ये किस मुसीबत में डाल दिया तुमने... भाई तो बहन की इज्जत बचाने के लिए होते है... और यंहा तुम खुद तो अपनी बहन को चोदना ही चाहते हो... चलो वो भी ठीक है.. पर अपनी बहन को दुसरो के सामने परोस रहे हो...
कायर हो तुम...
कायर...
आज के अपडेट को इसी सस्पेंस में छोड़ते है और जैसा की संत फकिरदास जी ने कहा है
लवडो के मैदान में, बहन को फसवा आए.....
लवडो के मैदान में, बहन को फसवा आए.....
ना भाग सके...
ना लड़ सके....
मन ही मन पछताए.....
अब आगे
ये सब देखने के बाद मेरी आँखों में ख़ुशी की चमक आ गयी थी... और मेरे कदम आयशा की तरफ बढ़ने लगे और कुछ ही सेकंड में... मैं भीड़ को चीरता हुवा आयशा के ठीक सामने खड़ा था.... मैं हाथ बढा कर आयशा की कमर को थाम लिया और उसे अपनी तरफ खीचा जिससे वो उस लड़के से दूर खसक गयी और मेरे सीने से लग गयी...
जब वो मेरे सीने से टकराई तब उसने आँखे खोलकर ऊपर देखा... उसकी आँखे सीधे मेरी आँखों से मिली.... मेने उसकी आँखों में आसू देखे... और इतनी देर में वो लड़का फिर से आगे बढ़ कर आयशा से चिपक गया... और मुझसे बोला
लड़का – ओ भाई बिच में कन्हा घुस रहा है...
{ उसकी बात सुनकर आयशा को लगा अब तो शायद मैं कोई स्टैंड लूँगा... उसे उससे दूर करूँगा पर मेने जो किया उससे आयशा बेहोश होते होते बची...}
मैं – अरे नही भाई बिच में कन्हा... काफी देर से देख रहा हूँ... की तू डाल ही नहीं पा रहा है... तो में तेरी मदद के लिए आ गया... सोचा एक बार तू खेल ले फिर में खेल लूँगा...
{ ये सुन कर आयशा की बंद आँखों में से भी आंसू का एक कतरा निकल कर उसके गालो पे बह गया }
लड़का – अच्छा... मतलब बहती गंगा में दुबकी मारने आया है... चल तू भी क्या याद रखेगा किस दिलदार से पाला पड़ा है... वैसे भी इसकी चूत तो खुला मैदान है... तू इसकी कमर पकड़ मैं इसकी गांड में लंड पेलता हूँ...
मैं – अरे ऐसे नहीं जाएगा... इसकी गांड में... और ऊपर से बस के झटके ... एक काम करते है... इसी से बोलते है क तेरा लंड पकड़ के गांड के छेद पे सेट रखे... और फिर तुम धक्का मार देना...
ऐ लड़की चल लंड पकड़ के छेद पे रख
आयशा – नहीं प्लीज मुझे जाने दो
मैं – चुप चाप लंड पकड वरना यंही सबके सामने नंगी कर के बस से उतार दूंगा
{ ये धमकी सुन के आयशा डर गयी वन्ही वो लड़का खुश हुआ और बोला}
लड़का – बहुत बढ़िया अब तो और मजा आएगा... जब छिनाल अपने हाथो से मेरा लंड पकड़ के रखेगी... आज तो इसकी गांड ही फाड़ दूंगा... ऐ छिनाल पकड़ मेरा लंड
{ जब आयशा ने हाथ नहीं बढाया तो मेने ही उसका हाथ पकड़ के पीछे किया और उसके लंड पे रख दिया... पर लंड पे हाथ रहते ही मुझे हसी आ गयी... क्यूंकि उसका लंड इतना छोटा था की आयशा की पूरी हथेली में समां गया... मुझे हस्ता हुवा देख के उस लड़के ने पूछा क्या हुआ हस क्यूँ रहा है }
मैं – अभी कन्हा हुवा है... होगा तो अब
{और य बल कर मेने आयशा के हाथ से हाथ हटा कर उसके टट्टे को पकड़ कर पूरी ताक़त से दबा दिया.... वो दर्द से तिलमिला गया... उसे इतना दर्द हुवा की उसके मुह से चीख भी नहीं निकल सकी... हाँ आँखे जरुर बहार आ गयी बड़ी मुश्किल से उसने अपना मह खोला और बोला }
लड़का – क्याह करर रहा है.... मर जाऊँगा में
मैं – चिंता मत कर मरेगा नही तू इससे
{आयशा इससे बेखबर थी उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है... और में उसके टट्टे पूरी ताकत से मसल रहा था }
लड़का – छोड़ दे क्यूँ जबरजस्ती कर रहा है...
मैं – मैं जबरजस्ती कर रहा हूँ... और जो तू बिना मर्ज़ी के इसकी गांड मारने वाला था उसको क्या बोलेगा तू..
लड़का – अच्छा नहीं मारूंगा इसकी गांड छोड़ दे मेरे टट्टे
मैं – इसकी तो क्या तू अपनी बीवी की बिना उसके मर्ज़ी के नहीं मारेगा बोल
लड़का – नहीं मारूंगा... अरे में तो किसी लड़की को देख के मुठ भी नहीं मारूंगा बिना उसकी मर्ज़ी के बस छोड़ दे
{ आयशा को हमारी बाते तो सुनाई दे रही थी पर उसे समझ नहीं आ रहा था की ऐसा मेने क्या कर दिया जो उस लड़के इतनी जल्दी अक्ल आ गयी... और देखते ही देखते उसका लंड एक दम छोटा होकर आयशा के हाथ से निकल गया और लटक गया... जब आयशा ने हाथ को आगे खीचा तो उसे समझ आया की मेरा हाथ तो अभी भी पीछे ही है... और में पीछे से आयशा की गांड तो मसल नही रहा हूँ... तो जरुर में... ये सोच कर ही आयशा के शारीर में झुरझुरी आ गयी.... होंठो पे मुस्कान आ गयी और उसने अपनी बांहों में लेकर मुझे जकड लिया और धीरे से बोली }
आयशा – थैंक यू... सो मच... एंड आई लव यू...
मैं – देख गंडीये.... पहले लड़की का दिल जितना सिख फिर उसे जैसे मर्ज़ी बजा...
{ और मेने उसके टट्टे को फिर से जोर से दबा के छोड़ दिया जिससे उसका पेशाब निकल गया और हम दोनों उसको मुत्ता देख उससे दूर हठ गए... पर टट्टे आजाद होने से उसे इतना सुकून मिला की वो समझ ही नहीं पाया की उसका मूत निकल रहा है... औए वो गहरी गहरी सांस लेने लगा...
आस – पास के लोग चिल्लाने लगे... अरे देखो बस में मूत रहा है.... और जब तक वो समझ पाता तब तक भीड़ उसकी गांड मारने में लग गयी और उसे मार पिट के बस से उतार दिया....
आयशा अब भी मुझ से सट कर खड़ी थी... कभी काम रही थी कभी सुकून की साँसे भर रही थी... उसकी बिना इलास्टिक की पेंटी उसके पेरो में पड़ी थी मेने उसकी पेंटी के ठीक बिच वाले हिस्से पे पैर रख दिया और उससे कहा
मैं – आयशा अपना एक पुर ऊपर करो
आयशा – क्यूँ
मैं – मैंने कहा ना करो...
आयशा – ठीक है
{ और उसने अपना एक पैर उठा के ऊपर किया तो उसके पैर में से उसकी पेंटी बाहर आ गयी... पर पेंटी की रगड़ से उसे कुछ महसूस हुआ तो उसने निचे देखा तो उसकी चड्डी उसके पैरो में थी जिस पर मैं पैर रख के खड़ा हुआ था }
आयशा – ये क्या कर रहे हो यंहा क्यूँ उतार दी...
मैं – अरे बस से उतरते समय तुम्हारे पैर में फास जायेगी और तुम गिर सकती हो इसीलिए.. अब दूसरा पैर उठाओ
{ आयशा ने दूसरा पैर भी उठा दिया और मेने उसकी पेंटी पैरो से एक सीट के निचे खसका दी }
आयशा – कितने बेशरम हो आप मालिक सबके सामने अपनी बहन को नंगी कर दिया...
मैं – नंगी कन्हा किया है... कपडे तो पहने है... और वैसे भी अगर मेरा बस चले तो मैं तो तुम्हे नंगा ही रक्खू और आते जाते लोगो से पुछु के देखा है ऐसा माल कंही...
आयशा – छि गंदे... घर से बस तक आने में मेरी गांड फटते फटते बची... बस में बिना पेंटी के कड़ी हूँ... पता नही मॉल मै जाकर क्या होगा....
मैं – जो भी होगा उसमे तुझे मजा खूब आएगा
{ और ये बोल कर मेने ही आयशा को बाहों में लेकर अपने से लगा लिया और आँखे बंद कर ली
कुछ देर बाद आँखे खोली तो देखा की पीछे बैठे हुवे खड़े हुवे लोग सीधे मेरी बहन की गांड को ही देख रहे है... मेने निचे देखा तो उसका स्कर्ट हवा से हल्का हिल रहा था में समझ गया की ये लोग भी उसी तरह स्कर्ट के ऊपर उठने का इंतज़ार कर रहे है जैसे में कर रहा था कार में.....