मौसी के यहाँ से लौटने के बाद मैं काफी व्यस्त हो गया था। परीक्षा की तैयारी भी करनी थी। इधर बीच श्वेता एक आध बार ही घर आई। हम दोनों तैयारी अच्छे से कर लेना चाहते थे क्योंकि होली में सबको इक्कठा होना था। करीब हफ्ता भर खराब हो जाता इस लिए अभी ही पढाई पूरी करनी थी। मुझे बाकी सभी विषयों में पूरा कॉन्फिडेंस था पर फिलोसफि समझ नहीं आ रही थी। एक दिन सरला दी का फ़ोन आया तो जब मैंने बताया की मुझे ये विषय समझ नहीं आ रहा तो उन्होंने कहा - अरे दीप्ति मैम से पढ़ ले। उनका सब्जेक्ट है। नोट्स भी दे देंगी।
मैं - अरे यार , मैं तो भूल ही गया था। उन्होंने कहा भी था कि डाउट होने पर पूछ लेना।
दीदी - ही ही , तुझे वो फिलोसोफि से ज्यादा सक्सोलोग्य कि टीचर जो लगती हैं।
मैं - हाँ , और अब तो तारा भी तैयार हो चुकी है।
दीदी - एक और कुँवारी चूत।
मैं - तुम भी ना। बात कहाँ थी कहा ले गई। अब क्या ख़ाक ही पढ़ पाउँगा।
दीदी - हाँ , पता चला फिलोसोफी तो समझ में आया नहीं , बाकी सब भी भूल जायगा। रहने दे।
पर दीदी ने दिमाग में खलल डाल दी थी। वैसे भी आखिरी बार दोनों माँ बेटी तैयार थी पर मैं सामने परोसी हुई थाली छोड़ आया था। पर उनसे बात करने का मतलब था वाकई पढाई नहीं होगी। उनके सेक्सी शरीर के सामने क्या ही पढाई होगी। मेरे मन में उधेड़ बन चल ही रही थी। निचे वाले भाई साहब भी मुँह उठा कर बार बार मुझे उकसा रहे थे। लंड और दिमाग में जंग चल रहा था। पर आखिर में जीत लंड महाराज कि ही हुई। मैंने फ़ोन घुमा ही लिया।
दीप्ति मैम - हेलो राज , कैसे हो? बड़े दिनों बाद हमारी याद आई ?
मैं - हेलो मैम। सॉरी , मैं थोड़ा बीजी हो गया था। आपसे बात नहीं कर पाया।
मैम - हाँ भाई , जिसके लिए लड़कियों कि लाइन लगी हो उसको क्या ही फ़िक्र होगी। श्वेता भी कह रही थी आजकल मौसी के यहाँ के बहुत चक्कर लग रहे हैं। तुम्हारे पास तो उसके लिए भी समय नहीं है।
मैं - अरे मैम , ऐसा नहीं है। श्वेता से तो अभिमुलाकत हुई थी। और उसने तो खुद ही ऐसी शर्त लगा रखी है। आप तो सब जानती हैं।
मैम - हम्म , अरे मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी। बहुत अच्छी लड़की है वो। पढ़ लिख कर कुछ बन जाओ तो फिर मौज के लिए तो जिंदगी पड़ी है।
मैं - हाँ मैम , मौसी के यहां भी बिजनेस के चक्कर में ही जाना पड़ रहा है।
मैम - मुझे पता है। और सुनाओ कैसे याद किया इस बुढ़िया मैडम को।
मैं - मैम आप फिर शुरू हो गईं। आपके सामने तो जवान भी फेल हैं।
मैम - तारीफ रहने दो। असली बात बताओ।
मैं - मैम वो दरअसल परीक्षा नजदीक है और मुझे आपका सब्जेट समझ नहीं आ रहा है।
मैम - कौन सा सब्जेक्ट समझ नहीं आ रहा है ? तुम तो एक्सपर्ट हो उसमे
मैं - ही ही ही। वो सब्जेक्ट तो क्लियर है। उसमे आप जब चाहो एग्जाम ले लो। फिलोसोफी नहीं समझ आ रही है।
मैम - आ जाओ घर पर। चार पांच दिन आओ। सब समझा दूंगी। नोट्स भी रखे हैं। दे दूंगी।
मैं - वही सोच रहा था। पर आप और तारा दोनों होंगी तो दुसरे सब्जेक्ट कि ही पढाई होगी।
मैम - हम्म। बात तो सही यही।
फिर कुछ सोच कर बोलीं - तुम आओ। मैं कुछ होने नहीं दूंगी।
मैं - आपके कहने से क्या होगा।
मैम - तुम आओ तो सही।
मैंने माँ को बताया तो वो बोलीं - देख लो। पढ़ना तुम्हे है। वहां पढाई हो तो चले जाओ।
माँ से परमिशन मिलने के बाद तय हुआ कि मैं रोज दोपहर में मैम के यहाँ चला जाया करूँगा और रात को लौटूंगा। उन्होंने बाकी सब्जेक्ट के भी नोटस माँगा लेने का वाद किया था।
मैं अगले दिन दोपहर को मैम के यहाँ पहुँच गया। दरवाजा तारा ने खोला। उसने सलवार कुरता पहना हुआ था।ऊपर से स्वेटर। उसके कपडे एकदम संस्कारी बच्चों वाले थे। वैसे भी सर्दी आ चुकी थी। उसने मुझे गले लगाया। शिकायतों के नोक झोंक के साथ हम ड्राइंग रूम में बैठे ही थे कि अंदर से मैम निकली। वो भी सलवार सूट में थी और ऊपर से शाल डाला हुआ था। कुछ देर चाय पानी के बाद मैम ने तारा को अपने कमरे में जाने को कहा। उसकी भी परीक्षाएं थी। मेरा मन था कुछ देर वो साथ रहे। बहुत दिनों बाद मिल रहा था। पर मैम ने स्ट्रिक्टली मन कर दिया। बोलीं ब्रेक में तुम लोग बातें कर लेना। फिर मैम मुझे अपने कमरे में लेकर गईं। उनके कमरे में भी एक टेबल कुर्सी लगी हुई थी। कमरे में हीटर चलने कि वजह से अच्छी खासी गर्मी थी।
मैम ने मुझे स्टडी टेबल के पास बैठा कर पूछा - बताओ क्या क्या समझ नहीं आ रहा है ?
मैं - आपको देख कर तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।
मैम - देखो , पढाई करनी है तो बोलो वरना अपने घर जाओ।
मैं मैम के इस रूप को देख कर थोड़ा चकित था। खैर सही ही कह रही थी। मैंने किताबें निकाल ली। उनको अपने प्रॉब्लम वाले एरिया बताये। मैम ने पहले वो चैप्टर समझाया फिर नोट्स दिए।
नोट्स समझाने के बाद उन्होंने कहा - अब ये रट जाओ। इसमें इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स लिखे हैं उसे याद करो तब तक मैं तारा को देख कर आती हूँ। मुझे आने में थोड़ा टाइम लगेगा। उसे भी समझाना है। पर तुम बिना डिस्ट्रक्शन के याद करो, मैं आकर पूछूँगी।
मैं एक आज्ञाकारी बच्चे कि तरह याद करने लगा। वो फिर चली गईं। उन्होंने इतने अच्छे से समझाया था कि याद करने में कोई दिक्कत नहीं आ रही थी।
करीब चालीस मिनट बाद मैम हाथ में चाय का प्याला लेकर आईं। मैम ने मुझे चाय थमाई और फिर मुझसे नोट्स लेकर क्वेश्चन करने लगीं। मुझे सब याद हो गया था। मैं सवालों का जवाब देता चला गया। सब सुनने के बाद मैम बोलीं - तुम्हे सब आता तो है। क्यों परेशान थे ?
मैं - आपके समझाने से समझ आया है और आपके नोट्स इतने बढ़िया हैं कि सब जल्दी से याद हो गया।
मैम हंसने लगीं और बोलीं - चलो अब थोड़ा ब्रेक ले लो। फिर दूसरा चैप्टर भी पढ़ा दूंगी।
मैम सोफे पर थी। मैं उठकर उनके पास पहुंचा और बोला - ब्रेक में क्या करू ?
मैम कि धड़कन तेज हो गई। उन्होंने शव और दुपट्टा उतार रखा था। मैंने उनके गालों को चूम लिया और कहा - आपको पता है, पढाई के बाद जब मुझे स्ट्रेस काम करना होता है तो मैं क्या करता हूँ ?
मैम - क्या करते हो ?
मैं - माँ के गोद में सर रख कर लेट जाता हूँ और उनके दूध पीता हूँ , उनके दूध पीने और दबाने से मेरा सारा स्ट्रेस निकल जाता है।
तभी कमरे में तारा आई और बोली - मुझे लगा था कि पढाई हो रही होगी पर यहाँ तो आशिकी हो रही है। माँ ये तो चीटिंग हैं।
मैं - मैं तो स्ट्रेस हल्का कर रहा था। मैम ने ब्रेक दिया है।
तारा - ब्रेक तो मुझे भी चाहिए थे और ऐसे स्ट्रेस काम होता है या बढ़ता है। अपने पेंट के निचे देखो। कितना स्ट्रेस है।
मैं - अब तुम जैसी सुन्दर लड़की सामने होगी तो ये स्ट्रेस में आएगा ही।
तारा हँसते हुए - देख रही हो माँ। ये साला अभी तुम्हारे बाँहों में था अब मुझे देख मुझे लाइन मार रहा है।
मैं - अरे आप दोनों लोग एकदम माल हो।
मैम - रहने दे अपने बहाने। तू अपना स्ट्रेस कम कर ले।
मैं उनके मुम्मो पर हाथ लगाते हुए बोला - सच में ?
मैम - हम्म।
मैं मैम के मुम्मे दबाने लगा और उन्हें चूमने चाटने लगा। कुछ देर तो तारा हमर देखती रही फिर बोली - हम्म्म्म मैं चलती हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और खींच कर अपने गोद में बिठा लिया। मैंने कहा - लाओ तुम्हारा स्ट्रेस भी काम कर दूँ ,
तारा ने नखड़े दिखाते हुए कहा - मुझे कोई स्ट्रेस नहीं है।
मैंने उसके छोटे सेब पकड़ लिए और कहा - तुम्हारे ये टाइट से निप्पल तो पुरे स्ट्रेस में हैं।
तारा ने मेरा हाथ हटाते हुए कहा - अब ऐसी हरकत देख कर इनका ये हाल नहीं होगा तो क्या होगा।
मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए। वो सिसकने लगी थी। उधर मैम भी गरम हो चुकीं थी। पर उन्हें पता था कि समय खराब करने से पढाई डिस्टर्ब होगी।
उन्होंने हमें कुछ देर मस्ती करने दिया और फिर कहा - अब ब्रेक ख़त्म , तारा तुम अपने कमरे में जाओ। राज चलो अगला चैप्टर।
मैं - मैम , प्लीज।
मैम - नो। आज का टारगेट पूरा करो तो तुम दोनों को रिलैक्स कर दूंगी। पर अभी नही। तारा , तुम अपना अगला चैप्टर तैयार करो।
हम दोनों के साथ खेल हो गया। पर मैम एकदम स्ट्रिक्ट बानी हुई थी। मैम ने मुझे अगला चैप्टर समझाया , उसके नोट्स याद करने को दिए और कहा - मैं खाना बनाने जा रही हूँ। तब तक ये याद कर लो।
मैम ने माँ को कहा था कि खाना यहीं होगा। मैम रोकना चाह रही थी पर माँ ने मना कर दिया। पढाई के बाद रात में मुझे वापस जाना था। मेरा फोकस वापस आ गया था। मैं समझने और याद करने में जुट गया।
करीब एक घंटे बाद मैम वापस आईं। उनके हाथ में गरमा गरम सूप था। वो मुझसे सवाल पूछने लगीं। मैं जवाब देता गया। वो मेरे आंसर से बेहद खुश थी। उन्होंने मुझे कुछ करेक्शन करने को कहा और बोली - ये दो तीन पॉइंट दोबारा याद कर लो फिर खाना खाते हैं।
मैं - मैम खाना बाद मे। पहले आपने जो वादा किया था वो।
मैम - पहले ये याद करो। मैं आधे घंटे में वापस आती हूँ फिर देखते हैं।
मैं फिर पढाई में जुट गया। कुछ देर बाद कमरे में मैम वापस आईं। इस बार तारा भी उनके साथ थी। उसने कपडे बदल लिए थे और एक मिनी पहनी हुई थी। मिनी के ऊपर से एक गरम लबादा ओढ़ा हुआ था। कमरे में आकर वो भी उतार दिया। उसे देखते ही मेरे मुँह से सिटी निकल गई। एकदम सेक्सी लग रही थी। उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी और शायद पैंटी भी।
मैम - सब याद हो गया ?
मैं - हाँ।
मैम - गुड। खाना खाना है ?
मैं - अभी नहीं। आपने जो वादा किया था वो पूरा कीजिये।
मैम - हम्म्म। मानोगे नहीं।
मैं - अब कैसे मान सकता हूँ।
मैम - फिर खाने के बाद रुक कर अपने दुसरे सब्जेक्ट के भी एक चैप्टर को तैयार करना होगा।
मैं - मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
मैम - ठीक है। मैं ज़रा बाथरूम से आती हूँ।
मैं अब सोफे पर तारा के बगल में बैठ गया था। तारा शर्मा रही थी। मैंने उसे अपने गोद में बिठाना चाहा तो उसने मन कर दिया।
मैं - पिछली बार तो हर चीज के लिए तैयार थी पर अब क्या हुआ ?
तारा - मैं बेशरम लड़की नहीं हूँ। कुछ तो शर्म करो।
मैं - अभी मैम से चूत चटवाओगी तो शर्म कहाँ जाएगी ?
तारा - मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं कावाने वाली।
मैं - अच्छा , तो इस ड्रेस में क्यों हो ?
तारा - ये मेरा रोज का है। मेरा घर है मेरी मर्जी।
मैं उसके नंगे जांघो को सहला रहा था जिसमे उसे कोई अप्पति नहीं थी। उसके रोयें खड़े हो गए थे और मेरा लंड। हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे। कुछ ही पल में हम दोनों एक दुसरे के बाहों में थे। इतनी ठंढ में भी हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे।
तभी मैम कि आवाज आई - तुम दोनों आपस में ही रिलैक्स हो लोगे या मेरी जरूरत है भी। देखा तो मैम सिर्फ एक ब्रा और पैंटी में थी।
तारा शर्माते हुए बोली - माँ।
मैम बिस्तर पर लेट गईं और बोलीं - आ भी जाओ। राज , अपने कपडे उतार देना।
मैं फटाफट से अपने कपडे उतारने लगा। तब तक तारा बिस्तर पर अपनी माँ के बाँहों में थी। मैं भी वहां पहुँच गया। अब मैं मैम के एक तरफ था और दूसरी तरफ तारा। तारा एक तरफ मैम के नंगे पेट और नाभि को चूम रही थी तो मैं उनके चेहरे के बाद मुम्मो पर अटैक कर चूका था। कुछ देर कि चुम्मा चाटी के बाद मैम ने कहा - ऐसे करोगे तो घंटो बीत जायेंगे। टाइम नहीं है। राज तुम लेट जाओ।
मैं सीधा होकर लेट गया। मैम ने मेरा अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड एकदम शानदार तरीके से लहरा रहा था। मेरे लंड को देखते ही तारा बोली - माँ ये तो गधे के लंड से भी बड़ा लग रह है।
मैम - तभी कह रही हूँ इसके चक्कर में मत पड़। एग्जाम दे ले फिर तुझे ये दिलवाऊंगी। अभी तू बस अपनी चटवा। जा।
तारा एक आज्ञाकारी लड़की की तरह मेरे चेहरे की तरफ आई और पलंग का सिरहाना पकड़ कर इस तरह हो गई जैसे उसकी चूत मेरी मुँह पर आ गई। मैं उसकी चिकिनी कुँवारी चूत को देखते ही उस पर लपक पड़ा। मेरे जीभ के लगते ही वो सिसक पड़ी। इधर मैम ने मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया था।
तारा - आह , तुम तो चाटने में एक्सपर्ट हो। मजा आ गया , उफ्फ्फ , थोड़ा अंदर। हाँ। तेज और तेज। चाटो , चाट ार खा जाओ।
मैं लपालप उसके चूत को चाट रहा था और मैम गपागप मेरे लंड का स्वाद लिए जा रही थी। तारा तो कुछ ही देर मेरे मुँह पर खूब सारा पानी उड़ेल कर फ्री हो गई। पर मैम को पता था मैं इतनी आसानी से हार नहीं मानुगा। मैम ने ने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा लंड अपनी चूत में दाल लीं।
मैम - बस अब जल्दी से चोद और फ्री हो जा।
मैं - मैम आप चढ़ी है , आप चप्पू चलाइये।
मैम ने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी। मैंने उनके स्तन पकड़ लिए और दबाते हुए कहा - आह मस्त चुदास औरत हो आप। बस चले तो आपकी चूत में ही घुसा रहूं।
मैम - मादरचोद , अपनी माँ और बहन की चूत से फुर्सत मिले तो ना मेरे पास आएगा। भोसड़ी के अपनी मौसी और मौसेरी बहन तक की चूत मार आया पर यहाँ हम दोनों माँ बेटी तरस रही हैं
मैं - आपको इशारा करना था मैम , आपकी चूत की फाटक बना देता। तारा के अंदर का भी डर निकल जाता।
मैम - साली इसने जब से तेरे लंड के कारनामे सुने हैं जिद्द मारे बैठी है चढ़ेगी तो तुझ पर ही। पर मुझे पता है अभी चुदवाया तो एग्जाम नहीं दे पायेगी। तुम सब पास हो जाओ फिर इसकी चूत भी दिला दूंगी।
मैं - हम्म उफ़ क्या मस्त चुचे हैं आपके। मन करता है दबाते रहूं।
मैम - दबा न।
अब मैं मैम के चुचे बेरहमी से दबा रहा था और मैम भी उतनी ही तेजी से मेरे ऊपर उछल उछल कर चुद रही थी। तारा बेचारी आँखे फाड़े हमें देख रही थी।
कुछ ही देर में मैम और मैं दोनों एक साथ आना पानी छोड़ दिए। पानी छोड़ते ही मैम मेरे बगल में लेट गईं। उनके लेटते ही तारा ने पहले मेरे लंड को साफ़ किया और फिर अपनी माँ की चूत को।
हम तीनो के फारिग होते ही मैम ने कहा - चलो फटाफट खाना खाते हैं फिर एक एक चैप्टर और ख़त्म करना है।
मैं - मैम , ऐसे पढ़ाओगी तो मैं क्लास में टॉप कर जाऊंगा।
तारा - टॉप पर तो माँ ही रहेंगी।
ये सुन हम सब हंस पड़े।
उस रात घर लौटते समय मैम ने कहा - घर जाकर भी पढ़ना है। कल फिर दोपहर में मिलेंगे।
इस तरह कुछ हफ्ते में ही मेरा कोर्स मैम ने चुदाई के साथ ख़त्म करवाया। मुझे तारा की चूत रिजल्ट के बाद मिलनी थी। पर इतने दिनों में अब आलम ये हो गया था की कमरे में हीटर चला कर हम सब नंगे ही रहने लगे थे और नंगे ही पढाई के साथ चुदाई होती थी।