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Erotica मेरी पत्नी ( सु )( धा ) का शुद्धिकरण.....( एक गढ़वाली महिला की दास्तान)

rajveer juyal 11

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अब आगे.......



अगले दिन में ऑफिस से आते हुए पंडित जी को फोन किया आने को तो उन्होंने मुझे आने को कह दिया में सीधा उनके ऑफिस पहुंच गया। काफी भीड़ थी आज तो में एक कोने में बैठ गया और अपनी बारी का इंतजार करने लगा। आधे घंटे बाद पंडित जी की आवाज सुनाई दी. ‘ आ जाओ बेटा ’ में उठकर उनके समाने गया और पंडित जी से कहा -.....

पंडित जी’ मुझे सही मार्ग दिखाइए में बहुत दुविधा में हूं। मुझे रात भर नींद नहीं आई बस यही सोचता रहा कि मेरी पत्नी कैसे स्वस्थ होगी ।

पंडित: में तुम्हारी व्याकुलता परेशानी समझ रहा हूं पर मेने तुम्हे पहले ही कहा था कि अपना किन्तु परंतु यहां मत लाना और जैसा में अब कह रहा हूं तो उसे ध्यान से सुनना और फिर उसपर अमल करना।

जी ’ आप मुझे बताए में तैयार हूं।

पंडित : देखो बेटा ’ में तुम्हें स्त्री के बारे में कुछ जानकारी देता हूं ताकि तुम सही से समझ सको।

जी पंडित '' आप कहिए में तैयार हूं।

पंडित: देखो बेटा ’ स्त्री की कामतृप्ति ना होने के कही सारे कारण हैं और उनमें मुख्यता जो है वो है ‘मां ' बनना। एक स्त्री का विवाह पूर्व यही उद्देश्य होता है कि वो मातृत्व सुख का अनुभव जल्दी से करे परंतु अगर इसमें देरी हो तो इससे शादी शुदा जिंदगी में भी फर्क पड़ता है और इतना में विश्वास से कह सकता हूं । स्त्री के अंगों में सबसे अच्छा अंग है ‘स्तन! इसलिए में तुम्हें कुछ जानकारी देना चाहता हूं...

बिना स्तन कोई स्त्री की कल्पना व्यर्थ है..!!

स्त्री के स्तनों से जुड़ा होता है स्त्री का सारा व्यक्तित्व । जब तक स्त्री माँ नही बन जाती तब तक उसकी ऊर्जा पूर्णतः स्तनों तक नही पहुँचती..!!

शरीर शास्त्री ये प्रश्न उठाते रहते है। कि पुरूष के शरीर में स्तन क्यों होते है। जब कि उनकी कोई आवश्यकता नहीं दिखाई देती है। क्योंकि पुरूष को बच्चे को दूध तो पिलाना नहीं है। फिर उनकी क्या आवश्यकता है। वे ऋणात्‍मक ध्रुव है। इसलिए तो पुरूष के मन में स्त्री के स्तनों की और इतना आकर्षण है। वे धनात्‍मक ध्रुव है।

इतने काव्य, साहित्य, चित्र,मूर्तियां सब कुछ स्त्री के स्तनों से जुड़े है। ऐसा लगता है जैस पुरूष को स्त्री के पूरे शरीर की अपेक्षा उसके स्तनों में अधिक रस है। और यह कोई नई बात नहीं है। गुफाओं में मिले प्राचीनतम चित्र भी स्तनों के ही है। स्तन उनमें महत्‍वपूर्ण है। बाकी का सारा शरीर ऐसा मालूम पड़ता है कि जैसे स्तनों के चारों और बनाया गया हो। स्तन आधार भूत है।

क्‍योंकि स्तन उनके धनात्मक ध्रुव है। और जहां तक योनि का प्रश्न है वह करीब-करीब संवेदन रहित है। स्तन उसके सबसे संवेदनशील अंग है। और स्त्री देह की सारी सृजन क्षमता स्तनों के आस-पास है।

यही कारण है कि जबतक स्त्री मां नहीं बन जाती, वह तृप्त नहीं होती। पुरूष के लिए यह बात सत्य नहीं है। कोई नहीं कहेगा कि पुरूष जब तक पिता न बन जाए तृप्त नहीं होगा। पिता होना तो मात्र एक संयोग है। कोई पिता हो भी सकता है, नहीं भी हो सकता है। यह कोई बहुत आधारभूत सवाल नहीं है। एक पुरूष बिना पिता बने रह सकता है। और उसका कुछ न खोये।

लेकिन बिना मां बने स्त्री कुछ खो देती है। क्योंकि उसकी पूरी सृजनात्मकता, उसकी पूरी प्रक्रिया तभी जागती है। जब वह मां बन जाती है। जब उसके स्तन उसके अस्तित्व के केंद्र बन जाते है। तब वह पूर्ण होती है। और वह स्तनों तक नहीं पहुंच सकती यदि उसे पुकारने वाला कोई बच्चा न हो। तो पुरूष स्त्रियों से विवाह करते है ताकि उन्हें पत्नियाँ मिल सके, और स्त्रियां पुरूषों से विवाह करती है ताकि वे मां बन सकें। इसलिए नहीं कि उन्हें पति मिल सके। उनका पूरा का पूरा मौलिक रुझान ही एक बच्चा पाने में है जो उनके स्त्रीत्‍व को पुकारें।

पश्चिम में बच्चों को सीधे स्तन से दूध न पिलाने का फैशन हो गया है। यह बहुत खतरनाक है। क्योंकि इसका अर्थ यह हुआ कि स्त्री कभी अपनी सृजनात्‍मकता के केंद्र पर नहीं पहुंच सकेगी। जब एक पुरूष किसी स्त्री से प्रेम करता है तो वह उसके स्तनों को प्रेम कर सकता है। लेकिन उन्हें मां नहीं कह सकता।

केवल एक छोटा बच्चा ही उन्हें मां कह सकता है।

इसलिए स्त्री का कामतृप्ति नहीं होने का यह भी बहुत बड़ा कारण है जिसे आजकल के पुरष समझ नहीं रहे वो बस अपनी कामेच्छा को बढ़ावा देने में लगे रहते हैं।

तो बेटा क्या तुम मुझे बता सकते हो कि अभी तक तुमने कोई बच्चा क्यों नहीं किया. क्या आपकी पत्नी की इसमें मनाई थी . में तो इतना कह सकता हूं कि संतान उत्पत्ति के बाद स्त्री के शरीर में बहुत बदलाव, उसकी कामतृप्ति की अभिलाषा ओर बढ़ जाती है इसलिए तुम्हारी पत्नी की भी यह इच्छा हो सकती है परन्तु में यह भी जानता हूं कि इस समय आपकी पत्नी के भीतर एक भूत प्रेत का साया है जो उसकी सारी इंद्रियों को अपने वश में किए हुए हैं जिस कारण आपकी पत्नी की कामेच्छा की आवश्यकता अधिक बढ़ गई है।

अतः अभी सिर्फ तुम्हे उसकी कामतृप्ति की जरूरत को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए और वो होगी किसी अन्य पुरुष के सहयोग से अर्थात किसी नवयुवक के भीतर उस आत्मा का प्रवेश करना होगा ताकि सबकुछ आगे सामान्य हो जाए और तत् पश्चात आपको अपनी पत्नी को मातृत्व सुख देना है।

मेने पंडित जी की बाते बड़े गौर से सुनी और फिर उनसे कहा....

पंडित जी अभी मेरी पत्नी खुद बच्चा नहीं चाहती है मेने उससे बात की ओर में भी उसकी बात से सहमत हूं। परंतु जो आप कह रहे की किसी अन्य पुरुष की आत्मा उसके शरीर में प्रवेश की हुई है इसपर मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा ओर अगर यह सत्य है तो इसका निवारण जो आप कहे इससे तो मेरी पत्नी अशुद्ध हो जाएगी और आप ही कहे कि उसे शुद्ध करना है तो यह कैसे संभव है कृपया मुझे यह बताएं.

पंडित : बेटा, जैसे कीचड़ लगने पर उसको साफ किया जाता है,जैसे किसी रोग का इलाज दवाई से किया जाता है ठीक उसी तरह से जब स्त्री के अंदर किसी की आत्मा घुस जाती है तो उसे बाहर निकालने की कोशिश की जाती है पर यहां पर मामला दूसरा है आपकी पत्नी के अंदर जो आत्मा है वह सिर्फ सम्भोग करने को है क्योंकि उस लड़के को आपकी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की तीव्र इच्छा थी पर उसके जीवित रहते यह संभव हुआ नहीं तो वो अब एक रूह बनके इसकी पूर्ति कर रहा है।

में आपकी बात समझ गया परंतु क्या ऐसा करने से मेरी पत्नी के चरित्र खराब नहीं होगा, क्या मेरा उसके साथ ऐसा करना ग़लत नहीं होगा, क्या वह यह सब करने को तैयार हो सकती है, क्या इससे आगे चलकर कोई दिक्कत नहीं आएगी बताए पंडित जी?

पंडित: में तुम्हारी व्याकुलता परेशानी समझ रहा हूं पर इनका इस सब से कोई सम्बन्ध नहीं क्योंकि यह बहुत ही गोपनीय तरीके से होगा और दूसरा जीवन रक्षा हेतु किया गया कार्य कभी भी अनुचित नहीं होता है क्या आपको अपनी पत्नी के जीवन से बढ़कर यह लगता है?

नहीं मुझे तो बस अपनी पत्नी को खुश सुरक्षित और जीवित देखना है।

पंडित : तो फिर क्या इतना सोच रहे हो बेटा ।

अच्छा पंडित जी क्या ऐसा सम्भव नहीं कि सिर्फ बाहरी रूप से संभोग का कार्य किया जाए जिससे उस आत्मा को यह लगे कि यह सही है और वो मेरी पत्नी को छोड़कर चले जाएं।

पंडित: बाहरी रूप से संभोग करना कोई संभोग की दृष्टि में ही आता है परंतु इसके लिए पहले किसी लड़के का सुनाव करना होगा क्योंकि चाहे बाहरी रूप से संभोग क्रिया का नाटक करना है परन्तु इस अवस्था में भी आपकी पत्नी और उस लड़के को निवस्त्र मुद्रा में रहना होगा। उन्हें एक दूसरे के शरीर को आलिंगन करना होगा ताकि उस लड़के की आत्मा को यह विश्वास हो सके और वो आपकी पत्नी की रूह को त्याग दे।

पंडित जी आपकी बाते सत्य है पर मेरी समस्या यह है कि लड़का कहा से लाए?

पंडित: यह आपको देखना है बेटा मेरा काम था तुम्हे सही मार्ग दिखाना जो मेने दिखा दिया बाकी सबकुछ आपको करना है।

में कहा से ... यह तो आपने मुसीबत में डाल दिया मुझे पंडित जी।

पंडित: बेटा , आप देखो ढूंढों किसी ऐसे लड़के को जिसकी आयु ‘सत्रह से अठारह वर्ष हो, पर यह भी ध्यान रखना कि लड़का विश्वसनीय हो मतलब किसी से इस बारे में बात न करें नहीं तो आगे वो आपको ब्लैक मेल कर सकता है इसलिए जो भी करना बिलकुल समझदारी है।

ऐसा लड़का कहा से ढूंढू में पंडित जी ओर वैसे भी शहर के लड़कों पर विश्वास करना पूर्णतया मुश्किल ओर रिस्क भरा है।

पंडित: ये बात आप सत्य कहे बेटा इसलिए किसी ऐसे लड़के का सुनाव करे जो आपका परिचित हो विश्वास पात्र हो जो आपको लगे कि ये कभी धोखा नहीं दे सकता।

ऐसा लड़का तो मेरी नजर में कोई नहीं है।

पंडित: जल्दी मत करो बेटा घर जाकर आराम से एकांत में बैठकर इसपर विचार करना देखना कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलेगा और तब तुम मेरे पास आना में आगे की पूजा विधिः विधान के बारे में बताऊंगा।

मेरा दिमाग स्थिर नहीं था में सोच रहा कि यह विधाता क्या करवा रहा है. खेर में उठा पंडित जी को नमस्कार करके विदा ली और निकल आया।

घर पहुंचा तो पत्नी से रोज की तरह बातें करने के बाद में चाय लेकर एकांत में बैठकर सोचने लगा। मन व्याकुल होने लगा धड़कने तेज तेज होने लगी में सोचने लगा कि ऐसा लड़का आखिर कहा मिलेगा जो मेरी मदद कर सके। बहुत देर सोचता रहा तभी पत्नी आई और बोली क्या बात आज चुप चाप बैठे हो क्या बात है। मेने भी उसे हकीकत न बताते हुए कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही ओर फिर में उठकर पत्नी के साथ आ गया। कुछ देर बाद अमोल आया और बोला मामाजी में थोड़ा अपने दोस्तों के साथ घूमने जा रहा हूं मेने भी उसे कहा ठीक हे पर समय पर आ जाना ।

रात को पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए भी मन में पंडित जी की बाते घूम रही थी जिसके कारण मेरा लिंग शिथिल हो गया तभी पत्नी बोली क्या हुआ आज आपका लिंग पहले जैसा नहीं है इसे पहले जैसा कीजिए।
में उसकी बातों को सुना पर मेरा ध्यान तो कही और था तो लिंग उसी अवस्था में रहा तभी पत्नी ने मेरी कमर में चूंटी काटते हुए कहा क्या हुआ कहा खो गए आप ! में कह रही कि इसे पहले जैसा करिए पर आप हे की कोई जवाब ही नहीं दे रहे। मेने उसे कहा कि आज मेरा मन नहीं है करने का तो पत्नी मेरी बात मान गई और फिर बिना सेक्स करते हुए ऐसे कही दिन निकल गए पर मेने पत्नी को संतुष्ट नहीं किया आखिर कार पत्नी ने कहा कि क्या बात है आप कुछ दिनों से मेरी शारीरिक पूर्ति नहीं कर रहे क्या कारण है तो मेने कहा कुछ नहीं बस आजकल इच्छा नहीं होती है और ऐसा कहकर में उसे कही दिनों तक टालता रहा।

अब ऑफिस में भी यही सोचता रहता कि कैसे अपनी पत्नी को इस परेशानी से बाहर निकालूं। मेरा दिमाग मन अब विचलिए रहने लगा था मेरा काम पर भी मन नहीं लगता. मैंने फोन में अपनी समस्या का समाधान ढूंढा परन्तु वहां पर भी वहीं विधिः बाते कहीं थी जो उस पंडित ने बताई थी। पर मेरा मन यह मानने को तैयार नहीं था कि किसी पराए लड़के से में अपनी पत्नी की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करूं। मेरा मन अब दो राह में चल पड़ा था एक कहता की जो हो रहा वो सही है और वही दूसरा मन कहता की यह गलत है में इसी असमंज में बंध सा गया समझ नहीं आ रहा कि क्या किया जाए।

मेने घड़ी की ओर देखा तो चार बज रहे थे। अपने सारे काम में कर चुका था तो बॉस से कहकर में निकल आया और सीधा उस पंडित जी के वहां पहुंच गया। पंडित जी किसी ओर से बात विचार कर रहे थे में अपनी बारी का इंतजार करने लगा और सामने ही रखे स्टूल में बैठ गया। जब थोड़ी देर बाद वो व्यक्ति चला गया तो में उठकर उनके पास गया ।

आपने किस धर्म संकट में डाल दिया मुझे. मेने पीड़ित जी से कहा ।

पंडित : मेने किसी धर्म संकट में नहीं डाला तुम्हे ये सब तुम्हारी अपनी समस्या है।

माना कि मेरी समस्या है पर अब में क्या करू आप कोई दूसरा उपाय बताए।

पंडित : में पहले ही कह चुका हूं तुम्हे कोई उपाय नहीं है दूसरा कोई अगर होता तो बता देता अब तक में ।

क्या करू मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा। मेने कल बहुत सोचा पर मुझे इसका कोई उपाय नहीं मिला पंडित जी ।

मेरा ऐसा कहते ही पंडित ने मेरे हाथ में एक पुस्तक रखी और बोले कि इसको पढ़ना इससे तुम्हारी सारी समस्या खत्म हो जाएगी।

मेने पुस्तक पकड़कर कहा. आखिर ये काहे की पुस्तक है जो आप मुझे दे रहे हैं।

पंडित: खुद खोलकर देखो !

मेने पुस्तक खोली तो मेरी आंखे फटी की फटी रह गई। पुस्तक किसी कामसूत्र पर आधारित थी क्योंकि उसके पन्नो से साफ प्रतीत हो रहा था. नग्न धड़ंग महिलाओं के चित्र. पुरुष महिला के अंतरंग संबंध के चित्र में यह देखकर उन्हें बोला ये क्या हैं पंडित जी?

पंडित: बेटा इस पुस्तक को कामसूत्र कहते हैं इसमें तुम्हे अपने सारे प्रश्नों के जवाब मिल जाएंगे इसलिए इसको पढ़ना मन से ओर फिर मेरे को आकर बताना की तुम्हारी समस्या खत्म हुई की नहीं।

इस पुस्तक से मेरी समस्या का क्या मतलब में समझा नहीं ।

पंडित : इस पुस्तक में तुम्हें अपनी समस्या जैसे कि पत्नी के साथ बाहरी लोगों का सहवास या किसी महिला पर ऊपरी साया लग जाने के बाद उसका समाधान ये सारी जानकारी विधिः विधान से समझाई गई है इसलिए इसको पढ़ना।

में यही तो नहीं चाहता कि मेरी पत्नी किसी ओर के साथ शारीरिक संबंध बनाए ओर आप हे कि ऐसी ही पुस्तक मुझे पढ़ने को कह रहे।

पंडित: ठीक है शारीरिक संबंध ना बनाओ परन्तु बाहरी रूप से शारीरिक संबंध कैसे बनाएं जाने है वो तो पड़ लेना क्या पता इससे तुम्हारी समस्या खत्म हो जाएं।

क्या सच में ऐसा हो सकता है पंडित जी. मेने उत्सुकता वश पूछा।

पंडित: बिलकुल हो सकता है पर यह सब उस आत्मा प निर्भर करता है अगर वह आत्मा सिर्फ बाहरी रूप से संतुष्ट हो जाती है तो आपकी पत्नी बिलकुल स्वस्थ हो जाएगी।

परंतु पंडित जी में किसी ऐसे लड़के की खोज कहा से करू जो यह सब करने को तैयार हो क्योंकि में यहां किसी ऐसे को जानता ही नहीं. मेरी इस समस्या का समाधान भी कीजिए।

पंडित : इसका निवारण तो तुमको ही करना है में कोई मदद नहीं कर सकता पर इतना अवश्य कह सकता हूं कि किसी परिचित को ढूंढिए अर्थात अपने सगे संबंधियों में जिन्हें आप जानते होंगे. कोई तो होगा जो आपके रिश्तेदारी . बस ऐसे ही किसी लड़के का चुनाव कीजिए पर ध्यान रहे कि लड़का मात्र सत्रह अठारह वर्ष का होना चाहिए।

हमारे रिश्तेदारी में भी कोई ऐसा नहीं है पंडित जी।

पंडित : इतनी जल्दी निराश मत होइए, थोड़ा संयम में सोचिए कोई तो होगा ।

कोई नहीं है पंडित जी’ जो इतनी आयु का हो।

पंडित: आप अभी घर जाइए थोड़ा आराम से एकांत में बैठकर सोचिए तो क्या पता आपको कोई नज़र आए ।

जी’ मेने पंडित जी को नमस्कार किया और वहां से निकलने लगा तभी पंडित जी क
हे...

“पुस्तक अवश्य पढ़ना ! अगर कोई समस्या हो तो फोन कर सकते हो में उपलब्ध रहूंगा ।

में भी उन्हें हां कहते हुए निकल आया।
 

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अब आगे........




घर पहुंचा तो में अपने कमरे में चला गया और पंडित की दी हुई पुस्तक को पढ़ने लगा. पृष्ठ के पहले पन्ने पर ही कुछ मादक स्त्रीयों के नग्न धड़ंग फोटो थी. मेने पन्ना पलटा और पढ़ने लगा में पढ़ने में इतना व्यस्त हो गया कि कब एक घंटा बीत गया पता ही नहीं चला. पुस्तक में कैसे पत्नी को संतुष्ट करे ,कैसे उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने चाहिए, कैसे पत्नी को पराए मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने को तैयार करना चाहिए, कैसे पत्नी को पराए मर्द से अपनी संतुष्टी मिल पाए ऐसे ही तरह तरह के तरीके उस पुस्तक में लिखे हुए थे. में यह सब पढ़कर सोच में पड़ गया कि क्या यह संभव होता होगा क्या कोई पुरुष अपनी पत्नी को पराए मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति देता होगा इन्हीं ख्यालों में उलझा रहा में समझ नहीं पा रहा था कि आखिर इसका मेरे से क्या ताल्लुकात. पर इतना अवश्य हो गया था कि उस पुस्तक को पढ़ने के बाद मेरे शरीर में एक अलग तरह की सरसराहट हो गई थी, मेरा लिंग अपने पूरे आवेश में तन कर खड़ा हो चुका था. पता नहीं उस पुस्तक का मेरे मन मस्तिक में कैसा प्रभाव पड़ा कि में ना चाहते हुए भी अब अपनी पत्नी का पराए मर्द के साथ कल्पना करने लगा. मुझे अब पंडित की बातों में सच्चाई दिखाई दे रही थी। मेरा हाथ ना चाहते हुए भी मेरे लिंग पर चला गया मुझे इतनी कामोतर हुई कि मेने अपनी पेंट की जिप खोलकर लिंग को बाहर निकाला और उसे मसलने लगा. जैसे जैसे में उस पुस्तक को पढ़ता जा रहा था वैसे वैसे मेरी कामुकता बढ़ने लगी मुझे ऐसा लगता कि कही मेरा लिंग फट ना जाए बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किया और पुस्तक को तकिए के नीचे रखकर बाहर निकल आया।

आज तू खेलने नहीं गया? मेने अमोल को बोला।

नहीं मामाजी आज सारे दोस्त फिल्म देखने मॉल गए हैं तो इसलिए ।

चल कोई बात नहीं अमोल ! अच्छा तेरी बुआ को बोल की चाय बना ले।

जी मामाजी !

में कुर्सी में बैठा और सोचने लगा कि क्या यह संभव है, क्या अपनी पत्नी को पराए मर्द से...छी’ छी’ ये क्या सोच रहा हूं में, मेने अपने आप से कहा. थोड़ी देर बाद अमोल चाय लेकर आया और पीछे पीछे पत्नी भी आई पकौड़ी लेकर . क्या बात आज चाय के साथ पकौड़ी?

हां जी’ बहुत समय से नहीं बनाई थी और मौसम भी ठंडा हैं तो सोचा बना लूं. मेरी पत्नी बोली।

बहुत बढ़िया ! फिर हमने साथ में चाय पकौड़ी का आनन्द लिया। चाय पीने के बाद पत्नी अपने कामों में लग गई और में अमोल को लेकर थोड़ा बाहर घूमने लगा।

रात में खाने के बाद जब में अपने कमरे में गया तो पत्नी पहले से ही वहां मौजूद थी, मेने उसे पानी देने को कहा तो उसने सामने के टेबल से बोतल उठाई और एक गिलास में पानी देते हुए बोली.. क्या आज कुछ है?

“में क्या कुछ है! समझा नहीं।

“वहीं जो रोज रात में किया करते हैं।

“हां’हां’ क्यों नहीं, ये भी कोई पूछने वाली बात है। मेने पत्नी को अपनी ओर खींचने हुए कहा. कुछ ही समय में मेने पत्नी को नग्न किया और फिर लग गए अपने काम पर पहले कुछ देर चुम्मा चाटी हुई फिर मेने स्तनों को चूसा दबाया और लास्ट में लिंग उसकी योनि में रखकर अन्दर को सरका दिया और हो गई हमारी सम्भोग क्रिया क्रियान्वत, धीरे धीरे पत्नी अपनी चरम सुख की ओर बढ़ने लगी पर आज उसने वो बात कही जो आज से पहले कभी नहीं कही थी . पत्नी बोली कि आपका लिंग छोटा और टाइट भी नहीं लग रहा है इसको सही से कीजिए ना! मेने ने कहा कि जैसे रोज होता है वैसे ही है तो पत्नी फिर से कही की पता नहीं आज क्यों मजा नहीं आ रहा मुझे ! मेने उसे समझाया और जैसे तैसे उसे संतुष्ट किया पर मेरे जहन में उसकी कही बात उमड़ने लगी क्योंकि आज से पहले कभी उसने ऐसा नहीं कहा था।

सुबह में तैयार होकर किचन में गया तो मेरी आंखे फटी की फटी रह गई. हुआ ये था कि मेरी पत्नी किचन के सेलेब में बैठकर अपनी साड़ी को ऊपर उठाई हुई उंगली कर रही थी और सिसकारियां ले रही थीं में तुरंत उसके पास गया उसे उसकी कामतृप्ति से बाहर निकाला तो वो एक दम सकपा गई . क्या हुआ तुम्हे सुबह ही शुरू हो गई तुम्हे पता नहीं कि अमोल भी रहता है कही वो देख लेता तो क्या सोचता मेने डांटते हुए कहा। पत्नी भी शर्म से पानी पानी हो गई उसने कहा आप सच कह रहे पर पता नहीं क्यों ख़ुदबा खुद ऐसा होने लगा मुझे कुछ पता नहीं। मेने भी उसे ज्यादा न डांटते हुए कहा कि कोई नहीं हो जाता है और बात को खत्म करके उसे नाश्ता लगाने को कहा.

जी बस आप बैठिए में लेकर आती हूं. इतना कहकर वो मेरे लिए खाना रखने लगी। में बाहर इंतज़ार कर रहा तभी पत्नी खाना लेकर आई और मेने नाश्ता किया और ऑफिस को निकल गया।

ऑफिस में यही सोचता रहा कि अगर कभी आगे से ऐसे हरकते मेरी पत्नी अमोल के सामने करलेगी तो क्या होगा यही सोचता रहा तभी मुझे पंडित जी का ध्यान आया और मेने उन्हें फोन किया और सारी बात बताई जो आज सुबह हुई थी. पंडित जी ने मिलने को बुलाया में भी सीधा उनके पास पहुंच गया और उसने कहा....

पंडित जी जो मेने आपको बताया वो क्या है!

पंडित: बेटा वो कुछ नहीं बस तुम्हारी पत्नी की शारीरिक जरूरतों का एक हिस्सा है।

पर में रोज उसकी कामतृप्ति करता हूं तो फिर ये क्यों?

पंडित : हां तुम उसकी कामतृप्ति किया करते हो परंतु जो आत्मा उसके अंदर है उसकी कामतृप्ति होनी आवश्यक है मतलब ये कि तुम्हारी पत्नी को उस लड़के से अपार सेक्स करने की अभिलाषा है किंतु कोई शरीर ना होने के कारण वो उसे प्राप्त नहीं कर पा रही है इसलिए बेटा जल्दी से तुम किसी लड़के की व्यवस्था करो ताकि ये सब खत्म हो जाए।

में कहा से ... में बहुत सोचा पर कोई लड़का ऐसा नहीं है. क्या पंडित जी उस लड़के की आत्मा मेरे अंदर नहीं समा सकती और में ही अपनी पत्नी की शारीरिक जरूरतों को पूरा कर दूं क्या ऐसा नहीं हो सकता?


पंडित: अगर ऐसा होता तो में पहले ही तुम्हे बता देता पर बेटा यह संभव नहीं क्योंकि उस लड़के की आयु ओर तुम्हारी आयु में फर्क है।

क्या करू में कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे. कल आपने जो पुस्तक दी थी मेने उसे पढ़ा और मेरे अंदर तरह तरह के अनैतिक कार्य करने की अभिलाषा होने लगी क्या यह गलत नहीं पंडित जी।

पंडित: कुछ गलत नहीं है बेटा में तुम्हें स्त्री रूप उसके शरीर की कुछ बातें बताता हूं ताकि तुम्हे कुछ मार्गदर्शन हो जाए।

जी बताए।


पंडित: देखो स्त्री रूप एवं शरीर देखकर सबसे पहले उसके आंतरिक अंगों का स्मरण होता है जो स्वाभाविक है , मन में सवाल उठता है कि कैसे इसके अंग दिखाई देंगे जब ये निवस्त्र मुद्रा में होगे, बेटा स्त्री शरीर ईश्वर की अनमोल कला का प्रतीक है इसका कोई अंत नहीं स्त्री मोह, स्त्री के साथ शारीरिक संबंध रखना ये सब ईश्वरी प्रसाद है जिसे सभी पुरुष ग्रहण करते हैं चाहे अपनी पत्नी हो या किसी पराए की पर ग्रहण सभी करते हैं । अब रही बात तुम्हारी पत्नी की तो बेटा इस समय आपकी पत्नी एक बीमार देह है उसे किसी उपचार की आवश्यकता है और वह उपचार अगर उसकी कामतृप्ति से होकर होता है तो कोई अनैतिक नहीं. बेटा अगर इसका निवारण सही समय पर नहीं किया जाएगा तो इसके परिणाम बहुत भयानक होगे।

में समझा नहीं?

पंडित : जैसे कि क्या पता आपकी पत्नी घर में निवस्त्र होकर रहने लगे और उसे इस अवस्था में कोई घर का सदस्य देख ले। कुछ ऐसा करे जो आपको सही ना लगें जो आगे चलकर बड़ी मुश्किल पैदा कर दे,।

आप सही कह रहे पंडित जी आज सुबह ही कुछ ऐसा घटित हुआ जिसकी मुझे अपेक्षा नहीं थी।

पंडित: हां’ बिलकुल ! इसलिए बेटा तुम्हे जल्द से जल्द इसका उपाय खोजना होगा।

मेने पंडित जी से विदा ली और घर को निकल आया।

रात को फिर वही जो कल रात हुआ था पत्नी बोली कि आपका लिंग छोटा लग रहा है और शिथिल भी . मेने उसे समझाया कि ऐसा नहीं है। मेने अपने मन में उठ रहे सवाल का जवाब जानने के लिए उससे पुछ लिया कि क्या तुम्हे मेरे लिंग से मजा नहीं आता. “मजा तो आता है पर पता नहीं आजकल क्यों ऐसा हो रहा है. ऐसा कहकर वो चुप चाप हो गई’! मेरा मन अब ओर व्याकुल होने लगा में सोचने लगा क्या किया जाए कैसे किसी लड़के की व्यवस्था करूं जो मेरी समस्या का समाधान कर दे काफी सोचता रहा पर कोई उतर नहीं मिला . तभी मेरे मन में पुरानी वाली एक घटना याद आई जो मेने कुछ समय पूर्व सोची थी बल्कि में लेकर भी आया था पर संकोच की वजह से कर नहीं पाया। मेरे दिमाग में एक बात उठी कि क्यों ना एक बार खीरा बैंगन या गाजर से पत्नी की शारीरिक जरूरतों को पूरा किया जाए तभी मन में ख्याल आया कि खीरा तो बहुत बड़ा होता है कही इससे पत्नी को दिक्कत ना हो जाए इसलिए मन में निश्चय किया कि खीरा को छोड़कर कुछ ओर ट्राई करना चाहिए. में अगले रोज बाजार से ये बैंगन लेकर आने की सोची, में देखना चाहता था कि क्या इससे कोई फर्क पड़ेगा या नहीं .

“कहा खो गए आप? . मेरी पत्नी बोली।’

“कुछ नहीं बस यही सोच रहा कि तुझे आजकल क्या हो रहा है।’

“पता नहीं में खुद परेशान हूं पर क्या करू मेरी खुद समझ नहीं आ रहा।’

“चल कोई बात नहीं. अब रात काफी हो चुकी है तो सो जाते हैं. मेने पत्नी को कहा और उसने भी मेरी बात में अपनी सहमति बनाई और फिर हम सो गए।’

अगले दिन में ऑफिस से आते हुए सामान ले आया और अब मुझे बस रात का इंतजार था में खुद देखना चाहता था कि अगर मेरी पत्नी इन सब तरीकों से संतुष्ट हो जाए तो फिर कुछ और करने की आवश्यकता नहीं पर फिर एक ओर मुझे उस लड़के की आत्मा का ख्याल आता ओर यह सोचकर में सकते में आ जाता की इसका जो उपाय पंडित ने बताया वो कैसे पूरा होगा. खाना खाने के बाद में रोज की तरह अपने रूम में चला गया और थोड़ी देर बाद पत्नी भी आ गई। रात में मेने एक बैंगन लिया और उसे तकिए के नीचे रख दिया।

मैंने अपनी पत्नी को हरेक तरह से जो एक पति करता है संतुष्ट किया। मेरी पत्नी सुधा भी मुझसे पूरी तरह से संतुष्ट और खुश थी किंतु जबसे उसको यह बीमारी हुई तबसे कुछ सही नहीं चल रहा था।

उधर मेरे मन में तो अपनी फैन्टेसी कहे या मजबूरी पूरी करने की इच्छा प्रबल हो रही थी, परंतु मैं कहूँ तो कैसे।
खैर.. समय बीतता गया अब रात के साढ़े बारह बज चुके थे शादी के इतने सालो में कभी भी मेरे मन में इस तरह के वाहियात खयालात नहीं आए पर अब समय कुछ ओर था। मैं और मेरी पत्नी सुधा रात को प्यार कर रहे थे। मैंने सुधा के साथ आधे घंटे फोरप्ले करने के बाद उसकी चूत को सहलाना चाटना शुरू कर दिया।

मेरी पत्नी पूरी तरह से मदहोश हो गई थी ऐसा लगता कि जैसे वो आसमान में उड़ रही हो। मैंने उसकी योनि को चाट-चाट कर मुलायम कर दिया में अपनी जीभ को तीर के माफिक सीधा टाइट किया और पूरा अन्दर तक घोंप दिया और चाटने लगा।

सुधा ‘आ..आ..ह’ करने लगी, उसकी योनि से पानी बहने लगा।

मैं उसके योनि’रस को चाटता जा रहा था वाकई में आज बड़ा मजा आ रहा था। सुधा अपनी आँखों को मूंद कर जन्नत या यूं कही कि परम आनंद में गोते लगा रही थी और पूरा बेकाबू होकर चोदने के लिए मुझसे मिन्नतें कर रही थी।

तभी मैंने तकिए के नीचे हाथ डाला और एक लंबा बैगन निकाला।

पत्नी मेरी इतनी कामोतर हो रखी थी उसने अपनी आँखें मूंदी हुई ही थीं।

मैं फिर से उसकी योनि को चाटने लगा और बैंगन को उसकी योनि के भीतर प्रवेश कराने लगा।

मेरी पत्नी तभी तुरंत चिहुंक उठी।

उसने पूछा- ये क्या है?

मैंने कहा- कुछ नहीं बस एक नई चीज़ है तो ट्राई करो.. काफ़ी मज़ा आएगा।

उसने कुछ नहीं बोला और अपनी काम अगन की ज्वाला में तड़पड़ने लगी।

बैंगन कोई पांच इंच का था, बैंगन का सिरा थोड़ा मोटा था पर बाकी का हिस्सा नॉर्मल आकर का था. मैंने उसे पत्नी की योनि के रस से भिगोया और फिर पत्नी की योनि में पूरा का पूरा घुसा दिया थोड़ा बहुत उसे तकलीप हुई पर फिर वो ‘आह.. आह..’ करने लगी।

मैंने धीरे धीरे ओर फिर स्पीड बढ़ा दी.. वो और ज़्यादा कामुक हो गई सिसकियां भरने लगी।

मैंने पूछा- कैसा लगा ये नया हथियार?

तो उसने कहा- अच्छा है।

यह सुन कर मैं पूरे ज़ोर से बैंगन को योनि में अंदर बाहर करने लगा। फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास रखा और उससे चूसने के लिए कहा.. तो वो मेरा लिंग चूसने को मना करने लगी। में आपको बता दूं कि आजतक इतने सालो के शादी के बाद भी मेरी पत्नी ने मेरा लिंग कभी चूसा नहीं था में बहुत बार कहा समझाया पर वो कहती कि ये कोई चूसने की चीज है और हर बार मना कर देती।

मैंने पूछा- कैसा लग रहा.. नया हथियार लेने में?

तो उसने तुरंत जवाब दिया- अच्छा पर मुझे सिर्फ़ मेरे पति का लिंग चाहिए।

उसका यह जवाब मैं सुनना नहीं चाहता था, मैं चाहता था कि वो इसका भरपूर आनंद ले इस बैंगन को लिंग के रूप में इमेजिन करे। आख़िर मुझे पत्नी की इतने दिनों से जो सेक्स के लिए आतुरता थी उसे पूरी करनी थी। किन्तु मेरी पत्नी एक पतिव्रता औरत थी वो जो कुछ भी कुछ दिनों से जो कर रही थी वो उसकी इच्छा नहीं थी बल्कि वो तो उस आत्मा का काम था जो मेरी पत्नी के शरीर में प्रवेश किए हुए था।

अब दस मिनट हो चुके थे. पत्नी यूं ही मजा लेने के बाद बोली- मैं झड़ने वाली हूं।

जब पत्नी ने ऐसा कहा तो मैं बैंगन को और रफ़्तार से योनि में अंदर बाहर करने लगा तो उसकी देह एकदम से अकड़ गई और वो भर भरा के झड़ गई।

परंतु मैं नहीं झड़ा था मेरा लिंग अभी भी किसी रॉड की तरह खड़ा था.

पत्नी बोली- अब आप मुझे चोदिए ना।

मैं भी बहुत उत्तेजित हो चुका था तो मैंने अपना लंड उसकी योनि में डालकर उसे हुचक हुचक कर चोदने लगा आज मुझे भी अलग सा मजा आ रहा था जो इससे पहले नहीं आया था। कुछ देर बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने उससे बोला- मुंह में लोगी?

क्या आपका दिमाग खराब हो गया है क्या जो ऐसी बाते कह रहे हो. उसने साफ मना कर दिया और झिल्लाकर मेरे ऊपर गुस्सा होने लगी।

मै जानता था कि वो नहीं मानेगी पर फिर भी मेने उससे कहा - प्लीज़ मुंह में ही झड़ने दो ना। परंतु वो नहीं मानी।

सुधा ने शादी के इतने सालो के बाद भी मेरी हज़ारों मिन्नतें के बावजूद मेरे वीर्य को छोड़ो कभी लिंग मुंह में नहीं लिया था और मुझे मालूम था कि वो आगे भी नहीं लेगी।

फिर मैं अपनी जिद छोड़कर अपना माल जहां निकलना था वहां निकालकर उस पर लेट गया।

अब रोज में अपनी पत्नी को बैंगन और अपने लिंग से चोद रहा था।

एक दिन इसी तरह सेक्स कर रहा था, उस वक्त सुधा पूरी तरह उत्तेजित थी, मैं उसकी योनि में बारी बारी से कभी बैंगन तो कभी अपना लंड पेले जा रहा था। तभी मेरे मन में पंडित की बताई गई बात याद आई कि किसी दूसरे लड़के से अपनी पत्नी की शारीरिक पूर्ति करना मैं यह सोचकर ओर ज्यादा जोश में आ गया. एकाएक मुझे मन में सुझा की कैसा होगा जब सुधा की योनि में दूसरे लड़के का लिंग जाएगा. एकाएक मैं उससे बोला- आज हम लोग कुछ कल्पना करके सेक्स करते हैं।

पत्नी मेरी कुछ नहीं बोली।

मैं बोला- आज तुम बैंगन को किसी लड़के का लिंग समझकर चुदाई करो। यह कह कर मैंने पत्नी की योनि से लंड निकाल कर उसमें अपनी जीभ को डाल दिया.. मैं जानता था कि मेरी पत्नी की योनि में जीभ से चूसने पर वो बेकाबू हो जाती है।

मैं चूसते हुआ बोला- पत्नी साहेबा.. कैसा लग रहा है?

पत्नी बोली- बहुत गंदा।

मैंने कहा- क्यों?

पत्नी बोली- मुझे उस बैंगन से नहीं करना मुझे तो आपके उससे करना है।

मैं बोला- मुझे मालूम है पर यह सब मजे के लिए कह रहा हूं... ये बस कल्पना मात्र है।

किन्तु पत्नी नहीं मानी..

तो मैंने पत्नी को बोला- लो मैं अब सेक्स नहीं करूंगा।

मैंने चूत को चूसना छोड़ दिया।

जिस कारण मेरी पत्नी बेकाबू हो गई और बोली- प्लीज़ चूसिए ना.. बहुत मज़ा आ रहा है।

मैंने कहा- तो उस बैंगन को किसी लड़के का लिंग समझकर उसकी कल्पना करो।

पत्नी बोली- मुझे यह अच्छा नहीं लगता है। मैं तो सिर्फ़ आपको ही कल्पना कर सकती हूँ।

मैंने कहा- प्लीज़'''' मेरी खातिर बोलो।

पर पत्नी अब भी कुछ नहीं बोली।

मैंने आव देखा ना ताव बस फिर से योनि में जीभ डाल दी और चूसने लगा, पत्नी फिर से बेकाबू हो गई।

मैंने कहा- अब बोलो.. कैसा लग रहा।

पत्नी चुप ही रही।

मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि इतनी कामोतर होने के बाद भी वो अपने पर कंट्रोल बनाए हुए थी. मैंने फिर योनि चूसना छोड़ दिया.. तो पत्नी पागल सी हो गई और चूत चूसने के लिए मुझसे मिन्नतें करने लगी।

मैंने बोला- पहले बोलो तो। वो बड़ी मुश्किल से दबी ज़ुबान से बोली... बड़ा अच्छा बैंगन है लड़के का मजा आ रहा है. एक लंबी सिसकारी लेते हुए पत्नी बोली।

मैं तो जैसे पागल सा हो गया.. मैं बेतहाशा उसकी योनि को चूसने लगा। पत्नी भी मेरे इस उग्र रूप को देख कर सुख के समुद्र में डूब गई और कमरे में सिसकियों की गूंज उठने लगी। थोड़ी देर बाद दोनों शांत हो कर एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

अगले दिन ऑफिस में अपना काम खत्म करने के बाद में थोड़ी देर एकांत में बैठा था और मेरे मन में रात वाली बात घूम रही थी. में अपनी पत्नी का यह रूप आज से पहले कभी नहीं देखा था। में मन ही मन सोचने लगा कि यह तो सिर्फ एक कल्पना थी पर जब यह हकीकत होगी तो क्या होगा. क्या जो में कर रहा हूं वो सही है,क्या इससे मेरा अपनी पत्नी से विश्वाश खो जाएगा,क्या मेरी पत्नी पहले जैसा प्यार मेरे से दोबारा कर पाएगी... ऐसे ही ना जाने अनगिनत सवाल मेरे मन में उठने लगे थे पर में पास उनका कोई जवाब नहीं था में तो बस इतना जानता था कि मुझे अपनी पत्नी को इस बीमारी से बचाना है. में खुद ऐसा नहीं चाहता था पर क्या करे हालत के आगे मजबूर था।

में अब जब भी समय मिलता तो में पंडित की दी हुई पुस्तक को पढ़ता ओर फोन में भी तरह तरह के यौन संबंध से संबंधित वीडियो वा पुस्तकें पड़ता रहता.

दिन प्रतिदिन मेरी पत्नी के स्वास्थ्य में गिरावट आ रही थी अब तो ऐसा हो गया था कि वो कभी ब्रा पेंटी में ही घर में घूमने लग जाती थी और जब में उसे कहता तो कहती मुझे कुछ याद नहीं। मेने डॉक्टर से इसके बारे में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि आपकी पत्नी को भूलने की बीमारी हो गई है इसलिए आप उन्हें किसी अच्छे दिमागी डॉक्टर के पास ले कर जाएं। मेने इस बारे में पंडित को भी बताया तो उन्होंने कहा कि बेटा इसका कोई उपाय नहीं है बस अगर कोई उपाय है तो मेने आपको पहले ही बता दिया है. में दुविधा में पड़ चुका था कि क्या करू.. कैसे में किसी लड़के को ढूंढू जो मेरी मदद कर सके।’



(आगे चलकर क्या हुआ वो आपको अगले भाग में मालूम होगा तब तक आप अपनी राय कमेंट लाइक करके मुझे अपना सहयोग दें धन्यवाद! )
 

rajveer juyal 11

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कहानी कैसी लग रही कमेंट लाइक करके बताएं क्योंकि मेने बहुत मेहनत करके यह कहानी आप सभी के मध्य रखी है।
 
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