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Incest मां के हाथ के छाले

sahilgarg6065

MyEroticDiary
219
1,611
124
मां के हाथ के छाले
Part : 12
फिर मां बोली : तूने झूठ क्यूं बोला मुझसे?
मैं: बस मां यूंही, दिल किया
मां: हां ज्यादा मस्तीबाज हो गया है तु।
फिर मां हट गई और बोली : चल अब ये टाइट जींस उतार दे और मुझे कोई सलवार पहना और फिर तूने मेरे कपड़े भी धोने हैं।
मैं: अरे मां, पहने रखो ना थोड़ी देर के लिए,इतनी तो मस्त लग रही है आप पर ये।
मां : नहीं बेटा, उतार दे।
मैं: मां प्लीज ना, मेरे लिए, बस थोड़ी देर फिर रात में बदल दूंगा।
मां सोचने लगी फिर बोली : अम्म, चल ठीक है, पर मेरा एक काम करना पड़ेगा तुझे
मैं: हां मां, जो कहोगी वो कर दूंगा।
मां : ठीक है कल सुबह बताऊंगी फिर।
मैं : ओके मां
मां: चल अब कपड़े धो दे मेरे अब, कल सुबह डालने के लिए और है भी नहीं मेरे पास।
मैं अलमारी की ओर देखता हुआ : इतने सारे कपड़े हैं तो मां।
मां : अरे ये नहीं बुद्धू, वो पैंटी।
मैं: अच्छा, अच्छा।
फिर मैंने घड़ी की तरफ टाइम देखा तो 9 बज चुके थे।
मैं मां से बोला : मां, टाइम तो देखो जरा, खाना भी लाना है , कपड़े कल धो दूं क्या?
मां : 9 बज गए, ये सब तेरे पापा आने वाले ड्रामे की वजह से हुआ है। चल ठीक है, खाना ले आ तु, कपड़े कल धो लेना।
मैं फिर मार्केट से खाना लेने गया, खाना लेकर आया तब तक पोने 10 बज चुके थे। फिर मैंने खाना पैकेट्स में से निकाला, बर्तन में डालकर मां के रूम में ले गया और नीचे खाना रखकर मां को बोला : आजाओ मां।
मां नीचे आकर बैठने लगी के उनकी जींस टाइट होने की वजह से उनसे बेटा नही जा रहा था तो वो बोली : बेटा ये जींस इतनी टाइट है तु उतार पहले इसे, फिर खाना खिलाना।
मैंने मां की जींस उतारी और आह फिर से मां की गोरी गांड़ के दर्शन हो गए। फिर मां बोली : चल अब खाना खाते हैं पहले, ठंडा हो जाएगा। फिर मुझे एक सलावर या पजामी डाल देना।
ये सुनते ही मेरे मन में तो लड्डू सा फूट पड़ा हो जैसे। मैं फिर से नीचे बैठा और रोटी सब्जी में डूबने ही लगा के मां नीचे बैठते ही उछली और बोली : आह मां, कितना ठंडा है ये मैट।
मैंने जहा मां बेटी थी वहां देखा और बोला : अरे मां, ये वही जगह है जहां मैं रुमाल से आपकी साफ कर रहा था, शायद वही पेशाब गिरा हुआ था, इसलिए ठंडा लग रहा है मैट आपको।
मां : हां, मैं तो भूल ही गई थी, अब क्या करूं बेटा? लगता है सलवार डालनी ही पड़ेगी।
मैं मुड़ में आकर : मां, खाना तो मुझे ही खिलाना है, आप मेरी गोदी में बैठ जाओ इतना, आओ, खाना ठंडा हो जाएगा वरना।
मां मस्त होकर मुस्कुराई और बोली : ठीक है।
बोलते ही अपनी नंगी मोटी गांड़ लिए मां मेरी गोद में आ बैठी और मेरे खड़े लन्ड को अपनी गांड़ पर महसूस करके एकदम कूद उठी और बोली : आह, सोनू।
मैं: क्या हुआ मां?
मां : वो वो, कुछ नहीं बेटा, मेरे घुटने मुड़ गए थे बैठते वक्त इसलिए बस।
मैंने मां के मेरी गोद में बैठे थे उनकी टांगे आगे की ओर सीधी करदी जिस से पूरा उनकी गांड़ का वजन मेरे लोड़े पर आ गया और हम दोनो मस्त हो गए। और मैं बोला : ऐसे टांगे सीधी रखोगी ना, फिर दर्द नहीं होगा मां
मां : हां, बेटा।
फिर मैं मां को अपनी गांड़ पर बिठाए बिठाए ही खाना खाने लगा और उन्हें भी खिलाने लगा, खाना खाते खाते वो मस्ती में मेरी उंगलियों को भी बीच बीच में चाटने लगी और मैं जान बूझ कर खाने के प्लेट से खाना उठाने के बहाने उन्हे हल्के हल्के से झटके देने लगा। अब बस मां की गांड़ और मेरे लोड़े के बीच अगर ये लोवर का कपड़ा ना होता तो मेरा लोड़ा सच में उनकी गांड़ के इस छेद में घुस जाता और जन्नत की सैर कर आता। करीब यूंही 10-15 मिनट तक हम धीरे धीरे खाना खाते रहे और बिना एक दूसरे को कुछ कहे गांड़ और लन्ड को आपस में रगड़ते रहे। 2 दिन के बर्दाश्त के बाद आज लगता है मेरा भी पानी छुटने ही वाला था के मां भी एकदम झड़ी और उनके मुंह से तेज : आह आह निकल पड़ी और मैं भी हल्का सा कसमसा सा गया। 1-2 मिनट के लिए सब थम सा गया और फिर हम दोनों होश में आए और मां उठी और उनके उठते ही मैं कमरे से बिना बर्तन लिए बाहर चला गया।
बाहर जाकर मैं सोफे पर 10 मिनट यूंही बैठा रहा और फिर अपने कमरे में जाकर पहले अपना लोवर बदला और फिर मां के कमरे में गया तो मां बैड पर अपने घुटनों को फोल्ड किए आंखे बंद कर अपने ख्यालों में खोई थी। पता नहीं क्या हुआ के यूं बैठी मां की घुटनों से नीचे चमकती चूत को देख लन्ड फिर से खड़ा होने लगा के मैंने बिना कुछ कहें वहा से बर्तन उठाना शुरू किया। बर्तन की आवाज से मां ने आंख खोली और कुछ बोली नहीं। फिर मैं किचन में बर्तन रखकर घर की लाइट्स वगैरा बंद की और मां की दवा लेकर उनके कमरे में गया और बोला : मां , दवा लेलो।
मां : हां
मैनें मां को दवा खिलाई और फिर ट्यूब लगाने के लिए उनके हाथ अपनी ओर करके देखा और बोला : मां, आपके छाले अब ठीक होने लगे हैं, शायद कल तक सही हो जाएंगे एकदम।
मां उन्हे देखकर : हां, बेटा, थैंक्यू मेरे लिए इतना सब करने के लिए, तु यहीं सो जाना बस एक दो दिन की ही बात है, फिर मैं खुद कर लिया करूंगी सब।
मैं: ठीक है मां।
फिर हम सोने लगे के मां बोली : अच्छा सुन, सोनू।
मैं: हां, मां?
मां : एक बार मुझे पेशाब करवाने ले जाएगा क्या?
मैं: हां मां।
 

sahilgarg6065

MyEroticDiary
219
1,611
124
मां के हाथ के छाले
Part : 13
मैं मां के पीछे पीछे बाथरूम तक गया और मां बैठ गई सीट पर। लेकिन इस बार कोई आवाज मां आई उनके पेशाब करने की। फिर मां बोली : बेटा, ये नल चला तो जरा।
मैं समझ गया के पेशाब तो के बहाना है, शायद मां अपना रस यहां साफ करने आई है।
मैनें नल चलाया, लेकिन पानी उस गड्ढे चिपचिपे रस को शायद हटा ना पाया पूरी तरह से के मां बोली : बेटा ये, सही तरह चला ना।
मैं: हां, मां सही ही चला रहा हूं.
मां : साफ नहीं हो रहा बेटा ये अच्छे से
मैं: क्या मां?
मां : वो पेशाब
मैं थोड़ा हंसते हुए बोला : शायद चिपचिपा होगा मां, इसलिए नहीं हो रहा।
मां समझ गई के मैं जान गया हूं और बोली : बेटा, ये रुमाल से करदे ना, प्लीज।
और इस से पहले के मैं हां करता करने की, मां ने सीट पर बैठे बैठे ही अपनी टांगे खोल दी और बोली : ले कर दे।
मां की खुली टांगों में झांटों वाली चूत आज इतनी गौर से देखने को मिली। पहले भी मिली पर वो उनकी बंद टांगों में, आज तो खुली टांगों में देख मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और मैने फट से अपनी लोवर की जेब से रुमाल निकाला और उसे साफ करने लगा के मां सिसकी : आह, आ, कर कर बेटा रुक मत।
मां फिर से इतनी जल्दी गर्म हो जाएगी, मैनें सोचा ना था, खैर अच्छा है हो गई तो। शायद काफी वक्त से चूदि नहीं थी, इसीलिए इतनी जल्दी गर्म होकर फिर बैठ गई।
मैनें थोड़ा तेज तेज साफ किया और रुमाल हटा कर बोला : हो गया मां।
मां : रुक क्यूं गया, अच्छा अच्छा हो गया ...चल चल ल ..ठीक है बेटा, सोते हैं फिर।
मां बैड पर लेट गई और अब आप खुद ही इमेजिन कर सकते हो बैड के एक तरफ मां लेटी हो आपकी तरफ कमर कर के वो भी बिना सलवार के और उनकी टांगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ी हों जिस से के चूत के वो गद्देदार होठों के आपको दर्शन हो रहे हों तो क्या आपका लोड़ा बिना खड़े हुए रह पाएगा। नहीं ना । ठीक ऐसा ही हुआ मेरे साथ भी, मेरा भी लोड़ा फिर एक दफा उनकी फूली हुई गांड़ देख टाइट हो गया, दिल किया के बस अपनी जीभ उनकी मस्त गांड़ में फेर दूं। फिर मैंने लाइट ऑफ की और बैड पर आकर लेट गया। मैं लेटा ही था के मां मेरी तरफ घूमी और बोली : बेटा सोनू
मैं: हां मां?
मां : तेरी सच में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं मस्ती में : मां पहले तो नहीं थी पर एक मिली है अब।
मां : अच्छा, वाह
मैं: हां मां, वो बहुत सुंदर है, उस से दूर जाने को दिल नहीं करता मेरा।
मां : अच्छा जी, कहां रहती है वो?
मैं: मेरे दिल में।
मां और मैं हंसने लगे और मां ने मेरे माथे पर एक हल्का सा हाथ मारते हुए कहा : आए जाए, कहां मिल गई बेटा ऐसी गर्लफ्रेंड तुझे?
मैं : मां, बस मिल गई।
मां : फोटो तो दिखा उसकी
मैं : रुको दिखता हूं।
मैं बेड से उतरा, लाइट ऑन की और अपना फोन उठा कर उसके फ्रंट कैमरा ओपन कर मां के सामने किया और बोला : ये देखो मां
मां पहले सोच में पड़ी फिर बोली : कहां हैं, ये तो कैमरा चालू है।
मैंने बेड पे लेटकर फिर कैमरा अपने हाथों से दूर कर कहा : ये देखो मां, ये मैं और ये मेरी गर्लफ्रेंड
मां और मैं फिर हंसने लगे और मां बोली : चुप बदमाश कहीं का, मैं कब से तेरी गर्लफ्रेंड बन गई।
मैनें फोन साइड में रखा और लाइट बंद कर के बैड पर आ गया और बोला
मैं: मां, आप भूल गई क्या, कल आपने ही तो कहा था 'मैं तेरे दोस्त जैसी ही तो हूं बेटा'
मां : हां तो दोस्त कहा था, गर्लफ्रेंड थोड़ी
मैं: मां, आप गर्ल हो और मेरी फ्रैंड भी तो हुई ना मेरी गर्ल फ्रैंड।
फिर मां मुस्कुराने लगी और बोली : नहीं जी, मैं किसी की गर्लफ्रेंड नहीं हूं।
मैं: मेरी तो हो।
मां : नहीं जी, बॉयफ्रेंड बनाने पर उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मैं: क्या देना पड़ता है मां?
मां : बस बहुत कुछ
मैं: मां आपका भी कोई बॉयफ्रेंड था क्या?
मां : नहीं नहीं बाबा, हमारे टाइम में कहां ये बॉयफ्रेंड वगेरा होता था, उस टाइम हमें घर से ज्यादा निकलने भी नहीं दिया जाता था।
मैं: तो फिर आपको किसने कहा के उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मां : है मेरी एक सहेली, उसका बॉयफ्रेंड है, उसने बताया था मुझे।
मैं: कोन सी सहेली है मां ?
मां : तु कल ही मिला है उस से , याद कर
मैं: कोन मां?
मां : अरे तेरी आंटी, जिनसे कल तु मार्केट से वो सामान लेकर आया था मेरा
मैं: सच्ची मां?... सच में उनका बॉयफ्रेंड है क्या?
मां : हां, तु कहियो मत किसी से, ये बात बस तुझे बताई है मैने
मैं: नहीं मां, मैं क्यूं कहूंगा भला किसी से कुछ.... अच्छा उनहोने कब बनाया बॉयफ्रेंड?
मां : बस 3-4 महीने ही हुए हैं
मैं: आंटी छुपी रुस्तम निकली
मां : हां , और नहीं तो क्या। मैनें तो बोला था उसे इन चक्करों से दूर रह, कहीं पकड़ी गई तो क्या होगा। पर वो बोली : वो उसकी बहोत केयर करता है और उसे प्यार भी करता है। है तो वो भी लगभग तेरी ही उमर का है
मैं: सच में मां, मेरा उमर का है?
मां : हां, चल अब बाते छोड़ और सो जा, कल सोमवार है तेरी ड्यूटी भी है।
मैं: हां मां,
जॉब को याद करके मैं कब सो गया पता ही नहीं चला
 

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मां के हाथ के छाले
Part : 9
मां को ऐसे पैंटी में देख और ऊपर से उनकी ऐसी बातों से मैंने उनकी गांड़ मारने का मन बना लिया। फिर धीरे से मैनें उनकी पैंटी नीचे सरकाई और सामने का नजारा देख मेरे मुंह से लार टपकने लगी, सामने थी मां की पेशाब और उस अमृत रस से भीगी चूत जो अब तक गीली ही थी और शायद हमारी इन बातों से और गीली हो चुकी थी। पैंटी को उतारकर मैंने मां से कहा : मां, ये आपकी पजामी डालनी है अभी दोबारा या नहीं?
मां : अरे डालनी है बेटा, डालनी क्यूं नहीं, क्या मैं छोटे बच्चे की तरह घर में आधी नंगी घूमती फिरूंगी?
मैं और मां फिर हसने लगे और मैनें कहा : मां मेरा मतलब है के ये आपकी भीगी पड़ी है, इसलिए पूछा के डालूं अभी या नहीं?
मां : क्या भीगी पड़ी है?
मैं हंसते हुए : आपकी गांड़ और ये नीचे से भी
मां हंसते हुए बोली : अरे हां बेटा वो पेशाब से भीग गई थी ना, अच्छा हुआ तूने पूछ लिया पहले ही , वरना पजामी डालता तो वो भी भीग जाती। बेटा ऐसा कर इसे ना एक कपड़े से पोंछ दे पहले, फिर पजामी डाल देना।
मैं: ठीक है मां।
मैनें वही भीगी हुई पैंटी उठाई और उसी से गांड़ की दरार में फेरता हुआ चूत तक साफ करने लगा के मां बोली : अरे पागल है क्या.., ये तो पहले से ही भीगी है, कोई दूसरा कपड़ा ला
मैं हसने लगा और अपनी जेब से रुमाल निकल कर फेरने लगा और बोला : मां, आपका पेशाब इतना चिपचिपा आता है क्या?
मां : क्यूं, ऐसा क्यूं कहा तूने?
मैं: मां वो ये आपकी भीगी हुई जगह पर रुमाल लगाया ना तो चिपचिपा सा लगा मुझे, इसलिए।
मां सोचने लगी और हल्की सी हंसी को दबाके बोली : नहीं बेटा, शायद तेरा रुमाल ही ऐसा होगा।
मैं जानता था ये मां की चूत का रस है जो चिपचिपा और गाढ़ा है और मां को भी ये पता था पर वो जान कर भी अनजान बन ने का नाटक करती रही और मैनें भी मजे लेते लेते फिर से पूछा : बताओ ना मां, ऐसा पेशाब आता है क्या आपका?
मां : अरे नहीं बुद्धू ये तो बस...
मैं: ये तो बस, क्या मां?
मां : कुछ नहीं बेटा, छोड़ इसे अभी, फिर कभी बताऊंगी।
मैं भी सब्र के मीठे फल का ख्याल कर बोला : ठीक है मां
फिर रुमाल को धीरे से दरार से लेता हुआ पूरी चूत साफ करने लगा और साफ करके जब वो थोड़े से बाल टूट कर उस रुमाल में फसे तो मैं उन्हें मां को आगे की ओर दिखाने के लिए उनके पीछे झुका ही था के मेरा लोड़ा मां की नंगी गांड़ से जा टकराया और मां एकदम बोली : उई मां...आह
मैं रुमाल आगे करके बोला : क्या हुआ मां?
मां खुदको संभालते हुए बोली : कुछ नहीं बेटा, कुछ नहीं
मैं यूंही उनकी गांड़ से अपना लन्ड चिपकाए उनके पीछे झुका रहा और रुमाल दिखाते हुए बोला : देखो ना मां, आपके कितने बाल झड़ कर मेरे इस रुमाल में लग गए हैं।
मां मस्ती भरी आवाज में बोली : आ आ हां , बेटा टा, मेरे ये छाले ठीक हो जाएंगे ना तो मैं तेरा रुमाल साफ कर दूंगी और इन....
मैं भी उस गर्म गांड़ का एहसास लोड़े पे पाकर जन्नत की सैर करता बोला : और इन इन क्या मां , क्या मां?
मां : इन बालों को भी साफ कर दूंगी बेटा।
मैं: मां, आप कहो तो मैं कर दूं?
मां : जरूर बेटा।
हम दोनो बस एक दूजे के शरीर का मजा ले रहे थे बिना एक दूजे को जताए और हमारी ये बातें हम दोनो को ही मजबूर कर रही थी एक दूजे को चखने पर। इतने में मैं बोला : सच मां?
मां कुछ बोलती के इस से पहले डोरबैल बजी और हम दोनों की फट गई के कहीं पापा तो नहीं आ गए। हम दोनो एक दूसरे से तुरंत अलग हुए और
मां बोली : बेटा, कहीं तेरे पापा तो नहीं आ गए, हे भगवान।
मैं: मां, पापा ने सुबह तो कुछ कहा नहीं था के वो आने वाले हैं, आप रुको मैं देखता हूं।
मां इस वक्त नीचे से पूरी नंगी थी । वो अपनी झांटों वाली फुली हुई चूत और मोटी गांड़ लेकर मेरे कमरे की तरफ दौड़ी और बोली : जा बेटा देख और सुन, अगर पापा हुए तो तू उन्हे बताना नहीं के मैं तेरे कमरे में हूं, बोल देना के पड़ोस में गई हैं। अगर मैं अपने रूम के बाथरूम में घुसी तो मुझसे वहां की कुंडी बंद होगी नहीं और उन्होंने ऐसे देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी।इसलिए तेरे कमरे में ही छुप जाती हूं। तेरे कमरे में तो वो ज्यादातर आते ही नहीं हैं, जा अब जल्दी गेट खोल।
Nice update
 

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मां के हाथ के छाले
Part : 13
मैं मां के पीछे पीछे बाथरूम तक गया और मां बैठ गई सीट पर। लेकिन इस बार कोई आवाज मां आई उनके पेशाब करने की। फिर मां बोली : बेटा, ये नल चला तो जरा।
मैं समझ गया के पेशाब तो के बहाना है, शायद मां अपना रस यहां साफ करने आई है।
मैनें नल चलाया, लेकिन पानी उस गड्ढे चिपचिपे रस को शायद हटा ना पाया पूरी तरह से के मां बोली : बेटा ये, सही तरह चला ना।
मैं: हां, मां सही ही चला रहा हूं.
मां : साफ नहीं हो रहा बेटा ये अच्छे से
मैं: क्या मां?
मां : वो पेशाब
मैं थोड़ा हंसते हुए बोला : शायद चिपचिपा होगा मां, इसलिए नहीं हो रहा।
मां समझ गई के मैं जान गया हूं और बोली : बेटा, ये रुमाल से करदे ना, प्लीज।
और इस से पहले के मैं हां करता करने की, मां ने सीट पर बैठे बैठे ही अपनी टांगे खोल दी और बोली : ले कर दे।
मां की खुली टांगों में झांटों वाली चूत आज इतनी गौर से देखने को मिली। पहले भी मिली पर वो उनकी बंद टांगों में, आज तो खुली टांगों में देख मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई और मैने फट से अपनी लोवर की जेब से रुमाल निकाला और उसे साफ करने लगा के मां सिसकी : आह, आ, कर कर बेटा रुक मत।
मां फिर से इतनी जल्दी गर्म हो जाएगी, मैनें सोचा ना था, खैर अच्छा है हो गई तो। शायद काफी वक्त से चूदि नहीं थी, इसीलिए इतनी जल्दी गर्म होकर फिर बैठ गई।
मैनें थोड़ा तेज तेज साफ किया और रुमाल हटा कर बोला : हो गया मां।
मां : रुक क्यूं गया, अच्छा अच्छा हो गया ...चल चल ल ..ठीक है बेटा, सोते हैं फिर।
मां बैड पर लेट गई और अब आप खुद ही इमेजिन कर सकते हो बैड के एक तरफ मां लेटी हो आपकी तरफ कमर कर के वो भी बिना सलवार के और उनकी टांगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ी हों जिस से के चूत के वो गद्देदार होठों के आपको दर्शन हो रहे हों तो क्या आपका लोड़ा बिना खड़े हुए रह पाएगा। नहीं ना । ठीक ऐसा ही हुआ मेरे साथ भी, मेरा भी लोड़ा फिर एक दफा उनकी फूली हुई गांड़ देख टाइट हो गया, दिल किया के बस अपनी जीभ उनकी मस्त गांड़ में फेर दूं। फिर मैंने लाइट ऑफ की और बैड पर आकर लेट गया। मैं लेटा ही था के मां मेरी तरफ घूमी और बोली : बेटा सोनू
मैं: हां मां?
मां : तेरी सच में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं मस्ती में : मां पहले तो नहीं थी पर एक मिली है अब।
मां : अच्छा, वाह
मैं: हां मां, वो बहुत सुंदर है, उस से दूर जाने को दिल नहीं करता मेरा।
मां : अच्छा जी, कहां रहती है वो?
मैं: मेरे दिल में।
मां और मैं हंसने लगे और मां ने मेरे माथे पर एक हल्का सा हाथ मारते हुए कहा : आए जाए, कहां मिल गई बेटा ऐसी गर्लफ्रेंड तुझे?
मैं : मां, बस मिल गई।
मां : फोटो तो दिखा उसकी
मैं : रुको दिखता हूं।
मैं बेड से उतरा, लाइट ऑन की और अपना फोन उठा कर उसके फ्रंट कैमरा ओपन कर मां के सामने किया और बोला : ये देखो मां
मां पहले सोच में पड़ी फिर बोली : कहां हैं, ये तो कैमरा चालू है।
मैंने बेड पे लेटकर फिर कैमरा अपने हाथों से दूर कर कहा : ये देखो मां, ये मैं और ये मेरी गर्लफ्रेंड
मां और मैं फिर हंसने लगे और मां बोली : चुप बदमाश कहीं का, मैं कब से तेरी गर्लफ्रेंड बन गई।
मैनें फोन साइड में रखा और लाइट बंद कर के बैड पर आ गया और बोला
मैं: मां, आप भूल गई क्या, कल आपने ही तो कहा था 'मैं तेरे दोस्त जैसी ही तो हूं बेटा'
मां : हां तो दोस्त कहा था, गर्लफ्रेंड थोड़ी
मैं: मां, आप गर्ल हो और मेरी फ्रैंड भी तो हुई ना मेरी गर्ल फ्रैंड।
फिर मां मुस्कुराने लगी और बोली : नहीं जी, मैं किसी की गर्लफ्रेंड नहीं हूं।
मैं: मेरी तो हो।
मां : नहीं जी, बॉयफ्रेंड बनाने पर उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मैं: क्या देना पड़ता है मां?
मां : बस बहुत कुछ
मैं: मां आपका भी कोई बॉयफ्रेंड था क्या?
मां : नहीं नहीं बाबा, हमारे टाइम में कहां ये बॉयफ्रेंड वगेरा होता था, उस टाइम हमें घर से ज्यादा निकलने भी नहीं दिया जाता था।
मैं: तो फिर आपको किसने कहा के उन्हे बहुत कुछ देना पड़ता है।
मां : है मेरी एक सहेली, उसका बॉयफ्रेंड है, उसने बताया था मुझे।
मैं: कोन सी सहेली है मां ?
मां : तु कल ही मिला है उस से , याद कर
मैं: कोन मां?
मां : अरे तेरी आंटी, जिनसे कल तु मार्केट से वो सामान लेकर आया था मेरा
मैं: सच्ची मां?... सच में उनका बॉयफ्रेंड है क्या?
मां : हां, तु कहियो मत किसी से, ये बात बस तुझे बताई है मैने
मैं: नहीं मां, मैं क्यूं कहूंगा भला किसी से कुछ.... अच्छा उनहोने कब बनाया बॉयफ्रेंड?
मां : बस 3-4 महीने ही हुए हैं
मैं: आंटी छुपी रुस्तम निकली
मां : हां , और नहीं तो क्या। मैनें तो बोला था उसे इन चक्करों से दूर रह, कहीं पकड़ी गई तो क्या होगा। पर वो बोली : वो उसकी बहोत केयर करता है और उसे प्यार भी करता है। है तो वो भी लगभग तेरी ही उमर का है
मैं: सच में मां, मेरा उमर का है?
मां : हां, चल अब बाते छोड़ और सो जा, कल सोमवार है तेरी ड्यूटी भी है।
मैं: हां मां,
जॉब को याद करके मैं कब सो गया पता ही नहीं चला
Super duper update bhai keep going well 👍🏻
 

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मां के हाथ के छाले
Part : 10
मैं अपने आप को संभालता हुआ मां की पजामी और उनकी पैंटी को बैड के नीचे सरका कर गेट खोलने के लिए गया तो देखा पड़ोस वाली एक आंटी थी , ये देखकर मेरे मन को राहत मिली।
मैनें आंटी से कहा : जी आंटी?
आंटी : बेटा, मम्मी है घर पर?
मैं: नहीं आंटी, वो तो नहीं है, कुछ काम था आपको?
आंटी : हां,बेटा , चलो कोई बात नहीं , मैं बाद में मिल लूंगी उनसे।
मैं: ठीक है आंटी।
फिर वो चली गई और मैंने गेट बंद किया और भगवान का शुक्र किया के पापा नहीं थे। फिर आंटी के जाने पर और पापा के ना होने की बात से खुश होकर लोड़े को पकड़कर खुद से बोला: वाह बेटे, बाप का नाम सुनते ही सो गया था। जैसे ही मैंने ऐसा किया और मां को याद किया तो लोड़ा फिर से धीरे धीरे खड़ा होने लगा और मैंने सोचा : क्यूं ना थोड़ी मस्ती की जाए और मां को थोड़ा और डराया जाए। मैंने प्लान बनाया के मां को कहूंगा के पापा हैं और फिर उनके हावभाव देखता हु और वो इसपर क्या कहती हैं देखता हूं। मैं 5 मिनट तक तो सब सोचता रहा और फिर सोच कर अपने कमरे में घुसा, अंदर से कुंडी लगाई और देखा तो कमरे में कोई था ही नहीं।
फिर मैनें मां को आवाज लगाई धीरे से : मां, ओ मां
मेरे रूम के बाथरूम में से मां की धीरे से आवाज आई : बेटा, मैं यहां हूं।
मैं जब वहां बाथरूम के गेट के पास गया तो मां आधी नंगी खड़ी घबराई हुई बोली : कोन था, पापा आगए क्या?
मैं हल्का सा घबराहट वाला चेहरा बनाकर : हां मां
मां : हे भगवान, अब क्या करूं, उन्होंने ऐसे देख लिया तो सवाल पे सवाल पूछेंगे।
मां घबराहट में आधी नंगी बाथरूम में ही छुप कर खड़ी रही और मुझसे बात करती रही। अपने रूम से हड़बड़ाहट में मेरे रूम में भाग भाग कर आने में उनके मोटे चूचे इतने उछले होंगे की वो आधे कमीज से बाहर की ओर झांक रहे थे। मैंने मां की घबराहट को संभालते हुए उन्हें हाथ से पकड़ कर बाथरूम से कमरे में लाते हुए कहा : मां, आप टेंशन मत लो, मैं हूं ना, मैं कुछ करता हूं।
मेरी इस बात से मां को भले नाम मात्र ही सही पर एक तसल्ली सी मिली और वो फिर इधर उधर फैले कपड़ों वाले मेरे कमरे में नीचे बिछे मैट पर बैठ गई और बोली : कुछ कर बेटा, ऐसे कैसे मैं उनके सामने जाऊंगी? और ये छाले देखकर वो मुझसे पूछेंगे के सुबह फोन पर तो कुछ नहीं बताया, फिर मैं क्या कहूंगी?...कुछ कर बेटा।
मैं: अरे आप इतना मत घबराओ मां, कुछ करता हूं मैं रुको।
मैंने थोड़ा सोचा फिर बोला : मां, ये छालों वाली बात तो हम बोल देंगे के आज आपके फोन के बाद हुआ ये सब पर आपको उनके सामने जाने से पहले कुछ कपड़े डालने पड़ेंगे, बस इतनी सी ही प्रोब्लम है, और आप यूंही परेशान हो रही हैं।
मां थोड़ा सोचने लगी और फिर हल्की सी नॉर्मल होकर बोली : अरे हां बेटा, बस वो मैं शायद यूंही , मेरे उस वक्त उस तरह बैठने के कारण परेशान हो गई।
मैं हल्का सा मामला ठीक करने के लिए हस्ते हुए : किस तरह मां?
मां हल्का सा मुस्कुराकर : अरे वही ...जो पहले भी बताया था
मैं: क्या मां..
मां : अरे पागल, वो तेरी भाषा में क्या कह रहा था तु, अरे हां वो घोड़ी बनकर और ऊपर से तु मेरे पीछे था तो शायद मैं उस वक्त डोरबैल बजने से ज्यादा सोच में पड़ गई थी।
मैं और मां फिर नॉर्मल हुए और हसने लगे। वैसे तो मैं पहले से ही नॉर्मल था पर मां को अपने मस्ती के प्लान में बनाए रखने के लिए जो घबराहट चेहरे पर लाया था, वो अब हट गई थी।
फिर मां बोली : एक काम कर, मेरे रूम में जा और मेरी कोई सलवार ले आ, मुझे पहना दे, फिर मैं मोका देख कर बाहर से आने का नाटक करूंगी, ठीक है ना।
मैं: हां मां, ये बाहर से आने का नाटक करने वाला तो ठीक है, पर आपके लिए कपड़े कहां से लाऊं?
मां : अरे मेरी अलमारी में से ले आ ना।
मैं: पर मां, पापा पूछेंगे के कहां लेकर जा रहा है तो?
मां : क्या, वो कमरे में ही हैं क्या।...अरे यार, अब बेटा तू ही बता क्या करूं मैं।
मैं: मां एक तरीका है, अगर आप कहो तो बताऊं?
मां : हां, बता ना जल्दी से।
मैं: क्यूं ना आप मेरी कोई पैंट या लोअर डाल लो और ऊपर से वो आपकी कमीज से ढक ही जाएगा ...फिर मोका देख कर अपनी अलमीरा से उठा लेना सलवार और मैं चेंज करवा दूंगा।
मां पहले तो थोड़ा सोच में पड़ी फिर हंसने लगी। मां को हंसता देख
मैं बोला : क्या हुआ, हंस क्यूं रही हो।
मां : अरे बेटा, तु अपना शरीर देख और मेरा देख।
मैं: क्या मां?
मां : अरे मेरे बुद्धू बच्चे, तु अपना साइज देख और मेरा देख
मैं: कोनसा साइज मां?
मां : अरे पागल मेरा मतलब है, तु अपनी गांड़ देख और मेरी देख।
इसपर हम दोनो हसने लगे और मैं पता नहीं अचानक बोल पड़ा : दिखाओ
मां हंसते हुए : चुप कर बदमाश, पापा के पास घर की दूसरी चाबी होती ना तो पकड़े जाते, उसका शुक्र मना रही हूं मैं और तुझे यहां मस्ती सूझ रही है।
मैं फिर से मस्त होकर : आपके पास कोई और आइडिया है?
मां (सोच कर) : हां, वो जो तूने अभी पजामी उतारी थी, वो ले आ, वही डाल लूंगी, जा।
मैं: मां वो तो जल्दबाजी में मैनें आपके बैड के नीचे सरका दी थी और साथ में आपकी वो गीली पैंटी भी।
मां : लो कर लो बात, तूने तो मुझे मरवाने का पूरा इंतजाम कर दिया है, अगर तेरे पापा को पता चला ना कुछ तो मेरी जान ले लेंगे।
मैं (थोड़ा रोमांटिक होते हुए) : ऐसे कैसे कोई आपकी जान ले लेगा।
मां भी माहोल में गर्म होते हुए एक स्माइल पास की और बोली : अच्छा जी,...
फिर मैं बोला : अब फिर करने हैं मेरे कपड़े ट्राई या यूंही आधी नंगी पापा के सामने जाओगी।
मां हंसते हुए : चुप कर , बदमाश।
ऐसा कहते ही मां खड़ी हुई और अपनी गांड़ मेरी तरफ कर अपने हाथ के ऊपरी हिस्से से अपनी कमीज को साइड करके हल्की सी हंसी और बोली : ले देख, इतनी मोटी गांड़ पर आ जाएगी क्या तेरी कोई जींस या लोवर?
Behtreen update
 
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