Arv313
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Aap kitna sahi likhAte ho bhai lekin jo ye update ke bich me duri hai na bas yahi pareshan karti hai please update post kaijiye.
Waiting eagerly.
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Sandar yar bhai kya mast story haiभाग-१२
फिर परीबानू ने बताना शुरू किया के वो कैसे उस पानी को ला सकता है।
परीबानू- कल सुबह उस ओर की सड़क पर जाना। काफी दूर जाने के बाद एक लोहे का फाटक मिलेगा, जिसके अंदर वह सरोवर है जिसका पानी लाने को तुमसे कहा गया है। अब इस सरोवर का पानी लाने की तरकीब सुनो। अपने साथ दो घोड़े लो। एक पर बैठो और दूसरे पर एक भेड़ के चार टुकड़े लादो और उस घोड़े की लगाम पकड़े रहो। भेड़ मैं आज रात ही कटवा रखूँगी। मैं इसी समय दो गेंदें तुम्हें सी कर दूँगी। यहाँ से निकलते ही तुम एक गेंद अपने पास रखना और एक जमीन पर डाल देना। वह लुढ़कती चली जाएगी और तुम्हें सरोवर के लौह द्वार तक पहुँचा देगी। द्वार पर दो जागे हुए सिंह तुम्हें देखेंगे तो अपने सोए हुए साथियों को जगा देंगे। फिर चारों मिल कर भयंकर गर्जन करेंगे। लेकिन तुम उनसे बिल्कुल न डरना। चारों के आगे कटी हुई भेड़ का एक-एक टुकड़ा डाल देना। इस बात का ध्यान रखना कि कहीं फाटक के बाहर ही घोड़े से न उतर पड़ो। घोड़े पर बैठा रहना जरूरी है नहीं तो नुकसान हो सकता है। शेर मांस खाने लगें तो तुम घोड़े को एड़ लगा कर आगे बढ़ना। फाटक अपने आप खुल जाएगा। अंदर जा कर घोड़े से उतरना और उस चाँदी की सुराही में जो मैं तुम्हें दूँगी, तुरंत ही उस सरोवर का जल भर लेना और सिंहों के भोजन समाप्त करने के पहले ही फाटक से बाहर निकल आना। फिर तुम कुशलतापूर्वक वापस आ जाओगे। वहाँ से सीधे अपने पिता के पास चले जाना।
दूसरी सुबह शहजादा अहमद ने अपनी पत्नी के बताए हुए ढंग से काम किया। उसने दो घोड़े लिए जिनमें से एक पर भेड़ के चार टुकड़े रखे थे। गेंद को पृथ्वी पर डाला तो वह लुढ़कती हुई चली और उसने अहमद को लौह द्वार के सामने खड़ा कर दिया। अहमद ने भेड़ के टुकड़े शेरों के आगे डाले और जब वह खाने लगे तो अंदर जा कर चाँदी की सुराही में जल भर लिया और वापस चला। दो शेरों ने खाना खत्म कर लिया था और वे उसके पीछे लगे। शहजादे ने म्यान से तलवार निकाली तो एक शेर तो लौट गया किंतु दूसरे ने सिर और पूँछ के इशारे से उसे बताया कि तुम डरो नहीं, मैं तुम्हारी रक्षा के लिए तुम्हारे पीछे चल रहा हूँ। अहमद सीधा राजधानी में पहुँचा। सिंह वहाँ से वापस लौट गया। शहजादा सीधा दरबार में गया और बादशाह से बोला, आपके प्रताप से मुझे एक ही दिन में स्वास्थ्यवर्धक जल मिल गया है। इसे स्वीकार करें।
बादशाह ने अहमद की बड़ी प्रशंसा और सम्मान किया और उसे अपने साथ तख्त पर बिठाया किंतु उसकी जान अहमद की वीरता को देख कर सूखने लगी। महल में जा कर उसने फिर जादूगरनी को बुलाया और उसे वह जल दिखाया। उसने इस बात की पुष्टि की कि यह जल वास्तव में चश्म-ए-शेराँ का है। बादशाह ने कहा, अब मैं उससे क्या चीजें माँगू जिसे लाना उसके लिए असंभव हो? जादूगरनी भी इस बात पर विचार करने लगी।
परीबानू ने दूर ही से बैठे-बैठे जादूगरनी की मति फेर दी। अहमद के वृत्तांत से जो बादशाह की जबानी उसे मालूम हो चुका था उसे मालूम हो जाना चाहिए था कि परी अपनी पूरी ताकत से शहजादे की मदद कर रही है। उसे यह भी मालूम हो जाना चाहिए था कि वह कितनी ही होशियार हो, क्रुद्ध परी का मुकाबला नहीं कर सकती। किंतु विनाश काले विपरीत बुद्धिः। उसने असंभव समझ कर अपनी निश्चित मृत्यु को निमंत्रण दे दिया। जादूगरनी ने ऐसी वस्तु माँगने के लिए बादशाह से कहा कि बादशाह उछल पड़ा। उसने बुढ़िया जादूगरनी की पीठ ठोंकी और उसे अथाह धन-संपदा दे कर विदा कर दिया।