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Incest मुहबोला बेटा से प्यार पार्ट1

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UPDATE 13

मुंह बोला बेटा से प्यार। पार्ट 13।
(नवरात्रि के मेला स्पेशल)

कब तक आपने पढ़ाई की मेरा बेटा मुझे पटना ले जाने के लिए घर आने वाला था और मैं उसका इंतजार कर रही थी अब आगे।

मैं घड़ी की ओर देख रही थी कि कब मेरा बेटा आकाश आए?

की तभी डोर बेल बजी और मैं जाकर डोर को खोली और आकाश आते ही मुझे गले से लगा लिया।

मैं आकाश से एकदम लिपट गई। ऐसा लग रहा था कि कई जन्मों से उसे बिछड़ी हुई है।

मैं आकाश के माथे को चुमा और उसे अंदर ले आइ।

मैं उसे हाथ में धोने के लिए बोलकर जाकर खाना लगने लगी जैसे ही मैंने खाना लगा लिया वह जाकर टेबल पर बैठ गया।

मैं उससे बड़े प्यार से खाना खिला रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कुछ भूल सा गया हो मुझसे।

जैसे ही उसका खाना पीना हो गया मैं बोली की थोड़ी आराम कर ले उसके बाद हम दोनों चलेंगे पटना के लिए।

मैं अपने बेडरूम में आराम करने जाने लगी कि
तभी आकाश बोला- मां मैं तुम्हारे साथ आराम करना चाहता हूं।

मैं उसके हाथ पकड़ी और तुरंत अपने बेडरूम में ले गई। मैं तो जैसे यही चाहती थी।

वह मेरे साथ मेरे बेडरूम में मेरे सीने पर सर रखकर आराम करने लगा मैं भी उससे बड़े प्यार से सुला रही थी। फिर हम दोनों मां बेटा एक दूसरे को बाहों में पकड़े हुए सो गए।

दोपहर में जब हमारी नींद खुली तो देखी की समय होने ही वाला था। हम जल्दी से तैयार हुए और स्टेशन के लिए निकल गये। स्टेशन पर पहुंचकर मैं ट्रेन पकड़ी और पटना पहुंच गए।

जब मैं पटना पहुंची और स्टेशन पर उतरी तब मैं देखी कि मेरी बेटी सौम्या के साथ उसका बॉयफ्रेंड आलम भी आया हुआ था मुझे पिकअप करने के लिए।

हम सभी एक साथ अपनी बेटी सौम्या और आकाश के रूम पर गए वहां पर दो रूम थे एक में मुझे शिफ्ट किया और सौम्या को और दूसरे में आकाश था।

तभी सौम्या बोली चलो जल्दी से हाथ मुह धोलो और खाना खा लो आप लोग।

हम लोगों ने वैसा ही किया और उसके बाद सौम्या बोली- कल से नवरात्रि शुरू हो रही है तो,
आपको पूरा पटना घूमने की जिम्मेदारी में आकाश को देता हूं।

आकाश भी बड़े प्यार से बोला ठीक है मैं अपनी मां को जिम्मेदारी अपने ऊपर लेता हूं।

और फिर हम सभी बड़ी जोर से हंसने लगते हैं।

ऐसे ही हंसी मजाक में दो-तीन दिन बीत गए।

एक दिन आकाश मुझे नवरात्रि में घूमने के लिए बाहर लेकर आया था रात का समय था काफी भीड़ थी।
मैं आकाश का हाथ पकड़े चारों ओर घूम रही थी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

इस मेले में हर तरह के लोग थे कई लोग पूजा पाठ करने के लिए आए हुए थे तो कई लोग केवल घूमने के लिए आए हुए थे उसमें हम लोग भी थे।

और कुछ लोग बदमाशी भी थे जो औरतों की गांड को खोद देते थे या गांड को दबा देते थे।

जब भी भीड़ भड़क वाली जगह आती थी मैं तो सतर्क हो जाती थी कि पता नहीं कौन कब गांड ढाबा जाए?

मैं आकाश के साथ बोली मेला में चारों ओर घूम रही थी।
सभी आकाश बोला- मा, चलो चरखी पर बैठते हैं।

मैं बोली- ना आकाश मुझे बहुत डर लगता है।
तब आकाश बोल कोई बात नहीं मां मैं हूं ना चलो।
मैं आकाश की बात से सहमत हुई और उसके साथ चरखी पर बैठ गई।

जब चरखी दो चार राउंड घूमी तो मुझे खूब अच्छा लगा लेकिन जैसे ही कुछ और राउंड घूमी तो थोड़ा और अच्छा लगा लेकिन जैसे ही तेज हुई मुझे तो लगा कि मैं गिर ही जाऊंगी मैं अपने बेटे को बहुत कस के पकड़ ली और अपने सर को उसके सीने में छुपा ली।

मैं अपने बेटे को पकड़े हुए थी और मेरा बेटा मुझे पकड़ के मेरे सर को प्यार से सहला रहा था और बोल रहा था मन डरो मत इंजॉय करो मां।

मैं अपने बेटे के सीने में सर छुपाए हुए ही धीरे-धीरे बाहर की दुनिया को देखने लगी मुझे फिर अच्छा लगने लगा मैं अपने बेटे के सीने से सर को चिपकाए हुए ही सब देख रही थी और अब सब अच्छा लग रहा था मैं अपने बेटे को कस के पकड़ी हुई थी और बेटा मुझे प्यार से सहला रहा था।

फिर चरखी धीरे-धीरे रुक गई और मैं उसके सीने से ही चिपकी रही।

फिर आकाश धीरे से बोल मां चलो उतरे अब खत्म हो गया है।

वह मुझे इतना प्यार से बोला था की मन किया और उसे चिपकी रहु पर उतरना तो था ही मैं उतर गई वह भी उतरा और हम साथ में फिर से घूमने लगे।

हम मेला में ऐसे ही तीन-चार दिन तक खूब इंजॉय करते रहे।

आकाश मुझे पूरा पटना घुमाया है तीन में भी और रात में भी हमें खूब मजा आया।

आकाश के साथ पटना घूम कर मैं खूब मजाक की।

मैं आकाश के साथ नवरात्रि के आखिरी दिन घूम रही थी कि तभी मैं घूमते घूमते आकाश के साथ बोली कि चलो ना थोड़ा और से आगे चलते हैं।

आगे भी भीड़ था पर झाड़ी छु में अधिक थी मुझे नहीं लग रहा था कि उधर मेला है पर फिर भी गाड़ियां थी तो मुझे लगे लोग तो होंगे मैं उसे जबरदस्ती खींच कर ले जाने लगी।

आकाश भी मुझे मना नहीं कर पाया और हम लोग उधर किनारे की ओर आ गये और जैसे ही किनारे की और आए मैं देखी की एक गाड़ी हिल रही थी। आकाश ने मुझे मना किया देखने को मैं नहीं मानी और पीछे से देखी तब मेरा तो आंख ही फटी रह गई।

आकाश फिर से मुझे मना कर रहा था की मां नजदीक मत जाओ दिक्कत होगी।

पर मैं नहीं मानी और गाड़ी के नजदीक गई और शीशे से अपना सर सटकर देखने लगी तो अंदर अच्छी की दो लोग एक लड़की के पेल रहे थे।

एक आदमी उसके योनि में अपना लिंग डाल रहा था तो दूसरा आदमी उसके मुंह में अपना लिंग डाल रहा था और वह बड़े प्यार से दोनों का ले रही थी।

तभी उनमें से एक आदमी ने मुझे देख लिया जागता हुआ और वह गुस्से में गेट खोला।
और हमें गालियां देने लगा तभी आकाश मेरा हाथ खींच कर मुझे भागने लगा हम दोनों भागने लगे और बहुत हंस रहे थे।

वह लोग नंगे थे इसलिए तोड़कर हमारे पास नहीं आ सकते थे और मैं और आकाश दोनों वहां से भाग कर आगे की ओर भीड़ में आ गए और दोनों साइड में बैठकर बहुत हंसे।

मैं तो आकाश की बाहे, पकड़ कर हंसने लगी भोले की आकाश यह लोग क्या-क्या करते रहते हैं?

फिर हम लोग आगे के हैं और तो मैं चिड़िया घर दिखाई दिया। तब आकाश बोला कि चलो मैन चिड़िया घर घूम लेते हैं। हम दोनों चिड़ियाघर में भी घूमने लगे। चिड़ियाघर में अलग-अलग पशु पक्षी देखकर मुझे बहुत मजा आया।

जब हम लोग निकल रहे थे तभी मुझे जंगल की ओर एक और अलग चीज दिखाई थी।

एक लड़की अपने बॉयफ्रेंड के साथ बैठी हुई थी चिपकी हुई और उसके होठों को चूस रही थी।

वह लड़का उसके स्तनों को निकाल कर खूब प्यार से दबा रहा था।

मैं आकाश की ओर देखी तो वह शर्मा रहा था मैं भी शर्म से लाल हो चुकी थी हम दोनों मुस्कुरा कर वहां से चलने लगी।

फिर हम लोग चिड़ियाघर से बाहर आए और नवरात्रि में अलग-अलग जगह पर घूमे।

आज नवरात्रि खत्म हो रही थी और कल विजयदशमी थी जब रावण का लंका दहन होने वाला था।

हम लोग रूम पर बैठे हुए थे कि तभी वहां पर सौम्या का बॉयफ्रेंड आया और बोला कि कल आपको विजयदशमी में दिखाने ले जाऊंगा।

तब सौम्या भूली अच्छा ठीक है बाबा आप ही मेरी मां को घुमा देना मैं आकाश के साथ कल विजयदशमी देखने चली जाऊंगी।

तब आलम ने बोला है अरे मैं विजयदशमी तो रात तक दिखलाऊंगा क्या आपकी मां मेरे साथ रात तक देखने को तैयार है?

तभी मैं बोल पड़ी आप मुझे रात भर भी दिखलाएंगे तो मैं देखने को तैयार हूं।

तभी मेरे दोनों बच्चे मेरे बात पर तालियां बजाने लगे।

तब आलम बोला तो ठीक है कल तैयार रहना मैं अपनी कर तैयार रखूंगा आपको अपनी कर से घुमाऊंगा कल।

मैं भी रेडी हो गई थी घूमने के लिए।

विजयदशमी के दिन दशहरा खत्म हो जाती है और रावण दहन किया जाता है अलग-अलग जगह पर।

मै आलम के साथ रात मे निकल गयी।
पुरी रात को घूमने का प्लान था।

हम दोनो खूब हसी मजाक करते हुए जा रहे थे अलग अलग जगह पर घूमे हमे घूमते हुए रात के 2 बज् गये।

अब सरा रास्ता भी सुनसान हो चुका था।
तभी आलम बोले-जान कही आपको डर तो नही लग रहा?
तब मै बोली- डर क्यू लगेगी जब आप मेरे साथ हो।

मै आलम के साथ आगे हि बैठी थी की उन्होंने मेरे गाल को खींचते हुए बोले- अरे वाह मेरी जान तुम तो होशियार हो बहुत।
मै बस मुस्कुरा दी।

फिर उन्होंने कहा-जान् मेरा तो अब मालपुआ खाने का मन कर रहा है।

यह सुनते हि मेरे मन मे वासना भड़क उठी।

मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई।
आलम ने मेरे चेहरे की मुस्कान को बाप लिए थे वह आधी रात को गाड़ी को सुनसान सड़क पर रोक दिए।

मैं उनकी तरफ देखी।
तभी वह सारी लाइट भी बुझा दिए।
बाहर की चांदनी लाइट ही हमारे चेहरे को चमक रही थी थोड़ा बहुत।

मेरा दिल अब धक-धक करने लगा था। वह अब मेरे करीब बढ़ने लगे।

वह अपने चेहरे को मेरे चेहरे के पास ला दिये।
मुझे भी अब रहना गया मैं भी अपने चेहरे को हल्का सा आगे की ओर बधाई।
तभी हम दोनों का होंठ एक दूसरे से मिल गए। हम दोनों ने कर में ही एक दूसरे को स्मूचिंग करना शुरू कर दिए।

वह अभी भी गाड़ी का स्टीयरिंग पकड़े हुए थे और मैं दूसरी छोर पर बैठी हुई उनकी तरफ झुकी हुई थी। और वह मेरी तरफ झुक कर हम दोनों का स्मूचिंग चल रहा था।

मैं काफी उत्तेजित हो गई थी मैंने अपने दोनों हाथ बधाई और उनके सर को पकड़ कर अपने बाहे उनके गले में डाल दी।

दोनों काफी उत्तेजक तरीके से एक दूसरे के होंठ को चुस रहे थे।

बाहर से कोई गाड़ी आती तो हम दोनों पर लाइट पड़ती है और हम दोनों का स्मूचिंग चमक जाता है पर हमारा स्मूचिंग रुक नहीं रहा था।

हम दोनों एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे वह अब स्ट्रिंग छोड़े और मेरे कंधे को पकड़ कर मेरे होंठ को काटने लगे।

वह एकदम से उत्तेजक हो गए और स्टेरिंग से उठे और मेरे सीट पर आ गए। हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए एकदम एक दूसरे को काफी उत्तेजक तरीके से किस कर रहे थे। वह अपना सीने को मेरी स्तन से रगड़ते हुए काफी उत्तेजक तरीके से मुझे अपनी बाहों में पकढ़ते हुए मेरे दोनों गाल को अपने हथेली में थाम कर मेरे रसीले होंठ को जबरदस्त तरीके से एकदम चूस रहे थे।


बाहर से आई गाड़ी के लाइटों से हम दोनों को काफी तकलीफ हो रही थी तभी उन्होंने दरवाजा खोला और हम दोनों बाहर आ गए।

फिर उन्होंने बीच वाली सीट को अच्छी तरीके से बिस्तर की तरह सेट कर दिया और मुझे उसी पर लेटा कर मेरे ऊपर आ गये।


मेरे ऊपर चढ़कर अपने सीने से मेरे स्तन को दबा लिए और मुझे कसकर चूसना शुरू कर दिया।

उनका हाथ कभी मेरे बालों में चलता तो कभी मेरे स्तन पर तो कभी मेरे पूरे शरीर को टटोल रहे थे।

मैं उनके शर्ट को धीरे-धीरे खोल दी और उनके शर्ट को निकाल दी अब ऊपर से एकदम से नंगे हो गए थे वह मेरे होंठ को चूसते जा रहे थे और मैं उनके पेट को धीरे-धीरे खोल रही थी।

फिर मैं उनके पेट भी खोल दी अब वह सिर्फ अंडरवियर में बच गए थे।

तभी मैंने उनके अंडरवियर को भी नीचे सरका दी और और उनका लिंग निकाल दिया बाहर की ओर।

उनका लिंग में देखी थी बहुत ही विकराल था।

वह उठे और अपना अंडरवियर को भी निकलने लगे उनका लिंग इतना विकराल नजर आ रहा था रात में मैं तो देख कर एकदम से चकित रह गई।

फिर वह मुझे भी उठा और मेरे साड़ी को खोलकर अलग रख दिया और ब्लाउज को भी तुरंत खोल दिया और ब्रा को भी उतार दिया और मेरे स्तन को चूसना शुरू कर दिया।

वह जोर-जोर से और बारी-बारी से मेरी दोनों स्तनों को चूस रहे थे।

मेरे मुंह से काफी मादक आवाज निकल रही थी। मैं उनके बालों को जोर-जोर से सहला रही थी तो कभी उनके पीठ पर अपने नाखून गड़ा रही थी।

वह मुझे चूमना चाटना चालू रखें।
और फिर उन्होंने मेरी पेटिकोट का डोरी खींच और धीरे से मेरी पेटिकोट उतार दिए अब मैं केवल पेटी में बची थी।

वह मेरे स्तनों को चूस रहे थे चूसते हुए वह थोड़ा नीचे गए और मेरे पेट को चूमने लगे और मेरे नाभि में जीभ् डालने लगे फिर वह मेरे जाँघ को चूमा और धीरे से कट लिए। मेरी तो सिसकियां ही निकल गई
फिर वह और नीचे गए और मेरे पैर के अंगूठे को अपने मुंह में लेकर चूसने लगे।

वह जैसे-जैसे मेरे पैर के अंगूठे को कस रहे थे मैं एकदम से मादक आवाज निकलते जा रही थी वह मेरे पैर के अंगूठे को कस रहे थे तो कभी मेरे जांघों को मसल रहे थे।

बाहर से गाड़ियां कभी-कभी जाती तो हम दोनों पर लाइट पड़ती और हम दोनों का जिस एकदम से चमक उठता था।

फिर मैं उठे और मेरे पेटी को निकाल दिया और मेरी मालपुआ एकदम उनके सामने आ गई।

अब उनसे रहा नहीं गया और मैं छत से मेरे मालपुआ को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगे।

मैं अब पूरी तरह से तैयार थी उनके लिंग को अपने अंदर लेने के लिए।

जैसे ही वह अपने लिंग को मेरी योनि में डालने के लिए हुए की तभी तो गाड़ियां हमारे अगल-बगल जाकर लग गई।

मैं तो कुछ समझ नहीं पाई पर। आलम सब समझ गए थे उन्होंने झट से उठा और बिना कपड़े पहने ही आगे सीट पर बैठे और गाड़ी को आगे भगा दिया। मैं गाड़ी में ही धीरे-धीरे अपने कपड़े पहने लगी वह गाड़ियां हमारी पीछा भी कर रही थी। वे नंगे ही आगे भगाते जा रहे थे।

मैं आलम से पूछा कि यह कौन लोग हैं? तब आलम ने बताया कि रोड पर सेक्स करने से नहीं है अगर लोगों को पता चल जाए तो वह लोग तो मरने के लिए आएंगे ही ना।


तब मैं उनसे बोली यह हमें जान से मार देंगे क्या?

तब आलम बोले अरे जान से नहीं रेप कर देंगे तुम्हारा और हो सकता है मुझे मार भी दे। तभी एक गाडी आगे से आकर लग गई और हम दोनों वहीं पर फंस गए।

धन्यवाद दोस्तों अंत तक बने रहने के लिए हम लोग मिलते हैं अगले भाग में।🙏
बहुत ही जबरदस्त अपडेट हैं
मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
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UPDATE 14
मुंहबोला बेटा से प्यार। पार्ट्स 14।

अब तक आपने पढ़ा की मैं और आलम विजयदशमी के दिन घूमने गए थे और रोड पर ही सेक्स कर रहे थे कि तभी हमें कुछ गुंडे खादेर ने लगे और एक गाड़ी आगे से आकर लगी अब आगे।

हम रास्ते में बहुत तेजी से भाग रहे थे कि तभी एक गाड़ी आगे से आकर लगी। और अब हम घिर चुके थे।

पर आगे से जो गाड़ी लगी थी वह पुलिस की थी। और पीछे जितनी गाड़ियां थी वह तुरंत ही घूम कर भाग गई।
आगे एक पुलिस वाला खड़ा था और आकर हमारी गाड़ी में बैठा। और हमें बोलने लगा। क्यों भाई आप लोगों में इतनी गर्मी है कि रोड पर ही गर्मी शांत करने लगते हो? मैं एकदम शर्म से लाल हो गई। तभी उसने मेरे मांग में सिंदूर देखा और। आलम के लिंग को देख लिया जो अभी तक नंगा था। वह समझ गया कि सेक्स अंतरधार्मिक है?

पुलिस वाला मुझे बोलने लगा क्यों मैडम जी आपको हिंदुओं के लिंग पसंद नहीं आ रहे हैं जो मुसलमान को लेने के लिए तुली हुई हो?

मैं बहुत तेज पुलिस वाले को डांट दी।
जवान संभाल कर बात करो मिस्टर। यह हमें बताने वाले आप कोई नहीं होते कि मुझे किसके साथ सेक्स करना है और किसके साथ नहीं करना है। अब तक आलम ने भी अपना कपड़ा पहन लिया था।

तब पुलिस वाला ने बोला कि अच्छा की अब तुम मुझे अपना गर्मी दिखाओगी।

थाने में ले जाकर ऐसा डालूंगा ना कि दोबारा यह सब करने की हिम्मत नहीं होगी।

मैं डर गई।

तभी आलम ने बात संभालते हुए कहा कि हमने गलती क्या किया है जो आप हमें थाने में डालेंगे?

कौन सा कैसे लगाएंगे आप हम पर हमने क्या गुनाह किया है?

क्या सेक्स करना गुनाह है क्या हम सेक्स नहीं कर सकते अपनी मर्जी से?

क्या हम अपनी मर्जी से पार्टनर नहीं चुन सकते हैं सेक्स करने के लिए अब आप हमें बताएंगे?

आलम ने पुलिस वाले की बोलती बंद कर दी थी।

तभी पुलिस वाला ने बोला अच्छा बेटा।
तेरी भी जबान अब कैची की तरह चल रही है।
पुलिस वाले ने आलम को धमकाते हुए। तेरे ऊपर तो ऐसा कैसे लगाऊंगा की हमेशा के लिए अंदर चला जाएगा?

पुलिस वाले ने मुझे बोला और विशेष सुंदरी तुम तो शादीशुदा हो।
फिर क्यों इस मुल्ले से चुदवा रही हो?

मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं वही उसे कस के दांत दी। जापान संभाल के बोलो और मैं तुम्हारी जवान काट दूंगी। निकल गाड़ी में से। पुलिस वाला डर गया। और बोला।

देखो मैं चाहूं तो तुम लोगों पर उल्टा सीधा कैसे लगाकर तुम्हारा करियर पर बात कर सकता हूं अभी तुम पढ़ने वाले लगते हो?
और मैडम तुम्हारी शादी भले ही हो गई पर तुम्हारी भी उम्र ज्यादा नहीं लगती मुझे लगता है कि आप भी अभी तैयारी ही करती होगी गवर्नमेंट जॉब की सब खत्म हो जाएगी।

तभी मैंने डांटे हुए उसे कहा कि कि मेरे हस्बैंड बहुत बड़ा बिजनेसमैन है मैं यह गवर्नमेंट वाला जॉब की तैयारी नहीं करती।

पुलिस वाला ब्लाउज अच्छा ठीक है चलो लेते के पूरा करते हैं।
फिर आलम ने कहा ठीक है लिए बाहर हम लोग बात करते हैं। पुलिस वाला दांत दिखाते हुए बाहर आया।

पुलिस वाले ने कुछ कहा और तुरंत ही आलम उसे पर भड़क उठे। आलम पुलिस वाले को बहुत कुछ सुनाने लगे।

मैं समझ गई कि कुछ अनहोनी क्या डिमांड किया था यह पुलिस वाला?

पुलिस वाला बार-बार मेरी तरफ इशारा करके कुछ करने की कोशिश कर रहा था।

मैं समझ गई कि पुलिस वाला मुझे चाह रहा है तभी मैं गाड़ी से उतरी और आलम को मोबाइल देते हुए बोली कि मुझे मंजूर है जो भी डिमांड है। पुलिस वाला एकदम से खुश हो गया। पुलिस वाला मेरे साथ मेरे गाड़ी में घुसने लगा। मैंने तुरंत ही पुलिस वाले की वर्दी को उतारने लगी। और उतार कर अपने ऊपर खींच लिया।

तभी आलम ने सतासत तीन-चार फोटो क्लिप खींच लिए।

और फिर मैं पुलिस वाले को धक्के देकर अपने ऊपर से हटा दिया।
सभी आलम ने पुलिस वाले की फोटो दिखाइए और बोला। तुम्हारी फोटो भी अच्छी आई है और तुम्हारा नाम प्लेट भी वर्दी का अब तो तुम्हारा वर्दी उतरने से कोई रोक ही नहीं सकता। तभी पुलिस वाला डर गया। मैं झट से गाड़ी में बैठी आलम भी गाड़ी में बैठा। पुलिसवाला विनती करने लगा कि उसकी फोटो डिलीट कर दो। तब आलम ने कहा तुम मेरे रस्ते में मत आओ और मैं तुम्हारे रास्ते में।

फिर हम दोनों वहां से निकल गए। मैं आलम के साथ आगे बैठी हुई थी। आलम मुझे वहां से गाड़ी को जल्दी से भागकर अपने रूम की तरफ ले।

वहां से जैसे ही हम लोग निकले हमें बहुत हंसी जोर से आई। उसे पुलिस वाले की हालत देखकर हम दोनों बहुत हंसे।

फिर आलम ने मेरी तरफ देखा और मैं आलम की तरफ। और हम दोनों फिर से एक छोटा सा किस कर लिए।

फिर आलम ने गाड़ी को जल्दी से पार्किंग में घुसा दिया। अब सुबह के 3:00 रहे थे। अभी तक पीछे वाला सेट बिस्तर की तरह ही सेट थी।

आलम ने जल्दी से गाड़ी के लाइट को बुझाया और मुझे तुरंत ही पीछे वाली सीट पर लेकर चला आया। आलम की अभी तक गर्मी शांत नहीं हुई थी वह तुरंत ही मेरे होंठ को चूसना शुरू कर दिया। मेरे होंठ को चूसते चूसते वह मेरे स्तन को दबा रहा था मैं भी काफी उतजीत् थी उसके होंठ को चूसते हुए उसके गर्दन को बाहों में लपेट ली।

वह मेरे होंठ को चूस रहा था तो कभी गालों को चूम रहा था। मैं भी उसके होंठ को चूमती तो कभी गालों को चूमती। वह मेरे सीने को कभी दबाता तो मैं उसके सीने को कभी-कभी चूमती और अपने दांतों से काटने की कोशिश करती।

वह मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर एकदम से चिपकाए हुआ था और मेरे होंठ को चूस रहा था।

मैं उसके शर्ट को तुरंत से निकलती और पेंट को भी।

आलम ने मेरे सारे कपड़े को झट से उतरना शुरू किया और मेरे स्तन को काटते हुए पैन्टी को भी सरका कर पूरा मुझे नंगा कर दिया।

मेरे घर घर बदन को वह काफी अच्छे तरीके से अपनी जबान से चाट रहा था।

वह पुलिस वाला बिल्कुल सच कर रहा था मैं इस मुसलमान की दीवानी हो गई थी इसके लिंग की दीवानी थी।
इसके यह मर्दाना शरीर की मैं दीवानी हो गई थी।

वह मेरे बदन को पूरा नहीं छोड़ रहा था और चूम रहा था मैं भी उसके बदन से एकदम पीस रही थी। हम दोनों एक दूसरे की बदन को टकराकर खूब अच्छे तरीके से एक दूसरे को पीस रहे थे।

वह मेरे कभी कान को चूमता तो कभी कान को काट लेता मैं भी उसके कभी कान को काट लेती तो कभी गर्दन को चूमती।

वह मेरे होठों को चूमते हुए गाल को काटते हुए मेरे और रोज को दबा रहा था।

अब मैं पूरी तरह से नंगी थी वह मेरे जांघों को चुम्मा और मेरे फिर से मालपुआ को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।

थोड़ी देर मेरी मालपुआ को चूस कर एकदम से गिला कर दिया और फिर से ऊपर आया और मेरे मुंह के ऊपर अपना कटा हुआ लिंग को मेरे पास लाकर बोला कि लो मेरी जान अपनी मुंह में ले लो।

मैं बड़े प्यार से उसके लिंग को अपने मुंह में लेकर पूरी तरह से गिला कर रही थी। मैं कोई चांस नहीं छोड़ रही थी पुरा अच्छी तरीके से उसके लिंग को चूस रही थी वह अपनी आंखें बंद किए आगह्ह् की आवाज कर रहा था।

फिर अपने लिंग को मेरे मुंह से खींचा और नीचे आया और मेरे दोनों पैर को अपने कंधों पर रख लिया और अपने लिंग को मेरी योनि के पास सेट करके धीरे-धीरे धक्का लगने लगा।

पहली बार कोई इतनी मोटा टोपी वाला लिंग मेरे योनि में जा रहा था मेरी तो एकदम आंखें बंद हो गई थी और मुंह से केवल आआअह्ह्ह निकल रही थी।

वह धीरे-धीरे करके पूरा लिंग मेरे योनि में प्रवेश कर दिया और मैं अपनी आंखें बंद करके जोर-जोर से बस सिसकी ले रही थी।

आलम मेरे पर को अपने कंधे पर रखकर अच्छी तरीके से मेरे योनि में धक्के की बरसात कर रहा था।

मैं बस आअह्ह्ह् उउउउउफ्फ्फ्फ़ की आवाज कर रही थी।

आलम बोल रहा था वह मेरी जान।
इस मालपुआ के लिए तो मैं कहीं से भी तुम्हारे पास आ सकता हूं।
मेरी गर्लफ्रेंड तो तुम्हारी बेटी सौम्या है पर उसका मालपुआ तुम्हारी तरह बिल्कुल भी नहीं है।

तुम्हारा तो यानी गजब का है एकदम स्वर्ग जैसा लग रहा है।

आलम आंखें बंद करके यही सब बड़बड़ा रहा था।

ओ मेरी जान क्या मालपुआ है? और मेरे योनि में थक्कू की एकदम बरसात किया जा रहा था।

फिर वह अपने लिंग को निकाला और मुझे अपनी बाहों में ले लिया। और मेरी पर को थोड़ा सा फैला कर। अपना लिंग को मेरे योनि में प्रवेश कर दिया।

आज दशहरे के दिन मै इसके साथ खूब मजा की थी और आज बारी मेरी थी कि मैं इसे खूब मजा कराउ।
मैं ने इसे अपनी पूरा मालपुआ परोस दिया था जितना मजा करना है कर लो मेरे जान।

वह अपने लिंग के धक्को से मेरे पूरे शरीर को झकझोर दे रहा था।

फिर आलम ने मुझे वहीं पर नीचे की ओर झुकाया और पीछे से अपना लिंग को मेरी योनि में प्रवेश कर दिया। मैं भी अपने आप को उसके हवाले करते हुए पूरी तरह से झुक गई और वह अपने लिंग को सत्सत पेलते हुए खूब मजे से मजा ले रहा था।

उसका मोटा सा लिंग मेरे योनि में पूरा गर्दा मचाए हुए था मेरे मुंह से केवल सिस्कार ही निकल रही थी।
मैं अपने आप को तो एकदम से भूल गई थी ऐसा लग रहा था कि किसी अलग दुनिया में खो गई हूं जहां केवल मजा ही मजा था।
आलम के लिंग से मैं पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ रही थी मैं एकदम भूल गई थी खुद को।

वह मुझे बालों से पकड़ कर खींचा और अपने लिंग को मेरे योनि में लगातार पेलने लगा और फिर एक जोर की दहाड़ के साथ हि मेरे ऊपर गिर गया।

फिर मैं उसे एक तरफ उठाकर की और अपने कपड़े पहने लगी। मैं फिर आलम को ही बोला कि आप अपने कपड़े पहन लो।
आलम अपने कपड़े पहनने के बाद गाड़ी की अंदर की लाइट चलाई और मेरे चेहरे को दिखा।

और फिर आलम ने बोला वाह मेरी जान तेरे चेहरा तो गजब चमक रहा है।

तब मैं आलम को बोली- क्यों नहीं चमकेगा मेरे बेटी का बॉयफ्रेंड जी आप जैसे मर्द मेरे योनि में अपनी लिंग को प्रवेश करेंगे और इतनी खुशी देंगे तो उसका चमक तो चेहरे पर आएगा ही ना?
मेरी जवाब सुनकर आलम में मेरे चेहरे को अपने हथेलियां में थमा और कसकर मेरी होंठ पर एक चुंबन कर दिया।

मैं उनके इस प्रहार से एकदम सिहर उठी।

फिर आलम ने मुझे सुबह ही मेरे बेटी बेटे के पास छोड़ दिया।

मेरी बेटी को पता चल चुका था कि क्या हुआ है उसने तुरंत मुझे आकर गले लगा कर मेरे गाल पर किस करते हुए कहीं क्यों मन अपनी मालपुआ चखा आई?

मैंने अपनी बेटी को छेड़ते हुए कहा हां अपने मालपुआ तो चखाई ही साथ ही साथ मैंने उनका आइसक्रीम भि खाई।

और फिर हम दोनों हंसने लगे।

मेरा मुंहबोला बेटा राज के साथ मैंने जितने भी समय बिताई थी वह बहुत ही खुशनसीब और खुश मिजाज पल था।

पर राज जब गया तब मैं एकदम से अंधेर में पड़ गई ऐसा लगा कि मेरे सामने एकदम काला सा पड़ गया। पर मेरा परिवार मेरे बेटे बेटी और मेरी दोस्त ने मुझे संभाल लिया और फिर से मैं खुश रहने लगी।

और ऐसे ही दो-तीन साल निकल गए इस बीच मेरे पति भी कई बार आए और मुझे बहुत ही खुशी दिए।

तो 3 साल बीतने के साथ में बहुत कुछ बदल भी गया और बहुत कुछ वैसा ही है।

3 साल में बदल ये गया था कि मेरे दोनों बच्चे जो थे अब जॉब में लग गए थे और दोनों अब काम करने लगे थे प्राइवेट सेक्टर में।

और नहीं बदला था तो बस मेरा और मेरे पति का जुनून। मैं आज भी सभी से प्यार करती हूं और जो मुझसे प्यार करता है मैं उसे पर अपना पुरी जान् लुटा देती हूं। और नहीं बदले थे मेरे पति वह भी आज भी काम करने के शौकीन थे और वह आज भी विदेश में साल साल डेटेड साल्ट कभी दो-दो साल तक घर नहीं आते थे।

आकाश का यह मानना है कि वह जॉब नहीं करेगा वह हमारे साथ ही रहकर खेती करना से चाहता है।
मैं भी बोलती हूं की तेरा जो मन हो वहि कर कोई तुम्हें रोक-टोक नहीं।

सब कुछ बहुत खुशहरी से बीत रहा था।
एक दिन मुझे आलम ने बोले की चलिए मैं आपको दिल्ली घूमाने ले चलता हूं।
मेरे बेटे और बेटी भी जिद करने लगे कि माँ चली जाओ घूम कर आ जाओ आखिर क्या करोगी घर पर?

मैं जाना तो नहीं चाहती थी पर उनके फोर्स करने से मैं बोली भी कही की ठीक है मैं चलूंगी बाकी मैं आलम का इरादा तो जानती थी।
वह मुझे दिल्ली ले जाकर कहां-कहां दिल्ली घुमाएंगे और क्या-क्या मेरे साथ करेंगे पर मुझे भी इससे अच्छा लगता था और मैं जाने के लिए बिल्कुल तैयार थी?

धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अगले भाग।🙏
बहुत ही सुंदर लाजवाब अपडेट है
मजा आ गया
 

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UPDATE 15

मुंह बोला बेटा से प्यार। पार्ट्स 15
(सीरीज की अंतिम पार्ट:दिल्ली स्पेशल)

अब तक आपने पढ़ा की हेलो मुझे दिल्ली ले जाना चाहते थे और मैं भी जाने के लिए तैयार हो गई थी अब आगे।

आलम से मेरे रिलेशन को 3 साल से अधिक होने को हो गए थे। इन तीन साल में मैं आलम से कई बार चुद चुकी हूं।
उनकी सबसे मुझे खास बात यह लगती है कि यह मुझे बहुत ही एडवेंचरस तरीके से चोदते हैं।

जब हम लोग पटना से दिल्ली के लिए फ्लाइट में बैठे थे आलम मेरे पास ही बैठे हुए थे और कोई भी हरकत करने से चुक् नहीं रहे थे मैं उन्हें बार-बार मना कर रही थी फिर भी वह मेरे कभी स्तन को दबाते तो कभी मेरी योनि को ऊपर से ही सहला देते तो कभी मेरी नाभि में उंगली कर देते थे।

उनके साथ रहती थी तो कितना भी उनसे चुद जाऊं वह मुझे गम ही करके रखते थे।

जैसे ही हम लोग दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे वहां से तुरंत हम लोग रूम के लिए निकल गए।

आलम मुझे अपने होटल पर ले गए जहां बहुत ही आलीशान रूम मिला था हमें और बहुत ही मस्त लग रहा था वह जगह।

हम लोग जैसे ही होटल में पहुंचे आलम ने मुझे तुरंत डोर लॉक करते हैं अपनी बाहों में पकड़ लिया और पढ़ते हैं बिस्तर पर पटक दिया।

वह मेरे होठो को चूमना चालू कर दिए थे।
आलम बोले कम ऑन डार्लिंग तुम तो 3 साल के बाद भी एकदम वैसी की वैसी जवान हो और तो और खूबसूरत भी होती जा रही हो तुम्हें तो मन करता है कि बस चोदता ही रहूं।

मैं उनको रोकते हुए बोली पहले ड्रेस तो चेंज कर लो।
वह बोले कि एक ही शर्त पर चेंज करेंगे।
मैं बोली - क्या?
तब वह बोले कि पहले हम दोनों नहाएंगे उसके बाद ड्रेस चेंज करेंगे।

मैं उनकी इरादा को बाप गई थी तो फिर वह मुझे उठा लिया गोद में और सीधे बाथरूम में लेकर चले आए।

बाथरूम में आते ही झरना को चालू किया और झरना के नीचे मुझे खड़ा करके चूमना चालू कर दिए।

खड़े-खड़े ही मेरे होठों पर रस को पूरा मजा ले रहे थे वह।

कभी मेरे होठों को चूमते तो कभी मेरे गालों को तो कभी मेरे गर्दन पर चुम्मा लेकर मुझे एकदम से मदहोश कर रहे थे।

मैं खड़े-खड़े ही उनके साथ दे रही थी कभी उनके बाल को सहलाती तो कभी उनके पीठ को कुरेदति। ऐसे ही करते मैंने उनके कपड़े को उतार दिया लोअर भी नीचे से खोल दी।

बेबी मेरे साड़ी को उतार कर फिर मेरे ब्लाउज को भी उतार दिया और मेरे स्तन को काटते हुए मेरे ब्रा को ही उतार दिया और फिर मेरे स्तन को चाटने और चूमने लगे।

थोड़ी ही देर में हम दोनों के बदन से सारे कपड़े गायब हो चुके थे हम झरने के नीचे हम दोनों पूरी तरह से गीले थे और ऊपर से होंठ के रस का रसपान हो रहा था हम दोनों का।

फिर हम दोनों ने वहीं पर एक दूसरे को चूमने चाटने के बाद।

आलम खड़े-खड़े ही मेरे दोनों पैरों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसके बाद अपने लिंग को मेरे योनि में सबसे अंदर डाल दिए।

मैंने अपने पूरे बदन का भार आलम पर दे दिया उनके गले में मैं अपने हाथ डालकर उनके गले पर पड़ी हुई थी और वह मेरे नीचे से सट्टासत धक्के लगाए जा रहे थे।

फिर वह मुझे उठाए और बाथ् टब में लेकर चले गए वह खुद नीचे लेट गए और मैं उनके ऊपर बैठकर उनके लिंग पर उछल कूद करना शुरू कर दी।

थोड़ी ही देर में हम दोनों का रस निकल गया और मैं आलम के होंठ को चूसते हुए उनके शरीर पर अपना सारा भार देकर उनके गले लग गई।

हम दोनों में है और नहा कर फ्रेश हो लिए और घूमने के लिए निकल गए।

पहले दिन हम घूमने के लिए जमा मस्जिद गये।
वहां जाने के बाद मुझे काफी शांति महसूस हुई।
आलम जमा मस्जिद में भी स्थिर नहीं रहते थे वह वहां भी कभी मेरे गाल को सहलाते तो कभी मेरी नाभि को और कई बार तो मुझे किस करने की भी कोशिश किया पर मैंने मना कर दिया कि कम से कम यहां तो छोड़ दो।

फिर हम लोटस टेंपल।
उसके बाद हम वापस होटल लौट आये।

दिल्ली में आलम कुछ काम से आए हुए थे तो वह सुबह-सुबह अपने काम के लिए निकल जाते और दोपहर को वापस आते दोपहर को वापस आते ही सबसे पहले मेरी चुदाई करते फिर हम दोनों नहाते और घूमने के लिए निकल जाते थे।

घूमने जाते थे तो वहां भी छेड़खानी होती ही थी और कई कई जगह तो वह मुझे चोद भी देते थे।

एक दिन हम लोग घूमने के लिए पार्क में गए पार्क में काफी गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड एक दूसरे को किसिंग कर रहे थे तो वही यह मुझे एक कोने मे बैठाए और मेरा किस करना शुरू कर दिए।

वहां पर बैठे लोग हम दोनों को देख रहे थे।
पर वह बोले कि देखने दो ना जिनके पास नहीं है वह तो देख कर ही आनंद लेंगे ना आज उनको पूरा पोर्न ही हम लोग यहां दिखा देते हैं।

और फिर वह मुझे नीचे बैठा है और अपना लिंग को निकाल कर मेरे सर को झुका कर अपने लिंग पर दे दिया मैंने भी झट से उनके लिंग के मोटा टोपी को मुंह में ले लिया।

मैं मस्त उनके लिंग को चूस रही थी और वहां पर बाकी लोग सब देखकर मुस्कुरा रहे थे।
थोड़ी ही देर में मुझे बोले कि आओ इस पर बैठ जा मैं शर्म आ रही थी कि वह तभी मेरी साड़ी को उठा और मुझे खींचकर अपने लिंग पर बैठा लिया और मैं भी धीरे-धीरे ढके लगने लगी।

लगभग 10 15 मिनट तक वह मुझे इसी में तरफ चोदते हुए झड़ गए और फिर हम दोनों वहां से हंसते हुए निकल गए।

इसी तरह एक दिन और हम लोग लाल किला घूमने चले गए।

लाल किला में घूमते घूमते हम काफी थक चुके थे कि वह मुझे अंदर घूम रहे थे। जानते हुए अंदर में एक जगह में अंधेरा जगह दिखा।

वह मेरे हाथ को खींचते हुए वहां अंधेरे जगह के पास ले गए और मुझे स्मूच करना शुरू कर दिए।

वह मेरे होठो चूस रहे थे और मैं उनके बाहों में अपने हाथ डाले चुपचाप अपनी समूचिंग का आनंद ले रही थी उस अंधेरे वाली जगह के पास।

मुझे चुमते हुए थोड़े ही देर में वह मुझे झुका दिए और मेरी साड़ी को कमर तक उठाकर अपने लिंग को निकाला और मेरे योनि में सताक से एक बार में पेल दिया मेरे मुंह से एक जोर की आह निकल गई।

तभी बाहर से दौड़कर गार्ड अंदर आया और बोलने लगा कौन है अंदर?

हम दोनों एकदम से स्थिर खड़े हुए थे। आलम अपने लिंग को एकदम से बराबर मेरी योनि में डालें चुपचाप खड़े थे मुझे बाहों में पकड़े हुए।

मुझे अपनी योनि में लिंग डलवा कर उनके साथ चुपचाप मूर्ति बनकर खड़े होने में बड़ा आनंद आ रहा था और गार्ड हमें गौर से घूर रहा था पर हम इतने अंधेरे में थे कि दिखाई ही नहीं दे रहे थे वह चुपचाप इधर-उधर देखा और फिर से चला गया?

जैसे ही गार्ड बाहर निकाला था कि आलम ने अपने लिंग को थोड़ा सा बाहर की ओर खींचा और सत्ताक से मेरी योनि में फिर से पेल दिया।

यह प्रहार इतना तेज था कि मैं सहन नहीं कर पाई और मेरे मुंह से एक और जोरदार आह निकल गई।

गार्ड फिर भाग कर इधर आया और फिर से बोला कौन है अंदर?

हम दोनों फिर से मूर्ति बन खड़े हुए थे अबकी बार मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपनी योनि को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी आलम को भी नहीं रहा गया और वह भी मेरी गांड को पकड़े और अपने लिंग को आगे पीछे करना शुरू कर दिया।

अब तक आवाज तो नहीं हो रही थी पर वह धीरे-धीरे लिंग को आगे पीछे कर रहे थे और इसमें मुझे आनंद आ रही थी और मैं चुपचाप बिना आवाज की वहां खड़ी थी कि तभी धीरे से वो अपने लिंग को पीछे खींचे और एक और जोरदार धक्का मारा अंदर और मैं फिर से एक जोर की आह निकाल दी।

इस पर गार्ड फिर से चिल्लाया और चिल्लाने के साथ ही वह हम दोनों पर टॉर्च बार दिया हम दोनों रोशनी में आते ही उनका लिंग और मेरी योनि चमक उठी वह मेरे पीछे से योनि में लिंग को प्रवेश किए हुए थे और हम दोनों खड़े थे उसका चित्र उसकी आंखों के सामने एकदम घूमने लगा उन्होंने जल्दी से अपना लिंग को खींचा और पेंट में डाली ।
मैं भी अपनी साड़ी को नीचे की और उनका हाथ पकड़ी और हम दोनों दूसरे रास्ते की और तुरंत भगाने लोग।

गार्डन में गालियां दे रहा था और हम दोनों हंसते हुए भाग रहे थे।

तो यह थे हमारे लाल किले के करमाने उसके बाद हमने कुतुब मीनार में भी ऐसा कुछ किया था और उसके बाद कई जगह पर हमने समूचिंग किया।

फिर हम अपने होटल पर आ गए और होटल में रात में तो दिल्ली का रूटीन था कि खाने के बाद एक बार चुदाई जरूर होगी।

हम दोनों ने अपने होटल के रूम में पर कोने में सेक्स कर लिए थे बाथरुम से लेकर बालकनी तक।

बालकनी में तो यह मुझे सुबह-सुबह जाने से पहले भी चोद देते थे।

मैं बालकनी में खड़े होकर सुबह-सुबह बाहर गाड़ी हो या फिर लोगों को देखती रहती थी कि तभी वह मेरे पीछे से आते और प्यार करने लगते हैं।

प्यार उनका मेरे स्तन दबाने से शुरू होता है और फिर पूरे बदन को टटोलने से फिर किस करते उसके बाद गाल को चुमते उसके बाद में मेरी होंठ पर आ जाते मैं तब तक गर्म हो जाती थी और उनके होंठ को मैं भी चूसने लगती थी और ऐसे ही करते-करते मुझे बालकनी पर ही झूका देते और मेरे साड़ी को पीछे से उठाकर पैंटी को थोड़ा सा नीचे सरका देते और अपना लिंग निकालकर मेरे योनि में पीछे से ही प्रवेश कर देते मैं चुपचाप बालकनी में अपनी मदहोश से चेहरे लेकर चुदाई का फुल आनंद लेने लगती थी कुछ लोग हमें देखते थे तो समझ जाते थे कि हम सेक्स कर रहे थे कुछ लोग बस देखकर निकल जा रहे थे।

और ऐसे ही कुछ दूर चोदते हुए झड़ जाते थे।
फिर मैं उनके लिए खाना तैयार करती और वह नहा कर आते फिर हम दोनों खाते और वह निकल जाते थे अपने काम पर और मैं दिन भर यहीं पर बैठी रह जाती है।

फिर दोपहर को आते ही मुझे जबरदस्ती खींच कर बाथरूम में नहाने के लिए ले जाते और वहीं पर मेरे साथ जम के सेक्स करते फिर हम दोनों नहा कर बाहर आते तब खाना खाते थे और फिर कहीं घूमने जाते थे अगर घूमने की जगह हमें कोई सेक्स करने लायक लगा तो वहां भी हम जमकर सेक्स करते थे और खूब इंजॉय करते थे और तब जाकर शाम को हम लोग लगभग रात के 8:00 तक घर आते थे।

आलम आज मुझसे बोले कि हमें कल वापस अब जाना है लगभग पूरा दिल्ली हम घूम चुके थे तब वह बोले कि चलो आज हम लोग छत के ऊपर सेक्स करते हैं।

और वह मुझे होटल के सबसे ऊपर छत पर ले गए जहां से नीचे देखने पर आदमी मच्छर के जैसा दिखाई दे रहा था। वहां पर भी किसी के आने का खतरा था तो वह मुझे टंकी के पीछे ले गए और वहां मुझे लेटा कर किस करना शुरू कर दिया।

फिर मेरी साड़ी को कमर तक उठा दिए और मेरी पैंटी को निकाल कर अपने हाथ में ले लिए।
फिर मेरी मालपुआ जैसी योनि को उन्होंने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया।
और चूसते हुए फिर वह ऊपर आए और अपना जीभ को मेरे मुंह में डाल दिए मैं उनके जीभ को चूसने लगी और फिर उनके होठो को चूसी और इसी तरह हम दोनों का चुदाई चला रहा कि तभी उन्होंने अपने लिंग को मेरे योनि में डालकर तुरंत चोदना शुरू कर दिए खचाखच योनि में अपने लिंग को प्रवेश करा रहे थे।
मैं पूरे जोश में सीस्कार मार रही थी और वह मेरे योनि को एकदम धज्जिया उड़ा दिए थे।

फिर मेरे योनि में ही झाड़कर मेरे ऊपर लेट गए।

हम दोनों खुले आसमान में सबसे ऊपरी मंजिला पर एक दूसरे के बाहों में लेते हुए थे।

तभी ऊपर कोई आया हम दोनों ने जल्दी से कपड़े ठीक किया और दूसरे साइड से निकले और तुरंत भाग्य नीचे।

हम दोनों रूम में जाकर खूब हंसे।

उसके बाद कल जब सुबह हुई तो हम दोनों उठे और पटना के लिए फ्लाइट लेने के लिए एयरपोर्ट पहुंच चुके थे। जब मैं एयरपोर्ट पहुंची तो वहां काफी भीड़ थी।

आलम बोले कि तुम थोड़ा यहां वेट करो मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं।

मैं आलम का वेट करने लगी कि तभी भीड़ कुछ ज्यादा ही लगने लगी वह मेरे सामने से निकल गए मैं भीड़ को थोड़ा देखने लगी कि आखिर किसके लिए इतनी भीड़ थी।

मैं देखी कि वहां एक कोई बहुत ही हॉट बंदा कुछ भाषण की तरह दे रहा था और लोग बड़े ध्यान से उसे सुन रहे थे इंग्लिश में बड़बड़ा रहा था कुछ मीडिया वाले अपने माइक को उसके मुंह के पास एकदम तुमसे जा रहे थे।

और वह बंदा बाद कॉल था तुम शांति से उनकी हर सवालों को जवाब देता जा रहा था।

थोड़ी ही देर में वह वहां से निकाला और जैसे भीड़ को वह सब अपनी और आकर्षित कर रहा था वहां से निकाला और बड़ी से उसके लिए गाड़ी लगी थी काले शीशे वाली उसमे बैठा और निकल गया मैं तो उसके चेहरा देख ही नहीं पाई।

फिर आलम मेरे पास आए और मुझे बाहों में भरते हुए बोले क्या हुआ जान कहां खो गई हो?

मुस्कुराते हुए बोली अरे कहीं नहीं।

फिर मैं एयरपोर्ट के लिए अंदर जाने लगी तभी वहां पर एक बड़ी सी होर्डिंग दिखाई दी मुझे।

उसे पर एक फोटो लगा था जो बिल्कुल मेरे राज की तरह लग रहा था। मैंने ध्यान से देखा तो उसे पर लिखा हुआ था अंश मान सिंह।

और मेरे बेटे राज का नाम भी अंश था।
मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह मेरा बेटा राज ही है और आज मैं अपने बेटे राज से ही मिली थी लेकिन मेरी बुरी किस्मत की मैं उसका चेहरा भी ना देख पाई कितना हॉट हो चुका था 3 साल में वह तो काफी बदल चुका था और शायद अब तो वह बहुत बड़ा आदमी बन गया है मुझे पहचानेगा की नहीं पहचानेगा इस बात को लेकर मैं बहुत ज्यादा ही फिक्र करने लगी।

मेरे दिमाग में फिर से 3 साल पहले की उसकी मासूम चेहरा उसका मासूम दिल सब मेरे सामने आने लगा उसके साथ बिताए वह पूरे 1 साल मुझे खूब याद आने लगे।

मुझे लगा था कि राज मेरी जिंदगी से 3 साल पहले चला गया लेकिन वह तो एक बार फिर से मेरे सामने आ गया था। राज भले ही मेरा मुंहबोला बेटा था पर मैं उससे प्यार एकदम सच्चा प्रेमिका वाली करती थी।

मैं दिल्ली से पटना आते-आते पूरे सिर्फ और सिर्फ उसे आसमान से वाले कोडिंग के ही बारे में सोचती रही कि मैं राज को आज देखी पर पूरी तरह देख भी ना पाए कैसी थी मेरी किस्मत।

मैं रास्ते में आलम से एक बार भी ना बोली वह कितनी बार मुझसे बोलने की कोशिश किया और मैं तो अपने बेटे राज के बारे में ही सोचती रही।

राज अब मेरा सिर्फ मुंह बोला बेटा नहीं बल्कि इस देश का सबसे बड़ा बिजनेसमैन अंश मानसिंह बन चुका था मेरी किस्मत को मैं कोष रही थी कि क्या मेरी किस्मत है दोबारा मैं अंशुमन से मिल भी पाऊंगी या नहीं मैं अपने बेटे राज से मिल पाऊंगी या नहीं यही सोचते सोचते मैं अपने घर आ गई?

धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
नोट: (मुंहबोला बेटे से प्यार) की सीरीज को मैं 15 पाठ तक ही सीमित कर रही हूं इसके आगे अगर आप लोगों को यह सीरीज पसंद आ रही हो तो आप मुझे फिर से मेल करें मैं इसके आगे की सीरीज को किसी और नाम से फिर से लाने की पूरी कोशिश करूंगा।🙏


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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक सिरीज हैं
मजा आ गया
ये सिरीज आगे बढनी चाहिए
बहुत ही जबरदस्त
 

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SHOW2 UPDATE 01

मुंहबोला बेटा से प्यार। S2
UPDATE 01

SHOW1 में अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह सुनीता अपने मुंह बोल बेटे की प्यार में पड़ जाती है और उसके साथ क्या-क्या घटना होती है उसके बाद दोनों फिर किस तरह बिछड़ते हैं और फिर क्या-क्या होता है?

अब आगे।

सुबह-सुबह का समय था।
आकाश अपने कमरे से उठता है और फिर अपने हाथ मुंह धो कर सुबह-सुबह वह खेत की ओर जाने लगता है।

फिर सौम्या उठाती है और उठकर बाहर बाथरूम की ओर जाने लगती है कि तभी उसका ध्यान एक किसी आवाज की तरफ जाती है जो की बहुत ही मादक थी वह आवाज की पीछा करती हुई आगे बढ़ती है तभी वह सुनीता के कमरे के पास पहुंच जाती है।

कमरे के अंदर वह देखती है कि उसकी मां और पिताजी दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे उसकी मां सुनीता एकदम नंगी लेटी हुई थी और उसके पिता अशोक उसके मन को दोनों स्तन को दबा रहे थे और का उसके होंठ को चूस रहे थे।

सुनीता बोलती है- छोड़िए ना क्या अभी सुबह-सुबह शुरु हो गये घर में बच्चे हैं देखेंगे तो क्या सोचेंगे?

तभी अशोक बोलते हैं- अरे इतनी सुबह-सुबह कौन देखेगा वह दोनों अभी सोए हुए होंगे आव ना एक बार कर लेते हैं ।

और अशोक सुनीता के दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसने लगते हैं सुनीता अपनी आंखें बंद करके मदहोशी में पड़ी हुई थी और उसके मुंह से कुछ मादक आवाज निकल रही थी।
अशोक उसके निपल्स को चूसते जा रहे थे और कभी-कभी काट देते थे?

सुनीता की आंखें बंद थी वह अपने पति के सर पर हाथ फेर रही थी और अपने निपल्स चुस्वाने का मजा ले रही थी फिर अशोक नीचे की ओर बढ़ते हैं और नाभि में जीव डालकर मजा लेने लगते हैं।
जोर की आवाज, सुनीता के मुंह से निकल रही थी अब बेचारी सौम्या वहां खड़ी-खड़ी एकदम मदहोश हो रही थी।

सौम्या कमरे के अंदर देखती हुई अब गरम हो रही थी। अंदर का माहौल इतना गर्म था कि सौम्या बेचारी खड़ी-खड़ी ही उसकी तो बुर से पानी रिसने लगी थी।
वह अपनी ना जाने कब एक हाथ को अपनी बूर पर ले जाकर उसे मसलने लगी।

अंदर अशोक अब तक सुनीता के बुर तक पहुंच चुके थे वह अपनी जीभ को सुनीता के बूर में डालकर धीरे-धीरे चूस रहे थे।

सौम्या बेचारी खड़ी-खड़ी अपनी सलवार को नीचे कर दी और फिर अपनी एक उंगली को अपने बुर में डालने लगी।

सुनीता अपने दोनों टांगों को फैला दी और बूर खोल दी अब बेचारे अशोक उठे और अपने लंड को सुनीता के बुरे पर लगाए और धीरे-धीरे धक्का देकर उसे चोदने लगे।

दोनों चुदाई में एकदम मस्त लगे पड़े थे बेचारी सुनीता कई साल बाद अपने पति से चुद रही थी वह तो अपने पति से चुदने के लिए तरस ही जाती थी क्योंकि अशोक तो हमेशा विदेश में ही रहते थे और कभी-कभार साल 2 साल में घर आते थे तब सुनीता की खूब बजा के लेते थे।
और आज वह दिन था जब सुनीता अपनी टांगें फैला कर अपने पति का स्वागत कर रही थी और इधर सौम्या खड़ी सब देख रही थी अपने मां पिताजी की चुदाई करते हुए?

सौम्या बेचारी अपनी उंगली को बूर में करते-करते वही झढ़ गई और वहां से भाग गई अंदर अभी भी चुदाई एकदम जोरों पर चल रही थी।

कुछ देर बाद जब सुनीता और अशोक दोनों शांत हुए तब सुनीता ने अशोक के होंठ को चुमते हुए बोली कि आज अपनी बेटी को देखने के लिए रिश्तेदार आने वाले हैं तो आप जल्दी से बाजार जाइये और सब सामान लेकर आइये।

आज सौम्या को देखने के लिए कुछ रिश्तेदार आने वाले थे क्योंकि सौम्या की अब शादी होने वाली थी और इधर आकाश भी सौम्या की शादी की तैयारी के लिए अपने बाप का हाथ बटा रहा था।

सौम्या और आकाश दोनों पढ़ाई करके जॉब ले लिए थे लेकिन आकाश और सौम्या दोनों का ही मन जॉब में नहीं लगा।
आकाश अपने घर की खेती को संभाल लिया तो वहीं सौम्या अपने टीचिंग प्रोफेशन को अपना ली।
उसने अब तक तो कोई टीचिंग के लिए अप्लाई नहीं किया था पर बोली की शादी के बाद वह अपनी प्रोफेशन को फॉलो करेगी।

सौम्या को देखने के लिए रिश्तेदार वाले आ चुके थे वह लोग सोफे पर बैठकर चाय पानी पी रहे थे।

सुनीता ने अपनी बेटी सौम्या को सजा कर रिश्तेदार वालों के सामने लाइ। सौम्या इतनी खूबसूरत लग रही थी कि रिश्तेदार वालों ने तो देखते ही झट से हां कह दिया।

लड़का भी देखने में काफी खूबसूरत था नौजवान था उसके साथ उसके पिताजी और उसके बड़े भाई आए हुए थे बड़े भाई की शादी हो चुकी थी और मां उसकी नहीं थी उसकी भाभी आई, हुई थी उन्होंने भी सौम्या को खूब पसंद किया था।

लड़के के साथ उसके दो आवारा दोस्त भी आए हुए थे उन्होंने तो सौम्या और सुनीता को देखते ही पागल हो गए थे और कुछ अपने में काना फुसुर करना शुरू कर दिया।
एक ने बोला- सौम्या के साथ-साथ तो यह लड़की भी बहुत खूबसूरत है अगर तुम कहो तो मैं इससे शादी कर लूं तभी उसने एक मुक्का मारते हुए बोलता है अपने दोस्त को- साले वह दिखाई नहीं दे रहा है क्या शादीशुदा है?

तभी सौम्या का होने वाला पति बोलता है- अब तुम लोग क्या बातें कर रहे हो अपने में वह सौम्या की मां है तुम लोग को समझ में नहीं आ रहा है?

दोनों आवारा दोस्तों के तो मुंह ही खुला रह गया मां वह भी इतनी सुंदर।

अशोक चाहते थे कि उनकी बेटी सौम्या का शादी जल्द से जल्द हो जाए क्योंकि उन्हें फिर से विदेशी भी जाना था?

तब पंडित जी ने अगले ही महीने का मुहूर्त निकाला जो बहुत समय कम बचा था अशोक और लड़के के परिवार को शादी के लिए बहुत तेजी से तैयारी करनी पड़ेगी।

शादी की तैयारी बहुत जोर-जोर से चलने लगी शादी में सभी लोग व्यस्त रहने लगे आकाश को तो चैन ही नहीं था और अशोक अपनी बेटी के शादी के लिए चिंतित थे इसलिए वह बहुत ज्यादा बिजी रहने लगे और इधर सुनीता घर के रिश्तेदारों में ही व्यस्त रहती थी।

लेकिन उसकी सहेली शीला, वह इसे एकदम मस्त किए रहती थी वहीं शीला के पति समर भी कोई मौका नहीं छोड़ते थे सुनीता को तंग करने का और इन दोनों का मन इसी में लगा रहता था।

कभी तो समर जी सुनीता के गांड को दबा देते तो कभी अपना लंड को उनके गांड में रगड़ देते थे और कभी मौका मिला बाथरूम में तो उन्हें पकड़ के किस करते और चूची दबाते।

और सुनीता बेचारी बोलती थी छोड़ो ना क्या कर रहे हो मेरे पति भी यही है उन्हें पता चला तो क्या होगा?

इन्हीं सब में शादी का दिन और नजदीक आ चुका था।

शादी के कुछ ही दिन बचे थे कि सौम्या से मिलने के लिए उसका बॉयफ्रेंड आलम उसके घर आया था आलम घर आते ही सबसे पहले सौम्या को मिला उसके बाद सुनीता से मिला फिर आकाश से और उसके बाद सुनीता के पति अशोक से भी मिला।
उन सब का दिल आलम ने तो आते ही जीत लिया था।

आलम काफी खुश्दिल मिजाज का लड़का था वह सबसे घुल मिलकर रहता था उसके साथ रहने पर पता ही नहीं चलता था कि कोई और या गैर के साथ रह रहे हो।

आलम को विदेश जाना था और वह यही बात बताने के लिए सौम्या के घर आया था आलम हमेशा के लिए विदेश जा रहा था इसलिए वह चाहता था की आखिरी बार अपने सौम्या और सुनीता से मिलकर जाए।

आलम को दो दिन बाद ही विदेश के लिए निकलना था और वह चाहता था कि यह दो दिन का समय वह सौम्या और सुनीता के साथ बिताये,उनके घर पर।
तो वह भी इनके साथ शादी के कामकाज में लग गया तभी अशोक आए और आते ही आलम को बोले कि बेटा तुम जरा सौम्या की मां के साथ शॉपिंग के लिए चले जाओ उन्हें कुछ शॉपिंग करना है तो उन्हें करवा दो।

आलम तो बस यही चाहता था कि सुनीता के साथ उसे अकेलापन मिले और वह आखरी बार उसके साथ कुछ प्यार कर सके।

फिर सुनीता और आलम दोनों कार में बैठकर चले गए माल के लिए।

सुनीता और आलम के साथ सौम्या भी आना चाहती थी।
सौम्या को उसके पिता ने मना कर दिया यह कह के कि तुम क्या करोगी जाकर तुम्हारी तो वैसे भी सारी शॉपिंग हो चुकी है बस तुम्हारी मम्मी के कुछ कपड़े लेने हैं तो उन्हें ले लेने दो सौम्या भी मान गई?

सुनीता और आलम दोनों माल पहुंचे वहां पर कुछ कपड़े सिलेक्ट किया और फिर उन्होंने चेंजिंग रूम में चले गए।

मॉल लगभग खाली सा था तो आज इतनी भीड़ नहीं थी चेंजिंग रूम के तरफ तो बिल्कुल भी कोई नहीं था तो सुनीता के साथ-साथ आलम भी चेंजिंग रूम में घुस गया और चेंजिंग रूम में घुसते हैं आलम ने सुनीता के कमर को पकड़ा और अपने से चिपका लिया और फिर उसके होठों पर अपने होंठ को रख दिया।

आज कई दिन बाद आलम को सुनीता के साथ मौका मिला था और आलम भी यह मौका नहीं छोड़ना चाहता था सुनीता तो बेचारी चाहती थी आलम से कई बार चुदना और आज मौका मिला था सुनीता उसकी बाहों में अपनी बाहे डालकर उसके होंठ को जोर-जोर से चूसना शुरू कर दी।

दोनों काफी गर्मजोशी में थे दोनों एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे ।

और आलम तो अब सुनीता के गान्ड को दबाता तो कभी उसके स्तन को दबा रहा था और उसके होंठ को धीरे-धीरे कटता अब आलम सुनीता के साड़ी को कमर से निकाल कर अलग कर दिया था।

धीरे से आलम ने सुनीता के पेटीकोट को भी खोला और अब उसके पैंटी को भी नीचे कर दिया फिर उसने नीचे बैठा और सुनीता के पैर को फैला कर उसमें अपना मुंह डाल दिया सुनीता की तो जैसे जान ही निकल गई कई दिनों बाद उसके बुर में आलम का मुंह जा रहा था।

आलम सुनीता के बुर को जोर-जोर से चूस रहा था सुनीता बेचारि आँखे बंद किए मदहोश हो रही थी ।

फिर आलम उठा और सुनीता के स्तन को दबाते हुए उसने होंठ को फिर से सुनीता के होंठ पर लगाए और अपना नीचे से पेन्ट को खोलकर लन्ड को सुनीता के बूर में दे मारा।

सुनीता की तो एक चीख निकल गई और कस के उसे अपने बाहों में पकड़ ली फिर वह नीचे से लगातार तेज धक्को की बरसात करने लगा।
सुनीता बेचारी कामुक गुड़िया बनी हुई खड़ी थी और अपने बाहों में आलम को कस के पड़ी हुई थी और आलम नीचे से लगातार धक्को की बरसात किए हुए था तेज धक्के लगाकर सुनीता की तो एकदम जान ले ली थी उसने।

तेज रफ्तार में चेंजिंग रूम में चुदाई चल रही थी और सुनीता की आवाज भी और काफी कामुक हो रही थी खैर मॉल में कोई नहीं था इसलिए उनकी चुदाई देखने और सुनने वाला वहां पर कोई नहीं था दोनों एक दूसरे में मदहोश अपनी कामुक चुदाई और काम इच्छा की पूर्ति कर रहे थे दोनों कुछ ही देर में झाड़कर एक दूसरे से चिपक गए।

फिर सुनीता ने अपने आप को ठीक किया अपने पेन्टी से अपने बुर को साफ की और आलम के लड को चूस कर साफ कर दी और उसके बाद उन्होंने कपड़े को पहना।

मॉल से कुछ अच्छे कपड़े सिलेक्ट किया और घर की ओर निकल गए।

आज आलम अपनी सुनीता को आखिरी बार पेल रहा था क्योंकि इसके बाद आलम विदेश चला जाता।

आलम का आज सौम्या के घर पर आखिरी दिन था इसके बाद आलम विदेश चला जाने वाला था तो आलम ने अपनी एक दिन अच्छे से सुनीता के साथ आज बीता लिए थे और रात को किसी तरह वह सौम्या के साथ बिताना चाहता था।

शाम को सभी लोग काम से थोड़ा फुर्सत होकर एक दूसरे से बातचीत करने लगे।
अशोक भी आज थोड़ा फुर्सत में लग रहे थे तो वह सुनीता के साथ थोड़ा बात करने लगे।
शीला और समर भी एक दूसरे के साथ दूसरी तरफ लगे पड़े थे।

लेकिन इधर आकाश को चैन नहीं था वह शादी के काम के अलावा खेती को भी देखा था तो वह खेत की ओर निकल गया।

सौम्या छत पर टहल रही थी और आलम उसको ढूंढ रहा था कि वह ढूंढते ढूंढते सौम्या के पास छत पर पहुंच गया।

सौम्या छत पर एक कोने में खड़ी होकर अपने मम्मी पापा की चुदाई के बारे में सोच रही थी। वह सोच रही थी कि किस तरह उसके पापा के लंड उसके मम्मी के बूर में तूफान मचाए हुए था।

उसके बदन में एक सीहरन सी पैदा होने लगी वह जैसे ही अपने पिता के लड के बारे में सोच रही थी उसके बुरे से अब धीरे-धीरे पानी रिसने लगा था।

की तभी आलम ने पीछे से आकर अपने लंड को उसकी गांड में सटाते हुए सौम्या को बाहो मे भर लिया।

सौम्या तो बेचारी डर गई की क्या हुआ तभी उसने पलटी तो आलम ने उसके होंठ पर अपने होंठ रखकर एक जोरदार किस कर दिया।

फिर सौम्या बोली- यार तुमने तो मुझे डरा ही दिया था मुझे लगा कौन है?

फिर आलम बोला कि कौन हो सकता है जान मेरे अलावा यहां तुम्हें इस तरह पकड़ने वाला।

सौम्या बोली -अरे यार तुम इस तरह मुझे ना पकड़ा करो मेरी शादी होने वाली है और अब मैं तुम्हारी सौम्या नहीं रही अब मैं किसी और की होने वाली हूं उसके लिए तो कुछ रहने दो।

तब आलम ने सौम्या के गाल पर किस करते हुए बोला- जान तुम किसी की भी हो जाओ पर रहोगी तो मेरी ही वैसे भी मैं कल यहां से जा रहा हूं तो सोचा कि आज आखिरी बार तुम्हें पूरा प्यार कर लूं।

सौम्या इस बात से थोड़ा भावुक हो गई और आलम को गले लगा कर उसके होंठ पर होंठ रखकर आंखें बंद कर धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दिया दोनों एक दूसरे में मदहोश होने लगे।

दोनों एक दूसरे के होंठ चूसते हुए धीरे-धीरे आंखों को बंद कर मस्त लगे पड़े थे कि तभी सौम्या को ध्यान आया कि वह छत पर खुली आकाश के बीच खड़ी हुई है उसे कोई भी देख सकता है उसने तुरंत आलम के होंठ को छोड़ा और बोली की आलम हमें दूसरी तरफ चलना चाहिए यहां हमें कोई देख सकता है।

फिर से दोनों दूसरे कोने की तरफ चले गए जहां अंधेरा था और वहां किसी का ध्यान जाने का कोई चांस नहीं था।

उस स्थान पर पहुंचते ही आलम के बाहों में जकड़ गई सौम्या और फिर एक दूसरे के होठों को चूसना शुरू किया आलम सौम्या के दोनों गांड को दबा देता तो सौम्या के मुंह से एक हल्की सी आह निकल जाती सौम्या बेचारी आंखें बंद करके आलम के बाहों में पड़ी हुई थी।।

धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अगले अपडेट में।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार अपडेट है
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Update 02

अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह आलम ने सुनीता को मॉल में ले जाकर के चोदा और फिर घर आकर के सौम्या के साथ छत पर शुरू हो गया था उसके बाद।

आलम सौम्या को छत के एक ऐसे कोने में ले गया जहां पर से किसी को कुछ दिखाई नहीं दे सकता था वहां पर ले जाते हि सौम्या को बैठा करके उसके होंठ चूसना शुरू कर दिया और उसके दोनों चुचो को दबाना शुरू कर दिया।

आलम और सौम्या में एक दूसरे के होंठ चुसाई और एक दूसरे को सालाना और दबाना चलता रहा।

छत पर यह दोनों लगे पड़े थे और नीचे सुनीता शाम के खाने की तैयारी कर रही थी।

अब तक शीला और उसके पति घर जा चुके थे और आकाश खेत पर से लौटने ही वाला था सुनीता बिचारी अकेले अपने घर में काम कर रही थी कि अशोक आए और सुनीता को बाहों में पकड़ के उसे किस करना शुरू कर दिए।

सुनीता ने झट से अशोक को दूर किया और बोली -क्या कर रहे हो जी आप आपको शर्म नहीं आती घर में बच्चे हैं अगर आ गए तो क्या सोचेंगे?

तब अशोक बोले कि अरे क्या जाता है उन लोगों का मैं अपनी बीवी के साथ चाहे जो कुछ भी करूं?

तब सुनीता बोली अच्छा जी मैं आपकी बीवी के साथ-साथ उनकी मां भी हूं और आप उनकी मां के साथ यह सब करोगे तो वह देखकर चुप खड़े रहेंगे क्या?

तब अशोक बोले अच्छा तो क्या कर लेंगे वह मैं उनका बाप हूं उनसे 420 ही हूं उनसे पीछे थोड़ी रहने वाला?

और फिर सुनीता और अशोक दोनों खूब हंसने लगे।

तब सुनीता बोली अच्छा ठीक है ठीक है जाइए अभी बाहर जाइए अभी हमको काम करना है काम करने दीजिए।

फिर अशोक बाहर चले गए अपने दोस्तों से मिलने।

सुनीता अपने काम में लग गई।

ऊपर छत पर काफी गर्म माहौल था आलम सौम्या के दोनों उरूजों को दबा रहा था उसके ऊपर के कपड़े उतार चुका था और नीचे के केवल पैंटी ही बची थी वह कभी उसके नाभि को चुसता तो कभी उसके दोनों चूचू को चुसता।

सौम्या अपनी आंखें बंद करके उसके बालों को सहलाती और जोर-जोर से आह भर रही थी।

फिर आलम ने अपने कपड़े उतारे और नंगे जिस्म को अपने सौम्या को सौंप दिया और सौम्या उसके नंगे जिस्म पर चारों ओर हाथ फेरने लगी और उसके कभी पेट तो कभी निपल्स को चूम लेती थी फिर उसके गालों को चूमती और फिर उसके बालों को सहलाते हुए होठों को कस के चूस लेती थी।

आलम वहीं पर नीचे लेट गया और अपने लंड को पूरा खड़ा कर लिया। सौम्या उसके लंड पर अपने बुर को सेट करके बैठ गई। सौम्या जैसे ही आलम के लन्ड पर बैठी आलम के मुंह से एक आह निकाली और लैंड पूरी तरह से सौम्या के बूर में घुस गई सौम्या की भी आंखें बंद हो गई वह भी पूरा अंदर तक सिहर गई थी उसके अंदर पूरा लंड जाते ही सौम्या के शरीर में बिजलियां दौड़ गई थी सौम्या कुछ देर तक वैसे ही रही।

इधर नीचे रूम में सुनीता अकेले खाने की तैयारी कर रही थी अशोक बाहर गए हुए थे कि तभी आकाश खेत से घर वापस आया और जैसे ही सुनीता की नजर आकाश पर पड़ी वह दौड़ी हुई आकाश के पास आई और बोली बेटा कितनी मेहनत करते रहता है तु दिन भर शादी की देख रेख करता है और बाद में खेती भी कितना मेहनत करता है मेरा बेटा ओहो। और फिर सुनीता धीरे से आकाश के गालों को चूम ली।

सुनीता आकाश को देखकर भावुक हो गई थी।
तब आकाश ने कहा मां मैं ठीक हूं और मुझे मेहनत करने में अच्छा लगता है मां मुझे कोई दिक्कत नही है।

अपने बेटे की ऐसी बातें सुनकर सुनीता और खुश हो गई और उसे कस के गले लगा लिया जिससे कि सुनीता की चूचियां आकाश के सीने में दब गई और आकाश का लन्ड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा।

आकाश का लन्ड खड़ा हो रहा था इसका अभास अब सुनीता को होने लगा था सुनीता चाह तो रही थी कि अपने बेटे से अलग हो जाए पर उसका मन नहीं हो रहा था अलग होने को और वह जोर से आकाश से चिपक गई जिससे कि उसकी चूचियाँ और उसके सीने में दब गई और उसका लंड का आभास अब सुनीता के बुर पर पूरी तरह से हो रहा था।

छत पर माहौल पूरी तरह से गर्म था सौम्या आलम के लन्ड पर बैठकर उछल कूद कर रही थी और उसकी दोनों चूचियां आपस में लड़ रहे थे और उछल रहे थे आलम कभी पकड़ के उसे दबाता तो कभी सहलाता है और कस कस के सौम्या उसके लंड पर कूद रही थी जिससे की पूरी तरह से लंड अंदर बाहर अंदर बाहर हो रहा था।

सौम्या और आलम का यह आखिरी मिलन था इसलिए दोनों नहीं चाह रहे थे कि कोई कसर बाकी रहे दोनों खूब मजे से एक दूसरे की चुदाई में लिप्त थे।
दोनों की रफ्तार अब तीव्र हो चुकी थी उछल कूद करने की रफ्तार जो सौम्या की थी वह तेज हो गई थी दोनों चूचियां वह खुद से ही पकड़ कर दबाती हुई उसके लंड पर उछल रही थी और आलम उसके कमर को पकड़े हुए था।

नीचे मां बेटे एक दूसरे में लिपटे हुए थे वह अपने लन्ड का आभास सुनीता के बूर में करा रहा था और सुनीता भी उसके गले लग कर आंखें बंद की हुई उसमें खो गई थी।

सुनीता अपने बेटे से लिपटी हुई अपने हाथ को उसके कमर के चारों ओर लपेटकर उसके पीठ को सहला रही थी तो आकाश भी अपनी मां को बाहों में पड़कर उसके कमर को सहलाता तो कभी हाथ को नीचे ले जाकर उसके गान्ड को सहला देता।
दोनों मां बेटा एक दूसरे में खो गए थे।

थोड़ी देर में सीढ़ियों से किसी के उतरने की आवाज हुई और सुनीता तुरंत चौक्कना हो गई। और अपने बेटे से अलग हुई और उसे बोली कि बेटा हमें अलग होना चाहिए। दोनों एक दूसरे को देखकर शर्मा गए।

सुनीता अपने काम करने किचन में भाग गई और आकाश भी अपना हाथ मुंह धोने के लिए चला गया तभी सीधी से उतरकर आलम और सौम्या नीचे आए।

घर में शादी के माहौल होने से सभी लोग काफी खुश थे।
आलम ने सभी को बता दिया था कि वह कल सुबह ही यहां से निकल जाएगा।

तब सुनीता ने सब को खाना दिया वहां खाने के टेबल पर सब लोग थे आकाश सौम्या अशोक आलम और सुनीता सबको खाना खिला रही थी। सभी को खाना खिलाकर खुद भी सुनीता ने खाया और उसके बाद सभी लोग सोने चले गये।

सुनीता अशोक के साथ अपने रूम में सोई हुई थी सौम्या अकेली सो रही थी और अपने होने वाले पति से बात कर रही थी। आलम आकाश के साथ सोया हुआ था।

आलम की आधी रात में नींद खुली तब उसे किचन से कुछ आवाज आए आलम उठकर किचन की ओर गया तो देखा कि सुनीता किचन में पानी पी रही थी वह धीरे से सुनीता के पास गया और उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया।

सुनीता घबरा गई वह तुरंत उसे बोली कि छोड़ दो मुझे जाना है तब आलम ने बोला कि अरे मैं तो वैसे भी आपको छोड़कर हमेशा के लिए चला जाऊंगा आप बस आज भर तो मेरा साथ दे दो इस बात से सुनीता भावुक हो गई और आलम को बाहों में पकड़ ली।
इस तरह से आलम उसे पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया और आलम किस करते हुए उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उठाकर सौम्या के कमरे में जाने लगा।

सुनीता बोली कि मुझे कहां उठा कर ले जा रहे हो।

तब आलम बोले कि चलिए मैं आपको आज आपकी बेटी के साथ में प्यार करूंगा।

तब सुनीता एकदम से घबरा गयी और बोली कि नहीं नहीं मैं यह नहीं कर सकती यह गलत है तब आलम ने सुनीता के होंठ पर अपने होंठ लगा दिया बोला की बिल्कुल आप शांत रहिए?

आलम सौम्या के रूम के पास गया और उसे खोलकर अंदर जाने लगा अंदर जाते ही गेट को लॉक किया और पलटा तो देखा कि सौम्या जाग चुकी थी और वह अपने मम्मी के साथ अपने बॉयफ्रेंड को देखकर पूरा खुश थी और मुस्कुरा रही थी।

बेचारी सुनीता अपने आप पर एकदम से शर्मिंदगी महसूस कर रही थी और वह तो शर्म से झुकी जा रही थी तभी आलम ने उसे उठाया अपनी बाहों में और बिस्तर पर लाकर किस करना शुरू कर दिया।

आलम बिस्तर पर सुनीता को लेटा कर उसी पर चढ़ गया था और उसको किस करना शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे उसके चूची को भी दबा रहा था सौम्या यह सब देखकर पास बैठ कर और मुस्कुरा रही थी कि तभी आलम ने अपना एक हाथ बढ़ाया और सौम्या के सलवार के ऊपर से ही उसके बुर को मसलना शुरू कर दिया सौम्या भी अब धीरे-धीरे गर्म हो रही थी।

धीरे-धीरे सुनीता के होंठ को चूसते हुए आलम ने अब सुनीता के कपड़े उतारना शुरू कर दिया था सुनीता अब उसके होंठ चुसाई में पूरी तरह से मग्न हो चुकी थी।

सुनीता के धीरे-धीरे सारे कपड़े उतर रहे थे और सुनीता इतनी मदहोश थी कि उसे होश भी ना रहा कि उसके पास में ही उसकी बेटी बैठी हुई है और वह अब बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।

सौम्या अपनी मां को इस तरह से नंगी देखकर एकदम से मदहोश हो गई और धीरे से अपनी मां की चूची को मुंह में ले ली।

सौम्या अपनी मां की चूची को चूस रही थी और सुनीता के हाथ को आलम चूस रहा था।

उधर दोनों बाप बेटे घोड़े बेचकर सो रहे थे और इधर उनके घर की इज्जत को कोई एक अकेला मर्द सवारी कर रहा था।

सौम्या अपनी मां के निपल्स को कभी चूस रही थी तो कभी काट रही थी और एकदम मदहोश हो रही थी और। उसका बॉयफ्रेंड उसकी मां की होंठ को चूस रहा था और काट रहा था सौम्या भी अब अपने कपड़े उतार चुकी थी और वह भी बिल्कुल नंगी होकर अपनी मां की निपल्स को चूस रही थी और अपने निपल्स को खुद दबा रही थी और दूसरे को आलम से दबवा रही थी।

फिर आलम था और सारे कपड़े अपने उतार कर अपने लंड को सुनीता के मुंह में दे दिया सुनीता उसके लंड को बड़े प्यार से आंखें बंद करके चूस रही थी।

सुनीता आलम के लैंड को खूब अच्छे तरीके से चूस रही थी। और आलम अपने लैंड चुसाई से इतनी मदहोश हो चुका था कि वह सौम्या के दोनों निपल्स को कस कस के चूसने लगा था।

सौम्या के निपल्स को इतनी अच्छी तरीके से आलम चूस रहा था कि सौम्या बेचारी मदहोशी में उसे बाहो जकड़ी हुई थी।

फिर आलम ने सुनीता को नीचे लेटा दिया और उसके बुर पर अपने लंड को सेट करके धीरे-धीरे पूरी तरह से उसके गुफा में अंदर तक उतार दिया।

अब धीरे-धीरे आलम सुनीता को चोदना शुरू कर दिया था और सौम्या वहीं पर अपने मम्मी के दोनों निपल्स को बारी-बारी से चूस रही थी।

अपनी बेटी के चुसाई और अपने बेटी के बॉयफ्रेंड की चुदाई से सुनीता बिल्कुल गर्म हो चुकी थी और आहे तेज भरने लगी।

आलम सुनीता के बूर में लंड पेलते हुए खूब अच्छी तरीके से उसकी चुदाई कर रहा था और अपनी उंगली को सौम्या के बूर में बहुत तेजी से अंदर बाहर कर रहा था जिससे कि सौम्या गर्म होकर मदहोशी में अपने मां के निपल्स को काट लेती तब सुनीता के मुंह से एक तेज आह निकल जाती।

थोड़ी देर और सुनीता को इसी तरह पेल ने के बाद आलम अब सौम्या को नीचे लेताया और सौम्या के बूर में लंड डालकर तेजी से पेलने लगा अब सुनीता अपनी बेटी के दोनों चूची को चूस रही थी।

इसी तरह चोदते चोदते सौम्या के बूर में अपने लन्ड के माल को पूरी तरह से खाली कर दिया।

तीनों जन एक दूसरे के बाहों में समाय हुए वहीं पर कुछ देर लेटे रहे।

फिर सुनीता उठी और अपने कपड़े पहने और वहां से निकलकर अशोक के रूप में चली आई और अपने पति के साथ लिपट कर सो गई।

उसके बाद आलम भी आकाश के रूम में आकाश के साथ जाकर सो गया।

जब सुबह हुई तो सभी लोग उठ नाश्ता किया उसके बाद आलम सभी को बाय बोला और वहां से विदेश के लिए रवाना हो गया।

2 दिन बाद ही सौम्या की शादी थी तो सब लोग तुरंत शादी में बिजी हो गए। सौम्या की शादी को एक मैरिज हॉल में फिक्स किया गया था दोनों परिवार मैरिज हॉल में पहुंचने वाले थे।

अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद मिलते हैं अगले अपडेट में।
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Update 03

आज सुबह से ही शादी की तैयारी चल रही थी। सुनीता पूरी तरह से बन ठन कर तैयार थी और अपनी बेटी को भी तैयार कर लिया था क्योंकि आज उसकी बेटी की शादी थी?

सुनीता अपने परिवार के साथ मैरिज हॉल पहुंच गयी।

मैरिज हॉल उधर के परिवार वाले भी आ चुके थे।

परिचय।
सौम्या का होने वाला पति- विजय(28)।
विजय के बड़े भाई -विक्रम(30)।
विजय की भाभी- सोनिया(27)।
सोनिया के बच्चे-आयान(8) , अंजलि(6) , अंशु(5)।
विजय का बाप- रामाधार(65)
विजय की माँ नहीं है।


शादी विवाह की सारी रस में शुरू हो चुकी थी सभी लोग बिजी हो चुके थे।

सुनीता अपनी बेटी की शादी में पूरी तरह से मग्न हो चुकी थी लेकिन उसको देखने वाले नजरे कई ओर से उसे ताड़ रही थी।

विक्रम के तो नजर सुनीता से हट ही नहीं रही थी तो वहीं विजय के दोस्त लोग भी सुनीता को ही ताड़ रहे थे।

उसी में से एक दोस्त ने सुनीता के पास जाकर उसे सुनते हुए विजय से बोल यार तुम्हारी तो कोई सालिया ही नहीं है हम लोग मजाक किससे करेंगे।

तब विजय अपनी सास सुनीता को देखते हुए बोलता है यार जिसकी सासु माँ इतनी सुंदर हो उसे सालिया की क्या जरूरत है?

सुनीता यह सुनकर शर्मा जाती है और मुस्कुराने लगती है।

सुनीता को मुस्कुराता देख विजय के दोस्त बोलते हैं यार यह तो लगता है कि सेट हो जाएगी चलो सालिया ना सही आज हम तुम्हारी सास को ही पटा लेते हैं।

उनकी बातें सुनकर सुनीता की आंखे फटी की फटी ही रह गई।

की तभी वहां आकाश आ गया और विजय के दोस्त साइड हो गए सुनीता से उसको कुछ काम था तो सुनीता के अपने साथ लेकर चला गया।

इसी तरह से चल रहा था और शादियां हो गई और विदाई का वक्त हो चुका था।

विदाई करते वक्त सुनीता की आंखें बिल्कुल नम हो चुकी थी वही सौम्या भी पूरी तरह से भावुक हो चुकी थी आकाश भी भावुक था और अशोक भी अपने कलेजे को संभाल कर रखे हुए थे।

विदाई कर दिया गया विदाई के साथ ही आकाश को भी अपनी बहन का ध्यान रखने के लिए कुछ दिन के लिए उसके साथ उसके ससुराल में भेज दिया गया अब घर पर सिर्फ सुनीता और उसके पति अशोक ही बचे हुए थे?

इधर सौम्या के ससुराल में सौम्या जैसे ही पहुंची विजय की भाभी ने उसकी आरती उतारी और उसे घर में बुला ली।

सारे रसमौरी बज हुआ और सौम्या को उसके हनीमून वाले रूम में ले जाकर बैठा दिया गया।

आकाश अपने दीदी के साथ ही था तब उसे रोकते हुए भाभी बोली- क्यों आकाश जी आप भी अपने दीदी के साथ हनीमून वाले रूम में जाओगे क्या और सब हंसने लगी?

आकाश बेचारा शर्मा गया और वहां से जाने लगा तब विक्रम बोले- अरे क्यों हमारे साले साहब को इतना परेशान कर रही हो लिए साले साहब चलिए मैं आपके गांव घुमा लाता हूं?

रात का समय हो चुका था विक्रम और आकाश गांव घूमने के लिए निकल गए और विजय का आज तो सुहागरात था तो वह अपने सुहागरात की तैयारी में लगा हुआ था कि उधर इसके दोस्त विजय से बात कर रहे थे कि यार आज तो तुझे मैदान-ए-जंग में जाना है आज पूरा झंडा घर के आना।

विजय बोलता है कि हां हां एकदम झंडा गढ़ के आऊंगा और इसका सबूत तो 9 महीने बाद ही दिखेगा एकदम फसल लहर जाएगा।

और सब खूब जोर से हंसने लगे तभी दूसरा दोस्त बोला अरे सारी बातें यही कर लेगा या जाकर कुछ वहां भी करेगा। और नहीं तो बोल भाभी जी का उद्घाटन हम ही कर देंगे और खूब हंसने लगे तभी विजय गुस्सा हो गया।

खबरदार अगर मेरी बीवी के बारे में कुछ भी बोला तो।

तब विजय के दोस्त बोलते हैं अरे यार हम लोग तो मजाक कर रहे थे तू तो बुरा मान गया चला जा अब जाकर अपनी बीवी के साथ सुहागरात मना और खूब हंसने लगे।

विजय अपने बीवी के रूम में चला जाता है देखता है कि सौम्या घूंघट ओढ़े बिस्तर पर बैठी हुई थी।

विजय एक गुलाब का फूल लेकर सौम्या के पास जाता है और उसके घूंघट को प्यार से उठाकर उसके उसके चेहरे को ऊपर करके उसे गुलाब का फूल दे देता है।

सौम्या मुस्कुरा कर गुलाब का फूल ले लेती है।

सौम्या को गुलाब का फूल देते हुए विजय ने उसके हाथ को पकड़ने की कोशिश की परंतु सौम्या ने बड़ी चालाकी से अपनी हाथ को पीछे खींच ली थी।

इस पर विजय भी हार न माना और वह सौम्या को मुंडी को ऊपर किया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख किस कर दिया।

सौम्या पूरी तरह से शर्मा गई फिर विजय यहां तक नहीं रुक वह उसके होंठ पर फिर से किस किया और फिर से किस करते हुए उसे बिस्तर पर लेटा दिया सौम्या भी अब अपने आप को उसके हवाले कर चुकी थी।

सौम्या और पूरी तरह से विजय के बाहों में जकड़ी हुई थी और विजय उसे पर अपने चुंबन की बरसात कर रहा था।

धीरे-धीरे दोनों मदहोश होने लगे और मदहोशी में एक दूसरे के कपड़े निकालना शुरू कर दिए।
ज्यादा देर नहीं लगी दोनों कुछ ही देर में एक दूसरे के बाहों में नंगे लेटे हुए थे।

विजय बोल यार तुम्हारी तो खूबसूरती देखकर मेरा तो है पूरी तरह से टाइट खड़ा है इसे अंदर ले लो जल्दी से वरना यही फट जाएगा।
विजय की बात सुनकर सौम्या मुस्कुराने लगी और विजय रुका नहीं उसने सौम्या के मुस्कुराता चेहरा को अपने होठों से होंठ मिलकर किस करना शुरू किया और फिर उसके दोनों स्तन को दबाने लगा।

स्तन जैसे ही विजय की मुट्ठी में आई विजय सिहर उठा उसे लगा जैसे स्वर्ग उसके हाथ में स्वर्ग लग गई हो वह उसे बड़े प्यार से सलाहकार दबा रहा था और सौम्य बेचारि आँखे बंद करके मदहोशी में विजय के बाहों में खो गयी थी।

सो मैं अपने बॉयफ्रेंड से तो कई बार छोड़ चुकी थी पर अपने पति के सामने वह बिल्कुल भी अनजान लग रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसका सही में आज पहली रात हो और वह पहली बार चुद रही हो।

विजय से अब रुक ना गया वह सौम्या के दोनों पैर को फैलाया और अपने लंड को ठीक उसके बुरे पर सेट किया और धीरे-धीरे नीचे उतरना शुरू किया।

जैसे-जैसे लन्ड सौम्या के बुर के अंदर जाता है वैसे-वैसे सौम्या की आवाज़ तेज हो रही थी।

बाहर का माहौल एकदम शांत पड़ा हुआ था तो सौम्या की आवाज बाहर भी थोड़ी बहुत आ रही थी जिसे विक्रम आते ही सुन लिया और आकाश भी विक्रम के साथ ही था उसने भी आवाज को सुना।

विक्रम ने आकाश से कहा देख रहे हो साले साहब तुम्हारी दीदी कितनी मधुर आवाज में गा रही है।

आकाश इस बात को समझ जाता है और वह शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगता है कि तभी एक और मादक आवाज आती है।

आह मारर गयी।
विजय सौम्या के बूर में अपना लंड को उतर चुका था सौम्या भी ऐसी एहसास पहली बार पा रही थी वह अपने पति के बाहों में खो गई थी उसके लंड को अंदर लेकर पूरी तरह से जैसे स्वर्ग में उतर आई हो।

सौम्या मदहोशी में काफी मादा का आवाज निकल रही थी जो बाहर आकाश और विक्रम के कानों में पड़ रही थी। आकाश वहां से जाना चाहता था पर विक्रम उसे नहीं जाने दे रहे थे बोल रहे थे थोड़ा देर और यह सुरीली गानों को सुनते हैं ना रुको ना साले साहब।

की तभी अंदर से विक्रम की बीवी सानिया निकाल कर आती है और बोलती है आप लोग वहां क्या कर रहे हैं अभी तक खाना भी नहीं खाया है चलिए छत पर मैं खाना लेकर आता हूं आप लोगों के लिए? और इधर-उधर का माहौल इतना गम था कि बाहर की आवाज सुनकर बेचारी विजय की भाभी भी एकदम कामुक होने लगी थी वह खाना तो निकाल रही थी पर वह भी मदहोशी हो चुकी थी।

सानिया अपने पति और आकाश को खाना खिलाई और सोने को बोल दिया आकाश का बिस्तर छत पर ही लगा था जबकि सानिया अपने पति को बोली कि आप आ जाएगा जल्दी से।

जैसे ही सानिया रूम में पहुंची थोड़े ही देर में आकाश को वहां सोनी को बोलकर विक्रम नीचे आया और सानिया को बाहों में पकड़ कर उसे चूमना शुरू कर दिया।

इधर अभी चुदाई थमी नहीं थी अभी धक्को की बरसात शुरू हुई हुई थी बेचारा विजय जोर-जोर से सौम्या को चोद रहा था सौम्या बेचारि आँखे बंद करके विजय के गालो को चूमती तो कभी बालों को सहलाती तो कभी उसके होठों को चुम्मा लेती।

और इधर दूसरे रूम में विक्रम भी अपने बीवी के सारे कपड़े उतार कर उसके होठों को चूमते हुए उसके बुरे तक पहुंच गया और टांगों को फैला कर बूर में मुंह लगाकर चूसना शुरू कर दिया सानिया बेचारी इस चुसाई से पागल हो रही थी।

इन लोगों की ऐसे ही रात भर चुदाई चलती रही और बेचारा आकाश छत पर तड़पता हुआ सोता रहा।

सुबह हुई तब विक्रम आए और आकाश का हाल-चाल पूछने लगे- और साले साहब रात कैसी कटी।
तब आकाश बोल- अब आप जैसा मौज थोड़ी है बड़े जीजा जी।

तब विक्रम हंसते हुए बोले- तब आप अपनी दीदी के साथ क्यों नहीं सो गए थे मजा आ जाता आपको भी?

बेचारा आकाश यहां पर झेप गया और शांत बैठा रहा।

तभी विजय आया और बोला अरे साले साहब आप चलिए मेरे साथ थोड़ा बाजार आपको घुमा लाता हूं और आकाश विजय के साथ बाजार चला गया।

तब किचन से चाय लेकर सौम्या बाहर आती है और विक्रम को देती है।

तभी विक्रम की बीवी सानिया सौम्या को बोलती है- थोड़ा ध्यान से देवरानी जी आपके जेठ बड़े वो हैं देखना कुछ कर न दे और हंसने लगती है सौम्या भी बेचारी मुस्कुराने लगती है और विक्रम तो जैसे सौम्या से उनकी नज़रें ही नहीं हट रही थी।

तभी घर में राम आधार की एंट्री होती है और सभी लोग शांत हो जाते हैं विक्रम अपने काम से निकल जाते हैं बाहर और सौम्या किचन में भाग जाती है ।

तब सानिया भी किचन में जाकर बोलती है अरे देवरानी जी बाबूजी से क्यों शर्माना।
उन्हें भी आप चाय दे कर आइये।
तब सौम्या बड़ी हिचकती हुई चाय देने चली जाती है?

सौम्या जैसे ही चाय देने के लिए झुकती है रामाधार की नजर सौम्या पर पड़ती है रामाधार की तो जैसे सांस ही रुक जाती है कई साल से बेचारे मन महसूस कर अकेले सोया करते थे आज पहली बार किसी को देखकर उनके मन में फिर से वासना उठ चुकी थी ।

सौम्या की ऊपर की दूध हल्की-हल्की दिखाई दे रही थी जिसे देखकर रामआधार की आंखों में चमक आ चुकी थी।

रामआधार अपने बहू को इस तरह देखकर थोड़ा सा खींझ गये और उन्होंने अपनी नज़रें झुकी और चाय को उठाकर चुपचाप पीने लगे।
सौम्या भी अपनी गान्ड मटकाती हुई किचन मे चाली आई।

धन्यवाद आंत तक बने रहने के लिए।मिलते है अगले भाग मे।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
 
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