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Incest मिस्टर & मिसेस पटेल (माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना) (Completed)

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मैन इन सब थॉट्स में खो गया था, नानाजी बाथरूम जाते टाइम बोले की
" मैं तुम्हारी नानी को बताके आया. वह सूटकेस उनके रूम पे है. वह वहां से तुम्हारे नये कपडे लेकर दे जाएंगे."
बोलके जाने लगे तो में सोच के बोला
" नानाजी...यह लोग...."
मेरे बात ख़तम होने से पहले नानाजी मेरी तरफ देखके मेरी बात काट दिया और थोड़ी स्माइल के साथ एक दम साफ लहजे में कहा
" बेटा......पापा.."
मै उनकी यह बात सुनके उनके सामने शर्मा गया. और फिर हल्का हास्के उनसे नज़र हटाके धीरे से कहा
" ठीक है......... पापा..."
नानाजी मुझे उस हालत से निकाल ने के लिए मेरे साथ देणे के लिए वैसे ही शांत इमोशन के साथ कहा
" कहो क्या कह रहे थे"
मेरे अंदर एक तूफ़ान सा चल रहा है. आज पहली बार नाना को पापा बोल दिया. और हमारा यह रिश्ता ज़िन्दगी भर के लिए शास्त्र सम्मत तरीके से कुछ समय बाद से पक्का हो जाएगा. मैंने उनकी तरफ देख के कहा
" वह लोग बताया था की यहाँ आकर पहले पूरा पेमेंट कर देना है. यह मैनेजर तोह उस बारे में कुछ बताया नहि"
नानाजी भी याद किये और फिर बोले
" हा...बताया तो था बुकिंग के टाइम २५% तो ले भी लिया. अब देखते है..ब्रेकफस्ट के बाद शायद बतायेगा. कोई बातनही जब बोलेगा तब दे देंगे"
बोलके नानाजी अपने कपडे लेके बाथरूम में चले गये. मैं अकेला होते ही मेरे अंदर जो शर्म आया था वह धीरे धीरे जाने लगा. और में फिर से वह प्रिंटेड शेड्यूल देखने लगा. आज दो रसम के बाद कल सुबह पहले रजिस्टर्ड साहब आएंगे और माँ और में कागज में साइन करके पहले हम रजिस्ट्री मैरिज करेंगे. यह करना आवश्यक हो गया है आज काल. नहीं तो बहुत सारी जगह पे इनसब पेपर्स के न होने के कारन फ्यूचर में बहुत प्रॉब्लम फेस करना पडता है. इस लिए यहाँ भी यह लोग कानून के मुताबिक सरकारी आदमी लाकर मैरिज पार्टी को यह फैसिलिटी उपलब्ध करवाते। है. चार्ज ज़ादा लेते है, पर सेफ है. मुझे भी मेरे पासपोर्ट में या बैंक अकाउंट में माँ का नाम मेरे वाइफ के जगह लिखना पडेगा. तब यह सब पेपर्स जरुरी है. उसके बाद दूल्हा और दुल्हन को यहाँ का मेकअप एक्सपर्ट आकर सजाएँग़े. दूल्हा पहले पूजा में बैठेगा. यहाँ पूजा ख़तम होने तक, वहां दुल्हन को सजाना ख़तम हो जायेगा , और वह आकर दूल्हे के पास बैठेंगी और शादी का असली कार्यक्रम चालू होगा. मैं यह सब पड़ते पड़ते माँ का चेहरा याद कर रही था दुलहन के भेष में वह और प्यारी और खूबसूरत लगेगी. तभी अचानक नानीजी आई और बताया की उनके रूम में जो नया सूट केस है, वह खुल नहीं रही है. नानाजी बाथरूम में थे सो में ही गया. मेरे रूम का नेक्स्ट रूम ही उनका था मेरे रूम जैसा दो बेड है और बाकि सब सुखसुविधा है. माँ फ्रेश होकर एक दूसरी साड़ी पहनके वहां सूटकेस खोलने की कोशिश कर रही थी. वह आज भी अपना आँचल टाइट करके कमर में घुमाके सामने पेट के पास घुसाके के रखी है. उनके शरीर का सब कर्व में वह साड़ी लिपट के उनके बॉडी में लगा हुआ है. उनको देखतेही मेरे अंदर एक इच्छा प्रबल होने लगी. उनको मेरी बाहो में लेकर उनके हर कर्व्स में चुम्बन करने का मन कर रहा था जैसे दिल और दिमाग में यह इच्छा आयी, तभी वह अनुभुति खून के साथ मिलकर दौडके जाकर मेरे लिंग में जान दे दिया. और वह में महसुस किया अपनी अंडरवेअर के अंदर. पर में खुद को कण्ट्रोल किया. मैं अंदर आतेही माँ मुझे देखने के लिए ऊपर की तरफ नज़र उठाई. और जैसे ही मेरे से नज़र मिलि, वह झट से आँख घुमा ली और उनका चेहरा एक ख़ुशी और शर्म के वजह से लाल होगया नानी मुझे वह सूटकेस दिखाके बोली " मेंने और मंजुने बहुत कोशिश कि. फिर भी खुल नहीं रही है".


मैने देखा वह वहि सूटकेस है, जिसमे शादी का सब कपडा वैगेरा है.
मैने सूटकेस के पास अपने घुटनोँ में बैठि माँ को उसको खोलने की कोशिश करती हुई देखके बोला
" मैं देखता हुं"
फिर में आगे जाके माँ के सामने घुटना फोल्ड करके फ्लोर पे एक घुटना टिकाके सूटकेस को पकड़ के बैठ गया. माँ तुरंत अपना हाथ सूटकेस के ऊपर से हटा लिया और वहि अपनी दोनों घुटना फ्लोर पे टिकाके बैठि राहि. उनकी नजर झुकी हुई है. नानी मेरे पीछे है और वह अहमदाबाद से ख़रीदे हुये उस नए सूटकेस की कंपनी के ख़राब चीज़ के बारे में बक बक कर रही है. मैं चुराके माँ को देखते हुए सूटकेस को खोलने की कोशिश किया. माँ समझ गयी की में उनको नानी को छुपके देख रही हु. हमारे बीच केवल एक सूटकेस का फासला है.
सूटकेस का साइड क्लैप टाइट होकर बैठ गया. माँ और नानी प्रेस करके भी खोल नहीं पायी. मैं घुटना टिका के बैठके मेरे दोनों एल्बो से सूटकेस के उप्पर प्रेशर दे रहा हु. और माँ के साइड पे जो क्लैप है उसको खोलेने के लिए कोशिश कर रहा हु. मैं थोडा झुका हुआ हूँ सूटकेस के उप्पर. इस लिए मैं थोडासा थोडे आगे जाकर माँ के और नज़्दीक चला गया. मैं लगातार उनको देख देखके काम कर रहा हु और वह बस केवल घुटना टिकाके दोनों हाथ गोद में रखके नज़र नीचे करके चुप चाप बैठि हुई है. मुझे देख नहीं रही है पर होंठो पे एक हलकी मुस्कान है. मुझे मालूम है वह मेरे लिए ??नानी के सामने मेरी प्रेजेंट के लिए वह शर्मा गयी और नानी के सामने सहज होने के लिए ऐसे शांत होकर चुप बैठि है. नानी पीछे दूसरा सूटकेस जहाँ उनका ख़ुदका और नानाजी का अपना है, वह खोल के नानाजी और उनके लिए कपडे निकाल रही है. मैं पीछे एकबार देखा की नानी अभी बिलकुल हमें देख नहीं रही है. हमारे तरफ उनका पीठ है. सूटकेस का सामान पे उनका ध्यान है. अचानक ऐसा प्रेशर देणे में वह क्लैप खुल गया. एक हल्का आवाज़ निकला. उसमे माँ नज़र घुमा के मेरे हाथ के तरफ देखि और समझ गयी की वह खुल गया. पर म्रेरे अंदर एक बदमाशी चढ रही है. मैं नानी को फिर से देखा वह ऐसे ही बक बक करते रही और कपडे निकालती रहि. संमझ में आया की क्लैप खोलने की आवाज़ उनतक पंहुचा नही मैं मेरे हाथसे वह क्लैप को एकसाथ पकड़के रखा है और उसी पोजीशन में बैठके माँ की तरफ नज़र उठाके सीधा उनकी तरफ देखा. वह भी एकबार नज़र उठाके मेरे तरफ देखि और फिर नज़र झुका ली. मेरी बॉडी एकदम उनके पास ही है. बीच का फासला ज़ादा नहीं है क्यूँकि में मेरी उप्पर बॉडी सूटकेस के ऊपर लाकर प्रेस करके रखा. तभी में जोर से बोला
" नानीजी यह तो टाइट होकर बैठ गया. और प्रेशर लगाना पडेगा."
 

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मेरी इस बात पे माँ झट से मेरे चेहरे के तरफ देखि और कुछ न समझ के एक सरप्राइज्ड लुक लेकर मुझे देखते रहि. मेरे होठ पे एक हलका स्माइल आया. और तब नानी हमें पीछे मुड़के देख के कहि
" मंजू..बेटा तू थोडा प्रेशर लगा दे" बोलके फिर काम पे बिजी हो गई. माँ मेरी तरफ देखि और समझ गयी मेरी बदमाशी. वह और शर्म में लाल हो गई. कुछ पल वह वैसे ही बैठि रहि. और मैं उन पे नज़र टिकाके देख रहा हु. थोडे टाइम बाद माँ उनके गोल गोल हाथ बढाके सूटकेस के उप्पर रखी और घुटनोँ के बल बैठके अपनी बॉडी को थोडा उठाके सूटकेस के पास लायी. इसमें मेरे और उनके बीच और कोई दूरि नहीं रही. मैं प्रेशर लगाने की एक्टिंग करते रहा और वह बस वैसे करके धीरे धीरे प्रेशर देणेलगी. मैं उनके तरफ देखा वह बिलकुल नज़र नहीं उठा रही है. मैं मेरे हाथ क्लैप छोड़के धीरे धीरे ऊपर लाया और उनके लम्बी लम्बी नरम उँगलियाँ पे मेरे उँगलियाँ टच करने लगा. उनकी उँगलियों में हल्कि गुलाबी नैलपोलिश लगी हुई है. मैं मेरी कुछ उँगलियो से उनकी उंगलिया पकड़ने की कोशिश कर रहा हु पर वह अपनी उंगलिया मोड़ के हाथ धीरे धीरे खिसका के दूर कर रही है. मेरा सर उनके सर को टच कर रहा है. मैं इंटेंशनली मेरे सर को उनके माथे पे लगाके उनके ऊपर हल्का सा प्रेस करने लगा. और मेरा राईट शोल्डर उनके लेफ्ट शोल्डर को छुने को जा रहा है. कुछ पल बाद माँ उनके हाथ को मेरे हाथ के टच से और दूर नहीं लेगई. वह उनका हाथ छुने में रोकी नही मेरा कन्धा अब उनके कंधे से रगड़ने लगा. उनके ब्लाउज के स्लीव के ऊपर से थोड़ी थोड़ी हल्की गर्मी मेरे शरीर में आने लगी. एक हप्ते बाद हम एकदूसरे का टच महसुस कर रहे है. अब हम दोनों ही समझ गए की हम दोनों का मन और तन एक दूसरे का प्यार पाने के लिये, उसको महसुस करने के लिए तरस रहा है. बस थोड़ी देर बाद हल्दी होगी . हम कानूनी पति पत्नी बनने की तरफ कदम रखना शुरू करेंगे. उस बात पे दोनों के मन और तन में एक अजीब अनुभुति छाई हुइ थी इस लिए दोनों ही नानी के प्रजेंट पे चोरी चोरी एक दूसरे को ऐसे मेहसुस करनेलगे. मैं मेरी नाक उनके काण के ऊपर बालों में हल्का टच करके उनके बालों की खुशबि लेने की कोशिश कर रहा हु. अचानक डोर पे नॉक हुआ. ब्रेकफास्ट लेके मैनेजर और एक लेडी खडी है. और उनको देखते ही माँ झट से सूटकेस के ऊपर से अलग हो गई. नानी उन लोगों को अंदर आकर ब्रेकफास्ट रखने को कहा. तभी में क्लैप खुल गया ऐसे एक्टिंग करके खड़ा हो गया. और नानी को बोला
" सूटकेस के साइड में कपडा फसके टाइट बंध हो गया था"
नानी मेरी तरफ देखके थोड़ी स्माइल किया और शायद कुछ बोलने गई , तो मैनेजर मुझे देखके एक स्माइल देके बोले
" सर्, मिस्टर. पटेल इस नोट इन हिज रूम.वुई वांट टू मीट हिम वन्स??.
मै समझ गया वह अब पेमेंट की बात करने के लिए आया है. मैं उनसे कहा
?? नो नो. ही इस देअर. ही हॅस जस्ट गोन टू बी फ्रेशन उप??
बोलके में वहां से जाने लगा. जाते वक़्त एकबार माँ को छुप के देखा.वह वहि बैठके सूटकेस खोल रही है. और मुझे ऊपर से उनके शोल्डर और बूब्स का ऊपरवाला हिस्सा ब्लाउज के उप्पर पोरशन से दिखाइ दिया. मेरे अंदर उनको अपना बनाके पाने की चाहत बहुत तेज बढ्ने लगा.
मैन मेरे रूम में आतेहि देखा नानाजी बाथरूम से बाहर है. नए कुरता पाजामे में नानाजी को अच्चा लग रहा है. मैनेजर उनसे पेमेंट की बात किया. नानाजी ब्रेकफास्ट के बाद ऑफिस में जाकर देकर आएंगे बोले. मैनेजर बोला की वह वहि रहेंगा.
नास्ता करके नानाजी के जाते टाइम में बोला
?? पापा??मैं भी आता हूँ??
वो मेरे तरफ देख के हँसे और वहि शांत आवाज में बोले
?? अरे तुम रेस्ट करो. अभी फिर हल्दी के लिए तैयार होना है. मैं बस यह सब चुक्का के आजाता हु??
फिर और एकबार स्माइल देके चले गये. मैं रूम में अकेला बेड पे आँख बंध करके सो गया. और थोड़ी देर पहले माँ के स्पर्श की अनुभुति मेहसुस करने लगा. मुझे आज स्पष्ट यह पता चल गया की वह भी मेरा स्पर्श पाने के लिये, मेरा प्यार पाने के लिए खुद को पूरी तरफ समर्पण करने के लिए तैयार है. मेरे प्यार को उनके हर रोम रोम में मेहसुस करने के लिए खुद को सजा के रखी है. मुझे उनके जैसी खूबसूरत प्यारी बीवी पाकर ,मै सच मुच अपने आप में खोने लगता हु.
शायद मेरी आँख लग गया था अचानक नानी की आवाज़ से नीद तूट गया. नानीने झुक के चेहरे पे एक स्माइल लेके मुझे जगाते हुए कहा
?? उठ जाओ बेटा. मैं तुम्हारा नया कपड़ा वहां रख दिया. जल्दी से तैयार हो जाओ. ??
बोलके हस्ते हस्ते मेरे बेड पे बैठ गई. मुझे दोनों चीज़ों से शर्म आई. एक तो पिछली रात ट्रैन में न सोने के कारण अब में सो गया था दूसरी बात यह है की नानी मुझे इस तरह स्माइल करके हल्दी की रसम के लिए बुलाने आई इस लिये. मैं उठ के बैठा. और एक्सक्यूस देणे के जैसे बोला
?? सॉरी नानी..वह..??
नानि अब उनका राईट हैंड से मेरे गाल छुंए और आँखों में एक माँ की ममता मिलाकर प्यार से वैसा ही स्माइल करते हुए एकदम धीरे से बोली
?? अब तू मेरा दामाद बनने जा रहा है. और दामाद अपनी साँस को क्या कहते है? उम् .??
मै शर्म के मारे पाणी पाणी हो गया. मैं सर झुका लिया. और नानी एक चिंतित माँ की तरह उनके आवाज़ में एक इमोशन मिलाके फिर बोलि
??मैं मेरी एक लौती बेटी को तुझे दे रही हु. अब तुझे उसका ख्याल रखना है. ज़िन्दगी भर उसको खुश रखना है. रखेगा न मेरी बेटी को???
 

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मै अब क्या कहुँ समझ नहीं रहा है. आँख उठाके नानी को देखने को भी शर्म आ रहा है. मेरे मन में एक बिचित्र अनुभुति दौड़ रहा है. आज से में उनका दामाद हु, कोई प्यारा छोटा बच्चा नहि, जो उनका प्यारा पोता है. मुझे अब एक परिपूर्ण आदमी बनके उनको भी विस्वास देना है. ज़िन्दगी का हर रिलेशन पे अगर विस्वास, प्रतिबद्धता, ईमानदारी, निष्ठा न रहे और एक दूसरे के प्रति देखभाल, प्रेम , सुरक्षा न रहे , तो वह रिलेशन कैसा स्ट्रांग बनेगा. मुझे भी मेरे अंदर का संकोच और दुविधा छोड़के इस रिलेशन को ऐसे ही देखभाल करना पड़ेगा. मैं धीरे से सर उठाके उनके आँखों में आँख मिलाके कहा
?? आप को यह बात मालूम है की दुनिया में सबसे ज़ादा प्यार में आप की बेटी को ही करता हु. उनको खुश नहीं रखूँगा तो में कैसे खुश रहूँगा !!??
फिर में उनके हाथ पे मेरा हाथ रख के धीरे धीरे कहा
?? आप लोगो ने अपने पोते को दामाद बनाने का जो फैसला किया, उसको में अपनी जान देकर रक्षा करूँगा??.
नानी उनके हाथ से प्यार से माँ की ममता लेकर मेरे गाल सहलानेलगी. उनकी आँखों में ख़ुशी मेहसुस करने की एक अनुभुति प्रकट करके पुछि
?? मेरी बेटी उसके पति के साथ खुश रहेगी यह जानकर मुझे अब मरने का भी दुःख नहीं होगा.??
बोलकर नानी की आंख गिलि होने लगी और वह मुझे गले लगाना चाही. मैं आगे बढ़के उनके गले लग गया. वह प्यार से मेरे पीठ पे अपनी ममता के साथ हाथ फ़िराने लगी. उनके मन के इमोशन को थोडा क़ाबू करके फिर हसपड़ी और मेरे कान के पास धीरे धीरे कहि
?? चलो सब तो ठीक हो जायेगा. लेकिन मेरे मन में इन खुशिओं के साथ एक दुःख है??
मैन वैसे उनके गले लगे हुए पोजीशन पे रहके पुछा
?? वह क्या है मम्मी???
मै नानीजी को मम्मी कह्के बुलाया. वह इस चीज़ को मेहसुस किया और फिर थोड़ी टाइम बाद हस्ते हस्ते एकदम नीची आवाज़ से बोलि
?? मुझे दामाद मिला लेकिन पोता खो दिया. आब मुझे नानी बुलाने के लिए कोई नहीं है. मुझे नानी कह्के बुलाने के लिए कोई चाहिए??
बोलकर नानी हॅसने लगी और में उनके गले लगते हुए पोजीशन पे रहके शर्मा के बोला
?? आप भी न????.??.
मै एक नई हल्का येलो कलर का कुरता और वाइट पाजामा पेहेनके कॉटेज से बाहर निकलते ही देखा नाना वहा मैनेजर के साथ बात कर रहे है. मुझे देखते ही नानाजी और वह दोनों स्माइल दिया और नानाजी बोले
" आजाओ बेटा. हम चलते है. वह लोग बस आनेवाले है."
मुझे मालूम है हमारी हल्दी एक समय पर रखी हुई है , लेकिन होगी अलग अलग . हमारा और कोई रिलेटिव्स , फ्रेंड्स और फॅमिली न होने के कारन यह लोह यहाँ से कुछ लोगो का बंदोबस्त किया है. जो मुझे और माँ को अलग अलग हल्दी लगाएँगे. मैं कुछ न बोलके उनके पास जाने लगा. और तभी दूसरे कॉटेज का डोर खुल गया और हम सब उस तरफ मुड़के देखने लगे. नानीजी पहले निकलकर डोर के सामने खड़ी होकर अंदर की तरफ देखने लगी. और फिर माँ बाहर आयी. माँ डोर के पास आतेहि नानी उनका एक हाथ माँ के पीठ के ऊपर से लेजाकर उनको पकड़के धीरे धीरे आगे बढ्नेलगी. मैं बस माँ की तरफ देखते रह गया. वह एक येलो कलर की नयी साड़ी पहनी हुई है. साड़ी की बॉर्डर रेड और येलो से डिज़ाइन किया हुआ है. मैचिंग शार्ट स्लीव ब्लाउज पहन के रखी है. उससे उनके गोल गोल और लम्बे लम्बे गोरी बाजु और हाथ, और भी सुन्दर लगने लगे. उनके गले में एक गोल्ड चेन और दोनों हाथ में एक एक गोल्ड बँगल है. माथे पे एक छोटी लाल बिन्दी. और पैर में एक क्रीम कलर की फ्लैट स्लिपर पहनी हुई है. बाल जुड़ा करके थोड़ी ऊपर की तरफ बंधा हुआ है, जिसमे उनकी गर्दन और गले की लम्बाई पूरी तरह से नज़र आ रहा है. आज पहली बार लाल बिंदी और इस टाइप का ड्रेस में उनको देख रहा हु. इतने सिंपल ड्रेस में भी मुझे वह बहुत ज़ादा सेक्सी लगने लगी. वह उनके पापा मम्मी और मेरे सामने नज़र उठाने में शायद शर्मा गई. इसलिए नज़र नीचे करके नानी के साथ धीरे धीरे हमारे तरफ आनेलगी. वह इतनी सुन्दर लग रहा है की मेरे मन में बस एक ख़ुशी की लहर बहने लगी. उनको देखके लगता नहीं की वह ३६ साल की है और मेरी माँ है. बस एक नवजवान कुंवारी लड़की के जैसी शर्मा के आगे बढ़ रहा है. यहाँ का मैनेजर यह चित्र देख के कल्पना भी नहीं कर पायेगा की में उनका बेटे हु और यहाँ शास्त्र सम्मत तरीके से उनको शादी करके अपनी पत्नी बनाने के लिए आया हुं.

हम सब एक साथ सामने वाली इमारत की तरफ जाने लगे.

वहा एक रूम दुल्हन के लिए यानि की माँ के लिये, और दूसरे रूम दूल्हे के लिए यानि की मेरे लिए सजाके रखा है रिसोर्ट वाले. दो रूम में से बहुत आवाज़ आरहा है. बहुत सारी लेडीज भरी हुई है. कुछ लोग बाहर थे, हमें आते हुए देख के वह लोग अंदर चले गए और आगे की तैयारी सुरु करदि. मैनेजर के कहने पर नानीजी माँ को लेकर दुल्हन के रूम में जानेलगी. मैं माँ को जाते हुए देखा. उनका ब्लाउज पीछे से ज़ादा कट किया हुआ है. पूरी सुडौल गर्दन और कमर के ऊपरवाला हिस्सा साफ साफ नज़र आ रहा है. मेरे मन में एक हिल्लोल यानि की एक हलचल मचने लगा. जब में नीचे देखा तब उनके फ्लैट स्लिपर में पैर की मुलायम गुलाबी एडी नजर आई. मुझे क्या पता क्यूं, उनकी वह गोल गोल मुलायम गुलाबी एडी देखके मेरे पजामके अंदर लिंग में एक शिर शिरनी होने लगा. मुझे लगा की में अभी झुक के उनके सामने बैठके उनके वह गुलाबी पैर में मेरे चुम्बन दे दुं. मैं जानता हु की उनका सब कुछ बस मेरा ही होने वाला है. तब में प्यार से उनके पैर के हर कोना चुम्बन से भर दूँगा
 

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मैनेजर मेरे पीछे ही था. वह बोलने लगा की यहाँ हमने सब प्रॉपर तरीके से पण्डितजी के साथ परामर्श करके सारा बंदोबस्त किया है. यह सब मैरिड लेडीज है. यह लोग हमारे यहाँ शादी के सारे प्रोग्राम में अपना अपना डूटीस करते है. हम आगे बढ्ने लगे. मैं नानाजी के साथ मेरे रूम में घुसते ही सब लेडीज की तरफ देखा. सबने स्माइल और ख़ुशी की आवाज़ के साथ मेरा स्वागत किया. एक दो ओल्ड लेडीज आगे आकर मेरा हाथ पकड़ के आगे ले जानेलगी. उनके चेहरे पे माँ या बड़ी बहन के जैसा प्यार और खुशियां नज़र आई. मुझे एक छोटी चौकी पे बैठने के लिए कहा. मैं बैठा. नानाजी और मैनेजर साहब वहि साइड में रखे सोफे पे बैठे. मैं इतनी सारी औरतों के बीच पहले थोडा नर्वसनेस फील करने लगा. पर वह लोग अपनी स्माइल और प्यार भरी नज़र देकर मुझे सहज करनेलगी. तभी पण्डितजी अंदर आये. मेरे सामने वाले आसन में बैठे. वह अपना कुछ सामान वहि रखके एक पुस्तक निकाल के पड़ना शुरु किया. मेरा नाम पूछे नानाजी से. फिर कुछ मंत्र बोलके वह पुस्तक बंध किया. फिर एक लाल और पीला रंग का धागा लेकर मेरे हाथ में बाँधने लगे. एक दो लेडीज मंगलमय ध्वनी देकर और शंख बजाके इस मुहूर्त को और धार्मिक करने लगी. पण्डितजी मंत्र के साथ साथ वह धागा बाँधना ख़तम किया. और अपनी एक ऊँगली सामने रखी हल्दि, चंदन और गुलाब पाणी से बना हुआ पेस्ट को छुँकर तीन बार बिरबीर करके कुछ मंत्र पढ़ा फिर एक सीनियर लेडी को आगे का कार्यक्रम सुरु करने को कहा. एक एक करके सात लड़की आगे आयी. सब मैरिड दीखती है. सब उस हल्दी पेस्ट लेकर एक एक करके मेरे पैर में, घुटनो में, बाजु में, हाथ में और चेहरे पे लगाने लगी. सब थोड़ी थोड़ी लगाके रब करते जा रहा है. मुझे एक सुखानुभूति का अनुभव हुआ. बचपन से दुसरों को शादी करते हुए देखके खुदकी भी शादी का मन करता था और आज वह पल है. मेरी शादी की रसम सुरु हो गयी. लाइफ में एक परफेक्ट पार्टनर पाना बहुत जरुरी होता है. जो आपके लाइफ के रास्ते में चलना और स्मूथ करदे. सारे सुख एंड दुख में आपका साथ देके जीना सहज कर दे. नाना नानी मेरे लिए वैसे ही एक लड़की ढूंढे है. जिस्को में दुनिया में सबसे ज़ादा प्यार करता हु. अपनी ज़िन्दगी में पाकर एकसाथ चलना चाहता हु. सारी खुशियां उनको देना चाहता हु, वह लड़की यानि की मेरी प्यारी माँ, आज मेरी बीवी बनने जा रही है . और वह अपने बेटे को अपने पति के रूप में पाने जा रहि है. मैं ऐसी कुछ चिंता में खो गया था थोड़ी देर बाद मैं मेहसुस किया की मेरे पूरे बदन पे वह लोग हल्दी लगा रही है. मेरा कपडा पूरी तरह पीला पीला हो गया. कुरते का स्लीव फोल्ड करके, पाजामे को ऊपर की तरफ उठाके फोल्ड करके , छाती का बटन खोलके, पीछे गर्दन के पास से अंदर की तरफ..सारी जगह हल्दी लग गयी. मुझे शर्म आने लगी. इतनी सारी औरते. और वह लोग आपस में हस रहे है, बाते कर रहे है. कोई कोई मेरे से बात करने की कोशिश कर रही है. पर में सब को केवल एक स्माइल देकर मेरे जवाब दे रहा हु. फिर वह लोग मेरे सरके ऊपर पाणी ड़ालनेलगी. मैं गिला हो गया. वह लोग मेरी हालत देखके खील खीला कर के हस पडी. मैं भी क्या करे.. लोगों के साथ बस मुस्कुराते रहा. रब करके मेरी हल्दी उतारने लगे वह लोग. थोडा टाइम ऐसे चलने के बाद सब लोग मुझे छोड़के साइड में चले गये. पण्डितजी बोले " बेटे अब जाकर खुद नहालो". मैं वहां से उठके सब को नमस्ते बोलके अपने कॉटेज के लिए चल पडा नानाजी भी मैनेजर के साथ उस रूम से बाहर गये. मैं बाहर आतेहि दुल्हनके रूम की तरफ देखा. वहाँ से हसि मजाक और ख़ुशी की आवाज़ें आ रही है. मैं समझ गया वहां का हल्दी का कार्यक्रम अभी तक पूरा नहीं हुआ. नानाजी मेरे पास आतेहि हम वहां से निकल पडे.

पुरा बदन रगड रगड के नहाने के बाद भी बहुत जगह अभी भी पीला पीला होकर रह गया. चेहरे पे भी एक पीलेपन का अभास जैसा लगा हुआ है. मैं दूसरे एक नये कपड़े जो में एमपी से लेके आया, हु पहन के रूम में आया और तभी नानाजी बाहर से अंदर आकर बोले
?? बेटा ..वह मैनेजर पुछ रहा था की हम लंच कहाँ करना चाहते है. मैं तुम्हारी नानी??.मतलब मम्मी को पूछा तोह वह लोग बोले की यहाँ रूम में ही आज लंच करेंगे. तोह में वैसे ही बोल दिया??
नानाजी भी बात करते टाइम खुद को सुधार रहे थे. वह लोग भी अपने आपको चारों तरफ से नए रिश्ते के साथ जोड ने की कोशिश कर रहे है. मुझे अब बस क्या कहना है. मैं बोला
?? ठीक है पापा??.
हल्दी के बाद से शाम तक न में माँ को देखा न नानीजी को. हालांकी मुझे माँ का चेहरा देखने के लिए मन उतावला हो रहा था लेकिन मुझे और कोई कारन न होने की वजह से उनके रूम में जाने में शर्म आने लगा. हम लोगोने अपने अपने रूम में ही लंच कर लिया था नानाजी केवल दो एक बार बाहर जाकर शायद उनलोगों को मिलके आये. नानाजी को देखके वैसे ही लग रहा है जैसे बेटी के शादी में बाप बहुत बिजी रह्ता है. वह रिसोर्ट वाले से, नानीजी और माँ से, मेरे से सब से कोआर्डिनेट कर रहे थे. कहाँ किसको क्या चीज़ की जरुरत, सब कुछ ध्यान दे रहे थे. अब वह अपने बेड पे रेस्ट करने के लिए सोये हुये थे क्यूँ की बस थोड़ी देर बाद रिंग सेरेमनी और मेहँदी है. यहाँ रिसोर्ट वाले ने हमारे शार्ट टाइम को पकङकर, सारे रसम और प्रोग्राम को सेट किया है. साथ में पण्डितजी का दिया हुआ टाइम को भी ध्यान रखना पड़ा . सो हमें सब कुछ थोडा जल्दी जल्दी लगने लगा. पर क्या करे. ऐसेही सब फिक्स किया हुआ है. और शादी में जितना प्लान करो, जितना टाइम लो, आखिर में सब ऐसेही लगता है.
 

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नानाजी का दिया हुआ नया सूट पहनके में तैयार हो रहा था रूम में बस में अकेला था मिरर के सामने खड़े होकर खुदको देखते देखते शायद मेरे मन में एक डर महसुस होने लगा. मैं ज़िन्दगी का सब से बड़ा स्टेप लेने जा रहा हु. शादी करके एक नई ज़िन्दगी में प्रवेश करने जा रहा हु. हमें मालूम नहीं हमारे नसीब में आगे क्या लिखा है. मैं माँ से बहुत प्यार करता हु. वह भी मुझसे बहुत बहुत प्यार करती है यह मुझे मालूम है. अब हम पति पत्नी बनके ज़िन्दगी गुजर ने की कसम खाने जा रहे है. हम एक दूसरे को चाहते है. एक दूसारे के साथ जीना चाहते है. एक दूसरे को ज़िन्दगी की हर ख़ुशी देना चाहते है. नाना नानी भी ऐसे ही रिश्ते दिल से चाह के हम सब को खुश देखना चाहते है. मैं आँख बंध करके प्रे करने लगा. हमारी ज़िन्दगी में कोई रुकावट या कोई बाधा या कोई कस्ट न आये. हम एक साथ पूरी ज़िन्दगी ख़ुशी और शान्ति से जी पाये.
मै कॉटेज से निकल गया. नानाजी और दो चार लोग बाहर खड़े थे, उनके साथ में चलने लगा. मुझे मालूम था की माँ और नानी पहले से ही वहां चले गये. क्यूँ की रिंग और मेहँदी के लिए यह लोग दुल्हन को थोडा बहुत सजाने का प्लान सेट करके रखा है. मेरे अंदर माँ को उस्सी तरह सजी हुई देखने की चाहत पूरे बदन में दौड ने लगी. में किसीको उसकी भनक तक लगने नहीं दे रहा हु.
एक हॉल में यह सेरेमनी का आयोजन किया हुआ है. वहाँ पण्डितजी और कुछ लेडीज थी, इनमे से में हल्दी के टाइम भी कुछ कुछ फेस देखा था मैं जाकर वहां सोफे पे बैठा. एक फोटोग्राफर आकर मेरी फोटो क्लिक करने लगा. मैं थोड़ी बेचैनी फील करने लगा. नानाजीने मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा तो मेंने उनको देखा. उनकी आँखों में एक आश्वासन का इशारा और सब कुछ ईजिली लेने का इशारा देख के में खुद को उस वातावरण के साथ मिलाने लगा. औरतें आपस में बात कर रही है. हस रही है. मैनेजर बीच बीच में नाना से बात कर रहा है. मैं बस सब कुछ देख रहा हु. और दुल्हन का यानि की माँ के आने का इंतज़ार करने लगा.
लेकिन यह इंतज़ार लम्बा होने से पहले ही कुछ औरतों के साथ माँ और नानीने हॉल में एंट्री लि. मैं माँ को देख के चौंक गया. क्या यह वहि लड़की है, जिस को में बचपन से देखते आरहा हु, जो मेरी माँ है, जिसको में जी जान से ज़ादा प्यार करते आरहा हु बचपन से!! थोडे मेकअप के साथ लेहेंगे और चोलीमें और कुछ हलकी ज्वेलरी में वह एकदम परी जैसे लगने लगी थी उनके बॉडी का हर कर्व परफेक्ट है. आज वह और भी सेक्सी लग रही है. लहेंगा पहन ने से उनका सेक्सी फ्लैट पेट् और नभि दिख रहा है. पहली बार उनका नाभि देखके मेरे अंदर सिरसिरानी सुरु हो गया. मेरी नज़र थोड़ी ऊपर होते ही उनका बूब्स पर अटक गयी. आज उनका वह दोनों सुडौल आकर क्लियर व्यू के साथ उनकी सुंदरता और बढा दिया. उनका चेहरा देखा तो वह नज़र झुका के , शर्म और लाज में लाल होकर मेरी तरफ बढ़ते आरही है. यहाँ किसीको मालूम न हो, लेकिन नाना नानी और मेरे सामने वह ज़ादा शर्मा गयी. क्यूँ की हमें ही केवल मालूम है हमारा रिश्ता , हमारी परिचय. हम एक रिश्ते से आज दूसरे एक नए रिश्ते में जुड़ने जा रहे है. मेरे अंदर एक एक्ससाइटटेमेंट तो था ही अंदर ही अंदर, और अब माँ को देख के मेरे मन में एक हलचल मचने लगी. मैं खुद को कण्ट्रोल करते ही जारहा हु केवल यह सोचके की बस और कुछ घंटों के बाद वह परी जैसी लडकि, मेरी बीवी बन के मेरी बन जाएगी.
मा आकर मेरे बगल में सोफे में बैठ गयी, नानी उनके पास बैठी गयी है. माँ अपनी नज़र एक दम झुकाके केवल खुद की गोद में रखे हुये हाथ के ऊपर टिकाके रखि, चारों तरफ एक बार भी नहीं देख रही है. मैं इतना सामने हु, तभी भी नहीं देख रही है, उनके होंठो पे जो मुस्कान है उससे पता चल रहा है वह इस रिश्ते को ख़ुशी ख़ुशी अपनाना चाहती है. बस यह मेहसुस करके मेरा मन उनके ऊपर प्यार से पिघल ने लगा. पंडित जी के पास पहलेही दो रिंग देकर रखे है नानीजी. वह बस एक रिंग उठाके मुझे और दूसरी माँ को दे दि. सारी औरतें ख़ुशी की आवाज़ से हमें इस मुहूर्त का इम्पोर्टेन्स मेहसुस करवाने लगी. मैं बस नानी को देखा तो वह मुझे इशारा कि अंगूठी पहनाने के लिये. मैं एकबार माँ को उनकी झुकि हुई नज़र के साथ उनके चेहरे को देख के मेरा हाथ थोडे आगे करते ही नानीने माँ को धीरे धीरे से कहा
?? मंजू,,??
ओर माँने अपना लेफ्ट हैंड को उठके आगे बढानेलगी. हम दोनों के हाथ बीच में आगये. मैं रिंग को पहनाने के लिए मेरी तीन उँगलियाँ में पकड़ के रखा है. और वह उनके ऊँगली में रिंग पेहनने के लिए बाकि उँगलियाँ को थोडा स्प्रेड करके रखी है. मैंने दोनों के हाथ के ऊपर नज़र डालके देखा. शायद हम दोनों के ही हाथ काँप रहे है. एक तो में पहली बार यह सब कर रहा हु. दूसरी बात हम हमारा रिश्ता बदल ने जा रहे है, और तीसरा हम इस रिश्ते को दिल से चाहके एक एक्ससाइटटेमेंट में डुबे हुए है. इस लिए हम दोनों ही थोडे थोडे काँप रहे है. यह शायद वहां की कुछ लेडीजने देख लिया और वह लोग कुछ आपस में बोलके हस पड़ी और हमे शर्म आइ, माँ अपना सर और नीचे झुका ली. मै धीरे धीरे उनके ऊँगली के पास रिंग ले जाके उनको अंगूठी पहना दिया. सब लोग क्लैप से और ख़ुशी का आवाज़ से हमें अभिनन्दन देणे लगे.
 

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हम दोनों ही हमारे हाथ अपनी तरफ खीच लिए धीरे धीरे. फिर पण्डितजी दुल्हन को पहनाने के लिए बोले. मैं नानाजी को एकबार घूम के देखा . वह बस मेरे बगल में बैठे थे. मैंरे घुमतेहि उनका एक हाथ मेरे कंधे पे रख के स्माइल देणेलगे. मैं स्माइल करके नज़र घुमाके मेरा हाथ आगे किया. माँ शायद यह सब कुछ नहीं देख पा रही है, इस लिए में आगे हाथ करते ही नानीजी माँ के पीठ पे एक ममता भरे हाथ से टच कि . माँने फिर अपना हाथ आगे लाया और दोनों के काँपते हुये हाथ एक साथ हुये. वह मेरे ऊँगली में अंगूठी पहना दि. फिर से एक ख़ुशी का रोला उठा और सब क्लैप करने लगे. मैनेजर नानाजी को बधाइयाँ देणे लगा. कुछ ओल्ड लेडीज नानी को हास के गले मिलाने लगी. और बाकि लोग मुझे और माँ को बधाइयाँ देणे लगे. हम उनको प्यार से उनकी शुभ कामनाओ का धन्यवाद करनेलगे. मैं माँ को चुराके देखा तो वह अब चेहरा उठाकर, नज़र उठके वह सब लेडीज लोगों को स्माइल दे रही है और सब को थैंक यु बोलकर आभार प्रकट कर रही है. उनके चेहरे पे एक ग्लो आगया. और आँखों में एक ख़ुशी की लहर दिखाइ दे रही है. एक बार वह नज़र घुमातेहि हमारी नज़र मिल गयी. मैं उनकी ख़ुशी मेहसुस करके खुद खुश होकर एक स्माइल किया तो वह मुस्कुरा के शर्मा गयी और नज़र झट से हटा ली.
हम वहां से अलग अलग दो रूम में चले गये. मेहँदी होने वाली है. माँ को मेहँदी के लिए सारी औरते ले गयी और कुछ लोग मेरे साथ थे. मैं वहां बैठा . और मेरी मेहँदी सुरु हो गई. मेरे बस दोनों हथेली में थोड़ी थोड़ी मेहँदी लगा दि. और में कहीं नहीं लगवाया. वह लोग फ़टाफ़ट मेरी मेहँदी लगाके मेरी रसम पूरी करदि. नाना और में बाहर आगया. नाना मुझे हास के देखे और बोले
??बेटे तुम यहाँ रहो. मैं मंजु के पास जाकर आता हु.??
मै बस हासके सर हिलाया तो वह चले गये. मुझे भी जाने का मन कर रहा था पर अब पॉसिबल नहीं है. सो में बाहर रिसेप्शन की तरफ आगे बढ़ गया.
थोड़ी देर बाद नानाजी आकर बोले
?? चलो हम कॉटेज में चलते है. वहाँ अभी बहुत टाइम लगेगा. मेहँदी लगाना , गाना बजाना बहुत कुछ चीज़ों का इन्तेज़ाम कर के रखे है यह लोग. ??
नानाजी यह बोलके हास के आगे बढे मैं उनके पीछे पीछे कॉटेज की तरफ चलने लगा. मेहँदी के साथ माँ को कैसे लगेगा वह कल्पना करते करते मन में एक ख़ुशी की लहर उठाके में कॉटेज पहुच गया. मेरा मन बस उनको देखने के इंतज़ार में अंदर ही अंदर छट फ़ट करने लगा.
मेरा यह इंतज़ार लम्बा हुआ , लेकिन ज़ादानही उसदिन रात को डिनर में ही में उनको देख पाया. कॉटेज वालों ने उस दिन हमारे लिए एक ग्रैंड डिनर का बंदोबस्त करके रखा था गेट से आते टाइम हम जो रेस्टोरेंट देखे थे वहां आज का डिनर फिक्स किया हुआ है. मेहँदी के बाद से हम अपने अपने रूम में ही थे सो न में माँ को न वह मुझे देखि. सो जब हम डिनर के लिए वहां जाने के लिए निकले तो तब में माँ को देखा. वह एक ग्रीन कलर की साड़ी पहनी हुई है. जिसमें मरून कलर की बॉर्डर है. साड़ी से मैच करता ब्लाउज , गले में सुबह वाली गोल्ड चेन और हाथ में वहि बँगलस. लेकिन सुबह से एक डिफरेंस है, वह है की उनके हाथ और पैर की मेहंदी. पैर की मेहँदी साड़ी के कारन ज़ादा नज़र नहीं रही है पर हाथ के एल्बो तक सुन्दर डिज़ाइन की मेहँदी लगी हुयी है, जो उनकी ब्यूटी को और निखार रहा है. अब वह सच मुच एक वैसी लड़की लग रही है, जो बस शादी के लिए अब दुल्हन बनने जा रही है.

रेस्टोरेन्ट में पहुच ते ही हम थोडे चौंक गये. इस टाइम इतना बड़ा रेस्टोरेंट आलमोस्ट फुल है. हमें मालूम है परसो एक शादी है, लेकिन उसका सब गेस्ट तो आज आये नहीं सुना था हमारा यह सवाल मैनेजर ने पड़ लिया और वह खुद हमें बताने लगा की यह रेस्टोरेंट सब के लिए ओपन है. बाहर से लोग डिनर करने आते है फॅमिली के साथ. यहाँ डिस्को भी है. सो सब टाइप के लोगों की भीड़ लगी रहती है. वह हमें रास्ता दिखाके एक सेपरेट एरिया में लाया. यहाँ लोग कम है. टेबल्स भी दुर दुर है. और दो चार टेबल भरे हुये है. जहाँ केवल फॅमिली टाइप लोग बैठे हुए है कुछ बच्चों के साथ. यहाँ आवाज़ थोड़ी कम है और उस रेस्टोरेंट से थोड़ी आवाज़ यहाँ तक आ रही है. टेबल पे केवल हम चारो है. दो वेटर हमारे लिए है वहा
मैने टेबल के पास रखी हुई चेयर्स को थोड़ी बाहर निकाल के नानी और माँ को बैठने के लिए हेल्प किया. और नानाजी टेबल के अपोजिट साइड में नानी की सामने बैठे. सो मुझे माँ के अपोजिट में उनके सामने बैठ्ना पडा माँ मुझे नहीं देख रही है. नानी से धीरे धीरे बात कर रही है, या तो नाना को बात करते हुए एक आध बार देख रहा हु. बस मुझसे नज़र हटाके रखी है. मैं उनकी तरफ बार बार देख रहा हु नाना नानी की नज़र छुपाके. एक बार चाह रहा था की वह भी मुझे देखे. हम आमने सामने बैठे है. कल हम शादी कर के पति पत्नी के रिश्ते में जुड़ने जा रहे है. वह मेरी बीवी बनने जा रही है. बस यही सब चिंता मेरे अंदर उनके प्रति चाहत और बढ़ती जा रही है. उनका इस तरह शरमाना, उनके मेहँदी लगे हुये हाथ, होंठो की मुस्कान, सांस के साथ साथ छाती का हल्का हल्का कम्पन ..यह सब मुझे बस उनकी तरफ खिचे जारहा है. मुझे मालूम है की शादी से पहले वह अब मेरी बाँहों में नहीं आने वाली है. पर में उनको एकबार बाहोंमे भरके उनके दिल की धड़कन महसुस करना चाहता हुं.
 

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मैनेजर हमारा बहुत ख्याल रख रहा है. हमें बार बार पुछ रहा है कोई तकलीफ हो रही है की नही कुछ चाहिए की नही पहले स्टार्टर आया, वह दो वेटर सर्व करने लगे, सब को सर्व करके बाकि वहि टेबल पे रख के साइड में चले गये. एक एक चीज रहा है और वह लोग ऐसे ही कर रहे है. थोड़ी देर बाद नानी उनको देख के प्यार से हास के बोली की वह लोग बस यहाँ रख दे, हम खुद सर्व कर लेंगे. फिर नानी हम सब को सर्व करने लगी. माँ भी हाथ लगा रही है. उनके हाथों में मेहँदी के साथ साथ रेड नेल पोलिश नज़र आयी. मुझे पहली बार माँ का इस तरह का रूप देखने को मिला. वह मेरे सामने एक अलग लड़की जैसी लगने लगी. जिसको में बचपन से जानता हु, वह माँ नहि, एक और कोई लडकि, जिसे धीरे धीरे जान रहा हु, जिसका रूप धीर धीरे नज़र आरहा है. वह इतनी खूबसूरत लग रही है की में मन ही मन खुदको लकी महसुस कर रहा हु. ऐसी खूबसूरत और सेक्सी एक लड़की मेरी जीवनसाथी, मेरी बीवी बनने जा रही है.
मैन कोर्स का खाना आगया. माँ सब को सर्व करनेलगी. हम सब एक साथ बहुत दिन हो गये है बाहर खाने नहीं गये थे सो सब लोग इस डिनर को एन्जॉय कर रहे है. और हमारी नई ज़िन्दगी शुरु होने से पहले सब का मन में जो टेंशन या संकोच था, सब यहाँ धीरे धीरे मीट रहा है. नानाजी और नानीजी उनके लाइफ की बिगनिंग की बहुत सारी बाते शेयर कर रहे है. कुछ हसि की बाते भी हो रही है. और फिर शादी के बाद उनलोगों ने क्या प्रॉब्लम फेस किया था, क्या क्या प्रॉब्लम कैसे आते है, और कैसे उसका सोलुशन होता है, वह सब माँ और मेरे साथ शेयर करने लगे. अब मैनेजर भी चले गए और दोनों वेटर भी साइड में जाकर खड़े है. सो हम बिन्दास बात करने लगे. मैं नाना और नानी को मम्मी पापा कह्के बुलाया दो बार. माँ उस टाइम मेरी तरफ एक झलक देखि थी. उनके चेहरे पे ख़ुशी और होटों पे मुस्कान मुझे नज़र आयी थी माँ केवल नानी के साथ कुछ बात धीरे धीरे कर रही थी. इन्ही सब बातों के बीच एक डीश सर्व करने के लिए माँ मेरी प्लेट के पास हाथ लायी तो मैं उनको देखके मुस्कुराके, अपने हाथ से इशारा करके ना कहा. वह बस मुस्कुराके हाथ हटा लि. जब नानी के पास गया तो नानी बात करते करते ध्यान दि और माँ को बोली
?? पहले हीतेश को दो मंजु??
मा यह सुनकर शर्मा के नज़र झुका लि और नानी की प्लेट में परोसते परोसते धीरे से नानी को बोलि
?? वह नहीं लेंगे. मैंने उनको पूछा ??
यह सुनते ही नानी के चेहरे पे एक हसि खील गयी. और वह खुश होकर नाना की तरफ देखि. माँ शर्मा के नज़र झुका के नानी की प्लेट में परोस रही है. नानी समझ गयी कि माँ ने इस नये रिश्ते को कैसे मन से एक्सेप्ट कर लिया है. नानी बस अपने लेफ्ट हैंड को पीछे से ले जाकर माँ की पीठ को पकड़ के माँ को अपनी तरफ खिची और कुछ ना बोलकर एक स्माइल देके बहुत कुछ समझ भी गयी और संमझा भी दिया.

सब की ज़िन्दगी में कुछ पल, कुछ दिन, कुछ मोमेंट्स ऐसे आते है, जहाँ उसकी ज़िन्दगी एक अनजान मोड़ पे आकर एक नयी दिशा में घूम जाती है. और तब वह शायद यह सोच नहीं पाता की इस तरह की नयी राह में कदम रखना कितना जरुरी या रिस्की होता है. पर हम सब इसको हमारे ज़िन्दगी में अनुभव करते है, और नयी सोच और नयी उम्मीद के साथ आगे चल पड़ते है. बाकि लोगों से मेरी ज़िन्दगी एक दम से तो अलग ही है. सब की शादी होती है. सब अपनी जीवनसाथी पाते है. पर में अपनी जीवनसाथी, अपनी बीवी के रूप में जिसको पाने जा रहा हु, वह मेरी माँ ही है. मुझे मालूम है हमारा यह नया रिश्ता औरों से बिलकुल अलग है. हम दोनों और नाना नानी ..सब की सम्मति से और हमारे बीच का प्यार और बंधन के कारन से , हम लोग इस रिश्ते को अपनाना चाहते है. सभी का अच्छा इसमें होगा यह सोच के हम इस कदम को उठाया है. पर समाज और संसार कैसे इस को देखेंगे वह भी मालूम है. इसके लिए हमें सब को बहुत कुछ सैक्रिफाइस भी करना पडेगा. माँ अब एक दूसरे लड़की के जैसी बन गई, जिसको में प्यार करता हु और चाहता भी हु. पर एक बात तो सच है. कोई भी रिश्ते में, खास करके पति पत्नी के रिश्ते में, वह रिश्ते मजबूत, टिकउ और हैल्थी होता है तब, जब उसमे एक दूसरे के लिए प्यार, एक दूसरे के ऊपर बिस्वास, और एक दूसरे को क्षमा करने की ताकत होती है मन मे. मेरे और माँ के मन में माँ-बेटे का प्यार तो था हि, अब एक नया प्यार दोनों के मन में छाया हुआ है, उसमे हम एकदूसरे को बहुत बहुत प्यार करते है. बचपन से दुनिया में हम एकदूसरे को सबसे ज़ादा बिस्वास करते आरहे है. और हमारी ख़ुशी के लिए हम बहुत कुछ सैक्रिफाइस करने की ताकत भी रखते है जो हम बचपन से करते भी आरहे है, और अब तो सब कुछ के लिए तैयार भी है. दुनिया की और कोई लडकि, वह कितनी भी सुन्दर और खूबसूरत क्यों ना हो, वह लड़की मेरे मन में वह जगह नहीं ले सकती है जहाँ मेरी मा...मेरी होनेवाली पत्नी बनके और मेरी माँ बनके मेरे दिल में बैठि हुई है. सुबह से एक हलचल मची हुयी है हमारे बीच.
 

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शादी का मुहूर्त मॉर्निंग में ही है. उसके बाद शुभ टाइम रात को है. सो यह लोग हमारी शादी का टाइम सुबह के मुहूर्त को पकड़के शेड्यूल किया है. हम एकदम सुबह से उठके सब तैयारी में लग गये. कल शाम के रिंग सेरेमनी वाले हॉल में शादी का इन्तेज़ाम किया हुआ है. वहाँ दो रूम है. एक में दूल्हा और उसका परिवर, दूसरे में दुल्हन और उसके परिवार के लिये. हम सब यहाँ आते ही में और माँ पहले रजिस्टर्ड साहब से मिले और उनके दिये हुये पेपर्स पे हमने साइन किया. नाना नानी भी थे. मैं माँ को देखा तो वह बस ख़ुशी से होठो पे मुस्कुराहट लेकर नज़र झुकाके नानी के साथ बैठी थी सुबह के इस समय वह बहुत प्यारी लग रही है. मेरे मन में एक अद्भुत अनुभुति दौड रही है. मैं भी थोड़ी शरम मेहसुस कर रहा हु. मैं उनसे पेन लेकर धीरे धीरे हस्बैंड के जगह पे साइन किया और नानीने मेरी गार्डियन बन के मेरे विटनेस के जगह पे साइन किया. फिर माँ अपनी हाथ निकल के धीरे धीरे वाइफ की जगह पे साइन किये और नानाजी उनके फादर का विटनेस साइन किया. माँ का साइन होते ही रजिस्टर्ड साहब मुझे और माँ को पति पत्नी बनने के लिए विश किया और तब सब लोग क्लैप करके हमें अभिनन्दन करने लगे. और कुछ साइन चाहिए था वह वहां की कुछ लेडीज से साइन करवा लिये. और वह जाते टाइम हमें फिर से विश करके चले गये. मैं और माँ क़ानूनी तौरसे हस्बैंड और वाइफ बन गये. फिर शास्त्र सम्मति से शादी का मुहूर्त जल्दी आनेलगा. तो में और माँ दूल्हा और दुल्हन के रूम में चले गए तैयार होने के लिये. मेरे सज धजने में ज़ादा कुछ रखा नहीं है. केवल शेरवानी पहन ना है और सर पे साफा लेना है. पर दुल्हन के रूम में सब बिजी है. दुलहन को सजाना और शादी का जोड़ा पहनके रेडी करने के लिए कल वाली कुछ लेडीज है. बाहर भी कुछ लोग जमा है. सब रिसोर्ट की तरफ से है और सब अपना अपना डूटीस के लिए है. ऐसी शादी न कभी कहीं हुआ, न यह लोग कहीं देखा. बल्कि यह लोगों को तो पता ही नहीं की एक माँ बेटा आज शादी करके पति पत्नी के रिश्ते में जुड़ने जा रहे है, जहाँ दूल्हा दुल्हन के साथ पूरे परिवार की भी सम्मति है. वह लोग बस अपनी ख़ुशी से मज़े के साथ सब कुछ कर रहे है. नानाजी मेरे रूम में कम और बाहर हॉल में और माँ के रूम में बार बार जाकर देखभाल कर रहे है. मैनेजर साहब वहि बाहर हॉल में बैठे है. पण्डितजी भी अपनि तैयारी सुरु कर दिये. लेकिन उनको भी यह भनक तक नहीं लगा की आज वह एक माँ बेटे की शादी करवाने वाले है. मैं बस एक सुन्दर डिज़ाइन किया हुआ शेरवानी पहनके सोफे में जाकर बैठा. मुझे शादी की एक नयी अनुभुति हर वक़्त घिरके रखी है. मैं जिसको सबसे ज़ादा प्यार करता हु इस दुनिया में, जिसको दिल से पत्नी के रूप में चाहते आरहा हु पिछला ६ साल से, वह खूबसूरत लडकि, मेरी माँ, आज मेरी बीवी बनेगि. मेरी माँ को मेरी दुल्हन के रूप में देखने के लिए मेरा मन बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है. बल्कि यह भी सच है की माँ को मेरी बीवी बनाके मेरी बाँहों में लेकर उनको प्यार करने की चाहत में मन अंदर ही अंदर बार बार चंचल होकर काँप उठ रहा है. पिछले ६ साल से उनको कल्पना करके उनके साथ मिलन का जो सपना मन ही मन में देखते आरहा था, अब हमारा नसीब हम को एक करके वह सपना सच कर दे रहा है. मैं अब मेरी ज़िन्दगी उनके साथ उनका पति बनके गुजारना चाहता हु. और वह भी मेरी पत्नी बनके ज़िन्दगी की आखरि सांस तक मेरे साथ जीना चाहती है.
कल रात रेस्टोरेंट में डिनर के टाइम माँ की ख़ुशी ,शरम और एक दबी हुई उत्तेजना वाला चेहरा देख के और नयी दुल्हन बनने का साज और मेहँदी देखके, में बहुत आर्गी फील कर रहा था मुझे माँ को मेरे बाँहों में भरके, मेरे गरम होंटों से उनके पूरे बदन को, हर अंग अंग को प्यार भरे चुम्बन से भर देणे का मन कर रहा था मैं उसी उत्तेजना से डिनर करते करते नाना नानी से छुपके माँ को एक एसएमएस कर दिया. लिखा था
" यु आर लुकिंग वेरी ब्यूटीफुल , हॉट एंड सेक्सी. आई कान’ट स्टे अवे फ्रॉम यु अनिमोर."
मेरे एसएमएस के बाद माँ को पता नहीं चला. क्यूँ की उनका मोबाइल पर्स के अंदर था मैं बस उनतक मेरी यह अनुभुति पहुचाने के लिए बार बार उनको देख रहा हु, जैसे की में उनको इशारे से बता पाऊँ की वह अपना मोबाइल चेक करले. पर वह देख नहीं रही है. सो मैं एक तरीका सोचा. मैनेजर के साथ नाना नानी बात कर रहे है. माँ उस तरफ देख रहा है. मैं मेरे और माँ के प्लेट के बीच रखी हुई एक डीश है. मैं चम्मच लेकर उसमेही घुमा रहा था माँ का विज़न एरिया में था, इस्लिये वह अचानक मेरे हाथ पे नज़र डाली. फिर मेरी तरफ आँख उठाके देखि. और वह खुद वह डीश उठाके मुझे सर्वे करने के लिए मेरी तरफ़ थोडा घुमतेहि में चम्मच पकडे हुये हाथ से इशारे में मना करके, लेफ्ट हैंड में पकडे हुये मोबाइल को इशारे में दिखाया.
वह पहले समझि नहि, पर जल्द समझ गयी. और मेरी तरफसे मुस्कुराके नज़र घुमा लिया. मैं समझ नहीं पाया की वह जान ने के बाद भी उनके मन में कोई प्रतिक्रिया या कोई रिएक्शन नहीं हुआ. मुझे माँ के ऊपर गुस्सा आने लगा और दोबारा उनको इशारा करने के लिए मौका ढूँढ़ने लगा. तभी माँ नानी के कान में कुछ बोली. नानी मैनेजर साहब को पूछि की वाशरूम किस तरफ है. मैनेजर बहुत इज़्ज़त से नानी से बात कर रहा था और वह हाथ उठाके दिखाया. तभी माँ अचानक चेयर से उठके अपनी पर्स उठाके चल पडी. और जाते टाइम एकबार मुझे लुक देकर मुस्कुराके गई.
मैं मोबाइल हाथ में लेकर बैठा था मैं समझ गया माँ वहां जाकर मेरा एसएमएस पडेगी. इस लिए यहाँ अलग होकर बैठा था नाना नानी के पास. माँ जाने के बस कुछ टाइम बाद मेरे मोबाइल वाइब्रेट किया. मैं खोला तो माँ का एसएमएस था उन्होंने लिखा था
" धत..बदमाश"
मुझे मालूम है माँ मेरा एसएमएस पढ़कर शर्म से लाल हो गयी होगी. और यह भी मालूम है उनके मन में भी मेरे जैसी चाहत आरही थी. मैं फ़टाफ़ट टाइप किया
" इट्स ट्रू मंजु सोना. आई एम लकी टू हैव यु अस माय बिलवड वाइफ. आई लव यु सो सो मच एंड विल लव यु फॉरऐवर"
ओर तुरंत उनका रिप्लाई आया
" आई लव यु टू सो सो मच जाणु."
वह यह रिप्लाई उनके दिल से लिखी है, यह में महसुस किया तब, जब वह वापस आयी और उनके चेहरे पे एक अद्भुत नयी दुल्हन का अभास दिखा था माँ को ऐसे रूप में सामने देख के और वह एसएमएस पढ़ के मेरा लिंग एक अद्भुत ख़ुशी से अंडरवेयर के नीचे फुल्ने लगा. मैं बस और थोडा सहन करके उस पल का इंतज़ार करने लगा जब वह शास्त्र सम्मति से मेरी बीवी बन जाएगी.
ओर अब वह घडी आगई.
 

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मैन पण्डितजी के सामने बैठके उनका कहना मान रहा हु. पण्डितजी पूजा सुरु कर दिया है. वह नाना जी से दूल्हा दुल्हन का नाम और उनलोगों का माता पिता का नाम पुछा. नानाजी मेरे नाम हीतेश बताया और माता पिता का नाम दीपिका और अरुन बताया. मैं थोड़ी टाइम समझ नहीं पया पर थोड़ी देर में याद आया की माँ का नाम उनका जमान कुन्डली में दीपिका ही लिखा हुआ है. बाकि सब क्लियर हुआ जब दुल्हन का नाम मंजु और माता पिता के नाम के लिए नाना ख़ुदका और नानी का ही नाम बताया. पंडित जी पूजा करने लगा. कुछ लेडीज लोग वहि चारों तरफ बैठ गये. मुझमें एक शर्म के साथ एक उत्तेजना भी फील हो रहा है. क्यूँ की बस मुहूर्त टाइम आनेहि वाला है. तभी पण्डितजी पूजा के बीच में बोले की दुल्हन को बुलाईये.

इन्सान का मन और दिमाग उसके ज़िन्दगी का एक एक दिन, हर पल, सारे मोमेंट्स को याद नहीं रख पाता. उसका मन बस उसके लाइफ के कुछ दिन, कुछ पल, कुछ मोमेंट्स को अपनी आँखों और दिल के अनुभव से उसको कैद कर लेता है और उसको अपने मन में बस ज़िन्दगी भर के लिए रख लेता है. ज़िन्दगी में घटे हर इन्सिडेंट्स की सारी डिटेल्स वह भूल जाएग, पर उस इन्सिडेंट्स का कुछ कुछ हिस्सा उसके दिल और दिमाग में बचा रहता है. वह कभी कभी उसको पीडा देता है, कष्ट देता है और कभी कभी वह उसको ख़ुशी और आनंद का एह्सास दिलाता है. हमारे सब की ज़िन्दगी ऐसे नियमोँ से चलती है.
आज मेरे ज़िन्दगी का वह दिन है, जिसको शायद में अखरि सांस तक , इस्सके हर मोमेंट्स को याद करना चहुंगा, पर मुझे यह भी मालूम है मेरा मन मेरी चाहत पूरी नहीं कर सकता. मुझे इस आनंद का, ख़ुशी का हर पल बस कुछ स्टिल तसवीरों से अपनी दिल के दिवार पे फ्रेम में लगाके सजाके रखना है. और मेरा मन ज़िन्दगी में कभी भी, कहीं भी दिल की दीवारों पे टंगी हुई वह तसवीरें याद करके अब की महसुस कि हुई ख़ुशी के पलों को महसूस करके उसके मिठेपन का एह्सास दिलाता रहेगा.

मै अपनी जगह पे खड़ा था वहाँ मजूद सब लोग दुल्हन के आगमन के लिए उत्सुक्ता से इंतज़ार कर रहे है. मेरे मन में एक तूफ़ान जैसा चल रहा है. यह है वह घडी जिसकी याद करके इतने दिन गुजारते आया. यह वह पल जो मेरे और माँ की ज़िन्दगी को एक नई दिशा में ले जाकर एक नये रिश्ते में जोड देगा. हमारे बीच के माँ बेटे के बंधन के साथ पति पत्नी का प्यार भरा एक रिश्ता जुड़ जायगा. मैं ब्याकुल मन लेकर माँ को दुल्हन के रूप में देखने लिए पागल हो रहा हु. मेरे इस चिंता के बीच मुझे वहां मौजूद सब लोगों की आनंद ध्वनि और मंगलमय आवाज से में मेरे लेफ्ट साइड में डोर के तरफ देखा. माँ अपनी दुल्हन की भेष में हॉल में एंट्री लि. पर मुझे उनका चेहरा नज़र नहीं आया. दो आदमीयोने उनके सामने एक पर्दे जैसा कुछ उठके रखा है. जिस से मेरे और माँ के बीच एक विज़न बैरियर तैयार कर दिया. वह अपना सर झुकाके , धीरे कदमों से पूजा की तरफ आनेलगी. नानाजी उनकी साइड से अपने दोनों हाथों से माँ को पकड़के आरहे है. यह मालूम पड़ रहा है की माँ एक सुन्दर लाल, मरून और हरे कलर का सुन्दर गोल्डन डिज़ाइन किया हुआ लेहेंगा पहनी हुई है. मेरे मन को एक हतोड़ा जैसा पीठ रहा है. जिस्को में बचपन से प्यार करता हु, जो मुझे प्यार देकर आज इतना बड़ा किया , वह औरत, मेरी माँ, आज मेरी धरम पत्नी बन रहहि है. हाँ यह बात सही है की आज तक में मेरे मन की गहराई में, उनको सोच क़र, उनके शरीर के एक एक अंग की कल्पना करके, एक आदमी का एक औरत के लिए जो प्यार होता है, वह प्यार उनसे करते आरहा हु. और आज इस मुहूर्त के बाद बस वह मेरी हो जाएगी, केवल मेरी. जिसके साथ मेरे खुद का परिवार बनाकर, पूरी ज़िन्दगी जीने की ख्वाईश है. नानीजी मुझे देखते ही हमारी नज़र मिले. वह बस होंठो पे एक मुस्कान लेकर मुझे देखी और फिर माँ की तरफ देखकर माँ के कान में धीरे धीरे से कुछ बोली. मुझे माँ का एक्सप्रेशन तो दिखाइ नहीं दिया, पर नानी अपनी मुस्कान को और चौड़ी करके हॅसनेलगी. माँ को लगा शायद वह शर्म और ख़ुशी की मिक्स अनुभुति से और सर झुकाके नानी के हाथ के बंधन के अंदर पिघलने लगी. चारों तरफ से सब लेडीज की ख़ुशी और मंगलमय आवाज़ मेरे कानोमे रस घोलने लगी. सामने मेरी माँ को अपनी दुल्हन बन के आते हुए देख के में बस एक नयी अनुभुति में डुबने लगा.
 

Incest

Supreme
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माँ मेरे नजदीक आतेहि पण्डितजी ने मुझे इंस्ट्रक्शन दिया कि आगे के कार्यक्रम के लिये. उनके कहे मुताबिक में पूरी तरह माँ की तरफ घूम गया. अब माँ मेरे नजदीक खडी है दुल्हन के भेष में, और में देख नहीं पा रहा हु, यह चीज़ मुझे बहुत तड़पा रही थी. मैं उनकी तरफ देखतेहि, पण्डितजी के एक आदमीने मुझे एक फूलों का हार थमा दिया और पण्डितजी वरमाला एक्सचेंज करने का निर्देश दिया. तभी वह दो आदमी धीरे धीरे वह पर्दा हटाया, जो मेरे और माँ के बीच में दृष्टि रोक रखा था. अब जैसे ही वह नीचे जाने लगा तभी सभी औरतें जोर जोर से हर्षा ध्वनि देणे लगी. नानी अपने चेहरे पे ख़ुशी की हसि लेकर माँ को एकदम नज़्दीक पकङी. और में माँ का चेहरा दिदार कर पाने लगा. उनके सर के ऊपर चुनरी घूँघट बनकर रखा हुआ है. बालों को एक अच्छी तरह डिज़ाइन करके पीछे बांधा हुआ है. सर पे सोने की बिंदिया मांग के ऊपर है. चेहरे पे नयी दुल्हन का मेक उप. माँ की स्किन हमेशा से मख़्खन जैसी मुलायम और गोरी है. पर आज वह इस साज में एकदम कोई अप्सरा जैसी लग रही है. वह बस एक २० साल की जवान लड़की लगने लगी. शादी के स्पर्श से जिसका रूप और निखरने लगा है. दोनों ऑय ब्रोव्स के बीच एक लाल बिंदी है. आँख झुकाके रखी है पर उनकी आखों में काजल और हलकी सी एक मेक अप किया हुआ है. नाक में सोने का नोज रिंग उनके चेहरे को पहले से एकदम अलग बना दिया है. शादी की ख़ुशी का अनुभव, शर्म और एक अनजानी उत्तेजना के कारन उनका नाक का अगला भाग सांस के साथ साथ थोड़ा थोड़ा काँप रहा है. और मेरे अंदर का वह अन्जान अनुभव बढ़कर चरम सीमा पे गया जब में उनके दो पतले गुलाबी होंठो को देखा. उनके दो नरम होठ ऐसे ही गुलाबी है , उसके ऊपर लिपस्टिक लगने के कारन वह और भी लोभनीय बन गयी है. मुझे इतने नज़्दीक से वह दो होठो को देख के लगा की वह रस में भरा हुआ संत्रा का दो मीठा फांके है. उन होठो में एक ख़ुशी की मुस्कराहट लगी हुई है. मुझे बस मेरे अंदर वह दोनों होठो को अपने होठो से मिलाके उसके अंदर भरा हुआ रस पीने का मन करने लगा. मैं अंदर ही अंदर काँप ने लगा. में माँ को बचपन से जानता हु, बचपन से उनको हर रूप में देखते आ रहा हु. इस लिए शायद मेरे अंदर शादी के टेंशन से ज़ादा उनको पाने की चाहत मेरे अंदर ज़ादा दौड़ने लगी. उनके साथ मिलन का इंतज़ार में इतना साल कटा है मैंने. आज बस मेरा मन उनको पूरी तरह से मेरी बाँहों में चाहने लगा. मैं उनकी तरफ कुछ पल ऐसे देख के खुद सब के सामने शर्मा गया. मेरी नज़र हट ते ही नानी से नज़र मीली. वह बस एक ख़ुशी और ममता भरी निग़ाहों से मुझे देखने लगी. वह चाहती है आज उनकी बेटी को अपनी हाथो से अपने ही पोते के हाथ में समर्पण करके उनकी बेटी और पोते को एक नये रिश्ते में जोड दे और वह हम सब को लेकर बाकि ज़िन्दगी ख़ुशी और शान्ति से जी पाये. पर्दा पूरा हटा लिया गया है. माँ मेरे सामने सर को थोड़ा झुका क़, नज़र नीचे करके कड़ी है. उनके हाथ में भी मेरे जैसे एक फूलों की वरमाला है. उनके दोनों मेहँदी किये हुये हाथ उनके दुल्हन रूप को खुबसुरती से बढा दिया है, उनकी गले में सोने का डिज़ाइन किया हुआ चौड़ा नेकलेस और कान में सोने का सुन्दर झूमका है. हाथों में सोने का अलग अलग डिज़ाइन का बँगलस. उनकी रंगीन शादी का जोड़ा उनकी मन को भी पहली बार इतने सालों बाद आज रंगीन बना दिया है, और वह उनकी पूरी शरीर के भाषा से पता चल रहा है. वह आज मन से अपने बेटे को अपने पति का अधिकार देणे के लिए दुल्हन के भेष में मेरे सामने शर्मा के खड़ी है. सब औरते एक ख़ुशी और आनंद का माहौल बनाकर रखी है. मेरे पास नानाजी और माँ के पास नानीजी खड़ी होकर हमे अपने बच्चों की तरह पूरी तरह से सहयोग देणे लगी है. हवन की पवित्र आग के सामने हम माँ बेटे खड़े होकर पण्डितजी के मंत्र उच्चारण के बीच हम एक दूसरे को पहली बार सब के सामने नज़र उठाकर हमारी चारों आँखें एक करने लगे. मैं माँ को देख रहा हु. वह बस अपनी नज़र थोड़ा थोड़ा उठाकर फिर झुका रही है. मुझे मालूम है वह एक कुवारी दुल्हन के जैसे मेहसुस कर रही है. उनकी आखों की पलके बस ऊपर आरही है और फिर नीचे ले जाकर मेरी से नज़र मिलाने में शर्मा रही है अपनी मम्मी पापा के सामने. पण्डितजी का मंत्र चल रहा है. पवित्र आग की आभा ने उनके गालों को और लाल कर दिया है. और तभी माँ अपनी नज़र उठाकर मेरे साथ नज़र मिलाया. सभी लोग क्लैप करके और ख़ुशी की आवाज़ से इस मुहूर्त को एक खास मुहूर्त बनाने लगे. माँ की नज़र में मेरे प्रति उनका प्यार, केअर, खुद को मेरे पास सोंपने की चाहत ..सब कुछ झलक रहा था. उनके चेहरे पे आज जो भावनाओं का साया छाया हुआ है, वह बस एक पत्नी का होता है अपने पति के लिये. हम एक दूसरे को देखकर अपनी आँखों की भाषा से, ख़ामोशी की भाषा से कसम खा लिया उस पवित्र अग्नि के सामने उसी कुछ पलों मे. वह पल हमारे ज़िन्दगी का सब से अहम पल था. पण्डितजी वरमाला बदल ने का निर्देश डीये. और तभी माँने अपनी नज़र झुका लि. मैं अपनी माला ऊपर ले गया धीरे धीरे , मेरा हाथ थोड़ा थोड़ा काँप रहा था. मैं मेरी माला बस उनके सर के ऊपर उनकी घूँघट के ऊपर से डालकर उनके गले में पहना दिया. और में हाथ नीचे कर लिया. फिर माँ भी अपने हाथ को ऊपर करके मेरे गले में मला ड़ालने के लिए लेकर आई. मैं हाइट में माँ से ज़ादा हु, इस लिए उनको हाथ को बहुत ऊपर करके ड़ालना पड़ेगा, इस लिए में माँ को हेल्प करने के लिए मेरा सर थोड़ा झुका के उनके हाथ के पास लाया. तभी माँ धीरे धीरे मेरे गले में वह माला डाल दि अपनी नजर झुकि रख के. मुझे अब बस जो मेहसुस होने लगा यह दुनियाका कोई भाषा से ब्यक्त नहीं कर सकता. केवल जो इस को मेहसुस किया कभी, केवल वहि समझ सकता है. मेरा मन माँ के प्रति प्यार से भारी होने लगा.
 
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