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Vah Kitna badhiya likha tha maine Mera khud ka land khada ho gaya yah post padhakarमैं – तो मेने कब बोला की में आपके दूध की बात कर रहा हूँ.. ये तो मेने एक एक्साम्प्ल दिया है... बाकी आपका सामान भी फटने के बाद ही काम आएगा..
बाजी – शरीर... बहुत पिटेगा तू
बाजी की चूत को गिला रखने का सिलसिला जारी है
अब आगे
बाजी – शरीर... बहुत पिटेगा तू
मैं – बाजी अगर आपका सामान इस्तेमाल करने मिले तो में पीटने को क्या मरने को भी तैयार हूँ..
बाजी – खबरदार अगर कभी ऐसे बात की तो... मुझसे बुरा कोई नहीं होगा...
मैं – सॉरी बाजी... आइन्दा से ऐसी बात बिलकुल नहीं करूँगा पर वैसे भी आपसे बुरा कोई नहीं है
बाजी – क्यूँ मैंने क्या किया... जो में बुरी बन गयी
मैं – वही तो आप कुछ करती ही नहीं है जो मुझे अच्छा लगे
बाजी – अच्छा जी तो क्या करवाना चाहते है आप अपनी बाजी से जिससे आपको आपकी बाजी अच्छी लगे
मैं – मुझे तो मेरी बाजी हमेशा ही अच्छी लगती है फिलहाल तो में जाने से पहले आपसे गले लगना चाहता हूँ
बाजी – ठीक है जाने से पहले तुम्हे दरवाज़े पे गले लगा लुंगी
मैं – देखा मेने कहा था ना की आप बहुत बुरी है
बाजी – अरे अब क्या हुआ
मैं – अरे आपका राजकुमार चार साल के लिए बाहर जा रहा है और आप इतनी छोटी से बात के लिए भी वेट करवा रही है ...
बाजी – अले अले मेरा राजकुमार... चल आजा लग जा गले...
{ और ऐसा बोल कर बाजी ने अपनी बाहे फैला दी और मेने भी उन्हें गले लगा लिया... पर प्रॉब्लम ये थी की हमारे बिच में टेबल था जिसपे मेरा बैग रखा हुआ था.. जिसकी वजह से में बाजी के फुल पके हुवे संतरे को अपने जिस्म पे महसूस नहीं कर पा रहा था... इसी खिज़ में मेने अपने आपको बाज़ी से छुड्वाया
और बोला }
मैं – बस बाजी बस छोड़ो मुझे
बाजी – {हैरत से } क्या हुआ
मैं – ये भी कोई गले लगाना हुआ... इतनी दूर से
बाजी – बदमाश तो अपनी बाजी को पास से गले लगाना चाहता है.. हाँ वैसे भी तुझे तो गोद में बैठाके गले लगाने की आदत है.. है न
{बाजी की बात पे मुझे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था की तभी मेरी साड़ी परेशानियों का हल... मेरे सारे सवालो का जवाब... मेरी जुड़वाँ आस्मा आ गयी...}
आस्मा – अरे चुप क्यों है बोला न... दरअसल बाजी जब आप किसी को दिल से गले लगते हो ना तब ऐसा लगता है की आपकी सारी परेशानी खत्म हो गयी... दोनों को एक सुकून का अहसास होता है.. रुको में आपको बताती हूँ कैसे गले लगते है
{ ये बोल के आस्मा ने मुझे हाथ पकड़ के उठा लिया.. और में भी जगह से खड़ा हो गया.. जी हाँ में भी क्यूँ की मेरा लंड तो तब से ही खड़ा था जब से बाजी मुझे अपने दूध दिखा रही थी और मेरे उठाते ही बाजी की नजर सबसे पहले मेरे पुरे खड़े लंड पे पड़ी... और बाजी का मुह खुला का खुला रह गया... उस समय तो में भी बाजी का मंद पढ़ सकता था.. जैसे उनके माइंड में आवाज गूंज रही हो.. बाप रे इतना बड़ा... और मैं ये सब सोच ही रहा था की उतनी देर में आस्मा ने मुझे गले लगा लिया और मेरा लंड सीधा उसकी चूत पे ठोकर मारने लगा और वो बिलकुल नार्मल होकर मुझे गले लगी रही... और फिर अलग होकर बाजी को बोली... लो अब आप करो और बाजी कापते हाथो को लेकर आगे बढ़ने लगी... अभी भी उनकी नजर मेरे लंड पे ही थी... जिससे बचने के लिए बाजी ने उनकी चूत के वंहा से मेरे लंड से दुरी बनाई
और इसका फायदा भी मुझे ही हुआ उनकी चुचिया मेरे सिने में धस गयी और में आँखे बंद कर उनका पूरा मजा लेने लगा जैसे वो नंगी ही मेरी बाहों में हो... मन तो मेरा कर रहा था की हाथ निचे ले जाकर उनकी बड़ी से गांड को मसल दूँ पर मेने खुद पे कण्ट्रोल किया कुछ देर बाद }
आस्मा – सुकून मिला बाजी
बाजी – {गले लगे लगे } मुझे तो कुछ भी महसूस नहीं हो रहा
आस्मा – क्या रुको में देखती हूँ
(और वो आकर पीछे से बाजी के गले लग गयी एक झटके में जिससे बाजी की गांड आगे हुई और मेरा लंड बाजी की चूत के दाने को घिसता हुआ उनकी जांघो के दरमियाँ घुस गया... मेरा हाथ बाजी की पीठ पे ही था और अब आलम ये था एक मेरी हतेली में बाजी नरम मुलायम पीठ थी वन्ही उसकी अपोजिट साइड आस्मा के बोबो के निप्पल और आस्मा ने हाथ बढाकर बाजी का हाथ मेरे कंधो से पकड़ कर पीठ पे रख दिया और बोली )
आस्मा – अब सहलाओ बाजी
बाजी – {निचे चूत से मेरा लंड सहलाते हुवे बोली} क्या ?
आस्मा – अपने हाथो से पीठ सहलाओ
{बाजी मेरी पीठ सहलाते हुवे धीरे धीरे मेरे लंड पे अपनी चूत भी घिस रही थी और मदहोश होती जा रही थी वन्ही में भी उनके एक कंधे पे सर रखे पीठ पे हाथ घुमा के उनकी ब्रा को फील कर रहा था.. जिससे मेरे हाथ बार बार आस्मा की चुचियो से टकरा रहे थे और आस्मा भी अपना सर बाजी के काँधे पर टिकाये बाजी के कानो में बोल रही थी...}
आस्मा – बाजी मिला सुकून
बाजी – हाँ बहुत सुकून है अपने भाई की बाहों में
आस्मा – इसीलिए तो में जब भी मोका मिलता है इसकी गोद में बैठ के इसे गले लगा लेती हूँ...
{और इतना बोल कर वो बाजी के काँधे सर पीछे कर के मुझे देखने लगी... अब तक जो में बाजी के जिस्म की गर्मी को महसूस करने में मग्न था... आस्मा का चेहरा देखते ही वो हवास गायब हो गयी और में थोडा सा पीछे हुआ...जिससे मेरा लंड बाजी की चूत के दाने पर आकर टिक गया और बाजी को भी इस बार ये अहसास हुआ की आस्मा के पीछे होते ही.. मुझे कुछ हुआ है... पर इतनी ही देर में मैंने अपना हाथ बाजी की पीठ से हटाया और आस्मा की गर्दन में डाल के उसे अपनी और खीच लिया जिससे बाजी को फिर से झटका लगा और मेरा लंड बाजी के दाने को रगड़ता हुआ उनकी चूत के दोनों होठो को फैलता हुवा सीधा उनकी गांड के छेद पे जाकर रुका... वो तो अच्छा था बाजी सलवार पहने थी... वर्ना आज बाजी की चूत का ढक्कन खुल ही जाता... इधर में इन बातो से बेखबर आस्मा की आँखों में देखते हुवे उसे अपनी और खिचे चले जा रहा जिससे बाजी की बड़ी बड़ी चुचिया सैंडविच की तरह दब गयी थी और बाजी के निप्पल मुझे चुभ रहे थे और आस्मा के निप्पल बाजी को...
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इसी तरह आस्मा और में एक दुसरे के इतने करीब थे की मेने आस्मा के होठ चूमने के लिए अपने होठ आगे कर दिए... वन्ही आस्मा ने भी अपने होठ आगे कर दिए... बस हम किस करने ही वाले थे की तभी...}
बाजी की चूत गीली... मेरा लंड खड़ा....
बोलो वाह वाह
बाजी की चूत गीली... मेरा लंड खड़ा....
खड़े लंड पे चोट करने... इस घडी कोन आन पड़ा