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Incest मां के हाथ के छाले

Ek number

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मां के हाथ के छाले
Part: 11
हम दोनों इस वक्त गर्म हो चुके थे और मां ने जैसे ही मुझे अपनी गांड़ दिखाई के मेरी तो मानों आखें चमक गई और मैंने खुद पर से कंट्रोल खोकर बिना सोचे समझे मां को बोल दिया : मां, आपकी गांड़ बहुत प्यारी है।
मां ये सुनकर चौंक सी गई फिर हल्का सा मुस्कुरा कर बोली : अच्छा जी, मेरे बुद्धू बेटे को अच्छी लगी ये।
मैं: अच्छी नहीं मां, बहोत ज्यादा अच्छी।
मां : चुप लुच्चा कहीं का। चल मुझे कोई कपड़े दे, तेरे पापा राह देख रहे होंगे के कहां चली गई मैं।
मैं: हां मां देता हूं।
मैंने अलमारी खोली और उसमे से 3 जींस निकाली और मां को दिखाकर बोला : बोलो मां, कोनसा कलर ट्राई करना चाहोगी?
मां : बेटा, ये जींस कहां ही आएगी मुझे और मैनें तो आजतक डाली भी नहीं कभी जींस।
मैं: अरे मां एक बार ट्राई तो करो, अच्छी लगेगी आप पास। आपकी गांड़ मेरा मतलब आपके हिप्स....
मां हंसते हुए : हां, कोई बात नहीं गांड़ हिप्स एक ही बात है, आगे क्या बोल रहा था।
मैं: मेरा मतलब आपकी गांड़ मोटी है ना काफी और ये जींस उन औरतों पर बहुत खिलती है जिनकी मोटी होती है।
मां और मैं हसने लगे के मां बोली : अच्छा जी, ऐसा भी होता है।
मैं: और नहीं तो क्या मां, तुम डालो तो सही एक बार, अच्छा चलो बताओ कोनसा कलर डालोगी इनमे से? ब्लू? ब्लैक ? या फिर ये ग्रे?
मां सोचने लगी और बोली : ब्लू वाली ट्राई करती हूं।
मैं: हां मां, ये जचेगी आप पर।
मां : देखते हैं, चल डाल तो सही जरा ये मुझे।
मैंने जींस पकड़ी और नीचे बैठ गया और मां को बोला उसमे पैर डालने को , मां ने पहला पैर रखा, मैंने उस पैर से जींस ऊपर की फिर दूसरा पैर रेखा, फिर वहां से जींस थोड़ी ऊपर की और फिर मैनें मां से कहा : मां अब घूम जाओ, देखते है ये अब आपको कमर से ...मेरा मतलब गांड़ से फिट आती है या नहीं।
मां हंसते हुए बोली : नहीं आएगी बेटा, बहुत फर्क है तेरे मेरे साइज में।
मैं: मां ये स्ट्रैच एबल है, ट्राई करके देखते है फिर डिसाइड करेंगे।
मां : ठीक है कर जो करना है।
अब सिचुएशन ये थी के मां बैड के ऊपर खड़ी थी अपनी गांड़ मेरी तरफ करके और मैं बेटा था उनके पैर जींस में डलवाने के लिए तो अभी भी मैं बेटा ही रहा और जींस ऊपर करने की कोशिश करने लगा और उनका गांड़ अब ठीक मेरे मुंह के सामने थी, मेरा दिल तो किया के उनकी गांड़ में अपना मुंह डाल दूं पर बर्दास्त करता रहा और किसी अच्छे मौके की तलाश में रहा। फिर मैनें धीरे धीरे जींस ऊपर की और जब बिल्कुल गांड़ के नजदीक आ गई तो थोड़ी अटक गई के मां बोल पड़ी : देखा, कहा था ना तुझे मैनें
मैं: अरे रुको तो सही मां।
मैनें अब खड़े होकर मां से कहा : मां घोड़ी बन जाओ
मां : क्या?
मैं: मेरा मतलब थोड़ा नीचे झुको ना, ये सही चढ़ जाएगी फिर।
मां : अच्छा अच्छा
बोलकर नीचे झुकी और अब मेरे लोड़े के बिलकुल सामने घोड़ी बनकर मेरी मां खड़ी थी जिनकी गोरी गांड़ बिलकुल मेरे सामने नंगी थी और मैं उन्हें चोदने के ख्यालों में खोने ही वाला था के मां बोल पड़ी : जल्दी डाल दे बेटा।
मैं अचानक ये सुनते ही बोला : डालने का तो मेरा भी दिल कर रहा है मां
मां हंसने लगी और बोली : क्या?
मैं: वो वो , क्या डालने को बोली थी आप?
मां फिर हंसते हुए : अरे बुद्धू मैं जींस डालने को बोल रही थी, तु क्या समझा?
मैं: वो वो, कुछ नहीं मां, जींस ही
मां : अच्छा जी,
और ऐसा बोलकर मां मुझे तड़पाते हुए थोड़ा सा और झुक के हल्की सी पीछे हुई जैसे मुझे न्योता दे रही हो के ले बेटा, चाट ले मेरी गांड़। मैंने अपने मुंह के बिल्कुल पास वाली गांड़ को सूंघने की कोशिश की ओर क्या कमाल की खुश्बू थी, ऐसे हल्का हल्का सूंघते सूंघते मैनें मां को आखिरकार जींस पहना ही दी। उनपर जींस एकदम मस्त लग रही थी , ये मोटी फूली हुई गांड़ पर टाइट जींस कहर ढा रही थी । जैसे ही जींस उनकी गांड़ पर डल गई मैं बोला : लो बोला था ना, डाल दूंगा
मां मस्ती में : क्या डाल देगा बेटा?
मैं भी मस्त आवाज में : वही
मां : क्या बेटा?
मैं: जींस
इसपर दोनो मुस्कुराने लगे और मां घोड़ी से सीधी हुई और घूम कर मेरी तरफ मुड़कर मुझे एक किस्स देकर बोली : थैंक्यू सो मच बेटा, मेरी इतनी मदद करने के लिए और 2 दिन मेरे हाथ बनकर रहने के लिए भी।
मैं: इसमें थैंक्यू कैसा मां
मां : नहीं बेटा, सच में थैंक्यू, और अगर तुझे कुछ भी चाहिए हो मुझसे तो बेझिझक मांग लेना।
ऐसा लगा मां अब पापा के पास जाने वाली थी तो थोड़ा इमोशनल हो गई हो जैसे मुझे छोड़ के अब कहीं और जा रही हो और फिर मैं बोला : ओके मां, अब चलो पापा राह देख रहे होंगे।
मां : हां बेटा,चल
फिर हम दोनो मेरे रूम से बाहर निकले, मैनें मां को मैन गेट के पास खड़ा करके मैन गेट को खोल कर बंद किया ताकि ऐसा लगे के कोई अभी अभी उस गेट से आया है, फिर मां को ऑल द बेस्ट बोलकर उन्हें उनके कमरे में जाने को कहा।
अब मां को पागल बनाया था के पापा रूम में हैं, तो इतना नाटक करना तो बनता ही था।
फिर मां अपने कमरे में घुसी और मैं उनके गेट पर खड़ा रहा। इधर मां अंदर जाते ही बोली : ए जी, आ गए क्या आप?....बाथरूम में हो क्या?
मां ने मुझे इशारा किया के रूम में तो नहीं हैं शायद रूम के बाथरूम में होंगे। मां के इशारा करने पर मैं उनके कमरे में घुस गया और धीरे से उनके पास जाकर बोला : हां मां, बाथरूम में होंगे शायद, ये अच्छा मौका है आपके कपड़े लेने का।
मां : हां बेटा, धीरे से अलमारी खोल और मेरी एक सलवार उठा ले।
मैंने अलमारी खोली और एक सलवार उठा कर उन्हे बोला : ये ठीक हैं?
मां : हां ठीक है।
मां का फिर ध्यान बाथरूम के थोड़े से खुले गेट पर गया और वो उसके पास जाकर देखने लगी के है भी कोई या नहीं....फिर मां मेरी तरफ देखने लगी और मुझसे हंसी बर्दाश्त नहीं हुई और मैं हंसने लगा। मां ये देख कर समझ गई के कुछ न कुछ गडबड है।
तभी मैं बोला : मां, पापा नहीं आए, वो पड़ोस वाली आंटी थी।
ये सुनते ही मां दौड़ कर मेरी ओर आई और मुझे पलंग पे गैर खुद मेरे उपर गिर गई और बोली : लुच्चे, मां को पागल बनाता है, शर्म नहीं आती।
मैं : नहीं मां शर्म तो नहीं पर प्यार जरूर आता है।
मैं बेड पर पड़ा था और मां उस टाइट जींस में मेरे ऊपर और हम दोनों ही मस्त हो रखे थे। मेरा लोड़ा गर्म होकर नीचे टाइट पड़ा था जिसपर उनकी जींस में कैद गर्म चूत और मेरे चैस्ट के पास उनके मोटे बाहर निकलने को उतावले चूचे थे।
मां : अच्छा बच्चू, ज्यादा ही प्यार आ रहा है, सब महसूस हो रहा है मुझे
मैं सोचने लगा और खुदसे बोला : हां, मां , लोड़ा महसूस ही मत करो , अब अंदर भी लेने का प्लान बना लो, और नहीं रुका जाता।
मां मेरी ओर देखते बोली : कहां खो गया?
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मां के हाथ के छाले
Part : 13
मैं मां के पीछे पीछे बाथरूम तक गया और मां बैठ गई सीट पर। लेकिन इस बार कोई आवाज मां आई उनके पेशाब करने की। फिर मां बोली : बेटा, ये नल चला तो जरा।
मैं समझ गया के पेशाब तो के बहाना है, शायद मां अपना रस यहां साफ करने आई है।
मैनें नल चलाया, लेकिन पानी उस गड्ढे चिपचिपे रस को शायद हटा ना पाया पूरी तरह से के मां बोली : बेटा ये, सही तरह चला ना।
मैं: हां, मां सही ही चला रहा हूं.
मां : साफ नहीं हो रहा बेटा ये अच्छे से
मैं: क्या मां?
मां : वो पेशाब
मैं थोड़ा हंसते हुए बोला : शायद चिपचिपा होगा मां, इसलिए नहीं हो रहा।
मां समझ गई के मैं जान गया हूं और बोली : बेटा, ये रुमाल से करदे ना, प्लीज।
और इस से पहले के मैं हां करता करने की, मां ने सीट पर बैठे बैठे ही अपनी टांगे खोल दी और बोली : ले कर दे।
मां की खुली टांगों में झांटों वाली चूत आज इतनी गौर से देखने को मिली। पहले भी मिली पर वो उनकी बंद टांगों में, आज तो खुली टांगों में देख मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और मैने फट से अपनी लोवर की जेब से रुमाल निकाला और उसे साफ करने लगा के मां सिसकी : आह, आ, कर कर बेटा रुक मत।
मां फिर से इतनी जल्दी गर्म हो जाएगी, मैनें सोचा ना था, खैर अच्छा है हो गई तो। शायद काफी वक्त से चूदि नहीं थी, इसीलिए इतनी जल्दी गर्म होकर फिर बैठ गई।
मैनें थोड़ा तेज तेज साफ किया और रुमाल हटा कर बोला : हो गया मां।
मां : रुक क्यूं गया, अच्छा अच्छा हो गया ...चल चल ल ..ठीक है बेटा, सोते हैं फिर।
मां बैड पर लेट गई और अब आप खुद ही इमेजिन कर सकते हो बैड के एक तरफ मां लेटी हो आपकी तरफ कमर कर के वो भी बिना सलवार के और उनकी टांगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ी हों जिस से के चूत के वो गद्देदार होठों के आपको दर्शन हो रहे हों तो क्या आपका लोड़ा बिना खड़े हुए रह पाएगा। नहीं ना । ठीक ऐसा ही हुआ मेरे साथ भी, मेरा भी लोड़ा फिर एक दफा उनकी फूली हुई गांड़ देख टाइट हो गया, दिल किया के बस अपनी जीभ उनकी मस्त गांड़ में फेर दूं। फिर मैंने लाइट ऑफ की और बैड पर आकर लेट गया। मैं लेटा ही था के मां मेरी तरफ घूमी और बोली : बेटा सोनू
मैं: हां मां?
मां : तेरी सच में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं मस्ती में : मां पहले तो नहीं थी पर एक मिली है अब।
मां : अच्छा, वाह
मैं: हां मां, वो बहुत सुंदर है, उस से दूर जाने को दिल नहीं करता मेरा।
मां : अच्छा जी, कहां रहती है वो?
मैं: मेरे दिल में।
मां और मैं हंसने लगे और मां ने मेरे माथे पर एक हल्का सा हाथ मारते हुए कहा : आए जाए, कहां मिल गई बेटा ऐसी गर्लफ्रेंड तुझे?
मैं : मां, बस मिल गई।
मां : फोटो तो दिखा उसकी
मैं : रुको दिखता हूं।
मैं बेड से उतरा, लाइट ऑन की और अपना फोन उठा कर उसके फ्रंट कैमरा ओपन कर मां के सामने किया और बोला : ये देखो मां
मां पहले सोच में पड़ी फिर बोली : कहां हैं, ये तो कैमरा चालू है।
मैंने बेड पे लेटकर फिर कैमरा अपने हाथों से दूर कर कहा : ये देखो मां, ये मैं और ये मेरी गर्लफ्रेंड
मां और मैं फिर हंसने लगे और मां बोली : चुप बदमाश कहीं का, मैं कब से तेरी गर्लफ्रेंड बन गई।
मैनें फोन साइड में रखा और लाइट बंद कर के बैड पर आ गया और बोला
मैं: मां, आप भूल गई क्या, कल आपने ही तो कहा था 'मैं तेरे दोस्त जैसी ही तो हूं बेटा'
मां : हां तो दोस्त कहा था, गर्लफ्रेंड थोड़ी
मैं: मां, आप गर्ल हो और मेरी फ्रैंड भी तो हुई ना मेरी गर्ल फ्रैंड।
फिर मां मुस्कुराने लगी और बोली : नहीं जी, मैं किसी की गर्लफ्रेंड नहीं हूं।
मैं: मेरी तो हो।
मां : नहीं जी, बॉयफ्रेंड बनाने पर उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मैं: क्या देना पड़ता है मां?
मां : बस बहुत कुछ
मैं: मां आपका भी कोई बॉयफ्रेंड था क्या?
मां : नहीं नहीं बाबा, हमारे टाइम में कहां ये बॉयफ्रेंड वगेरा होता था, उस टाइम हमें घर से ज्यादा निकलने भी नहीं दिया जाता था।
मैं: तो फिर आपको किसने कहा के उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मां : है मेरी एक सहेली, उसका बॉयफ्रेंड है, उसने बताया था मुझे।
मैं: कोन सी सहेली है मां ?
मां : तु कल ही मिला है उस से , याद कर
मैं: कोन मां?
मां : अरे तेरी आंटी, जिनसे कल तु मार्केट से वो सामान लेकर आया था मेरा
मैं: सच्ची मां?... सच में उनका बॉयफ्रेंड है क्या?
मां : हां, तु कहियो मत किसी से, ये बात बस तुझे बताई है मैने
मैं: नहीं मां, मैं क्यूं कहूंगा भला किसी से कुछ.... अच्छा उनहोने कब बनाया बॉयफ्रेंड?
मां : बस 3-4 महीने ही हुए हैं
मैं: आंटी छुपी रुस्तम निकली
मां : हां , और नहीं तो क्या। मैनें तो बोला था उसे इन चक्करों से दूर रह, कहीं पकड़ी गई तो क्या होगा। पर वो बोली : वो उसकी बहोत केयर करता है और उसे प्यार भी करता है। है तो वो भी लगभग तेरी ही उमर का है
मैं: सच में मां, मेरा उमर का है?
मां : हां, चल अब बाते छोड़ और सो जा, कल सोमवार है तेरी ड्यूटी भी है।
मैं: हां मां,
जॉब को याद करके मैं कब सो गया पता ही नहीं चला
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मां के हाथ के छाले
Part : 12
फिर मां बोली : तूने झूठ क्यूं बोला मुझसे?
मैं: बस मां यूंही, दिल किया
मां: हां ज्यादा मस्तीबाज हो गया है तु।
फिर मां हट गई और बोली : चल अब ये टाइट जींस उतार दे और मुझे कोई सलवार पहना और फिर तूने मेरे कपड़े भी धोने हैं।
मैं: अरे मां, पहने रखो ना थोड़ी देर के लिए,इतनी तो मस्त लग रही है आप पर ये।
मां : नहीं बेटा, उतार दे।
मैं: मां प्लीज ना, मेरे लिए, बस थोड़ी देर फिर रात में बदल दूंगा।
मां सोचने लगी फिर बोली : अम्म, चल ठीक है, पर मेरा एक काम करना पड़ेगा तुझे
मैं: हां मां, जो कहोगी वो कर दूंगा।
मां : ठीक है कल सुबह बताऊंगी फिर।
मैं : ओके मां
मां: चल अब कपड़े धो दे मेरे अब, कल सुबह डालने के लिए और है भी नहीं मेरे पास।
मैं अलमारी की ओर देखता हुआ : इतने सारे कपड़े हैं तो मां।
मां : अरे ये नहीं बुद्धू, वो पैंटी।
मैं: अच्छा, अच्छा।
फिर मैंने घड़ी की तरफ टाइम देखा तो 9 बज चुके थे।
मैं मां से बोला : मां, टाइम तो देखो जरा, खाना भी लाना है , कपड़े कल धो दूं क्या?
मां : 9 बज गए, ये सब तेरे पापा आने वाले ड्रामे की वजह से हुआ है। चल ठीक है, खाना ले आ तु, कपड़े कल धो लेना।
मैं फिर मार्केट से खाना लेने गया, खाना लेकर आया तब तक पोने 10 बज चुके थे। फिर मैंने खाना पैकेट्स में से निकाला, बर्तन में डालकर मां के रूम में ले गया और नीचे खाना रखकर मां को बोला : आजाओ मां।
मां नीचे आकर बैठने लगी के उनकी जींस टाइट होने की वजह से उनसे बेटा नही जा रहा था तो वो बोली : बेटा ये जींस इतनी टाइट है तु उतार पहले इसे, फिर खाना खिलाना।
मैंने मां की जींस उतारी और आह फिर से मां की गोरी गांड़ के दर्शन हो गए। फिर मां बोली : चल अब खाना खाते हैं पहले, ठंडा हो जाएगा। फिर मुझे एक सलावर या पजामी डाल देना।
ये सुनते ही मेरे मन में तो लड्डू सा फूट पड़ा हो जैसे। मैं फिर से नीचे बैठा और रोटी सब्जी में डूबने ही लगा के मां नीचे बैठते ही उछली और बोली : आह मां, कितना ठंडा है ये मैट।
मैंने जहा मां बेटी थी वहां देखा और बोला : अरे मां, ये वही जगह है जहां मैं रुमाल से आपकी साफ कर रहा था, शायद वही पेशाब गिरा हुआ था, इसलिए ठंडा लग रहा है मैट आपको।
मां : हां, मैं तो भूल ही गई थी, अब क्या करूं बेटा? लगता है सलवार डालनी ही पड़ेगी।
मैं मुड़ में आकर : मां, खाना तो मुझे ही खिलाना है, आप मेरी गोदी में बैठ जाओ इतना, आओ, खाना ठंडा हो जाएगा वरना।
मां मस्त होकर मुस्कुराई और बोली : ठीक है।
बोलते ही अपनी नंगी मोटी गांड़ लिए मां मेरी गोद में आ बैठी और मेरे खड़े लन्ड को अपनी गांड़ पर महसूस करके एकदम कूद उठी और बोली : आह, सोनू।
मैं: क्या हुआ मां?
मां : वो वो, कुछ नहीं बेटा, मेरे घुटने मुड़ गए थे बैठते वक्त इसलिए बस।
मैंने मां के मेरी गोद में बैठे थे उनकी टांगे आगे की ओर सीधी करदी जिस से पूरा उनकी गांड़ का वजन मेरे लोड़े पर आ गया और हम दोनो मस्त हो गए। और मैं बोला : ऐसे टांगे सीधी रखोगी ना, फिर दर्द नहीं होगा मां
मां : हां, बेटा।
फिर मैं मां को अपनी गांड़ पर बिठाए बिठाए ही खाना खाने लगा और उन्हें भी खिलाने लगा, खाना खाते खाते वो मस्ती में मेरी उंगलियों को भी बीच बीच में चाटने लगी और मैं जान बूझ कर खाने के प्लेट से खाना उठाने के बहाने उन्हे हल्के हल्के से झटके देने लगा। अब बस मां की गांड़ और मेरे लोड़े के बीच अगर ये लोवर का कपड़ा ना होता तो मेरा लोड़ा सच में उनकी गांड़ के इस छेद में घुस जाता और जन्नत की सैर कर आता। करीब यूंही 10-15 मिनट तक हम धीरे धीरे खाना खाते रहे और बिना एक दूसरे को कुछ कहे गांड़ और लन्ड को आपस में रगड़ते रहे। 2 दिन के बर्दाश्त के बाद आज लगता है मेरा भी पानी छुटने ही वाला था के मां भी एकदम झड़ी और उनके मुंह से तेज : आह आह निकल पड़ी और मैं भी हल्का सा कसमसा सा गया। 1-2 मिनट के लिए सब थम सा गया और फिर हम दोनों होश में आए और मां उठी और उनके उठते ही मैं कमरे से बिना बर्तन लिए बाहर चला गया।
बाहर जाकर मैं सोफे पर 10 मिनट यूंही बैठा रहा और फिर अपने कमरे में जाकर पहले अपना लोवर बदला और फिर मां के कमरे में गया तो मां बैड पर अपने घुटनों को फोल्ड किए आंखे बंद कर अपने ख्यालों में खोई थी। पता नहीं क्या हुआ के यूं बैठी मां की घुटनों से नीचे चमकती चूत को देख लन्ड फिर से खड़ा होने लगा के मैंने बिना कुछ कहें वहा से बर्तन उठाना शुरू किया। बर्तन की आवाज से मां ने आंख खोली और कुछ बोली नहीं। फिर मैं किचन में बर्तन रखकर घर की लाइट्स वगैरा बंद की और मां की दवा लेकर उनके कमरे में गया और बोला : मां , दवा लेलो।
मां : हां
मैनें मां को दवा खिलाई और फिर ट्यूब लगाने के लिए उनके हाथ अपनी ओर करके देखा और बोला : मां, आपके छाले अब ठीक होने लगे हैं, शायद कल तक सही हो जाएंगे एकदम।
मां उन्हे देखकर : हां, बेटा, थैंक्यू मेरे लिए इतना सब करने के लिए, तु यहीं सो जाना बस एक दो दिन की ही बात है, फिर मैं खुद कर लिया करूंगी सब।
मैं: ठीक है मां।
फिर हम सोने लगे के मां बोली : अच्छा सुन, सोनू।
मैं: हां, मां?
मां : एक बार मुझे पेशाब करवाने ले जाएगा क्या?
मैं: हां मां।
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मां के हाथ के छाले
Part : 13
मैं मां के पीछे पीछे बाथरूम तक गया और मां बैठ गई सीट पर। लेकिन इस बार कोई आवाज मां आई उनके पेशाब करने की। फिर मां बोली : बेटा, ये नल चला तो जरा।
मैं समझ गया के पेशाब तो के बहाना है, शायद मां अपना रस यहां साफ करने आई है।
मैनें नल चलाया, लेकिन पानी उस गड्ढे चिपचिपे रस को शायद हटा ना पाया पूरी तरह से के मां बोली : बेटा ये, सही तरह चला ना।
मैं: हां, मां सही ही चला रहा हूं.
मां : साफ नहीं हो रहा बेटा ये अच्छे से
मैं: क्या मां?
मां : वो पेशाब
मैं थोड़ा हंसते हुए बोला : शायद चिपचिपा होगा मां, इसलिए नहीं हो रहा।
मां समझ गई के मैं जान गया हूं और बोली : बेटा, ये रुमाल से करदे ना, प्लीज।
और इस से पहले के मैं हां करता करने की, मां ने सीट पर बैठे बैठे ही अपनी टांगे खोल दी और बोली : ले कर दे।
मां की खुली टांगों में झांटों वाली चूत आज इतनी गौर से देखने को मिली। पहले भी मिली पर वो उनकी बंद टांगों में, आज तो खुली टांगों में देख मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और मैने फट से अपनी लोवर की जेब से रुमाल निकाला और उसे साफ करने लगा के मां सिसकी : आह, आ, कर कर बेटा रुक मत।
मां फिर से इतनी जल्दी गर्म हो जाएगी, मैनें सोचा ना था, खैर अच्छा है हो गई तो। शायद काफी वक्त से चूदि नहीं थी, इसीलिए इतनी जल्दी गर्म होकर फिर बैठ गई।
मैनें थोड़ा तेज तेज साफ किया और रुमाल हटा कर बोला : हो गया मां।
मां : रुक क्यूं गया, अच्छा अच्छा हो गया ...चल चल ल ..ठीक है बेटा, सोते हैं फिर।
मां बैड पर लेट गई और अब आप खुद ही इमेजिन कर सकते हो बैड के एक तरफ मां लेटी हो आपकी तरफ कमर कर के वो भी बिना सलवार के और उनकी टांगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ी हों जिस से के चूत के वो गद्देदार होठों के आपको दर्शन हो रहे हों तो क्या आपका लोड़ा बिना खड़े हुए रह पाएगा। नहीं ना । ठीक ऐसा ही हुआ मेरे साथ भी, मेरा भी लोड़ा फिर एक दफा उनकी फूली हुई गांड़ देख टाइट हो गया, दिल किया के बस अपनी जीभ उनकी मस्त गांड़ में फेर दूं। फिर मैंने लाइट ऑफ की और बैड पर आकर लेट गया। मैं लेटा ही था के मां मेरी तरफ घूमी और बोली : बेटा सोनू
मैं: हां मां?
मां : तेरी सच में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं मस्ती में : मां पहले तो नहीं थी पर एक मिली है अब।
मां : अच्छा, वाह
मैं: हां मां, वो बहुत सुंदर है, उस से दूर जाने को दिल नहीं करता मेरा।
मां : अच्छा जी, कहां रहती है वो?
मैं: मेरे दिल में।
मां और मैं हंसने लगे और मां ने मेरे माथे पर एक हल्का सा हाथ मारते हुए कहा : आए जाए, कहां मिल गई बेटा ऐसी गर्लफ्रेंड तुझे?
मैं : मां, बस मिल गई।
मां : फोटो तो दिखा उसकी
मैं : रुको दिखता हूं।
मैं बेड से उतरा, लाइट ऑन की और अपना फोन उठा कर उसके फ्रंट कैमरा ओपन कर मां के सामने किया और बोला : ये देखो मां
मां पहले सोच में पड़ी फिर बोली : कहां हैं, ये तो कैमरा चालू है।
मैंने बेड पे लेटकर फिर कैमरा अपने हाथों से दूर कर कहा : ये देखो मां, ये मैं और ये मेरी गर्लफ्रेंड
मां और मैं फिर हंसने लगे और मां बोली : चुप बदमाश कहीं का, मैं कब से तेरी गर्लफ्रेंड बन गई।
मैनें फोन साइड में रखा और लाइट बंद कर के बैड पर आ गया और बोला
मैं: मां, आप भूल गई क्या, कल आपने ही तो कहा था 'मैं तेरे दोस्त जैसी ही तो हूं बेटा'
मां : हां तो दोस्त कहा था, गर्लफ्रेंड थोड़ी
मैं: मां, आप गर्ल हो और मेरी फ्रैंड भी तो हुई ना मेरी गर्ल फ्रैंड।
फिर मां मुस्कुराने लगी और बोली : नहीं जी, मैं किसी की गर्लफ्रेंड नहीं हूं।
मैं: मेरी तो हो।
मां : नहीं जी, बॉयफ्रेंड बनाने पर उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मैं: क्या देना पड़ता है मां?
मां : बस बहुत कुछ
मैं: मां आपका भी कोई बॉयफ्रेंड था क्या?
मां : नहीं नहीं बाबा, हमारे टाइम में कहां ये बॉयफ्रेंड वगेरा होता था, उस टाइम हमें घर से ज्यादा निकलने भी नहीं दिया जाता था।
मैं: तो फिर आपको किसने कहा के उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मां : है मेरी एक सहेली, उसका बॉयफ्रेंड है, उसने बताया था मुझे।
मैं: कोन सी सहेली है मां ?
मां : तु कल ही मिला है उस से , याद कर
मैं: कोन मां?
मां : अरे तेरी आंटी, जिनसे कल तु मार्केट से वो सामान लेकर आया था मेरा
मैं: सच्ची मां?... सच में उनका बॉयफ्रेंड है क्या?
मां : हां, तु कहियो मत किसी से, ये बात बस तुझे बताई है मैने
मैं: नहीं मां, मैं क्यूं कहूंगा भला किसी से कुछ.... अच्छा उनहोने कब बनाया बॉयफ्रेंड?
मां : बस 3-4 महीने ही हुए हैं
मैं: आंटी छुपी रुस्तम निकली
मां : हां , और नहीं तो क्या। मैनें तो बोला था उसे इन चक्करों से दूर रह, कहीं पकड़ी गई तो क्या होगा। पर वो बोली : वो उसकी बहोत केयर करता है और उसे प्यार भी करता है। है तो वो भी लगभग तेरी ही उमर का है
मैं: सच में मां, मेरा उमर का है?
मां : हां, चल अब बाते छोड़ और सो जा, कल सोमवार है तेरी ड्यूटी भी है।
मैं: हां मां,
जॉब को याद करके मैं कब सो गया पता ही नहीं चला
Zaberjast
 

SUCKMEOFF

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कुछ इस तरह का था वो समा जब मां की पजामी ऊपर नहीं चढ़ रही थी और वो बैड के बगल में घोड़ी बनी थी। इस तरह अगर किसी की भी मां खड़ी हो तो मन का और लंड का डोल जाना तो स्वाभाविक सी बात ही है। ❤️🍑
kya gaand hai yaat, aisi gaand ho aur beta madarchod to banega hi.
 
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sunoanuj

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Bahut barhiya updates…
 
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