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Eroticaमेरी पत्नी ( सु )( धा ) का शुद्धिकरण.....( एक गढ़वाली महिला की दास्तान)
इशिता: भैया अच्छी हूं. क्या बात आप तो फ़ोन भी नहीं करते हैं.
मैं: सॉरी.. पर क्या करू तेरी भाभी की तबियत आजकल ठीक नहीं तो बस इसी टेंशन में ध्यान नहीं आया.
इशिता: क्या हुआ भाभी को?
मैं: पता नहीं! सारे डॉक्टरों को दिखा दिया पर कुछ पता नहीं चल पाया कि बीमारी क्या हैं.।
इशिता: अच्छा! ऐसा क्या हो गया उन्हें. आपने मम्मी से बात की इस बारे में.
मैं: उन्हें बताया और उन्होंने किसी ज्योतिष से मिलने को कहा था. में मिला भी पर कुछ नहीं हुआ ।
इशिता: ओह... भैया आप भाभी को गांव ले आवो क्या पता यहां ठीक हो जाएं.
मैं: गांव में कैसे ठीक होगी वो.?
इशिता: भाई माहौल का फर्क पड़ता है क्या पता भाभी को वहां शहर में अच्छा न लग रहा हो इसलिए कहा।
मैं: हम्मम... बात तो सही है पर अभी अमोल के स्कूल का चक्कर है तो कुछ दिनों बाद आएगी or वैसे भी कल ही तेरी भाभी अपन मायके जाने को बोल रही थी।
इशिता: ये तो अच्छा है फिर भाई आप उन्हें भेज दो फिर...
मैं: हां बस अगले हफ्ते भेज दूंगा । ये बता तेरी पढ़ाई कैसे चल रही है.
इशिता: मस्त चल रही भाई और इस बार में क्लास में पहले नंबर पर आऊंगी .
मैं: अच्छा है और सुना मम्मी पापा कैसे है.
इशिता: सब अच्छे हैं भाई. मेरे लिए भाभी के हाथों दो शूट भेज देना।
मैं: ठीक है. और बता कुछ चाहिए हो तो बता दें।
इशिता: बस ओर कुछ नहीं आप दो गर्म शूट भिजवा देना ओर हां भाई, भाभी को कहना की मायके ज्यादा न रहना ...
मैं: तू भी ना. अच्छा ठीक है में फोन रखता हूं बाय’
इशिता: बाय भैया.
असल में मेरी बहन पढ़ने में होशियार थी और मुझे विश्वास था कि वो क्लास में क्या अपने स्कूल में पहले नंबर पर आएगी.
एक बार ऑफिस से आते हुए मुझे एक बोर्ड पर एक ज्योतिष का इस्तियार दिखा में बाइक रोकी और उस फोन पर कॉल किया. हैलो...
जी कहिए कौन बोल रहा है. उधर से आवाज आई।
मैं: नमस्कार पंडित जी. में राजवीर मुझे आपसे कुछ पूछना था क्या आप अभी मिल सकते हैं.
पंडित: जी बिलकुल आप मेरे ऑफिस में आ जाएं.
जी पंडित जी. मेने फिर कॉल काटी और सीधा उनके ऑफिस चला गया।
नमस्कार पंडित जी. मुझे आपसे अपनी पत्नी की तबियत के बारे में जानकारी चाहिए थी.
पंडित: हां कहिए .
मैं: वो कुछ दिनों से मेरी पत्नी कुछ अजीब हरकतें किया करती हैं। मेरा इतना कहते ही पंडित जी ने मुझे जो उपाय बताया वो वैसा ही था जैसा इससे पहले उस पंडित ने कहा था में सोच में पड़ गया कि यह कैसे संभव है क्या कोई दूसरा उपाय नहीं पंडित जी. मेने पूछा ! ‘ नहीं बेटा इसका निवारण सिर्फ यही है पंडित जी ने दो टूक कहा।
मैं फिर वहां से निकल आया और सारे रास्ते सोचते हुए घर पहुंचा. पत्नी को आवाज लगाई तो अमोल बाहर आकर बोला कि बुआ तो पड़ोस की आंटी के घर गई हुई है. अच्छा ’ तो अमोल जरा एक कप चाय बना दो फिर तुम्हीं.’ जी मामाजी ओर अमोल किचन में चल गया में कुर्सी में बैठे बैठे सोचने लगा कि क्या किया जाए. कैसे पत्नी को इस समस्या से बचाया जाए. में बहुत ही सुलझा हुआ इंसान था. किसी महिला या लड़की को देखकर मन में सवाल विचार उठाना लाजिमी था पर मेने कभी भी उसे हकीकत करने की कोशिश या नजर से नहीं देखा था. कभी कभी सेक्सी वीडियो देख लिया करता था पर मुझे नहीं लगता कि यह गलत है. में अपनी पत्नी के लिए पूरा निष्ठावान था जो भी एक पति के धर्म कर्तव्य ओर जिम्मेदारी होती है में उन्हें बखूबी निभा रहा था पर अब समय की इसी परस्थिति उत्पन्न हुई की में सोच में पड़ गया कि क्या किया जाए. क्या यह सही होगा कि अपनी जीवन संगनी को किसी पराए मर्द को सौंप दिया जाए. क्या इसका कोई उपाय नहीं,कैसे यह किया जाए में यही सोचते हुए कुर्सी में बैठा हुआ सोच रहा था तभी अमोल चाय लेकर आया .
मामाजी जी चाय!
वो अच्छा यहां रख दे .
क्या हुआ मामाजी आप कुछ परेशान लग रहे हैं क्या बात है.
कुछ नहीं बस आज ऑफिस में काम ज्यादा था तो थोड़ा उसी की टेंशन !
अच्छा ठीक है पर आप चाय पी लीजिए नहीं तो ठंडी हो जाएगी. इतना कहकर अमोल अपने रूम में चला गया। में चाय पीते हुए बस यही सोच विचार कर रहा कि क्या किया जाए जिससे पत्नी ठीक हो जाए। चाय पी कर उठा तभी पत्नी आ गई.
अरे बहुत देर लगा ली तुमने.
हां बस थोड़ा आंटी के साथ बातों में . अच्छा आप कब आए और चाय पी ली क्या ?
हां पी ली. अमोल ने बना दी थी ।
अच्छा ठीक है में थोड़ा पूजा करने जा रही तो आप सब्जी काट लेना . ऐसा कहकर पत्नी बाथरूम में हाथ पैर धोने चली गई।
अब में आपको अगले दिन की बात बताता हूं. जैसे ही में सुबह उठकर किचन में गया पानी लेने तो मेने पत्नी को देखा और में दंग रह गया. उसने आज फिर से वही मैक्सी पहनी हुई थी जिसको मेने मना किया था. आज भी उसने ब्रा पेंटी अंदर नहीं पहनी थी और जिस कारण उसका सारा बदन साफ साफ दिखाई दे रहा था मेने उसे बोला तो वही रोज की तरह उसने मेरी बात को इग्नोर कर दिया. में सोचने लगा ऐसे तो बहुत दिक्कत हो सकती है अगर कभी अमोल ने ऐसे देख लिया उसे तो . भले मुझे विश्वास था कि अमोल की नजर गंदी नहीं है. हां भले उसके मोबाइल में मुझे कुछ आपत्तिजनक वीडियो फ़ोटो देखी पर में समझता था कि इस उम्र में यह होना स्वाभिक है यह कोई गलत नहीं पर में यह भी जानता था कि अगर मेरी पत्नी ऐसे ही नग्न धड़ंग कपड़े पहने हुए रखेगी तो जरूर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा पर में क्या कर सकता था ये समझ नहीं आ रहा था। रात को जब हमने रोज की तरह सम्बंध बनाए तो मेरी पत्नी फिर से वही हरकतें करने लगी जो वो किया करती थीं मेने उसे समझाया पर वो कहती कि पता नहीं मुझे क्या हो जाता है मुझे तो ऐसा लगता कि कोई मेरे शरीर में प्रवेश कर गया जो मेरे से ऐसी हरकते करता है. में उसकी बातों से दुविधा में पड़ गया कि क्या किया जाए। आखिर कार मेने उससे पुछ लिया की क्या तुम्हारे स्कूल टाइम में किसी लड़के से बात विचार मेरा मतलब किसी से प्रेम प्रसंग थे.।
कैसे बाते कर रहे आप मेरा ऐसा कोई चक्कर नहीं था . मेरी पत्नी मेरे पर गुस्सा होते हुए बोली.
मैं: अरे वो तो में ऐसे ही पूछ लिया बाकी मुझे पता है कि मेरी पत्नी ऐसे बिलकुल नहीं है।
सुधा: तो जब आपको पता है तो फिर आज क्यों ऐसा सवाल पूछा?
मैं: अरे बस ऐसे ही मन में आया क्योंकि मेरा एक दोस्त है तो उसने बताया कि उसकी पत्नी ने उसे बताया था।
सुधा: में समझी नहीं?!
मैं:अरे दोस्त बोला कि मेने जब उसे पूछा तो उसने कहा कि हां मेरा स्कूल ke समय किसी से प्रेम प्रसंग थे.
सुधा: अच्छा तो आप अपने दोस्त की बीबी को मेरे साथ जोड़ रहे हैं. क्या में ऐसे लगती हूं आपको ?
मैं: नहीं मेरा ऐसा कहना नहीं था वो तो बस ऐसे ही पूछा था. मुझे लगा क्या पता तुम्हारा भी कोई रहा हो.
सुधा: शक ’ कर रहे हो आप?
मैं: नहीं यार क्यों शक करूंगा बस ऐसे ही पूछ लिया ।
सुधा: अच्छा इतने सालो में तो कभी नहीं पूछा तो आज अचानक से क्यों?
मैं: वो इसलिए क्योंकि आजकल के जमाने में ऐसा हो रहा तो इसलिए देखा नहीं कही रोज अखबार में ऐसे ही खबरें आती रहती हैं।
सुधा: जो ऐसा करते हैं वो पहले से ही चरित्र हीन रहते हैं और फिर शादी करने के बाद भी ऐसा करते रहते हैं।
मैं: सही कहा तुमने खैर छोड़ो इन बातों को पर एक बात मुझे बताओ तुम जब मेने तुम्हे मैक्सी पहनने को मना किया है तो फिर तुम क्यों पहनती हो. तुम्हे मालूम है उस मैक्सी में तुम्हारे सारे अंग दिखाई देते हैं और ऊपर से तुम अंदर भी कुछ नहीं पहनती ये क्या हैं क्यों तुम्हारी समझ में नहीं आता.
सुधा: मेने कहा ना कि पता नहीं मुझे क्या हो जाता है मेरी खुद समझ नहीं आता में क्या कर रही हूं।
मैं: ठीक है तो कल में तुम्हें डॉक्टर के पास लेकर चलता हूं।
सुधा: क्या डॉक्टर के पास लेकर ! में कोई बीमार थोड़ी ना हूं।’
मैं: तो ऐसे हरकते क्यों करती हो फिर में एक नहीं सुनूंगा कल डॉक्टर के पास जाना है तो बस जाना है।
सुधा : अच्छा ठीक है आप नाराज मत हो में चलूंगी बस अब सो जाओ नींद आ रही है.
मैं: ठीक है गुड नाईट।
सुधा : गुड नाईट।
अगले दिन ऑफिस की छुट्टी ले ली और फिर पत्नी को लेकर डॉक्टर के पास गया . डॉक्टर ने देखा तो बोला आपकी पत्नी बिलकुल स्वस्थ है इन्हीं कोई बीमारी नहीं. मेने डॉक्टर से कहा कि ये रात में ऐसी हरकते किया करती है तो डॉक्टर कहे यह सब नॉर्मल है और आप अपनी पत्नी की सेक्स तृप्ति किया कीजिए बस बाकी कुछ नहीं. जबकि मेने उन्हें बताया कि में पहले की तरह ही पत्नी को सेक्स तृप्ति किया करता हूं पर आजकल पता नहीं इसको क्या हो जाता है. डॉक्टर ने मेरी बाते सुनी थोड़ी देर चुप चाप रहा और फिर बोला आप इन्हें किसी अच्छे पंडित ज्योतिष के पास दिखा दीजिए क्या पता इन पर कोई ऊपरी साया अर्थात भूत प्रेत लगा हो. डॉक्टर की बात सुनकर में सोचने लगा कि जब डॉक्टर भी यह कह रहा तो इसका मतलब जो वो पंडित कह रहा था वो सत्य है. खैर मेने डॉक्टर साहब से अलविदा किया और फिर में पत्नी को लेकर घर आ गया।
घर पहुंचा तो पत्नी कही ये डाक्टर किस पंडित ओर क्या भूत प्रेत की बात कर रहा था. मेने उसे समझाया कि तुम्हें कोई बीमारी नहीं है इसलिए डॉक्टर ने किसी पंडित को दिखाने को कहा. क्या पता सच में तुम्हारे ऊपर किसी भूत प्रेत का साया हो . ‘ तुम सही कह रहे मुझे भी लगता है। मेने आपको बताया था ना कि पता नहीं मेरे को क्या हो जाता है में अपने शरीर पर कंट्रोल नहीं कर पाती हूं । ‘हां अब तो मुझे भी लगने लगा है कि तुम्हारे ऊपर किसी भूत प्रेत का साया है चलो में कैसी पंडित से मिलता हूं ताकि इस समस्या का समाधान निकल पाएं।
“हां ये ठीक रहेगा आप आज ही किसी पंडित से मिल लो. मेरी पत्नी ने बोला।’
पंडित जी नमस्कार!
पंडित: ओह'''' यजमान आप आ गए क्या हुआ आपकी पत्नी ठीक हुई ?
नहीं पंडित जी. आज ही सुबह डॉक्टर को दिखाया पर कोई फायदा नहीं हुआ वो डॉक्टर भी यही बोला कि किसी पंडित से दिखाओ।
पंडित: तो अब आपका क्या इरादा है क्या आप मेरी कही हुई बातों को मानते हैं कि नहीं ।
जी पंडित जी अब क्या करू इसके सिवा कोई और रास्ता है ही नहीं मुझे ऐसा लगता है। आप अब मुझे विस्तार से इसकी विधिः विधान बताएं।
पंडित: बेटा मेने पहले ही तुम्हे सारी विधिः बता दी है बस अब तुम्हारी उसपर अमल करने की बात है. क्या आपने पत्नी को अवगत कराया?
पंडित जी मेने पत्नी से बस इतना कहा कि में किसी पंडित से इसका उपाय पूछकर आता हूं पर ये नहीं कहा जो आपने मुझे बताया था।
पंडित: बिलकुल सही किया! अभी आपको अपनी पत्नी को इसके बारे में नहीं बताना है।
क्यों?
पंडित: क्यों? बेटा अगर बता दिया और आपकी पत्नी ने मना कर दिया तो सारी विधिः विधान से किया हुआ कार्य सब नष्ट हो जाएगा।
अच्छा... पर में उसे कैसे नहीं....
पंडित: बेटा समय आने पर बता देना पर अभी तो नहीं।
ठीक है पंडित जी’ अब आप बस मुझे इसकी सारी विधिः बताएं।
पंडित : जो बताया वहीं विधिः विधान है बाकी कुछ नहीं।
में समझ गया परंतु ये होगा कैसे में वो जानना चाहता हूं।
पंडित : होगा कैसे? यह तो आपके ऊपर निर्भर करता है किंतु में इतना अवश्य कहना चाहता हूं कि इससे आपकी पत्नी पूर्णतया स्वस्थ हो जाएगी।
में भी यही चाहता हूं कि मेरी पत्नी स्वस्थ हो जाएं पर में अंतरमन से विचलित हूं मेरा मन ऐसा करने को तैयार नहीं में क्या करू।
पंडित: देखो बेटा में तुम्हारी व्याकुलता परेशानी समझ रहा हूं पर तुम निसंकोच होकर इस कार्य को करो क्योंकि श्रृष्टि ने सबका समाधान करने का कोई ना कोई विकल्प व्यवस्थित किया हुआ है और इसी तरह आपकी पत्नी की जो समस्या है उसका विकल्प भी यही है।
में आपको कैसे समझाऊं कि मेरी क्या समस्या है. आपने तो मुझे बीच भवर में छोड़ दिया है।
पंडित : चिंता मत करो. तुम मुझे पता है क्यों चिंतित हो परंतु अगर इसी दुविधा में रहोगे तो कुछ नहीं होगा।
आखिर में कैसे अपनी पत्नी को किसी पराए मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति दूं और में क्या इस पूरे समाज में शादी शुदा हमराही ऐसा करने की अनुमति नहीं दे सकते. यह बहुत गलत अनुचित है इस तरह का घृणित कार्य कोई भी नहीं करेगा तो में कैसे इसके लिए मान जाऊं आप ही बताएं पंडित जी।
पंडित : विधिः का विधान न कोई देख पाया और ना कोई उसे मिटा पाया बेटा ओर जब तुम्हारी किस्मत ही ऐसी है तो में क्या कर सकता हूं . कोई ओर उपाय होता तो में खुद ऐसा नहीं करने को कहता।
पंडित जी ने मुझे ऐसा कहकर सांत्वना देने की कोशिश करी पर मेरा दिमाग मन कुछ मानने को तैयार नहीं था।
क्या सोच रहे हो बेटा.पंडित जी बोले।
में अपनी निंद्रा से जगा ओर उन्हें जवाब दिया ‘कुछ नहीं पंडित जी ’।
पंडित: बेटा ऐसे सोच में रहोगे तो कुछ नहीं होगा तुम्हे तुरंत फैसला लेने की आवश्यकता है अन्यथा कुछ भी हो सकता है।
में पंडित की बाते सुनकर सोच में पड़ गया कि क्या ऐसा होता है क्या यह पंडित मेरे को अपने जाल में फंसा तो नहीं रहा. क्योंकि मुझे पंडित की नियत पर पहले ही शक हो गया था जब उसने कहा था कि जब तक उसकी पत्नी थी तो वो उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात हमेशा बनाता था और वो भी जबरदस्त रूप से. पंडित जी कही आप मेरे साथ कोई अनैतिक कार्य तो नहीं कर रहे क्योंकि मुझे आप पर शुरू से शंका हो गई थी।
पंडित : में फिर कह रहा हूं बेटा अगर तुम्हे मेरे पर कोई भी शंका है तो तुम जा सकते हो क्योंकि मेने तुम्हे यहां नहीं बुलाया तुम खुद आए हो।
पंडित का इतना कहकर चुप हो जाना मेरे को उनकी और खींचने का काम करने लगा और मुझे उनपर विश्वास ना चाहते हुए भी होने लगा। में सोचने लगा तभी....
पंडित: क्या सोच रहे हो! अगर किसी भी तरह की शंका है तो तुम अभी जा सकते हो यहां से में तुम्हें नहीं रोकूंगा।
मेने अपनी घड़ी की ओर देखा तो शाम के पांच बज गए थे, मेने पंडित जी से माफी मांगी और उनसे कहा कि में कल आपसे मिलता हूं क्या आप मिलेंगे?
पंडित: बेटा तुम एक नहीं दस बार मेरे से मिलो मुझे कोई दिक्कत नहीं परन्तु अगर कल मेरे से मिलने ओवोगे तो अपना मन एकाग्र करके आना. अपने मन की ‘किन्तु-परंतु’ ये सारी दुविधाओं को यहां मत लाना अन्यथा कोई सार्थक निर्णय नहीं निकल पाएगा।
में उनके कहने का मतलब समझ चुका था। मेने उनसे विदा ली और घर को आ गया।
कहानी कैसी लग रही कमेंट लाइक करके बताएं अगला भाग जल्दी आएगा धन्यवाद।।
‘पत्नी साहेबा,’ सुनो आज मुझे जल्दी जाना है तो नाश्ता पैक कर दो में ऑफिस में ही कर लूंगा.
‘जी,कर दिया. पर आप आज लौटते वक्त राशन लेकर आना,मेने लिस्ट आपके बैग में रख दी है.
‘ठीक है, इतना कहकर में ऑफिस को निकल गया. ,’ राजवीर, तुमने सारा काम कर दिया? ‘नही बॉस बस आधे घंटे में कर दूंगा. मेने अपने बॉस को कहा. ‘ठीक है, बस आधा घंटा! ‘जी बॉस,और में फिर अपने काम में लग गया. ठीक समय पूर्व मेने बॉस को सारा कर के दिया और फाइल उनके टेबल में रख दी. ‘अहोहो, राजवीर तुमने अपने वादे के अनुसार सारा काम सही और सही समय पर कर दिया ‘वेलडन, अच्छा सुनो वो प्रोजेक्ट की फाइल भी थोड़ा सा देख लेना में चार बजे तक आऊंगा एक दूसरी मीटिंग में जा रहा हूं. ऐसा कहकर बॉस चले गए मेने भी उनके कहे अनुसार दूसरे प्रोजेक्ट की फाइल की तैयारी करने लगा . काम में इतना व्यस्त हो गया की टाइम का पता ही नहीं चल पाया. तय समय पर बॉस आए फाइल देखी और मुझे शबासी दी मेरे अच्छे कार्य के लिए. में भी बॉस को थैंक्स कहा और फिर घर के लिए निकल गया. रास्ते में एक जनरल स्टोर में बाइक रोकी जो राशन पत्नी ने मंगवाया था वो सारा लिया राशन ज्यादा था तो एक बैग आगे टंकी के ऊपर रखना पड़ा. धीरे धीरे घर की ओर आ रहा था की तभी एक कुत्ते को बचाने के चक्कर में बाइक रपट गई और मैं नीचे गिर गया. आईईईई,मेरी कमर पर लग गई थी. जैसे तैसे उठा और सारा सामान जो नीचे गिर गया था उसे सही से रखा और घर को फिर निकल आया . दर्द बहुत हो रहा था मुझसे बाइक भी नहीं चलाई जा रही थी पर में हिम्मत करके चलता जा रहा था. कुछ दूर चलने के बाद तभी मेरी निगाह एक मसाज सेंटर पर जा ठहरी। मैंने सोचा, क्यों न यहाँ कमर की मालिश करा लूं।’ बाइक रोकी स्टैंड में खड़ी की ओर इस मसाज सेंटर की ओर बड़ा लेकिन जब अंदर पहुंचा तो एक महिला ने मेरा स्वागत करते हुए कहा, ‘हाँ सर, तो आपको मसाज करना है?’
‘जी हां, वो अभी बाइक से गिर गया जिस कारण थोड़ा कमर पर लग गई सोचा मसाज करवाता घर चलूं।’ क्या ठीक हो जाएगा.
‘हां बिलकुल, उस कक्ष में जाकर लेट जाइए।’ उसने इशारा किया तो मैं उस कक्ष में जाकर लेट गया, लेकिन वहाँ मुझे यह देखकर बड़ी हैरानी हुई, कि महिला की मालिश पुरुष कर रहे थे और पुरुषों की मालिश महिलाएं कर रही थीं। तभी एक तीस बत्तीस वर्षीय सुंदर सी महिला मेरे नजदीक आकर खड़ी हुई -‘कपड़े उतार दीजिए, सर।’
मैने झिझकते हए अपनी शर्ट उतारी और पैंट को थोड़ा कमर से नीचे करते हुए कहा, ‘मुझे सिर्फ अपनी कमर की मालिश करवानी है। आओ आप मेरी कमर की मालिश करो।’ मेरे यह कहते ही वह महिला खीझ गई, ‘सर! आप मालिश करवाने के इच्छुक हैं या नहीं? मैं कपड़ो में आपकी मालिश नही कर सकती।’
तो क्या सिर्फ बिना कपड़ो के मालिश करते हो?’ यह कहते हुए मैं पैंट पहनने लगा, फिर उस कमरे से बाहर आकर बगल वाले कमरे में चले गया। वहाँ एक महिला, एक पुरुष की देह की मालिश करते-करते सहवासरत हो गई थी। मालिश संभोग में बदल गई थी। मैं वहाँ से दूसरे कमरे में पहुंचा तो देखा, एक पुरुष महिला के स्तनों को चूस भी रहा है, और उसकी मालिश भी कर रहा है। मसाज सेंटर के नाम पर वेश्यावृत्ति! मैं यह देखकर ही कांप गया।
‘मैं बुदबुदाते हुए उस मसाज सेंटर के मालिक के केबिन में जैसे ही घुसा, वह घबरा कर उठ खड़ा हुआ- ‘आपने मालिश करवा ली?’
‘मालिश नहीं सहवास कहो, बेशर्मी का अड्डा कहो। यहाँ कौन किसकी मालिश कर रहा है? महिलाएं पुरुषों की मलिश करें या पुरुष महिलाओं की मालिश करें! आखिर शोषण तो महिलाओं का ही होना है। पुरुषों के दिमाग को मानना पड़ेगा। नित नई महिलाओं का उपभोग करने के लिए वे कोई न कोई नायाब तरीका ढूंढ ही लेते हैं। मसाज के बहाने वेश्यावृत्ति का धंधा तो खूब फल फूल रहा है। आपकी कमाई भी अच्छी खासी हो रही है। मैं ठीक कह रहा हूँ न?’
‘क्या आपको पसंद नहीं आया? सर, यहाँ जो पुरुष आ जाते है, वह बड़ी मुश्किल से जा पाते हैं। और आप तो हमारा सारा राज जान चुके हैं। आपको तो अब हम किसी भी कीमत पर खो नहीं सकते।’ यह कहकर वह जोर से आवाज़ लगाने लगा और देखते ही दो मर्द मेरे आजू बाजू खड़े हो गए।
मैंने उनके हमले से पहले ही अपनी पेंट से बाइक की चाभी निकाली और उन दोनो पर हमला कर दिया, मेरे इस अचानक हमले से वो सभी डर गए, ‘मिस्टर! अलविदा! तुम एक ऐसे वेश्यालय का संचालन कर रहे हो, जो धीरे-धीरे पूरे समाज को ही वेश्या बना देगा। तुम्हें मैं चाहकर भी जिंदा नहीं छोड़ सकता। यह मेरी सबसे बड़ी मजबूरी है।’ मेरे शब्द खत्म होते ही चाभी उसके गाल पर घुस गई। मैं वहाँ से बाहर आया और बाइक स्टार्ट करके निकल गया।
घर पहुंचा तो पत्नी से सारी बातें की जो आज मेरे साथ हुई. ‘आप कपडे बदल लो में तेल गरम करके लाती हूं. आधे घंटे तक पत्नी ने मेरी कमर की मालिश करी और मुझे बहुत आराम मिला, ‘सुनो अब आराम है,थोड़ी चाय बना दो. ‘अभी बनाती हूं पर आप लेटे ही रहना थोड़ी देर और इतना कहकर पत्नी किचन में चली गई, में रिमोट उठाया और टीवी चला दी. ‘बुआ, अमोल आवाज देता हुआ कमरे में आ पहुंचा. ‘अरे मामाजी आप लेटे हुए क्यों है? ‘ थोड़ा कमर में दर्द हो रहा था तो सोचा लेट जाएं क्या पता आराम मिल जाएं. ‘क्यों अमोल को झूठ बोल रहे हो सच क्यों नहीं बताते की आते वक्त गिर गया था. ‘ अरे तुम भी ना वो बच्चा है उसे क्या बोलना और वैसे भी इतनी सी बात है बस थोड़ी देर में सही हो जायेगी . ‘ मामाजी आप कहा गिर गए और कहा चोट लगी. ‘ बस थोड़ी कमर पर. ‘ लावो में मालिश कर देता हूं. ‘ वो तेरी बुआ ने अभी थोड़ी देर पहले कर दी है और काफी आराम है तू रात को कर देना. ‘जैसे आपको सही लगे मामाजी, बुआ में चाय नहीं पियूंगा क्योंकि में अभी खेलने जा रहा हूं तो आकर पियूंगा. अमोल ने अपना बेट उठाया और खेलने चले गया. पत्नी चाय लेकर आई दोनो ने चाय पी और फिर में लेट गया.
में सोचने लगा की जो आज उस मसाज सेंटर में जिस तरह से सैक्स रैकेट चल रहा था क्या वह सही है, खुले आम एक महिला पुरुष जो सामने वाले को ना जानते हैं पर उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने को तैयार हैं क्या यह सही है, क्या यह सिर्फ सेक्स की भूख नहीं? क्योंकि मेरा मानना है की एक महिला हो या पुरुष उन्हें अपने चरित्र को यूं सरे आम नीलाम नही करना चाहिए. आज से पहले मेने कभी इस तरह के कार्य नहीं देखें थे इसलिए मेरे मन में एक अजीब सी हलचल पैदा होने शुरू हो गई थी. मुझे रह रहकर वो सीन याद आने शुरू हो गए जो मेने उस मसाज सेंटर में थोड़ी देर पहले अपनी आंखो से देखें थे, वह पुरुष मालिश करते हुए उस महिला के स्तनों को चूसे जा रहा था और दूसरी ओर संभोग क्रिया भी हो रही थी. मन में सवाल उठता की क्या यह जो महिला पुरुष होंगे ये अच्छे समाज का हिस्सा नही होंगे क्या यह वैश्या होगे या अच्छे परिवार समाज से जुड़े होगे कही सवाल मन मे उछल कूद करते पर मेरे पास जवाब सिर्फ ना था. पर इन सबके बीच में मेरा लिंग में तनाव जरूर होने लगा था, मेने इस्तिथि को भाप लिया और ध्यान इस बेमतलब की बातो से हटाया और बाहर निकल आया थोड़ी देर बाहर घुमा पत्नी से बाते की तो तब जाकर आराम मिला.
रात को पत्नी के साथ सैक्स संबंध बनाए पर उसकी कामतृप्ति नहीं हो पाई अब अक्सर ये होने लगा. दिन बन दिन अब मेरी पत्नी की तबियत बिगड़ती जा रही थी, वो अब इतनी कामाध्य हो चुकी थी कि उसे बाकी कुछ याद ही नहीं रहता कि क्या करना है, मेरी पत्नी घर में अब ज्यादा समय मैक्सी में ही रहने लगी थी मेने कितना समझाया पर वो नहीं मानी बस एक ही बात कहती की ये सब नॉर्मल है इसमें कुछ गलत नहीं पर मुझे पता था कि ये सब गलत हो रहा है क्योंकि जो मैक्सी वो पहना करती वो बिलकुल पारदर्शी थी उसके पहनने या ना पहनने में कोई फर्क नहीं था, ब्रा पेंटी या तक कि उसके अंग की बनावट साफ साफ दिखाई देती थी और मुझे मालूम था कि घर में मैं अकेला नहीं हूं साथ में अमोल भी हैं अगर वो ऐसे अपनी बुआ को देखेगा तो उसका उसपे गलत असर पड़ेगा जो सही नहीं है. भले अभी अमोल देखकर अपना मुंह मोड़ देता है पर कब तक! अगर ऐसा ही चलता रहा तो बहुत गलत है में ऐसा सोचते हुए सो गया.
अगले दिन रात को जो हुआ में अचंभित हो गया वो हुआ ये था कि जब हमने सेक्स तृप्ति कर ली तो में सो गया था पर आधी रात में मेरी नींद खुली तो मेने पत्नी को देखा , बेड में लेटे हुए वो कराह रही थी मेने उसे हिलाया डुलाया पर वो कोई रिस्पोंस नहीं दी बस तेज तेज कराह रही थी उसकी सांसे तेज चल रही थी मानो कही मिल दौड़कर आई हो, कमरे में उसकी सिसकियां फैलने लगी थी में डर गया आखिर इसको हो क्या रहा है अब यह सिलसिला रोज रात को होने लगा में जब भी उसे पूछता तो बिल्कुल अनजान सी बन जाती ओर कहती की आपकी कसम मुझे कुछ याद नहीं की में ऐसा करती हूं. मुझे अपनी पत्नी पर पूर्ण रूप से विश्वास था कि वो झूठ नहीं बोल सकती पर में जो आजकल रोज रात हो रहा था उसे भी नकार नहीं सकता था.
एक दिन मेने ऑफिस से मम्मी को फोन किया और उन्हें बताया कि आजकल तुम्हारी बहु रात के समय कुछ अजीब सी हरकते करती है तो मम्मी ने किसी ज्योतिष के ग्याता पंडित को दिखाने के लिए कहा पर में मम्मी की बातों से संतुष्ट नहीं हुआ क्योंकि मेरा मानना था कि यह कोई बीमारी के लक्षण हैं तो इसमें पंडित क्या करेगा और मेने फिर कही अच्छे डॉक्टर को दिखाया पर कोई फर्क नहीं पड़ा अपितु अब तो उसकी हालत दिन ब दिन ओर बिगड़ रही थी. एक दिन मम्मी ने बताया कि कही बहु के ऊपर कोई साया(भूत प्रेत ) तो नहीं लग गया पहले में मम्मी को मना करता रहा की ऐसा कुछ नहीं है और ना कोई साया भूत प्रेत होता है पर जब उसकी हालत में कोई सुधार न हो रहा तो एक दिन में ऑफिस से जल्दी आ गया और सामने के मंदिर में गया, वहां पर एक बूढ़े से पंडित जी बैठे थे मेने उन्हें सारी बातें बताई पर उन्होंने कहा कि ‘बेटा ये भूत प्रेत की विद्या में नहीं जानता हूं,’ में पूछा पंडित जी क्या आप किसी ऐसे पंडित को जानते होंगे जो ये सब करता हो? ‘ हां एक मेरे पहचान का है में उसका नंबर आपको देता हूं,’ में ठीक है आप नंबर दे दीजिए, उन्होंने एक नंबर दिया और में वहां से निकल आया ।
आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है आप कमेंट लाइक करके बताएं,अगला भाग जल्दी आएगा धन्यवाद धन्यवाद
अगले दिन मेने उस नंबर पर फोन किया पंडित जी से बात की उनका पता पूछा ओर उनसे मिलने का टाइम ले लिया।
मेने बाइक लेकर चल दिया जब मैं सड़क पर आया तो ठंडी और ताजी हवा के स्पर्श मात्र से ही मुस्करा पड़ा तभी मेरी नजर एक ज्योतिष-केन्द्र पर पड़ी तो वहाँ जाने से मैं खुद को रोक न सका जैसा उन्होंने बताया था वह कन्फर्म किया और फिर अपने आप ही मेरे कदम उधर बढ़ गए। मैंने देखा, वहाँ भीड़ नहीं थी। वैसे तो ज्योतिष पंडित पर मुझे विश्वास नहीं था, पर अब थोड़ा-थोड़ा यकीन होने लगा था। मेरे खयाल से व्यक्ति ज्योतिष, ईश्वर, मंदिर आदि पर तभी विश्वास करता है, जब उसके सामने अपनी रक्षा का कोई अन्य उपाय नहीं होता है। वह चारों तरफ से निराश हो जाता है। मेरी स्थिति कुछ ऐसी ही थी। ईश्वर के प्रति अगाध प्रेम मन में उमड़ आया था।
जैसे ही मैं उस ज्योतिष केन्द्र में दाखिल हुआ, पंडित मुस्करा कर बोला-‘आइए…आइए! मैं देख रहा हूँ आपका जीवन काफी मुसीबतों से गुजर रहा है।’
पंडित के प्रति मेरी श्रद्धा और भी बढ़ गई। कोई जान न पहचान और मुझे देखते ही उसने सच्चाई बता दी थी. मेने फोन में सिर्फ उन्हें इतना कहा था कि मेरी कुछ समस्या है. मैंने कहा- ‘पंडित जी, क्या हाथ की रेखा भी देखते हैं आप?’
‘मैं सिर्फ हाथ ही नहीं, बल्कि मस्तक की रेखाएं भी देखता हूँ। आपके मस्तक की रेखाएं बता रही हैं कि आपका वैवाहिक जीवन सही नहीं चल रहा आपकी पत्नी को कोई कोई समस्या आन हुई है उसे रात के समय तरह तरह की दिक्कतें हो रही हैं . पंडित के यह कहते ही मैंने हाथ उसके आगे बढ़ा दिया- ‘पंडित जी, आप तो मेरे बारे में बहुत कुछ जानते हैं।’
हस्तरेखाओं पर नजर डालते हुए पंडित बोला- ‘ आपकी शादी को चार साल हो चुके हैं, आपको अपनी पत्नी से बहुत प्रेम है और वो भी आपको बहुत प्रेम करती है, आपकी पत्नी एक पतिव्रता स्त्री है, न कोई छल कपट न किसी से बेर एक दम सीधी साधी स्त्री है आपकी पत्नी ’
पंडित इतना कहकर मुझे एकटक घूरने लगा। फिर कहने लगा- ‘आपका पूरा जीवन संघर्षों की भेंट चढ़ जाएगा। आपका वैवाहिक जीवन में बहुत कठिनाइयां होंगी, उसका समाधान करवाना अति आवश्यक है।’
पंडित जी क्या परेशानियां होगी आप साफ साफ कहें’?
बेटा बात ऐसी है कि तुम मेरे से अपने नहीं अपनी पत्नी के बारे में पूछने आए हो, में सही कह रहा हूं ना।’
जी पंडित जी पर आपको कैसे पता चला?
बेटा मैं पंडित के साथ एक ज्योतिष भी हूं मेने कही सालो तक इसकी विद्या का अध्ययन किया है।’
वो आपको देखकर मालूम होता है, पर पंडित जी में आपसे क्या कहूं कि मेरी क्या परेशानी है!
अगर बात करने में संकोच करोगे तो तुम्हारी परेशानी का समाधान नहीं हो पाएगा इसलिए निसंकोच होकर अपनी बात कहो क्या पता में आपकी मदद कर दूं.
‘नहीं ऐसा कुछ नहीं है, मैंने पंडित जी को पांच सौ रुपए दिए और ज्योतिष-केन्द्र से जाने के लिए उठ खड़ा हुआ तभी पंडित जी ने टोक दिया। ‘मुझे पूछना तो नहीं चाहिए, लेकिन क्या करूँ आदत से मजबूर हूँ। क्या आप इसी शहर की रहने वाले है? और कौन-कौन है आपके परिवार में?’
‘हाँ मैं पिछले कही सालो से इसी शहर में हैं। मेरे परिवार में मेरी मां पापा बहन और मेरी पत्नी है। परंतु यहां पर सिर्फ मैं मेरी पत्नी ही रहते हैं बाकी सारे गांव में रहते हैं। अच्छा, पंडित जी अगर कोई समस्या होगी तो मैं फिर मिलूंगा।’ इतना कहकर मैं जैसे ही दरवाजे की ओर बढ़ा, वह पंडित भी मेरे पीछे हो लिया। मैंने मुड़कर कहा- आप क्यों कष्ट कर रहे हैं?’
‘यह तो मेरा फर्ज बनता है। चलिए, मैं आपको आपकी गाड़ी तक छोड़ दूं। आप इतने सज्जन पुरुष हैं, कि कौन नहीं आपके साथ कुछ पल बिताना चाहेगा।
जी पंडित जी ये तो आपका बड़प्पन है.
देखो बेटा में कहना तो उचित नहीं क्योंकि तुमने मेरे को अपनी पत्नी की समस्या से अवगत नहीं कराया परंतु क्या करू में किसी की परेशानी देखकर चुप नहीं बैठ सकता इसलिए कहना चाहता हूं।’
क्या कहना चाहते हैं आप ?
यही जो तुमने मेरे को नहीं बताया।
क्या नहीं बताया मेने आपको?.
यही की तुम्हारी पत्नी के समय अजीब सी हरकते करती हैं!
नहीं ऐसा कुछ नहीं, असल में पड़ित से बात करने में संकोच कर रहा था जबकि में आया ही यहां इसलिए था।
क्या सोच रहे हो बेटा में जो भी कहूंगा वो सत्य होगा अगर तुम्हे रत्ती भर भी झूठ लगे तो मेरी बात को ना मानना ओर ना उसपर अमल करना।’
नहीं ऐसा कुछ नहीं मुझे आप पर विश्वास है तभी तो में आपके पास आया था.
तो फिर बताओ अपनी समस्या, घबराओ मत. पंडित जी कहे।
अब क्या कहूं आपसे, ’
घबराओ नहीं।
वो बात ऐसी है कि पंडित जी की मेरी पत्नी कुछ दिनों से शारीरिक संबंध बनाते समय कुछ अजीब सी हरकते किया करती है पहले मुझे नॉर्मल लगा पर अब में यकीन से कह सकता कि उसे कोई दिक्कत है।
कैसी हरकते जरा खुलकर बताओ!
वो क्या कहूं मुझे शर्म आ रही है.
अगर शर्म करोगे तो कैसे इसका निवारण पाओगे!
मेने भी दिल को मजबूत करते हुए कहा कि पंडित जी मेरी पत्नी शारीरिक संबंध बनाते हुए कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो जाती है, उसकी कामतृप्ति नहीं हो पाती जबकि में पूरी तरह से उसको संतुष्ट करता हूं, जब पूछता हूं तो वो बस यही कहती कि कुछ भी पता नहीं मुझे, पता नहीं उसे यह सब क्यों याद नहीं रहता कि उसने क्या किया. वो घर में अजीब से कपड़े पहनने को उत्सुक रहती है मेरा मतलब मैक्सी,’ कही बार उसको मेने समझाने की कोशिश करी पर वो मानती नहीं।’
‘बेटा ये जो आपकी पत्नी के साथ हो रहा ये कोई नॉर्मल बात नहीं है. देखो आपकी पत्नी एक पतिव्रता स्त्री के साथ जवान सुंदर भी हैं मुझे यह भी ज्ञात है कि आपकी पत्नी बहुत सुंदर शारीरिक रचना की धनी है. उसकी कामतृप्ति नहीं हो पा रही तभी तो वो इस तरह की हरकते किया करती है. एक जवान सुंदर स्त्री को शारीरिक संबंध में तृप्त करना अति आवश्यक है. स्त्री सुंदर हो तो उसके साथ कामतृप्ति करना हर कोई चाहता है. स्त्री को पुरुष से भरपूर सहयोग सेक्स चाहिए होता है भले आप उसे यह सब दे रहे हैं पर उसकी कामतृप्ति नहीं हो रही हैं. में अपना ही उदाहरण दूं तो जब तक में वैवाहिक जीवन में था तो मेरे अपनी पत्नी की कामतृप्ति में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।’
पंडित जी अचानक ही इतना बदल गए कि मैं आश्चर्यचकित रह गया-
‘ज्योतिष विद्या के इतने अच्छे जानकार व्यक्ति की कमजोरी भी खूबसूरत और युवा स्त्री है!’ मैं यही सोचता हुआ बोला- ‘पंडित जी पराई स्त्री की प्रशंसा करना ठीक नहीं, यह तो आपको मालूम ही होगा। अच्छा आप लौट जाइए।’
‘आप तो बुरा मान गए। जो चीज सुंदर होगी, उसी की तो प्रशंसा की जाएगी। देखिए, मैं अपनी पत्नी से अब अलग रह रहा हूँ. पंडित बोला।
में बुरा नहीं माना हूं बस इतना कहना चाहता हूं कि पराई स्त्री की इस तरह से प्रशंसा करना सही नहीं।
प्रशंसा नहीं इसे परमात्मा की सुंदर रचना कहो बेटा. मुझे पता है तुम्हारी पत्नी रात को ऐसी स्थिति में क्यों रहती है.।
क्या सच में आप इसका निवारण कर सकते हैं. मेने उत्सुकता वश उन्हें पूछा।
हां’ बिलकुल! पर अगर तुम तैयार हो तो।
में तैयार हूं क्योंकि मुझे अपनी पत्नी को ठीक करना है. आप उपाय बताइए?
ठीक है ’ पर अब में जो बात कहने जा रहा हूं उसे ध्यान से सुनना!
जी पंडित जी ’!
तुम्हारी पत्नी के ऊपर कोई साया अर्थात भूत की आत्मा घुस गई है!
ये क्या बात कह रहे आप पंडित जी.
हां में सही बात कह रहा हूं बेटा . तुम्हारी पत्नी जब स्कूल पड़ती थी तो उसी समय एक लड़का उसे मन ही मन पसंद किया करता था और ये बात तुम्हारी पत्नी को पता नहीं थी. वो लड़का उसी गांव का था, दोनो हमउम्र थे.वह लड़का तुम्हारी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनना चाहता था पर कुछ साल पहले वो लड़का तुम्हारी पत्नी की शादी हो जाने से टूट गया और उसने आत्महत्या कर ली थी. जीते जी तो वो तुम्हारी पत्नी से शारीरिक संबंध तो नहीं बना पाया तो अब उसकी आत्मा तुम्हारी पत्नी से अपनी सेक्स तृप्ति करती है इसलिए तुम्हारी पत्नी ऐसे हरकते किया करती हैं. में ये भी बता दूं इसमें आपकी पत्नी का कोई दोष नहीं क्योंकि उसे तो मालूम ही नहीं था पर बेटा अब समस्या यह है कि अगर उस लड़के की आत्मा को शांत न किया जाएगा तो तुम्हारी पत्नी का सही होना असंभव है।’
पंडित जी, में आपकी इन भूत प्रेत की बात से सहमत नहीं हूं.
क्यों?
क्योंकि में इन बातों को नहीं मानता हूं कि कोई भूत प्रेत होता है. क्या पता उसे कोई बीमारी हो.!
बीमारी? उसका तो तुम इलाज करवा रहे हों ना कोई फर्क पड़ा !
नहीं ,पर फिर भी में यह बाते नहीं मान सकता कि उसके शरीर में किसी आत्मा का वास है.
बेटा अब तुम मानो या ना मानो मेने तो जो सही है वो कह दिया तुम्हे बाकी तुम्हारी इच्छा ।
अब में पंडित की बातों से दुविधा में पड़ गया और सोचने लगा क्या सच में ऐसा होता है, क्या किसी मरे हुए इंसान की आत्मा किसी दूसरे में घुस सकती है मुझे विश्वास तो नहीं हो रहा था पर में क्या करता आखिर मुझे अपनी पत्नी को सही करना था इसलिए मेने पंडित जी से इसका निवारण पूछा - पंडित जी अगर ऐसा है तो इसका निवारण क्या है आप बता सकते हैं?
इसका निवारण बस एक ही है पर बहुत कठिन है क्या तुम यह कर पाओगे?
पंडित जो मेरे लिए मेरी पत्नी से बढ़कर कुछ नहीं इसलिए आप बस इसका निवारण बताए में अवश्य इसे करूंगा।
देखो जैसे किसी भी इंसान की अकाल मृत्यु हो जाए और अगर उसकी आखिर इच्छा अधूरी रह जाती है तो उसकी शांति के लिए हवन किया जाता है जिससे उसे मुक्ति मिल जाए और वो उस शरीर को छोड़ दें परंतु यहां मामला दूसरा है जो बहुत अलग कठिन है।’
आप बस कुछ भी करिए पर मेरी पत्नी को इस परेशानी से मुक्त कर दीजिए।
तो इसका उपाय है- घर में विधिः विधान से हवन करना होगा. सात जल श्रोतों का पानी लेकर उससे आपकी पत्नी को स्नान करना होगा. यह सब पुर्ण मासी की रात को होगा क्योंकि उस दिन इन भटकती आत्माओं को बुलाया जा सकता है. देखो तुम्हारी पत्नी उस लड़के को न प्रेम करती थी ये तो बस एक तरफा था पर उस लड़के ने अपनी जान ले ली और वो सिर्फ आपकी पत्नी को पाने के लिए. जो भी आपकी पत्नी के साथ रात में हो रहा उसे सहवास कहते हैं और ये वो लड़का करता है पर सिर्फ फर्क इतना है कि वो अभी साया है रूह है उसका कोई अस्तित्व नहीं. किन्तु उसकी आत्मा को एक शरीर की आवश्यकता है जब वह किसी अपने उम्र के लड़के के शरीर में प्रवेश करके शारीरिक रूप से आपकी पत्नी के साथ जुड़ेगा( मेरा मतलब सहवास करेगा) तभी उसकी आत्मा को शांति प्रदान होगी और ये इसलिए करना आवश्यक है क्योंकि बिना शरीर को धारण किए बिना यह सब मिथ्य है. भले यह आपको वास्तविक ना लग रहा हो पर यह सत्य है. इन सब में आपकी पत्नी अशुद्ध हो गई है उसे शुद्ध किया जाना अति आवश्यक है और इसके लिए उसी लड़के के हमउम्र के किसी अन्य पुरुष के साथ उसके संबंध बनाने होंगे तत् पश्चात हो इस सबसे मुक्त हो पाएगी अन्यथा नहीं.’
पंडित की बाते सुनकर मेरा दिमाग हिल गया में सोचने लगा क्या कह रहा है, ‘नहीं’ नहीं, ये पंडित जरूर मुझे मूर्ख बना रहा है. में पंडित से बोला ये क्या कह रहे है आप !
‘सच कह रहा हूं! ‘मुझे विश्वास था कि तुम ऐसे ही कहोगे पर बेटा में तुम्हें बता दूं कि ऐसे मामलों में यही करना पड़ता है।
‘नहीं में ऐसा हरगिज़ नहीं कर सकता पंडित जी आप माफ करें।’
"जैसे तुम्हारी इच्छा! मेरा काम था तुम्हे सही बातें बताना ओर वो मेने बता दी .
"अच्छा पंडित जी मुझे आज्ञा दीजिए जाने की.।
"सदा खुश रहो’! ऐसा पंडित जी बोले।
“ मैने तुरंत बाइक स्टार्ट की और सीधा घर की ओर निकल आया. घर पहुंचा तो पत्नी अमोल को डांट रही थीं. मेने उससे कहा...
“अरे''' क्या हुआ क्यों अमोल को डांट रही हो?
“आ गए आप! ये बहुत जिद्दी हो गया.
“अरे’'''' किया क्या है इसने?
“क्या बताऊं मैं इसको मेने छत से कपड़े लाने भेजा पर ये गया ही नहीं में कहती कहती थक गई पर ये हिला नहीं अपने बेड से ओर ऊपर से जबसे स्कूल से आया बस फोन पर चिपका है तो बताएं गुस्सा नहीं आएगा.
“हां गुस्सा तो आएगा. अमोल क्यों अपनी बुआ का कहना नहीं माना रे.!
“वो मामाजी’ में थोड़ा मूवी देखने में मस्त था बस इसलिए.
“कोई बात नहीं, इतना कहकर मेने अमोल का साथ दिया और पत्नी मेरे ऊपर ही गुस्सा होने लगी मेने जैसे तैसे उसे मनाया और चाय बनाने को कहा.
“ठीक है बना ती हूं पर तबतक आप कपड़े बदल लो.’ तू बंद करता है कि नहीं अमोल फोन को,’ गुस्से में कहती हुई वो किचन में चली गई।
उसने फोन बंद कर दिया और किताब पढ़ने लगा. कपड़े बदल कर में किचन में गया तो चाय बन गई थी मे भी चाय लेकर बाहर निकल आया पीछे पीछे पत्नी दो कप में चाय लेकर आई और एक कप अमोल को देकर बोली ‘हम्मम,,, अब अच्छा है वरना आज दिन से इसके फ़ोन ने तो मेरा दिमाग खराब कर दिया था. अरे छोड़ो इन बातों को चाय पियो आराम से ऐसा कहकर मेने बात को वही खत्म किया.
“में क्या सोचती हूं कि क्या में कुछ दिन के लिए मायके हो आऊं!
क्यों?? कोई काम है क्या ।
‘नहीं’ बस काफी समय हो गया इसलिए.
‘अच्छा ’ पर यहां कौन करेगा और अमोल स्कूल जाता है में ड्यूटी तो इतना काम नाश्ता बनाना ये सब ना बाबा ना तुम बाद में जाना अभी नहीं ’।
“अरे थोड़ा बहुत तो खुद कर दिया करो आप भी ओर वैसे भी एक हफ्ते की तो बात है बस’।
“नहीं मेरे बस की बात नहीं है’।
“मामाजी आप टेंशन मत करें में हूं ना में सब काम कर लिया करूंगा पर आप बुआ को मत मना करें जाने के लिए. में खाना बना लेता हूं एक बार मेरे हाथों का भी स्वाद लेकर देखिए’ ‘हंसते हुए बोला’।
“मान लीजिए ना,’
‘चलो ठीक है पर सिर्फ एक “हफ्ता’’ मेने कहा.
पत्नी तो खुशी से उछल पड़ी ऐसा लगता कि जैसे अभी नई शादी के बाद पहली बार घर जा रही हो,’। ज्यादा उछलो नहीं कही कमर पर मोच न आ जाए. ‘आ जाए कोई नहीं आपको क्या पता एक लड़की के लिए उसका मायका क्या होता है. ‘सब कुछ पता है मुझे अब तुम खाना बनाओ!’ ‘अच्छा बनाती हूं! आप भी जब देखें खाना बनाओ बस ओर कुछ नहीं ऐसा बोलते हुए पत्नी किचन में घुस गई और मैं ओर अमोल बाहर टहलने लगे. कुछ देर बाद मेरे फोन में घंटी बजी ‘ट्रिंग ट्रिंग’’'''’ फोन मेरी बहन का था मेने फोन उठाया ‘ हेलो इशिता’''' कैसी है.......
। कहानी कैसी लग रही कमेंट लाइक करके बताएं अगला भाग जल्दी आएगा धन्यवाद।।
इशिता: भैया अच्छी हूं. क्या बात आप तो फ़ोन भी नहीं करते हैं.
मैं: सॉरी.. पर क्या करू तेरी भाभी की तबियत आजकल ठीक नहीं तो बस इसी टेंशन में ध्यान नहीं आया.
इशिता: क्या हुआ भाभी को?
मैं: पता नहीं! सारे डॉक्टरों को दिखा दिया पर कुछ पता नहीं चल पाया कि बीमारी क्या हैं.।
इशिता: अच्छा! ऐसा क्या हो गया उन्हें. आपने मम्मी से बात की इस बारे में.
मैं: उन्हें बताया और उन्होंने किसी ज्योतिष से मिलने को कहा था. में मिला भी पर कुछ नहीं हुआ ।
इशिता: ओह... भैया आप भाभी को गांव ले आवो क्या पता यहां ठीक हो जाएं.
मैं: गांव में कैसे ठीक होगी वो.?
इशिता: भाई माहौल का फर्क पड़ता है क्या पता भाभी को वहां शहर में अच्छा न लग रहा हो इसलिए कहा।
मैं: हम्मम... बात तो सही है पर अभी अमोल के स्कूल का चक्कर है तो कुछ दिनों बाद आएगी or वैसे भी कल ही तेरी भाभी अपन मायके जाने को बोल रही थी।
इशिता: ये तो अच्छा है फिर भाई आप उन्हें भेज दो फिर...
मैं: हां बस अगले हफ्ते भेज दूंगा । ये बता तेरी पढ़ाई कैसे चल रही है.
इशिता: मस्त चल रही भाई और इस बार में क्लास में पहले नंबर पर आऊंगी .
मैं: अच्छा है और सुना मम्मी पापा कैसे है.
इशिता: सब अच्छे हैं भाई. मेरे लिए भाभी के हाथों दो शूट भेज देना।
मैं: ठीक है. और बता कुछ चाहिए हो तो बता दें।
इशिता: बस ओर कुछ नहीं आप दो गर्म शूट भिजवा देना ओर हां भाई, भाभी को कहना की मायके ज्यादा न रहना ...
मैं: तू भी ना. अच्छा ठीक है में फोन रखता हूं बाय’
इशिता: बाय भैया.
असल में मेरी बहन पढ़ने में होशियार थी और मुझे विश्वास था कि वो क्लास में क्या अपने स्कूल में पहले नंबर पर आएगी.
एक बार ऑफिस से आते हुए मुझे एक बोर्ड पर एक ज्योतिष का इस्तियार दिखा में बाइक रोकी और उस फोन पर कॉल किया. हैलो...
जी कहिए कौन बोल रहा है. उधर से आवाज आई।
मैं: नमस्कार पंडित जी. में राजवीर मुझे आपसे कुछ पूछना था क्या आप अभी मिल सकते हैं.
पंडित: जी बिलकुल आप मेरे ऑफिस में आ जाएं.
जी पंडित जी. मेने फिर कॉल काटी और सीधा उनके ऑफिस चला गया।
नमस्कार पंडित जी. मुझे आपसे अपनी पत्नी की तबियत के बारे में जानकारी चाहिए थी.
पंडित: हां कहिए .
मैं: वो कुछ दिनों से मेरी पत्नी कुछ अजीब हरकतें किया करती हैं। मेरा इतना कहते ही पंडित जी ने मुझे जो उपाय बताया वो वैसा ही था जैसा इससे पहले उस पंडित ने कहा था में सोच में पड़ गया कि यह कैसे संभव है क्या कोई दूसरा उपाय नहीं पंडित जी. मेने पूछा ! ‘ नहीं बेटा इसका निवारण सिर्फ यही है पंडित जी ने दो टूक कहा।
मैं फिर वहां से निकल आया और सारे रास्ते सोचते हुए घर पहुंचा. पत्नी को आवाज लगाई तो अमोल बाहर आकर बोला कि बुआ तो पड़ोस की आंटी के घर गई हुई है. अच्छा ’ तो अमोल जरा एक कप चाय बना दो फिर तुम्हीं.’ जी मामाजी ओर अमोल किचन में चल गया में कुर्सी में बैठे बैठे सोचने लगा कि क्या किया जाए. कैसे पत्नी को इस समस्या से बचाया जाए. में बहुत ही सुलझा हुआ इंसान था. किसी महिला या लड़की को देखकर मन में सवाल विचार उठाना लाजिमी था पर मेने कभी भी उसे हकीकत करने की कोशिश या नजर से नहीं देखा था. कभी कभी सेक्सी वीडियो देख लिया करता था पर मुझे नहीं लगता कि यह गलत है. में अपनी पत्नी के लिए पूरा निष्ठावान था जो भी एक पति के धर्म कर्तव्य ओर जिम्मेदारी होती है में उन्हें बखूबी निभा रहा था पर अब समय की इसी परस्थिति उत्पन्न हुई की में सोच में पड़ गया कि क्या किया जाए. क्या यह सही होगा कि अपनी जीवन संगनी को किसी पराए मर्द को सौंप दिया जाए. क्या इसका कोई उपाय नहीं,कैसे यह किया जाए में यही सोचते हुए कुर्सी में बैठा हुआ सोच रहा था तभी अमोल चाय लेकर आया .
मामाजी जी चाय!
वो अच्छा यहां रख दे .
क्या हुआ मामाजी आप कुछ परेशान लग रहे हैं क्या बात है.
कुछ नहीं बस आज ऑफिस में काम ज्यादा था तो थोड़ा उसी की टेंशन !
अच्छा ठीक है पर आप चाय पी लीजिए नहीं तो ठंडी हो जाएगी. इतना कहकर अमोल अपने रूम में चला गया। में चाय पीते हुए बस यही सोच विचार कर रहा कि क्या किया जाए जिससे पत्नी ठीक हो जाए। चाय पी कर उठा तभी पत्नी आ गई.
अरे बहुत देर लगा ली तुमने.
हां बस थोड़ा आंटी के साथ बातों में . अच्छा आप कब आए और चाय पी ली क्या ?
हां पी ली. अमोल ने बना दी थी ।
अच्छा ठीक है में थोड़ा पूजा करने जा रही तो आप सब्जी काट लेना . ऐसा कहकर पत्नी बाथरूम में हाथ पैर धोने चली गई।
अब में आपको अगले दिन की बात बताता हूं. जैसे ही में सुबह उठकर किचन में गया पानी लेने तो मेने पत्नी को देखा और में दंग रह गया. उसने आज फिर से वही मैक्सी पहनी हुई थी जिसको मेने मना किया था. आज भी उसने ब्रा पेंटी अंदर नहीं पहनी थी और जिस कारण उसका सारा बदन साफ साफ दिखाई दे रहा था मेने उसे बोला तो वही रोज की तरह उसने मेरी बात को इग्नोर कर दिया. में सोचने लगा ऐसे तो बहुत दिक्कत हो सकती है अगर कभी अमोल ने ऐसे देख लिया उसे तो . भले मुझे विश्वास था कि अमोल की नजर गंदी नहीं है. हां भले उसके मोबाइल में मुझे कुछ आपत्तिजनक वीडियो फ़ोटो देखी पर में समझता था कि इस उम्र में यह होना स्वाभिक है यह कोई गलत नहीं पर में यह भी जानता था कि अगर मेरी पत्नी ऐसे ही नग्न धड़ंग कपड़े पहने हुए रखेगी तो जरूर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा पर में क्या कर सकता था ये समझ नहीं आ रहा था। रात को जब हमने रोज की तरह सम्बंध बनाए तो मेरी पत्नी फिर से वही हरकतें करने लगी जो वो किया करती थीं मेने उसे समझाया पर वो कहती कि पता नहीं मुझे क्या हो जाता है मुझे तो ऐसा लगता कि कोई मेरे शरीर में प्रवेश कर गया जो मेरे से ऐसी हरकते करता है. में उसकी बातों से दुविधा में पड़ गया कि क्या किया जाए। आखिर कार मेने उससे पुछ लिया की क्या तुम्हारे स्कूल टाइम में किसी लड़के से बात विचार मेरा मतलब किसी से प्रेम प्रसंग थे.।
कैसे बाते कर रहे आप मेरा ऐसा कोई चक्कर नहीं था . मेरी पत्नी मेरे पर गुस्सा होते हुए बोली.
मैं: अरे वो तो में ऐसे ही पूछ लिया बाकी मुझे पता है कि मेरी पत्नी ऐसे बिलकुल नहीं है।
सुधा: तो जब आपको पता है तो फिर आज क्यों ऐसा सवाल पूछा?
मैं: अरे बस ऐसे ही मन में आया क्योंकि मेरा एक दोस्त है तो उसने बताया कि उसकी पत्नी ने उसे बताया था।
सुधा: में समझी नहीं?!
मैं:अरे दोस्त बोला कि मेने जब उसे पूछा तो उसने कहा कि हां मेरा स्कूल ke समय किसी से प्रेम प्रसंग थे.
सुधा: अच्छा तो आप अपने दोस्त की बीबी को मेरे साथ जोड़ रहे हैं. क्या में ऐसे लगती हूं आपको ?
मैं: नहीं मेरा ऐसा कहना नहीं था वो तो बस ऐसे ही पूछा था. मुझे लगा क्या पता तुम्हारा भी कोई रहा हो.
सुधा: शक ’ कर रहे हो आप?
मैं: नहीं यार क्यों शक करूंगा बस ऐसे ही पूछ लिया ।
सुधा: अच्छा इतने सालो में तो कभी नहीं पूछा तो आज अचानक से क्यों?
मैं: वो इसलिए क्योंकि आजकल के जमाने में ऐसा हो रहा तो इसलिए देखा नहीं कही रोज अखबार में ऐसे ही खबरें आती रहती हैं।
सुधा: जो ऐसा करते हैं वो पहले से ही चरित्र हीन रहते हैं और फिर शादी करने के बाद भी ऐसा करते रहते हैं।
मैं: सही कहा तुमने खैर छोड़ो इन बातों को पर एक बात मुझे बताओ तुम जब मेने तुम्हे मैक्सी पहनने को मना किया है तो फिर तुम क्यों पहनती हो. तुम्हे मालूम है उस मैक्सी में तुम्हारे सारे अंग दिखाई देते हैं और ऊपर से तुम अंदर भी कुछ नहीं पहनती ये क्या हैं क्यों तुम्हारी समझ में नहीं आता.
सुधा: मेने कहा ना कि पता नहीं मुझे क्या हो जाता है मेरी खुद समझ नहीं आता में क्या कर रही हूं।
मैं: ठीक है तो कल में तुम्हें डॉक्टर के पास लेकर चलता हूं।
सुधा: क्या डॉक्टर के पास लेकर ! में कोई बीमार थोड़ी ना हूं।’
मैं: तो ऐसे हरकते क्यों करती हो फिर में एक नहीं सुनूंगा कल डॉक्टर के पास जाना है तो बस जाना है।
सुधा : अच्छा ठीक है आप नाराज मत हो में चलूंगी बस अब सो जाओ नींद आ रही है.
मैं: ठीक है गुड नाईट।
सुधा : गुड नाईट।
अगले दिन ऑफिस की छुट्टी ले ली और फिर पत्नी को लेकर डॉक्टर के पास गया . डॉक्टर ने देखा तो बोला आपकी पत्नी बिलकुल स्वस्थ है इन्हीं कोई बीमारी नहीं. मेने डॉक्टर से कहा कि ये रात में ऐसी हरकते किया करती है तो डॉक्टर कहे यह सब नॉर्मल है और आप अपनी पत्नी की सेक्स तृप्ति किया कीजिए बस बाकी कुछ नहीं. जबकि मेने उन्हें बताया कि में पहले की तरह ही पत्नी को सेक्स तृप्ति किया करता हूं पर आजकल पता नहीं इसको क्या हो जाता है. डॉक्टर ने मेरी बाते सुनी थोड़ी देर चुप चाप रहा और फिर बोला आप इन्हें किसी अच्छे पंडित ज्योतिष के पास दिखा दीजिए क्या पता इन पर कोई ऊपरी साया अर्थात भूत प्रेत लगा हो. डॉक्टर की बात सुनकर में सोचने लगा कि जब डॉक्टर भी यह कह रहा तो इसका मतलब जो वो पंडित कह रहा था वो सत्य है. खैर मेने डॉक्टर साहब से अलविदा किया और फिर में पत्नी को लेकर घर आ गया।
घर पहुंचा तो पत्नी कही ये डाक्टर किस पंडित ओर क्या भूत प्रेत की बात कर रहा था. मेने उसे समझाया कि तुम्हें कोई बीमारी नहीं है इसलिए डॉक्टर ने किसी पंडित को दिखाने को कहा. क्या पता सच में तुम्हारे ऊपर किसी भूत प्रेत का साया हो . ‘ तुम सही कह रहे मुझे भी लगता है। मेने आपको बताया था ना कि पता नहीं मेरे को क्या हो जाता है में अपने शरीर पर कंट्रोल नहीं कर पाती हूं । ‘हां अब तो मुझे भी लगने लगा है कि तुम्हारे ऊपर किसी भूत प्रेत का साया है चलो में कैसी पंडित से मिलता हूं ताकि इस समस्या का समाधान निकल पाएं।
“हां ये ठीक रहेगा आप आज ही किसी पंडित से मिल लो. मेरी पत्नी ने बोला।’
पंडित जी नमस्कार!
पंडित: ओह'''' यजमान आप आ गए क्या हुआ आपकी पत्नी ठीक हुई ?
नहीं पंडित जी. आज ही सुबह डॉक्टर को दिखाया पर कोई फायदा नहीं हुआ वो डॉक्टर भी यही बोला कि किसी पंडित से दिखाओ।
पंडित: तो अब आपका क्या इरादा है क्या आप मेरी कही हुई बातों को मानते हैं कि नहीं ।
जी पंडित जी अब क्या करू इसके सिवा कोई और रास्ता है ही नहीं मुझे ऐसा लगता है। आप अब मुझे विस्तार से इसकी विधिः विधान बताएं।
पंडित: बेटा मेने पहले ही तुम्हे सारी विधिः बता दी है बस अब तुम्हारी उसपर अमल करने की बात है. क्या आपने पत्नी को अवगत कराया?
पंडित जी मेने पत्नी से बस इतना कहा कि में किसी पंडित से इसका उपाय पूछकर आता हूं पर ये नहीं कहा जो आपने मुझे बताया था।
पंडित: बिलकुल सही किया! अभी आपको अपनी पत्नी को इसके बारे में नहीं बताना है।
क्यों?
पंडित: क्यों? बेटा अगर बता दिया और आपकी पत्नी ने मना कर दिया तो सारी विधिः विधान से किया हुआ कार्य सब नष्ट हो जाएगा।
अच्छा... पर में उसे कैसे नहीं....
पंडित: बेटा समय आने पर बता देना पर अभी तो नहीं।
ठीक है पंडित जी’ अब आप बस मुझे इसकी सारी विधिः बताएं।
पंडित : जो बताया वहीं विधिः विधान है बाकी कुछ नहीं।
में समझ गया परंतु ये होगा कैसे में वो जानना चाहता हूं।
पंडित : होगा कैसे? यह तो आपके ऊपर निर्भर करता है किंतु में इतना अवश्य कहना चाहता हूं कि इससे आपकी पत्नी पूर्णतया स्वस्थ हो जाएगी।
में भी यही चाहता हूं कि मेरी पत्नी स्वस्थ हो जाएं पर में अंतरमन से विचलित हूं मेरा मन ऐसा करने को तैयार नहीं में क्या करू।
पंडित: देखो बेटा में तुम्हारी व्याकुलता परेशानी समझ रहा हूं पर तुम निसंकोच होकर इस कार्य को करो क्योंकि श्रृष्टि ने सबका समाधान करने का कोई ना कोई विकल्प व्यवस्थित किया हुआ है और इसी तरह आपकी पत्नी की जो समस्या है उसका विकल्प भी यही है।
में आपको कैसे समझाऊं कि मेरी क्या समस्या है. आपने तो मुझे बीच भवर में छोड़ दिया है।
पंडित : चिंता मत करो. तुम मुझे पता है क्यों चिंतित हो परंतु अगर इसी दुविधा में रहोगे तो कुछ नहीं होगा।
आखिर में कैसे अपनी पत्नी को किसी पराए मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति दूं और में क्या इस पूरे समाज में शादी शुदा हमराही ऐसा करने की अनुमति नहीं दे सकते. यह बहुत गलत अनुचित है इस तरह का घृणित कार्य कोई भी नहीं करेगा तो में कैसे इसके लिए मान जाऊं आप ही बताएं पंडित जी।
पंडित : विधिः का विधान न कोई देख पाया और ना कोई उसे मिटा पाया बेटा ओर जब तुम्हारी किस्मत ही ऐसी है तो में क्या कर सकता हूं . कोई ओर उपाय होता तो में खुद ऐसा नहीं करने को कहता।
पंडित जी ने मुझे ऐसा कहकर सांत्वना देने की कोशिश करी पर मेरा दिमाग मन कुछ मानने को तैयार नहीं था।
क्या सोच रहे हो बेटा.पंडित जी बोले।
में अपनी निंद्रा से जगा ओर उन्हें जवाब दिया ‘कुछ नहीं पंडित जी ’।
पंडित: बेटा ऐसे सोच में रहोगे तो कुछ नहीं होगा तुम्हे तुरंत फैसला लेने की आवश्यकता है अन्यथा कुछ भी हो सकता है।
में पंडित की बाते सुनकर सोच में पड़ गया कि क्या ऐसा होता है क्या यह पंडित मेरे को अपने जाल में फंसा तो नहीं रहा. क्योंकि मुझे पंडित की नियत पर पहले ही शक हो गया था जब उसने कहा था कि जब तक उसकी पत्नी थी तो वो उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात हमेशा बनाता था और वो भी जबरदस्त रूप से. पंडित जी कही आप मेरे साथ कोई अनैतिक कार्य तो नहीं कर रहे क्योंकि मुझे आप पर शुरू से शंका हो गई थी।
पंडित : में फिर कह रहा हूं बेटा अगर तुम्हे मेरे पर कोई भी शंका है तो तुम जा सकते हो क्योंकि मेने तुम्हे यहां नहीं बुलाया तुम खुद आए हो।
पंडित का इतना कहकर चुप हो जाना मेरे को उनकी और खींचने का काम करने लगा और मुझे उनपर विश्वास ना चाहते हुए भी होने लगा। में सोचने लगा तभी....
पंडित: क्या सोच रहे हो! अगर किसी भी तरह की शंका है तो तुम अभी जा सकते हो यहां से में तुम्हें नहीं रोकूंगा।
मेने अपनी घड़ी की ओर देखा तो शाम के पांच बज गए थे, मेने पंडित जी से माफी मांगी और उनसे कहा कि में कल आपसे मिलता हूं क्या आप मिलेंगे?
पंडित: बेटा तुम एक नहीं दस बार मेरे से मिलो मुझे कोई दिक्कत नहीं परन्तु अगर कल मेरे से मिलने ओवोगे तो अपना मन एकाग्र करके आना. अपने मन की ‘किन्तु-परंतु’ ये सारी दुविधाओं को यहां मत लाना अन्यथा कोई सार्थक निर्णय नहीं निकल पाएगा।
में उनके कहने का मतलब समझ चुका था। मेने उनसे विदा ली और घर को आ गया।
कहानी कैसी लग रही कमेंट लाइक करके बताएं अगला भाग जल्दी आएगा धन्यवाद।।
इशिता: भैया अच्छी हूं. क्या बात आप तो फ़ोन भी नहीं करते हैं.
मैं: सॉरी.. पर क्या करू तेरी भाभी की तबियत आजकल ठीक नहीं तो बस इसी टेंशन में ध्यान नहीं आया.
इशिता: क्या हुआ भाभी को?
मैं: पता नहीं! सारे डॉक्टरों को दिखा दिया पर कुछ पता नहीं चल पाया कि बीमारी क्या हैं.।
इशिता: अच्छा! ऐसा क्या हो गया उन्हें. आपने मम्मी से बात की इस बारे में.
मैं: उन्हें बताया और उन्होंने किसी ज्योतिष से मिलने को कहा था. में मिला भी पर कुछ नहीं हुआ ।
इशिता: ओह... भैया आप भाभी को गांव ले आवो क्या पता यहां ठीक हो जाएं.
मैं: गांव में कैसे ठीक होगी वो.?
इशिता: भाई माहौल का फर्क पड़ता है क्या पता भाभी को वहां शहर में अच्छा न लग रहा हो इसलिए कहा।
मैं: हम्मम... बात तो सही है पर अभी अमोल के स्कूल का चक्कर है तो कुछ दिनों बाद आएगी or वैसे भी कल ही तेरी भाभी अपन मायके जाने को बोल रही थी।
इशिता: ये तो अच्छा है फिर भाई आप उन्हें भेज दो फिर...
मैं: हां बस अगले हफ्ते भेज दूंगा । ये बता तेरी पढ़ाई कैसे चल रही है.
इशिता: मस्त चल रही भाई और इस बार में क्लास में पहले नंबर पर आऊंगी .
मैं: अच्छा है और सुना मम्मी पापा कैसे है.
इशिता: सब अच्छे हैं भाई. मेरे लिए भाभी के हाथों दो शूट भेज देना।
मैं: ठीक है. और बता कुछ चाहिए हो तो बता दें।
इशिता: बस ओर कुछ नहीं आप दो गर्म शूट भिजवा देना ओर हां भाई, भाभी को कहना की मायके ज्यादा न रहना ...
मैं: तू भी ना. अच्छा ठीक है में फोन रखता हूं बाय’
इशिता: बाय भैया.
असल में मेरी बहन पढ़ने में होशियार थी और मुझे विश्वास था कि वो क्लास में क्या अपने स्कूल में पहले नंबर पर आएगी.
एक बार ऑफिस से आते हुए मुझे एक बोर्ड पर एक ज्योतिष का इस्तियार दिखा में बाइक रोकी और उस फोन पर कॉल किया. हैलो...
जी कहिए कौन बोल रहा है. उधर से आवाज आई।
मैं: नमस्कार पंडित जी. में राजवीर मुझे आपसे कुछ पूछना था क्या आप अभी मिल सकते हैं.
पंडित: जी बिलकुल आप मेरे ऑफिस में आ जाएं.
जी पंडित जी. मेने फिर कॉल काटी और सीधा उनके ऑफिस चला गया।
नमस्कार पंडित जी. मुझे आपसे अपनी पत्नी की तबियत के बारे में जानकारी चाहिए थी.
पंडित: हां कहिए .
मैं: वो कुछ दिनों से मेरी पत्नी कुछ अजीब हरकतें किया करती हैं। मेरा इतना कहते ही पंडित जी ने मुझे जो उपाय बताया वो वैसा ही था जैसा इससे पहले उस पंडित ने कहा था में सोच में पड़ गया कि यह कैसे संभव है क्या कोई दूसरा उपाय नहीं पंडित जी. मेने पूछा ! ‘ नहीं बेटा इसका निवारण सिर्फ यही है पंडित जी ने दो टूक कहा।
मैं फिर वहां से निकल आया और सारे रास्ते सोचते हुए घर पहुंचा. पत्नी को आवाज लगाई तो अमोल बाहर आकर बोला कि बुआ तो पड़ोस की आंटी के घर गई हुई है. अच्छा ’ तो अमोल जरा एक कप चाय बना दो फिर तुम्हीं.’ जी मामाजी ओर अमोल किचन में चल गया में कुर्सी में बैठे बैठे सोचने लगा कि क्या किया जाए. कैसे पत्नी को इस समस्या से बचाया जाए. में बहुत ही सुलझा हुआ इंसान था. किसी महिला या लड़की को देखकर मन में सवाल विचार उठाना लाजिमी था पर मेने कभी भी उसे हकीकत करने की कोशिश या नजर से नहीं देखा था. कभी कभी सेक्सी वीडियो देख लिया करता था पर मुझे नहीं लगता कि यह गलत है. में अपनी पत्नी के लिए पूरा निष्ठावान था जो भी एक पति के धर्म कर्तव्य ओर जिम्मेदारी होती है में उन्हें बखूबी निभा रहा था पर अब समय की इसी परस्थिति उत्पन्न हुई की में सोच में पड़ गया कि क्या किया जाए. क्या यह सही होगा कि अपनी जीवन संगनी को किसी पराए मर्द को सौंप दिया जाए. क्या इसका कोई उपाय नहीं,कैसे यह किया जाए में यही सोचते हुए कुर्सी में बैठा हुआ सोच रहा था तभी अमोल चाय लेकर आया .
मामाजी जी चाय!
वो अच्छा यहां रख दे .
क्या हुआ मामाजी आप कुछ परेशान लग रहे हैं क्या बात है.
कुछ नहीं बस आज ऑफिस में काम ज्यादा था तो थोड़ा उसी की टेंशन !
अच्छा ठीक है पर आप चाय पी लीजिए नहीं तो ठंडी हो जाएगी. इतना कहकर अमोल अपने रूम में चला गया। में चाय पीते हुए बस यही सोच विचार कर रहा कि क्या किया जाए जिससे पत्नी ठीक हो जाए। चाय पी कर उठा तभी पत्नी आ गई.
अरे बहुत देर लगा ली तुमने.
हां बस थोड़ा आंटी के साथ बातों में . अच्छा आप कब आए और चाय पी ली क्या ?
हां पी ली. अमोल ने बना दी थी ।
अच्छा ठीक है में थोड़ा पूजा करने जा रही तो आप सब्जी काट लेना . ऐसा कहकर पत्नी बाथरूम में हाथ पैर धोने चली गई।
अब में आपको अगले दिन की बात बताता हूं. जैसे ही में सुबह उठकर किचन में गया पानी लेने तो मेने पत्नी को देखा और में दंग रह गया. उसने आज फिर से वही मैक्सी पहनी हुई थी जिसको मेने मना किया था. आज भी उसने ब्रा पेंटी अंदर नहीं पहनी थी और जिस कारण उसका सारा बदन साफ साफ दिखाई दे रहा था मेने उसे बोला तो वही रोज की तरह उसने मेरी बात को इग्नोर कर दिया. में सोचने लगा ऐसे तो बहुत दिक्कत हो सकती है अगर कभी अमोल ने ऐसे देख लिया उसे तो . भले मुझे विश्वास था कि अमोल की नजर गंदी नहीं है. हां भले उसके मोबाइल में मुझे कुछ आपत्तिजनक वीडियो फ़ोटो देखी पर में समझता था कि इस उम्र में यह होना स्वाभिक है यह कोई गलत नहीं पर में यह भी जानता था कि अगर मेरी पत्नी ऐसे ही नग्न धड़ंग कपड़े पहने हुए रखेगी तो जरूर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा पर में क्या कर सकता था ये समझ नहीं आ रहा था। रात को जब हमने रोज की तरह सम्बंध बनाए तो मेरी पत्नी फिर से वही हरकतें करने लगी जो वो किया करती थीं मेने उसे समझाया पर वो कहती कि पता नहीं मुझे क्या हो जाता है मुझे तो ऐसा लगता कि कोई मेरे शरीर में प्रवेश कर गया जो मेरे से ऐसी हरकते करता है. में उसकी बातों से दुविधा में पड़ गया कि क्या किया जाए। आखिर कार मेने उससे पुछ लिया की क्या तुम्हारे स्कूल टाइम में किसी लड़के से बात विचार मेरा मतलब किसी से प्रेम प्रसंग थे.।
कैसे बाते कर रहे आप मेरा ऐसा कोई चक्कर नहीं था . मेरी पत्नी मेरे पर गुस्सा होते हुए बोली.
मैं: अरे वो तो में ऐसे ही पूछ लिया बाकी मुझे पता है कि मेरी पत्नी ऐसे बिलकुल नहीं है।
सुधा: तो जब आपको पता है तो फिर आज क्यों ऐसा सवाल पूछा?
मैं: अरे बस ऐसे ही मन में आया क्योंकि मेरा एक दोस्त है तो उसने बताया कि उसकी पत्नी ने उसे बताया था।
सुधा: में समझी नहीं?!
मैं:अरे दोस्त बोला कि मेने जब उसे पूछा तो उसने कहा कि हां मेरा स्कूल ke समय किसी से प्रेम प्रसंग थे.
सुधा: अच्छा तो आप अपने दोस्त की बीबी को मेरे साथ जोड़ रहे हैं. क्या में ऐसे लगती हूं आपको ?
मैं: नहीं मेरा ऐसा कहना नहीं था वो तो बस ऐसे ही पूछा था. मुझे लगा क्या पता तुम्हारा भी कोई रहा हो.
सुधा: शक ’ कर रहे हो आप?
मैं: नहीं यार क्यों शक करूंगा बस ऐसे ही पूछ लिया ।
सुधा: अच्छा इतने सालो में तो कभी नहीं पूछा तो आज अचानक से क्यों?
मैं: वो इसलिए क्योंकि आजकल के जमाने में ऐसा हो रहा तो इसलिए देखा नहीं कही रोज अखबार में ऐसे ही खबरें आती रहती हैं।
सुधा: जो ऐसा करते हैं वो पहले से ही चरित्र हीन रहते हैं और फिर शादी करने के बाद भी ऐसा करते रहते हैं।
मैं: सही कहा तुमने खैर छोड़ो इन बातों को पर एक बात मुझे बताओ तुम जब मेने तुम्हे मैक्सी पहनने को मना किया है तो फिर तुम क्यों पहनती हो. तुम्हे मालूम है उस मैक्सी में तुम्हारे सारे अंग दिखाई देते हैं और ऊपर से तुम अंदर भी कुछ नहीं पहनती ये क्या हैं क्यों तुम्हारी समझ में नहीं आता.
सुधा: मेने कहा ना कि पता नहीं मुझे क्या हो जाता है मेरी खुद समझ नहीं आता में क्या कर रही हूं।
मैं: ठीक है तो कल में तुम्हें डॉक्टर के पास लेकर चलता हूं।
सुधा: क्या डॉक्टर के पास लेकर ! में कोई बीमार थोड़ी ना हूं।’
मैं: तो ऐसे हरकते क्यों करती हो फिर में एक नहीं सुनूंगा कल डॉक्टर के पास जाना है तो बस जाना है।
सुधा : अच्छा ठीक है आप नाराज मत हो में चलूंगी बस अब सो जाओ नींद आ रही है.
मैं: ठीक है गुड नाईट।
सुधा : गुड नाईट।
अगले दिन ऑफिस की छुट्टी ले ली और फिर पत्नी को लेकर डॉक्टर के पास गया . डॉक्टर ने देखा तो बोला आपकी पत्नी बिलकुल स्वस्थ है इन्हीं कोई बीमारी नहीं. मेने डॉक्टर से कहा कि ये रात में ऐसी हरकते किया करती है तो डॉक्टर कहे यह सब नॉर्मल है और आप अपनी पत्नी की सेक्स तृप्ति किया कीजिए बस बाकी कुछ नहीं. जबकि मेने उन्हें बताया कि में पहले की तरह ही पत्नी को सेक्स तृप्ति किया करता हूं पर आजकल पता नहीं इसको क्या हो जाता है. डॉक्टर ने मेरी बाते सुनी थोड़ी देर चुप चाप रहा और फिर बोला आप इन्हें किसी अच्छे पंडित ज्योतिष के पास दिखा दीजिए क्या पता इन पर कोई ऊपरी साया अर्थात भूत प्रेत लगा हो. डॉक्टर की बात सुनकर में सोचने लगा कि जब डॉक्टर भी यह कह रहा तो इसका मतलब जो वो पंडित कह रहा था वो सत्य है. खैर मेने डॉक्टर साहब से अलविदा किया और फिर में पत्नी को लेकर घर आ गया।
घर पहुंचा तो पत्नी कही ये डाक्टर किस पंडित ओर क्या भूत प्रेत की बात कर रहा था. मेने उसे समझाया कि तुम्हें कोई बीमारी नहीं है इसलिए डॉक्टर ने किसी पंडित को दिखाने को कहा. क्या पता सच में तुम्हारे ऊपर किसी भूत प्रेत का साया हो . ‘ तुम सही कह रहे मुझे भी लगता है। मेने आपको बताया था ना कि पता नहीं मेरे को क्या हो जाता है में अपने शरीर पर कंट्रोल नहीं कर पाती हूं । ‘हां अब तो मुझे भी लगने लगा है कि तुम्हारे ऊपर किसी भूत प्रेत का साया है चलो में कैसी पंडित से मिलता हूं ताकि इस समस्या का समाधान निकल पाएं।
“हां ये ठीक रहेगा आप आज ही किसी पंडित से मिल लो. मेरी पत्नी ने बोला।’
पंडित जी नमस्कार!
पंडित: ओह'''' यजमान आप आ गए क्या हुआ आपकी पत्नी ठीक हुई ?
नहीं पंडित जी. आज ही सुबह डॉक्टर को दिखाया पर कोई फायदा नहीं हुआ वो डॉक्टर भी यही बोला कि किसी पंडित से दिखाओ।
पंडित: तो अब आपका क्या इरादा है क्या आप मेरी कही हुई बातों को मानते हैं कि नहीं ।
जी पंडित जी अब क्या करू इसके सिवा कोई और रास्ता है ही नहीं मुझे ऐसा लगता है। आप अब मुझे विस्तार से इसकी विधिः विधान बताएं।
पंडित: बेटा मेने पहले ही तुम्हे सारी विधिः बता दी है बस अब तुम्हारी उसपर अमल करने की बात है. क्या आपने पत्नी को अवगत कराया?
पंडित जी मेने पत्नी से बस इतना कहा कि में किसी पंडित से इसका उपाय पूछकर आता हूं पर ये नहीं कहा जो आपने मुझे बताया था।
पंडित: बिलकुल सही किया! अभी आपको अपनी पत्नी को इसके बारे में नहीं बताना है।
क्यों?
पंडित: क्यों? बेटा अगर बता दिया और आपकी पत्नी ने मना कर दिया तो सारी विधिः विधान से किया हुआ कार्य सब नष्ट हो जाएगा।
अच्छा... पर में उसे कैसे नहीं....
पंडित: बेटा समय आने पर बता देना पर अभी तो नहीं।
ठीक है पंडित जी’ अब आप बस मुझे इसकी सारी विधिः बताएं।
पंडित : जो बताया वहीं विधिः विधान है बाकी कुछ नहीं।
में समझ गया परंतु ये होगा कैसे में वो जानना चाहता हूं।
पंडित : होगा कैसे? यह तो आपके ऊपर निर्भर करता है किंतु में इतना अवश्य कहना चाहता हूं कि इससे आपकी पत्नी पूर्णतया स्वस्थ हो जाएगी।
में भी यही चाहता हूं कि मेरी पत्नी स्वस्थ हो जाएं पर में अंतरमन से विचलित हूं मेरा मन ऐसा करने को तैयार नहीं में क्या करू।
पंडित: देखो बेटा में तुम्हारी व्याकुलता परेशानी समझ रहा हूं पर तुम निसंकोच होकर इस कार्य को करो क्योंकि श्रृष्टि ने सबका समाधान करने का कोई ना कोई विकल्प व्यवस्थित किया हुआ है और इसी तरह आपकी पत्नी की जो समस्या है उसका विकल्प भी यही है।
में आपको कैसे समझाऊं कि मेरी क्या समस्या है. आपने तो मुझे बीच भवर में छोड़ दिया है।
पंडित : चिंता मत करो. तुम मुझे पता है क्यों चिंतित हो परंतु अगर इसी दुविधा में रहोगे तो कुछ नहीं होगा।
आखिर में कैसे अपनी पत्नी को किसी पराए मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति दूं और में क्या इस पूरे समाज में शादी शुदा हमराही ऐसा करने की अनुमति नहीं दे सकते. यह बहुत गलत अनुचित है इस तरह का घृणित कार्य कोई भी नहीं करेगा तो में कैसे इसके लिए मान जाऊं आप ही बताएं पंडित जी।
पंडित : विधिः का विधान न कोई देख पाया और ना कोई उसे मिटा पाया बेटा ओर जब तुम्हारी किस्मत ही ऐसी है तो में क्या कर सकता हूं . कोई ओर उपाय होता तो में खुद ऐसा नहीं करने को कहता।
पंडित जी ने मुझे ऐसा कहकर सांत्वना देने की कोशिश करी पर मेरा दिमाग मन कुछ मानने को तैयार नहीं था।
क्या सोच रहे हो बेटा.पंडित जी बोले।
में अपनी निंद्रा से जगा ओर उन्हें जवाब दिया ‘कुछ नहीं पंडित जी ’।
पंडित: बेटा ऐसे सोच में रहोगे तो कुछ नहीं होगा तुम्हे तुरंत फैसला लेने की आवश्यकता है अन्यथा कुछ भी हो सकता है।
में पंडित की बाते सुनकर सोच में पड़ गया कि क्या ऐसा होता है क्या यह पंडित मेरे को अपने जाल में फंसा तो नहीं रहा. क्योंकि मुझे पंडित की नियत पर पहले ही शक हो गया था जब उसने कहा था कि जब तक उसकी पत्नी थी तो वो उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात हमेशा बनाता था और वो भी जबरदस्त रूप से. पंडित जी कही आप मेरे साथ कोई अनैतिक कार्य तो नहीं कर रहे क्योंकि मुझे आप पर शुरू से शंका हो गई थी।
पंडित : में फिर कह रहा हूं बेटा अगर तुम्हे मेरे पर कोई भी शंका है तो तुम जा सकते हो क्योंकि मेने तुम्हे यहां नहीं बुलाया तुम खुद आए हो।
पंडित का इतना कहकर चुप हो जाना मेरे को उनकी और खींचने का काम करने लगा और मुझे उनपर विश्वास ना चाहते हुए भी होने लगा। में सोचने लगा तभी....
पंडित: क्या सोच रहे हो! अगर किसी भी तरह की शंका है तो तुम अभी जा सकते हो यहां से में तुम्हें नहीं रोकूंगा।
मेने अपनी घड़ी की ओर देखा तो शाम के पांच बज गए थे, मेने पंडित जी से माफी मांगी और उनसे कहा कि में कल आपसे मिलता हूं क्या आप मिलेंगे?
पंडित: बेटा तुम एक नहीं दस बार मेरे से मिलो मुझे कोई दिक्कत नहीं परन्तु अगर कल मेरे से मिलने ओवोगे तो अपना मन एकाग्र करके आना. अपने मन की ‘किन्तु-परंतु’ ये सारी दुविधाओं को यहां मत लाना अन्यथा कोई सार्थक निर्णय नहीं निकल पाएगा।
में उनके कहने का मतलब समझ चुका था। मेने उनसे विदा ली और घर को आ गया।
कहानी कैसी लग रही कमेंट लाइक करके बताएं अगला भाग जल्दी आएगा धन्यवाद।।