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Adultery मिस्टर वारिस - Adultery, Incest, Thriller

कहानी के लिये क्या सुझाव है?

  • बहोत अच्छी

    Votes: 43 62.3%
  • अच्छी है

    Votes: 20 29.0%
  • ठीक नही

    Votes: 1 1.4%
  • कुछ कमियां है (कमेंट में बताएंगे)

    Votes: 3 4.3%
  • लिखना बंद कर दे तु!!

    Votes: 2 2.9%

  • Total voters
    69

mkyc

Member
110
154
43
Season 1 || Episode 3
कहानी आगे…


मुह बाहर आकर जैसे ही मैंने सामने मुह देखा तो थोड़ा पहचाना पहचाना लगा। मुझे देख उसके हाथ का पेनड्राइव नीचे गिर गया। उसको शॉक लग चुका था 500 हॉल्ट का। मुझे मालूम है ये विज्ञान के परे है पर आप सिर्फ भावनाओ को समझो, ठीक है!? उसकी हालत यमदेव सामने खड़े है और,"पुत्री तुम्हारा समय निकट आ गया है, हमारा हाथ पकड़ लो हम यमलोक की ओर प्रस्थान कर रहे है।" बोल रहे है ऐसे गिरे, चीरे, फैले मुह का नक्शा बता रहा था। मैं तो अभी भी उसी चेहरे और आवाज को पहचानने की कोशिश कर रहा था कि मेरा फोन बजा।


"हेलो,कौन?"


"अबे जुनैद बोल रहा हु भोसडी के, नम्बर डिलीट कर दिए हो क्या?" वो।


"अरे जुनैद, बोल बे चूतिये, कहा है, सॉरी नंबर नही देखा तेरा।" मैं।


" गांडू, दो दिन बाहर क्या गया, तू तो निकल लिया मुझे छोड़।" जुनैद।


"अरे वो लंबी कहानी है, वो छोड़ तेरा पिकनिक कैसा रहा, मा को कॉल किया?" मैं।


जुनैद फफफ़ करने लगा, " ओ ओ ओ शीट, नही बे, अभी तो लग गए,यार तू ही है बस, अभी भूल जाता तो इस महीने का पॉकेटमनी नही मिलने वाला था। तो मिल बाद में मैं अभी कॉल रखता हूं। " इतना बोल फोन कट गया।


मैं फिरसे घूम रूम के सीन में आया। मैं सामने वाली औरत से कुछ पूछता उससे पहले उसका फोन बजा और उसने झट से उठाया," हा जुनैद बेटा…..!" वो बाहर निकल गयी वही बहाना लेकर।


वो तेरी मा का भोसड़ा मारू। अभी दिमाग जला की ये औरत और इसकी आवाज जानी पहचानी क्यो लग रही है। ये मेरे रूममेट की अम्मा है। अक्सर वीकेंड में जुनैद से मिलने आया करती थी। करीब स्कूल से हम लोग एकसाथ है तो ये मुझे काफी जानती थी।


रुको रुको रुको!!! ये मुझे काफी अच्छे तरीके से जानती थी? मुझे….काफी ….अच्छेसे जानती थी? मैंने मेरे लन्ड पे सोई दादी के बाल पीछे से नोचे और कान में बोला, "क्यो बे रंडी, क्या प्लान था तेरा। ये औरत मेरे साथ इतने दिनों से है। मेरे लाइफ के हर मोड़ का इसे मालूम है। वही औरत तेरी खास नोकर है। अचानक से तुम्हारे मुह से मेरे लिए जिक्र हो जाता है ""गलती"" से नानी के सामने और मुझे बुलाने के लिए तुरंत मेरा नंबर जो मेरे ओपन पब्लिक डोमेन (जिसका कोई भी जानकारी निकाल सके ऐसी स्थिति) में नही है तब भी तेरा कॉल मुझे आता है ये कोई इस्तफ़ाक नही हो सकता, है ना!!? क्या प्लान है तेरा? बेटा भी शामिल होगा ही। बहन जो अमीर ठहरी, लूटना तो तू छोड़ेगी नही। अब इतना समझ ले, तेरे कल के आँसू मगरमच्छ के थे पर आजसे तेरे लिए मगरमच्छ मैं हु, जब चाहू काटूंगा ,जब जाहु पेलूँगा। सम्भालीयो खुदको अभी।"


इतना बोल मैं तैयार होकर गाड़ी लेकर निकल होटल गया। 15 माले की होटल थी । एक बाजू एंट्रेंस और दूसरे बाजू मॉल। मेरे बारे में तकरीबन सारि ऑफिसों को बोला गया था तो मुझे बाइज्जत मेरे रूम तक पोहोचाया गया। मेरे साथ होटल की मैनेजर रेखा थी।


रेखा: 32 से 35 साल की मिडल एज औरत। फिगर एक मिडल क्लास हाउसवाइफ जैसा ही। नानी की चॉइस है ये देख कर ही मालूम पड़ रहा था।


मेरा मुड उसे देखकर ही गिर गया पर उसने अपने इरादे पक्के किये थे। वो एज जनरेशन का गैप पूरा मिटाने की कोशिश में पूरी जान लगा रही थी। स्लीवलेस ब्लाउज वो भी छाती की ऊपर की तरफ चाँद कोर के गलिया दिखाता हुआ, क्योकि साड़ी को उसी के दर्शन के लिए बाजू किया गया था। पेट खुला था, पीठ आधी खुली थी। बाकी स्टाफ को देख इतना तो मालूम पड़ रहा था कि ये ड्रेस कोड तो है नही। पर मैं भी प्रोफेशनल की तरह इस चीज को नही ज्यादा गौर किया, झूटमुठ ही सही।


दोपहर खाना खाने के बाद मुझे एक स्टाफ होटल के एडमिनिस्ट्रेशन में लेकर गया। और मेरा केबिन दिखाया। केबिन के अंदर अलिशान ऑफिस था मेरा। टेबल, कम्प्यूटर, एक बाजू दारू की कबर्ड। टेबल पर एक चिट्ठी थी। मेसेज और मेल के जमाने मे नानी के अलावा ये हरकते कोई नही कर सकता था।


" आजसे ये तुम्हारा राज सिहासन है। होटल और मॉल हमारे प्राइम प्रॉफिट स्टेशन है। रियल इस्टेट और ब्यूटी पार्लर का भी हेडऑफिस वही है। तुम्हारे नाना का ऑफिस है वो। उस कुर्सी का ख्याल रखना। अभी ब्यूटी पार्लर तुम्हारी माँ और और बड़े मौसा रियल इस्टेट देख रहे है, पर बोर्ड डायरेक्टर में आते ही मेरे सारे हक तुम्हारे हो जाएंगे तो तुम सबके एक हाथ मालिक और वो… रहने दो। छोटे मौसा ने नशे के चक्कर मे करीब करीब होटल डुबाना चालू किया है। तो चलो जलवा दिखाओ अपना। साबित करो अपनी जगह। मेरे आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।"


नानी की दुनियादारी बहोत ही सिखनेवाली थी। एक ऐसे इंसान को अपनी पूरी ताकद सोप दी जिसको 48 घण्टे जानती हो और इतने साल साथ है उनके हाथ मे कुछ नही? इतनी क्या नाराजगी? बड़ा पेचीदा मामला है इस घर का।


मुझे दिया हुआ कमरा काफी बड़ा था, वीवीआइपी लॉन्ज की तरह। रेस्ट्रोरेंट में खाना खाकर मैंने रेस्ट्रोरेंट स्टाफ से तारीफ के आड़ में अपनी पहचान बढ़ाई। बहोत से सीनियर स्टाफ जैसे मेरे मा की बुआ की उम्र के थे पर घुलमिल कर रहने वाले थे। 24 घंटे के भीतर ही मेरा होटल, रेस्ट्रोरेंट स्टाफ से अच्छा रिश्ता बन गया। पर जब भी नया डायरेक्टर आता है तो नियम और स्टाफ दोनों बदलते है इस डर से बहोत से स्टाफ डरे है थे, ज्यादातर मैनेजर लेवल। ये लोग दूसरे डायरेक्टर के चमचे होते है। रेखाजी बार बार मुझे छोटी छोटी बातों के लिए पूछती रहती। मेरे शरीर से घिसती रहती। अपनी हवस जितनी छिड़क सके उतनी छिड़क रही थी।


करीब करीब शाम के 7 बजे थे। रेखा अभी भी होटल में दिखाई दे रही थी। मैंने रिसेप्शन से पूछा कि ,"पहला ड्यूटी 6 को खत्म हो जाता है तो ये यहां क्या कर रही है।" रिसेप्शनिस्ट भी ड्यूटी बदल आई थी। उसे मालूम नही था कि मैं मालिक हु, उसने क्या सोचा और बिना डरे जवाब दिया । तो रिसेप्शनिस्ट बोली," रेखा मैम का एक साल पहिले ही डिवोर्स हुआ है। तो बड़ी मेम ने उनको यही स्टाफ रूम दिया है। उनका कोई रिश्तेदार यहां नही रहता, न कोई संतान है।"


मैं, "पर डिवोर्स के बाद पति से कुछ नही मिलता या मिला!?"


" बोला जाता है होटल के CEO विश्वास (छोटे मौसा) सर के साथ अवैध संबंध थे तो कोर्ट में उसके पतीने उल्टा इससे पैसा लिया कि उसके साथ धोखा हुआ है। वैसे वो सही था, जल्दी पैसे कमाने के चक्कर मे बेवफा बन गयी। अय्याश औरत मालूम पड़ती है,।" वो मेरे कान में फुसफुसाई।


"तुम्हे कैसे मालूम", मैं शोक वाला मुह बनाके पूछा।


"अरे इसके चाल चलन से समज आता है, मैं भी 28 साल की शादी शुदा हु। औरत ओ भी शादी शुदा और मिडल क्लास की। अमीर लोगो से फ्लर्ट करना वगैरा वगैरा। इस चक्कर मे केमेरा में विस्वास सर ने पकड़ा। और फिर क्या, इसने उनको भी आड़े में लिया। पर बदनसीब थी कि ये जिस होटल में गयी थी गुलछर्रे उड़ाने वहाँपर उसका पति किसी काम से गया था और ये रेंज हाथ पकड़ी गई। मालिक ने और पति ने एक साथ हाथ छोड़ा। औरत है इसका मांन रखते हुए बड़ी मेम ने मद्त कर दी।ऐसे तरीके आम बात है जल्दी पैसा कमनेवालो में । " वो एटीट्यूड में बोली इसबार।


* तभी नानी ने घर की इज्जत बचाने के लिए ये व्यवस्था की। है भगवान कहा फस गया हूं मैं।*


वो आगे," अभी कोई नया मालिक आया है। उसकी साथ वाले स्टाफ बोल रहे है कि वो बड़ी घबराई है। अभी के मालिक जवान है और इसके कारनामे सुन इसको अगर यह से निकाल दे तो इसका कोई ठिकाना नही है।"


ये लड़की , औरत जो भी है मुझे नया स्टाफ समझ फ्रेंक हो रही थी" अच्छा! मतलब अभी आपके लिए नए मालिक का रास्ता साफ है।"मैने टोंट मारा।


शर्माते हुए बोली," ऐसी बात नही है, पर मिडल क्लास शादी शुदा औरतो को कौन सा अमीरजादा देखेगा। अमिरियत किसको पसंद नही।"


मैं," जी मैं हु ना!!"


वो थोड़ा हड़बड़ी और गुस्से में बोली," तू होश में है?...तुम्हारी औकात होटल मैनेजर की…"


तभी रेखा आई "बॉस, कुछ चाहिए था? आप को कुछ चाहिए तो बता देना। मैं आपको स्पेशली लाके दे दूंगी।" काफी ज्यादा मेहनत कर रही थी करियर बचाने के लिए बिचारि। इमेज खराब न होती तो ऐसे मेहनत करनी ना बनती। उसने रिसेप्शनिस्ट से कहा," सीमा है हमारे नए बोस है, विकि। और बोस ये नाइट रिसेप्शनिस्ट है सीमा।"


मैं," हैलो सीमा" मैने हाथ आगे किया।


सीमा के माथे पर एसी में भी पसीना आया था। रेखा के मन का भय अभी बुखार की तरह इसके शरीर पर भी हावी हो गया था। मैं तो इस बात से परेशान था कि मुझे होटल दिया है चलाने को या रंडी खाना। रेखाजी ने उसे होश में लाया और कांपते हाथो से सीमा ने हैंडशेक कर दिया।


मैं," रेखाजी, अभी 7 बजे है। ठीक 7.30 बजे मेरे ऑफिस पर आइये,कुछ जरूरी बात करनी है।"


रेखा ने मुह से थूक निगल ली। उसके पैर के नीचे से जैसे जमीन खिसक गई हो। एक समय के लिए सीमा और रेखा ने एकदूसरे को बड़ी दुखद वेदना भरे भाव से देखा।



7.30 बजे…


"में आई…"


"आइये रेखा जी।"


इसबार रेखा जी असली ड्रेस कोड में थीं । गर्दन तक और हाथ ढका ब्लाउज। पूरी साड़ी ओपन बॉडी पार्ट ढके हुए। उनके सिक्के खोटे निकल गए थे।


"क्या काम था सर" रेखाजी।


** आवाज में डर और इज्जत दोनों थी।**


"रेखा जी ज्यादा घुमाने की आदत नही है मुझे। अभी तक आपको मालूम हुआ रहेगा कि आपके यह से जाने का वक्त…." मैं पूरा बोलने से पहले ही वो गिड़गिड़ाने लगी।


"सर सर बोस, ऐसा मत करो। मैं बर्बाद हो जाऊंगी। मैं कहि की नही रहूंगी। इस उम्र में कही जॉब नही मिलता इस शहर में। मेरी मति मारी गयी थी कि मैंने .. उह।मुझे माफ् करदो सर, आपसे लॉयल बनके रहूगी ,"वो करीब करीब घुटनो पर आ गयी।


"मैनेजर हो, पूरी बात सुन लिया करो। मैं कह रहा था कि आपका जाने का वक्त '''' अभीतक नही आया है ।'''' आप खामखा आगे का सोच रहे हो। (गद्दारी हो सकती है पर नए मालिक के तौर पर पुराने अनुभवी स्टाफ की भी उतनी ही जरूरत है। बस बात उसको अपने झांसे में लेने की थी) बस अबसे जैसे बोले हो वैसे लॉयल कुत्ते की तरह रहना। मेरे से गद्दारी जान ले जाएगी।


"जी बोस" थोड़े राहत की सांस लेते हुए सीधे मेरे पैरों को पकड़ ली। मैंने उसको दो हाथो से उठाया।


" तुम कैसी थी ?( मैं उसके हाथ से कंधे तक अपने हाथों से मसल रहा था) क्या थी? क्यो थी? इससे महत्वपूर्ण मुझे है कि इसके बाद तुम किस तरह रहोगी। (मेरा हाथ घूमते हुए उसके चुचो पर आ गया। उसकी सिसकी निकल गयी।)


वो वैसे ही हाथ नीचे कर स्टाफ अटेंशन में खड़ी थी।उसके पैरों के उंगलिया उसकी हवस को कंट्रोल करने का प्रयत्न साफ साफ बया कर रही थी। मैंने उसके निप्पल मसले ब्लाउज के ऊपर से ही," मुझे गद्दारो से नफरत है मेरे । तुम ये जमा लो बात अपने दिमाग मे। " इतना बोलते हुए मैंने उसको गले मे लगा कर पीठ से गांड मसलने लगा। उसकी गर्म सांसे मेरे गर्दन को छू रही थी। मैंने ऑफिस सोफे पर लन्ड निकाल कर बैठ गया। मैं आगे," हर बात मुह से बोलना मेरी आदत नही, कुछ बाते इरादों से समझा करो। जनरेशन गेप दिखा तो होटल का दरवाजा दिख जाएगा।"


उसने सीधे मेरे लैंड को चूसना चालू किया। मैं उसके कंधे को और क्लेवज को मसल रहा था।काफी देर मुह से लॉलीपॉप खींचते हुए उसने मेरा पानी निकाल दिया। मैं खड़ा होकर तैयार हुआ और उसको बोला,"आज रात रिसेप्शन तुम देखो। सीमा को मेरे रूम में विस्की का ट्रे लेके भेज दो।


वहां से हम दोनों अपने अपने जगह गए। मैं रूम में जाकर दरवाजा खुला रख दिया। मैं बेड पर था।


सीमा" सर में आय कम इन।"


मैं," जी आइये।"


मुझे ढूंढते ढूढते वो अंदर तक आई। उसके मुह से कुछ निकल नही रहा था। वो तय कर ली थी कि आज खत्म कहानी। पर जैसे वो आई मैंने खड़ा होकर एक ग्लास बनवाया। वो गर्दन नीचे कर अपने स्टाफ कोड में खड़ी थी।मैंने एक पेग पिया और दूसरा उसके छाती के ऊपर डाल दिया। मेरी इस हरकत से वो हड़बड़ाई।


सीमा" सर ये आप…"


"क्या सर? तुमने की बोला कि किस अमीरजादे को मिडल क्लास की शादी शुदा औरत क्यो पसंद आएगी। तो मैं भी सोचा कि जरा मैं भी टेस्ट कर लू।"और मैंने उसके गाल को चांट लिया। वो सिहर गयी। मैंने उसकी साड़ी निकाली। और उसको जांघ पे बिठाया और उसको दारू पिलाने बोलां।


"पति क्या करता है?" मैं। मेरे सवाल से वो चौक सी गयी। वो," फेक्ट्री में है।"


आसान सी बात थी इनके गरीबी की।मैं दारू का सिप लेते लेते उसके पति और उसकी लाइफ के बारे में बात कर रहा थाम इसी बीच उसका ब्लाउज और ब्रा दोनों निकल गयी थी। थोड़ी देर चुचे मसलने के बाद उसको खड़ा किया और पूरा नंगा बना दिया और मैं भी नंगा बन गया। मेरा शरीर और लन्ड देख उसके होश तररर हॉट गए। औरत 28 की सुडौल थी। गोल भरे चुचे, राउंड उभरी गांड, ताजा शरीर।


उसको लेके बेड पर जा गिरा। मैं निचे और वो ऊपर थी।उसके दो पैरो के बीच लन्ड घुस गया था।उसका मुह लाल पड़ गया था। बिना समय गवाए उसके चूत में लन्ड डाले उसको चोदना चालू किया।


उसको हर तरह से चोद रहा था। वो पहले संकोच में थी पर फिर मजे लेंने लगी।


आह आह उम्म फक उम्म आह मममममम ऊ उ आह आह फक बेबी फक आह फ़ास्ट हहह आह


पहली राउंड में वो डाउन होकर गिर तक गईं। 8.30 बजे थे।वो उठी और कपड़े लेके पहनने लगी। उसको लगा कि हो गया जितना होना था ।


"मैंने तुमको जाने को कहा? " मैं 13 वे मंजिल के बालकनी में सिगरेट पीते नंगा बैठा था। उसको भी मैंने वैसे ही नंगा वहां बुलाया। वो आके मेरे सामने खड़ी हुई। मैंने उसको मेरे लैंड पे बैठने बोलै। वो आहिस्ता मेरे लन्ड पे बैठ गयी। और मेरे छाती पर झोंक दी अपनी पीठ।


"कैसे लग रही है अमिरियत?"


उसकी गर्दन नीचे थी। अमिरियत सिर्फ पैसा नही होती ये उसको मालूम पड़ चुका था। मैने नीचे से हल्के धक्के चालू किये। समय निकलते निकलते मैं उसको बालकनी के सोफे पर ही उड़ा उड़ा के चोद रहा था। काफी समय बाद मेरा निकलने वाला था। मैं उसको बोला पर वो इतना थक गई थी कि कुछ जवाब ही ना दे पाई। मैंने आख़िर में मेरा वीर्य उसके चूत के अंदर ही छोड दिया।चुत की गर्मी ने उसे होश में लाया। पर अभी चिड़िया चुभ गयी खेत।


वो उठ के बाथरूम जाके फिरसे नंगी बेड पर आई और मैंने रातभर उसे चोदा। सुबह वो मुझे बिलग के सोई थी जैसे मेरी वाइफ हो। मैंने उसे माथे पर चुम के उठाया। वो हल्की मुस्कुरा गयी।


"देखा अमीरजादे मिडल क्लास की औरतों को भी पसंद करते है"मैं। मेरी बात से वो शर्मा गयी। मैंने उसका मुह अपने मुह की तरफ कर उसके ओंठ चूसने लगा। वो निचेसे मेरे लन्ड को तराश(BJ) रही थी। सुबह सुबह दो राउंड चुदाई कर मैंने उसको घर जाने के लिए छोड़ दिया।

---------और आगे-------------

रेखा को छोड़ सीमा को क्यों लपकाया विकि ने हवस के खेल में? लगाइये अंदाज.उससे पहले लाइक करो थ्रेड, शेअर करो थ्रेड और मुझे फॉलो करो XFORUM पर.
इतना चुदाई दिखाना कहानी को ओवर बनाता है
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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J
Season 1 || Episode 1
इस कहानी की शुरुवात होती है असल मे मेरी पारिवारिक इतिहास से पर मै इस कहानी को उस जगह से शुरू करना चाहता हु जहा से मुझे इस कहानी का पता चला । नमस्कार दोस्तों , मेरा नाम विकास (विकि ) और मै आज मेरे जिंदगी गई गंदगी आपके सामने बया करने जा रहा हु।


कोविड के बाद मेरे कम्पनी का काम घर से होता था। वैसे मैं बचपन जे होस्टल में ही रहा हु। बचपन मे मा बाप का तलाक होने के बाद मुझे होस्टल का रास्ता दिखा दिया गया। कुछ सालों बाद दोनों ने अलग से अपना संसार बना लिया नई शादी करके और मैं तो जैसे अनाथ ही हो गया। पर सबसे ज्यादा महसूस तब होने लगा जब मुझे होस्टल ने रूम खाली करने के लिए कहा। जाहिर सी बात थी कि नए स्टूडेंट्स के लिए रूम देना होस्टल का काम था।


उस समय मेरी उम्र २५ की थी और बार, होटल, स्ट्रीट फाइट और न जाने किस किस जगह पे काम कर मैं कम्प्यूटर साइंस की डिग्री तक पढ़ाई खत्म कर चुका था। कोविड खत्म होते होते एक विदेसी कम्पनी में जॉब का इंटरव्यू दिया था। बेरोजगारी कम थी कि होस्टल छोड़ने की नोटिस आगयी। नई मुसीबत आन पड़ी। पढ़ाई के लोन सर पर थे।हफ्ते भर का समय था मुझे होस्टल छोड़ने के लिए।


सारा सामान बंधवा कर मैंने गिने चुने होस्टल मेट्स से बिदाई की रस्म पूरी कर आया। कम खर्चे का घर हमारी शहर में ढूंढना मतलब बड़ी ही परेशानी वाली भागदौड़ थी। फिर भी पूरा आत्मविश्वास जुटा कर मैं घर ढूंढने लगा। पर कहते है कि भगवान के घर देर है पर अँधेर नही । हताश होकर मैं सातवे दिन अपने नसीब के भरोसे होस्टल से निकल पड़ा और रास्ते पर आते ही मुझे एक कॉल आया।


" विकि?"


एक चालीस पैतालीस साल की औरत का फोन था।


"जी बोल रहा हु, आप कौन?"


"मैं मिसेस कल्कि झुनझुनवाला, आप प्रमिलादेवी के ग्रैंड सन हो ना?"


प्रमिला देवी… इस मुसीबत को मैं कैसे भूल गया। बदनसीबी से ये मेरे दादी है। मेरे महान पिताजी की माताजी। इनके पराक्रम ऐसे है कि मेरे पिता जी इनके तीसरे पति के इकलौते बेटे। पहले दो पति का, उनका इनके पति होने का कोई कायदे का प्रूफ नही है, बात समझ रहे हो ना? नस्ल की बेहया और अय्याशी में मगरूर औरत है ये। मेरे मा बाप का डिवोर्स होने में इनके महत्वपूर्ण योगदान है। इनका पोता होने से अच्छा मैन अनाथ होकर जीना पसंद किया इससे ही आप समझ जाओ इनकी क्या वैल्यू है मेरी जिंदगी में। अब इन्होंने क्या नई मुसीबत खड़ी की है वो देखते है।


" माफ कीजिये, मैं ऐसी किसी औरत को नही जानता, अपने गलत जगह फोन लगाया है। WRONG NUMBER………"


इतना कहकर मैंने फोन रख दिया। पर कुछ समय बाद उसी नंबर से फिरसे कॉल आया। पर इसबार फोन पे कोई और था। इतनी भी सोचने की बात नही है, माननीय श्रीमती प्रमिलादेवी खुद अपने गटर भरे मुह से मेरे कानों में टपक पड़ी थी।


" विकि बेटा.."नशे में धुत आवाज ।


"क्यो परेशान कर रही है आप मुझे, आपके बेटे ने कब का आपसे रिस्ता तोड़ दिया है और आपके कृपा से मुझसे भी। और क्या छीनना चाहते हो…!?"


मेरा गुस्सा चरण पे था। मिस कल्कि झुनझुनवाला ने बीच मे आते हुए मुझे समझाने की कोशिस की,


" देखो बेटा, तुम्हारा गुस्सा जायस है और मैं आप लोगो के पारिवारिक मामले में टांग नही अड़ाऊंगी। मैंने तुम्हें इसी लिए कॉल किया था कि ,तुम्हारे दादी के करोड़ो रूपये के कर्ज बाकी है। उसे देने के लिए उन्होंने आपका नाम बताया। मुझे मालूम है कि यह इतनी आसान बात नही, पर तुम्हारे दादी के और मेरे पति के 'पुरानी' जान पहचान के चलते कुछ सोचा है मैंने, बस तुम आज शाम को मुझे मेरे पते पर मिलने आ जाना।


अभी मेरा माथा ठनका, मैं गुस्से में ही बोला," मुझे उनसे कोई लेनदेन नही है,.....।"


मिस कल्कि," हम आपको पूछ नही रहे है, बता रहे है। अगर सीधे से नही आओगे तो मेरे लोग लेने आ जाएंगे।मैं फोन रख रही हु।"


मुसीबते आती है तो पूरी बारात लेके आती है। मुझे बिना झंझट का ये मैटर खत्म करना था इसलिए दिनभर रूम के लिए भटक कर मैं झुनझुनवाला के पास चला गया। शहर के व्हाइट कॉलर सबसे महंगे एरिया में एक बंगले का पता था वो। मैं आने वाला हु यह सेक्युरिटी को पहले से ही पता था। उन्होंने बिना नोकझोक मुझे अंदर भेज दिया।


मैं जिस समय गया था उस समय वहां घर मे कोई नही दिख रहा था। मैं बडेसे दरवाजे के सामने जाकर घंटी बजाई।दरवाजा एक मोटीसी मध्यम आयु की एक महिला ने खोला। उसने करीब करीब साड़ी पहन रखी थी। करीब करीब इसलिए कह रहा हु क्योकि उसने साड़ी क्यो पहनी थी इसमे ही मुझे कुछ लॉजिक नही दिख रहा था। वैसे भी वो बहोत ज्यादा ब्लाउज परकर के दिख रही थी। 40 44 40 की बला मेरे मुंह से कुछ निकलने से पहले ही मुझे खींच कर हॉल के कॉर्नर में सीढियो के नीचे के एक रूम में लेकर गयी और दरवाजा बंद कर दिया।


" तुम्हे अकल नही क्या? तेरे मेनेजर को बताया था कि अड्रेस के पीछे के बाजू से भेजने को, तू सामने से क्यो आया?" वो।


मुझे उसकी बातें समझ नही आ रही थी।उनका चेहरा जाना पहचाना लग रहा था पर ध्यान में नही आ रहा था। गिन चुन के कुछ शब्द जमा कर बोलने ही वाला था उतने में उन्होंने अपने कपड़े उतारना शुरू किया। एक 50 साल की औरत मेरे सामने नंगी खड़ी थी। कॉलेज में रंडिया बहोत चोदी थी पर ऐसा कोई सिन कभी नही जिंदगी में आया था।



उसने देखते ही देखते मेरे ऊपर सांप की तरह रेंगना चालू कर दिया। मेरे पेन को आधा नीचे कर हिलाना चालू कर दिया और देखते ही देखते चूसने भी लग गई । उसे किस बात की जल्दी थी , असलियत मे ये रंडीबाज है कौन? इसका मुझे कुछ मालूम पता नहीं हो रहा था । मै बर्फ की तरह स्तब्ध था।


अचानक से कुछ गाडियोकि आवाज आई और वो कपड़े जमा कर भाग गई। मैं तो जैसे पगलाने के कगार पे था। मैंने फिरसे एकबार पता चेक करने के इरादे दे सवर के बाहर आया तो दरवाजे पे बारात खड़ी थी।


"विकि बेटा"


आवाज थोड़ी बहोत पहचान की लग रही थी। कुछ कुछ झुनझुनवाला की जैसी। मैं कुछ बोलता उसके पहले वो मेरे गले आके मिली।


"तुम कब आये?" वो।


मैं ये सब सपने की तरह देख रहा था। पर वो जैसे बरसो से जानती हो ऐसे पेश आ रही थी।


"आगये हो तो , तुम्हारी पहचान करवा दु तुम्हारी 'फैमिली से' " वो।


आखरी वाले शब्द जहर जैसे चुभ गए। फिर भी, चलो मिलते है मेरी सो कोल्ड फेमिली से। इनके इरादे देख लगता है आज इस अनाथ को गोद लेने का प्रोग्राम रखा हो । सभी बड़े डायनिंग पे जमा हो गए। माफिया वाला फील आ रहा था।


मेरे सामने कुछ 10 15 लोग खड़े थे। बड़ा महल ,बड़ी फेमीली। उस मे एक चेहरा धुंधला धुंधला पहचान का लग रहा था। पर कुछ सोच पाउ उससे पहले इंट्रो चालू हुआ।


ये है,


यशवंत: बड़े मामा , 48 साल, घर का बिजनेस।

शाश्वती: बड़ी मामी, 45 साल , हाउसवाइफ।

रितु: बड़ी बहन , 30 साल, बड़े मामा मामी की बेटी, संसार छोड़ आई हुई।


नीलम: बड़ी मौसी 45 साल, हाउसवाइफ।

निलेश: बड़े मौसा 42 साल, घरेलू रियल इस्टेट बिजनेस।

नीतू: बड़ी बहन,


सरिता (सरु): छोटी मौसी, 35 साल, घरेलू बिजनेस।

विश्वास: छोटे मौसा,38 साल, घरेलू होटल बिजनेस।

(कोई संतान नही)


अभी आया हार्ट अटैक मोमेंट*


ये है तुम्हारी माँ , सुशीला देवी (उम्र 40, घरेलू ब्यूटी पार्लर बिजनेस)

और ये सौतेले पापा , चेतन, उम्र 35 साल।


"कोई संतान नही"


किसी बच्चे को तड़पाने का नतीजा भगवान इनको देना ही था। बारातियों का परिचय हो चुका था। अभी आगे,


और मैं तुम्हारी माँ की माँ तुम्हारी नानी " शर्मिलादेवी झुनझुनवाला।"


"अभी गोल गोल बाते न घुमाते हुए सीधे मुद्दे पे आते है। तुम्हे यहां बुलाने का मतलब सिर्फ फेमेली ही नही , उसके साथ कि जिम्मेदारी भी है।"


मैं मिश्किल ओठो में हस दिया। सबके चेहरे शोक में हो गए। दादी ने भी हल्की एटीट्यूड स्माइल देकर बात चालू रखी।


" जैसे कि तुम देख ही सकते हो कि इस परिवार का वारिस बने ऐसा कोई है नही। अब ये जगह तुम्हे भरनी है। थोड़ी बेशरम फेमिली लगी होगी तुम्हे ये पर हालात के मद्देनजर थोड़ा प्रेक्टिकल सोच लो। अगर तुम वारिसदार नही बने तो झुनझुनवाला एम्पायर होटल बिजनेस से बाहर हो जाएगा। दर असल तुम्हारे मामा के बाद घर मे कोई और नही है जो इस जगह के लिए कोलिफाइड है। तुम्हारे पिता, जन्मदाता पिता को भी इसके लिए मनाया गया पर तुम्हारी माँ के साथ हुए झगड़े में वो दूसरे गुट से मिल हमारे एम्पायर को तोड़ना चाहेंगे। हमसे पहले तो नही पर अब के बाद वो भी ये ऑफर तुम्हे जरूर देंगे। खानदानी दुश्मनी जो ठहरी।"


तभी वही औरत जो हवस में डूबी मुझे खाने के लिए टूट पड़ी थी वो अचानक से ऊपर से नीचे उतरते हुए आई।


नानी," इनकी पहचान करना रह गया। ये महोतरमा है आपकी दादी, आपके सगे पापा की माँ, मेरी बहन।"


बहन? दादी? जो औरत मेरा लन्ड मुह में लेके मेरा स्वागत की वो मेरी दादी थी।


है भगवान, है कहा रे तू 🎼🎼


नानी" तुम करीब करीब आधी नस्ल से हमारे वंश नियमोके आधीन हो। शिक्षा से भी उच्च शिक्षित हो। स्वयसुरक्षा के भी गुण है तुममे। बस एकबार मान जावो तो फेमिली रजिस्ट्रेशन के बाद तुम सितारा होटल्स के मैनेजमेंट टेस्ट के लिए कोलिफाइड हो जावोगे।"


मैं गला खराष्ते हुए," नानी, आपको नानी इस लिए बोल रहा हु क्योकि किसी इरादे क्यो ना बुलाया हो आपने पर अच्छा लगा मुझे आपका अपनापन। मैं आपका वारिसदार बनने के लिए कुछ शर्तों से तैयार हूं पर पैसो के लिए या जायदाद के लिए मत समझना।


नानी," नही नही, तुम्हे पैसो की लालच नही ये जानती हूं। पूरा बैकग्राउंड चेक की हु। इसलिये तो तुम्हे चुना गया है। घर की बेटियों को ऐशो आराम से फुर्सत कहा।तुम शर्त बतावो…"


" पहली और जरूरी बात, इस घर से पेपर के अलावा कोई नाता नही है मेरा। खास कर इन (मा, सौतेले पापा की तरफ उंगली करते हुए और दादी की और उंगली करते हुए) लोगो से। कैसे भी हो, फेमिली से गद्दारी मुझे पसंद नही । और इसी कारण से ये वारिसदार का ऑफर मैं मान रहा हु क्योकि, सामने वाले ने मेरे पैदा होने के साथ ही बहोत सारी गद्दारीया कर रखी है, उसके प्रायश्चित की अब बारी है। गद्दी, पैसा, गाड़ी, घर और कुछ, ये सब तो मिलेगा ये आपका थाट देखकर मैं समझ गया। पर मैं इस घर मे नही रहूंगा। बचपन से अनाथ हु, इतने लोगो की आदत नही है। बस अभी के लिए इतनाही।"


"तुम्हारी सारी शर्त मंजूर !! तुम्हारी गाड़ी, क्रेडिट कार्ड और एक फार्म हाउस और एक VVIP होटल रूम तुम्हारे काम के लिए दी जाएगी। कल से तुम किससे क्या नाता रखते हो ये तुम्हारे उपर छोड़ देती हूं। पर तुमने मुझे नानी बोला है और ऑफर मंजूर किया है उस हिसाब से कल से तुम सितारा होटल्स ग्रुप के वर्किंग डायरेक्टर की गद्दी संभालोगे। इज दैट क्लियर?"

नानी से सबकी ओर गर्दन घुमाई और मेरे साथ सभी लोगो ने हामी भर दी।

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● Season 1 || Episode 2

दो दिन के बाद फेमिली रजिस्ट्रेशन होने का समय था। मेरे शर्त के मुताबिक नानी ने एक आदमी को मेरा होटल रूम और गाड़ी का सब अतापता देने बोल दिया। मैं वैसे भी फेमिली टुगेदर के मूड में ना था, तो मौहोल ढलता देख वहां से उड़नछू होने की ताक में था। सब लोग अपने अपने काम मे मगन होने लगे। पर 4 आंखे थी जो मुझे चुभ रही थी और कुछ आखोको मैं चुभ रहा था। उसमें से मुझे चुभने वाली आँखे थी मेरी माँ, सौतेला बाप। तकरीबन 6, 7 साल बाद मुझे देख रहे थे वो। मा की आँखों मे कुछ ज्यादा ही प्यार और पश्चाताप का कॉकटेल टपक रहा था। अभीतक की आधी से ज्यादा जिंदगी अनाथ की तरह जीने के बाद उस औरत के लिए मेरे मन मे कुछ भी भाव नही थे। जो भी थे वो एक इंसानियत के नाते उभर रहे होंगे ऐसा मेरा मानना था। पर उस समय उसके इस मा का प्यार वाले जाल में फसना ना था।


कंगाल से अमीर बनने का ये काल मेरे लिए बहोत ज्यादा आनंद देने वाला होना चाहिए था पर मुझे वैसा अमीरजादे वाला रोल करने में कोई इंटरेस्ट ना था, क्योकि स्कूल कॉलेज में अमीरजादे लोगो का जो बर्ताव सहा था उससे अमीर होना नरक में जीने जैसे लगता था मुझे। मेरे बहोतसे दोस्त यातो मिडल क्लास या तो बहोत गरीब थे ,जिनकी वजह से मैं परेशानी भरी मेरी जिंदगी अबतक सहन कर पाया। उनके लिए कुछ कर पाऊंगा ये सोच नानी के ऑफर के बाद पहले जहन में आई मेरे। और दूसरी समाज ने माथे पर कलंक जैसे बिठाये मा बाप से बदला। इसी सोच विचार में डूबा था कि नानी ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया।


3 मजली हवेली।नीचे किचन , स्टोर रूम , भगवान का मंदिर और प्लेइंग क्लब । पहला मजला नानी , मा और मामा का रूम। दूसरा मंजला सारे मौसी और तीसरे पर सारे बच्चे । हवेली के बाजू के एरिया मे गेस्ट हाउस । हवेली और गेस्ट हाउस के बीच मे स्विमिंगपुल। इतने अमीर घर का वारिसदार बचपन से लावारिस की तरह जी रहा था। जिंदगी भी क्या मोड़ लाती है। पर हर कोई गरीब से अमीर बनने में उल्हासी नही होता। फिरसे गरीब होने का डर ज्यादा रहता है।


मैं नानी के पीछे पीछे उनके कमरे में गया। सोफे पर बैठ गया। नानी," देख विकि, अभी जो बातें बताने जा रही हु वो ध्यान से सुनो।"


मैं," जी।"


" ये इंडस्ट्री, कॉरपोरेट के आका होना बाहरसे अमीर और ऐशो आराम का दिखता होगा आम लोगो का पर उन जगहों का मालकाना होना जिम्मेदारी का काम है। तुम्हारे साथ जो भी बचपन से हुआ वो निहायती गलत था ये मैं जानती हूं। तुम्हारा होना तुम्हारे दादी के नशे में बकने के वजह से मालूम पड़ा नही तो तुम्हारी माँ अपनी शादी बचाने और तेरे पिता मुझे डुबाने के लिए तुम्हे मरने छोड़ गए। ऐसा मत समझना कि मैं जहर घोल रही हु, पर जो है सच वो है। पर इसका परिणाम है कि इस घर मे जितने भी लोग है, मैं और तुम्हारे मा पिता से भी ज्यादा तुम्हे अभी के दुनियादारी की ज्यादा जानकारी और अनुभव है। पता नही क्यो पर अपने खुद के खुनो से ज्यादा तुमपे भरोसा है मुझे और इसकी वजह से मैंने तुम्हें ही नही सारे परिवार को अंधेरे में रख ये निर्णय लिया है। इतना जान लो, इंडस्ट्रीयलीस्ट होना अपने आप मे एक माफिया का हिस्सा होना है। और मेरे घर मे सारे गुंडे भरे पड़े है, तुम्हारा आना बहोत से लोगो को खटका है। यहां भी और इंडस्ट्री में भी। तुम्हारा पब्लिक इन्फॉर्मेशन अभीतक सारे इंडस्ट्री के बोर्ड पर गया होगा। तो अभी से अपनी इमेज और जान दोनों संभाल कर। " नानी रुक गयी।


मैं, "पहले भी बोल दिया और अभी भी बोल रहा हु, we are mutual. दुनियादारी में इतना मार खाने के बाद आपकी जगह महसूस कर सकता हु। मेरे भूतकाल के जिम्मेदार सिर्फ तीन लोग है और बाकियो पर मैं इसका इल्जाम नही लगाऊंगा। देर से क्यो न हो, आप मेरी नानी है, वारिसदार नही पर पोता होने के नाते से आपके सारे जिम्मेदारी और हुकुम मेरी जिम्मेदारी है। (नानी के आंखों में थोड़ी सी नर्मी थी, जैसे वो रो ही दे!)

आपने जो विश्वास दिखाया है उसके लिए धन्यवाद!! अभी बुढ़ापे के दिन मजेसे बितावो। झुनझुनवाला एम्पायर जैसे थाट में खड़ा है वैसे ही रहेगा, ये विकि का वादा है आपको।"


नानी खड़ी हो गयी, " विकि मैं तुम्हे गले लगा सकती हूं।"


मैं खुद उनके पास गया और उन्होंने बिना समय गवाए मुझे गले लगा दिया। नानी," दिल को जैसे सुकून आया है। तुम मेरी और इस झेड वी एम्पायर की आखरी उमीद हो। बस मेरे मरने तक मेरे साथ रहना यही आखरी ख्वाइश है।"


नानी के मुझे कस कर पकड़ा था, मेरा लन्ड फूलने लगा था। नानी करिब 57, 58 साल की भरे शरीर की औरत थी तो आदमी का गर्म होना आम था। मेरी हवस वाली गर्मी नानी को मालूम ना पड़ी हो ये हो नही सकता, औरते इसमे बहोत एक्सपर्ट होती है। नानी की गर्म सांसे दबाने की कोशिश की हुई सिसकी मुझे भी महसूस हुई।उनका हाथ पीठ से मेरे पिछवाड़े पर गया। अभी मेरा बम्बू तंबू बनने से कोई नही रुका सकता था।मेरा 7 इंच का बम्बू अभी बेंड हो रहा था और उसपर घर्षण भी महसूस हो रहा था। मैं खुदको कंट्रोल करने के लिए खुदको दूर करने लगा तो नानी ने और दबोच लिया। उनकी सांसे फूल रही थी, कनहते आवाज मेरे कानों में चेतना उभार रहे थे।


मेरे हाथ भी उनके उभरे गांड पर टिक गए। उनकी बड़ी सिसकी निकल गयी। और अचानक से उन्होंने अपनी जखड़न छोड़ दी। ऑर्गेजम हुआ लगता है। अपने पोते के साथ ऑर्गेजम करके भी उनकी आंखों में लज्जा या अपराध वाली भावना नही दिख रही थी।


वो," अभी तुम जावो चाहो तो आज गेस्ट रूम में नही तो होटल रूम में जाकर आराम करो। "


उनका साड़ी का पल्लू गिर गया था पर उन्होंने वैसे ही ब्लाउज में मेरे सामने से मोड़ लिया और बेड पर जाकर बैठ गयी और किसी के फोटो को देखने लगी। भावना की तीव्रता से वो इस घर के गॉडफादर उनके पति होंगे ऐसे लग रहा था। मैं वहां से बाहर निकला।


बाहर निकलते ही सामने हमारी पूज्य माताजी खड़ी थी और पीछे बॉडीगार्ड की तरह उनके नये यार। मैं वो लोग वहां पर नही है ऐसा दिखावा करते हुए वहां से निकलने लगा। तभी सौतेले बाप का आवाज कान पर पड़ा, " बेटा विकि, कैसे हो?" मैंने उसे भी इग्नोर किया।


माताजी," तुम्हारे पापा ने कुछ पूछा है विकि, ऐसे बत्तमीजी मत करो ।"


अभी दिमाग का भोसड़ा हो रहा था मेरे, " माननीय सुशीला देवीजी, मेरे मा बाप की मौत होकर अठरह साल हो चुके है , आपको कुछ गलतफहमी हो रही है लगता है। और हा मा बाप के बिना पले बढ़े बच्चो में तमीज ना होवे है। चल वंटास!!


सौतेला बाप," ये क्या तरीका है अपने मा से बात करने का विकि!?" मा ने करीब करीब आँसू ढल दिए थे।


" मिस्टर कॉल बॉय, कान में कुछ लिया है क्या आपने? सुनाई नही देता। " मेरे इस बत्तमीजी पे मा भड़क गई और आगे बढ़ मेरे कान के नीचे बजा दी। मेरा सौतेला बाप शोक हो गया। उसने मा को पीछे लिया।


वो," सोरी विकि तुम्हारी माँ का ऐसा दिल से कोई इरादा नही था।"


मैं हस दिया चेतन(सौतेला बाप ) को अनदेखा कर, " सुशीलादेवी जी, कपड़ो से गरीब बेचारा हु समझ ये बड़ी गलती कर दी आपने। और चेतन दी कॉल बॉय…" इतना बोल मैंने उसके कान के नीचे दो बार सीधे और उल्टे हाथ का दे दिया। ये देख मा तो घबराई सी गयी, चेतन सुन्न पड़ गया, " सुन चूतिये पहिला तेरे कान का इलाज था, फिर बोल रहा हु मेरे मा बाप अठरह साल पहले मर चुके है। और दूसरा तेरी रंडी के हिस्से का, समाज का नियम पालते हुए औरत पे हाथ नही उठाया। पर हर बार ऐसा नियम पालन होगा ये मत समझना।"


दोनों मेरे रास्ते से बाजू हुए, परिवार के बहोत से लोग फिरसे डायनिंग के पास दिखाई दिए। रात के खाने का समय था शायद उनके। कुछ लोग शोक में तो कुछ लोग हल्के से हसि के मुह लेकर मेरी नजर बचानी की कोशिश करने लगे। मैं आज बहोत थका था तो नानी के कहने के अनुसार गेस्ट हाउस चला गया।


मेरे गेस्ट हाउस की ओर जाने के बाद**


रितु," पापा आपका अपोजिशन तगड़ा मालूम पड़ता है।"

नीतू,"सही कहे हो दी, पापा अपनी कुर्सी कस के पकड़े रहो।"


यशवंत और नीलेश ने बस बेटियो को गंभीरता भरी नजर देकर खाना चालू किया।


"अच्छा खासा मुड़ बन गया था नानी के साथ। पूरा कचरा कर दिया इन लोगो ने।" ऐसे सोचते सोचते मैं गेस्ट हाउस की ओर चला गया और जैसे ही रूम में गया सामने देखा कि दादी सोफे पे दारू पीते हुए बैठी थी। अब तो मेरा सर गुस्से से फट रहा था। मैं वैसे ही बाहर जाने लगा तो उसने पुकारा, " गुस्सा मत हो विकि, तुम्हारा गुस्सा जायज है और मुझे माफी न मिलना भी। तुम आज यहां आराम करो मैं स्टोअर रूम में जाति हु। तुम अभी मालिक हो इस घर, हवेली,जायदाद के। अभी खुश रहो।"


कुछ देर के लिए मुझे ये ध्यान में ही नही रहा कि, जी हां ये हजार करोड़ के एम्पायर का मालिक हुआ हूं मैं। तकरीबन नानी का 40 और मा का रजिस्टर बेटा होने के बाद मेरा 20 शेअर मिलाके 60 परसेन्ट हो जाएगा जो मैनेजमेंट के मीटिंग के बाद नानी तो वैसे भी मुझे ही दे देगी, उनके वासनावो भरी भावना से तो ऐसे ही महसूस हो रहा है।


मुह नीचे कर दादी गेस्ट रूम से बाहर जाने लगी। मेरे आने से जैसे उनकी सारी नशा उतर गई हो। मुझे इस मुड में नींद तो आने नही वाली थी नानी ने आधा खड़ा कर छोड़ा और माँ और चेतन ने दिमाग का भोसड़ा किया था। फस्ट्रेशन सा हो गया था।


मैं," प्रमिलादेवी जी…"


दादी रुक गयी और घूम गयी। उनकी आंखें नीचे ही थी।


मैं," ये रंडीबाजी , दारूबाजी करके क्या पा लिया जिंदगी में आपने? अभी मुह नीचे कर शर्मनाक होने का क्या मतलब बनता है? "


दादी बस सुने जा रही थी। गुनहगार का काम की वही होता है। गुनाह साबित हो तो क्या अपील करे, है कि नही!?


मैंने आगे बढ़ उनकी गर्दन ऊपर की । 58 साल की नशे में धुत बुढ़िया आज भी चुदवाने का शौक रखती है। वो नाइटी में थी। गर्दन के थोड़ा नीचे से घुटने तक थोड़ा ट्रांसपरेंट गाउन जैसा जो दो धागों से कंधो के सहारे लटक रहा हो ऐसा कपड़ा। विस्की वाइन की मिक्स परफ्यूम मारा हुआ। लटके चुचे तो तकरीबन दिख रहे थे। काफी चरबिलि थी तो, चुचे भी चरबिले (Fat) थे। पैंटी का कॉर्नर ऑंखोंको महसूस हो रहा था।


वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने उसके गर्दन को जखड़ ओंठो को चूसना चालू किया। ऐसा दृश्य था कि उसने पी हुई दारू मैं उसके ओठो से फिरसे पी रहा हु। उसने थोड़ा विरोध किया पर पैदाइशी हवस और नशे और उम्र से आई कमजोरी ने उसे हरा दिया। मैं उनको खींचा और सोफे पर बैठ उन्हें जांघ पे बिठा दिया।


कुछ समय तक ओंठ चूसते चूसते। उनके चुचे और चूत दोनों मसल मसल के गर्म कर दिए।एक हाथ से नाइटी गाउन ऊपर कर पेंटी को निकाल दिया और ऊपर से गाउन खींच चुचो को आझाद कर उन्हें बारीबारी चूसने लगा। उनके मुह से आह उम्म आह ममममम आह सिसकारियों का जैसे संगीत बज रहा था। कुछ देर बाद चुचे निचोड़ने के बाद बेड पर ले जा के 69 पोजिशन पकड़ ली। उसने मेरा जीन्स निकाला और पागल की तरह चूसने लगी।मैं भी चूत को चांट चांट के मजे ले रहा था। रंडिया इस उम्र में भी हाइजेनिक थी। पूरा साफ सुधरा चूत था इसका। पहले सोफा और बाद में 69 में दो बार पानी निकाल दिया था दादी ने। बेहोश न होजाये इसलिए मैंने सीधा होकर लन्ड चूत में घुसाके उसको उड़ाना चालू किया। वो चुचो के साथ हवा वे सैर कर रही थी।


आह आह मैया मोरी अअअअ हआ आ आ उम्म चौद जोर से फर् फक फक फक आह……..


थोड़ी देर बाद उसको पेट के बल सुलाक़े ऊपर सोया और लन्ड सेट कर ऊपर से चुदाई शुरू की। बेड से कहि अच्छा उसका बदन मुझे महसूस हो रहा था।कुछ देर हैवानियत की तरह भड़ास निकलने के बाद मैंने मेरा पानी उसके मुह में दे दिया।


बुढ़िया थक चुकी थी , हांफते हुए बोली, " बेटा बाप से भी ज्यादा जोशीला है, तेरा स्टेमिना तुझे बहोत दूर ले जाएगा। इस चुदाई को मेरा माफीनामा समझू…."


"इतनी बेशर्म हो, खुद के बेटे का भी ले चुकी हो। इतने पाप करने के बाद 15 मिनिट के चुदाई में माफी पाना चाहती हो? इस चुदाई का मतलब तू मेरी ऑफिशियल रंडी है। जिस वक्त लौड़ा भड़केगा। वो भड़ास तेरी चूत शांत करेगी। तेरी जिस आदत ने हमारी जिंदगी के लोडे लगाए वही लोडे तेरे अंदर घुसाउंगा।"


वो कुछ बोली नही, बस उठके एक पेग बनाया और बालकनी के दरवाजे पर हाथ मे पेग लिए खड़ी हो गयी।


वो," मुझे मालूम है कि मेरे पाप धुलने वाले है नही, ठीक ही है ये , भुगतना मेरी तकदीर है।"


मैंने पीछे से जाकर पड़ा लन्ड गांड पे घिसते हुए हाथो के नीचे से कसते हुए चुचे मसलना चालू किया। वो ऐसे तिलमिलाइ जैसे वाइब्रेटर को चूत में बड़ी मात्रा में चलाया गया हो।


मैं," इतने साल में बहोत मौके थे गलती सुधारने के पर ये नशा तुमको ले डूबी रंडिया।" इतना बोल उसे वही झुकाकर उसके चूत में खुदाई चालू कर दी। रूम किचन बाथरूम वाले 1RK गेस्ट हाउस के हर कोने में रातभर मैं उसे चोदता रहा। और चूत में लन्ड रख ही सो गया। सुबह उठा तो दादी वैसे ही नंगी सोई थी। मेरा लन्ड उसके चूत में था।


तभी बाहर से आवाज आया," मालकिन उठ गए क्या? मैंने आपका काम कर दिया,...(इतने में दादी उठी, उसको उस सिन का अंदाजा आ गया और मुझे भी। वो उसको रोकती उससे पहले मैंने उसका मुह दबाया।)


आगे," काम कर दिया है… बड़ी मालकिन का और नए मालिक का प्रायवेट बातचीत का ऑडियो है मेरे पास, जल्दी दरवाजा खोलिये. कोई देख लेगा तो आफत आ जायेगी।"


मैं दादी के कान में, " तेरी गांड की चरबी उतरती ही नही है ना भोसडी वाली, उसको अभी अंदर बुला नॉर्मल में।" मैं दादी को अपने ऊपर लेकर सोने का नाटक किया। जैसे उसे लगे कि मैं दादी का बुलाया हुआ कॉल बॉय हु। इसके आसपास के लोगो को इसके आदतों के पता जरूर होगा है जाहिर सी बात है।


वो अंदर आ गयी," आपने जैसे बोला था वैसे बड़ी मालकिन और नए साब की अकेले में हुए बात मैंने कैसे वैसे रेकॉर्ड कर ली है। मेरा पैसा दो और रेकॉर्ड लेलो। इससे आपको आपका पार्टनर शिप मिल जाएगा इसकी गेरेन्टी है।"


दादी कुछ बोल नही रही थी। मौका उनके हाथ मे जाए उससे पहले मैंने मेरा मुह पीछे से बाहर निकाला," जिस थाली में खाओ उसी में छेद करो। पौराणिक काल से चला आ रहा है। पर आपका चेहरा जाना से क्यो लग रहा है? आप….?"



-------- और आगे--------


अपडेट जल्दी मिलने के लिए मुझे फॉलो करना न भूलियेगा और अपडेट का अभिप्राय जरुर देना. जल्द मिलेंगे.........
Jabardast update
Dadi ki damdaar chudai ho gayi


Ab ye Naya shaks kaun sa gya jisko Vicky bol rha hai chehra jaana pahchana hai
 

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● Season 3 Episode 5
🥳🥳 Show Beggining

कहानी आगे…


मैं नीचे आया तब रात के 8 बजे थे। आज डिनर का मुझे जरा भी मुड़ नही था। मैंने सेक्युरिटी के डिनर टाइम में सारे होटल के कोने कोने का जायजा लिया। ये अलीबाग का दरवाजा कहा है? और उसके 40 चोर कौन है ? शुरुवात हुई सुपिया की एंट्री से। आमतौर पर कोई भी आया हुआ विजिटर पहले रिसेप्शन पर जाता है पर सुपिया जाके मिली मिस रेखा जी से। अच्छा रेखा जी, आप है वो मैनेजर रिया। कोई शॉक होनेवाली बात नही थी, मुझे थोड़ा बहोत अंदाजा था ही। रेखा ने सुपिया को कमरे तक पहुंचाया और गमला फेंक कर नीचे आ गयी। अभी मामला साफ था। कल सुबह स्कूल लेनी थी रेखा की।


मैंने सेक्युरिटी को बोल कर उस जिगलो की अच्छी खासी मेहमाननवाजी करने को कहा। और साथ मे मजे करने के लिए कुछ पैसे भी दिए। और मैं एडमिनिस्ट्रेशन में आ गया। एडमिनिस्ट्रेशन में 6 लोग थे। एक एडमिन (प्रेरणा,उम्र 38) , एक आईटी मैनेजर (परवेश, उम्र 40), आईटी असिस्टेंट(नीता, उम्र 28), पियून(बाबू,25) और 2 मैनेजिंग स्टाफ (कहानी के बिन काम के पात्र)।


मैंने पूरा एडमिन डेटा लेते हुए । आजतक के सस्पेशियस कस्टमर इंट्री परवेश को निकालने के लिए कहा। मैं एडमिन रूम में घुसने के बाद सिर्फ काम की बात कर रहा था। न हाई न हेलो। चल थी गतिविधियों के तहत मुझे इसके लिए टाइम देना सही नही लग रहा था। मैं पूरा डेटा लेकर अपने कमरे में गया। मैं पिछले 6 साल का पूरा डेटा एक्सेल lookup से वेरिफाई कर रहा था।


इसी बीच एडमिन लोग इन से सबका इन आउट टाइमिंग, कार्ड स्वयपिंग का डेटा भी सर्च कर रहा था। मुझे बिना स्टाफ रजिस्ट्री के 3 कार्ड इन आउट एक्टिविटी में दिखाई दिए। उसका एक स्वैप आज भी हुआ था। मतलब वो जिगलो, राइट। बाकी के दो के स्वैप मेरे यहाँ आने के पहले के थे और रोज बार बार हो रहे थे। एडमिन के आईटी के लिए उसके मेल भी जा रहे थे सस्पेशियस के विषय मे पर आईटी का जवाब कोड बग होने का आता था। इसकी मैया की बुर चोदू, भोसडीके फाइव स्टार रंडी खाना चलाके रखा है यहां। एडमिन तर मिला है इसमें।


मैं आज बहोत थका था तो सो गया। सुबह 11 बजे तक मेरी नींद खुली तो मैने सब डेटा मेरे प्रायव्हेट सर्वर पर डाल दिया। और एडमिन का लोग इन मेरे मोबाइल पर रख दिया। जी हां, कम्प्यूटर सायन्स, डेटा सायन्स और साइबर सेक्युरिटी का यूनिवर्सिटी टॉपर हु मैं। मेरे बनाये कई एंटीवायरस है। कई इंस्टिट्यूट और सरकारी विभागों से इंटर्न में काम किये थे स्कॉलरशिप के लिए।


अभी मैं रिसेप्शन पे था और सेक्युरिटी चीफ की राह देख रहा था। तभी मेरे मोबाइल का नोटिफिकेशन बजा और उसी समय स्टाफ इंट्री से सेक्युरिटी चीफ अंदर घुसे। उनसे मिलने की जल्दबाजी में मैंने नोटिफिकेशन नजरो से हल्के से देखा और उनसे इंट्रो करने गया। नाम पूरन चौधरी, 50 ,52 साल के होंगे। उनका पदके अलावा कुछ जानकारी नही थी उसवक्त मेरे पास।


हम गाड़ी में बैठ हवेली जाने के लिए निकले। गाड़ी बड़ी शानदार थी। इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल सिस्टम, फायर प्रूफ, बुलेटप्रूफ एक्सट्रा…। कुछ समय ड्रायविंग के बाद अचानक से गाड़ी रेंगने लगी। उसका स्पीड ओव्हॉलिमिट हो गया। क्या करे कुछ समझ नही आ रहा था। पूरन चाचा पूरी तरह मुझे बचाने के तौर तरीकों में व्यस्त थे। मैंने थोड़ा अंदाजा लगा लिया और मोबाइल निकाला । तो मुझे सबसे पहले वो नोटिफिकेशन दिखा। उस 3 कार्ड मेसे एक और कार्ड उस वक्त होटल से आउट हुआ था। मतलब कोई आया था और हमारे निकलने से पहले बाहर आया। मैंने गाड़ी का ऐसे कंट्रोल छोड़ने का कारण कैसे वैसे पता लगा लिया जोकि कंट्रोल हैक था। पूरा कंट्रोल उसके हाथ मे नही गया था ये हम दोनों का नसीब था । मैंने पूरन अंकल के कान में कुछ बोला और मोबाइल से मेरा हैक एक्टिवेट कर दिया। पर हमें ज्यादा कुछ करने का समय नही मिला पर मैने सेफ्टी को ओपन करके गाड़ी को रस्ते के बाहर धकेल दिया।


इधर हवेली (आधे घंटे बाद)**


""""ब्रेकिंग!! हाइवे पे एक *** कार जिसका नम्बर*** है उसके अचानक संतुनल खोने से गाड़ी रास्ते के बाहर जाके ब्लास्ट हो गयी। गाड़ी के ओव्हॉस्पीड होने से ये घटना हुई है ऐसे ट्रैफिक कंट्रोल रूम का कहना है।घटना में दो मृत पाए गए है, आगे कार्यवाही जारी है…""""


मामा: माँ ये तो तुम्हारी गाड़ी है।


उस समय सब डायनिंग पर थे। नानी के होश उड़ चुके थे। जरूर मन ही मन वो मेरी मौत के लिए वो खुद को कोस रही होगी। माँ भी पागलो की तरह रो रही थी। चेतन उनको संभाल रहा था। बाकी सब चौक गए थे। कुछ समय के बाद नानी ने आंसू पोंछे और मामा को गाड़ी निकालने बोला।


वो लोग जैसे ही दरवाजे से बाहर आये हवेली का गेट खुला और एंट्री हुई यमलोक रिटर्न पूरन चौधरी और विकि की। जी हां काले वस्त्र , काला मुह, उसमे हल्कासा खून और जिंदा रहने का सुकून था बस ज्यादा कुछ फील नही हो रहा था।


हमारी मौत से ज्यादा तो हमारे जिंदा वापस आने का सबसे ज्यादा शॉक लगा था उनको। पर सिर्फ हमारा आना नही तो साथ मे दो और बिन बुलाए मेहमान लाना उनके शॉक का असली कारण था।


क्या हुआ था वहां?चलिए एक्सीडेंट सिन पर**


सेफ्टी कंट्रोल से सेफ्टी एक्टिवेट हो गईं। गाड़ी पलटी पर हम बच गए। पर जहां गाड़ी पलटी हुई वह पर काम करने वाले दोनों की उस गाड़ी से टक्कर लगने से मौत हो गयी। पर वो हमें बाद में मालूम पड़ा।


हमे मालूम था कि वो लोग आस पास ही होंगे क्योंकि गाड़ी कंट्रोल हैक करने के लिए 100 या 200 मीटर का दायरा लगता है। उनको झांसे में लेने के हमने खुदसे ही पेट्रोल टैंक के इस्तेमाल से गाड़ी ब्लास्ट करवा दी। हमारे अनुमान के तहत किलर्स जायजा और कन्फर्म करने के लिए वहां आये। हमने मौका न गवाते हुए दोनों को घेरा और बड़े मेहनत से कुटा पीटा और उन्ही की गाड़ी से हवेली पहुंचे।


नानी ने झट से आके मुझे गले लगाया," विकि विकि तू ठीक है ना, तुझे चोट नही आई न ज्यादा…सोरी सोरी.. सब मेरी गलती है… कितने बड़े झमेले में मैंने तुम्हें डाल दिया …है भगवान मेरा बच्चा।"


मैं,"चील नानी, एक तो मैं बच्चा नही हु। और दूसरी बात इसमे आपकी कोई गलती नही है। आप खामखा इल्जाम मत लो।"


पूरण,"जी मैम, गलती दरअसल मेरी है। मुझे ही ..!!"


"पूरन अंकल अभी आप शुरू मत हो जावो यार, मौत सामने थी फिर भी आप मेरे लिये सोच रहे थे," मैंने पूरन अंकल के कंधे पे हाथ रख अपना आभार जताया।


नानी मुस्कुराते,"कोई किसीका अच्छा दोस्त बना लगता है।"


पुरन," सच कह दु तो मैम आज मालिक की वजह से जिंदा है, लास्ट मोमेंट पे उन्होंने मुझे स्टेयरिंग पर दबाव छोड़ खुद को सेफ पोजिशन में लाने को कहा, और खुद भी पोजिशन ले लिए और सेकंड में एअर बैग, फायर सिस्टम ऑन होकर गाड़ी पलट गई। उम्रभर में ऐसा थ्रिलर मोमेंट कभी नही देखा।"


नानी," चॉइस किसकी है।" हम तीनों हस पड़े।


तब तक फेमिली वाले भी पास आ गए जो दूर से हमारी ये बाते सुन रहे थे। सब ने हमारी हालत पूँछी। और सब उन दो गाड़ी में बंधे गुंडो को देखने लगे।


मैं, " पूरन अंकल, आज का बस ट्रेलर है। अब ऐसी स्टंटस और थ्रिल मोमेंट बार बार दिखेंगे आपको। एके झलक और दिखता हु। बस उस लौंडो को लेकर स्विमिंग पूल पर उल्टा लटका दो।" हमने उनका सामान पहले ही अपने पास लेके रखा था।सब लोग मेरी बातें सुनते रहे।


सिन स्विमिंग पूल-


दो लोग गर्दन पानी के ठीक ऊपर लहराते हुए उल्टा लटक रहे थे। घरवाले बाजू में जगह पकड़ के बैठे, खड़े थे। पूरन अंकल एक रस्सी का कंट्रोल लिए खड़े थे।


दादी मेरे पीछे बैठी थी, बोली,"विकि इसकी सच मे जरूरत है क्या?"


मैं,"जी हां नानी, हुकूमत करनी हो तो डर फैलाना जरूरी होता है। ये बस नमूने है, ये लोक सबक होंगे उनके लिए जो इनको कट्रोल करते है। उनको पता लगने चाहिए। बाप से पंगा नही लिया जाता।" पूरन अंकल को इशारा किया और चाचा ने दोनों के मुह 2 मिनिट पानी मे घुसाए रस्सी कंट्रोल छोड़ के और बाहर निकाले। ये नजारा काफी डरावना था। पूरन अंकल भी कुछ देर के लिए डर से गये। पर लोग हैरान तब हुए जब मेरे आंखों या चेहरे पर शिखस्त भी नही दिखी।


" मैं सवाल पूछूंगा और तुम जवाब दोगे ,ठीक है।"


" फक ऑफ" उनमे से एक। मैंने पूरन चाचा को फिरसे इशारा किया पर इसबार 30 सेकंड बढ़ा दिए।


"हर गलत जवाब और 30 सेकंड बढ़ेंगे, तो जानलो ये तुम्हारा आखरी चांस है। 3 मिनिट झेल नही पावोगे। "मैं।


उसमे से दूसरे की पूरी फ़टी पड़ी थी। उसने जवाब देने का वादा कर दिया।


मैं," 3 सवाल है। ये सब प्लान मेरे कल के इन्वेस्टिगेशन के बाद चालू हुआ ये तो तय है। बस मुझे बताओ। तुम पहले से ही होटल में थे? मेरी फेमिली का कोई इसमे शामिल है? मेरे बाद कोई और टारगेट था क्या?"


वो," जी हम सुबह ही वहां आ गए थे। आपकी बाहर जाने की राह देख रहे थे। कल रात 11 बजे हमे सुपारी मिली कि *** नम्बर की गाड़ी को इस स्पॉट पर उड़ा दो। किसने दी सुपारी मालूम नही ।"


मेरे लिए इतना काफी था। मैंने पूरन अंकल को उन दोनों को पुलिस स्टेशन पोहचाने के लिए बोला। और पीछे घुमा। सबके चेहरे चींख चीख के मुझे इस पूरे घटना का जवाब पूछ रहे थे।


नानी,"ये क्या हो रहा है विकि, कुछ बतावोगे? (गुस्सा टपक रहा था)तुम्हे आये दो दिन न हुए ऐसा क्या हुआ कि किलर मारने आ गए।"


मामा," भांजे , कुछ मद्त चाहिए तो बेझिझक मांग ले। मैं तुम्हारे साथ हु।" मामी ने हामी भर दी।


रितु," विकि, अभी तू इस घर का इकलौता बेटा, भांजा, भाई है। पूरा घर सपोर्ट में खड़ा हो जाएगा। है कि नही नीतू?!!"


नीतू," हा नही तो क्या?!!! दादा के बाद कोई मर्द सा आया है घर मे। अभी हमे थोड़ा धीरज मिल रही है।"


कोई और बोले और इस फेमेली प्यार से मैं पिघल जाऊ उससे पहले मैंने बोलना चालू किया, " चिंता मत करो, ये ही मेरी आज तक कि जिंदगी रही है तो मुझे कोई डर नही। डर बस इतना है कि आप लोगों की जीव को कोई हानि न पहुंचाए। (मेरे उनके लिए फिक्र से मेरा एक स्टेप उनकी ओर बढ़ गया था। काफी लोगोंके आंखों में वो दिख रहा था।) बस यहां बात यू है कि कल मैंने एक इन्वेस्टिगेशन कैपेन चलाया होटल में और उसमें कई गलत चीजे मुझे मिली और आगे भी मिलती जाएंगी। मेरा इसमे इन्वॉल्व होना जिनको पसंद नही आया उन्होंने रातोरात ये कांड प्लान किया। वो रहने दो, नानी चलो रजिस्टार बंद होने से पहले कायदे का काम निपटा लेते है।"


दोपहर के बाद**


दफ्तरी काम पूरा हुआ और हम घर आये। खाना खाने के बाद मैं नानी के साथ कमरे में गया। कमरे में जाते ही मैंने नानी के पूरे रूम को छानना शुरू किया।


नानी,"क्या ढूंढ…."


मैं,"शुऊऊऊऊ…"


कुछ देर ढूंढने के बाद मुझे 2 ,3 वॉइस बग मील जिनको मैंने हवेली से बाहर स्विमिंग पूल की ओर फेंक दिया। फिर नानी का फोन पूरा रिबूट मार दिया। क्योंकि मैं कब किसके साथ कहा जाने वाला हु ये हम तीनों को मालूम था। पूरन अंकल पर शक था पर वो इतने लेवल तर जाएंगे ऐसे नही लगता। दफ्तरी काम के वक्त मैने उनके बारे में पूछताछ की तो काफी कलीन और फेमिली वाला बंदा मालूम हुआ।तो जाहिर है वॉइस बग और फोन टैप हो रहा था।


नानी," विकि अब तैयार हो जाओ, अभी असली युद्ध चालू हुआ है। अभी और संभालना। जैसे मैंने बताया कि तुम्हे खोना मैं सह नही पाऊंगी।" नानी भावुक हो गयी और मुझे कस के गले लगा लिया। वो काफी डर सी गयी थी। वो दिखाती नही थी पर वो डरी जरूर थी।


नानी,"और हा आज यही पर सो जाना । दो तीन दिन तक मेरे आंखों के ओझल ना होना। आज से ऑफिशियल हाउस मैन बन गए हो। आजसे बड़े मामा की तरह घर के बड़े फैसले। सभी व्यवहार तुम्हारी जिम्मेदारी है। और तुम्हारा खयाल रखना हमारी।"


मैं,"ठीक है। मैं रात के खाने में नही रहूंगा। बस अभी के लिये इजाजत दी। कुछ जरूरी काम निपटाने है। वो करके मैं रात को आ जाऊंगा।"


नानी,"ठीक है। पर खयाल रखना। "


मैं हामी भर के वहा से निकल गया।


--------------- अभी रुको, आगे सेक्स ही सेक्स है---------
Majedar update
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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● Season 1 Episode 6
कहानी आगे…


कुछ भी बोलो इसमे दादी का हाथ नही पर उंगली जरूर है। उस पेनड्राइव को मुझे नजरअंदाज नही करना चाहिए था। मैं गुसैल दिमाग से गेस्ट हाउस गया। दादी वहां नही थी। दरअसल जबसे मैं आया था, दादी ,छोटी मौसी, मौसा, रजिया ( दोस्त जुनैद की माँ।) कोई दिखाई नही दिया था।


मैं सीधा जुनैद के घर गया जो शहर के बाहर था, गाँव मे। करीब 1 घण्टे का रास्ता था। मैंने जुनैद को कॉल किया, जुनैद अपनी बचकानी हरकतों को चालू करता उससे पहले मैंने उसे सारा मांजला सीधे सीधे बता दिया। करीब करीब बचपन से हम यार थे और बड़ो के घिनोने राजनीतिक खेल का जुनैद हिसा हो ही नही सकता इसकी मैं पर्सनल गेरेन्टी ले सकता था। मजाकिया मुड़ का जुनैद कुछ देर के लिए सुन्न पड़ गया। मैंने कुछ देर रुक उसे पुकारा, "हेलो जुनैद, जुनैद!!'


" क्या प्लान है तेरा। बस बोल" जुनैद का आवाज भारी हो चुका था। हद से ज्यादा गुस्सा होने के बाद वो जिस रूप में आता है ये वही रूप था।


" शांत हो!! जल्दबाजी नही। ये खेल जानलेवा है, मैं तुझे खो नही सकता। " मैं उस वक्त की गर्मी को थोड़ा कंट्रोल में लाने की कोशिश की, " तू कैफे के पास मिल, तुम्हारी माँ और मेरी दादी मेरे एक्सीडेंट के बाद गायब हैं। तुम्हारे गाव के अलावा कोई ऐसी जगह नही जहां ये बिल्कुल सेफ रह सके। या तो वो इसमे जानबूझकर है याफिर, किसी कारण फसी है। उनकी साइड सुने बिना फैसला मत कर। ठीक है?? जुनैद?? " कोई आवाज नही और कॉल कट!!


जुनैद सिर्फ टेम्परेरी कंट्रोल हो रहा था। मुझे बड़ा भाई मानता था तो, वो कुछ मनमानी हरकते करेगा मेरे कहने के बाद ऐसे लग नही रह था।


कैफे के पास वो तनतानाते हुए गाड़ी में बैठा।


" जुनैद? जुनैद?" मैं उसका मुड़ चेक कर रहा था।


"तुम मेरे मा से मिले नही। मिले उतने समय मे कभी उसको बुरखे बिना देखा नही। तुम्हे?" उसने अपनी इन्वेस्टिगेशन चालू की है इसका ये प्रमाण था।


"तुम्हारे उस दिन कॉल करने के बाद तूने जब मैं को कोल किया तब वो मेरे सामने ही थी।" मैं।


" सही!! तुम्हारा शक भी सही है, दोनों गाव के घर मे है सुबह से।" वो कांप रहा था। जुनैद मा बाप होते हुए भी अभीतक उम्रभर शहरों में खुद मेहनत कर पढ़ा था। शहर मे बड़े घर मे काम करने वाली विधवा मा के होने से होस्टल में रहना उसने चालू किया। उसका अपनी माँ से ज्यादा जिंदगी का पल मेरे साथ गुजरा था। उसे इतना गुस्सा आना तय था।


हम जुनैद के घर पहुंचे। मैं गाड़ी पार्क करने से पहले जुनैद ने जैसे कूदी लगा दी और घर मे घुस गया। मैं अभी भी बाहर था।


" जुनैद , अभी यह पर क्या कर रहा है?" रजिया।


" तुम अचानक गाव क्यो आई ? और ये औरत कौन है?" जुनैद।


" ये मेरी मालकिन है…" रजिया की बात काटते हुए।


" मालकिन ह!!? इतने बड़े घर की औरत यहां कुटिया में? आप लोगो के तो फार्म हाउस होते है?" जुनैद ने टोंट मारा।


" तुम्हे उससे क्या ? तुम इस वक्त यहां…" रजिया बात पूरी कर ले उससे पहले मैंने एंट्री ली।


मेरे आने से रजिया शोक में नीचे बैठ गयी और दादी उठ गई।


दादी," तुम?" शौक, अचरज, दुख, प्रेम, आनंद! ये तुम किस भावना की उत्पत्ति थी ये मैं उस वक्त जानने के मूड़ में नही था।


मैं, " दोनों को गाड़ी में डाल जुनैद!"


जुनैद ने दोनों को दोनों हाथों से पकड़ा और खींच के मेरी गाड़ी में डाला।


गाड़ी के बाहर**


मैं,"मेरे फार्म पे इन दोनों को अलग अलग कमरे में रखते है। तुम पिघल जावोगे इसके लिए तुम्हारे मा की पूछताछ मैं करूँगा और दादी की तुम। क्योकि इस औरत को मार डालूंगा मैं।" जुनैद को प्लान समझ आया और हम गाड़ी में बैठे।


" जुनैद बेटा मेरी बात सुन, गलत फहमी .." रजिया की बात काटते हुए जुनैद बोला," बेटा कम और एक स्पाय बनाके पाला तुमने मुझे। और किसके आगे? जिस आदमी ने ,दोस्त ने अभीतक मेरे लिये अपने जान से भी ज्यादा किया। उससे नजर मिलाने की हिम्मत नही हो रही मेरी, तो मुह बंद, मुझे कोई कुछ नही समजाएगा। "


हम लोग गेस्ट हाउस पहुंचे फार्म हाउस के दो हिस्से थे आमने सामने। एक में जुनैद दादी को ले गया और दूसरे में मै रजिया को। आमने सामने पूछताछ से वो साफ साफ नही बोलने वाली थी।


रूम में घुसते ही रजिया ने मेरे पैर पकड़ लिए।


रजिया 45 साल की सावली रंग की एक एवरेज बॉडी की मालकिन थी। भरा हुआ अंग, उछली गांड उसे कयामत बनाती थी । बुरखे के अंदर देखने की वजह से उसके सुंदरता का जायजा आजतक नही ले पाया था।


"मुझे माफ़ कर दो मालिक। मैं मजबूर थी" रजिया।


" मुझे जान से मारने तक बात पहुंची ऐसी क्या मजबूरी थी?" मैं उसको पैरो से दूर झटकते हुए बोला।


" मैं नोकर हु मालिक, जो मालकिन बोलेगी…" उसको काटते हुए मैं," जुनैद को काटने बोलेंगे ये लोग, वो कर लेगी?"


"हाय अल्ला, खुदा वास्ते ऐसे बाते मत करो मालिक" वो हड़बड़ाई।," मेरे परिवार को इससे दूर रखो।"


मैं,"ए तुम्हे सोचना था इस गंदगी में पड़ने से पहले। जितना जानती हो, जो भी जानती हो। फटफट बकना चालू करो, इसके पहले मैं भूल जाऊ की तुम मेरे दोस्त की माँ हो।"


रजिया शांत हो गयी। कोई शब्द नही। मुझे जान से मारने तक बात आ गयी मतलब बात बड़ी तो होगीं।


"ठीक है, कल सुबह तक सोचने का वक्त देता हूं, उसके बाद तुम्हारे हर गलत कदम की जिम्मेदारी तुम्हारी रहेगी।" इतना बोल मैं जुनैद की ओर चला गया।


जुनैद," ये कुछ बोलने का नाम ही नही ले रही। विकि ये मांजला बहोत बड़ा और बहोत ही घिनोना लग रहा है। घर का आदमी घर के.. और सॉरी ,मेरी माँ की वजह से.." वो रोने लगा।


उसको गले लगाते हुए," अरे ये, तू क्यो सॉरी, और ये बच्चो की तरह रोना बन्द कर। तुम्हारी अम्मी सिर्फ प्यादा है। वो ज्यादा कुछ बोली नही बिना मजबूरी वाली बात के। और मैं अंदाजा लगा सकता हु की वो मजबूरी तुम होंगे। इस उम्र में अगर ये मुझे मारने की कोशिश कर सकते है तो तुम्हारी सेफ्टी उस समय क्या होगी। जाओ, अम्मी से मिलो।


जुनैद जाते ही मैं दादी के पास जाके खड़ा हुआ,"मगरमच्छ की अम्मा , कुछ कहना है आपको?"


दादी पूरी तरह सन्नाटे में थी।


"कल वापस आऊंगा, मुझे जवाब तैयार चाहिए" रात बहोत हो गयी थी और मुझे नानी की चिंता नही बढ़ानी थी इसलिए मैं ज्यादा वक्त न निकालते हुए, जुनैद को अगला कार्यक्रम सोप निकल गया।


रात 10 बजे**


हवेली को जाने के रास्ते पर मुझे एक गाड़ीया नजर आयी। मैं उस एरिया में नया था तो कन्फर्म नही था कि किसकी और कौनसी गाड़ी पड़ोस वाले कि होगी। मैंने हर गाड़ी का नम्बर तब नोट कर लिया मोबाइल केमेरा से। मैंने आसपास की सभी जगह का जायजा करने लगा। बंगलोज का एरिया था तो दो बंगलोज में काफी अंतर था। मैं घुमके रिटर्न हवेली के अंदर आया।


मैं जैसे ही हवेली के ओर जाने वाला था उससे पहले मुझे फोन की आवाज आई। मैं चुपचाप उस ओर चला गया। वो हवेली का टैंक रूम था जहां से गार्डन, स्विमिंग को पानी सप्लाई होता था। काफी बिन भीड़भाड़ की जगह। मैं उसकी एग्जॉस्ट वाली जगह पर गया तो मुझे कुछ बाते सुनाई दी।


औरत," जानू अपने प्लान बिगड़ते जा रहे है। प्रमिला और रजिया कॉन्टेक्ट में नही है। डर के कहि छुप गयी है। आदमी लोगो को लगाया है पर कुछ पता नही।"


आदमी," पहले ही बोला था। शर्मिला देवी को पता लगने से पहले उस बच्चे को टपका दो। नही, तुमने कहा किसको क्या मालूम होगा। उसकी माँ को अभीतक उसकी कोई फिक्र नही थी पर अभी होगी।"


औरत," उस औरत को फिक्र होती तो उसके पैदा होने का पता वो पहले ही दे देती। ये प्लान तो प्रमिला (दादी) का था। वो उसका १८ साल, पूरा पढ़ाई … इन शार्ट मैनेजमेंट मेम्बर और डायरेक्टर होने के लगने वाले सभी रूल्स पूरे होने की राह देख रही थी। उसके बेटे ने तो मिट्ठी खा ली पर वो ऐसे रुकने वाली नही थी। पर तुम भी ऐसे चूतिये हो कि एक बच्चा नही पैदा कर पाए।"


आदमी," उसकी माँ दिखती भोली है पर सेक्स के मामले में काफी शौकीन है। मैं तो टिक नही पाता। और बेटा आने के बाद तो वो मुझसे दो हाथ दूरी बनाए है। क्योंकि उसके बेटे को लगेगा कि मेरे जैसे आदमी के लिए उसने उसे और उसके बाप को छोड़ दिया। जो कि सच हो सकता है।"


औरत," मुझे बता, उसपे हमला किसने किया?"


आदमी," मुझे क्या मालूम,रुको रुको,तुम्हे लगता है कि वो मैं? पागल है क्या? मैंने सिर्फ उनको उसका पीछा करने के लिए कहा था। और सुपारी मिडल मेंन को दी थी। मुझे ये भी नही मालूम कि ये वही है या नही!!"


औरत," मैं अभी बोली ना ,तू चुतीया है। बस इतना पता कर की कौन है जो हमसे भी आगे है। "


दोनों की बाते पास पास में खत्म हुई और पहले आदमी वहां से निकला। सीधी सी बात थी कि एकसाथ निकलना शक पैदा करेगा। मैं तुरन्त सामने आया गार्डन से अंधेरे से निकलने के बाद कन्फर्म हुआ कि वो चेतन था, उसकी बातों से तो अंदाजा लग गया था । अभी बारी थी औरत की मैं तो मैं ठीक दरवाजे के सामने खड़ा रहा।


दरवाजा खुला और उस औरत को सरप्राइज मिला। वो हो!! ये तो माननीय सौभाग्यवती सरिता जी, जी हा हमारी छोटी मौसी जी थी। मुझे देख उनको छत से आरपार तारे दिख रहे थे।


"विकि तुम मममम?" वो हकलाई।


"एक औरत मेरे मा के पति से अफेयर करती है, उसके बेटे का प्रोफाइलिंग करती है , वो औरत मेरी मौसी है। अभी अभी फेमिली गेटटुगेदर हुआ है, सोच रहा था अभी लाइफ में खुशियां आई है। आप लोगो को जानने की कोशिश कर रहा हु तो ये मुझे टुगेदर वाला कम और वॉरटुगेदर ज्यादा महसूस हो रहा है। क्या खिचड़ी पक रही है मौसी तुम्हारी और चेतन के बीच?"


" क्या खिचड़ी?" वो इनोसेंट बन रही थी।


"देख भेंचोद, तेरी दोनों तितलियां प्रमिला और रजिया मेरे कब्जे में है। अभी बकना चालू कर नही तो तू भी रातोरात गायब हो जाएगी। " मैंने ज्यादा बात न बढ़ाते हुए सीधे ठुकाई चालू की।


" जबान सम्भालके, तुम तमीज मत भूलो ,हा.. मैंने कुछ नही किया है!!" वो अभी भी नही मान रही थी ।


" ठीक है। तुम दोनों की बाते मैंने फोन में रिकॉर्ड की है। तुम लोगो का घर निकाला करने का वक्त आ गया। दादी और मामा को इतना सबूत बस है मेरे फैसले को मनाने के लिए" मैंने ब्लफ किया।


वो झट से मेरे पास आकर मुझे अंदर खींचा और दरवाजा बंद किया। कंट्रोल हाउस की लो पॉवर लाइट चालू कर दी।


" नही ऐसा मत करो, मैं तुम्हे जान से नही मारना चाहती थी। मैंने सिर्फ तुम्हारी माँ की गलतियो का फायदा उठाते हुए अपने बॉयफ्रेंड से शादी करवादी जिससे उसके बच्चे को तुम्हारी जगह मिल जाये और मेरे पति के हाथ से होटल की ऑथोरिटी बरक़रार रहे। तुम्हे दूर करने और नजर रखने के लिए प्रमिला मौसी और रजिया को तैयार किया। मौसी की नशा और रजिया की गरीबी दोनों हमारे काम आई। तुम्हे यहां कंट्रोल करने के लिए भी उनको बोल रखा था। पर कल से दोनों हमारे संपर्क में नही है" वो बक गयी।


" अच्छा जी!! फिर मेरे पीछे लोग क्यो?" मैं।


" हम तुम्हारी गलती की राह देख रहे थे जिससे तुम डिस्कोलिफ़ाय हो सको" वो पूरी नरमा गयी," मा कसम तुम्हे मारना नही चाहती थी।"


"पर फिर भी तुम गुनहगार हो। मेरे पैदाइश के बारे में पता था तो माँ को कुछ अच्छा एडवाइस देने से चूक गयी तुम। ऊपर से अपने बॉयफ्रेंड के साथ उसे फसके अय्याशी कर रही हो वो अलग।" मैं पूरा अपसेट था।


" प्लीज प्लीज विकि इसके बारे में किसी को मत बताना। नही तो मेरा तलाक करवा कर घर निकाला कर देगी माँ।" वो गिड़गिड़ाने लगी, "तुम जो बोलोगे वो करूँगी, बस मेरी लाइफ बर्बाद मत करो।"


इस औरत का क्या जरूरत पड़ने वाली थी? इसकी बातों में अभी भी आधी सच्चाई लग रही थी। इसको अपने हाथ रखना मतलब चार लोगों को हाथ मे रखने जैसा था। दादी,रजिया, छोटे मौसा और सौतेला बाप। पर इसे बातों से या इस धमकियों से नही कंट्रोल कर सकते थे और रेकॉर्डिंग थी नही। अभी क्या?



तभी मेरे दिमाग मे बत्ती जली। अगर रेकॉर्डिंग नही है तो अभी बना लेते है। मैंने उसको बोला "गेस्ट हाउस में मेरा वेट करो, मैं आता हूं।"


वो जाने के बाद मैने हवेली का जायजा लिया। गार्ड की पोजिशन चेक की और गेस्ट हाउस में घुसा। मौसी वही खिड़की के पास खड़ी थी।


4,3 फुट की औरत जो मेरे कंधे तक आती है। काफी मोटी थी। घर पर बैठे खाने का असर। कसे हुवे चुचे। फुटबॉल जैसी गांड। स्लीवलेस ब्लाउज और मॉडर्न सारी पहनके मॉडर्न वेश्या लग रही थी।


मैंने सारे खिड़की दरवाजे लॉक किये। एक केमेरा बेड के सामने सेट किया और कहा," मौसी, तुम्हारे मोबाइल पर एक मैसेज भेजा है उसको याद करो और केमेरा के आगे बोलो"


मेरा मेसेज पढ़ने के बाद**


"ए क्या मजाक है। मैं तुम्हारी माँ जैसी हु। ए हरकते तुम्हे शोभा नही देती..तुम हद पार कर रहे हो।, वो तिलमिलाई।


"आपको कोई ऑप्शन नही है और मेरे पास अभी वक्त, तो फटफट याद करो और चालू हो जावो।" मैं खिसका।


उसने गुस्से वाली सांसे छोड़ी और याद करना चालू किया। वो पढ़ने को चालू किया, " मैं सरिता झुनझुनवाला अपने होश में ये बता रही हु की मैंने और मेरे बॉयफ्रेंड चेतन रूखी ने मिलके सुशिला झुनझुनवाला का फायदा उठा के उसके बच्चे के ऊपर अन्याय करते हुए जायदाद को हड़पने का प्लान किया। मेरा मेरे शादी के बाद मेरे बॉयफ्रेंड के साथ शारीरिक संबंध है।"


मौसी अभी रोने लगी। मैन वीडियो क्लाउड पे डाला और वहां से जाने लगा। पर मौसी ने दौड़ते हुए मुझे रोख दिया।


"रियली रियली सॉरी विकि। ऐशो आराम और जायदाद में इतनी अंधी हुई कि इंसानियत भूल गयी। इस घर मे इतने साल रहने के बाद रिश्ते सिर्फ व्यवहार से बनते गए। प्यार के रिश्ते तो यहां मालूम ही नही। तुम्हारे आने से खुशी बहोत हुई थी पर डर था कि अगर तुम भी तुम्हारे पापा की तरह निकल गए तो? किसी की जान लेने की दूर वो सोचने का भी धैर्य नही मुझमे, मेरी करतुते माफी मिलने लायक नही है। पर रिक्वेस्ट है कि नफरत मत करो। बचपन से सबसे छोटी होने की वजह से हमेशा नीची नजरो से देखी जाती थी। जिससे प्यार किया था वो तो पूरा फट्टू था। जिससे शादी कराई वो नशेड़ी निकला। लाइफ के बारह बज गए है, उसमे अब तुम भी!!" वो रोते रोते बेड पे बैठ गयी।


ये सिन कुछ जाना पहचाना था। दादी भी ऐसे ही इमोशनल हुई थी। क्या मौसी भी वही मगरमच्छ रोना लेके फसा रही है या?? पर मेरा सिक्स सेंस काफी इमोशनल हो गया। उसके हर एक पॉइंट में दम था। पति तो नशेड़ी है। उसकी कोई संतान नही। ऐसे में घर के जायदादी मामलों में टिकाव तो लगने नही वाला इसका। मुझे अभी सच मे बुरा और सिम्पति वाला फील आ रहा था।


मालूम नही क्यो पर मैंने नीचे बैठ कर उनको अपने बाहों में लिया। मैं," ठीक है ठीक है, माफी देने में थोड़ा सोचना होगा पर मैं आपके सेफ्टी का पूरा खयाल रखूंगा ये मेरा प्रोमिस है। बस मुझे और तकलीफ देने जैसी हरकते मत कर देना, मेरा गुस्सा नही झेल पावोगी।"


उन्होंने झट से बाहों से निकलते हुए," नही कभी नही, आज से तुम्हे लाडले भांजे की तरह प्यार दूंगी। अभी से कोई चालसाजी नही। थेंक्स थेंक यू …" और उसने उस खुशी में एक लिपकिस दे दी। थोड़ी वक्त के लिए दोनों चौक गए। मौसी की लिप्स काफी मीठे थे, मुझे अच्छा लगा । पर उस हरकत से मौसी डर गई।


वो,"सोरी सोरी, वो गलती से…. प्लीज गुस्सा मत होना"


मैंने बिना कुछ बोले उनके ओंठो को चूमना और चूसना चालू किया। मौसी पहले तो हक्काबक्का रह गयी। कुछ रिस्पॉन्स नही। फिर मैंने उनको बाहों में भर के पूरे जुनून से चुम्बन लीला चालू कर दी। अभी मौसी उसमे रिस्पॉन्स देने लगी। उसके हाथ मेरे से बिलग गए। कुछ देर मौसी के ओंठो का रसपान करने के बाद हम दोनों कुछ सेकंड के लिए एक दूसरे के चेहरे को देखते रहे। कोई सिकंज नही थी गलती की। मौसी ने पल्लू को नीचे कर ब्लाउज के बटन खोल दिये। ये मिला परमिशन और दरवाजा खुला। मौसी को बेड पर सुलाक़े उनके ऊपर से उनके ओंठ चूसने लगा। एक हाथ भरे चुचो को मसल रहे थे। उनकी आँखें सिसक रही थी।


वो मुझे ऊपर से नंगा कर रही थी।मैंने ज्यादा देर न करते हुए फट से खुद को पूरा नंगा किया और वो भी नंगी हो गयी। मैं घुटनो पे था और मेरा 7 इंच लटक रहा था। उसने कुछ सेकंड के लिए मेरे लन्ड को ताड़ा। उसका चेहरा लालेलाल हो रहा था। जीभ ओंठो पर घूम रही थी। उसने हवस भरी स्माइल दी और मेरे लन्ड को मुह में लेके चूसने लगी।


पूरी प्रोफेशनल ब्लोजॉबर थी मौसी। पूरा लन्ड जैसे पोर्न स्टार के जैसे चूस रही थी। मसल रही थी। नीचे के दो अंडों को भी चाट रही थी, मुह में घोल रही थी। मैं दूसरी ओर उसके चुचो से खेल रहा था।कुछ वक्त वैसे ही चालू रहा और मैंने 69 पोजिशन का इशारा किया।


मौसी की चूत क्लीन और लाल थी।पूरी एशियन रंडी थी छोटी मौसी। ऐसे कयामत को दो गांडू लोगो ने इग्नोर कैसे किया ये समझ नही आ रहा था।


मैंने चुत की चमड़ी को मुह में लेके चूसना चालू किया। मौसी का बॉडी जैसे व्हाइब्रेट सा हो गया। कुछ देर वैसे ही चुसम चुसाई होने के बाद मौसी उठी और मेरे लन्ड के ऊपर चूत घिसनी चालू की, उनके बूब्स के बीच मेरा मुह था। चूत से पानी निकलने को जैसे शुरू हुआ मौसी ने चूत को लन्ड पे सेट कर गांड उछालना चालू किया। वो मजे से कूद रही थी। उसके मुह से काफी कम सिसकिया निकल रही थी। पूरी प्रोफेशनल रंडी। काफी देर उछलने के बाद वो हांफने लगी। मैं भी क्लोज था तो वो मेरे नीचे आई और मैंने चूत पे निशाना लगा कर खुदाई चालू की।


"आहा, ममम"


रात के सन्नाटे में कुछ गलत न हो इसलिए वो आवाज कंट्रोल कर रही थी। मैंने भी जेन्टली बात लेते हुए चूत की चुदाई जारी रखी। मेरे लन्ड की हलचल उसे चुत में महसूस हो रही थी। उसने अचानक से मुझे नीचे खींचा और एक लंबा किस किया। उस चक्कर मे मैंने अपना सफेद वीर्य अंदर ही निकाल दिया।


मैं चौक गया था पर मौसी की आंखे, मुस्कान कुछ और बया कर रही थी।


" तुम बर्थ कंट्रोल… नही नही… जान भुजके किया न!?" मैं ।


" हा!! पर इसमे कोई स्वार्थ नही है। मुझे बस मा बनना है। मेरा कोई अपना हो, मुझे मेरी बहनों से इसी की वजह से जलन होती थी कि उनके बच्चे है। मैं बचपन मे भी अकेली और बुढ़ापे में भी अकेली ये विचार से गलत रास्ते निकल गयी। पर आज तुम्हारे साथ बहोत मजा आया। तुम्हारे बच्चे की माँ बनूँगी तो मेरा जीवन सफल हो जाएगा" मौसी की आंखे उसका इनोसेंस बया कर रही थी। बड़े घर मे जितना पैसा है उतना अपनापन हो तो कितना अच्छा होता।मैंने कुछ नही कहा, बस उनके माथे पर चूमा और बेड से बाहर आकर तैयार हुआ।


मौसी," थैंक यू विकि। तुमने माफ किया या करेगा इसका मालूम नही पर चाहे मौसी हो या रखेल मान लो और ये खुशी मुझे देते रहना। तुमसे सेक्स करने से अच्छा तो तेरी बाहों में रहना मुझे बहोत कुछ दे गया। आज से ये मौसी और उसका पूरा शरीर तुम्हारा है। बस मुझे नजरअंदाज मत करना। बहोत दिनों बाद सही से जीने का मौका मिला है।"


मैंने उनको प्यार भरी स्माइल दी। मुझे अभी भी पूरा भरोसा नही था पर हर एक पर शक करके मुझे अपना बेस बनाना आसान नही था। घर के प्यादे अगर मेरे फेवर में नही रहेंगे तो राजा राज कैसे करेगा?


बारी बारी दोनों अपने अपने जगह चले गए। मैं सीधे नानी के रूम में गया। और उनकी बाजू में बेड पे सो गया। 5 मिनिट बाद दादी ने पास आकर मेरे ऊपर हाथ कसा और कान में गुड़ नाइट कहा। चुदाई से पसीना और वीर्य स्मेल बॉडी पर था उसमें एक औरत मुझे कस कर गले लगाए सोई थी ये हालत काफी डेंजर रास्ते पर ले जा सकती थी।


—- और आगे—
To khel ke panne dheere dheere khul rhe hai pahle dadi ,phir Razia aur ab khud ka sautela baap aur choti mausi
 

mkyc

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● Season 1 Episode 6
कहानी आगे…


कुछ भी बोलो इसमे दादी का हाथ नही पर उंगली जरूर है। उस पेनड्राइव को मुझे नजरअंदाज नही करना चाहिए था। मैं गुसैल दिमाग से गेस्ट हाउस गया। दादी वहां नही थी। दरअसल जबसे मैं आया था, दादी ,छोटी मौसी, मौसा, रजिया ( दोस्त जुनैद की माँ।) कोई दिखाई नही दिया था।


मैं सीधा जुनैद के घर गया जो शहर के बाहर था, गाँव मे। करीब 1 घण्टे का रास्ता था। मैंने जुनैद को कॉल किया, जुनैद अपनी बचकानी हरकतों को चालू करता उससे पहले मैंने उसे सारा मांजला सीधे सीधे बता दिया। करीब करीब बचपन से हम यार थे और बड़ो के घिनोने राजनीतिक खेल का जुनैद हिसा हो ही नही सकता इसकी मैं पर्सनल गेरेन्टी ले सकता था। मजाकिया मुड़ का जुनैद कुछ देर के लिए सुन्न पड़ गया। मैंने कुछ देर रुक उसे पुकारा, "हेलो जुनैद, जुनैद!!'


" क्या प्लान है तेरा। बस बोल" जुनैद का आवाज भारी हो चुका था। हद से ज्यादा गुस्सा होने के बाद वो जिस रूप में आता है ये वही रूप था।


" शांत हो!! जल्दबाजी नही। ये खेल जानलेवा है, मैं तुझे खो नही सकता। " मैं उस वक्त की गर्मी को थोड़ा कंट्रोल में लाने की कोशिश की, " तू कैफे के पास मिल, तुम्हारी माँ और मेरी दादी मेरे एक्सीडेंट के बाद गायब हैं। तुम्हारे गाव के अलावा कोई ऐसी जगह नही जहां ये बिल्कुल सेफ रह सके। या तो वो इसमे जानबूझकर है याफिर, किसी कारण फसी है। उनकी साइड सुने बिना फैसला मत कर। ठीक है?? जुनैद?? " कोई आवाज नही और कॉल कट!!


जुनैद सिर्फ टेम्परेरी कंट्रोल हो रहा था। मुझे बड़ा भाई मानता था तो, वो कुछ मनमानी हरकते करेगा मेरे कहने के बाद ऐसे लग नही रह था।


कैफे के पास वो तनतानाते हुए गाड़ी में बैठा।


" जुनैद? जुनैद?" मैं उसका मुड़ चेक कर रहा था।


"तुम मेरे मा से मिले नही। मिले उतने समय मे कभी उसको बुरखे बिना देखा नही। तुम्हे?" उसने अपनी इन्वेस्टिगेशन चालू की है इसका ये प्रमाण था।


"तुम्हारे उस दिन कॉल करने के बाद तूने जब मैं को कोल किया तब वो मेरे सामने ही थी।" मैं।


" सही!! तुम्हारा शक भी सही है, दोनों गाव के घर मे है सुबह से।" वो कांप रहा था। जुनैद मा बाप होते हुए भी अभीतक उम्रभर शहरों में खुद मेहनत कर पढ़ा था। शहर मे बड़े घर मे काम करने वाली विधवा मा के होने से होस्टल में रहना उसने चालू किया। उसका अपनी माँ से ज्यादा जिंदगी का पल मेरे साथ गुजरा था। उसे इतना गुस्सा आना तय था।


हम जुनैद के घर पहुंचे। मैं गाड़ी पार्क करने से पहले जुनैद ने जैसे कूदी लगा दी और घर मे घुस गया। मैं अभी भी बाहर था।


" जुनैद , अभी यह पर क्या कर रहा है?" रजिया।


" तुम अचानक गाव क्यो आई ? और ये औरत कौन है?" जुनैद।


" ये मेरी मालकिन है…" रजिया की बात काटते हुए।


" मालकिन ह!!? इतने बड़े घर की औरत यहां कुटिया में? आप लोगो के तो फार्म हाउस होते है?" जुनैद ने टोंट मारा।


" तुम्हे उससे क्या ? तुम इस वक्त यहां…" रजिया बात पूरी कर ले उससे पहले मैंने एंट्री ली।


मेरे आने से रजिया शोक में नीचे बैठ गयी और दादी उठ गई।


दादी," तुम?" शौक, अचरज, दुख, प्रेम, आनंद! ये तुम किस भावना की उत्पत्ति थी ये मैं उस वक्त जानने के मूड़ में नही था।


मैं, " दोनों को गाड़ी में डाल जुनैद!"


जुनैद ने दोनों को दोनों हाथों से पकड़ा और खींच के मेरी गाड़ी में डाला।


गाड़ी के बाहर**


मैं,"मेरे फार्म पे इन दोनों को अलग अलग कमरे में रखते है। तुम पिघल जावोगे इसके लिए तुम्हारे मा की पूछताछ मैं करूँगा और दादी की तुम। क्योकि इस औरत को मार डालूंगा मैं।" जुनैद को प्लान समझ आया और हम गाड़ी में बैठे।


" जुनैद बेटा मेरी बात सुन, गलत फहमी .." रजिया की बात काटते हुए जुनैद बोला," बेटा कम और एक स्पाय बनाके पाला तुमने मुझे। और किसके आगे? जिस आदमी ने ,दोस्त ने अभीतक मेरे लिये अपने जान से भी ज्यादा किया। उससे नजर मिलाने की हिम्मत नही हो रही मेरी, तो मुह बंद, मुझे कोई कुछ नही समजाएगा। "


हम लोग गेस्ट हाउस पहुंचे फार्म हाउस के दो हिस्से थे आमने सामने। एक में जुनैद दादी को ले गया और दूसरे में मै रजिया को। आमने सामने पूछताछ से वो साफ साफ नही बोलने वाली थी।


रूम में घुसते ही रजिया ने मेरे पैर पकड़ लिए।


रजिया 45 साल की सावली रंग की एक एवरेज बॉडी की मालकिन थी। भरा हुआ अंग, उछली गांड उसे कयामत बनाती थी । बुरखे के अंदर देखने की वजह से उसके सुंदरता का जायजा आजतक नही ले पाया था।


"मुझे माफ़ कर दो मालिक। मैं मजबूर थी" रजिया।


" मुझे जान से मारने तक बात पहुंची ऐसी क्या मजबूरी थी?" मैं उसको पैरो से दूर झटकते हुए बोला।


" मैं नोकर हु मालिक, जो मालकिन बोलेगी…" उसको काटते हुए मैं," जुनैद को काटने बोलेंगे ये लोग, वो कर लेगी?"


"हाय अल्ला, खुदा वास्ते ऐसे बाते मत करो मालिक" वो हड़बड़ाई।," मेरे परिवार को इससे दूर रखो।"


मैं,"ए तुम्हे सोचना था इस गंदगी में पड़ने से पहले। जितना जानती हो, जो भी जानती हो। फटफट बकना चालू करो, इसके पहले मैं भूल जाऊ की तुम मेरे दोस्त की माँ हो।"


रजिया शांत हो गयी। कोई शब्द नही। मुझे जान से मारने तक बात आ गयी मतलब बात बड़ी तो होगीं।


"ठीक है, कल सुबह तक सोचने का वक्त देता हूं, उसके बाद तुम्हारे हर गलत कदम की जिम्मेदारी तुम्हारी रहेगी।" इतना बोल मैं जुनैद की ओर चला गया।


जुनैद," ये कुछ बोलने का नाम ही नही ले रही। विकि ये मांजला बहोत बड़ा और बहोत ही घिनोना लग रहा है। घर का आदमी घर के.. और सॉरी ,मेरी माँ की वजह से.." वो रोने लगा।


उसको गले लगाते हुए," अरे ये, तू क्यो सॉरी, और ये बच्चो की तरह रोना बन्द कर। तुम्हारी अम्मी सिर्फ प्यादा है। वो ज्यादा कुछ बोली नही बिना मजबूरी वाली बात के। और मैं अंदाजा लगा सकता हु की वो मजबूरी तुम होंगे। इस उम्र में अगर ये मुझे मारने की कोशिश कर सकते है तो तुम्हारी सेफ्टी उस समय क्या होगी। जाओ, अम्मी से मिलो।


जुनैद जाते ही मैं दादी के पास जाके खड़ा हुआ,"मगरमच्छ की अम्मा , कुछ कहना है आपको?"


दादी पूरी तरह सन्नाटे में थी।


"कल वापस आऊंगा, मुझे जवाब तैयार चाहिए" रात बहोत हो गयी थी और मुझे नानी की चिंता नही बढ़ानी थी इसलिए मैं ज्यादा वक्त न निकालते हुए, जुनैद को अगला कार्यक्रम सोप निकल गया।


रात 10 बजे**


हवेली को जाने के रास्ते पर मुझे एक गाड़ीया नजर आयी। मैं उस एरिया में नया था तो कन्फर्म नही था कि किसकी और कौनसी गाड़ी पड़ोस वाले कि होगी। मैंने हर गाड़ी का नम्बर तब नोट कर लिया मोबाइल केमेरा से। मैंने आसपास की सभी जगह का जायजा करने लगा। बंगलोज का एरिया था तो दो बंगलोज में काफी अंतर था। मैं घुमके रिटर्न हवेली के अंदर आया।


मैं जैसे ही हवेली के ओर जाने वाला था उससे पहले मुझे फोन की आवाज आई। मैं चुपचाप उस ओर चला गया। वो हवेली का टैंक रूम था जहां से गार्डन, स्विमिंग को पानी सप्लाई होता था। काफी बिन भीड़भाड़ की जगह। मैं उसकी एग्जॉस्ट वाली जगह पर गया तो मुझे कुछ बाते सुनाई दी।


औरत," जानू अपने प्लान बिगड़ते जा रहे है। प्रमिला और रजिया कॉन्टेक्ट में नही है। डर के कहि छुप गयी है। आदमी लोगो को लगाया है पर कुछ पता नही।"


आदमी," पहले ही बोला था। शर्मिला देवी को पता लगने से पहले उस बच्चे को टपका दो। नही, तुमने कहा किसको क्या मालूम होगा। उसकी माँ को अभीतक उसकी कोई फिक्र नही थी पर अभी होगी।"


औरत," उस औरत को फिक्र होती तो उसके पैदा होने का पता वो पहले ही दे देती। ये प्लान तो प्रमिला (दादी) का था। वो उसका १८ साल, पूरा पढ़ाई … इन शार्ट मैनेजमेंट मेम्बर और डायरेक्टर होने के लगने वाले सभी रूल्स पूरे होने की राह देख रही थी। उसके बेटे ने तो मिट्ठी खा ली पर वो ऐसे रुकने वाली नही थी। पर तुम भी ऐसे चूतिये हो कि एक बच्चा नही पैदा कर पाए।"


आदमी," उसकी माँ दिखती भोली है पर सेक्स के मामले में काफी शौकीन है। मैं तो टिक नही पाता। और बेटा आने के बाद तो वो मुझसे दो हाथ दूरी बनाए है। क्योंकि उसके बेटे को लगेगा कि मेरे जैसे आदमी के लिए उसने उसे और उसके बाप को छोड़ दिया। जो कि सच हो सकता है।"


औरत," मुझे बता, उसपे हमला किसने किया?"


आदमी," मुझे क्या मालूम,रुको रुको,तुम्हे लगता है कि वो मैं? पागल है क्या? मैंने सिर्फ उनको उसका पीछा करने के लिए कहा था। और सुपारी मिडल मेंन को दी थी। मुझे ये भी नही मालूम कि ये वही है या नही!!"


औरत," मैं अभी बोली ना ,तू चुतीया है। बस इतना पता कर की कौन है जो हमसे भी आगे है। "


दोनों की बाते पास पास में खत्म हुई और पहले आदमी वहां से निकला। सीधी सी बात थी कि एकसाथ निकलना शक पैदा करेगा। मैं तुरन्त सामने आया गार्डन से अंधेरे से निकलने के बाद कन्फर्म हुआ कि वो चेतन था, उसकी बातों से तो अंदाजा लग गया था । अभी बारी थी औरत की मैं तो मैं ठीक दरवाजे के सामने खड़ा रहा।


दरवाजा खुला और उस औरत को सरप्राइज मिला। वो हो!! ये तो माननीय सौभाग्यवती सरिता जी, जी हा हमारी छोटी मौसी जी थी। मुझे देख उनको छत से आरपार तारे दिख रहे थे।


"विकि तुम मममम?" वो हकलाई।


"एक औरत मेरे मा के पति से अफेयर करती है, उसके बेटे का प्रोफाइलिंग करती है , वो औरत मेरी मौसी है। अभी अभी फेमिली गेटटुगेदर हुआ है, सोच रहा था अभी लाइफ में खुशियां आई है। आप लोगो को जानने की कोशिश कर रहा हु तो ये मुझे टुगेदर वाला कम और वॉरटुगेदर ज्यादा महसूस हो रहा है। क्या खिचड़ी पक रही है मौसी तुम्हारी और चेतन के बीच?"


" क्या खिचड़ी?" वो इनोसेंट बन रही थी।


"देख भेंचोद, तेरी दोनों तितलियां प्रमिला और रजिया मेरे कब्जे में है। अभी बकना चालू कर नही तो तू भी रातोरात गायब हो जाएगी। " मैंने ज्यादा बात न बढ़ाते हुए सीधे ठुकाई चालू की।


" जबान सम्भालके, तुम तमीज मत भूलो ,हा.. मैंने कुछ नही किया है!!" वो अभी भी नही मान रही थी ।


" ठीक है। तुम दोनों की बाते मैंने फोन में रिकॉर्ड की है। तुम लोगो का घर निकाला करने का वक्त आ गया। दादी और मामा को इतना सबूत बस है मेरे फैसले को मनाने के लिए" मैंने ब्लफ किया।


वो झट से मेरे पास आकर मुझे अंदर खींचा और दरवाजा बंद किया। कंट्रोल हाउस की लो पॉवर लाइट चालू कर दी।


" नही ऐसा मत करो, मैं तुम्हे जान से नही मारना चाहती थी। मैंने सिर्फ तुम्हारी माँ की गलतियो का फायदा उठाते हुए अपने बॉयफ्रेंड से शादी करवादी जिससे उसके बच्चे को तुम्हारी जगह मिल जाये और मेरे पति के हाथ से होटल की ऑथोरिटी बरक़रार रहे। तुम्हे दूर करने और नजर रखने के लिए प्रमिला मौसी और रजिया को तैयार किया। मौसी की नशा और रजिया की गरीबी दोनों हमारे काम आई। तुम्हे यहां कंट्रोल करने के लिए भी उनको बोल रखा था। पर कल से दोनों हमारे संपर्क में नही है" वो बक गयी।


" अच्छा जी!! फिर मेरे पीछे लोग क्यो?" मैं।


" हम तुम्हारी गलती की राह देख रहे थे जिससे तुम डिस्कोलिफ़ाय हो सको" वो पूरी नरमा गयी," मा कसम तुम्हे मारना नही चाहती थी।"


"पर फिर भी तुम गुनहगार हो। मेरे पैदाइश के बारे में पता था तो माँ को कुछ अच्छा एडवाइस देने से चूक गयी तुम। ऊपर से अपने बॉयफ्रेंड के साथ उसे फसके अय्याशी कर रही हो वो अलग।" मैं पूरा अपसेट था।


" प्लीज प्लीज विकि इसके बारे में किसी को मत बताना। नही तो मेरा तलाक करवा कर घर निकाला कर देगी माँ।" वो गिड़गिड़ाने लगी, "तुम जो बोलोगे वो करूँगी, बस मेरी लाइफ बर्बाद मत करो।"


इस औरत का क्या जरूरत पड़ने वाली थी? इसकी बातों में अभी भी आधी सच्चाई लग रही थी। इसको अपने हाथ रखना मतलब चार लोगों को हाथ मे रखने जैसा था। दादी,रजिया, छोटे मौसा और सौतेला बाप। पर इसे बातों से या इस धमकियों से नही कंट्रोल कर सकते थे और रेकॉर्डिंग थी नही। अभी क्या?



तभी मेरे दिमाग मे बत्ती जली। अगर रेकॉर्डिंग नही है तो अभी बना लेते है। मैंने उसको बोला "गेस्ट हाउस में मेरा वेट करो, मैं आता हूं।"


वो जाने के बाद मैने हवेली का जायजा लिया। गार्ड की पोजिशन चेक की और गेस्ट हाउस में घुसा। मौसी वही खिड़की के पास खड़ी थी।


4,3 फुट की औरत जो मेरे कंधे तक आती है। काफी मोटी थी। घर पर बैठे खाने का असर। कसे हुवे चुचे। फुटबॉल जैसी गांड। स्लीवलेस ब्लाउज और मॉडर्न सारी पहनके मॉडर्न वेश्या लग रही थी।


मैंने सारे खिड़की दरवाजे लॉक किये। एक केमेरा बेड के सामने सेट किया और कहा," मौसी, तुम्हारे मोबाइल पर एक मैसेज भेजा है उसको याद करो और केमेरा के आगे बोलो"


मेरा मेसेज पढ़ने के बाद**


"ए क्या मजाक है। मैं तुम्हारी माँ जैसी हु। ए हरकते तुम्हे शोभा नही देती..तुम हद पार कर रहे हो।, वो तिलमिलाई।


"आपको कोई ऑप्शन नही है और मेरे पास अभी वक्त, तो फटफट याद करो और चालू हो जावो।" मैं खिसका।


उसने गुस्से वाली सांसे छोड़ी और याद करना चालू किया। वो पढ़ने को चालू किया, " मैं सरिता झुनझुनवाला अपने होश में ये बता रही हु की मैंने और मेरे बॉयफ्रेंड चेतन रूखी ने मिलके सुशिला झुनझुनवाला का फायदा उठा के उसके बच्चे के ऊपर अन्याय करते हुए जायदाद को हड़पने का प्लान किया। मेरा मेरे शादी के बाद मेरे बॉयफ्रेंड के साथ शारीरिक संबंध है।"


मौसी अभी रोने लगी। मैन वीडियो क्लाउड पे डाला और वहां से जाने लगा। पर मौसी ने दौड़ते हुए मुझे रोख दिया।


"रियली रियली सॉरी विकि। ऐशो आराम और जायदाद में इतनी अंधी हुई कि इंसानियत भूल गयी। इस घर मे इतने साल रहने के बाद रिश्ते सिर्फ व्यवहार से बनते गए। प्यार के रिश्ते तो यहां मालूम ही नही। तुम्हारे आने से खुशी बहोत हुई थी पर डर था कि अगर तुम भी तुम्हारे पापा की तरह निकल गए तो? किसी की जान लेने की दूर वो सोचने का भी धैर्य नही मुझमे, मेरी करतुते माफी मिलने लायक नही है। पर रिक्वेस्ट है कि नफरत मत करो। बचपन से सबसे छोटी होने की वजह से हमेशा नीची नजरो से देखी जाती थी। जिससे प्यार किया था वो तो पूरा फट्टू था। जिससे शादी कराई वो नशेड़ी निकला। लाइफ के बारह बज गए है, उसमे अब तुम भी!!" वो रोते रोते बेड पे बैठ गयी।


ये सिन कुछ जाना पहचाना था। दादी भी ऐसे ही इमोशनल हुई थी। क्या मौसी भी वही मगरमच्छ रोना लेके फसा रही है या?? पर मेरा सिक्स सेंस काफी इमोशनल हो गया। उसके हर एक पॉइंट में दम था। पति तो नशेड़ी है। उसकी कोई संतान नही। ऐसे में घर के जायदादी मामलों में टिकाव तो लगने नही वाला इसका। मुझे अभी सच मे बुरा और सिम्पति वाला फील आ रहा था।


मालूम नही क्यो पर मैंने नीचे बैठ कर उनको अपने बाहों में लिया। मैं," ठीक है ठीक है, माफी देने में थोड़ा सोचना होगा पर मैं आपके सेफ्टी का पूरा खयाल रखूंगा ये मेरा प्रोमिस है। बस मुझे और तकलीफ देने जैसी हरकते मत कर देना, मेरा गुस्सा नही झेल पावोगी।"


उन्होंने झट से बाहों से निकलते हुए," नही कभी नही, आज से तुम्हे लाडले भांजे की तरह प्यार दूंगी। अभी से कोई चालसाजी नही। थेंक्स थेंक यू …" और उसने उस खुशी में एक लिपकिस दे दी। थोड़ी वक्त के लिए दोनों चौक गए। मौसी की लिप्स काफी मीठे थे, मुझे अच्छा लगा । पर उस हरकत से मौसी डर गई।


वो,"सोरी सोरी, वो गलती से…. प्लीज गुस्सा मत होना"


मैंने बिना कुछ बोले उनके ओंठो को चूमना और चूसना चालू किया। मौसी पहले तो हक्काबक्का रह गयी। कुछ रिस्पॉन्स नही। फिर मैंने उनको बाहों में भर के पूरे जुनून से चुम्बन लीला चालू कर दी। अभी मौसी उसमे रिस्पॉन्स देने लगी। उसके हाथ मेरे से बिलग गए। कुछ देर मौसी के ओंठो का रसपान करने के बाद हम दोनों कुछ सेकंड के लिए एक दूसरे के चेहरे को देखते रहे। कोई सिकंज नही थी गलती की। मौसी ने पल्लू को नीचे कर ब्लाउज के बटन खोल दिये। ये मिला परमिशन और दरवाजा खुला। मौसी को बेड पर सुलाक़े उनके ऊपर से उनके ओंठ चूसने लगा। एक हाथ भरे चुचो को मसल रहे थे। उनकी आँखें सिसक रही थी।


वो मुझे ऊपर से नंगा कर रही थी।मैंने ज्यादा देर न करते हुए फट से खुद को पूरा नंगा किया और वो भी नंगी हो गयी। मैं घुटनो पे था और मेरा 7 इंच लटक रहा था। उसने कुछ सेकंड के लिए मेरे लन्ड को ताड़ा। उसका चेहरा लालेलाल हो रहा था। जीभ ओंठो पर घूम रही थी। उसने हवस भरी स्माइल दी और मेरे लन्ड को मुह में लेके चूसने लगी।


पूरी प्रोफेशनल ब्लोजॉबर थी मौसी। पूरा लन्ड जैसे पोर्न स्टार के जैसे चूस रही थी। मसल रही थी। नीचे के दो अंडों को भी चाट रही थी, मुह में घोल रही थी। मैं दूसरी ओर उसके चुचो से खेल रहा था।कुछ वक्त वैसे ही चालू रहा और मैंने 69 पोजिशन का इशारा किया।


मौसी की चूत क्लीन और लाल थी।पूरी एशियन रंडी थी छोटी मौसी। ऐसे कयामत को दो गांडू लोगो ने इग्नोर कैसे किया ये समझ नही आ रहा था।


मैंने चुत की चमड़ी को मुह में लेके चूसना चालू किया। मौसी का बॉडी जैसे व्हाइब्रेट सा हो गया। कुछ देर वैसे ही चुसम चुसाई होने के बाद मौसी उठी और मेरे लन्ड के ऊपर चूत घिसनी चालू की, उनके बूब्स के बीच मेरा मुह था। चूत से पानी निकलने को जैसे शुरू हुआ मौसी ने चूत को लन्ड पे सेट कर गांड उछालना चालू किया। वो मजे से कूद रही थी। उसके मुह से काफी कम सिसकिया निकल रही थी। पूरी प्रोफेशनल रंडी। काफी देर उछलने के बाद वो हांफने लगी। मैं भी क्लोज था तो वो मेरे नीचे आई और मैंने चूत पे निशाना लगा कर खुदाई चालू की।


"आहा, ममम"


रात के सन्नाटे में कुछ गलत न हो इसलिए वो आवाज कंट्रोल कर रही थी। मैंने भी जेन्टली बात लेते हुए चूत की चुदाई जारी रखी। मेरे लन्ड की हलचल उसे चुत में महसूस हो रही थी। उसने अचानक से मुझे नीचे खींचा और एक लंबा किस किया। उस चक्कर मे मैंने अपना सफेद वीर्य अंदर ही निकाल दिया।


मैं चौक गया था पर मौसी की आंखे, मुस्कान कुछ और बया कर रही थी।


" तुम बर्थ कंट्रोल… नही नही… जान भुजके किया न!?" मैं ।


" हा!! पर इसमे कोई स्वार्थ नही है। मुझे बस मा बनना है। मेरा कोई अपना हो, मुझे मेरी बहनों से इसी की वजह से जलन होती थी कि उनके बच्चे है। मैं बचपन मे भी अकेली और बुढ़ापे में भी अकेली ये विचार से गलत रास्ते निकल गयी। पर आज तुम्हारे साथ बहोत मजा आया। तुम्हारे बच्चे की माँ बनूँगी तो मेरा जीवन सफल हो जाएगा" मौसी की आंखे उसका इनोसेंस बया कर रही थी। बड़े घर मे जितना पैसा है उतना अपनापन हो तो कितना अच्छा होता।मैंने कुछ नही कहा, बस उनके माथे पर चूमा और बेड से बाहर आकर तैयार हुआ।


मौसी," थैंक यू विकि। तुमने माफ किया या करेगा इसका मालूम नही पर चाहे मौसी हो या रखेल मान लो और ये खुशी मुझे देते रहना। तुमसे सेक्स करने से अच्छा तो तेरी बाहों में रहना मुझे बहोत कुछ दे गया। आज से ये मौसी और उसका पूरा शरीर तुम्हारा है। बस मुझे नजरअंदाज मत करना। बहोत दिनों बाद सही से जीने का मौका मिला है।"


मैंने उनको प्यार भरी स्माइल दी। मुझे अभी भी पूरा भरोसा नही था पर हर एक पर शक करके मुझे अपना बेस बनाना आसान नही था। घर के प्यादे अगर मेरे फेवर में नही रहेंगे तो राजा राज कैसे करेगा?


बारी बारी दोनों अपने अपने जगह चले गए। मैं सीधे नानी के रूम में गया। और उनकी बाजू में बेड पे सो गया। 5 मिनिट बाद दादी ने पास आकर मेरे ऊपर हाथ कसा और कान में गुड़ नाइट कहा। चुदाई से पसीना और वीर्य स्मेल बॉडी पर था उसमें एक औरत मुझे कस कर गले लगाए सोई थी ये हालत काफी डेंजर रास्ते पर ले जा सकती थी।


—- और आगे—
तेजा जी, आपका शब्दज्ञान इतना अधिक है कि मेरे तो out of mind जा रहा है।
कहानी भी बहुत स्पीड से जा रही है।
और कौन क्या कह रहा है ये कभी पहले लिखते हो कभी बाद में तो कनफ्यूजन बढ़ जाता है।
कहानी को व्यंग्योक्ति में ना लिखकर सीधे शब्दों में लिखो ताकि पढ़ने में फीलिंग आये ।
मैं बस गुजारिश कर सकता हूँ वैसे कहानी अच्छी है
 
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SEASON 1 EPISODE 10
कविता जी को सोफे पर ही गहरी नींद आ गयी। मैंने उनको सीधा लिटाये वहां से घर के लिए निकल गया। घर पहुंचने के बाद मुझे याद आई मा की। दोपहर को काफी डरी हुई थी। मैं सोचा कि माँ के बाद नानी से मिल लूंगा और यह सोच मैं मा के कमरे के ओर मुड़ा।


मा के दरवाजे पर आते ही मुझे किसी की बाते सुनाई दी।

" माँ आज मैं बहोत खुश हूं, दिल से या सहानुभूति से मुझे मालूम नही पर बेटे को गले लगा के आज जिंदा होने का अहसास हुआ," मा नानी के साथ सोफे पर बैठ रोते रोते खुशी बया कर रही थी।


" सुशीला , उसका गुस्सा होना जायस है। घटनाओं का क्रम और कारण कुछ भी हो तुम्हे उसे ऐसे अनाथों के जैसे नही छोड़ना था। तुमसे कई ज्यादा समझदार है वो। थोड़ा वक्त दो, वो जरूर तुम्हे पूरे दिल से अपना लेगा," नानी ने धीरज दिया।


" मैं तो बस अपनी परेशानियों में इतनी डूब गई कि, और मैंने कुछ जान बूझ कर नही किया। सुशील ने कहा था कि वो बेटे को अपने पास रखेगा। पर उसके स्कूल के बाद मुझे कुछ कानो खबर नही हुईं । मैं मानती हूं कि मैं अच्छी मा नही बन पाई पर अभी समय नही गया। मैं मेरे बेटे का विस्वास पा लुंगी मा।" वो पूरे आत्मविश्वास से बोली।


" देख सुशीला, तुम्हारा आत्मविश्वास देख बहोत अच्छा लगा। तुम फिरसे नॉर्मल जैसी लग रही हो। चेतन से शादी करके तुम सही हो जावोगी लगा था पर कुछ नही हुआ। सही इलाज तो तेरा बेटा ही था। और ये बात मेरी बहन को मालूम थी। पैसो के लिए कितने हद तक गिरेगी ये औरत। " दादी मन ही मन गुस्साई।


** मा और नानी को मानसिक रूप से कमजोर करने का ये पूरा प्लान मा बेटे का था। यू मानो पिताजी का था। उनके रवैये से तो लगता है, दादी भी मोहरा ही है। उसका नसेड़ी के लत का पूरा फायदा उठाया है। चेतन भी कही उनका सजा धजाया मोहरा तो नही? तब तो माँ भी… नही नही। अभी ये जाल बहोत फैलते जा रहा है। छोड़ो, पहले इन दुखी आत्मवो से मिलता हु बाद का बाद में।**


"नानी आप कहा हो" मैं बाहर से थोड़ा दूर से चिल्लाया।


"मैं यहां हु विकि" नानी ने जवाब दिया।


मेरे घर के अंदर जाते ही मा दौड़ते हुए आई और गले लगाई। मैंने इसबार दुजभाव न करते हुए। उनको कस के गले लगाया," तुम फिरसे चालू हो गयी। मैं बोला ना मैं ठीक हु, मुझे कुछ नही होने वाला 'माँ sss'" मैं।


मेरे मुह से शब्द सुन दादी भी चौकी और उनको बहोत इमोशनल सा फील आया जो उनके आंखों में साफ दिख रहा था। मा भी उस शब्द से और नरमाई। मा बेटे का ये विलक्षण संगम नानी को बहोत ज्यादा आनंद दे रहा था। दरवाजे के बाहर मामा, मामी, दोनों मौसी उनकी बेटियां, दादी ,रजिया, जुनैद ,चेतन , नॉकर नोकरानी सब ये नजारा देख रहे थे। अचानक से दोनों मौसी और उनकी बेटियां आकर मेरे और माँ की मिलन में शामिल हो गयी। ये थोड़ा अजीब था। क्या ये मेरे और मेरे मा की मन मुटाव की वजह से मुझसे घुल मिलने में डर रही थी?


कुछ देर के लिए वो घेराव ऐसे ही रहा। मामा मामी, चेतब, नोकर नोकरानी वहां से निकल गयी।


" नानी तुमने अब भेडियो को काफी फोकट का खाना खिलाकर मेरे कंधो पे छोड़ दिया है" मैंने मजाक उड़ाया।


नानी हस्ते हुए, " इतने साल मैंने झेला, अब तुम झेलो।"


सब लोग मेरे ओर गुस्से से देख रहे थे।


" झेल लूंगा उसमे क्या है" मैंने सोरी वाली पोज में हामी भर दी।


सब लोग हसने लगे।


" बेटा विकि , अगर तू मुसीबत का रिश्तेदार है क्या बे। तेरे कंधे पर तो वो पैदाइशी बैठी है"जुनैद।


" आ हरामी तेरी ही कमि थी" मैंने जुनैद को अपने पास बुलाया।


"इसे तो आप जान ही लिए होंगे, जुनैद। मेरी स्कूल से गले मे लटकी गर्लफ्रैंड। " मैंने उसका मजाक उड़ाते हुए। सब लोग हस पड़े। रजिया और दादी भी।


" हा तो, हम बने तुम बने एक दूजे के लिए," दोनों झट से गले लग गए।


" थैंक यू जुनैद, मेरे ख्याल से तुम ही हो जो इसके साथ हर कदम रहे, उसे इस मकाम तक साथ दी" नानी के साथ सभी लोग धन्यवाद स्वरूप आंखे गीली कर देखने लगे।


" नानी, यह बात मेरे लिए भी उतनी है लागू होती है, मुझे मालूम नही था कि मेरी माँ ने इतना कांड किया है, वो क्या करती है। पर विकि हमेशा मेरे साथ रहा है। मेरे बड़े भाई की तरह हर वक्त हर दशा में मेरे लिए मौजूद रहा है। थैंक्स तो मुझे बोलना चाहिए इस हरामी को ऐसे बाहर छोड़ने के लिए" सब हसने लगे। बात की भावनाएं समझ गए।


मैंने जुनैद के कान में कुछ कहा और जुनैद ने दरवाजा बंद कर बाहर खड़ा हो गया।


"तो बात ऐसी है…" मैंने और रजिया ने मिल सब बातें मा, नानी, मौसी, बहनों को समझा दी।


" तुम को तो मुझसे भी कही ज्यादा मालूम है रजिया,"नानी चौकते हुए बोली," और तुम नसेड़ी, कैसी संतान पैदा की है!!? अभी भी वक्त है सुधर जा। अभी बात जान पर आई है। इसबार तुम्हे बचाने की कोशिश भी नही की जाएगी। "


"हमसे गलती हो गयी, माफ कर दीजिए।"दादी, रजिया एक सुर में बोली। " जैसी मालकिन वैसी नोकरानी" बोल सब हसने लगे।


"सभी लोगो को भी यही बोलना चाहता हु। अपना ध्यान रखो। आप सभी के नए मोबाइल सेक्युरिटी अंकल और जुनैद के पास कल भेज दूंगा। घर के सारे सीसीटीवी और बग चेक कर दिए जाएंगे। सो कोई बचपना नही। हर एक के घड़ी, लॉकेट पर ट्रैकर लगाए जाएंगे। उनको आपने पास ही रखो। मैं एक टीम बनाने वाला हु जो पडदे के पीछे से काम करेगी आपकी सुरक्षा का।"मैं समझा रहा था। सब लोग सुन रहे थे एकदम स्टूडेंट्स की तरह।


"मा सच मे , मेरा बेटा बहोत बड़ा हो गया पता ही नही चला" माँ ने मेरी खिंचाई करते हुवे टोंट मारा।


" हा तो फिर, विकि तुम्हारे आने से अभी ये घर एक सच्चे एम्पायर की तरह चलने लगा है जैसे तुम्हारे दादा के वक्त था।" नानी खुशी से सहलाते बोली।


" सच मे माँ, इस हीरे को काफी तराशा गया है। और ये उम्मीद है हमारी उस जिंदगी का जिसको हम पिताजी के जाने के बाद खो चुके थे" बड़ी मौसी।


" सच कहा दीदी, गलतियां होती रहती अगर यह नही आता, और जिंदगी के मजे भी नही मिलते " छोटी बुआ ने आंख मारते हुए कहा।


" आज बहोत ज्यादा सुरक्षित लगा रहा है मुझे, छोटा हो या बड़ा हो, भाई का होना अलग तरह का अहसास होता है, थैंक यू भाई हमारी लाइफ में लौट आने के लिए" रितु की आंख भर आईं। " सेम टु दी" नीतू ने उसमे हामी भर दी।


मैंने अपने हाथ फैलाकर उन्हें अपने बाहों में लिए," आभो फिक्र की कोई बात नही, जैसे जीना चाहो जी लो। तुम्हारे पीछे तुम्हारा भाई खड़ा है।"


मेरे मौसीओ के आखों में आंसू आगये। सभी लोग कुछ देर तक बाते करती रही। मैं बाहर जुनैद के पास आया। मेरे बाहर आते ही जुनैद ने मुझे गले लगा लिया।


"थैंक यू भाई, मा की जान बचाने के लिए"जुनैद।


"बस क्या भाई, वो मेरी दुश्मन नही है। वो बस वही कर रही थी जो एक ईमानदार नोकरानी करती है। पर मेरे लिए वो तुम्हारी माँ है। और तेरे उतनी ही उसकी सेफ्टी भी मेरी जिम्मेदारी है। तो सुन लोडे , फोकट की जान से मस्ती नही करने का " मैं भावुक और गुस्सा होते हुए उसे चिल्लाया।


"जी साबजी" जुनैद ने मजाक में बात को खत्म किया।


रात 12 बजे।


मैं आज माँ के कमरे में सोने वाला था। चेतन कहि बाहर गया था। घर मे मेरा कोई रूम नही था। जुनैद रजिया गेस्ट हाउस में सोने वाले थे।


काफी अंधेरा था। मा मुझे पीछे से बिलग के सोई थी। बहोत दिनों बाद बेटे के साथ सोने का उसका अविश्वसनीय अनुभव था। कुछ समय बाद मुझे मेरे पेंट में हलचल नजर आई। मैं नीचे से पूरा नंगा था और मा मेरा लैंड हिला रही थी। चूस रही थी। है भगवान, ये क्या हो रहा था। मैंने उसको हटाने की और शुद्धि में लाने की हल्की कोशिस की पर कोई फायदा नही हुआ। तभी मेरा ध्यान मेरे मोबाइल पे गया। दादी ने 12 के आसपास मुझे मेसेज किया था कि, " विकि मा के साथ थोड़ा संभाल के। उसे तुम्हारे पिता और दादी ने कई साल पहले ड्रग का शिकार किया था। उसे हवस का दौरा पड़ता है। पुरुष के स्पर्म की लत की ड्रग उसको आहिस्ता दी गयी थी। उसको रात को उसकी प्यास लगती है। वो पहला कदम ले उससे पहले उसे टेबल पर रखी दवाई दे देना। ख्याल रखा अपना और माँ का। शुभ रात्रि।"


कितनी मतलब कितनी घटिया लेवहल पर गिरेंगे ये लोग। डिवोर्स और जायदादी खेल से मा को बाहर फेकने के लिए इस कदर गिर गए। और चेतन की तो बात ही छोड़ो, वो तो भड़वा है। पर प्रॉब्लम तो अभी थी। एक तो दवाई देने में काफी देर हो गयी थी। और पहला कदम आगे जा चुका था। नीचे मेरी खुद की नंगी मा मुझे ब्लोजॉब दे रही थी और मैं ऊपर उस ड्रग के साइड इफेक्ट और कई जानकारी पर खोज करने लगा।


"रशिया की बनाई ये ड्रग वेश्या व्यवसाय में ज्यादा उपयोग में आती है। अगर किसी जवान मर्द का स्पर्म का स्वाद किसी ड्रग की पीड़ित को आ जाए तो वो समोहित हो जाती है और उससे निकलने के तरीके अभीतक मालूम नही किये गए है। यह एक सायको ड्रग डीलर का फेल्ड एक्सपेरिमेंट होने की वजह से उसका कोई इलाज नही है।"


मैंने टॉनिक देखा तो वो कफ सिरफ की बोटल थी। यही कारण था कि इतने साल मा मुझसे दूर रही। कहि बचपन मे ही वो मुझपर जबरदस्ती न कर बैठे नशे में। सोच कर ही मन भयभीत हो उठा मेरा।


मेरे लन्ड से निकला हर बून्द को सफाचट कर मा वही सो गई। मैं भी थकान से वैसे ही सो गया।


सुबह मेरी किसी आवाज से आंख खुली। मा बेड पर नही थी। मै आती आवाज की तरफ बाथरूम की ओर बढ़ा। दरवाजा खुला था और बेसिंग के कोने में मा रो रही थी। वो अभी भी नंगी थी और मैं भी।


"रुको, मेरे पास मत आओ," मा ने मुझे रोका," मैं तुम्हारी माँ कहने लायक नही। तुम्हारे पापा सही कहते थे, तुम्हारे जिंदगी में मैं कलंक हु।"


मैंने झट से जाके मा को उठाया और बाहों में लिया ," शुssssss , चुप हो जाओ। दादी ने मुझे सब बता दिया है माँ। उसमे तुम्हारी कोई गलती नही। और कल रात को हुआ उसमे भी कोई गलत नही। मैंने उनको शांत करते हुए सहलाया।


"मतलब, मैं तुम्हारी माँ हु, तुम बेटे.." वो आंखे सुखाती बोली।


" हा हा, पर ये रिश्ता कुछ लिमिटेशन तक। जब बात यौन पीड़ा, यौन जरूरत, यौन अधिकार की हो तो वहां पर सिर्फ एक औरत और मर्द होता है। सृष्टि पैदा हुई तो स्त्री योनि और पुरूष योनि की पैदाइश हुई, ये रिश्ते हमने निसर्ग का संतुलन बनाने हेतु तय किये। तुम खुद को पापी मत समझो।" मैंने फिलोसोफी झाड़ दी।


----- कहानी जारी-----


डेली सकेड्यूल के हिसाब से कहानी अपडेट थोड़े देर से आ सकते है। मुझे फॉलो करोगे तो नोटिफिकेशन मिलता रहेगा फोरम की फीचर के माध्यम से। मेरे प्रिय वाचको को बताना चाहूंगा। कहानी बिना किसी फेयरवेल के बंद नही होगी, बस सब्र रखे यही प्रार्थना। धन्यवाद ❤️
एक तो कहानी के रिस्तों में बहुत झोल डाल दिया है।
दादी नानी बहन हैं बूआ मौसी भी बहन भी बहन है मम्मी पापा भी बहन भाई है चेतन मौसी का बॉयफ्रेंड और मम्मी का दूसरा पति हैऔर फिर दादी,नानी,मौसी,मौसा,मामी,मामा, बूआ, और सबके बच्चे एक ही घर में रहते है
और कहानी में दादी का डायलॉग नानी से नानी का डायलॉग दादी से बुलवा देते हो
हीरो की पिता भी नानी का सौतेला बेटा है जो नाना और दादी(नाना की लाली) से पैदा है ।
और उसपर आपकी शब्दावली यार समझने के लिये बहुत मेहनत करनी पड़ रही है लेकिन कहानी दिलचस्प है
आगे थोड़ा सरल बनाओ। सेक्स स्कैन को थोड़ा दिलचस्प बनाओ कविता जैसा नहीं कि डिलडो देखा और पकड़ लिया फिर कविता भी ऊपर चड़ कर उछलने लगी और हो गया।
 
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mkyc

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SEASON 1 EPISODE 11
मा अभी काफी शांत हो गयी थी। एक दूसरे के शरीर के गर्माहट से मेरा लन्ड खड़ा होकर चूत पर घिसने लगा, पर मा का कोई रिएक्शन नही था। कुछ देर तक वैसे ही खड़े रहे फिर बाहर नानी की आवाज से हमे होश आया।


हम दोनों तैयार होकर रूम से बाहर आये। काफी सुबह का समय था। मैं नानी को बोला कि मैं नास्ता नही करूँगा और जुनैद को देखने चला गया तो गेस्ट हाउस के बाहर रजिया को खड़े देखां। उसे कुछ हालचाल पुछु उससे पहिले उसके करीब जाते रास्ते मे मुझे हवसभरी आवाजे सुनाई दी। दादी और जुनैद की जोरो शोरो से चुदाई हो रही थी।


रजिया काफी अस्वस्थ थी। खुद के लड़के की चुदाई देख बाहर से अनकंफर्टेबल और अंदर से कामुक हो रही थी। मैंने उसको पकड़ा और चुदाई बर्ड के बीच टपक गया।


मुझे देख तीनो हैरान हो गए।


जुनैद," विकि वो वो…" थोड़ा शरमाया, डरा सा लगा उसका आवाज।


रजिया," साब उसे माफ करदो, आपके पैर पड़ती हु।" रजिया को मेरा असली तौर मालूम था। वो काफी डर गई।


"अरे चील चील, ये बुढ़िया कितनी हवसी है ये मुझे मालूम है और वैसे भी रजिया तुम्हारे ऊपर अगर मैं चढ़ सकता हु तो जुनैद का इतना हक बनता है। लगे रह बेटा। " मैं मुस्कुराते बोला।


जुनैद," अम्मी…." जुनैद हम दोनों की तरफ बारी बारी चौक कर देख रहा था। उसका हाथ अभी पत्थर के नीचे था तो उसको चिढ़ने का कोई हक ना था। समय काफी मेरे साथ चल रहा है।


इंटेंस मोमेंट था पर मैंने रजिया को एक साइड से गले लगाते हुए ओंठो पर किस दे दिया। जुनैद गुस्सा नही हुआ पर काफी मायूस दिख रहा था। उसी वक्त दादी ने उसको खींचा और किस कर दिया। पहली बार इस गधी दिमाग दादी पर नाज हो रहा था मुझे। मेरी और दादी में जैसे किस का जंग छिड़ा था। पहले चौक से गये दोनों मा बेटे बाद में उस जंग का पूरा मजा लेने लगे। फिर भी रजिया को बेटे के सामने नंगा होकर दूसरे मर्द से चुदवाना अनकम्फर्टेबल कर रहा था। जुनैद भी काफी संस्कारी और पुराने विचार का था तो मुझे अपनी मालकियत उन्हें नही दिखानी थी , फेंटसी से जरूरी खुशी होती है इस चीज का मैं मानने वाला हु। मैं रजिया को लेकर गेस्ट हाउस के बाथरूम में गया।


बाथरूम में हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। रजिया चाची सावले रंग में अप्सरा से कम नही थी। उसके सामने से उभरे चुचे और पीछे सी उभरी गांड किसी पोर्नस्टार को भी हरा दे ऐसी थी।


रजिया भी एक नजर मेरे लन्ड को निहार रही थी। उसके चेहरे पर बदलते भाव उसके अंदर की दबी कामुकता का परिचय करवा रहे थे। जैसे ही हमारी नजर मिली मैंने उनको नीचे जाकर पूरी तरह मजे लेने का मंजुरीनामा दे दिया। फिर क्या? कोई समय न गवाते हुए गन्ना चूसने का प्रोग्राम आरम्भ कर दिया।


प्यासा बोअरिंग के नल को जैसे झुलग जाता है वैसे वो मेरा पानी निकालने के जोश में लंड को चूसे जा रही थी। मेरे लंड अभी काफी तन कर फ़ंफ़नाने लगा था।


सब लोग उठने से पहले लंड का बोझ हल्का करना था तो दीवार पे सटा के रजिया के पीछे से पेलना चालू किया।


"उम् आह आह आह" आवाजे मोहित कर रही थी। उसके चुचे दबाने में हाथो को बड़ा सुकून मिल रहा था। रजिया के चूत को पानी छोड़े काफी वक्त हुआ था। उम्र के हिसाब से और उत्तेजना को कंट्रोल न करने की अनुभव की वजह इसके पीछे थी। मैंने उसको गिरने से पहले पानी पिलवाने के चक्कर मे स्पीड बढ़ा दी। रजिया के भरे कुल्लो की अच्छी खासी पिटाई होने लगी थी। कुछ ही पल में रजिया की चुतने मेरा पानी निगल लिया।


रजिया वही बाथटब पर दीवार को सटकर सांसे छोड़ती हुई बैठ गयी। मैं वही शॉवर लेके झट से हवेली के अंदर चला गया। बहोत से लोग नास्ता कर अपने काम निकल गए। मैं नास्ता खत्म कर होटल की तरफ जा ही रहा था कि बड़ी मौसी ने मुझे रूम में किसी जरूरी बात के लिए बुला लिया।


बड़ी मौसी नीलम मतलब घर की बंधी हुई घोड़ी। वो कॉलेज के बाद कभी घर के बाहर गयी ऐसे किसीने देखा ही नही। बड़े मौसा नीलेश काफी वर्क होलीक , यू कहो तो रियल इस्टेट की वजह से उनपर ज्यादा ध्यान नही देते थे पर ये उनपर जान छिड़कती थी। जबतक वो आएंगे नही ये खाना खाएगी नही, वो काम पर निकलने के बाद खुद नास्ता करेगी वगैरह ऐसे दिनचर्या वाली औरत।


"जी मौसी, क्या बात है?" मैं जल्दी में था ओर उनकी बात सुनने के लिए भी। जैसे ही मैं अंदर गया। मौसी अपनी हाथो को जोर से मुठ बनाए बाहर देख रही थी।


मेरे दो तीन बार पुकारने के बाद वो बोली, "पहले दरवाजा बंद कर।"


"जी, अब बोलिये" मैंने दरवाजा लोक करते हुए घुमा। मेरे सामने पल्लू गिराए बड़ी मौसी चेहरे पर लज्जा के भाव लिए खड़ी थी।


"मौसी ए क्या है? क्या कर रही हो तुम?" मैं सच मे चौक गया था। इतने जल्दी इसके बारे में कुछ सोचा नही था।


'मौसी ये क्या कर रही हो, मत करो।" मैन चेहरा दूसरी ओऱ किया और वहां से निकल गया।


सेक्स वो आनंद है जो दिल से मिले। हर चूत पेलने से नही मिलता वो। मैं सीधे होटल पहुंचा। होटल में अभीतक तो सब मेरे कंट्रोल से चल रहा था।


दो चार दिन तक ऐसे ही रूटीन चलता गया। मैं हर दिन एम्पायर से जुड़े हर लोगो की जानकारी इकट्ठा करने लग गया। एक दिन ऐसे ही काम मे डूबा था तो रेखा मेरे केबिन में आई।


"सर कुछ बताना था आपको।" थोड़ा नरमाई सी थी।


"क्या हुआ बोलो" मैं।


"सुपिया मेम आई है कुछ दिनों के लिए वीआईपी में।" रेखा को जरूर मालूम होगा मेरे और सुपिया के बारे में इसलिए उसने बिना किसी हिचक के बोल दिया।


"ठीक है। मैं देखता हूं तुम जावो। " मैंने नॉर्मल रिएक्ट किया।


सीमा के जाने के बाद,


**सुपिया आई मतलब मिस्टर छत्री भी होंगे। फाइनैंसर की हिसाब से उनका इस शहर में होना मतलब कोई बड़ी डील होने वाली होगी क्योंकि बोर्ड मिट में काफी टाइम था। मैं अभी एक्टिंग डायरेक्टर के रूप में काम कर रहा हूं। चलो देखते है क्या मांजला है।**


मैंने सुपिया की और कदम बढ़ा लिए पर जब रूम तक पहुंचा तो दरवाजा किसी और ने खोला था।


"माफ कीजिये, गलत जगह आ गया" मैं वह से निकलने लगा।


"है जोंग, तुम सही जगह आये हो।"अंदर से सुपिया बाहर हस्ते हुए आई और कैज्युअल गले लगा लिया।


हम तीनों रूम के अंदर आ गए।


"सॉरी जोंग , ये मेरी दोस्त पूजा है। मेरे साथ एक मीटिंग के लिए आई है।" सुपिया।


मैं," मीटिंग?"


"हा, किसीं चीज को लेकर कल बोर्ड मिटिंग रखी है । झुंझुंवाला रियल इस्टेट के एकटिंग डायरेक्ट ने बुलवाइ है। मिस्टर छत्री फायनान्स देखते है तो हमे सब छोड छाड आणा पडा।" सुपिया।


"आपकी दोस्त?" मैंने सवाल किया।


"हेलो, मुझसे भी बात कर लो, मैं तो आउट कास्ट हो गयी हु।" पूजा ने बातचीत शुरू की। "वैसे तुम्हारे बारे में मुझे काफी बताया है सूपी ने तो छुपाने की बात नही, झुनझुनवाला के एक्टिंग डायरेक्टर मेरे केम वेबसाइट बिजिनेस (Camgirl Website) में इन्वेस्ट करेंगे तो ही सुपिया और उसके पति उनको फायनांस करेंगे। मिस्टर छतरी मेरे कजिन लगते है।


"ओ, ये बड़े लोगो के पोलिटिकल गेम में मुझे नही आना भाई, वैसे भी आप दोनों से मिल कर अच्छा लगा। पर माफ करना आज मेरा अपॉइंटमेंट पहले से फिक्स है तो मुझे आज्ञा दीजिये। " मैं बोल दिया।


" ओहके जोंग , थैंक्स मिलने के लिए आने के लिए।" दोनों ने अलविदा कर दिया और मैं केबिन में आ गया।


मैंने जुनैद को कॉल किया और घर के हालचाल पूछे तो जुनैद बोला कि मेरे जाने के बाद बड़ी मौसी, उनके पति और बेटी घर से निकल गए थे।


**" मतलब सुबह जो हुआ उसमे कुछ तो गड़बड़ थी। झुनझुनवाला रियल इस्टेट के एक्टिंग डायरेक्टर?? मतलब बड़े मौसा जी। …. अच्छा जी। MMS कांड करके मेरी कुर्सी खींचना चाहते है ये लोग। मुझे कल सुबह तक कुछ करना होगा।"**


मैंने सीमा, परवेश को लेकर मैं केबिन में बैठ गया।


"सीमा झुनझुनवाला रियल इस्टेट के सारे मेनेजमेंट की लिस्ट मुझे चाहिए। परवेश सर मुझे उनके अंदर के सारे कांडों की सीडी चाहिए, अलग अलग। शाम के 6 तक ये काम हो जाना चाहिए।"


सीमा और परवेश काम मे लग गए। अचानक मिली खबर से मेरा सिर चकराने लगा इसलिए मैंने एक खाली रूम में जाकर चाय मंगवा ली।


कुछ समय जाने के बाद रूम सर्विस ने बेल बजाई और इजाजत लेकर रूम में घुस गई। चाय रखने के बाद , चाय सर्व कर नॉर्मली सर्विस स्टाफ निकल जाता है पर वो वही पर खड़ी थी। सिड्यूस करने की सारे पैतरों को आजमा रही थी।


30 32 साल की मिडल एज लड़की। उसने शादीशुदा होने के सारे सबूत छुपाने के चक्कर मे हाथ मे पडडे अंगूठी के निशान भूल गयी।


"किसके लिए काम करती हो" मैंने अचानक से सवाल किया।


" जी" वो चौक गयी। " जी सर्विस स्टाफ हु यहां, और किसके लिए!!!?"


" नई हो?" मैं थोड़ा आड़े में लेते हुए।


"जी, पहला दिन है।" वो नरमाई।


"पहले दिन ही कस्टमर को हुस्न से प्यास बुझाने की तैयारी में आई हो तो यहां काम करने का असली कारण कुछ और होगा? सीधे से बता रही हो कि…" मैं गम्भीरता से।


" जी जी जी माफ कीजिये। यहां के नए मालिक ने मुझे भेजा है। मेरे पति का कर्जा है उनके पास तो यहासे वो.." वो मायूस हो गयी। " मुझे दिल से कुछ करना नही है पर .."


" कर्जा उतरने के बाद क्या? वो फिरसे कर्जा करेगा। तुम बची कूची पूरी जिंदगी रंडी बनके रहोगी? और ये नए मालिक कौन है?" मैं।


"वो नीलेश साब ने बोला मुझे की वियापी के रूम से कोई कॉल आये तो एक्स्ट्रा सर्विस अप्रोच करना। और पति के कर्मो की आधी हिस्सेदार तो पत्नी ही होती है तो.." वो बोली।


" गलत सोच रही हो। ये अर्धांगिनी का पति बनने के लायक नही तुम्हारा पति। वैसे कितने का कर्जा है?" मैं पूछा।


"12 लाख का कर्जा था। व्याज लगवा कर 20 तक कर दिया है। " वो और परेशान होने लगी, रोने जैसा आवाज फील हो रहा था ।


मैं बेड से उठा और उसके पास जाकर उसे गले लगाया। गले लगाने से वो थोड़ा खुल गयी और पूरे आक्रोश से रोने लगी। 5, 10 मिनिट तक यही चलता रहा।


**" सेक्स बिजिनेस को बुरा है ऐसे नही बोलूंगा पर किसी के इजाजत के बिना सिर्फ उसकी कमजोरी का फायदा उठाना ये गलत है। बात अगर एक शादी शुदा औरत की है तो उसकी इजाजत जरूरी है। वो पति को धोखा दे रही है वगैरा उसका मामला है पर धोका देना उसका चॉइस होना चाहिए न कि अपना। चल फिलोसोफी छोड़ते है और रियलिटी में आते है।"**


मैंने उसको कपड़े उतार कर बेड पर सोने को कहा। उसने कहे अनुसार वैसे कर दिया। बेड के ऊपरी हिस्से में नंगी वो पैरों को छाती पर दबोच बैठ गयी। उसकी चूत साफ साफ दिख रही थी। उसके हावभाव से लग रहा था कि इस चक्कर से वो काफी दूर थी।


मैंने पास जाकर उसको बाहों में ले लिया। उसका शरीर कांप रहा था। मैंने उसका झुका चेहरा ऊपर कर अपने ओंठो से उसके ओंठो को चूसना चालू किया। काफी मुलायम और रसभरे थे। वो मेरे पूरे शरीर के नीचे फैल चुकी थी। उसको बंद एसी में भी पसीना आ रहा था। दिखने में हल्की सी सावली दिखने वाली वो हुस्न की गुड़िया पसीने से और चमक और महक रही थी।


उसके गदराए चुचो के ग़ुब्बारों को मसलते हुए उसके हुस्न को चाट चाट कर लुफ्त उठा रहा था। कुछ देर में उसके हुस्न से गर्माहट सी महसूस होने लगी तो उस गरमागरम तवे पर हतोड़ा मारना सही समझा और अपने लन्ड को उसकी चुत में सेट कर उसके बुर की मसाज चालू कर दी। उसको चीखना था पर वो सिर्फ सिसक रही थी। कभी बड़े बाम्बू पर सवार नही हुई होगी। करीब आधे घण्टे तक उसकी चुदाई करने के बाद मैंने उसको वहां से घर जाने बोला, उसका नंबर लेकर और मेरा कार्ड देकर।




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मालूम है कुछ ज्यादा ही देरी हुई है पर प्रोफेशन भी कंटेंट रायटर का होने की वजह से पेट पानी पर ध्यान देना पड़ता है। तकलीफ के लिए क्षमाप्रार्थी है 😄🙏
यहां भी एक कॉमेंट बनता है कि उस मजबूर औरत के आगे खुद को रहनुमा बताता हुये पूरा फिलॉस्फी झाड़ने के बाद भी उसको अपने नीचे ले लिया जबकि वो सकुचाई सी बैठी थी उसकी मजबूरी पूछने का और उसको अपनी मजबूरी बताने का क्या फायदा हुआ। वो तो बेचारी चुदी ही चुदी। हीरो ने उसकी मजबूरी का पूरा डबल फायदा उठाया।
हीरो को उस लड़की को राज जानने के बाद जाने देना था साथ में कुछ हेल्प करनी थी और तब वो औरत हीरो पर मोहित होती तो चुदाई का टॉप स्कैन बनाना था।
ये केवल मेरा विचार है
 
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