Kahani romanchak aur rochak hai. Mast mazedaar. Pratiksha agle rasprad update ki
Super waiting next update and add gifsमैंने कहा - चाची आपके दुद्दू भी सुन्दर हैं।
चाची - हाँ माँ के तो तूने चूस चूस के और बड़े कर दिए हैं।
न जाने फिर माँ के मन में क्या आया वो बोली - सही कर रहा है। इसके सुन्दर और गोल भी है। चल जरा गोलाई नाप।
चाची बोली - जाने दो न फैसला हो तो गया है।
माँ- ना अब नाप ही रहा है तो ठीक से नपे। कह कर माँ चाची के ब्लाउज का हुक खोलने लगी। कुछ क्षण तो चाची ने ना नुकुर की फिर उन्होंने माँ को अपने हुक खोलने दिया और खुद माँ के ब्लॉउस का हुक खोल दिया। दोनों ने एक दुसरे के ब्लाउज को उतार दिया।
अब दो टॉपलेस अप्सराएं मेरी तरफ मुँह करके खड़ी थी और अपने मुम्मे दबवाने के लिए तैयार थीं। दबवाना ही तो था नाप जोख तो एक बहाना था। ना जाने दोनों क्या सोच कर रखीं थी।
मैं दोनों को देख रहा था। माँ के बड़े बड़े बूब्स के सामने चाची के बूब्स थोड़े छोटे थे। पर माँ सही कह रही थी। चाची अब भी पुरे शेप में थी। गाओं का काम काजू शरीर था। भरे भरे गोल चुचे थोड़े से भी नहीं लटके थे। वैसे तो वो भी माँ की तरह ब्रा नहीं पहनती थी। पर उनके चुचे अब भी पुरे तने हुए थे। निप्पल माँ से छोटे थे पर गहरे काले थे। उनके ओरोला की गोलाई माँ के लगभग बराबर ही थी।
पर माँ तो कमाल थी या यूँ कहें माल थी। मुम्मे मस्त बड़े बड़े। बिना ब्रा के ऐसे हिलते थे जैसे भूकंप ला दें। कम से कम मेरे दिल में तो ला ही देती थी। वैसे तो वो मेरे सामने टॉपलेस होने में संकोच नहीं करती थी पर आज गजब ही ढा रही थी। उनके निप्पल एक इंच से भी ज्यादा। जैसे गाय का थन । मैंने ही चूस चूस कर निकाले थे। जैसे कोई सितार भी बजा सकता हो। एक कपडे का क्लिप आराम से लटक सकता था।
मेरा सबसे पसंदीदा काम माँ को चौपाया बना कर बछड़े जैसे उनके दूध पीना था। उसके बाद मैं ग्वाला बन कर उन्हें दूहता था। इस लिए उनके मुम्मे थोड़े लटक भी गए थे और निप्पल भी लम्बे बड़े हो गए थे। एक बार जब सरला दी की शादी नहीं हुई थी तभी की बात है मैं माँ के कमरे में सोया था और रात में उन्होंने मुझे दुध पिलाया था। माँ सुबह जब उठी तो उन्होंने ब्लाउज का ऊपर का हुक गलती से खुला छोड़ दिया था। सरला दीदी जब उठ कर किचन में गई और माँ की हालत देख कर बोली - अरे मेरी माँ कितना लटक गए हैं तेरे मुम्मे। ब्रा पहना करो शेप में रहेंगे। लटक गए हैं जैसे पेड़ से पका हुआ कटहल लटका है।
माँ - अरे मुझ बुढ़िया के अब नहीं लटकेंगे तो कब लटकेंगे। क्या शेप में रहना। तुम सही ढंग से रहो सही साइज की ब्रा पहनो अभी शादी होनी है तुम्हारी। तुम भी तो अक्सर बिना ब्रा के घूमती हो।
सरला दी - पर मेरे लटके तो नहीं है।
माँ - शादी हो जाने दे फिर तेरा मियां दबा दबा कर बड़ा कर देगा। बाद में बच्चे पैदा होने के बाद बाप और बच्चा दोनों खींच खींच कर लटका देंगे।
सरला दी - जैसे तुम्हारा बच्चा खींच खींच कर बड़ा कर रहा है।
माँ - चुप। कुछ भी मन में आये तो बोलती है।
खैर वर्तमान पर आते हैं। मेरे हाथ में इंची टेप और सामने दो जोड़ी मुम्मे। देख कर मेरा लौड़ा पैजामे से बाहर आने को तैयार था। मुझे समझ नहीं आ रहा था की लंड एडजस्ट करूँ या फिर नपाई करूँ।
चाची तभी माँ के मुम्मे और निप्पल देख कर बोलीं - क्या दुधारू गाय जैसे मुम्मे हैं तूम्हारे । लगता है जैसे कोई रोज दुहता हो तुम्हे। जाने दो नपवाना क्या। इसमें भी तुम्ही जीतोगी।
माँ - अब खोल दिया है तो नपवा भी ले। मन करे तो दुहवा भी ले। चल राज नाप ले।
मैंने माँ के मुम्मो का नाप लिया। पहले एक का फिर दुसरे का। माँ भी अपने स्तन पकड़ कर बड़े मन से नपवा रही थी।
फिर मैंने चाची की तरफ रुख किया। चाची ने भी अपने हाथो से पहले एक स्तन सामने किया और मैंने उसका नाप लिया फिर दुसरे का। इस चक्कर में मैंने उनके मुम्मे खूब दबाये। उनके चूचक एकदम खड़े हो गए थे।
माँ ने कहा - नाप ही रहा है तो चूचक भी नाप। मैंने तब चाची के निप्पल पकडे और उन्हें खींचा। वो पहले से टाइट थे खड़े थे पर मैंने जान बूझकर उनको और ताना। इस पर चाची की सिसकारी निकल गई। उनके दोनों चुचकों को मैंने खूब निचोड़ा। फिर माँ के चुचकों को खींचा , निचोड़ा और नापा। नपाई में तो चाची हार गई थी पर उनके हार जीत की खेल में मेरा बुरा हाल था। मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को काबू किया था। मन कर रहा था निचोड़ दू उनको। पी जाऊं उनके मुम्मे।
तभी माँ ने कहा - छोटी , दुहवाना भी है क्या ? देख सामने लार टपकाये खड़ा है। जब तक है यहाँ पीला दे इसे दबवा ले इससे। तेरे भी बड़े हो जायेंगे।
चाची ने खुद पर संयम रखते हुए कहा - क्या बोलती हो जिज्जी। जाने दो। चलो तुम्हारी पीठ की मालिश कर दू। दर्द भाग जायेगा।
माँ - तू भी अपनी करवा ले। राज बहुत बढ़िया मालिश करता है।
चाची बोली - देखूंगी।
माँ - अरे साथ में करवाते हैं न। तू मेरी पीठ पर मालिश कर दे। वो तेरी कर देगा।
मैं एकदम से तैयार हो गया बोला - हाँ हाँ चाची तुम भी तो थकी होगी। गाओं में इतना काम होता होगा। यहाँ हो जब तक मस्ती करो
फिर माँ वापस बैठ गईं। उन्होंने अपना सर सेण्टर टेबल पर रख दिया और चाची उनके पीछे बैठ गईं और उनके पीठ को दबाने लगी।
फिर मैं चाची के पीछे सोफे पर। हम एक दुसरे के पीछे रेलगाड़ी की तरह थे। चाची माँ के पीठ पर हाथ मसल रही थी और मैंने अपने हाथ में तेल लेकर चाची को लगाना शुरू किया। अब मैं चाची की पीछे से रगड़ता , चाची माँ को। एक लय में पीठ की मालिश हो रही थी।
माँ सिसकियाँ लेते हुए - छोटी अच्छा लग रहा है न ? राज अच्छे से दबा तो रहा है न।
चाची - हाँ जिज्जी , आह। बढ़िया दबाता है राज। अब समझ आ रहा है की आप इतना खुश क्यों रहती हैं।
माँ - अभी तो बस पीठ दबवा कर कह रही है। बोल दूँ उसे तेरे सीने का भी बोझ हल्का करने को। आह आह अह्ह्ह्ह मेरे जैसे बना देगा।
चाची - अब तो सब सामने है जिज्जी। सब उसके हवाले है। कर ले जैसा करना चाहे।
मै तुरंत सोफे से उतर कर चाची के पास निचे बैठ गया और अपने हाथो जो उनके मुम्मे पर ले गया। जैसे ही मेरे हाथ उनके मुम्मो पर लगे चाची ने जोर की सिसकारी ली - जीजीईईईई , आह आह आह। रआआआआज। दबा दे मेरे लाल।
मुझे तो बस इजाजत मिलनी थी मैं अब पीछे से चाची के मुम्मे दबा रहा था। चाची ने माँ के मुम्मे दबाने शुरू कर दिए। मैंने हिम्मत करके चाची के कान के लबों को चूम लिया। चाची - स्स्स्सस्स्स्स रआआआआज , जान लेगा क्या। क्या करता है।
मैं कहाँ रुकने वाला था मैंने ताबड़तोड़ चाची के गर्दन और पीठ पर दाए बाए चूमने लगा। मेरे हाथ उनके मुम्मो पर कमाल कर रहे थे और मेरे होठ उनके पीछे। अब मुझसे उंकड़ू नहीं बैठा जा रहा थ। मैंने अपने दोनों पैर फैला दिए और माँ और चाची दोनों को दोनों तरफ से घेर लिए। अब मेरा लंड पैजामे के ऊपर से ही चाची की गांड पर लग रहा था। उन्होंने पेटीकोट के नीचे पैंटी नहीं पहनी थी। मैंने वैसे भी घर में पैजामे की नीचे अंडरवियर नहीं पहनता था। अब मेरा लंड भी हमलावार होकर चाची के पीछे पद गया था।
चाची - स्स्स्सस्स्स्स , आह आह आह , जिज्जी राज तो बड़ा हो गया है।
माँ- हाँ काफी बड़ा हो गया है। राजेश से बड़ा या छोटा।
वो दोनों मेरे लंड की बात कर रही थी।
चाची - इनका तो कुछ भी नहीं है इसके सामने मेरा लाल बहुत बड़ा है।
माँ अब पलट गई और चाची के सामने मुँह करके बैठ गई। चाची हम दोनों के बीच में सैंडविच बन गई। माँ ने आगे से चाची को दबाया और मुझसे कहा - दबा रे राज पीछे से अपनी चाची को। दूर कर दे इसका दर्द।
मैं - माँ इनका दर्द ऐसे नहीं जायेगा। इनको गोद में बिठा कर झूला झूला दूंगा तो हलकी हो जाएँगी
माँ - क्यों री छोटी , झुलेगी मेरे लाल का झूला। बेचारा अब तक किसी को अपने ऊपर सवारी नहीं करवाया है। कर ले। देख कितना अकड़ गया है।
चाची - दीदी तुम ही क्यों नहीं झूल जाती। पहला हक़ तो तुम्हारा है। क्यों रे राज लेगा माँ की। करवाएगा उनको जन्नत की सैर।
मुझे इन दोनों के खेल पर अब गुस्सा आने लगा था। मैं उनके निप्पल जोर से खींचते हुए बोल पड़ा - रंडीबाजी बंद करो तुम दोनों। मेरे लंड का हाल देखो। उसे अब चूत चाहिए किसी का भी मिले। माँ की तो ले ही लूंगा अभी तुम्ही दे दो। छिनरईबंद करो और आ जाओ मेरे लंड पर।
कह कर मैंने अपने दोनों हाथ पीछे से चाची के जांघो पर लगाया और उन्हें उठा लिया। उठाते ही वो सीधे मेरे लंड पर गिरी।
चाची - अबे मादरचोद गांड फाड़ डाला तूने तो चूत में डालना था न।
माँ ने मेरे लंड को सीधा किया और चाची की चूत को उस पर सेट कर दिया। चाची अब उस पर बैठने लगी।
बोली - कितना लम्बा है रे। पूरा कैसे लुंगी।
कह कर आधे से ही ऊपर नीचे करने लगी। स्थिति ये थी की मैं सोफे का सहारा लेकर टाँगे फैलाये बैठा था। चाची की पीठ मेरी तरफ था और मेरा लंड उनके चूत में गपागप जा रहा था।
माँ चाची के बलाग में बैठ कर उनके क्लीट को मसले जा रही थी। बीच बीच में वो मेरे बॉल्स भी सहला रही थी। चाची पुरे मस्ती में थी।
बड़बड़ा रही थी - मादरचोद , ले ली न मेरी। माँ की नहीं ले पाया तो चाची की ले ली। चाचीचोद बन गया है तू। मेरी चूत की आग बुझे दे मेरे लाल। आह आह आह रआआआआज क्या मस्त चोदता है रे तू। जिज्जीि मेरी बहना कैसा लंडा पैदा किया है। घोड़े जैसा है। किसी भी चूत को दीवाना बना देगा ये तो।
माँ - अब पता चला तेरे को। राज पेल दे जोर से पेल। आग बुझा दे इस रंडी की। बना ले अपना गुलाम
चाची - इस लौड़े का तो कोई भी गुलाम हो जायेगा।
अब चाची को मैंने ऊपर उठा कर सेण्टर टेबल पर टिका दिया। चाची के मुम्मे अब एकदम गाय के थान की तरह लटक रहे थे। मेरा लंड अब भी उनकी चूत में था। मैंने थोड़ा झुक कर उनके मुम्मे पकड़ लिए और अपने लंड को उनकी चूत में पिस्टन की तरह चलाने लगा।
मेरे हर धक्के से उनके मुम्मे आगे पीछे हो रहे थे। अब मैंने उनके मुम्मे छोड़ दिए और तेजी से धक्के लगाने लगा। माँ अब उनकी चूचिया पकड़ गाय के जैसे दूह रही थी। चाची के दोनों अंगो पर भरपूर हमला हो रहा था। मैं अब अपने चरम पर था।
चाची - पेल दे राजा पेल दे मुझे। तूने तो गुलाम बना लिया आज मुझे। तू इतना बड़ा चोदू होगा मुझे पता नहीं था। तू कैसे इतने दिनों तक तीन तीन चूतो के साथ रह रहा था ल कैसे तेरी दोनों बहने तुझसे बिना चुदे रह गईं। देख इतना बड़ा लंड मिस कर दिया उन्होने। हाय बस कर रे। अब अपनी माँ की ले ले। मेरी चूत तो फट जाएगी। रहम कर गुलाम पर। मैं तेरे लिए चुतों का जुगाड़ कर दूंगी। जिसको कहेगा उसे तेरे झूले पर झूला दूंगी। बस कर अब आ जा। मैं तो कई बार झाड़ चुकी हूँ लाल।
उनकी इतनी उत्तेजक बातें सुन कर मेरा आने ही वाला था।
मैं बोला - बस मेरी रंडी कुछ देर और। बस मेरा लौंडा तेरी सुखी खेत में पानी डाल देगा। तूने वादा जो किया है उसे याद रखना।
चाची - याद रखूंगी। जिसे कहेगा उसे तेरे निचे ला दूंगी। श्वेता भी अभी कुँवारी है। बड़ी सटी सावित्री बनती है। उसकी दिला दूंगी। मादरचोद तो बन ही गया लगभग बहन भी चोद लेना बहनचोद।
श्वेता का नाम सुनते ही मेरे लंड ने पुरे जोशो खरोश के साथ अपना पानी चाची की चूत में उड़ेल दिया। चाची सेण्टर टेबल पर निढाल हो गई। मैं पीछे सोफे प। माँ मेरे बगल में आकर मेरे बालों को सहलाने लगी और बोली अब भी गर्लफ्रेंड चोदने के लिए चाहिए।
मैं उनके कंधे पर सर रख कर लेट कर बोला - अब तुम चाहिए माँ।