Season 2 || Episode 8
माँ मेरे सासों को महसूस करते ही उठ कर बाजू हो गयी। मैंने उनको गोद मे उठा कर बाथटब ले गया। मैं नीचे बैठ उन्हें ऊपर बिठा कर उनकी पूरी बॉडी पर साबुन फैलाया और रगड़ने लगा। मूत्र और वीर्य की सुगंध फैल गयी थी उनके ऊपर पर ये सुगंध दुर्गंध में बदलने से पहले उनके नशीले बदन को चमकाना था।
मैं मा के चूत को मसल रहा था। मा सिसकियों में मजे उठा रही थी। मा को ऑर्गेजम देने की चक्कर मे मेरा लन्ड खड़ा हुआ और उनकी दो टांगो के बीच सलामी देने लगा। मा ने मुझे उठाकर शॉवर के नीचे लाया और नीचे बैठ लन्ड चूसने लगी। सुबह का ब्रेकफास्ट शॉवर के साथ करने की आदत सी लगा रही थी। कुछ समय मे पहला वीर्य निकलते ही वो दीवार की और छाती लगाए गांड खोल के झुक गयी। काफी पोर्न फिल्में देखती है ऐसे लग रहा था। मैने भी काफी न सोचते हुए उनके चूत में लन्ड सटाये हुए चूत मारना चालू किया। बड़े घोड़े की दौड़ाई के बाद मेरा पानी उनके अंदर ही छूट गया। मा ने कुछ रिएक्शन नही दिया, क्या मालूम उनको यही चाहिए था । उनको दीवार पे सटाये उनको ओंठो को चूसने लगा। अभी ब्रेकफास्ट का समय मेरा था।
कुछ देर बाद मा जाकर खुद को सुखाते हुए बेड पर वैसे ही नंगी बैठ गयी। मैं कुछ देर में वैसे ही लन्ड हिलाते हुए बाहर आ गया। मा बस शर्मीले रुख में मुस्कुराते हुए मुझे देखती रही। मा बेड के ऊपरी कोने पर थी। मुझे कुछ सुझा और मैं कॉर्नर पर सो कर उनके गोद मे सिर रखा। उनके चुचे साइज से बड़े थे तो मेरे मुह तक घिस रहे थे। मेरा अंदाजा सही निकला और मैंने निपल्स को दबा के खींचना चालू किया। पहले मा की दुखभरी सिसकी निकली बाद में उन्हें भी मजे आने लगे। मा के चुचो से दूध निकलने में ज्यादा समय नही लगा। उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया।
" कितना बड़ा सुख है संतान को दूध पिलाना इसका मुझे आज अनुभव आ गया" मा थोड़ी भावुक थी।
मैंने थोड़ी देर दूध चुसके मा को बेड के बीच लेकर आया। उनके माथे को, आंखों के पलको को चूमते हुए उनके ओंठ चूमने लगा। फिर उनके चुचे फिर पेट और जाकर रुका चूत पे। उनकी चूत की फट को मुह से जिब से मसलना चालू किया। मेरे चूत क्रीड़ा उनके वासना भरी सुसकिया और कामना भरी शरीर की हलचल को बखूबी बया कर रही थी। ज्यादा देर न करते हुए मैंने उनकी चूत का पानी निकाल दिया। मा वैसे ही फिर सो गई। घड़ी में देखा तो सुबह के 6 बजे थे। मैं माँको सही से ढक, सुला कर गार्डन में चला गया।
हवेली के पीछे पेड़ो का बड़ा बगीचा था। हवेली से कुछ दूर जाते ही अंदर घुसने के बाद ये हवेली से संपर्क टूट जाता है। उस बगीचे के अंदर काफी नए नए पेड़ लगाए थे। नाना को गार्डनिंग का बड़ा शौक था। और बड़े बगीचे हमले के वक्त बहोत काम आते थे। वहां अंदर ही एक स्विमिंग पूल और छोटा फार्म हाउस बेड रूम था जो छूटटी के वक्त नाना पीने के लिए और हरियाली का आनंद लेने के लिए करते थे।
मैं कल रात गुस्से में यही आया था फिर कमरे में गया। मुझे एकांत का नया ठिकाना मिल गया था। सुबह सुबह उन पेड़ो से जाने का एक अलग अनुभव था। पक्षियों की किलबिलाहट और सुमधुर हवा हिल स्टेशन वाला अनुभव दे रहे थे।
हवेली के गायब होते ही थोड़ी देर चलते ही मुझे मेरे पीछे किसी का एहसास हुआ। मुझे पहले आंखों का धोका लगा पर फिर उस व्यक्ति से मुझे पुकारा," विकि बेटा रुको, मैं आ ही हु।" मा का तो आवाज नही था।
वो मामीजी थी। बड़ी तेजी से आ रही थी। नाइटी की वजह से दौड़ने में अटक रही थी। इतनी सुबह नाइटी में कोई भला बगीचे में दौड़ता है? कुछ ही पल में देखते देखते वो मेरे पास पहुंच गई। उनकी सांसे फूली हुई थी। सांसो के दबाव से सामने वाले गुब्बारे भी हवा में उछल रहे थे। आज इतने दिनों में पहली बार मामी की ओर मेरा ध्यान गया था।
45 साल की और 30 साल की उम्र की एक लड़की की माँ फिट तो नही थी पर जवानी की फली हुई यौवना थी। मामी अप्पर मिडल क्लास से बड़ी हुई थी। एवरेज पढ़ाई, शॉपिंग, स्मॉल पार्टी और घर पे टाइमपास इसके अलावा उन्होंने शादी के बाद कुछ किया नही होगा। इनके और मामा के शादी की कहानी मुझे मालूम नही थी। आज मामी को पहली बार नाइटी ड्रेस में देखा था। वैसे वो फैंसी थी न ओल्ड फैशन तो उनका फैशन भी रेगुलर था, जैसे उनकी नाइटी। नाइटी के अंदर कुछ था ऐसे लग तो नही रहा था क्योंकि निपल्स के भवरे साफ दिख रहे थे। उनकी कमर फैली थी और उससे गांड के फैलने का अंदाजा आ सकता था। पेट बड़ा नही था पर कॉमन मिडल एज की तरह ही था।
मामी हाँफते हुए," विकि मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है।"
"आराम से मैं कहि भागे नही जा रहा हु मामीजी"मैं।
"बात यू है कि, कुछ बाते बाहर से मालूम होने से अच्छा खुद ही बताए तो गलतफहमी नही होती" मामी नर्व्हस होने लगी।
"क्या बात है मामी?" मैं अभी थोड़ा सीरियस हुआ।
" वो कल तुम्हे अचानक सरप्राइज देने का प्लान हरमन्स का था जिसमे तुम्हारे मामा ने हेल्प की। मैं बस तुमसे माफी मांगने के साथ इन्हें माफ करने की गुजारिश करने आई हूं। प्लीज इन्हें हर्ट मत करना, वो नादानी में होगया" मामी गिड़गिड़ाने लगी।
उन्हें मैं" मैं नाराज नही हु" ए बताने से पहले बगीचे के मिनी स्विमपुल में माफी मांगने के लिए नीचे होते वक्त मामी का बॅलन्स बिगड़ा और वो स्विमपुल में गिर गयी। स्विमपुल पानी कमर तक ही था तो डूबने के कोई खतरा नही था पर वो पूरी गीली हुई थी और सुबह की ठंड से उनका शरीर कंपने लगा था। मैने झट से हाथ देकर बाहर खींच लिया और साइड के स्माल फार्म रूम में लेके गया।
मामी की नाइटी पूरी शरीर को चिपकी थी। कपड़े को चमड़ी समझा गया होता तो अभी वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी। वहां टॉवेल था ना आग जलाने का कुछ। बगीचे में हम काफी अंदर थे और बाहर ठंडी हवा चल रही थी। सुबह की ठंड में इस कंडीशन में लेके जाना मुझे तो सही नही लगा। अभी दोनों में ऑकवर्ड सा माहौल था। वो अपने पूरे मेहनत से खुद की यौन सुंदरता को छुपाने की कोशिश कर रही थी पर भरे हुए शरीर को वो आसानी से छुपा नही पा रही थी।
थोड़ा सा हालत सुधर ही रहा ऐसे लगने के चौखट पे ही एक बड़ी ठंडा हवा आई और मामी मेरे गले से लग गयी। उनकी गर्मी से मेरे लंड देव ने अपना काबू खोया था ये उनके पास चिपकते ही हुए लन्ड चुत घर्षण से मालूम हुआ। घर्षण से "आह मम गॉड" की सिसकी सुनाई पड़ी और लन्ड देव की काम चेतना को अग्नि मिल गयी। मैंने उनको अपनी बाहों में जखडा। बिना शब्द के कुछ पल तक वैसे ही खड़े रहते हुए मन ही मन " ये गलत है" ऐसे एकदूसरे को समझा रहे थे।
समझने से बुझने की तरफ बढ़ ही रहे थे कि वायु देव फिरसे प्रकट हुए। नए आए झोंके ने घर्षण को बढ़ाया तो बढ़ाया पर साथ मे आग भी लगा गया।नाइटी से चिपके फूली चूत के छेद में सेट होकर कपड़े के उपरसे ही लन्ड ने तीली जला दी। तभी कुछ हुआ और मामी दूर हट गई। वो बाहर भागने ही वाली थी कि ठंडी हवा की एक चटकारे ने उन्हें अंदर भगा दिया और इसबार वो घाई में टक्कर खाके मेरे साथ स्माल बेड पर गिर गयी।
इसबार नाइटी कमर तक आई थी। खुली चूत लन्ड पे थी। उनके चुचे हाथ मे सुकून फरमा रहे थे। हमारी सांसे एक दुसरो की सांसो से युद्ध छेड चुकी थी। मैंने दाव न छोड़ते हुए ओंठो पर कब्जा जमाया। मामी के सिर्फ आँखोने हलचल की और पलकोने उनको अपने पल्लू के नीचे शांत कराया। एक हाथ से शॉर्ट नीचे कर लंड को खुले अंग से चूत के अंदर डाल दिया। और एक हाथ से ही मामी के फैले गांड पर दबाव दिया। ठंड से उनका बॉडी कंट्रोल बिगड़ा था तो ज्यादा मेहनत नही लगी। बस " उम्म आह आआआ उम्म" जैसी सिसकारी गूंजी बस।
मामी के ओंठो का स्वाद मुझे काफी पसंद आया , मैं तो चूस चबा कर मजे ले रहा था। ठंड से चोदना नही हो रहा था पर चुमाई से मामी इतने जल्दी गर्म हुई कि खुद ही ऊपर नीचे होने लगी। कई बार रुक कर लन्ड को घुसलने लगी। मेरे लन्ड को पूरी चूत में महसूस करना चाहती थी। साधारण ये शौक बहोत दिन वासना से भूखे लोग करते है। मामी और मेरे कपड़े आहिस्ते कब निकल गए मालूम नही हुआ। वो चूत को चुदने और मैं उसके मुखस्वाद में परिपूर्ण समोहित की तरह मगन हो चुका था।
अभी चुदने की वजह से मामी की सांसे दम ले रही थी , यही वक्त था कि ओंठो ने एक दूसरे से जुदाई सह ली। मैंने करवट लेते हुए मामी को नीचे लाया और खूंटे से जमीन खोदने लगा। साथ मे मलाई की ढेरी को चूसने मसलने लगा। उसमे अभी भी मलाई निकल रही थीं। आज सुबह से दुग्धधारी बने काफी मजा आ रहा था। मामी ने पानी छोड़ दिया था। उम्रदराज से अभी वो सिकुड़ने वाली थी तो मैंने कुटाई का आवेग बढ़ाया और पूरे होश में चुत में पानी छोड़ दिया। मामी की आंखे खड़ी हुई पर उनके शरीर मे क्षीणता थी। मैंने एक स्माइल दी और ओंठो पर चुम दिया। मेरे चुम्मे से वो शरमाई और आंखे नीची के लि।
" काफी नशीला अंदाज है शाशू (शाश्वती मामी का नाम) तुम्हारा, मेरे लंड को पहले मुलाकात में झेल डाला" मैंने पूरा फ्रेंक होकर बोलना शुरू किया। मामी फिर से शॉक और मेरा फिर एक चुम्मा विथ निप्पल्स की पिंचाई के साथ। मामी अब पूरी कब्जे में थी फिर भी पूछ ही दी, " पर वो मामा…" मैं बात काटते बोला," पहली बात मैं घर के अभी के किसी आदमी से कल के लिए गुसा नही था, तो डोंट वरी और दूसरी बात , तुम मेरी हो, समझी बात शाशू ?!!" फिरसे एक माथे पे चुम्मा। मामीजी के चेहरे से जो धुंधली टेंशन की रेशा थी वो मिट गई थी। अभी वो भूतकाल से वर्तमान की स्थिति में आ रही थी।
" मैं तेरी ही हु" इसबार ओंठो पे ओंठो का एक करारा तमाचा पड़ा जो काफी मीठा था। "पर ये सफेद काम रस का क्या करूँ" मामी ने चूत से बहते वीर्य की बात छेड़ी।
मैं," अभी तो संभाल लो पर जल्द ही मेरा तेरा "हम" वाली याद भविष्य में लानी है, समझी??!!" मेरी बात से मामी शर्मा गयी। हमने कपड़े एक बाजू टांग दिए और नंगे ही बेड पर सो दिए।
"जानू अभी आगे क्या करना है? कुछ सोचा है?" मामी ने बिजनेस की बात छेड़ दी।
" करना क्या है? कर चुका हूं?" मैंने थोड़ा टेढ़ा हस्ते हुए बोला।
मामी, " क्या? "
" आसान है हर्मन सिर्फ खेल खेल रहा है सिंधा के साथ। उसे हमसे दुश्मनी नही। मुझे डर वॉल्टन जितने का या हारने के नही तो उस आदमी का लग रहा है जो जीत के लिए लोगो की जान लेता है। किसी और कि जिंदगी को खुद के लिए इस्तेमाल करता है। खुदकी मा, बीवी, संतान भी उसके लिए मायने नही रखती। वॉल्टन रूल के हिसाब से जो तीन लोग पब्लिक सपोर्ट देंगे उनकी कुंडली पहले से ही मेरे पास थी। नसीब ही समझो। अभी उसका इस्तेमाल कर कल एक ही दिन में तीनों का पत्ता साफ किया। कल का सरप्राइज मेरे लिए नही सिंधा के लिए था। मिस्टर हर्मन को उनके परिवार की जान के बदले मेरा गुलाम बनना पड़ा, हर्मन को बताके मैनेही कल की मीटिंग करवाई। सोरी बट मेरे बिगड़े शैतान बाप को लगता है कि मामा भोला है तो उसने उसमे कुछ टेढ़ा नही सूंगा। कल के तीनों लोग पब्लिक वोटिंग के लिए मैंने तय किये है ये उसको मालूम ही नही हुआ।"
"मतलब इनको कल बकरा बनाया गया तुम लोगो की प्लान से " मामी ने गुस्सा होने की बजाय मजाक किया ये बात से मुझे थोड़ा सुकून मिला।
" वैसे ही समझो। पर वहां जुनैद आएगा ये मुझे मालूम था तो मामाजी की सेफ्टी की चिंता नही थी," इस बात पर भावुक सा वातावरण बना और मामी ने एक छोड़ा से लिपकिस दे दिया। ये ग्रेटिट्यूड था उनके पति की चिंता करने का।
" अभी पॉलिटिशन की बीवी का अय्याशी का वीडियो उसे भेज दिया , समाज सेविका का वासना का नंगा नाच उनको भेज दिया और वर्कर लीडर का सेक्स क्रश रेखा थी तो उसे एक दिन के लिए सुला दिया। बस अभी इलेक्शन के वक्त उस भोसडपप्पू का मुह देखना है" मैं।
" तुम्हे झूठ लगे पर काफी दिनों बाद किसी जिम्मेदात पॉवरफुल हाथ मे झुनझुनवाला परिवार की जिम्मेदारी गयी है ऐसे लगा। थैंक यू हमारी लाइफ में आने के लिए। इनके पिताजी के जाने के बाद जैसे हम नाम के हिस्सेदार थे वॉल्टन के , चल तो मिजासी सिंधा का चल रहा था। थैंक यू थेँक्यु यू वेरी मच…" आवेश में मामी ने केस कर चुम्मा दे दिया।
" हा हा, समझा। लंड को उकसा मत । अभी तक गया हूं।"मैं हस दिया।
" अभी थोड़ा और स्टेमिना बढ़ाओ मेरे लन्ड देवता, मेरी चूत बहोत प्यासी रहेगी रोज। " मामी ने लन्ड पर हल्का हाथ घुमाते हुए बोला।
मैं उनकी चूत की मसलन करते हुए,"हा चुतरानी , तेरी चुत की सेवा हर रोज ताबडतोड होगी। तुहि तो बची थी। बाकी तो पहले से चालू है।"
"मतलब दोनों मा जी, दोनों मौसी और" मामी चौक गयी।
" मा, रजिया बस!!" मैं चुत को उंगली से मसल कर मुस्कराहट में बोला।
" औ अम्म्म पूरे खानदान को चोद दिया। बहनों को क्यो छोड़ा फिर?!!!" मामी ने ताना दिया।
"पहले भरी जवानी चोद दु फिर उधर भी मुह मारेंगे" मैं!
"मेरी बेटी भी…..?!!?"मामी ने वासना के कटाक्ष से पूछ लिया।
" माँ की चुत मार ली तो बेटी क्यो तड़पे? पूरी पलंगतोड़ चुदाई होगी।"
" वा रे मेरे लन्ड के शैतान , सबसे " हम" वाली सिंचाई करेगा तो फेमिली और बढ़ेगी, वैसे उसमे बुरा कुछ नही" मौसी ने खड़े हुए लन्ड पे चुत टिकाए बोली," अभी तेरी रांड की चूत को चोद तुम्हारा मामा उठने का वक्त हो गया है। "
करीब आधा घंटा उछलने के बाद दोनों ने हवेली की ओर निकल लिए।
..... Continue......