मैन इन सब थॉट्स में खो गया था, नानाजी बाथरूम जाते टाइम बोले की
" मैं तुम्हारी नानी को बताके आया. वह सूटकेस उनके रूम पे है. वह वहां से तुम्हारे नये कपडे लेकर दे जाएंगे."
बोलके जाने लगे तो में सोच के बोला
" नानाजी...यह लोग...."
मेरे बात ख़तम होने से पहले नानाजी मेरी तरफ देखके मेरी बात काट दिया और थोड़ी स्माइल के साथ एक दम साफ लहजे में कहा
" बेटा......पापा.."
मै उनकी यह बात सुनके उनके सामने शर्मा गया. और फिर हल्का हास्के उनसे नज़र हटाके धीरे से कहा
" ठीक है......... पापा..."
नानाजी मुझे उस हालत से निकाल ने के लिए मेरे साथ देणे के लिए वैसे ही शांत इमोशन के साथ कहा
" कहो क्या कह रहे थे"
मेरे अंदर एक तूफ़ान सा चल रहा है. आज पहली बार नाना को पापा बोल दिया. और हमारा यह रिश्ता ज़िन्दगी भर के लिए शास्त्र सम्मत तरीके से कुछ समय बाद से पक्का हो जाएगा. मैंने उनकी तरफ देख के कहा
" वह लोग बताया था की यहाँ आकर पहले पूरा पेमेंट कर देना है. यह मैनेजर तोह उस बारे में कुछ बताया नहि"
नानाजी भी याद किये और फिर बोले
" हा...बताया तो था बुकिंग के टाइम २५% तो ले भी लिया. अब देखते है..ब्रेकफस्ट के बाद शायद बतायेगा. कोई बातनही जब बोलेगा तब दे देंगे"
बोलके नानाजी अपने कपडे लेके बाथरूम में चले गये. मैं अकेला होते ही मेरे अंदर जो शर्म आया था वह धीरे धीरे जाने लगा. और में फिर से वह प्रिंटेड शेड्यूल देखने लगा. आज दो रसम के बाद कल सुबह पहले रजिस्टर्ड साहब आएंगे और माँ और में कागज में साइन करके पहले हम रजिस्ट्री मैरिज करेंगे. यह करना आवश्यक हो गया है आज काल. नहीं तो बहुत सारी जगह पे इनसब पेपर्स के न होने के कारन फ्यूचर में बहुत प्रॉब्लम फेस करना पडता है. इस लिए यहाँ भी यह लोग कानून के मुताबिक सरकारी आदमी लाकर मैरिज पार्टी को यह फैसिलिटी उपलब्ध करवाते। है. चार्ज ज़ादा लेते है, पर सेफ है. मुझे भी मेरे पासपोर्ट में या बैंक अकाउंट में माँ का नाम मेरे वाइफ के जगह लिखना पडेगा. तब यह सब पेपर्स जरुरी है. उसके बाद दूल्हा और दुल्हन को यहाँ का मेकअप एक्सपर्ट आकर सजाएँग़े. दूल्हा पहले पूजा में बैठेगा. यहाँ पूजा ख़तम होने तक, वहां दुल्हन को सजाना ख़तम हो जायेगा , और वह आकर दूल्हे के पास बैठेंगी और शादी का असली कार्यक्रम चालू होगा. मैं यह सब पड़ते पड़ते माँ का चेहरा याद कर रही था दुलहन के भेष में वह और प्यारी और खूबसूरत लगेगी. तभी अचानक नानीजी आई और बताया की उनके रूम में जो नया सूट केस है, वह खुल नहीं रही है. नानाजी बाथरूम में थे सो में ही गया. मेरे रूम का नेक्स्ट रूम ही उनका था मेरे रूम जैसा दो बेड है और बाकि सब सुखसुविधा है. माँ फ्रेश होकर एक दूसरी साड़ी पहनके वहां सूटकेस खोलने की कोशिश कर रही थी. वह आज भी अपना आँचल टाइट करके कमर में घुमाके सामने पेट के पास घुसाके के रखी है. उनके शरीर का सब कर्व में वह साड़ी लिपट के उनके बॉडी में लगा हुआ है. उनको देखतेही मेरे अंदर एक इच्छा प्रबल होने लगी. उनको मेरी बाहो में लेकर उनके हर कर्व्स में चुम्बन करने का मन कर रहा था जैसे दिल और दिमाग में यह इच्छा आयी, तभी वह अनुभुति खून के साथ मिलकर दौडके जाकर मेरे लिंग में जान दे दिया. और वह में महसुस किया अपनी अंडरवेअर के अंदर. पर में खुद को कण्ट्रोल किया. मैं अंदर आतेही माँ मुझे देखने के लिए ऊपर की तरफ नज़र उठाई. और जैसे ही मेरे से नज़र मिलि, वह झट से आँख घुमा ली और उनका चेहरा एक ख़ुशी और शर्म के वजह से लाल होगया नानी मुझे वह सूटकेस दिखाके बोली " मेंने और मंजुने बहुत कोशिश कि. फिर भी खुल नहीं रही है".
मैने देखा वह वहि सूटकेस है, जिसमे शादी का सब कपडा वैगेरा है.
मैने सूटकेस के पास अपने घुटनोँ में बैठि माँ को उसको खोलने की कोशिश करती हुई देखके बोला
" मैं देखता हुं"
फिर में आगे जाके माँ के सामने घुटना फोल्ड करके फ्लोर पे एक घुटना टिकाके सूटकेस को पकड़ के बैठ गया. माँ तुरंत अपना हाथ सूटकेस के ऊपर से हटा लिया और वहि अपनी दोनों घुटना फ्लोर पे टिकाके बैठि राहि. उनकी नजर झुकी हुई है. नानी मेरे पीछे है और वह अहमदाबाद से ख़रीदे हुये उस नए सूटकेस की कंपनी के ख़राब चीज़ के बारे में बक बक कर रही है. मैं चुराके माँ को देखते हुए सूटकेस को खोलने की कोशिश किया. माँ समझ गयी की में उनको नानी को छुपके देख रही हु. हमारे बीच केवल एक सूटकेस का फासला है.
सूटकेस का साइड क्लैप टाइट होकर बैठ गया. माँ और नानी प्रेस करके भी खोल नहीं पायी. मैं घुटना टिका के बैठके मेरे दोनों एल्बो से सूटकेस के उप्पर प्रेशर दे रहा हु. और माँ के साइड पे जो क्लैप है उसको खोलेने के लिए कोशिश कर रहा हु. मैं थोडा झुका हुआ हूँ सूटकेस के उप्पर. इस लिए मैं थोडासा थोडे आगे जाकर माँ के और नज़्दीक चला गया. मैं लगातार उनको देख देखके काम कर रहा हु और वह बस केवल घुटना टिकाके दोनों हाथ गोद में रखके नज़र नीचे करके चुप चाप बैठि हुई है. मुझे देख नहीं रही है पर होंठो पे एक हलकी मुस्कान है. मुझे मालूम है वह मेरे लिए ??नानी के सामने मेरी प्रेजेंट के लिए वह शर्मा गयी और नानी के सामने सहज होने के लिए ऐसे शांत होकर चुप बैठि है. नानी पीछे दूसरा सूटकेस जहाँ उनका ख़ुदका और नानाजी का अपना है, वह खोल के नानाजी और उनके लिए कपडे निकाल रही है. मैं पीछे एकबार देखा की नानी अभी बिलकुल हमें देख नहीं रही है. हमारे तरफ उनका पीठ है. सूटकेस का सामान पे उनका ध्यान है. अचानक ऐसा प्रेशर देणे में वह क्लैप खुल गया. एक हल्का आवाज़ निकला. उसमे माँ नज़र घुमा के मेरे हाथ के तरफ देखि और समझ गयी की वह खुल गया. पर म्रेरे अंदर एक बदमाशी चढ रही है. मैं नानी को फिर से देखा वह ऐसे ही बक बक करते रही और कपडे निकालती रहि. संमझ में आया की क्लैप खोलने की आवाज़ उनतक पंहुचा नही मैं मेरे हाथसे वह क्लैप को एकसाथ पकड़के रखा है और उसी पोजीशन में बैठके माँ की तरफ नज़र उठाके सीधा उनकी तरफ देखा. वह भी एकबार नज़र उठाके मेरे तरफ देखि और फिर नज़र झुका ली. मेरी बॉडी एकदम उनके पास ही है. बीच का फासला ज़ादा नहीं है क्यूँकि में मेरी उप्पर बॉडी सूटकेस के ऊपर लाकर प्रेस करके रखा. तभी में जोर से बोला
" नानीजी यह तो टाइट होकर बैठ गया. और प्रेशर लगाना पडेगा."
" मैं तुम्हारी नानी को बताके आया. वह सूटकेस उनके रूम पे है. वह वहां से तुम्हारे नये कपडे लेकर दे जाएंगे."
बोलके जाने लगे तो में सोच के बोला
" नानाजी...यह लोग...."
मेरे बात ख़तम होने से पहले नानाजी मेरी तरफ देखके मेरी बात काट दिया और थोड़ी स्माइल के साथ एक दम साफ लहजे में कहा
" बेटा......पापा.."
मै उनकी यह बात सुनके उनके सामने शर्मा गया. और फिर हल्का हास्के उनसे नज़र हटाके धीरे से कहा
" ठीक है......... पापा..."
नानाजी मुझे उस हालत से निकाल ने के लिए मेरे साथ देणे के लिए वैसे ही शांत इमोशन के साथ कहा
" कहो क्या कह रहे थे"
मेरे अंदर एक तूफ़ान सा चल रहा है. आज पहली बार नाना को पापा बोल दिया. और हमारा यह रिश्ता ज़िन्दगी भर के लिए शास्त्र सम्मत तरीके से कुछ समय बाद से पक्का हो जाएगा. मैंने उनकी तरफ देख के कहा
" वह लोग बताया था की यहाँ आकर पहले पूरा पेमेंट कर देना है. यह मैनेजर तोह उस बारे में कुछ बताया नहि"
नानाजी भी याद किये और फिर बोले
" हा...बताया तो था बुकिंग के टाइम २५% तो ले भी लिया. अब देखते है..ब्रेकफस्ट के बाद शायद बतायेगा. कोई बातनही जब बोलेगा तब दे देंगे"
बोलके नानाजी अपने कपडे लेके बाथरूम में चले गये. मैं अकेला होते ही मेरे अंदर जो शर्म आया था वह धीरे धीरे जाने लगा. और में फिर से वह प्रिंटेड शेड्यूल देखने लगा. आज दो रसम के बाद कल सुबह पहले रजिस्टर्ड साहब आएंगे और माँ और में कागज में साइन करके पहले हम रजिस्ट्री मैरिज करेंगे. यह करना आवश्यक हो गया है आज काल. नहीं तो बहुत सारी जगह पे इनसब पेपर्स के न होने के कारन फ्यूचर में बहुत प्रॉब्लम फेस करना पडता है. इस लिए यहाँ भी यह लोग कानून के मुताबिक सरकारी आदमी लाकर मैरिज पार्टी को यह फैसिलिटी उपलब्ध करवाते। है. चार्ज ज़ादा लेते है, पर सेफ है. मुझे भी मेरे पासपोर्ट में या बैंक अकाउंट में माँ का नाम मेरे वाइफ के जगह लिखना पडेगा. तब यह सब पेपर्स जरुरी है. उसके बाद दूल्हा और दुल्हन को यहाँ का मेकअप एक्सपर्ट आकर सजाएँग़े. दूल्हा पहले पूजा में बैठेगा. यहाँ पूजा ख़तम होने तक, वहां दुल्हन को सजाना ख़तम हो जायेगा , और वह आकर दूल्हे के पास बैठेंगी और शादी का असली कार्यक्रम चालू होगा. मैं यह सब पड़ते पड़ते माँ का चेहरा याद कर रही था दुलहन के भेष में वह और प्यारी और खूबसूरत लगेगी. तभी अचानक नानीजी आई और बताया की उनके रूम में जो नया सूट केस है, वह खुल नहीं रही है. नानाजी बाथरूम में थे सो में ही गया. मेरे रूम का नेक्स्ट रूम ही उनका था मेरे रूम जैसा दो बेड है और बाकि सब सुखसुविधा है. माँ फ्रेश होकर एक दूसरी साड़ी पहनके वहां सूटकेस खोलने की कोशिश कर रही थी. वह आज भी अपना आँचल टाइट करके कमर में घुमाके सामने पेट के पास घुसाके के रखी है. उनके शरीर का सब कर्व में वह साड़ी लिपट के उनके बॉडी में लगा हुआ है. उनको देखतेही मेरे अंदर एक इच्छा प्रबल होने लगी. उनको मेरी बाहो में लेकर उनके हर कर्व्स में चुम्बन करने का मन कर रहा था जैसे दिल और दिमाग में यह इच्छा आयी, तभी वह अनुभुति खून के साथ मिलकर दौडके जाकर मेरे लिंग में जान दे दिया. और वह में महसुस किया अपनी अंडरवेअर के अंदर. पर में खुद को कण्ट्रोल किया. मैं अंदर आतेही माँ मुझे देखने के लिए ऊपर की तरफ नज़र उठाई. और जैसे ही मेरे से नज़र मिलि, वह झट से आँख घुमा ली और उनका चेहरा एक ख़ुशी और शर्म के वजह से लाल होगया नानी मुझे वह सूटकेस दिखाके बोली " मेंने और मंजुने बहुत कोशिश कि. फिर भी खुल नहीं रही है".
मैने देखा वह वहि सूटकेस है, जिसमे शादी का सब कपडा वैगेरा है.
मैने सूटकेस के पास अपने घुटनोँ में बैठि माँ को उसको खोलने की कोशिश करती हुई देखके बोला
" मैं देखता हुं"
फिर में आगे जाके माँ के सामने घुटना फोल्ड करके फ्लोर पे एक घुटना टिकाके सूटकेस को पकड़ के बैठ गया. माँ तुरंत अपना हाथ सूटकेस के ऊपर से हटा लिया और वहि अपनी दोनों घुटना फ्लोर पे टिकाके बैठि राहि. उनकी नजर झुकी हुई है. नानी मेरे पीछे है और वह अहमदाबाद से ख़रीदे हुये उस नए सूटकेस की कंपनी के ख़राब चीज़ के बारे में बक बक कर रही है. मैं चुराके माँ को देखते हुए सूटकेस को खोलने की कोशिश किया. माँ समझ गयी की में उनको नानी को छुपके देख रही हु. हमारे बीच केवल एक सूटकेस का फासला है.
सूटकेस का साइड क्लैप टाइट होकर बैठ गया. माँ और नानी प्रेस करके भी खोल नहीं पायी. मैं घुटना टिका के बैठके मेरे दोनों एल्बो से सूटकेस के उप्पर प्रेशर दे रहा हु. और माँ के साइड पे जो क्लैप है उसको खोलेने के लिए कोशिश कर रहा हु. मैं थोडा झुका हुआ हूँ सूटकेस के उप्पर. इस लिए मैं थोडासा थोडे आगे जाकर माँ के और नज़्दीक चला गया. मैं लगातार उनको देख देखके काम कर रहा हु और वह बस केवल घुटना टिकाके दोनों हाथ गोद में रखके नज़र नीचे करके चुप चाप बैठि हुई है. मुझे देख नहीं रही है पर होंठो पे एक हलकी मुस्कान है. मुझे मालूम है वह मेरे लिए ??नानी के सामने मेरी प्रेजेंट के लिए वह शर्मा गयी और नानी के सामने सहज होने के लिए ऐसे शांत होकर चुप बैठि है. नानी पीछे दूसरा सूटकेस जहाँ उनका ख़ुदका और नानाजी का अपना है, वह खोल के नानाजी और उनके लिए कपडे निकाल रही है. मैं पीछे एकबार देखा की नानी अभी बिलकुल हमें देख नहीं रही है. हमारे तरफ उनका पीठ है. सूटकेस का सामान पे उनका ध्यान है. अचानक ऐसा प्रेशर देणे में वह क्लैप खुल गया. एक हल्का आवाज़ निकला. उसमे माँ नज़र घुमा के मेरे हाथ के तरफ देखि और समझ गयी की वह खुल गया. पर म्रेरे अंदर एक बदमाशी चढ रही है. मैं नानी को फिर से देखा वह ऐसे ही बक बक करते रही और कपडे निकालती रहि. संमझ में आया की क्लैप खोलने की आवाज़ उनतक पंहुचा नही मैं मेरे हाथसे वह क्लैप को एकसाथ पकड़के रखा है और उसी पोजीशन में बैठके माँ की तरफ नज़र उठाके सीधा उनकी तरफ देखा. वह भी एकबार नज़र उठाके मेरे तरफ देखि और फिर नज़र झुका ली. मेरी बॉडी एकदम उनके पास ही है. बीच का फासला ज़ादा नहीं है क्यूँकि में मेरी उप्पर बॉडी सूटकेस के ऊपर लाकर प्रेस करके रखा. तभी में जोर से बोला
" नानीजी यह तो टाइट होकर बैठ गया. और प्रेशर लगाना पडेगा."