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अपडेट -47
होटल मयूर
"तुम दोनों से एक काम नहीं होता है, और कितना समय लगेगा?"
"अन्ना....बस समझो वो काबू मै ही है "
"अब्दुल ये बात मै कब से सुन रहा हूँ, जल्दी करो वो टूरिस्ट है कब तक यहाँ रहेंगे? वो आज टिकट कराने गये है "
"नहीं मिलेगा अन्ना आप बेवजह फ़िक्र कर रहे है, अभी सीजन है सभी ट्रैन फूल है "
"देखो मिश्रा ये दोनो हाथ से नहीं निकलनी चाहिए, मोटी असामी है अच्छा खासा पैसा मिलेगा, ऐसे नहीं तो ब्लैकमेल कर के ही सही हाहाहाःहाहा.....
तीनो आठहस लगा कर हॅस पड़े
"रेखा तो समझो मेरे कब्जे मे है, बस उस नयी नवेली को फ़साना है"
"मालिक वो तो अधेड़ जवान है विधवा है उसे पटाने मे क्या मेहनत "
"मिश्रा सही कह रहा है अन्ना मुश्किल तो उस पतीव्रता मैडम को पटाना है जो लगभग हम दोनों के जाल मे फस चुकी है, पीछे का दरवाजा मैंने खोल ही दिया है, आगे का मिश्रा खोल देगा "
बोलते हुए अब्दुल का सीना गर्व से चौड़ा हो गया.
ठाक ठाक....ठाक......कि आवाज़ से तीनो का वार्तालाप टुटा
"सससह्ह्ह्ह...लगता है कोई सीढ़ी उतर रहा है.
तीनो बाहर आ गये.
जैसे ही सामने के नज़ारे पर निगाह पड़ी कि सभी के होश फाकता हो गये, लाल साड़ी मे लिपटी अनुश्री कि कामुक काया अपनी शोभा बिखेर रही थी, उसका जिस्म इस कद्र साड़ी मे कसा हुआ था एक एक अंग साफ अपनी कामुकता बयान कर रहा था.
![317554e81f02822fafb11156638c679b 317554e81f02822fafb11156638c679b](https://i.ibb.co/vdMJ1m8/317554e81f02822fafb11156638c679b.jpg)
अब्दुल मिश्रा इस नज़ारे को देख माधहोश से हो गये.
महीन साड़ी से अनुश्री कि नाभि दमक रही थी, ऊपर से उसके खुले बाल, लाल सुर्ख होंठ इस मदकता मे किसी स्वर्ग कि अप्सरा को भी मात दे रहे थे.
तभी अनुश्री ने हवा से लहराते बालो को सँभालने के लिए हाथ से जुल्फों को थाम पीछे कर दिया, इस उपक्रम मे अनुश्री कि कामुक कांख सभी के सामने नंगी हो गई.
![6399f2577b87580da9422cc4a725fa1b 6399f2577b87580da9422cc4a725fa1b](https://i.ibb.co/7RHB3KP/6399f2577b87580da9422cc4a725fa1b.jpg)
ये कामुक का सफर इसी एक अंग से शुरु हुआ था.
एक महीन सी कामुक गंध का अहसास वहाँ मौजूद सभी के हिस्से आया.
पीछे रेखा भी चली आ रही थी सिंपल सादगी लिए लेकीन इस उम्र मे भी जिस्म ऐसा था कि अपनी कहानी बयान कर देता था, स्लीवलेस ब्लाउज से उसके स्तन सीढ़ी उतरने के साथ बाहर को आते फिर अंदर समा जाते.
![images-9 images-9](https://i.ibb.co/qmdpL2Q/images-9.jpg)
लुका छुपी का खेल चल रहा था जैसे.
अन्ना भी काम रुपी तीर से घायल था.
"आप सब लोग यहाँ " रेखा ने उनके बाजु से गुजरते हुए कहा.
अनुश्री भी उनकी हालत पर मुस्कुरा दि तीनो बूत बने खड़े थे.
"वो....वो.....हाँ....इन दोनों को कुछ काम समझा रहा था निक्क्मे हो गया जी ये लोग " अन्ना जैसे तैसे संभल कर बोला.
रेखा सिर्फ मुस्कुरा दि.
ये मुस्कुराहट अनुश्री से छुपी ना रह सकी "ये रेखा आंटी इतना क्यों मुस्कुरा रही है अन्ना से बात करते वक़्त पहले तो ऐसा नहीं था, कहीं......कहीं....नहीं ये कैसे हो सकता है रेखा आंटी ऐसी तो नहीं है "
अनुश्री सामने अन्ना और रेखा को बात करते हुए देख रही थी, उसके दिमाग़ मे अंधी सी चल रही थी सुनाई नहीं दे रहा था बस दिख रहा था अन्ना के चेहरे कि कुटिल मुस्कान और रेखा कि कामुक हरकते, वो कुछ ज्यादा लहरा रही थी, लचक रही थी.
"लल्ल.....लेकीन रेखा आंटी तो ऐसी नहीं है"
"ऐसी तो तु भी नहीं है अनुश्री, वो भी औरत है वो भी विधवा अभी भी जवान है "
अनुश्रिनके दिल ने उसकी बात को पुरजोर नकार दिया.
औरत कि भी कोई जरुरत होती है.
मा....माँ जी चले " अनुश्री ने बीच मे टोक दिया "लेट हो रहे है "
पीछे खडे मिश्रा अब्दुल एकटक अनुश्री के जिस्म को टटोल रहे थे.
अनुश्री ने एक नजर देख मुँह फेर लिया.
दोनों ही बाहर निकाल ऑटो मे सवार हो निकल पड़े.
"भोजोहोरी मन्ना " रेस्टोरेंट यहीं नाम बताया था मंगेश ने माँ जी.
ऑटो चल पड़ा.
उनके ठीक पीछे खड़े ऑटो मे "हाँ बे हिचहहम्म्म...उस ऑटो के पीछे ले ले, जहाँ जाये वहाँ चल गट...गट....गट....हिच...."
पीछे बैठे शख्स के हाथ मे थमी दारू कि बोतल उसके होंठो से जा लागई और ऑटो अनुश्री के ऑटो के पीछे.
पीछे काठ के उल्लू उन अप्सराओ को देखते ही रह गये.
"अय्यो आज तक इतना गेस्ट आया इस होटल मे लेकीन इनसे ज्यादा सुंदर औरत हम नहीं देखा जी " अन्ना के दिल कि बात जबान पर आ ही गई.
"सही कहाँ अन्ना....इनके लिए तो खुद लूट जाओ तो कम है " मिश्रा ने अपने पाजामे के उठे हुए भाग को सहलाते हुए कहा.
"हट साला मदरचोदा इसलिए तुम साला गरीब होना, लड़कियों के लिए कभी पैसा दवा नहीं लगना लंड लगाना जी हाहाहाहाहा.....
एक बार फिर तीनो हॅस पड़े.
कहीं दूर किसी होटल मै.
"उडी बाबा मुख़र्जी कब तक यहाँ झक मोरंगे "
सही बोला बंधु " वो आदमी भी नहीं मिल रहा इतना ढूंढ़ लिया हरामी को "
मिल जायेगा बंधु बच के जायेगा कहाँ? चल अभी कुछ बंगाली खाना खाने का मन है.
ठीक है बोंधु चल फिर फेमस रेस्टोरेंट "भोजोहोरी मन्ना "
सभी लोगों कि एक ही मंजिल थी रेस्टोरेंट "भोजोहोरी मन्ना" पुरी का फेमस बंगाली रेस्टोरेंट.
![images-7 images-7](https://i.ibb.co/9sTbtrv/images-7.jpg)
क्या नियति थी ये या दुनिया ही छोटी है सब बार बार टकरा जाते थे एक ही समय एक ही जगह....
ये बंगाली बंधुओ का क्या मकसद है? किस आदमी कि तलाश मे है वो लोग?
क्या होगा रेस्टोरेंट मे वक़्त ही बताएगा...
अगला अपडेट आज रात यहाँ पढ़े....
जब तक आप बता सकते कि क्या होगा?
होटल मयूर
"तुम दोनों से एक काम नहीं होता है, और कितना समय लगेगा?"
"अन्ना....बस समझो वो काबू मै ही है "
"अब्दुल ये बात मै कब से सुन रहा हूँ, जल्दी करो वो टूरिस्ट है कब तक यहाँ रहेंगे? वो आज टिकट कराने गये है "
"नहीं मिलेगा अन्ना आप बेवजह फ़िक्र कर रहे है, अभी सीजन है सभी ट्रैन फूल है "
"देखो मिश्रा ये दोनो हाथ से नहीं निकलनी चाहिए, मोटी असामी है अच्छा खासा पैसा मिलेगा, ऐसे नहीं तो ब्लैकमेल कर के ही सही हाहाहाःहाहा.....
तीनो आठहस लगा कर हॅस पड़े
"रेखा तो समझो मेरे कब्जे मे है, बस उस नयी नवेली को फ़साना है"
"मालिक वो तो अधेड़ जवान है विधवा है उसे पटाने मे क्या मेहनत "
"मिश्रा सही कह रहा है अन्ना मुश्किल तो उस पतीव्रता मैडम को पटाना है जो लगभग हम दोनों के जाल मे फस चुकी है, पीछे का दरवाजा मैंने खोल ही दिया है, आगे का मिश्रा खोल देगा "
बोलते हुए अब्दुल का सीना गर्व से चौड़ा हो गया.
ठाक ठाक....ठाक......कि आवाज़ से तीनो का वार्तालाप टुटा
"सससह्ह्ह्ह...लगता है कोई सीढ़ी उतर रहा है.
तीनो बाहर आ गये.
जैसे ही सामने के नज़ारे पर निगाह पड़ी कि सभी के होश फाकता हो गये, लाल साड़ी मे लिपटी अनुश्री कि कामुक काया अपनी शोभा बिखेर रही थी, उसका जिस्म इस कद्र साड़ी मे कसा हुआ था एक एक अंग साफ अपनी कामुकता बयान कर रहा था.
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अब्दुल मिश्रा इस नज़ारे को देख माधहोश से हो गये.
महीन साड़ी से अनुश्री कि नाभि दमक रही थी, ऊपर से उसके खुले बाल, लाल सुर्ख होंठ इस मदकता मे किसी स्वर्ग कि अप्सरा को भी मात दे रहे थे.
तभी अनुश्री ने हवा से लहराते बालो को सँभालने के लिए हाथ से जुल्फों को थाम पीछे कर दिया, इस उपक्रम मे अनुश्री कि कामुक कांख सभी के सामने नंगी हो गई.
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ये कामुक का सफर इसी एक अंग से शुरु हुआ था.
एक महीन सी कामुक गंध का अहसास वहाँ मौजूद सभी के हिस्से आया.
पीछे रेखा भी चली आ रही थी सिंपल सादगी लिए लेकीन इस उम्र मे भी जिस्म ऐसा था कि अपनी कहानी बयान कर देता था, स्लीवलेस ब्लाउज से उसके स्तन सीढ़ी उतरने के साथ बाहर को आते फिर अंदर समा जाते.
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लुका छुपी का खेल चल रहा था जैसे.
अन्ना भी काम रुपी तीर से घायल था.
"आप सब लोग यहाँ " रेखा ने उनके बाजु से गुजरते हुए कहा.
अनुश्री भी उनकी हालत पर मुस्कुरा दि तीनो बूत बने खड़े थे.
"वो....वो.....हाँ....इन दोनों को कुछ काम समझा रहा था निक्क्मे हो गया जी ये लोग " अन्ना जैसे तैसे संभल कर बोला.
रेखा सिर्फ मुस्कुरा दि.
ये मुस्कुराहट अनुश्री से छुपी ना रह सकी "ये रेखा आंटी इतना क्यों मुस्कुरा रही है अन्ना से बात करते वक़्त पहले तो ऐसा नहीं था, कहीं......कहीं....नहीं ये कैसे हो सकता है रेखा आंटी ऐसी तो नहीं है "
अनुश्री सामने अन्ना और रेखा को बात करते हुए देख रही थी, उसके दिमाग़ मे अंधी सी चल रही थी सुनाई नहीं दे रहा था बस दिख रहा था अन्ना के चेहरे कि कुटिल मुस्कान और रेखा कि कामुक हरकते, वो कुछ ज्यादा लहरा रही थी, लचक रही थी.
"लल्ल.....लेकीन रेखा आंटी तो ऐसी नहीं है"
"ऐसी तो तु भी नहीं है अनुश्री, वो भी औरत है वो भी विधवा अभी भी जवान है "
अनुश्रिनके दिल ने उसकी बात को पुरजोर नकार दिया.
औरत कि भी कोई जरुरत होती है.
मा....माँ जी चले " अनुश्री ने बीच मे टोक दिया "लेट हो रहे है "
पीछे खडे मिश्रा अब्दुल एकटक अनुश्री के जिस्म को टटोल रहे थे.
अनुश्री ने एक नजर देख मुँह फेर लिया.
दोनों ही बाहर निकाल ऑटो मे सवार हो निकल पड़े.
"भोजोहोरी मन्ना " रेस्टोरेंट यहीं नाम बताया था मंगेश ने माँ जी.
ऑटो चल पड़ा.
उनके ठीक पीछे खड़े ऑटो मे "हाँ बे हिचहहम्म्म...उस ऑटो के पीछे ले ले, जहाँ जाये वहाँ चल गट...गट....गट....हिच...."
पीछे बैठे शख्स के हाथ मे थमी दारू कि बोतल उसके होंठो से जा लागई और ऑटो अनुश्री के ऑटो के पीछे.
पीछे काठ के उल्लू उन अप्सराओ को देखते ही रह गये.
"अय्यो आज तक इतना गेस्ट आया इस होटल मे लेकीन इनसे ज्यादा सुंदर औरत हम नहीं देखा जी " अन्ना के दिल कि बात जबान पर आ ही गई.
"सही कहाँ अन्ना....इनके लिए तो खुद लूट जाओ तो कम है " मिश्रा ने अपने पाजामे के उठे हुए भाग को सहलाते हुए कहा.
"हट साला मदरचोदा इसलिए तुम साला गरीब होना, लड़कियों के लिए कभी पैसा दवा नहीं लगना लंड लगाना जी हाहाहाहाहा.....
एक बार फिर तीनो हॅस पड़े.
कहीं दूर किसी होटल मै.
"उडी बाबा मुख़र्जी कब तक यहाँ झक मोरंगे "
सही बोला बंधु " वो आदमी भी नहीं मिल रहा इतना ढूंढ़ लिया हरामी को "
मिल जायेगा बंधु बच के जायेगा कहाँ? चल अभी कुछ बंगाली खाना खाने का मन है.
ठीक है बोंधु चल फिर फेमस रेस्टोरेंट "भोजोहोरी मन्ना "
सभी लोगों कि एक ही मंजिल थी रेस्टोरेंट "भोजोहोरी मन्ना" पुरी का फेमस बंगाली रेस्टोरेंट.
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क्या नियति थी ये या दुनिया ही छोटी है सब बार बार टकरा जाते थे एक ही समय एक ही जगह....
ये बंगाली बंधुओ का क्या मकसद है? किस आदमी कि तलाश मे है वो लोग?
क्या होगा रेस्टोरेंट मे वक़्त ही बताएगा...
अगला अपडेट आज रात यहाँ पढ़े....
जब तक आप बता सकते कि क्या होगा?
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