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Erotica मेरी पत्नी ( सु )( धा ) का शुद्धिकरण.....( एक गढ़वाली महिला की दास्तान)

sunoanuj

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बहुत ही बेहतरीन कहानी है !

अब अगले भाग की प्रतीक्षा में है !
 

pussylover1

Milf lover.
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शानदार
 
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Jamanuram

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No update since long
 

Nikunjbaba

Lover of women 😻
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Nice story and waiting for next update
 

rajveer juyal 11

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चैप्टर - १०


अब आगे..............


छुट्टी का दिन था तो में आराम से उठा. पता नहीं आज क्यों जल्दी उठने की इच्छा नहीं हुई मुझे वरना में रोज समय पर उठ जाता था और फिर थोड़ी देर योगा मार्निंग वॉक करता था. धूप सर पर आ गई थी मतलब सुबह के ‘9 बज चुके थे पत्नी ने चाय देकर कहा कि उठो नाश्ता तैयार है अपने चक्कर में अमोल भी भूखा है। में पत्नी को सॉरी बोला और उठकर बाथरूम चला गया नहाने के लिए, नहा के आया और फिर हम तीनों ने साथ में नाश्ता किया।

पत्नी ने कहा - ऐजी सुनो में बर्तन धोने जा रही तो आप अमोल का कमरा साफ कर दो, बहुत दिनों से उसके कमरे की सफाई नहीं की है।

मेने कहा - हां ठीक है!
मेने फिर उसके कमरे में साफ सफाई शुरू कर दी. वैसे अमोल खुद कभी अपने रूम की सफाई कर दिया करता था पर मेरी पत्नी उसके काम से संतुष्ट नहीं होती थी इसलिए वो खुद ही उसके रूम की सफाई किया करती थी। में एक एक करके सारे बिस्तर को सही से रखा, इधर उधर किताबें पढ़ी थी उन्हें भी सही ढंग से रखा फिर झाड़ू लगाया और बाद में पोछा। लो जी हो गया अमोल का कमरा साफ.. मेने पत्नी को बोला।

पत्नी ने कहा - अच्छा ठीक है।

में किचन से पानी लेकर अमोल के रूम में ही बैठ गया तभी मुझे ध्यान आया कि मेने उसकी अलमारी तो साफ की ही नहीं, पानी पीकर गिलास रखा और फिर अलमारी खोली. एक एक करके सफाई करने लगा तभी मेरी नजर कोने में पड़ी एक किताब पर पड़ी मेने वह किताब उठाई और उसके पन्ने पलटे तो मेरी तो पैरों तले जैसे जमीन ही खिसक गई हो ऐसा लगा. असल में वह किताब यौन संबंधित थी जिसमें महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाने के टिप्स और ना जाने क्या क्या लिखा था, मेने एक एक करके सारे पन्ने पड़े तो मेरी तो हालत खराब हो गई में सोचने लगा कि अमोल पढ़ाई के नाम पर यह सब किया करता है मुझे विश्वास नहीं हो रहा था, मन में गुस्सा फूट रहा था. मेने सोच लिया कि आज अमोल को समझना ही होगा नहीं तो ये बिगड़ जाएगा क्योंकि एक बार मुझे उसके मोबाइल में भी ऐसे ही यौन संबंधित वीडियो फ़ोटो देखी थी पर उस समय मेने उसकी नादानी समझकर उसको कुछ नहीं कहा था। मेने उसकी अलमारी ठीक करी और वो किताब लेकर अपने रूम में आ गया, अमोल बाहर आंगन में बैठकर अखबार पढ़ रहा था मेने उसे बुलाना चाहा पर फिर सोचा कि अभी ठीक नहीं इसको रात में पूछूंगा।

अब में अपने रूम में बैठकर सोचने लगा कि अमोल पढ़ाई के बहाने क्या करता रहता है, मेरे ऊपर उसकी जिम्मेदारी थी अगर फेल हो गया तो उसके घर वाले क्या कहेंगे।

मेने पत्नी को कहा कि में थोड़ा बाजार होके आ रहा हूं,
में तैयार हुआ और पंडित जी के पास पहुंच गया . वहां पहुंचकर उन्हें अमोल की बात बताई तो पंडित जी ने कहा कि यह इस उम्र में होना स्वाभिक परिक्रिया है इसमें इतना सोचने की आवश्यकता नहीं है. मेरा भी मन हल्का हुआ पंडित जी की बातों से ओर मेने अपने मन से अमोल को डांटने की इच्छा हटा ली मैने पंडित जी से विदा ली और घर आ गया. पर में अब अमोल पर नजर रखने लगा वो कहा जाता है किससे फोन पर बात करता है. तभी मेरे फोन की घंटी बजी, देखा तो पंडित जी का फोन था मेने तुरंत फोन उठाया और उन्हें कहा जी पंडित जी कहें....

पंडित : बेटा तुम्हारी परेशानी का समाधान हो गया।

में समझा नहीं पंडित जी?!

पंडित: तुम्हे एक लड़के की तलाश थी ना तो वो पूरी हो गई।

अच्छा पंडित जी! आपने कहा खोजा ।

पंडित: अरे मेने नहीं बेटा तूने ही खोजा है।

में समझा नहीं आपकी बात..?

पंडित: में तुम्हारे भांजे अमोल की बात का रहा हूं। ये तो वही बात हो गई कि ‘बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा’!

आप क्या कह रहे मेरी कुछ समय में नहीं आ रहा है पंडित जी! आप साफ साफ कहिए ना।

पंडित: बेटा साफ ही तो कह रहा हूं पर तुम हों कि समझ नहीं रहे हो. बेटा में अमोल की बात कर रहा हूं,

अमोल क्यों?

पंडित: अच्छा ये बताओ अमोल की उम्र कितनी है अभी?

यही कोई अठारह साल पंडित जी।

पंडित: तो बस हो गया तुम्हारा काम बेटा ! तुम्हारी पत्नी के लिए अमोल ही उस लड़के का रूप धरेगा।

क्या?? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता ।

पंडित: क्यों नहीं हो सकता! अमोल एक वयस्क पुरुष बनने की ओर अग्रसर हैं और जो उसकी आयु है यह जवानी के संकेत हैं तो फिर इसमें तुम्हे क्या दिक्कत है।

दिक्कत?? पंडित जी दिक्कत ही दिक्कत है क्योंकि अमोल मेरी पत्नी को बुआ के साथ मां भी कहता है और वही नहीं मेरी पत्नी भी उसे अपने बच्चे के समान मानती है।

पंडित: अभी तुम्हे रिश्ते के जंजाल में नहीं फसना है बल्कि अभी तो तुझे अपनी पत्नी की बीमारी का समाधान करना है।

नहीं में आपकी इस बात से सहमत नहीं हूं ओर ना में ऐसा होने दे सकता हूं।

पंडित: अच्छा ये बताओ क्या अमोल एक वयस्क लड़का नहीं है। क्या उसमें ओर की तरह गुण नहीं हैं?

मुझे इनसे कोई मतलब नहीं पंडित जी ।

पंडित: बेटा में तुम्हारी व्याकुलता पीड़ा को समझ सकता हूं पर इसके अलावा तुम्हारे पास कोई ओर रास्ता है जो तुम्हारी पत्नी ठीक हो जाएं।

में पंडित जी की बात सुना और फिर कहा ‘नहीं !

पंडित: तो फिर. बेटा अगर बाहर के लड़के को ये सब करने को तैयार करोगे तो इसमें बदनामी और ब्लैकमेलिंग का खतरा है और अगर घर की बात घर में रहेगी तो कोई खतरा नहीं है।

पर में कैसे पंडित जी ओर मेरी पत्नी इसके लिए बिलकुल नहीं मानेगी।

पंडित : में जानता हूं पर इसका निवारण है मेरे पास।

कैसा निवारण?

पंडित: बेटा तुम्हे ना तो अपनी पत्नी को बताना है और ना ही अमोल को बस ये काम गुपचुप तरीके से किया जाएगा और में इसके बारे में तुझे बताऊंगा ।

नहीं मुझे नहीं करना कोई गुपचुप तरीका आप मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए ।

पंडित: में कोई तुम पर जोर जबरदस्ती नहीं करूंगा पर में तुम्हें कुछ जानकारी देना चाहता हूं क्या पता इससे तुम्हारा मन बदल जाएं।

कैसी जानकारी?'

पंडित: बेटा रिश्ता नाते सब हम इंसानों ने अपनी सहूलियत के लिए बनाए हैं ऊपर से कोई रिश्ता लेकर पैदा नहीं हुआ. देखो तुम्हारी पत्नी की शारीरिक अक्षमता या बीमारी का समाधान बस यही है अगर कोई उपाय होता तो अभी तक आपकी पत्नी ठीक हो चुकी होती ये बात तुम जानते हो,अपने मन में यह कुशंका मत लाओ कि इनका रिश्ता क्या है बस यों समझो कि यह सिर्फ एक स्त्री पुरुष है बाकी कोई रिश्ता नहीं. तुम अपनी पत्नी को स्वस्थ देखना चाहते हो तो इसका यही निवारण है।

में कैसे पत्नी को उसके ही .... ना बिलकुल नहीं! ओर बिना उन्हें पता चले ये सब कैसे होगा।


पंडित: इसके लिए तुम्हारी पत्नी और अमोल के आंखों पर पट्टी बांधी जाएगी जिस कारण वो एक दूसरे को देख नहीं पाएंगे और यह आवश्यक है क्योंकि अगर वो एक दूसरे को देख लेंगे तो वो इस काम को नहीं करेंगे इसलिए यह करना है।

अच्छा ! ओर ये होगा कैसे, आप पंडित जी बहुत मूर्ख हो।

पंडित: तुम जो समझो पर में तुम्हारी मदद करना चाहता हूं बाकी कुछ नहीं ओर यह होगा कैसे तो ये को पुस्तक इसमें सारी जानकारी दी हुई है इसको घर में पढ़ना ।

मेने पंडित के हाथों से पुस्तक पकड़ी और कहा आपके पास ये पुस्तके कहा से आई ?

पंडित: एक मित्र ने दी क्योंकि मेने उसकी मदद करी थी।

अच्छा ऐसा होता है क्या आप मुझे कोई बहरूपिया लग रहे है।


पंडित : जो समझना है वो तुम्हारी इच्छा पर तुम ये पुस्तक पढ़ना ओर जैसे जैसे इसमें बताया गया है ठीक उसी तरह से करना ।


मेने पंडित को गुस्से में देखते हुए ही नमस्ते किया और वहां से निकल आया।


रात को मेने वो पुस्तक खोली और पढ़नी शुरू की तो मेरी तो आंखे फटी की फटी रह गई उसमें एक एक बात लिखी हुई थी कि कैसे पहले क्या करना है और फिर क्या ! सबसे पहले उसमें लिखा था कि स्त्री को निवस्त्र करे फिर उसके शरीर की मसाज ओर वो भी पूर्णतया नग्न अवस्था में, उसमें लिखा था कि स्त्री के शरीर के हरेक अंग की अच्छे से मसाज करनी है ताकि उसकी कामोत्तेजना बढ़ जाए. उसके बाद उसके शरीर को आलिंगन करना यानि प्यार करना है और जब स्त्री कामोत्तेजना की आग में जलने लगे तो फिर उसके साथ पारस्परिक तरीके से सम्भोग करना ये सभी जानकारी विधिः विधान से उस पुस्तक में लिखी हुई थी मेने पुस्तक एक किनारे रखी और सोचने लगा कि ये क्या विडंबना हो गई में क्या करू पर मुझे इतना अवश्य पता था कि मुझे अपनी पत्नी को स्वस्थ करना है और इसके लिए जो कुछ करना पड़े में करूंगा. अब मेरी सोच पंडित की तरह होने लगी थी पर इसके पूछे सिर्फ मुझे मेरी पत्नी का स्वास्थ्य दिखाई दे रहा था इसलिए में कोई समझौता नहीं करना चाहता था और अब मेने मन में निश्चय किया कि में पंडित की कही हुई बातों पर अमल करूंगा. पर मुझे यह भी पता करना था कि अमोल के मन में क्या है और मेने अब इसकी शुरुवात कर दी थी और वो ऐसे की में अपनी पत्नी के ब्रा पेंटी बाथरूम में रख दिया करता ओर देखता की अमोल क्या करता है, कही दिन ऐसे बीतते गए पर अमोल का मन नहीं डोला ,में जैसे ब्रा पेंटी रखता था वैसे ही मुझे मिलते थे अमोल उन्हें हाथ भी नहीं लगाता था, अब मेने पत्नी के लिए नई मैक्सी लाई जो फुल न्यूड थी उसके आगे के स्तनों के भाग पर कोई कपड़ा नहीं था ,मेने पत्नी को पहनने को दिए उसने पहनने शुरू कर दिए, जब अमोल होगा तो में पत्नी को जानबूझकर ऐसे कपड़े पहनता जिसमें उसके अंग दिखाई दे, नई नई ब्रा पेंटी लेकर आता ओर पत्नी को पहनाता दिन बीतते गए और एक दिन मेने अमोल को ब्रा पेंटी को छूते हुए देखा तो मेरी इतने दिनों की मेहनत सफल हो रही थी ऐसा मुझे लगा।

उसके भाव बदल रहे थे जो मेरे लिए अच्छे संकेत थे क्योंकि में अब यही चाहता था और एक दिन अमोल जब मेरी पत्नी घर में नहीं थी, में भी ऑफिस था . अमोल मेरी पत्नी के रूम में गया और उसकी ब्रा पेंटी को लेकर अपने रूम में आया और उनमें मुठ मारने लगा पर उसकी किस्मत फूटी थी क्योंकि में उस दिन जल्दी घर आ गया और मेने ये सब नजारा अपनी आंखों से देख लिया, अमोल बेफिक्र होकर मेरी पत्नी की ब्रा पेंटी को अपने लिंग से रगड़े जा रहा था, वो कभी मेरी पत्नी के ब्रा को चूमता तो कभी अपने लिंग पर लपेटकर रगड़ने लगता में ये सब देखकर उत्तेजित हो गया मेने अपने पर बड़ी मुश्किल से काबू किया और बस अमोल को देखता रहा. मुझे उसका लिंग काफी बड़ा दिखाई दे रहा था और साथ में मोटा भी, अमोल ने फिर ब्रा पेंटी को वापस रूम में रखा और अपने कामों में लग गया तभी उसने मुझे बाहर आंगन में देखा तो उसकी हालत खराब हो गई वो कुछ बोल नहीं पाया .

अरे अमोल तेरी बुआ कहा है मेने उसे पूछा।

मामाजी वो वो बुआ पड़ोस की आंटी के घर गई है।

मेने उसको बिल्कुल भी अंदाजा नहीं लगने दिया कि मेने सब कुछ देख लिया में उसके साथ नॉर्मल बात करते रहा।

जा चाय बना दे ..

जी मामाजी.

ऐसा कहकर वो किचन में चला गया। अब मेरे मन में अमोल का लिंग घूम रहा था में हैरान था कि इतना बड़ा मोटा कैसे ! थोड़ी देर में अमोल चाय लेकर आया और हमने चाय पी और फिर अमोल खेलने चला गया।

में अब प्लान बनाने लगा कि कैसे यह सब किया जाए पर इसके लिए मुझे पहले अमोल के मन को समझना जानना होगा कि क्या वो ऐसा करेगा? क्या उसके मन में ऐसा कुछ है ? अनेकों सवाल मन में उठने लगे।


एक दिन दिन के समय ही में पत्नी की यौन संतुष्टी करने लगा और पत्नी भी पूरे जोश में आकर जोर जोर से आवाज़ करने लगी. वहीं बगल के कमरे में अमोल था तो मुझे विश्वास था कि वो अपनी बुआ की आवाज जरूर सुन रहा होगा में भी जोश में आकर उसको ओर आवाज करने को बोला और पत्नी मेरी सेक्स तृप्ति में इतनी कामोतर थी कि वो भूल गई थी कि दूसरे कमरे में अमोल है वो सब सुन रहा होगा। तभी अमोल की आवाज आई ..

मामाजी,, क्या हुआ बुआ क्यों चिल्ला रही है।

में कुछ नहीं अमोल बस उसको कमर में दर्द में मोच आ गई इसलिए चिल्लाई!

अमोल: ओह अच्छा मुझे लगा आप बुआ को मार रहे हैं।

में : नहीं रे में क्यों मारूंगा तेरी बुआ को ।

अब रोज रात को ऐसी आवाजें होने लगी और अमोल सोचने लगा कि यह क्या हो रहा है और होगा भी क्यों नहीं आखिर वो अब जवान हो गया था उसके हाव भाव सब बदलने लगे थे में खुद उसके कारनामे देख चुका था। अब वो अपनी बुआ को मैक्सी में देखता जिस कारण अब उसके हाव भाव बदले लगे थे।

एक दिन जब पत्नी घर में नहीं थी तो मेने अमोल को बुलाया और उसका फोन मांगा. उसने भी फोन मुझे दे दिया मेने उसके फोन में गैलरी ओपन की ओर अश्लील वीडियो फ़ोटो उसको दिखाते हुए कहा कि क्या यह चल रही तेरी पढ़ाई!’...

वो मामाजी, ये तो मेरे दोस्तों ने मेरे फोन में डाले थे।

तो तूने हटाए क्यों नहीं?

वो भूल गया’।

अच्छा में सब जानता हूं अमोल ! अच्छा एक बात बता क्या तेरा मन इनको देखकर कुछ करने को होगा है।

न न,नहीं’ ......

मेरी बात सुनकर अमोल पत्थर की तरह निर्जीव सा हो गया मेने उसे हिलाया और कहा क्या हुआ कहा खो गया बता क्या तुझे कुछ होता है?’

बस दोस्तो में डाले थे तो देख लिया...’!

अच्छा ’ तो दोस्त कुछ भी गलत करेंगे तो तू भी करेगा क्या?

नहीं मामाजी!’

क्या नहीं मामाजी ! बता क्या तेरी इच्छा हुई कभी?


हां जब देखा तो मन में उत्सुकता हुई ।


अच्छा तो अगर में तेरे को करने को कहूं तो क्या तू कर सकेगा।

आप कैसे बात कर रहे।


जो पूछा उसका जवाब दे, क्या करेगा।’

हां करूंगा।’

अच्छा तो ठीक है में कुछ करता हूं।’ लास्ट समय में मना तो नहीं कहेगा ना?

नहीं मामाजी।’


अब मेने उसे बैठाया और उससे कहने लगा - देख अमोल एक शादी शुदा महिला है यूं ही कोई चौबीस पच्चीस साल की होगी उसको एक अजीब सी बीमारी हो गई है इसलिए उसकी मदद करनी है।

मामाजी में कैसे उसकी मदद ओर उसकी बीमारी से मेरा क्या संबंध.’?

देख अमोल उस महिला का एक स्कूल का दोस्त था जो उसे बहुत प्यार करता था पर उसने कभी उसको नहीं बताया और फिर उस लड़की की शादी हो गई पर उस लड़के की कामवासना की आग बढ़ती गई और आखिर में उसने आत्महत्या कर ली पर अब उसकी आत्मा उस के अंदर समा गई है और वो उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाता है जिस कारण उस महिला की जिंदगी खतरे में पड़ गई,कही डाक्टरों से इलाज करवाया पर कोई फायदा नहीं हुआ फिर एक पंडित ने कहा कि उस लड़के की आत्मा को किसी उस उम्र के लड़के के शरीर में प्रवेश करवाकर उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने होंगे तब वो महिला सही हो जाएगी अन्यथा उसका बचना मुश्किल है तो बता क्या तू उस असहाय महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने को तैयार है। देख इसमें तुझे घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि उस महिला को तू जानता है पहचानता है।

में जानता हूं? पहचानता हूं? ये जैसे संभव है मामाजी जी’ में तो ऐसी किसी भी महिला को नहीं जानता ।

तू वो सब छोड़ बस तू उसकी मदद करने को तैयार है कि नहीं।

में कैसे उसकी मदद कर दूं जैसे में जानता नहीं ।’

मेने कहा ना तू जानता है और वैसे भी तुझे सिर्फ बाहरी रूप से शारीरिक संबंध बनाने है ताकि उस लड़के की आत्मा को यह लगे कि तुमने सच में ऐसा किया है और बस वो आत्मा उसको हमेशा के लिए छोड़कर चली जाएगी और उसकी जिंदगी पहले की तरह हो जाएगी।


बाहरी रूप से शारीरिक संबंध! मतलब?

मतलब''' तुझे उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने की आवश्यकता नहीं बस उसके जिस्म को सहलाना है. उसकी मालिश करनी है ताकि वह गर्म हो जाए!

मालिश करने से कैसे गर्म ? में समझा नहीं मामाजी जी।

अमोल जब तू उसकी नग्न मालिश करेगा, उसके अंगों को सहलाएगा,उन्हें दबाएगा तो वो गर्म नहीं होगी क्या?

जी मामाजी ''' होगी!'

तो फिर ,, जब वो गर्म होगी तो उसके अंदर कामवासना का संचार होगा और उसी स्थिति में उस लड़के की जो आत्मा तुम्हारे अंदर होगी उसे भी ऐसा आनंद मिलेगा और वह संतुष्ट हो जाएगा क्योंकि उसे बस अपनी कामेच्छा को संतुष्ट ओर उसकी कामेच्छा को संतुष्ट करना है बस ओर कुछ नहीं ओर उसके लिए बाहरी रूप से संतुष्ट करना भी उचित उपाय है।


ठीक है पर क्या वो महिला तैयार है ऐसा करने को ?

उसको इसके बारे में नहीं बताना है इसके लिए पंडित जी ने उपाय बताया है।

कौन सा उपाय?

उसके आंखों पर ओर तुम्हारी आंखों पर पट्टी बांधनी है ताकि वो यह ना समझ पाए कि यह वो आत्मा है या नहीं तुम्हारे सिर्फ हाथों का स्पर्श ही उसके बदन पर होगा और कुछ नहीं क्योंकि अगर उसे थोड़ा सा भी आभास हो गया या पता चल गया तो सब बेकार हो जाएगा क्या पता वो मना कर दे क्योंकि यह उस महिला के सुरक्षा का मामला है ताकि उसे भविष्य में कोई समस्या ना हो पाए।

जैसा आपको सही लगे मामाजी! अगर मेरे से किसी का भला होता है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है,आप मुझे बता दीजियेगा जब करना होगा तो।

ठीक है पर यह भी याद रहे तुम्हे उस समय कुछ बोलना नहीं है एक दम मौन व्रत रखना है ऐसा पंडित जी बोले. किसी भी प्रकार की हेल्फ अगर चाहिए होगी तो में वहां मौजूद रहूंगा।

आप क्यों ? क्या आप भी वहां मौजूद रहेंगे।

हां क्योंकि ऐसा मुझे कहा गया है इसकी सारी विधिः विधान मुझे बताएं गए हैं उस समय मुझे यह भी देखना है कि कोई गलती तुमसे ना हो जाए।

ठीक है जैसा आप उचित समझे। पर मामाजी आपने कहा कि में उसे जानता हूं ओर आप भी उस समय वहां मौजूद रहेंगे मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा आखिर वो महिला है कौन जो आपके सामने ही ऐसा करने को तैयार है।

है कोई तू बस अपने काम से मतलब रख।

मामाजी जी आप उसका नाम बताए में तब आपकी बात मानूंगा।

अरे अमोल जिद क्यों कर रहा है तुझे जानकर क्या करना है और वैसे तू उसको देख नहीं पाएगा क्योंकि आंखों पर तो पट्टी होगी ना तो फिर क्यों जिद पर रहा है।


ठीक है मामाजी ।’


पर में जैसा इशारों में कहता रहुगा वैसे ही करना है अपनी इच्छा अनुसार कुछ नहीं समझा!

जी मामाजी।’ पर एक बात बताए जब मेरी आंखों पर पट्टी बंधी होगी तो में कैसे आपके इशारों को देख पाऊंगा?

अरे हां ये तो में सोचा ही नहीं! खेर में तुम्हारे कान में कहता रहुगा और तुम उसको फॉलो करना।

हम्मम '''' ये सही रहेगा मामाजी!


अब जा खेलने चले जा में तुझे बता दूंगा जब तैयारी हो जाएगी. अमोल जी कहते हुए बाहर निकल गया और में अपने कमरे में बैठकर आगे की प्लानिंग बनाने लगा में जानता था कि जो में कर रहा वो सही नहीं परन्तु मुझे अपनी पत्नी पहले जैसे चाहिए थी एक दम स्वस्थ बस इसलिए में अपने मन में पत्थर रखकर यह अनर्थ करने को तैयार हुआ था। जिंदगी दोस्तो कैसे कैसे खेल दिखलाती है ये अब मुझे पता चला, अपनी प्रिय प्यारी पतिव्रता पत्नी को में
अब किसी ओर के साथ शारीरिक रूप से निवस्त्र और बाहरी रूप से शारीरिक संबंध बनाने को ... क्या कहूं शब्द नहीं हैं पर विधाता के लेख को कौन मिटा सकता है।

कहानी जारी है........
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malikarman

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अब आगे..............


छुट्टी का दिन था तो में आराम से उठा. पता नहीं आज क्यों जल्दी उठने की इच्छा नहीं हुई मुझे वरना में रोज समय पर उठ जाता था और फिर थोड़ी देर योगा मार्निंग वॉक करता था. धूप सर पर आ गई थी मतलब सुबह के ‘9 बज चुके थे पत्नी ने चाय देकर कहा कि उठो नाश्ता तैयार है अपने चक्कर में अमोल भी भूखा है। में पत्नी को सॉरी बोला और उठकर बाथरूम चला गया नहाने के लिए, नहा के आया और फिर हम तीनों ने साथ में नाश्ता किया।

पत्नी ने कहा - ऐजी सुनो में बर्तन धोने जा रही तो आप अमोल का कमरा साफ कर दो, बहुत दिनों से उसके कमरे की सफाई नहीं की है।

मेने कहा - हां ठीक है!
मेने फिर उसके कमरे में साफ सफाई शुरू कर दी. वैसे अमोल खुद कभी अपने रूम की सफाई कर दिया करता था पर मेरी पत्नी उसके काम से संतुष्ट नहीं होती थी इसलिए वो खुद ही उसके रूम की सफाई किया करती थी। में एक एक करके सारे बिस्तर को सही से रखा, इधर उधर किताबें पढ़ी थी उन्हें भी सही ढंग से रखा फिर झाड़ू लगाया और बाद में पोछा। लो जी हो गया अमोल का कमरा साफ.. मेने पत्नी को बोला।

पत्नी ने कहा - अच्छा ठीक है।

में किचन से पानी लेकर अमोल के रूम में ही बैठ गया तभी मुझे ध्यान आया कि मेने उसकी अलमारी तो साफ की ही नहीं, पानी पीकर गिलास रखा और फिर अलमारी खोली. एक एक करके सफाई करने लगा तभी मेरी नजर कोने में पड़ी एक किताब पर पड़ी मेने वह किताब उठाई और उसके पन्ने पलटे तो मेरी तो पैरों तले जैसे जमीन ही खिसक गई हो ऐसा लगा. असल में वह किताब यौन संबंधित थी जिसमें महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाने के टिप्स और ना जाने क्या क्या लिखा था, मेने एक एक करके सारे पन्ने पड़े तो मेरी तो हालत खराब हो गई में सोचने लगा कि अमोल पढ़ाई के नाम पर यह सब किया करता है मुझे विश्वास नहीं हो रहा था, मन में गुस्सा फूट रहा था. मेने सोच लिया कि आज अमोल को समझना ही होगा नहीं तो ये बिगड़ जाएगा क्योंकि एक बार मुझे उसके मोबाइल में भी ऐसे ही यौन संबंधित वीडियो फ़ोटो देखी थी पर उस समय मेने उसकी नादानी समझकर उसको कुछ नहीं कहा था। मेने उसकी अलमारी ठीक करी और वो किताब लेकर अपने रूम में आ गया, अमोल बाहर आंगन में बैठकर अखबार पढ़ रहा था मेने उसे बुलाना चाहा पर फिर सोचा कि अभी ठीक नहीं इसको रात में पूछूंगा।

अब में अपने रूम में बैठकर सोचने लगा कि अमोल पढ़ाई के बहाने क्या करता रहता है, मेरे ऊपर उसकी जिम्मेदारी थी अगर फेल हो गया तो उसके घर वाले क्या कहेंगे।

मेने पत्नी को कहा कि में थोड़ा बाजार होके आ रहा हूं,

में तैयार हुआ और पंडित जी के पास पहुंच गया . वहां पहुंचकर उन्हें अमोल की बात बताई तो पंडित जी ने कहा कि यह इस उम्र में होना स्वाभिक परिक्रिया है इसमें इतना सोचने की आवश्यकता नहीं है. मेरा भी मन हल्का हुआ पंडित जी की बातों से ओर मेने अपने मन से अमोल को डांटने की इच्छा हटा ली मैने पंडित जी से विदा ली और घर आ गया. पर में अब अमोल पर नजर रखने लगा वो कहा जाता है किससे फोन पर बात करता है. तभी मेरे फोन की घंटी बजी, देखा तो पंडित जी का फोन था मेने तुरंत फोन उठाया और उन्हें कहा जी पंडित जी कहें....

पंडित : बेटा तुम्हारी परेशानी का समाधान हो गया।

में समझा नहीं पंडित जी?!

पंडित: तुम्हे एक लड़के की तलाश थी ना तो वो पूरी हो गई।

अच्छा पंडित जी! आपने कहा खोजा ।

पंडित: अरे मेने नहीं बेटा तूने ही खोजा है।

में समझा नहीं आपकी बात..?

पंडित: में तुम्हारे भांजे अमोल की बात का रहा हूं। ये तो वही बात हो गई कि ‘बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा’!

आप क्या कह रहे मेरी कुछ समय में नहीं आ रहा है पंडित जी! आप साफ साफ कहिए ना।

पंडित: बेटा साफ ही तो कह रहा हूं पर तुम हों कि समझ नहीं रहे हो. बेटा में अमोल की बात कर रहा हूं,

अमोल क्यों?

पंडित: अच्छा ये बताओ अमोल की उम्र कितनी है अभी?

यही कोई अठारह साल पंडित जी।

पंडित: तो बस हो गया तुम्हारा काम बेटा ! तुम्हारी पत्नी के लिए अमोल ही उस लड़के का रूप धरेगा।

क्या?? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता ।

पंडित: क्यों नहीं हो सकता! अमोल एक वयस्क पुरुष बनने की ओर अग्रसर हैं और जो उसकी आयु है यह जवानी के संकेत हैं तो फिर इसमें तुम्हे क्या दिक्कत है।

दिक्कत?? पंडित जी दिक्कत ही दिक्कत है क्योंकि अमोल मेरी पत्नी को बुआ के साथ मां भी कहता है और वही नहीं मेरी पत्नी भी उसे अपने बच्चे के समान मानती है।

पंडित: अभी तुम्हे रिश्ते के जंजाल में नहीं फसना है बल्कि अभी तो तुझे अपनी पत्नी की बीमारी का समाधान करना है।

नहीं में आपकी इस बात से सहमत नहीं हूं ओर ना में ऐसा होने दे सकता हूं।

पंडित: अच्छा ये बताओ क्या अमोल एक वयस्क लड़का नहीं है। क्या उसमें ओर की तरह गुण नहीं हैं?

मुझे इनसे कोई मतलब नहीं पंडित जी ।

पंडित: बेटा में तुम्हारी व्याकुलता पीड़ा को समझ सकता हूं पर इसके अलावा तुम्हारे पास कोई ओर रास्ता है जो तुम्हारी पत्नी ठीक हो जाएं।

में पंडित जी की बात सुना और फिर कहा ‘नहीं !

पंडित: तो फिर. बेटा अगर बाहर के लड़के को ये सब करने को तैयार करोगे तो इसमें बदनामी और ब्लैकमेलिंग का खतरा है और अगर घर की बात घर में रहेगी तो कोई खतरा नहीं है।

पर में कैसे पंडित जी ओर मेरी पत्नी इसके लिए बिलकुल नहीं मानेगी।

पंडित : में जानता हूं पर इसका निवारण है मेरे पास।

कैसा निवारण?

पंडित: बेटा तुम्हे ना तो अपनी पत्नी को बताना है और ना ही अमोल को बस ये काम गुपचुप तरीके से किया जाएगा और में इसके बारे में तुझे बताऊंगा ।

नहीं मुझे नहीं करना कोई गुपचुप तरीका आप मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए ।

पंडित: में कोई तुम पर जोर जबरदस्ती नहीं करूंगा पर में तुम्हें कुछ जानकारी देना चाहता हूं क्या पता इससे तुम्हारा मन बदल जाएं।

कैसी जानकारी?'

पंडित: बेटा रिश्ता नाते सब हम इंसानों ने अपनी सहूलियत के लिए बनाए हैं ऊपर से कोई रिश्ता लेकर पैदा नहीं हुआ. देखो तुम्हारी पत्नी की शारीरिक अक्षमता या बीमारी का समाधान बस यही है अगर कोई उपाय होता तो अभी तक आपकी पत्नी ठीक हो चुकी होती ये बात तुम जानते हो,अपने मन में यह कुशंका मत लाओ कि इनका रिश्ता क्या है बस यों समझो कि यह सिर्फ एक स्त्री पुरुष है बाकी कोई रिश्ता नहीं. तुम अपनी पत्नी को स्वस्थ देखना चाहते हो तो इसका यही निवारण है।

में कैसे पत्नी को उसके ही .... ना बिलकुल नहीं! ओर बिना उन्हें पता चले ये सब कैसे होगा।


पंडित: इसके लिए तुम्हारी पत्नी और अमोल के आंखों पर पट्टी बांधी जाएगी जिस कारण वो एक दूसरे को देख नहीं पाएंगे और यह आवश्यक है क्योंकि अगर वो एक दूसरे को देख लेंगे तो वो इस काम को नहीं करेंगे इसलिए यह करना है।

अच्छा ! ओर ये होगा कैसे, आप पंडित जी बहुत मूर्ख हो।

पंडित: तुम जो समझो पर में तुम्हारी मदद करना चाहता हूं बाकी कुछ नहीं ओर यह होगा कैसे तो ये को पुस्तक इसमें सारी जानकारी दी हुई है इसको घर में पढ़ना ।

मेने पंडित के हाथों से पुस्तक पकड़ी और कहा आपके पास ये पुस्तके कहा से आई ?

पंडित: एक मित्र ने दी क्योंकि मेने उसकी मदद करी थी।

अच्छा ऐसा होता है क्या आप मुझे कोई बहरूपिया लग रहे है।


पंडित : जो समझना है वो तुम्हारी इच्छा पर तुम ये पुस्तक पढ़ना ओर जैसे जैसे इसमें बताया गया है ठीक उसी तरह से करना ।


मेने पंडित को गुस्से में देखते हुए ही नमस्ते किया और वहां से निकल आया।


रात को मेने वो पुस्तक खोली और पढ़नी शुरू की तो मेरी तो आंखे फटी की फटी रह गई उसमें एक एक बात लिखी हुई थी कि कैसे पहले क्या करना है और फिर क्या ! सबसे पहले उसमें लिखा था कि स्त्री को निवस्त्र करे फिर उसके शरीर की मसाज ओर वो भी पूर्णतया नग्न अवस्था में, उसमें लिखा था कि स्त्री के शरीर के हरेक अंग की अच्छे से मसाज करनी है ताकि उसकी कामोत्तेजना बढ़ जाए. उसके बाद उसके शरीर को आलिंगन करना यानि प्यार करना है और जब स्त्री कामोत्तेजना की आग में जलने लगे तो फिर उसके साथ पारस्परिक तरीके से सम्भोग करना ये सभी जानकारी विधिः विधान से उस पुस्तक में लिखी हुई थी मेने पुस्तक एक किनारे रखी और सोचने लगा कि ये क्या विडंबना हो गई में क्या करू पर मुझे इतना अवश्य पता था कि मुझे अपनी पत्नी को स्वस्थ करना है और इसके लिए जो कुछ करना पड़े में करूंगा. अब मेरी सोच पंडित की तरह होने लगी थी पर इसके पूछे सिर्फ मुझे मेरी पत्नी का स्वास्थ्य दिखाई दे रहा था इसलिए में कोई समझौता नहीं करना चाहता था और अब मेने मन में निश्चय किया कि में पंडित की कही हुई बातों पर अमल करूंगा. पर मुझे यह भी पता करना था कि अमोल के मन में क्या है और मेने अब इसकी शुरुवात कर दी थी और वो ऐसे की में अपनी पत्नी के ब्रा पेंटी बाथरूम में रख दिया करता ओर देखता की अमोल क्या करता है, कही दिन ऐसे बीतते गए पर अमोल का मन नहीं डोला ,में जैसे ब्रा पेंटी रखता था वैसे ही मुझे मिलते थे अमोल उन्हें हाथ भी नहीं लगाता था, अब मेने पत्नी के लिए नई मैक्सी लाई जो फुल न्यूड थी उसके आगे के स्तनों के भाग पर कोई कपड़ा नहीं था ,मेने पत्नी को पहनने को दिए उसने पहनने शुरू कर दिए, जब अमोल होगा तो में पत्नी को जानबूझकर ऐसे कपड़े पहनता जिसमें उसके अंग दिखाई दे, नई नई ब्रा पेंटी लेकर आता ओर पत्नी को पहनाता दिन बीतते गए और एक दिन मेने अमोल को ब्रा पेंटी को छूते हुए देखा तो मेरी इतने दिनों की मेहनत सफल हो रही थी ऐसा मुझे लगा।

उसके भाव बदल रहे थे जो मेरे लिए अच्छे संकेत थे क्योंकि में अब यही चाहता था और एक दिन अमोल जब मेरी पत्नी घर में नहीं थी, में भी ऑफिस था . अमोल मेरी पत्नी के रूम में गया और उसकी ब्रा पेंटी को लेकर अपने रूम में आया और उनमें मुठ मारने लगा पर उसकी किस्मत फूटी थी क्योंकि में उस दिन जल्दी घर आ गया और मेने ये सब नजारा अपनी आंखों से देख लिया, अमोल बेफिक्र होकर मेरी पत्नी की ब्रा पेंटी को अपने लिंग से रगड़े जा रहा था, वो कभी मेरी पत्नी के ब्रा को चूमता तो कभी अपने लिंग पर लपेटकर रगड़ने लगता में ये सब देखकर उत्तेजित हो गया मेने अपने पर बड़ी मुश्किल से काबू किया और बस अमोल को देखता रहा. मुझे उसका लिंग काफी बड़ा दिखाई दे रहा था और साथ में मोटा भी, अमोल ने फिर ब्रा पेंटी को वापस रूम में रखा और अपने कामों में लग गया तभी उसने मुझे बाहर आंगन में देखा तो उसकी हालत खराब हो गई वो कुछ बोल नहीं पाया .

अरे अमोल तेरी बुआ कहा है मेने उसे पूछा।

मामाजी वो वो बुआ पड़ोस की आंटी के घर गई है।

मेने उसको बिल्कुल भी अंदाजा नहीं लगने दिया कि मेने सब कुछ देख लिया में उसके साथ नॉर्मल बात करते रहा।

जा चाय बना दे ..

जी मामाजी.

ऐसा कहकर वो किचन में चला गया। अब मेरे मन में अमोल का लिंग घूम रहा था में हैरान था कि इतना बड़ा मोटा कैसे ! थोड़ी देर में अमोल चाय लेकर आया और हमने चाय पी और फिर अमोल खेलने चला गया।

में अब प्लान बनाने लगा कि कैसे यह सब किया जाए पर इसके लिए मुझे पहले अमोल के मन को समझना जानना होगा कि क्या वो ऐसा करेगा? क्या उसके मन में ऐसा कुछ है ? अनेकों सवाल मन में उठने लगे।


एक दिन दिन के समय ही में पत्नी की यौन संतुष्टी करने लगा और पत्नी भी पूरे जोश में आकर जोर जोर से आवाज़ करने लगी. वहीं बगल के कमरे में अमोल था तो मुझे विश्वास था कि वो अपनी बुआ की आवाज जरूर सुन रहा होगा में भी जोश में आकर उसको ओर आवाज करने को बोला और पत्नी मेरी सेक्स तृप्ति में इतनी कामोतर थी कि वो भूल गई थी कि दूसरे कमरे में अमोल है वो सब सुन रहा होगा। तभी अमोल की आवाज आई ..

मामाजी,, क्या हुआ बुआ क्यों चिल्ला रही है।

में कुछ नहीं अमोल बस उसको कमर में दर्द में मोच आ गई इसलिए चिल्लाई!

अमोल: ओह अच्छा मुझे लगा आप बुआ को मार रहे हैं।

में : नहीं रे में क्यों मारूंगा तेरी बुआ को ।

अब रोज रात को ऐसी आवाजें होने लगी और अमोल सोचने लगा कि यह क्या हो रहा है और होगा भी क्यों नहीं आखिर वो अब जवान हो गया था उसके हाव भाव सब बदलने लगे थे में खुद उसके कारनामे देख चुका था। अब वो अपनी बुआ को मैक्सी में देखता जिस कारण अब उसके हाव भाव बदले लगे थे।

एक दिन जब पत्नी घर में नहीं थी तो मेने अमोल को बुलाया और उसका फोन मांगा. उसने भी फोन मुझे दे दिया मेने उसके फोन में गैलरी ओपन की ओर अश्लील वीडियो फ़ोटो उसको दिखाते हुए कहा कि क्या यह चल रही तेरी पढ़ाई!’...

वो मामाजी, ये तो मेरे दोस्तों ने मेरे फोन में डाले थे।

तो तूने हटाए क्यों नहीं?

वो भूल गया’।

अच्छा में सब जानता हूं अमोल ! अच्छा एक बात बता क्या तेरा मन इनको देखकर कुछ करने को होगा है।

न न,नहीं’ ......

मेरी बात सुनकर अमोल पत्थर की तरह निर्जीव सा हो गया मेने उसे हिलाया और कहा क्या हुआ कहा खो गया बता क्या तुझे कुछ होता है?’

बस दोस्तो में डाले थे तो देख लिया...’!

अच्छा ’ तो दोस्त कुछ भी गलत करेंगे तो तू भी करेगा क्या?

नहीं मामाजी!’

क्या नहीं मामाजी ! बता क्या तेरी इच्छा हुई कभी?


हां जब देखा तो मन में उत्सुकता हुई ।


अच्छा तो अगर में तेरे को करने को कहूं तो क्या तू कर सकेगा।

आप कैसे बात कर रहे।


जो पूछा उसका जवाब दे, क्या करेगा।’

हां करूंगा।’

अच्छा तो ठीक है में कुछ करता हूं।’ लास्ट समय में मना तो नहीं कहेगा ना?

नहीं मामाजी।’


अब मेने उसे बैठाया और उससे कहने लगा - देख अमोल एक शादी शुदा महिला है यूं ही कोई चौबीस पच्चीस साल की होगी उसको एक अजीब सी बीमारी हो गई है इसलिए उसकी मदद करनी है।

मामाजी में कैसे उसकी मदद ओर उसकी बीमारी से मेरा क्या संबंध.’?

देख अमोल उस महिला का एक स्कूल का दोस्त था जो उसे बहुत प्यार करता था पर उसने कभी उसको नहीं बताया और फिर उस लड़की की शादी हो गई पर उस लड़के की कामवासना की आग बढ़ती गई और आखिर में उसने आत्महत्या कर ली पर अब उसकी आत्मा उस के अंदर समा गई है और वो उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाता है जिस कारण उस महिला की जिंदगी खतरे में पड़ गई,कही डाक्टरों से इलाज करवाया पर कोई फायदा नहीं हुआ फिर एक पंडित ने कहा कि उस लड़के की आत्मा को किसी उस उम्र के लड़के के शरीर में प्रवेश करवाकर उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने होंगे तब वो महिला सही हो जाएगी अन्यथा उसका बचना मुश्किल है तो बता क्या तू उस असहाय महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने को तैयार है। देख इसमें तुझे घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि उस महिला को तू जानता है पहचानता है।

में जानता हूं? पहचानता हूं? ये जैसे संभव है मामाजी जी’ में तो ऐसी किसी भी महिला को नहीं जानता ।

तू वो सब छोड़ बस तू उसकी मदद करने को तैयार है कि नहीं।

में कैसे उसकी मदद कर दूं जैसे में जानता नहीं ।’

मेने कहा ना तू जानता है और वैसे भी तुझे सिर्फ बाहरी रूप से शारीरिक संबंध बनाने है ताकि उस लड़के की आत्मा को यह लगे कि तुमने सच में ऐसा किया है और बस वो आत्मा उसको हमेशा के लिए छोड़कर चली जाएगी और उसकी जिंदगी पहले की तरह हो जाएगी।


बाहरी रूप से शारीरिक संबंध! मतलब?

मतलब''' तुझे उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने की आवश्यकता नहीं बस उसके जिस्म को सहलाना है. उसकी मालिश करनी है ताकि वह गर्म हो जाए!

मालिश करने से कैसे गर्म ? में समझा नहीं मामाजी जी।

अमोल जब तू उसकी नग्न मालिश करेगा, उसके अंगों को सहलाएगा,उन्हें दबाएगा तो वो गर्म नहीं होगी क्या?

जी मामाजी ''' होगी!'

तो फिर ,, जब वो गर्म होगी तो उसके अंदर कामवासना का संचार होगा और उसी स्थिति में उस लड़के की जो आत्मा तुम्हारे अंदर होगी उसे भी ऐसा आनंद मिलेगा और वह संतुष्ट हो जाएगा क्योंकि उसे बस अपनी कामेच्छा को संतुष्ट ओर उसकी कामेच्छा को संतुष्ट करना है बस ओर कुछ नहीं ओर उसके लिए बाहरी रूप से संतुष्ट करना भी उचित उपाय है।


ठीक है पर क्या वो महिला तैयार है ऐसा करने को ?

उसको इसके बारे में नहीं बताना है इसके लिए पंडित जी ने उपाय बताया है।

कौन सा उपाय?

उसके आंखों पर ओर तुम्हारी आंखों पर पट्टी बांधनी है ताकि वो यह ना समझ पाए कि यह वो आत्मा है या नहीं तुम्हारे सिर्फ हाथों का स्पर्श ही उसके बदन पर होगा और कुछ नहीं क्योंकि अगर उसे थोड़ा सा भी आभास हो गया या पता चल गया तो सब बेकार हो जाएगा क्या पता वो मना कर दे क्योंकि यह उस महिला के सुरक्षा का मामला है ताकि उसे भविष्य में कोई समस्या ना हो पाए।

जैसा आपको सही लगे मामाजी! अगर मेरे से किसी का भला होता है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है,आप मुझे बता दीजियेगा जब करना होगा तो।

ठीक है पर यह भी याद रहे तुम्हे उस समय कुछ बोलना नहीं है एक दम मौन व्रत रखना है ऐसा पंडित जी बोले. किसी भी प्रकार की हेल्फ अगर चाहिए होगी तो में वहां मौजूद रहूंगा।

आप क्यों ? क्या आप भी वहां मौजूद रहेंगे।

हां क्योंकि ऐसा मुझे कहा गया है इसकी सारी विधिः विधान मुझे बताएं गए हैं उस समय मुझे यह भी देखना है कि कोई गलती तुमसे ना हो जाए।

ठीक है जैसा आप उचित समझे। पर मामाजी आपने कहा कि में उसे जानता हूं ओर आप भी उस समय वहां मौजूद रहेंगे मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा आखिर वो महिला है कौन जो आपके सामने ही ऐसा करने को तैयार है।

है कोई तू बस अपने काम से मतलब रख।

मामाजी जी आप उसका नाम बताए में तब आपकी बात मानूंगा।

अरे अमोल जिद क्यों कर रहा है तुझे जानकर क्या करना है और वैसे तू उसको देख नहीं पाएगा क्योंकि आंखों पर तो पट्टी होगी ना तो फिर क्यों जिद पर रहा है।


ठीक है मामाजी ।’


पर में जैसा इशारों में कहता रहुगा वैसे ही करना है अपनी इच्छा अनुसार कुछ नहीं समझा!

जी मामाजी।’ पर एक बात बताए जब मेरी आंखों पर पट्टी बंधी होगी तो में कैसे आपके इशारों को देख पाऊंगा?

अरे हां ये तो में सोचा ही नहीं! खेर में तुम्हारे कान में कहता रहुगा और तुम उसको फॉलो करना।

हम्मम '''' ये सही रहेगा मामाजी!


अब जा खेलने चले जा में तुझे बता दूंगा जब तैयारी हो जाएगी. अमोल जी कहते हुए बाहर निकल गया और में अपने कमरे में बैठकर आगे की प्लानिंग बनाने लगा में जानता था कि जो में कर रहा वो सही नहीं परन्तु मुझे अपनी पत्नी पहले जैसे चाहिए थी एक दम स्वस्थ बस इसलिए में अपने मन में पत्थर रखकर यह अनर्थ करने को तैयार हुआ था। जिंदगी दोस्तो कैसे कैसे खेल दिखलाती है ये अब मुझे पता चला, अपनी प्रिय प्यारी पतिव्रता पत्नी को में

अब किसी ओर के साथ शारीरिक रूप से निवस्त्र और बाहरी रूप से शारीरिक संबंध बनाने को ... क्या कहूं शब्द नहीं हैं पर विधाता के लेख को कौन मिटा सकता है।

कहानी जारी है........
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Vary good update
 

pussylover1

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sunoanuj

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