बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट हैUPDATE 07
मुहबोला बेटा से प्यार S1 #UPDATE 7
(बेटी के बॉयफ्रेंड स्पेशल)
अब तक आपने पढ़ा की होली खत्म हो चुकी थी और मेरे बेटी और बेटे पटना जा चुके थे और मैं और मेरा राज दोनों साथ में आकर लेटे ही थे कि एक मैसेज आया आलम का कि वह मेरे मालपूए अभी भी चाहता है।
अब आगे।
होली के दिन शीला के पति और आलम यह दोनों लोग अभी भी मेरी मालपुए नही चख पाये थे। और मैं उन्हें देना भी नहीं चाहती थी।
सुबह हुई मैं थोड़ी परेशान थी मालपुए और उस मैसेज को लेकर।
तभी राज मुझे प्यार से एक किस दिया।
और बोला- क्या हुआ माँ आप आज परेशान लग रही हैँ।
मै- अरे नही बेटा मै क्यू परेशान होउंगी फिर मै भी उसे किस दी।
फिर अपनी काम मे लग गयी।
मै किचेन मे खाना बनाने की तैयारी कर रही थी।
फिर राज मुझे बाहों मे कस कर पकड़ लिया और बोला- मां आप इस तरह परेशान ना हुआ कीजिए मैं आपको परेशान देकर खुद परेशान हो जाता हूं। मुझे बहुत बुरा लगता है मां।
और फिर राज ने मेरे होंठ पर एक किस कर दिया। राज मुझे पीछे से पकड़ा हुआ था मेरी गांड उसके लंड से दबी हुई थी और उसके हाथों से मेरी दोनों चूचियां बाहों में कैद थी और फिर मैं भी हल्की से उसकी तरफ मुड़ी जिससे कि उसका लंड अब मेरी योनि को टच हो रहा था।
मैं अपने दोनों हाथ उसके गले में डालकर बोली की अरे मेरा बिट्टू जी आप परेशान मत हुआ कीजिए मैं बस ठीक हूं।
और मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिया वह भी अपनी आंखें बंद करके मेरे होठो का रस लेने लगा।
मैं भी उसके होठों का रस लेने लगी और इसी तरह हम मां बेटे दोनों ही किचन में ही गर्म और उत्तेजित होकर एक दूसरे का रसपान करने लगे।
फिर राज ने मुझे गोद में उठाया और किचन में बनी खाने रखने की चीज पर मुझे बैठा दिया और मेरी साड़ी को जांघों तक उठाकर अपने जीभ को मेरी योनि में डालने लगा।
सुबह-सुबह मैं बिना पेंटि के ही थी इसलिए उसे सीधा मेरी योनि की दर्शन हुए और वह मैं अपनी जीभ को मेरी बूर में डालने लगा मैं एकदम से मदहोश हो गई आंखों को बंद कर ली और उसके साथ पुरा इंजॉय करने लगी।
फिर वह उठा और मुझे नीचे उतारा और मेरी एक टांग को किचन के ऊपर रखकर नीचे से अपनी लंड को मेरी बूर में डालने लगा मैं एकदम से सीहर उठी उसका लंड मेरा बूर में पूरी तरह से घुस गया वह अब मेरे बालों को पकड़ के मेरी गालों को चूमने लगा और धीरे-धीरे लंड का धक्का मेरे बुर मे मारने लगा।
सुबह-सुबह मैं अपने बेटे से चूद कर एकदम से धन्य हो गई थी वह मुझे लगातार धक्के लगा रहा था और मेरे मुंह से सिर्फ शिस्कार ही उत्पन्न हो रही थी।
अअअअअअह्ह्ह बेटा ूईूओह्ह्ह्ह ओह आअह्ह
और ऐसे ही लगातार 15 मिनट तक मुझे पेलने के बाद मेरी बूर में ही अपना रस छोड़ दिया।
और फिर मुझे गले लगा कर बोला- मां आई लव यू और मेरे होंठ को चूमने लगा मैं भी उसके होंठ को चूमने लगी।
फिर हम दोनों अलग हुए और बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ किया और फिर मैं अपने काम में लग गई और राज घर में बैठकर टीवी देखने लगा।
तब शीला मेरे पास आई और आते ही मेरी चूचियां दबाने लगी और
बोली वाह मेरी जान तुम तो उस दिन बच गई और मुझे चुदवा दिया।
तब मैंने कहा-- मैं कहा कुछ कि थी तब तुम और मेरे बेटे ने ही किया तुम ही खुद उसके लंड पर उछल-कूद कर रही थी और मुझे बोल रही हो। चल हटो यहां से।
और फिर मैं काम करने लगे।
तभी शीला-- लेकिन यार सुनीता उस रात मुझे मेरे पति ने तुम्हारे बुर के बारे में सोच कर बहुत चोदा यार बहुत और उसे दिन के बाद से वह तो रोज तुम्हारे ही बूर का कल्पना करते रहते हैं। बस एक बार दे दो ना उन्हें।
फिर मैं बोली कि मैं क्यों दूं उन्हे तुम दे ही रही हो बस इतना काफी है?
फिर शिला बोली कि- अच्छा ठीक है मत देना चल मेरे घर चल अभी थोड़ा कुछ काम है तुमसे।
फिर मैं उससे बोली की अरे नहीं अभी नही
तब शीला बोली की- अरे चल ना!
फिर मैं बोली- अच्छा ठीक है चलती हु।
और हम दोनो यहा आ गये।
शीला के पति घर में ही बैठे हुए थे मैं उन्हें जाते ही नमस्ते की।
फिर उन्होंने भी मुझे नमस्ते किया और बोले आप तो कभी मुझसे बात भी नहीं करती ऐसा क्या गुनाह कर दिया मैंने?
फिर शीला बोली कि तुम दोनों बैठकर बात करो मैं थोड़ा चाय बना कर तुम दोनों के लिए लाती हूं।
फिर
मैं बस उन्हें मुस्कुरा कर जवाब दे दी वह भी इस बात को समझ गए कि मैं कोई उनसे गुस्सा नहीं हूं।
उन्होंने कहा- अच्छा सुनीता जी क्या आपको मैं अच्छा नहीं लगता?
यह सवाल मेरे लिए बहुत भारी सवाल था। मैं उन्हें क्या जवाब देती कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था? मैं खामोशी में बैठी हुई थी कि तभी उनका हाथ है मेरे हाथ के ऊपर चलने लगा।
मैं खामोश बैठी हुई थी कि धीरे-धीरे उनका हाथ अब मेरी जांघो तक पहुंचने लगा था। मैं उनकी इस हरकत से अपने आप को गर्म होता महसूस कर रही थी फिर से मुझे अब गर्माहट महसूस हो रहा था ऐसा मालूम हो रहा था जैसे अभी के अभी मैं अपने आप को खो मत दूं। तभी वहां पर चाय लेकर शीला आ गई और हम दोनों अलग हुए। हम तीनों आपस में बातें किया और चाय पी और फिर मैं शीला के पति से बोली कि मैं किसी से नाराज नहीं हूं बस सही समय का इंतजार कीजिए आप लोग?
दरअसल मैं उन्हें अपनी चुदाई का न्योता ही दे आई थी। इस बात का मुझे एहसास हो गयी।
मै घर आई।
तब राज मुझे बहो मे पकड़ कर प्यार करने लगा, मै भी उसके प्यार मे खो गयी और वह मेरे होंठ को चूसना शुरू कर दिया मैंने भी उसके होंठ को चूसने लगी और मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया मैं एक हाथ से उसके लंड को सहलाती और होंठ को चुस्ती तो वह भी एक हाथ से मेरे चूचियां को मसल रहा था।
फिर उसने अपना एक हाथ से मेरे साड़ी के कमर तक उठा दिया पैंटी को खींचकर निकाल दिया।
फिर राज सीधा हुआ और मेरे ऊपर आ गया और अपना लंड को मेरे बूर के निशाने पर लगाकर धीरे से ढेल दिया फिर उसने धीरे-धीरे धक्का लगाना चालू किया और मैं उत्साह में उसके होंठ को चूसने लगी फिर वह मुझे चोदता रहा और मैं उसके बालों को सहलाती रही और ऐसे ही लगभग आधा घंटा तक चला और फिर हम दोनों झड़ गए और फिर हम दोनों मां बेटे एक दूसरे से निहाल होकर सो गये।
और ऐसे हि 4 महीने बित गये उस आलम की massage को मे भी इधर से कोई रिप्लाई नही की थी।
फिर एक सुबह।
सुबह उठकर मैं अपने काम में लगी हुई थी की तभी राज मेरे पास आया और पीछे से गले लगा कर बोला आई लव यू मां।
मैं भी उसे कसकर गले लगाया और एक चुम्मा देते हुए बोली आई लव यू टू बेटा।
फिर राज नहाने के लिए चला गया और मैं अपने काम में लग गई।
तभी भी फोन की घंटी बजी और मैं जाकर फोन उठाई।
मैं इधर से बोली- हेलो कौन बोल रहा है?
उधर से बोले- हेलो भाभी जी मैं बोल रहा हूं आलम।
मेरा नाम सुनकर मेरे तो रोङते ही खड़े हो गए।
मैं फिर कुछ बोल ही नहीं पाई।
तभी उधर से बोले -और कैसे हो भाभी जी?
तब मैंने जवाब दिया- हा ठीक हूं।
तब उधर से बोले- कि मैं आपके ही शहर में आया हुआ हूं। बोलिए कि अब कब मिलना है?
मैं एकदम से सीहर गई उनकी वह मिलन के बाद मैंने उनसे दोबारा कभी बात तक नहीं की थी।
उनकी massage वाली बात बीते भी अब तीन-चार महीने हो चुके थे।
मैं उनकी बात की जवाब देते हुए कही- आज।
मैं घबरा रही थी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या जवाब दूं और हड़बड़ा कर मैं बोल दी आज?
फिर आलम बोले- ठीक है भाभी जी मिलते हैं आज दोपहर को 11:00 आपके घर पर आप मेरा वेट कीजिएगा मैं आपके मालपुआ चखने के लिए आऊंगा बस मेरी मालपुआ को आप रेडी रखना।
मैं इस मालपुआ के नाम सुनकर अपने आप में एक अजीब सी उत्तेजना को महसूस कर रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उनकी मतलब था कि वह मेरी बूर को खाना चाहते हैं और अपना पिचकारी मेरी बूर में डालना चाहते हैं।
मैं तो यह सोचकर गनगना गयी और सोची कि मुसलमान लोगों का तो बहुत बड़ा होता है और उनका तो आगे टोपी जो होता है वह बहुत नुकीला होता है मेरा क्या होगा मेरी बूर का क्या होगा, यह सोचकर एकदम रोंगटे मेरी खड़ी हो रही थी?
यह सब सोच ही रही थी कि ध्यान आया कि वह तो आज 11:00 ही आने वाले हैं और घर में राज होगा तब क्या होगा सब कैसे मैनेज करूंगी एकदम से मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया और मैं क्या करूं कुछ समझ में नहीं आया कि तभी मैं उठी और शीला के पास जाने लगी।
तब राज आया मेरे पास और
बोला मां कहां जा रही हो?
तब मैंने उसे हड़बड़ाते हुए कहा बेटा मैं कहीं नहीं जा रहा हूं बस शीला से थोड़ा सा काम था, मिलकर आ रही हू तुम ,तुम बस यहीं पर आराम करो।
मेरी आवाज में साफ हड़बड़ाहत थी।
मैं राज को इससे आगे कुछ नहीं बताइए और
तुरंत शीला के पास चली गई जब शीला के घर गई तो देखी की शिला काम कर रही थी और
उसके पति काम पर जाने की तैयारी।
शीला के पति समर जी यहीं इसी शहर में अपनी उनकी दुकान है तो वह इस पर हर रोज चले जाते हैं और शाम को आ जाते हैं जैसे ही वह निकल रहे थे कि मैं आई।
तब उन्होंने मुझे देखते ही बोला-अरे सुनीता जी आप इतनी हरबढ़ाते हुए कहां जा रही हैं आप तो एकदम हमें भूल ही गई है?
तब मैंने उनसे कहा- आपको मैं क्यों भूलने लगी आप तो वैसे भी मेरे सहेली के पति हो और हमारे पड़ोसी तो आपको भला मैं कैसे भूल सकती हूं आप तो हमेशा हमारे बगल में ही रहते हो और और मैं बस मुस्कुरा दी।
समर जी मेरी मुस्कान को अपनी किस्मत समझते हुए वह अपने दुकान पर सुबह-सुबह चले गए और मैं जाकर झट से शीला को गले लगा ली।
मैंने शीला से कहा -अरे मेरी जान क्या कर रही हो और मैं उसकी चूची को दबा दी?
तभी शीला भी पलटी और एक मेरी चूची को दबाते हुए बोली तुम कहो मेरी सुनीता जान आज भोरे भोरे मेरी याद कैसे आ गई?
तब मैं शीला से कही- एक बहुत जरूरी काम है मेरी जान तुम बोलो करोगी क्या?
तब शीला ने कहीं- अरे मेरी जान तुम बोलो तो तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाजिर है और उसने मेरी गाल को अपने दांत से काटते हुए बोला।
तब मैं शीला से बोली- अरे छोड़ो तो मुझे पहले ऐसे कैसे बताऊं?
फिर उसने मुझे छोड़ा और मैंने उसे सब कहानी बताई।
तब वह जाकर मुझसे बोली कि-- बस इतनी सी बात है?
मैंने उसे कहा- बस इतनी सी बात नहीं है वह मेरे घर आ रहा है और मैं उसे कैसे मैनेज करूं कुछ समझ नहीं आ रहा है?
फिर शीला बोली- तुम बस अपने बेटी के दोस्त को संभालो, मैं तुम्हारे राज को संभालती हूं,
अरे तुम क्या अपने बेटी के दोस्त को संभालेगी वह खुद ही तुम्हें संभाल लेगा बस तुम खुद अपने आप पर कुछ कंट्रोल करना और राज को खाना खिलाकर मेरे पास भेज दो आज दिन भर मेरे पास ही रहेगा ठीक है?
मैंने ऐसा करना ही ठीक समझा और मैंने गले लगा कर शीला को एक किस देते हुए कहीं थैंक यू मेरी जान तुम तो मेरी परेशानी ही दूर कर दी।
फिर मैं घर आई और राज को खाना पीना खिलाकर 10:00 तक उसे शीला के पास ले है।
तब शीला राज को समझाते हुए बोली- राज आज तुम्हारी मां का कुछ काम है सो वह दिन भर थोड़ा काम में बिजी रहेगी इसलिए तुम्हें मेरे पास रहना होगा।
मैं भी बस मुस्कुराहट को राज को सर पर हाथ फिरते हुए हा बेटा थोड़ा काम है।
शीला के बोलने पर वह कोई सवाल नहीं किया और वह वहां रहने को राजी हो गया मैं भी अपने बेटे राज को शीला के पास छोड़कर अपने घर चली आई।
11:00 तक अपने आप को तैयार कर चुकी थी और चुपचाप बैठी ही थी कि तभी डोर बेल बजे मेरे दिल की धड़कन तो एकदम से बुलेट ट्रेन की तरह दौड़ रही थी समझ नहीं आ रहा था क्या करूं, मुझे पसीने आ रहे थे?
मैं तुरंत जाकर डोर खोली जैसे ही डोर ओपन हुआ सामने एक लंबा चौड़ा आदमी लंबी दाढ़ी वाला।
मुझे तो उसे देखते ही पता नहीं क्या हो गया बस उसकी आंखों में देखे जा रही थी कि
तभी उन्होंने कहा अरे आप मुझे अंदर बुलाएंगे की बाहर ही देखती रहेगी?
फिर मैं झट से ध्यान आया अरे क्यों नहीं मैं तो बस एसे ही और उन्हें अंदर बुलाई और दरवाजे को लॉक किया दरवाजा जैसे ही लोक हुआ वह अंदर आए और मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मेरे मालपुए को अभी एकदम से खा जाएंगे मेरी भी हवास बढ़ रही थी?
मैं उनके लिए पानी लाई पानी पिए और कुछ नाश्ते का इंतजाम किया उसके बाद उन्होंने नाश्ता करने के बाद।
मै उन्हे हाथ धुलवाने लगी। वो हाथ धोते वक्त मुझे देख रहे थे।
हाथ मुह धो लिए,
फिर मै उन्हे हाथ पोछने के लिए तौलिया दी।
फिर मेरे सामने आये तो मै उन्हे देख मुस्कुराई।
फिर वे बोले- क्या हुआ ?
तब मै बोली- आपके चेहरे पर कुछ लगा है।
फिर वे अपने चेहरे को मेरे चेहरे के पास लाकर बोले आप ही साफ कर दीजिए ना आखिर क्या लगा है?
तब मैं उनके चेहरे पर से थोड़ा सा झूठन जो लगा था उसे साफ की इसी बीच मै उनके एकदम से करीब आ गई थी मेरी चुचिया उनके सीने में टच हो रही थी और उनकी गर्म सांसे मेरे चेहरे पर लग रही थी।
उन्होंने अपने चेहरे को और मेरे चेहरे के करीब लाया और मेरे होठों पर अपने होंठ रखना चाहे तभी मैं पलट गयी।
और शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगी तभी उन्होंने मुझे पीछे से खींच कर अपनी बाहों में कसलियां।
उनके लंड का उभार अब मेरे गांड पर महसूस हो रही थी मैं धीरे-धीरे गर्म हो रही थी उनका हाथ मेरी पेट पर चल रहा था और मेरी सांसे तेज चल रही थी उनके सान्से मेरी गर्दन से टकरा रही थी कि थोड़ी ही देर में उनका कोमल होंठ मेरी गर्दन पर पड़ी मैं एकदम से सीहर उठी उन्होंने मेरे गर्दन को चुम्मा उसके बाद मेरे गाल को चुम्मा और फिर धीरे से मेरी चिकनी पेट पर हाथ फेरते हुए मेरे गाल को अपने दांतों से काटा में काँप उठी और तुरंत उन्हें धक्का देकर दूर करके दीवार से सट कर मुस्कुराने लगी।
फिर वह मेरे पास आए मुझे दीवार से सटे हुए हैं मेरे गान्ड पर अपना लंड रगड़ते हुए फिर से मेरे गाल पर एक किस किया और अपना हाथ मेरे चिकने पेट पर चलाने लगे मैं एकदम मदहोश होकर दीवार से सटी हुई थी कि उनका लंड मेरे गांड में के छेद कर अंदर घुसता जा रहा था अगर कपड़े की दीवार न होती तो पक्का उनका लंड तो मेरी पेट तक चला जाता गांड के रास्ते से।
फिर मैं पलटी और उनका और मेरा चेहरा दोनों का एक दूसरे के सामने था उनका लिंग मेरी योनि से एकदम सेट हुए थे।
उनका होंठ मेरे होंठ के बिल्कुल करीब था ऐसा लग रहा था कि बस अब हम दोनों एक दूसरे में खो जाएंगे मैं पूरी तरह से मदहोश होकर अपनी आंखें बंद किए हुए थी और वह मेरे मदहोश चेहरे को बड़े गौर से देख रहे थे।
कभी-कभी मेरे दिमाग में आ रही थी कि मैं यह सब क्या कर रही हूं?
यह जो शख्स मेरे सामने खड़ा है वह मेरी सगी बेटी का बॉयफ्रेंड है। मैं इसके साथ यह सब कैसे कर सकती हूं?
की तभी दूसरी बात भी दिमाग में आती है यह आदमी इतना हैंडसम है की अगर इतना हैंडसम आदमी मेरा सगा बेटा भी हो तभी मैं इसके लंड पर झूल जाऊंगी?
तभी आलम का लंड का उभार मेरी योनि पर महसूस होने लगी ऐसा लग रहा था जैसे अभी अंदर घुस जाएगा मैं मदहोश हो रही थी। मेरे चेहरे पर उसका गर्म सांसे मुझे मदहोश कर रही थी मैं बस आंखें बंद करके उसके सामने खड़ी थी और वह अपना लंड मेरी योनि में सटाए खड़ा मेरी चूचियों को अपने सीने से दबा कर मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया हुआ मेरे चेहरे को गौर से देख रहा था और मेरी आंखें बंद थी उसकी मदहोशी के कारण।
उउउफ्फ्फ़ गजब सुकून थी।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अब अगले भाग में।
बहुत ही गजब और शानदार अपडेट हैUPDATE 08
मुहबोले बेटे से प्यार। S1 UPDATE 08
(बेटी के बॉयफ्रेंड स्पेशल)
(नोट्स: आप सभी से अनुरोध है कि कहानी का संपूर्ण आनंद लेने के लिए पहले शुरुआत से सभी पार्ट्स को पढ़ें।)
अब तक आपने पढ़ा कि आलम मुझे कस के बाहों में पकड़ा हुआ था और फिर दीवार के सहारे मुझे सटाकर मेरी होंठ को चुमने की कोशिश कर रहा था अब आगे।
आलम की गर्म सांसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी मैं आंखें बंद करके पूरे मदहोशी में उसके कमर में हाथ डालकर चुपचाप दीवाल से सटे खड़ी थी और उसके लिंग का उभार जो मेरे योनि पर महसूस हो रहा था उसे काफी शालीनता से मैं महसूस कर रही थी।
की तभी धीरे से आलम ने मेरे होठों पर अपने होंठ को रगड़ने लगे मैं एकदम से उत्तेजित हो गई और अपने हाथों को उनकी कमर मे कस ली इससे उनका लंड का उभार और ज्यादा मेरे योनि पर लगने लगा।
और वह मेरे होंठ को रगड़ते हुए मेरे निचले होंठ को अपने दांतों में पकड़ कर धीरे-धीरे चूसने लगी मैं पूरी मदहोशी में उनके ऊपर के होंठ को चूस रही थी।
मेरी आंख बिल्कुल बंद थी और उनका हाथ मेरे दोनों नीतम्ब पर चल रहे थे मेरी गांड को धीरे-धीरे वह सहला रहे थे और मेरी होंठ को चूम रहे थे मुझे तो ऐसा लग रहा था कि आज मेरी मालपुआ नहीं बचने वाली यह जो शख्स है आज मेरी मालपुआ को चट कर जाएगा।
मैं उनकी होठो की चुसाई और लंड की रगड़ाई से खुद को मदहोशी में महसूस कर रही थी।
कि तभी उन्होंने मुझे छोड़ दिया मैं एक तुमसे छटपटा उठी।
यह क्या हो गया ऐसा लगा जैसे किसी बच्चे से उसका खिलौना छिन गया?
मैं उनके चेहरे की ओर देखने लगी वह मेरे चेहरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे और मेरे कमर पर अभी भी उनके हाथ थी। फिर वह धीरे से अलग हुए।
मैं उन्हें बोली- क्या हुआ?
तब वह मुस्कुराए और मुझे कस के गले लगा कर बोले- मेरी जान मैं आज आपको शॉपिंग करना चाहता हूं चलिए कहीं मॉल घूम कर आते हैं।
मैंने उनसे कहा- अरे कहां इस शहर में इतना भी बड़ा मॉल नहीं है आपके शहर में होता होगा?
तब उन्होंने कहा कि आपके साथ घूमने के लिए तो माल बहुत छोटा भी हो तो वह बहुत बड़ा होगा बस आप रेडी हीईये और चलिए।
फिर हम दोनो उनके कार मे बैठ के निकल गये।
आलम बोले- मैं तो आपकी बेटी के पास 4 महीने रहा अब वाही कुछ काम से आया था तो सोचा अपना मालपुआ खाता चलू।
उनकी बात से हम दोनो हसने लगे।
तब मैं बोली- हां आज से लगभग होली के बाद आपका मैसेज आया था कि आप आने वाले हैं और आप 4 महीने बाद आये है।
उन्होंने कहा- मेरी जान मैं थोड़ा बिजी हो गया था।
उनके मुंह से जान शब्द सुनकर मेरी तो जान ही अटक गई।
फिर
हम माल पहुंच गए मॉल में जाते ही उनकी छेड़खानी शुरू रही हुई,
वह कभी मेरे गांड को दबा देते तो कभी मेरी नाभि में उंगली करते थे तो कभी मेरी गाल को टच करते मैं सब चीज से काफी मजा ले रही थी वह भी बहुत खुश थे हम दोनों मॉल गए कुछ कपड़े सिलेक्ट किया और लेकर हम चेंजिंग रूम में चले गए।
हम दोनों चेंजिंग रूम में एक साथ घूसे थे वह मेरे सामने खड़े थे और बोले कि भाभी जी आप बस पहन कर मुझे दिखाइए।
मैं उनके सामने शर्मा रही थी कि तभी उन्होंने मेरे होठो पर अपने होंठ रखकर एक लंबा किस कर दिया
और बोले- अब मत शरमाओ मेरी जान मेरे सामने ही चेंज करो।
उन्होंने खुद मेरी साड़ी खींचकर खोल दी मैं बस पेटिकोट और ब्लाउज में खड़ी थी।
मुझे थोड़ा शर्म आ रही थी, मै अपने बेटी के बॉयफ्रेंड के साथ ये सब।
तभी उन्होंने एक अच्छी सी साड़ी मुझे दी और बोले की इसे ट्राई करो। कहा खो जाति हो?
मैंने उसे जैसे ही पहना उनकी तो आंखों में चमक आ गई उन्होंने मुझे कसकर अपनी बाहों में पकड़ लिया।
और बोले- वाह मेरी जान कितनी सुंदर लग रही हो और मेरे होंठ पर अपने होंठ लगा दिये।
मेरी आंख तो अपने आप ही बंद हो गई और हम दोनों एक दूसरे में खो गए वह मेरी होठो को चुस रहे थे और मैं उनके होठों को चूस रही थी वह कभी मेरे अंदर अपना जीभ डालते तो मैं उनकी जीभ को चूस लेती।
उनकी मैं बालों को सहला रही थी तो वह मेरी गांड को सलाह रहे थे ऐसे ही हम दोनों का कुछ लंबा किस्स्स चला?
फिर बाहर से कोई दरवाजा पीटने लगा और हम दोनों अलग हुए फिर मैंने पहनी हुई साड़ी खोली और अपने जो पहन कर आई थी वह साड़ी पहन ली और इस साड़ी को ले लिया और उसके साथ ब्रा भी थी ब्लाउज भी था सब ले लिया और हम दोनों काउंटर पर चले गए।
बिल पे किया और वहां से निकाल लिए।
घर आते आते हमें शाम हो गई वह मुझे घर पर छोड़े और अंदर आए मैंने उन्हें खाना खिलाया खुद खाया और फिर उन्होंने बोला कि अब आप आराम करो मैं जाता हूं।
मैं थोड़ी मायूस हुई कि तभी वह मेरे पास आए और मुझे गले लगा कर मुझे किस करना फिर से चालू कर दिया।
मेरी गांड को दबाने लगे धीरे-धीरे वह मेरी बूर के पास पहुंच गए और उसे रगड़ने लगे। मैं वहीं सोफे पर बैठ गई फिर उन्होंने मुझे एक टांग को सोफे पर रखा और एक को नीचे किया और साड़ी को ऊपर कमर तक सरका दिया मैं तो एकदम से शर्मा रही थी कि तभी उन्होंने पैन्टी के ऊपर से ही अपना जुबान फिराना शुरू किया और एक झटके में अपने दांतों से मेरी पैंटी को खींचकर नीचे कर दिया फिर मेरी फुली हुई बूर उनके सामने आ गई उसे देख उनके मन में एकदम से लड्डू फूटने लगे।
वे इसी मालपुए की कितने दिन से आस लगाए बैठे थे। वह मालपुआ उनके सामने था उन्होंने अपना जीभ को निकाला और मेरी मालपुआ में घुसाकर उसका रस को चूसने लगे मेरी तो आंखें ही बंद हो गई मैं एकदम से मदहोश हो गयी।
कभी मै उनके बाल को सहलाती तो कभी उनकी मुंडी को अपने मालपुआ में घुसेड देती आज मैं भी उन्हें अपनी मालपुआ चखा ही दिया था वह भी पूरा रस लेकर मेरी मालपुआ को अपनी जीभ से कुरेद कर उसे चूसने लगे?
मेरी मालपुआ के रस को वह चूसते जा रहे थे।
कि फिर उन्होंने उठे और उठकर अपनी जीभ को मेरे मुंह में देने लगे मैं तो बस मदहोश होने लगी और उनकी जीभ को चूस रही थी।
फिर उन्होंने अपने पैंट को नीचे सरकाया और अपने लंड को हाथ में ले लिया फिर उन्होंने मेरे सर को पकड़ कर बोले
आलम- लो मेरी जान आज इसे चुस लो आज से अब यह तुम्हारा है, तुम्हारे बेटी का नहीं।
मेरी आंखों में चमक आ गई उनका लंड देखकर गजब का था देखते ही मेरी तो हालत खराब हो गई।
आगे गजब का नुकीला था और उस पर तो चमडी भी नहीं थी आधा चमडी कटी हुई थी और पूरा लंबा सा लैंड मेरे सामने में एकदम से हैरान थी उन्होंने पूरी तरह से मेरी हाथ को पकड़ा और अपने लैंड पर रख दिया मेरे हाथ एकदम काप रहे थे।
उन्होंने लंड को हाथ में लेते हुए बोले- लो ना मेरी जान इससे चूसो मैं उस लंड को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी। और फिर मुंह को लगाइ हल्का सा जीभ फिराया तो उनकी आंखें बंद हो गई और वह भी मदहोश हो गये।
मैं उनके टोपा को मुंह में लिया मेरे अंदर केवल टोपा ही जा रहा था पूरा मुंह में नहीं जा पा रहा था मैं उसे कस रही थी कि तभी उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और अपने लंड को पूरा मेरे मुंह में दे दिया मैं इसे सकपका गई और मुझे खांसी होने लगी।
मैं खांसने लगी तभी उन्होंने मुझे उठाया और अपने जीव को मेरे मुंह में डालकर चूसने लगे मेरे होंठ को चूसने लगे हम दोनों एकदम से मदहोश हो चुके थे कि तभी उनका कॉल बजने लगा फिर उन्होंने मुझे छोड़ा।
कॉल को उन्होंने उठाया और कॉल पर उन्होंने किसी से बात की और फिर मुझसे बोले- भाभी जी अब मुझे जाना होगा कोई मुझे बुला रहा है फिर मैं थोड़ा जल्दी में अपने आप को ठीक किया और मुझे गले लगा कर एक किस देते हुए चले गए।
इस बीच अब शाम हो गई थी तो मैं भी सोची की राज को बुला लूं तो राज को बुलाने के लिए शीला के घर जाने लगी। जैसे ही मैं शीला के घर पहुंची तो देख की दरवाजा तो खुला ही है तो मैं अंदर जाने लगी मैं अंदर जा ही रही थी कि तभी मुझे कुछ आवाज सुनाई दी।
मैं जैसे ही आवाज की पिछा की तो मैं देखी कि यह तो आवाज रूम से आ रही है मैं रूम की तरफ गई तो देखी की दरवाजा और खिड़की सब खुले हुए हैं मैं दरवाजे से नहीं गई खिड़की के पास गई और देखने लगी अंदर का नजारा देख मेरा मुंह तो खुला का खुला ही रह गया। मेरी बूर से फिर से पानी रिसने लगी।
मैं अंदर देखी कि मेरी मुंहबोला बेटा राज मेरी सहेली शीला को नीचे लेटा कर उसके बुर में अपना मोटा सा लन्ड सतासत पेल रहा था।
शीला की आंखें बंद थी पैर हवा में थे और राज उसकी बूर में लंड डाले धक्का लगा रहा था और राज उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा था।
शीला मेरी पहले से ही बहुत बड़ी चुडक्कड़ दोस्त है वह बस चुदाई का मौका देखती हैं।
मुझे लगा ही था कि आज राज के साथ ये कुछ ना कुछ जरूर कर लेगी।
दिन भर में उसने राज को सेट किया और सेट करके शाम को पूरी होशो हवास में सtaसत लंड को अंदर ले रही थी और उसे पूरा इंजॉय कर रही थी।
कभी उसके बाल सहलाती तो कभी उसके गाल और थक्का लगवाते रहती इसी बीच दोनों एक दूसरे के बाहों में पकड़ कर झड़ गए और लेटे रहे।
फिर देखी की तुरंत उन दोनों ने उठे और अपने आप को साफ करने लगे तभी मैं वहां से भाग गई।
थोड़ी देर बाद फिर से मैं अंदर आई तो देखी की शिला अपने काम कर रही है और राज उसी के साथ बैठकर उसको देख रहा था।
राज ने जैसे ही मुझे देखे वह दौड़कर मेरे पास आया और एकदम से गले लग गए।
तभी शीला बोली- वाह रे मैं दिन भर तुम्हारा ख्याल रखी और मां के आते ही तू मां का हो गया।
और फिर हम तीनों हंसने लगे।
राज मेरे गले इतना जोर से लगा हुआ था कि मेरी दोनों चूचियां उसे दबी हुई थी और वह मेरी गर्दन के पास अपने सर रखा हुआ था बहुत प्यार से मुझे गले लगाया हुआ था मैं उसके बाल को सहलाई और बोली चलो बेटा अब घर चलते हैं। फिर हम दोनों घर आ गए मैं राज के लिए खाना तैयार की और रात का खाना हम दोनों ने खाया और खाकर फिर सोने चले गये।
राज, आज उसकी शीला की चुदाई करके काफी थक गया था, सो वह तुरंत ही सो गया मैं भी उसके सीने पर सर रखे उसके बालो को सहलाते हुए सोने की कोशिश कर रही थी।
मैं भी थकी हुई थी परंतु मुझे आज आलम के साथ की हुई हरकत मुझे वह सब याद आ रहा था।
उसका वह बड़ा सा लंड मेरे तो दिमाग में और आंखों के सामने ही घूम रहा था एकदम गोरा सा लंड था और आगे का हिस्सा कटा हुआ मोटा सा टोपी दिखाई दे रहा था मुझे तो अभी तक मेरे आंखों के सामने दिखाई दे रहा था।
और फिर ऐसे ही दिन और रात काटने लगे।
मुझे कोई उनकी फोन ही नहीं आई और मुझे इधर से उन्हें फोन करने की कभी हिम्मत ही नहीं हुई।
इसी बीच रक्षाबंधन का दिन भी आ गया और मेरी बेटी और मेरा बेटा आकाश दोनों घर पर आए हुए थे काफी धमाल चौकड़ी मची हुई थी मेरी बेटी सौम्या मेरे बेटे राज को छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी कि वही शीला भी आजकल मेरे घर पर बहुत ज्यादा आने लगी थी मेरे बेटे आकाश के लिए।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अगले भाग में।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट हैUPDATE 09
मुंहबोला बेटा से प्यार part9
(रक्षाबंधन+वाटरपर्क स्पेशल)
आज रक्षाबंधन का दिन था और चारों तरफ रक्षाबंधन की तैयारी चल रही थी।
मेरे घर में भी काफी रक्षाबंधन की धूमधाम थी। शीला सुबह से ही मेरे घर पर थी, और मेरे साथ तैयारी में हाथ बता रही थी।
वही सौम्या अपने दोनों भाइयों के लिए राखी तैयार कर रही थी।
मेरे नैहर में कोई भी भाई नहीं है। और शीला की नईहर में एक भाई था तो उसने अपने भाई के लिए राखी कोरियर कर दी थी।
तभी कमरे से राज की आवाज आती है मां मेरी तोलिया नहीं मिल रही।
राज दरअसल नहाने के लिए गया हुआ था और वह भी बिना तोलिये के।
तभी शीला बोली- अरे सुनीता मैं उसे तोलिया दे देती हूं तुम तो जल्दी से मिठाई बना लो।
फिर शीला तौलिया ले जाकर दे आई।
तभी आकाश ने मुझे बुलाया मां इधर आओ ना?
तभी शीला आई और बोली- तुम्हारे बच्चे भी ना जाओ तुम संभालो मैं यहां बना लेती हूं।
फिर शीला यहां काम करने लगी और मैं आकाश के पास चली गई तो देखी की बाथरूम में वह भी खड़ा था।
आकाश सिर्फ चड्डी में पूरे बदन पर साबुन लगाये खड़ा हुआ था।
मैं बोली क्या हुआ बेटा?
आकाश- मां इसमें पानी नहीं आ रहा है एक बाल्टी पानी ला दो ना।
मैं वहां से बाल्टी उठाई और दूसरे नल से पानी लेकर आई और उसके बाथरूम में रख दी।
आकाश के पूरे बदन पर साबुन लगने के कारण उसके आंख अब जल रही थी।
तो वह
बोला- मां जल्दी करो ना बहुत जल रही है मैं बोली कि ले यहीं पर रखती हूं अब नहा ले जल्दी से।
वह जैसे ही आगे बढ़ा उसका पैर फिसल गया और एकदम से वह मेरे ऊपर आकर गिर गया।
मैं दीवाल से चिपक गई और वह मेरे ऊपर चिपक कर खड़ा हो गया।
फिर आकाश ने कहा -सॉरी माँ गलती हो गई।
मैंने उसे उठाया और पास मे बैठा कर
फिर बाल्टी से पानी निकाली और उसे नहलाने लगी?
बचपन में मैं इसे ऐसे ही नहलाया करती थी आज तो उसका बचपन मुझे याद आ गया।
मैं उसे नहला रही थी उसके पूरे बदन के साबुन को धो रही थी तब वह खड़ा हुआ फिर मैं उसके पैर को कमर को पेट को सब धोने लगी।
मैं एकदम उसके करीब आ गई थी मेरा चूची कभी-कभी उसको टच हो जाता है तो नीचे पानी डालते वक्त मेरा हाथ उसके लंड से लग जाता है उसका लंड एकदम से टाइट खड़ा हुआ था मुझे देखकर तो शर्म आ रही थी और वह तो बेचारा आंख ही नहीं खोल रहा था शर्म से।
मैं मुस्कुरा रही थी और उसे नहला रही थी।
फिर उसे नहला कर मैं बाहर चली आई।
तभी शीला ने मुझे ताने मारते हुए कहा- क्या कर रही थी रे अपने बेटे के साथ?
मैं उसे आंख चौड़ी करते हुए बोली मैं क्या कर सकती हु बेटा है। मेरा तुम ज्यादा सोच मत समझी?
तब उसने कहा- हां हां जानती हु बेटा है तेरा पर उस दिन देखा था ना उसका कैसा(लंड) है अब वह तुम्हारा छोटा सा बच्चा नहीं रह गया जवान है उसके साथ ज्यादा समय बिताएगी तो....
फिर मैं बोली- चल ज्यादा जबान ना चला और चुपचाप तैयारी कर।
फिर मेरे दोनों बेटे तैयार होकर बैठ गए मैं भी मिठाइयां तैयार कर ली थी और सौम्या तो कब से राखी लेकर तैयार बैठी थी और मुस्कुरा रही थी?
सौम्या आज ढीले थोड़े कपड़े पहने हुए थे जिससे कि उसकी चुचिया थोड़ा बाहर दिखाई दे रही थी पता नहीं उसकी क्या इरादा थी?
मैं और शीला दोनों एक साथ बैठी हुई थी।
और सौम्या अपने दोनों भाई राज और आकाश को राखी बंधने लगी।
राखी बांधते समय सौम्या थोड़ा झुक कर रखी बांध रही थी जिससे कि उसका आधा से अधिक स्तन बाहर दिखाई दे रहे थे।
राज काफी ललचाया नजरों से सौम्या के स्तन को देख रहा था। मैं भी समझ गई उसके मन को बेचारे को होली के दिन के बाद आज देख रहा था कहां उसे भी चैन आने वाली थी?
तभी शीला बोली- देखना! सुनीता, राज को, कैसे वह ललचाया नजरों से सौम्या की ओर देख रहा है और मुझे देखकर हंसने लगी?
मैं कुछ बोल नहीं पाई।
फिर सौम्या उन्हें राखी बांधकर तिलक लगाने,
तिलक लगाते वक्त सौम्या के स्तन ऐसा लग रहा था जैसे आकाश के मुंह में ही घुस जाएगा।
और तो और राज, तो ऐसा लग रहा था जैसे सौम्या के स्तन को आज खा ही जाएगा।
राखी बांधने के बाद सौम्या ने आकाश से और राज से अपने गिफ्ट्स की डिमांड करने लगी तभी आकाश और राज ने अपने जो गिफ्ट्स लाए थे वह दे दिए।
तभी सौम्या ने बोली सिर्फ इतनी गिफ्ट् से काम नहीं चलेगा मेरे भाई, तुम दोनों की सिर्फ मै एक बहन हूं मुझे तो कुछ स्पेशल गिफ्ट चाहिए।
तभी सौम्या ने आकाश को कहा- आकाश, तुम्हें मां और शीला आंटी को बाहर घूमाने ले जाना होगा वे लोग घर में कितनी काम करती है कभी घूमने नहीं जाती।
और,
राज तो मेरा छोटू सा प्यारा सा भाई इससे ज्यादा बड़ा गिफ्ट में नहीं माँगूगी बस इतना चाहती हूं कि आज तू बिना डरे मेरे साथ हि भूत वाला पिक्चर दिखेगा बोल तैयार है।
तब राज ने कहा- ठीक है दीदी मैं तैयार हूं।
शिला अजीब सी मुंह बना ली बोली- ये कैसा डिमांड है? मैं सौम्या की जज्बात को समझ रही थी वह होली के बाद से राज के साथ समय नहीं बिताई थी वह होली का बच्चा कुछा सारा कसर आज रक्षाबंधन के दिन पूरा करना चाहती थी और आकाश को मेरे और शीला के साथ बाहर भेजना चाहती थी ताकि घर में कोई ना बच्चे।
मैं मुस्कुरा दी और बोली-- ठीक है मैं तैयार होती हूं और
शीला को बोली तुम भी तैयार हो जाओ आकाश के साथ आज बाहर चलते हैं।
आकाश भी हमें घूमाने के लिए तैयार था।
घर से जैसे ही निकले सौम्या ने हमें बाय बोला और दरवाजा को बंद कर दिया मैं समझ गई कि आज मेरी सौम्य बेटी कसर पूरा करने वाली है अपने मुंहबोले भाई के साथ।
गाड़ी मै ही ड्राइव कर रही थी और आकाश और शीला दोनों पीछे बैठे थे।
मैं, आकाश और शीला को भी पूरा मौका देना चाहती थी ताकि वह भी होली के बाद का जो बच्चा कुचा कसर है वह पूरा कर सके।
फिर आकाश बोला वॉटरपार्क् ले चलो माँ।
मैंने वैसे ही किया और हम थोड़ा ही देर में वाटर पार्क पहुंच गए। वाटरपार्क पर पहुंचते ही हमें टीशर्ट और हाफ पेंट दिया गया पहनने के लिए।
मेरी शरीर स्लीम थी इसलिए मुझे टीशर्ट और हाफ पैंट काफी अच्छा फिट हो रहा था और मेरी गोरी गोरी जाँघे दिख रही थी।
शीला भी मोटी नही थी तो उसे भी शर्ट और हाफ पैंट अच्छे लगे।
फिर हम तीनों नहाने के लिए वाटर पार्क में चले गए।
हम तीनों मस्त नहा रहे थे तभी बीच-बीच में आकाश शीला के चूचियों को दबा देता तो कभी उसकी गांड मे लंड सटा देता।
और हम सभी हसने लगते।
शीला कभी-कभी मेरी चुचियों को दवा देती मेरे बेटे के सामने और हसने लगती। मै शर्मा जाती।
हम सभी जमके इंजॉय कर रहे थे।
तभी वाहा पर काफी मजेदार भोजपूरी हॉट गाना बजने लगता है।
मैं शीला और मेरे बेटे तीनों गाने पर थीरकने लगते हैं और गाने से ताल से ताल मिलाकर शीला अपनी गांड को आकाश के लंड पर रगड़ रही थी आकाश भी खूब इंजॉय करते हुए कभी उसकी चूचियों को दबा लेता तो कभी उसके गाल को मसल देता तो कभी उसके बूर में उंगली कर देता और खूब नाच रहे थे।
फिर शीला ने मुझे भी अपने ऊपर खींचा और हम दोनों की चूचियां एक दूसरे से रगड़ गई हम दोनों खूब जोर से हंसने लगे कि हमारी चुचिया हिलने लगी।
तभी आकाश हम दोनों के बीच में आ गया। आकाश जैसे ही हम दोनों के बीच में आया मेरी चूची और शीला की चूची दोनों आकाश से एकदम रगड़ गई और बीच में निकला तो हम दोनों पर पानी के छीटे पड़े मैं अपनी आंख बंद कर ली और आकाश तो एकदम मेरे ऊपर गिर गया मेरी चुचिया उसके सीने में दब गयी और उसका लंड मेरे हाफ पेंट से होते हुए ऐसा लग रहा था जैसे मेरे बूर में घुस जाएगा।
फिर शीला ने मुझे मेरे हाथ को पकड़ा और मेरे बेटे को की तरफ खींचने लगी जिससे कि आकाश का लंड और मेरी बूर में घुसे जा रहा था।
फिर शीला ने एक शरारत की और आकाश का पेंट को थोड़ा नीचे सरका दिया जिससे कि उसका एकदम टाइट खड़ा बाहर निकल गया
पानी के अंदर हम छाती तक थे तो किसी को कुछ दिख नहीं पा रहा था।
मुझे पता तो नहीं था कि उसने ऐसी शरारत की है लेकिन जब उसका लंड मेरे बूर में पूरा घुसने को तैयार हुआ तब लगा कि वह कुछ नहीं पहना है और शीला मुझे और आकाश के तरफ खींच रही थी जिससे कि मै, आकाश के ऊपर और दबी जा रही थी जिसके कारण उसका लंड मेरे बुर में जा रहा था हम दोनों एकदम मदहोश हो चुके थे।
फिर मैंने एक जोर का धक्का दिया और आकाश शीला के ऊपर जा गिरा और शीला आकाश को पकड़ कर नीचे दब गई।
दोनों पानी में जा गिरे और डूब गए फिर जब ऊपर आए तो दोनों जोर-जोर से सांस लेने लगी।
तभी शीला बोली- अच्छा तुम मुझसे शरारत करती हो रुक जा अभी बताती हूं।
और वह मुझे कसकर पकड़ ली मैं भागने को सोची पर भाग नहीं पाई और पकड़ कर मुझे नीचे पानी में डुबो दिया मैं जैसे ही पानी में गई मेरा मुंह एकदम आकाश के लंड के पास आ गया और ऐसा लगा कि एक पल तो की मेरी मुंह में आकाश का लंड चला जाएगा।
फिर मैं छटपटाने लगी उसमें छटपटाते वक्त आकाश का लैंड को मैं कई बार टच कर दी और उसका लंड मेरे मुंह को भी लग रहा था मुझे सांस लेने में नहीं बनी तो मैं मुंह खोल ली जिससे कि अब आकाश का लंड मेरे मुंह के पास आ गया लगभग घुसने को ही था कि मैं झट से ऊपर को आई और तेज तेज सांस लेने लगी।
मैं शीला से बोली- क्या करती है शीला अभी तो मेरी जान ही ले लेती?
तभी सीला बोली -अरे ऐसे कैसे ले लेती एक ही तो मेरी जान हो और हंसने लगी, आकाश भी हंस रहा था उसका लंड अभी भी पानी में नंगा ही था?
हम तीनों की मस्ती देखकर वहां आसपास खड़े लोग भी खूब इंजॉय कर रहे थे तभी कुछ बदमाश लड़के भी हमारे पास आ गए।
वे लोग वापस ही बात कर रहे थे और एक ने बोला क्या बात है भाई यहां तो एक आदमी पर दो-दो माल है और हमारे पास तो कुछ भी नहीं? म्यूजिक काफी लाउड में बज रहा था फिर भी उनकी आवाज एकदम से पास आकर बोल रहे थे तो सुनाई दे रहा था असल में वह लोग तो सुनाने के लिए ही बोल रहे थे मैं थोड़ी गुस्सा हुई।
पर हम उधर ध्यान नहीं दिए और हम फिर से तीनों अपने इंजॉय करने लगे कि वह लड़के भी हमारे साथ ही नाचने लगे और नाचते-नाचते कभी वह मेरे गांड को टच कर देते तो कभी मेरे कमर में हाथ डाल देते।
आकाश और शीला तो जैसे किसी की सुध ही नहीं वह दोनों आपस में नाच रहे थे और नाचते-नाचते एक-दूसरे को टच कर रहे थे और अपना लंड को आकाश उसके बूर में कभी रगड़ देता तो कभी गांड मे कर देता है और खूब इंजॉय कर रहे थे मैं भी इधर नाच रही थी और मेरे तरफ तीन लड़के थे तीनों खूब नाच रहे थे मैं समझ गई कि यह मेरे लिए हि आये हैं।
मैं शीला और अपने बेटे आकाश को एक दूसरे के साथ इंजॉय करते हुए छोड़कर मैं भीड़ की तरफ चली गई उधर काफी भीड़ थी काफी लड़के लड़कियां आपस में डांस कर रहे थे।
पानी से झरना बह रहा था सब खूब इंजॉय कर रहे थे एकदम हॉट सीन था हॉट गाने बज रहे थे जिसके गर्लफ्रेंड थी वह तो बेचारा पकड़ पकड़ करना नाच रहा था और जिसके नहीं थी वह बेचारा अकेले नाच रहा था।
मैं भीड़ में नाच रही थी कि तभी मेरे गांड में कुछ घुसने जैसा महसूस हुआ।
मैं देख की मेरे अगल-बगल वही तीन बदमाश लड़के थे मेरे पीछे से एक लड़का अपना लंड को मेरी गांड में रगड था और वही मुझे गरम-गरम महसूस हो रहा था।
फिर से तीनो मेरे से एकदम से सट गए और नाचने लगे मैं भी मदहोशी में थिरक रही थी मुझे भी कुछ होश नहीं था कि धीरे-धीरे एक ने अपना हाथ को मेरे पेंट में डालने लगा मैं मदहोश होती जा रही थी।
मेरे पेंट में वह हाथ को डालकर मेरी पैंटी के ऊपर से ही बूर को सहलाने लगा और बोला यार यह तो बहुत गर्म है।
तीनों मुस्कुराने लगे, तीनों का कहीं ना कहीं हाथ मेरे बदन पर चल हीं रहा था कोई मेरे पेट सहला रहा था तो कोई मेरी बाई गांड को दबा रहा था तो कोई मेरी पीठ पर हाथ चल रहा था कोई मेरी जांघो को मसल रहा था।
मैं भी काफी मदहोश हो चुकी थी अपने बेटे के लंड देखकर मैं भी सोची थोड़ा इंजॉय कर लेती हूं क्या ही हो जाएगा और उन तीनों ने तो हद ही कर दी मेरे जांघो पर हाथ चलते-चलते एक ने अपना हाथ को मेरी पैंटी के अंदर डाल दिया और मेरे बूर में उंगली डाल दी।
मैं एकदम मदहोश हो गई और मेरी मुंह से एक आह निकल गई। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा पूरा शरीर सुन पड़ गया मेरी पूरी शरीर में बिजलियां दौड़ गई मैं पानी में पूरी तरह से स्थिर हो गई।
और वह तीनों मेरी मेरे पूरे बदन को मसल रहे थे कोई जांघों को मसलता तो कोई मेरी जननांग को मसलते तो कोई मेरी गांड को मसलते ऊपर चूची पानी में नहीं थी नहीं तो वे लोग तो इसे भी नहीं छोड़ते।
म्यूजिक इतना तेज बज रहा था कि वहां कोई किसी की कुछ सुनने के लायक नहीं था बस सभी एक दूसरे के बदन से सट कर नाच रहे थे।
थोड़ी ही देर में एक लड़के ने मेरी पेंट को उतारने की कोशिश की अब मुझे लगा कि यह ज्यादा हो रहा था।
थोड़ी ही देर में उसने मेरी पैंट को उतार दी और पैंटी को भी जांघों तक नीचे कर दी और मेरी बूर और गांड दोनों बिल्कुल नंगी पानी में थे।
मुझे तीन तरफ से तो इन्हीं लोगों ने घेर रखा था और बाकी अगल-बगल लोग नाच रहे थे जिससे किसी को फर्क नहीं पड़ रहा था अब मैं एकदम से स्थिर पड़ गई की धीरे से उसका लंड मेरे बूर पर महसूस हुआ।
उसने अपने लंड को मेरे बुर में डालने की कोशिश करने लगे लेकिन जा नही रहा था।
तभी अचानक से म्यूजिक रुक गया और सभी लोग स्थिर हो गए मैं भी झट से उनसे आगे हुई और अपने आप को अकेला करके अपनी पैंट को ऊपर चढ़ाई।
मुझे ऐसा लगा जैसे नशे से अभी-अभी बहार आई हूं मैं एकदम से स्थिर हो गई मैं सोच में पड़ गई कि यह मै क्या कर रही थी?
सभी लोग शोर मचा रहे थे म्यूजिक क्यों बंद हो गया तभी म्यूजिक बजने लगी और फिर से सभी लोग नाचने लगी मैं उन तीनों से बच के शीला के पास भागी?
मैं देखी की शीला भी वहीं पर थोड़ी दूर आगे भिड़ मे खड़ी है और आकाश उसके पीछे खड़ा था पता नहीं वह दोनों क्या कर रहे थे?
शायद वह दोनों भी चुदाई कर रहे हो।
इसलिए मैं उन दोनों को डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझी और यहीं पर रुक गई तभी शीला की मुझ पर नजर पड़ गयी
मैं समझ गई कि यह दोनो चुदाई ही कर रहे थे शीला झट से हाथ नीचे करके अपने पेंट ऊपर चढ़ाई और तब मेरे पास आई फिर देखी की आकाश भी अपना पेंट को चढ़ा रहा था।
शीला मेरे पास शरारती मुस्कान के साथ आई और बोली- सुनीता मेरी जान तुम थोड़ी देर हम लोग का वेट करो बस में थोड़ी देर में हम लोग आते हैं।
वाटरपार्क के दूसरी तरफ कुछ कूड़े करकट रखे हुए थे उधर काफी झाड़ियां थी। यह लोग उधर ही चले गए।
मै भी थोड़ी देर मे निकल गयी।
थोड़ा झाड़ियों के तरफ दूसरी ओर गयी तो देखी की शीला को दीवाल से सटा के उसके पैन्ट निचे करके अपना लंड आगे पीछे कर रहा था। और दोनो एक दूसरे को चूम रहे थे ।
मै ये सब देख् कर गर्म हो गयी।
मेरे बेटे के चूतड एकदम तेजी से आगे पीछे हो रहा था।
और अपना जीभ शीला के मुह मे पेल रहा था।
तभी देखी की एक गार्ड इधर आ रहा था।
मै जल्दी से उसके पास गयी और इसे फालतू बात मे फसा दी, वो सुंदर स्त्री को देख के मजे से बात करने लगा। तभी उन दोनो का हो गया और वो लोग निकल गये तो मै भी फिर भाग आई।
हमने अपने कपड़े पहने और वहा से घर की ओर निकल गये।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अब अगले भाग में।
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट हैUPDATE 10
मुंहबोला बेटा से प्यार part10 (रक्षाबंधन स्पेशल)
नोट: इस कहानी को समझने के लिए आप इस सीरीज के सारे पार्ट्स को अवश्य पढ़ ले धन्यवाद।
अब तक आपने पढ़ा कि मैं मेरा बेटा और शीला वाटर पार्क में मस्ती कर रहे थे और मेरा बेटा और शीला पानी में ही एक दूसरे से सेट कर चुदाई कर रहे थे। तीन बदमाश ने मुझे घेर कर मदहोश कर दिया था।फिर हम तीनों वहां से घर के लिए निकल गए अब आगे।
हम तीनों वाटर पार्क से निकलकर मैं मेरा बेटा और शीला सीधे घर के लिए आ गये।
लगभग 3:00 बज रहा था जब मैं अपने घर पहुंची।
तब शिला बोली- मैं अपने घर में ही रेस्ट करना चाहती हूं।
तभी मेरा बेटा आकाश ने भी कहा-मैं भी शीला आंटी के साथ जाना चाहता हूं।
तब मैंने दोनों को बोला ठीक है तुम दोनों चले जाओ मैं अपने घर पर रेस्ट करूंगी थोड़ी।
और मैं अपने घर आई तो दरवाजा सौम्या ने खोला और पूछी की- मां शीला आंटी और भाई कहां रह गए?
तब मैंने उसे कह दिया कि वह दोनों शीला आंटी के घर ही आराम कर रहे हैं।
फिर मैं सौम्या से पूछी की राज कहां है?
तब सौम्या ने कहा कि राज सो रहा है।
फिर सौम्या मुझसे पूछी की मां आप लोग कहां-कहां घूमे?
तब मैंने उसे बताया कि कहीं नहीं बेटा बस वाटर पार्क में गए थे और वहीं पर जो हुआ सो एंजॉय हमने किया और चले आए।
तब समय मुझे गले लगाते हुए वालीफा में आप लोग वाटर पार्क है तब तो खूब मजा आया होगा।
तब मैं बोली हां बेटी मजा तो बहुत आया अब सब तुम अपने भाई से ही पूछ लेना मुझे थकावट हुई है मैं सोने जा रही हूं।
और फिर मैं सोने जाने लगती हूं।
और सौम्या भी अपने रूम में चली जाती है।
जब सौम्या अपने रूम में चली जाती है तब मैं टीवी वाले रूम में आती हूं और देखती हूं कि मोबाइल को मैं जहां रखी थी वहीं पर था लगभग 6 घंटे से उसका कैमरा मैंने ऑन करके वहीं पर रख दि थी।
मैं उस कैमरे में रिकॉर्ड हुए वीडियो को देखने लगी तब मुझे वह दिखा जिसके लिए मैंने कैमरा लगाया था फिर मैं वीडियो को पूरी तरह से देखी,
मैं तो एकदम से गर्म हो गई
पूरी वीडियो को मैं आप लोगों को कहानी के रूप में सुनती हूं।
जैसे ही हम लोग दरवाजे से निकलते हैं वैसे ही सौम्या ने बाय बोला और दरवाजा बंद किया और वह हाल में आकर बैठ गई तभी राज भी वहां दीदी दीदी करता हुआ आया।
तब सौम्या ने उसे डांटे हुए कहा कि दीदी दीदी की क्या रट लगा रखा है चल आ मेरे पास बैठ?
फिर सौम्या ने राज को बड़े प्यार से वहां बैठ कर उसके गाल पर एक किस करते हुए बोली की बोल मेरे भाई आज तू कौन सा डरावनी फिल्म दिखेगा?
तभी राज ने कहा -मुझे नहीं पता दीदी मैंने आज तक कोई भुतहा फिल्म नहीं देखी आप ही जो लगाओ वही ठीक है।
तभी सौम्या ने फिल्म को चला दिया वह फिल्म तो इस वीडियो में क्लियर नहीं आया था बस यही दोनों का चेहरा आ रहा था क्योंकि कैमरा लगभग टीवी के पास नहीं लगाई हुई थी?
फिल्म को या दोनों खूब इंजॉय करके देख रहे थे उसमें कुछ गरम सीन भी आ रही थी जिसकी वजह से यह दोनों एक दूसरे से सट जाते और एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते।
पूरी फिल्म खत्म हो गई फिर उन्होंने टीवी बंद किया और बोले कि चलो अब सोने चलते हैं दीदी।
तभी सौम्या बोली- क्यों यह नहीं सो सकता क्या मेरे गोद में मेरे साथ?
तभी राज बोला- क्यों नहीं दीदी और तुरंत उसके गोद में लेट गया और दोनों मुस्कुराने लगे?
सौम्या प्यार से अपने भाई राज के सर पर हाथ फेर रही थी और उसे दुलार रही थी।
और ऐसे ही कुछ देर करती रही और फिर दोनों सो गए।
फिर मैं वीडियो को काफी स्किप की तब एक जगह से वह पॉइंट मिले जहां से इन दोनों ने त्रिग्गेड होकर सेक्स करना शुरू किया था।
अचानक सौम्या का एक पर सोफे से नीचे चला गया और वह सोते हुए लगभग गिरने की अवस्था में आ गई।
तभी राज की आंख खुली और अपने दीदी को इस अवस्था में देखकर वह शायद गर्म हो चुका था उसे भी पता था कि कई महीने हो गए हैं दीदी को चोदे हुए वह लास्ट होली में ही एक बार चोद पाया था।
वह तुरंत उठा और अपने दीदी के पैर को सीधा करने लगा और उसके ऊपर लेट गया तभी सौम्या के अभी आंख खुली।
उसने अपने भाई को गले लगा लिया और दोनों धीरे-धीरे गर्म होने लगे एक दूसरे को चूमने लगे तुरंत राज ने अपने दीदी के होंठ में अपने होंठ को रगड़ते हुए अपने जीभ को अपने दीदी के मुंह में डालकर पेलने लगा और बड़े प्यार से सौम्या भी अपने छोटे भाई के जीभ को चूस रही थी।
दोनों एक दूसरे को चुम और चाट रहे थे वहीं सोफे पर लेटे हुए।
सौम्या अपने भाई के सर पर हाथ फेर रही थी तो कभी उसके बदन पर हाथ फेर रही थी तो वही राज अपने दीदी के दोनों गोल-गोल चूचियों को मसल रहा था और उसके होंठ को चूस रहा था।
फिर सौम्या उसे उठाई और राज खड़ा हो गया। दोनों खड़े-खड़े ही एक दूसरे से चिपक गए और फिर से एक दूसरे के होंठ को चूसना शुरू कर दिया।
और होंठ चूसते चूसते ही सौम्या ने अपने भाई राज के कपड़े को निकाल दिया टी-शर्ट निकलते ही राज ऊपर से पूरा नंगा हो गया फिर सौम्या ने अपने भाई के नीचे के पेट को भी खोल दिया अब राज सिर्फ चड्डी में था।
राज अपने दीदी के चूचियों को मसल रहा था कपड़े के ऊपर से ही फिर धीरे से राज ने अपने दीदी के सूट को पकड़ा और निकाल दिया।
राज ने सौम्या को ऊपर से नंगा कर दिया अब सौम्या उपर में सिर्फ ब्रा पहनी थी उसे राज ने अपने दांतों से काटने लगा।
सौम्या के चुचु को राज ऊपर से ही काट रहा था।
कि तभी सौम्या बोली रुक जा मेरे भाई इसे तो निकल ऊपर से क्या रखा है नीचे से चूसना?
फिर सौम्या ने खुद ही अपनी ब्रा को खोल दी और अपनी चूची को राज के मुंह में देने लगी और प्यार से चुस्वाने लगी राज भी बड़े प्यार से अपने दीदी के दोनों चूची को बारी-बारी से चूस रहा था और सौम्या अपनी आंखें बंद करके अपने भाई से पूरा मजा ले रही थी।
फिर आज थोड़ा और नीचे गया और समय के नाभि में अपनी चीज डालकर सौम्या को उत्तेजित करने लगा।
सौम्या बेचारी बेशुद्ध पड़ी अपनी आंखें बंद करके मदहोशी में सिर्फ मुंह से आह उउह्ह्ह मेरे भाई ओह्ह कर रही थी।
फिर राज और थोड़ा नीचे गया और सलवार के डोरी को प्यार से खींचकर उतार दिया अब सिर्फ और सिर्फ पेंटी में ही सौम्या बच गई थी पेंटी के ऊपर से ही अपनी जीभ से बुर को गिला करने लगा राज।
फिर राज ने बड़े प्यार से धीरे-धीरे पेन्टी को भी उतार दिया और अब सौम्या कि बूर एकदम सामने थी राज के,
राज भी अपनी ललचाया नजरों से अपनी बड़ी दीदी की बूर को देख रहा था उसने अपनी जीभ निकाली और सौम्या के बुरे को थोड़ा सा फैला कर उसमें अपनी जीभ को डाल दिया।
सौम्या अपनी आंखें बंद करके बूर चटाई का आनंद ले रही थी उसका छोटा भाई उसकी बूर में अपनी जीभ डालकर मस्त चाट रहा था सौम्या अपनी आंखें बंद करके मदहोशी में सिर्फ मुंह आह्ह् निकाल रही थी।
फिर सौम्या उठी और अपने भाई के चड्डी को उतार दिया और उसके लंड को हाथ में पकड़ ली राज भी अपने दीदी को बड़े प्यार से देख रहा था और फिर दीदी से बोला ओह्ह दीदी अपने मुंह में लो ना फिर सौम्या भी बड़े प्यार से अपने छोटे भाई के लंड को पूरा मुंह में भर लिया और गपा गप एकदम चूसने लगी राज तो आंखें बंद करके एकदम मदहोशी में डूबा हुआ था वाह दीदी और चूसो।
बड़े प्यार से अपने दीदी को चूसने के लिए राज बोल रहा था और सौम्या भी बड़े प्यार से अपने छोटे भाई के लन्ड को चूस रही थी।
फिर सौम्या उठी और सोफे पर अपनी टांग फैला कर लेट गई राज उनके दोनों टांगों के बीच में आया और अपने लंड को उसके बुरे के ठीक निशान पर लगाकर धक्का दे मारा जैसे ही धक्का मारा वैसे ही एक आह्ह निकली सौम्या के मुंह से
सौम्या एकदम से आंखें बंद करके सोफे के कोने को पकड़ ली और राज उसके बुर में धक्का लगाते हुए उसके ऊपर लेट गया अब दोनों एकदम एक दूसरे से सटे हुए एक दूसरे के मुंह में जीभ डालकर चूस रहे थे और राज अपने दीदी के बूर में लंड डालकर पेल रहा था।
धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाते गया और जैसे-जैसे स्पीड बढ़ती वैसे-वैसे सौम्या किसी के आअह्ह्ह् भी बड़ती है और
अपने भाई को कसकर पकड़ कर बोलती- ए मेरे भाई चोद और दोनों एकदम मस्ती में एक दूसरे को चोदाइ का आंनद ले रहे थे।
धक्को के स्पीड और बढ़ते गयी और उनकी आवाज और बढ़ती गई और धीरे-धीरे दोनों एकदम चरम सीमा पर आए और राज के मुंह से चिख निकलि आह्ह्ह् दीदी और फिर दोनों एक दूसरे से चिपक गए और वहीं पर कुछ देर लेटे रहे।
दोनों झड़ चुके थे और थक चुके थे मैं दूसरे को चिपकाए दोनों भाई-बहन लेते हुए थे।
तभी थोड़ी देर बाद सौम्या उठी और अपने भाई को किस करते हुए बोली भाई चल रूम में चलकर सो लेते हैं और फिर दोनों रूम में चले गए और तब तक कैमरा खाली ही रहा।
फिर शाम हुई और। हम सभी मां बेटे खेत की ओर गये वहां पर शीला भी आई हुई थी हम सभी खेतों की ओर खूब मजाक मस्ती कर रहे थे।
क्योंकि आज रक्षाबंधन खत्म हो चुकी थी और फिर कल मेरे दोनों बेटे और बेटी अपने पटना पढ़ने के लिए जाने वाले थे मैं और राज ही फिर से अकेले रहने वाले थे?
वहां खेत पर शीला मुझे छेढ़ते हुए बोली- आकाश कब तक तुम्हारी मां ऐसे ही उदास रहेगी तुम अपनी मां की उदासी को दूर क्यों नहीं कर देते?
आकाश बड़े हैरानी से शीला की ओर देखा और बोला- आप किस उदासी की बात कर रही हैं आंटी।
मैं समझ गई थी आज जो कुछ भी वाटर पार्क में हुआ था वहां पर यह दोनों तो खूब चुदाई का आनंद लिए थे और घर पर भी मेरी बेटी आनंद ली थी।
लेकिन मैं अपनी बूर की प्यास नहीं बुझ पाई थी उसी की उदासी की यह सिला बात कर रही थी मुझे डर था कि कहीं यह आकाश को ना कह दे तभी मैं बात को बदलते हुए कहा। मेरे बेटे बेटी अगर खुश है तो मैं भी खुश हूं मुझे और किसी चीज की उदासी नहीं है।
तभी राज ने कहा हां क्यों नहीं मां मैं हूं तो आपको उदासी की क्या बात है पर मुझे गले लगा लिया।
तभी मेरी सौम्या बेटी ने भी हम दोनों को गले लगाते हुए कहा कि मां हमारे होते हुए कभी उदास हो ही नहीं सकती।
तभी आकाश भी आया और मुझे गले लगा कर बोला मां हम आपको कभी उदास नहीं होने देंगे और मुझे माथे पर चुम लिया।
और फिर हम सभी हंसने लगे।
फिर हम सभी घर आ गए और खाना खाकर अपने-अपने रूम में सोने चले गए।
तभी रात को मैं उठी और बाथरूम जाने लगी। मुझे बहुत जोरों की पेशाब लगी थी मैं अपने बाथरूम में जाने ही वाली थी देखी कि गेट तो पहले से बंद है।
फिर मैं दूसरे बाथरूम में गई और जाकर वहां मुटने लगी तभी किसी ने बाथरूम की लाइट जला दी मैं अचानक उठने ही वाली थी लेकिन इतनी जोर की पेशाब लगी थी कि मैं उठ नहीं पाई और वैसे ही बैठी रही तभी मेरे सामने मेरा बेटा आकाश आकर खड़ा हो गया मैं देखी कि वह अपनी आंखें फाड़े मेरी बूर को देख रहा था पर मैं उसे देख रही थी मैं उठ भी नहीं पाई।
फिर जब मेरे पेशाब करना हो गया तो मैं उठी।
तब तक आकाश में वहां से भाग कर हाल में आ चुका था। मैं वहां से उठी और अपने रूम में जाने लगी तभी देख की आकाश हाल में अपने सर पर हाथ रख कर बैठा है।
तब मुझे लगा कि कहीं वह शर्मिंदा तो नहीं है।
तब मैंने सोचा कि मैं अपने बेटे से एक बार बात कर लेती हूं। अपने बेटे आकाश के पास चली गई।
मैं आकाश के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रख दी वह घबरा रहा था मैंने उसे अपने गले लगा कर उसके गाल पर एक किस दि।
और बोली की कोई बात नहीं बेटा हो जाता है कभी-कभार ऐसा इसके लिए तुम्हें शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है।
फिर आकाश ने एक गहरी सांस ली और उसने मुझे कस के गले लगाया और मुझे एक किस देते हुए कहा थैंक यू मां मुझे तो लगा कि मैं क्या अनर्थ कर दिया बहुत घबरा रहा था मां?
फिर मैं आकाश को बोली कि जो अब जाकर सो जाओ और मैं भी सोने के लिए जाने लगी।
तभी आकाश ने मुझे कहा- मां।
मैं बोली हां बेटा बोलूं क्या बात है?
तब आकाश बोल नहीं कुछ नहीं मन बस ऐसे ही। और मुस्कुरा दिया।
उसको मुस्कुराता देख मेरा तो दिल एकदम से खिल उठा मैं तुरंत उसके पास गई और उसे अपनी बाहों में कस कर भर लि।
उसका फिर से लिंग का आकार मेरे अंदर महसूस होने लगी। मैं उसे वहीं छोड़कर जाना तो चाहती थी पर मेरा मन नहीं हुआ उसे छोड़ने का और मैं लगभग बहुत देर तक उसे ऐसे ही पकड़ी रही वह भी मेरे कमर में हाथ डालकर मुझे पकड़ा रहा।
उसका लिंग का आकार मुझे बहुत अच्छा फिल दे रहा था मैं आंखें बंद करके एकदम मस्त मदहोश होती जा रही थी अपने सगे बेटे के बाहों में वह भी मुझे खूब कस कर अपनी बाहों में पड़े हुए था।
तभी मेरी ध्यान आई कि यह मैं क्या कर रही हूं तभी मैंने उसे अपने आप से अलग किया उसके चेहरे को मैंने अपने हथेलियां में थाम कर उसके होठों पर एक किस करके तुरंत वहां से अपने बेडरूम में भाग आई।
सुबह हुई उसके बाद हम सभी उठे मेरे दोनों बेटे और बेटी तैयार हो रहे थे पटना जाने के लिए मैं भी उनके जाने की तैयारी कर रही थी।
सारी तैयारी करके मैं अपने बेटे और बेटी को विदा कर दी और स्टेशन छोड़ने के बाद मैं और राज अपने घर वापस आ गए।
कल जो भी रक्षाबंधन के दिन हुआ था उससे तो मैं बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी मैं अपने घर आते ही राज को बाहों में ले ली राज भी समझ गया था कि मैं क्या चाहती हूं वह भी मेरे चेहरे को ऊपर किया और तुरंत मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए?
।।। धन्यवाद दोस्तों अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अब अगले भाग में।
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैंUPDATE 11
मुंहबोला बेटा से प्यार UPDATE 11
(मनहूस दिन)
वह दिन मुझे आज भी याद है जब मुझे मेरा मुंह बोला बेटा स्टेशन के पास रोते हुए मिला था और मैंने उसे एक नई जिंदगी दी। मां का प्यार दिया।
जब वह मुझे मिला था तब मैं उसे उदास देखकर काफी परेशान थी। मैं उसे पुलिस को सपने चली गई थी कि किसी का बच्चा हो तो उसे मिल जाए।
लेकिन पुलिस वाले मुझे यह कह कर भेज दिया है कि जब तक इसके माता-पिता का पता नहीं चलता तब तक इसे अपने पास रखिए।
और तब से लेकर अब तक 1 साल से एक दो महीना अधिक हो गए हैं यह मेरा मुहबोला बेटा बनकर बड़े प्यार से रहता है और हम सभी इस पूरे प्यार से रखते हैं।
और फिर आया वह एक मनहुश दिन जब मैं अपने बेटे के साथ सुबह-सुबह ।एक पतला चादर ओढ़े नंगे लेटी हुई थी।
और मेरा बेटा मेरी चूचियों के साथ खेल रहा था और मैं उसके बालों को बड़े प्यार से सहला रही थी वह मेरे स्तनों को कभी चूमता तो कभी चटता तो कभी दांतों से धीरे से काट लेता है और मैं उसके शैतानी पर मुस्कुरा कर उसके माथे को चूम लेती।
मेरा बेटा मेरे स्तनों को बड़े प्यार से चूस रहा था और मैं अपनी आंखों को बंद करके मदहोशी में खोये जा रही थी आअह्ह बेटा।
फिर वह थोड़ा सा नीचे की ओर झुका और मेरी नाभि में अपनी जीभ डालकर उसे चूसने लगा मैं तो पूरी तरह से एकदम मदहोश हो चुकी थी।
फिर वह उपर आया और मेरे होठो को चूसने लगा मैं भी उसके होठों को चूस रही थी और उसके इस चूसम चुसाई में पड़े आनंद ले रही थी।
फिर मेरा बेटा राज नीचे आ गया और मेरे दोनों पैर को थोड़ा सा फाइला कर और मेरे बुरे में उंगली करते हुए बोला मां कितनी गर्म हो तुम और और मुस्कुराने लगा।
मेरी भी हंसी छूट गई।
फिर राज मेरी मेरे ऊपर पूरी तरह से आ गया और अपने लंड को मेरे बुर पर लगाकर धक्का दे मारा लंड पूरा मेरे बुर के अंदर समा गया।
मैं अपनी मदहोशी में आंखें बंद कर ली और राज मेरे होंठ पर अपने होंठ रखकर चूसना शुरू किया और गांड को ऊपर नीचे उठा पटक करके मेरे बुरे में थक्का पल चुदाई शुरू कर दिया।
दोनों काफी मजे लेकर चुदाई कर रहे थे दोनों एकदम सातवें आसमान पर थे कि तभी फोन की घंटी बजी।
मैं चुदाई करते हुए ही फोन को रिसीव कर ली और मेरा बेटा मेरे गाल को चूमते हुए नीचे से धक्के लगा रहा था।
तभी
उधर से फोन पर कोई बोला- हेल्लो!
मैं अपनी दबी हुई आवाज में बोली- हां कौन बोल रहा है?
तभी उधर फोन से -मैं पुलिस इंस्पेक्टर बोल रहा हूं।
मेरे तो चेहरे की हवाइयां ही उड़ गई।
मैं समझ नहीं पाई की एक पुलिस इंस्पेक्टर का फोन मेरे घर पर क्यों आया है?
मेरे चेहरे को देखकर मेरा बेटा राज भी धक्के लगाना बंद कर दिया और अपने लंड को मेरे बुर में डाले हुए ही चुपचाप मेरे ऊपर लेटा रहा।
तभी उधर फोन से- मैम अपने जो 1 साल पहले रिपोर्ट लिखवाई थी एक बच्चे की, उसके माता-पिता आए हुए हैं थाने में आप, उस बच्चों को लेकर हमारे थाने में जल्दी से आ जाइए।
मेरा दिल दिमाग सब एकदम से सन पड़ गया मेरे कलेजे के टुकड़े को कोई लेने के लिए आया था अब मैं क्या करती कुछ समझ में ही नहीं आया?
तभी मै, राज को बोली कि तुम्हारे माता-पिता आए हुए हैं थाने में।
हमें चलना होगा वह झट से उठ गया और एकदम से उदास होकर एक साइड में बैठ गया।
मैं बोली राज बेटा कपड़े पहन लो हमें चलना होगा। लेकिन राज कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था वह अपने माता-पिता के पास नहीं जाना चाहता था लेकिन पुलिस का ऑर्डर था मुझे तो उसे लेकर जाना ही था मुझे भी मन नहीं कर रहा था ले जाने का।
फिर मैं अपने कपड़े पहने और राज को भी कपड़े पहने और फिर मैं शीला को कॉल की।
शीला जब इस बात को सुनी तो वह दौड़कर मेरे घर पर आई और मुझसे लिपटकर बोली की सुनीता यार अगर इसके असली माता-पिता आए हुए हैं तो हमें तो ले जाना ही होगा।
मेरे आंख में आंसू थे फिर भी मैं राज को तैयार कि।
मैं शीला और राज तीनों थाने के लिए निकल गए।
जैसे ही मैं थाने पहुंची वहां पर थानेदार ने हमें एक तरफ बैठा दिया और फिर राज की माता पिता को उसने बुलाया।
इंस्पेक्टर ने हमें बताया कि राज का असली नाम राज नहीं अंश है।
और इसके पिता का नाम राज्यवर्धन सिंह है और इसकी माता है कौशल्या देवी।
ये बहुत बड़े बिजनेसमैन है।
इसके माता और पिता दोनों यहां पर आए हुए है और इन्हें अब आपको इनके माता पिता के हवाले करना होगा।
मेरे सामने ही राज के माता-पिता आकर खड़े हो गए मैं उनकी माता को रोते हुए देखी तो मेरा दिल भी करुणा से भर आया।
मैं सोचने लगी कि जब मैं मुंह बोली मां होकर इतना प्यार करती हूं तो उनकी सगी मां कितना प्यार करती होगी मैं अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने करेज के टुकड़े राज को जो अब अंश था उसे मैंने उसकी माता-पिता को हवाले कर दिया। राज जब अपने माता-पिता के पास जाने लगा तब वह मुझे कस के लिपट गया मेरी तो आंखें भर आई मैं राज के सर पर हाथ फिर आया और बोली कि बेटा तुम्हारा असली माता-पिता के पास तो तुम्हें जाना ही होगा और उसके माथे पर एक चुंबन किया और उसे विदा कर दी।
मैं राज के माता-पिता को नमस्ते किया और शीला के साथ तुरंत थाने से निकलकर घर आ गई।
मेरे थाने से निकलते ही देखी की राज की माता-पिता राज को तुरंत हेलीकॉप्टर में बैठाये और वहां थाने से निकलकर अपने घर को चले गए मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह था कहां का?
मैं जब अपने घर आई तो उस दिन बहुत रोई मुझे शीला दिन भर दिलासा देती रही मुझे तो उस दिन खाना भी नहीं खाया गया।
शाम हुई तब मैं शीला के साथ थोड़ा नदी की ओर घूमने के लिए गई और वहां भी मुझे राज की छवि दिखाई देती रही मेरा मन वहां भी नहीं लगा।
फिर शाम को जब मैं घर आई तो मेरा की तनिक भी घर में नहीं लग रहा था तब शीला बोली कि चलो आज तुम मेरे घर पर ही रहो और मैं शीला के साथ उसके घर पर चली गई।
जब मैं शीला के घर गई तब मुझे थोड़ा बहुत आराम मिल रहा था शीला के पति भी तब तक आ चुके थे और उनकी थोड़ी बहुत हंसी ठीठोलि मुझे रास आ रही थी।
पर मैं उसे दिन तनिक भी हंस ना पाई थी।
रात को हम तीनों ने खाना खाया और खाना खाकर मैं शीला के साथ सो गई और शीला के पति बाहर सो रहे थे मुझे शीला पकड़े हुए सो रही थी।
सीला मुझे इधर-उधर की बातों में बहलाने की कोशिश कर रही थी मैं भी सोचे कि थोड़ा बहल जाऊ।
पर जैसे हि राज की याद आती मे सिहर उठती थी।
तभी पटना से मेरे सौम्या बेटी का कॉल आया। और मैं उसे दिन अपने सौम्या से बहुत बातें की। फिर आकाश ने मुझसे बातें किया मुझे अपने दोनों बच्चों से बात करके उस दिन बहुत सुकून मिला और तब जाकर मैं चैन की सांस ली और शीला के साथ लेते हुए उसे दिन लगा कि अब मेरी जान में जान आई। मैं शीला को एक किस कर दी।
शीला बोली- अरे वाह मेरी जान अब जाकर लग रही हो मेरी पक्की सहेली अरे भूल जाओ जो हुआ सो हुआ अभी जो वर्तमान में है उसके साथ खुश रहो और उसने भी मुझे होंठ पर किस कर दिया।
फिर शीला बोली अरे मेरी जान तुम तो गर्म लग रही हो जाकर मेरे पति का अपने भीतर क्यों नहीं ले लेती?
तब मैं बोली हां गर्म तो हु पर फिर तेरा क्या होगा अगर मै तेरे पति का लेने लगूं तो?
तब शिला बोली- अरे मेरी जान तू मेरी फिक्र छोड़ अपनी सोच एक बार लेकर देख कितना मजा आएगा।
फिर मैं बोली की चल चुप कर और सो जा।
फिर हम दोनों सोने लगे कि तभी मुझे कस के पेशाब लगी और मैं उठकर बाथरूम की ओर जाने लगी।
शीला नल पर ही पेशाब करती थी तो बोली कि जो नल पर ही पेशाब कर लो। मैं उठकर जाकर नाल पेशाब करने लगी। रात में पेशाब की धार इतनी तेज थी कि पूरा आवाज गूंजने लगा। और वही आंगन में शीला के पति सोए हुए थे।
मैं जब पेशाब करके उठी तो अच्छी की शीला के पति भी जाग चुके थे। मुझे भी पता नहीं क्या सूजी की मैं तुमसे मजाक कर दिया?
मैं शीला के पति से बोली- ऐसे क्या देख रहे हो आप?
तब शिला के पति बोले- अरे उतना ही जितना आपने दिखाई पूरा तो कुछ दिखी ही नहीं।
मैं शर्मा कर वहां से भाग गई और आगे शीला के पास सो गई।
फिर सुबह हुई मैं अपने घर चली गई सुबह भी मन मेरा थोड़ा उदास था लेकिन सुबह कुछ ठीक लग रहा था फिर शाम हुई तब शीला मेरे पास आई और बोली चलना मेरे ही घर पर क्यों अकेले यहां पर जान दे रही है?
मुझे शीला की बात ठीक लगी मैं उसके घर आ गई और हम दोनों ने मिलकर रात का खाना बनाया और जब शीला के पति खाने के लिए बैठे तब शीला ने बोला जा मेरे पति को थोड़ा खाना दे आ।
शीला के पति वहीं आंगन में बैठे हुए थे मैं गई और शीला के पति को खाना देने लगी वह नीचे बैठे हुए थे तो मैं उन्हें झुक कर खाना देने लगी।।
शीला के पति की नजर मेरे दोनों गोल-गोल चूचियों पर थी। जब हम कि नजर मिली हम दोनों एकदम शर्मा गए वह भी अपने नजर झुका लिए और मैं भी।
फिर मैं उन्हें खाना देकर चली आई। शीला बोली ऐसे क्या मटक मटक कर चल रही है मेरे पति का क्या अब जान लेगी देख कितने गौर से तेरे गान्ड को देख रहे थे।
फिर हम दोनों ने भी खाना खाया।फिर
हम सभी सोने चलें गये।
शीला के पति फिर आज आंगन में सोए हुए थे और मैं शीला के साथ सोई हुई थी।
अरे सीला तेरे पास तो दो दिन से मैं सो रही हूं तेरी बूर तो ऐसे ही उदास रहती होगी ना।
तब शिला ने मेरी बूर में एक उंगली करते हुए बोली- अच्छा मुझे कह रही है और तू खुद उदास रहती है तो नहीं कहती है।
मैं तो कहती हूं कि अभी भी वक्त है 2 दिन से मेरा मरद भुखाया हुआ है जा उसके पास सो जा तुझे खाकर शांत हो जाएगा।
मैं भी उससे बोली- हां शीला चाहती तो मैं भी हूं पर क्या करूं मन नहीं कर रहा?
अच्छा मेरी रानी को मन नहीं कर रहा है।
तभी शीला ने मेरी चूची को दबाते हुए कही की जान वह सो गए होंगे तो बस उसके बगल में सो जाना और तुम्हें कुछ नहीं करना है।
मैं शीला से बोली- नहीं मुझे नहीं जाना चुपचाप मुझे सोने दो।
तभी शीला मुझे बार-बार जोर देने लगी।
फिर मेरे मन में भी एक कौतूहल हुई कि आज देखी लेते हैं जो होगा मैं धीरे से उठी और जाकर इसके पति के पास लेट गई। दूसरी और करके लेते हुए थे और मैं दूसरी चुपचाप लेट गयी।
तभी उन्होंने कुछ देर बाद अपना करवट बदला और मुझे अपनी बाहों में पकड़ लिया।
मैं एकदम से सन रह गई।
उनका लंड मेरे गांड में एकदम से हलचल मचा रहा था?
मेरे बुर से थोड़ा पानी आने लगा था।
तभी उन्हें एक और प्रहार किया और अपना हाथ को मेरे नाभि में और चिकने पेट पर चलने शुरू कर दिए और उनके गर्म सांसे अब मुझे मेरे गालों और कंधों पर महसूस हो रही थी।
फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपने हाथ को ऊपर ले जाना शुरू किया और मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही मेरी चूची को धीरे-धीरे सहला रहे थे।
उन्होंने धीरे-धीरे सहलाने के साथ-साथ अब मेरी स्तन को दबाना शुरू कर दिया।
फिर उनकी थोड़ी हरकत और बढ़ी और उन्होंने अपने हाथ को धीरे-धीरे नीचे ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही मेरी योनि को छूने लगे। मेरी तो आंखें बंद थी और मैं मदहोशी में चुपचाप इस फिल् का मजा ले रही थी।
तभी उन्होंने एक और हरकत किया और अपनी ऊँगली को मेरे साड़ी के भीतर डालने लगे मैं और एकदम से मदहोशी में अपनी आंखें बंद कर ली थी।
उन्होंने अपनी उंगली से मेरी पेंटिं को कुरेदने लगे जिससे कि मेरी योनि का पानी उनकी उंगली को चिपचिपा कर रहा था मेरी योनि के पानी से मेरा पेन्टी पूरा गीली हो गई थी और उनका लिंग का जोर मेरे गान्ड में इतनी तेज लग रही थी कि मैं एकदम से मदहोशी में पानी पानी हो रही थी।
वह मुझे पीछे से एकदम से पागल बना रहे थे।
मैं आंखें बंद करके इस फिल् की मजा ले रही थी कि तभी मुझे मेरे बेटे राज की याद आने लगी मैं धीरे-धीरे फिर से उस स्थिति में पहुंचने लगी मेरे आंखों से आंसू आने लगे मैं झट से उनको पीछे धकेल उनके हाथ को खींचकर पीछे फेंक दी।
मैं वहां से उठी और रोते हुए छत की और भाग गई।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए अब मिलते हैं अगले भाग में।
बहुत ही गरमागरम कामुक और मदमस्त अपडेट हैUPDATE 12
मुंह बोला बेटा से प्यार। UPDATE 12
(शीला के पति का सहारा)
अब तक आपने पढ़ा कि मेरा बेटा राज मुझसे अलग हो गया उसके बाद शीला ने मुझे उक्सा कर अपने पति के पास भेज दिया उसके पति मेरे साथ जो हरकत कर रहे थे उससे मैं दुखी होकर छत की और भाग गई।
मैं छत पर उदास बैठी रो रही थी कि तभी मेरे कंधे पर किसी का हाथ पड़ा।
मैं जब पलट कर देखी तो वह हाथ शीला के पति का था उन्होंने मुझे उठाया और बोला कि सुनीता जी क्या हम लोग आपके परिवार नहीं है जो हमसे आप नहीं बात कर रही?
मैं रोते हुए उनसे लिपट गई उन्होंने भी मुझे गले लगा लिया। मैं काफी देर तक उनसे ऐसे ही लिपटी रही मेरा अब रोना भी बंद हो गया था पर मुझे उस मजबूत बाहो को छोड़ने का मन नहीं कर रहा था इसलिए मैं उसे लिपटी छत पर खड़ी हुई थी।
धीरे-धीरे अब शीला के पति का हाथ मेरे दोनों नितंबों पर चलने लगा था। मैं उनके हाथ के छुवन को खूब अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी।
मुझे काफी सुकून दे रहा था उनके मजबूत बाहे मैं उनकी बाहों को एकदम जकड़ी हुई उनके पीठ को सहला रही थी।
धीरे-धीरे शीला के पति मेरे नितंबों को सहलाते हुए अब दबाना भी शुरू कर दिया था उनके हाथ अब मेरे नितंबों को मजबूती से दबा रहे थे मेरे मुंह से अब हल्की-हल्की सिसकी निकल रही थी।
अब मैं अपने आप को समर के हवाले कर चुकी थी वह मेरे नितंब को सहलाने के साथ-साथ दबा भी रहे थे और मेरे मुंह से सिसकियां निकल रही थी जैसे-जैसे मेरी मुंह की सिसकियां तेज होती वैसे-वैसे वह भी सलाना दबाना और तेज कर देते थे।
शीला के पति समर मुझे बाहों में पकड़े हुए काफी सुकून दे रहे थे कि तभी उन्होंने अपनी उंगली को मेरे नितंबों से थोड़ा नीचे ले जाकर जांघों के बीच में ऐसे दबाया कि मेरी योनि पर जा लगी और मैं एकदम से चीहुक उठी।
फिर उन्होंने अपने हाथ को मेरे दोनों जांघों को दबाया और फिर ऊपर लाकर मेरे नितंबों को दबाते हुए कमर को दबाए और पीठ को सहलाते हुए अब अपना हाथ को मेरे कंधे तक लाकर मेरे बाल को और कंधे को सहलाने लगे।
फिर उन्होंने मुझे बड़े प्यार से कहा सुनीता जरा इधर तो देखो। मैं उनके चेहरे की ओर देखने लगी उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हथेलियां में थाम लिया और मेरे आंसू को पूछ कर अपने होंठ को मेरे चेहरे के पास लेकर आए।
मैं बड़े प्यार से उन्हे देख रही थी और वह भी मुझे बड़े प्यार से देखते हुए मुझे ऊपर से चूमना शुरू किया पहले मेरे ललाट को चुम्मा उसके बाद दोनों आंखों को चुम्मा फिर नाक को चुम्मा फिर दोनों गाल को चुम्मा और मेरे ठुद्दी को चुम्मा उसके बाद लास्ट में अपने होंठ को मेरे होंठ पर लाकर विराम दे दिया।
हम दोनों कुछ देर एक दूसरे से होंठ सताए खड़े रहे की फिर उन्होंने धीरे से अपने होंठ को मेरे होंठ पर रगड़ कर अब मेरे नीचे वाले होंठ को अपने होंठ से दबा लिए।
मैं भी उनके ऊपर वाले होंठ को अपने होठों में दबाकर अब धीरे-धीरे चूसना शुरू की थी कि उन्होंने भी मेरे नीचे वाले होंठ को प्यार से चूसना शुरू कर दिए।
हम दोनों कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के होंठ चूसते रहे और चूसने के बाद फिर से उन्होंने अब मेरे मुंह को खोलकर अपने जीभ को मेरे मुंह में डालकर पेलने लगे।
मैं बड़े प्यार से उनके जीभ को चूस रही थी और वह भी बड़े प्यार से अपने जीभ को मेरे मुंह में अंदर बाहर कर रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे मुंह में से वह कुछ खाने की कोशिश कर रहे हैं
अंदर जब डालते और फिर निकलते जैसे ही जीभ् अंदर जाति में उसे बड़े प्यार से चुस्ती और जैसे ही वह निकल जाती मैं उनके होठो को चूस लेती और हम दोनों का ऐसे ही कि काफी देर तक चलते रहा।
फिर उन्होंने मेरे होंठ को अपने मुंह में लेकर चूसते हुए मेरे जीभ को अपने मुंह में लेने लगे वह बड़े प्यार से मेरे जीभ को चूसते थे कभी अपने जीभ को मेरे अंदर डालकर चुस्वाते थे हम दोनों एक दूसरे को चुस रहे थे।
फिर उन्होंने अपने हाथ को नीचे की ओर लेकर गए और मेरे साड़ी को कमर से निकाल कर एकदम से अलग कर दिए मैं और छत पर केवल पेटिकोट और ब्लाउज में थी फिर उन्होंने अपने लूंगी को खोलकर अलग किया अब वह केवल अंडरवियर में रह गए थे।
उन्होंने मुझे फिर से पलटा और मेरे गर्दन को तो कभी पीठ को चूमने लगे और मेरे ब्लाउज में कैद दोनों स्तनों को प्यार से दबाने लगे।
जैसे-जैसे मेरे स्तन को चूसते थे वैसे-वैसे मेरे मुंह से काफी मादक आवाज निकलने लगती। मुझे यह भी होश नहीं रहा की आस पड़ोस वाले अगर सुन लेंगे तो क्या होगा या फिर नीचे सोई हुई शीला वह क्या सोचेगी?
हम दोनों अपने मस्ती में खोए हुए थे कि समर अब मेरी ब्लाउज को खोलकर अलग कर दिया और फिर मेरी ब्रा को भी खोल दिया अब मेरे स्तन एकदम से बाहर निकाल कर आजाद हो चुके थे।
उन्होंने मुझे फिर से आगे की ओर पलटा और मेरे स्तनों को चूमते हुए धीरे-धीरे चूसना शुरू किया।
वे जैसे-जैसे मेरे स्तनों को चुस रहे थे वैसे-वैसे मेरी प्रतिक्रिया बढ़ती जा रही थी मैं अपने मदहोश हवास में कोई जा रही थी।
उन्होंने मेरे स्तन को चूसना और काटना शुरु कर दिया था मैं एकदम से अपनी आंखें बंद करके अपने स्तन चुसाई का पूर्णत: मजा ले रही थी।
फिर उन्होंने मुझे स्तन के साथ-साथ थोड़ा नीचे पेट को भी चाटना शुरू किया और धीरे-धीरे वह मेरे नाभि तक पहुंच गए गजब चूस रहे थे।
फिर उन्होंने मेरे पीछे आए और अपने लंड को मेरे गांड में सताए हुए मेरे कान के पास चूमना शुरू किया और मेरे कान को चबाने लगे।
वह बहुत ही मादक तरीके से मेरे कान को चुस रहे थे कभी मेरे कान के पीछे चुंबन लेते मैं एकदम से मदहोश हो चुकी थी मैं पूर्ण रूप से अपने आप को उनके हवाले कर चुकी थी वह बहुत ही अच्छे तरीके से मेरे स्तन को दबाते हुए मेरे गर्दन और मेरे दोनों कान के पीछे चुंबन कर रहे थे।
मैं मदहोशी में एकदम खोई हुई थी और वह मेरे कभी पीठ को चूमते तो कभी मेरे गर्दन को चुमते और स्तन को दबाते जा रहे थे और तभी उनके हाथ मेरी पेटिकोट की डोरी लग गई उन्होंने खींचा और तुरंत पेटिकोट मुझसे अलग होकर नीचे गिर गई अब मैं सिर्फ और सिर्फ पेंटी में बच गई थी उन्होंने मुझे पेटीस के ऊपर से ही चूमना चाटना शुरू कर दिया।
उनके जीव जैसे ही मेरी पैंटी के ऊपर से योनि को लगता है एकदम से मेरी मुंह से मादक आवाज निकल जाती।
रात के चांदनी की चमक से मेरी पूरा शरीर चमक रहा था और वह नीचे बैठ मेरे योनि के रस को चूस रहे थे।
फिर उन्होंने बड़े प्यार से मेरे पैंटी को उतारा और एकदम से अलग कर दिया।
फिर उन्होंने मेरे पर को बड़े प्यार से थोड़ा सा फैला है और अपनी जीत को नीचे बैठकर मेरे योनि में डालकर चाटने लगे।
मैं पूरी तरह से मदहोश होकर एकदम अपनी योनि चटाई का मजा ले रही थी मेरी दोनों आंखें पूरी तरह से बंद और मुंह से मादक आवाज निकल रही थी।
मुझे अब रहा नहीं जा रहा था मैं उनके सर को पकड़ के सहलाने लगी और धीरे-धीरे अपनी योनि में दबाने लगी वह भी बड़े प्यार से अपने जीभ को मेरी योनि में घुसा देते और पूरा रस को चाट जाते हैं।
समर मेरे योनि को खूब अच्छी तरीके से चाट रहे थे वह योनि को चाटते-चाटते मेरी क्लीटोरिस को भी काटने लगे थे फिर वह ऊपर की ओर बढ़ते और अगल-बगल चूम लेते और उसे भी काटते फिर ऊपर बढ़ते और पेट को चुमते उसके बाद नाभि में अपनी जीभ डालते उसके बाद पेट के अगल-बगल को चूमते और फिर नीचे आते कभी जांघों को काटते तो कभी उसे चुनते तो कभी चाटते बहुत मदहोश कर दिया था मुझे समर ने आज।
समर मेरी योनि को चाटते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगे और वह खड़े हो गए मेरे स्तनों को चूसते चाटते काटते फिर मेरी गर्दन को चुमते और चुमते हुए मेरे फिर से होंठ के पास आ गए हम मेरे होंठ को चूमने लगे चुमत्ते हुए वह मेरे होठो को चूसने लगे चूसते चूसते वह कभी अपनी जीभ मेरे अंदर डालते तो कभी मेरी जीभ को लेकर चूसने लगते।
फिर उन्होंने अपनी जांघिया और चड्डी को खोल और पूरी तरह से नंगे हो गए मैं उनके लैंड को अच्छी काफी बड़ा और मोटा था एकदम से देखकर मेरे तो रोम रोम खड़े हो गए।
फिर मुझे वही छत पर लेटा दिए और मेरी टांगों को मोड कर जांघों को फैला दिया जिससे कि मेरी योनि एकदम से खुल गई और वह अपना मोटा सा लंड मेरे योनि में लगाकर धक्का मारने लगे मेरी तो आंखें एकदम बंद हो चुकी थी।
मेरी आंखें बंद हो गई और मुंह से जोर की सिसकारी निकलने लगी वह अपना लंड को धीरे-धीरे मेरे योनि में पूरी तरह से उतार दिए और अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिए और मैं तो एकदम से निहाल पड़ी हुई।
वह अब धीरे-धीरे मेरे योनि में धक्का लगना शुरू किया और अपने लिंग को कभी बाहर निकलते तो कभी पूरा अंदर डाल देते और इसी तरह से धक्के लगाना चालू कर दिए वह मेरे ऊपर लेते हुए मेरे होंठ को चूमने लगे।
उनका धक्का लगाना जारी रहा और मेरे मुंह से मादक आवाज निकालना भी जारी रहा मैं एकदम से मदहोश पड़ी मुंह से केवल मादक आवाज निकल रही थी और वह अपना जीभ कभी मेरे मुंह में डाल देते तो कभी निकाल कर मेरी होठों को चूसने लगते तो कभी मेरे गाल को चाटते तो कभी काटते। मुझे आज पूरी तरह से उन्होंने जूठा कर दिया था।
मेरे मदन के हर हिस्से को वह अपने जब से चाट लिए थे।
समर धक्के लगाना और तेज कर दिए थे और मैं अपनी मादक आवाज निकालना भी।
मैं अब होश में नहीं थी उन्हें पकड़ कर कभी उन्हे नखोर देती तो कभी अपनी नाखून को उनके पीठ में चुभो हो देती वह भी जैसे-जैसे उनके पीठ में नाखून चुभति वैसे-वैसे वह और धक्के तेज लागाते और मैं तो एकदम से उन्माद होकर पड़ी हुई थी। तभी उन्होंने अचानक से अपने लिंग को मेरे योनि से खींच लिया ऐसा लगा जैसे मेरे योनि से किसी ने गर्म सरिया को निकाल लिया हो मैं एकदम से चिहुक उठी।
फिर समर उठे और मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर पीछे से लेट गए और अपने लिंग को मेरे पीछे से डाल दिया अब वह मेरी गाल को, तो कभी पीठ को चूमने लगे और अब मेरे स्तन को भी उन्होंने दबाना शुरू कर दिया मैं एकदम से उनके भार में दबी हुई मदहोश आवाज निकल रही थी।
अब उनकी धाक्को की रफ्तार और तेज हो गई थी और मैं मादक आवाज और तेज निकलना शुरू कर दी थी।
वह मेरे सर को पलट कर अपनी होठो को मेरी होंठ से मिलाकर चुस रहे थे और पीछे से लगातार तेज धक्के लगा रहे थे और कभी-कभी मेरी कस के चूचियों को भी दबा देते थे।
ऐसे ही तेज ढके लगाते रहे और फिर एक तेज दहाड़ के साथ वह मेरे अंदर झढ़ गए और मेरे ऊपर ही लेट गए मैं उसे दिन एकदम परिपूर्ण होकर उनके साथ छत पर पड़ी रही।
सुबह के 3:00 हम दोनों की नींद खुली तो हम दोनों जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने और छत पर से भाग कर नीचे आ गए।
मुझे थोड़ा शर्मिंदगी महसूस हो रही थी इसलिए मैं तुरंत से भाग कर अपने घर पर चली आई सुबह को और अपने बिस्तर में आकर लेट गई।
फिर सुबह के 8:00 मेरी नींद खुली तब फोन पर देखी कि कई सारी फोन आए हुए थे।
वह फोन था सौम्या का।
मैंने तुरंत सौम्या को इधर से कॉल किया।
उधर से सौम्या बोली- हेलो मां कहां थी कब से मैं कॉल कर रही हूं?
मैं उसे बता दे कि मैं ठीक हूं बेटा बस सो रही थी इसलिए कॉल नहीं उठा पाई।
फिर उधर से सौम्या बोली- मां कुछ दिन में नवरात्रि शुरू होने वाली है तो तुम यहीं पर आ जाओ तुम्हें लेने के लिए आकाश आज में जाएगा तुम रेडी रहना।
मैं यह बात सुनकर एकदम से खुश हो गई मैं अपने बेटे बेटियों से कब से मिलना चाहती थी जब से राज मेरे से दूर हुआ था मेरे तो एकदम चैन ही उड़ गए थे?
मैं सौम्या को बता दी की ठीक है बेटा आकाश को आने दो मैं रेडी होकर रहूंगी।
फिर उसने कॉल रख दिया।
फिर मैं जल्दी-जल्दी तैयारी करने लगी खाना-वाना बनाने लगी क्योंकि आज मेरा बेटा आकाश आ रहा था मुझे लेने के लिए?
मैं खाना बना ही रही थी कि तभी शीला आई और मुझे पीछे से गले लगा कर बोली- और मेरी रानी कैसी रही कल रात।
कल रात के बारे में सोची तो एकदम से मेरे होश ही उड़ गए पता नहीं मुझे कल क्या हो गया था इतनी मदहोश हो गई थी कि मुझे होश कि नहीं रहा?
फिर शीला ने मुझे झांकछोड़ते हुए कहा कि अरे क्या हो गया कहां सोच में पड़ गई?
फिर मैं बोली अरे कहीं नहीं।
फिर शीला बोली अरे तो बताओ ना कैसी रही कल रात।
मैं उसे बोल दी जो अपने पति से ही पूछ लो कैसे रहे?
फीर शीला बोली- अच्छा जी ठीक है मैं उनसे तो पूछी लूंगी और हंसने लगी।
फिर मैं शीला को बताइए कि आज आकाश आने वाला है उसी के लिए तैयारी कर रही हूं वह मुझे पटना लेकर जाने वाला है आज।
फिर से sheela boli- अच्छा ठीक है चली जाना मैं कौन सी रोक रही हूं?
मुझे प्यार से गले लगा कर गाल पर किस देकर शीला चली गई।
और फिर मैं भी अपने बेटे का इंतजार करने लगी।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए अब मिलते हैं अगले भाग में।