हाथों में भर कर मसलना हर किसी के बस की बात नहीं। उसे अपने बेटे के बड़े बड़े हाथ याद आए तो उसकी चूचियां खुशी के मारे हिलने लगी और चूत ने सारे बंधन तोड़ते हुए एक बार फिर से अपना रस बहा दिया और वहीं बाथरूम में सिसकते हुए झड़ गई। उसके पैर कमजोर पड़ते गए और वो फर्श पर ही टिक गई। उफ्फ ये कैसा मादक एहसास था, उसे तो इतना मजा कभी नहीं आया था इससे पहले। आज पहली बार उसने अपनी गांड़ को खुद अपने हाथ से सहलाया था तो सचुमुच कितना मजा आया था, उफ्फ जब उसका बेटा पूरी तरह से उसकी गांड़ को अपने हाथो में पूरी भर कर मसलेगा तो कितना मजा आयेगा ये सोच कर वो मुस्कुरा उठी।

" उफ्फ ये मेरा बेटा भी ना, पता नहीं इतना खूबसूरत क्यों हैं, मैं एक मा होकर खुद को नहीं रोक पाती हू। वो बिल्कुल मेरे सपनो के शहजादे जैसा हैं !!
 

Nilufar Yasmin

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Bahut hi khubsurat kahaani
 
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brij1728

माँ लवर
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उसने अपने सास ससुर को सलाम किया और चाय का कप दिया। दोनो खुश हो गए और उसे ढेर सारी दुआ दी और ससुर बोले:"
" बेटी आज काफी सारी मेहमान आएंगे, मैंने हलवाई को बोलकर सब इंतजाम करा दिया है , बस शादाब को अच्छे से तैयार करना ताकि मेरे पोता सबसे अलग दिखे !!

शहनाज़ :" जी अब्बू, अभी तो सो रहे हैं आपके नवाबजादे !!

सास;" अरे बेटा वो थका हुआ होगा और बहुत सालों कर बाद घर लौटा हैं तो सुकून की नींद सो रहा होगा।

ससुर:" हां बेटी, अपने घर में अलग ही सुकून मिलता हैं, उठ जाएगा थोड़ी देर बाद अपने आप ही। तुम एक काम करो कि नीचे कमरे में मेरी एक खानदानी पुरानी जैकेट रखी है जिसे मैं आज पहनना चाहता हूं। तुम उसे निकाल देना बेटी!!

शहनाज़:" ठीक हैं, मैं निकाल देती हूं अभी। वो आप पर बहुत ज्यादा सुंदर लगती हैं।

शहनाज़ अंदर कमरे में घुस गई और लाइट का स्विच ऑन किया तो देखा कि कमरे में काफी धूल जमा हो गई थी क्योंकि काफी दिन से उसकी सफाई नहीं हुई थी। कपड़ों का बॉक्स उपर रखा हुआ था और जैसे ही उसने बॉक्स की नीचे उतारना चाहा तो बॉक्स के साथ साथ उसके उपर ढेर सारी धूल अा गिरी। उसने अपने चेहरे को दुपट्टे से साफ किया और बॉक्स का ताला खोलने लगी। ताला खोलकर उसने देखा कि जैकेट पूरी तरह से साफ थी, कहीं कोई दाग धब्बा नहीं बस कुछ सलवटे पड़ गई थी जो कि प्रेस करने का बाद आराम से निकल सकती थी।

वो अपने सास के कमरे में घुस गई और उन्हें जैकेट दिखाई तो ससुर बड़ा खुश हुआ और जैसे ही उसके उपर पड़ी हुई धूल देखी तो पूछा:"

" अरे बेटी तेरे उपर तो पुरी तरह से धूल जम गई है, कितना परेशान किया मैंने तुझे इस जैकेट के चक्कर में ?

शहनाज़:" कोई बात हैं अब्बू, मैं फिर से नहा लूंगी लेकिन आपकी खुशी मेरे लिए अहम हैं।

सास:" अल्लाह तेरे जैसी बहू सबको दे, तू तो हमारे लिए बेटी से भी बढ़कर हैं। आप जल्दी से जाकर नहा ले कहीं कोई दिक्कत ना हो जाए धूल की वजह से।

अपनी सास की बात सुनकर शहनाज़ उपर की तरफ चल पड़ी और अपने कपड़े लेकर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। शहनाज़ ने अपना सूट सलवार उतार दिया और अब सिर्फ ब्रा पेंटी में अा गई और उसका दूध सा गोरा जिस्म पुरी तरह से चमक उठा। उसके काले घने लहराते हुए बाल, उसका परियो जैसा गोल सुंदर मुखड़ा, गोल मटोल गाल हल्की लाला रंग की कुदरती रंगत लिए और उसके लाल सुर्ख होंठ जो एक दम पतले और रसीले लग रहे थे। उसकी खूबसूरत लम्बी सुराहीदार गर्दन, उसके गोरे चिट्टे कंधे। शहनाज़ की नजर एक बार फिर से अपनी काले रंग की ब्रा के कैद चूचियों पर पड़ गई तो उसकी आंख लाल होने लगी। उसकी आधे से ज्यादा चूची बाहर झांक रही थी और पूरी तरह से तन कर खड़ी हुई थी, निप्पल इतने सख्त हो चुके थे कि ब्रा के ऊपर से ही उनका आकार साफ नजर आ रहा था। हिम्मत करके उसने अपनी आंखे बंद कर ली और अपने हाथ कमर पर ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया तो उसकी चूचियां ऐसे उछल कर बाहर आई मानो अंदर उनका दम घुट रहा था। उसकी बड़ी बड़ी गोल गोल चूचियां, एक दम कठोर, उठी हुई तनी हुए, निप्पल हल्के गहरे रंग की रंगत लिए हुए किसी किशमिश के दाने की तरफ अपना मुंह उठाए हुए। अभी वो मात्र 36 साल की थी और खुद का बहुत ख्याल रखती थी जिस कारण उसकी चूचियां हल्की सी भी झुकी हुई नहीं थी बल्कि उसकी चूचियों की कठोरता देखकर तो आज कल की लड़कियां भी जल जाए। उसका दूध सा गोरा पेट एक दम अंदर की तरफ घुसा हुआ, चर्बी का कोई नामो निशान तक नहीं और उसकी गहरी नाभि उसके पेट की सुंदरता में चार चांद लगा रही थी। उसने बंद आंखो के साथ ही अपनी पेंटी को भी अपनी टांगो को फैला कर बाहर निकल दिया और उसके मुंह से अपने आप ही एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी।
उसकी एक दम गोरी, केले के तने के जैसी चिकनी जांघें, पतली नाजुक कमर और उसके ठीक नीचे उसकी उभरी हुई भारी भरकम गांड़ अपना आकार दिखाते हुए बिल्कुल नंगी थीं। उसकी गांड़ बाहर की तरफ निकली हुई और तरबूज के आकार की मोटी मोटी पटे। जांघो के बीच उगे हुए बाल उसकी चूत को ढके हुए थे। उसने अपने टांगो को थोड़ा सा खोलते हुए बालो को हल्का का हाथ से हटाया तो उसकी चूत चमक उठी। एक दम पतली सी, नाजुक सी गुलाबी रंग की झिर्री हल्की सी बाहर की तरफ निकली हुई, चूत एक दम अंदर की तरफ सिकुड़ी हुई जिसका दरवाजा पिछले 18 साल में पूरी तरह से बंद हो गया था जिस कारण रात उसे उंगली हल्की सी अंदर घुसाते हुए दर्द हुआ था। चूत के गुलाबी रंग के होंठ एक दूसरे से पूरी तरह से चिपके हुए उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे।

शहनाज़ ने एक बार हाथ से अपनी चूत को सहलाया तो उसका जिस्म मस्ती से भर उठा और वो फिर से कांपने लगी। तभी उसे मनचलों की बात याद आ गई कि कितनी बड़ी उभरी हुई गांड़ हैं तो उसके हाथ अपने आप उसकी गांड़ की तरफ बढ़ गए। उसने मस्ती से बंद हुई अपनी आंखो के साथ एक हाथ से अपनी गांड़ को छुआ तो उसके जिस्म ने एक झटका सा खाया और उसकी सिसकियां निकलने लगीं। आवेश में आकर वो अपनी गांड़ को हाथो में भरने लगी लेकिन उसके छोटे हाथो में उसकी उभरी हुई तगड़ी गांड़ कहां समाने वाली थी, उसे आज एहसास हो गया कि उसकी गांड़ सचमुच बहुत बड़ी और उभरी हुई है जिसे हाथों में भर कर मसलना हर किसी के बस की बात नहीं। उसे अपने बेटे के बड़े बड़े हाथ याद आए तो उसकी चूचियां खुशी के मारे हिलने लगी और चूत ने सारे बंधन तोड़ते हुए एक बार फिर से अपना रस बहा दिया और वहीं बाथरूम में सिसकते हुए झड़ गई। उसके पैर कमजोर पड़ते गए और वो फर्श पर ही टिक गई। उफ्फ ये कैसा मादक एहसास था, उसे तो इतना मजा कभी नहीं आया था इससे पहले। आज पहली बार उसने अपनी गांड़ को खुद अपने हाथ से सहलाया था तो सचुमुच कितना मजा आया था, उफ्फ जब उसका बेटा पूरी तरह से उसकी गांड़ को अपने हाथो में पूरी भर कर मसलेगा तो कितना मजा आयेगा ये सोच कर वो मुस्कुरा उठी।

" उफ्फ ये मेरा बेटा भी ना, पता नहीं इतना खूबसूरत क्यों हैं, मैं एक मा होकर खुद को नहीं रोक पाती हू। वो बिल्कुल मेरे सपनो के शहजादे जैसा हैं !!
Amazing, waiting for next
 
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