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Erotica मेरी बीवी अनुश्री

आपकी पसंदीदा कौन है?

  • अनुश्री

    Votes: 193 72.0%
  • रेखा

    Votes: 44 16.4%
  • अंब्दुल

    Votes: 57 21.3%
  • मिश्रा

    Votes: 18 6.7%
  • चाटर्जी -मुख़र्जी

    Votes: 28 10.4%
  • फारुख

    Votes: 12 4.5%

  • Total voters
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andypndy

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अपडेट-48

कुछ ही समय मे अनुश्री और रेखा रेस्टोरेंट के सामने खड़े थे,
अनुश्री ने मोबाइल निकाल नंबर डायल कर दिया " हेलो मंगेश हाँ हम पहुंच गये है, आप लोग कहाँ है? "

"भीड़ बहुत है जान लाइन मे ही लगे है, तुम लोग बैठो अंदर हम आते ही है "

"माँ जी वो लोग तो अभी स्टेशन ही है आओ हम अंदर बैठते है"
दोनों आगे बड़े ही थे कि अनुश्री कि नजर सामने लिखें होर्डिंग पर पड़ी
"भोजोहोरी मन्ना बंगाली रेस्टोरेंट "
एक पल को उसके कदम ठिठक गये, "ये..ये....तो बंगाली रेस्टोरेंट है माँ जी "

"तो क्या हुआ सुना है बंगाली खाना अच्छा होता है, मैंने तो कभी नहीं खाया आज चख लेते है "
ना जाने क्यों अनुश्री का दिल किसी अनहोनी कि आशंका के चलते बैठा जा रहा था.
बंगाली शब्द उसके जीवन को पलट देने वाले शब्द थे,
उसके सामने उन बंगाली बूढ़ो का चेहरा घूमने लगा, सादगी लिया हुआ चेहरा लेकीन हरकत किसी वहसी कि तरह, अनुश्री के जिस्म ने एक झुरझुरी सी ले ली.

"चलो बेटा रुक क्यों गई, बंगाली मिठाइयाँ बहुत अच्छी होती है जब तक उनका ही टेस्ट लेते है " रेखा अनुश्री का हाथ पकड़े रेस्टोरेंट के अंदर समाती चली गई, अनुश्री किसी बेजान गुड़िया कि तरह खींचती चली गई.

अंदर काफ़ी भीड़ थी, लगभग सभी टेबल भरी हुई थी.
"माँ जी यहाँ तो जगह ही नहीं है ना जाने क्या पसंद आता है लोगो को बंगाली खाना " अनुश्री के मन मे एक कड़वाहट आ गई.
रेखा भी असमंजस मे थी.

" मैडम मै आपकी कुछ मदद कर सकता हूँ " पीछे खड़े एक शख्स ने कहाँ.

दोनों पलटी सामने एक खूबसूरत नौजवान कोट पैंट पहने खड़ा था.
"हम लोग लंच के लिए आये थे, लेकीन यहाँ जगह ही नहीं है" रेखा अति उत्साहित थी.

"कैसे जगह नहीं है?, आप आइये मेरे साथ कितने मेंबर है आप?" शख्स आगे चल पड़ा पीछे पीछे अनुश्री रेखा

'जी हम चार लोग है, दो आदमी अभी आने वाले है उन्हें यहीं भेज देना "

कर्मचारी उन्हें सभी टेबल के बीच से होता हुआ सबसे लास्ट मे जा पंहुचा.
बीच से गुजरती अनुश्री कि खूबसूरती को वहाँ मौजूद हर शख्स निहार रहा था, मर्द खुदा के करिश्मे को सराह रहे थे, वही स्त्रियां खुद से तुलना करने से नहीं चूक रही थी.
साड़ी मे कसी अनुश्री कि कामुक गांड आज ज्यादा ही लचक रही थी, उसके चलने के साथ साथ दोनों गांड के हिस्से एक दूसरे से टकरा के झगड़ पड़ते.
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वैसे भी स्त्रियों का स्वाभाव होता ही है खुद से ज्यादा सुन्दर औरत को देख कर घूरति जरूर है शायद कोई कमी निकल आये.
लेकीन यहाँ कोई कमी नहीं थी.
अनुश्री अपने जिस्म पर पड़ती निगाहों को महसूस कर पा रही थी.

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आप लोग यहाँ बैठ जाइये मैडम यहाँ कोई डिस्टरबेन्स भी नहीं है.
सामने टेबल कि ओर इशारा कर उसने बताया, सामने एक हॉफ राउंड सोफा था उसके सामने दो कुर्सियां.

"क्या बात है अनु बेटा सभी तुझे ही देख रहे थे"
"क्या माँ जी आप भी" अनुश्री शर्मा गई

"बस तेरी जैसी ही खूबसूरत लड़की राजेश के लिए भी मिल जाये तो गंगा नहा लु "

अनुश्री मुस्कुरा उठी.
लेकीन उसके दिमाग़ मे अभी भी कुछ चल रहा था, वो अन्ना और रेखा का वार्तालाप का अंदाज़ नहीं भूल पा रहई थी.
"माँ जी अभी तो आप हूँ खुद शादी लायक है " अनुश्री ने भी रेखा को छेड़ दिया.
"हट...पागल मेरा जवान बेटा है अभी " रेखा ने बात हवा मे उड़ा दि.

"लेकीन आप भी तो औरत है आपकी कोई इच्छा नहीं होती?" अनुश्री मौके का खूब फायदा उठा रही थी, उसे कुछ तो जानना था.

"इस उम्र मे कहाँ पागल, भजन करने के दिन है अब तो "

"क्या माँ जी आपको कोई देख ले तो झट से शादी को राज़ी ही जाये, और आप भजन मे लगी है "
"बहुत बदमाश हो गई है तु "

"अच्छा माँ जी अन्ना कैसा लगता है आपको " अनुश्री ने धड़कते दिल के साथ वो सवाल पूछ ही लिया.

ये सवाल सुनना था कि फ़क्क्क...से रेखा का चेहरा सफ़ेद पड़ गया उसके चेहरे पर हवाइया उड़ने लगी.
जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो, अब खेल खत्म.

"वो...वो....अअअ....आन्ना.....वो.." रेखा हकला गई.
"हाहाहाहा.....क्या माँ जी आप भी इतना डर गई मै तो मज़ाक कर रही थी "
रेखा के प्राण जैसे वापस लौटे हो.

"हट पागल....ऐसे कौन बोलता है, अच्छे इंसान है वो " रेखा के चेहरे पे एक मुस्कान तैर गई,
अनुश्री सभी हाव भाव को भलीभांति देख समझ रही थी,

"हे भगवान जो मै सोच रही हूँ वो सच हुआ तो..... नहीं...नहीं...ऐसा नहीं होगा. मुझे कुछ करना होगा करना होगा, अनुश्री बड़बड़ा रही थी.

"क्या करना होगा बेटा " शायद रेखा के कान मे कुछ शब्द पड़ गये थे.

"कककक.....कुछ नहीं वो..वो...मंगेश को फोन करना होगा ना जाने कहाँ है "

"आ जायेंगे बेटा चल पहले कुछ आर्डर कर देते है "

रेस्टोरेंट के बाहर " हाँ बे बस यहीं यहीं रोक दे, हिचहह.... ये पकड़ पिसा "
मेला कुचला सा वो शख्स ऑटो से उतर गया, दारू कि बोत्तल पाजामे मे घुसेड़ ली.
और जा पंहुचा रेस्टोरेंट के गेट पर...
"अबे ओ कहाँ जा रहा है अंदर....." पास खडे दरबान मे उसे धर दबोचा

"अंदर जा रहा और कहाँ, तुम अपने कस्टमर से ऐसे बात करते हो...हिचहह....."

दारू का भभका दरबान कि नाक पे जा लगा " साले सुबह सुबह ही पी के चला आया क्या बेवड़े, चल भाग यहाँ से "

"तमीज़ से बात कर बे इस रेस्टोरेंट के मालिक का पुराना दोस्त हूँ मै, जा के बोल फारुख शाह आया है" फारुख ने अपना सीना तान लिया.

"चल हट साला पीने के बाद सब राजा ही समझते है खुद को " धड़ड़ड़.....दरबान ने धक्का दे खदेड दिया.

"थू....थू..... साले देख लूंगा तुझे " फारुख कपड़े झड़ता हुआ रेस्टोरेंट के पीछे कि तरफ चल पड़ा.
मैडम जी से मिलना जरुरी है.

अंदर रेस्टोरेंट मे
"उडी बाबा चाटर्जी कितनी भीड़ है "
"हां बोंधु मुख़र्जी "

"आइये सर आइये आपकि टेबल वहाँ पीछे है " उस कर्मचारी ने पीछे कि ओर इशारा कर दिया जहाँ अनुश्री रेखा बैठी थी.
इसे लगा ये उनके साथ ही है.

दोनों बंगाली उधर ही चल पड़े " उडी बाबा चाटर्जी तूने कब टेबल बुक कराई?"
"होम नहीं कराया "
"तो फिर?"
कोतुहल लिए दोनों बंगाली जैसे जैसे टेबल के नजदीक पहुंचते गये, दोनों के होश उड़ते गये, आंखे खुशी के मारे अपने कटोरे से बाहर निकलने को हुई.

अनुश्री मेनू कार्ड मे सर झुकाये देख रही थी. उसका कामुक जिस्म अपनी छटा बिखेर रहा था, गोरी पीठ पर सिर्फ एक ब्लाउज कि पट्टी ही थी जो लाज हया को धके हुई थी.
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"उडी बाबा औनुश्री "
ये आवाज़ सुननी ही थी कि अनुश्री का कलेजा धक से बैठ गया, मेनू कार्ड हाथ से छूटता चला गया, जिस बात कि आशंका थी वही हुआ.

उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी सर उठाने कि,
"औनुश्री बेटा तुम यहाँ?" अब तक दोनों बंगाली किसी भूत कि तरह टेबल के पास खड़े थे.
मरती क्या ना करती
अनुश्री ने धीरे से सर उठाया "अअअ....अअअ...अआप यह?" उसके होंठ कांप रहे थे, उसने दुआ मांगी कि ये जमीन फटे और उसमे समा जाये.

सामने रेखा भोचक्की सी देखे जा रही थी..
"नमोस्कार मैडम होम लोग मुख़र्जी चाटर्जी, औनुश्री होमको जानता है "
"वववो...वो....वो... माँ जी ये वही अंकल है जिन्होने उस रात टापू पर मेरी help कि थी "
अनुश्री एक सांस मे बोल गई जैसे अब कोई सांस ही नहीं आनी है, उसकी छाती फूल के पिचक जा रही थी दम भरने लगा था.

"ओह....तो आप है धन्यवाद आप लोगो का रेखा ने भी हाथ जोड़ उनको धन्यवाद दिया.

"आइये आइये बैठिये आप " रेखा ने उन्हें न्योता दे दिया.
"उफ्फ्फ....माँ जी क्या किया आपने " अनुश्री का दिल चित्कार उठा.
लेकीन कैसे कहती कि मत बैठो यहाँ, उसकी तो घिघी बँधी हुई थी.

पलक झपकते ही दोनों ने सोफे पर कब्ज़ा जमा लिया.
अनुश्री एक बार फिर से अपने काम गुरुओ के बीच सोफे पर बैठी थी.
अनुश्री खुद को फिर से पिंजरे मे फसा महसूस कर रही थी.
अनुश्री के पीछे दिवार थी भाग के भी कहाँ जाती?

आनुश्री बेटा लगता है तुम्हे बंगाली पसंद आने लगा है, चाटर्जी ने वार्तालाप आगे बढ़ा दिया
"हाँ सुना है बंगाली मिठाइयाँ बहुत टेस्टी होती है " जवाब रेखा ने दिया अनुश्री अभी भी सकते मे थी, एक दम से माहौल बदल गया था.
"सही सुना है आपने आज होम लोग आपको खिलायेगा, आखिर हमारा फर्ज़ बनता है " मुखर्जी ने दाँत निपोर कर अनुश्री के हाथ से मेनू कार्ड ले लिया.

"बोंधु इधर...." और हाथ से एक वेटर को इशारा किया.
इधर चाटर्जी रेखा से बातचीत मे बिजी था, वैसे भी रेखा थी ही बातूनी.
बोंधु एक एक पलट langcha, rosogulla, chomchom, kalo jam ले आ.
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मुखर्जी ने एक ही सांस मे आर्डर दे मारा.

सफर जारी है

आगे क्या हुआ जानने के लिए यहाँ पढ़े
 
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Bhai too good, mausam ko garm karne ke piche aap ki story ka haath hai.
 
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andypndy

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अपडेट -49
फारुख अपनी मंजिल कि ओर बढ़ रहा था. सीढ़ी चढ़ के ऊपर को आया तो पाया कि वो एक गली नुमा जगह पर है, सामने से रेस्टोरेंट दिख रहा था, कहाँ काफ़ी लोग बैठे खाना खा रहे थे.
उसने गर्दन उठा उठा कर देखना चाहा लेकीन अनुश्री कहीं नहीं दिखी.
"कहाँ बैठी है ये अनु मैडम?, कैसे ढूँढू "
फारुख आगे बढ़ा ही था कि सामने ही लेडीज टॉयलट था,
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उसके दिमाग़ मे कुछ कुलबुलाने लगा
"हाँ ये जगह ठीक रहेगी, खाना खाने के बाद तो यहीं आएगी" फारुख खुद के दिमाग़ कि दाद देते हुए लेडीज टॉयलट मे दाखिल होता चला गया.

वही रेस्टोरेंट मे अंदर अनुश्री खुद को काबू करने कि कोशिश मे थी, लेकीन वासना कहाँ काबू आती है कभी.
अनुश्री का भी यहीं हाल था, कमर सीधी किये हुए उसके दोनों कोहनिया टेबल पर टिक गई थी, नीचे चाटर्जी और मुखर्जी के हाथ उस अनमोल खजाने को ढूंढ़ रहे थे परन्तु अनुश्री कि जाँघे अभी भी उस कामरुपी नदी को दबाये हुए थी.
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"ये राजेश और मंगेश आये नहीं अभी तक?" रेखा ने प्रश्न किया
"ववव....वो...इससे.....आ जायेंगे माँ जी, ये काला जाम कितना स्वादिस्ट है ना?" अनुश्री ने खुद के अंदर उठते तूफान को संभाल के कहा.
"हाँ अनु मुझे भी अच्छा लगा " रेखा ने एक पीस और ले लिया.
रेखा के सवाल से अनुश्री का ध्यान भंग हुआ ही था मुख़र्जी और चाटर्जी ने दोनों पैरो को पकड़ अपनी तरफ खिंच लिया
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"हहहहम्म...इसससस...." अनुश्री कि गीली पैंटी से एक हवा

का ताज़ा झोका टकरा गया.
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ये अहसास ऐसा था कि इसे रोका नहीं जा सकता था,कहीं और होती तो बेशक चीख पड़ती, लेकीन उसने अपने होंठो को दांतो तले दबा लिया.
रेखा का ध्यान खाने या फिर मोबाइल मे ही था.
सामने ऐ समस्या नही थी.
"अंकल....प्प्पप्लालज़्ज़ज़...अब नहीं " अनुश्री ने विनती कि.
"क्या अनु अभी तो कुछ खाया ही नहीं, देखो कितने रस से भरे है ये मोटे काले जोम " मुखर्जी ने बात को वही काट दिया.
"रेखा जी आप ही समझाइये इसे ऐसे मौके फिर नहीं आते, अच्छे से खाये चूस कर " चाटर्जी ने रेखा को भी इन्वॉल्व कर किया.
"ठीक ही तो कह रहे है अनु बेटा, एक दिन मीठा खा लोगी तो मोटी नहीं हो जाओगी " सभी हॅस पड़े बस अनुश्री खिसयानी हसीं हॅस के रह गई..
कैसे कहे कि ये दोनों क्या खिलाने मे लगे है.

दोनों बंगाली के हाथ अनुश्री के अंदर कि जांघो को टटोल रहे थे, वो जानते थे ज्यादा समय नहीं है.
तभी चाटर्जी का हाथ अनुश्री कि गीली पैंटी पर जा लगा.
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"छ्हह्म्मम्म्म्म....इससे.स....अनुश्री का रोम रोम खड़ा हो गया, मुँह मे एक रसोगुल्ला ठूस लिया ताकि आवाज़ बाहर ना आये..
कितनी समझदार हो गई थी अनुश्री.
चाटर्जी के हाथ पैंटी के ऊपर ही रेंगने लगे " यहाँ तो बहुत चासनी है अनु"
अनुश्री कि चुत इस कद्र गीली हो गई थी कि पैंटी के बाहर से ही उस रस को महसूस किया जा सकता था,
चाटर्जी ने उस कामरस से अपनी उंगलियों को सरोबर कर बाहर निकाल लिया,
अभी अनुश्री हैरान कुछ समझती कि चाटर्जी ने वो दो उंगलियां अपने मुँह मे डाल चूस ली
"आअह्ह्हह्म.....मुखर्जी क्या स्वाद है, क्या रस है"
अनुश्री को तो काटो खून नहीं, कोई आदमी भरे रेस्टोरेंट मे उसकी चुत से निकले पानी को छत रहा था वो भी सबके सामने.
"क्या सच मे इतना टेस्टी है " मुखर्जी कि उंगलियां भी अनुश्री कि पैंटी के गीले हिस्से पर दौड गई.
अनुश्री मुँह मे रोसोलगुल्ला दबाये बैठी थी, आंखे बार बार बंद हो जाने पर आतुर थी,
उसे असीम आनंद कि प्राप्ति हो रही थी.
आगे यहाँ पढ़े
 
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Baburao12

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Nobody writes it like you , Aur bhai maine bhi aap se inspire ho ke story likhi hain, jara review dena aur sujhav bhi batana
 
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Superb! Awesome update! bahut bahut jabardast writings!
 
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