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Adultery मेरा प्यारा परिवार - एक कहानी

Lord Mutthal

Lac puer
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66
28
Sincerely I like your story. And I really appreciate your concept of breastfeeding to any age person to make them better. I don't know why it is called as taboo. I'm also a mother. Now my children are 6 & 4 years old. I'm continuing my breastfeeding my children.
I am sincerely n happily congratulating u sreemati Ruhani mishraji for thy valuable n lovable breastfeeding thy lovely children,I want to chat with u,pl allow me n give me this golden opportunity,ok.om
 

Lord Mutthal

Lac puer
325
66
28
Sincerely I like your story. And I really appreciate your concept of breastfeeding to any age person to make them better. I don't know why it is called as taboo. I'm also a mother. Now my children are 6 & 4 years old. I'm continuing my breastfeeding my children.
Many thanks to you Ruhani matajifor thy unbiased maternal n selfless mother's love n service,pl try to write thy breastfeeding experience of yourself with thy children n husband too,in fact I like to chat with thy good self for I am a selfless n loving Saint,u know,thanks n good wishes to u for ever for thy wide way of seeing things n circumstances.om
 

Jassybabra

Well-Known Member
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Waiting
 

seemachachi

Aunty boob lover
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Update 6

शाम को हम सब हॉल में टीवी देख रहे थे। संजय चाचा भी काम से वापस आ गए थे। चाचा और दादाजी सोफे पर बैठे थे। संजना चाची जमीन पर बैठी थी और उसने मेरे पिताजी को अपनी गोद मे लिटा दिया था। मेरे पिताजी का सर अब संजना चाची के मुम्मो के काफी करीब था। संजना चाची का पल्लू उसके एक मुम्मे से थोड़ा हट गया था। अब ये चाची ने जानबूझकर किया था या फिर उसकी ये हर दिन की आदत थी ये मुझे पता नही। पर उसका वो भरा हुआ मुम्मा देखकर किसी के भी मुह से पानी आना शुरू होता। मेरे तो आ रहा था। मेरे पिताजी के तो पूरे चेहरे से पसीना छूट रहा था। चाची ने वो अपने पल्लू से पोछ दिया। थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी ने संजना चाची को हलकी आवाज में पूछा,
"मुझे दूध पिलाओ ना।"
यह सुनकर संजना चाची हँस पड़ी,
"इतनी ही बात है ना जेठ जी। तो इसमें शरमाने की क्या बात? मैं आपको मना थोड़ी ही करने वाली हूँ।"
मेरे पिताजी खुश हो गए। संजना चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर वो हमारे सब के ही सामने मेरे पिताजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। मेरे पिताजी को ऐसे दूध पीते देख मुझे बहुत जलन हो रही थी। मैं उनको ऐसे ही देख रहा था। चाची ने मुझे देखा और वो मुझे बोली,
"माफ करना राजू। तेरे पिताजी बीमार रहेंगे तब तक तो मुझे सिर्फ उनको ही दूध पिलाना पड़ेगा। मैंने उसे कहा,
"कोई बात नही चाची। कुछ ही दिन में वो ठीक हो जाएंगे।"
पर दादाजी ने ऐसेही ताना मारा,
"हा । इसकी क्या ग्यारंटी है कि वो ठीक होने के बाद भी तुजसे दूध पिलाने की जिद नही करेगा?"
संजना चाची ने उनको बोला,
"अब वो ठीक होने के बाद ही देखना पड़ेगा ससुरजी।"
चाची मेरे पिताजी को करीब करीब आधे घंटे तक पीला रही थी।
रात को खाना खाने के बाद चाचा ने सबको बिस्तर फेर दिया। वो तो अब ऊपर खटाई पर ही सोता है। दादाजी बिस्तर पर एक कोने में सोते है। फिर उनके बाजू में मैं सोता हूँ। फिर चाची और मेरे पिताजी। संजय चाचा ने लाइट बंद कर दी और सब सोने लगे। मैं चाची के बगल में ही था। पर लाइट बंद होते ही वो मेरे पिताजी की तरफ पलट गई और उनको सुलाने लगी। उसने मेरे पिताजी को अपने करीब लिया था और उनके पीठ पर हाथ फिरा कर उनको वो सुलाने की कोशिश कर रही थी। मुझे पिताजी का सर नही दिख रहा था। इसलिए मैं सिर्फ अंदाजा ही कर सकता था कि वो क्या कर रहे है। उनके कंधे की हलचल से लग रहा था कि उन्हें ठीक से नींद नही आ रही थी। थोड़ी देर बाद चाची उनको बोली,
"आप को भी न जेठ जी जल्दी नींद ही आती नही है।"
चाची में उसके एक हाथ से कुछ किया । मुझे लगा कि उसने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिए होंगे। फिर उसने मेरे पिताजी को अपना दूध पिलाना शुरू किया होगा। कियूंकि थोड़ी ही देर बाद उनकी हलचल कम हो गई। मैं तो सिर्फ कल्पना ही कर सकता था कि क्या हो रहा है। मुझे उस वक्त लगा की कब मेरे पिताजी ठीक हो जाएंगे और मुझे भी ऐसे दूध पीने मिलेगा। अफसोस तब तक तो सिर्फ दिन में सपने ही देखने पड़ेंगे। मुझे नींद आ रही थी इसलिए मैंने आँखे बंद कर ली।

सुबह सब नाश्ता कर रहे थे। मेरे पिताजी ने बहुत आज थोड़ा ज्यादा खाना खाया। लगता है संजना चाची के दूध से वो ठीक हो रहे है। चाची में आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाउज पहना था। संजय चाचा जल्दी नाश्ता खतम करके काम पर चला गया। दादाजी नाश्ता करके हॉल में टीवी देखने चले गए। मेरा और पिताजी का भी खा कर हो गया था। चाची ने अपनी प्लेट बाजू में रख दी और मेरे पिताजी को अपने पास बुलाया। मेरे पिताजी उसकी गोद मे सर रखकर लेट गए अजर बोले,
"जल्दी पिलाओ ना। बहुत प्यास लगी है।"
संजना चाची हँस के बोली,
"क्यू जेठ जी। अब मेरा दूध अच्छा लगने लगा आपको?"
मेरे पिताजी बोले ,
"हा तो। तुम्हारा दूध तो अमृत जैसा ही है।"
"बस बस जेठ जी। नादान मत बनो अब। पिला रही हूँ।"
चाची ने अपने ब्लाउज के निचले बटन खोल दिये। फिर वो मेरे पिताजी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे जैसा दूध पिलाने लगी।
"अच्छा है कि मैंने आज ढीला ब्लाउज पहना है। कल का तो बहुत टाइट था। तुम्हारे पिताजी को पिलाने में दिक्कत आ रही थी।"
फिर चाची ने अपना पूरा ध्यान अपने जेठ जी को स्तनपान करने में लगा दिया। लगभग वो उनको 30 मिनिट तक पिला रही थी।

दोपहर को हम सब आराम करने के लिए हॉल में सो जाते है। दादाजी और चाची के बीच मे मेरे पिताजी सो रहे थे। मैं सोफे पर लेट गया था। दादाजी को दोपहर को नींद नही आती थी। संजना चाची मेरे पिताजी को अपने करीब लेकर उनको सुला रही थी। मेरे पिताजी को भी नींद नही आ रही थी। फिर संजना चाची ने उनका सर ढक दिया और उनको दादाजी के सामने ही अपना दूध पिलाने लगी।
दादाजी बोले,
"शरम भी नही आती इस उमर में स्तनपान कर रहा है।"
संजना चाची ने कहा,
"क्या ससुरजी। बचपन मे तो सब दूध पीते थे। तो अब पीने में क्या दिक्कत है? दूध तो दूध होता है।"
"ठीक है बहु। मैं हार गया।"
यह कह कर वो आँखे बंद कर के सो गए।
संजना चाची मुस्कुरा गयी और मेरे पिताजी को दूध पिलाती रही।
 
Last edited:

Vivekdaware

Madhuri Aunty
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28
Update 6

शाम को हम सब हॉल में टीवी देख रहे थे। संजय चाचा भी काम से वापस आ गए थे। चाचा और दादाजी सोफे पर बैठे थे। संजना चाची जमीन पर बैठी थी और उसने मेरे पिताजी को अपनी गोद मे लिटा दिया था। मेरे पिताजी का सर अब संजना चाची के मुम्मो के काफी करीब था। संजना चाची का पल्लू उसके एक मुम्मे से थोड़ा हट गया था। अब ये चाची ने जानबूझकर किया था या फिर उसकी ये हर दिन की आदत थी ये मुझे पता नही। पर उसका वो भरा हुआ मुम्मा देखकर किसी के भी मुह से पानी आना शुरू होता। मेरे तो आ रहा था। मेरे पिताजी के तो पूरे चेहरे से पसीना छूट रहा था। चाची ने वो अपने पल्लू से पोछ दिया। थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी ने संजना चाची को हलकी आवाज में पूछा,
"मुझे दूध पिलाओ ना।"
यह सुनकर संजना चाची हँस पड़ी,
"इतनी ही बात है ना जेठ जी। तो इसमें शरमाने की क्या बात? मैं आपको मना थोड़ी ही करने वाली हूँ।"
मेरे पिताजी खुश हो गए। संजना चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर वो हमारे सब के ही सामने मेरे पिताजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। मेरे पिताजी को ऐसे दूध पीते देख मुझे बहुत जलन हो रही थी। मैं उनको ऐसे ही देख रहा था। चाची ने मुझे देखा और वो मुझे बोली,
"माफ करना राजू। तेरे पिताजी बीमार रहेंगे तब तक तो मुझे सिर्फ उनको ही दूध पिलाना पड़ेगा। मैंने उसे कहा,
"कोई बात नही चाची। कुछ ही दिन में वो ठीक हो जाएंगे।"
पर दादाजी ने ऐसेही ताना मारा,
"हा । इसकी क्या ग्यारंटी है कि वो ठीक होने के बाद भी तुजसे दूध पिलाने की जिद नही करेगा?"
संजना चाची ने उनको बोला,
"अब वो ठीक होने के बाद ही देखना पड़ेगा ससुरजी।"
चाची मेरे पिताजी को करीब करीब आधे घंटे तक पीला रही थी।
रात को खाना खाने के बाद चाचा ने सबको बिस्तर फेर दिया। वो तो अब ऊपर खटाई पर ही सोता है। दादाजी बिस्तर पर एक कोने में सोते है। फिर उनके बाजू में मैं सोता हूँ। फिर चाची और मेरे पिताजी। संजय चाचा ने लाइट बंद कर दी और सब सोने लगे। मैं चाची के बगल में ही था। पर लाइट बंद होते ही वो मेरे पिताजी की तरफ पलट गई और उनको सुलाने लगी। उसने मेरे पिताजी को अपने करीब लिया था और उनके पीठ पर हाथ फिरा कर उनको वो सुलाने की कोशिश कर रही थी। मुझे पिताजी का सर नही दिख रहा था। इसलिए मैं सिर्फ अंदाजा ही कर सकता था कि वो क्या कर रहे है। उनके कंधे की हलचल से लग रहा था कि उन्हें ठीक से नींद नही आ रही थी। थोड़ी देर बाद चाची उनको बोली,
"आप को भी न जेठ जी जल्दी नींद ही आती नही है।"
चाची में उसके एक हाथ से कुछ किया । मुझे लगा कि उसने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिए होंगे। फिर उसने मेरे पिताजी को अपना दूध पिलाना शुरू किया होगा। कियूंकि थोड़ी ही देर बाद उनकी हलचल कम हो गई। मैं तो सिर्फ कल्पना ही कर सकता था कि क्या हो रहा है। मुझे उस वक्त लगा की कब मेरे पिताजी ठीक हो जाएंगे और मुझे भी ऐसे दूध पीने मिलेगा। अफसोस तब तक तो सिर्फ दिन में सपने ही देखने पड़ेंगे। मुझे नींद आ रही थी इसलिए मैंने आँखे बंद कर ली।

सुबह सब नाश्ता कर रहे थे। मेरे पिताजी ने बहुत आज थोड़ा ज्यादा खाना खाया। लगता है संजना चाची के दूध से वो ठीक हो रहे है। चाची में आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाउज पहना था। संजय चाचा जल्दी नाश्ता खतम करके काम पर चला गया। दादाजी नाश्ता करके हॉल में टीवी देखने चले गए। मेरा और पिताजी का भी खा कर हो गया था। चाची ने अपनी प्लेट बाजू में रख दी और मेरे पिताजी को अपने पास बुलाया। मेरे पिताजी उसकी गोद मे सर रखकर लेट गए अजर बोले,
"जल्दी पिलाओ ना। बहुत प्यास लगी है।"
संजना चाची हँस के बोली,
"क्यू जेठ जी। अब मेरा दूध अच्छा लगने लगा आपको?"
मेरे पिताजी बोले ,
"हा तो। तुम्हारा दूध तो अमृत जैसा ही है।"
"बस बस जेठ जी। नादान मत बनो अब। पिला रही हूँ।"
चाची ने अपने ब्लाउज के निचले बटन खोल दिये। फिर वो मेरे पिताजी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे जैसा दूध पिलाने लगी।
"अच्छा है कि मैंने आज ढीला ब्लाउज पहना है। कल का तो बहुत टाइट था। तुम्हारे पिताजी को पिलाने में दिक्कत आ रही थी।"
फिर चाची ने अपना पूरा ध्यान अपने जेठ जी को स्तनपान करने में लगा दिया। लगभग वो उनको 30 मिनिट तक पिला रही थी।

दोपहर को हम सब आराम करने के लिए हॉल में सो जाते है। दादाजी और चाची के बीच मे मेरे पिताजी सो रहे थे। मैं सोफे पर लेट गया था। दादाजी को दोपहर को नींद नही आती थी। संजना चाची मेरे पिताजी को अपने करीब लेकर उनको सुला रही थी। मेरे पिताजी को भी नींद नही आ रही थी। फिर संजना चाची ने उनका सर ढक दिया और उनको दादाजी के सामने ही अपना दूध पिलाने लगी।
दादाजी बोले,
"शरम भी नही आती इस उमर में स्तनपान कर रहा है।"
संजना चाची ने कहा,
"क्या ससुरजी। बचपन मे तो सब दूध पीते थे। तो अब पीने में क्या दिक्कत है? दूध तो दूध होता है।"
"ठीक है बहु। मैं हार गया।"
यह कह कर वो आँखे बंद कर के सो गए।
संजना चाची मुस्कुरा गयी और मेरे पिताजी को दूध पिलाती रही।
बहुत बढिया update है
 

Vivekdaware

Madhuri Aunty
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Update 6

शाम को हम सब हॉल में टीवी देख रहे थे। संजय चाचा भी काम से वापस आ गए थे। चाचा और दादाजी सोफे पर बैठे थे। संजना चाची जमीन पर बैठी थी और उसने मेरे पिताजी को अपनी गोद मे लिटा दिया था। मेरे पिताजी का सर अब संजना चाची के मुम्मो के काफी करीब था। संजना चाची का पल्लू उसके एक मुम्मे से थोड़ा हट गया था। अब ये चाची ने जानबूझकर किया था या फिर उसकी ये हर दिन की आदत थी ये मुझे पता नही। पर उसका वो भरा हुआ मुम्मा देखकर किसी के भी मुह से पानी आना शुरू होता। मेरे तो आ रहा था। मेरे पिताजी के तो पूरे चेहरे से पसीना छूट रहा था। चाची ने वो अपने पल्लू से पोछ दिया। थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी ने संजना चाची को हलकी आवाज में पूछा,
"मुझे दूध पिलाओ ना।"
यह सुनकर संजना चाची हँस पड़ी,
"इतनी ही बात है ना जेठ जी। तो इसमें शरमाने की क्या बात? मैं आपको मना थोड़ी ही करने वाली हूँ।"
मेरे पिताजी खुश हो गए। संजना चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर वो हमारे सब के ही सामने मेरे पिताजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। मेरे पिताजी को ऐसे दूध पीते देख मुझे बहुत जलन हो रही थी। मैं उनको ऐसे ही देख रहा था। चाची ने मुझे देखा और वो मुझे बोली,
"माफ करना राजू। तेरे पिताजी बीमार रहेंगे तब तक तो मुझे सिर्फ उनको ही दूध पिलाना पड़ेगा। मैंने उसे कहा,
"कोई बात नही चाची। कुछ ही दिन में वो ठीक हो जाएंगे।"
पर दादाजी ने ऐसेही ताना मारा,
"हा । इसकी क्या ग्यारंटी है कि वो ठीक होने के बाद भी तुजसे दूध पिलाने की जिद नही करेगा?"
संजना चाची ने उनको बोला,
"अब वो ठीक होने के बाद ही देखना पड़ेगा ससुरजी।"
चाची मेरे पिताजी को करीब करीब आधे घंटे तक पीला रही थी।
रात को खाना खाने के बाद चाचा ने सबको बिस्तर फेर दिया। वो तो अब ऊपर खटाई पर ही सोता है। दादाजी बिस्तर पर एक कोने में सोते है। फिर उनके बाजू में मैं सोता हूँ। फिर चाची और मेरे पिताजी। संजय चाचा ने लाइट बंद कर दी और सब सोने लगे। मैं चाची के बगल में ही था। पर लाइट बंद होते ही वो मेरे पिताजी की तरफ पलट गई और उनको सुलाने लगी। उसने मेरे पिताजी को अपने करीब लिया था और उनके पीठ पर हाथ फिरा कर उनको वो सुलाने की कोशिश कर रही थी। मुझे पिताजी का सर नही दिख रहा था। इसलिए मैं सिर्फ अंदाजा ही कर सकता था कि वो क्या कर रहे है। उनके कंधे की हलचल से लग रहा था कि उन्हें ठीक से नींद नही आ रही थी। थोड़ी देर बाद चाची उनको बोली,
"आप को भी न जेठ जी जल्दी नींद ही आती नही है।"
चाची में उसके एक हाथ से कुछ किया । मुझे लगा कि उसने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिए होंगे। फिर उसने मेरे पिताजी को अपना दूध पिलाना शुरू किया होगा। कियूंकि थोड़ी ही देर बाद उनकी हलचल कम हो गई। मैं तो सिर्फ कल्पना ही कर सकता था कि क्या हो रहा है। मुझे उस वक्त लगा की कब मेरे पिताजी ठीक हो जाएंगे और मुझे भी ऐसे दूध पीने मिलेगा। अफसोस तब तक तो सिर्फ दिन में सपने ही देखने पड़ेंगे। मुझे नींद आ रही थी इसलिए मैंने आँखे बंद कर ली।

सुबह सब नाश्ता कर रहे थे। मेरे पिताजी ने बहुत आज थोड़ा ज्यादा खाना खाया। लगता है संजना चाची के दूध से वो ठीक हो रहे है। चाची में आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाउज पहना था। संजय चाचा जल्दी नाश्ता खतम करके काम पर चला गया। दादाजी नाश्ता करके हॉल में टीवी देखने चले गए। मेरा और पिताजी का भी खा कर हो गया था। चाची ने अपनी प्लेट बाजू में रख दी और मेरे पिताजी को अपने पास बुलाया। मेरे पिताजी उसकी गोद मे सर रखकर लेट गए अजर बोले,
"जल्दी पिलाओ ना। बहुत प्यास लगी है।"
संजना चाची हँस के बोली,
"क्यू जेठ जी। अब मेरा दूध अच्छा लगने लगा आपको?"
मेरे पिताजी बोले ,
"हा तो। तुम्हारा दूध तो अमृत जैसा ही है।"
"बस बस जेठ जी। नादान मत बनो अब। पिला रही हूँ।"
चाची ने अपने ब्लाउज के निचले बटन खोल दिये। फिर वो मेरे पिताजी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे जैसा दूध पिलाने लगी।
"अच्छा है कि मैंने आज ढीला ब्लाउज पहना है। कल का तो बहुत टाइट था। तुम्हारे पिताजी को पिलाने में दिक्कत आ रही थी।"
फिर चाची ने अपना पूरा ध्यान अपने जेठ जी को स्तनपान करने में लगा दिया। लगभग वो उनको 30 मिनिट तक पिला रही थी।

दोपहर को हम सब आराम करने के लिए हॉल में सो जाते है। दादाजी और चाची के बीच मे मेरे पिताजी सो रहे थे। मैं सोफे पर लेट गया था। दादाजी को दोपहर को नींद नही आती थी। संजना चाची मेरे पिताजी को अपने करीब लेकर उनको सुला रही थी। मेरे पिताजी को भी नींद नही आ रही थी। फिर संजना चाची ने उनका सर ढक दिया और उनको दादाजी के सामने ही अपना दूध पिलाने लगी।
दादाजी बोले,
"शरम भी नही आती इस उमर में स्तनपान कर रहा है।"
संजना चाची ने कहा,
"क्या ससुरजी। बचपन मे तो सब दूध पीते थे। तो अब पीने में क्या दिक्कत है? दूध तो दूध होता है।"
"ठीक है बहु। मैं हार गया।"
यह कह कर वो आँखे बंद कर के सो गए।
संजना चाची मुस्कुरा गयी और मेरे पिताजी को दूध पिलाती रही।
ससुर्जी के सेहत का खयाल रखो....
बढती उमर के हिसाब से उनका ज्यादा से ज्यादा खयाल रखो
 
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Vivekdaware

Madhuri Aunty
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शाम को हम सब हॉल में टीवी देख रहे थे। संजय चाचा भी काम से वापस आ गए थे। चाचा और दादाजी सोफे पर बैठे थे। संजना चाची जमीन पर बैठी थी और उसने मेरे पिताजी को अपनी गोद मे लिटा दिया था। मेरे पिताजी का सर अब संजना चाची के मुम्मो के काफी करीब था। संजना चाची का पल्लू उसके एक मुम्मे से थोड़ा हट गया था। अब ये चाची ने जानबूझकर किया था या फिर उसकी ये हर दिन की आदत थी ये मुझे पता नही। पर उसका वो भरा हुआ मुम्मा देखकर किसी के भी मुह से पानी आना शुरू होता। मेरे तो आ रहा था। मेरे पिताजी के तो पूरे चेहरे से पसीना छूट रहा था। चाची ने वो अपने पल्लू से पोछ दिया। थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी ने संजना चाची को हलकी आवाज में पूछा,
"मुझे दूध पिलाओ ना।"
यह सुनकर संजना चाची हँस पड़ी,
"इतनी ही बात है ना जेठ जी। तो इसमें शरमाने की क्या बात? मैं आपको मना थोड़ी ही करने वाली हूँ।"
मेरे पिताजी खुश हो गए। संजना चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर वो हमारे सब के ही सामने मेरे पिताजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। मेरे पिताजी को ऐसे दूध पीते देख मुझे बहुत जलन हो रही थी। मैं उनको ऐसे ही देख रहा था। चाची ने मुझे देखा और वो मुझे बोली,
"माफ करना राजू। तेरे पिताजी बीमार रहेंगे तब तक तो मुझे सिर्फ उनको ही दूध पिलाना पड़ेगा। मैंने उसे कहा,
"कोई बात नही चाची। कुछ ही दिन में वो ठीक हो जाएंगे।"
पर दादाजी ने ऐसेही ताना मारा,
"हा । इसकी क्या ग्यारंटी है कि वो ठीक होने के बाद भी तुजसे दूध पिलाने की जिद नही करेगा?"
संजना चाची ने उनको बोला,
"अब वो ठीक होने के बाद ही देखना पड़ेगा ससुरजी।"
चाची मेरे पिताजी को करीब करीब आधे घंटे तक पीला रही थी।
रात को खाना खाने के बाद चाचा ने सबको बिस्तर फेर दिया। वो तो अब ऊपर खटाई पर ही सोता है। दादाजी बिस्तर पर एक कोने में सोते है। फिर उनके बाजू में मैं सोता हूँ। फिर चाची और मेरे पिताजी। संजय चाचा ने लाइट बंद कर दी और सब सोने लगे। मैं चाची के बगल में ही था। पर लाइट बंद होते ही वो मेरे पिताजी की तरफ पलट गई और उनको सुलाने लगी। उसने मेरे पिताजी को अपने करीब लिया था और उनके पीठ पर हाथ फिरा कर उनको वो सुलाने की कोशिश कर रही थी। मुझे पिताजी का सर नही दिख रहा था। इसलिए मैं सिर्फ अंदाजा ही कर सकता था कि वो क्या कर रहे है। उनके कंधे की हलचल से लग रहा था कि उन्हें ठीक से नींद नही आ रही थी। थोड़ी देर बाद चाची उनको बोली,
"आप को भी न जेठ जी जल्दी नींद ही आती नही है।"
चाची में उसके एक हाथ से कुछ किया । मुझे लगा कि उसने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिए होंगे। फिर उसने मेरे पिताजी को अपना दूध पिलाना शुरू किया होगा। कियूंकि थोड़ी ही देर बाद उनकी हलचल कम हो गई। मैं तो सिर्फ कल्पना ही कर सकता था कि क्या हो रहा है। मुझे उस वक्त लगा की कब मेरे पिताजी ठीक हो जाएंगे और मुझे भी ऐसे दूध पीने मिलेगा। अफसोस तब तक तो सिर्फ दिन में सपने ही देखने पड़ेंगे। मुझे नींद आ रही थी इसलिए मैंने आँखे बंद कर ली।

सुबह सब नाश्ता कर रहे थे। मेरे पिताजी ने बहुत आज थोड़ा ज्यादा खाना खाया। लगता है संजना चाची के दूध से वो ठीक हो रहे है। चाची में आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाउज पहना था। संजय चाचा जल्दी नाश्ता खतम करके काम पर चला गया। दादाजी नाश्ता करके हॉल में टीवी देखने चले गए। मेरा और पिताजी का भी खा कर हो गया था। चाची ने अपनी प्लेट बाजू में रख दी और मेरे पिताजी को अपने पास बुलाया। मेरे पिताजी उसकी गोद मे सर रखकर लेट गए अजर बोले,
"जल्दी पिलाओ ना। बहुत प्यास लगी है।"
संजना चाची हँस के बोली,
"क्यू जेठ जी। अब मेरा दूध अच्छा लगने लगा आपको?"
मेरे पिताजी बोले ,
"हा तो। तुम्हारा दूध तो अमृत जैसा ही है।"
"बस बस जेठ जी। नादान मत बनो अब। पिला रही हूँ।"
चाची ने अपने ब्लाउज के निचले बटन खोल दिये। फिर वो मेरे पिताजी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे जैसा दूध पिलाने लगी।
"अच्छा है कि मैंने आज ढीला ब्लाउज पहना है। कल का तो बहुत टाइट था। तुम्हारे पिताजी को पिलाने में दिक्कत आ रही थी।"
फिर चाची ने अपना पूरा ध्यान अपने जेठ जी को स्तनपान करने में लगा दिया। लगभग वो उनको 30 मिनिट तक पिला रही थी।

दोपहर को हम सब आराम करने के लिए हॉल में सो जाते है। दादाजी और चाची के बीच मे मेरे पिताजी सो रहे थे। मैं सोफे पर लेट गया था। दादाजी को दोपहर को नींद नही आती थी। संजना चाची मेरे पिताजी को अपने करीब लेकर उनको सुला रही थी। मेरे पिताजी को भी नींद नही आ रही थी। फिर संजना चाची ने उनका सर ढक दिया और उनको दादाजी के सामने ही अपना दूध पिलाने लगी।
दादाजी बोले,
"शरम भी नही आती इस उमर में स्तनपान कर रहा है।"
संजना चाची ने कहा,
"क्या ससुरजी। बचपन मे तो सब दूध पीते थे। तो अब पीने में क्या दिक्कत है? दूध तो दूध होता है।"
"ठीक है बहु। मैं हार गया।"
यह कह कर वो आँखे बंद कर के सो गए।
संजना चाची मुस्कुरा गयी और मेरे पिताजी को दूध पिलाती रही।
Update 6

शाम को हम सब हॉल में टीवी देख रहे थे। संजय चाचा भी काम से वापस आ गए थे। चाचा और दादाजी सोफे पर बैठे थे। संजना चाची जमीन पर बैठी थी और उसने मेरे पिताजी को अपनी गोद मे लिटा दिया था। मेरे पिताजी का सर अब संजना चाची के मुम्मो के काफी करीब था। संजना चाची का पल्लू उसके एक मुम्मे से थोड़ा हट गया था। अब ये चाची ने जानबूझकर किया था या फिर उसकी ये हर दिन की आदत थी ये मुझे पता नही। पर उसका वो भरा हुआ मुम्मा देखकर किसी के भी मुह से पानी आना शुरू होता। मेरे तो आ रहा था। मेरे पिताजी के तो पूरे चेहरे से पसीना छूट रहा था। चाची ने वो अपने पल्लू से पोछ दिया। थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी ने संजना चाची को हलकी आवाज में पूछा,
"मुझे दूध पिलाओ ना।"
यह सुनकर संजना चाची हँस पड़ी,
"इतनी ही बात है ना जेठ जी। तो इसमें शरमाने की क्या बात? मैं आपको मना थोड़ी ही करने वाली हूँ।"
मेरे पिताजी खुश हो गए। संजना चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर वो हमारे सब के ही सामने मेरे पिताजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। मेरे पिताजी को ऐसे दूध पीते देख मुझे बहुत जलन हो रही थी। मैं उनको ऐसे ही देख रहा था। चाची ने मुझे देखा और वो मुझे बोली,
"माफ करना राजू। तेरे पिताजी बीमार रहेंगे तब तक तो मुझे सिर्फ उनको ही दूध पिलाना पड़ेगा। मैंने उसे कहा,
"कोई बात नही चाची। कुछ ही दिन में वो ठीक हो जाएंगे।"
पर दादाजी ने ऐसेही ताना मारा,
"हा । इसकी क्या ग्यारंटी है कि वो ठीक होने के बाद भी तुजसे दूध पिलाने की जिद नही करेगा?"
संजना चाची ने उनको बोला,
"अब वो ठीक होने के बाद ही देखना पड़ेगा ससुरजी।"
चाची मेरे पिताजी को करीब करीब आधे घंटे तक पीला रही थी।
रात को खाना खाने के बाद चाचा ने सबको बिस्तर फेर दिया। वो तो अब ऊपर खटाई पर ही सोता है। दादाजी बिस्तर पर एक कोने में सोते है। फिर उनके बाजू में मैं सोता हूँ। फिर चाची और मेरे पिताजी। संजय चाचा ने लाइट बंद कर दी और सब सोने लगे। मैं चाची के बगल में ही था। पर लाइट बंद होते ही वो मेरे पिताजी की तरफ पलट गई और उनको सुलाने लगी। उसने मेरे पिताजी को अपने करीब लिया था और उनके पीठ पर हाथ फिरा कर उनको वो सुलाने की कोशिश कर रही थी। मुझे पिताजी का सर नही दिख रहा था। इसलिए मैं सिर्फ अंदाजा ही कर सकता था कि वो क्या कर रहे है। उनके कंधे की हलचल से लग रहा था कि उन्हें ठीक से नींद नही आ रही थी। थोड़ी देर बाद चाची उनको बोली,
"आप को भी न जेठ जी जल्दी नींद ही आती नही है।"
चाची में उसके एक हाथ से कुछ किया । मुझे लगा कि उसने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिए होंगे। फिर उसने मेरे पिताजी को अपना दूध पिलाना शुरू किया होगा। कियूंकि थोड़ी ही देर बाद उनकी हलचल कम हो गई। मैं तो सिर्फ कल्पना ही कर सकता था कि क्या हो रहा है। मुझे उस वक्त लगा की कब मेरे पिताजी ठीक हो जाएंगे और मुझे भी ऐसे दूध पीने मिलेगा। अफसोस तब तक तो सिर्फ दिन में सपने ही देखने पड़ेंगे। मुझे नींद आ रही थी इसलिए मैंने आँखे बंद कर ली।

सुबह सब नाश्ता कर रहे थे। मेरे पिताजी ने बहुत आज थोड़ा ज्यादा खाना खाया। लगता है संजना चाची के दूध से वो ठीक हो रहे है। चाची में आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाउज पहना था। संजय चाचा जल्दी नाश्ता खतम करके काम पर चला गया। दादाजी नाश्ता करके हॉल में टीवी देखने चले गए। मेरा और पिताजी का भी खा कर हो गया था। चाची ने अपनी प्लेट बाजू में रख दी और मेरे पिताजी को अपने पास बुलाया। मेरे पिताजी उसकी गोद मे सर रखकर लेट गए अजर बोले,
"जल्दी पिलाओ ना। बहुत प्यास लगी है।"
संजना चाची हँस के बोली,
"क्यू जेठ जी। अब मेरा दूध अच्छा लगने लगा आपको?"
मेरे पिताजी बोले ,
"हा तो। तुम्हारा दूध तो अमृत जैसा ही है।"
"बस बस जेठ जी। नादान मत बनो अब। पिला रही हूँ।"
चाची ने अपने ब्लाउज के निचले बटन खोल दिये। फिर वो मेरे पिताजी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे जैसा दूध पिलाने लगी।
"अच्छा है कि मैंने आज ढीला ब्लाउज पहना है। कल का तो बहुत टाइट था। तुम्हारे पिताजी को पिलाने में दिक्कत आ रही थी।"
फिर चाची ने अपना पूरा ध्यान अपने जेठ जी को स्तनपान करने में लगा दिया। लगभग वो उनको 30 मिनिट तक पिला रही थी।

दोपहर को हम सब आराम करने के लिए हॉल में सो जाते है। दादाजी और चाची के बीच मे मेरे पिताजी सो रहे थे। मैं सोफे पर लेट गया था। दादाजी को दोपहर को नींद नही आती थी। संजना चाची मेरे पिताजी को अपने करीब लेकर उनको सुला रही थी। मेरे पिताजी को भी नींद नही आ रही थी। फिर संजना चाची ने उनका सर ढक दिया और उनको दादाजी के सामने ही अपना दूध पिलाने लगी।
दादाजी बोले,
"शरम भी नही आती इस उमर में स्तनपान कर रहा है।"
संजना चाची ने कहा,
"क्या ससुरजी। बचपन मे तो सब दूध पीते थे। तो अब पीने में क्या दिक्कत है? दूध तो दूध होता है।"
"ठीक है बहु। मैं हार गया।"
यह कह कर वो आँखे बंद कर के सो गए।
संजना चाची मुस्कुरा गयी और मेरे पिताजी को दूध पिलाती रही।
आपकी स्टोरी मे बुढा आदमी दूध पिता हैं.... ये सब हमने पढा हैं.... किसी बुढी औरत को दूध पिला दो....
बुजुर्ग औरत को स्तनपान करणे का अनुभव नये स्टोरी मे जजुर बताना..
 
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Vivekdaware

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शाम को हम सब हॉल में टीवी देख रहे थे। संजय चाचा भी काम से वापस आ गए थे। चाचा और दादाजी सोफे पर बैठे थे। संजना चाची जमीन पर बैठी थी और उसने मेरे पिताजी को अपनी गोद मे लिटा दिया था। मेरे पिताजी का सर अब संजना चाची के मुम्मो के काफी करीब था। संजना चाची का पल्लू उसके एक मुम्मे से थोड़ा हट गया था। अब ये चाची ने जानबूझकर किया था या फिर उसकी ये हर दिन की आदत थी ये मुझे पता नही। पर उसका वो भरा हुआ मुम्मा देखकर किसी के भी मुह से पानी आना शुरू होता। मेरे तो आ रहा था। मेरे पिताजी के तो पूरे चेहरे से पसीना छूट रहा था। चाची ने वो अपने पल्लू से पोछ दिया। थोड़ी देर बाद मेरे पिताजी ने संजना चाची को हलकी आवाज में पूछा,
"मुझे दूध पिलाओ ना।"
यह सुनकर संजना चाची हँस पड़ी,
"इतनी ही बात है ना जेठ जी। तो इसमें शरमाने की क्या बात? मैं आपको मना थोड़ी ही करने वाली हूँ।"
मेरे पिताजी खुश हो गए। संजना चाची ने अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाउज के निचले कुछ हुक खोल दिये। फिर वो हमारे सब के ही सामने मेरे पिताजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। मेरे पिताजी को ऐसे दूध पीते देख मुझे बहुत जलन हो रही थी। मैं उनको ऐसे ही देख रहा था। चाची ने मुझे देखा और वो मुझे बोली,
"माफ करना राजू। तेरे पिताजी बीमार रहेंगे तब तक तो मुझे सिर्फ उनको ही दूध पिलाना पड़ेगा। मैंने उसे कहा,
"कोई बात नही चाची। कुछ ही दिन में वो ठीक हो जाएंगे।"
पर दादाजी ने ऐसेही ताना मारा,
"हा । इसकी क्या ग्यारंटी है कि वो ठीक होने के बाद भी तुजसे दूध पिलाने की जिद नही करेगा?"
संजना चाची ने उनको बोला,
"अब वो ठीक होने के बाद ही देखना पड़ेगा ससुरजी।"
चाची मेरे पिताजी को करीब करीब आधे घंटे तक पीला रही थी।
रात को खाना खाने के बाद चाचा ने सबको बिस्तर फेर दिया। वो तो अब ऊपर खटाई पर ही सोता है। दादाजी बिस्तर पर एक कोने में सोते है। फिर उनके बाजू में मैं सोता हूँ। फिर चाची और मेरे पिताजी। संजय चाचा ने लाइट बंद कर दी और सब सोने लगे। मैं चाची के बगल में ही था। पर लाइट बंद होते ही वो मेरे पिताजी की तरफ पलट गई और उनको सुलाने लगी। उसने मेरे पिताजी को अपने करीब लिया था और उनके पीठ पर हाथ फिरा कर उनको वो सुलाने की कोशिश कर रही थी। मुझे पिताजी का सर नही दिख रहा था। इसलिए मैं सिर्फ अंदाजा ही कर सकता था कि वो क्या कर रहे है। उनके कंधे की हलचल से लग रहा था कि उन्हें ठीक से नींद नही आ रही थी। थोड़ी देर बाद चाची उनको बोली,
"आप को भी न जेठ जी जल्दी नींद ही आती नही है।"
चाची में उसके एक हाथ से कुछ किया । मुझे लगा कि उसने अपने ब्लाउज के कुछ हुक खोल दिए होंगे। फिर उसने मेरे पिताजी को अपना दूध पिलाना शुरू किया होगा। कियूंकि थोड़ी ही देर बाद उनकी हलचल कम हो गई। मैं तो सिर्फ कल्पना ही कर सकता था कि क्या हो रहा है। मुझे उस वक्त लगा की कब मेरे पिताजी ठीक हो जाएंगे और मुझे भी ऐसे दूध पीने मिलेगा। अफसोस तब तक तो सिर्फ दिन में सपने ही देखने पड़ेंगे। मुझे नींद आ रही थी इसलिए मैंने आँखे बंद कर ली।

सुबह सब नाश्ता कर रहे थे। मेरे पिताजी ने बहुत आज थोड़ा ज्यादा खाना खाया। लगता है संजना चाची के दूध से वो ठीक हो रहे है। चाची में आज पिंक साड़ी और सफेद ब्लाउज पहना था। संजय चाचा जल्दी नाश्ता खतम करके काम पर चला गया। दादाजी नाश्ता करके हॉल में टीवी देखने चले गए। मेरा और पिताजी का भी खा कर हो गया था। चाची ने अपनी प्लेट बाजू में रख दी और मेरे पिताजी को अपने पास बुलाया। मेरे पिताजी उसकी गोद मे सर रखकर लेट गए अजर बोले,
"जल्दी पिलाओ ना। बहुत प्यास लगी है।"
संजना चाची हँस के बोली,
"क्यू जेठ जी। अब मेरा दूध अच्छा लगने लगा आपको?"
मेरे पिताजी बोले ,
"हा तो। तुम्हारा दूध तो अमृत जैसा ही है।"
"बस बस जेठ जी। नादान मत बनो अब। पिला रही हूँ।"
चाची ने अपने ब्लाउज के निचले बटन खोल दिये। फिर वो मेरे पिताजी का सर ढकते हुए उनको किसी बच्चे जैसा दूध पिलाने लगी।
"अच्छा है कि मैंने आज ढीला ब्लाउज पहना है। कल का तो बहुत टाइट था। तुम्हारे पिताजी को पिलाने में दिक्कत आ रही थी।"
फिर चाची ने अपना पूरा ध्यान अपने जेठ जी को स्तनपान करने में लगा दिया। लगभग वो उनको 30 मिनिट तक पिला रही थी।

दोपहर को हम सब आराम करने के लिए हॉल में सो जाते है। दादाजी और चाची के बीच मे मेरे पिताजी सो रहे थे। मैं सोफे पर लेट गया था। दादाजी को दोपहर को नींद नही आती थी। संजना चाची मेरे पिताजी को अपने करीब लेकर उनको सुला रही थी। मेरे पिताजी को भी नींद नही आ रही थी। फिर संजना चाची ने उनका सर ढक दिया और उनको दादाजी के सामने ही अपना दूध पिलाने लगी।
दादाजी बोले,
"शरम भी नही आती इस उमर में स्तनपान कर रहा है।"
संजना चाची ने कहा,
"क्या ससुरजी। बचपन मे तो सब दूध पीते थे। तो अब पीने में क्या दिक्कत है? दूध तो दूध होता है।"
"ठीक है बहु। मैं हार गया।"
यह कह कर वो आँखे बंद कर के सो गए।
संजना चाची मुस्कुरा गयी और मेरे पिताजी को दूध पिलाती रही।
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