मेनेजर – जी सर जरुर ( और मेनेजर निचे बैठ गया और साफ़ करने लगा और जैसे ही वो निचे बैठा मेने मेरी गुलाम को दोनों टांग फ़ैलाने का इशारा किया और उसने टाँगे फैला दी.. और बिचारे मेनेजर साब के मन में ये आया )
और जैसा की संत फ़क़ीर दास जी ने कहा
भला करन जो में चला... भला ना मिलय कोई...
चड्डी के चक्कर में... रेस्टोरेंट खाली होए
फकीरा
रेस्टोरेंट खाली होए
अब देखो पूरा रेस्टोरेट कैसे खाली होता है
मेनेजर – (कुछ देर निचे बैठने के बाद उठा और बोला ) सर में इस रेस्टोरेंट का मेनेजर हूँ फिर भी आप की सर्विस के लिए आया हूँ... पता है क्यूँ
मैं – ( हाँ निचे का दाना जो देखा तूने तो स्पेशल सर्विस तो देगा ही ) क्यूँ ?
मेनेजर – क्यूँ की सर पहली बात तो वेटर ने सारी चीज़े आपकी निचे गिरा के ख़राब कर दी और आपका टाइम भी ख़राब किया पर उससे भी जरुरी बात ये है की आप हमारे आज के 101 याने एक सो एक वे कपल है तो ये सब आज आपके लिए अलोन अकेले.... अभी में गेट लगवा देता हूँ ... कोई अन्दर नहीं आएगा आज सिर्फ आप रहेंगे
मैं – अच्छा और वेटर
मेनेजर – सर में हूँ ना आपका, वेटर कुछ फॉर्मलिटिस है में उनको पूरा करता हूँ तब तक आप वंहा बेक केबिन में रुकिए
(आयशा ने मेरी तरफ देखा की ये क्या हो रहा है... तो मेने उसे आँखों से जैसे इशारा किया )
क्या नाचे तू दिल्ली, हिले है लंदन मटक मटक जैसे रवीना टंडन
(और वो भी उठ के खड़ी हो गयी... और मेनेजर को बोला )
आयशा – कन्हा है बेक रूम
मेनेजर – मैडम वंहा किचन की पीछे
आयशा – ठीक है ( और धीरे से उसके कान में – में आगे जा रही हूँ तू मेरे पीछे आ.. जल्दी )
मेनेजर – जी मैडम आप चलिए...
और आयशा ने रवीना की तरह ऐसे गांड मटकाई.... की उसकी बड़ी गांड के पीछे वंहा बैठे मर्दों के साथ कई औरतो और लडकियों की दाने भी फडकने लगे थे की
मेनेजर – (रूम में जाने के बाद ) आप यंहा बैठिये जब तक में सब की छुट्टी कर के आता हूँ...
आयशा – जल्दी करना ज्यादा टाइम नहीं है मेरे पास
मेनेजर – जी मैडम (और जाने लगता है)
आयशा – और सुन
मेनेजर – जी... अगर हमें तेरी सर्विस अच्छी लगी तो तुझे इनाम भी मिलेगा
मेनेजर – (लार टपकते हुवे ) कैसा इनाम
आयशा – वही जो तूने टेबल के निचे बैठ के देखा था... तब शायद ठीक से दिखा नहीं होगा ... सर्विस अच्छी देगा तो ठीक से देखने को मिलेगा और छूने को भी...
(मेनेजर की आँखे ख़ुशी से बड़ी हो गयी और गांड भी फटी की जब इसको पता है तो इसके BF को भी पता होगा कंही मेरी ही गांड न मार ले पर फिर भी उसने इस छूने वाली बात के लिए सोचा... ऐसे दाने के लिए गांड पे १० लट्ठ भी खाने पड़े तो कोई घाटे का सौदा नहीं है )
मेनेजर – जी मैडम आपकी सेवा में मैं कोई कमी नहीं रखूँगा
(और वो बहार निकल गया मुझे गेट पे ही मिला और मुझे देख के हडबडाया और फिर स्माइल देके निकल गया )
मैं – (अन्दर आया ) क्या बोल रहा था ठरकी...
आयशा – नही मालिक कुछ भी नही उल्टा मेने ही उसे बोला की अगर उसने अच्छी सर्विस दी तो मुझे छू सकता है...
मैं – क्यूँ मेरी गुलाम की गांड ज्यादा उच्छल रही है क्या मसलवाने के लिए ...
आयशा – जी मेरी तो हमेशा फुदकती ही रहती है... पर ये सब आपके लिए... क्यूँ की आप बस में मुझे अच्छे से देख नहीं पाए और मुझे पता है मेरे मालिक को मेरा लाइव शो देखने में मजा आता है...
मैं- बहुत अच्छा एक गुलाम में ये क्वालिटी हमेशा होना चाहिए की वो मालिक की ख़ुशी खुद ही मालिक की आँखों से पढ़ ले पर मेरा प्लान अब कुछ और है
(और मेने आयशा को प्लान बताया )
प्लान क्या सुनोगे अगले अपडेट में खुद ही देख लेना क्या होता है
और जैसा की संत फ़क़ीर दास जी ने कहा
काश हम भी भरी महफ़िल में अपने चुतड को ऐसा नुमाया कर दे ...
की
काश हम भी भरी महफ़िल में अपने चुतड को ऐसा नुमाया कर दे ...
एक हवा का झोका आये...
और पूरी महफ़िल को...
मेरे चूत की पानी की खुशबु से तारो ताज़ा कर दे....