मां का दूध छुड़वाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 55
फिर मैं और मां, बाहर वाले बाथरूम में घुस गए और वहां पर घुसते ही मैंने मां की नाइटी नीचे सरका दी और मां ने मेरा लोवर उतार दिया। हमने गीजर ऑन कर न ज्यादा गर्म ना ठंडा बल्कि थोड़े ठंडे मोसम के हिसाब से एक नोर्मल से टेंपरेचर में पानी ऑन किया और शावर के नीचे खड़े हो गए।
हम दोनों नंगे शावर के नीचे खड़े थे और शावर से गिरता पानी मां की जुल्फों से होते हुए उनके बूब्स पर फिर बूब्स से होते हुए नीचे चूत से टपक रहा था। मैं ये देखते ही नीचे बैठ गया और मां की चूत के नीचे मुंह कर वो गिरता हुआ पानी पीने लगा। मां ये देखते ही मेरा सर पकड़ अपनी चूत में दबाने लगी और सिसकियों के साथ बोली : गोलू बेटा, काश तेरे जैसा अच्छा बेटा सबको मिले, जो अपनी मां का हर चीज में ध्यान रखे।
मैं: हां मां, मैं आपकी हर एक जरूरत का ध्यान रखूंगा।
मां: उफ्फ मेरे बच्चे, आह आह ।
फिर में मां की चूत से टपकते पानी को अपने होंठों से लगा नीचे सरकाता रहा और मां ने एकदम से मेरा हाथ पकड़ा और मुझे ऊपर उठा कर शावर के नीचे ही मेरे होंठों में अपने होंठ देकर चूसने लगी। मैं भी मां का पूरा साथ देने लगा और उनके होंठों को चूसते चूसते उनकी गांड़ मसलने लगा। उफ्फ क्या मजा आ रहा था , एक तो मां के वो रसीले होंठ और ऊपर से मेरे हाथों में उनकी वो सोफट गांड़ जिसने मुझे अपना दीवाना बना रखा था।
हमारा यूंही किस का सीन लगभग 3_4 मिनट तक चलता रहा और हम दोनों शावर के नीचे खड़े रहे। फिर हम रुके के मां खुश होकर बोली : गोलू, लव यू, यू आर बैस्ट।
मैं: यू आर बैस्ट मां।
मां ने शावर जैल उठाया और आपने हाथों पर लगाकर मेरे लन्ड को रगड़ने लगी। लन्ड रगड़ के बोली : उफ्फ कितना मस्त है तेरा लन्ड गोलू, दिल तो करता है के इसे बस अपनी चूत में ही रखूं दिन रात।
मैं: मां अब ले भी लो इसे अंदर।
मां : नहीं बेटा, अभी नहीं, कॉन्डम लगा कर ही लूंगी इसे अंदर, मैं नहीं चाहती की मेरी बूढ़ी चूत मारने से तेरे लन्ड को कोई भी बीमारी हो। अभी तो मुझे इसपर दिन रात झूलना है।
मैं: मां आप भी ना पहली बात तो ना ही आप बूढ़ी हुई हो अभी और ना ही आपकी ये मस्त चूत, तो इसे आज के बाद बूढ़ी मत कहना।
मां : अच्छा अच्छा ठीक है बाबा नहीं कहूंगी।
मैं: हां और मां की चूत से भला बेटे को कोन सी बीमारी हो सकती है।
मां: नहीं बेटा प्लीज, इस पर मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी। तु मेरी जितनी मर्जी दफा मार , पर कॉन्डम लगा कर, मैं नहीं चाहती के तेरे इस प्यारे से लन्ड को मेरी वजह से कुछ भी हो।
मैं: मां आप भी ना ऐसा कुछ नहीं होगा।
मां: नहीं बेटा, मां की एक बात भी नहीं मान सकता तु?
मैं: चलो ठीक है मां, कॉन्डम लगा कर ही लूंगा बस खुश अब।
मां किस करते हुए : ये हुई ना मेरे अच्छे बेटे वाली बात।
फिर मां मेरा लन्ड यूंही रगड़ती रही और बोली : चल अब जल्दी से नहा कर चलते हैं।
मैं: ठीक है मां, जैसा आप कहो।
मां : लव यू गोलू।
मैं: लव यू टू मां।
फिर हम नहाने लगे और नहाकर बाथरूम से बाहर आ गए। मैं अपने कमरे में चला गया जहां मोसी सोई थी और मां अपने कमरे में चले गई। फिर कपड़े डालकर मैं मां के कमरे में गया और बोला : मां , मैं यही सो जाता हूं आपके वाले कमरे में ही।
मां : हां बेटा ठीक है सो जा।
फिर मैं वहां पर लेटा और लेटे लेटे रात के बारे में सोचते सोचते मुस्कुराता रहा और नहाने के बाद क्या मस्त नींद लगी के मां और मोसी के ख्यालों में खो गया।
मेरी एक आवाज से आंख खुली और वो आवाज थी मोसी की जो मुझे हिलाते हुए बुला रही थी : उठ जा गोलू बेटा, नाश्ता बन रहा है, चल आजा मिलकर करते हैं।
मैं नींद से उठा और मोसी को सामने देखकर मुस्कुराया और बोला : क्या.....
मोसी : उठ जा अब, नाश्ता बन रहा है।
मैंने घड़ी की ओर देखा तो साढे 10 बज रहे थे। मोसी मुझे उठाकर चली गई और मैं अंगड़ाई लेटा उठा और बाथरूम गया, फ्रेश होकर ब्रश किया फिर बाहर सोफे पर जाकर बैठ गया। मां और मोसी किचन में ही थे के मां मुझे सोफे पर बैठते देख बोली : उठ गई गोलू, लाऊं नाश्ता।
मैं: हां मां दे दो।
मां नाश्ता लेकर आई और मोसी और मां भी वहां बैठ गई , मैं बोला: आप दोनों ने भी नहीं किया अभी तक नाश्ता?
मां : नहीं
मोसी : मैं भी लेट ही उठी थी तो इसलिए देर हो गई।
मैं: अच्छा, क्या हुआ मोसी रात को नींद नहीं आई क्या आपको।
मोसी मां को देख कर शरमाते हुए : नींद तो रात में काफी अच्छी आई।
मां : हां वो तो आनी ही थी।
मैं शरीफ बनते हुए : वो क्यूं मां?
मां : इसकी टांगों में दर्द था ना, तो मैंने इसकी टांगे मालिश की थी रात में, तो नींद तो अच्छी आनी ही थी।
मोसी : हां हां ,दीदी, सही कहा आपने।
फिर मैं मां को देख कर मुस्कुराया और मां ने मुझे आंख मारी। हम यूंही फिर बाते करते करते नाश्ता करने लगे और नाश्ता खत्म करने के बाद मैं किचन में जाकर मां से बोला: मां , कॉन्डम पड़े हैं या लेकर आऊं?
मां : बेटा अभी तो पड़े है , वो जो कल डिब्बा था ना, उसमे आए थे 5_6, कल दो यूज हो गए एक तेरे लन्ड पर लगाया था अपने लिए और एक अपने लन्ड पर मैनें लगाया था तेरी मोसी के लिए, बाकी तु देख लेना।
मैं हस्ते हुए : हां हां मां , आपने अपने नकली लन्ड पर भी तो लगाया था , सही कहा आपने।
फिर मैं मां से बोला : अच्छा कोन सा फ्लेवर लेकर आऊं?
इधर मेरी ये लास्ट वाली बात से पहले मोसी भी प्लेट लेकर किचन में आ गई और बोली : क्या लेने जा रहा है गोलू?
मैं: वो वो मोसी, मां का आइसक्रीम खाने का मन कर रहा था तो वही पूछ रहा था के कोनसा फ्लेवर लाऊं?
मोसी : आइसक्रीम, सुबह सुबह।
मां : नहीं ये तो अभी घर से जा रहा था ना , तो दोपहर के लिए पूछ रहा था के आते वक्त कोन सी लाऊं?
मोसी : ओह अच्छा, और मुझसे कोन पूछेगा, मैं तेरी कुछ नहीं लगती क्या गोलू?
मैं: अरे नहीं नहीं मोसी, आप भी मेरी मां जैसी ही हो।
मोसी : मां जैसी ही बोलियो तु, मां नहीं बोल सकता क्या।
मैं: हां मोसी, वही।
मोसी : फिर से मोसी, मैनें भी तेरी बचपन में पूरी देखभाल की है, और यहां तक कि तुझे अपना दूध भी पिलाया है।
मां हसने लगी और मैं भी हसने लगा फिर मां बोली : हां गोलू, इसने तुझे अपना दूध भी पिलाया है, अब अगर तुझे आज भी पीना हो तो पिला देगी।
मोसी : हां हां दीदी, इसमें क्या है मेरा बेटा है, मैं पिला दूंगी।
मैं मां और मोसी की ये बाते सुन कर खुश भी था और थोडा सा हैरान भी के ये क्या चल रहा है।
इतने में मां बोली : बोल क्या रही है निशा, तेरी जगह मुझे कोई ऐसा कहता ना, मैं अभी गोलू को पकड़ अपना दूध पिला देती।
मां : बस बस दीदी, जब ये जिद्द कर रहा था पीने को, तब तो आपने पिलाया नहीं, अब क्या कह रही हो।
मोसी : चल छोड़ो ये सब, बता गोलू मेरे लिए कोन सी आइसक्रीम लाएगा?
मैं: आप बताओ, आपको कोनसा फ्लेवर पसंद है?
मोसी सोचती हुई : हम्मम, चॉकलेट, चॉकलेट ले आना।
मैं: और मां आपके लिए?
मां : जो भी तुझे अच्छा लगे, ले आना।
मैं: ठीक है।
फिर मैनें 10 मिनट यूंही फोन चलाया और घर से फिर निकल गया दोस्त के पास।