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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 89 75.4%
  • Soniya

    Votes: 29 24.6%

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Mass

Well-Known Member
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Thank You Everyone for the milestone. This story has 2M views now. I know I have not been regular these days but I hope you will understand that there are other works which takes priority over this time pass. But IT makes me feel better that it has become a good time pass not only for me but for you all. Though I cannot make everyone happy, you all are enjoying it for sure.
Thanks You all Once Again. Keep reading..
Congrats bhai for this milestone of your story...look forward to your presence in my story as well. Keep going!!

tharkiman
 
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Shan shah

Active Member
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Nice One
 

dirtyboy2020

New Member
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दोस्तों ये मेरी दूसरी कहानी है। इस कहानी की कई पार्ट दूसरी कहानियों से भी प्रेरित हैं जिन्हे मैंने यहाँ या किसी और फोरम में पढ़ा है। मेरी कोशिश रहेगी की मैं अपनी कहानी को नए रूप में प्रस्तुत करूँ जिससे इसकी मौलिकता बनी रहे। अगर आपको दूसरी कहानियों से सिमिलॅरिटी दिखे तो इग्नोर करियेगा।
Complete jarur kijiyega
 

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मैंने कहा - चाची आपके दुद्दू भी सुन्दर हैं।
चाची - हाँ माँ के तो तूने चूस चूस के और बड़े कर दिए हैं।
न जाने फिर माँ के मन में क्या आया वो बोली - सही कर रहा है। इसके सुन्दर और गोल भी है। चल जरा गोलाई नाप।
चाची बोली - जाने दो न फैसला हो तो गया है।
माँ- ना अब नाप ही रहा है तो ठीक से नपे। कह कर माँ चाची के ब्लाउज का हुक खोलने लगी। कुछ क्षण तो चाची ने ना नुकुर की फिर उन्होंने माँ को अपने हुक खोलने दिया और खुद माँ के ब्लॉउस का हुक खोल दिया। दोनों ने एक दुसरे के ब्लाउज को उतार दिया।
अब दो टॉपलेस अप्सराएं मेरी तरफ मुँह करके खड़ी थी और अपने मुम्मे दबवाने के लिए तैयार थीं। दबवाना ही तो था नाप जोख तो एक बहाना था। ना जाने दोनों क्या सोच कर रखीं थी।
मैं दोनों को देख रहा था। माँ के बड़े बड़े बूब्स के सामने चाची के बूब्स थोड़े छोटे थे। पर माँ सही कह रही थी। चाची अब भी पुरे शेप में थी। गाओं का काम काजू शरीर था। भरे भरे गोल चुचे थोड़े से भी नहीं लटके थे। वैसे तो वो भी माँ की तरह ब्रा नहीं पहनती थी। पर उनके चुचे अब भी पुरे तने हुए थे। निप्पल माँ से छोटे थे पर गहरे काले थे। उनके ओरोला की गोलाई माँ के लगभग बराबर ही थी।
पर माँ तो कमाल थी या यूँ कहें माल थी। मुम्मे मस्त बड़े बड़े। बिना ब्रा के ऐसे हिलते थे जैसे भूकंप ला दें। कम से कम मेरे दिल में तो ला ही देती थी। वैसे तो वो मेरे सामने टॉपलेस होने में संकोच नहीं करती थी पर आज गजब ही ढा रही थी। उनके निप्पल एक इंच से भी ज्यादा। जैसे गाय का थन । मैंने ही चूस चूस कर निकाले थे। जैसे कोई सितार भी बजा सकता हो। एक कपडे का क्लिप आराम से लटक सकता था।
मेरा सबसे पसंदीदा काम माँ को चौपाया बना कर बछड़े जैसे उनके दूध पीना था। उसके बाद मैं ग्वाला बन कर उन्हें दूहता था। इस लिए उनके मुम्मे थोड़े लटक भी गए थे और निप्पल भी लम्बे बड़े हो गए थे। एक बार जब सरला दी की शादी नहीं हुई थी तभी की बात है मैं माँ के कमरे में सोया था और रात में उन्होंने मुझे दुध पिलाया था। माँ सुबह जब उठी तो उन्होंने ब्लाउज का ऊपर का हुक गलती से खुला छोड़ दिया था। सरला दीदी जब उठ कर किचन में गई और माँ की हालत देख कर बोली - अरे मेरी माँ कितना लटक गए हैं तेरे मुम्मे। ब्रा पहना करो शेप में रहेंगे। लटक गए हैं जैसे पेड़ से पका हुआ कटहल लटका है।
माँ - अरे मुझ बुढ़िया के अब नहीं लटकेंगे तो कब लटकेंगे। क्या शेप में रहना। तुम सही ढंग से रहो सही साइज की ब्रा पहनो अभी शादी होनी है तुम्हारी। तुम भी तो अक्सर बिना ब्रा के घूमती हो।
सरला दी - पर मेरे लटके तो नहीं है।
माँ - शादी हो जाने दे फिर तेरा मियां दबा दबा कर बड़ा कर देगा। बाद में बच्चे पैदा होने के बाद बाप और बच्चा दोनों खींच खींच कर लटका देंगे।
सरला दी - जैसे तुम्हारा बच्चा खींच खींच कर बड़ा कर रहा है।
माँ - चुप। कुछ भी मन में आये तो बोलती है।
खैर वर्तमान पर आते हैं। मेरे हाथ में इंची टेप और सामने दो जोड़ी मुम्मे। देख कर मेरा लौड़ा पैजामे से बाहर आने को तैयार था। मुझे समझ नहीं आ रहा था की लंड एडजस्ट करूँ या फिर नपाई करूँ।
चाची तभी माँ के मुम्मे और निप्पल देख कर बोलीं - क्या दुधारू गाय जैसे मुम्मे हैं तूम्हारे । लगता है जैसे कोई रोज दुहता हो तुम्हे। जाने दो नपवाना क्या। इसमें भी तुम्ही जीतोगी।
माँ - अब खोल दिया है तो नपवा भी ले। मन करे तो दुहवा भी ले। चल राज नाप ले।
मैंने माँ के मुम्मो का नाप लिया। पहले एक का फिर दुसरे का। माँ भी अपने स्तन पकड़ कर बड़े मन से नपवा रही थी।
फिर मैंने चाची की तरफ रुख किया। चाची ने भी अपने हाथो से पहले एक स्तन सामने किया और मैंने उसका नाप लिया फिर दुसरे का। इस चक्कर में मैंने उनके मुम्मे खूब दबाये। उनके चूचक एकदम खड़े हो गए थे।
माँ ने कहा - नाप ही रहा है तो चूचक भी नाप। मैंने तब चाची के निप्पल पकडे और उन्हें खींचा। वो पहले से टाइट थे खड़े थे पर मैंने जान बूझकर उनको और ताना। इस पर चाची की सिसकारी निकल गई। उनके दोनों चुचकों को मैंने खूब निचोड़ा। फिर माँ के चुचकों को खींचा , निचोड़ा और नापा। नपाई में तो चाची हार गई थी पर उनके हार जीत की खेल में मेरा बुरा हाल था। मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को काबू किया था। मन कर रहा था निचोड़ दू उनको। पी जाऊं उनके मुम्मे।
तभी माँ ने कहा - छोटी , दुहवाना भी है क्या ? देख सामने लार टपकाये खड़ा है। जब तक है यहाँ पीला दे इसे दबवा ले इससे। तेरे भी बड़े हो जायेंगे।
चाची ने खुद पर संयम रखते हुए कहा - क्या बोलती हो जिज्जी। जाने दो। चलो तुम्हारी पीठ की मालिश कर दू। दर्द भाग जायेगा।
माँ - तू भी अपनी करवा ले। राज बहुत बढ़िया मालिश करता है।
चाची बोली - देखूंगी।
माँ - अरे साथ में करवाते हैं न। तू मेरी पीठ पर मालिश कर दे। वो तेरी कर देगा।
मैं एकदम से तैयार हो गया बोला - हाँ हाँ चाची तुम भी तो थकी होगी। गाओं में इतना काम होता होगा। यहाँ हो जब तक मस्ती करो
फिर माँ वापस बैठ गईं। उन्होंने अपना सर सेण्टर टेबल पर रख दिया और चाची उनके पीछे बैठ गईं और उनके पीठ को दबाने लगी।
फिर मैं चाची के पीछे सोफे पर। हम एक दुसरे के पीछे रेलगाड़ी की तरह थे। चाची माँ के पीठ पर हाथ मसल रही थी और मैंने अपने हाथ में तेल लेकर चाची को लगाना शुरू किया। अब मैं चाची की पीछे से रगड़ता , चाची माँ को। एक लय में पीठ की मालिश हो रही थी।
माँ सिसकियाँ लेते हुए - छोटी अच्छा लग रहा है न ? राज अच्छे से दबा तो रहा है न।
चाची - हाँ जिज्जी , आह। बढ़िया दबाता है राज। अब समझ आ रहा है की आप इतना खुश क्यों रहती हैं।
माँ - अभी तो बस पीठ दबवा कर कह रही है। बोल दूँ उसे तेरे सीने का भी बोझ हल्का करने को। आह आह अह्ह्ह्ह मेरे जैसे बना देगा।
चाची - अब तो सब सामने है जिज्जी। सब उसके हवाले है। कर ले जैसा करना चाहे।
मै तुरंत सोफे से उतर कर चाची के पास निचे बैठ गया और अपने हाथो जो उनके मुम्मे पर ले गया। जैसे ही मेरे हाथ उनके मुम्मो पर लगे चाची ने जोर की सिसकारी ली - जीजीईईईई , आह आह आह। रआआआआज। दबा दे मेरे लाल।
मुझे तो बस इजाजत मिलनी थी मैं अब पीछे से चाची के मुम्मे दबा रहा था। चाची ने माँ के मुम्मे दबाने शुरू कर दिए। मैंने हिम्मत करके चाची के कान के लबों को चूम लिया। चाची - स्स्स्सस्स्स्स रआआआआज , जान लेगा क्या। क्या करता है।
मैं कहाँ रुकने वाला था मैंने ताबड़तोड़ चाची के गर्दन और पीठ पर दाए बाए चूमने लगा। मेरे हाथ उनके मुम्मो पर कमाल कर रहे थे और मेरे होठ उनके पीछे। अब मुझसे उंकड़ू नहीं बैठा जा रहा थ। मैंने अपने दोनों पैर फैला दिए और माँ और चाची दोनों को दोनों तरफ से घेर लिए। अब मेरा लंड पैजामे के ऊपर से ही चाची की गांड पर लग रहा था। उन्होंने पेटीकोट के नीचे पैंटी नहीं पहनी थी। मैंने वैसे भी घर में पैजामे की नीचे अंडरवियर नहीं पहनता था। अब मेरा लंड भी हमलावार होकर चाची के पीछे पद गया था।
चाची - स्स्स्सस्स्स्स , आह आह आह , जिज्जी राज तो बड़ा हो गया है।
माँ- हाँ काफी बड़ा हो गया है। राजेश से बड़ा या छोटा।
वो दोनों मेरे लंड की बात कर रही थी।
चाची - इनका तो कुछ भी नहीं है इसके सामने मेरा लाल बहुत बड़ा है।
माँ अब पलट गई और चाची के सामने मुँह करके बैठ गई। चाची हम दोनों के बीच में सैंडविच बन गई। माँ ने आगे से चाची को दबाया और मुझसे कहा - दबा रे राज पीछे से अपनी चाची को। दूर कर दे इसका दर्द।
मैं - माँ इनका दर्द ऐसे नहीं जायेगा। इनको गोद में बिठा कर झूला झूला दूंगा तो हलकी हो जाएँगी
माँ - क्यों री छोटी , झुलेगी मेरे लाल का झूला। बेचारा अब तक किसी को अपने ऊपर सवारी नहीं करवाया है। कर ले। देख कितना अकड़ गया है।
चाची - दीदी तुम ही क्यों नहीं झूल जाती। पहला हक़ तो तुम्हारा है। क्यों रे राज लेगा माँ की। करवाएगा उनको जन्नत की सैर।
मुझे इन दोनों के खेल पर अब गुस्सा आने लगा था। मैं उनके निप्पल जोर से खींचते हुए बोल पड़ा - रंडीबाजी बंद करो तुम दोनों। मेरे लंड का हाल देखो। उसे अब चूत चाहिए किसी का भी मिले। माँ की तो ले ही लूंगा अभी तुम्ही दे दो। छिनरईबंद करो और आ जाओ मेरे लंड पर।
कह कर मैंने अपने दोनों हाथ पीछे से चाची के जांघो पर लगाया और उन्हें उठा लिया। उठाते ही वो सीधे मेरे लंड पर गिरी।
चाची - अबे मादरचोद गांड फाड़ डाला तूने तो चूत में डालना था न।
माँ ने मेरे लंड को सीधा किया और चाची की चूत को उस पर सेट कर दिया। चाची अब उस पर बैठने लगी।
बोली - कितना लम्बा है रे। पूरा कैसे लुंगी।
कह कर आधे से ही ऊपर नीचे करने लगी। स्थिति ये थी की मैं सोफे का सहारा लेकर टाँगे फैलाये बैठा था। चाची की पीठ मेरी तरफ था और मेरा लंड उनके चूत में गपागप जा रहा था।
माँ चाची के बलाग में बैठ कर उनके क्लीट को मसले जा रही थी। बीच बीच में वो मेरे बॉल्स भी सहला रही थी। चाची पुरे मस्ती में थी।
बड़बड़ा रही थी - मादरचोद , ले ली न मेरी। माँ की नहीं ले पाया तो चाची की ले ली। चाचीचोद बन गया है तू। मेरी चूत की आग बुझे दे मेरे लाल। आह आह आह रआआआआज क्या मस्त चोदता है रे तू। जिज्जीि मेरी बहना कैसा लंडा पैदा किया है। घोड़े जैसा है। किसी भी चूत को दीवाना बना देगा ये तो।
माँ - अब पता चला तेरे को। राज पेल दे जोर से पेल। आग बुझा दे इस रंडी की। बना ले अपना गुलाम
चाची - इस लौड़े का तो कोई भी गुलाम हो जायेगा।
अब चाची को मैंने ऊपर उठा कर सेण्टर टेबल पर टिका दिया। चाची के मुम्मे अब एकदम गाय के थान की तरह लटक रहे थे। मेरा लंड अब भी उनकी चूत में था। मैंने थोड़ा झुक कर उनके मुम्मे पकड़ लिए और अपने लंड को उनकी चूत में पिस्टन की तरह चलाने लगा।
मेरे हर धक्के से उनके मुम्मे आगे पीछे हो रहे थे। अब मैंने उनके मुम्मे छोड़ दिए और तेजी से धक्के लगाने लगा। माँ अब उनकी चूचिया पकड़ गाय के जैसे दूह रही थी। चाची के दोनों अंगो पर भरपूर हमला हो रहा था। मैं अब अपने चरम पर था।
चाची - पेल दे राजा पेल दे मुझे। तूने तो गुलाम बना लिया आज मुझे। तू इतना बड़ा चोदू होगा मुझे पता नहीं था। तू कैसे इतने दिनों तक तीन तीन चूतो के साथ रह रहा था ल कैसे तेरी दोनों बहने तुझसे बिना चुदे रह गईं। देख इतना बड़ा लंड मिस कर दिया उन्होने। हाय बस कर रे। अब अपनी माँ की ले ले। मेरी चूत तो फट जाएगी। रहम कर गुलाम पर। मैं तेरे लिए चुतों का जुगाड़ कर दूंगी। जिसको कहेगा उसे तेरे झूले पर झूला दूंगी। बस कर अब आ जा। मैं तो कई बार झाड़ चुकी हूँ लाल।
उनकी इतनी उत्तेजक बातें सुन कर मेरा आने ही वाला था।
मैं बोला - बस मेरी रंडी कुछ देर और। बस मेरा लौंडा तेरी सुखी खेत में पानी डाल देगा। तूने वादा जो किया है उसे याद रखना।
चाची - याद रखूंगी। जिसे कहेगा उसे तेरे निचे ला दूंगी। श्वेता भी अभी कुँवारी है। बड़ी सटी सावित्री बनती है। उसकी दिला दूंगी। मादरचोद तो बन ही गया लगभग बहन भी चोद लेना बहनचोद।
श्वेता का नाम सुनते ही मेरे लंड ने पुरे जोशो खरोश के साथ अपना पानी चाची की चूत में उड़ेल दिया। चाची सेण्टर टेबल पर निढाल हो गई। मैं पीछे सोफे प। माँ मेरे बगल में आकर मेरे बालों को सहलाने लगी और बोली अब भी गर्लफ्रेंड चोदने के लिए चाहिए।
मैं उनके कंधे पर सर रख कर लेट कर बोला - अब तुम चाहिए माँ।
Nice n fantastic
 

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अगले दिन जब मैं सुबह उठा तो माँ और चाची किचन में काम कर रही थी। दोनों ने पेटीकोट और ब्लॉउस पहना हुआ था। दूर से ही देख कर समझ आ रहा था की उन्होंने निचे कुछ भी नहीं पहना है। मैं पहुँच कर बोला - क्या हो रहा है ?
माँ - तेरे लिए कुछ बादाम और ड्राई फ्रूट शेक बना रहे है । कल तूने बड़ी मेहनत जो की।
चाची सुन कर शर्मा गई। मैंने उनको पीछे से जकड लिया और अपना लंड उनके गांड में घुसाते हुए बोला - कल तो बड़ा उचक उचक कर चुद रही थी। आज नई नवेली दुल्हन की तरह शर्मा रही हो।
चाची - छोडो मुझे , रात इतनी ली फिर भी मन नहीं भरा। मेरा तो बदन दुःख रहा है। जाकर माँ से लिपटो।
छोड़ने के लिए तो कह रही थी पर पीछे से अपना गांड भी मेरे लंड पर धकेली जा रही थी। कत्तई चुदासी माल थी मेरी चाची भी।
मैंने भी उन्हें छोड़ने के बजाय और जोर से जकड़ लिया और साथ ही अपने दोनों हाथो से उनके मुम्मे पकड़ लिए। मैं उनके मुम्मे दबा रहा था और वो अपने गांड को पीछे धकेल कर मेरे लंड को अंदर लेने की कोशिश में लगी थी।
हम दोनों को ऐसे देख माँ ने कहा - लल्ला तेरे हाथ में दुधारू गाय आई है दूह ले तो ताजा दूध शेक में डाल दूँ। उनकी बात सुनकर मैंने चाची के ब्लाउज को खोल दिया और आगे जाकर उनके मुम्मे ऐसे खींचने लगा जैसे वो सच में गाय हो और मैं उनका दूध निकाल रहा हूँ।
चाची - आह आह आह राजआज मैं सच की गाय थोड़े ही हूँ क्यों ऐसे थन से लटका है।
मै - अरे चाची तेरे थन नहीं दुहूँगा तो माँ की साइज के कैसे होंगे ? वैसे भी तुम्हारे चूचक उनके जैसे करने हैं न
चाची - अरे खींचने भर से थोड़े ही हो जायेगा। दुध भी तो होना होगा न।
माँ - कर ले दूसरा बच्चा , आ जायेगा तेरे थनों में भी दूध। राज को भी तब ताजे दूध का शेक बना कर देंगे।
चाची - क्यों इस बुढ़िया को माँ बनाने पर तुली हो जिज्जी। आह आह आह। कहाँ तो मेरी बिटिया के बच्चे देने की उम्र है ऑर्टम मुझे ही माँ बना रही हो।
मैं - कहो तो तुम माँ बेटी दोनों के कोख में एक साथ बच्चा दाल दूँ। कल रात तुमने श्वेता को भी दिलाने का वादा किया था।
चाची - वो तो चुदाई के नशे में मैं न जाने क्या क्या बक रही थी।
माँ - कोई नहीं तू राजी हो जा
चाची - अरे श्वेता क्या सोचेगी ? दुनिया क्या बोलेगी की इस उम्र में माँ बानी है। वैसे भी इनका खड़ा होता तो है नहीं बच्चा क्या देंगे।
मैं अब चाची के पेटीकोट की डोरी खोल चूका था और निचे से उनकी चूत चाटने में लग गया था। चाची सिसस्कारियाँ लेने लगीं।
चाची - स्स्स्सस्स्स्स , क्या मस्त चूसता है रे। चाट ले , तेरे छूने भर से पनिया जाती है मेरी चूत। वो जो छोटा ला लटक रहा है न उसे भी चूस। खा जा उसे। जब से तेरा लंड लिया है रोती रहती मेरी चूत तेरी याद में। पोछ दे उसके आंसू पी जा। आह आह आह ससससस जिज्जी क्या मस्त लौंडा पैदा किया है। कहा से सिखाया है तुमने इसे चूसना। आह आह
चाची की हालत देख माँ भी चुदासी हो गईं। शेक बनाना भूल वो अपने कमर को शेक करने लग गईं। उन्होंने ने भी अपना ब्लाउज खोल दिया और खुद से ही अपने चूचक उमेठने लगी। अब उन दोनों को इस हालत में देख मेरे लंड ने जवाब दे दिया था। अब उसे कोई न कोई जगह चाहिए था माल उड़ेलने को। मैं तुरंत उठा और चाची के पीछे जाकर अपने लंड को उनकी चूत पर सेट किया और एक ही झटके में अपना पूरा लंड अंदर डाल दिया।
चाची - अरे मार डाला रे। अबे चोदू मैं भाग थोड़े ही रही थी। आराम से डालता। फाड़ डाला तूने मेरी चूत।
मैं - अभी कहाँ चाची , ये तो शुरुआत है। तुम्हारी चिकनी चूत इतनी पनिया चुकी थी की मेरा लंड एकदम से चला गया और तुम हो की चिल्ला रही हो
चाची - आह रआआआअज , जिज्जीीीी , मार ले मेरी ले ले।
मैं एकदम रेस के घोड़े की तरह चाची की चूत में लंड के सहारे दौड़ लगा रहा था। कल रात ही झड़ा था मेरे आने में थोड़ी देर लग रही थी। चाची को लगा ये तो उनके लिए घातक हो जायेगा। उन्होंने मुझे जल्दी झड़ाने के लिए फिर से बोलना शुरू किया।
चाची - स्स्स्सस्स्स्स आह आह आह क्या जानवर की तरह चोदता है तू। सुधा और सरला तो फिर भी संभाल लेंगी मेरी श्वेता का क्या होगा
उसकी तो फट ही जाएगी। जीजजी आप माँ बनने के लिए बोल रही थीं न मैं तैयार हूँ। कम से कम पेट में बच्चा रहेगा तो ये चोदू मुझ पर नजर तो नहीं रखेगा। बना दे राज मुझे माँ बना दे। अपना ताजा दूध पिलाऊंगी फिर। बेटा देना। जब वो बड़ा हो जायेगा तो तो तुम दोनों भाई अरे नहीं तुम दोनों बाप बेटे मेरी एक साथ लेना। आह आह आह। मैं तो आ गई रे। कब आएगा तू।
चाची अब मेरी बहनो का नाम लेकर बोलने लगी - सुधा आ जा तू भी भाई से चुद कर माँ बन जा। तेरे मर्द में दम नहीं है। तेरा भाई मामा भी बनेगा बाप भी।
न जाने माँ को क्या सुझा बोली - उससे पहले बहनचोद बनेगा। बहन की लेगा मेरा लड़का। सबकी लेगा , सबकी चूत का भोसड़ा बनाएगा।
मेरा दूध पिया है इसने। सबको माँ बनाएगा। पेल दे इस रंडी को राज इसको आज अपना बीज दे ही दे।
माँ और चाची की इतनी उत्तेजक बात सुनकर आखिर मेरे लंड ने खुशी से अपना पूरा का पूरा माल चाची के अंदर उड़ेल दिया। हम दोनों थक चुके थे। तब माँ ने शेक बनाया और हम सब वहीँ किचन में निचे जमीन पर बैठ कर पीने लगे। मेरे सामने दो दो मस्त गायें अपना थान लेकर बैठी थी और हाथ में दूध , फलों और ड्राई फ्रूट से बना शेक था। मुझे सच में ताकत की जरूरत थी। लग रहा था जैसे अंदर से सारा माल निचोड़ लिया हो।
शेक ख़त्म करके मैं वहीँ माँ के गोद में सर रख कर लेट गया। माँ के मुम्मे मेरे सामने लटक रहे थे। मैं उनका दीवाना भला शांत कैसे रहता। मैंने उनके दो इंच के चूचक को मुँह में भर कर चूसने लगा। उस पर चाची बोली - दूध का दीवाना है ये तो। इसका बस चले तो दिन भर थन से लटका ही रहे।
सुनकर माँ हंसने लगी। दोनों दरअसल मेरी दीवानी हो चुकी थी। मैं माँ के लाड में तो था ही अब चाची का भी पूरा प्यार मिल रहा था।
Superb very nice update
 
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अगले दो तीन दिन मेरे बहुत मस्ती में बीते। दो दो गदराई माल थी पास में। दोनों ने मुझे पूरी छूट दे रखी थ। मैं जब चाहता किसी को नंगा कर देता। चाची तो दिन में कई बार चुद रही थी पर माँ सिर्फ अपने मुम्मे देती थी। हद से हद तक अपने पिछवाड़े में मेरा लैंड फंसाने देती थी। चाची ने कई बार बोलै चुद क्यों नहीं जाती पर माँ रिश्ते की सीमा की दुहाई देखर चुप करा देती। मैं चाची के चुचकों को खूब खींचता और चूसता था। जब मैं थोड़ी बेरहमी करता तो कहती आराम से तेरे खींचने से दूध नहीं निकल आएगा। तिस पर मेरी माँ उन्हें माँ बनने को कन्विंस करने लगती। धीरे धीरे चाची का मन भी मान गया। बस अड़चन थी तो चाचा और श्वेता को मनाना। माँ ने दोनों को मनाने की जिमेदारी ले ली। शनिवार को चाची ने कहा की चलकर श्वेता को ले आते हैं। मैं और चाची उसके कॉलेज गए और वार्डन से परमिशन लेकर श्वेता को घर ले आये। रास्ते भर श्वेता चाची को अजीब नजरों से देख रही थी। वो कभी कभी मुझे भी वैसी ही नज़रों से देख रही थी। माँ बेटी बहुत चालू थी। लोगों को समझने और भांपने की बहुत अद्भुत क्षमता थी। उसे कुछ शक तो हो गया। घर पहुंची तो माँ उसे देखकर बहुत खुश हुई। उसे माँ को देख कर भी कुछ शक हुआ। मैं और चाची दोनों समझ गए की श्वेता को शक हो रहा है।
एकांत में श्वेता ने चाची से कहा - एक हफ्ते में ही शहर की हवा लग गई है तुम्हे। बदली सी नजर आ रही हो।
चाची - क्यों मेरी ख़ुशी से तुझे परेशानी है। गाँव में सब होते हुए भी मैं कितनी अकेली थी तुझे पता नहीं क्या ? तेरे बाप को मेरी कोई फिरकर तो है नहीं। न ही मेरी जरूरतों का पता।
श्वेता - तो अब खुश रहने के लिए तुम कुछ भी करोगी ?
चाची - मैं भी एक औरत हूँ , बाहर इज्जत लुटाने से बढ़िया है घर में खुश रहा जाये। देख न तेरी बड़ी अम्मा भी खुश हैं।
श्वेता - हाँ सब देख रही हूँ। राज राजा बना हुआ है।
चाची - राजा बेटा है। काश मेरा भी एक बेटा होता।
तभी मेरी माँ भी वहां आ गई। बोली - माँ बेटी में क्या गुपचुप बातें हो रही हैं
चाची - देखो न जिज्जी , लड़की बाहर क्या निकली माँ की फ़िक्र ही नहीं है। इसे मेरे अकेलेपन का अंदाजा भी नहीं है।
माँ - तभी तो कह रही हूँ एक बार फिर से प्रेग्नेंट हो जा। बच्चा हो जायेगा तो बढ़िया टाइम पास हो जायेगा।
श्वेता - आप दोनों लोग पागल हो गईं हैं।
खैर बात आई गई हो गई पर हमारी आपस की हरकतों से मेरे माँ और चाची के साथ बदले रिश्ते पर उसका शक यकीन में बदल गया। चाची ने उसे सवाल जवाब में इस चीज लगभग स्वीकार कर ही लिया था।
दो दिन ऐसे ही बीत है। माँ और चाची ने उसके पसंद की खाने पीने की चीजें बनाई। उसके लिए शॉपिंग भी की। संडे दोपहर में तीनो ने बिउटी पार्लर जाने का प्लान करने लगीं। श्वेता माँ को भी लेकर जाना चाहती थी । माँ मना कर रही थी मैंने कहा की ले जाओ ये अपने पर बिलकुल ध्यान नहीं देती।
श्वेता - चलो बड़ी अम्मा। तुम पर कोई तो ध्यान दे रहा है। सज लो उसी के लिए।
मैंने मजाक किया - तू भी सज ले। तेरे पर भी ध्यान दे दूंगा बहना।
श्वेता ने मुझे झापड़ दिखाते हुए कहा - मुझसे दूर ही रहना। उन्ही से चिपके रहो। माँ और चाची को देख कहा - चलो मिल्फ चलो।
चाची - ये क्या कह रही हो।
श्वेता - कुछ नहीं , अपने दुलारे से पूछ लेना। आखिर में तीनो चली गईं। और मैं बाहर उनके आने तक घूमता रहा।
एक घंटे बाद जब तीनो निकली तो उनकी रंगत बदली हुई थी। श्वेता ने कॉलेज के चक्कर में उतना ही काम करवाया जिससे वहां कोई ऑब्जेक्शन न हो पर माँ और चाची का फेसिअल से लेकर मैनीक्योर और पैडीक्योर तक करवाया था। माँ की आँखें आबादी बड़ी थी वो और सुन्दर लगने लगी। मैं तीनो को देखता ही रह गया।
श्वेता बोली - सुधर जा माँ बहन पर नजर डाल रहा है।
मैं - माँ और बहन पर तो बस नजर डाला है। पर चाची पर तो कुछ और भी डाला है।
चाची - सशह्ह्ह कुछ भी बोलता है।
मैं - अरे मैं कह रहा था की तुम एंटी सुन्दर लग रही हो अब चाचा तो घर से निकलेंगे ही नहीं।
चाची - अरे कहाँ। उन्हें मेरी कदर कहाँ
मैंने मजाक में कहा - मैं उनकी जगह होता तो बस तुमसे चिपका ही रहता।
श्वेता - मुझे तो लगता है तुम चिपक चुके हो
मैं - हीहीहीहीही
रात में है सब श्वेता को हॉस्टल छोड़ने गए। सोमवार से उसकी कॉलेज शुरू होने थी। मैं तो बस टाइम पास करता था।
चाची रात में थोड़ी उदास थी। मैंने कहा - उदास क्यों हो जान। वो बहुत समझदार है। उसकी चिंता मत करो
माँ भी चाची को मनाने लगी। अगले दिन चाचा चाची को लेकर जाने वाले थे। वो इस बात से भी दुखी थी। हम सब माँ के कमरे में बिस्तर पर बैठे थे। मैंने सिरहाने से टेक लगाया हुआ था चाची मेरे सीने पर सर रख कर अधलेटी अवस्था में थी। माँ कमरे में कपडे वगैरह सही कर रही थी। माँ हमें उस स्थिति में देख कर बोली - लग रहा है जैसे दो प्रेमी बैठे हों।
चाची इस बात पर इमोशनल हो गईं और रोने लगी। मैंने उन्हें अपने बाहों में और कस लिया और चुप कराने लगा। पर उनके आंसू थम ही नहीं रहे थे। उनके आंसू देखकर ना जाने मेरे मन में क्या आया मैंने जीभ निकाल कर चाट लिया आंसू चाटते चाटते मैं उनके पुरे चेहरे को चाटने लगा। अब सिचुएशन ये मैंने चाची को लिटा दिया और उनके आंसू पीते पीते उनके पुरे चेहरे को चाट भी रहा था और चूम भी रहा था।
चाची ने साडी पहनी हुई थी किसका पल्लू अब खिसक चूका था। मेरा एक हाथ उनके बालो में उलझा था और एक से मैं उनके मुम्मे दबा रहा था। चेहरे को चूमते चाटते मैं चाची के गर्दनपर भी चूमने और चाटने लगा। चाची ने तभी अपने हाथ उठा कर मुझे बाँहों में भर लिया और अपने सीने से लगा लिया। चाची का ब्लाउज मेरे चूमने से गीला हो रखा था। मेरी उंगलिया अब चाची के पेट पर नाभि के आस पास टहल रही थी। मुझे पेट और नाभि से खेलने की आदत तो थी ही। चाची की नाभि भी गहरी और गोल थी। मैं अपनी ऊँगली से उनकी नाभि के अंदर बाहर करने लगा। अब चाची पर मस्ती छा चुकी थी वो अपने पैरों को आपस में रगड़ रही थी। हम दोनों उत्तेजना में एकदम पसीने पसीने हो रखे थे। माँ भी हमारे बगल में आकर लेट गईं थी। वो बस हमें देख रही थी।
चाची - आह आह जिज्जी क्या देख रही हो आओ न तुम भी।
माँ - देख रही हूँ तुम दोनों कितने पागल हो रखे हो। थोड़ी देर पहले बेटी के लिए रो रही थी अब भतीजे के साथ मदमस्त हो राखी हो।
चाची - आज की ही तो रात है।
माँ - अरे पगली भेज दूंगी इसे गाओं । कर लेना मस्ती। या फिर आ जाय करना यहाँ जब भी चुदने का मन करे।
चाची ने माँ को भी बाहों में भर लिया। अब हम तीनो एक साथ लिपटे पड़े थे। चाची कभी मुझे चूमती तो कभी माँ को। मैं भी कभी माँ को चूमता कभी चाची को।
इस लिपटी लिपटे के खेल में हम तीनो पसीने पसीने हो रखे थे। थोड़े देर बाद मैंने चाची के ब्लॉउस के हुक खोल दिए और स्तन पान करने लगा। मैंने देखा माँ चाची के गले को चाट रही थी। गले को चाटते चाटते माँ चाची कंधे को चूमने लगी। अब वो चाची के पुरे बाहो को चाट रही थी। माँ ने चाची को उठाकर उनका ब्लाउज निकाल दिया और उनके बगलों को चाटने लगी।
चाची - जिज्जी क्या करती हो। पसीना लगा है। गन्दा है।
माँ - मुझे नमकीन पानी पसंद है। पसीने की खुशबु एकदम नशा कर देती है। मैंने माँ को इस तरह करते पहली बार देखा था। वो चाची ले ऊपरी हिस्से को बुरी तरह चाट रही थी। उनको ऐसा करते देख मैं भी चाची के दुसरे साइड के पसीने को चाटने लगा। सच में नशा सा फील हुआ। अब चाची एकदम पागल सी हो गईं। अहम दोनों माँ बेटे उन्हें बुरी तरह से चाट रहे थे। थूक और पसीने से चाची का शरीर गिला भी हो गया था और चमक भी रहा था।
चाची - तुम दोनों मार डालोगे मुझे। जाते जाते मुझे पागल बना दोगे। सससससस आआह ाआअह बस करो। मेरो चूत पनिया चुकी है कोई उसका भी ख्याल करेगा। मैं नीचे सरकने को था तो माँ ने मुझे रोक दिया और चाची की पेटीकोट उठा कर उनकी चूत चाटने लगी।
मेरा लैंड बिलकुल उफान पर था। मैं सिक्सटी नाइन वाले पोजीशन पर आ गया और अपना लैंड चाची के मुँह में डाल दिया अब मैं और माँ दोनों चाची की चूत को बारी बारी से चाट रहे था। मेरा लंड चाची के मुँह में था तो बस गों गों की आवाज कर पा रही थी। मैं और माँ आपस में कभी कभी एक दुसरे को चूम भी ले रहे था। हमारे होठ पसीने। थूक और चूत के रास से भींगे हुए थे। मैं अब चाची के मुँह में लंड ऊपर निचे करने लगा था। माँ चाची की चूत में उंगली कर रही थी और मैं उनके लबो और छोटे से लंड को प्यार कर रहा था। थोड़े देर में चाची की चूत ने खूब सारा पानी छोड़ दिया। माँ ने अपनी ऊँगली निकाल ली और पहले खुद चाटी फिर मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उनकी ऊँगली चूसने लगा। माँ ने एकदम नशीली आवाज में कहा - चाट ले अमृत है।
मैंने कहा - अपना अमृत कब दोगी। माँ उठ कर बैठ गई। उन्होंने अपना हाथ अपने पेटीकोट में डाला। उनकी चूत भी पानी छोड़ चुकी थी। उन्होंने अपनी उँगलियों को अपने चूत रास से भिंगोया और मेरे मुँह में डाल दिया। कहा - ले अपनी माँ का भी अमृत ले ले।
इतनी मादक आवाज को सुन मेरा तन मन और लंड चारम सुख की अवस्था में पहुँच गया । मेरे ने खूब सारा पानी चाची के मुँह में उड़ेल दिया।
चाची की हालत खराब थी। वो जल्दी से उठ कर मेरा वीर्य बाथरूम में जाकर उड़ेलने को थी की माँ ने उन्हें रोक लिया और उनके मुँह में अपना मुँह सत्ता लिया और मेरा पूरा वीर्य ले लिया। कहा - मेरे बेटे का माल ऐसे थोड़े ही बर्बाद होने दूंगी। उन्हें ऐसा करते देख चाची भी रुक गईं और मेरे वीर्य को निगल लिया।
मैं वहीँ बिस्तर पैर लेता था और मेरे सामने दोनों एकदम रंडियों जैसे बिहेव कर रही थी। फिर चाची उठ कर बाथरूम चली गई।
मैंने माँ को पकड़ लिया और कहा - कितनी मस्त माल हो तुम माँ। एकदम चुदास। अपने चूत का अमृत डायरेक्ट कब पिलाओगी। अमृत मंथन करवाओग। मेरे लंड से अंदर चक्की कब चलवाओगी।
माँ - इंतजार का फल मीठा होता है लाल। समय आने पर सब मिलेगा। अभी तुझे जो मिल रहा है उसी से मजे ले।
चाची लौटकर आईं तो मैंने उन्हें भी अपने बाहों में भर लिया। माँ ने मेरा लंड मुठियाना शुरू कर दिया था। मेरा लंड दुबारा खड़ा हो गया। चाची बोली - हाय रे अभी तो इतना माल निकाला है फिर से तैयार।
मैंने कहा तुम्हारा इन्तजार कर रहा ह। आओ सवारी करो। चाची भी बेशर्मो की तरह उठी और अपना पेटीकोट उठाते हुए मेरे लंड को अपने चूत में निगल लिया। दूसरा राऊंड शुरू हो गया था। अब चाची मेरे ऊपर कूद रही थी जिसके वजह से उनके मुम्मे ऊपर निचे हो रहे थे। मैंने उनको पकड़ कर मुँह में लेना चाहा तो माँ ने मना कर दिया कहा - देख उछलते मचलते कितने मजे दे रहे हैं। पीने के लिए मेरा है न। उन्होंने अपने मुम्मे मेरे मुँह में डाल दिया।
चाची चुद रही थी और उनके उछलते फूटबाल क्या खूब लग रहे थे।
उस रात चाची को मैंने दो राउंड और पेला। चाची भी मेरा साथ दे रही थी। रात हम कब सोये याद ही नहीं।
अगले दिन चाचा आये और चाची को लेकर चले गए। जाते जाते माँ ने चाचा से वादा लिया था की वो चाची को महीने में एक बार जरूर भेजें ।
चाचा ने भी वादा किया और दोनों चले गए
wonderful update bhai...
 

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फिर उन्होंने मुझे साइड किया और पहले सीट पर चादर बिछाई और एक चादर ओढ़ने के लिए रख लिया। झुक कर जैसे ही वो चादर बिछाती उनके मुम्मे लगते बकी निकल कर बाहर आ जायेंगे।
हम दोनों सीट पर फिर बैठ गए। थोड़ी देर तक हमने बातें की फिर दीदी बोली - सुन मुझे नींद आ रही है थोड़ा खिसक। अब मैं खिड़की की तरफ आ गया और दीदी ने एक तकिया मेरे पैरों के पास रखा और मेरी तरफ सिर कर के सो गई। वैसे तो उन्होंने चादर ले रखा था पर चादर सिर्फ कमर तक था। लेटने से उनके मुम्मे फिर से बाहर आने को बेचैन हो गए। उनकी क्लीवेज देख मेरा लैंड खड़ा होने लगा।
तभी दीदी ने कहा - तुझे गरमी नहीं लग रही। शर्ट उतार दे। आराम से बैठ। रात अपनी है।
मैंने भी शर्ट उतार दिया और सिर्फ बनियान में आ गया।। देखा देखि मैंने पेंट भी उतार दिया और सिर्फ बरमूडा पर आ गया। ट्रैन में नॉर्मली मैं ऐसा करता था। सोने से पहले बाथरूम में जाकर फुलपैंट उतार बरमुडे में ही सोता था। तो मेरे लिए कोई नै बात नहीं थी।
दीदी फिर सो गई और हाथ ऊपर करके मेरा हाथ अपने अपने हाथो में कर लिय। उसे चूम कर बोली - मेरा प्यारा भाई। सुन, नींद आये तो बता देना मैं खिशक जाउंगी। यहीं सो जाना। ऊपर तो सारा सामान रखा है।
थोड़ी देर तक तो मैं अपने आपको एडजस्ट करने में लगा रहा। माँ को तो अक्सर टॉपलेस देखा था पर यहाँ दीदी ने जो कपडे पहन रखे थे वो किसी भी मर्द का लंड खड़ा करने के लिए पर्याप्त थे। ऐसी स्थिति में देख कर तो कई मुठ मारना भी शुरू कर देते। पर मैं लाचार था। मेरा लंड नहीं। वो तो सर उठाने को तैयार था। वो भी बरमूडा फाड़ बहन को देखने के लिए उतारू था। पर मैं उसे समझा रहा था। जल्दीबाजी नहीं।
कुछ देर बाद दीदी अभी सोइ ही थी की कोच का एसी बंद हो गया। शायद कोई खराबी आ गई थी। मै धीरे से उठ कर गया और अटैंडैंट से पता किया तो पता चला की एसी में कुछ गड़बड़ी हो गई है और तकनीशियन ठीक करने की कोशिश कर रहा है। एक आध घंटे में ठीक हो जाना चाहिए था।
मैं अंदर आया तो दीदी जग गई थी मैंने उन्हें एसी के खारब होने की बात बताई। वो थोड़ा दुखी तो हो गई पर बोली - क्या ही कर सकते हैं। वो फिर से लेट गई। पर अबकी वो मेरे गोद पर सर रख ली। मुझे गर्मी होने लगी और मैं पसीने पसीने हो गया। दीदी का स्लिप भी भींग गया था। मैंने अपना बनियान भी उतार दिया। दीदी ने मेरे पेट की तरफ अपना मुँह कर लिया था और मेरी कमर को बाँहों से पकड़ लिया था। एक तो एसी न चलने की वजह से गरमी और इस पर से एक गदराया माल मेरे ऊपर इस हालत में थी उसकी गरमी। मेरी धड़कन और लंड दोनों काबू से बाहर रहे थे। मुझसे कोई गलती न हो जाए ये सोच कर मैंने अपनी आँखे बंद कर ली थी। तभी मुझे लगा की जैसे दीदी ने मेरे पेट पर जीभ फेरा हो। मैंने आँखे खोल दी और निचे देखा तो पाया की दीदी मुस्कुरा रही थी और मेरे पेट पर टपकते पसीने को चाट रही थी। मैं भौचक था। दीदी - अरे यार बहुत दिनों बाद नमकीन पानी मिला है। तेरे पसीने में तो एकदम स्वाद है। कहकर वो फिर से पसीना चाटने लगी। अब वो थोड़ा उठकर मेरे सीने को भी चाटने लगीं। मुझे याद आया की माँ को भी पसीने का स्वाद पसंद है। शायद मुझे भी पसंद था।
तभी मैं माँ को चाटता तो अजीब सा नशा चढ़ जाता था। अब दीदी उठ कर बैठ गई थी। उन्होंने मुझे सीट पर मेरा पैर फैला कर बिठा दिया था और खुद अपनी दोनों टांगो को मेरे दोनों तरफ करके मेरे गोद में बैठ कर मेरे चेहरे, गले कंधो और बगलो को बारी बारी से चूमने चाटने लगी। मुझे समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ। एक बार जब वो मेरे चेहरे के पास आई तो मैंने उन्हें होठो पर किस कर लिया। दीदी ने भी मेरे होठ दबोच लिए और एकदम से काटने लगी। एकदम जंगली सी हो गई थीं। मेरा सारा पसीना चाटने के बाद दीदी ने कहा तुझे भी चाहिए।
मुझे तो कब से चाहिए था। मैंने एकदम छोटे बच्चे जैसा चेहरा बना कर हां में सर हिलाया।
हमने अपनी जगह बदल ली थी। अब दीदी टाँगे फैलाये बैठी थी और मैं उनके ऊपर था। मैंने पहले उनके चेहरे को चूमा और चाटा। फिर गर्दन और कंधे चाटने लगा। फिर दीदी ने अपनी बाहें ऊपर कर ली मैं उनके बगलों में घुस गया। दीदी पूरी चिकनी हो रखी थी। कहीं भी बालों का नामों निशाँ तक नहीं था। अब बगले चाटने के चक्कर में मेरा हाथ दीदी के मुम्मे पर लग रहा था। पर मैं उन्हें पकड़ने से अवॉड कर रहा था। दीदी ने फिर मेरा हाथ लिया और मुम्मे पर रख दिया।
कहा - आराम से पी। चाट जा मेरे शराब को भाई। इसमें जो नशा है कहीं नहीं। आह आह।
मैं अब उनके क्लीवेज को चाटने लगा। मैंने दोनों हाथो को उनके दोनों मुम्मो पर रखा और उन्हें दबाते हुए उनकी गहराइयाँ अपने जीभ से नापने लगा। निचे मेरा लंड बाहर आकर उनकी चूत से दोस्ती करने में लगा था। पर मैं डरा हुआ था। हर एक स्टेप धीरे धीरे लेना चाहता था।
मैं थोड़ा निचे सरका और दीदी के स्लिप को ऊपर करके उनके पेट पर जीभ फेरने लगा। उनकी बड़ी बड़ी नाभि के चारो और मैं जीभ फिर कर चूमा चाटी कर रहा था। मैं उनकी चूत की तरफ बढ़ना चाह रहा था जो पहले से पनिया चुकी थी।
तभी दीदी ने मुझे रोक दिया और कहा - बड़ा चटोरा है रे तू। क्या नशा दिया है तुमने। शादी से पहले तो मैं ऐसा नशा खूब करती थी। पर तेरे जीजा को यही एक चीज पसंद नहीं है।
मैं - तब किसको चाटती थी तुम दी ?
दीदी - भाई तुझे पता नहीं माँ को मेरे पसीने से नशा होता था और मुझे उनके। गर्मियां तो मस्त बितती थी।
मैं - और सुधा दी ?
सरला दी - उन्हें पसीना चाटना पसंद नहीं था पर मुझसे खुद की सफाई करवा लेती थी। बड़ी हरामी थी। कुछ और ही नशा था उनको
मै - क्या ?
सरला दी - सब आज ही जान जायेगा क्या ? देख तेरा छोटू खड़ा हो गया है।
मैं - अंदर और बाहर की इतनी गर्मी में परेशान नहीं होगा तो क्या होगा। काश उसका रास भी कोई पी जाता।
सरला दी सीट से उठी और बोली - चल तू भी क्या याद रखेगा। कहकर वो नीचे उंकड़ू बैठ गई और मेरे बरमुडे से लंड निकाल कर अपने मुँह में भर लिया। दीदी ने उसे पहले लॉलीपॉप की तरह ऊपर से नीचे तक चाटा और उसके टोपे की किस करके बोली - काफी बड़ा कर लिया है तूने हथियार। ताज्जुब है कोई लौंडिया पटी नहीं कैसे ?
मैं - देखे तो पटे न दी।
दीदी - हम्म फिर वो सडप सडप करके मेरे लंड को अपने मुँह में अंदर बाहर करने लगी। मैं पहले से ही इतना उत्तेजित था की कुछ ही देर में मेरे लंड साहब शहीद होकर अपना पानी उनके मुँह में उड़ेल दिए। दीदी ने भी उसे पूरा निगल लिया और कहा - बड़ा स्वाद है रे तेरे पानी में।
मैंने रिलैक्स होते ही आँखे बंद कर लिया था। तभी आह आह आह सससस ससस की आवाज आने लगी। मैंने देखा दीदी ने अपना हाथ शार्ट पेंट में घुसाया हुआ था और चूत में ऊँगली कर रही थी। उनकी नशीली आँखे मुझे देख रही थी। बड़बड़ा रही थी - सससस आह आह मेरी मुनिया बस कर कितना रोयेगी। चिंता मत कर शांत तो कर रही हूँ न। आह आह चुद जा , चोद चोद। ले मेरी ऊँगली। खा जा
मुझसे रहा नहीं गया - मैंने कहा दीदी मैं थोड़ी सेवा कर दूँ। मुझे भी तुम्हारा पानी पीना है।
दीदी - ससससस ससससस राजआज। आह आह। सब पहले ही दिन करेगा क्या मेरे भाई। समय आने दे। तेरी दीदी सेवा का मौका देगी। आह आह आह साली चूत बहुत परेशान कर रही है। आआह आआह। झड़ी रे। कोई पार लगा दो। माआआ अअअअअ उफ्फ्फफ्फ्फ़
फ़क फ़क फ़क फ़क मी। फिर दीदी का पूरा शरीर कांपने लग। कुछ देर के कम्पन के बाद वो शांत हो गई। मैं बूत बना उस कामुक सीन को देख रहा था। झड़ने के बाद दीदी ने अपनी ऊँगली निकाली और मेरी तरफ करके बोली - लेले अपनी दीदी का स्वाद।
मैं मूढ़ उनके बगल में बैठ उनकी ऊँगली में लगे रास को चाटने लगा। उनकी ऊँगली एक नमकीन आइसक्रीम जैसी लग रही थी। पहले पसीना , फिर दीदी की चूत का पानी। मुझे तो लगा की मैं अभी अभी बियर पी कर बैठा हूँ। हल्का हल्का शुरुर छाया हुआ था।
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अब हाल ये था की दीदी तो मुझसे खुल के चुदना चाहती थी पर माँ अब भी संकोच में थी। मैं चाहता था की घर में मैं जब चाहूँ, जिसे चाहूँ , जहाँ चाहू चोद दू। अब मेरा लंड हमेशा शिकार की तलाश में रहता। एक दिन शाम हम बैठ टीवी देख रहे थे। मैंने माँ की गोद में सर रखा हुआ था और मेरा पैर दीदी के गोद में था। माँ ने साडी पहन राखी थी और दीदी हमेशा की तरह एक छोटी सी निक्कर और स्लिप में थी। मैंने भी बरमूडा और बनियान पहन रखा था। तभी अचानक से जोरदार बारिश होने लगी। दीदी ने कहा चल नहाते हैं। मैं तुरंत तैयार हो गया। दीदी ने माँ से कहा तो माँ ने पहले तो मना किया फिर तैयार हो गई।
अब आपको हमारे घर के बारे में बता दूँ। हमारा घर दोमंजिला है और आस पास के घरो से ऊँचा है। हमारी रेलिंग भी थोड़ी ऊँची है। मेरे सीने से बस थोड़ी ही नीची। एक कोने में इमरजेंसी पर्पज के लिए एक छोटा सा कमरा और बाथरूम बना था। कमरा तो स्टोर रूम में तब्दील हो चूका था पर बाथरूम यूज़ में था। वहीँ पास में एक बड़ी सी सीमेंटेड पानी की टंकी थी जिस के एक तरफ सीमेंट का ही बेंच सा बना रखा था।
बारिश धुआंधार हो रही थी। दीदी और मैं तो तुरंत बारिश में चले गए। माँ संकोच कर रही थी पर उन्हें भी मैंने और दीदी ने खींच लिया।
अब हम तीनो बारिश में भींग रहे थे। दीदी का स्लिप एकदम चिपक गया था। मेरी बनियान बह भींग गई थी। माँ अपनी साडी से खुद को ढकने की कोशिश में लगीं थी पर दीदी को तो ठरक सवार थी। उन्होंने माँ का पल्लू लिया और खींचने लगी।
माँ - क्या कर रही है।
दीदी - घर में तो चूचियां दिखाती फिरो और यहाँ साडी नहीं उतर रही।
माँ- भाई छत पर कोई देख लेगा।
दीदी - हम ऊंचाई पर हैं। हम सबको देख सकते हैं हमें कोई नहीं देख सकता।
माँ ने चारो तरफ देखा और फिर दीदी को उनकी वाली करने दी। अब माँ सिर्फ पेटीकोट ब्लाउज में थी। ब्लाउज तो पहले ही भींग चूका था।
पेटीकोट भी आगे पीछे दोनों तरफ से चिपक गई थी। माँ ने न ब्रा पहना था न ही पैंटी। उनकी गांड एकदम मस्त तबले जैसी लग रही थी।
दीदी का भी वही हाल था। तभी मैं भाग कर निचे अपना मोबाइल लाने गया। लाकर मैंने कमरे की खिड़की पर रख दिया और सेक्सी बरसात वाले गाने लगा दिए। गाना बजते ही दीदी ने मुझे पकड़ लिया और डांस करना शुरू कर दिया। उन्होंने माँ को भी खींच लिया डांस के लिए।
हम हम तीनो डांस कर रहे थे। डांस करते करते एक दुसरे से चिपक रहे थे। उनकी हालात देख मेरा लंड खड़ा हो गया। मेरी स्थिति देख दीदी ने माँ से गाना गाते हुए कहा - अम्मा देख तेरा लौंडा बिगड़ा जाए। अपनी माँ बहन को देख लंड खड़ा किया जाय। माँ हंसने लगी।
मैंने तभी दीदी की पिछवाड़े पर धीरे से एक चपत लगा दी। दीदी ने यही देख माँ के गांड पर चपत लगा दी। मैंने माँ को किस कर लिया। माँ भी मस्ती में थी उन्होंने दीदी को किस कर लिया। खेल चालू हो चूका था। मैंने अपना बनियान उतार दिया। दीदी ने भी मस्ती में अपना स्लिप उतार दिया। अब सिर्फ एक डिज़ाइनर ब्रा में थी। वो भी पूरा भींगा हुआ। उनके निप्पल टाइट होकर निकल चुके थे। सब लगभग दिख रहा था। माँ थोड़ा सकपकाई पर दीदी आगे बढ़ी और उनका ब्लॉउस पकड़ कर फाड़ दिया। चट चट करके सारे हुक टूट गए। उन्होंने माँ के ब्लॉउस को उतार दिया और उनके मुम्मे पीछे से जाकर पकड़ लिए। अब दीदी माँ के पीछे चिपक कर कड़ी थी। उन्होंने माँ के निप्पल निचोड़ते हुए मुझसे कहा - राज , तुझे मम्मी के मुम्मे पसंद हैं न।
मैंने कहा - बहुत
दीदी - माँ तेरे मुम्मे एकदम दुधारू गाय की तरह है। देखो न लड़का तड़प रहा है पीला दो।
माँ ने अब शरम तोड़ते हुए कहा - पी ले। मेरा दूध तो तुम दोनों के लिए है। पी लो।
मैंने आगे बढ़कर उनके मुम्मो पर हाथ लगा दिया और उनको किस कर लिया। दीदी ने कहा - बहनचोद ,मुझे भी किस कर लेगा तो तेरी जीभी घिस नहीं जाएगी।
मैंने माँ के गर्दन से ही सर आगे किया और दीदी को किस कर लिया। अब दीदी पीछे से माँ के मुम्मे दबा रही थी और मैं आगे से।
माँ - तुम दोनों दबाओगे या पियोगे भी। आह आह। आराम से।
फिर दीदी माँ को लेकर टंकी के पास गईं । मैं बेंच पर बैठ गया। दीदी ने माँ को टंकी से लगाकर चौपाया बना दिया और साइड से आकर उनके मुम्मे ऐसे दबाने लगीं जैसे दुह रही हो और मैं बछड़ा बना पीने लगा। ऊपर से बारिश की बुँदे गिर रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे माँ के स्तनों से सचमुच दूध निकल रहा हो।
माँ - आह , रराज बेटाआअअअअअ पी ले माँ का दूध। तेरी माँ एकदम दुधारू गाय है। तेरी बहन आ गई तो तुझे मिला नहीं था न। देख तेरी बहना ही तुझे पीला रही है। कितना खेल रखती है तेरा। आह आह। सरला तू मेरी प्यारी बेटी है। तू नहीं पीयेगी क्या। पी ना
अब दीदी भी मेरे बगल में बैठ गई और हम दोनों उनके मुम्मे पीने लगे।
माँ - आह कितना अच्छा लग रहा है। तुम दोनों के बचपन की याद आ गई। फिर माँ बैठ गई। मै उनके गोद में सर रख कर पीने लगा और दीदी ने दुसरे मुम्मे पर कब्ज़ा कर लिया।
माँ - ऐसे ही जब मैं राज को बचपन में दूध पिलाती थी और तू बहुत जिद करने लगती थी पीने के लिए। जब भी मैं राज को पिलाती तू दूसरा मुम्मा ऐसे ही चूसने लगती थी। आह आह राज के बाद तूने ही सबसे ज्यादा मेरा दूध पिया है इस लिए ही तुझमे मेरे जैसे ही गुण हैं।
मैं - काश इसमें आज भी दूध आता।
दीदी - साले , नहीं आता है तब भी तू इनसे लटका रहता है। आते तो दिन भर माँ के पल्लू में ही रहता। माँ सुधा दी फिर क्या करती थी।
माँ - मत याद दिला सुधा की। उसे तो कुछ और ही पीने की आदत थी। बड़ी थी न। उसे बड़ो का खेल पसंद था
मैं - माँ अब मैं भी बड़ा हो गया हूँ मुझे भी वो करने दो न
दीदी फिर अपना ब्रा खोल दिया और खड़ी हो गई। बोली - मेरे दोनों थनों में भी काश दूध होता।
माँ ने दीदी को अपने गोद में बिठा लिया। उमके मुम्मे दबाते हुए बोली - आ जायेंगे। तू तो मुझसे भी बड़ी दुधारू गाय निकलेगी।
माँ ने अब दीदी के मुम्मे पीने शुरू कर दिए। मैंने भी माँ की गोद से उठ कर दीदी का खली मुम्मा मुँह में भर लिया।
दीदी - सससस, आह क्या चूसती हो माँ। तुमने भाई को भी अच्छा सिखाया है। आह भाई तुम्हारा लौंडा तो तेरे जीजू से बड़ा है ही तेरी जीभ भी उनसे ज्यादा चटोरी है। पी जाओ मेरा दूध। जब असली वाला आएगा तो भी पिलाऊंगी। मेरा वादा है। आह आह मेरे भाई। पहला बच्चा मायके में ही होता है। तुझे पूरा मौका मिलेगा। आह आह।
दीदी ने अपने हाथ मेरे बरमूडा के अंदर डाला और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया। माँ को दिखाते हुए बोली - माँ कितना प्यारा है न। लंबा , और गोल। कितना साफ़ रखता है भाई।
मैं अब बेकाबू हो रहा था। मैंने बोला - माँ का ही हेयर रेमोवेर यूज़ करता हूँ।
दीदी - माँ तुम खुद क्यों नहीं साफ़ कर देती हो इसका।
मेरी आहें निकल रही थी। मैंने कहा - कितना बदकिस्मत हूँ। ऊपर से बादल रो रहा है , निचे मेरा लंड। दो दो चूत हैं यहाँ पर एक भी नसीब नहीं।
दीदी तभी उठी और एकदम से कमर लहराते हुए अपने पेंट को उतार दिया और मेरी तरफ पीठ करके मेरे ऊपर बैठ गईं। मेर लंड उनके गांड की फांको से निकलता हुआ आगे उनकी चूत के दरवाजे पर दस्तक देने लगा। दीदी ने वैसे ही थोड़ी देर मेरे ऊपर कमर आगे पीछे किया।
माँ - क्यों तड़पा रही है मेरे बेटे को। जब खोल ही दिया है तो दे दे न।
दीदी - देने के लिए ही खोला है मेरी अम्मा। आज भाई को बहन की चूत तो मिलेगी ही। पर रोड़ा तू है
माँ - मैं कहा। कह तो रही हूँ दे दे।
दीदी - आज तुम्हे भी देनी होगी अपनी चूत। आज भाई अगर बहन चोदेगा तो माँ की भी चूत में घुसेगा। बोलो मंजूर है।
माँ - अब बचा ही क्या है।
दीदी ने फिर मेरे पैर बेंच के दोनों तरफ किया और अपने भी। आग हम दोनों का पैर बेंच पर लटक रहा था।
माँ दीदी की सामने दोनों तरफ पैर करके बैठ गई। उनका पेटीकोट कमर पर आ गया था।
अब दीदी धीरे से उठी और मेरे लंड को चूत पर सेट किया। बैठने वाली थी की मुझसे रहा नहीं गया और मैंने निचे से धक्का देकर उनकी चूत में अपना पूरा लंड घुसा दिया।
दीदी - बहनचोअअअअअ द, दे रही थी न। सब्र नहीं हुआ तुझे। आह , मार ही डाला रे। दीदी ने मुझे हिलने नहीं दिआ और जमकर मेरे लंड पर पूरा बैठ गईं। आह आह कितना लम्बा है रे। लगता है पहली बार चूत में लंड लिया है। आह माँ ये तो फाड़ देगा मेरी चूत को।
माँ दीदी के नजदीक आई और उनके मुम्मे को दबाते हुए बोली - अब समझ आया मैं क्यों नहीं दे रही थी। मेरी चूत ने खानदान के कितने लंड लिए होंगे पर यही असली मर्द है। मुझे भी इससे डर लगता है। तेरी चाची की तो फट ही गई थी।
दीदी - चाची बड़ी हिम्मत वाली है माँ। क्या करूँ ?
माँ - अब उखली में मुसल घुसा ही लिया है तो तेल पेरवा ही ले। तेल निकलेगा तो भी तो मैं पियूँगी।
अब दीदी ने धीरे धीरे मेरे लंड को थोड़ा सा निकाला और फिर अंदर ले लिया। मुझे लग रहा था की मेरा लंड जलती भट्ठी के अंदर है।
दीदी ने धीरे धीरे मेरे लंड पर कूदना शुरू कर दिया। उन्होंने मुझे पूरा कण्ट्रोल किया हुआ था तो सब उनके हाथ में था। मै पीछे से उनके मुम्मे पकड़ कर दबाने लगा।
दीदी - आह ससससस आह कितना बड़ा लंड दिया है माँ ने तुझे। मैं भी अपने बच्चे को खूब दूध पिलाऊंगी। उसका भी लंड बड़ा होगा। मामा के जैसा होगा। मेरी सेवा वो भी करेगा। आह आह तुझ पर झूलने में कितना मजा है। अब दीदी ने स्पीड बढ़ा दिया था। माँ ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर दीदी की चूत को ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया।
दीदी ने माँ को बोला - माँ थोड़ा ग्रीज लगाओ न। मेरी मुनिया को प्यार करो न।
अब माँ झुक गईं और दीदी की चूत पर अपना जीभ फेरने लगी। दीदी की चूत पर डबल अटैक था। माँ दीदी की चूत में अंदर बाहर जाते लंड को बीच बीच में चाट ले रही थी।
दीदी - आह आह माआआआआ मजा आ रहा है। भाई तू भी कुछ मेहनत कर लगा दे जोर।
अब मैंने निचे से धक्के लगाने शुरू किये।
मैं - क्या मस्त चूत है दीदी। एकदम कुँवारी। जीजा ने तुम्हे ठीक से चोदा नहीं है।
दीदी - नहीं रे , ऐसा नहीं है। प्यार तो करते हैं पर उनकी माँ के दूध में दम नहीं रहा होगा। लंड तेरे जैसा बड़ा नहीं है। आह मार जोर से मार स्पीड बढ़ा। मेरा आने वाला है आह आह आह आह बहन चोद ही ली तूने। स्स्सस्स्स्स रहा नहीं जा रहा। पेल दे। आह आह आह
दीदी ने अपनी चूत से आखिर कार नमकीन पानी छोड़ ही दिया। मेरे लंड ने भी उसी समय पिचकारी छोड़ दी। दीदी एकदम से मेरे लंड पर बैठी ही रही। माँ अपना काम कर रही थी। दीदी की चूत के पानी के साथ साथ मेरा वीर्य भी बाहर रिस रहा था। माँ यूज़ पूरा चाट रही थी। थोड़ी देर सुस्ताने के बाद दीदी उठी। उनकी चूत से मेरा लंड गप की आवाज के साथ बाहर आ गया। वो माँ को चूमने लगी। माँ के मुँह में जो रास था उसे चाटने लगीं। मेरा लंड अब भी खड़ा था। माहौल का असर था या फिर अगली चूत का इंतजार। दीदीको अपने गांड पर मेरे लंड का अहसास हुआ तो वो घूम गईं और बोली - क्या रे तेरा अभी तक शांत क्यों नहीं हुआ। माँ की मार कर ही मानेगा क्या ?
दीदी फिर मेरे लंड को चाट चाट कर साफ करने लगीं। माँ भी निचे बगल में आ गईं और उन्होंने भी मेरा लंड चाटना शुरू कर दिया। अब मेरा लंड फिर से तैयार था। पर उसे माँ की चूत चाहिए थी। दीदी समझ गई थी यही सही मौका है।
उन्होंने माँ से कहा - कितना सुन्दर है न तेरा लल्ला।
माँ - हां रे , गोल गोल सुन्दर। देख इसका चेहरा कितना लाल है।
दीदी - वो वही जाना चाहता है जहाँ से आया है। ले ले माँ इसे अपने शरण में ले ले। देख कितना तड़प रहा है।
माँ - अब तो लेना ही पड़ेगा सरला। बहुत तरसाया है इसे मैंने।
कह कर माँ उठी और मेरे होठो को किस कर लिया। फिर बोली - आजा मेरे लाल , तेरी माँ की चूत तैयार है तुम्हे अंदर लेने के लिए।
मैं उठ खड़ा हुआ। माँ ने अपना वही बेंच पर टिकाया और चौपाया बन गई। मै उठकर उनके पीछे गया और उनके पीछे से अपना लम्बा मुसल उनके चूत पर सेट कर लिया। दीदी माँ के सामने बैठी थी उन दोनों का लिप लॉक हो चूका था। मैंने अपना लैंड धीरे धीरे माँ की चूत में डालना शुरू किया मैन उन्हें तकलीफ नहीं देना चाहता था। उन्होंने मेरे लिए छूटों का इंतजाम जो किया था। मैन धीरे धीरे माँ को पीछे से धक्का लगा रहा था और दीदी ने माँ के जीभ को अपने मुँह में ले राखी थी। मैंने अब स्पीड बढ़ा दिया। क्या गजब की चूत थी माँ की। पापा के जाने के बाद से कुँवारी ही थी। मेरे लंड तो लग रहा था जैसे एकदम संकरी गली में फंसा हुआ हो। इतने गरम माहौल में माँ की चूत में पानी की वजह से चिकनाई तो थी पर मुझे बिलकुल भी ढीलापैन नहीं लग रहा था।
माँ - आह जैसा लगा था वैसा ही है तेरा लंड। एकदम गधे जैसा। आह आह आह। पेल ले अपनी माँ को। कर ले अपनी तमन्ना पूरी। बहुत तरसाया है न मैंने आज कर ले अपनी वाली। जोर से घुसा आह आह।
मेरा लंड पूरा टाइट था। दीदी को पेलने के बाद भी पूरा कड़क था। मेरी पेले की स्पीड बढ़ गई थी। माँ खड़े खड़े थक गई थी तो मैंने उन्हें सीधा किया और उनका एक पैर उठा कर बेंच पर कर दिया और सामने से अपना लंड उनकी चूत में घुसा कर पेलने लगा। माँ ने अपने बाहों को मेरे कंधे पर लपेट लिया था। अब माँ भी धक्के लगा रही थी।
माँ - क्या मस्त चोदता है रे तू। अब समझ आया छोटी (चाची) से लेकर तेरी बहन भी दीवानी हो गई है। पेल मेरे राजा पेल। आह आह । देख सरला मेरी चूत कितनी खुश है। तेरे पापा के जाने के बाद उसे लंड नसीब हुआ है वो भी इतना तगड़ा।
दीदी माँ के पीछे जाकर बैठ कर उनकी गांड चाट रही थी। बीच बीच में वो उनके चूतड़ों पर थप्पड़ भी मार रही थी।
माँ एक बार झाड़ चुकी थी पर मेरा लंड तो थकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
माँ - आह इतनी पिलाई के बाद भी थका नहीं रे तू। तेरा लंड तो और भी बड़ा होता जा रहा है।
मै -अपने घर में गया है माँ। वहां इतना अच्छा लग रहा है उसे की निकलने को तैयार नहीं है। आज वो बहुत खुश है।
माँ - आज तो खुश होना ही है। बहन चोदने के बाद माँ भी जो चोदने को मिल गई।
दीदी ने तभी अपनी एक ऊँगली गीली करके माँ के गांड में घुसाने की कोशिश करने लगी
माँ - आउच , रंडी कहीं की। उसमे आज तक कुछ नहीं गया। तेरे बाप ने बहुत कोशिश की थी मारने की वो तक नहीं पा पाया। क्या कर रही है।
दीदी नई ऊँगली जितनी गई थी उतनी डाले रखी
माँ अब तड़प रही थी। माँ - आह मादरचोद क्या हुआ तेरे मुसल को। पेल मुझे। इतना बड़ा लौंड़ा रखे है और कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। तुझे तीन तीन चूत मिल गई। और भी छूटें दिलाऊंगी , बस तुम मेरी चूत को पेलते रहना।
मैं - मेरी गदराई माँ। तू तो मेरी रानी है। पहला प्यार है। मैं चाहे जितनों को अपना बना लूँ पर तुझसे दूर कभी नाह जाऊंगा।
माँ - आह आह आह मैं टी आ गई रे। जल्दी कर। देख तेरी एक बहन ने तो चूत दे ही दिया है , सुधा तो कब से प्यासी है। उसकी भी दिलवा दूंगी। हम चारो एक साथ होंगे तो कितना मजा आएगा। आह तेरी गर्लफ्रेंड बह बनेगी। एक नहीं कई बनेगी। सब तेरे सामने चूत खोल कर कड़ी रहेंगी। आआ आ माआआआ फाड़ दिया रे।
माँ की गरम गरम बातें सुन कर मेरे अंदर का लावा फुटने को तैयार था। कुछ ही क्षणों में मै भी धराशाही हो गया। हम दोनों एक दुसरे के बाहों में थे। दीदी भी आकर हमसे लिपट गई। बारिश तो कब की थम चुकी थी पर यहाँ अलग ही बारिश हुई थी। मैं सबसे ज्यादा खुश था आखिर माँ की चूत मिल ही गई थी। अब मैं सरला दी और माँ के साथ फ्रीली सेक्स कर सकता था।
Ek sath do do . Ab tisre ka number lagega.
 
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