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मुंह बोला बेटा से प्यार। पार्ट्स 15
(सीरीज की अंतिम पार्ट:दिल्ली स्पेशल)
अब तक आपने पढ़ा की हेलो मुझे दिल्ली ले जाना चाहते थे और मैं भी जाने के लिए तैयार हो गई थी अब आगे।
आलम से मेरे रिलेशन को 3 साल से अधिक होने को हो गए थे। इन तीन साल में मैं आलम से कई बार चुद चुकी हूं।
उनकी सबसे मुझे खास बात यह लगती है कि यह मुझे बहुत ही एडवेंचरस तरीके से चोदते हैं।
जब हम लोग पटना से दिल्ली के लिए फ्लाइट में बैठे थे आलम मेरे पास ही बैठे हुए थे और कोई भी हरकत करने से चुक् नहीं रहे थे मैं उन्हें बार-बार मना कर रही थी फिर भी वह मेरे कभी स्तन को दबाते तो कभी मेरी योनि को ऊपर से ही सहला देते तो कभी मेरी नाभि में उंगली कर देते थे।
उनके साथ रहती थी तो कितना भी उनसे चुद जाऊं वह मुझे गम ही करके रखते थे।
जैसे ही हम लोग दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे वहां से तुरंत हम लोग रूम के लिए निकल गए।
आलम मुझे अपने होटल पर ले गए जहां बहुत ही आलीशान रूम मिला था हमें और बहुत ही मस्त लग रहा था वह जगह।
हम लोग जैसे ही होटल में पहुंचे आलम ने मुझे तुरंत डोर लॉक करते हैं अपनी बाहों में पकड़ लिया और पढ़ते हैं बिस्तर पर पटक दिया।
वह मेरे होठो को चूमना चालू कर दिए थे।
आलम बोले कम ऑन डार्लिंग तुम तो 3 साल के बाद भी एकदम वैसी की वैसी जवान हो और तो और खूबसूरत भी होती जा रही हो तुम्हें तो मन करता है कि बस चोदता ही रहूं।
मैं उनको रोकते हुए बोली पहले ड्रेस तो चेंज कर लो।
वह बोले कि एक ही शर्त पर चेंज करेंगे।
मैं बोली - क्या?
तब वह बोले कि पहले हम दोनों नहाएंगे उसके बाद ड्रेस चेंज करेंगे।
मैं उनकी इरादा को बाप गई थी तो फिर वह मुझे उठा लिया गोद में और सीधे बाथरूम में लेकर चले आए।
बाथरूम में आते ही झरना को चालू किया और झरना के नीचे मुझे खड़ा करके चूमना चालू कर दिए।
खड़े-खड़े ही मेरे होठों पर रस को पूरा मजा ले रहे थे वह।
कभी मेरे होठों को चूमते तो कभी मेरे गालों को तो कभी मेरे गर्दन पर चुम्मा लेकर मुझे एकदम से मदहोश कर रहे थे।
मैं खड़े-खड़े ही उनके साथ दे रही थी कभी उनके बाल को सहलाती तो कभी उनके पीठ को कुरेदति। ऐसे ही करते मैंने उनके कपड़े को उतार दिया लोअर भी नीचे से खोल दी।
बेबी मेरे साड़ी को उतार कर फिर मेरे ब्लाउज को भी उतार दिया और मेरे स्तन को काटते हुए मेरे ब्रा को ही उतार दिया और फिर मेरे स्तन को चाटने और चूमने लगे।
थोड़ी ही देर में हम दोनों के बदन से सारे कपड़े गायब हो चुके थे हम झरने के नीचे हम दोनों पूरी तरह से गीले थे और ऊपर से होंठ के रस का रसपान हो रहा था हम दोनों का।
फिर हम दोनों ने वहीं पर एक दूसरे को चूमने चाटने के बाद।
आलम खड़े-खड़े ही मेरे दोनों पैरों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसके बाद अपने लिंग को मेरे योनि में सबसे अंदर डाल दिए।
मैंने अपने पूरे बदन का भार आलम पर दे दिया उनके गले में मैं अपने हाथ डालकर उनके गले पर पड़ी हुई थी और वह मेरे नीचे से सट्टासत धक्के लगाए जा रहे थे।
फिर वह मुझे उठाए और बाथ् टब में लेकर चले गए वह खुद नीचे लेट गए और मैं उनके ऊपर बैठकर उनके लिंग पर उछल कूद करना शुरू कर दी।
थोड़ी ही देर में हम दोनों का रस निकल गया और मैं आलम के होंठ को चूसते हुए उनके शरीर पर अपना सारा भार देकर उनके गले लग गई।
हम दोनों में है और नहा कर फ्रेश हो लिए और घूमने के लिए निकल गए।
पहले दिन हम घूमने के लिए जमा मस्जिद गये।
वहां जाने के बाद मुझे काफी शांति महसूस हुई।
आलम जमा मस्जिद में भी स्थिर नहीं रहते थे वह वहां भी कभी मेरे गाल को सहलाते तो कभी मेरी नाभि को और कई बार तो मुझे किस करने की भी कोशिश किया पर मैंने मना कर दिया कि कम से कम यहां तो छोड़ दो।
फिर हम लोटस टेंपल।
उसके बाद हम वापस होटल लौट आये।
दिल्ली में आलम कुछ काम से आए हुए थे तो वह सुबह-सुबह अपने काम के लिए निकल जाते और दोपहर को वापस आते दोपहर को वापस आते ही सबसे पहले मेरी चुदाई करते फिर हम दोनों नहाते और घूमने के लिए निकल जाते थे।
घूमने जाते थे तो वहां भी छेड़खानी होती ही थी और कई कई जगह तो वह मुझे चोद भी देते थे।
एक दिन हम लोग घूमने के लिए पार्क में गए पार्क में काफी गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड एक दूसरे को किसिंग कर रहे थे तो वही यह मुझे एक कोने मे बैठाए और मेरा किस करना शुरू कर दिए।
वहां पर बैठे लोग हम दोनों को देख रहे थे।
पर वह बोले कि देखने दो ना जिनके पास नहीं है वह तो देख कर ही आनंद लेंगे ना आज उनको पूरा पोर्न ही हम लोग यहां दिखा देते हैं।
और फिर वह मुझे नीचे बैठा है और अपना लिंग को निकाल कर मेरे सर को झुका कर अपने लिंग पर दे दिया मैंने भी झट से उनके लिंग के मोटा टोपी को मुंह में ले लिया।
मैं मस्त उनके लिंग को चूस रही थी और वहां पर बाकी लोग सब देखकर मुस्कुरा रहे थे।
थोड़ी ही देर में मुझे बोले कि आओ इस पर बैठ जा मैं शर्म आ रही थी कि वह तभी मेरी साड़ी को उठा और मुझे खींचकर अपने लिंग पर बैठा लिया और मैं भी धीरे-धीरे ढके लगने लगी।
लगभग 10 15 मिनट तक वह मुझे इसी में तरफ चोदते हुए झड़ गए और फिर हम दोनों वहां से हंसते हुए निकल गए।
इसी तरह एक दिन और हम लोग लाल किला घूमने चले गए।
लाल किला में घूमते घूमते हम काफी थक चुके थे कि वह मुझे अंदर घूम रहे थे। जानते हुए अंदर में एक जगह में अंधेरा जगह दिखा।
वह मेरे हाथ को खींचते हुए वहां अंधेरे जगह के पास ले गए और मुझे स्मूच करना शुरू कर दिए।
वह मेरे होठो चूस रहे थे और मैं उनके बाहों में अपने हाथ डाले चुपचाप अपनी समूचिंग का आनंद ले रही थी उस अंधेरे वाली जगह के पास।
मुझे चुमते हुए थोड़े ही देर में वह मुझे झुका दिए और मेरी साड़ी को कमर तक उठाकर अपने लिंग को निकाला और मेरे योनि में सताक से एक बार में पेल दिया मेरे मुंह से एक जोर की आह निकल गई।
तभी बाहर से दौड़कर गार्ड अंदर आया और बोलने लगा कौन है अंदर?
हम दोनों एकदम से स्थिर खड़े हुए थे। आलम अपने लिंग को एकदम से बराबर मेरी योनि में डालें चुपचाप खड़े थे मुझे बाहों में पकड़े हुए।
मुझे अपनी योनि में लिंग डलवा कर उनके साथ चुपचाप मूर्ति बनकर खड़े होने में बड़ा आनंद आ रहा था और गार्ड हमें गौर से घूर रहा था पर हम इतने अंधेरे में थे कि दिखाई ही नहीं दे रहे थे वह चुपचाप इधर-उधर देखा और फिर से चला गया?
जैसे ही गार्ड बाहर निकाला था कि आलम ने अपने लिंग को थोड़ा सा बाहर की ओर खींचा और सत्ताक से मेरी योनि में फिर से पेल दिया।
यह प्रहार इतना तेज था कि मैं सहन नहीं कर पाई और मेरे मुंह से एक और जोरदार आह निकल गई।
गार्ड फिर भाग कर इधर आया और फिर से बोला कौन है अंदर?
हम दोनों फिर से मूर्ति बन खड़े हुए थे अबकी बार मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपनी योनि को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी आलम को भी नहीं रहा गया और वह भी मेरी गांड को पकड़े और अपने लिंग को आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
अब तक आवाज तो नहीं हो रही थी पर वह धीरे-धीरे लिंग को आगे पीछे कर रहे थे और इसमें मुझे आनंद आ रही थी और मैं चुपचाप बिना आवाज की वहां खड़ी थी कि तभी धीरे से वो अपने लिंग को पीछे खींचे और एक और जोरदार धक्का मारा अंदर और मैं फिर से एक जोर की आह निकाल दी।
इस पर गार्ड फिर से चिल्लाया और चिल्लाने के साथ ही वह हम दोनों पर टॉर्च बार दिया हम दोनों रोशनी में आते ही उनका लिंग और मेरी योनि चमक उठी वह मेरे पीछे से योनि में लिंग को प्रवेश किए हुए थे और हम दोनों खड़े थे उसका चित्र उसकी आंखों के सामने एकदम घूमने लगा उन्होंने जल्दी से अपना लिंग को खींचा और पेंट में डाली ।
मैं भी अपनी साड़ी को नीचे की और उनका हाथ पकड़ी और हम दोनों दूसरे रास्ते की और तुरंत भगाने लोग।
गार्डन में गालियां दे रहा था और हम दोनों हंसते हुए भाग रहे थे।
तो यह थे हमारे लाल किले के करमाने उसके बाद हमने कुतुब मीनार में भी ऐसा कुछ किया था और उसके बाद कई जगह पर हमने समूचिंग किया।
फिर हम अपने होटल पर आ गए और होटल में रात में तो दिल्ली का रूटीन था कि खाने के बाद एक बार चुदाई जरूर होगी।
हम दोनों ने अपने होटल के रूम में पर कोने में सेक्स कर लिए थे बाथरुम से लेकर बालकनी तक।
बालकनी में तो यह मुझे सुबह-सुबह जाने से पहले भी चोद देते थे।
मैं बालकनी में खड़े होकर सुबह-सुबह बाहर गाड़ी हो या फिर लोगों को देखती रहती थी कि तभी वह मेरे पीछे से आते और प्यार करने लगते हैं।
प्यार उनका मेरे स्तन दबाने से शुरू होता है और फिर पूरे बदन को टटोलने से फिर किस करते उसके बाद गाल को चुमते उसके बाद में मेरी होंठ पर आ जाते मैं तब तक गर्म हो जाती थी और उनके होंठ को मैं भी चूसने लगती थी और ऐसे ही करते-करते मुझे बालकनी पर ही झूका देते और मेरे साड़ी को पीछे से उठाकर पैंटी को थोड़ा सा नीचे सरका देते और अपना लिंग निकालकर मेरे योनि में पीछे से ही प्रवेश कर देते मैं चुपचाप बालकनी में अपनी मदहोश से चेहरे लेकर चुदाई का फुल आनंद लेने लगती थी कुछ लोग हमें देखते थे तो समझ जाते थे कि हम सेक्स कर रहे थे कुछ लोग बस देखकर निकल जा रहे थे।
और ऐसे ही कुछ दूर चोदते हुए झड़ जाते थे।
फिर मैं उनके लिए खाना तैयार करती और वह नहा कर आते फिर हम दोनों खाते और वह निकल जाते थे अपने काम पर और मैं दिन भर यहीं पर बैठी रह जाती है।
फिर दोपहर को आते ही मुझे जबरदस्ती खींच कर बाथरूम में नहाने के लिए ले जाते और वहीं पर मेरे साथ जम के सेक्स करते फिर हम दोनों नहा कर बाहर आते तब खाना खाते थे और फिर कहीं घूमने जाते थे अगर घूमने की जगह हमें कोई सेक्स करने लायक लगा तो वहां भी हम जमकर सेक्स करते थे और खूब इंजॉय करते थे और तब जाकर शाम को हम लोग लगभग रात के 8:00 तक घर आते थे।
आलम आज मुझसे बोले कि हमें कल वापस अब जाना है लगभग पूरा दिल्ली हम घूम चुके थे तब वह बोले कि चलो आज हम लोग छत के ऊपर सेक्स करते हैं।
और वह मुझे होटल के सबसे ऊपर छत पर ले गए जहां से नीचे देखने पर आदमी मच्छर के जैसा दिखाई दे रहा था। वहां पर भी किसी के आने का खतरा था तो वह मुझे टंकी के पीछे ले गए और वहां मुझे लेटा कर किस करना शुरू कर दिया।
फिर मेरी साड़ी को कमर तक उठा दिए और मेरी पैंटी को निकाल कर अपने हाथ में ले लिए।
फिर मेरी मालपुआ जैसी योनि को उन्होंने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया।
और चूसते हुए फिर वह ऊपर आए और अपना जीभ को मेरे मुंह में डाल दिए मैं उनके जीभ को चूसने लगी और फिर उनके होठो को चूसी और इसी तरह हम दोनों का चुदाई चला रहा कि तभी उन्होंने अपने लिंग को मेरे योनि में डालकर तुरंत चोदना शुरू कर दिए खचाखच योनि में अपने लिंग को प्रवेश करा रहे थे।
मैं पूरे जोश में सीस्कार मार रही थी और वह मेरे योनि को एकदम धज्जिया उड़ा दिए थे।
फिर मेरे योनि में ही झाड़कर मेरे ऊपर लेट गए।
हम दोनों खुले आसमान में सबसे ऊपरी मंजिला पर एक दूसरे के बाहों में लेते हुए थे।
तभी ऊपर कोई आया हम दोनों ने जल्दी से कपड़े ठीक किया और दूसरे साइड से निकले और तुरंत भाग्य नीचे।
हम दोनों रूम में जाकर खूब हंसे।
उसके बाद कल जब सुबह हुई तो हम दोनों उठे और पटना के लिए फ्लाइट लेने के लिए एयरपोर्ट पहुंच चुके थे। जब मैं एयरपोर्ट पहुंची तो वहां काफी भीड़ थी।
आलम बोले कि तुम थोड़ा यहां वेट करो मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं।
मैं आलम का वेट करने लगी कि तभी भीड़ कुछ ज्यादा ही लगने लगी वह मेरे सामने से निकल गए मैं भीड़ को थोड़ा देखने लगी कि आखिर किसके लिए इतनी भीड़ थी।
मैं देखी कि वहां एक कोई बहुत ही हॉट बंदा कुछ भाषण की तरह दे रहा था और लोग बड़े ध्यान से उसे सुन रहे थे इंग्लिश में बड़बड़ा रहा था कुछ मीडिया वाले अपने माइक को उसके मुंह के पास एकदम तुमसे जा रहे थे।
और वह बंदा बाद कॉल था तुम शांति से उनकी हर सवालों को जवाब देता जा रहा था।
थोड़ी ही देर में वह वहां से निकाला और जैसे भीड़ को वह सब अपनी और आकर्षित कर रहा था वहां से निकाला और बड़ी से उसके लिए गाड़ी लगी थी काले शीशे वाली उसमे बैठा और निकल गया मैं तो उसके चेहरा देख ही नहीं पाई।
फिर आलम मेरे पास आए और मुझे बाहों में भरते हुए बोले क्या हुआ जान कहां खो गई हो?
मुस्कुराते हुए बोली अरे कहीं नहीं।
फिर मैं एयरपोर्ट के लिए अंदर जाने लगी तभी वहां पर एक बड़ी सी होर्डिंग दिखाई दी मुझे।
उसे पर एक फोटो लगा था जो बिल्कुल मेरे राज की तरह लग रहा था। मैंने ध्यान से देखा तो उसे पर लिखा हुआ था अंश मान सिंह।
और मेरे बेटे राज का नाम भी अंश था।
मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह मेरा बेटा राज ही है और आज मैं अपने बेटे राज से ही मिली थी लेकिन मेरी बुरी किस्मत की मैं उसका चेहरा भी ना देख पाई कितना हॉट हो चुका था 3 साल में वह तो काफी बदल चुका था और शायद अब तो वह बहुत बड़ा आदमी बन गया है मुझे पहचानेगा की नहीं पहचानेगा इस बात को लेकर मैं बहुत ज्यादा ही फिक्र करने लगी।
मेरे दिमाग में फिर से 3 साल पहले की उसकी मासूम चेहरा उसका मासूम दिल सब मेरे सामने आने लगा उसके साथ बिताए वह पूरे 1 साल मुझे खूब याद आने लगे।
मुझे लगा था कि राज मेरी जिंदगी से 3 साल पहले चला गया लेकिन वह तो एक बार फिर से मेरे सामने आ गया था। राज भले ही मेरा मुंहबोला बेटा था पर मैं उससे प्यार एकदम सच्चा प्रेमिका वाली करती थी।
मैं दिल्ली से पटना आते-आते पूरे सिर्फ और सिर्फ उसे आसमान से वाले कोडिंग के ही बारे में सोचती रही कि मैं राज को आज देखी पर पूरी तरह देख भी ना पाए कैसी थी मेरी किस्मत।
मैं रास्ते में आलम से एक बार भी ना बोली वह कितनी बार मुझसे बोलने की कोशिश किया और मैं तो अपने बेटे राज के बारे में ही सोचती रही।
राज अब मेरा सिर्फ मुंह बोला बेटा नहीं बल्कि इस देश का सबसे बड़ा बिजनेसमैन अंश मानसिंह बन चुका था मेरी किस्मत को मैं कोष रही थी कि क्या मेरी किस्मत है दोबारा मैं अंशुमन से मिल भी पाऊंगी या नहीं मैं अपने बेटे राज से मिल पाऊंगी या नहीं यही सोचते सोचते मैं अपने घर आ गई?
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
नोट: (मुंहबोला बेटे से प्यार) की सीरीज को मैं 15 पाठ तक ही सीमित कर रही हूं इसके आगे अगर आप लोगों को यह सीरीज पसंद आ रही हो तो आप मुझे फिर से मेल करें मैं इसके आगे की सीरीज को किसी और नाम से फिर से लाने की पूरी कोशिश करूंगा।