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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 89 75.4%
  • Soniya

    Votes: 29 24.6%

  • Total voters
    118
  • Poll closed .

Urlover

New Member
74
37
18
एक हफ्ते बाद मेरी और दीदी की मौज ख़त्म हो गई। दीदी के वापस जाने का समय आ गया। जीजा जी की छुट्टी नहीं थी तो उनके देवर सर्वेश लेने आये थे। दीदी के विदाई वाले दिन श्वेता भी आई थी। सर्वेश सबके लिए गिफ्ट्स वगैरह लेकर आये थे। श्वेता के लिए भी गिफ्ट था।
जब श्वेता सर्वेश को ब्रेकफास्ट करवा रही थी तो वो बड़े गौर से उसे देख रहे थे। उन्हें शायद श्वेता पसंद आ गई थी। श्वेता को भी सर्वेश पसंद आया था। दोनों के बीच की आँख मिचोली किसी से छिपी नहीं रही। दीदी ने उन दोनों को बीच में एक आध बार छेड़ा भी। खैर दीदी चली गई।
उनके जाने के बाद मैं, श्वेता और माँ बैठे थे। माँ और श्वेता थोड़े उदास थे। मैंने माहौल को हल्का करने के लिए बोला - माँ श्वेता के लिए अब तुम्हे और चाची को परेशान होने की जरूरत नहीं है। श्वेता ने अपने लिए लड़का पसंद कर लिया है।
श्वेता - तेरी बकवास बंद नहीं होगी क्या ?
मैं - लो कर लो बात। सबसे नजरे छुपा के तो ऐसे देख रही थी जैसे मुँह दिखाई हो रही हो।
श्वेता ने पिल्लो मेरी तरफ फेंका और माँ की गोद में शर्मा कर छूप गई।
माँ - क्यों मेरी बच्ची को छेड़ता है। तुझसे कोई लड़की तो पटती नहीं और इसने पसंद कर लिया तो जलन हो रही है। मेरी श्वेता जिसे पसंद करेगी मैं उसी को इसे सौपूंगी
माँ ने बातों में मेरी दुखती राग पर हाथ रख दिया। मैंने चुदाई कितनी भी कर ली हो पर गर्लफ्रेंड नहीं पटा पाया था। जो मिला था सहज ही मिला था।
मुझे उदास देख माँ ने मुझे भी अपने बाँहों में भर लिया और बोली - दुखी मत हो मेरा बच्चा तेरे लिए भी तो कोई न कोई होगा ही।
मैं खुश हो गया था। मैंने कहा - तुम हो न।
माँ- धत्त
श्वेता तभी बोली - चल मैं तुझे गर्लफ्रेंड पटाने में मदद करुँगी।
ये सुनकर मैं खुश हो गया और उसे किस कर लिया। ये स्नेह भरा किस था। श्वेता ने बुरा नहीं माना। पर माँ की बाहों में आते ही मेरा लंड न जाने क्यों अपने बहकने लगा। मैंने माँ को उनके लबों पर किस कर लिया और उनके मुम्मे दबाने लगा। श्वेता समझ गई की मैं गरम हो चूका हूँ। वो उठ कर जाने लगी तो माँ ने उसे रोक लिया और मुझे मना कर दिया। मैं मन मसोस कर रह गया।
श्वेता ने कहा - ठीक है माँ मैं सोने जा रही हू। वैसे भी मुझे सुबह सुबह उठ कर हॉस्टल जाना है। वो मुझे माँ को प्यार करने से रोकना नहीं चाहती थी।
माँ ने कहा - हमारा तो रोज का है। तेरे जाते ही कल मेरे ऊपर चढ़ जायेगा तेरा चोदू भाई। आज तो तेरे सं समय बिताउंगी। माँ ना जाने क्यों श्वेता के सामने खुल कर बात कर रही थी। मैं समझ गया था। मैं उठ कर अपने कमरे में जाने लगा।
जाते जाते मेरे कान में श्वेता की धीमी सी आवाज आई - चोदू भाई। फिर माँ और वो खिलखिला कर हंसने लगीं।
अगली सुबह मैं जब हॉस्टल छोड़ने गया तो मैंने उसे याद दिलाया की उसने कहा था की मुझे कोई गर्लफ्रेंड बनाने में मदद करेगी। उसने कहा ठीक है। पर उस दिन दीप्ति मैं के यहाँ क्या हुआ था। उस दिन का सीन याद कर मेरे पेट में अजीब सा होने लगा।
मैंने कहा - कुछ नहीं हुआ था।
फिर मैं जब उसे छोड़ कर घर आया तो देखा माँ कमरे में लेटी है। मुझे लगा चुदने को तैयार होंगी पर मेरे साथ तो केएलपिडी हो गई। माँ का पीरियड आ गया था।
अब मेरे पास कोई चारा नहीं था। मुझे पांच दिन अकेले बिताने थे। माँ ने भी समझाया की पढाई भी करनी है और इतने ज्यादा सेक्स भी ठीक नहीं है। थोड़ी ताकत बचा कर रखनी चाहिए। एक दिन मैं और माँ बैठे थे तभी बड़ी मौसी का फ़ोन आया। फ़ोन सुनकर माँ बहुत खुश हुई। मैंने पुछा क्या बात है? इतनी खश क्यों हो ?
माँ बोली - तेरे दूध का इंतजाम हो गया है।
मैंने कहा -कैसे ?
माँ - तेरी लीला दीदी को बच्चा होने हुआ है और वो कल मौसी के साथ यहाँ आ रही है। लीला मेरी बड़ी मौसी की बड़ी लड़की थी।
मैं तो खुश हो गया। मैंने माँ को किस कर लिया। मैं आगे बढ़ने को सोच रहा था की माँ ने कहा - एक दिन और।
मैंने कहा - कल तो वो आ जायेंगे।
माँ - आने वाले जायेंगे भी तो। पर मैं हमेशा तेरु हूँ।
मैं - सच माँ। मैं तुम्हे कभी अकेला नहीं छोडूंगा। तुम जितना मुझे समझती हो उतना कौन जानता है ?
रात भर मैं सपने देखता रहा। लगता कभी माँ मेरी सवारी कर रही है। कभी सपना आता की मैं माँ की गोद में बच्चा बना दूध पी रहा हूँ। कभी लगता की सुधा दीदी की गोद में बच्चा है मैं और वो बच्चा दोनों उनका दूध पी रहे हैं। रात गुजर गई। कमाल की बात ये थी की मैं स्खलित नहीं हुआ था पर मेरा लंड एकदम टाइट था। सुबह के वक़्त मुझे लगा की कोई मेरे लंड को किस कर रहा है। देखा तो माँ नहाकर मेरे पैरो के पास बैठी थी। उसने महीना ख़त्म हुआ था तो बाल धो रखे थे। शरीर पर कपडे के नाम पर मुम्मो पर से एक पेटीकोट बाँध रखा था। उसका निचला सिरा बमुश्किल उनके जांघो तक पहुँच पा रहा था।
माँ बोली - क्या रे लीला का नाम सुनकर खड़ा कर रखा है तुमने ?
मैं - माँ , उनको तो देखे सालों हो गएँ है। रात भर सपने में तो तुम ही आई हो। ये तो बस तुम्हे याद करके खड़ा रहता है।
माँ ने मेरे लंड के टोपे को किस किया और कहा - चल उठ जा।
मैं - माँ आओ न। अब खड़ा है तो इसे शांत भी करो।
माँ - चल हट मुझे बहुत काम है। घर में मेहमान आने वाले हैं।
मैं - वो भी तो घर वाले हैं। आओ न प्लीज। अच्छा इसे मुँह में लेकर ही शांत कर दो।
माँ - उठी और खड़ी हो गई। बोली जब चूत है तो मुँह क्यों लगाऊं।
वो बड़े ही मादक अंदाज में बिस्तर पर खड़ी हो गई। एकदम किसी पोर्न स्टार की तरह पहले तो अपने कमर को आगे पीछे हिला कर कुछ अदाएं दिखाई। उसके बाद धीरे से मेरे लंड पर बैठ गई। उन्होंने लंड को अंदर नहीं लिया बल्कि अपनी चूत की दोनों फांको के बीच फंसा कर कमर आगे पीछे करने लगी।
बोली - तेरा लंड खड़े खड़े थक गया होगा उसकी थोड़ी मालिश कर दू
मैं - हां माँ , अपनी मम्मी का इंतजार कर रहा था।
माँ- तू झूठ बोलता है। उसे तो इतनी साड़ी चूते मिल गई। अब माँ कहा याद रहती हैं। माँ के पीछे पड़ा था पर देख चाची भी चोद ली, बहन की भी मार ली। पटा नहीं वो कौन सी टीचर है उसकी उसके यहाँ भी मौज कर आया। और आज देख दो और चूते आ जाएँगी खिदमत में। तेरा लंड तो ऐश काट रहा है।
मैं - माँ , मैं जितनी भी चूत मार लून पर अंत में तेरे पास ही सकूं आता है। जब तक मेरे पप्पू का मिलान तेरी मुनिया से नहीं आता उसे अच्छी नींद नहीं आती।
माँ - झूठ मत बोल। तेरा लंड आवारा हो गया है। पर मुझे पता है आवारा बच्चे को कैसे काबू में लाते हैं।
माँ कहकर उठी। मुझे लगा फिर खड़े लंड पर धोखा हो गया। पर माँ अब पलट कर बैठ गई। उनकी पीठ अब मेरी तरफ हो गई। पर उन्होंने अब भी मेरे लंड को चूत में नहीं लिया। पर उन्होंने बड़ी अदा से अपने पेटीकोट का नाडा खोल कर उसे कमर पर गिरा दिया।
मैंने उठने को कोशिश की तो हाथ पीछे करके उन्होंने मुझे धकेल दिया। थोड़ी देर वैसे ही मालिश करने के बाद उन्होंने अपने दोनों पेअर किनारे किया और बिस्तर की किनारे खड़ी हो गई । ऐसा करते ही उनका पेटीकोट जमीन पर गिर गया और वो पूरी तरह से नंगी हो गई। माँ मुझे बुरी तरह से तड़पा रही थी। उनके बड़े बड़े गांड एकदम चमक रहे थे। बालों से गिरते पानी की वजह से पीठ थोड़ी गीली हो रखी थी। मैं तुरंत उठकर बिस्तर पर से ही उनको पीछे से पकड़ लिया और गिरते पानी को चाटने लगा।
माँ- आह , मेरे लाल तू कितना पागल है रे। बचपन से ही जब मेरे पीछे पीछे भागता था तो मुझे लगता था की कितना दीवाना है मेरा
मैं जैसे ही हाथ बढ़ा कर उनके मुम्मे पकड़ने को हुआ तो वो झुक गई। अब समझिये की मेरे सामने उनकी गांड एकदम खुली हुई अवस्था में है। बड़े बड़े हाहाकारी चिकने गाँड़। उनके गाँड़ का छेड़ भी दिख रहा था। उसे देख कर लग रहा था की वो अब भी कुंवारा है। झुकने से पीछे से उनकी चूत की फांके लटकी सी दिख रही थी। ये साफ़ लग रहा था की माँ की चूत एकदम पनिया गई है। क्योंकि उनके चूत के पास जांघो पर एक दो बूँद सी गिरे हुए थे। मैंने लपक कर उनके गाँड़ को चूम लिया।
उनके गाँड़ के छेड़ पर जीभ फिराते ही माँ बोली - रहने दे गन्दी जगह है।
मैं - माँ तेरा हर अंग सोना है। कुछ भी गन्दा नहीं है। वैसे तेरी गाँड़ कुँवारी लग रही है। कब देगी मुझे।
माँ - हां, कुँवारी ही है। तेरे बाप के आलावा नाना ने कोशिश की थी। मैंने तभी कहा था की कभी कोशिश की तो उनका लंड काट दूंगी।
मैं - माँ अगर मैं कोशिश करू तो ?
माँ - देखूंगी। पर इतना बड़ा लंड पाल पास कर, दूध पीला कर बनाया है। उसे काटूंगी तो नहीं ही।
मैं - माँ जिस दिन तू खुद से अपनी गाँड़ देगी उसी दिन मरूंगा। पर तब तक उसे प्यार जरूर करूँगा।
माँ - प्यार तो तू मेरे हर अंग को कर सकता है। कर ले जितना प्यार करना है।
पर इस बार मैंने उनके चूत से टपकते पानी को चाट लिया।
मैं - माँ तेरा नमकीन पानी कितना स्वादिष्ट है। तेरे चूत के रास का तो दीवाना हो गया हूँ मैं।
माँ अब मेरे गोद में उल्टा ही बैठ गई। अब मेरे हाथ उनके मुम्मे पर थ। मैं उन्हें दबा रहा था। खींच रहा था। मैंने माँ के कान के लबों को चूम कर कहा - माँ तेरे हर अंग में रस है। तेरे फुटबाल जैसे सॉफ्ट सॉफ्ट मुम्मे दबाते ही साड़ी टेंशन दूर हो जाती है।
माँ- तू कितना झूठा है रे। देख तेरा लंड तो टेंशन में है।
मैं - अरे उसकी रानी के बगल में है न। नर्वस है।
माँ - रानी भी तो नर्वस है। माँ ने मेरा एक हाथ पकड़ा और आपकी चूत के पास ले गई। बोली - देख कितनी नर्वस है। उनकी चूत फिर से पनिया गई थी। माँ ने मेरे हाथ के अंगूठे को अपने भग्नासाय से लगाया कहा - थोड़ा इसे प्यार कर मेरी मुनिया की टेंशन रिलीज़ होगी।
माँ का क्लीट भी औसत से बड़ा था और उत्तेजना में एकदम छोटे से लंड की तरह निकल आया था। एकदम दीप्ति मैम की चूत की याद आ गई । माँ को दीदी के आने के बाद से मैंने कई बार चोदा था। पर थ्रीसम के चक्कर मेंइनकी चूत पैट कभी ध्यान ही नहीं दिया था। अब मुझे समझ आया की माँ मुझे कितना मिस कर रही थी। पहले दीदी की वजह स। दीदी के जाते ही महीना आ गया। पर अब महीना ख़त्म होते ही लीला दी और मौसी। पर माँ कितनी खुश थी। उन्हें कोई भी तकलीफ नहीं थी। उन्हें बस इस बात की ख़ुशी थी की मुझे दुधारू गाय मिल जाएगी और दो एक्स्ट्रा चूत। माँ ने मेरे लंड को पाल पोस कर बड़ा किया था तो उसके लिए चूतों का इंतजाम भी कर रही थी। उन्हें इस बात की कोई तकलीफ नहीं थी की उस दौरान माँ पर काम ध्यान रहेगा। पर अब मैंने डिसाइड कर लिया। कुछ भी हो जाए। कितनी भी चूतें सामने हो माँ को खुश जरूर करूँगा।
अब मैंने माँ के भग्नासाय को अंगूठे से रगड़ते हुए अपनी बीच वाली ऊँगली माँ की चूत में डाल दी।
माँ - आह माआआ। स्स्स्सस्स्स्स मेरी चूत तो धन्य हो गई।
अब मैं ऊँगली अंदर बाहर करता रहा और अंगूठे से उनके क्लीट को रगड़ता रहा। माँ अब तड़प रही थी। उनकी सिसकियाँ तेज हो रही थी।
उनके हाथ खुद बा खुद अपने मुम्मे पर पहुँच गए। मेरा एक हाथ जो उनके मुम्मे पर था उन्होंने उसे जोर से दबा दिया। उन्होंने अपना चेहरा पीछे करके अपने होठ मेरे होठो से लगा दिया। अब हमारे जीभ एक दूसरे के मुँह में घुसने की कोशिश कर रहे थे। मैंने अब अपना दूसरा हाथ भी निचे किया और एक तरफ तो बाएं हाथ के अंगूठे और उसके बाद वाली ऊँगली के बीच में उनके क्लीट को पकड़ कर मसलने लगा। दूसरी तरह दुसरे हाथ की बीच वाली ऊँगली चूत में डालकर बाकी उँगलियों में उनके चूत की बाहरी चमड़ी को रगड़ने लगा।
मान ने अपने दोनों हाथो से अपने निप्पल उमेठने शुरू कर दिए।
मैं - माँ कितना आग है रे तुझमे। अंदर लग रहा है भट्टी है। आटे की लोई डाल दें तो रोटी पक कर निकलेगी।
माँ - रोटी की क्या जरूरत जब गरम गरम पावरोटी तैयार हो जाएगी। अभी थोड़ा आटा मथ दे। देख अंदर से मोयन निकलेगा। उस मोयन वाले आटे की रोटी खिलाऊंगी तुझे। खायेगा न मेरे लाल।
मैं - बहुत भूखा हूँ मैं माँ। क्यों नहीं खाऊंगा।
माँ - तो जरा जल्दी कर न। तैयार कर दे रोटी। निकाल दे घी। आह, आह देख मक्खन तैयार ही है बस तू मथ दे। निकाल दे घी।
माँ ने पलट कर अपने जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया। मेरे उँगलियों की स्पीड बढ़ गई थी। माँ कांपने लगी थी। उनके दोनों पेअर थरथराने लगे।
माँ- आह आह आह आह मेरे लाल। तेरी मथनी जोरदार है। घी बस तैयार है। आह आह। थोड़ा तेज कर न। देख मस्त घी आएगा।
कुछ ही क्षण में माँ के पुरे शरीर में कम्पन हुआ। पेअर थरथराने लगे और मेरे हाथो पर उनकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड दिया। उनकी चूत के रास से सरोबार दोनों हाथो को जब ऊपर लेकर आया तो माँ ने अपनी जीभी निकाल कर मेरे दोनों हाथ चाटने शुरू कर दिए। उन्होंने मुझे किस किया और चूत का रास अपने मुँह से मेरे मुँह में ट्रांसफर कर दिया। हम दोनों बारी बारी से मेरे हाथ को पूरा चाटते और फिर डीप किस में लग जाते।
Majedar bhai...
 

Ek number

Well-Known Member
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मौसी के यहाँ से लौटने के बाद मैं काफी व्यस्त हो गया था। परीक्षा की तैयारी भी करनी थी। इधर बीच श्वेता एक आध बार ही घर आई। हम दोनों तैयारी अच्छे से कर लेना चाहते थे क्योंकि होली में सबको इक्कठा होना था। करीब हफ्ता भर खराब हो जाता इस लिए अभी ही पढाई पूरी करनी थी। मुझे बाकी सभी विषयों में पूरा कॉन्फिडेंस था पर फिलोसफि समझ नहीं आ रही थी। एक दिन सरला दी का फ़ोन आया तो जब मैंने बताया की मुझे ये विषय समझ नहीं आ रहा तो उन्होंने कहा - अरे दीप्ति मैम से पढ़ ले। उनका सब्जेक्ट है। नोट्स भी दे देंगी।

मैं - अरे यार , मैं तो भूल ही गया था। उन्होंने कहा भी था कि डाउट होने पर पूछ लेना।
दीदी - ही ही , तुझे वो फिलोसोफि से ज्यादा सक्सोलोग्य कि टीचर जो लगती हैं।
मैं - हाँ , और अब तो तारा भी तैयार हो चुकी है।
दीदी - एक और कुँवारी चूत।
मैं - तुम भी ना। बात कहाँ थी कहा ले गई। अब क्या ख़ाक ही पढ़ पाउँगा।
दीदी - हाँ , पता चला फिलोसोफी तो समझ में आया नहीं , बाकी सब भी भूल जायगा। रहने दे।


पर दीदी ने दिमाग में खलल डाल दी थी। वैसे भी आखिरी बार दोनों माँ बेटी तैयार थी पर मैं सामने परोसी हुई थाली छोड़ आया था। पर उनसे बात करने का मतलब था वाकई पढाई नहीं होगी। उनके सेक्सी शरीर के सामने क्या ही पढाई होगी। मेरे मन में उधेड़ बन चल ही रही थी। निचे वाले भाई साहब भी मुँह उठा कर बार बार मुझे उकसा रहे थे। लंड और दिमाग में जंग चल रहा था। पर आखिर में जीत लंड महाराज कि ही हुई। मैंने फ़ोन घुमा ही लिया।

दीप्ति मैम - हेलो राज , कैसे हो? बड़े दिनों बाद हमारी याद आई ?
मैं - हेलो मैम। सॉरी , मैं थोड़ा बीजी हो गया था। आपसे बात नहीं कर पाया।
मैम - हाँ भाई , जिसके लिए लड़कियों कि लाइन लगी हो उसको क्या ही फ़िक्र होगी। श्वेता भी कह रही थी आजकल मौसी के यहाँ के बहुत चक्कर लग रहे हैं। तुम्हारे पास तो उसके लिए भी समय नहीं है।
मैं - अरे मैम , ऐसा नहीं है। श्वेता से तो अभिमुलाकत हुई थी। और उसने तो खुद ही ऐसी शर्त लगा रखी है। आप तो सब जानती हैं।
मैम - हम्म , अरे मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी। बहुत अच्छी लड़की है वो। पढ़ लिख कर कुछ बन जाओ तो फिर मौज के लिए तो जिंदगी पड़ी है।
मैं - हाँ मैम , मौसी के यहां भी बिजनेस के चक्कर में ही जाना पड़ रहा है।
मैम - मुझे पता है। और सुनाओ कैसे याद किया इस बुढ़िया मैडम को।
मैं - मैम आप फिर शुरू हो गईं। आपके सामने तो जवान भी फेल हैं।
मैम - तारीफ रहने दो। असली बात बताओ।
मैं - मैम वो दरअसल परीक्षा नजदीक है और मुझे आपका सब्जेट समझ नहीं आ रहा है।
मैम - कौन सा सब्जेक्ट समझ नहीं आ रहा है ? तुम तो एक्सपर्ट हो उसमे
मैं - ही ही ही। वो सब्जेक्ट तो क्लियर है। उसमे आप जब चाहो एग्जाम ले लो। फिलोसोफी नहीं समझ आ रही है।
मैम - आ जाओ घर पर। चार पांच दिन आओ। सब समझा दूंगी। नोट्स भी रखे हैं। दे दूंगी।
मैं - वही सोच रहा था। पर आप और तारा दोनों होंगी तो दुसरे सब्जेक्ट कि ही पढाई होगी।
मैम - हम्म। बात तो सही यही।
फिर कुछ सोच कर बोलीं - तुम आओ। मैं कुछ होने नहीं दूंगी।
मैं - आपके कहने से क्या होगा।
मैम - तुम आओ तो सही।
मैंने माँ को बताया तो वो बोलीं - देख लो। पढ़ना तुम्हे है। वहां पढाई हो तो चले जाओ।

माँ से परमिशन मिलने के बाद तय हुआ कि मैं रोज दोपहर में मैम के यहाँ चला जाया करूँगा और रात को लौटूंगा। उन्होंने बाकी सब्जेक्ट के भी नोटस माँगा लेने का वाद किया था।

मैं अगले दिन दोपहर को मैम के यहाँ पहुँच गया। दरवाजा तारा ने खोला। उसने सलवार कुरता पहना हुआ था।ऊपर से स्वेटर। उसके कपडे एकदम संस्कारी बच्चों वाले थे। वैसे भी सर्दी आ चुकी थी। उसने मुझे गले लगाया। शिकायतों के नोक झोंक के साथ हम ड्राइंग रूम में बैठे ही थे कि अंदर से मैम निकली। वो भी सलवार सूट में थी और ऊपर से शाल डाला हुआ था। कुछ देर चाय पानी के बाद मैम ने तारा को अपने कमरे में जाने को कहा। उसकी भी परीक्षाएं थी। मेरा मन था कुछ देर वो साथ रहे। बहुत दिनों बाद मिल रहा था। पर मैम ने स्ट्रिक्टली मन कर दिया। बोलीं ब्रेक में तुम लोग बातें कर लेना। फिर मैम मुझे अपने कमरे में लेकर गईं। उनके कमरे में भी एक टेबल कुर्सी लगी हुई थी। कमरे में हीटर चलने कि वजह से अच्छी खासी गर्मी थी।

मैम ने मुझे स्टडी टेबल के पास बैठा कर पूछा - बताओ क्या क्या समझ नहीं आ रहा है ?
मैं - आपको देख कर तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।
मैम - देखो , पढाई करनी है तो बोलो वरना अपने घर जाओ।

मैं मैम के इस रूप को देख कर थोड़ा चकित था। खैर सही ही कह रही थी। मैंने किताबें निकाल ली। उनको अपने प्रॉब्लम वाले एरिया बताये। मैम ने पहले वो चैप्टर समझाया फिर नोट्स दिए।

नोट्स समझाने के बाद उन्होंने कहा - अब ये रट जाओ। इसमें इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स लिखे हैं उसे याद करो तब तक मैं तारा को देख कर आती हूँ। मुझे आने में थोड़ा टाइम लगेगा। उसे भी समझाना है। पर तुम बिना डिस्ट्रक्शन के याद करो, मैं आकर पूछूँगी।

मैं एक आज्ञाकारी बच्चे कि तरह याद करने लगा। वो फिर चली गईं। उन्होंने इतने अच्छे से समझाया था कि याद करने में कोई दिक्कत नहीं आ रही थी।

करीब चालीस मिनट बाद मैम हाथ में चाय का प्याला लेकर आईं। मैम ने मुझे चाय थमाई और फिर मुझसे नोट्स लेकर क्वेश्चन करने लगीं। मुझे सब याद हो गया था। मैं सवालों का जवाब देता चला गया। सब सुनने के बाद मैम बोलीं - तुम्हे सब आता तो है। क्यों परेशान थे ?
मैं - आपके समझाने से समझ आया है और आपके नोट्स इतने बढ़िया हैं कि सब जल्दी से याद हो गया।
मैम हंसने लगीं और बोलीं - चलो अब थोड़ा ब्रेक ले लो। फिर दूसरा चैप्टर भी पढ़ा दूंगी।
मैम सोफे पर थी। मैं उठकर उनके पास पहुंचा और बोला - ब्रेक में क्या करू ?

मैम कि धड़कन तेज हो गई। उन्होंने शव और दुपट्टा उतार रखा था। मैंने उनके गालों को चूम लिया और कहा - आपको पता है, पढाई के बाद जब मुझे स्ट्रेस काम करना होता है तो मैं क्या करता हूँ ?
मैम - क्या करते हो ?
मैं - माँ के गोद में सर रख कर लेट जाता हूँ और उनके दूध पीता हूँ , उनके दूध पीने और दबाने से मेरा सारा स्ट्रेस निकल जाता है।
तभी कमरे में तारा आई और बोली - मुझे लगा था कि पढाई हो रही होगी पर यहाँ तो आशिकी हो रही है। माँ ये तो चीटिंग हैं।
मैं - मैं तो स्ट्रेस हल्का कर रहा था। मैम ने ब्रेक दिया है।
तारा - ब्रेक तो मुझे भी चाहिए थे और ऐसे स्ट्रेस काम होता है या बढ़ता है। अपने पेंट के निचे देखो। कितना स्ट्रेस है।
मैं - अब तुम जैसी सुन्दर लड़की सामने होगी तो ये स्ट्रेस में आएगा ही।
तारा हँसते हुए - देख रही हो माँ। ये साला अभी तुम्हारे बाँहों में था अब मुझे देख मुझे लाइन मार रहा है।
मैं - अरे आप दोनों लोग एकदम माल हो।
मैम - रहने दे अपने बहाने। तू अपना स्ट्रेस कम कर ले।
मैं उनके मुम्मो पर हाथ लगाते हुए बोला - सच में ?
मैम - हम्म।
मैं मैम के मुम्मे दबाने लगा और उन्हें चूमने चाटने लगा। कुछ देर तो तारा हमर देखती रही फिर बोली - हम्म्म्म मैं चलती हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और खींच कर अपने गोद में बिठा लिया। मैंने कहा - लाओ तुम्हारा स्ट्रेस भी काम कर दूँ ,
तारा ने नखड़े दिखाते हुए कहा - मुझे कोई स्ट्रेस नहीं है।
मैंने उसके छोटे सेब पकड़ लिए और कहा - तुम्हारे ये टाइट से निप्पल तो पुरे स्ट्रेस में हैं।
तारा ने मेरा हाथ हटाते हुए कहा - अब ऐसी हरकत देख कर इनका ये हाल नहीं होगा तो क्या होगा।

मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए। वो सिसकने लगी थी। उधर मैम भी गरम हो चुकीं थी। पर उन्हें पता था कि समय खराब करने से पढाई डिस्टर्ब होगी।
उन्होंने हमें कुछ देर मस्ती करने दिया और फिर कहा - अब ब्रेक ख़त्म , तारा तुम अपने कमरे में जाओ। राज चलो अगला चैप्टर।
मैं - मैम , प्लीज।
मैम - नो। आज का टारगेट पूरा करो तो तुम दोनों को रिलैक्स कर दूंगी। पर अभी नही। तारा , तुम अपना अगला चैप्टर तैयार करो।

हम दोनों के साथ खेल हो गया। पर मैम एकदम स्ट्रिक्ट बानी हुई थी। मैम ने मुझे अगला चैप्टर समझाया , उसके नोट्स याद करने को दिए और कहा - मैं खाना बनाने जा रही हूँ। तब तक ये याद कर लो।
मैम ने माँ को कहा था कि खाना यहीं होगा। मैम रोकना चाह रही थी पर माँ ने मना कर दिया। पढाई के बाद रात में मुझे वापस जाना था। मेरा फोकस वापस आ गया था। मैं समझने और याद करने में जुट गया।

करीब एक घंटे बाद मैम वापस आईं। उनके हाथ में गरमा गरम सूप था। वो मुझसे सवाल पूछने लगीं। मैं जवाब देता गया। वो मेरे आंसर से बेहद खुश थी। उन्होंने मुझे कुछ करेक्शन करने को कहा और बोली - ये दो तीन पॉइंट दोबारा याद कर लो फिर खाना खाते हैं।

मैं - मैम खाना बाद मे। पहले आपने जो वादा किया था वो।
मैम - पहले ये याद करो। मैं आधे घंटे में वापस आती हूँ फिर देखते हैं।

मैं फिर पढाई में जुट गया। कुछ देर बाद कमरे में मैम वापस आईं। इस बार तारा भी उनके साथ थी। उसने कपडे बदल लिए थे और एक मिनी पहनी हुई थी। मिनी के ऊपर से एक गरम लबादा ओढ़ा हुआ था। कमरे में आकर वो भी उतार दिया। उसे देखते ही मेरे मुँह से सिटी निकल गई। एकदम सेक्सी लग रही थी। उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी और शायद पैंटी भी।
मैम - सब याद हो गया ?
मैं - हाँ।
मैम - गुड। खाना खाना है ?
मैं - अभी नहीं। आपने जो वादा किया था वो पूरा कीजिये।
मैम - हम्म्म। मानोगे नहीं।
मैं - अब कैसे मान सकता हूँ।
मैम - फिर खाने के बाद रुक कर अपने दुसरे सब्जेक्ट के भी एक चैप्टर को तैयार करना होगा।
मैं - मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
मैम - ठीक है। मैं ज़रा बाथरूम से आती हूँ।

मैं अब सोफे पर तारा के बगल में बैठ गया था। तारा शर्मा रही थी। मैंने उसे अपने गोद में बिठाना चाहा तो उसने मन कर दिया।
मैं - पिछली बार तो हर चीज के लिए तैयार थी पर अब क्या हुआ ?
तारा - मैं बेशरम लड़की नहीं हूँ। कुछ तो शर्म करो।
मैं - अभी मैम से चूत चटवाओगी तो शर्म कहाँ जाएगी ?
तारा - मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं कावाने वाली।
मैं - अच्छा , तो इस ड्रेस में क्यों हो ?
तारा - ये मेरा रोज का है। मेरा घर है मेरी मर्जी।

मैं उसके नंगे जांघो को सहला रहा था जिसमे उसे कोई अप्पति नहीं थी। उसके रोयें खड़े हो गए थे और मेरा लंड। हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे। कुछ ही पल में हम दोनों एक दुसरे के बाहों में थे। इतनी ठंढ में भी हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे।

तभी मैम कि आवाज आई - तुम दोनों आपस में ही रिलैक्स हो लोगे या मेरी जरूरत है भी। देखा तो मैम सिर्फ एक ब्रा और पैंटी में थी।
तारा शर्माते हुए बोली - माँ।
मैम बिस्तर पर लेट गईं और बोलीं - आ भी जाओ। राज , अपने कपडे उतार देना।

मैं फटाफट से अपने कपडे उतारने लगा। तब तक तारा बिस्तर पर अपनी माँ के बाँहों में थी। मैं भी वहां पहुँच गया। अब मैं मैम के एक तरफ था और दूसरी तरफ तारा। तारा एक तरफ मैम के नंगे पेट और नाभि को चूम रही थी तो मैं उनके चेहरे के बाद मुम्मो पर अटैक कर चूका था। कुछ देर कि चुम्मा चाटी के बाद मैम ने कहा - ऐसे करोगे तो घंटो बीत जायेंगे। टाइम नहीं है। राज तुम लेट जाओ।

मैं सीधा होकर लेट गया। मैम ने मेरा अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड एकदम शानदार तरीके से लहरा रहा था। मेरे लंड को देखते ही तारा बोली - माँ ये तो गधे के लंड से भी बड़ा लग रह है।
मैम - तभी कह रही हूँ इसके चक्कर में मत पड़। एग्जाम दे ले फिर तुझे ये दिलवाऊंगी। अभी तू बस अपनी चटवा। जा।

तारा एक आज्ञाकारी लड़की की तरह मेरे चेहरे की तरफ आई और पलंग का सिरहाना पकड़ कर इस तरह हो गई जैसे उसकी चूत मेरी मुँह पर आ गई। मैं उसकी चिकिनी कुँवारी चूत को देखते ही उस पर लपक पड़ा। मेरे जीभ के लगते ही वो सिसक पड़ी। इधर मैम ने मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया था।

तारा - आह , तुम तो चाटने में एक्सपर्ट हो। मजा आ गया , उफ्फ्फ , थोड़ा अंदर। हाँ। तेज और तेज। चाटो , चाट ार खा जाओ।
मैं लपालप उसके चूत को चाट रहा था और मैम गपागप मेरे लंड का स्वाद लिए जा रही थी। तारा तो कुछ ही देर मेरे मुँह पर खूब सारा पानी उड़ेल कर फ्री हो गई। पर मैम को पता था मैं इतनी आसानी से हार नहीं मानुगा। मैम ने ने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा लंड अपनी चूत में दाल लीं।

मैम - बस अब जल्दी से चोद और फ्री हो जा।
मैं - मैम आप चढ़ी है , आप चप्पू चलाइये।

मैम ने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी। मैंने उनके स्तन पकड़ लिए और दबाते हुए कहा - आह मस्त चुदास औरत हो आप। बस चले तो आपकी चूत में ही घुसा रहूं।
मैम - मादरचोद , अपनी माँ और बहन की चूत से फुर्सत मिले तो ना मेरे पास आएगा। भोसड़ी के अपनी मौसी और मौसेरी बहन तक की चूत मार आया पर यहाँ हम दोनों माँ बेटी तरस रही हैं
मैं - आपको इशारा करना था मैम , आपकी चूत की फाटक बना देता। तारा के अंदर का भी डर निकल जाता।
मैम - साली इसने जब से तेरे लंड के कारनामे सुने हैं जिद्द मारे बैठी है चढ़ेगी तो तुझ पर ही। पर मुझे पता है अभी चुदवाया तो एग्जाम नहीं दे पायेगी। तुम सब पास हो जाओ फिर इसकी चूत भी दिला दूंगी।
मैं - हम्म उफ़ क्या मस्त चुचे हैं आपके। मन करता है दबाते रहूं।
मैम - दबा न।
अब मैं मैम के चुचे बेरहमी से दबा रहा था और मैम भी उतनी ही तेजी से मेरे ऊपर उछल उछल कर चुद रही थी। तारा बेचारी आँखे फाड़े हमें देख रही थी।
कुछ ही देर में मैम और मैं दोनों एक साथ आना पानी छोड़ दिए। पानी छोड़ते ही मैम मेरे बगल में लेट गईं। उनके लेटते ही तारा ने पहले मेरे लंड को साफ़ किया और फिर अपनी माँ की चूत को।
हम तीनो के फारिग होते ही मैम ने कहा - चलो फटाफट खाना खाते हैं फिर एक एक चैप्टर और ख़त्म करना है।
मैं - मैम , ऐसे पढ़ाओगी तो मैं क्लास में टॉप कर जाऊंगा।
तारा - टॉप पर तो माँ ही रहेंगी।
ये सुन हम सब हंस पड़े।
उस रात घर लौटते समय मैम ने कहा - घर जाकर भी पढ़ना है। कल फिर दोपहर में मिलेंगे।

इस तरह कुछ हफ्ते में ही मेरा कोर्स मैम ने चुदाई के साथ ख़त्म करवाया। मुझे तारा की चूत रिजल्ट के बाद मिलनी थी। पर इतने दिनों में अब आलम ये हो गया था की कमरे में हीटर चला कर हम सब नंगे ही रहने लगे थे और नंगे ही पढाई के साथ चुदाई होती थी।
Nice update
 
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