तेरी मौसी ने विकास का हाथ पकड़ा और बोली - चल जरा अब मुझे साफ़ कर दे। तुम सबके थूक और शराब की गंध से पूरा शरीर अजीब लग रहा है।
वो उसे बाथरूम में लेकर चली गईं। बाथरूम में पहुँच कर उन्होने कहा - रुक जरा शुशु कर लूँ।
विकास ने उन्हें पकड़ लिया और कहा - मुझे भी शुशु आई है।
मौसी हँसते हुए - एक साथ करते हैं। उन्होंने विकास को पीछे से बाहों में भर लिया और उसके लंड को पकड़ कर बोली - स्स्सस्स्स्स
विकास के लंड से धार निकलने लगी। विकास को तभी महसूस हुआ की उसके पीछे से भी एक गरम धार भिंगो रही है। मौसी ने भी मूतना शुरू कर दिया था। उनके पेशाब की धार विकास के गांड और पैरों को भिंगो रही थी।
विकास - माँआआ।
मौसी - सससससस , चुप।।
मौसी ने विकास के मूत से अपने हाथों को गीला कर लिया था और खुद उसके ऊपर मूत रही थी। बाथरूम में उस वक़्त धड़कन की आवाज के अलावा सीटी बज रही थी। माहौल गरमा रहा था। पर इस बार मौसी ने सोच रखा था गलती नहीं होने देंगी। मूत लेने के बाद उन्होंने विकास का हाथ पकडा और शावर ऑन करके उसके नीचे हो गईं। शावर के अलावा उन्होंने मग लिया और विकास के कमर के अगले हिस्से पर ठंढा पानी गिराने लगीं। उन्होंने उसके लंड को एकदम से शांत कर दिया।
लंड की चमड़ी को हटा कर अंदर से सफाई करते हुए उन्होंने कहा - दिमाग और शरीर दोनों को ठंढा रख। चुदाई भूल कर चोदेगा तो तेरा लंड कमाल करेगा। चल अब बिना गरम हुए मेरे शरीर पर साबुन लगा।
विकास - माँ , तुम इतनी गरम हो कि शांत कैसे रहूँ। तुम्हारे मुम्मे इतने रसभरे है। मन करता है चूसता रहूं।
मौसी - जानता है तुझे बचपन में मैं ज्यादा दूध नहीं पीला पाई। तूने मेरे मुम्मे बहुत कम पिए हैं। बल्कि तूने अपनी छोटी मौसी सरोज के दूध बहुत पिए है।
विकास उनके पीठ पर साबू लगा रहा था। ये सुनते ही उसके हाथ रुक गए। बोला - क्या ? पर क्यों ?
मौसी - सुरभि बचपन में बहुत कमजोर थी। उसे मेरी ज्यादा जरूरत थी। डॉक्टर ने भी उसका ख्याल रखने को ज्यादा कहा था। इस लिए।
विकास माँ से चिपक गया। मौसी - चिंता मत कर अब मैं तुझे पूरा प्यार दूंगी। तू जो मांगेगा सब दूंगी।
विकास ने अपनी माँ को चूम लिया और बोला - तेरा प्यार ही सब कुछ है मेरे लिए।
दोनों कि आँखें भर आई थी। दोनों ने फटाफट अपने अपने शरीर को अच्छे से धोया और साफ़ किया। और कपडे पहन कर बाहर चल पड़े।
बाहर का नजारा अलग ही था। लीला और नाना थके मांदे पड़े हुए थे। पर तेरे मौसा शांत बैठे हुए थे। सुरभि चुदी नहीं थी। उसने अपने पापा के लंड को चूस कर उनका माल निकाल दिया था। तेरे नाना का लंड और वहसी अंदाज ने उसे डरा दिया था।
मौसी ने ये सब देखते ही कहा - लगता है सुरभि आज कुँवारी ही रहेगी। कोई बात नहीं। चलो नाहा धोकर आ जाओ। खाना खाते हैं।
सुरभि अपने माँ के गले लग गई और बोली - माँ पापा बहुत अच्छे हैं। मुझे डर लग रहा था।
मौसी - कब तक डरेगी मेरी बिटिया। एक बार तो दर्द झेलना पड़ेगा।
मौसा - तुम्हारे बिना काम नहीं होगा सुशीला।
मौसी - ठीक है। तैयार होकर सब आ जाओ। खाना खाते हैं।
लीला उठकर बाथरूम में चली गई। नाना को वहीँ नंग धडंग हालत में देख मौसी बोली - बाउजी , कुछ तो शर्म कीजिये। उठिये साफ़ सफाई करके कपडे पहनिए।
मौसा कि तरफ देख कर बोली - आप भी उठिये।
सब उठ कर बाथरूम में चले गए। मौसी और विकास किचन में खाने कि तैयारी में।
विकास अपनी माँ को प्यार भरी नजरो से देख रहा था। कुछ ही देर में सब खाने के टेबल पर थे।
----------------------------------------------------------वर्तनाम में ----------------------------------------------------
मैं - तो सुरभि कि चुदाई नहीं हुई ?
माँ - हुई न। सुरभि भी चुदी और विकास ने संयम से अपनी माँ भी चोदी।
मैं - माँ , सच में विकास ने आपका दूध पिया है ?
माँ - हाँ , उस समय सुरभि कि हलर बहुत ख़राब थी। विकास का वजन तो ठीक ठाक था पर सुरभि बहुत कमजोर थी। सबका ध्यान उसी कि तरफ था। तुम और विकास लगभग एक उम्र के हो तो मेरा दूध आता था। तेरे साथ साथ वो भी मेरा दूध पी लिया करता था।
मैं - ओह्ह। तुमने ये बात कभी बताई नहीं।
माँ - इतनी बड़ी बात नहीं थी। हमारे जमाने में परिवार में मायें एक दुसरे कि बच्चो को दूध दे दिया करती थी।
मैं - फिर भी।
माँ - बोला न इतनी बड़ी बात नहीं थी। एक साल के अंदर अंदर सुरभि का स्वास्थ सही हो गया और विकास भी तब तक बाहर के दूध पर आ गया था। उसने जल्दी ही ऊपर का खाना पीना शुरू कर दिया था। और फिर तुम भी तो थे।
मैं - मैंने तो किसी का दूध नहीं पिया ना ?
माँ - तूने भी सबका दूध पिया है। मौसियों का भी और चाची का भी।
श्वेता - ये बहनचोद तो आज भी पी रहा है। अपनी बहनो का।
माँ ये सुनकर हंस पड़ी।
मैं - तेरा भी पियूँगा। कहे तो आज ही चोद दूँ नौ महीने बाद तैयार हो जाएगी।
श्वेता - चुप मादरचोद। माँ को चोद। और मेरा दूध अपने बच्चे के लिए होगा। उसका ख्याल भी रखना है। उसे कमजोर थोड़े ही करुँगी।
मां - हाँ। मेरे बेटे का बेटा होगा। उसका ख्याल रखेगी तो वो तेरा ख्याल रखेगा। क्या पता उसका लौड़ा घर में सबसे बड़ा हो। राज के बाद वही राज करे सब पर।
श्वेता सरमाते हुए - क्या माँ ? आप भी न कुछ भी बोलती हो। बेटा होगा मेरा।
माँ - ये भी तो बेटा है।
मैं - माँ। बाप बेटे दोनों मिलकर इसको खुश रखेंगे।
श्वेता - चुप रहो। पहले अपनी माँ को खुश करो। चूत गीली हो रखी है।
माँ - बड़ी समझदार है। खुद तो चादर में पोछे जा रही है। रजाई पूरी गीली हो रखी है ।
श्वेता - अब आप इतनी गरमा गरम कहानी सुनाओगी तो गीली होगी न।
मैं माँ के ऊपर चढ़ गया और उनके चूत में लंड डाल कर बोला - तरसने दे इसे माँ। तू आगे कि कहानी सुना ना।
माँ - उफ़ , आराम से। धीरे धीरे करना। प्यार से।
मैं - कहो तो बस डाल कर लेटा रहूँ।
माँ - हाँ , बस धीरे धीरे आराम से मजे लेकर चोद।
मैंने अपने हाथो पर अपना वजन लिया और उनके स्तनों को चूसते हुए कहा - आगे सुनाओ न।
-----------------------------------सुरभि और विकास के बर्थडे के कहानी माँ कि जुबानी (फ्लैशबैक) ------------------------
खाने के साथ थोड़ी बहुत चुहलबाजी भी चल रही थी। ड्रिंक्स भी टेबल पर था। तेरी मौसी ने उस पर भी अपनी चाल चल दी थी। उसका असर भी दिख रहा था। खाना ख़त्म होते होते तक तेरा नाना और लीला नींद कि चपेट में थे। जैसे ही खाना ख़त्म हुआ दोनों एक कमरे में चले गए। वो दोनों भूल गए थे कि चुदाई अभी शुरू भी नहीं हुई है। पर मौसी ने चालाकी से दोनों को किनारे कर दिया था। खाना ख़त्म होने के बाद मौसी ने कहा - आइक्रीम राखी है खाना है ?
सुरभि - अरे पहले बताना था। नाना और लीला दी भी ले लेते। रुको जगा कर लाती हूँ।
मौसा - तू अपने को बहुत स्याना समझती है। तेरी माँ डेढ़ सयानी हैं। दोनों गए सोने। जाने दे।
सुरभि को अब समझ में आया। उसने कहा - माँ तुम बहुत बदमाश हो। अपनी ही बेटी और बाप के साथ ऐसा किया ?
तेरी मौसी - मेरी लाडो, वो जागे रहते तो तू चुद थोड़े ही पाती। उनकी चिंता मत कर। बस थोड़ा सा डोज है और बाकी नशा। वैसे भी दोनों एक दुसरे में मगन रहने वाले जीव हैं। आज तुम्हारा और विकास का दिन है।
विकास - और तुम्हारा और पापा का भी।
तेरे मौसा - हम सबका। सुशीला , आइसक्रीम ले आओ।
सुशीला जिज्जी किचन में चली गईं और बाकी तीनो सोफे पर बैठ गए। जिज्जी ने एक पतली नाइटी पहनी हुई थी। विकास सिर्फ एक बनियान और हाफ पैंट में था। तेरे मौसा सिर्फ लुंगी में। सुरभि ने एक शार्ट और छोटी सी टी शर्ट पहनी हुई थी। अंदर कुछ भी नहीं था। टी शर्ट भी नाभि के पास तक लटक रही थी। खैर आपस में पर्दा तो पहले हु उठ चूका था।
सुरभि ने विकास से कहा - तूने तो माँ को दो दो बार चोद लिया आज ?
विकास - दो बार कब ? बस एक बार वो भी जल्दी झाड़ गया।
सुरभि - बाथरूम में ?
विकास - नहीं , माँ ने सब्र रखने को कहा। वहां कुछ नहीं।
तेरे मौसा - हाँ भाई। सब्र जरूरी है। चुदाई में जल्दीबाजी नहीं। फोरप्ले का अलग ही मजा है।
विकास - आपने तो सुरभि को बहुत मजे दिए। कितनी बार आई तू ?
सुरभि ने अपने पापा को किस किया और कहा - मत पूछ। आज तो पापा ने बस निचे से नदी बहा दी थी। लगता है पूरा जूस निकल गया।
तेरी मौसी ट्रे हाथ में लेकर आती हैं और कहती हैं - ये ले। आइसक्रीम खा। और गरमा गरम गुलाब जामुन भी।
तेरी मौसी ने अपने हाथो से गुलाबजामुन का प्लेट मौसा कि तरफ बढ़ाया तो मौसा ने कहा - मीठा कम होगा। थोड़ा मीठा डालो न।
मौसी - आप भी ना।
मौसा - आज तो दिन है।
मौसी ने फिर एक गुलाब जामुन लिया और खुद खा गई। पर उन्होंने उसे चबाया या घोंटा नहीं। कुछ देर मुँह में रखने के बाद मौसा के ऊपर झुनक गई। मौसा ने मुँह खोल लिया। मौसी ने अपने मुँह से पूरा का पूरा गुलाब जामुन मौसा के मुँह में डाल दिया।
तेरे मौसा अभी खा पाते कि सुरभि बोल पड़ी - ये चीटिंग है। पहला हिस्सा मेरा होना था।
मौसा ने उसका मुँह पकड़ा और खोल दिया। उनके मुँह से गुलाबजामुन निकल सुरभि के मुँह में था।
विकास बोला - मैं तो सबसे छूटा हूँ। मेरा जन्म तुझसे तीस सेकंड पहले हुआ था।
ये कह कर उसने मुँह खोल दिया। सुरभि ने अपने मुँह से गुलाबजामुन उसके मुँह में डाल दिया।
विकास ने उसे चबाते हुए कहा - उम्म्म , बहुत मस्त स्वाद है।
इतने में दूसरा जामुन सुरभि के मुँह में वैसे ही पहुँच गया था। मौसा और मौसी एक ही गुलाब जामुन एक दुसरे के मुँह से मुँह सटा कर खा रहे थे। कुछ हिस्सा तेरे मौसा के मुँह में था तो कुछ मौसी के। दोनों बिना हाथ लगाए एक दुसरे को दे भी रहे थे।
तभी सुरभि बोली - अरे आइसक्रीम गल जाएगी।
विकास - पापा इसकी मिठास कैसे बढ़ाएंगे ?
तेरे मौसा - इसकी मिठास नहीं बढ़ाएंगे। इसे खट्टा मीठा करेंगे।
मौसी - रहने दो अब।
मौसा - ऐसे कैसे। सुन मुझे नहीं पता तूने अपनी बहन के साथ क्या क्या किया है ? पर आज मैं उसकी चूत बहुत चाट चूका हूँ। अब तेरी बारी है।
अभी विकास यही सोच रहा था कि आइसक्रीम के बीच में चूत कहाँ से आ गया कि तेरे मौसा जिज्जी कि नीति उतार चुके थे। उन्होंने तेरी मौसी को सोफे पर लिटा दिया और आइक्रीम कि प्लेट उठा ली। विकास के लिए ये इशारा काफी था। उसने सुरभि के शार्ट को उतार दिया। अब ले सोफे पर मौसी नंगी थी और दुसरे पर सुरभि बॉटमलेस्। विकास ने भी अपने पापा कि तरह सुरभि के कुंवारे चूत पर आईसक्रीम चुपड़ दिया। तब तक तेरे मौसा ने एक गुलाबजामुन को आइसक्रीम की कटोरी में लपेटा और उसे चूत पर सजा दिया। विकास ने भी वैसा ही किया। अब मौसा और विकास चूत और जांघो पर गलते फैलते आइसक्रीम को चाटना शुरू किया।
तेरे मौसा ने कहा - विकास , वो चम्मच पर निम्बू रख कर दौड़ने वाला खेल खेला है न ? अब बिना जामुन गिराए इन दोनों को झड़ाना है। गुलाबजामुन की मिठास के साथ इनके चूत की नमकीन चासनी भी पीनी है। समझा ?
तेरी मौसी - क्यों तड़पा रहे हो ?
तेरे मौसा - इसी तड़प में तो मजा है मेरी जान।
विकास ने सुरभि को कई बार नंगी हालत में देखा था। दोनों एक दुसरे के सामने कपडे बदल लिया करते थे। एक साथ मास्टरबेशन भी किया था। पर सुरभि ने कभी नजदीक से दर्शन नहीं कराये थे। दोनों ने कई बार नंगी फोटो और वीडियो एक साथ देखा था। पर हर चूत अलग होती है। सुरभि ने अपने बाल चिकने कर रखे थे। बस ऊपर कम बालों में एक चाँद सी शक्ल बनवा रखी थी। सपाट पेट , गहरी नाभि। गोरी गोरी जांघें। विकास तो मुग्ध हो गया था। उसने और आइसक्रीम ली और सुरभि के पेट और जांघो पर डाल दिया और फिर उसे चाटने लगा। पर कहते हैं ना अनुभव की कमी थी। उसमे और सुरभि दोनों में। उसके इस हरकत से सुरभि पूरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी। उसकी चूत में हलचल होने लगी थी। उसका शरीर कांपने लगा था। विकास ने इस चक्कर में उसके चूत के आस पास गिरती आइसक्रीम चाटनी शुरू की। आइसक्रीम सच में खट्टी मीठी हो चुकी थी। पर यही गलती थी। सुरभि ने उसका सर पकड़ा और अपने चूत पर जोर से दबा दिया। गुलाब जामुन तो साइड से निचे गिर चूका था। सुरभि की चूत फवारे छोड़ रही थी और विकास उसमे भींग रहा था। उधर तेरे मौसा मौसी को कई बार झड़ा चुके थे। पर आईस क्रीम जस का तस था। जब सुरभि झड़ कर शांत हुई तो विकास उसे देखता रह गया।
मौसा ने कहा - जामुन भी खा ले।
विकास ने रोबोट की तरह निचे गिरे गुलाबजामुन को मुँह में डाल लिया। अजीब सा स्वाद था पर मजेदार था।
मौसी उठ कर बैठ गईं और बोली - मैं तेल लेकर आती हूँ। अब सही समय है। पेल दो बेटी को।
मौसा - तुम रुको। इस लौंडे को भी तो कुछ सिखाना है। विकास, उठ। मन को शांत कर। किचन से एक ठंढा बोतल पानी और तेल की कटोरी लेकर आ। और सुन फ्रिज से आइसपैक भी लेकर आना।
उधर विकास किचन में गया, इधर मौसी सुरभि के पास पहुंची और उसे गोद में बिठा कर चूमते हुए बोली - मजा आया मेरी लाडो ?
सुरभि - माँ , आज तो मैं हवा में उड़ रही हूँ।
मौसी - अभी कहा बेटा। अभी तो तुझे इस घोड़े की सवारी करते हुए हवा से बातें करनी है।
सुरभि - माँ , ये घोडा बिगड़ैल लग रहा है। मुझे लग रहा है गिरा देगा , चोट लगेगी।
मौसी - मैं हूँ न तुझे सँभालने के लिए। और कण्ट्रोल तू अपने हाथ में रखेगी तो गिरेगी नहीं। इसी लिए सवारी तू कर।
विकास आ चूका था। मौसा सोफे पर बैठे थे। मौसी ने विकास के हाथ से तेल की कटोरी उठाई और खूब सारा तेल लेकर मौसा के लंड पर लगा दिया। साथ में वो उस पर थूक भी रही रही थी। थूक और तेल से तेरे मौसा का लंड चमक रहा था। नब्बे डिग्री पर उनका लंड एकदम एक मीनार की तरह खड़ा था। विकास भी ये देख कर हैरान था।
तभी तेरी मौसी ने उससे कहा - जा जाकर तू भी अपना लंड धो कर आजा। हाथ मत लगाना बस ऊपर से पानी डाल कर आजा।
विकास वही रुक कर आगे की कार्यवाही देखना चाहता था। पर मौसी ने कहा - जा ना। तू अपनी सवारी करवाते वक़्त देख लेना। अभ जा धोकर आ।
तेरी मौसी ने उसके लंड को शांत करने के लिए भेजा था। अब मौसी ने सुरभि से कहा - आ बैठ घड़ा तैयार है। सीधे सवारी नहीं करि है। पहले घोड़े को रेस के लिए तैयार करना है।
सुरभि अपने बाप के ऊपर बैठ गई पर लंड को चूत में नहीं डाला। जैसा की उसकी मां ने कहा वो बस अपने चूत के होठो के बीच में अपना पापा का लंड फंसा कर आगे पीछे कर रही थी। तेरे मौसा उसके मुम्मो को मिस रहे थे और तेरी मौसी पीछे से उसके पीठ को सहला रही थी। जब सुरभि की सिसकारियां तेज हो गई तो मौसी ने उसके गांड पर हाथ रखा और कहा - अब सवारी का वक़्त हो गया है। धीरे धीरे रेस लेना।
सुरभि ने अपना कमर उठाया और तेरी मौसी ने अपने पति का लंड पकड़ कर सीधा किया। सुरभि ने अपने हाथो से चूत को फैलाया और उस पर धीरे धीरे बैठने लगी। थोड़ा अंदर जाते ही उसके मुँह से चीख निकल गई - माआ , रहने दो। मुझे नहीं लेना मजा।
जिज्जी - इस्सस , बस मेरी लाडो हो गया। थोड़ा ऊपर हो जा और फिर कोशिश कर।
सुरभि ने लंड बाहर निकाला और फिर उस पर बैठने लगी। तेरे मौसा उसके निप्पल को चुटकियों में मसल रहे थे। उसे गरम करने के लिए ये भी जरूरी था। विकास लौट चूका था और अपनी माँ की फैली गांड देख कर उत्तेजित हो रखा था। पर उसका ध्यान सुरभि की चीख से भटक रहा था। सुरभि ने एक दो बार और ऊपर निचे किया और अब उसे मजा आने लगा था। तेरे मौसा का लंड और अंदर तक जा चूका था। किसी भी धक्के से उसकी सील टूट जानी थी। पर ना मौसा को जल्दी थी ना मौसी को। उन्ह दोनों को पता था सुरभि खुद ही स्पीड बढ़ाएगी और काम हो जायेगा। मौसी ने पीछे मूड कर देखा तो विकास का लंड एकदम तन्नाया हुआ था।
मौसी ने कहा - तुझे भी सवारी करनी है?
विकास ने हाँ में गर्दन हिला दी। मौसी वहीँ निचे ही सोफे पर झुक गईं। विकास समझ गया। वो वहीँ बैठ गया। उसने पीछे से अपनी माँ की गांड से लंड सटा दिया।
जिज्जी - बेटा आज ही गांड भी लेगा क्या ? चूत में डाल।
विकास - ओह्ह।
जिज्जी ने झुक निचे से ही उसका लंड पकड़ा और अपने चूत पर सेट कर दिया। बोली - चल चोद अपनी माँ को एक बार फिर से। बन जा पूरा मादरचोद।
विकास ने धक्के लगाने शुरू कर दिए। उधर सुरभि पूरी तरह से गरम हो रखी थी। उसकी चीखें कमरे में गूंज रही थी।
सुरभि - आह पापा , मजा आ रहा है। इस दिन का मुझे कब से इन्तजार था। देखो तुम्हारा लंड मेरे चूत में खलबली मचा रहा है। आह। माँआ मस्त लौड़ा है पापा का। तुम नाना के पास क्यों भागी रहती हो ?
जिज्जी - जैसे तुझे तेरे बाप से चुदने में मजा आता है वैसे ही मुझे भी आता है। पर अब तो मेरा बेटा जवान हो गया है। उफ़ लाल धक्के आराम से लगा। इस बार जल्दी नहीं आना। वरना फिर तुझे माँ की चूत ना मिलने की। हिलाते रहियो।
सुरभि ने कब मौसा के लंड को पूरा लील कर अपनी सील तुड़वा ली थी उसे पता भी नहीं था। उस समय तो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी पर तेरी मौसी जानती थी कि एक बार लंड बाहर आया तो बस दर्द का सैलाब आएगा। ये बात मौसा भी जानते थे। इस लिए उन्हें कोई जल्दी नहीं थी। दोनों अनुभवी पति पत्नी ने आसन बदल लिया थे। अब विकास सोफे पर बैठा था और मौसी उसकी सवारी कर रही थी। इस तरह से वो विकास को कण्ट्रोल कर सकती थी और तेरे मौसा ने सुरभि को कुतीया बनाकर पीछे से लंड घुसा लिया था। चुदाई के इस घमसाान का अंत तो होना ही था। तेरे मौसा मौसी में गजब का सामंजस्य था। आँखों आक्न्हो में इशारा हुआ और दोनों ने गति बढ़ा दी। अब मौसा सुरभि को बेरहमी से चोद रहे थे और मौसी अपने कमर के झटके तेज कर चूँकि थी। कुछ ही देर मेंचारो एक साथ आपने आपने कामरास को चोद दिए।
सुरभि वहीँ निढाल थी। मौसा का लंड अभी भी उसके अंदर था। मौसी उठकर गईं और होट पैक लेकर आईं। उनका इशारा हुआ और मौसा ने लंड बाहर खींच लिया।
सुरभि - माआआ , बचाओ। आह आह। फाड़ डालाआ रे। फैट गई मेरी चूत।
उसके चीखने से लीला और नाना भी जग गए और भाग कर आ गए। मौसी ने तुरंत सुरभि के चूत को पुछा और फिर उसकी सिंकाई करने लगी। मौसा ने तब तक पेन किलर निकाल लिया था। मौसी ने सुरभि को पेन किलर दिया और बोली - हो गया मेरी बच्ची। बस हो गया।
नाना - बधाई हो जमाई राजा। आखिर दूसरी कि सील तोड़ ही दी।
तेरे मौसा - एक का तो मौका आपने दिया नहीं। अब ये भी नहीं मिलती तो ~~~~
लीला ने अपने पापा को गले लगा लिया और बोली - आप बोलते तो सही पापा।
तेरे मौसा ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा - हमारे पुरे खानदान में चुदाई पर कोई बंधन नहीं है। पर कोई किसी से जबरजस्ती भी नहीं करता। जिसकी जिससे मर्जी और जब मर्जी हो तभी चुदाई।
जिज्जी - - बस तेरे नाना को हवस पर कण्ट्रोल नहीं है। पर जबरजस्ती तो उन्होंने भी ना के बराबर ही की है।
सुरभि पर दवा और दर्द दोनों का असर था। वो लगभग बेहोश थी। उसे उठा कर मौसा अपने कमरे में चले गए। उनके पीछे पीछे मौसी भी गरम पानी और हॉटपैक लेकर चल पड़ी।
लीला ने अपने अपने भाई को हग किया और बोली - मादरचोद बनने की बधाई हो। मूड हो तो बोल आज ही बहनचोद बना दूँ।
विकास - नहीं दीदी। सुरभि के साथ ही पहली बार। आपका तो दूध पियूँगा। बड़े बड़े मुम्मे लहराती हो तो मजा आ जाता है।
लीला - आज ही पी ले।
विकास - नहीं। दूध आएगा तब।
नाना ने लीला को बाहिं में भरते हुए कहा - चिंता मत कर लाल। अब इसकी शादी जल्दी करूँगा। लड़का देख लिया है। तू अपने मामा का मामा बनेगा। फिर हम दोनों एक साथ इसका दूध पिएंगे।
लीला - क्या नाना।
नाना - सच में। तेरी उम्र हो गई है। लड़का ऐसा जो मेरे कण्ट्रोल में रहेगा।
लीला - मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
विकास अपने माँ बाप के कमरे में चला गया और लीला वापस नाना के साथ।
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मैं - माँ ये लीला दी और नाना बड़े कमीने हैं।
माँ - चूत ऐसी चीज है। सबको कमीना बना देती है।
मैं - तो नाना ने सुधा दी की शादी एक नपुंसक से इस लिए करवा दी की दीदी ने उन्हें चूत नहीं दी। और लीला की दुसरे नपुंसक से ताकि लीला दी की चूत वो ले सकें। बहुत हरामी है तुम्हारा बाप।
माँ - अब अपनी माँ चोद ले। और मेरे बाप को गाली मत दे। जब तक तेरी नानी थी सब कण्ट्रोल में था। तेरी बड़ी और छोटी नानी दोनों भाइयों को काबू में रखती थी। पर उनके जाने के बाद नाना बेकाबू हो गए हैं। वैसे इतने बुरे भी नहीं हैं।
मैं माँ को चोदते हुए बोला - तुम्हारे बाप हैं, रख लो शॉट स्पॉट पर मेरी बहन के साथ अन्याय किया है तो मैं माफ़ नहीं करूँगा।
श्वेता - इस लिए तो हम सब इतना प्यार करते हैं तुम्हे।
मैं माँ के चूत में माल उड़ेलता हुआ बोला - तब भी अपनी चूत नहीं दे रही है।
श्वेता - चुप करो। अब बहुत हुआ।
हम तीनो एक बार फिर से बाथरूम गए और फॉर सो गए।
उस रात के बाद श्वेता हमारे साथ कुछ दिन तक रही। परीक्षा से पहले होली थी। होली में उसे नहीं आना था। वो चाची के पास जा रही थी। सुधा दी ने आने से मना कर दिया था। सरला दी का कुछ पक्का नहीं था। बाकी दोनों मौसी के यहाँ से सभी आ रहे थे। होली की धमाल कम से कम दो तीन दिन होनी थी। मैं श्वेता और सुधा दी को मिस तो करता पर वैसे एक्साइटेड था। खैर नाना के यहाँ से सुधा दी के घर की दुरी ज्यादा नहीं थी । मैंने और विक्की ने प्लान कर रखा था। होली में अन्वी और उसकी माँ भी आने वाली थी। उनका कोई और तो था नहीं। विक्की और मैं एक दुसरे का टेस्ट जानते थे। और माँ से कहानी सुनकर ये तो पता चल गया था की विकास भी हमसे अलग नहीं है। मुझे उम्मीद थी हम तीनो भाइयों की खूब जमेगी। नाना को परेशान करना था। उनके सामने उनका घमंड तोडना था। मुझे उसकी भी प्लानिंग करनी थी।