• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 82 74.5%
  • Soniya

    Votes: 28 25.5%

  • Total voters
    110

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
3,098
12,653
144
हेलो दोस्तों मेरा नाम राज है। ये कहानी मेरी और मेरे परिवार की है। मेरे परिवार में मेरी माँ और दो बहने हैं। मेरी माँ का नाम सरोज है और उनकी उम्र ५० के आस पास है। मेरे पिता एक सरकारी अफसर थे पर उनका देहांत तभी हो गया था जब मैं हाई स्कूल में था। पर पिता ने काफी कमाई की थी। हमारी गाओं में भी काफी जमीन थी। गाओं की जमीन मेरे चाचा देखा करते थे। वो बहुत पढ़े लिखे नहीं थे तो गाओं में ही रहकर खेती बाड़ी करवाया करते थे। जब पिता जी जिन्दा थे तो वो उनकी काफी मदद कर दिया करते थे। अनपढ़ होने के साथ साथ वो लल्लू किस्म के भी थे। वो तो चाची स्मार्ट थीं तो सब सम्भला हुआ था। हमें गाओं से ही काफी अनाज आ जाता था। उनकी एक ही लड़की थी जो मुझसे काफी छोटी थी। अभी स्कूल में ही पढ़ती थी। मेरे पिता ने अपनी कमाई से शहर में एक बड़ा घर और दो दो फ्लैट कर रखा था। उन्होंने बहनो की शादी के लिए भी अच्छा ख़ासा पैसा छोड़ रखा था।
पिता के मौत के बाद माँ थोड़ी अकेली तो पड़ी थी पर मेरे ननिहाल के लोग काफी अच्छे थे। वो हमारे शहर में ही रहते थे।
मेरे मामा, मौसियां और नाना ने हमारी बहुत मदद की। समय रहते उन्होंने बहनो की शादी भी करवा दी। मेरे एक ही मामा थे पर दो दो मौसियां थी। उनमे से एक माँ से बड़ी थी और एक छोटी। मेरे मामा की शादी हो चुकी थी। उन्होंने लव मैरिज की थी।
अब मैं अपनी बहनो और उनके परिवार के बारे में बताता हूँ। मेरी बड़ी बहन का नाम सुधा है। उसकी उम्र ३० साल है और उसकी शादी हो चुकी है। मेरे जीजा का नाम राजीव है। उनके परिवार में उनकी माँ रत्ना , छोटी बहन सोनिया और पिता रमेश हैं। सोनिया लगभग मेरी ही उम्र की है और इसी साल मैंने और उसने कॉलेज ज्वाइन किया है। सुधा दीदी का परिवार पास के ही दुसरे शहर में रहता है। शादी के कुछ महीनो बाद ही सुधा दीदी के ससुर का एक रोड एक्सीडेंट हो गया था जिसकी वजह से घुटनो के नीचे दोनों पैर काम नहीं करते थे। वो व्हीलचेयर पर ही रहा करते थे।
मेरी दूसरी बहन का नाम सरला है। उनकी उम्र २८ साल है और उनके पति का नाम शलभ है। उनके घर में उनकी माँ जया, पिता सुरेश और एक छोटा भाई सर्वेश है। सर्वेश ने कॉलेज पास कर लिया है और पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहा है। सरला दीदी का ससुराल राजस्थान के एक शहर में है जो मेरे शहर से काफी दूर है। राजीव जीजा का अपना बिज़नेस है वहीँ शलभ जीजा जी एक फर्म में अकाउंटेंट हैं। उनके पिता एक टीचर थे पर अब रिटायर हो चुके है। सरला दी के सास ससुर बहुत ही स्ट्रिक्ट थे। पर शलभ जीजा उन्हें बहुत प्यार करते थे। पर सबके चाहते सर्वेश भाई थे। मजाकिया और मस्तमौला।
अब मैं वापस अपने घर पर आता हूँ। छोटा होने से बचपन से ही मैं सबका दुलारा था। पिता का देहांत भी जल्दी हो गया था इस लिए मुझ पर वैसे ही सब ज्यादा प्यार लुटाते थे। पापा की मौत के बाद शुरू में तो घर का माहौल ग़मगीन रहा पर साल भर के अंदर सब नार्मल हो गए। तीन तीन महिलाओं के बीच मैं अकेला लड़का था उस पर से छोटा तो सब मुझे बच्चा ही ट्रीट करते थे। मेरी बहने और माँ मेरे सामने कपडे बदल लिया करती थी। मैं भी नंग धडंग होकर उनके सामने कपडे बदल लेता था। गर्मियों में तो मैं सिर्फ एक छोटे से चड्डी में रहता था और मेरी बहने छोटी सी पेंट और हलके पतले से टी-शर्ट में रहती थी। मेरी माँ अधिकांश तौर पर पेटीकोट ब्लॉउस में रहती या एक पतले से नाइटी में जिसके अंदर वो कुछ भी नहीं पहनती थी। रात में मैं माँ के पास सोता था और दोनों बहने एक कमरे में। कभी कभी हम सब एक ही कमरे में सो जाया करते थे। सर्दियों में सब एक कमरे में एक बड़े से रजाई में होते। वजह था माँ चाहती थी की एक ही कमरे में हीटर चले जिससे बिजली की बचत हो। हम सब समय के साथ बड़े तो हो रहे थे पर परिवार में खुलापन बरकरार था। मेरे सामने ही मेरी बहने और माँ पीरियड , पैड्स की भी बात कर लेते थे। ब्रा पैंटी भी मुझसे छुपी नहीं रहती थी। अगर नहाने में कोई बहन या माँ कपडे भूल जाता तो मुझसे मांग लिया करती थी। अक्सर बहने तो तौलिया लपेट कर बाहर आती और मेरे सामने ही निचे पैंटी फिट पेंट पहनती थी। जब थोड़ी बड़ी हुईं तो मेरी तरफ पीठ करके ब्रा और टी-शर्ट पहन लेती थी। कई बार ब्रा का हुक लगाने को भी बोदेती थी। माँ नहाने के बाद सिर्फ पेटीकोट में बाहर आती थी जिसे वो अपने स्तनों तक चढ़ा रखती थी। कमरे में आकर वो ब्लॉउस पहनती थी। ब्रा तो वो शायद ही पहनती थी। माँ मुझसे ज्यादा पर्दा नहीं करती थी। ब्लाउज पहने समय मेरे सामने रह कर भी पहन लेती थी। मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो बड़ी दीदी सुधा ने माँ को एक आध बार टोका भी पर माँ ये कह देती थी मेरा बेटा ही तो है। अभी कुछ सालों तक तो मेरे दूध को चूसता रहता था उससे कैसा पर्दा। दरअसल मैंने माँ का दूध काफी बड़े होने तक पिया है। अगर कोई टोकता तो कहती मेरा लाल दूध पीकर ताकतवर बनेगा। बाद में उनका दूध बंद हो गया तब भी मैं उनकी चूचियों को चूसता था। मुझे उनकी बड़ी बड़ी चूचिया चूसने में बड़ा मजा आता था। मेरे पिता ने एक आध बार टोका भी पर माँ को कुछ नहीं बोलते थे। माँ की इन बातों से बहने भी मुझसे फ्री थी। माँ उन्हें कुछ नहीं कहती थी।
मैं माँ के साथ बहुत लिपटता था उतना ही बहनो के साथ भी। मुझे माँ की बड़ी बड़ी नाभि बहुत सुन्दर लगती थी। अक्सर सोफे पर जब सब टीवी देख रहे होते तो मैं माँ के गोद में सर रख लेता और उनके पेट से खेलने लगता। कई बार उनके पेट पर मुँह रख कर हवा मारता जिससे अजीब सी आवाज निकलती थी। मुझे वो आवाज निकलने में बड़ा मजा आता था। अक्सर इस खेल में मेरी बहने भी शामिल होती और हम तीनो माँ के शरीर के अलग अलग हिस्सों पर मुँह लगाकर आवाज निकालते थे। एक दिन खेल खेल में मैंने सुधा दी के पेट पर भी मुँह रख कर आवाज निकाली। उन्होंने कुछ नहीं कहा। फिर मैं और सरला दी माँ के साथ साथ सुधा दी के पेट से भी खेलते। माँ के साथ इस मस्ती में मेरी एक और मस्ती भी शामिल थी जो मेरी बहनो को पता नहीं था। मेरे बड़े होने के बाद माँ ने सबके सामने दूध पिलाना तो बंद कर दिया था पर अकेले में अब भी कभी कभी मुँह लगाने देती थी। ये बात मेरी बहनो को पता नहीं थी।
दरअसल हुआ ये था की एक बार मेरी तबियत काफी ज्यादा खराब थी। मुझे बहुत हाई फीवर था। उस वजह से मैं घर पर ही था पर बहने स्कूल गई थी। मैं बुखार में माँ की गोद में ही सर रख कर सोया हुआ था। बुखार के वजह से मैं एकदम बेहाल था। माँ परेशान थी। मैंने उनके गोद में सिमटा हुआ था।
तभी मैंने माँ को बोलै - माँ भूख लगी है।
माँ उठा कर जाने लगी तो मैंने उनके दूध को पकड़ कर बोला - मुझे दूधु चाहिए। माँ को ना जाने क्या सुझा उन्होंने ब्लाउज के निचे का दो बटन खोल कर अपना एक मुम्मा मेरे मुँह में दे दिया। मैं लपक कर उसे चूसने लगा। माँ के मुम्मे चूसते चूसते मुझे कब नींद आ गई पता भी नहीं चला। शाम तक मेरा बुखार भी उतर गया। रात को मैं और माँ अकेले ही सोये और माँ ने मुझे रात में भी अपने मुम्मे चूसने दिए। माँ ने मुझे ये बात बहनो को बताने से मना कर दिया था। फिर तो ये सिलसिला सा चल निकला। मैं आज भी माँ के मुम्मे पीता हूँ। बल्कि बहनो की शादी के बाद तो कोई रोक टोक नहीं है।
Mast update
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
3,098
12,653
144
ऐसा ही एक सीक्रेट मेरा सरला दीदी के साथ का है। सुधा दीदी की शादी हो चुकी थी। मुझमे सेक्स को लेकर थोड़ी बहुत जिज्ञासा तो थी पर मैं फिर भी इस मामले में बहुत अनाड़ी था। एक रात सरला दीदी अकेले अपने कमरे में थी और मैं टीवी देख रहा था। माँ अपने कमरे में सोइ हुई थी। मुझे तभी कहीं से आवाज आई और मैं डर कर सरला दीदी के कमरे में घुस गया। वहां देखा तो सरला दीदी बिस्तर पर टॉपलेस होकर लेती हुई थी। वो एक हाथ से अपने मुम्मे को दबा रही थी और एक हाथ उन्होंने अपनी चूत में डाल रखा था। उन्होंने अपना एक पैर पेंट से निकाल रखा था और पेंट उनके एक पैर पर घुटने के पास फंसा था। उनके मुँह से आहें निकल रही थी। वो पूरी तरह से मस्ती में थी। मेरे अचानक वहां पहुँचने से सरला दीदी घबरा गई पर उन्होंने ज्यादा रिएक्शन नहीं दिया। उन्होंने मुझे डांट कर बोला - क्या है भाग यहाँ से।
मैं एकदम से सन्न था। कुछ बाहर आई आवाज का डर था , कुछ जिज्ञासा और कुछ ढिढ़ाई मैं वहीँ खड़ा रहा। दीदी पूरी मस्ती में थी। लगभग स्खलित होने वाली थीं। उन्होंने जब देखा मैं नहीं जा रहा वो भी ढिढ़ाई से अपना काम करने लगीं। मेरे सामने ही वो अपनी चूत में ऊँगली किए जा रही थीं। थोड़ी ही देर में उनका पूरा शरीर कांपने लगा। उन्हें इस हालत में देख कर मैं उनके थोड़ा नज़दीक गया। उनकी ऊँगली तेजी से उनकी चूत में अंदर बाहर जा रही थी। मुझे एकदम पास देख कर उनकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर निढाल पड़े रहने के बाद उन्होंने अपना पेंट और टॉप पहन लिय। मुझसे बोली - क्या थोड़ी सी प्राइवेसी भी नहीं दे सकता। क्यों आया मेरे कमरे में ?
मैं बोला - वो बाहर एक अजीब सी आवाज आई तो मैं डर गया था। माँ सो रही थी तो तुम्हारे कमरे में भाग आया। दीदी मेरे साथ बाहर आई। उन्होंने मेरे साथ चारो तरफ देखा और मुझसे कहा कुछ नहीं है तू नाहक ही डर रहा था। फिर वो फ्रिज से पानी निकाल सोफे पर मेरे बगल में आकर बैठ गई और पीने लगी। उन्होंने मुझसे कहा - तूने मेरे कमरे में जो देखा किसी से कहेगा तो नहीं।
मैंने कहा - नहीं। पर तुम क्या कर रही थी ?
उन्होंने मुझसे कहा - मैं मास्टरबेट कर रही थी। तेरा लंड अब खड़ा होने लगना चाहिए। तू नहीं करता क्या ?
उन्होंने खुल कर लंड जैसे शब्द का इस्तेमाल किए था। मैं भी खुल कर बोला - मेरा लंड कभी कभी अजीब तरीके से टाइट हो जाता है तो मै शुशु कर आता हूँ।
दीदी ने हंस कर मेरी पप्पी ली और कहा - मेरा बच्चा।
मैं बोला - इसमें बहुत मजा आता है क्या ?
दीदी ने नशीली आवाज में कहा - बहुत, मैं बता नहीं सकती।
मैं बोला - क्या सुधा दीदी और माँ भी करती होंगी ?
दीदी - शादी से पहले सुधा दीदी तो करती थीं। पर अब तो जीजा ही उनको मजा दे देते होंगे। माँ का पता नहीं। पापा के जाने के बाद उनकी चूत में भी तो खुजली होती ही होगी। अबकी बार उन्होंने चूत शब्द का इस्तेमाल किए था। उन्होंने फिर कहा - चल सोते हैं। हम दोनों फिर माँ के बगल में आकर सो गए।
उस दिन के बाद से मैं ये गौर करने की कोशिश करता की माँ भी अपने आपको संतुष्ट करती हैं या नहीं।
और दीदी तो मुझसे शर्म नहीं करती थी। कई बार वो मेरे सामने ही अपनी पैंटी में हाथ डाल चूत में ऊँगली करने लगती थी। ये वो तभी करती जब हम दोनों अकेले में होते। पर मुझे उन्होंने अपने शरीर पर हाथ नहीं लगाने दिया। कुछ समय में उनकी भी शादी हो गई।
Mast update
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
3,098
12,653
144
उनकी शादी के बाद मैं और माँ अकेले हो गए थे। थोड़े दिनों तक घर में अकेलापन तो रहता पर कुछ ही दिनों में सब सामान्य हो गया।
सुधा दीदी की शादी पास के ही शहर में हुई थी तो वो अक्सर यहाँ चली आती थी। पर अकेला होने का ये फायदा हुआ की मैं और माँ एकदम फ्री हो गए। स्कूल से आकर खाना खाने के बाद हम दोनों सोफे पर बैठ कर टीवी देखते थे और मेरा पसंद का काम था उस समय माँ के मुम्मो से खेलना। उनकी गोद में लेटते ही मैं उनके ब्लाउज के बटन खोल देता और फिर उनके मुम्मे चूसने लगता। चूसते चूसते मैं उनके मुम्मे जोर जोर से दबाता भी था जिस पर माँ डांट कर कहती - आराम से कर। न मैं भाग रही न मेरे मुम्मे।
फिर मैं आराम से पीने लगता। कभी कभी मैं उनके गोद में सीने से चिपक कर बैठ जाता और बन्दर के बच्चे की तरह पीने लगता था। इस आसन मैं दूध कम पीता उनके मुम्मो की मालिश खूब करता। मुझे उनके बड़े बड़े निप्पल बड़े अच्छे लगते। मैं उन्हें अपनी उँगलियों में दबा कर खींचता जैसे रबड़ हों। हम दोनों एक दुसरे को किस भी करते थे। पिछले साल जब मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया था तब मेरा लंड पूर्णतया विक्सित हो चूका था। मैं मास्टरबेट भी करने लगा था। माँ के साथ लिपटा चिपटी में मेरा लंड एकदम खड़ा हो जाता तो मैं भागकर बाथरूम में चला जाता और मुठ मार लेता। माँ समझती थी। वो मुझे वापस देख कर मुस्कुराती थी। ये हम दोनों की आपस की समझ थी।
कॉलेज में मेर गर्लफ्रेंड नहीं बनी थी। ऐसा नहीं था की मैंने कोशिश नहीं की थी। एक आध लड़कियां पसंद आई पर उन्होंने मुझे रिजेक्ट कर दिया। मैंने दो तीन बार लड़कियां पटाने की और कोशिश की पर हर बार असफल ही रहा। फिर मैंने भी कोशिश छोड़ दी। घर पर माँ थी।
बल्कि एक दिन मेरे मास्टरबेट करने के बाद माँ ने टोक दिया की ये सब हरकतें करने के बजाय कोई लड़की पता लूँ। मैंने उन्हें बता दिया की कैसे मेरी कोशिश बेकार जा रही थी। मां को उस दन काफी दया आई मुझ पर और प्यार भी। उस दिन रात में माँ ने मुझे मालिश करने को बोला। मैं माँ के पैरों और कमर की मालिश करता रहता था तो कोई नई बात नहीं थी। मै तेल लेकर आया तो माँ ने कहा यहाँ नहीं बेड पर।
हम दोनों बैडरूम में पहुंच गए। माँ सीधे लेट गईं। मैंने उनके दोनों पैरो की खूब मालिश की। इस चक्कर में माँ का पेटीकोट उनके जांघो तक सिकुड़ गया था। फिर माँ ने अपने ब्लॉउस का बटन खोल कर ब्लॉउस उतार दिया और पेट के बल लेट गई। बोली - मेरे पीठ की मालिश कर दे। मैं उनके साइड में आ गया और हाथो से पीठ की मालिश करने लगा।
तभी माँ ने कहा - सुन ऐसा कर तू अपने शर्ट को उतार कर मेरे पीठ पर लेट जा। हाथो से तो दर्द नहीं जा रहा। शायद वजन पड़े तो राहत मिले।
ये सुन मैं एकदम से एक्साइट हो गया। मैंने झट से अपना टी-शर्ट उतार दिया। मैंने कहा - माँ मेरा बरमूडा खराब हो जायेगा इसे भी उतार दूँ।
माँ ने कहा - हूँह , ठीक है उतार दे। तेरा बरमुडा मुझे गड़ेगा भी नहीं।
मैं सिर्फ अंडरवियर में आ गया। अब मैंने अपने दोनों पैर माँ के दोनों तरफ कर लिया और उनके पिछवाड़े पर बैठ गया। मैंने माँ से पुछा - माँ भारी तो नहीं लग रहा न ?
माँ - नहीं जब लगेगा तो बोल दूंगी। आपको बता दूँ मेरी माँ का शरीर भरा पूरा सा था। उनके गांड उभरे उभरे गद्देदार से थे। उनके साइड में कोई चर्बी नहीं थी पर सीना भरा पूरा था। चूँकि मैं अब भी दूध पीता था। उनके मुम्मे बड़े ही होते जा रहे थे। उनका पेट निकला तो नहीं था पर भरा हुआ था। वो उतनी ही गोरी और चिकनी थी।
अब मैंने अपने शरीर को उनके शरीर पर लिटा दिया और अपना पेट और सीना उनके पीठ पर रगड़ने लगा। मैं अपने शरीर से उनके शरीर की मालिश कर रहा था। मेरे पहली बार ऐसा करते ही माँ की सिसकियाँ निकल गई। मैंने पोर्न फिल्म्स में ऐसी मालिश बहुत देखि थी। मैं एकदम वैसे ही कर रहा था। मैं कभी अपने शरीर को माँ के शरीर के निचले हिस्से से रगड़ते हुए ऊपर की तरफ ले जाता और कभी ऊपर से निचे। मां - हाँ , सही कर रहा है लाल। ऐसे ही क। अच्छा लग रहा है। दर्द कम रहा है। हम्म हम्म आह आह। रगड़ ऐसे ही रगड़।
मेरा लंड जो अपने पुरे शेप में आ गया था माँ के पिछवाड़े में अटक रहा था। मेरा लंड अब अंडरवियर के छेद से बाहर आ चूका था। मैं जब भी ऊपर जाता मेरा लंड माँ की गांड में घुसने को होता और मेरे नीचे आते ही बहार निकलता। माँ के भारी ऐस चीक्स के बीच में फंसा लंड पुरे मजे ले रहा था। कोई देखता तो यही समझता की मैं माँ की गांड मार रहा हूँ। पर मेरा लंड तो माँ के बड़े बड़े चूतड़ों के बीच फंसा हुआ था। अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था। माँ भी पूरी तरह से गरमा गई थीं। मैंने अब मालिश करना छोड़ दिया और उनके ऊपर पूरी तरह से लेट गया। माँ ने भी अपने गांड को थोड़ा फैलने दिया। अब मेरा लंड पूरी तरह से उनके गांड में फंसा था। मैंने पुरे मजे में था। और मजे लेने के लिए मैं अपने हाथ उनके निचे लेजाने लगा। मैं उनके बूब्स को दबाना चाहता था। तभी माँ ने कहा - रुक जरा। कह कर उन्होंने एक ताकिया लिया और अपने सर के पास रख लिया फिर अपने केहुनी के सहारे अपने शरीर को थोड़ा उठा लिया। अब मेरा हाथ आसानी से निचे घुस गया। मैंने माँ के मुम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा।
माँ - आह आह बड़ा आराम मिल रहा है। बहुत बढ़िया मालिश करने लगा है कहाँ से सीखा तूने। लगा रह।
मैं अब अपने हाथो से माँ के मुम्मे निचोड़ रहा था और उनकी गांड में फंसे अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था। उनका पेटीकोट तो कब का हट चूका था और मेरा लंड उनकी नंगे गांड में फंसा हुआ था।
माँ - संभाल कर ऊपर ही रहना मेरे लाल। माँ हूँ तेरी अंदर मत डाल देना।
मैं समझ गया था माँ मुझे सीधे सीधे चोदने से मना कर रही थी।
मैं - हां माँ चिंता मत कर। सिर्फ मालिश करूँगा। तेरी गांड कितनी चिकनी है। अभी तक मुझे तेरे मुम्मो से ही प्यार था पर अब तो मस्त गांड भी मजे देती है। माँ मैं ऐसे ही तेरी मालिश किए करूँगा। करवाएगी न ?
माँ - हां बेटा। तू ही तो मेरे दर्द को दूर कर सकता है। तेरा जब मन करे चढ़ कर दर्द उतार दिया कर। इससे तेरी गर्मी भी निकल जाएगी।
कब तक हाथो के सहारे लगा रहेगा। कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं बन रही तेरी
मैं - तू है न मेरी दोस्त। मेरा हर दर्द समझती है।
माँ - क्या करूँ, मैं तुझे दुखी नहीं देख सकती। पर मैं तो बूढी हो गई हूँ। दो दो लड़कियों की शादी कर चुकी मुझे क्या फ्रेंड बनाएगा कोई ढूंढ ले
मैं - कोशिश तो की माँ पर क्या करूँ। शायद ऊपर वाला भी मुझे तेरे प्यार में ही रखना चाहता है। तू ही मेरी सबकुछ है
माँ - हाँ और तू मेरा। जरा जल्दी कर। अब माँ को मेरा वजन महसूस होने लगा था। मैंने अपने झटको की स्पीड बढ़ा दी। थोड़ी ही देर में मेरे लंड ने माँ की गांड पर ही अपना पानी उड़ेल दिया। पानी निकलते ही मुझे थोड़ी शर्म सी आई और मैं उठ कर बैठ गया।
माँ ने कहा - अरे पेटीकोट से मेरे पीछे साफ़ तो कर। मैंने माँ के पेटीकोट से उनके गांड और पीठ पर लगे अपने वीर्य को पोछ दिया। माँ वैसे ही लेटी रही। मैं भी बगल में लेट गया। माँ मुझे देख रही थ। उसने मेरे बाल सहलाने शुरू कर दिया। मैं शर्मा रहा था। माँ बोली - माँ से शर्मा रहा है ? गांड में अपना माल निकाल लिया और इनको देखो शर्म आ रही है।
मैंने मुश्कुराते हुए माँ को चूम लिया। हम दोनों वैसे ही लेते लेते सो गए।
Jabardast update
 

Abhishek Kumar98

Well-Known Member
8,086
8,581
188
उनकी शादी के बाद मैं और माँ अकेले हो गए थे। थोड़े दिनों तक घर में अकेलापन तो रहता पर कुछ ही दिनों में सब सामान्य हो गया।
सुधा दीदी की शादी पास के ही शहर में हुई थी तो वो अक्सर यहाँ चली आती थी। पर अकेला होने का ये फायदा हुआ की मैं और माँ एकदम फ्री हो गए। स्कूल से आकर खाना खाने के बाद हम दोनों सोफे पर बैठ कर टीवी देखते थे और मेरा पसंद का काम था उस समय माँ के मुम्मो से खेलना। उनकी गोद में लेटते ही मैं उनके ब्लाउज के बटन खोल देता और फिर उनके मुम्मे चूसने लगता। चूसते चूसते मैं उनके मुम्मे जोर जोर से दबाता भी था जिस पर माँ डांट कर कहती - आराम से कर। न मैं भाग रही न मेरे मुम्मे।
फिर मैं आराम से पीने लगता। कभी कभी मैं उनके गोद में सीने से चिपक कर बैठ जाता और बन्दर के बच्चे की तरह पीने लगता था। इस आसन मैं दूध कम पीता उनके मुम्मो की मालिश खूब करता। मुझे उनके बड़े बड़े निप्पल बड़े अच्छे लगते। मैं उन्हें अपनी उँगलियों में दबा कर खींचता जैसे रबड़ हों। हम दोनों एक दुसरे को किस भी करते थे। पिछले साल जब मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया था तब मेरा लंड पूर्णतया विक्सित हो चूका था। मैं मास्टरबेट भी करने लगा था। माँ के साथ लिपटा चिपटी में मेरा लंड एकदम खड़ा हो जाता तो मैं भागकर बाथरूम में चला जाता और मुठ मार लेता। माँ समझती थी। वो मुझे वापस देख कर मुस्कुराती थी। ये हम दोनों की आपस की समझ थी।
कॉलेज में मेर गर्लफ्रेंड नहीं बनी थी। ऐसा नहीं था की मैंने कोशिश नहीं की थी। एक आध लड़कियां पसंद आई पर उन्होंने मुझे रिजेक्ट कर दिया। मैंने दो तीन बार लड़कियां पटाने की और कोशिश की पर हर बार असफल ही रहा। फिर मैंने भी कोशिश छोड़ दी। घर पर माँ थी।
बल्कि एक दिन मेरे मास्टरबेट करने के बाद माँ ने टोक दिया की ये सब हरकतें करने के बजाय कोई लड़की पता लूँ। मैंने उन्हें बता दिया की कैसे मेरी कोशिश बेकार जा रही थी। मां को उस दन काफी दया आई मुझ पर और प्यार भी। उस दिन रात में माँ ने मुझे मालिश करने को बोला। मैं माँ के पैरों और कमर की मालिश करता रहता था तो कोई नई बात नहीं थी। मै तेल लेकर आया तो माँ ने कहा यहाँ नहीं बेड पर।
हम दोनों बैडरूम में पहुंच गए। माँ सीधे लेट गईं। मैंने उनके दोनों पैरो की खूब मालिश की। इस चक्कर में माँ का पेटीकोट उनके जांघो तक सिकुड़ गया था। फिर माँ ने अपने ब्लॉउस का बटन खोल कर ब्लॉउस उतार दिया और पेट के बल लेट गई। बोली - मेरे पीठ की मालिश कर दे। मैं उनके साइड में आ गया और हाथो से पीठ की मालिश करने लगा।
तभी माँ ने कहा - सुन ऐसा कर तू अपने शर्ट को उतार कर मेरे पीठ पर लेट जा। हाथो से तो दर्द नहीं जा रहा। शायद वजन पड़े तो राहत मिले।
ये सुन मैं एकदम से एक्साइट हो गया। मैंने झट से अपना टी-शर्ट उतार दिया। मैंने कहा - माँ मेरा बरमूडा खराब हो जायेगा इसे भी उतार दूँ।
माँ ने कहा - हूँह , ठीक है उतार दे। तेरा बरमुडा मुझे गड़ेगा भी नहीं।
मैं सिर्फ अंडरवियर में आ गया। अब मैंने अपने दोनों पैर माँ के दोनों तरफ कर लिया और उनके पिछवाड़े पर बैठ गया। मैंने माँ से पुछा - माँ भारी तो नहीं लग रहा न ?
माँ - नहीं जब लगेगा तो बोल दूंगी। आपको बता दूँ मेरी माँ का शरीर भरा पूरा सा था। उनके गांड उभरे उभरे गद्देदार से थे। उनके साइड में कोई चर्बी नहीं थी पर सीना भरा पूरा था। चूँकि मैं अब भी दूध पीता था। उनके मुम्मे बड़े ही होते जा रहे थे। उनका पेट निकला तो नहीं था पर भरा हुआ था। वो उतनी ही गोरी और चिकनी थी।
अब मैंने अपने शरीर को उनके शरीर पर लिटा दिया और अपना पेट और सीना उनके पीठ पर रगड़ने लगा। मैं अपने शरीर से उनके शरीर की मालिश कर रहा था। मेरे पहली बार ऐसा करते ही माँ की सिसकियाँ निकल गई। मैंने पोर्न फिल्म्स में ऐसी मालिश बहुत देखि थी। मैं एकदम वैसे ही कर रहा था। मैं कभी अपने शरीर को माँ के शरीर के निचले हिस्से से रगड़ते हुए ऊपर की तरफ ले जाता और कभी ऊपर से निचे। मां - हाँ , सही कर रहा है लाल। ऐसे ही क। अच्छा लग रहा है। दर्द कम रहा है। हम्म हम्म आह आह। रगड़ ऐसे ही रगड़।
मेरा लंड जो अपने पुरे शेप में आ गया था माँ के पिछवाड़े में अटक रहा था। मेरा लंड अब अंडरवियर के छेद से बाहर आ चूका था। मैं जब भी ऊपर जाता मेरा लंड माँ की गांड में घुसने को होता और मेरे नीचे आते ही बहार निकलता। माँ के भारी ऐस चीक्स के बीच में फंसा लंड पुरे मजे ले रहा था। कोई देखता तो यही समझता की मैं माँ की गांड मार रहा हूँ। पर मेरा लंड तो माँ के बड़े बड़े चूतड़ों के बीच फंसा हुआ था। अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था। माँ भी पूरी तरह से गरमा गई थीं। मैंने अब मालिश करना छोड़ दिया और उनके ऊपर पूरी तरह से लेट गया। माँ ने भी अपने गांड को थोड़ा फैलने दिया। अब मेरा लंड पूरी तरह से उनके गांड में फंसा था। मैंने पुरे मजे में था। और मजे लेने के लिए मैं अपने हाथ उनके निचे लेजाने लगा। मैं उनके बूब्स को दबाना चाहता था। तभी माँ ने कहा - रुक जरा। कह कर उन्होंने एक ताकिया लिया और अपने सर के पास रख लिया फिर अपने केहुनी के सहारे अपने शरीर को थोड़ा उठा लिया। अब मेरा हाथ आसानी से निचे घुस गया। मैंने माँ के मुम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा।
माँ - आह आह बड़ा आराम मिल रहा है। बहुत बढ़िया मालिश करने लगा है कहाँ से सीखा तूने। लगा रह।
मैं अब अपने हाथो से माँ के मुम्मे निचोड़ रहा था और उनकी गांड में फंसे अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था। उनका पेटीकोट तो कब का हट चूका था और मेरा लंड उनकी नंगे गांड में फंसा हुआ था।
माँ - संभाल कर ऊपर ही रहना मेरे लाल। माँ हूँ तेरी अंदर मत डाल देना।
मैं समझ गया था माँ मुझे सीधे सीधे चोदने से मना कर रही थी।
मैं - हां माँ चिंता मत कर। सिर्फ मालिश करूँगा। तेरी गांड कितनी चिकनी है। अभी तक मुझे तेरे मुम्मो से ही प्यार था पर अब तो मस्त गांड भी मजे देती है। माँ मैं ऐसे ही तेरी मालिश किए करूँगा। करवाएगी न ?
माँ - हां बेटा। तू ही तो मेरे दर्द को दूर कर सकता है। तेरा जब मन करे चढ़ कर दर्द उतार दिया कर। इससे तेरी गर्मी भी निकल जाएगी।
कब तक हाथो के सहारे लगा रहेगा। कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं बन रही तेरी
मैं - तू है न मेरी दोस्त। मेरा हर दर्द समझती है।
माँ - क्या करूँ, मैं तुझे दुखी नहीं देख सकती। पर मैं तो बूढी हो गई हूँ। दो दो लड़कियों की शादी कर चुकी मुझे क्या फ्रेंड बनाएगा कोई ढूंढ ले
मैं - कोशिश तो की माँ पर क्या करूँ। शायद ऊपर वाला भी मुझे तेरे प्यार में ही रखना चाहता है। तू ही मेरी सबकुछ है
माँ - हाँ और तू मेरा। जरा जल्दी कर। अब माँ को मेरा वजन महसूस होने लगा था। मैंने अपने झटको की स्पीड बढ़ा दी। थोड़ी ही देर में मेरे लंड ने माँ की गांड पर ही अपना पानी उड़ेल दिया। पानी निकलते ही मुझे थोड़ी शर्म सी आई और मैं उठ कर बैठ गया।
माँ ने कहा - अरे पेटीकोट से मेरे पीछे साफ़ तो कर। मैंने माँ के पेटीकोट से उनके गांड और पीठ पर लगे अपने वीर्य को पोछ दिया। माँ वैसे ही लेटी रही। मैं भी बगल में लेट गया। माँ मुझे देख रही थ। उसने मेरे बाल सहलाने शुरू कर दिया। मैं शर्मा रहा था। माँ बोली - माँ से शर्मा रहा है ? गांड में अपना माल निकाल लिया और इनको देखो शर्म आ रही है।
मैंने मुश्कुराते हुए माँ को चूम लिया। हम दोनों वैसे ही लेते लेते सो गए।
Thoda dheere dheere aur seduction ke sath aage badhao aur female characters badha dena dheere dheere jyada se jyada
 

tharkiman

Active Member
758
5,500
124
कुछ दिनों बाद की बात है एक चाचा और चाची गाओं से हमारे लिए अनाज लेकर आये। उनकी लड़की यहीं गर्ल्स कॉलेज के हॉस्टल में रहकर ग्रेजुएशन कर रही थी। उसके कॉलेज में सभी लड़कियां बोर्डिंग में रहकर ही पढ़ती थी। बाहर रहने की परमिशन नहीं थी। पर पेरेंट्स आकर मिल सकते थे। चाचा चाची ने सोचा था की यहाँ आकर श्वेता से भी मिल लेंगे। दोनों घर आकर श्वेता के हॉस्टल गए और उससे मिल भी आये। मैं भी उनके साथ गया था। हम सबसे मिल कर श्वेता बहुत खुश थी। मैं उसके कॉलेज में जाकर अचम्भे में था। चारों तरफ लड़कियां ही लड़कियां। वैसे तो मेरा कॉलेज को-एड था और मेरे यहाँ भी लड़कियां थी पर यहाँ तो सिर्फ लड़कियां ही लड़कियां। हर तरह की लड़कियां। छोटी, लम्बी , दुबली मोट। किसी का सीना सपाट तो किसी के वो बड़े बड़े मुम्मे। हमें हॉस्टल जाने की परमिशन नहीं थी। कॉलेज कैंपस में गेट के पास ही ऑफिस में मिलने दिया गया।
मुझे देख कर श्वेता काफी खुश हो गई। कहा - भैया कितने बड़े हो गए हैं ।
मैंने कहा - तू भी तो बड़ी हो गई है ।
वो चाचा और चाची से बातें कर रही थी और मैं बाहर दिख रही परियों को ताड़ रहा था। चाचा थोड़ी देर बाद बाहर चले गए । मैं और चाची बैठे श्वेता से बातें कर रहे थे।
श्वेता ने मुझे ताड़ते देख कर कहा - बस कर रे। भइआ आपके कॉलेज में भी लड़कियां होंगी। मन नहीं भरता जो यहाँ देख भूखे नंगे की तरह देख रहे है।
मै खोया हुआ था। न जाने क्या हुआ मैंने जवाब दिया - अरे वहां लड़कियां हैं यहाँ तो माल है। हर तरह का माल। और सच कहूँ इन्हे देख कर नंगे हो जाने का मन करता है।
मेरा जवाब देखा कर दोनों हक्के बक्के रह गए। श्वेता ने जोर की चपत मेरे सर पर लगाई और बोला - माँ भैया कितने बिगड़ गए है। चाची को बोलना कितनी घटिया बात करते हैं । इनकी तो पिटाई होनी चाहिए।
तब मुझे अहसास हुआ की मैं क्या बोल गया। पर तीर तो कमान से निकल पड़ा था।
चाची बोलीं - जाने दे , जवान हो रहा है। लड़का है लड़कों से गलती हो जाती है।
श्वेता - माँ, अगर मैं ऐसा कुछ बोल दूँ या कुछ गलत हरकत कर जाऊं तो तू तब भी मुझे माफ़ कर देगी।
चाची - भाई बालिग़ हो गई हो। मर्जी से जो करो। बस जो करो उसके लिए जिमेदार तुम ही होगी। बस प्रेग्नेंट मत हो जाना।
श्वेता और मैं चाची की बात सुन कर दांग थे। गाओं में रहने वाली इतनी खुले दिमाग की हो सकती है ये उम्मीद नहीं थी।
श्वेता - माँ आप निश्चिन्त रहो। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करुँगी। और जो भी करुँगी अपने होश में करुँगी आपको बता कर करुँगी। मेरी अच्छी माँ आपसे कुछ भी नहीं छुपाउंगी। पर इन भाई साहब पर भरोसा नहीं। ताऊ जी इतने अच्छे थे कहाँ से नालायक पैदा किया है।
मुझे सुन कर गुस्सा आ गया। मैंने कहा - बताऊँ कहाँ से पैदा किया है ?
चाची - बस करो लड़ना झगड़ना। वैसे भी तुझसे बड़ा है ये।
श्वेता - थोड़े ही तो बड़े हैं। और सिर्फ उम्र में बड़े हैं। कॉलेज में सेम ईयर में हैं।
मैं - न न तू तो मुझसे सीनियर है।
तभी चाचा आ गए। बोले - लड़ना , झगड़ना हो गया हो तो चलें।
निकलने से पहले दोनों हॉस्टल के वार्डन से मिले और मेरा परिचय करवा दिया। उन्होंने इस बात की परमिशन ले ली की कभी कभी श्वेता हमारे घर आ सकती है और मुझे अंदर आने की परमिशन भी कभी कभी मिल जाए ताकि घर का खाना पहुंचा सके।
अगले दिन चाचा गाओं चले गए। माँ ने चाची को रोक लिया था। कहा - हम दोनों सुधा और सरला के बाद से अकेले रह गए हैं। रह जाएँगी तो थोड़ा मन लग जायेगा। चाचा मान गए। उनके खेत में काम करने वाला एक परिवार वहीँ उनके घर में काम के लिए ही रहता था। तो खाने की दिक्कत नहीं थी। चाची ने कहा थोड़ी शॉपिंग भी कर लेंगी और श्वेता से एक आध बार और मिल लेंगी। माँ ने कहा उसे किसी दिन घर भी ले आएंगे।
चाची ने दुसरे ही दिन ताड़ लिया की माँ के अंदर बदलाव है। मुझसे नजदीकियां बढ़ने की वजह से वो खुश रहने लगी हैं। चेहरे में निखार भी आ गया है। मैं तो खैर सबका दुलारा था। सबके सामने माँ से लिपटता चिपटता था फिर भी अब मेरी हरकतों में थोड़ी वासना जुड़ चुकी थी। चाची ने गौर कर लिया था की मैं माँ को किस नज़रों से देखता हूँ।
एक दिन रात में खाना बताते समय चाची ने माँ से पूछ ही लिया - दीदी बड़ा निखर गई हो। लगता है प्यार हो गया है किसी से।
माँ - क्या रे छोटी , मुझ बुढ़िया से प्यार ? प्यार तो राज के पापा करते थे। उनके जाने के बाद तो अकेली रह गईं हूँ
चाची - अकेली कहा राज है न। अब तो वो भी बड़ा हो गया है
माँ - हाँ वही तो एक सहारा है। वो है तो मन लगा रहता है।
चाची - लगता है बहुत प्यार करता है तुमसे
माँ ने चाची की तरफ देखा उनके सवाल को समाजः तो गईं पर बोली - क्या मतलब है तेरा? बेटा है प्यार तो करेगा ही।
चाची - हाँ काश मेरा भी एक बेटा होता ऐसे ही प्यार करता।
माँ समझ गई चाची को शक है। पर चाची से कोई ख़ास परदा नहीं था। दोनों शुरू से सखी जैसी ही थी।
माँ बोली - कर ले एक बेटा। अभी तेरी उम्र ही क्या है। गाओं में वो फुलिया है न अब तक तो बच्चे पैदा कर रही है। पिछले साल ही तो उसकी बहु और उसने एक साथ बच्चा पैदा किया है। बहु को लड़की हुई और फ़ुलिआ ने तो लड़का जन दिया।
चाची - फुलिया की बात तो मत ही करो। पता नहीं किसका किसका पैदा कर रही है। उसके पति तो दिन भर नशे में रहते हैं। वो तो भला हो लड़के मेहनती हैं और घर में अनाज और पैसो की कमी नहीं रखते वार्ना इतने बच्चे कैसे सम्भले। सब अपने भाई को बच्चे जैसे ही पालते हैं।
माँ - कहीं उनके ही तो नहीं।
चाची - हाँ जिज्जी , फुलिया के दोनों लौंडे माँ के आजु बाजू ही तो रहते हैं। महारानी की तरह रहती है।। सुनते तो हैं बहुएं दासी की तरह हैं। दोनों बेटे जब मन करता है उनके पास रहते हैं नहीं तो माँ के पास।
माँ और चाची हंसने लगी। माँ बोली - तो क्या विचार है। अगले साल श्वेता के लिए भाई ला रही हो।
चाची - जिज्जी , ऐसे साधु से पला पड़ा है पूछो मत। मेरे पास तो कभी कभी आते हैं। मेरा मन भी करता है तो कहते हैं उम्र का लिहाज करो। अब बताओ भला क्या ही उम्र हुई है मेरी।
माँ - ओह्ह , कहीं कोई चक्कर तो नहीं
चाची - क्या पता। पर लगता नहीं है। अरे जो मन में आये वो करे पर मुझे खुश रखे , पर ससुरे से कुछ होता नहीं है।
माँ हँसते हुए बोली - ससुर होते तो तेरा काम हो जाता। अरे इतने लोग खेतों में काम पर लगा रखा है। किसी से अपने खेत की जुताई करवा ले। चलवा ले किसी का हल अपने ऊपर भी। फिर माँ हंस दी।
चाची - जिज्जीीीी। आप भी न। कितनी बदनामी होगी। इतनी इज्जत गाओं में है अब मजदुर ही बचे हैं इन सब के लिए। आपका बढ़िया है। बेटा ख्याल रख रहा है मेरा मजाक उड़ा रही हो।
माँ - राज तेरा भी तो बेटा है। रखवा ले ख्याल। मैंने तो जना है। कोख से पैदा किया है कुछ सीमाएं हैं। तेरा क्या पटा ले उसे।
चाची - तो मैं जो सोच रही थी सही है ?
माँ - तुझसे क्या छुपाना। लड़का जवान है। इधर उधर मुँह मारेगा ही। मैंने तो कहा की कोई पटा ले पर बेचारा अकेला ही है। बस कभी कभी बदन दबवा लेती हूँ। लड़का उससे ही खुश हो जाता है। वैसे भी बेटे से बदन दबवाने में कैसी शर्म। सुधा और सरला के बाद वही तो रहता है हमेशा मेरे साथ। माँ ने थोड़ा हिंट भी दे दिया और काफी कुछ छुपा भी लिया।
चाची - हाँ , आज श्वेता के कॉलेज में भी मुँह फाड़ लड़कियां देख रहा था। लग रहा था कोई न्योता दे दे तो चढ़ ही जाये।
माँ - इस उम्र में लड़की न मिले तो घायल शेर ही होते हैं। चढ़ा ले अपने ऊपर। मेरे बेटे की गर्मी भी निकल जाएगी। क्या पता बहार फिर काम मुँह मारे।
चाची - तुम्ही काहे नहीं दे देती।
माँ - मेरा अपना है वो तू भी कैसी बात करती है।
चाची - अगर मेरा होता तो चढ़ा लेती ?
माँ थोड़ी देर चुप रही फिर बोली - तुझे क्या पता कैसे अकेले रात काटती हूँ। भरी जवानी में अकेली हो गई। अंदर की आग बस जलती है और खुद ही बुझ जाती है।
चाची खामोश हो गईं। माँ के मन में ना जाने क्या था रात खाना खाने के बाद टीवी देखते समय बोली - सर दर्द कर रहा है।
मैं आदतन बोल पड़ा - मालिश कर दूँ
चाची बोलीं - मैं कर देती हूँ। जब मैं चली जाउंगी तो सर दबाना या मालीश करना या उनके ऊपर चढ़ जान। पर अभी मुझे करने दे।
मैं शर्मा गया और तेल लेकर दे दिया।
अब माँ सोफे के पास निचे बैठी थी और चाची उनके सोफे पर बैठ कर उनके सर पर तेल रख कर चम्पी करने लगीं। थोड़ी देर सर दबाने के बाद चाची ने माँ के कंधे और गर्दन की मालिश शुरू कर दी। माँ की साडी का पल्लू उन्होंने हटा दिया था। खुद भी चुकी झुक रही थी तो उनका पल्लू बार बार गिर जा रहा था। पल्लू की गिरते ही उनके बड़े बड़े मुम्मे साइड से लटक जाते। मेरे लिए नज़ारा बढ़िया था। दो दो भरी भरी बदन वाली सामने थी। माँ के मुम्मे मैंने चूस चूस कर और दबा दबा कर बड़े कर दिए थे। चाची के भी ठीक साइज के थे पर उतने बड़े नहीं थे। मुझे देख कर चाची अपने पल्लू ठीक भी कर लेती थी पर बार बार माँ के चेहरे पर गिर रहे थे।
माँ बोली - अरे हटा दे न पल्लू कौन सा ऐसा माल छुपाना है जो बार पल्लू ले रही हो।
चाची - माल तो आपका है। लगता है बढ़िया सेवा होती है। आपको तो सेवादार से छुपाना ही नहीं है। बड़े करने में उसी का हाथ है।
माँ - तेरे भी तो बड़े हैं। और बड़े करवाने हैं तो करा ले सेवा।
चाची - मेरे कहाँ आपके जितने बड़े।
तभी माँ मेरे से बोल पड़ी - राज ये बता चाची के मुम्मे बड़े नहीं हैं क्या ? मेरे ज्यादा बड़े हैं या उनके ?
चाची भी माँ के खेल में शामिल हो गईं। उन्होंने अपना पल्लू पूरा हटा लिया और पुछा - देख बता किसके ज्यादा बड़े हैं। मुझे तो जिज्जी के ज्यादा बड़े लगते हैं। तूने काफी साल तक उनका दूध पिया है।
माँ - हां बता।
मुझे अब मजा आने लगा था मै पहले तो माँ से डर रहा था पर लगा की उनके मन में कुछ है तभी ये ड्रामा हो रहा है।
मैंने शर्माते हुए कहा - दोनों के मुम्मे सुन्दर हैं और बड़े हैं।
चाची - पर जिज्जी के बड़े है न।
मैंने जान बुझ कर कहा - ऐसे कैसे पता चलेगा।
माँ - तो कैसे पता चलेगा। इंची टेप लेकर आ। नाप ही ले।
मैं भाग कर बेडरूम से इंच टेप लेकर आया। देखा तो दोनों साडी उतार कर सिर्फ ब्लॉउस और पेटीकोट में थीं।
मैंने सबसे पहले इंच टेप लिया और माँ के सीने का बूब्स के निचे का साइज लिया। उनका साइज ४४ निकल आया। फिर मैंने उनके ब्लाउज के ऊपर से ही बूब्स के ऊपर से साइज लिया सीने से लगभग ६ इंच ज्यादा था इ साइज़।
फिर मैं चाची के पास पहुंचा उनका साइज लेते समय मेरे हाथ कांप रहे थे। मैं थोड़ा घबराया सा था। माँ और बहनो के अलावा किसी के इतने नज़दीक नहीं आया था मैं।
चाची - अरे घबरा क्यों रहा है। सही से ले वर्ण साइज गड़बड़ आएगी।
मैंने उनके सीने का नाप लिया साइज ४२ था। अब बारी मुम्मो के ऊपर से लेने की थी।
माँ ने कहा - ठीक से लेना। मेरी जैसे ली वैसे ही। डर मत।
मैंने टेप उनके मुम्मो के ऊपर से लगाया और साइज लिया सीने से ५ इंच ज्यादा थे। डी साइज।
चाची फिर से बोली - अरे आराम से ले। ठीक से ले।
मैंने भी देर तक नाप लिया और उस चक्कर में उनके मुम्मे खूब छुए। माँ चाची को देख कर मुश्कुरा रही थी। चाची की धड़कने थोड़ी बढ़ गईं थी। उनके शरीर को शादी के बाद पहली बार चाचा के अलावा कोई छू रहा था। वो भी एक जवान मर्द।
खैर नपाई पूरी हुई। मैंने नाप बताया तो चाची उदास होकर बोली - देख लिया मैं न कहती थी आपके बड़े हैं।
 
Last edited:

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
4,517
4,679
143
उनकी शादी के बाद मैं और माँ अकेले हो गए थे। थोड़े दिनों तक घर में अकेलापन तो रहता पर कुछ ही दिनों में सब सामान्य हो गया।
सुधा दीदी की शादी पास के ही शहर में हुई थी तो वो अक्सर यहाँ चली आती थी। पर अकेला होने का ये फायदा हुआ की मैं और माँ एकदम फ्री हो गए। स्कूल से आकर खाना खाने के बाद हम दोनों सोफे पर बैठ कर टीवी देखते थे और मेरा पसंद का काम था उस समय माँ के मुम्मो से खेलना। उनकी गोद में लेटते ही मैं उनके ब्लाउज के बटन खोल देता और फिर उनके मुम्मे चूसने लगता। चूसते चूसते मैं उनके मुम्मे जोर जोर से दबाता भी था जिस पर माँ डांट कर कहती - आराम से कर। न मैं भाग रही न मेरे मुम्मे।
फिर मैं आराम से पीने लगता। कभी कभी मैं उनके गोद में सीने से चिपक कर बैठ जाता और बन्दर के बच्चे की तरह पीने लगता था। इस आसन मैं दूध कम पीता उनके मुम्मो की मालिश खूब करता। मुझे उनके बड़े बड़े निप्पल बड़े अच्छे लगते। मैं उन्हें अपनी उँगलियों में दबा कर खींचता जैसे रबड़ हों। हम दोनों एक दुसरे को किस भी करते थे। पिछले साल जब मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया था तब मेरा लंड पूर्णतया विक्सित हो चूका था। मैं मास्टरबेट भी करने लगा था। माँ के साथ लिपटा चिपटी में मेरा लंड एकदम खड़ा हो जाता तो मैं भागकर बाथरूम में चला जाता और मुठ मार लेता। माँ समझती थी। वो मुझे वापस देख कर मुस्कुराती थी। ये हम दोनों की आपस की समझ थी।
कॉलेज में मेर गर्लफ्रेंड नहीं बनी थी। ऐसा नहीं था की मैंने कोशिश नहीं की थी। एक आध लड़कियां पसंद आई पर उन्होंने मुझे रिजेक्ट कर दिया। मैंने दो तीन बार लड़कियां पटाने की और कोशिश की पर हर बार असफल ही रहा। फिर मैंने भी कोशिश छोड़ दी। घर पर माँ थी।
बल्कि एक दिन मेरे मास्टरबेट करने के बाद माँ ने टोक दिया की ये सब हरकतें करने के बजाय कोई लड़की पता लूँ। मैंने उन्हें बता दिया की कैसे मेरी कोशिश बेकार जा रही थी। मां को उस दन काफी दया आई मुझ पर और प्यार भी। उस दिन रात में माँ ने मुझे मालिश करने को बोला। मैं माँ के पैरों और कमर की मालिश करता रहता था तो कोई नई बात नहीं थी। मै तेल लेकर आया तो माँ ने कहा यहाँ नहीं बेड पर।
हम दोनों बैडरूम में पहुंच गए। माँ सीधे लेट गईं। मैंने उनके दोनों पैरो की खूब मालिश की। इस चक्कर में माँ का पेटीकोट उनके जांघो तक सिकुड़ गया था। फिर माँ ने अपने ब्लॉउस का बटन खोल कर ब्लॉउस उतार दिया और पेट के बल लेट गई। बोली - मेरे पीठ की मालिश कर दे। मैं उनके साइड में आ गया और हाथो से पीठ की मालिश करने लगा।
तभी माँ ने कहा - सुन ऐसा कर तू अपने शर्ट को उतार कर मेरे पीठ पर लेट जा। हाथो से तो दर्द नहीं जा रहा। शायद वजन पड़े तो राहत मिले।
ये सुन मैं एकदम से एक्साइट हो गया। मैंने झट से अपना टी-शर्ट उतार दिया। मैंने कहा - माँ मेरा बरमूडा खराब हो जायेगा इसे भी उतार दूँ।
माँ ने कहा - हूँह , ठीक है उतार दे। तेरा बरमुडा मुझे गड़ेगा भी नहीं।
मैं सिर्फ अंडरवियर में आ गया। अब मैंने अपने दोनों पैर माँ के दोनों तरफ कर लिया और उनके पिछवाड़े पर बैठ गया। मैंने माँ से पुछा - माँ भारी तो नहीं लग रहा न ?
माँ - नहीं जब लगेगा तो बोल दूंगी। आपको बता दूँ मेरी माँ का शरीर भरा पूरा सा था। उनके गांड उभरे उभरे गद्देदार से थे। उनके साइड में कोई चर्बी नहीं थी पर सीना भरा पूरा था। चूँकि मैं अब भी दूध पीता था। उनके मुम्मे बड़े ही होते जा रहे थे। उनका पेट निकला तो नहीं था पर भरा हुआ था। वो उतनी ही गोरी और चिकनी थी।
अब मैंने अपने शरीर को उनके शरीर पर लिटा दिया और अपना पेट और सीना उनके पीठ पर रगड़ने लगा। मैं अपने शरीर से उनके शरीर की मालिश कर रहा था। मेरे पहली बार ऐसा करते ही माँ की सिसकियाँ निकल गई। मैंने पोर्न फिल्म्स में ऐसी मालिश बहुत देखि थी। मैं एकदम वैसे ही कर रहा था। मैं कभी अपने शरीर को माँ के शरीर के निचले हिस्से से रगड़ते हुए ऊपर की तरफ ले जाता और कभी ऊपर से निचे। मां - हाँ , सही कर रहा है लाल। ऐसे ही क। अच्छा लग रहा है। दर्द कम रहा है। हम्म हम्म आह आह। रगड़ ऐसे ही रगड़।
मेरा लंड जो अपने पुरे शेप में आ गया था माँ के पिछवाड़े में अटक रहा था। मेरा लंड अब अंडरवियर के छेद से बाहर आ चूका था। मैं जब भी ऊपर जाता मेरा लंड माँ की गांड में घुसने को होता और मेरे नीचे आते ही बहार निकलता। माँ के भारी ऐस चीक्स के बीच में फंसा लंड पुरे मजे ले रहा था। कोई देखता तो यही समझता की मैं माँ की गांड मार रहा हूँ। पर मेरा लंड तो माँ के बड़े बड़े चूतड़ों के बीच फंसा हुआ था। अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था। माँ भी पूरी तरह से गरमा गई थीं। मैंने अब मालिश करना छोड़ दिया और उनके ऊपर पूरी तरह से लेट गया। माँ ने भी अपने गांड को थोड़ा फैलने दिया। अब मेरा लंड पूरी तरह से उनके गांड में फंसा था। मैंने पुरे मजे में था। और मजे लेने के लिए मैं अपने हाथ उनके निचे लेजाने लगा। मैं उनके बूब्स को दबाना चाहता था। तभी माँ ने कहा - रुक जरा। कह कर उन्होंने एक ताकिया लिया और अपने सर के पास रख लिया फिर अपने केहुनी के सहारे अपने शरीर को थोड़ा उठा लिया। अब मेरा हाथ आसानी से निचे घुस गया। मैंने माँ के मुम्मे पकड़ लिए और दबाने लगा।
माँ - आह आह बड़ा आराम मिल रहा है। बहुत बढ़िया मालिश करने लगा है कहाँ से सीखा तूने। लगा रह।
मैं अब अपने हाथो से माँ के मुम्मे निचोड़ रहा था और उनकी गांड में फंसे अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था। उनका पेटीकोट तो कब का हट चूका था और मेरा लंड उनकी नंगे गांड में फंसा हुआ था।
माँ - संभाल कर ऊपर ही रहना मेरे लाल। माँ हूँ तेरी अंदर मत डाल देना।
मैं समझ गया था माँ मुझे सीधे सीधे चोदने से मना कर रही थी।
मैं - हां माँ चिंता मत कर। सिर्फ मालिश करूँगा। तेरी गांड कितनी चिकनी है। अभी तक मुझे तेरे मुम्मो से ही प्यार था पर अब तो मस्त गांड भी मजे देती है। माँ मैं ऐसे ही तेरी मालिश किए करूँगा। करवाएगी न ?
माँ - हां बेटा। तू ही तो मेरे दर्द को दूर कर सकता है। तेरा जब मन करे चढ़ कर दर्द उतार दिया कर। इससे तेरी गर्मी भी निकल जाएगी।
कब तक हाथो के सहारे लगा रहेगा। कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं बन रही तेरी
मैं - तू है न मेरी दोस्त। मेरा हर दर्द समझती है।
माँ - क्या करूँ, मैं तुझे दुखी नहीं देख सकती। पर मैं तो बूढी हो गई हूँ। दो दो लड़कियों की शादी कर चुकी मुझे क्या फ्रेंड बनाएगा कोई ढूंढ ले
मैं - कोशिश तो की माँ पर क्या करूँ। शायद ऊपर वाला भी मुझे तेरे प्यार में ही रखना चाहता है। तू ही मेरी सबकुछ है
माँ - हाँ और तू मेरा। जरा जल्दी कर। अब माँ को मेरा वजन महसूस होने लगा था। मैंने अपने झटको की स्पीड बढ़ा दी। थोड़ी ही देर में मेरे लंड ने माँ की गांड पर ही अपना पानी उड़ेल दिया। पानी निकलते ही मुझे थोड़ी शर्म सी आई और मैं उठ कर बैठ गया।
माँ ने कहा - अरे पेटीकोट से मेरे पीछे साफ़ तो कर। मैंने माँ के पेटीकोट से उनके गांड और पीठ पर लगे अपने वीर्य को पोछ दिया। माँ वैसे ही लेटी रही। मैं भी बगल में लेट गया। माँ मुझे देख रही थ। उसने मेरे बाल सहलाने शुरू कर दिया। मैं शर्मा रहा था। माँ बोली - माँ से शर्मा रहा है ? गांड में अपना माल निकाल लिया और इनको देखो शर्म आ रही है।
मैंने मुश्कुराते हुए माँ को चूम लिया। हम दोनों वैसे ही लेते लेते सो गए।
Erotic update.
 
  • Like
Reactions: Deep ak
Top