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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 89 75.4%
  • Soniya

    Votes: 29 24.6%

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Dharmendra Kumar Patel

Nude av or dp not allowed. Edited
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बहुत ही रोमांचक का मुख्य अपडेट
 
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bullet man

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bullet man

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bullet man

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Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
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ये सब सुनाते सुनाते अर्चना मेरे बगल में वापस बैठ गई थी। मेरा लंड अब भी फुफकारे मार रहा था और अर्चना उसके साथ खेल रही थी।
मैं - कब तक इससे खेलती रहोगी। इसे अपने घर का दरवाजा भी दिखाओ।
अर्चना - यही तो मेरे पापा भी चाहते थे। पर कर नहीं पाई। पापा को फिर ऐसे ही मुठियाना पसंद था।
मैं उसका खेल अब धीरे धीरे समझने लगा था। उसके अंदर की वासना अपने पिता के लिए थी जो कभी पूरी नहीं हो पाई थी। शायद वो अब मुझे पापा बना कर करना चाहती थी।
मैं - ऐसा करना पापा को पसंद था ये मेरी बिटिया को भी।
मेरे मुँह से बिटिया शब्द सुनते ही वो मुझसे लिपट पड़ी - मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ पापा। ये सब मुझे बहुत ही पसंद है।
मैं - मुझे भी पसंद है। पर मुझे और भी कुछ पसंद है।
तभी बगल में बैठा अर्चना का भाई बोला - पसंद तो मुझे भी है पापा।
उसके मुँह से पापा शब्द सुन मैं बोल पड़ा - बहनचोद , तू अब भी तक यही बैठा है। तुझे पढाई नहीं करनी है। भाग यहाँ से।
अर्चना - पापा आप इसे मत डांटा करो।
मैं - तू भी पिटेगी मेरे से। जतिन तू अभी तक यहीं है भाग यहाँ से।

जतिन ने मेरा चेहरा देखा और धीरे से चला गया। वो जाकर कोने में एक कुर्सी लेकर बैठ गया। वो देखना चाह रहा था कि मैं क्या करता हूँ।
मैंने अर्चना को कहा - इतनी दूर क्यों है ? जरा गोद में आकर बैठ।
अर्चना उठकर मेरे गोद में मेरी तरफ पीठ करके बैठ गई
अर्चना - पापा आप इसे मत डांटा करो।
मैं - तू भी पिटेगी मेरे से। जतिन तू अभी तक यहीं है भाग यहाँ से।

अर्चना उठकर मेरे गोद में मेरी तरफ पीठ करके बैठ गई। मैंने उसके कंधे पर किस किया , उसके पूरा बदन सिहर उठा। अर्चना एकदम गाडरी हुई औरत थी जिसका पूरा बदन भरा हुआ था। मैंने फिर उसका आँचल उसके कंधे से हटा दिया और अपने हाथ उसके बड़े मुम्मो पर रख दिए। उसके शता बहुत ही भारी थे। मेरे हाथों के स्पर्श से उसके निप्पल भी एकदम टाइट और और इतने इरेक्ट हो चुके थे की ब्रा होने के वावजूद एकदम नुकीले हो चुके थे। मैंने उसके मुम्मो को दबाते हुए उसके निप्पल को छेड़ना भी शुरू कर दिया।

अर्चना - उफ्फ्फ पापा।
मैं - लगता है इस जतिन ने खून चूसा हैं इन्हे।
अर्चना - हां पापा , उसे तो इन्हे चूसे बिना नींद नहीं आती है। खींच खींच कर खजूर जैसे लम्बा कर दिया है।
मैं - अब तो देखना पड़ेगा। तुम्हारे खजूर चखने का मन तो मेरा भी कर रहा है।
अर्चना - तो चख लीजिये।
उसके ब्लॉउज में पीछे की तरफ हुक था। मैंने एक हुक खोला , फिर ना जाने मेरे मन में क्या आया कि मैंने उसके ब्लॉउज को दोनों हाथो से पकड़ कर फाड़ना शुरू कर दिया।
अर्चना - अरे पापा , क्या कर रहे हैं। कपडे क्यों ख़राब कर रहे हैं।
मैं - चुप , मेरी मर्जी है। दोबारा दिला दूंगा।

बलौद को फाड़ कर मैंने अलग तो किया ही साथ ही साडी भी पूरी तरह से अलग कर दी। फिर उसे अपने तरफ घुमा लिया। इस चक्कर में उसका पेटीकोट कमर तक ऊपर आ गया। मैं अपने दोनों हाथ पीछे ले गया और हाथो से उसके भारी चौड़े चूतड़ों को सहलाने लगा। मैं उसे सामने से चूम भी रहा था। ऐसा लग रहा था की अर्चना को जबरदस्ती पसंद थी। उसे अपने पापा से प्यार तो था वो भी उसके वॉयलेंट रूप से। मैंने होठ चूमते हुए उसके पिछवाड़े को अपने हाथो से भींचना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद मैंने हाथ ऊपर करके उसके ब्रा का हुक खोल दिया। उसके दोनों स्तन मेरे सामने थे। गजब का माल अपने सीने से लगाए घूम रही थी वो। उसके स्तन सुधा दी और माँ के बराबर थे। शिखर पर गोल गहरा भूरे रंग का गोला और उस पर से तने हुए बड़े खजूर जैसे निप्पल। जैसे आमंत्रण दे रहे हों मुझे चूस लो। उसके मुम्मे बड़े थे पर एकदम टाइट थे। इतना चुसवाने के बाद भी उसने मेंटेन किया हुआ था। ये कमाल उसके ब्रा की वजह से था। उसने बढ़िया क्वालिटी का ब्रा पहना हुआ था जो उसके भारी स्तनों को अच्छे से संभाले हुए थे।

मैंने उसके स्तनों से खेलना शुरू कर दिया। मुझे उसके निप्पल उमेठने में मजा आ रहा था। और मेरी इस हरकत पर वो सिसकारियां ले रही थी। हम दोनों एक दुसरे से लिपटे हुए थे। मेरा लंड उसके चूत के फैंको के बीच फंसा हुआ था। तभी उसने अपनी जीभ निकाली और मेरे चेहरे को चाटने लगी। उसका ये व्यवहार अप्रत्यशित था। मैंने सरला दी और दीप्ति मैम को ऐसे करते हुए देखा था पर अर्चना का तरीका एकदम अलग था। उसने मेरे पुरे चेहरे को गिला कर दिया था। उसके रुकने के बाद मैंने भी वैसे भी वैसा ही करना शुरू कर दिया था। तभी उसने अपना मुँह खोला और कहा - पापा मुँह चोदो न , जैसे पहले करते थे।

मैंने अपना जीभ गोल सा बनाया और उसके मुँह में डाल दिया फिर उसने अपने सर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया। उसका कमर और सर इस अंदाज में हिल रहे थे जैसे मेरा लंड उसके चूत के फांको से मालिश करवा रहा हो और वो मेरे जीभ से चुद रही हो।

हम दोनों अपने आप में बीजी थे और ना जाने कब जतिन आकर हमारे पैरों के बीच बैठ गया था। वो अर्चना के चिकने गांड को चाट रहा था। लगता था अर्चना को अपने शरीर को चटवाने में मजा आता था। अब मेरे लंड को चूत रानी के अंदर जाना था। बहुत देर से बेचारा बाहर ही टहल रहा था। मैंने अर्चना से कहा - उठ मुझे मेरे लौड़े को अब अपने चूत की सैर करा। वो बड़ी अदा से मेरे ऊपर से उठ जाती है और मेरे तरफ पीठ करके अपने पेटीकोट का नाडा खोल कर नंगी हो जाती है। उसकी चिकनी गांड देख मेरा मन मचल गया। मैंने उसके गांड पर दो तीन थप्पड़ जड़ दिए।

अर्चना - आह पापा , कितने बेदर्द हो। इतने जोर से क्यों मार रहे हो।

मैंने उसे उसके कमर से पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया। वो लड़खड़ा कर मेरे लंड के ऊपर गिरी और फिर तुरंत चिहुंक कर खड़ी हो गई। शायद मेरा लंड उसके गांड में घुसने वाला था। उसके खड़े होते ही मुझे गुस्सा आ गया। मैं भी खड़ा हो गया और उसके बाल खींच कर उसके पिछवाड़े पर एक थप्पड़ और मारा। मैंने कहा - पापा से जबान लड़ाती है। अभी बताता हूँ।

मैंने फिर उसे सोफे पर गिरा दिया। वो सोफे पर लड़खड़ा कर पीठ के बल गिर पड़ी। उसने हाथ जोड़ते हुए कहा - पापा , मुझे माफ़ कर दो। मुझसे गलती हो गई।
मैंने अपना लंड उसके मुँह की तरफ किया और कहा - इसे चूम इससे माफ़ी मांगो।
उसने मेरे लंड के सुपाडे को चूम कर कहा - माफ़ कर दो। देखो मेरी चूत भी आंसू बहा रही है।
मैं - तेरी चूत के आंसू तो मेरा लंड पोछेगा।

मैंने अपना लंड उसके चूत में डाल दिया और उसे चोदने लगा। मेरे हर धक्के से मेरा लंड उसके चूत के एकदम अंदर तक जा रहा था। उसको एक टांग मैंने अपने कंधे पर रख रखी थी और दूसरा निचे जमीन छू रहा था।

अर्चना - उफ्फ्फ पापा। डाल दो अंदर तक। बहुत दिनों से मन था की चुदुँगी आज मेरी इच्छा पूरी कर दो। पेल के मेरी चूत को अपना बना लो।
मैं - मुझे पता नहीं था तू इतनी चुदासी है वार्ना पहले ही तेरी चूत फाड़ देता। पर कोई बात नहीं।

कुछ देर वैसे ही लिटा कर पेलने के बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया। मैं उस अवस्था में उसे ढंग से चोद नहीं पा रहा था।
मेरे लंड के निकलते ही वो बोली - क्या हुआ पापा ?

मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा - चल कुतिया बन। तुझे कुतिया बना कर पेलुँगा।
वो बड़ी अदा से उठी और सोफे पर हाथ लगा कर झुक गई । उसने झटके देते हुए अपने गांड को लहराया लहराया। मैंने उसके गांड पर थप्पड़ मारते हुए कहा - एक दिन ये भी मरूंगा मेरी जान पार आज तुझे चोद कर माँ बना दूँ पहले।
अर्चना - हाँ पापा मुझे अपने भाई की माँ बनाना है। मेरे कोख से मेरा भाई निकलेगा। पेल कर माँ बना दो मुझे।
मैंने उसकी बातें सुनकर अपना लंड पीछे से उसके चूत में डाल दिया और उसे धकधक पेलने लगा , मैंने उसके बाल पीछे से पकड़ लिए । मैं उसे आपसे पेल रहा था जैसे घोड़े की सवारी करते हों।
अर्चना - आह इस्सस , मजा आ रहा है पापा। पहले पता होता तो मैं कब का चुद चुकी होती। आह उह्ह

अब मेरा एंड जवाब देने लगा था। किसी भी पल वो अपना माल छोड़ सकता था। मुझे माँ ki बात याद आ गई। मैंने अर्चना को खींच कर जमीन पर सीधा लिटा दिया और अब उसे मिशनरी अंदाज में पेलने लगा। मैं हर धक्का इतनी तेज लगा रहा था जिससे मेरा लंड एकदम अंदर तक जाए। आखिरकार मेरे लंड ने अपना माल उसके चूत में उलट दिया। मैं थक कर उसके ऊपर ही सो गया , वो अपने चूत को इस तरह से सिकोड़ रही थी जैसे उसे चूस रही हो। उसने मुझे अपने दोनों पैरों को मेरे कमर पर लपेट लिया था। उसने पूरा माल अपने अंदर में लिया। और मुझे तब तक नहीं छोड़ा जब तक मेरे वीर्य का एक एक बूँद अंदर न निचोड़ लिया ।
Very erotic update.
 
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Premkumar65

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पूरा माल निकल जाने पर उसने मुझे अपने पैरों के जकड से मुक्त किया , जिससे मैं उसके बगल में लुढ़क गया।
अर्चना - मजा आ गया आज तो। तुमने मेरी बरसों की तम्मन्ना पूरी कर दी।
अब जतिन भी आकर अर्चना के दुसरे साइड में लेट गया था और उसके मुम्मे को चूसने लगा था। अर्चना उसके बालों को सहला रही थी।
मैंने कहा - लगता है तुम्हारी और भी तमन्नाएँ हैं अपने पिता को लेकर। कहो तो वो भी पूरा कर दूँ।
अर्चना - सही कह रहे हो। पूरा हफ्ता है हमारे पास। सब पूरा करवाउंगी।
मैं कुछ और बोलता तभी मेरा फ़ोन बज उठा। माँ का फ़ोन था। कहानी के चक्कर में कितनी देर हो गई थी पता ही नहीं चला।
माँ - तेरा काम हो गया तो घर भी आजा। या आज रात वहीँ रुकने का इरादा है ?
मैं - नहीं माँ आ रहा हूँ। खाना बना कर रखना।
मैंने अर्चना से कहा - बहुत देर हो गई। घर पर माँ अकेली हैं। निकलता हूँ। फिर आऊंगा।
अर्चना - हमें भी माँ से मिलवाओ।
मैंने कहा - ठीक है। पूछता हूँ फिर बताऊंगा।
अर्चना - माँ को जब यहाँ का पता है तो मुझसे मिलने के लिए भी मना नहीं करेंगी।
मैं उसके आत्मविश्वास पर हैरान था। खैर मैंने तुरंत कपडे पहने और घर जा पहुंचा। घर पहुँचते ही माँ ने मुझे गले लगा लिया और कहा - हो गया काम ? भर दी उसकी कोख ?
मैं शर्मा गया । माँ ने कहा - एक बेटे का बाप बन चूका है और घर की लगभग हर औरतों को चोद चूका है और शर्मा ऐसे रहा है जैसे पहली बार किसी को पेला हो।
मैं - क्या माँ। तुम भी मेरी टांग खिंचाई करती रहती हो।
माँ - मैं तो तेरी हर टांग खींचूंगी। मेरे कोख से पैदा हुआ है। मेरा तुझ पर हक़ है। पर ये बता उसने तेरी तीसरी टांग खींची या नहीं।
माँ और उनकी हक़ की बात सुनकर मैंने कहा - माँ जानती हो उसकी भी एक कहानी है।
माँ ने कहा - चल पहले नहा ले , फिर कहानी सुनाना।
मने कहा - तुम भी चलो न।
माँ ने ना जाने क्या सोच कर कहा - चल आज मैं तुझे नहलाती हूँ।

मैं एकदम खुश हो गया। श्वेता के जाने के बाद से मैं काफी बीजी हो गया था। माँ के साथ भी सेक्स किये काफी दिन हो गए थे। शायद माँ ने मेरे और अर्चना के सेक्स के बारे में सोचा होगा इस लिए गरम हो गई होंगी। मैं और माँ उनके कमरे की तरफ चल पड़े। माँ ने कमरे में पहुँच कर मेरे सारे कपडे उतार दिए। सिर्फ अंडरवियर रहने दिया। उन्होंने साडी पहन रखी थी , जिसे उतार दिया। उन्होंने फिर अपना ब्लॉउज भी उतार दिया। मैंने उनके स्तनों पर हाथ लगाना चाहा तो उन्होंने रोक दिया और कहा - अभी रहने दे। फिर उन्होंने अपने पेटीकोट का नाडा खोलना शुरू किया मुझे लगा माँ पूरी नंगी हो जाएँगी। पर उन्होंने नाडा खोल कर अपने पेटीकोट को अपने सीने पर लेजाकर स्तनी के ऊपर बाँध लिया। अब उनके स्तन और कमर के निचे का हिस्सा दोनों ढक गए थे। माँ ऐसा नहाते वक़्त करती थी। नहाने जाते वक़्त और नाहाकर निकलते वक़्त उनका यही ड्रेस कोड रहता था।
माँ ने पहले से ही लगता है तैयारी कर रखी थी। उन्होंने बाथ टब में हल्का गुनगुना पानी भर रखा था। मुझे उन्होंने बाथटब में बिठा दिया और
खुद उसके किनारे बैठ गईं। उन्होंने मेरे पीठ पर साबुन लगाते हुए कहा - अब बता क्या कह रहा था उसके बारे में ? कैसी है वो ? श्वेता ने तो बड़ी तारीफ की थी उसकी। कह रही थी तेरे पसंद के हिसाब से ही गदराई बदन वाली है वो।
मैं - हाँ माँ। एकदम गदराई बदन वाली। भरा पूरा शरीर , बड़े बड़े स्तन और चौड़ी गांड। पता है उसके निप्पल खजूर से भी बड़े हैं ?
माँ - मतलब सुधा और मेरे से भी बड़े ?
मैं - अगर बड़े नहीं तो बराबर होंगे ही। पर तुम जैसी खूबसूरत नहीं है।
माँ - मतलब माल है।
मैं - हाँ एकदम चुदास माल। उसके पापा जवानी में शादी से पहले ही गुजर गए।
फिर मैंने माँ को अर्चना की सारी कहानी बतानी शुरू की। कुछ ही देर में माँ भी मेरे साथ टब में थी। अब टब के बीचो बीच बैठी थी और मैं उनके पीछे। कहानी सुनाते सुनाते मैं उनके शरीर पर साबुन लगा रहा था। साबुन क्या लगा रहा था मैं उसके शरीर से खेल रहा था। कभी उसके कंधे को चूमता हुआ मुम्मे दबाता तो कभी कान के लबों को चाटता हुआ पेट रगड़ता। माँ भी कभी अपने शरीर को आगे कर लेती तो कभी शरीर को पीछे करके मुझसे चिपका लेती। एकदम जबरदस्त रगड़ाई चल रही थी।
माँ ने बीच में मुझसे कहा - सामने आ जा। बहुत रगड़ लिया। अब मेरी चूत को शांत कर।
मैंने कहा - गोद में आ जाओ।
माँ - जैसे अर्चना अपने बाप से चुदती थी ?
मैं - हाँ। तुम भी तो नाना से ऐसे ही चुदती रही होगी ?
मां - बापू को सिर्फ तूने ह मात दिया है और कुछ हद तक तेरे पापा ने। वार्ना बापू ने कहाँ कहाँ नहीं चोदा है मुझे। जितने आसन लगाए हैं उनके साथ बस तूने ही किया है वैसा। और कुछ तो गाओं वाली बातें तो तू कर ही नहीं पाया।
मैं आगे हो गया और माँ से लिपट कर बोला - फिर चलो न गाओं कभी। चाची से मिले भी काफी दिन हो गया है।
माँ - सोच रही हूँ। या तो अपने गाँव या फिर नाना के यहाँ चलते हैं। वैसे भी होली आने वाली है। एकबार गाओं की होली खेलते हैं।
मैंने अपना लंड पकड़ कर हिलाते हुए कहा - मैं अपनी इसी पिचकारी से सबको रंग लगाऊंगा।
माँ ने भी मेरा लंड पकड़ लिया और कहा - तेरी पिचकारी पुरे गाओं भर में बड़ी होगी।
चल अब जरा इसी पिचकारी से मेरे अंदर रंग भर दे। इतने देर से पानी में हैं ठंढ लग रही है।
मैं माँ से चिपकता हुआ अपने लंड को उनके चूत में घुसा कर बोला - अभी पानी में आग लगाते हैं।
मां मेरे ऊपर चढ़ चुकी थी। हम दोनों के कमर ने एक लय पकड़ लिया था। एक साथ पीछे होते फिर एक साथ आगे। माँ ने कंधे से मुझे पकड़ रखा था। हम दोनों के हिलने से पानी में लहरे चलने लगीं थी। लग रहा था जैसे कोई ज्वार भाता सा आया हुआ हो। आग तो लग ही चुकी थी। पानी में हम दोनों की ये कुश्ती करीब पांच मिनट तक चली। हारने को कोई तैयार था ही नहीं । पर कब तक ऐसे चलता। आखिर में हम दोनों एक साथ धराशाही हुए। मेरा माल माँ के चूत में एकदम अंदर तक जा रहा था। कुछ देर वैसे लिपटे रहने के बाद माँ ने कहा - मजा आ गया। चल अब ठीक से नहाते हैं और खाना खाते है।
हम दोनों टब से निकल कर शावर के नीचे आ गए और गरम पानी से नहाकर फटाफट खाने के टेबल पर पहुँच गए।
खाना खाते खाते माँ ने कहा - ये बता , अपनी इस गदराई बिटिया से कब मिला रहा है ?
मैंने माँ का चेहरा देखते हुए कहा - वो भी मिलना चाह रही थी। मैं ही थोड़ा डर रहा था। कितना ही जानता हूँ उसे। दो बार ही तो मिला हूँ।
माँ ने हँसते हुए कहा - पहली बार में लंड मुँह में दिया और दूसरी बार में चोद लिया वो भी उसके घर में और कहता है सिर्फ दो बार मिला हूँ।
मैं हँसते हुए बोला - क्या माँ तुम भी ?
माँ - बेटीचोद शर्मा ऐसे रहा है जैसे चूत देखि ही ना हो।
मैंने - अच्छा रुको उसको कॉल करता हूँ।
माँ - लगा।
मैंने फ़ोन लगा दिया। मुश्किल से दो रिंग गई होगी की फ़ोन उठ गया। लगा जैसे फ़ोन लेकर बैठी हो। मैंने फ़ोन स्पीकर पर कर रखा था।
फ़ोन उठाते ही उसने कहा - हाय पापा , घर पहुँच गए।
मैं - हाँ।
अर्चना - और माँ चोद ली या आज रहने दिया ?
मैं कुछ बोलता उससे पहले माँ बोल पड़ी - हाँ चोद ली। माँ और बहन चोदने का रिकॉर्ड तो बना रखा था अब माँ और बेटी चोदने का भी रिकॉर्ड बनाएगा।
हँसते हुए अर्चना बोली - नमस्ते माँ जी। ऐसा बाप मिले तो हर लौंडिया चूत थाली में लेकर घूमेगी।
माँ - नमस्ते। फिर कब आ रही हो यहाँ ?
अर्चना - आपसे मिलने का बड़ा मन है। मेरा बस चले तो आज ही चली आऊं। पर लेट हो गया है। आप कहें तो कल आते हैं।
माँ - आजा कल लंच यहीं करना। अपने भाई को भी लेकर आना।
अर्चना - पर आपको माँ के रूप में ही देखूंगी ?
माँ - ठीक है।
अर्चना - नमस्ते माँ। कल मिलते हैं।
मैने माँ से कहा - क्या करना चाहती हो तुम?
माँ - मैं नाह तू करेगा। दारू पीकर हम दोनों से जबरजस्ती।
मैं - माँ , मुझसे नहीं होगा। वैसे भी आज उसको दो तीन बार मारा था।
माँ - मैं रेप करने को थोड़े ही कह रही हूँ। बस डोमिनेटिंग तरीके से प्यार कर। थोड़े थप्पड़ में मजा आता है।
मैं - पर।
माँ - कल की कल देख्नेगे। तेरा मन नहीं करेगा मत करना।
हम दोनों ने खाना ख़त्म किया और जाकर रजाई में घुस गए।
Superb update.
 
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