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Incest मां के हाथ के छाले

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hi behtarin updates…
 
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In-Shot-20221124-232049530
इस तरह से मां नीचे मैट पर बैठ गई के कहीं उनकी भीगी चूत का रस उनकी बैडशीट पर ना टपक पड़े। 🍑🍌
Jabardast update tha bhai pura image ko likh kar details me bataya gaya hai, bahut badhiya ja rahe ho 👍
 
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मां के हाथ के छाले
Part : 9
मां को ऐसे पैंटी में देख और ऊपर से उनकी ऐसी बातों से मैंने उनकी गांड़ मारने का मन बना लिया। फिर धीरे से मैनें उनकी पैंटी नीचे सरकाई और सामने का नजारा देख मेरे मुंह से लार टपकने लगी, सामने थी मां की पेशाब और उस अमृत रस से भीगी चूत जो अब तक गीली ही थी और शायद हमारी इन बातों से और गीली हो चुकी थी। पैंटी को उतारकर मैंने मां से कहा : मां, ये आपकी पजामी डालनी है अभी दोबारा या नहीं?
मां : अरे डालनी है बेटा, डालनी क्यूं नहीं, क्या मैं छोटे बच्चे की तरह घर में आधी नंगी घूमती फिरूंगी?
मैं और मां फिर हसने लगे और मैनें कहा : मां मेरा मतलब है के ये आपकी भीगी पड़ी है, इसलिए पूछा के डालूं अभी या नहीं?
मां : क्या भीगी पड़ी है?
मैं हंसते हुए : आपकी गांड़ और ये नीचे से भी
मां हंसते हुए बोली : अरे हां बेटा वो पेशाब से भीग गई थी ना, अच्छा हुआ तूने पूछ लिया पहले ही , वरना पजामी डालता तो वो भी भीग जाती। बेटा ऐसा कर इसे ना एक कपड़े से पोंछ दे पहले, फिर पजामी डाल देना।
मैं: ठीक है मां।
मैनें वही भीगी हुई पैंटी उठाई और उसी से गांड़ की दरार में फेरता हुआ चूत तक साफ करने लगा के मां बोली : अरे पागल है क्या.., ये तो पहले से ही भीगी है, कोई दूसरा कपड़ा ला
मैं हसने लगा और अपनी जेब से रुमाल निकल कर फेरने लगा और बोला : मां, आपका पेशाब इतना चिपचिपा आता है क्या?
मां : क्यूं, ऐसा क्यूं कहा तूने?
मैं: मां वो ये आपकी भीगी हुई जगह पर रुमाल लगाया ना तो चिपचिपा सा लगा मुझे, इसलिए।
मां सोचने लगी और हल्की सी हंसी को दबाके बोली : नहीं बेटा, शायद तेरा रुमाल ही ऐसा होगा।
मैं जानता था ये मां की चूत का रस है जो चिपचिपा और गाढ़ा है और मां को भी ये पता था पर वो जान कर भी अनजान बन ने का नाटक करती रही और मैनें भी मजे लेते लेते फिर से पूछा : बताओ ना मां, ऐसा पेशाब आता है क्या आपका?
मां : अरे नहीं बुद्धू ये तो बस...
मैं: ये तो बस, क्या मां?
मां : कुछ नहीं बेटा, छोड़ इसे अभी, फिर कभी बताऊंगी।
मैं भी सब्र के मीठे फल का ख्याल कर बोला : ठीक है मां
फिर रुमाल को धीरे से दरार से लेता हुआ पूरी चूत साफ करने लगा और साफ करके जब वो थोड़े से बाल टूट कर उस रुमाल में फसे तो मैं उन्हें मां को आगे की ओर दिखाने के लिए उनके पीछे झुका ही था के मेरा लोड़ा मां की नंगी गांड़ से जा टकराया और मां एकदम बोली : उई मां...आह
मैं रुमाल आगे करके बोला : क्या हुआ मां?
मां खुदको संभालते हुए बोली : कुछ नहीं बेटा, कुछ नहीं
मैं यूंही उनकी गांड़ से अपना लन्ड चिपकाए उनके पीछे झुका रहा और रुमाल दिखाते हुए बोला : देखो ना मां, आपके कितने बाल झड़ कर मेरे इस रुमाल में लग गए हैं।
मां मस्ती भरी आवाज में बोली : आ आ हां , बेटा टा, मेरे ये छाले ठीक हो जाएंगे ना तो मैं तेरा रुमाल साफ कर दूंगी और इन....
मैं भी उस गर्म गांड़ का एहसास लोड़े पे पाकर जन्नत की सैर करता बोला : और इन इन क्या मां , क्या मां?
मां : इन बालों को भी साफ कर दूंगी बेटा।
मैं: मां, आप कहो तो मैं कर दूं?
मां : जरूर बेटा।
हम दोनो बस एक दूजे के शरीर का मजा ले रहे थे बिना एक दूजे को जताए और हमारी ये बातें हम दोनो को ही मजबूर कर रही थी एक दूजे को चखने पर। इतने में मैं बोला : सच मां?
मां कुछ बोलती के इस से पहले डोरबैल बजी और हम दोनों की फट गई के कहीं पापा तो नहीं आ गए। हम दोनो एक दूसरे से तुरंत अलग हुए और
मां बोली : बेटा, कहीं तेरे पापा तो नहीं आ गए, हे भगवान।
मैं: मां, पापा ने सुबह तो कुछ कहा नहीं था के वो आने वाले हैं, आप रुको मैं देखता हूं।
मां इस वक्त नीचे से पूरी नंगी थी । वो अपनी झांटों वाली फुली हुई चूत और मोटी गांड़ लेकर मेरे कमरे की तरफ दौड़ी और बोली : जा बेटा देख और सुन, अगर पापा हुए तो तू उन्हे बताना नहीं के मैं तेरे कमरे में हूं, बोल देना के पड़ोस में गई हैं। अगर मैं अपने रूम के बाथरूम में घुसी तो मुझसे वहां की कुंडी बंद होगी नहीं और उन्होंने ऐसे देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी।इसलिए तेरे कमरे में ही छुप जाती हूं। तेरे कमरे में तो वो ज्यादातर आते ही नहीं हैं, जा अब जल्दी गेट खोल।
Karna sab kuch chahte hai bas sharaam karne deti nahi, aur ye dar kahani ko aur romanchit bana deti hai
 
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मां के हाथ के छाले
Part: 11
हम दोनों इस वक्त गर्म हो चुके थे और मां ने जैसे ही मुझे अपनी गांड़ दिखाई के मेरी तो मानों आखें चमक गई और मैंने खुद पर से कंट्रोल खोकर बिना सोचे समझे मां को बोल दिया : मां, आपकी गांड़ बहुत प्यारी है।
मां ये सुनकर चौंक सी गई फिर हल्का सा मुस्कुरा कर बोली : अच्छा जी, मेरे बुद्धू बेटे को अच्छी लगी ये।
मैं: अच्छी नहीं मां, बहोत ज्यादा अच्छी।
मां : चुप लुच्चा कहीं का। चल मुझे कोई कपड़े दे, तेरे पापा राह देख रहे होंगे के कहां चली गई मैं।
मैं: हां मां देता हूं।
मैंने अलमारी खोली और उसमे से 3 जींस निकाली और मां को दिखाकर बोला : बोलो मां, कोनसा कलर ट्राई करना चाहोगी?
मां : बेटा, ये जींस कहां ही आएगी मुझे और मैनें तो आजतक डाली भी नहीं कभी जींस।
मैं: अरे मां एक बार ट्राई तो करो, अच्छी लगेगी आप पास। आपकी गांड़ मेरा मतलब आपके हिप्स....
मां हंसते हुए : हां, कोई बात नहीं गांड़ हिप्स एक ही बात है, आगे क्या बोल रहा था।
मैं: मेरा मतलब आपकी गांड़ मोटी है ना काफी और ये जींस उन औरतों पर बहुत खिलती है जिनकी मोटी होती है।
मां और मैं हसने लगे के मां बोली : अच्छा जी, ऐसा भी होता है।
मैं: और नहीं तो क्या मां, तुम डालो तो सही एक बार, अच्छा चलो बताओ कोनसा कलर डालोगी इनमे से? ब्लू? ब्लैक ? या फिर ये ग्रे?
मां सोचने लगी और बोली : ब्लू वाली ट्राई करती हूं।
मैं: हां मां, ये जचेगी आप पर।
मां : देखते हैं, चल डाल तो सही जरा ये मुझे।
मैंने जींस पकड़ी और नीचे बैठ गया और मां को बोला उसमे पैर डालने को , मां ने पहला पैर रखा, मैंने उस पैर से जींस ऊपर की फिर दूसरा पैर रेखा, फिर वहां से जींस थोड़ी ऊपर की और फिर मैनें मां से कहा : मां अब घूम जाओ, देखते है ये अब आपको कमर से ...मेरा मतलब गांड़ से फिट आती है या नहीं।
मां हंसते हुए बोली : नहीं आएगी बेटा, बहुत फर्क है तेरे मेरे साइज में।
मैं: मां ये स्ट्रैच एबल है, ट्राई करके देखते है फिर डिसाइड करेंगे।
मां : ठीक है कर जो करना है।
अब सिचुएशन ये थी के मां बैड के ऊपर खड़ी थी अपनी गांड़ मेरी तरफ करके और मैं बेटा था उनके पैर जींस में डलवाने के लिए तो अभी भी मैं बेटा ही रहा और जींस ऊपर करने की कोशिश करने लगा और उनका गांड़ अब ठीक मेरे मुंह के सामने थी, मेरा दिल तो किया के उनकी गांड़ में अपना मुंह डाल दूं पर बर्दास्त करता रहा और किसी अच्छे मौके की तलाश में रहा। फिर मैनें धीरे धीरे जींस ऊपर की और जब बिल्कुल गांड़ के नजदीक आ गई तो थोड़ी अटक गई के मां बोल पड़ी : देखा, कहा था ना तुझे मैनें
मैं: अरे रुको तो सही मां।
मैनें अब खड़े होकर मां से कहा : मां घोड़ी बन जाओ
मां : क्या?
मैं: मेरा मतलब थोड़ा नीचे झुको ना, ये सही चढ़ जाएगी फिर।
मां : अच्छा अच्छा
बोलकर नीचे झुकी और अब मेरे लोड़े के बिलकुल सामने घोड़ी बनकर मेरी मां खड़ी थी जिनकी गोरी गांड़ बिलकुल मेरे सामने नंगी थी और मैं उन्हें चोदने के ख्यालों में खोने ही वाला था के मां बोल पड़ी : जल्दी डाल दे बेटा।
मैं अचानक ये सुनते ही बोला : डालने का तो मेरा भी दिल कर रहा है मां
मां हंसने लगी और बोली : क्या?
मैं: वो वो , क्या डालने को बोली थी आप?
मां फिर हंसते हुए : अरे बुद्धू मैं जींस डालने को बोल रही थी, तु क्या समझा?
मैं: वो वो, कुछ नहीं मां, जींस ही
मां : अच्छा जी,
और ऐसा बोलकर मां मुझे तड़पाते हुए थोड़ा सा और झुक के हल्की सी पीछे हुई जैसे मुझे न्योता दे रही हो के ले बेटा, चाट ले मेरी गांड़। मैंने अपने मुंह के बिल्कुल पास वाली गांड़ को सूंघने की कोशिश की ओर क्या कमाल की खुश्बू थी, ऐसे हल्का हल्का सूंघते सूंघते मैनें मां को आखिरकार जींस पहना ही दी। उनपर जींस एकदम मस्त लग रही थी , ये मोटी फूली हुई गांड़ पर टाइट जींस कहर ढा रही थी । जैसे ही जींस उनकी गांड़ पर डल गई मैं बोला : लो बोला था ना, डाल दूंगा
मां मस्ती में : क्या डाल देगा बेटा?
मैं भी मस्त आवाज में : वही
मां : क्या बेटा?
मैं: जींस
इसपर दोनो मुस्कुराने लगे और मां घोड़ी से सीधी हुई और घूम कर मेरी तरफ मुड़कर मुझे एक किस्स देकर बोली : थैंक्यू सो मच बेटा, मेरी इतनी मदद करने के लिए और 2 दिन मेरे हाथ बनकर रहने के लिए भी।
मैं: इसमें थैंक्यू कैसा मां
मां : नहीं बेटा, सच में थैंक्यू, और अगर तुझे कुछ भी चाहिए हो मुझसे तो बेझिझक मांग लेना।
ऐसा लगा मां अब पापा के पास जाने वाली थी तो थोड़ा इमोशनल हो गई हो जैसे मुझे छोड़ के अब कहीं और जा रही हो और फिर मैं बोला : ओके मां, अब चलो पापा राह देख रहे होंगे।
मां : हां बेटा,चल
फिर हम दोनो मेरे रूम से बाहर निकले, मैनें मां को मैन गेट के पास खड़ा करके मैन गेट को खोल कर बंद किया ताकि ऐसा लगे के कोई अभी अभी उस गेट से आया है, फिर मां को ऑल द बेस्ट बोलकर उन्हें उनके कमरे में जाने को कहा।
अब मां को पागल बनाया था के पापा रूम में हैं, तो इतना नाटक करना तो बनता ही था।
फिर मां अपने कमरे में घुसी और मैं उनके गेट पर खड़ा रहा। इधर मां अंदर जाते ही बोली : ए जी, आ गए क्या आप?....बाथरूम में हो क्या?
मां ने मुझे इशारा किया के रूम में तो नहीं हैं शायद रूम के बाथरूम में होंगे। मां के इशारा करने पर मैं उनके कमरे में घुस गया और धीरे से उनके पास जाकर बोला : हां मां, बाथरूम में होंगे शायद, ये अच्छा मौका है आपके कपड़े लेने का।
मां : हां बेटा, धीरे से अलमारी खोल और मेरी एक सलवार उठा ले।
मैंने अलमारी खोली और एक सलवार उठा कर उन्हे बोला : ये ठीक हैं?
मां : हां ठीक है।
मां का फिर ध्यान बाथरूम के थोड़े से खुले गेट पर गया और वो उसके पास जाकर देखने लगी के है भी कोई या नहीं....फिर मां मेरी तरफ देखने लगी और मुझसे हंसी बर्दाश्त नहीं हुई और मैं हंसने लगा। मां ये देख कर समझ गई के कुछ न कुछ गडबड है।
तभी मैं बोला : मां, पापा नहीं आए, वो पड़ोस वाली आंटी थी।
ये सुनते ही मां दौड़ कर मेरी ओर आई और मुझे पलंग पे गैर खुद मेरे उपर गिर गई और बोली : लुच्चे, मां को पागल बनाता है, शर्म नहीं आती।
मैं : नहीं मां शर्म तो नहीं पर प्यार जरूर आता है।
मैं बेड पर पड़ा था और मां उस टाइट जींस में मेरे ऊपर और हम दोनों ही मस्त हो रखे थे। मेरा लोड़ा गर्म होकर नीचे टाइट पड़ा था जिसपर उनकी जींस में कैद गर्म चूत और मेरे चैस्ट के पास उनके मोटे बाहर निकलने को उतावले चूचे थे।
मां : अच्छा बच्चू, ज्यादा ही प्यार आ रहा है, सब महसूस हो रहा है मुझे
मैं सोचने लगा और खुदसे बोला : हां, मां , लोड़ा महसूस ही मत करो , अब अंदर भी लेने का प्लान बना लो, और नहीं रुका जाता।
मां मेरी ओर देखते बोली : कहां खो गया?
Fuck bhai last wala scene gand faad tha, kya hi jabardast seduction likh rahe ho
 
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बहुत ही जबरदस्त अपडेट है माँ और बेटे की मस्ती बढती ही जा रही है और लगता है जल्दी ही चुदाई भी हो जाएगी
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hi behtarin updates hai or kahani kamukta se bharpur hai…
 
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